लेटैस्ट ट्रैंड्स का रखें खयाल, शादी में दिखें बेमिसाल

शादी की तारीख तय होते ही युवक युवती की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. ये तैयारियां होती हैं एक दूसरे के साथ जिंदगी की नई शुरुआत करने की. वैसे तो शादी की तैयारी में बहुत सी बातें हैं, मगर युवती और युवक को सब से ज्यादा उत्साह जिस चीज का होता है वह है, एकदूसरे के लिए सजनेसंवरने का, जिस के लिए वे काफी सारी शौपिंग करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि अब पहले की तरह शौपिंग में न तो युवती के मातापिता का दखल होता है और न ही युवक को अपने यारदोस्तों और मामाचाचा का सहारा लेना पड़ता है. अब तो विवाह सूत्र में बंधने वाला जोड़ा एकसाथ एकदूसरे की शौपिंग में मदद करता है.

देखा जाए तो यह सही भी है, क्योंकि शौपिंग में एकदूसरे का साथ व पसंदनापसंद जानने का भी मौका मिलता है. मगर शौपिंग के दौरान नए ट्रैंड और फैशन को ध्यान में रखना भी बहुत जरूरी है. कहीं ऐसा न हो कि छोटी सी भूल सारी तैयारियों पर पानी फेर दे.

लेटैस्ट पहनावा

इस में सब से पहले आते हैं युवकयुवती द्वारा पहने जाने वाले आउटफिट्स. जाहिर है इस विशेष अवसर पर उन का खास दिखना भी जरूरी है. इस के लिए हर कार्यक्रम में लेटैस्ट ट्रैंड्स को ध्यान में रखते हुए दोनों को ही अलगअलग परिधानों का चुनाव करना चाहिए. इस बाबत फैशन डिजाइनर श्रुति संचिति कहती हैं, ‘‘शादी का अवसर अब पहले की तरह पारंपरिक नहीं बल्कि फैंसी हो गया है, जिन कार्यक्रमों का स्वरूप पहले छोटा हुआ करता था अब वे बड़े स्तर पर होते हैं. रोका, सगाई, गोदभराई, मेहंदी व हलदी कुछ ऐसे कार्यक्रम हैं जिन में दूल्हा और दुलहन पक्ष के सभी लोग उपस्थित रहते हैं. ऐसे में होने वाले दूल्हादुलहन को इन सभी कार्यक्रमों के लिए पहले से तैयारी करनी पड़ती है.’’

खासतौर पर आउटफिट्स की खरीदारी दूल्हादुलहन को एकसाथ करनी चाहिए, क्योंकि आजकल मैचिंग का ट्रैंड है और लोगों का दूल्हादुलहन के कपड़ों की मैचिंग पर ही सब से अधिक फोकस रहता है. इसलिए जब शादी के कार्यक्रमों के लिए आउटफिट्स खरीदने जाएं, तो निम्न बातों का ध्यान जरूर रखें.

साड़ी और लहंगे का क्रेज अब भी युवतियों में कम नहीं हुआ है. डिजाइनर्स ने भी इन दोनों ही परिधानों के साथ नएनए प्रयोग किए हैं, जिस से ये और भी ट्रैंडी लुक में बाजार में उपलब्ध हैं. रोका और सगाई जैसे कार्यक्रमों के लिए डिजाइनर लहंगों या प्रीड्रैप साड़ी, ऐंब्रौयडरी वाले गाउंस या डिजाइनर क्रौप टौप के साथ लाचा स्टाइल स्कर्ट को चुना जा सकता है. वहीं मेहंदी, संगीत और हलदी के कार्यक्रम के लिए इंडो वैस्टर्न अनारकली सूट्स, फ्लोर लैंथ रौ सिल्क स्कर्ट या गाउंस काफी अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं.

अपनी शादी में दुलहन भी अब सभी अवसरों को ऐंजौय करना चाहती है, ऐसे में उन आउटफिट्स को प्रमुखता दें जो स्टाइलिश भी हों और आरामदायक भी. नैनोट्रैडिशनल कौंसैप्ट पर तैयार लहंगे दुलहन की दोनों जरूरतों को पूरा करते हैं. पहली बात यह कि ये वजन में भारी और ज्यादा कीमती नहीं होते. दूसरा, इन्हें बाद में कस्टमाइज कर के समय के ट्रैंड के अनुसार ढाला जा सकता है, जिस से पैसों की बरबादी भी नहीं होती.

युवकों के लिए अब न केवल कोटपैंट, धोतीकुरता और शेरवानी बल्कि बाजार में वैडिंग आउटफिट्स के ढेरों विकल्प उपलब्ध हैं. इन विकल्पों में सब से अधिक लोकप्रिय ऐंब्रौयडरी, जरदोजी और सीक्वैंस वर्क वाला बंद गले का कुरता और चूड़ीदार पाजामा, चिकन, लेनिन या जामवार जैसे फैब्रिक से बनी अचकन, कुरता और लौंग कोट मौजूद हैं, जिन्हें मोजरी और जूती के साथ पहनने में क्लासी लुक आता है. चाहें तो एक हलका सा स्टौल या पगड़ी भी इस के साथ क्लब की जा सकती है, यह आउटफिट के लुक को और भी इनहैंस करता है. सब से अच्छी बात यह है कि इन आउटफिट्स को किसी भी कार्यक्रम में पहना जा सकता है, बस, इन के पैटर्न और डिजाइन का थोड़ा खयाल रखना पड़ता है.

आप को यह जान कर हैरानी होगी कि धोतीकुरते का फैशन आज भी पूरी तरह आउट नहीं हुआ है बल्कि इस के स्वरूप को और भी डिजाइनर अंदाज में पेश किया जा चुका है. खासतौर से यदि अपनी शादी के दिन आप भारीभरकम शेरवानी न पहनना चाहें तो रौ सिल्क का कुरता और कौटन सिल्क की धोती चुन सकते हैं. वैसे इसे और भी स्टाइलिश लुक देने के लिए कुरते के ऊपर डिजाइनर कोट भी पहना जा सकता है.

वैसे सही कलर कौंबिनेशन, फैब्रिक और पैटर्न का खयाल रख कर दूल्हादुलहन अपने आउटफिट्स को एकदूसरे के मैच का भी बना सकते हैं.

– दुलहन के लहंगे में जिस रंग का सब से कम इस्तेमाल हुआ हो दूल्हे को उसी रंग का आउटफिट चुनना चाहिए.

– दूल्हादुलहन एकदूसरे के आउटफिट को कौंप्लिमैंट करते हुए रंग का आउटफिट भी ले सकते हैं.

–  इस बात का भी खयाल रखें कि यदि दूल्हा वैस्टर्न आउटफिट पहन रहा है, तो दुलहन को भी वैस्टर्न आउटफिट ही पहनना चाहिए.

मेकअप में रखें ट्रैंड का खयाल

पहनावे के बाद सजनेसंवरने की कड़ी में सब से महत्त्वपूर्ण मेकअप होता है. चाहे दुलहन हो या दूल्हा शादी के लगभग सभी कार्यक्रमों में मेकअप के अनुभव से सभी को गुजरना पड़ता है. मगर इस की तैयारी भी पहले से करनी पड़ती है.

जहां दुलहन को यह तय करना पड़ता है कि उसे कैसा लुक चाहिए वहीं युवक को भी अपने आउटफिट के अनुसार बाल और दाढ़ी सैट करनी पड़ती है. इस बारे में मेकअप आर्टिस्ट अतुल चौहान कहते हैं, ‘‘दुलहन के मेकअप में ड्रामैटिक लुक, रौयल लुक, अरैबिक स्टाइल जैसी कई वैराइटी होती हैं, मगर मेकअप का कोई भी स्टाइल दुलहन के आउटफिट और ज्वैलरी पर ही तय करता है. हम होने वाली दुलहन को यही सलाह देते हैं कि पहले आउटफिट तय कर लें ताकि उस के हिसाब से मेकअप और ज्वैलरी तय की जा सके.’’ कुछ ऐसा ही दूल्हे को भी करना पड़ता है.

वैसे तो दूल्हे को दुलहन की तरह मेकअप लुक्स की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती मगर चेहरे पर पिंपल, टैनिंग या फिर किसी तरह के दागधब्बे हों, तो उन्हें शादी के कुछ दिन पहले ही फैशियल, ब्लीच और क्लीनअप करवाने की जरूरत होती है. वैसे यह काम दुलहन को भी करवाना पड़ता है. आजकल बहुत से ऐसे यूवी सैक्स सैलून हैं, जो दूल्हादुलहन के लिए कंबाइंड पैकेज देते हैं. इन पैकेजेस को पहले से बुक कराया जा सकता है.

इस के साथ ही युवकों को भी अपनी मेकअप किट में कुछ खास कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स रखने चाहिए, जिन के बारे में अतुल बताते हैं, ‘‘स्किन टोन से मैच करता फाउंडेशन, कौंपैक्ट पाउडर, होंठों की स्किन टोन से मैच करती न्यूड शेड की लिपस्टिक युवकों को भी अपनी किट में जरूर रखनी चाहिए. यह उत्पाद उन के फीचर्स को इनहैंस करते हैं.’’

गहने भी हों खास

ट्रैंड के साथ युवतियों का गहनों को ले कर पसंद में भी काफी बदलाव आया है. वे अब भरीभरकम ज्वैलरी के बजाय कम वजनी और वनपीस ज्वैलरी ही पसंद करती हैं. वैसे आजकल मल्टीलेयर्ड और चोकर डिजाइन वाले नैकलैस फैशन में हैं. इन के साथ चौड़े हैंडकफ्स को क्लब किया जा सकता है. इस से दुलहन का लुक बैलेंस हो जाता है.

युवकों की बात की जाए तो वे भी अपनी वैडिंग ऐक्सैसरीज को ले कर काफी चूजी हो गए हैं. खासतौर पर पगड़ी पर लगने वाली कलगी और कोट के लिए ब्रोचेस की खरीदारी में वे काफी ट्रैंड कौंशियस हो गए हैं. इसी तरह युवकों के लिए लेयर्ड नैकलैस में भी काफी वैराइटी बाजार में उपलब्ध हैं. इन का चुनाव आउटफिट के रंग और पैटर्न के आधार पर ही होना चाहिए.

अत: यदि उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखा जाए तो युवकयुवतियों को अपनी शादी की शौपिंग के दौरान न तो ज्यादा मुश्किलें आएंगी और न ही उन का अधिक समय बरबाद होगा.                   

दुलहन की मेकअप किट

– दुलहन की मेकअप किट में प्राइमर अवश्य होना चाहिए. किसी भी कौस्मैटिक प्रोडक्ट के इस्तेमाल से पहले इसे जरूर लगाना चाहिए, क्योंकि यह त्वचा पर सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और मेकअप को लंबे समय तक सैट रखता है.

– यदि फाउंडेशन लगाना पसंद नहीं है तो दुलहन अपनी मेकअप किट में बीबी और सीसी क्रीम रख सकती है. यह फाउंडेशन की तरह ही कार्य करता है और इसे लगाना भी बेहद आसान होता है.

– आजकल बाजार में कई शेड्स के आईलाइनर उपलब्ध हैं और यह काफी ट्रैंडी भी लगते हैं. अपने आउटफिट्स के हिसाब से इन्हें भी मेकअप किट में जगह देनी चाहिए. साथ ही जैल काजल भी मेकअप किट में जरूर रखें.

– अपनी ड्रैस से मैच करते हुए नेलपेंट्स के 3-4 शेड्स जरूर रखें.

– अपनी किट में लाइट शेड्स के साथ ही डार्क शेड्स की लिपस्टिक भी शामिल करें. खासतौर पर ब्लड रैड और मैरून कलर आजकल ट्रैंड में हैं, तो इन शेड्स को किट में जरूर रखें.

ऐसे रखें गर्मियों में त्वचा की चमक को बरकरार

हमारे देश में वर्ष-भर में छः ऋतुएं आती हैं. इनमें गर्मियां ही एक ऐसा मौसम है, जिसमें चेहरे और त्वचा की सबसे ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है. इस मौसम में पसीने की वजह से मेकअप बह जाता है,  शरीर से दुर्गध आने लगती है तथा त्वचा झुलसने लगती है. सूरज की गर्मी और प्रदूषण की मार से अच्छी-से-अच्छी त्वचा भी खराब हो जाती है और कील -मुंहासे, झाइयां, काले-भूरे दाग, ब्लैक हैड, घमौरी और पसीने की गंध जैसी बहुत-सी परेशानियां सामने आती हैं. गर्मियों के इस धूल और पसीने से सराबोर मौसम में त्वचा की उचित देखभाल करना बहुत जरूरी है.

यहां हम आपको गर्मियों में चेहरे की देखभाल करने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिससे आप आसानी से अपनी त्वचा और सौंदर्य की देखभाल कर सकेंगी.

गर्मियों में चेहरे की देखभाल के लिए त्वचा पर टमाटर के रस के बने आइस क्यूब का मसाज करना लाभकारी होता है इससे धूप में झुलसी त्वचा को आराम मिलता है साथ ही त्वचा की चमक भी बनी रहती है.

इसके लिए आप सुबह उठते ही चेहरे को अच्छी तरह धोएं, फिर संतरे के छिलकों के पाउडर में थोड़ा-सा कच्चा दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएं पांच-सात मिनट बाद हल्के हाथ से मालिश करें और अंत में ठंडे पानी से मुंह को धोएं. ड्राई स्किन में मृत कोशिकाओं की मात्रा काफी ज्यादा होती है इसलिए सूखी त्वचा के लिए फेस स्क्रब का प्रयोग करना चाहिए.

गर्मियों में ड्राई स्किन की देखभाल के लिए दो केले को छीलकर अच्छी तरह पीस ले फिर इस पेस्ट को चेहरे में लगाये.

रात को सोने से पहले हाथ-पांव और मुंह अच्छी तरह धोएं, ताकि दिन-भर की गंदगी साफ हो जाए. इसके बाद त्वचा पर तेल रहित माइस्चराइजर जरूर लगाएं.

गर्मियों में शरीर के खुले हिस्सों पर सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. कई कंपनियां दावा करती हैं कि उनके माइस्चराइजर में सनस्क्रीन भी मौजूद है, मगर अच्छा होगा कि आप माइस्चराइजर के साथ अलग से सनस्क्रीन भी लगाए. अगर आप धूप में ज्यादा समय रहने वाली हैं तो 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन को अच्छी तरह ही लगाकर बाहर जाएं.

गर्मियों में चेहरे की देखभाल के लिए आंखों के नीचे आई क्रीम लगाएं, ताकि वहां की त्वचा में नमी बनी रहे और झुर्रियां न पड़ें. मगर इस क्रीम को सोने से पंद्रह मिनट पहले धो दें, जिससे आंखें सूजी हुई न लगें. क्रीम के कारण त्वचा के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं, जिससे त्वचा सांस नहीं ले पाती है.

कम से कम हफ्ते में एक बार हल्दी का लेप, चंदन का लेप, एलोवेरा के पेस्ट का लेप आदि प्राकृतिक फेसपैक का इस्तेमाल जरुर करें.

गर्मियों में चेहरे की देखभाल के लिए हर दिन नाश्ते के साथ एक कप दही लें तो आपकी त्वचा के लिए अत्यंत फायदेमंद है. दही को आप अपनी त्वचा पर बाहरी रूप में लगाकर भी उपयोग कर सकते हैं. विटामिन डी और प्रोटीन जैसे तत्वों से भरपूर दही आपकी त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है.

गर्मियों में चेहरे की देखभाल के लिए कच्चे पपीते के रस में नारियल का तेल मिलाकर चेहरे पर मालिश करें.

दिन में प्रदूषण, सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों और धुएं का सामना करते-करते रात तक त्वचा की प्रतिरोधक क्षमता जवाब दे देती है और त्वचा के विटामिन-सी और विटामिन-ई के प्राकृतिक स्रोत लगभग समाप्त होने लगते हैं. नाइट क्रीम त्वचा के अंदर जाकर इन स्रोतों की पूर्ति करती है.

गर्मियों में त्वचा पर घमोरियां निकल आती है पर अक्सर घमौरियां पर लोग पाउडर छिड़कते रहते हैं, इससे घमौरियां और भी बढ़ जाती हैं. अगर घमौरियों पर बर्फ रगड लिया जाये, तो काफी राहत मिलती है.

बहुत ज्यादा धूप त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है. सूरज की सीधी किरणें त्वचा में कोलाजेन और इलास्टिक टिश्यू को नष्ट कर देती हैं और उनका असर बढ़ता ही जाता है. सनस्क्रीन लोशन या सन ब्लाक धूप के इस हानिकारक असर को रोकते हैं.

गर्मियों में चेहरे की देखभाल के लिए बाहर जाते वक्त अपने साथ साफ रूमाल, पेपर नैपकिन या लेमन और यूडीकोलोन में भीगे टिश्यू पेपर जरूर रखें. पसीना आने पर चेहरा पोंछ लें, नहीं तो पसीने पर गंदगी चिपकेगी, जिससे मुंहासे होने का डर रहता है. सनबर्न स्क‍िन के लिए एंटाक्सीडेंट वाले हल्के लोशन का उपयोग करें.

तेज धूप से त्वचा काली पड़ जाए तो खीरे या ककड़ी का रस चेहरे पर लगाएं.

गर्मियों में चेहरे की देखभाल और त्वचा की चमक बरकरार रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पियें. त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए हर रोज खीरा, ककड़ी, करेला, पालक, तरबूज आदि जैसी ताजी सब्जियां और फल को अपनी खुराक में अवश्य शामिल करें.

एना अडोर ठुकरा चुकी हैं ‘बिग बौस’ का औफर

‘कलर्स’ चैनल दावा करता है कि उनके चैनल के रिएलिटी शो ‘बिग बौस’ से जुड़ने के लिए लोग लालायित रहते हैं, मगर हकीकत कुछ और ही है. सबसे बड़ी हकीकत यह है कि तमाम लोग ‘बिग बौस’ का हिस्सा बनने से इंकार करते रहते हैं. रूस और यूरोप के बीच बसे एक देश बेलारूस से भारत आकर फिल्मों में अभिनय कर रहीं अदाकारा एना अडोर दो बार ‘बिग बौस’ को ठुकरा चुकी हैं.

एना अडोर अब तक ‘उड़ता पंजाब’ में शाहिद कपूर की प्रेमिका, फिल्म ‘गुड़गांव’ में सेकंड लीड, गुजराती भाषा की फिल्म ‘पासपोर्ट’ में वहां के सुपरस्टार मल्हार के साथ नायिका बनने के बाद हालिया प्रदर्शित ‘यशराज फिल्मस’ की फिल्म ‘कैदी बैंड’ में नजर आ चुकी हैं. पर वह ‘बिग बौस’ का हिस्सा नहीं बनना चाहतीं.

हमसे बातचीत करते हुए एना अडोर ने कहा, ‘‘मैं देा बार ‘बिग बौस’ ठुकरा चूकी हूं. मेरे पास दो साल पहले भी ‘बिग बौस’ से जुड़ने का आफर आया था, पर मैंने मना कर दिया था. मैं अपनी अभिनय, अपनी परफार्मेंस के आधार पर सफलता व शोहरत पाना चाहती हूं. ‘बिग बौस’ के घर के अंदर जो कुछ होता है, उससे मैं सहमत नही हूं. शोहरत पाने के लिए मैं बेवजह की हरकतें नहीं करना चाहती. मुझे महज सेलीब्रिटी नहीं बनना.’’

सुकून देती है सोने से पहले पैरों की मालिश

पैर हमारे शरीर का ऐसा हिस्‍सा है जिसे हम सबसे ज्यादा नजरअंदाज करते हैं. हम लोगों में से ज्यादतर लोग पैरों को महत्व नहीं देती. लेकिन नियमित रूप से पैरों की मालिश करने से लुब्रिकेशन और ब्‍लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, और विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती हैं इतना ही नहीं, बल्कि नियमित मालिश पैरों को मजबूती और अधिक लचीलापन भी प्रदान करती है.

दिनभर की थकान से निजात

रात में पैरों की तेल से मालिश करने से आपको तनाव और सिरदर्द से निजात पाने में भी मदद मिलती है. पैरों की मालिश आपको दिनभर की थकान से निजात दिलाकर, मानसिक और शारीरिक तौर पर सुकून देती है. यह अच्‍छी नींद लाने के साथ तनाव को दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है.

ब्‍लड सर्कुलेशन में सुधार

शरीर के माध्‍यम से प्रसारित होने वाला ब्‍लड, शरीर की कोशिकाओं को आक्‍सीजन और पोषण पहुंचाने के लिए जिम्‍मेदार होती है. ब्‍लड शरीर की अपशिष्‍ट और विषाक्‍त पदार्थों को भी शुद्ध करता है. जब हमारे अन्दर किसी भी तरह का तनाव मौजूद होता है तो शरीर में ब्‍लड का फ्लो सीमित हो जाता है और ठीक तरह से ब्‍लड सर्कुलेशन न होने की वजह से शरीर की कोशिकाओं मे समस्या हो सकती है. पैरों की मालिश इस समस्या से निजात दिलाने में फायदेमंद हो होती है क्‍योंकि इससे ब्‍लड सर्कुलेशन बेरोक प्रवाहित होता है.

पैरों की सुंदरता बढ़ाता है

पैरों की सुंदरता को बनाये रखने के लिए भी मालिश एक अच्‍छा विकल्‍प साबित हो सकती है. मालिश से हमारे पैरों की त्‍वचा पहले से बेहतर व मुलायम हो जाती है क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होती है और अगर मालिश के लिए नारियल, बादाम, तिल या अलसी के तेल का इस्‍तेमाल किया जाये तो क्‍या कहना.

वजन कम करने में मददगार

जी हां, सोने से पहले पैर के तलवों की मालिश हमारे शरीर का वजन कम करने में मदद करती है. यह आपके मेटाबालिज्म को बेहतर बनाता है जो सेहतमंद तरीके से आपका वजन कम करने में सहायक होती है. सोने से पहले पैरों की मालिश करना, न केवल आपका वजन कम कर सकती है बल्कि आपके शरीर में मौजूद वसा को भी कम करने में मदद करती है. यह पसीने द्वारा शरीर से हानिकारक तत्वों को भी बाहर निकालती है.

विश्वास का एहसास है प्यार : उर्मिला महंता

सिने जगत में आ रहे बदलाव के चलते अब बौलीवुड में तेजी से न सिर्फ नईनई प्रतिभाएं आ रही हैं बल्कि वे अपनी प्रतिभा के बल पर अपने लिए एक नया मुकाम भी बना रही हैं. इन्हीं प्रतिभाओं में से एक हैं उर्मिला महंता.

पूर्वोत्तर की उर्मिला महंता की नई फिल्म ‘विराम’ ने हाल ही में ‘कान्स इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल’ में धूम मचाई है. महज 4 साल के अंदर उर्मिला महंता तमिल, तेलुगू व असमिया फिल्मों के अलावा ‘मांझी द माउंटेनमैन’, ‘अकीरा’ सहित कई हिंदी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुकी हैं. वे तमिल फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अदाकारा का पुरस्कार भी हासिल कर चुकी हैं, जबकि उन की 2 असमी फिल्में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं.

इस के अलावा इन दिनों वे ईरानी फिल्मकार मजीदमजीदी की फिल्म ‘बियांड द क्लाउड’ भी कर रही हैं. उन्हें जहानु बरुआ के भतीजे मंजुल बरुआ निर्देशित फिल्म ‘अंतरीन’ के लिए प्राग इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है. ‘विराम’ और ‘अंतरीन’ फिल्में जुलाई में प्रदर्शित होंगी. प्रस्तुत हैं, उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश.

अभिनय के प्रति आप का रुझान कैसे हुआ?

मैं मूलत: गुवाहाटी के नजदीक सोनपुर की रहने वाली हूं. मेरे पिता कालेज के दिनोें में थिएटर से जुड़े हुए थे, जबकि मेरे चाचा आज भी शौकिया थिएटर करते हैं. इस तरह कहीं न कहीं मेरे खून में भी अभिनय का कीड़ा है. असम में साहित्य, कला व संगीत का माहौल है. इसलिए जब स्कूल की छुट्टियां हुआ करती थीं, तो हमें स्कूल की तरफ से इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए कहा जाता था. हम भी छुट्टियों में थिएटर वर्कशौप करते थे.

मुझे बचपन से ही टीवी देखना काफी पसंद है. इस के अलावा मैं बचपन से ही स्टेज शो करने लगी थी. मुझे थिएटर में काफी पुरस्कार मिले. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से शिक्षा हासिल करने वाले तमाम लोगों के साथ काम करते हुए मैं ने अभिनय की शिक्षा हासिल की. मैं ने ‘पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट’ से अभिनय की ट्रेनिंग ली.

जब मैं 2008 में पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट में प्रथम वर्ष की छात्रा थी, तभी गोआ में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फैस्टिवल में जाने का मौका मिला, वहीं मुझे पहली तमिल फिल्म ‘वजहक्कू इन 18/9’ मिली.

इस फिल्म के निर्देशक बालाजी शक्थिवेल से गोआ में मुलाकात हुई. तमिल रोमांचक फिल्म ‘वजहक्कू इन 18/9’ की शूटिंग की. इस में मैं ने झोंपड़पट्टी में रहने वाली और घरों में जा कर काम करने वाली युवती ज्योति का किरदार निभाया. मुझे ‘सीमा अवार्ड फौर बैस्ट डिब्यूटैंट’ और श्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का अवार्ड मिला. यह 2012 की बात है. इस के बाद मैं बैंगलुरु में रहने लगी. उस के बाद मुझे पीछे मुड़ कर देखने की आवश्यकता नहीं पड़ी. हिंदी में मैं ने ‘मांझी : द माउंटेनमैन’ व ‘अकीरा’ जैसी फिल्में की हैं.

फिल्म ‘अकीरा’ को बौक्स औफिस पर सफलता नहीं मिली. इस का नुकसान किसे हुआ?

इस फिल्म में मैं लीड रोल में नहीं थी. इसलिए मुझ पर इस का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. हम तो क्राफ्ट कला और कंटैट पर यकीन करते हैं. हमारे लिए यह बात असरदार होती है कि हमारी परफौर्मैंस फिल्म में कैसी रही.

मैं आभारी हूं उन लोगों की जिन्होंने हर फिल्म में मेरी परफौर्मेंस की तारीफ की. मैं ने हमेशा अपनी तरफ से अच्छी परफौर्मैंस दी, जिस से निर्मातानिर्देशक खुश हुए. दर्शकों ने भी मेरे अभिनय को सराहा, तभी तो मुझे ‘विराम’ फिल्म में हीरोइन का रोल मिला, जो ‘कान्स फिल्म फैस्टिवल’ में नए निर्देशकों के प्रतियोगिता खंड में सराही गई.

आप का कैरियर किस दिशा में जा रहा है?

मुझे लगता है कि मेरा कैरियर सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, यह तो आप भी जानते हैं कि बौलीवुड में आप की योजना काम नहीं करती. मेरी सोच यही है कि मेरे हिस्से अच्छे किरदार, अच्छी कहानियां, अच्छी फिल्में आएं. मैं उन्हें बेहतर तरीके से करते हुए लोगों का विश्वास जीतते हुए आगे बढ़ती रहूं. एक न एक दिन मुझे अपना मुकाम मिल जाएगा.

आप तमिल व क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में बतौर हीरोइन काम कर रही हैं, पर हिंदी फिल्मों में सैकंड लीड कर रही हैं. ऐसा क्यों?

मैं हीरोइन बनने के मकसद से ही मुंबई आई थी, पर कई  बार हमारे पास जिस तरह की फिल्मों के औफर आते हैं उन्हीं में से हम चुनते हैं. केतन मेहता ने जब मुझे फिल्म ‘मांझी : द माउंटेनमैन’ का औफर दिया, तो इस में राधिका का सैकंड लीड होने के बावजूद मैं इनकार नहीं कर पाई, क्योंकि पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट में तो मैं ने केतन मेहता की फिल्मों को देख कर अभिनय करना सीखा. मैं उन की बहुत बड़ी फैन हूं. ऐसे में मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं उन को मना कर सकूं. मैं अपनेआप को लक्की मानती हूं कि मुझे केतन मेहता और ए मुरूगदास जैसे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला. ‘विराम’ व ‘चकल्लसपुर’ सहित कई फिल्मों में मैं हीरोइन के रोल में हूं.

फिल्म विराममें आप का किरदार क्या है?

यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो कई तरह की परिस्थितियों का सामना कर एक मुकाम हासिल करती है. इसलिए इस फिल्म का नाम ‘विराम’ है. यह मेरे किरदार मातुल की यात्रा है. परिस्थितियों के अनुसार मातुल के शेड्स बदलते हैं. परिस्थितियों से जूझतेजूझते मातुल एक जगह आ कर रुक जाती है. फिर कई किरदार मातुल की यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. उसे विराम दिलाते हैं.

बौलीवुड में ऐक्सपोजर बहुत होता है. आप इस के लिए खुद को कितना सहज पाती हैं?

मेरे हिसाब से ये सब किरदार की मांग पर निर्भर करता है. यदि आप महज नंगापन परोसना चाहते हैं, तो मैं दूर से ही हाथ जोड़ लेती हूं, लेकिन यदि यह किरदार की मांग है या उस वजह से किरदार व कहानी में कोई बड़ा बदलाव आना है और उसे बड़ी शालीनता के साथ चित्रित किया जाना है, तो मुझे इस से परहेज नहीं है. लेकिन बौलीवुड में दोगलापन ज्यादा है. युवक अपने शरीर की नुमाइश करें तो लोग उन की प्रशंसा करते हैं, लेकिन युवती ऐसा करे तो उसे बुरा कहा जाता है. ऐसा क्यों? इस तरह की मानसिकता मेरी समझ से परे है.

आप की जिंदगी का वह कौन सा पड़ाव था, जब आप की जिंदगी में बदलाव आया?

पहले मैं प्रोफैशनल अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी, लेकिन जब मुझे अभिनय से प्यार हुआ, तो मैं एक अच्छी अदाकारा बन गई. परिवार वालों के प्यार व सहयोग से ही मैं अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हूं. मेरे चेहरे पर मुसकराहट लाने का काम मेरे परिवार वाले ही करते हैं.

जब आप असम जाती हैं, तो वहां लोग किस तरह आप के साथ पेश आते हैं?

मुंबई आने से पहले मैं असम में स्टेज शो करती थी, इसलिए असम में मेरा चेहरा जानापहचाना है. आज मैं असम की उभरती कलाकार हूं, जब मैं वहां पहुंचती हूं तो उन्हें खुशी होती है. उन्हें लगता है कि हमारे परिवार का कोई सदस्य अभिनय के क्षेत्र में सफलता बटोर रहा है. वे मुझे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करते हैं. सभी यही कहते हैं, ‘उर्मिला, तुम मेहनत करो, आगे बढ़ो, हमारा प्यार तुम्हारे साथ है.’ उन्हें इस बात की खुशी है कि कल तक जिस असम को अलगथलग रखा जाता था, आज उसे्र मुख्यधारा में ला कर सिनेमा व संगीत से जोड़ा जा रहा है. आज बौलीवुड और संगीत के क्षेत्र में पूर्वोत्तर के लोग हावी हैं. अभिनय में कम लोग हैं. आदिल हुसैन, सीमा विश्वास के बाद अब हम नई पीढ़ी के कुछ कलाकार अलग मुकाम बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं.

आप को नहीं लगता कि सीमा विश्वास व आदिल हुसैन से ले कर आप तक पूर्वोत्तर भारत के किसी भी कलाकार को बौलीवुड में वह मुकाम नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था?

देखिए, आदिल हुसैन ने बौलीवुड में अपनी जगह बना ली है. मुझे तो यही लगता है कि वे खुद हीरो वाली फिल्में नहीं चुनते हैं. मेरी राय में आप हर फिल्म में हीरो हों, तभी स्थापित कलाकार कहलाएं, ऐसा जरूरी नहीं है. आदिल हुसैन को अभी 2 फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. वह हौलीवुड की फिल्में भी कर रहे हैं.

आप की रुचि क्या है?

मैं ने संगीत की कोई ट्रैनिंग नहीं ली है, पर संगीत में मेरी काफी रुचि है. मैं गाती भी हूं. मुझे नृत्य करना भी पसंद है. क्लासिकल संगीत सुनना मुझे ज्यादा पसंद है. मुझे पेंटिंग का भी शौक है.

किस तरह की किताबें पढ़ना पसंद करती हैं?

मैं रोमांटिक उपन्यास व साहित्यिक किताबें पढ़ती हूं.

इस के अलावा आप कौनकौन सी फिल्में कर रही हैं?

हिंदी में संजय मिश्रा के साथ एक फिल्म कर रही हूं. इस में मैं लीड रोल में हूं. मजीदमजीदी की फिल्म ‘बियांड क्लाउड’ की शूटिंग पूरी हो चुकी है. आर बालकी की फिल्म ‘पैडमैन’ की शूटिंग पूरी की है.

मजीदमजीदी के साथ फिल्म करने को ले कर क्या कहेंगी?

मैं ने मजीदमजीदी की फिल्म देख कर ही अभिनय की शिक्षा ली है. मैं ने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे उन के साथ काम करने का मौका मिलेगा. मजीदमजीदी के साथ काम करना मेरी बड़ी उपलब्धि है.

आप को मजीदमजीदी की फिल्म बियांड द क्लाउडकैसे मिली?

इस फिल्म के कास्टिंग डायरैक्टर हनी त्रेहान ने मुझे बुला कर औिडशन लिया. फिर मजीदमजीदी से मुलाकात करवाई. इस में हीरोहीरोइन वाला मामला नहीं है. उन्होंने मेरा स्क्रीन टैस्ट भी लिया. फिर मेरा चयन भी हो गया. यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है.

सब जानते हैं कि मजीदमजीदी चरित्र के अनुरूप ही कलाकारों का चयन करते हैं. मजीदमजीदी कहते हैं कि यदि उन की फिल्म में कलाकार सिर्फ कुछ समय के लिए आ कर खड़ा होता है, तो भी कहानी में उस की अहमियत होती है.

आप ने असमी में भी काफी फिल्में कीं?

यह मेरी मातृभाषा है. मैं ने आखिर में असमी फिल्में कीं. पहले तमिल, तेलुगू, मलयालम व हिंदी फिल्में कीं. पिछले 2 साल में मैं ने 5 असमी फिल्में कीं, जिन में से ‘कथांडी’ को सर्वश्रेष्ठ असमी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. इस में आदिल हुसैन व सीमा विश्वास भी थीं. इस फिल्म को कई इंटरनैशनल अवार्ड मिले. इस साल मेरी 2 असमी फिल्में रिलीज होने वाली हैं, जिन में एक फिल्म निर्देशक मंजुल बरुआ की ‘अंतरीन’ है. इस फिल्म के लिए मुझे ‘प्राग इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है. मंजुल बरुआ, जहानु बरुआ के भतीजे हैं.

दोस्ती बरकरार रखने के लिए क्या प्रयास करती हैं?

जब 2 इंसान सच्चे होते हैं, तो उन के बीच प्यार, दोस्ती हमेशा बनी रहती है. मुझे लगता है कि अच्छी दोस्ती वही है, जहां हम अपने दोस्त या सहेली से कोई अपेक्षा नहीं रखते. दोस्तों में आपसी समझ हमेशा रहती है. हम बचपन के दोस्त हैं, तो वह दोस्ती टूट नहीं सकती.

प्यार के माने?

मेरे लिए प्यार के माने विश्वास का एहसास है, जोकि मातापिता व दोस्त किसी से भी हो सकता है. मेरे लिए प्यार सिर्फ एक पुरुष व स्त्री के बीच का संबंध नहीं है. प्यार में कोई शर्त व बनावटीपन नहीं होना चाहिए. लोगों के बीच सच्चा प्यार हो तो वे चाहे जितनी दूर रहें, पर प्यार का एहसास कम नहीं होता.

इन दिनों हर जगह नारी सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं. इस बारे में क्या सोचती हैं?

मेरी राय में नारी हमेशा से सशक्त रही है. नारी अबला कभी नहीं रही. ऐसे में आज हम ‘नारी सशक्तिकरण’ की बातें क्यों कर रहे हैं, यह सवाल मेरी समझ से परे है. मगर औरतों के साथ आज भी वही हो रहा है, जो सदियों से होता आया है.

पैसों की समस्या से जूझना नहीं चाहती तो अपनाएं ये टिप्स

ज्यादातर लोग अपने फालतू खर्चे की वजह से हमेशा परेशान रहते हैं. कई प्रकार की चीजों में जब पैसे फालतू खर्च होते हैं तो यह हमें अच्छा नही लगता, फिर हम यह सोचते हैं कि कैसे हम इन पैसों को बचाएं और इसके बावजूद भी अगर पैसे नहीं बच पा रहे हैं तो घबराने की कोई बात नहीं है. आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है, बस थोड़ा सा मनी मैनेजमेंट सीखना पड़ेगा, जो आपको प्लानिंग से खर्च करने में मदद करेगा, वहीं दूसरी ओर आपको फालतू खर्चे होने के तनाव से भी दूर रखेगा.

बेहतर होगा अब से आप अपने कुछ वित्तीय काम जो काफी समय से अटके पड़े हैं, उसे निपटा लें, उसके बाद फिर अपने वर्तमान की वित्तीय समीक्षा करें. अगर आप चाहती हैं कि अब से आपके पैसे सेव रहें और फालतू खर्च ना हो, तो इन तरीकों को अपनायें.

खर्चे से जुड़े सारे डेटा और डौक्युमेंट्स जमा करें

आपके पास साल भर की जितनी भी रिसिप्ट, रिकौर्ड्स और फाइनेंशियल डौक्युमेंट्स हैं, उन्हें एक क्रमबद्ध तरीके से अपने पास जमा कर लें. बिजली के बिल, फोन के बिल या फिर इस साल खरीदे गए कुछ महंगे प्रोडक्ट्स आदि के कागजात को एक जगह रखें. ऐसा करने से आपको ढंग से अंदाजा लग जाएगा कि इस साल कितने पैसे आपने बाकी चीजों में खर्च किए हैं.

साथ ही आपको इस बात का भी जवाब मिल जाएगा कि क्या आप इससे कम में भी यह सारे काम निपटा सकते थे. इससे आपको बजट मैनेजमेंट और बचत में मदद मिलेगी.

अपने खर्च की समीक्षा करें

अब आप चेक करें कि आप कितने खर्च की उम्मीद कर रही थी और आपने वास्तव में कितना खर्च किया. उन खर्चों का विश्लेषण करें जो आपकी उम्मीद से ज्यादा रहे. ऐसा करने से आप वर्तमान और भविष्य के बजट की बेहतर प्लानिंग कर पाएंगी. इसके साथ ही आप यह भी सुनिश्चित कर पाएंगी कि अगले साल आपको कौन-कौन सी वित्तीय गलतियां नहीं करनी हैं.

दरअसल होता यह है कि हम जब तक खुद इस बात का एहसास नहीं करेंगे कि कई बार हमारे खर्चे बेफालतू के होते हैं और उस पैसे को हम बेहतर जगह लगा सकते थे, तब तक हम बेहतर मनी मैनेजर नहीं बन पाएंगे.

इमरजेंसी फंड की समीक्षा करें

अपने छोटे और बड़े वित्तीय लक्ष्य को पाने के लिए इमरजेंसी फंड को मेंटेन करना बहुत जरूरी है. ऐसे फंड आपके इस साल के उम्मीद न किए जाने वाले खर्चों में मदद करते हैं. अगर आपने इस फंड में से पैसे नहीं खर्च किए हैं तो आप अगले साल के बजट में इसे जोड़ कर किसी बड़ी जरूरत को पूरा कर सकती हैं.

अपने कर्ज की समीक्षा करें

सबसे पहले एक सवाल अपने आप से पूछें कि आप फिलहाल कितने तरीके के कर्ज के बोझ तले दबे हैं. इसके साथ ही आपको होम लोन, कार लोन, क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे कितने लोन की ईएमआई हर साल भरनी होती है. अपनी इनकम को देखते हुए आपको ये भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप कब तक सारे लोन चुका पाएंगी, क्योंकि इस तरह के लोन जितनी जल्दी चुका लेंगी उतना बेहतर है.

आने वाले साल में अगर आप वाकई अपना बजट संतुलित करना चाहती हैं तो इन चार कामों के अलावा आप इन टिप्स को भी ध्यान में रखकर अपने खर्च और बजट की प्लानिंग बेहतर कर सकती हैं.

तीखा-मीठा हनी चिकन

घर पर चाइनीज खाना सभी को पसंद है और आप रोज रोज मसालेदार खाना बना कर और खा कर बोर हो चुकी हैं तो थोड़ी मीठी थोड़ी तीखी हनी चिकन जरूर ट्राई करें.

सामग्री

चिकन ब्रेस्‍ट- 500 ग्राम

कार्नफ्लोर- 2 चम्‍मच

प्‍याज- 1

अदरक-लहसुन पेस्‍ट- 2 चम्‍मच

नींबू का रस- 1 चम्‍मच

हरी प्‍याज- 1 गुच्‍छा

हरी मिर्च- 2

शहद- 1 चम्‍मच

चिली सौस- 2 चम्‍मच

सोया सौस- 1 चम्‍मच

काली मिर्च पाउडर- 1 चम्‍मच

नमक- स्‍वादअुनसार

पानी- 2 कप

तेल- 1 कप

तिल- 1 चम्‍मच

विधि

सबसे पहले चिकन के पीस को नींबू, नमक और मिर्च मिला कर आधे घंटे के लिये मैरीनेट कर लें. आधे घंटे एक गहरे पैन में तेल डालें. अब एक कटोरे में कार्नफ्लोर एक चम्‍मच और दो चम्‍मच पानी मिलाएं.

फिर इससे चिकन को कोट कर लें और गरम तेल में डीप फ्राई करें. आंच को हल्‍का ही रखें और चिकन को क्रिस्‍प तल लें.

जब चिकन फ्राई हो जाए तब उसे निकाल कर प्‍लेट में रखें और फिर पैन में एक चम्‍मच तेल डाल कर गर्म करें. तेल गरम होने पर उसमें कटी प्‍याज डाल कर 4 मिनट तक मध्‍यम आंच पर फ्राई करें.

फिर अदरक लहसुन पेस्‍ट, हरी मिर्च डाल कर भूनें. अब 1 चम्‍मच सोया सौस, कार्नफ्लोर, चिली सौस और आधा कप पानी डाल कर मिक्‍स करें. उसके बाद शहद, चिकन पीस और नमक डालें.

इसे लगातार चलाते रहे और बाद में हरी प्‍याज काट कर उस पर छिड़कर गैस बंद कर दें. जब चिकन तैयार हो जाए तब उस पर तिल छिड़क कर सर्व करें.

किसने किया मां करीना को बेटे तैमूर से दूर

करीना कपूर खान मां बनने के बाद फिल्‍म ‘वीरे दी वेडिंग’ फिल्‍म की शूटिंग के लिए गुरुवार को दिल्‍ली पहुंची. लेकिन करीना यहां अकेले नहीं बल्कि अपने नन्‍हें नवाब तैमूर को भी साथ लेकर पहुंची. पिछले साल दिसंबर में मां बनीं करीना अपने बेटे से दूर नहीं रहना चाहतीं पर शूटिंग में तैमूर को साथ ले जाने के बावजूद भी करीना को कोई फायदा नहीं हो रहा है. शुक्रवार को इस फिल्‍म की शूटिंग का पहला दिन था और करीना अपनी शूटिंग के लिए तैयार होते हुए भी अपने बेटे को ही याद कर रहीं थी.

फिल्‍म ‘वीरे दी वेडिंग’ से करीना कपूर एक बार फिर से फिल्‍मों में कमबैक कर रहीं हैं. फिल्‍म की शूटिंग दिल्‍ली में शुरू हो चुकी है. आपको बता दें कि इस फिल्‍म में सोनम और करीना के अलावा स्‍वरा भास्‍कर, शिखा तलसानिया और ‘परमानेंट रूममेट’ वेब सीरीज से हिट हुए सुमित व्‍यास भी नजर आने वाले हैं.

फिल्‍म की प्रोड्यूसर और अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर ने मीडिया को दिए बयान में कहा, दिल्‍ली एक अहम लोकेशन है. यह हमारी फिल्‍म के लिए एक आइडल लोकेशन है. एकता कपूर भी इस फिल्‍म की कोप्रोड्यूसर हैं.

फिल्‍म की शुरुआत से पहले करीना ने एक इंटरव्‍यू के दौरान कहा था कि वह अपने बेटे से दूर नहीं रह सकतीं और वह कोशिश करेंगी कि उनकी फिल्‍म की शूटिग के दौरान भी तैमूर उनके पास रहे. वैसे तो करीना कपूर खान और तैमूर अली खान जब भी साथ नजर आते हैं, तो मां-बेटे की यह क्‍यूट सी जोड़ी सारी नजरें अपनी तरफ मोड़ लेती है. लेकिन फिल्‍म ‘वीरे दी वेडिंग’ की शूटिंग की वजह से करीना अपने बेटे से मिल नहीं पा रहीं है.

अगर बाइक से घूमने का शौक है तो फौरन चले आइये यहां

सफर का मजा लेना हो और साथ मे बाइक हो तो सफर का मजा दोगुना हो जाता है. कुछ लोगों को बाइक से ट्रैवल करने का इतना शौक होता है और वे जहां कहीं भी जाते हैं अपनी बाइक से ही जाते हैं. कुछ जगह तो ऐसी हैं जो मानो बाइक से सफर करने वालों के लिये ही बनी हैं. यहां बाइक चलाना यात्रा को यादगार बना देता है. हालांकि यहां पर केवल प्रोफेशनल बाइकर्स का ही बाइक चलाना सही रहता है, क्योंकि ये रास्ते थोड़े खतरनाक हैं. चलिये आपको बताते हैं कि आखिर कौन सी हैं वो जगह.

मनाली लेह हाईवे

मनाली से लेह तक का रास्ता बाइक से सफर करना आसान नहीं है, यहां केवल एक अच्छा बाइक राइडर ही बाइक चला सकता है. आम इंसान के लिए इस रास्ते पर राइड करना काफी खतरनाक हो सकता है. आपको बता दें कि इन रास्तों पर कभी भी लगातार बाइक नहीं चलानी चाहिये, आपको कहीं रुक कर थोड़ा आराम करते रहना चाहिये. क्योंकि ऐसा करने से आपकी बौडी वहां के तापमान में एडजस्ट हो जाएगी और आप बीमार होने से बच सकते हैं. इन रास्तों पर अगर खाने पीने की बात करें, तो हम बता दें कि हमारे देश में ढ़ाबा कल्चर है और यहां सारे रास्ते खाने पीने की चीजें और रुक कर आराम करने के लिये ढ़ाबे मौजूद हैं, वो भी सस्ते दामों में. बाइक से सफर करने वालों के लिये यह स्थान इतना महत्वपूर्ण इसलिये है क्योंकि यहां का मौसम साल भर ठंडा बना रहता है और यहां के पहाड़ों के ऊपर ढकी बर्फ की चादर आपका दिल जीत लेंगी.

कोल्ली हिल्स

कोल्ली हिल्स भारत के तमिलनाडु राज्य में नामक्कल जिले में स्थित पर्वत श्रेणी है. ये पर्वत श्रेणियां लगभग 280 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैली हुई हैं तथा इनकी ऊंचाई लगभग 1000 से 3000 मीटर है. यह पूर्वी घाटों का एक भाग है तथा अभी तक मानवीय गतिविधियों और व्यापारिक शोषण से अछूता है. आज भी इसने अपनी प्राकृतिक भव्यता को बना रखा है. अरापलीस्वरर मंदिर के कारण ये पर्वत एक धार्मिक गंतव्य भी है तथा माना जाता है कि यहां एक गुप्त मार्ग है जो रासीपुरम के शिव मंदिर को जाता है. यहां का मौसम और जंगल और झरने यहां के पर्यटन का मुख्य आकर्षण बिन्दु है और इन्हीं नजारों का भरपूर आनंद लेने के लिये लोग यहां बाइक से आना पसंद करते हैं.

सिलीगुड़ी से युक्सोम

अगर आपको टुंड्रा प्रदेश की जलवायु को महसूस करना है तो ये जगह आप जैसों के लिये ही बनी है. अगर आप सिलीगुड़ी से बाइक से निकलेंगे तो रास्ते में दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और सिक्किम की खूबसूरत जगहों के नज़ारे देखने को मिलेंगे. जब भी आप इन रास्तों पर सफर करें तो बाइक को ठीक करने के टूल्स और अन्य आवश्यक सामान ले जाना न भूलें क्योंकि यहां आपको दूर-दूर तक कोई दुकान नहीं मिलने वाली है. यहां मौजूद गरम पानी के झरने भी यात्रियों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं.

इन खूबसूरत जगहों पर जब आप सैर पर निकलें, तो एक सामान्य मेडिकल किट अपने साथ याद से रख लें, वरना कहीं ऐसा ना हो की आप की तबीयत बिगड़ जाये और आप इन इलाकों का लुत्फ ना ले पायें.

जौय भोंसले : थिएटर आर्टिस्ट, प्रोड्यूसर व समाज सेविका

अगर आप जीवन में कुछ करने का मन बना लेते हैं, तो काम कितना भी कठिन हो आप उसे कर ही लेते हैं खासकर महिलाएं, जो जीवन के हर क्षेत्र में खुद को सिद्ध कर सकती हैं, उन्हें जरूरत होती है थोड़े सहयोग और आजादी की इस का ताजा उदाहरण हैं मुंबई की थिएटर प्रोड्यूसर और ‘जौय कला मंच’ की फाउंडर जौय भोंसले, जिन का मराठी नाटक ‘कलतनकलत’ बहुत चर्चित रहा है. इस के करीब 175 शो पूरे महाराष्ट्र में हो चुके हैं.

यह नाटक उन बच्चों के लिए समर्पित है, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं और लोग उन्हें अलग नजरिए से देखते हैं. अगर ऐसे बच्चों को सही प्रशिक्षण दे कर आत्मनिर्भर बनाया जाए, तो वे भी दूसरे बच्चों की ही तरह हर काम कर सकते हैं. जौय की शुरू से ही कुछ अलग काम करने की इच्छा थी. हालांकि वे ईसाई हैं, पर उन्होंने मराठी फिल्म और थिएटर ऐक्टर नागेश भोंसले से लव मैरिज की, जिस से उन के क्रिएटिव काम को और अधिक बल मिला.

आज भी पति का सहयोग उन के हर काम में होता है. परिणामस्वरूप आज वे एक सफल पत्नी, मां, थिएटर आर्टिस्ट, समाजसेविका और प्रोड्यूसर हैं. कैसे उन्होंने मंजिल पाई, आइए उन्हीं से जानते हैं:

प्रोड्यूसर बनने की प्रेरणा कहां से मिली और काम के साथसाथ बच्चों की देखभाल कैसे करती हैं?

मैं गुजराती थिएटर में ऐक्टिंग कर रही थी. मेरे पति नागेश मराठी आर्टिस्ट हैं. फिल्मों के अलावा उन्होंने थिएटर भी किए हैं. वे अच्छे क्रिटिक भी हैं. हर बात की चर्चा हम साथ मिल कर करते हैं. इस से प्रेरणा तो मिली ही, साथ ही निर्माता बनने का अवसर भी. मैं एक एनजीओ ‘जौय कला मंच’ चलाती हूं, जिस में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया जाता है. अधिकतर लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को अजीब नजरों से देखते हैं, जो मुझे अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि यह बात मुझ से जुड़ी हुई है. मेरे एक भाई को मुंबई के बांद्रा इलाके में लड़की को छेड़खानी कर रहे मनचले युवकों से बचाते हुए सिर में चोट लग गई थी, जिस से वह ‘साइको पैथ’ बन गया. एक सामान्य बालक अपाहिज हो गया.

फिर मैं ने यह संस्था खोली और काम शुरू किया. ऐसे में मुझे नाटक का माध्यम जागरूकता फैलाने की दृष्टि से सब से अधिक महत्त्वपूर्ण लगा और नाटक  ‘कलतनकलत’ का मंचन शुरू किया. सभी को यह नाटक पसंद आ रहा है. काम मैं ने बच्चों के साथ ही किया. मैं ने लव मैरिज की है. मेरे बच्चे भी जल्दी हो गए. मैं ने बेटे को पालते हुए ही इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया. उस समय हमारी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी, इसलिए बच्चे को स्कूल में भेजना, क्रेच में रखना, खाना बनाना सब मैं ही करती थी. जब बेटी हुई तब मैं ने मेड सर्वैंट रखी. मैं ने पूरे दिन को अपने काम के हिसाब से बांट लिया था ताकि सब को न्याय मिले. ऐसे में कुछ मुश्किल नहीं था. पति की मौरल सपोर्ट हमेशा मेरे साथ रही.

आप बच्चों को कितनी आजादी देती हैं और उन से आप का रिश्ता कैसा रहता है?

मैं ने बच्चों को कभी बांध कर नहीं रखा. उन पर विश्वास रखा. उन की बातें सुनती हूं. वे आजाद हैं और जानती हूं कि वे कोई ऐसा काम नहीं करेंगे, जिस से मुझे दुख हो. अधिक रोकटोक से बच्चे बगावती बन जाते हैं. उन दोनों ने जो भी करना चाहा मैं ने सहयोग दिया. मुझे याद है बचपन में मेरे मातापिता मुझे निर्देश दिया करते थे, मैं ने कभी नहीं दिए. वे मेरे दोस्त हैं और हर बात को मुझ से शेयर करते हैं.

उन की ग्रोथ में आप ने किस बात का अधिक ध्यान रखा?

मैं ने हमेशा कोशिश की है कि वे अच्छे नागरिक बनें. अगर बचपन में कुछ गलत करते थे, तो सामने बैठा कर समझाती थी. उन की भी सुनती थी, क्योंकि कई बार बच्चों की बातें भी सही होती हैं. इस से उन्हें सहीगलत में भेद करना आसान हो जाता है.

आगे और क्या करने वाली हैं?

अभी मेरे 2 और नाटकों ‘पाउले चालती पंडरी ची वाट’ और  ‘क्वीन मेकर’ का मंचन चल रहा है. इन नाटकों में युवा पीढ़ी की सोच को सुधारना, किसानों की आत्महत्या, पानी की समस्या, कन्या भू्रण हत्या आदि सभी सामाजिक समस्याओं को दिखाने की कोशिश की गई है.               

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