आखिर किस फिल्म के लिए संजू बाबा ने गाया गाना

बौलीवुड एक्टर संजय दत्त अब अपनी फिल्म भूमि के साथ पर्दे पर आ रहे हैं. संजय के फैंस भी उनका काफी वक्त से इंतजार कर रहे थे.  बताया जा रहा है की इस फिल्म में संजय ने ना सिर्फ एक्टिंग की है बल्कि इस फिल्म के लिए एक गाना भी गाया है. इस फिल्म में संजू बाबा ने जय माता दी नाम के एक गाने को अपनी आवाज दी है.

ये गाना फिल्म के क्लाइमैक्स सीन में दिखाया जाएगा. वहीं इस गाने का म्यूजिक सचिन-जिगर ने तैयार किया है. इसके साथ साथ इस गाने में संजय दत्त ने कई श्लोक भी गाए हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में संजय दत्त ने बताया कि अब म्यूजिक का दौर काफी बदल गया है और पहले के मुकाबले अब संगीत की चीजों में भी बदलाव हुआ है.

बता दें कि फिल्म भूमि में संजय दत्त एक पिता के रोल में है. फिल्म की कहानी बाप-बेटी के इर्द गिर्द घूमती है. वहीं इस फिल्म में आदीति राव हैदरी ने संजय दत्त की बेटी का रोल निभाया हैं. यह फिल्म 22 सितंबर को देशभर के सिनेमा घरों में रीलीज होगी.

हमारी इस विरासत की पूरी दुनिया है दीवानी

हमारे देश को यहां के इतिहास और यहां के संस्कृति के लिए जाना जाता है. लोग यहां पर राजा महाराजाओं के जमाने के किले और और वहां मौजूद नक्काशियों को देखने के लिए दूर दूर से आते हैं. इन महलों की कलाएं, भव्यता और खूबसूरती लोगों को हैरान कर देती हैं. यहां पर बहुत से महल ऐसे हैं जो अपनी खूबी के लिए आज भी जाने जाते हैं.

आमेर फोर्ट

जयपुर का आमेर फोर्ट राजा मानसिंह, मिर्जा राजा, जय सिंह और सवाई प्रताप ने बनवाया था.

तारागढ़ किला , अजमेर

राजस्थान के अजमेर में बना यह किला पर्यटकों का मुख्य आकर्षण केन्द्र है. इसे स्टार फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खास बात यह है कि इस किले में पानी के तीन तलाब हैं जो कभी नहीं सूखते. इनको देखने के लिए लोगों यहां भारी तादाद में यहां पहुंचते हैं.

जैसलमेर किला

इस किले को ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किले’ के नाम से भी जाना जाता  है. सूर्यास्त के समय यह महल सोने की तरह चमकता है.

चित्तौड़गढ़ किलाचित्तौड़गढ़

यह किला बहुत शानदार और खूबसूरत है. इस किले तक पहुंचने के लिए काफी चढाई करनी पड़ती है. इस महल का 1 मील तक का घुमावदार रास्ता महल को और भी खूबसूरत बना देता है.

इस बौलीवुड एक्ट्रेस ने सानिया मिर्जा के बारे मे किया बड़ा खुलासा

बौलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा हाल ही में नेहा धूपिया के चैट शो ‘नो फिल्टर नेहा’ में पहुंची और उन्होने एक अहम खुलासा किया. इस दौरान परिणीति ने अपने और सानिया के बीच एक अजीब समानता बताई है. जब उनसे पूछा गया कि उन्हें सानिया के बायोपिक में उनका किरदार क्यों निभाना चाहिए तो परिणीति ने जवाब देते हुए कहा इन सबके पीछे एक लंबी कहानी है.

दरअसल इस दौरान परणीति ने अपनी बेस्ट फ्रेंड और टेनिस प्लेयर सानिया मिर्जा के बारे में बहुत सी बातें बताई हैं और इसी के साथ उन्होंने अपनी दोस्ती का इंट्रेस्टिंग किस्सा नेहा धूपिया के शो में शेयर करते हुए बताया, “सानिया मानती हैं कि हम दोनों का चेस्ट पोर्शन एक सा है. इसी वजह से वो चाहती हैं कि मैं उनकी बायोपिक में काम करूं.

उन्होने यह भी बताया कि, “सानिया मिर्जा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो चाहती हैं, मैं उनकी बायोपिक में काम करूं. मुझे याद है कि रात 2.30 बजे मुझे उनका फोन आया था, उन्होंने मुझे फोन किया और कहा- ‘हाय दिस इज सानिया मिर्जा, उसके बाद कहा कि कल मैंने एक इंटरव्यू दिया था, जो पूरे देश को पता है और ये खबर न्यूज पेपर्स के फ्रंट पेज पर छपी है. जब मुझे सानिया का काल आया था तब वो US ओपन टूर्नामेंट मं खेल रही थीं. सानिया मिर्जा से हुई इस बातचीत के बाद मैंने सानिया को थैंक्यू कहा और उसके बाद से हम अच्छे दोस्त बन गए.

दरअसल उस इंटरव्यू में सानिया कहना था कि “मैं पूरी तरह उनके जैसी लगती हूं. उन्होने यहां तक कहा था कि हम दोनों का चेस्ट एरिया भी बिल्कुल एक जैसा है. वो मानती हैं कि मैं फिल्म में बिल्कुल उनकी जैसी दिखूंगी.”

रणवीर सिंह करेंगे जबरदस्त एक्शन

कुछ दिन पहले खबर आयी थी रोहित शेट्टी की अगली फिल्म में रणवीर सिंह आने वाले है और ये फिल्म एक एक्शन फिल्म होगी जिसमें जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा. फिलहाल मिले जानकारी के अनुसार इस फिल्म में रणवीर का साथ कटरीना कैफ दे सकतीं हैं.

रोहित की इस अनटाइटल्ड फिल्म में कटरीना कैफ होने वाली है ,बहरहाल इस फिल्म के लिए अभी तक कोई औफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान रोहित ने रणवीर सिंह को लेने की बात को कन्फर्म करते हुए कहा था कि, इस बात को ज्यादा छुपा नहीं सकते और जो सच है वो सच है कि हम दोनो एक ही साथ काम करने जा रहें है लेकिन फिल्म को फ्लोर पर आने में अभी थोडा समय लगेगा.

बता दें कि रणवीर सिंह फिलहाल पद्मावती की शूटिंग में बिजी है, फिर उसके खत्म होते ही रणवीर सिंह जोया अख्तर की फिल्म गुली बौय में व्यस्त हो जाएंगे. फिर उसके बाद ये दोनो अगले साल के बीच में इस फिल्म का काम शुरू करेंगे. अब कटरीना का इस फिल्म से नाम जुड़ते ही एक्शन दोगुना हो जाएगा.

वहीं कटरीना की बाकी फिल्मों की बात की जाए तो वो टाइगर जिंदा है में सलमान खान के अपोजिट दिखेंगी जोकि इसी साल क्रिसमस के मौके पर रिलीज होगी. जैसा कि हम आपको बता चुके है कि कटरीना आमिर की ठग्स औफ हिन्दोस्तान में नजर आने वाली है. इस फिल्म को अगले साल दीवाली के मौके पर रिलीज किया जाएगा. वहीं अगले साल क्रिसमस पर आनंद एल राय की भी फिल्म रिलीज होगी. इस फिल्म में शाहरुख खान एक बौने शख्स की भूमिका में नजर आएंगे और इस फिल्म में भी कटरीना मुख्य भूमिका में होंगी.

आखिर श्रद्धा कपूर क्यों घटा रही हैं वजन

श्रद्धा ने फिल्म हसीना पारकर में काम  करने के लिए अपना वजन बढ़ा लिया था.  ‘बाहुबली’  प्रभास के साथ काम करने के लिए श्रद्धा कपूर को अपना वजन घटाना पड़ेगा. प्रभास के साथ फिल्मी पर्दे पर रोमांस  करने के लिए श्रद्धा को कम से कम 8-9 किलो वजन कम करना होगा.

अब जब श्रद्धा ने फिल्म साहो साइन कर ली है तो उन्हें इस फिल्म के लिए वजन कम करना होगा. वजन की वजह से ही अनुष्का शेट्टी इस फिल्म से बाहर हुई हैं. अनुष्का को दो महीने का वक्त दिया गया था लेकिन वो अपना वजन कम नहीं कर पाई थी और इसी वजह से अनुष्का को फिल्म छोड़नी पड़ गई थी.

अब यहीं चैलेंज श्रद्धा कपूर को दिया गया है, श्रद्दा को फिल्म में एक मौर्डन लड़की का किरदार निभाना है इसलिए उन्हें जल्द से  जल्द अपना वजन घटाना होगा. प्रभास की इस फिल्म का उनके फैंस लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. साहो साल 2018 में रिलीज होगी. 

अब होम लोन पर होगा तीन लाख का फायदा

एक्सिस बैंक ने होम लोन लेने वालों के लिए एक नई स्कीम शुरू की है. इस स्कीम के तहत लोन लेने वालों को पूरे लोन पीरियड में जहां एक तरफ 3 लाख रुपए से अधिक की सेविंग होगी, वहीं बैंक भी अपनी तरफ से 12 ईएमआई माफ कर देगा.
शुभ आरंभ  नाम से लौन्च की गई इस स्कीम के तहत 30 लाख रुपए का लोन लेने वालों को इसका फायदा मिलेगा. इस स्कीम के तहत बैंक चौथे, आठवें और 12वें साल में चार ईएमआई माफ करेगा. इस स्कीम के तहत 20 साल के लिए लिया गया लोन केवल 19 साल का रह जाएगा.

इस स्कीम के तहत वो लोग लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं,  जिन्हें अंडर कंस्ट्रकशन, रेडी टू मूव, रिसेल या फिर प्लाट खरीदकर के अपना मकान बनवा रहे हैं. इसके अलावा जिन कस्टमर्स ने पहले से किसी अन्य बैंक से होम लोन ले रखा है, वो भी इस स्कीम के तहत अपना होम लोन बिना किसी अतिरिक्त राशि के एक्सिस बैंक में ट्रांसफर कर सकते हैं.

एक्सिस बैंक के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर,  रिटेल बैंकिंग राजीव आनंद ने कहा कि कस्टमर्स बैंक को बेहतर क्रेडिट व्यवहार और ऋण की लंबी अवधि से फायदा होगा, क्योंकि पूर्व भुगतान कम हो जाएगा. इस स्कीम के तहत लोन का इंटरेस्ट रेट 8.35 फीसदी रहेगा.

अगर आप भी कम नींद लेती हैं तो सावधान

नींद हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है. स्वस्थ जीवन के लिए अच्छा खानपान जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है अच्छी नींद लेना. यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों के साथ साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि जिस वक्त हम सोते हैं उस वक्त हमारे कई अंग शरीर के विषाक्त पदार्थों को साफ करने का काम करते हैं ताकि जब हम सुबह उठें तो हमें हल्का महसूस हों.

यदि आप रात में भरपूर नींद नहीं ले रहीं हैं? तो आपको सावधान होने की जरूरत है, क्योंकि अच्छी नींद नहीं मिलने पर हमारे अंदर शुगर से भरपूर और जंक फूड खाने की इच्छा बढ़ जाती है. इससे हाई ब्लड प्रेशर, वजन बढ़ने के साथ-साथ मधुमेह का खतरा भी बढ़ सकता है. एक शोध के दौरान पाया गया है कि रात में छह घंटे की नींद लेने वाले लोगो के कमर की माप, नौ घंटे की नींद ले रहे लोगों की कमर की माप से 3 सेमी ज्यादा होती है.

कई शोधों में ये बात सामने आई है कि कम नींद लेने की वजह से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही शरीर में कोशिकाओं को भी काफी नुकसान होता है.

जो लोग नाइट शिफ्ट की जौब करते हैं उन्हें हमेशा कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या बनी ही रहती है. इसके अलावा शरीर में दर्द, थकान, वजन बढ़ना और तनाव जैसी कई समस्याएं होती हैं इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की आशंका बढ़ जाती है. और हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ता है.

ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी के ग्रेग पाटर ने बताया कि मोटापा कई तरह के रोगों को बढ़ने में मदद करता है. वर्ष 1980 की तुलना में मोटे लोगों की विश्वभर में संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है. मोटापा कई तरह के रोगों को जन्म देता है. रात में पर्याप्‍त नींद लेना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. रात में सोना सेहत के साथ दिमाग के लिए भी जरूरी है. एक शोध में अनिद्रा से पीड़ित 25 लोगों की तुलना अच्छी नींद लेने वाले 25 लोगों से की गई. स्मृति परीक्षण के दौरान अनिद्रा से पीड़ित लोगों और रात में भरपूर नींद लेने वाले लोगों के मस्तिष्क के काम में काफी अंतर पाया गया तथा कम नींद लेने वाले लोगों को ध्यान केंद्रित करने में समस्या हुई.

ये है सपनों का शहर, हर मौसम में ले सकती हैं घूमने का मजा

भारत का सिक्किम शहर खूबसूरती और प्राकृतिक नजारों से भरपूर शहर है. नदियों और पहाड़ों से भरे इस शहर में हर साल घूमने के लिए दुनिया भर से लाखों पर्यटक आते हैं. सिक्किम रहस्यमय सौंदर्य और फूलों से भरा हुआ है. इस शहर के पुराने रीति-रिवाज आज के जन जीवन के हिसाब से किए जाते है. यहां के बुद्ध धर्म मंदिरों में फारसी और तिब्बती भाषा की शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा यहां पर घूमने के लिए बहुत से गांव, नदियां और पहाड़ियां है जिनकी खूबसूरती देखकर आप दंग रह जाएंगे.

1. कंचनजंघा पहाड़ी

सिक्किम की ये पहाड़ी दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है. इसकी ऊंचाई 28156 फुट है. सूरज की सबसे पहली किरण इस पहाड़ी पर पड़ती है. आप चाहें तो इस पहाड़ी पर ट्रैकिंग भी कर सकते हैं.

2. गंगकोट

सिक्किम की राजधानी गंगकोट बहुत ही खूबसूरत शहर है कंचनजंघा पहाड़ी की चोटी इस शहर से आपको साफ दिखाई देगी. गंगटोक के प्राचीन मंदिर, महल और मठ आपको सपनों की दुनिया की सैर करा सकते हैं.यहा घूमने के हिसाब से कई सारे बाजार और कई सारे मंदिर है. इसके अलावा यहां पर पहाड़ियों की ढाल पर दोनों और आकर्षक भवन दिखाई देते है.

3. युक्सोम

यह शहर सिक्किम की पहली राजधानी हुआ करती थी. इस शहर में आपको कंचनजंघा की चढ़ाई के लिए असानी से बेस कैम्प मिल जाएगा. अगर आप याक की सवारी  करना चाहते है तो यहा किराये पर याक की सवारी करते हुए आप यहां के मजारों का मजा ले सकते हैं. इसके अलावा यहां की प्रसिद्ध सोम्गो लोक हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है. मई से अगस्त के बीच इस शहर में बहुत ही सुंदर फूल खिलते है और बर्फ गिरने के कारण झील का इलाका और भी खूबसूरत हो जाता है.

4. नाथु-ला दर्रा

यह दर्रा सिक्किम को तिब्बत क्षेत्र से जोड़ती है. इसकी ऊंचाई लगभग 14,00 फीट है. यहां की पहाड़ियां ज्यादातर धुंध से ढकी रहती है. इस जगह जाने के लिए आपको टेढ़े मेढ़े रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. 

5. युमथुंग घाटी

युमथुंग घाटी को लोग फूलों की घाटी भी कहते है. यहां का तापमान गर्मियों में कभी 28 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादातर नहीं बढ़ता और ठण्ड में 0 डिग्री सेल्सियस पर रहने के बावजूद भी यहां पर कुछ भी जमता नहीं. मानसून में यहां पर बारिश के कारण भूस्खलन आने का डर रहता है.

फिल्म रिव्यू : बरेली की बर्फी

‘‘निल बटे सन्नाटा’’ फेम निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी की त्रिकोणीय प्रेम कहानी वाली फिल्म ‘‘बरेली की बर्फी’’ बहुत ज्यदा उम्मीद नहीं बंधाती है. इस तहर के विषय पर हजारों फिल्में बन चुकी हैं. मगर फिल्मकार अश्विनी अय्यर तिवारी ने इसमें नयापन लाने के लिए बरेली नामक छोटे शहर या यूं कहें कि कस्बे की लड़की बिट्टी को सिगरेट पीने वाली, रात में घर से बाहर मोटर सायकल पर घूमने से लेकर कई बुराईयों से युक्त बताकर यह दिखाने का प्रयास किया है कि आज का नवयुवक ऐसी लड़की से शादी करना चाहता है, उसे लड़की की इन आदतों में बुराई नजर नहीं आती. काश! आज के समय में भारत के गांवों, कस्बों व छोटे शहरों  में निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी और लेखक नितीश तिवारी की सोच वाले लोग मौजूद हों.

फिल्म ‘‘बरेली की बर्फी’’ की कहानी बरेली के एक मिठाई विक्रेता मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) की बेटी बिट्टी (कृति सैनन) के इर्द गिर्द घूमती है. बिट्टी में बरेली के लोगों को कई बुराइयां नजर आती हैं. वह मोटर सायकल पर चलती है. बिट्टी सिगरेट पीती है. बिट्टी रात रात भर घूमती रहती है. बिट्टी की मां (सीमा पाहवा) तो उसे रात रात भर घर से बाहर घूमने वाली चुड़ैल कहती हैं. मगर मिश्रा को अपनी बेटी बिट्टी में कोई बुराई नजर नहीं आती है. जब उनकी सिगरेट खत्म हो जाती है, तो उन्हें बिट्टी से मांगकर सिगरेट पीने में बुराई नजर नहीं आती. मगर बिट्टी की मां उससे परेशान रहती है. मां के ताने सुनते सुनते थक चुकी बिट्टी एक रात अपनी मां के दो हजार रूपए चुरा अपना सामान बांधकर बरेली से बाहर जाने के रेलवे स्टेशन पहुंच जाती है. रेलवे स्टेशन की बुकस्टाल से वह प्रीतम विद्रोही लिखित उपन्यास ‘बरेली की बर्फी’ खरीदती हैं. जिसे पढ़कर बिट्टी को अहसास होता है कि लेखक ने तो उसकी कहानी लिख डाली. अब वह घर वापस आ जाती है और उस लेखक की तलाश शुरू करती है.

उपन्यास ‘बरेली की बर्फी’ के लेखक चिराग (आयुष्मान खुराना) हैं, जो कि एक प्रिटिंग प्रेस के मालिक है.उन्हें अपने प्यार में धोखा मिलता है, तब वह उस प्यार की याद में ही ‘बरेली की बर्फी’ उपन्यास लिखते हैं. मगर उनकी हिम्मत नहीं है कि वह अपने नाम से उसे छापे. इसलिए वह अपने मित्र प्रीतम विद्रोही पर दबाव डालते हैं. इसलिए उपन्यास लेखक के रूप में प्रीतम विद्रोही का नाम व फोटो किताब पर है.

बिट्टी प्रिटिंग प्रेस में पहुंचकर चिराग से प्रीतम विद्रोही के बारे में पूछताछ करती है. चिराग कह देता है कि प्रीतम बरेली छोड़कर जा चुके हैं. पर बिट्टी का पत्र उन तक पहुंचाने और जवाब आने पर बिट्टी तक पहुंचाने की बात करते हैं. इसी क्रम में बिट्टी व चिराग की कई मुलाकातें होती हैं. बिट्टी से चिराग को प्यार हो जाता है. मगर बिट्टी को तो प्रीतम विद्रोही से प्यार है. इसलिए चिराग लखनऊ जाकर प्रीतम विद्रोही को बरेली लेकर आते हैं कि वह बिट्टी के सामने खुद को बहुत बड़ा गुंडा साबित करें, जिससे बिट्टी उनसे नफरत करने लगे, तब वह हमदर्दी जताकर अपने प्यार का इजहार कर बिट्टी से शादी कर लेंगे.

मजबूरन प्रीतम को अपने दोस्त चिराग की बात माननी पड़ती है. पहली मुलाकात में प्रीतम वही करता है, जैसा चिराग ने कहा है. प्रीतम के इस रूप को देखकर बिट्टी उससे नफरत करने लगती है. मगर दो दिन बाद रात में एक जलेबी की दुकान पर प्रीतम का एक अलग व प्यारा रूप देखकर बिट्टी चौंक जाती है. तब प्रीतम, बिट्टी को सारा सच बता देता है. फिर बिट्टी व प्रीतम नाटक करते हैं कि बिट्टी को प्रीतम से ही प्यार है और वह हर हाल में प्रीतम से शादी करेगी. अब इस शादी को रोकने के लिए चिराग चालें चलता है. जबकि बिट्टी, चिराग के असली प्यार की परीक्षा लेती रहती है. अंत में सगाई वाले दिन सच सामने आता है. चिराग व बिट्टी की सगाई हो जाती है.

कमजोर पटकथा व खराब एडीटिंग के साथ फिल्म की गति काफी धीमी है. फिल्म में रोमांस भी ठीक से उभर नहीं पाया. निर्देशक ने कस्बाई प्यार व रोमांस को परदे पर पेश करने की कोशिश की है, पर वह इसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए. फिल्म के सभी पात्र बनावटी व पूर्णरूपेण फिल्मी लगते हैं. फिल्म का क्लायमेक्स तो बहुत ही ज्यादा गड़बड़ है. इंटरवल के बाद फिल्म काफी गड़बड़ा जाती है. फिल्म में कसावट की जरुरत है. फिल्म की एडीटिंग भी गड़बड़ है. इंटरवल के बाद तो फिल्म बोर ही करती है. फिल्म का गीत संगीत साधारण है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो बिट्टी के किरदार में कृति सैनन अच्छी लगती हैं. उन्होंने अपने अभिनय को काफी  निखारा है. हकीकत में यह फिल्म सिर्फ कृति सैनन की अभिनय प्रतिभा के लिए ही देखी जा सकती है. आयुष्मान खुराना ठीक ठाक हैं. प्रीतम विद्रोही के किरदार में राजकुमार राव जमे नहीं हैं. उनके करियर का यह सर्वाधिक कमजोर किरदार रहा. मिश्रा के किरदार में पंकज त्रिपाठी काफी निराश करते हैं.

दो घंटे दो मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘बरेली की बर्फी’’ का निर्माण ‘बी आर स्टूडियो’ और ‘जंगली पिक्चर्स’ ने मिलकर किया है. निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी, लेखक नितीश तिवारी व श्रेयष जैन, सूत्रधार जावेद अख्तर तथा कलाकार हैं – आयुष्मान खुराना, राज कुमार राव, कृति सैनन, पंकज त्रिपाठी, सीमा पाहवा व अन्य.

मैं तो भूल चली बाबुल का देश

युवतियों को मायके में बातबात पर उलाहने दिए जाते हैं कि ससुराल जा कर ये शौक पूरे करना, यहां हम तो बरदाश्त कर रहे हैं, जब अपनी ससुराल जाओगी तब पता चलेगा, वहां सास के नखरे उठाने पड़ेंगे तब दिमाग दुरुस्त होगा. ऐसे में युवतियों के मन में ससुराल को ले कर नकारात्मक छवि बन जाती है और वे मायके से विदा होते समय ढेरों शंकाओं की गठरी लिए ससुराल में कदम रखती हैं.  किंतु जब उन की सोच के विपरीत आधुनिक विचारधारा की ससुराल और सुलझे मनमस्तिष्क की सासें उन का खुले दिल से स्वागत करती हैं तो उन की दबी इच्छाएं फिर से जाग्रत हो उठती हैं.  वे अपनी नौकरी, व्यवसाय या शौक को पूरा करने में अपनी सास का सहयोग पा भावविभोर हो उठती हैं और सासबहू का रिश्ता सासबहू के पारंपरिक रूप से आगे बढ़ मित्रवत रूप ले लेता है, जहां हर समस्या का समाधान मिलजुल कर निकाल लिया जाता है और घर के अन्य सदस्यों को भनक भी नहीं लग पाती.

सासबहुओं की बेजोड़ जोडि़यां

आइए ऐसी कुछ सासबहुओं की जोडि़यों से मिलवाते हैं, जो एकदूसरे के संगसाथ में ऐसे घुलमिल गई हैं जैसे दूध में पानी मिल जाता है.  मीनाक्षी पाठक सौफ्टवेयर इंजीनियर है और मीडिया अपार्टमैंट गाजियाबाद में रहती है. उस का इस रिश्ते के विषय में कहना है, ‘‘मुझे अपनी सास से नौकरी करने में पूर्ण सहयोग मिलता है. जहां मेरी अन्य सहेलियां लंच टाइम में अपनीअपनी सास को ले कर टीकाटिप्पणी में व्यस्त रहती हैं वहीं मैं सास के संरक्षण में रह रहे अपने बच्चों की तरफ से पूरी तरह निश्ंिचत रहती हूं कि वे स्कूल से घर आ कर लंच कर सो गए होंगे. इतना ही नहीं मेरी सास मेरे पहनावे को ले कर भी कोई टीकाटिप्पणी नहीं करती हैं और न ही किसी तरह का दिखावा. दूसरों की देखादेखी करने को कहती हैं. मैं अपनी पसंद की वेशभूषा धारण करने की आजादी का जश्न मनाती हूं.’’

मीनाक्षी का कहना है, ‘‘मेरी अपनी बेटियां विदा हो दूसरे शहरों में हैं, किंतु मेरी यह बेटी मेरे साथ है, जो मेरे खानपान, दवा, फल, हर दुखतकलीफ का पूरा खयाल करती है. घर में आने वाली मेरी सहेलियों का भी पूरापूरा स्वागतसत्कार करती है. ऐसे में मुझे अपनी बेटी से शिकायत की गुंजाइश ही कहां रहती है.’’

उदाहरण और भी

वैशाली, गाजियाबाद में रहने वाली एमबीए स्वेता नागोई का कहना है, ‘‘मैं अपना बिजनैस करना चाहती थी, जिस की इजाजत मुझे मेरे मायके में नहीं मिली. किंतु ससुराल में मेरी सास के सहयोगात्मक रवैए के कारण आज मैं खुद का आर्टिफिशियल ज्वैलरी का व्यवसाय घर बैठे कर पा रही हूं. मेरे छोटे बेटे की देखभाल उन की बदौलत ही संभव हो पाई है.  ‘‘लोग कहते हैं कि सास कभी मां नहीं बन सकती, मगर ऐसा बिलकुल नहीं है. अगर आप रिश्तों को मान दें तो हर सासबहू मांबेटी बन सकती हैं.’’  स्वेता की सास का कहना है, ‘‘मैं अपनी बहू के पहनावे या कार्य को ले कर कभी हस्तक्षेप नहीं करती. मेरा मानना है अपने बड़ों की दिल से इज्जत करो, दिखावे के लिए नहीं. मेरी बहू ऐसा ही करती है. मैं भी अपनी बहू का व उस की आत्मनिर्भरता का पूरा सम्मान करती हूं.’’

फरीदाबाद में रहने वाली तनु खुराना सरकारी संस्थान में सौफ्टवेयर इंजीनियर है. वह इस रिश्ते को ले कर बेहद भावुक हो उठती है. उस का कहना है, ‘‘मैं ब्राह्मण परिवार से हूं और प्रेम विवाह कर पंजाबी परिवार में आई हूं. जहां का खानपान व आधुनिक रहनसहन मेरे पारंपरिक परिवार से एकदम जुदा है.  ‘‘मगर अपनी सासूमां के सहयोग से मैं  पूरी तरह अपनी ससुराल के रंग में रंग गई हूं, क्योंकि यहां मुझे अपनी नौकरी को ले कर कोई तनाव नहीं रहता है. अगर मुझे कभी औफिस के लिए देर हो रही हो तो मेरी सास नाश्ता भी तैयार कर मुझे दे देती है. हम पतिपत्नी वीकैंड में लेटनाइट पार्टी करें तो भी उन्हें कोई एतराज  नहीं होता.’’  वहीं तनु की सास किरन खुराना का कहना है, ‘‘मेरे 3 बेटे हैं. मन में बेटी का बड़ा अरमान था जो बड़ी बहू तनु के रूप में पूरा हुआ. तनु का सजनेसंवरने का शौक मुझे आनंद देता है. हम सासबहू साथ ब्यूटी पार्लर जाती हैं, शौपिंग  करती हैं.’’

भोपाल कोलार रोड की नीतू गौतम अपनी व्यायाम की क्लासेज लेती है. उस का मानना है, ‘‘मेरी क्लासेज का समय सुबह और शाम का है जो घर का सब से व्यस्त समय होता है, मगर अपनी सास के सहयोग से मैं अपने घर को मैनेज कर लेती हूं. मुझे अपने पति और बेटे के सुबह के नाश्ते की चिंता नहीं करनी पड़ती. सासूमां की वजह से व्यायाम क्लासेज का अपना सपना पूरा कर पा रही हूं.’’

रिश्ता समझदारी का

नीतू की सास चंदा गौतम का कहना है, ‘‘जहां घर में बड़ी होने के कारण परिवार के हर सदस्य का ध्यान रखना मेरा कर्तव्य है वहीं परिवार को जोड़े रखने के लिए सभी का सहयोग भी जरूरी होता है. नीतू मेरा सम्मान भी करती है और कुछ भी करने से पहले मुझ से सलाह जरूरी ले लेती है.’’  गृहिणी चहक मोर्दिया का कहना है, ‘‘मैं एकल परिवार ग्वालियर से हूं और विवाह के बाद संयुक्त परिवार सतना में जब दूसरे नंबर की बहू बन कर आई तो मन में एक भय था कि सभी को खुश कर पाना संभव नहीं हो पाएगा. मगर सासूमां ने घर गृहस्थी के कामकाज को इतने प्रेम व धैर्यपूर्वक समझाया कि आज मैं एक कुशल गृहिणी बन गई हूं व मेरे परिवार में सभी मुझे बहुत प्यार देते हैं, हम सब साथ में पिकनिक मनाने भी जाते हैं. मेरी सासूमां बेकार की टोकाटाकी नहीं करतीं. मुझे उन की यह आदत बहुत पसंद है.’’

वहीं चहक की सास मोर्दिया का कहना है, ‘‘बहू में सीखने की ललक देख कर मेरा मन भी उसे नईनई जानकारी देने का करता था. बहुत जल्द ही उस ने यहां के तौरतरीके  सीख लिए. बेटे अपनी गृहस्थी में खुश रहें, हर मां यही तो चाहती है. बच्चे इस उम्र में मौजमस्ती नहीं करेंगे तो कब करेंगे?’’  इन जोडि़यों से मिल कर यही निष्कर्ष निकलता है कि ससुराल में जब बहू का सामना सास से होता है तो मन में बचपन से बैठाया सास नामक भय हावी हो जाता है.  मगर जब यही सास प्यार से बहू का  हाथ थाम कर धैर्यपूर्वक घर गृहस्थी का पाठ सिखाती है, बहू को उस की मनमरजी के मुताबिक अपना व्यवसाय, नौकरी या फिर शौक को पूरा करने में सहयोग प्रदान करती है तो बहू का मनमयूर नाच उठता है और वह कह उठती है मैं तो भूल चली बाबुल का देश, पिया का घर प्यारा लगे…’’

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