बारिश के मौसम में भी दिखें स्टाइलिश

मौनसून के दौरान आफिस में पेशेवर और सहज दिखना थोड़ा कठिन हो जाता है. पर इन टिप्स को मानकर आप मौनसून में भी स्टाइलिश नजर आ सकती हैं.

चटक रंगों का प्रयोग

मौनसून के दौरान रहने वाले अनमने से मौसम को नीले, लाल और संतरी रंग के परिधानों के जरिए मात दी जा सकती है. इस मौसम में सफेद कपड़े न पहनें. बारिश में भीगने पर उनमें से आरपार नजर आता है और उन पर दाग भी आसानी से लगते हैं.

पतलून और स्कर्ट

लंबी पतलून न पहनें क्योंकि वे जल्दी गंदी होती हैं. आप चाहें तो अपनी सुविधा और माहौल अनुसार, उन्हें नीचे से मोड़ सकती हैं. इस मौसम के हिसाब से स्मार्ट फार्मल स्कर्ट बढ़िया हैं.

कोट और जैकेट

आप पश्चिमी परिधानों को बरसाती कोट या जैकेट के साथ पहन सकती हैं.

भारतीय परिधान

अगर आप मौनसून के दौरान पारंपरिक भारतीय परिधान को प्राथमिकता देती हैं तो सलवार और पटियाला की बजाय शार्ट कुर्ती के साथ लैगिंग या चूड़ीदार आजमाएं. इस मौसम में बड़े-बड़े दुपट्टों की जगह स्कार्फ या स्टॉल डालें. बारिश में ऐसे प्रिंट और रंगों वाले कपड़े कतई न पहनें, जो भीगने पर रंग छोड़ें.

जूते-चप्पल

इस मौसम में चमड़े के जूते या सैंडिल न पहनें क्योंकि ये जल्दी गीले होते हैं और सूखने में बहुत वक्त लेते हैं. जेली शूज, बिना हील वाली चप्पल-जूते और अन्य मजबूत, बिना फिसलने वाले फुटवियर पहनें.

मेकअप

वाटरप्रूफ काजल और आई-लाइनर लगाएं. बारिश के मौसम में फाउंडेशन का प्रयोग न करें और अगर लगाना ज्यादा ही जरूरी है, तो हल्का लगाएं.

बाल

मौनसून में वातावरण में मौजूद नमी आपके बालों को उलझा सकती है. बालों का जूड़ा या चोटी बनाना बेहतर होगा.

डेनिम

मौनसून में डेनिम को भूल जाएं. इन्हें सूखने में बहुत वक्त लगता है.

छाता

कपड़ों से मेल खाता छाता चुनें.

क्या अनुष्का की फिल्म ‘परी’ अंग्रेजी फिल्म की नकल है

अभिनय के क्षेत्र में एक मुकाम पाने के बाद फिल्म निर्माण की तरफ मुड़ते हुए अनुष्का शर्मा ने घोषणा की थी कि वह मौलिक और उन विषयों पर फिल्म बनाने के लिए निर्माण के क्षेत्र में उतरी हैं, जिन पर फिल्म बनाने से इतर निर्माता कतराते हैं. इस तरह वह पहली फिल्म ‘एन एच 10’ का निर्माण कर सबसे कम उम्र की फिल्म निर्माता बन गयी थीं. उसके बाद अनुष्का शर्मा ने फिल्म ‘फिल्लौरी’ का निर्माण किया. इस फिल्म के साथ ही मौलिकता का उनका दावा फीका हो गया था. फिल्म ‘फिल्लौरी’ के बारे में कहा जाता रहा है कि एक पंजाबी फिल्म के अलावा यह फिल्म एक अंग्रेजी फिल्म ‘कौर्प्स ब्राइड’ की नकल है. पर खुद अनुष्का इस आरोप से इंकार करती रहीं.

अब अनुष्का शर्मा अपनी होम प्रोडक्शन कंपनी ‘क्लीन स्लेट फिल्मस’ के बैनर तले तीसरी फिल्म ‘परी’ का निर्माण कर रही हैं. इस फिल्म की शूटिंग 13 जून से शुरू हुई है. फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले अनुष्का शर्मा ने अपनी इस फिल्म का पोस्टर भी जारी किया था. उस वक्त इसकी काफी तारीफ हुई थी. फिल्म का पोस्टर जारी होते ही यह बात साफ हो गयी थी कि अनुष्का शर्मा ने अपनी फिल्म ‘फिल्लौरी’ में भूतनी का किरदार निभाया था और अब वह अपनी फिल्म ‘परी’ में भूतनी से लड़ने वाली मां का किरदार निभा रही हैं. सूत्रों के अनुसार ‘परी’ एक हारर फिल्म है, जिसमें वह एक बच्ची की मां की भूमिका निभा रही हैं, जो कि अपनी बेटी परी को एक भूत से बचाने के लिए वह लड़ाई लड़ती है. इस लड़ाई में वह अपने पति को भी खो देती है.

लेकिन अब बौलीवुड में चर्चा गर्म है कि अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘परी’ मौलिक फिल्म नहीं है. वास्तव में यह चर्चा तब शुरू हुई, जब इसी नाम की सय्यद आतिफ अली निर्देशित पाकिस्तानी फिल्म का ट्रेलर बाजार में आया. पाकिस्तानी फिल्म ‘परी’ के पटकथा लेखक मेाहम्मद अहसान तथा कलाकार हैं, कवी खान, खुशी महीन, रशीद नाज, सलीम मिराज व अन्य. मजेदार बात यह है कि अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘परी’ और पाकिस्तानी फिल्मकार सय्यद आतिफ अली की फिल्म ‘परी’ के पोस्टर हूबहू एक जैसे हैं. दोनों फिल्मों के पोस्टर नीले रंग में हैं.

दोनों पोस्टरों में परी को एक ही डिजाइन में लिखा गया है. दोनों फिल्मों में परी को खुरच कर लिखा गया है. पाकिस्तानी फिल्म ‘परी’ का ट्रेलर देखने पर जो कहानी समझ में आती है, वह भी हूबहू अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘परी’ से मिलती जुलती है. पाकिस्तानी फिल्म ‘परी’ 31 अक्टूबर 2017 को रिलीज हो रही है. यानी कि यह फिल्म पूरी हो गयी है. जबकि अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘परी’ 2018 में प्रदर्शित होगी. इसलिए बौलीवुड में पिछले एक सप्ताह से चर्चाएं गर्म हैं कि किसने चोरी की है. कथानक के साथ साथ पोस्टर का रंग व डिजाइन तक चोरी की गयी है.

तो दूसरी तरफ जिन लोगों ने 2016 में प्रदर्शित और वीडियो के अलावा इंटरनेट पर मौजूद माइक फ्लेंनागन निर्देशित हौरर हौलीवुड फिल्म ‘बिफोर आई वेक’ देखी है, उनका मानना है कि शायद पाकिस्तानी फिल्मकार सय्यद आतिफ अली ने ‘बिफोर आई वेक’ की कहानी चुराकर पाकिस्तान में फिल्म ‘परी’ बनाना शुरू किया और उसी कथानक की जानकारी मिलने पर अनुष्का शर्मा ने भी फिल्म ‘परी’ की शुरूआत कर दी. फिल्म ‘बिफोर आई वेक’ से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके निर्माता ने भारत में इस फिल्म के प्रदर्शन की योजना बना ली है. ‘बिफोर आई वेक’ में जैकब ट्रेम्बले, अन्नाबेथ गिश और थौमस जने की अहम भूमिकाएं है.

माइक फ्लेंनागन की फिल्म ‘बिफोर आई वेक’ की कहानी एक ऐसे दंपित की है, जो कि अपने आठ वर्ष के बेटे की मौत के बाद एक अनाथ बच्चे को गोद लेता है. पर उनके अपने मृत बेटे की आत्मा अब परेशान करना शुरू करती है. तो अपने दत्तक बेटे को बचाने के लिए वह औरत लड़ती है. इस लड़ाई में वह अपने पति को भी खो देती है. तो क्या पाकिस्तानी फिल्म ‘परी’ के अलावा अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘परी’ की भी कहानी यही है? वैसे ‘बिफोर आई वेक’ को फैंटसी फिल्म कहा गया है. 

आखिर क्यों इन सितारों ने बनाई कपिल शर्मा से दूरी

अक्षय कुमार की फिल्म टायलेट एक प्रेम कथा को बाक्स औफिस पर अच्छा रिस्पोन्स मिल रहा है. लेकिन इस कामेडी फिल्म के साथ एक सवाल भी जुडा है. टायलेट एक प्रेम कथा को प्रमोट करने के लिए अक्षय कुमार आखिर कपिल शर्मा के शो पर क्यों नहीं गए?
अक्षय कुमार अपनी कई फिल्मों को प्रमोट करने के लिए कपिल शर्मा के शो पर गए हैं. औडियंस ने भी इन एपिसोड्स को खूब एंजोय किया. लेकिन टायलेट एक प्रेम कथा के रिलीज होने पर अक्षय कुमार का कपिल शर्मा से दूरी बना लेना सभी को हैरान कर रहा है.
शाहरुख, सलमान और रणबीर कपूर ने भी बनाई दूरी
कपिल शर्मा के शो पर अपनी फिल्‍म को प्रमोट करने में शाहरुख खान, सलमान खान और रणबीर कपूर जैसे बौलीवुड स्‍टार्स ने भी हाल के दिनो में कोई रुचि नहीं दिखाई है. शाहरुख खान और अनुष्‍का शर्मा भी अपनी फिल्‍म जब हैरी मेट सेजल के प्रमोशन के लिए कपिल के शो में नजर नहीं आए. 
सलमान खान ने भी अपनी फिल्‍म ट्यूबलाइट का प्रमोशन करने के लिए कपिल के शो पर नहीं कि गए, जबकि उन्‍होंने इसी चैनल पर दो घंटे का एक पूरा स्‍पेशल एपिसोड शूट किया. इस शो मे  कपिल के पुराने साथी सुनील ग्रोवर, अली असगर, सुगंधा मिश्रा और संकेत भोसले भी नजर आए. सलमान ने अपनी फिल्‍म को नच बलिये 8, सारेगामापा लिटिल चैम्‍प‍ियन और तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा  जैसे शोज  में प्रमोशन किया लेकिन कपिल के शो में नही गए.
इसी तरह रणबीर कपूर और कटरीना कैफ ने भी अपनी फिल्‍म जग्‍गा जासूस को कपिल के शो पर प्रमोट करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई, जबकि वे अन्‍य रियलिटी शो के सेट पर नजर आए.

क्या कपिल के शो की गिरती टीआरपी है इसकी वजह?
ये बेहद हैरानी की बात है क्योंकि कपिल के शो में चंदन प्रभाकर और भारती सिंह के आने के बाद कोई खास फर्क नहीं देखा गया. यह जरूर माना गया है कि इस शो से बौलीवुड के बड़े सितारों ने ने दूरी बना ली हैं. जबकि स्‍टार्स सोशल मीडिया और और अन्य कई रियेलिटी शो पर अपने फिल्मों के प्रमोशन करते दिखाई दे रहे हैं.
ऐसे में कपिल शर्मा को अब अपने शो पर काफी ध्यान देने की जरुरत है कि आखिर ऐसी क्या कमी हो रही है, कहीं ऐसा तो नहीं कि गिरती टीआरपी की वजह से बड़े सितारों ने उनसे दूरी बना ली हो.

मुंबई में संघर्ष के दिन याद कर आंसू निकल पड़ते हैं : विक्की प्रसाद

फिल्म ‘टायलेट : एक प्रेम कथा’ भले ही बोझिल हो गयी हो, मगर अक्षय कुमार व भूमि पेडणेकर के अभिनय के साथ साथ दर्शकों को फिल्म के दो गीत ‘हंस मत पगली प्यार हो जाएगा’ और ‘जुगाड़’ गीतों ने भी काफी आकर्षित किया है. इन गीतों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनके संगीतकार विक्की प्रसाद की यह पहली फिल्म है. फिल्म के गीत ‘जुगाड़’ को तो अक्षय कुमार ने स्वरबद्ध किया है और इस गाने में एक संदेश भी है. पर संगीतकार बनने तक विक्की प्रसाद को काफी संघर्ष करना पड़ा. उनके संघर्ष की दास्तान सुनकर किसी की भी आंखें रो सकती हैं. उनके पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे, वह भी आर्मी में थे. नाना आर्मी में थे. नाना की असामयिक मौत के बाद नानी को आर्मी में नौकरी मिली थी. विक्की प्रसाद की परवरिश उनकी नानी ने ही किया. उनकी मां घरेलू महिला हैं.

संगीत के प्रति आपका रूझान कैसे हुआ?

मेरे परिवार में संगीत से जुड़ा कोई इंसान नहीं है. मेरे पिता की तो मुझे याद नहीं है. हम मूलतः बिहार के बकसर जिले से हैं. मगर मेरा जन्म मिजोरम के थिंजौल में हुआ. उसके बाद मेरा बचपन मेघालय की राजधानी के पास एंजौल में बीता, जहां मैं अपनी मां के साथ नानी के पास रहने गया था. मेरे पिता की ही तरह मेरे नाना आर्मी में थें. उनके देहांत के बाद नानी को आर्मी में नौकरी मिली थी. सच कहूं तो हमारी परवरिश तो मेरी नानी ने ही किया. मेरा जीवन बहुत ही आर्थिक अभाव में बीता. तीन साल की उम्र में एक शिक्षक की फेअरवेल पार्टी में एक गीत ‘‘चलते चलते मेरा ये गीत याद रखना..’’ को मैंने गाया था. तब उस शिक्षक ने मुझे पांच रूपए का ईनाम दिया था. बस उसी दिन से मुझे संगीत में रूचि पैदा हो गयी थी. तीन साल कि उम्र से ही मैंने गाना व नृत्य करना शुरू किया था. फिर स्टेज शो करने लगा. कुछ समय बाद मैंने सोच लिया कि अब मुझे संगीत में ही कुछ काम करना है. पर पढ़ाई भी करना जरूरी था. इसलिए मैंने इलाहाबाद से स्नातक तक की पढ़ाई की. फिर दिल्ली में संगीत में डिप्लोमा किया. साउंड इंजीनियरींग की भी ट्रेनिंग ली. उसके बाद संगीत जगत में कुछ अच्छा काम करने की सोच लेकर मैं मुंबई पहुंच गया.

मुंबई में कितना संघर्ष करना पड़ा?

मैंने मुंबई में जो संघर्ष किया है, वह सोच कर आज भी मैं बहुत भावुक हो जाता हूं. मेरी आंखों से आंसूं निकलने लगते हैं. मुंबई में मेरे पास पैसे नहीं थे और ना ही कोई जान पहचान. इसलिए मजबूरन मैंने डेढ़ माह तक केएफसी में नौकरी की. मैं सुबह तो बस से नौकरी पर जाता था पर शाम को पूरे 6 किलोमीटर पैदल चल कर घर आता था, जिससे जो पैसे बचेंगे, उससे कुछ खा लूंगा. डेढ़ माह की नौकरी के बाद मुझे अपने आप पर कोफ्त हुई और मैंने नौकरी छोड़ दी. मैंने सोच लिया कि अब जो भी कमाउंगा, संगीत से कमाउंगा. मैंने अपनी जिंदगी के कई दिन सिर्फ एक वड़ा पाव खाकर बिताया है. चार साल तक मैं अपनी मां व नानी से मिलने नहीं जा पाया. मैं जो भी काम कर रहा था, उसमें सफलता नहीं मिल रही थी. जबकि कई छोटे मोटे काम किए. पर अंत में जेब खाली ही रही. पर एक दिन मुझे मेरे गुरू और मित्र मनोहर राजदत्त जी ने नीरज पांडे के आफिस में मिलने के लिए बुलाया. जहां उन्होंने मेरी मुलाकात श्री नारायण सिंह से करवायी, जो कि उस वक्त फिल्म ‘टायलेटः एक प्रेम कथा’ का निर्देशन कर रहे थे. उन्होंने मुझे फिल्म की कहानी सुनायी. फिर मुझे चार गानों की लाइनें बतायी. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं यह गाने बनाकर उन्हें दूं. मैंने काफी मशक्कत के साथ गानों को संगीत से संवारकर उन्हें दिया. जिसे उन्होंने उन दिनों मलेशिया में एक फिल्म की शूटिंग में व्यस्त नीरज पांडे व अक्षय कुमार जी के पास भेजा. अंत में मुझे इस फिल्म के लिए तीन गानों को संगीत से संवारने का मौका मिल गया. मुझे खुशी है कि मेरे दो गाने ‘जुगाड़’ और ‘हंस मत पगली..’ काफी पसंद किए जा रहे हैं.

क्या आप खुद गीत भी लिखते हैं?

नहीं. मैं सिर्फ गाता हूं और संगीत देता हूं. संगीत ही मेरी आत्मा है. इसके बिना मैं कुछ नहीं हूं.

अब तक आपके क्या अनुभव रहे?

मैंने पहले ही बताया कि संघर्ष के दौरान मैंने काफी काम किया. मैंने कुछ एड फिल्मों के जिंगल्स बनाएं. कुछ फिल्मों में पार्श्व संगीत दिया. पर हर बार मुझे बजट को लेकर समझौता करना पड़ा. लेकिन मुझे खुशी है कि अक्षय कुमार, नीरज पांडे व श्री नारायण सिंह ने संगीत रचने के लिए सारी सुविधाएं दी.

आपने एक गाना अक्षय कुमार से गवाया है. क्या वह अच्छे गायक हैं?

अक्षय कुमार ने फिल्म का शीर्षक गीत गाया है. जिसके लिए हमें जिस तरह की आवाज चाहिए थी, वह हमें उनमें नजर आयी. अक्षय कुमार ने भी काफी मेहनत से इस गाने को गाया है.

इसके अलावा क्या कर रहे हैं?

एक फिल्म ‘एक्सचेंज आफर’ को संगीत से संवारा है. छोटे बजट की इस फिल्म में मैंने हर तरह के गाने को संगीत से संवारा है. इसमें आइटम सांग, फनी और रोमांटिक गाने भी हैं. मैंने इस फिल्म का पार्श्वसंगीत भी दिया है. यह फिल्म बहुत जल्द प्रदर्शित होगी. इसके अलावा चार फिल्में और की हैं, पर अभी मैं उन फिल्मों को लेकर कुछ कह नही सकता. मैं चाहता हूं कि पहले निर्माताओं की तरफ से घोषणा हो जाए.

23 साल की उम्र में 350 गीतों को स्वर दे अन्वेशा ने बनाया रिकार्ड

‘गोलमाल रिटर्न’, ‘आई एम 24’, ‘डैंजरस इश्क’, ‘लव यू सोनियो’, ‘रांझणा’, ‘राउडी राठौड़’, ‘कांची’, ‘रिवाल्वर रानी’, ‘गुरू दक्षिणा’, ‘द एक्सपोज’, ‘प्रेम रतन धन पायो’ तथा ‘दो लफ्जों की कहानी’ सहित कई भाषाओं की फिल्मों, टीवी सीरियलों में पार्श्वगायन करते हुए 23 वर्षीय गायक अन्वेशा ने कम उम्र में 350 गीत गाने का रिकार्ड बनाया है. अन्वेशा ने न सिर्फ पार्श्वगायन किया, बल्कि वह कई टीवी के रिएलिटी शो का हिस्सा रही हैं. वह अब तक अमरीका, बांगलादेश, न्यूजीलैंड, यूएई, कनाडा, यूक्रेन, ओमान और थाईलैंड सहित कई देशों में म्यूजिकल कंसर्ट कर चुकी हैं.

23 वर्षीय अन्वेशा ने तीन वर्ष की उम्र से ही संगीत सीखना शुरू कर दिया था. वह बताती हैं, ‘‘मेरा जन्म मुंबई के पास विरार में हुआ. जब मैं दो वर्ष की थी, तभी हम लोग कोलकाता रहने चले गए. मेरी पहली संगीत की गुरू मेरी मां हैं. मेरी मां मीता दत्ता गुप्ता भी गायक थीं. उन्होंने ही मुझे सबसे पहले सुर व ताल की शिक्षा दी. संगीत की एबीसीडी उन्होंने ही मुझे सिखायी. फिर चार साल की उम्र में मैने हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक जयंत सरकार से संगीत की विधिवत शिक्षा लेनी शुरू की. उसके बाद मैंने पटियाला घराने के पंडित अजोय चक्रवर्ती से संगीत की शिक्षा ली. 13 वर्ष की उम्र मैं ‘वायस आफ इंडिया’ संगीत प्रधान रिएलिटी शो से जुड़ी. फिर रियालिटी शो ‘छोटे उस्ताद’ का हिस्सा बनी. 14 साल की उम्र में मैने सबसे पहले बौलीवुड फिल्म ‘गोलमाल रिटर्न’ के लिए एक गीत गाया. उसके बाद से मैंने हिंदी, तमिल, बंगाली, तेलगू, कन्नड़, मलयालम भाषाओं की कई फिल्मों में पार्श्वगायन करते हुए 350 से अधिक गीत गा चुकी हूं. बहुत जल्द लोग ‘भालो लागे तोमको’ व ‘अमार जी किचू कोथा’ बंगला फिल्मों के अलावा हिंदी फिल्म ‘तुझसे मिलके ये बावरा’ तथा मलयालम फिल्म ‘मिन्ना मिनंगूं’ सहित कुछ अन्य फिल्मों में मेरी आवाज में स्वरबद्ध गीत सुन सकेंगे.’’

अन्वेशा अब तक सर्वश्रेष्ठ गायक के तकरीबन बीस अवार्ड भी जीत चुकी हैं. वह कहती हैं, ‘‘इन पुरस्कारों से मेरा हौसला बढ़ा. मैं आज भी हर दिन करीबन चार घंटे संगीत का रियाज करती हूं.’’

‘मेरे रश्के कमर’ पर मौनी का डांस देखा क्या!

इन दिनों ‘बादशाहो’ का ‘मेरे रश्के कमर’ गाना लोगों की जुबान पर है. अब फिल्म के इस गाने पर टीवी जगत की मशहूर ऐक्ट्रेस मौनी राय इस गाना पर डांस कर सोशल मीडिया पर छा गई हैं. मौनी के फैन क्लब से ये वीडियो शेयर किया गया है. नागिन एक्ट्रेस ने इतना बेहतरीन डांस किया है कि आप इसे देखते हुए भूल जाएंगे कि ओरिजनर गाना अजय देवगन और इलियाना डिक्रूज पर फिल्माया गया है.

गौरतलब है कि मौनी अक्षय कुमार के साथ बौलीवुड में एंट्री करने जा रही हैं. हालांकि, कहा जा रहा था कि मौनी को यह मौका सलमान खान से नजदीकियों की वजह से मिला है और उन्होंने ही उन्हें इस फिल्म के लिए रेकमेंड किया था. लेकिन बाद में फिल्म प्रड्यूसर रितेश सिद्धवानी ने सफाई दी कि उन्हें यह भमिका उनके टैलंट की वजह से मिली है.

मौनी का यह डांस बिल्कुल वैसा ही दिख रहा जैसा फिल्म ‘देवदास’ में माधुरी दीक्षित ने किया था. मौनी टीवी के अलावा सोशल साइट इंस्टाग्राम पर भी काफी फेमस हैं.

 

 

 

 

 

 

पब्लिसिटी के लिए कुछ भी कर सकते हैं ये सितारे

टीवी पर काम करने वाले कई सेलिब्रिटी ऐसे हैं जो अपनी पब्लिसिटी के लिए कुछ भी कर सकते हैं चाहे वो उनका उटपटांग बयान हो या फिर उनकी कोई तस्वीर हो. कुछ सेलिब्रिटीज को आप अक्सर सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो, फोटोज पोस्ट करते देख सकते हैं. आज हम यहां ऐसे सेलिब्रिटीज के बारे में बता रहे हैं जो हमेशा चर्चा में बने के रहने के लिए कुछ न कुछ पोस्ट करते रहते हैं.

निया शर्मा

निया शर्मा आजकल सोशल मीडिया पर अपनी बोल्ड फोटोज और विडियो के चलते चर्चा में बनी रहती हैं. निया शर्मा ने कुछ दिन पहले अपनी ब्रालेस फोटो शेयर कर निया ने खूब कान्ट्रोवर्सी बटोरी थी. निया शर्मा ने एक बार हद ही पार कर दी जब उन्होंने एक बच्चे का वीडियो शेयर किया, जिसमें वह खुलेआम गालियों का इस्तेमाल कर रहा था.

पूनम पांडे

पूनम पांडे कुछ ख़ास मौकों पर अपने हाट फोटोज और हाट वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. इन्हीं के चलते वो खूब सुर्खियां बटोर चुकी हैं.

राखी सावंत

राखी सावंत अपने बयान उटपटांग की वजह से हमेशा सुर्खियों में बनी रहती हैं. वह खुलेआम कास्टिंग काउच को सपोर्ट कर चुकी हैं. वह खुद को वर्जिन बता चुकी हैं. राखी सावंत के निशाने पर हमेशा सनी लियोनी रहती हैं और कह चुकी हैं कि इंडिया सनी को कपड़े पहनने के पैसे दे रहा है.

कमाल राशिद खान

कमाल राशिद खान को लोग केआरके भी बोलते हैं. केआरके अक्सर सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज को लेकर ऊल-जलूल कमेंट करते रहते हैं. वे परिणीति चोपड़ा के बट पर कमेंट कर चुके हैं, धनुष को जमादार बता चुके हैं और सनी लियोनी से खुलेआम सेक्स की डिमांड कर चुके हैं.

शर्लिन चोपड़ा

शर्लिन चोपड़ा एक्सपोज करने के कारण सुर्खियों में रहती हैं. वे कामसूत्र 3डी जैसी फिल्मों में न्यूड और सेक्स सीन दे चुकी हैं. ट्विटर पर न्यूड फोटो शेयर करने के कारण उन्हें बैन भी किया जा चुका है.

संभावना सेठ

संभावना सेठ को बोल्ड स्टेटमेंट्स के लिए जाना जाता है. इसके अलावा, वे शार्ट टेम्पर्ड भी हैं. हाल ही में, जब उनके पति ने शर्लिन चोपड़ा के साथ हाट सीन दिए तो वे भड़क गई थीं. उन्होंने कहा था, “कौन सी पत्नी अपने पति को किसी दूसरी औरत के साथ इंटीमेट होते देख सकती है.

गौहर खान

गौहर खान की एक फोटो कुछ दिनों पहले खूब वायरल हुई जिसमे वो एक पापुलर मैगजीन के कवर पर नजर आ रही हैं. जबकि सच्चाई यह हैं कि इस मैगजीन कवर के लिए गौहर सिलेक्ट ही नहीं हुई थीं. मैगजीन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गौहर नहीं, अजय देवगन इस अंक में नजर आने वाले हैं. गौहर कुछ दिन पहले खूब सुर्खियों में रहीं, जब एक रियलिटी शो के फिनाले के दौरान एक शख्स ने उन्हें थप्पड़ मार दिया था. बाद में उस शख्स ने खुलासा किया था कि गौहर ने ऐसा करने के लिए उसे पैसे दिए थे जिससे उन्हें पब्लिसिटी मिल सके.

कश्मीरा शाह

कश्मीरा शाह अपनी बोल्ड इमेज के कारण चर्चा में रहती हैं. वे मीडिया में यह तक बता चुकी हैं कि उन्हें कौन सी सेक्स पोजिसन पसंद है. हाल ही में कश्मीरा ने बिकिनी फोटो शेयर कर सुर्खियां बटोरने की कोशिश की. एक फोटो के साथ तो उन्होंने यह तक लिखा था, है तो दिखाओ.

पूजा मिश्रा

पूजा मिश्रा अक्सर हंगामा कर कर सुर्खियां बटोरने की कोशिश करती हैं. कुछ समय पहले उन्होंने एक होटल के स्टाफ के साथ बदतमीजी की थी. इसके अलावा, वे सलमान खान पर रेप का आरोप लगा चुकी हैं. सोनाक्षी सिन्हा और उनकी मां पर भी आपत्तिजनक आरोप लगा चुकी हैं.

सोफिया हयात

सोफिया हयात ने बिग बास के दौरान अरमान कोहली पर बदसलूकी का आरोप लगाया था. इसके अलावा, वे इंटरव्यू में यह खुलासा कर चुकी हैं कि बचपन में उनका यौन शोषण हुआ था. इतना ही नहीं, सोफिया ने यह अनाउंसमेंट कर सुर्खियां बटोरने की कोशिश की कि वे नन बन चुकी हैं. फिर मीडिया में अपने ब्रेस्ट इम्प्लांट दिखाकर और बोल्ड फोटोज शेयर कर वे सुर्खियों में रहीं.

कुछ ऐसे सजाएं बच्चों का कमरा

आप पूरे घर को किस तरह सजाएं, कुछ ही देर में सोच सकती हैं लेकिन बच्‍चे का कमरा किस तरह डेकोरेट करें, इसमें बहुत दिमाग लगाना पड़ता है. हर बच्‍चे की आदत बिल्‍कुल अलग होती है और उसका कमरा भी इन्‍हीं आदतों के अनुसार होना चाहिए. हालांकि, आप खुद से सोच-समझ कर बच्‍चों के कमरे को रोचक और आरामदायक बना सकती हैं. इसके लिए आपको कई बातों का ध्‍यान रखना चाहिए, जैसे- बच्‍चे के सोने की जगह ठीक हो और कमरे में बाहर की खुली हवा भी आ सकें.

कमरे में ही बच्‍चा, छोटे-छोटे खेलों को खेल पाएं, इतनी जगह अवश्‍य होनी चाहिए. बेड ज्‍यादा ऊंचाई पर न हो, वरना उससे गिरकर उसे चोट लग सकती है. कमरे को डिजाइन करते समय बच्‍चे की उम्र, बच्‍चों की संख्‍या और बेटा व बेटी या का भी ध्‍यान रखें. आइए जानते हैं बच्‍चे के कमरे को डिजाइन करते समय और किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए.

रंग-बिरंगा रखें

आप पूरे घर को डीसेंट रखिए, लेकिन बच्‍चों के कमरे को सुंदर और चार्मिंग बनाएं. उसे खूब रंग-बिरंगा रखें. इससे बच्‍चों को अच्‍छा लगेगा और वो अच्‍छा वक्‍त कमरे में व्‍यतीत करेंगे.

पर्याप्‍त स्‍थान

बच्‍चों के कमरे में ज्‍यादा सामान न रखें, पर्याप्‍त स्‍थान रहने दें. ताकि बच्‍चे कमरे में ही खिलौने और किताबों को आराम से फैलाकर खेल सकें. इससे उन्‍हें चोट लगने का डर भी नहीं रहेगा.

डिजाइनर बेड

इन दिनों, मार्केट में बच्‍चों के लिए कई तरह के बेड उपलब्‍ध हैं. अगर आपके घर में बच्‍चों वाले कमरे में कम जगह है तो उस हिसाब से भी अच्‍छे बेड मिल जाते हैं. कमरे के क्षेत्रफल के हिसाब से भी आप बेड का चयन करें, ताकि उसे वहां फिट करवाने में दिक्‍कत न आएं. बंक बेड भी अच्‍छा विकल्‍प है.

मिनी आर्ट गैलरी बनाएं

बच्‍चे को कमरे को सजाने का सबसे अच्‍छा तरीका, वहां आर्ट गैलरी बनाना भी हो सकता है. इससे बच्‍चे को कला में रूचि आएगी या आप कई तस्‍वीरों को भी लगा सकते हैं जो उसके साथ हों.

वालपेपर

बच्‍चे के कमरे को वालपेपर से भी सजाया जा सकता है. यह सबसे सरल विकल्‍प है जिसके लिए बहुत मेहनत करने की आवश्‍यकता भी नहीं पड़ती है और बच्‍चे को बोरिंग भी महसूस नहीं होगा. 2 से 3 सालों के बाद आप चाहें तो वॉलपेपर बदल भी सकते हैं.

खेलने की जगह

बच्‍चे के कमरे को सजाने से पहले उसके खेलने का विशेष ध्‍यान रखें. कमरे में पर्याप्‍त स्‍थान रखें, सभी खिलौने ऐसे रखें जो उसकी पहुँच में हों और उसके कुछ दोस्‍त भी आकर खेल लें.

त्वचा के लिए वरदान है लेमन टी

आजकल हर कोई चाहता है कि उसके चेहरे की चमक और दमक बरकरार रहे. इसके लिए कुछ लोगों को सलाह मिलती है कि लेमन टी से चेहरा धुलने पर वह अच्‍छा हो जाता है.

क्‍या यह बात वाकई में सच है. जी हां, लेमन टी स्‍वास्‍थ्‍य को ही नहीं बल्कि चेहरे को भी अच्‍छा बना देती है. इसके कई लाभ होते हैं जोकि निम्‍न प्रकार हैं.

दाने न होने देना

अगर आपके चेहरे पर बहुत सारे दाने हैं तो लेमन टी से अपने चेहरे को प्रतिदिन वॉश करें. इसमें ऐसे तत्‍व को होते हैं तो दाने पैदा करने वाले कीटाणुओं को मार देते हैं और त्‍वचा को दाने रहित बना देते हैं.

ब्‍लैकहेड्स निकाल देना

लेमन टी से हल्‍के हाथों से मसाज करने पर ब्‍लैकहेड्स निकल जाते हैं और त्‍वचा पर कोई भी ब्‍लैकहेड्स नहीं रह जाता है.

तैलीय त्‍वचा पर असरदार

कई लोगों की स्‍कीन इतनी ज्‍यादा ऑयली होती है कि उनकी त्‍वचा पर कोई भी चीज असर नहीं करती है. ऐसे में लेमन टी काफी सहायक होती है.

त्‍वचा को क्‍लीन कर देना

यह नेचुरल क्‍लींजर की भांति काम करता है. इससे त्‍वचा पर हल्‍के हाथों से स्‍क्रब करने पर स्‍कीन में मुलायमपन आ जाता है और वह अच्‍छे से क्‍लीन हो जाती है.

काले धब्‍बे दूर कर देना

अगर आपकी त्‍वचा पर काले धब्‍बे या पैचेस हैं तो लेमन टी से चेहरे को वॉश करें, इससे काले धब्‍बे दूर हो जाते हैं और चेहरा चमकने लगता है.

क्या है असुरक्षित गर्भपात

किसी भी महिला के जीवन में गर्भपात भावनात्मक रूप से बहुत व्यथित करने वाली घड़ी होती है. इस से जहां एक तरफ वह गर्भपात के कारण मानसिक तौर पर दुखी होती है, वहीं दूसरी तरफ शारीरिक स्तर पर भी उसे पीड़ा झेलनी पड़ती है. दोनों ही हालात में स्थिति चिंताजनक होती है. हालात तब और संजीदा हो जाते हैं जब गर्भपात असुरक्षित तौर पर करवाया गया हो.

ज्यादातर महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात के बारे में कोई जानकारी नहीं होती. यहां तक कि उन्हें गर्भपात के बाद होने वाली दिक्कतों का भी पता नहीं होता. गर्भपात प्रसव के समय होने वाले दर्द से कम पीड़ादायक नहीं होता और अगर यह असुरक्षित स्तर पर और किसी नौसिखिए से करवाया गया है तब तो चिंता और बढ़ जाती है.

असुरक्षित गर्भपात वह है, जो किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति से करवाया जाता है. उस के पास न तो कोई डिगरी होती है और न ही अनुभव. कानूनी तौर पर भी ऐसा व्यक्ति गर्भपात करने का अधिकार नहीं रखता है. असुरक्षित गर्भपात से दर्द, संक्रमण, संतानहीनता जैसी जटिलताएं पनप सकती हैं. यहां तक कि मौत भी हो सकती है.

1971 में एनटीपी ऐक्ट (गर्भ समाप्ति कानून 1971) को कुछ खास मामलों में मान्यता दी गई. वह भी तब जब महिला या बच्चे के स्वास्थ्य अथवा जान को खतरा हो. परिवार नियोजन की विफलता और बलात्कार के कारण गर्भ होने की स्थिति में भी गर्भपात की इजाजत है. इन निर्धारित सीमाओं के बाहर गर्भपात करवाना अवैध माना जाता है. असुरक्षित गर्भपात का असर महिला के स्वास्थ्य पर पड़ता है और 2 सप्ताह के बाद भी उस के पेट में असहनीय दर्द, बुखार, योनि से रक्त या दुर्गंधयुक्त स्राव जारी रह सकता है.

गर्भपात के कुछ कारण

अकसर कुछ कारणों से गर्भपात की नौबत आती है. फिर चाहे महिला का जीवन बचाने के लिए गर्भपात करवाना जरूरी हो गया हो या गर्भ में पल रहा बच्चा किसी विकार से पीडि़त हो. ऐसे हालात में गर्भपात ही अंतिम उपाय रह जाता है. अकसर बेटे की चाह भी गर्भपात का कारण बनती है. ग्रामीण इलाकों और कुछ अशिक्षित लोगों द्वारा संकोचवश या सस्ते में छूटने की वजह से भी असुरक्षित गर्भपात का सहारा लिया जाता है और इसे आसपास की कोई अप्रशिक्षित महिला या झोलाछाप डाक्टर कम रुपयों में और अकसर घर पर ही कर देता है.

पिछड़े क्षेत्रों में आज भी ज्यादातर गर्भपात इसी तरह के लोग कर रहे हैं, जो किसी अस्पताल या नर्सिंगहोम में कंपाउंडर होते हैं या मरीज की देखरेख आदि का काम करते हैं. यही वजह है कि असुरक्षित गर्भपात के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

गर्भवती महिलाओं में से 15% के मामले में कोई न कोई जटिलता उभरने की आशंका रहती है. भारत में दोतिहाई मातृ मृत्यु दर यानी गर्भपात या प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में होती है. यह तथ्य भी चौंकाने वाला है कि देश में ऐनीमिया और कुपोषण के बाद महिलाओं की मौत का सब से बड़ा कारण असुरक्षित गर्भपात बन रहा है.

गंभीर स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में 60 फीसदी महिलाएं दाइयों पर निर्भर हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण हर साल देश में प्रसव के दौरान 78 हजार महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.

गर्भपात करवाना जानलेवा हो सकता है यदि:

– अप्रशिक्षित व अनुभवहीन डाक्टर के द्वारा और मान्यताप्राप्त, लाइसैंसशुदा मैटरनिटी होम में न करवाया गया हो.

– गंदे या रोशनी व हवा रहित कमरे में और कीटाणुयुक्त उपकरणों के जरीए करवाया गया हो.

– 12 सप्ताह के भीतर न किया गया हो. इस के अलावा भी कुछ घरेलू तरीके भ्रूण को समाप्त करने के लिए अपनाए जाते हैं. जैसे दादीमांओं के नुसखों या सुनीसुनाई बातों के आधार पर कुछ विशेष पेड़पौधों का रस योनि में डालना, कोई तार या ठोस वस्तु योनि में डाल कर भ्रूण को समाप्त करने की चेष्टा करना आदि.

असुरक्षित गर्भपात में गर्भपात के 2 सप्ताह बाद भी पेट में असहनीय दर्द, बुखार, योनि से रक्त या दुर्गंधयुक्त स्राव जारी रह सकता है. यह खतरनाक स्थिति है. हो सकता है कि गर्भपात अपूर्ण हुआ हो और गर्भाशय के भीतर भ्रूण का कोई अंश रह गया हो. इन हालात में जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है.

सुरक्षित गर्भपात

1 माह तक के गर्भ को दवा दे कर समाप्त किया जाता है, क्योंकि यह भ्रूण की शुरुआत होती है, इसलिए यह दवा से भी खत्म हो जाता है, लेकिन इस से अधिक समय के गर्भ की समाप्ति अबौर्शन से ही की जाती है जो कि उपकरणों के माध्यम से होता है.

सुरक्षित गर्भपात वैक्यूम ऐस्पिरेशन विधि से होता है. इस में योग्य डाक्टर द्वारा विशेष प्रकार की ट्यूब योनि के रास्ते गर्भाशय में डाल कर भ्रूण को बाहर खींच लिया जाता है. यह एक सरल और सुरक्षित तरीका है. डाइलेशन और क्यूरेटाज यह खुरच कर गर्भपात का तरीका है. गर्भ के बचेखुचे हिस्से को क्यूरेटर के जरीए निकाल दिया जाता है. क्यूरेटर चम्मच के आकार का एक उपकरण होता है.

दिल्ली की एक घनी बस्ती की 35 वर्षीय आसमां 5वीं पास है. 10 वर्षों से अपने क्षेत्र की महिलाओं का गर्भपात कर रही है. पहले वह किसी मैटरनिटी होम में मरीजों की देखरेख और इंजैक्शन लगाने का काम करती थी. जब काम छोड़ा तो घर पर ही गर्भपात करने को आमदनी का रास्ता बना लिया. वह कहती है, ‘‘अब तक बहुत गर्भपात किए हैं और कोई भी गलत नहीं हुआ. हालांकि कई दिनों तक हलकीहलकी ब्लीडिंग या दर्द की शिकायत कुछ महिलाओं को हुई, लेकिन सब कुछ ठीक रहा.’’

आसमां क्यूरेटर के जरीए गर्भपात करती है. वह दर्द का इंजैक्शन व दवा भी देती है.

असुरक्षित गर्भपात करवा चुकी नौरीन का कहना है, ‘‘मैं ने एक दाई से गर्भपात के लिए एक दवा ली थी. दवा खाने के बाद कई दिनों तक हलकी ब्लीडिंग और पेट में दर्द हुआ. उस के बाद करीब 1 साल तक कभीकभार दर्द की समस्या रही, लेकिन अब वह ठीक है.’’

वहीं अनीता बताती हैं, ‘‘मैं कई बार दाई से गर्भपात करवा चुकी हूं, लेकिन ठीक हूं.’’

डा. अनुराधा खुराना, लाजपत नगर, दिल्ली, कहती हैं, ‘‘एक अनुभवी डाक्टर कई वर्ष पढ़ाई करने के बाद गर्भपात करता है, जबकि अप्रशिक्षित महिलाएं महज दवाओं, इंजैक्शनों के नामों को जानती हैं. उन के पास अनुभव भी हो सकता है, लेकिन गर्भपात के दौरान जो जटिलताएं आती हैं उन्हें एक विशेषज्ञ ही संभाल सकता है. क्यूरेटर आदि उपकरणों का इस्तेमाल अगर अप्रशिक्षित दाई कर रही है, तो उस के हाथ से गर्भाशय को हानि पहुंचने और उस के फटने की आशंका बढ़ जाती है.

जब यही हानि किसी विशेषज्ञ से हो जाती है, तो वह उस स्थिति को काबू करने में प्रशिक्षित होता है और मरीज की जान को खतरा नहीं रहता.’’                      

गर्भपात के बढ़ते मामले

आधुनिकता की चकाचौंध कहिए या रिश्तों की नासमझ अकसर टीनऐज लड़केलड़कियां भी अपनी सीमाओं को लांघ जाते हैं. ऐसे में जब गर्भ ठहरता है, तो लड़की के घर वाले लोकलाज के डर से घर में असुरक्षित गर्भपात का रास्ता चुनते हैं. देश में प्रतिवर्ष करीब 60 लाख गर्भपात कराए जाते हैं और प्रत्येक सुरक्षित गर्भपात पर 17 अवैध गर्भपात होते हैं. 2008 में भारत में 65 लाख गर्भपात हुए, जिन में 66 फीसदी असुरक्षित थे. 2014-15 में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के गर्भपात के मामलों में 67 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. इस में दिल्ली, बैंगलुरु, चेन्नई और मुंबई जैसे महानगरों के युवा सब से आगे रहे.

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