मैं पटाखा टाइप की लड़की नहीं हूं : इलियाना डिक्रुज

तेलगू भाषा की रोमांटिक फिल्म ‘देवदासु’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री इलियाना डिक्रुज को हिंदी फिल्मों में फिल्म ‘बर्फी’ से ब्रेक मिली. ‘रुस्तम’ भी उनकी सफल फिल्म है, जिसमें उन्होंने अक्षय कुमार की पत्नी की भूमिका निभाई थी. मुंबई की इलियाना हमेशा से फिल्मों में अभिनय करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें सबसे पहले दक्षिण की फिल्मों और कई विज्ञापनों में काम करने का अवसर मिला. इसके बाद वह हिंदी फिल्मों में आईं. इलियाना काम के लिए किसी निर्माता, निर्देशक के पीछे भागती नहीं हैं जो भी काम मिलता है और भूमिका अच्छी होती है तो वह हां कर देती हैं. वह शांत और हंसमुख स्वभाव की हैं. अभी वह ‘मुबारकां’ फिल्म की प्रमोशन में व्यस्त है जिसमें उन्होंने कॉमेडी की है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है अंश.

कॉमेडी में आने की इच्छा कैसे हुई? इसे निभाना कितना मुश्किल था? कितनी तैयारियां करनी पड़ी?

मैं चाहती थी कि कुछ नया करूं और मुझे मिला. कॉमेडी करना आसान नहीं होता, खासकर लोगों को हंसाना बहुत कठिन काम है. इसमें होमवर्क से अधिक मैंने निर्देशक अनीस बज्मी की कॉमिक टाइम को फॉलो किया है. इससे मुझे काफी कुछ समझ में आ गया. जिससे अभिनय करना मुश्किल नहीं था. मैं इसमें पंजाबी लड़की बिंकल की भूमिका निभा रही हूं, पहले लगा था कि पंजाबी सीखनी पड़ेगी, लेकिन लेखक बलविंदर सिंह ने बहुत ही सुंदर तरीके से मेरे संवाद लिखे हैं, जिसे बोलना कठिन नहीं था. बहुत ही मजेदार भूमिका है.

ये भूमिका आपसे कितनी मेल खाती है?

बहुत अलग है, मैं वॉयलेंट और पटाखा टाइप की लड़की नहीं हूं. मैं किसी भी हालत में किसी को मारती पिटती नहीं हूं. मुझे तब अजीब लग रहा था, जब मैं एक सीन के दौरान अर्जुन कपूर को मारती हूं, लेकिन ये दृश्य मजेदार थी. दरअसल पंजाबी कल्चर में बहुत हंसी मजाक होता है, जिसे वे एन्जॉय करते है. मुझे इस भूमिका को करने में बहुत अच्छा महसूस हुआ. मैं शूटिंग के दौरान चण्डीगढ़ गयी और वहां का खाना खायी, जो बहुत लजीज था. खासकर गरम-गरम रोटी, घी, जलेबी मुझे सबसे अच्छी लगी.

मल्टीस्टारर फिल्म में आपको काम करने का कितना मौका मिला?

ये पूरी तरह से निर्देशक पर निर्भर करता है कि वह कैसे किसी को अंत में पर्दे पर लाते हैं. इस मामले में अनीस बज्मी बहुत सही है. वे स्टोरी लाइन के हिसाब से चलते हैं. उन्होंने जो कहानी मुझे सुनाई वैसे ही शूटिंग की. इसलिए अधिक सोचना नहीं पड़ता है. उनके साथ काम करने में कभी नहीं लगा कि सेट पर हम नए हैं. इसके अलावा अभिनेता अनिल कपूर के लिए तो हर दिन नया होता है, हर दिन वे उसी उत्साह और प्यार के साथ काम करते हैं. इससे मुझे बहुत प्रेरणा मिलती थी.

आपको कॉमेडी फिल्में कितनी पसंद है? ऐसी कोई फिल्म जिसे आपने बार-बार देखी हो?

मुझे बहुत अच्छा लगता है मैंने कई पुरानी फिल्में बार-बार देखी है. ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘सत्ते पे सत्ता’ मेरी हमेशा से पसंदीदा फिल्म रही है.

आप बहुत स्पष्ट भाषी हैं, इसका असर कभी आपके करियर पर पड़ा?

बहुत बार पड़ा है, लेकिन इन सालों में मैंने देखा है कि आज के अधिकतर लोग बहुत डिप्लोमैटिक हो चुके हैं. कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. आज के दर्शक हर बात को समझते हैं, उन्हें कुछ भी दिखा दो वे नहीं देखते. मैं इतनी हताश नहीं हूं कि जो भी काम मिले कर लूं. मैंने अपनी शर्तों पर काम किया है. उसके लिए मुझे किसी के साथ डिनर पर जाने की जरुरत नहीं पड़ी. ये क्षेत्र प्रोफेशनल है, यहां काम भी उसी तरीके से होता है. ऐसे में जो लोग इस क्षेत्र को फैंटसी समझते हैं, उन्हें इससे निकल कर हकीकत में जीने की जरुरत है.

आपको आपकी प्रतिभा के हिसाब से काम नहीं मिला, क्या आपको इसका मलाल है?

शायद हां, मुझे कभी-कभी लगता है. ऐसा इसलिए है कि मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं, या मेरा कोई इंडस्ट्री में नहीं है, इस वजह से मुझे अधिक फिल्में नहीं मिलती, लेकिन मैं इस बात से खुश हूं कि मुझे यहां इज्जत बहुत मिली. मैं जानती हूं कि कोई भी मेरे साथ न तो गलत बात करेगा, न ही गलत सोचेगा. मैं अपने काम से मतलब रखती हूं और काम खत्म होने के बाद घर चली जाती हूं.

समय मिले तो क्या करती हैं?

खाना पकाती हूं. मैं मुंबई में अकेले रहती हूं. दाल, चावल, सब्जी, थाई फूड, केक्स, चोकललेट्स आदि जो भी खाने की इच्छा होती है, घर पर ही बना लेती हूं. मेरी मां बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, मैंने उनकी ही रेसिपी को लिया है, उनसे ही खाना बनाना भी सीखा है. जब आप अकेले रहते हैं, तो सही भोजन मिलना मुश्किल होता है, ऐसे में खाना बनाना जानने पर कोई समस्या नहीं आती.

क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

ड्रीम तो कोई नहीं है, लेकिन मैं इतना सोचती हूं कि जो भी फिल्म साईन करूं, उसमें मेरी भूमिका एक दूसरे से अलग हो.

कोई ‘बेस्ट कॉम्प्लीमेंट’ जो हमेशा याद रहता है?

‘बादशाहो’ फिल्म के शूटिंग के दौरान अभिनेता अजय देवगन ने एक मुख्य दृश्य के बाद कहा था कि बहुत दिनों बाद मैं एक एक्टर के साथ काम कर रहा हूं. ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी थी. जब आप अपने काम की वजह से जाने जाते हैं तो वह बहुत ही अलग अनुभव होता है.

क्या ‘रुस्तम’ की सफलता से आपको कोई फायदा हुआ?

मैं जब अपनी फिल्में देखती हूं तो बहुत सारी कमियां उसमें दिखाई पड़ती है, लेकिन इस फिल्म के बाद बहुत सारी महिलाओं ने मेरे अभिनय की तारीफ की. वह अच्छा लगा, लेकिन इंडस्ट्री से क्या मिला, ये मैं अभी तक समझ नहीं पाई.

आप इंडस्ट्री में आईं संघर्ष किया और एक मुकाम तक पहुंची हैं, क्या नयी प्रतिभाओं के लिए कोई मैसेज देना चाहती हैं?

यहां आकर मैनेजर रखना काम के लिए कोशिश करना वह सब ठीक है, लेकिन आप अपने काम के प्रति हमेशा ‘ट्रू’ रहें, क्योंकि हर एक्टर में खूबियां होती हैं, उसे पहचाने और आगे लायें.

आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना रहा है?

मेरे परिवार का बहुत सहयोग रहा है. माता-पिता बहन सभी ने मानसिक रूप से बहुत सहयोग दिया. उनकी वजह से मैं इतनी मजबूत हूं.

पहली अभिनय कब की थी?

जब मैं केवल 16 वर्ष की थी तो एक एड फिल्म में अभिनय किया था.

इंडस्ट्री में ‘नेपोटिज्म’ है, इस पर कितना विश्वास करती हैं?

ये हर क्षेत्र में है और फिल्म इंडस्ट्री में भी है. अगर आप किसी निर्माता, निर्देशक या कलाकार के बेटे या बेटी हैं, तो आपको ऑफर जरुर मिलता है. मेरे लिए भी यही रहा है कि मैं किसी के साथ न तो डिनर पर जाती हूं और न ही किसी को घर पर ‘इनवाईट’ करती हूं, इंडस्ट्री में 5 साल होने वाला है, मैं जहां तक पहुंची हूं, इसमें खुश हूं. कुछ सालों में और आगे बढ़ जाउंगी.

आपकी मुस्कराते हुए चेहरे का राज क्या है?

मैं अपने काम से हमेशा खुश रहती हूं. दुखी वे रहते हैं, जिन्हें एक के बाद एक फिल्में करने की इच्छा होती है. वे लाइफ को सोचे बिना काम करती रहती हैं और अगर नहीं मिला, तो तनाव में चली जाती हैं. मैं जब घर पर रिलैक्स करती हूं तो अपनी मोबाइल भी बंद कर देती हूं, क्योंकि वह समय सिर्फ मेरा होता है.

रील लाइफ में भी निभाया रियल लाइफ का रिश्ता

बॉलीवुड में ऐसे कई सितारे हैं, जो रियल में पिता-पुत्र, भाई-बहन, मां-बेटे पिता-बेटी या भाई-भाई तो हैं ही लेकिन पर्दे पर भी उन्होंने अपने इसी रिश्ते को निभाया है. इनमें अमिताभ-अभिषेक बच्चन, धर्मेन्द्र-सनी-बॉबी देओल, अनिल-अर्जुन कपूर और श्रद्धा-सिद्धांत कपूर जैसे सितारों की जोड़ियां शामिल हैं.

बॉलीवुड में ऐसे कई स्टार्स हैं, जिन्होंने रियल लाइफ रिश्ते को ही पर्दे पर भी जिया है. जानें कुछ ऐसे ही रिश्तों के बारे में.

अनिल कपूर- अर्जुन कपूर (मुबारकां)

रिश्ता : चाचा-भतीजा

अगले हफ्ते रिलीज होने वाली फिल्म मुबारकां में अनिल और अर्जुन कपूर ने रियल लाइफ की तरह रील लाइफ में भी चाचा-भतीजा का किरदार निभाया है. इस फिल्म में अर्जुन कपूर डबल रोल में हैं.

श्रद्धा कपूर- सिद्धांत कपूर (हसीना : द क्वीन ऑफ मुंबई)

रिश्ता : भाई बहन

दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘हसीना : द क्वीन ऑफ मुंबई’ में श्रद्धा कपूर लीड रोल में हैं. फिल्म में श्रद्धा के अपने भाई सिद्धांत कपूर दाऊद के किरदार में नजर आएगे. यह फिल्म अगले महीने रिलीज होने वाली है.

सलमान खान-सोहेल खान (ट्यूबलाइट)

रिश्ता : भाई-भाई

हाल ही में ईद के मौके पर रिलीज हुई फिल्म ट्यूबलाइट बॉक्स ऑफिस पर तो कमाल नहीं कर पाई लेकिन लक्ष्मण और भरत के रिश्ते ने लोगों को भावविभोर कर दिया. कुछ ऐसा ही रिश्ता दोनों भाइयों के बीच असल जिंदगी में भी देखने को मिलता है.

धर्मेंद्र-सनी-बॉबी देओल (यमला पगला दीवाना)

रिश्ता : पिता-पुत्र

2011 में आई कॉमेडी फिल्म यमला पगला दीवाना में धर्मेंद्र सनी और बॉबी देओल ने असल जिंदगी जैसा ही फिल्म में रिश्ता निभाया था. इस फिल्म में सिर्फ पिता-पुत्र ही नहीं दो भाइयों के बीच का प्यार भी देखने को मिला था.

सुनील दत्त-संजय दत्त (मुन्नाभाई एमबीबीएस)

रिश्ता : पिता-पुत्र

राजकुमार निर्देशित फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस ने तो जैसे बॉक्स ऑफिस पर धमाल ही मचा दिया था. इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म ने तो जैसे सभी फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिया था. यह ऐसी फिल्म थी जिसे लोग आज भी थिएटर में देखने को तैयार हो जाएंगे. संजय दत्त द्वारा निभाया गया मुन्नाभाई का किरदार आज भी लोगों के जहन में बसा है. फिल्म में मुन्नाभाई के पिता का किरदार उनके रियल लाइफ पिता सुनील दत्त ने निभाया था. दोनों के किरदार को खूब सराहा गया था.

शाहिद कपूर-नीलिमा अजीम (इश्क विश्क प्यार वयार)

रिश्ता : मां-बेटा

अपने डेब्यू फिल्म ‘इश्क विश्क प्यार वयार’ से ही शाहिद ने बॉलीवुड में धमाल मचा दिया था. और फिल्म हिट होती भी कैसे नहीं इस फिल्म में उनकी मां जो उनके साथ थीं.

अमिताभ-अभिषेक बच्चन (सरकार)

रिश्ता : पिता-पुत्र

राम गोपाल निर्देशित फिल्म ‘सरकार’ में अमिताभ और अभिषेक ने असल जिंदगी की तरह ही पर्दे पर भी पिता-पुत्र का रिश्ता निभाया था. 2005 में रिलीज हुई यह पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म खासा लोकप्रिय हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी कमाई की थी.

सलमान खान-अरबाज खान (दबंग)

रिश्ता : भाई-भाई

इस फिल्म के बाद से ही दबंग खान के नाम से जाने वाले सलमान ने अरबाज के भाई का किरदार निभाया था. बता दें की असल जिंदगी में भी दोनों भाइयों के बीच प्यार और अपनपन दुनिया के लिए मिसाल है.

धर्मेंद्र-ईशा देओल (टेल मी ओ खुदा)

रिश्ता : बाप-बेटी

2011 में रिलीज हुई फिल्म ‘टेल मी ओ खुदा’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी. लेकिन पर्दे पर भी धर्मेंद्र और ईशा का रिश्ता असल जिंदगी के रिश्ते को चरितार्थ कर रहा था.

हुमा कुरैशी-शाकिब सलीम (दोबारा)

रिश्ता : भाई-बहन

इसी साल मई में रिलीज हुई फिल्म दोबारा में हुमा कुरैशी और शाकिब सलीम ने भाई बहन का किरदार निभाया था. आपको बता दें दोनों असल जिंदगी में भी भाई बहन हैं.

ये थी बॉलीवुड की कुछ जोड़ियां जिन्होंने सिर्फ रियल ही नहीं पर्दे पर भी वही रिश्ता निभाया. हम त बस यही कामना करेंगे की ऐसे ही इनके बीच ये रिश्ता सालों साल तक बना रहे.

बारिश के मौसम में कुछ ऐसे सुखाएं कपड़े

बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी गीले कपड़ों की वजह से होती है क्योंकि कपड़े धोने के बाद उन्हें धूप नहीं मिलती और अंदर ही सूखाने के लिए डालना पड़ता है. ऐसे में धुले हुए कपड़े अच्छे से सूख नहीं पाते और उनमें से बदबू आने लगती है. इसके लिए मॉनसून में कुछ आसान तरीके अपनाकर गीले कपड़ों को आप अच्छी तरह सूखा सकती हैं.

अच्छे से निचोड़ें

कपड़ों को धोने के बाद उन्हें अच्छे से निचोड़ कर मशीन में दो बार ड्राइ करें जिससे कपड़े जल्दी सूख जाएंगे.

अगरबत्ती

जिस कमरे में कपड़े सूखने के लिए डालें वहां कोने में एक खूशबूदार अगरबत्ती जला कर रख दें. इसके धूएं से एक तो कपड़ों में से सीलन की बदबू दूर होगी दूसरा वे जल्दी सूख भी जाएंगे.

हैंगर का इस्तेमाल

कपड़ों को अलग-अलग हैंगर में लटकाकर कमरे में सूखने के लिए रखें और खिड़कियां-दरवाजे खोल दें. इससे हवा कपड़ों के आर-पार आसानी से पहुंचेगी और वे जल्दी सूख जाएंगे.

सिरका

कपड़ों को धोने से पहले 10-15  मिनट के लिए सिरके में डुबो दें. कुछ देर बाद हल्के हाथों मल कर धो लें. इससे कपड़ों का रंग भी नहीं निकलेगा और उनकी चमक भी बनी रहेगी. इसके साथ ही कपड़े से बदबू भी नहीं आएगी.

नमक

कपड़ों के साथ कमरे में एक थैली में नमक भरकर रख दें जिससे नमक कपड़ों से मॉइश्चराइजर सोख लेगा और सूखने में मदद करेगा.

दुनिया के इन 5 शहरों में नहीं रहता है कोई इंसान

किसी भी शहर की पहचान उनमें रहने वाले लोगों और उनके काम से होती है. कोई भी घर या शहर बिना इंसानों से वीरान हो जाता है लेकिन दुनिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां कोई भी नहीं रहता और चारों तरफ सन्नाटा छाया रहता है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ शहरों के बारे में जहां फैला रहता है सन्नाटा.

बोड़ी, अमेरिका

साल 1886 में अमेरिका के इस शहर में लोहे की खदानों का पता लगाया गया. जिसे खोजने के लिए लोग यहां आकर बस गए लेकिन जब यह खदानें बंद हो गईं तो धीरे धीरे लोग इस शहर को छोड़कर जाने लगे और सारा शहर खाली हो गया.

कयाकोय, तुर्की

तुर्की से 8 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस शहर में 1923 तक काफी लोग रहते थें लेकिन धीरे धीरे यह शहर वीरान सा हो गया.

किजोंग डोंग, नॉर्थ कोरिया

नॉर्थ कोरिया में किजोंग डोंग नाम का एक गांव हैं जो एक दम खाली पड़ा है. 1953 के बाद यहां रहने वाले लगभग 200 परिवार गाव छोड़कर दूसरी जगहों पर चले गए और अपने घरों को खुला ही छोड़ गए. अब यहां इन खाली घरों के दरवाजे खुले पड़े हैं और चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. दुनिया को दिखाने के लिए यहां रात के समय लाइट्स जला दी जाती हैं और महीने में एक बार सफाई कर्मी भी आकर सड़कों को साफ कर जाते हैं.

प्रिप्यत, युक्रेन

बॉर्डर पर बसे इस शहर में न्यूक्लियर हादसे के बाद कई लोग मारे गए और बाकी लोगों के लिए इस शहर में रहना खतरनाक था. इस वजह से यहां से लोगों को दूसरी जगह पर भिजवा दिया गया और यह शहर पूरी तरह से खाली हो गया.

शंघाई, चीन

चीन के इस शहर में 9 गांवों को बसाने का काम शुरू किया गया था लेकिन 2001 में किसी वजह से यह प्रोजेक्ट रुक गया और सारा काम बंद हो गया. इस वजह से यह शहर आज बिल्कुल खाली है.

‘इश्क का रॉक्स’ लेकर आ रहे हैं पाणिनी पंडित

पाणिनी पंडित अपने समय के मशहूर अभिनेता स्व. राज कुमार के बेटे व अभिनेता पुरू राज कुमार के भाई हैं. न्यूयॉर्क फिल्म इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग लेने के बाद पाणिनी पंडित अब तक 19 लघु फिल्मों का निर्माण व निर्देशन कर चुके हैं.

अब वह बीसवीं लघु फिल्म ‘‘इश्क का रॉक्स’’ लेकर आ रहे हैं, जिससे अदाकारा नताशा सिंह वापसी कर रही हैं. पाणिनी पंडित कहते हैं, ‘‘मैं अपनी फिल्म के माध्यम से आज के युवा को समृद्ध करना चाहता हूं. मेरा मकसद उन्हें यकीन दिलाना है कि वह भी धीरुभाई अंबानी या अमिताभ बच्चन या सचिन तेंदुलकर बन सकते हैं. मेरे पिता के देहांत के बाद मेरा कोई मेंटर नहीं था. मुझे फिल्म उद्योग की कोई जानकारी नहीं थी. मैं व्यापार से जुड़ गया था. पर एक दिन मैंने महसूस किया कि मुझे तो फिल्में बनानी हैं.’’

मां बाप और बेटी का सनी लियोनी की इस फिल्म को साथ देखना मना है, पर आप यहां देखिए

अपने विवादित बयानों से हमेशा चर्चा में बने रहने वाले फिल्म डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा उर्फ रामू ने इस बार कुछ ऐसा कर दिया है कि आप खुद शर्मा जाये. सरकार-3 के फ्लॉप होने के बाद अब रामू एक वेब सीरीज लेकर आये हैं जिसे देखने के बाद आप बस ऐसा महसूस होगा की अब सब खत्म सा हो गया है, इसके बाद तो अब कुछ बचा ही नहीं देखने के लिए.

रामू ने यूट्यूब पर ‘मेरी बेटी सनी लियोन बनना चाहती है’ को पेश किया है. इसमें एक लड़की अपने मां-बाप से इस बात के लिए लड़ाई करती है कि उसे सनी लियोन जैसा बनना है.

इस 12 मिनट की वेब सीरिज में उन्होंने वो सब कुछ परोसने की कोशिश की है जो वो फिल्मो में नहीं परोस पाते हैं. यहां पर तो कोई सेंसर बोर्ड और न ही उसकी कैंची काम करती है. इसलिए रामू ने यूट्यूब का सहारा लिया और सब उगल दिया जो अभी तक वो फिल्मों में नहीं दे पाए थे.

इस फिल्म में एक लड़की अपने माता पिता से कहती नजर आ रही है कि वह सनी लियोनी की तरह बनना चाहती है. वह आजादी चाहती है, समाज की दकियानूसी सोच से. इसके साथ ही अगर आपको और संवाद जानने हैं, तो आपको पूरा वीडियो देखना होगा. फिल्म में नैना गांगुली मुख्य किरदार में हैं. इस किरदार में ढल कर उन्होंने साथ ही ये संदेश ​देने की कोशिश की है कि समाज कई बार अपनी हम पर मर्जी थोपने की कोशिश करता है, जो कि गलत है.

मैं 26 साल की विवाहित युवती हूं. जब जब हम शारीरिक संबंध बनाते हैं, तो मुझे सिर में दर्द होने लगता है. मुझे क्या करना चाहिए.

सवाल

मैं 26 साल की विवाहित युवती हूं. विवाह 6 महीने पहले हुआ है. मैं तभी से एक विचित्र परेशानी से गुजर रही हूं. जब जब हम सहवास करते हैं, उस के तुरंत बाद मुझे सिर में जोर का दर्द होने लगता है. मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? कहीं यह किसी गंभीर भीतरी रोग का लक्षण तो नहीं है? इस से बचने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? कोई घरेलू नुसखा हो तो बताएं?

जवाब

आप जरा भी परेशान न हों. यह समस्या कई युवक युवतियों में देखी जाती है. इस का संबंध शरीर की जटिल रसायनिकी से होता है. यों समझें कि यह एक तरह का कैमिकल लोचा है. जिस समय कामोन्माद यानी और्गेज्म प्राप्त होता है, उस समय शरीर की रसायनिकी में आए परिवर्तनों के चलते सिर की रक्तवाहिकाएं कुछ देर के लिए फैल जाती हैं. धमनियों में आए इस अस्थाई फैलाव से उन के साथसाथ चल रही तंत्रिकाओं पर जोर पड़ता है, जिस कारण सिर में दर्द होने लगता है.

आप आगे इस दर्द से परेशान न हों, इस के लिए आप एक छोटा सा घरेलू नुसखा अपना सकती हैं. सहवास से 40-45 मिनट पहले आप पैरासिटामोल की साधारण दर्दनिवारक गोली लें. साइड इफैक्ट्स के नजरिए से पैरासिटामोल बहुत सुरक्षित दवा है. इसे लेने से कोई नुकसान नहीं होता.

जिन्हें पैरासिटामोल सूट नहीं करती, उन्हें अपने फैमिली डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. यदि डाक्टर कहे तो नियम से प्रोप्रानोलोल सरीखी बीटा ब्लौकर दवा लेते रहने से और्गैज्म के समय सिर की धमनियों में फैलाव नहीं आता और सिरदर्द से बचाव होता है.

एक हिट के बाद पर्दे पर नजर नहीं आई ये हीरोईन

एक्ट्रेस भाग्यश्री 1988 में आई फिल्म मैंने प्यार किया में सलमान खान की लीड लेडी बनकर नजर आई थीं. लेकिन इस फिल्म के बाद उन्होंने बिजनेस मैन हिमालय दासानी के साथ घर बसा लिया था.

उसके बाद भाग्यश्री ने फिल्मों से दूरी बना ली थी और उन्हें वन फिल्म वंडर कहा जाने लगा. हाल ही में भाग्यश्री ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया कि वह क्यों शादी के बाद फिल्म इंडस्ट्री से दूर हो गई थीं.

भाग्‍यश्री ने बताया कि उनका परिवार उनके और हिमालय के रिश्ते के सख्त खि‍लाफ था. इसलिए जब हिमालय अपनी पढ़ाई के लिए अमेरिका गए तो हमने ब्रेकअप कर लिया और तभी मैंने फिल्‍म ‘मैंने प्‍यार किया’ साइन की.

भाग्‍यश्री और दासानी, दोनों ही दो अलग-अलग देशों में थे. भाग्‍यश्री ने अपने पोस्‍ट में कहा कि हालांकि हम साथ नहीं थे लेकिन पता नहीं क्‍यों मुझे लगता था कि हम भविष्‍य में साथ जरूर होंगे.

भाग्‍यश्री ने आगे बताया कि हिमालय अमेरिका से लौट आए थे और फिर भी मेरा परिवार हमारे रिश्‍ते के लिए तैयार नहीं था. ऐसे में भाग्‍यश्री ने उन्‍हें फोन किया और पूछा कि क्‍या वह इस रिश्‍ते को लेकर सीरियस हैं. मैंने उन्‍हें कहा कि मैं अभी अपना घर छोड़ रही हूं, अगर तुम मुझसे प्‍यार करते तो तो अभी आओ और मुझे ले जाओ.

अगले 15 मिनट के बाद वह मेरे घर में नीचे थे. हमने मंदिर में शादी की और उनका परिवार, सलमान, सूरज बड़जात्‍या और कुछ दोस्‍त ही हमारी शादी का हिस्‍सा बनें.

भाग्‍यश्री ने बताया कि इसके बाद ‘मैंने प्‍यार किया’ रिलीज हुई और सुपरहिट रही. मुझे कई ऑफर आए, लेकिन मेरे बेटे अभिमन्‍यु का जन्‍म भी बहुत जल्‍दी हो गया था और यही कारण था कि मैंने इसके बाद हर ऑफर के लिए मना कर दिया. मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है.

1991 में आई भाग्‍यश्री की फिल्‍म ‘मैंने प्‍यार किया’ के लिए उन्‍हें बेस्‍ट न्‍यूकमर का अवॉर्ड मिला. भाग्‍यश्री ने तमिल, तेलगु, भोजपुरी और कन्‍नड़ फिल्‍मों में भी काम किया है. भाग्‍यश्री ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत अमोल पालेकर के टीवी शो ‘कच्‍ची धूप’ से की थी.

पेरिस : सपनों का शहर

फ्रांस के उत्तर में सीन नदी के तट पर बसा है कल्पनाओं का शहर –पेरिस. फ्रांस की राजधानी पेरिस को ‘रोशनी का शहर’ और ‘फैशन की राजधानी’ भी कहा जाता है. 105.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस शहर की जनसंख्या 22 लाख है. पूरा पेरिस 20 भागों में बंटा है, जिन्हें अरौंडिसमैंट कहते हैं. 6,100 गलियों, 1,124 बार और 1,784 बेकरियों वाले इस शहर के बनने की कहानी बड़ी रोचक है.

वर्ष 1852 तक यह आम शहर जैसा ही था. उसी वर्ष नेपोलियन बोनापार्ट का भतीजा लुई नेपोलियन तृतीय राजा बना और उस ने बड़े ही जोरशोर से शहर का नवीनीकरण करना शुरू किया. बैरन हौसमैन नामक इंजीनियर को उस ने यह जिम्मेदारी सौंपी.

हौसमैन ने न सिर्फ सौंदर्यीकरण का काम किया, बल्कि शहर को अभिजात्य वर्ग में ला खड़ा करने की भी पुरजोर कोशिश की. शहर में जितनी गरीब लोगों की बस्तियां थीं, उन्हें उजाड़ कर जनता को जबरदस्ती शहर के बाहरी हिस्सों में भेज दिया गया और फिर चौड़ी खूबसूरत सड़कों, बड़ेबड़े खुले ब्लौक्स और महंगे बाजारों तथा सुंदर घरों का निर्माण किया गया.

हरियाली की कमी न हो, इस का पूरा ध्यान रखा गया. 17 साल तक यह सारा काम चलता रहा और जनता हौसमैन को कोसती, गालियां देती रही. गरीब तो गरीब, अमीरों ने भी उस का विरोध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

1870 तक जो पेरिस बन कर तैयार हुआ, उस ने सब की आंखें चौंधिया दीं. और कुछ ही समय में यह शहर पूरे यूरोप के गर्व का कारण बन गया. आज पूरे संसार में पेरिस की जो छवि है, उस का मुख्य श्रेय हौसमैन को ही जाता है.

दर्शनीय स्थल

घूमने के लिहाज से वैसे तो पूरे पेरिस शहर में कहीं भी चले जाइए, हर जगह खूबसूरती बिखरी मिलेगी, फिर भी कुछ जगहें ऐसी हैं जिन्हें देखे बिना पेरिसयात्रा अधूरी ही कहलाएगी.

एफिल टावर

फ्रांस की क्रांति की एक शताब्दी पूरी होने का जश्न मनाने के लिए 1889 में पेरिस में एक वर्ल्ड फेयर का आयोजन किया जा रहा था. इस के मुख्यद्वार के रूप में एक बड़ा और भव्य टावर बनाने का प्लान बनाया गया, जिसे बाद में तोड़ दिया जाना था. जिस कंपनी ने इस का निर्माण किया, उस के मुख्य इंजीनियर एलैक्जैंडर गुस्ताव एफिल के नाम पर इस का नाम एफिल टावर रखा गया. लोहे के जालदार काम से बनी इस संरचना की ऊंचाई 1,063 फुट है, जिस में 3 लैवल हैं और 1,665 सीढि़यां हैं.

हर लैवल पर जाने के लिए अलगअलग लिफ्ट की व्यवस्था है. पहली 2 मंजिलों पर रैस्टोरैंट आदि की भी सुविधा है. हर मंजिल से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. जैसा कि पहले से तय था, वर्ष 1909 में इसे नष्ट करने के बारे में सोचा गया, लेकिन तब तक यह जनता और सरकार, सब के दिलों में घर कर चुका था, इसलिए इसे एक बड़े रेडियो एंटीना की तरह प्रयोग करने का निश्चय किया गया. आज यह टावर पेरिस की पहचान और शान है.

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर पेरिस में घुसा तो लोगों ने एफिल टावर की लिफ्ट के केबल काट दिए, ताकि हिटलर उन के शहर की इस शान पर चढ़ न सके. हिटलर कुछ सीढि़यां चढ़ा, लेकिन फिर हार मान कर लौट गया.आज यहां पूरे संसार से हर साल 60-70 लाख लोग आते हैं. रात के समय जब पूरे टावर पर लगी 20 हजार लाइटें जगमगाने लगती हैं तब तो इस की शोभा देखते ही बनती है. इस से जुड़ा एक मजेदार तथ्य है कि मैटल से बना होने के कारण इस की लंबाई सूर्य की गरमी से प्रभावित होती है और मौसम के अनुसार 15 सैंटीमीटर तक घटतीबढ़ती रहती है.

डिज्नीलैंड पार्क

वाल डिज्नी के पात्रों और फिल्मों की थीम पर बना यह विशाल और भव्य पार्क शहर के मध्य भाग से 32 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. 4,800 एकड़ में फैला यह पार्क 1992 में शुरू हुआ. वर्ष 2002 में इसी के साथ डिज्नी स्टूडियोज का निर्माण किया गया. इन दोनों पार्कों में कुल मिला कर 57 झूले, राइड्स आदि हैं. इन के अलावा यहां रंगबिरंगी परेड, लेजर शो और तरहतरह की अन्य गतिविधियां भी होती रहती हैं. पूरे डिज्नी पार्क को

5 भागों–मेन स्ट्रीट यूएसए, फैंटेसीलैंड, एडवैंचरलैंड, फ्रंटियरलैंड और डिस्कवरीलैंड में बांटा गया है. एक भाग से दूसरे तक जाने के लिए पैदल चलने के अलावा ट्रेन से जाने की भी सुविधा है. एलिस इन वंडरलैंड, पाइरेट्स, स्नोवाइट, पीटर पैन, टौय स्टोरी आदि की थीम पर बने झूले आप को एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं. स्लीपिंग ब्यूटी का महल तो इतना सुंदर है कि देखने वाला मानो सचमुच स्वप्नलोक में ही विचरण करने लगता है. 7 रिजौर्ट, 6 होटल, कई रैस्टोरैंट, शौपिंग सैंटर और एक गोल्फ कोर्स वाले इस थीम पार्क में हर साल एक से डेढ़ करोड़ लोग आते हैं.

आर्क औफ ट्रायम्फ

फ्रांस की क्रांति और अन्य युद्धों में मारे गए शहीदों की याद में आर्क औफ ट्रायम्फ नामक गेट बनाया गया है. रोमन वास्तुकला पर आधारित इस गेट को 1806 में जीन कैलग्रिन ने डिजाइन किया था. कुछ युद्धों और शहीदों के नाम इस की दीवारों पर खुदे हुए हैं. नीचे एक चैंबर बना है, जिस में ‘अनजाने सैनिक का मकबरा’ है, जो पहले विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों को समर्पित है.

नौत्रे डेम कैथेड्रल

यह एक रोमन कैथोलिक चर्च है, जो फ्रैंच गोथिक शैली में बना है. पूरी दुनिया के कुछ अत्यंत मशहूर चर्चों में से यह एक है. यहां जीसस क्राइस्ट के क्रौस का एक छोटा हिस्सा क्राउन औफ थौर्न तथा उन के कुछ अन्य स्मृतिचिह्न भी रखे गए हैं. नेपोलियन बोनापार्ट के राज्याभिषेक के अलावा अन्य कई बड़ी ऐतिहासिक घटनाओं का यह चर्च गवाह रहा है. यहां कुल 10 बड़ेबड़े घंटे हैं, जिन में से सब से बड़ा 13 टन से भी ज्यादा भारी है और उस का नाम इमैन्युअल है.

लुव्र म्यूजियम

यह संसार के सब से बड़े म्यूजियमों में से एक है. शहर के पश्चिमी भाग में सीन नदी के दाहिने तट पर स्थित यह इमारत लगभग 60,600 वर्ग मीटर में फैली है. 12वीं शताब्दी में फिलिप द्वितीय ने इस का निर्माण एक किले के रूप में करवाया था. कई राजाओं ने इसे अपना निवास बनाया. अनेक स्वरूप और नाम बदलते हुए 10 अगस्त, 1793 को पहली बार 537 पेंटिंग्स और 184 कलाकृतियों के साथ इसे म्यूजियम का रूप दिया गया. आज इस का इतना विस्तार हो चुका है कि अगर आप यहां की हरेक कलाकृति को सिर्फ 4 सैकंड देख कर ही आगे बढ़ जाएं तो आप को पूरा म्यूजियम देखने के लिए 3 महीने का समय चाहिए.

मोनालिसा, वर्जिन औफ द रौक्स तथा हम्मूरावी की आचारसंहिता जैसी अनेक विश्वप्रसिद्ध कृतियां यहां प्रदर्शित हैं, जिन्हें देखने के लिए विश्व के कोनेकोने से यहां लोग आते हैं. इस के सामने कांच का एक विशाल पिरामिड बना है जो इस की सुंदरता में चारचांद लगा देता है.

सैंट चैपल चर्च

पेरिस में स्थित सैंट चैपल चर्च एक मध्ययुगीन चर्च है, जो 13वीं शताब्दी में बना. गोथिक शैली में बना यह चर्च अपनी स्टेन ग्लास पेंटिंग के काम के लिए प्रसिद्ध है.

लैस इनवैलिड्स

कुछ म्यूजियमों और दूसरी इमारतों का एक समूह है लैस इनवैलिड्स. यह फ्रांस के सैनिक इतिहास को दर्शाता है. इसे 17वीं सदी में लुई चौदहवें ने युद्ध में घायल सैनिकों के इलाज और बूढ़े व अपाहिज सैनिकों व उन के परिवारों को आश्रय देने के लिए बनवाया था. यहां उन का खानापीना, इलाज और रहने का इंतजाम मुफ्त में किया जाता था. नेपोलियन ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया. नेपोलियन तथा उस के परिवार के अनेक सदस्यों तथा फौज के कई मार्शलों की कब्रें भी यहीं पर हैं.

कौनकौर्ड स्क्वायर

फ्रांस की क्रांति जब हुई, उस वक्त वहां लुई सोलहवें का शासन था. उस की पत्नी मैरी एंटोनियट से जनता घृणा करती थी क्योंकि एक तो वह आस्ट्रिया के राजपरिवार की बेटी थी, दूसरे, अत्यंत फुजूलखर्ची, घमंडी और कुछ हद तक बेवकूफ थी. जनता के पास रोटी बनाने के लिए आटा भी नहीं था और वह करोड़ों रुपए अपनी विलासिता पर खर्च करती रहती थी.

जब उसे यह बताया गया कि उस के राज्य में लोगों के पास खाने के लिए रोटी नहीं है और वे भूखों मर रहे हैं, तो उस का जवाब था, ‘‘उन्हें मरने की क्या जरूरत है? अगर उन के पास रोटी नहीं है, तो वे केक क्यों नहीं खा लेते?’’ पहले से ही गुस्साई जनता और भड़क गई और लुई, मैरी व उस के पूरे परिवार को पकड़ कर मार दिया गया. जिस स्थान पर उन के सिर काटे गए वह कौनकौर्ड स्क्वायर के नाम से प्रसिद्ध है. पेरिस आने वाला हर पर्यटक इस स्थान को देखने के लिए जरूर आता है.

बारिश में रखें बालों का खास ख्याल

बारिश में भींगना, झूमना और मस्ती करना किसे अच्छा नहीं लगता. लेकिन कई बार बारिश का लुत्फ उठाने के चक्कर में हमारे बाल खराब हो जाते हैं और स्किन को भी नुकसान पहुंचता है. मॉनसून का सीजन शुरू हो चुका है. जानें ऐसे में अपने बालों ख्याल रखने के लिए आपको क्या-क्या करना चाहिए.

हेयर प्रॉडक्टस का कम इस्तेमाल करें

बारिश के मौसम में हेयर प्रॉडक्टस का कम से कम इस्तेमाल करें. बालों पर केमिकल युक्त उत्पादों का प्रयोग न करें यानी बालों को स्ट्रेट बनाने, हाईलाइट करने और हेयर स्प्रे का इस्तेमाल करने से खासकर बचें. सौम्य शैम्पू और कंडिशनर यूज करें.

बाल धोने के बाद कंडिशनर लगाएं

बालों को रोज धोएं और साफ रखें. साथ ही हर बार बाल धोने के बाद कंडिशनर का इस्तेमाल करें. लेकिन इसे स्कैल्प और जड़ों में लगाने की बजाय सिर्फ बालों के सिरों पर लगाएं.

प्रोटीन से भरपूर आहार लें

बालों की खूबसूरती बनाए रखने के लिए प्रोटीन से समृद्ध आहार का सेवन करें. ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं और खूब पानी पीएं.

गुनगुने पानी से नहाएं

बारिश के मौसम में अगर भींग जाएं तो गुनगुने पानी से नहाएं और अच्छी तरह से शरीर पोंछकर कपड़े पहनें.

गुनगुने तेल से बालों में मसाज करें

मॉनसून के दौरान चाहें तो हेयरकट कराकर बाल थोड़े छोटे रखें. साथ ही गुनगुने तेल से बालों में मसाज करें क्योंकि यह बालों को पोषण प्रदान करता है.

हेयर ड्रायर के इस्तेमाल से बचें

बारिश के मौसम में हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करने से बचें और अगर इस्तेमाल करना जरूरी हो तो बालों को पहले अच्छी तरह से सुखा लें और फिर स्कैल्प से ड्रायर को कम से कम 6 इंच दूर रखकर ही इस्तेमाल करें.

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