घर बैठे काम करना चाहती हैं आप?

अगर आप इंटरनेट पर बैठकर स्माल बिजनेस आइडिया या फिर छोटा बिजनेस कैसे शुरु करें तो आपको तमाम साइट्स मिल जाएंगी जो छोटा बिजनेस शुरू करने के बारे में आपको जानकारी देंगी. लेकिन अब हम आपको 5 ऐसे बिजनेस आइडिया बताएंगे जिससे आप घर बैठे भी बिजनेस कर सकते हैं, ऑनलाइन भी बिजनेस कर सकते हैं और पार्ट टाइम भी बिजनेस कर सकते हैं. अगर आप भी ऑन लाइन बिजनेस शुरू करना चाह रहे हैं वह भी कम लागत में तो ये बिजनेस आइडिया आपके लिए फायदे का सौदा है.

एफिलिएटेड मार्केटिंग (संबद्ध व्यापार)

आजकल तमाम ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स हैं जिनकी पहुंच करोड़ों ग्राहकों तक है. इन ई-कॉमर्स वेब साइट्स के लिए सबसे जरूरी होती है प्रोडक्ट क्वालिटी और कस्टमर सटिफैक्शन. एफिलिएटेड मार्केटिंग में आप इन ई कॉमर्स वेबसाइट्स के प्रोडक्ट्स को अपने ब्लॉग या वेबसाइट्स के जरिए अच्छी रेटिंग देकर रेफर करते हैं तो ये ई-कॉमर्स वेबसाइट्स आपको उस प्रोडक्ट की हर सक्सेसफुल सेल पर अच्छा कमीशन देती है. उदाहरण के लिए फ्लिपकार्ट के साथ आप संबद्ध होने के लिए affiliate.flipkart.com पर जाना होगा वहां अपनी डिटेल्स देनी होगी इसके बाद आपको एक लिंक मिलेगा जिसे आप अपने फेसबुक पेज, ब्लॉग या फिर वेबसाइटस पर लिंक रेफर कर सकते हैं. इसके बाद आप कमीशन का लाभ उठा सकते हैं. यह प्रक्रिया आप फ्लिकार्ट के अलावा अन्य वेबसाइट्स पर भी ये सुविधा उपलब्ध है.

ई-कॉमर्स बिजनेस सेलर

इसके जरिए आप अपने प्रोडक्ट्स को फ्लिपकार्ट के जरिए बेच सकते हैं. अगर आप अपने प्रोडक्ट्स ऑनलाइन नहीं बेच पा रहे हैं तो इस तरीके से आप एक नामी वेबसाइट के साथ जुड़कर अपने बिजनेस को बढ़ा सकते हैं. इसके लिए आपको ऐसे प्रोडक्ट्स देखने होंगे जो ऑनलाइन उपलब्ध वहीं है, ऐसे प्रोडक्ट्स को स्माल क्वांटिटी में खरीद लीजिए फिर वैट नंबर लेकर इन प्रोडक्ट्स को किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बेच सकते हैं. उदाहरण के तौर पर आप फ्लिपकार्ट मार्केटप्लेस पर इसे seller.flipkart.com पर बेच सकते हैं. यहां रजिस्टर करने के बाद अपने प्रोडक्ट्स बेच कर पैसा कमा सकते हैं.

ई-बुक्स राइटिंग

आज के दौर में पढ़ाई डिजिटल हो रही है. बच्चे लाइब्रेरी में किसी टॉपिक पर किताब तलाशने के बजाय ऑनलाइन उसी टॉपिक को सर्च करते हैं और अपने प्रॉब्लम सॉल्व करते हैं. अगर आप किसी विषय में पारंगत हैं तो आप उस विषय में ई-बुक्स राइटिंग के जरिए अपने नोट्स ऑनलाइन सेल कर सकते हैं. लोगों को नोट्स के विषय में बताने के लिए आप फ्री डेमो नोट्स दे सकते हैं साथ ही कुछ कठिन टॉपिक को मजेदार ढंग से बताते हुए वीडियो भी अपलोड कर सकते हैं. ई-बुक्स सेल करने के लिए आप blog.instamojo.com पर जाकर खुद को रजिस्टर कर लीजिए फिर अपने आर्टिकल अपलोड कर दीजिए. अगर आप लिखते हैं तो ये आपके लिए और भी अच्छा है, आप अपनी अच्छी कहानियों को ई-बुक्स के जरिए सेल कर सकते हैं. अमेजन के किंडल पर आपको अपने लेख बेचने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा आप न्यूज एप न्यूजहंट/डेलीहंट के ई-बुक्स सेक्शन में अपनी कहानियां अलोड करके सेल कर सकते है.

सेलिंग योर स्किल्स

वक्त आ गया है कि आप अपने हुनर को पहचाने. अगर आप ग्राफिक्स डिजाइनिंग में पारंगत हैं या फिर आप अच्छा लिखते हैं या आप प्रजेंटेशन अच्छा देते हैं तो आप अपने इस हुनर से पैसा कम सकते हैं. www.freelancer.com के जरिए आप अपने स्किल्स से पैसा कमा सकते हैं. वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराइए. ये एक ऑन लाइन वेबसाइट है जो आपको किसी काम के लिए टेंडर देती है. मान लीजिए कि वेबसाइट कोई लोगो बनाने का टेंडर दे रही है तो आपको बोली लगानी होगी. बोली जीतने के बाद आप लोगो बनाकर तय समय में देना होता है. इसी तरह वेबसाइट डिजाइन करके भी आप सेल कर सकते हैं. इसके बाद साइट आपसे आपके बैंक डिटेल्स की जानकारी लेगी भी पैसा आपके खाते में ट्रांसफर कर देगी.

एप बेस्ड कार कंपनी के साथ करें बिजनेस

अगर आपके पास 3-4 साल पुरानी कार अच्छी कंडीशन में है तो आप अपनी कार को एप बेस्ड कार कंपनी के साथ जोड़कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. आजकल बाजार में ओला, उबर जैसी कंपनी हैं. आपके पास अच्छी कंडीशन में एक कार और एक ड्राइवर होना चाहिए. उदाहण के लिए आप ओला कैब के साथ पार्टनरशिप करके अपनी कार को कैब सर्विस पर देना चाहते हैं तो आपको partners.olacabs.com पर क्लिक करना होगा. फिर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. कार और ड्राइवर की डिटेल देनी होगी जिसके बाद कंपनी आपसे खुद संपर्क करके आपको पैसे आदि के बारे में बताएगी.

पुराने नक्शों से घर को दें नया लुक

कई बार बच्चों को पढ़ाने के लिए हम नक्शे खरीद लेते हैं, लेकिन कुछ समय बाद जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो नक्शे भी इधर-उधर पड़े रहते हैं. अगर आपके पास भी पुराने नक्शे पड़े हुए हैं तो फिर आप उनका उपयोग कुछ अलग तरीके से कर सकती हैं.

कुर्सी पर चिपकाएं

अगर आपके पास लकड़ी की पुरानी कुर्सी है, जिसका रंग उतर गया है तो उसे भी नया लुक कुछ पुराने नक्शों की मदद से आसानी से दिया जा सकता है. बस इन नक्शों को कुर्सी पर चिपका दें और पुरानी कुर्सी को नया बनाएं.

बॉक्स सजाएं

आप लकड़ी या प्लास्टिक के साधारण डिब्बों या कार्टन में सामान भर कर रखती हैं तो उन्हें नया लुक देने के लिए उन पर नक्शे चिपका दें. पुराने डिब्बे नए से लगने लगेंगे और हर कोई आपकी रचनात्मकता की तारीफ करेगा.

सजाएं कैंडल वास

कैंडल वास के बाहर की ओर गोंद लगाएं और कोई भी छोटा नक्शा और कुछ पुराने पन्ने पूरी गोलाई में चिपका दें. जब वास के अंदर आप मोमबत्ती जलाएंगी तो नक्शा भी चमक उठेगा और रंग-बिरंगा प्रकाश बाहर आएगा.

बनाएं पेंटिंग

आपको पेंटिंग बनाने का शौक है और आप अपनी पेंटिंग्स में कुछ अलग करना चाहती हैं तो नक्शे पर पेंटिंग बनाएं. कोशिश करें कि आप कोई स्केच ही बनाएं, जिससे बैकग्राउंड में नक्शा दिखता रहे. पेंटिंग वाले इस नक्शे को फ्रेम करवाएं.

कॉस्टर से भी जानकारी

डाइनिंग टेबल पर कॉस्टर बहुत काम आते हैं. आप डाइनिंग टेबल पर खेल-खेल में बच्चों को अलग देशों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना चाहती हैं तो इन कास्टर्स की मदद लें. आपको करना केवल इतना सा होगा कि कॉस्टर्स पर विभिन्न देशों के नक्शे चिपका दें. बच्चे जब भी इनका इस्तेमाल करेंगे, देशों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेंगे. आपको भी अलग से एटलस देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सजाएं दीवार

अगर आपके पास लकड़ी का कोई बड़ा सारा पुराना फ्रेम रखा हुआ है तो पहले उसे साफ करके उस पर वार्निश कर दें. वार्निश सूखने पर उसके पीछे की तरफ बड़ा-सा नक्शा चिपका दें. अब इस फ्रेम को लिविंग रूम की दीवार पर सजा दें.

चिपकाएं शेल्फ पर

आप अपनी किसी भी शेल्फ को नए तरीके से सजाना चाहती हैं तो इसका बहुत ही साधारण तरीका इन पर नक्शे चिपकाना है. बस नक्शों को शेल्फ के आकार का काटिए और चिपका दीजिए. नक्शों को हैंडल की जगह पर न लगाएं.

पार्टी हार्ट

पार्टी डेकोरेशन के लिए किसी मोटी शीट पर खूब सारे दिल बना लें. इन दिलों पर दोनों तरफ नक्शे काटकर चिपका दें. इन सभी दिलों को पतली डोरी की मदद से आपस में जोड़ दें. तैयार है आपकी पार्टी डेकोरेशन की अनूठी लड़.

सजाएं लैंप

लैंप को नए तरीके से डेकोरेट करना चाहती हैं? लैंप शेड पर पुराना नक्शा काटकर सफाई से पूरी गोलाई में चिपका दें. जब आप लैंप जलाएंगी तो दुनिया भर के देश भी चमक उठेंगे और लैंप को भी नया लुक मिल जाएगा.

बारिश में कुछ ऐसे करें पैरों की देखभाल

पैर शरीर का अभिन्न अंग हैं. इन की देखभाल बेहद जरूरी है. मगर बारिश के मौसम में इन की देखभाल की अधिक जरूरत होती है, क्योंकि इस मौसम में पैर अधिक समय तक गीले रहते हैं, जिस से कई प्रकार की बीमारियों के होने का डर रहता है.

अधिक समय तक पैर गीले रहने और समय पर सफाई न करने से उन में फंगस लग जाता है, जिस के कारण इन्फैक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. फिर उचित देखभाल के न होने से पैर बदसूरत भी लग सकते हैं.

पेश हैं, पैरों की देखभाल से संबंधित कुछ सुझाव.

– पैरों की नियमित सफाई जरूरी है. बाहर से जब घर लौटें तो मैडिकेटेड साबुन से पैरों को धो कर सुखा लें. ऐंटीफंगल पाउडर का प्रयोग रोज करें.

– मौनसून में पैरों में कैंडीडायोसिस नामक बीमारी का अधिक होना देखा गया है. इस की वजह नमीयुक्त वातावरण, बारबार पैरों का गीला होना, जूतों में पानी रुकना आदि है. ऐसा होने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लेना आवश्यक है.

– नियमित पैडीक्योर करवाने से पैर मुलायम और नमीयुक्त रहते हैं. इस में पैरों की उंगलियों की सफाई के साथसाथ टूल्स के द्वारा पैरों का व्यायाम भी करवाया जाता है.

– पैरों के नाखूनों को समयसमय पर कर्व शेप में काटें ताकि उन में गंदगी न रहे. नाखून काटते समय क्यूटिकल न काटें, क्योंकि यह नाखून के कठोर भाग को मुलायम बनाता है, जिस से संक्रमण की आशंका कम रहती है.

– हमेशा अच्छा फुटवियर पहनें, जो हवादार हो ताकि पैर सूखे रहें.

– आजकल बंद फुटवियर भी बारिश को ध्यान में रख कर बनाया जाता है, जो थोड़ा स्टाइलिश भी होता है. इस में गम बूट, स्ट्रैपर, बैलेरिनास, रबड़ के जूते आदि लोकप्रिय हैं.

– जूते हमेशा छोटी हील वाले पहनें ताकि फिसलने का डर न रहे.

अगर आप वर्किंग हैं, तो औफिस जा कर अपने गीले पैरों को कपड़े से सुखा लें. जूतों को भी सुखा कर फिर पहनें. घर पहुंच कर सब से पहले हलके गरम पानी में 1 चम्मच सिरका मिला कर आधे घंटे तक पैरों को उस में डुबोए रखें. उस के बाद पैरों को साफ तौलिए से पोंछ कर उन पर क्रीम लगा लें.

– फंगस से छुटकारा पाने के लिए बेकिंग सोडा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह पीएच बैलेंस करने में मदद करता है. इस का पेस्ट बना कर लगाया जा सकता है या फिर जूतों में भी बुरका जा सकता है.

– किसी भी प्रकार के इन्फैक्शन से बचने के लिए एक टब में 2 बडे़ चम्मच नमक डाल कर करीब 15 मिनट तक पैरों को उस में डुबोए रखें. ऐसा रोज करने से संक्रमण नहीं होगा. यह सब से अच्छा ऐंटीसैप्टिक है.

– पानी में थोड़ी हलदी मिला कर इन्फैक्शन वाली जगह लगाने से राहत मिलती है.

– नारियल या नीम का तेल लगाने से भी फंगस कम होता है, साथ ही उस से होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है.

– अगर आप डायबिटीज की मरीज हैं, तो पैरों का और अधिक ध्यान रखना आवश्यक है. नायलौन के मौजों की जगह कौटन के मौजे पहनें. गीले मौजों को बदलने में देरी न करें. हमेशा 1 जोड़ी सूखे मौजे साथ रखें. इस मौसम में नंगे पांव बिलकुल न चलें.

सुशांत सिंह राजपूत को नहीं मिल रही कोई हीरोईन

सुशांत सिंह राजपूत के सितारे इस कदर गर्दिश में पहुंच गए हैं कि अब नई अभिनेत्रियां भी उनके साथ काम करने को तैयार नहीं है. वास्तव में कृति सैनन के साथ सुशांत सिंह राजपूत की नजदीकियों के अलावा फिल्म ‘‘राब्ता’’ प्रदर्शन से पहले सुशांत सिंह राजपूत ने मीडिया के संग जिस तरह का  व्यवहार किया, उससे उनकी बहुत गलत तस्वीर मीडिया के साथ, बौलीवुड के अन्य लोगों और उनके फैंन्स के बीच पहुंच चुकी है. उसके बाद बची हुई कसर फिल्म ‘‘राब्ता’’ की बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफलता ने पूरी कर दी.

अब बॉलीवुड में सुशांत सिंह राजपूत की गिनती बिगड़ैल, बदतमीज, अव्यवहार कुशल व अति घमंडी कलाकार के रूप में होने लगी हैं. सूत्र तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत सिर्फ मीडिया ही नहीं हर किसी के संग बदतमीजी से बात करते हैं. इसी के चलते नई अभिनेत्रियां जिन्हें अपने करियर को संवारने की चिंता है, वे सुशांत से दूरी बनाकर रखना चाहती हैं.

हां, यह एक कटु सत्य है. सूत्रों की मानें तो इसी के चलते अति महंगे बजट के साथ ही नासा में फिल्मायी जाने वाली फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’ में सुशांत सिंह राजपूत के साथ अभिनय करने से ‘दंगल’ फेम अभिनेत्री फातिमा सना शेख और फिल्म ‘मुन्ना माइकल’ से अभिनय करियर की शुरूआत कर रही अभिनेत्री निधि अग्रवाल ने मना कर दिया है. सूत्र दावा कर रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत से दूरी बनाकर रखने के ही चक्कर में कोई भी अदाकारा  फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’ में अभिनय नहीं करना चाहती हैं. मगर इस बारे में फिलहाल फिल्म के निर्देशक संजय पूरण सिंह चैहाण, निर्माण कंपनी ‘ईरोज इंटरनेशनल’, फातिमा सना शेख व निधि अग्रवाल कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं.

मगर सुशांत को पाक साफ बताने वाले उनके नजदीकी सूत्र दावा कर रहे हैं कि फातिमा सना शेख ने फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ में व्यस्तता के चलते ‘चंदामामा दूर के’ करने से मना किया है. सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि इस फिल्म में हीरोईन को अपने बाल कटवा कर छोटे करने हैं, मगर निधि अग्रवाल ने बाल छोटे करवाने की बनिस्बत इस फिल्म से दूरी बनाने का विकल्प चुना है.

चोरी की प्रजातियां और भारत रत्न

उस प्रदर्शनी में हर देश ने अपनी अपनी कारीगरी दिखाई थी. अमेरिका, जापान आदि तमाम देशों ने अपनेअपने उत्पाद सजाए हुए थे. एक जापानी खिलौने पर सारी दुनिया के लोगों की नजरें थीं जो इलैक्ट्रौनिक तकनीक से बनाया गया था. जापानी अपनी इस सफलता पर गौरवान्वित हो रहे थे कि तभी एक भारतीय ने उस स्टौल पर खड़े 2 जापानियों की नजर बचाते हुए उस पर एक टैग लगा दिया : ‘मेड इन इंडिया’. लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा और वे जापानी हैरत में पड़ गए कि यह सब एक पल में कैसे हो गया.

खैर, उन्होंने भारतीयों के दर्शन पर अध्ययन शुरू किया तो पाया कि जब यहां पहली बार मानव उत्पाद लौंच किया गया था, हमारे ग्रेट ग्रैंड अंकलों ने तभी से यह टैगिंग शुरू कर दी थी. नतीजा यह हुआ कि बहुत कम समय में यहां ढेरों जातियां बनीं जो आज फलफूल कर हजारोंलाखों में पहुंच चुकी हैं. हद तो यह है कि उन की देखादेखी चोरी और गबन जैसे अपराधों तक की भी तमाम जातियां, प्रजातियां उग आई हैं.

चोरी एक अपराध होते हुए भी ऊंची, नीची और सामान्य, तमाम जातियों में विभक्त हो चुकी है. कद्दू, लुटिया, भैंस की चोरियां गंवई मानी जाती हैं. जबकि बाइक, कार, चेन की चोरियां शहरी. मंदिर से प्रसाद की चोरी धार्मिक, अष्टधातु मूर्तियों की चोरी कलात्मक, मरघट पर अर्थियों के शेष बांसों की चोरी आध्यात्मिक मानी जाती है. कफनचोरी बुनकर जाति और पूरे ताबूत की चोरी एक वीआईपी जाति की मानी जाती है. जब कोई गारमैंट चोर कोई गारमैंट मय धारक के चुरा लाता है तो वह संवेदनशील चोरी होती है, जिसे कुछ लोग अपहरण कह कर पुकारते हैं. करचोरी अमीर जाति की मानी जाती है. नजरें चुराना बगला चोरी कहलाती है, रूपचोरी अत्यंत लोकप्रिय होती है. गुर्दाचोरी डाक्टर जाति की होती है. दिलचोरी हंस जाति की, पर मय दिलदार की चोरी श्रेष्ठतम मानी गई है. वह प्यार और शादी के कीर्तिमान तक स्थापित कर सकती है.

कामचोरी की जाति दरिद्र मानी गई है. इस के वाहक परजीवी (पैरासाइट्स) कहलाते हैं. यह सरकारी विभागों में वास करती है, पर इस की कमी दूसरी कर्मठ चोरियां पूरी करती रहती हैं. लिहाजा, सरकारें 60-65 दिनों की हड़तालों के बावजूद सुचारु रूप से चला करती हैं, इस के बावजूद तमाम काम जिस चोरी से चला करते हैं वह डिटैक्टिव चोरी कहलाती है. हाल में एक रिश्वत को चोरी का जामा पहनाने की भी कोशिश की गई है. यह चोरी किस प्रजाति की है, तय नहीं हो पाया है.

शब्दों, विचारों आदि की चोरी सर्वोच्च जाति की मानी गई है. कवि, शायर, लेखक और व्यंग्यकार इसी श्रेणी में आते हैं. चोरी में मिलावटखोरी तो सोने में सुहागे का काम करती है. मजे की बात तो यह है कि रचना की मौलिकता का शपथपत्र लिए वे लाखों लोग लाइन में लगे मिलते हैं जो माल एक, ब्रांड सौ, रैपर हजार और पैकिंग लाख वाली मसल में विश्वास करते हैं, पर इस के बावजूद कुछ लोग विशुद्ध चोरी के उपासक होते हैं. एक बड़े अंगरेजी अंतर्राष्ट्रीय दैनिक के सहसंपादक ने एक दशक पहले इंगलैंड के एक टैब्लौयड का एक आर्टिकल चोरी कर के बिना किसी मिलावट के हूबहू अपने पत्र में छपवा डाला था. अत: उन को वांछित प्रशस्तिपत्र के साथ जो ससम्मान विदाई दी गई थी, मैं आज तक नहीं भुला सका हूं. ऐसी चोरियां गुरूघंटालों के दिल में वास करती हैं. वैसे आजकल मिलावटी वाली ज्यादा प्रचलन में हैं जिन के पकड़े जाने की संभावनाएं न के बराबर होती हैं. उन पर तमाम इनामों की व्यवस्था अलग से हुआ करती है.

मुझे इस धंधे में पड़े लगभग 48 साल हो चुके हैं, पर कभी पकड़ा नहीं गया इसलिए अभी भी शाह ही कहलाता आ रहा हूं. हां, जब कभी इनाम की लालसा की तो दोस्त रूपी दुश्मनों ने और समझाया, हताश किया, ‘उस के लिए दारू, पैलगी, खुशामद और सैटिंग जैसी तमाम औपचारिकताएं तुम्हारे वश की बात    नहीं है.’

हां, कुछ दोस्तों ने यह दिलासा अवश्य दिलाया, ‘संभव है कि पिछले दिनों भारतरत्न पर मची छीछालेदर से आहत कुछ लोग संसद में एक ऐसा प्रस्ताव ले आएं कि हर वरिष्ठ नागरिक की उम्र को ही एक योग्यता मान कर एक भारतरत्न बांटा जाए तो उस दशा में तुम्हारा नंबर  जरूर लग सकता है.’  

– अमर कांत निगम

घर पर लंच सस्ता और अच्छा

दोस्तों के साथ मस्ती करना और लंच डिनर पर जाना भला किसे नहीं भाता, लेकिन यह शौक कई बार काफी महंगा साबित होता है, जिस से परेशानी तो होती ही है. क्यों न इस बार कुछ ऐसा करें कि दोस्तों के साथ लंच भी हो जाए और जेब पर कोई भार भी न पड़े, अगर अपने घर पर ही लंच प्लान किया जाए तो यह काफी फायदेमंद तो होगा ही साथ ही ऐंजौयमैंट भी कहीं ज्यादा होगा. आइए जानें कैसे.

सभी पोषक तत्त्व मिलते हैं

अगर आप बाहर एक पावभाजी भी खाने जाते हैं तो वह उसे बनाने में कई बार कई दिन पुरानी सब्जियां भी इस्तेमाल में ले लेते हैं, क्योंकि सब्जियों के मैश होने के बाद उन का पता नहीं चलता, वहीं अगर आप इसे घर पर बनाएं तो आप अच्छी क्वालिटी की मौसमी सब्जियों का ही इस्तेमाल करेंगे.

इस के अलावा उन्हें आप इस तरह पकाते हैं कि उन के सभी पोषक तत्त्व आप को मिलें, क्योंकि आप को उन्हें कम मात्रा में बनाना है और बनाने की इतनी जल्दी भी नहीं होती.

आप उन्हें अपने हिसाब से बनाते हैं लेकिन बाहर एकसाथ बहुत अधिक मात्रा में खाना बनता है इसलिए क्वालिटी के साथ समझौता हो ही जाता है. साथ ही घर में अच्छी और पौष्टिक सब्जियों का उपयोग किया जाता है. अच्छे घीतेल का प्रयोग किया जाता है.

आप की कुकिंग स्किल निखरती है

अगर आप को खाना बनाने का शौक है और किसी को पूरा खाना बना कर खिलाने का मौका कम ही मिलता है तो अपना यह शौक पूरा कर सकती हैं. जो भी डिश आप को अच्छी बनानी आती है या फिर जिसे ट्राई करने का मन था वह अब ट्राई करें. आप के द्वारा बनाए गए अच्छे खाने को खा कर सिर्फ आप के दोस्त ही नहीं बल्कि आप के परिवार वाले भी हैरान रह जाएंगे और आप का यह लंच उन के लिए भी किसी सरप्राइज से कम नहीं होगा.

ऐंजौयमैंट ज्यादा होता है

बाहर के मुकाबले घर में ऐंजौयमैंट ज्यादा होता है, क्योंकि बाहर तो आप को खाना खाते ही रैस्टोरैंट से उठ कर जाना पड़ता है, लेकिन घर में काफी अच्छा वक्त गुजारा जा सकता है और अपनी पसंद के तरहतरह के गेम्स खेल सकते हैं, जीतने वाले को छोटामोटा गिफ्ट भी दिया जा सकता है, घर में साथ में मूवी देख कर भी टाइम स्पैंड किया जा सकता है.

वैराइटी ज्यादा मिलती है

बाजार में आप 2-3 वैराइटी ही ले सकते हैं लेकिन घर पर कई तरह की वैराइटी कम कीमत में बनाई जा सकती है. आप चाहें तो मिक्स ऐंड मैच कर के भी ले सकते हैं जैसे कि बर्गर या पिज्जा के साथ छोलेभटूरे आदि भी रख सकते हैं. साथ में एक चायनीज डिश जैसे चाउमीन आदि भी रख सकते हैं. इस से सब को अपनी पसंद की वैराइटी मिल जाएगी.

कई लोगों की मदद मिलती है

अगर लंच पर कुछ लोग आ रहे हैं तो आप मेड की मदद भी ले सकती हैं और लंच वाले दिन से पहले ही सब्जी आदि काट कर, टमाटर ग्रेवी बना कर रख सकती हैं, मां की मदद भी खाना बनाने में ले सकती हैं, जो काम उन्हें पसंद है वह उन्हें और भाईबहनों को बताया जा सकता है, जैसे टेबल मैनेज करना, ड्राइंगरूम सही करना आदि. चाहें तो यह लंच पूल कर के भी कर सकते हैं, जिस में आने वाले मेहमान भी एकएक डिश बना कर लाएं और सब मिल कर साथ खाएं.

इंग्रीडिऐंट्स का पता होता है

कई बार कुछ लोगों को किसी खास चीज से एलर्जी होती है और उसे खाने पर उन की तबीयत बिगड़ने लगती है, उन के लिए वह खाना अच्छा नहीं रहता. बाहर के खाने में आप पता नहीं कर सकते कि किस खाने में क्या है, लेकिन घर में खाना बन रहा है तो दोस्त की पसंदनापसंद को ध्यान में रखा जा सकता है जैसे कि अगर किसी दोस्त को अदरक से एलर्जी है, तो अदरक न डाली जाए या फिर एक बाउल सब्जी निकाल कर दोबारा बना ली जाए. इस के अलावा जैसे अगर किसी दोस्त को शुगर है और आप टमाटो सूप बना रहे हैं तो उस का एक बाउल सूप अलग निकाल कर फिर चीनी मिक्स करें.

सफाई से बनता है

अगर घर पर खाना बना रहे हैं तो उसे बनाने में साफसफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. सब्जियों को अच्छी तरह धोया जाता है, आटे को छाना जाता है और पूरी सफाई के साथ खाना बनाया जाता है, लेकिन बाहर के खाने में साफसफाई का कितना ध्यान रखा जाता है इस बारे में आप पूरी तरह से श्योर नहीं हो सकते.

नई रैसिपी भी ट्राई कर सकती हैं

लंच में आप चाहें तो एक नई रैसिपी भी ट्राई कर सकती हैं. फिर चाहे वह रैसिपी कोई छोटा सा स्नैक्स ही क्यों न हो. इस से आप को खुद पर कौन्फिडैंस आएगा कि आप भी कुछ अच्छा बना सकते हैं. जैसे कि पनीर कुल्चा बना सकते हैं इस में आप को कुछ नहीं करना, बस, पनीर मैश कर मसाला मिलाना है और 2 कुलचों के बीच पनीर लगा कर सेंक लें. यह खाने में पिज्जा जैसा लगता है और बनाने में सैंडविच बनाने जितना आसान है. इस तरह आप ने नई डिश भी ट्राई कर ली.

सस्ता भी पड़ता है

अगर आप बाहर खाने जा रहे हैं, तो खाने की कीमत वैसे तो रैस्टोरैंट के स्टैंडर्ड के हिसाब से होती है, लेकिन फिर भी किसी रैस्टोरैंट में कीमत कितनी भी कम क्यों न हो वहां खाना घर के खाने से कई गुना महंगा ही पड़ेगा. एक दाल की कीमत ही 200 रुपए तक होती है. ऐसे में आप अगर रायता, सलाद, पापड़ आदि मांगने लगें तो हर चीज की कीमत देनी पड़ती है, जोकि घर में काफी सस्ता पड़ता है.                           

इन बातों का रखें ध्यान

–       उतने ही लोगों को बुलाएं जितने लोगों का अरेंजमैंट आप सही से कर पाएं.

–       खाने के साथसाथ कुछ गेम्स आदि भी रखें, ताकि बाहर जैसा ऐंजौयमैंट मिल सके.

–       अगर आप को लगे कि किसी हैल्पिंग हैंड की जरूरत है, तो पहले ही अपनी मेड या अन्य किसी से बात कर के रखें.

–       जो काम पहले दिन किए जा सकते हैं उन्हें पहले दिन कर लें जैसे आप अगर अपने दोस्तों को पिज्जा पार्टी दे रहे हैं तो पिज्जा के लिए सभी सब्जियां आदि पहले ही दिन चाप कर के रख लें, बाजार से कोल्डड्रिंक, चीज, चिप्स आदि जो भी सामान लाना है, पहले ही दिन ले आएं.

–       अगर लोग ज्यादा हैं तो बैठने का इंतजाम कैसे और कहां करना है, यह भी पहले ही सोच लें. जैसे कि अगर जगह कम है तो ड्राइंगरूम का सोफा आदि दीवारों के किनारे लगा दें और बीच में डाइगिंन टेबल की कुरसियां आदि डाल दें.

–       डाइनिंग टेबल को भी सही से पहले से ही सैट कर दें. वैसे अच्छा तो यही रहेगा कि आप वहां से बुफे सिस्टम लगा दें. सभी लोग वहां से प्लेट लगा कर अपनीअपनी जगह पर बैठ कर खाना खा लें. इस से आप का भी एकएक को परोसने का काम बचेगा, जिस को जो चाहिए खुद टेबल पर से ले लेगा. 

जेब पर भारी चटोरी जबान

13 वर्षीय सान्या बहुत चटोरी है, उसे अपने खानेपीने पर जरा भी कंट्रोल नहीं है. सुबह उठते ही उसे चिप्स, फ्रैंच फ्राइज, चौकलेट्स और कोल्डडिं्रक चाहिए. जहां उस की क्लास के और बच्चे घर से लंच ले कर आते हैं. वहीं वह लंच टाइम में स्कूल कैंटीन में पहुंच जाती है, क्योंकि उसे घर का सादा खाना बिलकुल नहीं भाता. उसे रोज कुछ नया, चटपटा और फ्राइड चाहिए. अपनी इसी चाहत की खातिर वह अपने जेबखर्च का एक बड़ा हिस्सा अपने खानेपीने पर खर्च कर देती है.

खाने की शौकीन और जबान की चटोरी सान्या जैसे किशोर खाने के लिए कभी ना नहीं कहते और उन की यही ओवरईटिंग और चटोरी जबान उन्हें मोटापे की ओर ले जाती है, जिस के चलते उन्हें कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. नतीजतन, वे अस्वस्थ रहने लगते हैं और उन्हें दवा और वजन कम करने के लिए जिम पर भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं, जिस से चटोरी जबान जेब पर और भी भारी पड़ती है.

ऐसी चटोरी जबान वालों को पता होता है कि शहर के किस रैस्टोरैंट में कौन सी चीज अच्छी मिलती है. कहां सभी वैराइटी के पकौड़े, मटरकुलचे या इटालियन फूड मिलता है. गरमागरम जलेबियां किस वक्त मिलती हैं और किस गली में कितने नंबर की दुकान पर खस्ता गोलगप्पे व चाट मिलती है. परांठे वाली गली में कब, कितने बजे आलू का, कब गोभी का परांठा बनता है और उस के साथ कौन सी चटनी या कौन सा अचार मिलता है?

अपनी चटोरी जबान के कारण ऐसे किशोर पूरे शहर की खाक छानने को भी तैयार रहते हैं. उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि फलांफलां ईटिंग पौइंट घर से कितना दूर है, वहां जाने में कितने पैसे खर्च होंगे, उन्हें तो बस वह डिश खा कर अपनी चटोरी जबान को तृप्त करना होता है, फिर चाहे उन्हें इस का खमियाजा किसी भी रूप में क्यों न भुगतना पड़े.

जिन की चटोरी जबान होती है वे अपने खानेपीने पर जरा भी कंट्रोल नहीं रख पाते और जहां उन्होंने अपनी पसंद का खाना देखा, बिना कुछ सोचेसमझे खाने का और्डर दे देते हैं और उस पर टूट पड़ते हैं.

वे न तो उस खाने की क्वालिटी देखते हैं और न ही यह देखते हैं कि उस की कीमत बहुत ज्यादा तो नहीं, उस की क्वालिटी बेकार तो नहीं. कई बार फूड पौइंट्स में ऊंची दुकान फीके पकवान वाली बात भी होती है, लेकिन चटोरी जबान यह भला कहां देखती है.

शान की खातिर

तुगलकाबाद के किशोर अतुल ने अपने दोस्त रमेश से कहा, ‘‘अरे, तू ने कमला नगर के ईटिंग पौइंट का पास्ता और चिल्ली पोटैटो नहीं खाया, तो फिर कुछ नहीं खाया. थोड़ा महंगा है पर खा कर मजा आ जाता है. मैं तो हफ्ते में एक बार वहां जरूर जाता हूं.’’

अतुल की बात से रमेश को बड़ी हैरानी हुई. महज 100-200 की चीज खाने हेतु इतना किराया और समय वेस्ट कर देता है अतुल सिर्फ चटोरी जबान के कारण.

कुछ चटोरी जबान वाले किशोर तो सिर्फअपने दोस्तों पर अपना इम्प्रैशन जमाने के चक्कर में महंगे रैस्टोरैंट में जाते हैं और महंगी डिशेस और्डर करते हैं भले ही ऐसा करने में उन की जेब ही क्यों न खाली हो जाए, उन्हें कोईर् फर्क नहीं पड़ता.

भारत फास्ट फूड दुनिया के पहले देशों में से एक बनता जा रहा है. अब यहां भी कईर् ऐसे रेस्तरां हैं जहां सिर्फ फास्ट फूड ही मिलता है यानी हर मोड़ पर ऐसे रेस्तरां भरे पड़े हैं जो चटोरी जबान वाले किशोरों को अपनी ओर खींचते हैं और चटोरी जबान वाले किशोर अपनी जेब और सेहत दोनों की अनदेखी करते हुए ख्ंिचे चले जाते हैं.

जेब के साथ सेहत पर भी भारी

कुछ क्या सभी किशोरों में आदत होती है मूवी देखते हुए, म्यूजिक सुनते हुए, चिप्स खाना और कोल्डड्रिंक पीना. अपनी इस आदत के चलते वे अपनी पौकेट मनी का एक बड़ा हिस्सा तो खर्च कर ही देते हैं बदले में अपनी सेहत के साथ भी खिलवाड़ करते हैं.

लंदन में एक शोध में पता चला है कि आकलू के चिप्स या फै्रंच फ्राइज खाने से व्यक्ति की बुद्धि घट जाती है और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. शोध में डाइटीशियन अन्ना पेत्रिना ने कहा, ‘‘जो लोग नियमित रूप से फास्ट फूड खाते हैं, उन के मस्तिष्क के फ्रांटल लौब पर जोकि निर्णय लेने की क्षमता, बुद्धि, आत्मसंयम और भावनाओं को नियंत्रित करता है, बुरा असर पड़ता है.’’

किशोरों में तो फास्ट फूड का क्रेज इतना बढ़ गया है कि वे जब देखो पिज्जा, बर्गर, पास्ता जैसे फास्ट फूड खाने के लिए तैयार रहते हैं और जहां तक फास्ट फूड खाने का सवाल है तो उस का मूल्य देशी खाने समोसे, कचौड़ी के मूल्य से कहीं अधिक होता है, जो जेब पर भारी पड़ने के साथ ही किशोरों के स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ता है.

अगर आप की भी जबान चटोरी है और आप का उस पर काबू नहीं, तो अपनी जबान पर थोड़ा कंट्रोल कीजिए और अपनी मनपसंद चीज को प्रतिदिन न खा कर सप्ताह में एकाध बार खाएं. ऐसा करने से आप का खर्च भी बचेगा और आप की सेहत भी अच्छी रहेगी.                                        

एक एक्शन फिल्म करना चाहती हूं : अथिया शेट्टी

साल 2015 में प्रदर्शित फिल्म ‘हीरो’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली अथिया शेट्टी, अभिनेता सुनील शेट्टी की बेटी हैं. फिल्मी माहौल में ही पली बढ़ी हुई अथिया को बचपन से ही अभिनय का शौक था. आईने के आगे दुपट्टा लेकर, आंखों में काजल डालकर वे करीना कपूर की तरह डांस किया करती थी.

अथिया एक स्पोर्ट्स पर्सन भी हैं. वे फुटबाल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, ट्रैक एंड फील्ड रनिंग जैसे कई खेल, खेलती हैं. अथिया अपने पिता की एक्शन फिल्मों से बहुत अधिक प्रभावित है. उन्हें अपनी पहली फिल्म की सफलता से आगे बढ़ने का हौसला मिला और अब वे आगे, और अच्छी फिल्में करना चाहती है.

स्वभाव से नम्र और हंसमुख अथिया की दूसरी फिल्म ‘मुबारका’ के प्रमोशन पर हमने उनसे मिलकर बातचीत की. पेश हैं इस खास बातचीत के कुछ अंश…

प्र. दूसरी फिल्म में इतनी देरी क्यों हुई? इसमें क्या एक्साइटमेंट लगी?

– मेरे हिसाब से पहली फिल्म आपको चुनती है, लेकिन इसके बाद दूसरी फिल्म आप खुद ही चुनते हैं और फिर जर्नी शुरू होती है. मेरे लिए सबसे अधिक जरुरी था, एक अच्छी फिल्म के लिए धैर्य रखना. इस दौरान मुझे काफी स्क्रिप्ट फीमेल ओरिएंटेड मिल रही थी, पर मुझे उसमें कुछ एक्साइटमेंट वाली बात नजर नहीं आ रही थी. मुझे एक अच्छी स्क्रिप्ट, एक अच्छे निर्देशक और एक अच्छा बैनर चाहिए था. मैं खुश हूं कि वह सब मुझे मिला.

‘मुबारका’ के दौरान जब नैरेशन शुरू हुआ, तो मेरी भूमिका और फिल्मी नाम बिंकल सुनकर मैं खुश हो गयी. इस फिल्म में मैं, एक सरदारनी की भूमिका निभा रही हूं. और बस इस तरह मुझे लगा कि ये फिल्म मुझे करनी है.

प्र. इस भूमिका से आप अपने आपको कितना रिलेट कर पाती हैं?

– मुझमें और इस भूमिका में काफी समानता है. मैं भी बहुत साधारण हूं, केयर फ्री हूं और छोटी-छोटी चीजो से मुझे खुशी मिलती है. जैसे कि रविवार को अगर मैं दादा-दादी के घर लंच करने जाती हूं तो, मुझे उसमें खुशी मिलती है. मैं भी मटेरियल से ज्यादा इमोशन्स पर विश्वास करती हूं. मैं दादा-दादी की पेम्पर्ड चाइल्ड हूं. जब मैं लन्दन में इस फिल्म की शूटिंग कर रही थी और मेरे दादाजी का स्वर्गवास हो गया था, तो मुझे बहुत धक्का लगा था, लेकिन खुशी इस बात से हुई थी कि उन्होंने मुझे काम करते हुए देखा और उनकी चाहत यही थी कि मैं हमेशा काम करूं.

प्र. परिवार की जिम्मेदारियों को आप कैसे शेयर करती है?

– मुझे बचपन से सब कुछ मिला है, मेरा बचपन बहुत ही अच्छा रहा है. दादा-दादी, माता-पिता से बहुत प्यार मिला है. अब मैं चाहती हूं कि वे लोग हमेशा खुश रहें, इसलिए उन्हें वो सब कुछ देने की कोशिश करती हूं.

जिम्मेदारियां ‘मैचुरिटी’ के साथ आती हैं और आप समझने लगते हो कि आपको, आपके परिवार ने क्या दिया है. ऐसे बहुत से बच्चों को मैं देखती हूं, वे बात को समझने की कोशिश नहीं करते, पर मुझे याद है कि मैंने अपने बचपन का बहुत सारा समय दादा-दादी के साथ बिताया है. उन्हें खुश रखूं, यही मेरी इच्छा रहती है.

प्र. पिता के ‘गुडविल’ को आप कैसे मेंटेन करती है?

– मैं हमेशा उसे बनाये रखने की कोशिश करती हूं, क्योंकि आपका स्वभाव आपके चेहरे, आँखों और पूरे व्यक्तित्व पर होता है. जो पर्दे पर दिखाई पड़ता है. अच्छी मानसिकता रखने वाला इंसान ही अच्छा परफोर्मेंस दे सकता है. जितना भी सफल आप हो जायें, लेकिन अगर आप सिंपल नहीं हैं तो, वो सफलता आपके पास नहीं रह सकती. मेरे लिए मेरी टीम सबसे ऊपर है, जिन्होंने मुझे इस लेवल पर लाकर खड़ा किया है.

प्र. पिता की किस बात को आप जीवन में उतारती है?

– उन्होंने हमेशा कहा है कि आप जो भी काम करें उसमें आत्मविश्वास रखें. आप क्या हैं और क्या कर सकती हैं, ये समझना बहुत जरुरी होता है. ये सही भी है. अगर आप खुद अपने काम से खुश नहीं है, तो दूसरे को खुशी नहीं दे पाएंगे.

प्र. आपकी पहली कमाई आपने किसे दी थी या उससे क्या खरीदा?

– मुझे याद आता है, जब मुझे पहला ‘चेक’ मिला था तो, मैंने अपने दादाजी को दिया था, क्योंकि बचपन से मैंने उनकी आधुनिक सोच को देखा था. उन्हें हर ऐसी लड़की पसंद है जो अपने पैरों पर खड़ी है या उसका अपना एक वजूद है. शादी करो या मत करों, लेकिन स्वावलंबी बनो.

उनके गुजरने के बाद भी ये महसूस हुआ कि वे मुझसे खुश हैं, क्योंकि मैं एक फिल्म के सेट पर हूं. मैं जब घर पर होती थी तो वे पूछा करते थे कि मैं काम क्यों नहीं कर रही हूं.

प्र. फिल्मों में अन्तरंग दृश्य करने में आप कितना सहज महसूस करती हैं?

– अभी तक तो मैंने कोई अन्तरंग दृश्य नहीं किया है, क्योंकि ‘हीरो’ फिल्म में ऐसे दृश्य नहीं थे. इस फिल्म में भी ऐसा कुछ नहीं है. मैं ऐसे दृश्य नहीं करुंगी, ऐसा मैं नहीं कह सकती, लेकिन अगर मैं कम्फर्टेबल नहीं हूं, तो शूट नहीं करुंगी. आगे क्या करुंगी, ये तो स्क्रिप्ट और चरित्र पर निर्भर करता है.

प्र. अभिनय के अलावा और क्या-क्या करना पसंद करती हैं?

– मुझे डांस बहुत पसंद है. इसके अलावा ट्रेवलिंग पसंद है. भारत में ताजमहल घूमने का शौक है.

प्र. आपका ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

– मुझे एक एक्शन फिल्म करनी है. मुझे लगता है कि मैं अपने पापा को कॉम्पिटिशन दे सकती हूं. मैं मार्शल आर्ट करती हूं. मैं एक एथलीट पर्सन भी हूं और अगर बायोपिक करना हो तो किसी स्पोर्ट्स पर्सन की बायोपिक करना चाहूंगी.

प्र. आपकी दादी और मां बहुत फैशनेबल हैं, आपने उनसे भी कुछ सीखा?

लोग मुझे ‘फैशनिस्ता’ कहते हैं, पर मैं हूं बहुत सिंपल. मैं अधिकतर इंडियन ड्रेसेज पहनती हूं और अपनी मां के परिधानों से काफी प्रभावित हूं. ट्रेंड और स्टाइल तो आता जाता रहता है, पर जरुरी होता है कपड़े को ठीक तरह से कैरी करना.

प्र. आप मानसून में खुद की देखभाल कैसे करती हैं?

किसी भी मौसम में, मैं पानी अधिक पीती हूं. सनब्लॉक क्रीम का प्रयोग करती हूं और सबसे जरुरी हमेशा खुश रहती हूं.

इन टीवी एक्ट्रेसों की कमाई जान हैरान रह जाएंगी आप

मशहूर टीवी एक्‍ट्रेस जेनिफर विंगेट हाल ही में ‘बेहद’ सीरियल के लिए अपने लुक को लेकर चर्चा में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उनकी पॉपुलरिटी को देखते हुए सीरियल के निर्माताओं ने एक एपिसोड के लिए मिलने वाली उनकी फीस को 80 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दी है. इसके साथ ही जेनिफर छोटे पर्दे की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल हो गईं हैं. आज हम आपको सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेस के बारे में बताने जा रहे हैं.

दिव्यांका त्रिपाठी

‘ये है मोहब्बतें’ में इशिता का पॉपुलर किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी एक एपिसोड के लिए 1 लाख रुपए फीस लेती हैं.

साक्षी तंवर

मशहूर टीवी एक्ट्रेस साक्षी तंवर अपने शो के एक एपिसोड के लिए 1.25 लाख रुपए फीस लेती है. साक्षी के सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ और ‘कहानी घर-घर’ की सुपरहिट रहे हैं.

देवोलीना भट्टाचार्य

‘साथ निभाना साथिया’ में गोपी बहु का मशहूर किरदार निभाने वाली देवोलीना भट्टाचार्य को एक एपिसोड के लिए 90 हजार रुपए फीस मिलती है.

सृति झा

‘कुमकुम भाग्य’ प्रज्ञा का किरदार निभाने वाली सृति झा को एक एपिसोड के लिए 60 हजार रुपए फीस मिलती है.

हिना खान

हाल ही में ‘खतरों के खिलाड़ी’ सीजन 8 के जरिए छोटे पर्दे पर वापसी करने वाली एक्ट्रेस हिना खान भी 1 एपिसोड के लिए 1 लाख रुपए चार्ज करती हैं.

बॉलीवुड अभिनेत्रियों को इस बात से लगता है डर

डर तो सभी को लगता है फिर वो चाहे किसी जानवर से हो या किसी और चीज से. लेकिन जब बात हो बॉलीवु़ड अभिनेत्रियों की तो जाहिर है उनकी तरह उनके डर भी अजीब होंगे जो आपको हैरान भी कर देंगे और आपको मुस्कराने पर मजबूर भी कर देंगे. तो आइये जानते है बॉलीवुड हीरोइन के अजीबोगरीब डर के बारे में.

आलिया भट्ट

प्रसिद्ध फिल्म निर्माता महेश भट्ट की बेटी और बॉलीवु़ड अभिनेत्री आलिया भट्ट को अंधेरे से बहुत डर लगता है. और डर से खौफ भी ऐसा कि वो एक मिनट भी अंधेरे में नहीं रह पातीं.

कटरीना कैफ

बॉलीवुड की टॉप हीरोइनो में शामिल कटरीना कैफ का डर वास्तव में एक फोबिया के अंतर्गत आता है जो काफी अजीब है. कटरीना कैफ को टमाटर से डर लगता है, अब चाहे कुछ लोग इसे अजीब कहे लेकिन जो सच है वो तो है.

अनुष्का शर्मा

खुबसूरत अभिनेत्री अनुष्का शर्मा को बाइक राइडिंग से बहुत डर लगता है. हालांकि वो ‘जब तक है जान’ और ‘रब ने बना दी जोड़ी’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. इनके अलावा वह कई फिल्मो में बाइक पर सीन भी दे चुकी हैं.

दीपिका पादुकोण

दीपिका पादुकोण सांप से बहुत डरती हैं. वैसे बात तो सही है दुनियां में शायद ही कोई होगा जिसे जहरीले सांपो से डर न लगता हो.

प्रियंका चोपड़ा

बॉलीवुड से हॉलीवुड का सफर तय कर चुकी प्रियंका चोपड़ा को घोड़ों से डर लगता है.

बिपाशा बासु

बॉलीवुड की खूबसूरत हॉट एंड सेक्सी अभिनेत्री बिपाशा बासु को छिपकली से डर लगता है, वो भी इतना डर कि वो छिपकली को देख भी नहीं सकतीं.

करीना कपूर

अनुष्का शर्मा की तरह करीना कपूर भी बाइक राइडिंग से बहुत डरती हैं. लेकिन ऐसे अनेक फिल्मी दृश्य है जिसमे यह बाइक राइडिंग करते हुए दिखाई गयी हैं.

सोनम कपूर

बॉलीवुड की नीरजा सोनम कपूर को लिफ्ट से बहुत डर लगता है.

विद्या बालन

बॉलीवुड की टैलेंटेड हीरोइन विद्या बालन को बिल्ली से डर लगता है.

सेलीना जेटली

खुबसूरत सैलीना जेटली को तितली से लगता है डर.

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