चाहिए परफेक्ट बीच लुक तो..

क्या आप गर्मियों में बीच के आसपास छुट्टियां बिताने की सोच रही हैं? अगर हां तो समुद्र के पास गर्मियों की छुट्टियां बिताना बेस्ट च्वॉइस है और बीच पर फोटो लेने का मजा ही कुछ ओर है. लेकिन आप अगर अपनी फोटो को और अधिक यादगार बनाना चाहती हैं तो अपने बीच लुक पर ध्यान देना ना भूलें.

जी हां, बीच लुक के लिए सही आउटफिट, बेहतर सनग्लास और फुटवियर्स का होना जरूरी है. तो चलिए जानते हैं कैसे आप बीच लुक में आकर्षक लग सकती हैं.

सारोंग

प्रिंटेड से लेकर ओंब्रे सारोंग का बीच पर पहनना खूब चलन है.

बीड्स एंड शेल्‍स

बीच मूड बनाने के लिए रूटीन के नेकलेस छोड़कर बीट्स और शेल्स पहनें. स्टार फिश नैकपीस परफेक्ट बीच एक्ससरीज हो सकते हैं.

एंकल टाय और एंकलेट्स

जब आप अपना सेक्सी स्विमवीयर शो करेंगी तो एंकलेट्स आपके लुक में चार चांद लगा देंगे.

स्कार्फ

स्कार्फ आपके लुक को और बेहतर बनाएगा. आप इसे बालों पर भी बांध सकती है ये आपके बालों को सूरज की रोशनी से भी बचाएगा. आप स्कार्फ को नेक के आसपास भी पहन सकती हैं.

हैट

बीच लुक के लिए घुमावदार बड़ी गोल हैट का चयन करें. ये आपको धूप से भी बचाएगी और आकर्षक लुक भी देगा. आप चाहें तो फ्लोपी हैट भी पहन सकती हैं.

फुटवियर्स

बीच पर फुटवियर्स कंफर्टेबल होनी चाहिए. हील्स ना पहनें. बीच पर ऐसे फुटवियर्स पहने जो मिट्टी में भी आराम से आपके पैरों में जमे रहें.

व्हाट्सएप ने संवारा अमी मिश्रा का करियर

बॉलीवुड सपनों व संभावनाओं की जगह है जहां हर तरह के रचनात्मक काम को लेकर असीमित संभावनाएं हैं. बॉलीवुड में कदम रख रही नई प्रतिभाएं नई नई तकनीक का सहारा लेकर अपने करियर को संवारने में व्यस्त हैं तथा निरंतर सफलता भी दर्ज करा रही है.

तीन वर्ष पहले जब मंडला, मध्यप्रदेश निवासी अमी मिश्रा बिना संगीत का खास प्रशिक्षण लिए मुंबई महानगरी पहुंचे, तो वह बॉलीवुड में किसी को नहीं जनते थें. ऐसे में उन्होंने आधुनिक तकनीक यानी कि व्हाट्सएप का साथ पकड़ा. उन्हें पहली बार में ही सफलता मिल गयी.

मुंबई पहुंचने के बाद अमी मिश्रा ने अपनी पसंद की संगीत की धुन तैयार की, उस पर एक गीत ‘‘हंसी बन गए हो..’’ लिखवाया. इस गीत को खुद की आवाज में स्वरबद्ध कर फिल्म निर्माता मुकेश भट्ट को उनके व्हाट्सएप पर भेज दिया. एक सप्ताह बाद मुकेश भट्ट ने उन्हें बुलाया और उनका यह गीत फिल्म ‘हमारी अधूरी कहानी’ का हिस्सा बन गया.

फिल्म ‘‘हमारी अधूरी कहानी’’ को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली, मगर अमी मिश्रा को नुकसान नहीं हुआ. वह कहते हैं, ‘‘फिल्म की असफलता से मुझे कोई फर्क नही पड़ा. मेरा गाना लोगों को पसंद आया. मुझे गीत ‘हंसी बन गए हो’ के लिए डेब्यू संगीतकार का जीमा अवार्ड मिला. इसके बाद इसी फिल्म के चलते निर्देशक मोहित सूरी ने फिल्म ‘हाफ गर्ल फ्रेंड’ में मेरा गाना ‘लॉस्ट विदाउट यू..’ रखा. इस गीत को भी काफी सफलता मिली.’’

संगीत का कोई प्रशिक्षण न लेने वाले अमी मिश्रा कहते हैं, ‘‘मैं अपनी जिंदगी के अनुभवों के आधार पर संगीत की धुने व गीत बनाता हूं क्योंकि उससें मैं जुड़ पाता हूं.’’

वह अपनी अब तक की यात्रा का जिक्र करते हुए कहते हैं, ‘‘जब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था, उसी वक्त संगीत के प्रति मेरा रूझान बढ़ा था. पहले गिटार बजाना शुरू किया फिर हमने अपना एक बैंड ‘सोच’ बनाया था. हम उस वक्त कॉलेज के समारोह में परफॉर्म करते थें. फिर धीरे धीरे कॉलेज के बाहर भी परफॉर्म करना शुरू किया. धीरे धीरे हमें दूसरे शहरों में परफॉर्म करने बुलावा आने लगा. हमने इंदौर में आयोजित कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. इंदौर के मॉल्स में भी हमने परफॉर्म किया. एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद नौकरी करने की बजाय मुंबई आ गया. मैं बहुत संतोषी किस्म का इंसान हूं. मेरी किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं. मैं रचनात्मक इंसान हूं, इसलिए चुपचाप अपना काम करता रहता हूं.’’

क्या है ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ विवाद की वजह

बॉलीवुड में हर छोटी से छोटी बात या मुद्दे पर विवाद खड़ा करना लोगों की आदत सी बन चुकी है. इसी क्रम में ‘‘दादा साहेब फालके की 148 वीं जंयती के अवसर पर ‘‘दादा साहेब फालके अकादमी’’ एक जून को मुंबई में जुहू स्थित भाईदास हॉल में एक समारोह का आयोजन कर रही है, जिसमें कुछ कलाकारों को पुरस्कृत किया जाएगा.

इस समारोह में जिन्हें पुरस्कृत किया जाना है, उनसे बात कर सब कुछ तय करने और उनके नामों की घोषणा करने का दायित्व अशोक शेखर को देते हुए उन्हें ‘‘चेयरमैन ऑफ शो कमेटी’’ का पदभार दिया गया. तब से अशोक शेखर ने समय समय पर कलाकारों के नाम की सूचना पत्रकारों को देना शुरू किया. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था.

मगर दो दिन पहले ‘अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभिनेत्री’ की नई कटेगरी में प्रियंका चोपड़ा को पुरस्कृत किए जाने की खबर आते ही मामला बिगड़ गया और एक नया विवाद खड़ा हो गया.

मजेदार बात यह है कि इस विवाद को खड़ा करने का काम ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ की प्रचार एजेंसी ने ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ के चेयरमैन के नाम से एक ईमेल जारी कर किया. इस प्रचार एजेंसी ने सभी पत्रकारों को लंबा चौड़ा ईमेल भेजकर कहा कि अशोक शेखर खुद को ‘दादा साहेब फालके अकादमी अवार्ड’ का चेयरमैन होने का गलत प्रचार कर रहे हैं. इस प्रचार एजेंसी ने अपने ईमेल में गणेष जैन का वक्तव्य भी भेजा है.

अपने इस वक्तव्य में गणेष जैन ने कहा है, ‘‘यह सच है कि प्रियंका चोपड़ा इस बार शुरू की गयी नई कटेगरी ‘इंटरनेशनली अक्लेम्ड एक्ट्रेस’ का पुरस्कार ग्रहण करने वाली हैं. लेकिन अशोक शेखर गलत दावा कर रहे हैं कि वह ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ के चेयरमैन हैं. अशोक शेखर इस इवेंट के महज कंवेनर हैं.’’ इस वक्तव्य के साथ गणेष जैन ने खुद को ‘‘दादा साहेब फालके अवार्ड कमेटी’’ का चेयरमैन बताया है.

इस ईमेल के मिलने के बाद हमने अशोक शेखर से संपर्क किया, तो अशोक शेखर ने गणेष जैन को ही गलत ठहराने के साथ ही अपने पक्ष को मजबूती से पेश करने के लिए हमें ‘दादा साहब फालके अकादमी’ के महासचिव धर्मेंद्र मेहरा का पत्र देते हुए प्रचार एजेंसी व गणेष जैन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया.

6 मई 2017 के धर्मेंद्र मेहरा के पत्र के अनुसार उन्होने अशोक शेखर को इस बार शो कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया है.

बहरहाल, हमसे बात करते हुए अशोक शेखर ने कहा, ‘‘कुछ पत्रकारों ने मुझसे बात कर हकीकत जाने बगैर छापा है कि मैंने खुद को गलत तरीके से ‘दादा साहेब फालके अकादमी अवार्ड’ का चेयरमैन घोषित कर रखा है. इससे मेरी मानहानि हुई है और मेरी इज्जत दांव पर लगी है. जबकि ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ के महासचिव महेंद्र मेहरा ने स्वयं मुझे ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ की शो कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया है. दो दिन पहले अखबारो में छपी खबर में लिख गया है कि अशोक शेखर, चेयरमैन अवार्ड कमेटी. दूसरे षब्दों में इसे ‘शो कमेटी’ कहते हैं. इस समारोह में जिन्हें भी पुरस्कृत करना है, उन्हें मैं ही ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ के लेटरहेड पर चेयरमैन शो कमेटी की हैसियत से पत्र हस्ताक्षर करके दिए हैं. पर जिस तरह से मेरे खिलाफ गलत बयानबाजी की गयी है, उससे मैं आहत हूं. इसके लिए लोगों को माफी मांगनी चाहिए.’’

अपने समय के मशहूर अभिनेता चंद्रशेखर के बेटे अशोक शेखर आगे कहते हैं, ‘‘मेरी अपनी प्रतिष्ठा है. मैं 44 वर्षों से बॉलीवुड से जुड़ा हुआ हूं. मैंने कई टीवी सीरियलों का निर्माण किया. मेरी अपनी ईवेंट कंपनी है. हम देश व विदेश में सैकड़ों ईवेंट कर चुके हैं.’’

अशोक शेखर की बातों में सच्चाई है. अब गणेष जैन भी चुप हैं. यहां पर सबसे बड़ा सवाल उठता है कि ‘दादा साहेब फालके अकादमी’ से जुड़े लोगों को उनकी 148वीं जयंती मनाने के अवसर पर इस तरह के विवाद को जन्म देने की जरुरत क्यों महसूस हुई?

श्रुति हासन ने क्यों छोड़ी फिल्म ‘संघमित्रा’

कमल हासन और सारिका की बेटी तथा अभिनेत्री व संगीतकार श्रुति हासन के नए कदम से हर कोई सकते में है. श्रुति हासन ने लगातार चार दिन तक ‘कान्स इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’ में मौजूद रहकर बहुत बड़े बजट की अपनी शीर्ष भूमिका वाली फिल्म ‘‘संघमित्रा’’ को प्रमोट करती रहीं जहां उनकी इस फिल्म की काफी चर्चा हुई.

फ्रांस की मीडिया ने तो इस पीरियड फिल्म की काफी चर्चा की. मगर 28 मई को ‘कान्स इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’ का अंतिम दिन था और 29 मई को खबर आ गयी कि श्रुति हासन ने फिल्म ‘‘संघमित्रा’’ करने से साफ इंकार कर दिया है.

वास्तव में श्रुति हासन दक्षिण के चर्चित फिल्मकार सुंदर सी की 150 करोड़ की लागत से तमिल, तेलगू व हिंदी में एक साथ बन रही फिल्म ‘‘संघमित्रा’’ को लेकर काफी उत्साहित रही हैं. इस फिल्म में वह एक वीर योद्धा राजकुमारी का किरदार निभा रही हैं. इस फिल्म का पहला पोस्टर 18 मई को ‘‘कान्स इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में जारी किया गया.

पिछले दो वर्ष से फिल्म ‘‘संघमित्रा’’ पर इसके निर्माता निर्देशक सुंदर सी, संगीतकार ए आर रहमान और श्रुति हासन काम करती आयी हैं. इस फिल्म के लिए श्रुति हासन खासतौर पर ट्रेनिंग भी हासिल कर रही थीं. फिल्म ‘‘संघमित्रा’’ के लिए श्रुति हासन ने तलवारी बाजी चलाना सीखा. पिछले माह बड़े जोश खरोश के साथ श्रुति हासन ने अपनी तलवार बाजी के प्रशिक्षण का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर डाला था.

उस वक्त श्रुति हासन ने कहा था, ‘‘मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे शारीरिक व्यायाम के इस नए फार्म को सीखने का अवसर मिला. पहले मैंने अपनी जिंदगी में मार्शल आर्ट सीखा और अब तलवार बाजी सीखी. इसे सीखना पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक व्यस्तता का अनुभव रहा.’’      

अब जून माह से फिल्म की शूटिंग जोर शोर से होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही इस फिल्म से श्रुति के अलग होने की खबरे आ गयी है.

श्रुति हासन के नजदीकी सूत्रों के अनुसार, ‘‘श्रुति हासन को दुर्भाग से फिल्म ‘संघमित्रा’ से खुद को अलग करना पड़ा. जबकि वह इस फिल्म के लिए पूरे दो वर्ष देने को तैयार थीं. वह पिछले दो माह से इस फिल्म के किरदार की जरुरत को ध्यान में रखकर प्रशिक्षण भी ले रही थीं. लेकिन निर्माता निर्देशक ने उन्हें फिल्म की पूरी पटकथा नहीं दी और न ही उन्हें इस बात की सूचना दी कि किस किस तारीख को कहां पर शूटिंग होगी. इसलिए उन्होंने फिल्म छोड़ी है. अब वह अपनी फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ को प्रमोट करने के अलावा दूसरी फिल्मों को समय देंगी.’’

पर बॉलीवुड ही नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग से जुड़े लोग सवाल कर रहे हैं कि कान्स फिल्म फेस्टिवल’ में फिल्म ‘संघमित्रा’ को प्रमोट करने से पहले श्रुति हासन ने यह सब क्यों नहीं सोचा. वहां पर पूरे विश्व की निगाहें अपनी तरफ खींचने व विश्व के सामने इस फिल्म से जुड़े होने का प्रचार करने के बाद श्रुति ने इस तरह का कदम क्यों उठाया?

फिलहाल फिल्म ‘‘संघमित्रा’’ के निर्माता व निर्देशक की तरफ से चुप्पी साध रखी गयी है. देखना कुछ दिनों में इस संबंध में क्या कोई नया विस्फोट होता है या…

अंकिता और कुशल की अचानक हुई दोस्ती की तस्वीरें वायरल

छोटे परदे की एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे और टीवी से बॉलीवुड में आए सुशांत सिंह राजपूत की मोहब्बत का अंत पिछले साल हो गया था. इस जोड़ी के ब्रेकअप से सबसे ज्यादा दुख इनके चाहने वालों को हुआ था.

बॉलीवुड एक्टर से ब्रेकअप के बाद अंकिता के मेकओवर ने भी काफी लोगों का ध्यान खींचा था. वो जो भी करती हैं खबर बन जाती है.

ब्रेकअप के बाद जहां सुशांत का नाम अपनी रिलीज के लिए तैयार फिल्म ‘राब्ता’ की कोस्टार कृति सैनन के साथ जुड़ा, वहीं अब अंकिता का नाम टीवी स्टार कुशल टंडन के साथ खूब सामने आ रहा है.

लोखंडे और टंडन की बात करें तो दोनों ने हमेशा एक-दूसरे के साथ किसी तरह का रोमांटिक कनेक्शन होने की बात से इंकार किया है. लेकिन एक्ट्रेस की हालिया पोस्ट अफवाहों को फैलाने में कारगर साबित हो सकती हैं.

कुशल टंडन और अंकिता लोखंडे की सोशल अकाउंट की तस्वीरें भी यही बयान कर रही हैं कि दोनों की दोस्ती अब बेहद खास हो गई है.

एक-दूसरे के सोशल साइट इंस्टाग्राम में दोनों ने कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किया है. दोनों वीडियो में बेहद सहज, नजदीक और मस्ती के मूड में नजर आ रहे हैं.

इंस्टाग्राम की इन तस्वीरों में दोनों की खास दोस्ती का साफ-साफ पता चल रहा है. जहां अंकिता ने कुशल के साथ इंस्टाग्राम में एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘अचानक हुई दोस्ती सबसे बेस्ट होती हैं’ वहीं कुशल ने अपने इंस्टाग्राम में अंकिता के साथ अपनी फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘अंकिता लोखंडे का डांस अस्तित्व की खुशी है.’

 

 

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कान फिल्म फेस्टिवल: किसके नाम रहा कौन सा अवॉर्ड

70वां कान फिल्म महोत्सव खत्म हो चुका है. इस साल प्रतिष्ठित अवॉर्ड जीतने वालों की लिस्ट जारी हो चुकी है. ऐसे में हम आपको बता देते हैं उन विजेताओं के नाम जिन्होंने कान फिल्म महोत्सव में अवॉर्ड जीते हैं अवॉर्ड.

‘कमेरा डेओर’ को बेस्ट फर्स्ट फीचर का अवॉर्ड मिला है. ‘ए जेंटल नाइट’ को बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला है. बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए ‘द किलिंग ऑफ ए सेक्रेड डीयर’ को चुना गया. वहीं ज्यूरी प्राइज के लिए ‘लवलेस’ को चुना गया है.

कान फिल्म में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड डायने क्रूगेर को फिल्म ‘इन द फेड’ के लिए मिला. फिल्म’ यू वर नेवर रियली हेयर’ के एक्टर जोक्विन फॉएनिक्स को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. ‘द बिगिल्ड’ की डायरेक्टर सोफिया कोपोल्ला को बेस्ट डायरेक्टर के लिए चुना गया.

ग्रैंड प्रिक्स के लिए ‘120 बीट्स पर मिनट’ को चुना गया. निकोल किडमैन को 70 एनिवर्सरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. पाल्मे डेओर के लिए ‘द स्कवायर’ को चुना गया.

भारत से ऐश्वर्या राय बच्चन, दीपिका पादुकोण, सोनम कपूर और एमी जेक्सन ने भी कान फिल्म महोत्सव में शिरकत की. ऐश्वर्या, दीपिका और सोनम ने लॉरियल पेरिस के लिए रेड कार्पेट पर वॉक की.

वहीं एमी जैक्सन अपनी दोस्त किंबेरली गार्नर के साथ फ्रेंच रिविएरा पहुंची. ऐश्वर्या राय के लुक को देखकर फैंस काफी खुश हैं और उनकी फोटोज सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. बहुत से लोगों ने उन्हें भारतीय सिंड्रेला का खिताब दे दिया है.

वहीं सआदत हसन मंटों के जीवन पर बन रही फिल्म ‘मंटो’ का पहला लुक जारी कर दिया गया है. इस फिल्म की डॉयरेक्टर ‘नंदिता दास’ ने इसे 70वें कान फिल्म फेस्टिवल में मीडिया के सामने रिलीज किया. जाने-माने एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस फिल्म में मंटो की भूमिका निभा रहे हैं. रिलीज किए गए पोस्टर में नवाजुद्दीन मंटो के रोल में एकदम फिट दिख रहे हैं. नवाजुद्दीन को मंटो का लुक देने के लिए बेहतरीन मेकअप किया गया है.

इसके अलावा प्रियंका चोपड़ा की सिक्किम के बैकग्राउंड पर बनी फिल्म ‘पहुना’ की पहली झलकी कान फिल्म महोत्सव में जारी की गई है. प्रियंका अपने और अपनी मां मधु चोपड़ा के बैनर ‘पर्पल पेबल पिक्चर्स’ के जरिए इस फिल्म का निर्माण कर रही हैं.

हालांकि प्रियंका 21 मई को हुए फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के मौके पर मौजूद नहीं रहीं, लेकिन उनकी मां और भाई सिद्धार्थ चोपड़ा ने इसमें हिस्सा लिया.

प्रियंका होंगी दादा साहेब फाल्के अकैडमी अवॉर्ड से सम्मानित

हॉलीवुड फिल्म ‘बेवॉच’ में विक्टोरिया लीड्स का निगेटिव किरदार निभाने वालीं प्रियंका चोपड़ा के परफॉर्मेंस की खूब वाह वाही हो रही है. विदेशों में मिल रही प्रशंसा के साथ-साथ प्रियंका को भारतीय सिनेमा में उनके अभिन्न योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के अकैडमी अवॉर्ड से नवाजे जाने की तैयारी चल रही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति बटोर चुकीं प्रियंका के लिए इस अवॉर्ड को ध्यान में रखते हुए एक नई कैटिगरी तैयार की गई है.

दादा साहेब फाल्के अकैडमी शो कमिटी के चेयरमैन अशोक शेखर ने इस खबर को कन्फर्म करते हुए कहा, ‘हां, हम इस बार अवॉर्ड लिस्ट में एक नई कैटिगरी लेकर आ रहे हैं और यह है इंटरनैशनल स्तर पर अपनी अच्छी पहचान बना चुकीं एक्ट्रेस की कैटिगरी. इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रियंका चोपड़ा एक इकलौती ऐसी एक्ट्रेस हैं, जो वाकई में यह अवॉर्ड डिजर्व करती हैं.’

अशोक शेखर ने यह भी कहा, ‘अपनी मेहनत और ईमानदारी भरी कोशिशों के बल पर प्रियंका ने भारतीय इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दमदार तरीके से पेश किया है. इसी वजह से इस अवॉर्ड के आयोजकों को इस लिस्ट में एक नए कैटिगरी को जोड़ना पड़ा.’

प्रियंका चोपड़ा के साथ उनकी मां मधु चोपड़ा को भी दादा साहेब फाल्के अकैडमी अवॉर्ड के दौरान सम्मानित किया जाएगा. यह सम्मान उन्हें उनकी मराठी बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्म ‘वेंटिलेटर’ के लिए दिया जाएगा, जिसे उन्होंने प्रड्यूस किया था.

गौरतलब है कि दादा साहेब अकैडमी अवॉर्ड, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से अलग है. दादा साहेब फाल्के अकैडमी अवॉर्ड हिन्दी और रीजनल सिनेमा के क्षेत्र में अभिन्न योगदान के लिए दिया जाता है. यह सम्मान साल 2000 से फिल्मों से जुड़े मेकअप आर्टिस्ट से लेकर स्पॉट बॉय तक के 22 अलग-अलग क्षेत्र में योगदान के लिए दिया जाता है.

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च वार्षिक पुरस्कार है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति विशेष को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है. इस अवॉर्ड की शुरुआत 1969 से हुई है.

गर्मियों में करें इन जगहों की सैर

गर्मी बढ़ती जा रही है. ऐसे में ज्यादातर लोग इससे राहत पाने और मौज-मस्ती के लिए कहीं न कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं. आप चाहें तो केरल, श्रीलंका जा सकती हैं जहां आप समुद्र किनारे सैर-सपाटा कर सकती हैं या तेज धूप से राहत पाने के लिए इसकी लहरों के साथ अठखेलियां कर सकती हैं. जानिए उन जगहों के बारे में जहां आप छुट्टियों का लुत्फ उठा सकती हैं.

कोवलम बीच, केरल

यह बीच उथले पानी और कम ऊंची लहरें उठने के लिए जाने जाता है. यह बीच आपके बच्चों के घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह है, जहां वे समुद्र के किनारे चलती हवाओं के बीच पानी में मौज-मस्ती कर सकते हैं.

पुरी, ओडिशा

ओडिशा के समुद्र तट भारत के सुंदर और साफ समुद्र तटों में से एक है, जहां बड़े पैमाने पर लुप्तप्राय प्रजाति के ओलिव रिडले कछुए देखे जा सकते हैं. जगन्नाथपुरी मंदिर और सुंदर समुद्र तट ये दो चीजें ओडिशा को लोकप्रिय बनाते है. चांदीपुर और गोपालपुर ओडिशा के लोकप्रिय समुद्रतटों में से एक है.

थाईलैंड

यहां हर साल करीब तीन करोड़ पर्यटक आते हैं. भारतीय पर्यटकों का भी यह पसंदीदा पर्यटन स्थल बनता जा रहा है. यह बेहद खूबसूरत देश है. यहां शाही महल है और कई मनमोहक दृश्य देखने को मिल जाते हैं. कई प्रकार के व्यंजनों का भी आप यहां लुत्फ ले सकती हैं. इस देश का फुकेत प्रांत खूबसूरत जगहों में से एक है, जहां आप समुद्र किनारे जी भर के मौज-मस्ती कर सकती हैं.

श्रीलंका

इस देश में बेंटोटा में खूबसूरत समुद्रतट है. हरी-भरी वादियों और सुंदर तटों और पहाड़ियों वाले इस देश में आपको सुकून का अहसास भी होगा. नुवारा एलिया हरियाली से भरपूर जिला है, जहां की हसीन वादियां आपका मन मोह लेंगी. आप कोलंबों के कई ऐतिहासिक स्मारकों का भी दौरा कर सकती हैं. याला नेशनल पार्क में एनिमल सफारी भी कर सकती हैं, जहां आप हाथी, जंगली बिल्लियां, श्रीलंकाई स्लॉथ बेयर आदि जानवरों को देख सकती हैं.

दुबई

पाम बीच, बुर्ज खलीफा, बुर्ज अलअरब और कृत्रिम द्वीपसमूह ‘द वर्ल्ड’ दुबई के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से है. आप चाहें तो चार रात और पांच दिन की यात्रा को बुक करा कर इस खूबसूरत जगह की सैर कर सकती हैं.

सुबह में शहर के खूबसूरत जगहों की सैर, दोपहर में रेगिस्तान में सफारी और रात को बेहतरीन डिनर का आप लुत्फ उठा सकती हैं.

पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं हैल्थ सप्लिमेंट्स

झड़ते बाल, हड्डियों में दर्द, ब्लडप्रैशर में उतार चढ़ाव, थकावट, बेचैनी, अवसाद, ये सभी बढ़ती उम्र की निशानियां हैं, जिन का सामना हर महिला को करना ही पड़ता है. मगर गंभीर बात यह है कि अब ये सारी समस्याएं वक्त से पहले ही महिलाओं को घेर रही हैं.

इस का कारण बताते हुए मैक्स हैल्थ केयर की सीनियर काउंसलर एवं न्यूट्रिशनिस्ट डाक्टर मंजरी कहती हैं, ‘‘गांवों की अपेक्षा शहर की महिलाओं को ये बीमारियां अधिक होती हैं. इस के 2 कारण हैं. पहला यह कि शहर की महिलाओं में शारीरिक गतिविधियां न के बराबर होती हैं और दूसरा यह कि गांव से शहर तक पहुंचतेपहुंचते अनाज और फल इतनी तकनीकों से गुजर चुके होते हैं कि वे अपनी प्राकृतिक गुणवत्ता खो बैठते हैं. उदाहरण के तौर पर पोषक तत्त्व अनाज की ब्रान में होते हैं, मगर खूबसूरत दिखाने के लिए इन्हें इतना रिफाइन कर दिया जाता है कि ये अपनी सारी गुणवत्ता खो देते हैं.’’

जाहिर है, ऐसे में महिलाएं कितनी ही डाइट प्लान के मुताबिक चलें, पर जिन पोषक तत्त्वों की उन्हें जरूरत होती है वे उन के शरीर में नहीं पहुंच पाते. मगर महिलाओं की इस समस्या को दूर करने के लिए बाजार में ऐसे हैल्थ सप्लिमैंट्स मौजूद हैं, जो महिलाओं को वे सारे पोषक तत्त्व दे सकते हैं, जो उन्हें साधारण आहार से नहीं मिल पाते.

इस बाबत डा. मंजरी कहती हैं, ‘‘महिलाओं को कैल्सियम, विटामिन, प्रोटीन के अलावा कुछ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम और कौपर की भी जरूरत होती है. फलों और अनाज दोनों में ही इन के बहुत कम स्रोत उपलब्ध हैं. इसलिए इन की भरपाई हैल्थ सप्लिमैंट्स से की जा सकती है.’’

डा. मंजरी महिलाओं के लिए निम्न कुछ जरूरी सप्लिमैंट्स के बारे में बताती हैं:

आयरन: महिलाओं में ऐनीमिया का रोग आम है. इस की बड़ी वजह शरीर में आयरन की कमी होती है. दरअसल, जब शरीर में रैड ब्लड सैल्स बनना बंद हो जाते हैं तो महिला को ऐनीमिया होने का खतरा रहता है. ऐनीमिया में अधिकतर महिलाओं को सांस लेने में दिक्कत और थकावट महसूस होती है. खून की कमी पूरी करने के लिए एलिमैंटरी आयरन, बी6 और बी12 की जरूरत होती है. ये सब एकसाथ एक आहार में नहीं मिल सकते, इसलिए रिवाइटल एच जैसे हैल्थ सप्लिमैंट्स के द्वारा इन्हें खुराक में शामिल किया जा सकता है.

मैग्नीशियम: शरीर से ऐनर्जी रिलीज करने के लिए मैग्नीशियम की जरूरत होती है. डा. मंजरी कहती हैं कि महिलाएं शारीरिक गतिविधियां कम से कम करती हैं, इसलिए शरीर में उतनी ऐनर्जी नहीं रहती. इस वजह से हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं. इस के लिए महिलाओं को मैग्नीशियम की जरूरत पड़ती है. वैसे तो मैग्नीशियम ज्वार, बाजरा, रागी में मौजूद होता है, मगर शहरी महिलाओं को इस तरह का अनाज मुश्किल से ही मिल पता है और जो मिलता भी है वह पैक्ड और प्रिजर्वेटिव वाला होता है. जबकि इस अनाज के ताजा पिसे आटे से बनी रोटियां खाने से ही मैग्नीशियम मिल सकता है. इसलिए इन के स्थान पर मैग्नीशियमयुक्त हैल्थ सप्लिमैंट्स लिए जा सकते हैं.

फौलेट: शरीर में रैड ब्लड सैल्स की संख्या बढ़ाना, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुधारना और मानसिक सेहत के लिए आहार में फौलेट की उपस्थिति जरूरी होती है. मगर जिन फलों और पत्तों वाली सब्जियों में फोलेट मौजूद होता है उन के शुद्ध होने की गारंटी नहीं होती. इसलिए बाजार में खास महिलाओं के लिए मौजूद रिवाइटल एच जैसे सप्लिमैंट्स से इस की भरपाई की जा सकती है.

जिंक: महिलाओं को अपने आहार में जिंक भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि इस की कमी से बालों का झड़ना, मुंह से स्वाद का गायब हो जाना, घाव का देर से भरना जैसी समस्याएं हो जाती हैं. वैसे तो कई अनाजों और फलों में यह मौजूद होता है, मगर ये फल सब्जियां इस की सही मात्र शरीर में पहुंचाने में सक्षम नहीं होतीं. बाजार में कई मल्टीविटामिंस सप्लिमैंट्स मौजूद हैं, जिन में जिंक भी शामिल होता है. इस का सेवन महिलाओं को कैंसर जैसे गंभीर रोग से भी बचाता है.

विटामिंस और कैल्सियम: महिलाओं को अपने आहार में इन्हें शामिल करना जरूरी होता है, क्योंकि ये हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ ही हारमोंस में भी संतुलन बनाए रखते हैं. विटामिंस में महिलाओं को सब से अधिक विटामिन ए, सी और डी की जरूरत होती है. यदि वे कैल्सियम सप्लिमैंट ले रही हैं तो ध्यान रखें कि संतुलित आहार और व्यायाम जरूर करें, क्योंकि कैल्सियम का केवल 1/3 हिस्सा ही शरीर में अवशोषित होता है बाकी हिस्सा हड्डियों या दूसरे और्गंस में जम जाता है. ऐसा न हो इस के लिए व्यायाम जरूरी है.

हैल्थ सप्लिमैंट्स आप को वे सभी पोषक तत्त्व दे सकते हैं, जो आप को भोजन से भी नहीं मिलते. मगर इन का सेवन चिकित्सक से पूछने के बाद ही करें.      

कौन सा विटामिन क्यों जरूरी

विटामिन ए: यह आंखों की रोशनी और इम्यून सिस्टम को सुधारता है.

विटामिन बी1: नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली को सामान्य बनाता है.

विटामिन बी2: यह भी आंखों की रोशनी को बढ़ाने में फायदेमंद है.

विटामिन बी3: यह त्वचा संबंधी दिक्कतों को दुरुस्त करने का अच्छा विकल्प है.

विटामिन बी6: मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है.

फौलिक ऐसिड: यह शरीर में सही रक्तसंचार के लिए आवश्यक है.

बायोटिन: बालों से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए आहार में बायोटिन जरूर शामिल करें.

विटामिन बी12: यह नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली सुधारता है.

विटामिन सी: त्वचा, बालों और इम्यूनिटी के लिए जरूरी है.

विटामिन डी: यह कैल्सियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है.

विटामिन ई: शरीर में मौजूद कोशिकाओं के लिए सुरक्षाकवच है और तनाव को दूर करने में मददगार है.

विटामिन के1: यह शरीर में खून जमने की समस्या को दूर करता है.

टेढ़ो टेढ़ो जाए

महल्ले में विकास समिति का गठन हुआ और पूरे महल्ले का विकास अबाध गति से किए जाने का संकल्प लिया गया. मुझे लगता है कि अब विकास खूब होगा क्योंकि इधर सरकार का दावा है कि वह सब का विकास करेगी और उधर महल्ला विकास समिति ने भी यही संकल्प दोहरा दिया है.

विकास की मार दोहरी है. अब विकास से हमारा महल्ला बच नहीं सकता. गठन के समय मैं खुद वहां मौजूद था. सर्वसम्मति से सदानंदजी को अध्यक्ष चुना गया. मुझ से उन्होंने पहले ही कहा था कि यदि उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया तो वे मुझे चाय पिलाएंगे. मैं चाय पीने की गरज से उन के घर पहुंचा तो वे सफेद कुरता- पाजामा पहन कर कहीं जाने की तैयारी में थे. मैं अचरज से बोला, ‘‘क्यों, कहां जा रहे हैं? जाने से पहले चाय तो पिला जाइए.’’

‘‘प्रकाशजी, हमेशा मजाक ठीक नहीं होता. नगरनिगम प्रशासक से समय तय हो चुका है. महल्ले की सफाई के लिए उन से मिलना है,’’ वे बोले.

मैं ने कहा, ‘‘लेकिन महल्ले की सफाई में नगरनिगम क्या करेगा? हम जब कचरा ही नहीं डालेंगे तो गंदगी फैलेगी कैसे?’’

‘‘ओह, गजब है भाई, तुम समझते नहीं, महल्ले का काम है गंदगी फैलाना, मेरा कर्तव्य है कि फैली हुई गंदगी की अविलंब सफाई कराऊं. इसलिए अब जब अध्यक्ष बन गया हूं तो मुझे अथक प्रयास करने तो चाहिए. यदि सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई तो अगले वर्ष मुझे कौन बनाएगा अध्यक्ष.’’

‘‘आप व्यर्थ में सीरियस हो रहे हैं, सदानंदजी. यह तो एक औपचारिकता थी. उसे कर लिया गया है. बाकी कोई अध्यक्ष होने का मतलब काम करना तो नहीं है,’’ मैं ने कहा.

‘‘अरे, रहने दो, प्रकाशजी. आप सदैव मेरी छवि बिगाड़ने में लगे रहते हैं. मैं ने जनसेवा को तहेदिल से अख्तियार किया है और जब मैं ने विकास का संकल्प ले ही लिया है तो अब मुझे पीछे नहीं हटना है,’’ सदानंदजी बोले.

मैं ने कहा, ‘‘देखिए, नगर- निगम में जा कर अपना समय नष्ट न कीजिए. थोड़ा श्रमदान कर के हम लोग ही महल्ले को नया रूप दे सकते हैं.’’

‘‘लेकिन यह नगरनिगम फिर बना क्यों है? मेरी योजना है कि गलियारा कांच के माफिक दमक उठे. महल्ले के नागरिकों को बिना कष्ट दिए मैं एक ऐसा आदर्श स्थापित करना चाहता हूं कि वह दूसरे के लिए भी आदर्श बन जाए,’’ सदानंदजी ने कहा.

‘‘लेकिन विकास के लिए तो चंदा जरूरी है. चंदा जमा करना शुरू कीजिए. इस से बात बन जाएगी. बिना पैसे के कुछ नहीं होने वाला. महल्ले की गंदगी लाइलाज है और इस के लिए नगरनिगम का बजट पर्याप्त नहीं है. इसलिए आप रसीद बुक अवश्य छपवाइए और चंदा इकट्ठा करना शुरू कीजिए. चाहें तो चंदा इकट्ठा करने में मैं भी साथ चल सकता हूं,’’ मैं बोला.

‘‘देखो, प्रकाशजी,’’ सदानंदजी बोले, ‘‘काम करने की मेरी अपनी शैली है और आप इस में बाधा खड़ी मत कीजिए. देखते नहीं, मैं ने 4 जोड़ी कुरतेपाजामे की खरीदारी मिशनरी भाव से जनसेवा करने की दृष्टि से ही की है.’’

‘‘क्यों महल्ले की नेतागीरी के लिए बदखर्ची कर रहे हैं, सदानंदजी. कपड़े तो जो पहनते हैं वही पहन लेते. महल्ले के लिए नेतागीरी की पोशाक लाने की क्या आवश्यकता थी?’’ मैं बोला.

‘‘अरे, आप इतना भी नहीं समझते? महल्ले में आखिर मैं ही अकेला जनसेवक हूं. यदि आप लोगों जैसे कपड़े पहनूंगा तो लोग कैसे जानेंगे कि मैं महल्ला विकास समिति का अध्यक्ष हूं.’’

मैं ने कहा, ‘‘बात तो आप ठीक कह रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि आप में नेतागीरी के पूरे लक्षण नहीं हैं.’’

‘‘यह कैसे कह दिया जनाब आप ने?’’

‘‘वह इसलिए कि नेता कभी भी सत्य नहीं बोलता, कोई काम नहीं करता और झूठे आश्वासन देता है, लेकिन आप ने तो जनसेवा को बहुत गंभीरता से ले लिया है,’’ मैं बोला.

 

सदानंदजी बोले, ‘‘देखो, तुम मुझे मूर्ख मत समझना. मैं अपना स्कोप बना रहा हूं. आज महल्ले में नेता बना, कल शहर में, परसों एम.एल.ए. और एम.पी. बनूंगा. इसलिए यह अच्छी तरह जान लेना कि मैं ने कोई कच्ची गोलियां नहीं खेलीं.’’

‘‘इस का मतलब मैं मूर्ख हूं. मैं ने आप को समझने में भूल की.’’

‘‘तो इस का मैं क्या करूं?’’

‘‘बड़े घाघ निकले आप, सदानंदजी.’’

‘‘आखिर नेता जो हूं.’’

‘‘लेकिन वह अध्यक्ष बनवाने की चाय तो पिला दीजिए.’’

‘‘देखो, यह समय नेतागीरी का है. मेरा रास्ता छोड़ो और अपना रास्ता नापो. रहा सवाल एक कप चाय का, तो यह लो 5 रुपए का सिक्का और रास्ते में किसी दुकान से चाय पीते जाना. मेरा समय बरबाद मत करो,’’ सदानंदजी ने बड़ी चतुरता से जवाब दिया.

‘‘हमारी बिल्ली और हम से ही म्याऊं.’’

‘‘देखो, अपना काम करो,’’ वे बोले.

मैं ने कहा, ‘‘इस का मतलब अविश्वास मत ला कर आप के पांव उखाड़ने होंगे.’’

‘‘मैं ने कहा न, अपना काम करो. आप की कोई समस्या हो तो बताओ और फूटो,’’ सदानंदजी बोले.

मैं बोला, ‘‘समस्या यह है कि इस महल्ला विकास समिति से इस्तीफा कब दे रहे हो?’’

‘‘पागल कुत्ते ने नहीं काटा है मुझे, जो इस्तीफा दे दूं. मैं करेला ऊपर से नीम चढ़ा हूं.’’

‘‘इस का मतलब आप ने हम से किनारा कर लिया है.’’

‘‘मैं मसखरे लोगों को ज्यादा मुंह नहीं लगाता. थोड़ा गंभीर रहना सीखो प्रकाशजी.’’

‘‘सदानंदजी, आप अवश्य तरक्की करेंगे. आप में ‘विदइन नो टाइम’ नेतागीरी के तमाम गुण आ गए हैं. मैं ने आप को नहीं समझने की भूल की, उस के लिए मुझे पछतावा है,’’ मैं ने कहा.

इसी बीच उन का मोबाइल घनघना उठा. उन्होंने हैलो के बाद कहा, ‘‘अच्छा गुप्ता साहब, चिंता न करें, मैं नगरनिगम प्रशासक के पास ही बैठा हूं. महल्ला विकास समिति का अध्यक्ष हूं, टाइम कैसे नहीं देता,’’ फिर कुछ रुक कर बोले, ‘‘हांहां, आप के टैंडर के बारे में मैं अवश्य बात करूंगा. पर आप मेरा खयाल भी रखना, अच्छा बाय,’’ कह कर उन्होंने मोबाइल बंद कर दिया.

सदानंदजी ने मेरी तरफ देख कर बत्तीसी निकाली और नगरनिगम दफ्तर की ओर चल दिए.

मैं ठगा सा रह गया. ‘प्यादे से फरजी भयो, टेढ़ोटेढ़ो जाए.’  

पूरन सरमा     

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