बहुउपयोगी है मांड़

चावल का प्रयोग हर घर में किया जाता है. चावल पकने के बाद जो पानी शेष रह जाता है उसे प्राय: छान कर फेंक दिया जाता है. चीन व जापान में चावल के मांड़ को जिसे राइस वाटर कहा जाता है, का प्रयोग स्वास्थ्य व सौंदर्य को निखारने में करते हैं. यह पौष्टिक तत्त्वों से भरा होता है. जानते हैं, मांड़ के क्याक्या फायदे हैं:

– 1 गिलास राइस वाटर का प्रयोग ऐनर्जी ड्रिंक की तरह किया जा सकता है. आप अपनी इच्छानुसार इस में कटी पुदीनापत्ती, भुना जीरा पाउडर और काला नमक भी मिला कर पी सकते हैं.

– राइस वाटर का प्रयोग शरीर के तापमान को संतुलित रखता है. गरमी के मौसम में इस का सेवन सेहत के लिए बहुउपयोगी है.

– यदि आप को कब्ज की शिकायत रहती है तो राइस वाटर का प्रयोग कब्ज दूर करने में विशेष लाभदायक होगा.

– राइस वाटर उत्तम प्रकार के कार्बोहाइड्रेट का भंडार है.

– 1 गिलास राइस वाटर का सेवन अल्जाइमर जैसी समस्या को रोकने में भी कारगर है.

– राइस वाटर का सेवन डायरिया में भी किया जाता है. न केवल वयस्क को वरन बच्चों को भी डायरिया में इस का सेवन उन की उम्र के अनुसार कम या अधिक मात्रा में करने से लाभ मिलता है.

– गैस से संबंधित समस्याओं में भी राइस वाटर का सेवन उपयोगी है.

मांड़ न केवल स्वास्थ्यवर्धक है वरन सौंदर्यवर्धक भी है, क्योंकि यह विटामिन व खनिज तत्त्वों से भरपूर होता है. मसलन:

– इस का प्रयोग फेशियल क्लीनर की तरह बखूबी किया जा सकता है. एक कौटन बौल को राइस वाटर में डुबो कर उस से चेहरे पर हलके हाथ से मसाज करें. जब सूख जाए तो चेहरा धो लें. इस का नियमित प्रयोग त्वचा को साफमुलायम बनाने के साथसाथ उस में कसाव व चमक भी लाता है.

– फेशियल टोनर की तरह भी इस का प्रयोग किया जा सकता है. कौटन बौल को इस में डुबो कर त्वचा पर लगाएं. यह खुले रोमछिद्रों को बंद कर के त्वचा को कसाव प्रदान करता है, साथ ही त्वचा को चमकदार भी बनाता है.

– ऐक्ने पीडि़त त्वचा में भी इस का प्रयोग लाभदायक है. साथ ही यह वाटर त्वचा पर ऐस्ट्रिंजैंट की तरह असर करता है.

– राइस वाटर का स्टार्च कंपोनैंट त्वचा पर ऐक्जिमा को ठीक करने में भी उपयोगी है. साफ कपड़ा राइस वाटर में भिगो कर ऐक्जिमा से प्रभावित त्वचा पर थपथपा कर लगाएं. जब कपड़ा सूख जाए, तो दोबारा ऐसा करें. नियमित प्रयोग करें. जरूर फायदा होगा.

– सनबर्न से झुलसी त्वचा पर भी ठंडे राइस वाटर का प्रयोग लाभकारी है.

– बालों को स्वस्थ, चमकदार बनाने के लिए उन्हें राइस वाटर से रिंस करें. बालों को शैंपू करने के बाद इसे बालों में लगा कर हलके हाथों से मसाज करें. फिर पानी से बालों को धो लें. ऐसा हफ्ते में 1-2 बार किया जा सकता है.

– राइस वाटर हेयर कंडीशनर का भी काम करता है. इस में चंद बूंदें लैवेंडर या रोजमैरी की मिलाएं और बालों में लगा कर करीब 10 मिनट लगा रहने दें. फिर साफ पानी से धो लें.

– राइस वाटर चूंकि ऐंटीऔक्सिडैंट, नमी व यूवी किरणों को अब्जौर्व करने की क्षमता रखता है, अत: त्वचा की बारीक लाइनें व बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने में भी यह लाभदायक है.

– त्वचा की जलन व रैशेज को दूर करने के लिए ठंडे राइस वाटर का प्रयोग उपयोगी है.

– बालों पर इस का नियमित प्रयोग उन्हें मजबूती व चमक तो देता ही है, उन्हें टूटने से भी  रोकता है तथा लंबा भी बनाता है. इस का पूरा लाभ उठाने के लिए बालों पर इसे कम से कम 20 मिनट तक लगा कर रखें. फिर साफ पानी से धो लें.

अत: अगली बार जब भी चावल बनाएं, तो मांड़ को फेंकने से पहले किसी जार में डाल कर फ्रिज में रख लें. इसे फ्रिज में 4-5 दिनों तक रखा जा सकता है. प्रयोग करते समय इसे हिला जरूर लें. 

सिर्फ इन 4 स्टार्स के साथ काम करना चाहती हैं दिशा पाटनी!

महेंद्र सिंह धोनी की बायॉपिक ‘धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत करने वालीं एक्ट्रेस दिशा पाटनी की इस समय बॉलीवुड में काफी डिमांड है और इसलिए अब फिल्ममेकर्स के सामने वह अपनी कुछ खास शर्तें भी रखने लगी हैं.

अब खबर यह आ रही है कि दिशा अपनी फिल्मों को लेकर काफी सावधानी बरत रही हैं. वह फिल्मों को लेकर काफी चूजी हो गई हैं और आजकल फिल्म साइन करने के लिए कुछ खास शर्तें रख रही हैं, जिसे पूरा कर पाना निर्माताओं के लिए मुश्किल साबित हो रहा है.

इस बारे में बताते हुए दिशा के करीबी सूत्र ने कहा, ‘वह आजकल अपने पास आने वाले निर्माताओं से यही मांग करती हैं कि वह उनकी फिल्म में तभी काम करेंगी अगर उस फिल्म में उनके साथ रणबीर कपूर, रणवीर सिंह, वरुण धवन या टाइगर श्रॉफ जैसे एक्टर हों, वरना वह स्क्रिप्ट तक सुनने से इनकार कर देती हैं.’

खबरों की मानें तो दिशा करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द इयर-2’ और ‘बागी 2’ में भी काम कर रही हैं. हाल ही में वह फेमस हॉलीवुड एक्टर ‘जैकी चैन’ के साथ ‘कुंग फू योगा’ में भी नजर आ चुकीं हैं.

दिशा सोशल मीडिया पर भी खूब एक्टिव रहती हैं और अपने फोटोज और वीडियोज अपलोड करती रहती हैं. दिशा अपनी एक्टिंग के साथ-साथ अपने डांस को लेकर भी चर्चा में रहती हैं.

बॉलीवुड में एंट्री को तैयार है एक और स्टार किड

सुपरस्टार सलमान खान विदेशी एक्ट्रेस के साथ-साथ स्टार किड्स को भी बॉलीवुड में लॉन्च करने में सबसे आगे रहते हैं. फिर चाहे बात सोनाक्षी सिन्हा, अर्जुन कपूर, सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी या फिर आदित्य पंचोली का बेटा सूरज पंचोली की हो.

सलमान ने इन सभी स्टार किड्स को बॉलीवुड फिल्मों में मौका देकर उनका करियर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब इस लिस्ट में चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे का नाम जुड़ने वाला है.

सैफ की बेटी सारा, श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी और सुनील शेट्टी का बेटा अहान, अभी जहां बॉलीवुड में अपने लॉन्च का इंतजार कर रहे हैं वहीं, अनन्या पांडे को सलमान खान के रूप में बेहतरीन मेंटर मिल गया है.

अनन्या अभी सिर्फ 18 साल की हैं और महज 3 दिन पहले ही ग्रैजुएट हुई हैं. अनन्या की फिटनेस कोचिंग, डांस क्लासेज और शॉर्ट टर्म एक्टिंग क्लासेज भी अभी से शुरू हो गई हैं.

अनन्या पांडे के फिल्मों में आने को लेकर हाल ही में पिता चंकी पांडे ने भी बयान दिया था. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए इस बात का जिक्र किया था कि उनकी बेटी बॉलीवुड में आना चाहती है.

चंकी पांडे की बेटी अनन्या, शाहरुख खान की बेटी सुहाना की काफी अच्छी दोस्त हैं. साथ ही संजय कपूर की बेटी शनाया के साथ भी वो काफी क्लोज हैं. सुहाना, अनन्या और शनाया अक्सर ही साथ में चिल आउट करती नजर आ जाती हैं.

चंकी पांडे बेटी यूं तो लाइम लाइट से दूर ही रहती है, लेकिन उनका अंदाज रियल लाइफ में ही काफी हॉट और स्टाइलिश है.

पीढ़ी दर पीढ़ी देखने वाली फिल्में कम हो चुकी हैं : पूजा बत्रा

फिल्म ‘विरासत’, ’हसीना मान जाएगी’, ’जोड़ी नम्बर वन’ ‘तलाश’ आदि फिल्मों में नाम कमा चुकीं अभिनेत्री पूजा बत्रा ने फिल्मों के अलावा कई विज्ञापनों में भी काम किया है. आर्मी परिवार की पूजा ने साल 1993 में मिस इंडिया इंटरनेशनल बनने के बाद, विज्ञापनों में काम शुरू कर दिया और बाद में फिल्मों में आईं.

उनकी कुछ फिल्में उस समय बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं. कामयाबी की चोटी पर पहुंचकर उन्होंने अमेरिका के ओर्थोपेडिक सर्जन से साल 2002 में शादी की और वहीं सेटल हो गयीं. लेकिन उनका ये रिश्ता काफी दिनों तक नहीं चला और साल 2011 में उन्होंने डिवोर्स ले लिया.

बॉलीवुड फिल्मों के अलावा पूजा ने हॉलीवुड फिल्म और टीवी शो भी की है. उनके खुद की एक कंपनी भी है जिसके जरिये वह किसी समस्या से जुड़ी विषय पर डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाती हैं. पूजा अभी भी वैसी ही खुबसूरत और फिट दिखती हैं. फिल्मों के अलावा पूजा कई लोकोपकारी काम भी करती हैं इन दिनों वह अपनी साइको थ्रिलर फिल्म ‘मिरर गेम’ को लेकर काफी उत्साहित है. पेश है अंश.

इस फिल्म में काम करने की उत्सुकता कितनी थी? कठिन भाग कौन सी रही है?

मैंने पहले न तो ऐसी भूमिका और न ही ऐसी फिल्म की है. जो मेरे लिए उत्सुकता थी. इसमें मैंने एक पुलिस मनोवैज्ञानिक की भूमिका निभाई है. इस फिल्म में मैंने मुस्कराया तक नहीं है. इसमें संवाद बहुत हैं, जिसे करना थोडा मुश्किल था.

इंडस्ट्री में इतने सालों तक रहते हुए कितना बदलाव महसूस करती हैं?

काफी बदलाव आया है. फिल्म मेकर्स बदल रहे हैं, फलस्वरूप एक्टर्स भी बदल रहे हैं. दर्शक की चॉइस भी बदल रही है. स्क्रिप्ट्स आजकल बहुत जरुरी हो चुका है. पैसे भी आज खूब खर्च किये जाते हैं. उस समय क्लासिक फिल्में थी, कहानियां और परफॉर्मेंस वैसी होती थीं. ऐसी फिल्मों का बनना, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखे, देखना चाहे अब कम हो चुकी है. फिल्म के हिट होने में परफॉर्मेंस, एक्टिंग, स्टोरी, रिलीज आदि सब शामिल होती है.

मिस इंडिया से अब तक का सफर कैसा रहा?

मेरी लाइफ की जर्नी काफी एक्साइटिंग रही है. मुझे मॉडलिंग के साथ-साथ अच्छी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला. जीवन में कई उतार-चढ़ाव आये, पर मैं उसमें उलझी नहीं. मुझे काम अभी भी मिल रहा है. एक्टिंग मेरा ‘पैशन’ है. जब पहली बार इस फिल्म के निर्देशक विजित शर्मा मेरे पास इस फिल्म को लेकर आये तो मैं हैरान थी. मैंने कभी उनका नाम नहीं सुना था, लेकिन सबसे खुशी इस बात से हुई कि दर्शक मुझे देखना चाहते हैं.

नए निर्माता निर्देशक के साथ काम करने में आप किस बात का ध्यान रखती हैं?

स्क्रिप्ट, भूमिका और पैसा, ये देखती हूं, साथ में फिल्म रिलीज ठीक से हो, उसका भी खयाल रखती हूं.

आप बहुत अधिक सोशल वर्क करती हैं इस ओर आपका ध्यान कैसे गया?

मुझे लगता है कि अगर सोसाइटी आपको कुछ देती है तो आपको भी उनके लिए काम करना चाहिए. मुझे सबका प्यार मिला है. ऐसे में अगर मैं किसी भी माध्यम से कुछ कहूं, तो लोग सुनते हैं. इसमें सबसे अधिक काम पैसे की होती है. लोग पैसा निकालना नहीं चाहते. मैं अभी अमेरिका में रहती हूं, लेकिन इंडिया आती-जाती रहती हूं.

मैं अमेरिका की एक एनजीओ के साथ मिलकर गरीब बच्चों के लिए काम करती हूं. यहां मैंने देखा है कि यहां के लोग पर्यावरण पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते. यहां इतनी सूर्य की रोशनी है कि पूरी इंडिया सौर उर्जा पर जी सकती है. लेकिन अभी भी यहां पॉवर कट होते है, बिजली की कमी है. जितनी प्रतिभा यहां है, उसका सही प्रयोग किया जा सकता है,जो नहीं होता.

मैं एक आर्मी ऑफिसर की बेटी हूं और आर्मी बैकग्राउंड में बड़ी हुई हूं. ऐसे में इस बार इंडिया आकर जब मैंने भारतीय सेना के सिर काट दिए जाने, उनपर पत्थरों से वार करने जैसे समाचार पढ़ी, तो बहुत दुःख हुआ, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं हुआ. केवल मीडिया में ही थोड़ी बहुत इस बारें में लिखा गया.

अमेरिका में ऐसा कभी नहीं हो सकता. यूनिफॉर्म पहने किसी भी व्यक्ति पर आप स्टोन नहीं फेंक सकते. सैनिक हमारे लिए काम करते है. उनके साथ ऐसा बर्ताव सही नहीं है. इसके अलावा प्लास्टिक न फेंकने पर भी लोगों में जागरूकता होनी चाहिए.

क्या जीवन में कोई मलाल रह गया है?

एक्शन, सुपर वुमन, एलियन, बायोपिक आदि सब तरह की फिल्में मैं करना चाहती हूं.

अबतक की फिल्मों में कौनसी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

हसीना मान जाएगी, भाई, विरासत, कहीं प्यार न हो जाये, चंद्रलेखा आदि ऐसी फिल्में है जो हर समय देखि जा सकती है, उसकी कहानी, मेरी भूमिका सब अच्छी थी.

आप अभी भी एक दम फिट दिखती हैं, आपके फिटनेस का राज क्या है?

मैं अपनी फिटनेस को लेकर हमेशा जागरूक रहती हूं. खाने में ऑरगेनिक फूड अधिक लेती हूं. नियमित वर्कआउट करती हूं. हमेशा खुश रहना चाहती हूं.

आपके परिवार में अभी कौन है? भारत में डिवोर्स की बढ़ती संख्या की वजह क्या मानती हैं?

डिवोर्स के बाद मैंने शादी नहीं की, मेरा एक बॉयफ्रेंड है, जिसके साथ मैं रहती हूं. आजकल महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं, ऐसे में अगर उन्हें अपने पार्टनर से समस्या है, तो उन्हें छोड़ सकती हैं और ये सही भी है. शादी करने से अधिक उसे निभाना मुश्किल होता है. सामंजस्य की बात करें, तो वह एक हद तक ही हो सकता है.

यहां तक पहुंचने में किसका श्रेय मानती हैं?

मेरे माता-पिता का जिनके पास मैं हमेशा आती रहती हूं. वह मेरी स्ट्रेंथ हैं, हर परिस्थिति में उन्होंने मेरा साथ दिया. उन्होंने कभी ये महसूस नहीं करवाया कि मैं लड़की हूं और मेरे लिए पाबंदियां हैं.

तनाव को कैसे कम करती हैं?

रीडिंग, मां के साथ बात करना, मैडिटेशन आदि के साथ कम करती हूं.

एक्टिंग के अलावा और क्या करने की इच्छा रखती हैं? आगे क्या करने की इच्छा रखती हैं?

मेरी एक कंपनी अमेरिका में पिछले 9 साल से है, जो कास्टिंग और इवेंट करती है. अभी मैंने एक हॉलीवुड डॉक्युमेंट्री फिल्म अंग्रेजी में ‘सेव हर’ नाम से की है जो गर्ल ट्राफिकिंग पर है और फेस्टिवल में जा रही है.

गृहशोभा की महिलाओं को क्या संदेष देना चाहती हैं?

महिलाओं को मैं ये कहना चाहती हूं कि आपकी वजह से परिवार बनते हैं, बच्चे जन्म लेते हैं, भविष्य का निर्माण होता है, घर चलता है आदि सब होता है. आप कभी भी अपने आपको कम न समझें. आपकी अहमियत सबसे अधिक है.

शिल्प, संस्कृति और सौंदर्य का प्रतीक कर्नाटक

अच्छा होता यदि भारत में देशाटन की परंपरा को महज धार्मिक भावनाओं की नींव पर रख कर विकसित न किया गया होता. फिर इस निर्धन देश के छोटेछोटे शहरों से ले कर सुदूर गांवों तक में रहने वाले नागरिक सैलानीपन के नाम पर अपने मन में केवल चारों धाम की यात्रा के सपने न संजोते. धर्म के दुकानदारों ने रामेश्वरम से ले कर कैलास पर्वत तक और द्वारका से ले कर गंगासागर तक तीर्थस्थलों को बेच कर सैलानियों की सोच को परंपरागत तीर्थस्थानों तक सीमित रख दिया.

आज का समृद्ध और शिक्षित वर्ग पर्यटन के आनंद को धार्मिक अंधविश्वास के अलावा अंगरेजों द्वारा विकसित किए हुए पर्वतीय हिल स्टेशनों को छोड़ कर अन्य रमणीक स्थलों को अनदेखा कर देता है क्योंकि ऐसी हर जगह में जहां प्रकृति ने उन्मुक्त सुंदरता तो लुटाई है पर पहुंचने, रुकने और ठहरने की साधारण सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. पर्यटन सुविधाओं के अभाव ने एक भेड़चाल वाली मनोवृत्ति को बढ़ावा दिया है जिस के वशीभूत इस वर्ग के सैलानी को गरमी में केवल शिमला, मसूरी, नैनीताल, मनाली, कश्मीर और दार्जिलिंग जैसे हिलस्टेशन ही दिखते हैं और सर्दियों में गोआ के समुद्रतट.

मनमोहक सौंदर्य

रमणीक स्थल यदि कोई खोजना चाहे जिन के प्राकृतिक सौंदर्य के आगे हमारे ख्यातिप्राप्त पर्यटन स्थल भी फीके लगें तो उत्तरी कर्नाटक के समुद्रतट पर बिखरे हुए अनमोल रत्नों की तरफ उसे उन्मुख होना चाहिए.

गोआ के खूबसूरत समुद्रतट तक को तो बहुत सारे लोग पहुंचते हैं पर वहां उमड़ी भारी भीड़ उत्साह फीका कर देती है. सैलानी यदि दक्षिण दिशा में गोआ से थोड़ा ही अर्थात केवल डेढ़दो सौ किलोमीटर और आगे जाएं तो उत्तर कर्नाटक के रमणीक समुद्रतट पर बिखरे हुए बेहद खूबसूरत छोटेछोटे शहर, कसबे और गांव अपने अद्भुत सौंदर्य से उन्हें सम्मोहित कर देंगे.

चांदी सी चमकती रेत वाले समुद्रतट जिन्हें उद्योगजन्य प्रदूषण का अभिशाप नहीं झेलना पड़ा है, इन तटों के विस्तार को बीचबीच में तोड़ती हुई छोटीछोटी नदियां जो समुद्र तक गजगामिनी सी मंथर गति से आ कर उस में निस्तब्ध हो कर विलीन हो जाती हैं और अचानक कहींकहीं इस धरातली एकरसता को भंग करते हुए अकेले निर्जन में प्रहरी की तरह तना खड़ा हुआ कोई प्रकाश स्तंभ (लाइट हाउस), ये सब कुल मिला कर एक ऐसे अछूते सौंदर्य की संरचना करते हैं जिन से अनूठी शांति का एहसास होता है. इन्हीं के बीचबीच में मछुआरों के छोटेछोटे गांव अचानक याद दिला देते हैं कि बिना बाजारवाद के दंश का अनुभव कराने वाले बाजार भी हो सकते हैं.

ठहरने, रहने, खानेपीने की 2-3 सितारों वाली भी सुविधाएं कोई खोजे तो निराशा हाथ लगेगी. पर अनेक छोटे से ले कर मध्यम श्रेणी के शहर ऐसे रमणीक स्थलों से दूर नहीं हैं. वहां ठहर कर समुद्रतट के राजमार्ग से पर्यटक आसानी से ऐसे शांत स्थानों तक आ सकते हैं और थोड़ा भी पैदल सैर करने वालों के लिए तो असीम संभावनाओं से भरा हुआ है यह क्षेत्र.

आंखें चुंधिया जाएं

उत्तरी कर्नाटक का तटीय क्षेत्र कारवार से ले कर उडुपी तक इतने ठिकानों से भरा हुआ है कि प्रकृति प्रेमी पर्यटकों की आंखें चुंधिया जाएं. दिसंबर के अंत और जनवरी के प्रथम सप्ताह में तटीय कर्नाटक का मौसम गोआ के जैसा ही गुलाबी होता है और यह ही आदर्श मौसम है इस क्षेत्र में पर्यटन के लिए.

समुद्रतट पर धूप में पसरे रहने वाला मौसम, अलस्सुबह और देर शाम को ठंडी हवा में हलकी सी झुरझुरी महसूस करने वाला मौसम, रात में तारोंभरे आकाश को निहारते हुए मीठी यादों में खो जाने वाला मौसम.

अप्रैल, मई के महीनों में इस क्षेत्र में सुबह 10-11 बजे से ले कर सूर्यास्त तक तो दिन गरम होते हैं पर समुद्रतट पर सुबह सुहानी ही रहती है और शाम होते ही समुद्र की तरफ से आने वाली पछुवा हवाएं दिन के ताप को दूर भगा देती हैं. जून का महीना आते ही मानसूनी हवाएं और बादलों से भरा आकाश, बारिश की झड़ी, एक अनोखा सौंदर्य भर देती हैं.

लुभावना कारवार

गोआ से कर्नाटक की सीमा में प्रवेश करने के 15 किलोमीटर के अंदर ही कारवार आ जाता है. इतने महत्त्वपूर्ण समुद्री और तटीय मार्ग पर बसा है यह शहर कि इब्न बतूता की यात्रा वृत्तांत में भी इस का जिक्र है. अरब, डच, पुर्तगाली, फ्रांसीसी और अंगरेज सभी इस से गुजरे. आज भी कारवार एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह है. भारतीय नौसेना का एक महत्त्वपूर्ण ठिकाना होने के अतिरिक्त गोआ से ले कर चिकमंगलूर क्षेत्र की खदानों से लौह अयस्क भेजने के लिए भी कारवार के बंदरगाह की महत्ता है.

सैलानियों के लिए इस नितांत व्यापारिक शहर के तट से थोड़ी ही दूर पर कुरुम गढ़ द्वीप है. इस द्वीप पर श्वेत बालू के विस्तृत तट पर समुद्रस्नान और तैराकी के अतिरिक्त सैलानी मोटरबोट में भी घूम सकते हैं. सागर के अंदर मोटरबोट आप को निकट से डौल्फिन के जल में अठखेलियां करते हुए समूहों के भी कभीकभार दर्शन करा सकती है.

पश्चिमी घाट के पर्वतों से उतर कर कारवार पहुंच कर काली नदी अरब सागर में जिस स्थान पर विलीन हो कर अपनी यात्रा समाप्त करती है उसी के निकट सदाशिव गढ़ के पुराने दुर्ग में इतिहास के पन्ने आज के सूनेपन में फड़फड़ाते हुए से लगते हैं. काली नदी में मछली के शिकार के शौकीनों को अपना शौक पूरा करने के अवसर खूब मिलते हैं.

कारवार से लगभग 100 किलोमीटर आगे मुर्देश्वर के समुद्रतट पर ऊंची शिवमूर्ति स्थापित है. इस के विशाल आकार को प्रतिबंधित करता है बीसमंजिला गोपुरम जो शिवमूर्ति के नीचे प्रतिष्ठित शिवमंदिर का प्रवेशद्वार है.

अद्भुत है मुर्देश्वर

मुर्देश्वर में आप केवल प्रकृति के सान्निध्य में अपने नित्यप्रति के मानसिक तनाव भूल कर कुछ उन्मुक्त आनंद के क्षण खोजते हुए आए

हैं. एक अच्छा होटल, वातानुकूलित कमरे, स्वादिष्ठ शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन इत्यादि भी चाहिए तो मुर्देश्वर में वे सभी सुविधाएं मिल जाती हैं.

मुर्देश्वर का समुद्रतट, स्नान करने और किनारे रेत में लेटने का मजा लेने के लिए किसी भी अच्छे रिजोर्ट से पीछे नहीं. यही नहीं, यदि आप साइकिल से या पैदल 10-15 किलोमीटर की दूरी तय कर के वनाच्छादित सह्याद्रि पर्वत की चढ़ान तक पहुंच सकते हैं तो फिर ट्रैकिंग के लिए कई सुरम्य चढ़ाइयां आप को मिल जाएंगी.

मुर्देश्वर तक कोई आए और वहां से केवल 70-80 किलोमीटर दूर जा कर भारत का सब से विशाल और ऊंचा प्रपात जोग फौल्स देखे बिना वापस जाए, यह कैसे संभव है. कर्नाटक के पूरे तटीय क्षेत्र का पर्यटन भले ही सर्दियों में अधिक आनंद दे पर जोग प्रपात का अद्वितीय सौंदर्य सिर्फ बारिश के मौसम में ही अपने चरमोत्कर्ष पर होता है. लेकिन बारिश में सड़कें इतनी अच्छी दशा में नहीं रहतीं और घूमनेफिरने का आनंद सिमट जाता है.

जोग प्रपात की भव्यता कम ही दिखे पर कुछ तो होगी ही, इसलिए हम ने जनवरी के महीने में भी जोग प्रपात देखने का निर्णय ले लिया. पर

वहां जा कर निराशा ही हाथ लगी. श्मशान में जैसे बहुत दुनियादार व्यक्ति भी कुछ देर के लिए दार्शनिक बन जाता है वैसे ही जोग प्रपात के संकुचित असहाय से लगते स्वरूप को देख कर मन में एक अवसाद सा उठा.

जोग प्रपात की भव्यता

बारिश के मौसम में इतनी ऊंचाई से इतनी विशालकाय, चौड़ी छाती वाला प्रपात कितना भीषण निनाद करता हुआ नीचे गिरता होगा, कैसा अविस्मरणीय प्रभाव डालता होगा, इस की कल्पना करना कठिन नहीं था, पर अपनी निराशा से कहीं अधिक दुख हुआ उन कुछ विदेशी पर्यटकों को देख कर जिन्हें पर्यटन व्यवसाय में लगी कंपनियां जोग प्रपात के वर्षा ऋतु का स्वरूप चित्रों में दिखा कर यहां तक खींच लाई थीं. वे सिर्फ ठगा सा महसूस ही नहीं कर रहे थे बल्कि स्पष्ट शब्दों में कहने से भी हिचक रहे थे कि उन्हें बेवकूफ बनायागया था.

यदि समय हो तो 100 किलोमीटर और दक्षिण जा कर उडुपी भी घूम आएं, समुद्र तट तो वहां है ही पर उत्सुकता यह जानने की भी होती है कि आखिर क्या है वहां जो डोसा, इडली, वडा, सांभर सबकुछ खा कर अघाने वाला पारखी भी एक बार कहता जरूर है कि उडुपी के रैस्टोरैंट्स की बात ही कुछ और है.

आम का मजेदार जायका : मैंगो सैंडविच

आपने आम से बने कई जायके खाए होंगे. लेकिन क्या आपने कभी मैंगो सैंडविच खाया है? नहीं, तो जरूर ट्राई करें यह मजेदार जायका.

सामग्री

1 आम के टुकड़े

200 ग्राम दूध

8 ब्रैडस्लाइस

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

1/2 छोटा चम्मच दूध में भीगा केसर

100 ग्राम घी

शक्कर स्वादानुसार

विधि

दूध को पका कर रबड़ी बना लें. ब्रैडस्लाइस को कटोरी से गोल काट कर 1 घंटे तक सुखा लें. कड़ाही में घी गरम कर ब्रैडस्लाइस को सुनहरा होने तक तल लें. आम के टुकड़ों को मिक्सी में चला लें. कांच के प्याले में रबड़ी, आम का पल्प, शक्कर, थोड़ा इलाइची पाउडर व थोड़ा केसर डाल कर अच्छी तहर मिला लें.

2 ब्रैडस्लाइस पर तैयार मिश्रण लगा कर दूसरा ब्रैडस्लाइस मिश्रण लगे पहले ब्रैडस्लाइस पर लगाएं. ब्रैड के ऊपर वाले हिस्से पर तैयार मिश्रण और अच्छी तरह लगा लें. मैंगो सैंडविच पर केसर और इलायची पाउडर डाल कर सर्व करें.

-व्यंजन सहयोग : मंजु जैसलमेरिया

झड़ते बालों से हैं परेशान!

क्या आप भी कंघी करने से डरती हैं? क्या आपको भी यह लगता है कि आप कुछ ही दिनों में आपके सारे बाल झड़ जाएंगे?

बालों के झड़ने की कई समस्याएं हो सकती हैं. हो सकता है कि आपका शैंपू या तेल आपके बालों के अनुरूप न हो. यह भी हो सकता है कि आपको कोई आनुवांशिक समस्या हो या फिर इस बात की भी आशंका है कि आपकी डाइट में कुछ कमी हो.

कई बार खानपान में पोषक तत्वों की कमी के चलते भी बाल झड़ने लगते हैं. ऐसे में अपनी डाइट पर ध्यान दें. संभव है कि इससे बालों से जुड़ी यह समस्या दूर हो जाए. इन 5 चीजों को करें डाइट में शामिल और देखें फर्क.

अंडा

प्रोटीन और विटामिन से भरपूर अंडा बालों की ग्रोथ के लिए अच्छा होता है. आप चाहें तो अंडे को तेल में मिलाकर पैक की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

दाल

अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा दाल शामिल करें. दाल प्रोटीन का अच्छा माध्यम है, इससे बाल मजबूत बनते हैं.

शकरकंद

विटामिन और बीटा कैरोटिन से भरपूर शकरकंद बालों के विकास के लिए सबसे बढ़िया है.

शिमला मिर्च

शिमला मिर्च विटामिन सी से भरपूर होती है, यह बालों को मजबूती देने का काम करती है. विटामिन सी की कमी की वजह से बालों में रूखापन बढ़ जाता है और वे जल्दी टूटने लगते हैं.

पालक

पालक में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है. यह बालों की मजबूती के लिए बहुत ही फायदेमंद है. आप चाहें तो पालक को सलाद के रूप में भी ले सकती हैं.

कामयाबी की भूलभुलैया

आज आदमी कामयाबी का सोपान कैसे चढ़ रहा है कि जीवन की तमाम खुशियां ही बिखर गई हैं. संतुष्टि का मंत्र कहीं दूर जा कर खो गया है. जीवनपथ पर हर कोई भाग रहा है. चारों ओर स्पर्धाओं की आपाधापी मची हुई है. हर कोई एकदूसरे से आगे निकलने के लिए तत्पर है.

महत्त्वाकांक्षा और कामयाबी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. यह निर्विवाद सत्य है कि महत्त्वाकांक्षा और कामयाबी एकदूसरे के पर्याय हैं. महत्त्वाकांक्षा जीवन की संजीवनी बूटी है, जिजीविषा है, लालसा है, शक्ति है, निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा है, उत्साहउमंग का परिचायक है. इस के बिना जीवन निष्क्रिय है, मृतवत है. पर सबकुछ तो नहीं, कि जिस के लिए हम जीना ही भूल जाएं.

कामयाब होना अति उत्तम है पर अति महत्त्वाकांक्षी बन कर थोड़े समय में बहुतकुछ प्राप्त करने की चाहत आज जनून बन कर आम आदमी का सुकून तो नहीं छीन रही है? उस के अनंत सपनों का आकाश, उस के पंखों को काट उड़ने के हौसले तो नहीं छीन रही है? असीम महत्त्वाकांक्षाओं के सागर की लहरें उस के जीवन को डुबो तो नहीं रही हैं? कामयाबी की असीम चाहत उस के जीवन को कही असंतुलित तो नहीं कर रही, जिसे संतुलित करने के सतत प्रयास में वह असंतुलित हो कर जीवन को यज्ञ की वेदी बना कर अपने अमनचैन की आहुति दे रहा है. कुछ ऐसा ही हो रहा है आज. अति महत्त्वाकांक्षी बन कर लोग जीना ही भूल गए हैं. ऐसी भी क्या सफलता जो जीवनसंगीत से सुर, ताल औैर लय ही छीन ले.

डा. एस के खन्ना, जो पटना के बहुत नामी डाक्टर हैं, अपने नर्सिंग होम में सुबह 9 बजे से ले कर रात 2 बजे तक अपने चैंबर में बैठे रहते हैं. थक जाने पर भी निरंतर मरीजों को देखते ही रहते हैं. ज्यादा से ज्यादा कमाई कर लें, यही उन की सोच है. न तो परिवार को समय दे पाते हैं, न स्वयं को ही. कोई सोशललाइफ भी नहीं है. झूठी शानोशौकत के लिए उन की पत्नी और बच्चे पानी की तरह पैसा बहाते हैं. कहने वाले कहते हैं कि कोई आवश्यकता नहीं होने पर भी वे मरीजों को पैसों के लिए नर्सिंग होम में रहने को मजबूर करते हैं.

बहुत बड़ी होती हैं छोटीछोटी खुशियां. अंतर्मन में सकारात्मकता का संचार कर जीवन को सींचती हैं ये खुशियां. जीवन अनमोल है, कामयाबी की भूलभुलैया में इसे न खोएं. स्वास्थ्य ही जीवन है, इसे भूलें नहीं.

बड़ीबड़ी खुशियों को तलाशते हुए छोटीछोटी खुशियों को बड़ी उपब्धियों की चाहत में खोना, आदि कितने प्रश्न हैं जिन का समाधान अगर नहीं हुआ तो भौतिक सुखसुविधाओं से सुसज्जित जीवन की धज्जियां उड़ते देर नहीं लगेगी. कामयाबी की चाहत अगर मृगतृष्णा के जाल में फंसी, तो फिर जीवन तनाव, एंग्जायटी और डिप्रैशन जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार बन जाएगा.

पटना में कमल अग्रवाल के 2 ज्वैलरी शोरूम होने के साथ कपड़े और मोटर बेचने का कारोबार है. कुबेरपति हैं पर इतनी भागदौड़ में लगे रहते हैं कि जीवन ही मशीन बन कर रह गया है. अनियमितता के चलते कितनी बीमारियों के शिकार हो गए हैं. सारी सुखसुविधाएं हैं पर उन का कोई भोग नहीं है. घर में इतनी सिक्योरिटी है, फिर भी डरेसहमे रहते हैं. उन से तो सुखी उन के नौकरचाकर हैं, कम से कम अपनों के साथ हंसबोल तो लेते हैं.

महत्त्वाकांक्षाओं की सीमा

माना कि परिवार, समाज और देश की उन्नति महत्त्वाकांक्षा और इस की कामयाबी पर निर्भर करती है पर इस के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने के लिए अपनी खुशियों की आहुति देने का कोई औचित्य नहीं है. आज जितने व्यक्ति, उतनी महत्त्वाकांक्षाएं और अनंत कामयाबी की राहें. किसी को धनदौलत की चाहत तो किसी को धन लुटाने की होड़. किसी को ज्ञानार्जन की लगन तो किसी को ज्ञानास्रोत की तलाश. सफल वे ही होते हैं जिन की लगन सच्ची होती है. यही सकारात्मक महत्त्वाकांक्षाएं जब अतिशयोक्ति की सीमा का अतिक्रमण करती हैं तो जनून बन कर प्राप्ति और खुशियों के बीच असंतुलन बन कर जीवनरोग बन जाती हैं.

पटना के किदवईपुरी में रहने वाले करोड़पति मठाधीश दंपती की हत्या कर दी गई. कड़ी सिक्योरिटी में रहने के बावजूद धनदौलत के लिए उन की हत्या कर दी गई और यह किसी अपने का ही काम था. उन्होंने एक मठाधीश हो कर कैसे इतनी संपत्ति अर्जित कर ली कि 40 करोड़ रुपए के मकान में रहते थे. अवश्य ही नाजायज ढंग से धन का अर्जन किया होगा. कुबेर का खजाना तो अर्जित कर लिया, पर भोगा तो नहीं.

आज समाज और देश में परिवर्तन की क्रांति छाई हुई है जिस की लहरों पर सवार हर व्यक्ति की आकांक्षाएं आकाशमय हो रही हैं. आज देशविदेश में बेहतरीन अवसर हैं. आर्थिक सुविधाओं ने उन अवसरों की प्राप्ति की राहों को सरल बना दिया है जो आज से पहले उपलब्ध नहीं थीं.

सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की दौड़ से आम आदमी की सोच प्रभावित है. यही कारण है कि आज नगरोंमहानगरों में लोगों की संस्कृति उपभोक्तावादी बन गई है. शानोशौकत से रहने की प्रबल इच्छा पर नैतिकता कुरबान हो रही है.

हर क्षेत्र में एकदूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा इतनी है कि लोगों के पास पलभर सांस लेने के लिए एक छोटा पल भी नहीं है. धैर्य की बात तो दूर रही. हर कोई अल्प समय में अनंत पा लेना चाहता है चाहे राहें कठिन हों या आसान, गलत हों या ठीक, कोई परवा नहीं. बस, हासिल करना ही लक्ष्य होता है. दिग्भ्रमित हो कर इस पथ के राही बेहाल हैं.

नैतिकता की बलि

2016 में बोरिंग रोड चौराहे पर रहने वाले किसी सरकारी अधिकारी के यहां सीबीआई वालों ने छापा मार कर 2 सौ करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की. नौकरी से भी संस्पैंडैड हैं. फिर भी वे सीना तान कर यों चलते हैं मानो सबकुछ हासिल कर लिया हो. उन्हीं के फ्लोर पर रहने वाले एसबीआई बैंक में काम करने वाले अनिल पांडेय ने अपने फ्लैट को अमेरिकन स्टाइल में बनवाने के लिए बैंक से 1 करोड़ से ज्यादा रुपए का लोन लिया. निश्चित अवधि में लोन नहीं चुका सकने के कारण नौकरी से सस्पैंडैड तो हैं ही, हर 3 महीने में वे परिवार सहित गायब हो जाते हैं क्योंकि उन के फ्लैट में बैंक वाले ताला लगवा जाते हैं. कुछ दिनों के बाद ताला खुल भी जाता है.

यह कैसी महत्त्वाकांक्षा है कि जिस की पूर्ति में अपनी नैतिकता का परित्याग करना पड़ जाता है. क्या ऐसी मानसिकता से जीवन सुखी हो सकता है?

माना कि परिश्रम का कोईर् विकल्प नहीं है, सफलता की कुंजी है यह, फिर भी अल्प समय में अधिक प्राप्ति की चाह में मशीन न बनें क्योंकि इस से बढ़ रही है अपनों के बीच की दूरी और बढ़ रहा है अकेलेपन का अभिशाप. साथ ही, छूट रहा है अपनों का साथ. भावनात्मक आधार के अभाव के चलते जीवन से खुशियां तिरोहित हो गई हैं.

आकांक्षाओं और महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए लोग मशीन बनते जा रहे हैं. एकदूसरे से रहनसहन की प्रतियोगिता में वे असंतुष्ट तो रहते ही हैं, साथ में ये स्थितियां उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से असुरक्षा की भावना से भी घेरे रहती हैं. दूसरों की सफलता को वे सहन नहीं कर पाते. फिर, ऐसी प्रतिस्पर्धाओं के तनाव से आपसी नजदीकियां समाप्त हो जाती हैं.

स्पर्धा की अग्नि में जीवन की सुखशांति की आहुति कभी नहीं देनी चाहिए क्योंकि कामयाबी के शीर्ष पर आदमी आरूढ़ तो हो जाता है पर अंत में अकेलेपन का शिकार हो कर अवसाद में घिर भी जाता है. सफलता की ओर अग्रसर रहना, उसे उस खास मुकाम पर बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है. जितना मिलता है, उस से और ज्यादा पाने की पिपासा बढ़ती जाती है. फिर खुशियों का उपवन जलते रेगिस्तान में तबदील हो जाता है और तमाम जिंदगी आदमी अर्जन की मृगतृष्णा में उलझ कर रह जाता है.

कामयाबी की दौड़ और दोहरी जिम्मेदारियों को निभाने की चाह रखने वाली महिलाओं में भी अप्रत्याशित बदलाव आए हैं. पारिवारिक स्तर को ऊंचा बनाने के लिए वे भी हर तरह से प्रयत्नशील हैं, सफलीभूत भी हैं. पर घरबाहर की चुनौतीपूर्ण दोहरी जिम्मेदारियों में वे किसी चक्की की पाट की तरह पिस रही हैं. अनंत अपेक्षाएं उन्हें भी शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त कर नाना प्रकार की उलझनें ही पैदा कर रही हैं.

अतीत की धरोहर संयुक्त परिवार के टूटने से उन्हें कोई भावनात्मक आधार भी नहीं मिल पाता. फलस्वरूप, महिलाओं का जीवन भी बिखर रहा है. फिर भी यह जिद है कि कामयाबी को किसी न किसी तरह से हासिल करना ही है. पाने की चाहत में वे वास्तविक सुखों की बली चढ़ा रही हैं.

खुशहाली का मापदंड

हम से कामयाबी है, न कि हम कामयाबी से. छोटीछोटी खुशियां ही दीपमालिका बन कर बड़ी खुशियों का सृजन करती हैं. आज का आदमी इतना व्यस्त है कि छोटीछोटी खुशियों को महसूस करने के लिए उस के पास वक्त ही नहीं है.

चुनौतियों से भरी उपलब्धियां कामयाब बना सकती हैं पर खुशहाल नहीं. पाने की तृष्णा असीमित, अछोर और अनंत हैं पर अनमोल जीवन से बढ़ कर कुछ नहीं है. कामयाबी, जो जीवन की खुशहाली का मापदंड बना हुआ है, मात्र भ्रम है. इस की प्राप्ति की राह में कभी विस्मृत नहीं होना चाहिए कि हम से कामयाबी है, न कि हम कामयाबी से.

जीवन के संतुलन को हर हाल में बनाए रखना चाहिए. कोहरे में घिरी कामयाबी को आत्मतुष्टि की उष्मा से पिघलते रहना चाहिए ताकि यह जनून बन कर जीवन का सारा सुकून न छीन ले.   

हैप्पी प्रैगनैंसी

मां बनना महिला के जीवन का सब से खूबसूरत पल होता है. लेकिन कई बार कुछ कारणों के चलते कोई महिला मां नहीं बन पाती है. ऐसी स्थिति में निराश होना स्वाभाविक है. मगर कई मामलों में कुछ बातों का ध्यान रख कर और डाक्टरी सलाह ले कर कमियों को दूर कर मां बनने का सुख हासिल किया जा सकता है.

जानतें हैं, प्रैगनैंसी के लिए किनकिन खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. साथ ही, प्रैगनैंसी प्रोसेस और उस से जुड़े कौंप्लिकेशंस पर भी एक नजर:

जरूरी सावधानियां

– 32 साल के बाद महिलाओं की गर्भधारण करने की क्षमता कम होने लगती है. इसलिए अगर किसी महिला की उम्र 32 साल हो गई है, तो उसे गर्भधारण में देर नहीं करनी चाहिए. अगर प्राकृतिक तौर पर वह गर्भवती नहीं हो पा रही है तो उसे तुरंत किसी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए.

– धूम्रपान करने से भी मां बनने की क्षमता प्रभावित होती है. इतना ही नहीं, इस से गर्भपात का भी खतरा बना रहता है, इसलिए महिलाओं को धूम्रपान नहीं करना चाहिए.

– बहुत ज्यादा वजन होना भी मां बनने में बाधक होता है. अगर आप मोटी हैं और आप को गर्भधारण में परेशानी आ रही है, तो आप अपना वजन कम करें.

– जो महिलाएं शाकाहारी होती हैं, उन्हें अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में फौलिक ऐसिड, जिंक और विटामिन बी12 लेने की जरूरत होती है. शरीर में इन पोषक तत्त्वों की कमी भी गर्भधारण में रुकावट पैदा करती है.

– अगर आप 1 सप्ताह में 7 घंटे से ज्यादा ऐक्सरसाइज करती हैं, तो इसे कम करने

की जरूरत है. जरूरत से ज्यादा ऐक्सरसाइज के कारण ओव्युलेशन प्रौब्लम हो जाती है, जिस से गर्भधारण करने में परेशानी आती है.

– फिजिकल इनऐक्टिविटी भी कई बार गर्भधारण करने में बाधा उत्पन्न करती है. अगर आप बहुत ज्यादा सुस्त रहती हैं, फिजिकली इनऐक्टिव रहती हैं, तो आप को ऐक्टिव होना होगा.

– एसटीआई यानी सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण भी गर्भधारण करने की क्षमता प्रभावित होती है. अगर आप को ऐसी किसी भी तरह की परेशानी है, तो तुरंत उस का इलाज करवाएं.

– पेस्टिसाइड्स, हर्बिसाइड्स, मैटल जैसे लेड सहित कुछ रासायनिक तत्त्व ऐसे होते हैं, जिन के संपर्क में आने से गर्भधारण की क्षमता प्रभावित होती है. इसलिए जहां तक हो सके इन के सीधे संपर्क में आने से बचें.

– मानसिक तनाव भी गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित करता है. इसलिए अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रैस लेती हैं, तो उस से बचें.

कैसे होता है गर्भधारण

एक महिला जिसे हर महीने मासिक चक्र होता है, वही गर्भधारण कर सकती है. असल में 2 मैंस्ट्रुअल साइकिल के बीच ओव्युलेशन पीरियड होता है. यह वह पीरियड होता है जब ओवरी से एग रिलीज होते हैं यानी अंडे निकलते हैं. सामान्य अवस्था में एक महिला में ओव्युलेशन की प्रक्रिया अगले मैंस्ट्रुअल साइकिल के 2 सप्ताह पहले शुरू हो जाती है. ओव्युलेशन के दौरान रिलीज होने वाले एग 24 घंटे तक जीवित रहते हैं, उस के बाद मर जाते हैं. ओव्युलेशन के दौरान जब पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनता है, तो एग और स्पर्म एकदूसरे के संपर्क में आते हैं. इसी समय स्पर्म द्वारा एग को फर्टिलाइज्ड यानी निशेचित करने से एक महिला गर्भधारण करती है.

गर्भधारण का सर्वोत्तम समय

गर्भधारण करने का सब से सही समय ओव्युलेशन के समय शारीरिक संबंध बनाना होता है. एक सामान्य महिला में ओव्युलेशन की अवधि 6 दिनों की होती है. ओव्युलेशन के बाद जहां एग्स मात्र 1 दिन ही जीवित रह पाते हैं, वहीं स्पर्म 1 सप्ताह तक जीवित रहते हैं. इस प्रकार ओव्युलेशन के बाद के 5 दिन गर्भधारण के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ओव्युलेशन के 1-2 दिन पहले शारीरिक संबंध बनाया जाए तो गर्भधारण की क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि इस से स्पर्म को एग के संपर्क में रहने का ज्यादा समय मिलता है.

गर्भधारण के समय होने वाली परेशानी

गर्भधारण के बाद महिला को काफी सावधानी बरतनी होती है. ऐसा न करने पर उसे कई समस्याएं हो सकती हैं.

हाई ब्लडप्रैशर: कई महिलाओं में प्रैगनैंसी के दौरान हाई बीपी की शिकायत देखी जाती है. ऐसे में नियमित जांच कराते रहना चाहिए.

ऐनीमिया: जब एक गर्भवती महिला पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन नहीं करती है, तो उस के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. इस स्थिति में लापरवाही बरतने पर मां और बच्चा दोनों की जान जा सकती है.

संक्रमण: एक गर्भवती महिला को संक्रमण से होने वाली बीमारियां जैसे, इन्फ्लुएंजा, हैपेटाइटिस ई, हर्पिस सिंपलैक्स, मलेरिया आदि से ग्रस्त होने का ज्यादा खतरा रहता है. इन बीमारियों का समय पर इलाज बहुत जरूरी है वरना मां और बच्चा दोनों की मृत्यु हो सकती है.

यूरिनरी इनकौंटिनैंस: गर्भावस्था के दौरान यूरिनरी इनकौंटिनैंस यानी मूत्र संबंधी विकार के मामले भी काफी देखने को मिलते हैं. इस प्रौब्लम के होने पर डाक्टर से सलाह लेना आवश्यक है.

स्ट्रैस: गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद कई महिलाएं बेहद मानसिक तनाव में आ जाती हैं. इस तनाव का असर मां और बच्चे दोनों पर पड़ता है. इसलिए जितना जल्दी हो सके इस से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए.

– डा. साधना सिंघल, गायनेकोलौजिस्ट, श्री बालाजी ऐक्शन मैडिकल इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली   

सनी लियोन का ये वीडियो देखकर आप भी शर्मा जाएंगी

सनी लियोन को देखने के लिया हर बूढ़ा और जवान मचल उठता है और जब सनी कभी कभी हरकतें कुछ ऐसी कर जाती है की देखने वाला वैसे ही दीवाना हो जाये. हम भी एक मूवी में से कुछ ऐसा ही सीन लेकर आये है. जिसमे सनी पहले तो साडी में मस्त लग रही थी. पर उसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया की देखने वालो की आंखे फटी की फटी रह गई.

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