ब्लैक कलर कभी नहीं होता फैशन से आउट

ब्लैक कलर हमेशा ही सुंदर और सभ्य लगता है. पूरी दुनिया में काले रंग को संपूर्ण यानि पूरा समझा जाता है. ये किसी भी दूसरे रंग के साथ फब जाता है. किसी भी मौसम में ब्लैक कलर पहना जा सकता है. इस रंग की सबसे खास बात ये है कि इसका फैशन कभी आउट नहीं होता और इसे कभी भी किसी भी दूसरे कलर के साथ मैच किया जा सकता है.

ब्लैक कलर को कलर्स ऑफ किंग या‍नि रंगों का राजा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ब्लैक कलर के आगे दूसरा कोई रंग नहीं टिक सकता है. अगर आपको लगता है कि ब्लैक सिर्फ एक कलर है तो आप गलत हैं, ये रंग आपके स्टाइल के बारे में भी बताता है. ब्लैक सिर्फ एक कलर नहीं है बल्कि ये आपके स्टाइल में चार चांद लगाता है. चलिए जानते हैं कि ब्लैक कलर में आखिर ऐसा क्या खास है तो इसे कभी फैशन से आउट नहीं हाने देता है.

इसे किसी भी रंग के साथ पहन सकते हैं

अगर आपको मिक्स एंड मैच वाले आउटफिट्स पसंद आते हैं तो ब्लैक आपके लिए परफैक्ट कलर है. ब्लैक की खासियत ही यही है कि इसे किसी भी रंग के साथ आसानी से मैच किया जा सकता है. लड़कों को तो ब्लैक के अलावा तो जैसे कोई और रंग दिखाई ही नहीं देता है.

इसके साथ एसेसरीज मैच करना भी होता है आसान

स्टाइलिंग में सिर्फ कपड़े ही नहीं आते हैं. एसेसरीज़ से भी आप अपने लुक में जान डाल सकते हैं. कपड़ों से मैच करती हुई एसेसरीज़ मिलना तो बहुत मुश्किल काम होता है लेकिन ब्लैक एसेसरीज़ आप किसी भी रंग के आउटफिट के साथ पहन सकती हैं.

इसके साथ आप कुछ भी मैच कर पहन सकते हैं

अगर आपको फैशन की बिलकुल भी समझ नहीं है तो आपके लिए कपड़ों और रंगों को मैच करना काफी मुश्किल हो जाता है. अकसर लोगों को समझ नहीं आता कि किस रंग के कपड़ों या डिज़ाइन को कैसे मैच किया जाए. लेकिन ब्लैक के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है.

जब कुछ ना मिले तो ब्‍लैक आता है काम

कैजुअल लुक चाहते हैं या अच्छीं तरह से तैयार होकर जाना चाहते हैं, ये दोनों ही काम ब्लैक कलर के आउटफिट पूरा कर सकते हैं. डेट, दोस्तों के साथ मस्ती, ऑफिशियल मीटिंग में आप ब्लैक आउटफिट पहन सकते हैं. इस रंग की वजह से आपको कभी भी अपनी लुक को लेकर शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा.

इसे आप किसी भी मौसम में पहन सकते हैं

गर्मी में हल्के रंग तो वहीं सर्दी में गहरे रंग पहने जाते हैं लेकिन ब्लैक कलर तो सदाबहार है. आप इसे किसी भी मौसम में पहन सकते हैं. पीला, हरा और ऑरेंज रंग गर्मी के मौसम में ठंडक देता है लेकिन ब्लैक कलर सदाबहार है. इसे आप पूरे साल में कभी भी किसी भी मौके पर पहन सकते हैं.

ब्लैक देता है क्लासी लुक

आप चाहें तो खुद भी ट्राई कर सकते हैं कि किस तरह ब्लैक कलर आपकी पर्सनैलिटी को उभारता है. इन्हीं खूबियों के कारण ब्लैक कलर हर उम्र के लोगों के लिए बैस्ट रहता है. इस कलर को आप कभी भी किसी भी मौके पर पहन सकते हैं.

आपको भी रातों में कम नींद आती है?

ये जानकारी एक अध्ययन में सामने आयी है कि हो सकता है आप पूरी तरह से स्वस्थ्य हों, पर नींद सही तरीके से नहीं होना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको आग चलकर अल्जाइमर की बीमारी होने का खतरा हो सकता है.

क्या है कारण

इस संबंध में अनुसंधानकर्ताओं और विशेषज्ञों को नींद की समस्याओं और रीढ़ की हड्डी के तरल द्रव में पाये जाने वाले अल्जाइमर रोग के जैविक संकेतक मार्कर के बीच एक कड़ी नजर आई.

नींद कई तरह से अल्जाइमर रोग के पनपने या विकसित होने का कारण बन सकती है. उदाहरण के तौर पर, नींद नहीं आने या नींद में कमी के कारण आपके शरीरील में एक एमीलोयड पट्टिका का निर्माण होने लगता है क्योंकि सोने के दौरान मस्तिष्क की निकासी प्रणाली काम करना शुरू करती है.

कई सारे अध्ययन में ना केवल एमीलोयड पर नजर रखी गयी बल्कि रीढ़ की हड्डी में तरल द्रव में अन्य जैविक मार्कर की भी पड़ताल की गयी. एमीलोयड एक प्रोटीन है. टाउ एक प्रोटीन है जो उलझ जाता है. शोधकर्ताओं ने 101 लोगों पर अध्ययन किया जिनकी औसत उम्र 63 वर्ष थी. इन लोगों की सोच सामान्य और याद्दाश्त कौशल सही थे. इस संबंध में समय समय पर कई लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं.

डॉक्टर से सलाह

तो अगर आपको रातों को अच्छे से नींद नहीं आ रही है तो आपको रुरंत ड़क्टर से मिलना चाहिए इससे पहले कि ये समस्या और बढ़ जाए.

रिमझिम बारिश में दमके रूप

मौनसून का इंतजार भला किसे नहीं होता. झुलसाती गरमी से जहां बारिश राहत प्रदान करती है, वहीं इस मौसम में अगर आप को कहीं जाना पड़ जाए, मसलन किसी पार्टी आदि में तो आप को मेकअप को ले कर चिंता भी होती है. मेकअप मौसम के हिसाब से करना बहुत जरूरी हो जाता है.

अगर बारिश में मौसम के हिसाब से सुरक्षित मेकअप न किया जाए, तो पानी और नमी की वजह से वह उतरने लगता है. अगर आप ने मेकअप मौनसून के हिसाब से किया है, तो इस मौसम में भी आप का मेकअप काफी समय तक टिका रह सकता है.

हर मौसम में त्वचा को नमी चाहिए. इसलिए अगर आप ने बिना मौइश्चराइजर के मेकअप किया है, तो वह अधिक समय तक एक जैसा नहीं दिखता. महिलाएं मौनसून में मेकअप खराब होने के डर से मेकअप करती ही नहीं, तो कई बार वाटरप्रूफ मेकअप भी काम नहीं करता.

यहां मौनसून को ध्यान में रख कर दिए जा रहे हैं कुछ मेकअप टिप्स, जिन पर गौर कर इस मौसम में भी खुद को सुंदर बनाए रख सकती हैं:

ऐसे करें मेकअप

– क्रीम ब्लशर का प्रयोग करें.

– फाउंडेशन की जगह फेस पाउडर का अधिक प्रयोग करें.

– आईशैडो हलके रंगों जैसे गुलाबी, कत्थई आदि का प्रयोग करें. क्रीम शैडो की जगह पाउडर शैडो लगाएं.

– इस मौसम में मसकारा वाटरपू्रफ लगाएं और उस की 2 परतें अवश्य लगाएं.

– लिक्विड आईलाइनर की जगह पैंसिल आईलाइनर लगा सकती हैं.

– आईब्रोज पैंसिल का प्रयोग न कर आईब्रोज जैल का प्रयोग करने से फ्रैश लुक आता है.

– मैट लिपस्टिक का प्रयोग इस मौसम में अच्छा रहता है. निओन पिंक इस मौसम में अच्छा लुक देता है, पर लिपस्टिक का चुनाव परिधान के अनुसार करें.

इस के अलावा इस मौसम में अगर आप को किसी शादी या पार्टी में जाना है, तो हैवी मेकअप की जरूरत पड़ती है. मेकअप आर्टिस्ट पल्लवी बताती हैं कि आजकल बाजार में वाटरप्रूफ फाउंडेशन, आईलाइनर, मसकारा, लिपस्टिक, ब्लशर सब कुछ मिलता है. इस मौसम में इन्हें लगाना फायदेमंद रहता है.

प्रभावशाली तरीका

इस मौसम में तैलीय त्वचा के लिए ऐस्ट्रिंजैंट का उपयोग करें, जबकि सूखी और साधारण त्वचा के लिए ठंडे पानी से चेहरा धोने के बाद टोनर का प्रयोग करें. हर मौसम में त्वचा को साफसुथरा रखना बहुत जरूरी है. बरसात में चेहरे को धो कर उस पर आइसक्यूब 5 से10 मिनट तक धीरेधीरे रगड़ें. त्वचा को ठीक रखने का यह एक प्रभावशाली तरीका है.

नैचुरल मेकअप

मौनसून में प्रयोग किए जाने वाले मेकअप ब्रश को हमेशा साफ और सूखी जगह रखें. हमेशा मेकअप ब्रश को किसी बौक्स या पाउच में सुखा कर रखें. लिपस्टिक और मेकअप ब्रश कभी शेयर न करें. मौनसून में मेकअप नैचुरल करना ठीक रहता है. लेकिन अगर आप ने हैवी या लाइट ड्रैस पहनी है, तो मेकअप उस के अनुसार करें.

चेहरा दिखेगा फ्रैश

इस मौसम में टचअप करना आवश्यक होता है ताकि चेहरा हमेशा फ्रैश दिखे. अधिक ग्लौसी लिपस्टिक न लगाएं. रात को सोने से पहले मेकअप उतार कर मौइश्चराइजर लगाना न भूलें. अगर आप ऐसा नहीं करती हैं, तो आपके रोमछिद्र बंद हो कर कीलमुंहासे बन सकते हैं. कड़ी आईलैशेज न लगाएं वरना वे टूट सकती हैं. इस सब के अलावा इस मौसम में खूब पानी पीएं और संतुलित व पौष्टिक आहार लें.

इतना स्टारडम मैंने कभी नहीं सोचा था : शाहरुख खान

25 साल से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले अभिनेता शाहरुख खान आज भी करोड़ो लोगों के चहेता कलाकार हैं. उनकी फिल्में अच्छी हो या बुरी हर कोई उसे एक बार देखना पसंद करता है यही वजह है कि 50 की उम्र पार करने के बाद भी वे फिल्में कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने हर तरह की फिल्मों में अभिनय किया है, पर उन्हें रोमांटिक फिल्में अधिक पसंद है. उन्होंने अभिनय की शुरुआत टीवी से की और धीरे-धीरे फिल्मों की ओर बढ़े.

साधारण कद-काठी के शाहरुख को कभी लगा नहीं था कि इतनी बड़ी स्टारडम उन्हें मिलेगी. वे खुद दर्शकों के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने उनके हर फिल्म को अपना प्यार दिया. ‘जब हैरी मेट सेजल’ के प्रमोशन के अवसर पर उनके बांद्रा स्थित आवास ‘मन्नत’ में उनसे मुलाकात हुई. पेश है अंश.

आप अभी भी इतने एनर्जेटिक दिखते हैं. वजह क्या है?

मैं खाना कम खाता हूं और काम अधिक करता हूं, इसलिए फिट रहता हूं. अगर अधिक खाना खाता हूं, तो मोटापा घेर लेगी और मैं काम नहीं कर पाऊंगा.

इस फिल्म में आपको खास क्या लगी कि आप इसे करने के लिए उत्साहित हुए?

हर फिल्म की एक कहानी होती है, जो धीरे-धीरे खुलती है, जिसमें प्यार, एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा, सॉन्ग आदि सब कुछ होता है. जिसे लोग एन्जॉय करते हैं. ये फिल्म कोई इश्यू पर आधरित फिल्म नहीं है. जैसा कि ‘चक दे’ या ‘दंगल’ फिल्में थीं. ये एक सिंपल लव स्टोरी है और मेरे हिसाब से लव स्टोरी से अच्छा कोई मैसेज नहीं है. फिर चाहे पति-पत्नी, लड़का-लड़की, पिता-बेटा, भाई-बहन कोई भी हो सकता है, क्योंकि प्यार ही किसी रिश्ते को जोड़कर रखती है.

आप एक वर्सेटाइल एक्टर हैं, लेकिन आपको किंग ऑफ रोमांस कहा जाता है, क्या आपकी बहुमुखी प्रतिभा किंग ऑफ रोमांस के नीचे दब नहीं जाती? क्या इस बारें में आप कभी सोचते हैं?

ऐसा मैं सोच सकता हूं, पर मैं सोचता नहीं, क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं वर्सेटाइल एक्टर हूं. सालों पहले मैं जब अपने दोस्तों के साथ बैठा गप-शप कर रहा था तो पाया कि उस समय तक कुल 4 लव स्टोरी ही मैंने की है. ये सही है कि लव स्टोरी हमेशा सफल होती है. जो जिंदगी भर याद रहती है और मैंने शुरुआत में ऐसी लव स्टोरी की 3-4 फिल्में की है, जो क्लासिक बनीं और लोगों ने मेरा नाम किंग ऑफ रोमांस रख दिया. जबकि मेरी दूसरी फिल्में चक दे, स्वदेश, माय नेम इस खान, डॉन आदि भी चली थी. किंग ऑफ निगेटिव रोल से तो ये पदवी अधिक अच्छी ही है. 60 फिल्मों के रिकॉर्ड में बहुत सालों बाद मैं फिर से लव स्टोरी कर रहा हूं.

आप अपने और गौरी के रिश्ते के बारें में क्या कहना चाहेंगे? क्या विवाह को जरुरी मानते हैं?

हमारा रिश्ता अच्छा है, हमारे बच्चे हैं, जिसकी खुशी हमें मिलती है, लेकिन इसमें सामंजस्य बनाये रखना, एक दूसरे की ‘स्पेस’ को समझने की जरुरत होती है. मेरी जिंदगी बहुत पब्लिक है और इसे मेरी पत्नी और बच्चे समझते हैं और मेरी इज्जत करते हैं. ये अच्छी बात है, क्योंकि उन्हें पता है कि इस काम में ही मुझे खुशी मिलती है. ऐसे में अगर हम दोनों एक साथ थोड़ी देर भी बैठते हैं तो अच्छा महसूस करते हैं. हर किसी के लिए शादी और रिलेशनशिप का अर्थ अलग होता है. जिसमें दुख, खुशी, अनबन सबकुछ होता है. जो इसे जिस रूप में ले, वह उसके लिए सही है. कुछ लोगों को शादी पुराने रीति-रिवाज भी लगता है. मेरे हिसाब से दो लोगों को ऑफिस में दो घंटे साथ बैठने से भी प्यार हो सकता है. इसी को मैंने फिल्म ‘चलते-चलते’ में दिखाने की कोशिश की थी. वो कितना सही या गलत था मैं नहीं जानता, पर हर व्यक्ति अपने हिसाब से ही किसी रिश्ते को देखता है.

आपकी और गौरी में अच्छी सामंजस्य है, लेकिन कोई ऐसी आदत है जो गौरी को पसंद नहीं?

मेरी सिगरेट पीने की आदत, कम सोना, समय पर न खाना, सामान को व्यवस्थित न रखना, किसी जगह पर समय पर न पहुंचना आदि कई आदतें केवल पत्नी को ही नहीं बेटी को भी पसंद नहीं, लेकिन मैं क्या करूं अपनी आदत से मजबूर हूं. मैं वादा करता हूं, फिर भूल जाता हूं. उन्हें काफी शिकायत है, लेकिन अधिक सिरियस नहीं है.

आप पहले इतने कामयाब नहीं थें, लेकिन अब सुपर स्टार हैं, क्या कभी पुराने दिनों को याद करते हैं?

मैं पर्सनल लाइफ में बहुत अकेला रहता हूं. बच्चों, पत्नी और बहन के अलावा मेरी जिंदगी में कोई नहीं है. मुझे अधिक चीजों का शौक नहीं है. अगर मेरा परिवार कहीं बाहर जाता है और मैं काम नहीं कर रहा होता तो अकेला बैठा रहता हूं. ये सही है कि मैं अपने माता-पिता को ‘मिस’ करता हूं, अपने बचपन को कभी-कभी याद कर लेता हूं. इसके अलावा अधिक कुछ भी नहीं याद करता. असल में मैं हर पल में जीता हूं. 25 साल से मैं काम कर रहा हूं, तो यही जिंदगी मुझे अच्छी लगती है. माता-पिता की जगह मुझे बच्चे मिले. यादें यही है कि मैं उस समय खेलता और पढाई करता था. बाकी समय घर में ही बैठा रहता था. इस समय पब्लिक लाइफ में बदलाव आया है, क्योंकि अब लोग पहचानते हैं और वैसा व्यवहार करना पड़ता है, लेकिन पर्सनल लाइफ में मैं पहले जैसा ही हूं.

क्या काम के अलावा कुछ सामाजिक कार्य करने की इच्छा रखते हैं?

मैं समाज के लिए कुछ करते वक्त फोटो खिचवाना पसंद नहीं करता. मैंने अधिक सामाजिक कार्य किया भी नहीं है. ‘लेडीज टॉयलेट’ के लिए कुछ करने की कोशिश की थी, जिसका अभियान चल पड़ा है. मुझे महिलाओं से बहुत लगाव है. उनके लिए कुछ करना चाहता हूं, मेरी एक छोटी सी फाउंडेशन है, जिसके जरिये छोटा-छोटा काम करना चाहता हूं. काम के बाद उसे सबके सामने लाऊंगा, लेकिन तालियां और फोटो के लिए नहीं, बल्कि लोग मुझसे जुड़े ताकि मैं इसे और आगे बढ़ा सकूं. इसके अलावा मैं एसिड अटैक महिलाओं के लिए कुछ करने की इच्छा रखता हूं. मैं उन्हें स्वावलंबी बनाकर नौकरी देना चाहता हूं, ताकि वे अपने पांव पर खड़ी हो सकें. उन्हें मदद पैसे से नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं, क्योंकि मैं भी ‘सेल्फमेड’ हूं. सहानुभूति से अधिक उन्हें ये अच्छा लगता है कि लोग उन्हें बराबर का दर्जा दें, अपनी बेटी को भी इसमें शामिल करना चाहता हूं.

सुनने में आ रहा है कि आप महाभारत पर कुछ प्रोजेक्ट बनाने वाले हैं, इसमें कितनी सच्चाई है?

ये सही है कि मैं महाभारत पढ़ रहा हूं और इसे समझने की कोशिश कर रहा हूं. अभी कोई प्लान नहीं है, क्योंकि इसे लिखने के लिए एक जानकार लेखक की आवश्यकता है. इसके कई भाग मैं खुद नहीं जानता था, इसमें कही गयी कुछ कहानियां मुझे प्रेरित करती है. मैं इसपर नोट्स बना रहा हूं. बच्चों को भी मैं इसकी कहानियां पढ़ने और सुनने के लिए प्रेरित करता हूं.

आपने स्टारडम को कैसे देखते हैं? क्या कभी इस बात से डरते हैं कि ये खत्म हो जायेगा?

मैं इस बात पर अधिक सोचता नहीं. मैं अपनी दुनिया में रहना पसंद करता हूं. मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्में अधिक चलें, केवल पैसे की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि दर्शकों को फिल्म पसंद आये और उसे वे हमेशा याद रखें. जैसा कुछ फिल्मों ने किया. आगे भी मैं ऐसी ही यादगार फिल्में बनाना चाहता हूं. स्टारडम न तो कोई बना सकता है, न ही बिगाड़ सकता है और न ही कायम रख सकता है. जिसे आप कर सकते हो वह है काम, जिसे आप बिगाड़, कायम और बना सकते हैं. उस पर अधिक ध्यान देता हूं. हर फिल्म को मैं चाहता हूं कि दर्शक पसंद करें और इतने महीने की सबकी मेहनत सफल हो. जब मेरी फिल्म नहीं चलती तो अगली फिल्म के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है और अगर फिल्म चल जाय तो उससे बेहतर बनाने की कोशिश चलती है. यही मेरा रूटीन है. इतनी स्टारडम तो मैंने कभी नहीं सोचा था.

जोकर से अपनी तुलना करते हैं रणबीर!

‘सांवरिया’ से 14 जुलाई को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘जग्गा जासूस’ के साथ ही रणबीर कपूर के अभिनय करियर के दस वर्ष पूरे हो चुके हैं. इन दस वर्षों में एक तरफ रणबीर कपूर के करियर में काफी उतार चढ़ाव हुए. तो वहीं निजी जिंदगी में भी कटरीना कैफ के साथ उनका संबंध विच्छेद हो गया. निजी जीवन के रिश्ते के टूटने यानी कि प्रेम संबंध के टूटने के बावजूद वह कटरीना कैफ के संग अपनी फिल्म ‘जग्गा जासूस’ को जोरदार तरीके से प्रचार करने में जुटे हुए हैं. ऐसा करने की प्रेरणा रणबीर कपूर को अपने दादाजी स्व. राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ से मिली.

जी हां! यह एक कटु सत्य है. खुद रणबीर कपूर कहते हैं, ‘‘ देखिए, यही तो जिंदगी है. मैं आपको मेरे दादाजी की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ की याद दिलाना चाहूंगा. जोकर की दुनिया अलग है. उसकी जिंदगी में कुछ भी हो सकता है. उसकी मां मर गयी है. उसकी तबियत खराब हो या कोई दूसरी दुःखद घटना घटी हो. मगर जब वह मंच पर जोकर का चेहरा लेकर आता है, उस वक्त उसे लोगों का मनोरंजन करना ही है. हम सभी कलाकारों का भी यही मकसद होता है. जो हम काम करते हैं, उसमें हम अपनी जिंदगी के बोझ को लेकर नहीं चल सकते.’’

लेकिन रणबीर कपूर ने अब तक जो किरदार निभाए हैं, उनमें से फिल्म ‘रॉकस्टार’ का किरदार उनकी निजी जिंदगी के साथ अभी भी जुड़ा हुआ है. खुद रणबीर कपूर इस बात को कबूल करते हुए कहते हैं, ‘‘यूं तो हर किरदार का हमारी निजी जिंदगी पर असर नहीं होता है. लेकिन मैंने एक फिल्म की थी ‘रॉकस्टार’ इस फिल्म के किरदार का असर मेरी निजी जिंदगी पर हुआ था. यह संगीतमय, दिल टूटने वाली फिल्म थी. यह फिल्म और इसका किरदार मेरे साथ रह गया. मगर हर फिल्म करने के अनुभव अलग अलग होता है. किसी फिल्म में अभिनय करने के दो वर्ष बाद उस फिल्म का अनुभव या उसका प्रभाव अनजाने ही बाहर निकलता है. ‘रॉकस्टार’ ऐसी फिल्म थी, जिसने मुझे हिलाकर रख दिया था.’’

शायद इसकी वजह यह भी रही होगी कि ‘रॉकस्टार’ के किरदार को आत्मसात करने के लिए रणबीर कपूर ने कुछ समय तक उसी तरह की जिंदगी जी भी थी. वह बताते हैं, ‘‘यह संगीतमय फिल्म थी और मुझे संगीत की समझ नहीं थी. तो मैंने ए आर रहमान के साथ काफी समय बिताया था. यह दिल्ली का जाट लड़का था, इसलिए मैं दिल्ली जाकर कुछ दिन एक जाट परिवार के साथ रहा था.’’

अगर सिखाना चाहती हैं अपने बच्चों को पैसे का महत्व

ऐसा माना जाता है कि बच्चों की पहली पाठशाला उसका घर होती है. और पैरेंट्स उसके पहले टीचर होते हैं जिनसे बच्चा अपनी जिंदगी के अच्छे और बुरे अनुभवों को सीखता है. आप अपने बच्चे को हर वो चीज बताना और सीखाना चाहती हैं जो आपके बच्चे के भविष्य में काम आये . लेकिन सबसे ज्यादा जिस बात को अपने बच्चों को बताने की जरुरत है, वो पैसों का महत्व.

क्योंकि अपने बच्चों को पैसे के महत्व के बारे में सिखाने की ज़िम्मेदारी हर पैरेंट्स की होती है. तो चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताते हैं कि आप कैसे कुछ सरल तरीके आजमाकर अपने बच्चे को बिना किसी समस्या के पैसों की बचत और उसके उपयोग के बारे में बता सकते हैं.

1. खिलौनों की दुकान करेगी आपकी मदद

अपने बच्चे के खिलौनों को क्रम मे रखें और सबके ऊपर एक कीमत लिखें और खिलौनों को बच्चे के सामने रखें. अपने बच्चे के हाथ में कुछ पैसा दे दें. अब, एक टोय शॉप वाला खेल खेलिए, आप दुकानदार की भूमिका निभाइए और आपका बच्चा खरीदार होगा. एक लेनदेन करें और देखें कि क्या आपका बच्चा आपको सही राशि देता है इसके अलावा, उन्हें दिए गए छुट्टे पैसो की गिनती करने को कहें और पूछें कि क्या यह सही मात्रा है. सीखने के उद्देश्य के लिए, उसे कभी-कभार गलत गणना करें और उन्हें आपको सही करने का मौका दें. अपनी भूमिकाओं को बदलें और यह खेल फिर से शुरू करें. यह अनुभव आपके बच्चे को व्यावहारिक दुनिया के बारे में एक दृष्टिकोण देगा और वह हमेशा मिले हुए छुट्टे को गिनना सिख लेगा.

2- पिग्गी बैंक सिखाता है बचत करना

आजकल पिग्गी बैंक कई तरह की डिजाइन में आते हैं. सामान्य वन-स्लॉट पिग्गी बैंक से लेकर ऐसे पिग्गी बैंक भी बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें चार स्लॉट होते हैं- बचत स्लोट, खर्च करने वाले पैसों का स्लोट, दान करने वाला स्लोट और निवेश करने का स्लोट. यह बच्चों को सिखाता है कि पैसा केवल खर्च करने के लिए ही नहीं होता है, इसे इस्तेमाल करने के अन्य तरीके भी होते हैं. अगर आप किसी पिग्गी बैंक को नहीं खरीद सकते हैं, तो आप इसे घर पर ही बना सकतीं है. किसी बॉक्स के चार स्लोट्स बना ले और आपके बच्चे के लिए पिग्गी बैंक तैयार है.

3. किराने के बिल का टोटल करना

यह एक ऐसी प्रतिक्रिया है, जिसे आप अगली बार सुपरमार्केट पर जाने पर अमल में ला सकती हैं. आप अपने बच्चे को कागज को दो हिस्सों में विभाजित करने को कहिए , जिसमें एक तरफ सामग्री और दूसरे भाग पर बजट लिख दीजिए. अब, आप शॉपिंग करना शुरु करें और हर बार जब आप एक सामान ले लेतीं हैं तो उसे लिस्ट से बाहर कर दें और फिर इस सामान की कीमत को बजट से घटा दे. आपके बच्चे को नए बजट के साथ अब इसी तरह के व्यवहार को दोहराना चाहिए और बजट को हर बार बदलते रहना होगा. खरीदारी हो जाने पर उन्हें मुख्य बजट और बिल की तुलना करने को कहें. इससे आपके बच्चे को अपने गणित कौशल और बजट कौशल को विकसित करने में मदद मिलेगी.

4. बोर्ड गेम्स भी फायदेमंद

ऐसा कोई बोर्ड गेम खरीदिए जो बच्चो को पैसे के सिद्धांत को समझने में मदद कर सकें. यह आपके बच्चों को खेलने और सीखने में संलग्न करने का एक मजेदार तरीका है. बाजार में कई खेल हैं जो बच्चों को पैसे के सिद्धांत को सिखाने में मदद करते हैं.

5. मनी कप्स बच्चों को सिखाएँगे मैथ्स का ज्ञान

इसके लिए आपको तीन से चार पेपर के टुकड़े या प्लास्टिक के कप, एक मार्कर और कुछ सिक्कों की जरुरत होगी. सबसे पहले, अपने बच्चे से सिक्को को किसी भी क्रम मे अलग-अलग कप में रखने के लिए कहें. अब, एक मार्कर लें और हर कप पर अलग-अलग रेट इस तरह लिखें जो आपके बच्चे को दिए गए सिक्कों की पूरी मात्रा को दर्शाए. इससे आपके बच्चे को अपने अंकगणित कौशल का निर्माण करने में मदद मिलेगी और उन्हें यह भी समझने में मदद मिलेगी कि कैसे सही मात्रा मे छुट्टे पैसे देने है.

मैं अपने परिवार का सबसे पढ़ा लिखा सदस्य हूं: रणबीर कपूर

रणवीर कपूर ने हाल में कहा है कि मैं अपने परिवार का सबसे पढ़ा लिखा सदस्य हूं. उन्होंने ये भी कहा कि कि दसवीं की परीक्षा में वो 56% मार्क्स लाए थे जो उम्मीद से भी अधिक थे. इस दौरान रणबीर कपूर अपने स्कूल लाइफ से जुड़े कई मजेदार किस्से भी बताए. रणबीर कपूर ने कहा कि वो स्कूल में अधिकतर विषय में फेल हो जाते थे और मम्मी यानी कि नीतू कपूर हमेशा उन्हें पापा से डांट की धमकी देती थी. रणबीर अपने पापा ऋषि कपूर से इतना डरते थे कि वो हमेशा वादा करते थे कि अच्छा नंबर लाएंगे लेकिन फिर फेल हो जाते थे.

रणबीर कपूर ने ये बातें जग्गा जासूस के प्रमोशन के दौरान कही. उन्होंने मीडिया के सामने ये भी कहा कि “मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि अपने परिवार का सबसे पढ़ालिखा सदस्य हूं. मेरे पापा आठवीं में फेल हो गए थे, तो मेरे अंकल नवीं में,  दादाजी उनसे भी एक कदम आगे ही थे वो छठी क्लास में फेल हो गए थे. और इस लिहाज से मैं  अपने परिवार का सबसे पढ़ालिखा बंदा हूं.” आपको बता दें कि रणबीर कपूर पहले भी एक इंटरव्यू में बोल चुके हैं कि वो कपूर परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने कॉलेज तक पढ़ाई की है. रणबीर कपूर ने इस प्रमोशन के दौरान मजाक में ये भी कहा कि “अच्छा है कि उस जमाने में ट्विटर नहीं होता था वरना पापा ट्विटर पर मेरे नंबर पूरी दुनिया को बता देते.”

प्रेग्नेंसी के दौरान गैजेट्स को कहिए बाय-बाय

गर्भधारण करना हर महिला के लिए बेहद खुशी का एहसास होता है. हर मां चाहती है कि उसके गर्भ में जो बच्चा पल रहा है , वो स्वस्थ और सुरक्षित रहे . लेकिन क्या आप जानती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान आप अगर किसी गैजेट्स का इस्तेमाल करती हैं, तो वो आपके होने वाले बच्चे के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.

आज हम आपको बता रहे हैं कि गर्भावस्था के दौरान गैजेट्स का प्रयोग करना आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए कितना सुरक्षित हैं.

1. गैजेट्स क्यों हैं हानिकारक

बेशक आप गैजेट्स का प्रयोग पूरी तरह बंद ना करें, लेकिन इनका प्रयोग करना कम जरुर कर दें. तार रहित गैजेट्स के अंदर रेडिएशन भेजने की प्रवृत्ति पाई जाती है. जिसके कारण शिशु में व्यवहारिक विकार हो सकते हैं. ज्यादातर मामलों में शिशुओं में पाई जाने वाली इस विकृति का कारण गैजेट्स से निकलने वाले रेडियेशन से ही होता है.

2- मोबाइल और लैपटॉप का प्रयोग है नुकसानदेय

गर्भावस्था के दौरान आपके लिए ये जरुरी है कि आप लम्बें समय तक फोन का इस्तेमाल न करें और ना ही लैपटॉप को अपने पेट पर रखें. क्योंकि इसका शिशु के मस्तिष्क के विकास पर सीधा असर पड़ता है. इसलिए फोन ऑन व वाइब्रेशन मोड पर हो तो, उसे अपने पास रखने से बचें. 3. ना लगाएं गैजेट्स की लत

किसी भी चीज की लत नुकसानदेय हो सकती है, इसलिए इस बात का ध्यान दें कि आपको प्रीटाइम में भी इन गैजेट्स की लत ना लगाएं खासकर कि आपकी गर्भावस्था में. हालांकि इसके थोड़े बहुत प्रयोग से शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. लेकिन ज्यादा प्रयोग जरुर हानिकारक साबित हो सकता है.

4. शिशु को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं ये गैजेट्स

गर्भावस्था के दौरान मोबाइल और लैपटॉप जैसे गैजेट्स के इस्तेमाल आपके शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को भी प्रभावित करता है. इसलिए अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो इन गैजेट्स का प्रयोग कम करें.

5. ये हैं गैजेट्स से दूर रहने के फायदे

इंटरनेट और गैजेट्स का प्रयोग कम करने से आपका स्वस्थ मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय रहेगा. जो आपके लिए ही फायदेमंद है . अगर आप आज से ही इन गैजेट्स से खुद को और अपने बच्चे को दूर रखेंगी तो आप अपने बच्चे को किसी भी प्रकार की विकृतियों से बचा पाएंगी.

चिपचिपे मौसम में भी कैसे दिखें कूल और फ्रैश

चिलचिलाती धूप, धूलमिट्टी और उमस भरे गरमी के मौसम में अकसर हम बुझाबुझा सा महसूस करते हैं. हमारी त्वचा और बाल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती खोने लगते हैं. मगर कुछ बातों का खयाल रखें, तो हम इस मौसम में भी कूल और फ्रैश महसूस कर सकते हैं.

नमकयुक्त पानी से नहाएं

गरमियों में रोज स्नान करने से शरीर की बदबू, संक्रमण और रोगाणुओं से हमारी रक्षा होती है. स्नान हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है.

इस मौसम में हमारे शरीर से काफी पसीना निकलता है, जिस के साथ शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर आते हैं. स्नान न केवल इन विषाक्त पदार्थों को साफ करता है, बल्कि जीवाणुओं और वायरस का भी खात्मा करता है. स्नान करने से नींद भी अच्छी आती है. नमकयुक्त पानी से नहाने से बढ़ती उम्र का असर भी बेअसर हो जाता है. इस से त्वचा मुलायम और चमकदार भी बनती है.

मौइश्चराइजर और सनस्क्रीन

गरमी के मौसम में त्वचा बेजान और रूखी दिखने लगती है. सूर्य की तेज किरणें त्वचा को डैमेज कर सकती हैं. ऐसे में आवश्यक है कि आप किसी अच्छी क्वालिटी की मौइश्चराइजर क्रीम का प्रयोग करें. मौइश्चराइजर से त्वचा की नमी और चमक बरकरार रहती है. प्राकृतिक तरीकों से भी त्वचा को मौइश्चराज्ड कर सकती हैं.

ब्यूटी ऐक्सपर्ट निर्मल रंधावा कहती हैं कि गरमियों में सूर्य की हानिकारक यूवीबी किरणों के संपर्क में आने से त्वचा को नुकसान पहुंचता है. वह जल भी सकती है. ऐसे में सनस्क्रीन का प्रयोग आवश्यक हो जाता है. यह सूर्य की किरणों से त्वचा को बचाने के लिए सुरक्षा कवच तैयार करता है. इस मौसम में कम से कम 30 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन क्रीम घर से बाहर निकलने से करीब 15-20 मिनट पहले लगा लेनी चाहिए.

त्वचा की देखभाल

यदि इस मौसम में त्वचा की सही देखभाल न की जाए तो सनबर्न, त्वचा में चिपचिपापन या फिर स्किन ऐलर्जी की समस्या भी पैदा हो सकती है.

इस मौसम में कुछ इस तरह करें त्वचा की रक्षा :

– जहां तक संभव हो सके तेज धूप में न निकलें. सूर्य की सीधी किरणें त्वचा के कोलोजन और इलास्टिक टिशूज को नष्ट कर उसे हानि पहुंचाती हैं. अगर निकलना जरूरी ही हो तो सनस्क्रीन क्रीम लगा कर ही निकलें.

– धूप में निकलते समय आंखों पर काला चश्मा लगा लें ताकि आंखों के नीचे की नाजुक त्वचा सुरक्षित रहे.

– गरमी के मौसम में स्किन की रोज क्लीनिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग जरूर करें. इस के लिए अपनी त्वचा के अनुरूप प्रोडक्ट्स खरीदें या फिर प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें जैसे कच्चे दूध से क्लीनिंग करें तो गुलाबजल से टोनिंग. ऐलोवेरा जैल का इस्तेमाल मौइश्चराइजिंग के लिए करें.

– सप्ताह में कम से कम 1 दिन त्वचा को ऐक्सफौलिएट जरूर करें. इस से रक्तसंचार सुचारु होता है और त्वचा की बाहरी सतह पर मौजूद मृत कोशिकाएं बाहर निकल जाती हैं.

बालों की देखरेख

गरमी के मौसम में ह्यूमिडिटी लैवल अधिक होने की वजह से बालों को नुकसान पहुंचता है. अत: बालों की तंदुरुस्ती को कायम रखना जरूरी है. इस संदर्भ में बिग बौस हेयर सैलून ऐंड स्पा के संस्थापक हरीश भाटिया के बताए कुछ टिप्स पेश हैं :

– इस मौसम में प्राकृतिक तरीकों से बालों को स्टाइल दें, हीट का प्रयोग कम से कम करें.

– शैंपू के बाद हलका गरम तेल बालों के सिरों से ले कर जड़ों तक लगाएं और हलकी मसाज करें. इस से रक्तसंचार बढ़ेगा और बाल चमकदार व सेहतमंद दिखेंगे.

– यदि तैरने जा रही हों, तो पानी में उतरने से पहले बालों को पानी से भिगो लें. इस से ये कम मात्रा में क्लोरीन अब्जौर्व करेंगे.

– बालों में नियमित कंडीशनर और हेयर सनस्क्रीन क्रीम का प्रयोग करें.

मेकअप

गरमी के दिनों में मेकअप में भी हलकी रंगत अच्छी लगती है. इस मौसम में वाटरप्रूफ मेकअप बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह पसीने से धुलता नहीं है.

ब्यूटी ऐक्सपर्ट निर्मल रंधावा कहती हैं, ‘‘गरमियों में आईशैडो क्रीम या ग्लिटर के प्रयोग से बचें. हलके रंग के केक आईशैडो का इस्तेमाल करें. आंखों के मेकअप के लिए एक रंग के शेड्स का प्रयोग करें. आईलाइनर के साथ वाटरप्रूफ मसकारे का प्रयोग करें. होंठों के लिए भी हलके रंग जैसे पीच, गुलाबी या फिर भूरे का प्रयोग करें.’’

कैसे रहें हाइड्रेटेड

हमेशा अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखें और नियमित अंतराल पर पानी पीती रहें. दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं. इस से शरीर हाइड्रेटेड और ऊर्जावान रहेगा. इस मौसम में फल और सब्जियां जिन में पानी की मात्रा अधिक होती है जैसे तरबूज, अंगूर, खरबूज, तुरई, मूली वगैरह का ज्यादा सेवन करें.

डियो छोड़ें

पसीने की बदबू दूर करने के लिए अकसर डियो का इस्तेमाल करते हैं. डियो ब्रैंडेड ही खरीदें. लोकल डियो में कैमिकल्स काफी मात्रा में होते हैं. ऐसे डियो केवल बदबू दबाने का काम करता है. यदि आप इसे डाइरैक्ट स्किन पर स्प्रे करेंगी तो सूर्य के संपर्क में आने पर यह ऐलर्जी का कारण बन सकता है. इसलिए नामी कंपनी का डियो ही इस्तेमाल करें. गरमियों में टैलकम पाउडर या फ्रैगरैंस वाले साबुन का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

लैमन, मैंथोल, लैवेंडर, रोज, जैसमिन जैसी कई तरह की खुशबुओं में उपलब्ध साबुन और पाउडर प्रकृतिक तत्त्वों प्रयोग से बनाए जाते हैं. आकर्षक महक वाला साबुन और टैलकम पाउडर आप को अंदर से तरोताजा बनाता है. इन में चिकित्सीय गुण भी होते हैं. टैलकम पाउडर आर्मपिट और दूसरी जगहों से मौइश्चर अब्जौर्ब करता है. इस से पसीना कम निकलता है. फंगल इन्फैक्शन से भी बचाव होता है.

गरमी के मौसम में पसीने की समस्या बढ़ जाती है. शरीर के कुछ खास हिस्से ऐसे होते हैं जहां बालों की मौजूदगी पसीना, बदबू और इन्फैक्शन की वजह बन सकती है. इसलिए बेहतर होगा कि पहले ही इन्हें हटा लिया जाए.

निर्मल रंधावा कहती हैं कि शरीर के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए वैक्सिंग और शेविंग सब से सहज तरीके हैं. स्थायी रूप से शरीर से बाल हटाने के लिए लेजर तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जो काफी सफल और बेहतर तरीका है.

इन सभी बातों का ध्यान रखने के साथसाथ अपने व्यक्तित्व को और निखारने के लिए भीनीभीनी सुगंध वाली परफ्यूम का भी इस्तेमाल करें. ताजगी और खुशबू का कौंबिनेशन लोगों को आप का दीवाना बना देगा.

बेटे के करियर को संवारने लिए फिल्म बनाएंगे अनिल कपूर

हमारे देश में सदियों से एक बात कही जाती रही है कि ‘‘हर पिता का कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चों को किसी भी सभा में पहली पंक्ति में बैठने लायक बना दें.’’

मगर बौलीवुड से जुड़े लोगों ने इसका अर्थ यह निकाला कि उनका कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को हर हाल में बौलीवुड में स्थापित करें. इसी के चलते तमाम स्टार कलाकार अपने बच्चों को फिल्में दिलवाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाने के साथ साथ खुद फिल्में बनाने पर मजबूर हो रहे हैं.

ऐसे ही एक स्टार कलाकार हैं अनिल कपूर. अनिल कपूर ने सबसे पहले अपनी बेटी सोनम कपूर के लिए कुछ फिल्में बनायी. पिछले दो सालों से वे सोनम कपूर के लिए फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ को बनाने के लिए प्रयासरत हैं, मगर इस फिल्म की शूटिंग किन्ही वजहों से शुरू नहीं हो पा रही है, तो दूसरी तरफ  वे अपने बेटे व सोनम कपूर के भाई हर्षवर्धन कपूर को भी बौलीवुड में बतौर अभिनेता स्थापित करने के लिए भी प्रयासरत हैं.

अनिल कपूर और उनकी बेटी सोनम कपूर के फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा के संग बहुत अच्छे संबंध है. इसी के चलते राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्म ‘मिर्जिया’ में अनिल कपूर के बेटे व सोनम कपूर के भाई हर्षवर्धन कपूर को बतौर हीरो फिल्म ‘मिर्जिया’ से जोड़ा था. ये एक अलग बात है कि राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने हमेशा दावा किया कि उन्होंने अपनी फिल्म ‘मिर्जिया’ में हर्षवर्धन कपूर को उनकी अभिनय प्रतिभा के आधार पर जोड़ा है. इतना ही नही राकेश ओमप्रकाश मेहरा की माने तो हर्षवर्धन कपूर बेहतरीन कलाकार हैं. पर कटु सत्य यह भी है कि ‘मिर्जिया’ के प्रदर्शन से पहले ही अनिल कपूर ने राकेश ओमप्रकाश मेहरा द्वारा बनाई जा रही फिल्म ‘‘फन्ने खां’’ के लिए शूटिंग करनी शुरू कर दी थी. खैर, ‘मिर्जिया’ से हर्षवर्धन के जुड़ने की चाहे जो वजह रही हो, मगर इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर पानी नहीं मांगा. इसके बाद किसी तरह हर्षवर्धन कपूर ने अपने करियर की दूसरी फिल्म ‘‘भावेश जोशी’’ की शूटिंग विक्रमादित्य मोटावणे के निर्देशन में पूरी की. पर इस फिल्म के प्रदर्शन की कोई संभावना नजर नही आ रही है, क्योंकि विक्रमादित्य मोटावणे स्वयं विवादों में फंसे हुए हैं और इस फिल्म की निर्माण कंपनी ‘‘फैंटम’’ के अस्तित्व को लेकर स्थितियां साफ नहीं हैं.

सूत्रों की मानें तो इन बदले हुए हालातों में अपने बेटे हर्षवर्धन कपूर के करियर व भविष्य को लेकर अनिल कपूर काफी चिंतित हुए और फिर खबर आयी कि ‘जंगली पिक्चर्स’ ओलंपिक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा की बायोपिक फिल्म बनाने जा रही है, जिसमें अभिनव बिंद्रा और उनके पिता के बीच के रिश्तों को रेखांकित किया जाएगा. सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस फिल्म से हर्षवर्धन कपूर को जोड़ने के लिए ही अनिल कपूर ने भी इस फिल्म में अभिनय करने के लिए हामी भर दीस, जबकि एक अन्य सूत्र का दावा है कि फिल्म की पटकथा सुनकर अनिल कपूर और हर्षवर्धन कपूर इस कदर प्रभावित हुए कि यह दोनों इस फिल्म में पिता पुत्र के किरदार निभाने के लिए तैयार हुए. पर अभी यह फिल्म शुरू नहीं हो पायी. सूत्रों के अनुसार अचानक कुछ हालात ऐसे बदले कि ‘जंगली पिक्चर्स’ ने इस फिल्म का निर्माण करने से साफ इंकार कर दिया.

‘‘जंगली पिक्चर्स’’ के हट जाने से अभिनव बिंद्रा की बायोपिक फिल्म के निर्माण का मसला अधर में लटक गया, जिसका सीधा असर हर्षवर्धन कपूर के करियर पर हो रहा है. अब सूत्रों के अनुसार अनिल कपूर ने स्वयं एक अन्य निर्माता प्रेरणा अरोड़ा के संग मिलकर इस फिल्म का निर्माण करने का बेड़ा उठा लिया है.

मगर, मजेदार बात तो ये है कि अनिल कपूर या हषवर्धन कपूर दोनों मे से कोई भी अभिनव बिंद्रा की बायोपिक फिल्म को लेकर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. वैसे कुछ दिन पहले मीडिया से बात करते हुए अनिल कपूर ने इस फिल्म को लेकर किए गए सवाल पर कहा था ‘‘अभी कुछ भी तय नहीं है. जब सब कुछ तय हो जाएगा, तो हम इस पर बात करेंगे. हो सकता है कि हम पिता पुत्र एक साथ पहली बार इस फिल्म से जुडे़ं, मगर जब तक सारी बातें तय न हो जाएं, तब तक कुछ भी हो सकता है.’’

जबकि प्रेरणा अरोड़ा के अनुसार हर्षवर्धन कपूर में असीम क्षमता है. उन्हे फिल्म ‘मिर्जिया’ में हर्षवर्धन कपूर का अभिनय काफी पसंद आया. प्रेरणा अरोड़ा के अनुसार अभिनव बिंद्रा की बायोपिक फिल्म में अनिल कपूर और हर्षवर्धन कपूर दोनों ही हैं.

अब अभिनव बिंद्रा की बायोपिक फिल्म कब शुरू होगी, इसमें कौन किस हैसियत से नजर आएगा? इसका खुलासा कुछ दिन में हो ही जाएगा? मगर बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि अनिल कपूर चाहकर भी अपने बेटे हर्षवर्धन की किस्मत नहीं बदल सकते? तो वहीं बौलीवुड में सवाल उठाए जा रहे हैं कि हर्षवर्धन कपूर के करियर में यह सब क्यों हो रहा है? क्या अनिल कपूर ने सही मायनों में अपने बेटे को पहली पंक्ति में बैठने लायक शिक्षा दी है? आखिर कब तक हर्षवर्धन के करियर को संवारने के लिए अनिल कपूर परेशान होते रहेंगे? अब बौलीवुड में हो रही इन बातों व सवालों के क्या मायने हैं, यह तो हमें भी नहीं पता, मगर अभिनेत्री कंगना रानौट द्वारा उठाए गए नेपोटिजम की बात को बल जरुर मिल रहा है.

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