सलमान नहीं इस एक्टर संग बॉलीवुड में डेब्यू करेंगी मौनी रॉय

नागिन बनकर घर घर में फेमस हुई मौनी रॉय की छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर आने की तैयारी तो काफी समय से चल रही है। पहले माना जा रहा था कि वो सलमान खान के साथ बॉलीवुड में अपनी डेब्यू फिल्म करेंगी, लेकिन हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बताया जा रहा है कि वो सलमान खान के साथ नहीं बल्कि अक्षय कुमार के साथ बॉलीवुड में एंट्री करने वाली हैं।

सूत्रों की मानें तो ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मौनी रॉय, अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म ‘गोल्ड’ में नजर आ सकती हैं. इस फिल्म का निर्देशन रीमा कागती करेंगी.

बताया जा रहा है कि अक्षय कुमार इस फिल्म में हॉकी कोच की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगें, वह उस टीम के कोच होंगे जो भारत की स्वतंत्रता के बाद साल 1948 में पहली जीत हासिल कर स्वदेश लौटती है.

गौरतलब है कि मौनी भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली टीवी अभिनेत्रियों में से एक हैं. कलर्स टीवी पर दिखाया जाने वाला उनका शो लगातार टीआरपी चार्ट में अपनी बादशाहत कायम किए हुए है.

 

 

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शबाना आजमी की 1976 के कान महोत्सव की तस्वीरें वायरल

एक वक्त था, जब फिल्म फेस्टिवल का कनेक्शन सिर्फ फिल्मों से होता था. इन दिनों कान फिल्म फेस्टिवल को लेकर सिर्फ यही हंगामा है कि किस एक्ट्रेस किस लिबास में रेड कार्पेट पर पहुंचीं. इसे लेकर ही बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस शबाना आजमी ने अफसोस जताया है.

अब फिल्मों को छोड़कर इस रेड कार्पेट पर किसी कंपनी का ब्रैंड ऐंबैसडर बनकर देश को रिप्रेजेंट करना अब बड़ी बात हो गई है. कान फिल्म फेस्टिवल में बढ़ते इसी रवैये की ओर ध्यान दिलाते हुए शबाना ने जो ट्वीट किया है, वह इन दिनों वायरल हो रहा है.

शबाना आजमी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि एक वक्त था जब ऐसे फिल्मोत्सव में रेड कार्पेट लुक्स से ज्यादा फिल्मों को अहमियत दी जाती थी. शबाना ने साल 1976 के कान फिल्म फेस्टिवल की एक पुरानी तस्वीर शेयर की है, जिसमें उनके साथ मशहूर और खूबसूरत एक्ट्रेस स्मिता पाटिल और डायरेक्टर श्याम बेनेगल भी नजर आ रहे हैं. ये हस्तियां तब कान में अपनी फिल्म ‘निशांत’ के प्रमोशन के लिए पहुंची थीं.

आजमी ने अपने ट्वीट में लिखा है, “1976 कान फेस्टिवल के ऑफिशल सिलेक्शन में थी ‘निशांत’. उस वक्त यहां कितनी सादगी थी. तब फिल्में अहमियत रखती थीं, कपड़े नहीं.”

अपने ट्वीट में शबाना ने लिखा है, ‘1976 में कान फेस्टिवल की एक अन्य तस्वीर, निशांत ऑफिशल सिलेक्शन में.’

इस फिल्म से डेब्यू करेंगे सनी के बेटे करण

देओल परिवार की थर्ड जनरेशन अब बॉलीवुड में आने के लिए तैयार है. सनी देओल के बेटे करण देओल फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ से बॉलीवुड में डेब्यू करेंगे. इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई है.

अभिनेता सनी देओल फिल्मी दुनिया में अपने बेटे करण देओल के आगाज को लेकर इमोशनल हैं. सनी ने एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, “‘पल-पल दिल के पास’ की शूटिंग शुरू हो गई. शूटिंग में करण का पहला दिन..मेरा बेटा बड़ा हो गया है.”

सनी देओल निर्देशित यह फिल्म एक प्रेम कहानी है. सनी ने बताया कि करण अपने फिल्मी करियर को लेकर गंभीर हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि वह सभी को गौरवान्वित करेंगे.

फिल्म का नाम धर्मेंद्र पर फिल्माए गए एक लोकप्रिय गाने ‘पल-पल दिल के पास’ पर रखा गया है.

कहा जा रहा है कि कुछ समय पहले मीडिया से बातचीत में सनी देओल ने बताया था कि सनी चाहते हैं कि करण के फिल्मी सफर की शुरुआत भी वैसी ही हो जैसे सनी की हुई थी. सनी ने कहा था कि बॉलीवुड में मेरी पहली फिल्म ‘बेताब’ थी, जो रोमांटिक थी और उसमें अमृता सिंह ने मेरे साथ काम किया था.’

करण की तारीफ करते हुए सनी ने कहा था कि उसमें एक्टिंग के गुण होने के साथ-साथ डांसिंग भी कमाल की है.

बता दें कि करण देओल स्टारर फिल्‍म ‘पल पल दिल के पास’ का निर्माण देओल परिवार का प्रोडक्‍शन हाउस जी स्‍टूडियो के साथ मिलकर कर रहा है.

सनी देओल ने ‘गदर एक प्रेम कथा’ के बाद अब जाकर किसी फिल्‍म के लिए जी स्‍टूडियो से हाथ मिलाया है. फिल्‍म को मनाली में शूट किया जाएगा, जिसकी तैयारियां सनी देओल लंबे समय से कर रहे हैं.

आपको मालूम हो पिछले कुछ दिनों से सनी मनाली में डेरा जमाए बैठे हैं. करण की पहली फिल्म को जी स्टूडियो और धर्मेन्द्र पेश करेंगे. सनी के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म ‘गदर’ को जी ने ही निर्मित किया था.

बजट कम है तो यहां मनाएं गर्मी की छुट्टियां

गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं. ऐसे में आप सोच रही होंगी कि इस बार आप अपने बच्चों को कहां घूमाने लेकर जाएं. वहीं आपको बजट की भी चिंता होगी. हम आपको बता रहे हैं उन खास पांच जगहों के बारे में जहां जाकर आप अपनी छुट्टियां मजे से बिता सकेंगी. वहीं इन जगहों पर जाने से आपका ज्यादा खर्चा भी नहीं होगा. इन जगहों में प्राकृतिक संपदाएं, स्मारक, इमारतें और प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान शामिल हैं.

सोलांग (हिमाचल प्रदेश)

हिमालय की तलहटी पर बसा सोलांग बहुत ही खूबसूरत स्थान है. यहां पर पूरे साल एडवेंचर स्पोर्ट्स होते रहते हैं. जैसे स्काइंग, पैरा ग्लाइडिंग और हॉर्स राइडिंग आदि. यहां आकर आपको ग्लैशियर्स का अनोखा नजारा भी देखने को मिलेगा. रंग-बिरंगी इमारतों ने इस शहर को खास बनाया है

खजुराहो (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के जिले छतरपुर का कसबा खजुराहो वाकई अद्भुत है. पिछड़ेपन का दर्द बयां करती खजुराहो की सुबह विदेशी सैलानियों के दर्शन से शुरू होती है. दुनिया का शायद ही कोई देश होगा जहां से यहां पर्यटक न आते हो. जान कर हैरानी होती है कि कई पर्यटक तो यहां नियमित अंतराल से आते हैं और सालों साल यहीं रहना पसंद करते हैं.

खजुराहो शहर वर्ल्ड हेरिटेज साइट में से एक माना जाता है. यह स्थान प्राचीन हिंदू और जैन मंदिरों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.

गंगटोक (सिक्किम)

यह समुद्र तल से लगभग 5,410 फीट की ऊंचाई पर बना है. यहां माउंटेनियरिंग, रिवल राफटिंग और दूसरे प्राकृतिक खेलों के लिए लोग आते हैं. आप भी यहां जाकर इन खेलों का भरपूर मजा ले सकते हैं.

हम्पी (कर्नाटक)

यहां आपको प्राचीन काल के मंदिर और कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. यहां के मंदिर दुनिया भर में फेमस हैं. इन्हें देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. यूनेस्को ने हम्पी को वर्ल्ड हेरिटेज साईट का दर्जा दिया है. हम्पी में हमें बहुत से एतिहासिक स्मारक और धरोहर दिखायी देते है.

डल लेक (कश्मीर)

डल झील रोमांटिक हिल स्टेशन में से एक है. यहां का बोट-हाउसेस और शिकारा राइड्स काफी फेमस हैं. यहां आकर आपको गर्मियों में भी ठंडक का एहसास होगा.

आपने खाया बेबी कौर्न अचार!

बेबी कौर्न से बने कई रेसिपी आपने खाया होगा. लेकिन क्या आपने कभी बेबी कौर्न का अचार खाया है. नहीं, तो जानें रेसिपी.

सामग्री

1 कप बेबी कौर्न

2-3 हरी मिर्चें

1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/4 छोटा चम्मच गरममसाला

2 कलियां लहसुन कटी हुईं

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच नीबू का रस

1/4 छोटा चम्मच राई पाउडर

1/4 कप फौर्च्यून कच्ची घानी शुद्ध सरसों का तेल

नमक स्वादानुसार

विधि

बेबी कौर्न धो कर 1 सैंटीमीटर के टुकड़ों में काट कर 1-2 मिनट तक पानी में उबाल लें.

तेल गरम करें व बारीक कटा लहसुन, हरीमिर्चें व बाकी मसाले मिलाएं. अब इस में बेबीकौर्न व नीबू का रस मिलाएं. ठंडा कर जार में भर लें.

-व्यंजन सहयोग: अनुपमा गुप्ता

ऐसे चुनें अपने लिए फांउडेशन

फाउंडेशन मेकअप का बेस पॉइंट होता है. ऐसे में स्किन टाइप और उम्र को ध्यान में रखकर सही फाउंडेशन का चुनाव करना चाहिए. जानें, कैसे आप अपने लिए बेस्ट फाउंडेश चुन सकती हैं.

सामान्य त्वचा के लिए

ऐसी त्वचा के लिए 50 प्रतिशत वॉटर बेस्ड और 50 प्रतिशत मॉयस्चराइजर बेस्ड फाउंडेशन उपयुक्त रहता है.

शुष्क त्वचा के लिए

शुष्क त्वचा के भीतर फाउंडेशन आसानी से समा नहीं पाता इसलिए अगर आपकी त्वचा शुष्क है तो आप 100 प्रतिशत मॉयस्चराइजर बेस्ड फाउंडेशन का इस्तेमाल करे.

तैलीय त्वचा के लिए

तैलीय त्वचा के लिए वॉटरबेस्ड फाउंडेशन अच्छा रहता है. केक फाउंडेशन भी वॉटरबेस्ड होता है और इसका प्रयोग आप चेहरे के साथ साथ बॉडी पर भी कर सकती हैं.

युवतियों के लिए

युवतियों के लिए पैन स्टिक अच्छी रहती है. है. यह नॉनग्रीसी, मैटफिनिश होती है और चेहरे पर एकसार होकर पारदर्शी व प्राकृतिक सौंदर्य निखार कर लाती है.

मेच्योर स्त्रियों के लिए

मेच्योर व शुष्क त्वचा वाली स्त्रियों को हमेशा ऑयल बेस्ड फाउंडेशन लगाना चाहिए.

इमलशन फाउंडेशन

एक अन्य प्रकार है इमलशन फाउंडेशन. यह टयूब में मिलता है और मॉयस्चराइजरयुक्त फाउंडेशन होता है. यह 30 से 45 वर्षीय स्त्रियों में पसंद किया जाता है.

गर्मियों में नहीं फैलेगा आपका मेकअप

आप गर्मियों में भी सुंदर और फैशनेबल दिखना चाहती हैं. लेकिन ये झुलसती गर्मी और पसीना आपकी उम्मीदों पर पानी फेर देता है. मेकअप करते ही आपका पूरा मेकअप फैलने लगता है और खराब हो जाता है.

ऐसे में अगर आप ये 5 टिप्‍स अपनाएंगी तो गर्मियों में भी आपका मेकअप लंबे समय तक आपकी खूबसूरती बनाए रखेगा.

वॉटर प्रूफ मेकअप प्रोडक्‍ट

गर्मियों में हमेशा यह कोशिश करें कि ज्‍यादा से ज्‍यादा मेकअप प्रोडक्‍ट वॉटर प्रूफ हो. वॉटर-प्रूफ लिपलाइनर, आईलाइनर और मस्कारा का इस्‍तेमाल करने से यह पसीने में जल्‍दी नहीं बहते हैं.

चेहरे को रखें साफ

मेकअप से पहले चेहरे को अच्‍छे से धो लें. इसके बाद कॉटन से पूरे चेहरे पर गुलाबजल लगाएं. इसके अलावा कपड़े में बर्फ डालकर चेहरे पर रब करने से भी मेकअप काफी देर तक टिका रहता है.

जेल आईलाइनर का प्रयोग

चेहरे पर आंखों का मेकअप बहुत मायने रखता है. ऐसे में आंखो का मेकअप करते समय लिक्विड आईलाइनर की बजाय गर्मियों में जेल आईलाइनर का इस्‍तेमाल बेहतर रहता है. यह देर तक रहता है.

लिपस्टिक लगाने से पहले

गर्मियों में अगर लिपस्टिक को ज्‍यादा देर तक शाइनी बना कर रखना है तो पहले होंठों पर अच्‍छे से फाउंडेशन से मसाज करें. वहीं मैट की लिपस्टिक लगाने से पहले हल्का लिप ग्लॉस लगाएं.

डॉट में लगाएं फाउंडेशन

मेकअप में फाउंडेशन लगाने में कोई गड़बड़ी न करें. इससे गलती से भी हथेली से न रगडें. इसे पहले डॉट में लगाएं. फिर उंगुलियों की मदद से चेहरे की स्किन से मिलाएं और एक सामान लगाएं. 

सीरम का इस्‍तेमाल जरूरी

वहीं जिन लोगों की स्किन ऑयली है तो उनके लिए फेस सीरम का इस्‍तेमाल जरूरी होता है. ऐसे लोग मेकअप से पहले चेहरे पर सीरम लगाएं इससे ऑयलीनेस कम होगी. चेहरे पर पसीना कम आएगा.

क्रीम वाला ब्लश लगाएं

वहीं गर्मियों में पाउडर ब्लश की जगह क्रीम वाला ब्लश ही इस्तेमाल करें. इससे चेहरे को फ्रेशनेस तो मिलती ही है. इसके साथ ही यह क्रीम वाला ब्लश काफी हद तक नेचुरल लुक भी देता है.

ममता पर कुरबान कैरियर

किसी छायादार पेड़ की तरह मां की ममता बच्चे को शीतल छाया देने के साथसाथ उसे जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की ताकत भी देती है. बच्चे की पहली शिक्षक और पहली दोस्त मां ही होती है. मां के हाथ के खाने की बात ही कुछ और होती है. मां से भावनात्मक लगाव बच्चे को नया सीखने व व्यक्तित्व निखारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. सफल व्यक्ति से उस की सफलता का राज पूछिए, कहेंगे, मां की सीख और उन की परवरिश के नतीजे में वे सफल हो सके.वहीं बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए ममता के साथ पैसों की भी जरूरत होती है. ऐसे में जब बात कैरियर की हो तो मां के लिए क्या ज्यादा महत्त्वपूर्ण होना चाहिए? आज की कामकाजी, कैरियर ओरिएंटेड महिला को अपने कैरियर और बच्चे के शुरुआती दौर की देखभाल में किसे प्राथमिकता देनी चाहिए? आइए, इस पर चर्चा करते हैं.

बदलते समय के साथ समाज की मान्यताएं भी बदल रही हैं. लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, उच्च पदों पर आसीन हैं. विवाह की जो उम्र कुछ समय पहले 22 से 26 वर्ष मानी जाती थी वह कैरियर में सफलता की चाह में बदल कर 30 से 33 वर्ष पहुंच गई है. समाजशास्त्री इस बदलाव की वजह महिला का अपनी व्यावसायिक व पारिवारिक जिंदगी में बैलेंस न बना पाने की अक्षमता को मान रहे हैं. साथ ही, वे सचेत भी कर रहे हैं कि कैरियर जहां भी विवाह व परिवार पर हावी हुआ वहां समाज के लिए खतरा होगा. इस से बच्चों की प्रजनन दर में गिरावट आएगी, दो पीढि़यों के बीच अंतर बढ़ेगा, जो पूरी सामाजिक संरचना के लिए अहितकर होगा.

जिम्मेदारी मां की

समाज का चलन व परिवेश भले ही बदल जाए लेकिन कैरियर की खातिर पारिवारिक जिम्मेदारियों से भागना, रिश्तों की अनदेखी करना समाज के लिए स्वास्थ्यकर नहीं होगा. जिम्मेदारी का अर्थ केवल विवाह कर के परिवार का भरणपोषण करना ही नहीं, एक पत्नी व मां की यह जिम्मेदारी भी है कि वह प्रेम व विश्वास के साथ परिवार को खुशियां दे.

8-10 घंटे की नौकरी के बाद घरपरिवार व बच्चों में बैलेंस बनाने की जद्दोजहद से अच्छा है कि कैरियर से कुछ समय के लिए बे्रक ले लिया जाए. जो मजा परिवार व बच्चों के साथ वक्त गुजारने में है वह किसी अन्य चीज में नहीं. भले ही आप कितने ही उच्च पद पर हों लेकिन अगर बच्चों की अनदेखी हो रही है, उन्हें मेड, क्रैच के सहारे छोड़ना पड़ रहा है तो वह सफलता अधूरी व खाली है. कुछ महिलाएं जो कैरियर में सफलता की चाह में परिवार को कैरियर में बैरियर मान कर उस की अनदेखी करती हैं, वे बाद में पछताती हैं कि उन्होंने समय रहते मातृत्व सुख प्राप्त क्यों नहीं किया.

मातृत्व सुख सब से बड़ा सुख

मातृत्व सुख किसी भी महिला के लिए सब से बड़ा सुख होता है, फिर चाहे वह फिल्म जगत की प्रसिद्ध अभिनेत्री हो या आम कामकाजी महिला. मां बनने की खुशी और अपने बच्चों को दिन ब दिन बढ़ते देखने की खुशी किसी भी मां को सब से ज्यादा संतुष्टि प्रदान करती है. लेकिन इस के लिए कैरियर की कुरबानी देनी होगी, उस से कुछ समय के लिए ब्रेक लेना होगा. जैसा ग्लैमर जगत की चकाचौंध से लैस बौलीवुड की सैक्सी व सफल अभिनेत्रियों ने किया. क्योंकि इन अभिनेत्रियों को ग्लैमर जगत की चमक से ज्यादा प्यारी है मां बनने की खुशी. और इस खुशी के आगे वे स्टारडम को कोई वैल्यू नहीं देतीं और घर व व्यावसायिकता में से घर, परिवार व बच्चों को चुनती हैं.

बौलीवुड मौम्स

हमारे सामने अनेक ऐसे उदाहरण हैं जहां बौलीवुड की ग्लैमरस हीरोइनों ने कैरियर की अपेक्षा मां की गरिमा और ममता को अधिक महत्त्व दिया. ‘मदर इंडिया’ की नरगिस दत्त से ले कर, जया बच्चन, शर्मिला टैगोर सभी ने निजी जिंदगी में मां का रोल बखूबी निभाया. घरपरिवार के लिए कैरियर को साइडलाइन करने वाली आधुनिक बालाओं की बात की जाए तो धकधक गर्ल माधुरी दीक्षित ने भी फिल्मों को अलविदा कह कर यूएस के डाक्टर श्रीराम नेने से शादी रचा ली और 2 बेटों को जन्म दिया व उन की परवरिश को प्राथमिकता दी. बौलीवुड मदर्स में रवीना टंडन ने भी कैरियर व ग्लैमर के बजाय अपनी फैमिली को ज्यादा महत्त्व दिया. इसी तरह करिश्मा कपूर, महिमा चौधरी, जूही चावला, शिल्पा शेट्टी सब ने मां बनने की खुशी को, संतान के सुख को बड़ा माना. ऐश्वर्या राय ने भी ग्लैमर को अनदेखा कर के कैरियर से ब्रेक लिया और पारिवारिक जिम्मेदारी को महत्त्व दिया.

इन सभी बौलीवुड बालाओं ने अपने बच्चों व परिवार को समय देने के बाद, उस समय को पूरी तरह एंजौय किया और फिर स्क्रीन पर शानदार वापसी भी की. ‘कभी खुशी कभी गम’ की सफलता के बाद काजोल ने 5 साल का बे्रक लिया और ‘माई नेम इज खान’ से शानदार वापसी की. शिल्पा शेट्टी को अपनी सैक्सी फिगर के कारण यम्मी मम्मी के खिताब से नवाजा गया है क्योंकि अपने बेटे विवान के जन्म के बाद उन्होंने अपनी फिटनैस से सब का दिल जीत लिया और दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं. दुनिया की सब से खूबसूरत महिलाओं में से एक सुष्मिता सेन 2 बच्चों की सिंगल पेरैंट हैं और उन की खुशहाल जिंदगी हर किसी के लिए उदाहरण है. सुष्मिता मानती हैं कि बच्चे के लिए बिना शर्त का प्यार माने रखता है. इस से मतलब नहीं कि वह आप के पेट से निकला है या दिल से.

अमेरिका की फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा भी पेरैंटिंग और ममता की मिसाल हैं. अपनी दोनों बेटियों, मालिया व साशा को वे अपनी पहली प्राथमिकता मानती हैं और अपनी पब्लिक व पर्सनल जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने बखूबी बैलेंस बनाया हुआ है. मिशेल का मानना है कि जब बच्चे खुश रहते हैं तो मुश्किल घडि़यों में भी उन्हें चैन की नींद आती है. उपरोक्त सभी उदाहरण एक मिसाल हैं कि मां के सान ध्य में बच्चा जो भावनात्मक सुरक्षा पाता है वह उसे और कोई नहीं दे सकता. चढ़ते ग्लैमरस कैरियर को अलविदा कर के बच्चों को समय दे कर अभिनेत्रियां साबित कर रही हैं कि मां बनना वाकई एक बड़ी जिम्मेदारी है जिस में हर महिला को कैरियर व घर के बीच सही बैलेंस बना कर चलना चाहिए.

प्यारभरी देखभाल

चिकित्सकों ने यह बात साबित की है कि बच्चे को जन्म से प्यारभरी देखभाल की जरूरत होती है. इस में उसे प्यार से सहलाना व मां व बच्चे के बीच शारीरिक संपर्क होना भी जरूरी है क्योंकि 1 से डेढ़ साल के दौरान बच्चे को अपनी देखभाल करने वाले से सब से अधिक लगाव होता है जो बच्चे को मां से होना चाहिए. क्योंकि जब बच्चे को मां से प्यार मिलता है तो वह प्यार का जवाब प्यार से देता है. बच्चा मां के साए में स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है. वहीं मां से दूरी उसे बीमार, असुरक्षित व एकाकीपन का शिकार बना देती है. जीवन के शुरुआती दौर में जब बच्चे को मां की सख्त जरूरत होती है तब आप उसे क्रैच में छोड़ कर अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकतीं, जिम्मेदारी से नहीं भाग सकतीं.

एक महिला को जो संतोष बच्चे की परवरिश में मिलता है, उसे दिनोंदिन बढ़ते देखने में मिलता है वह किसी दूसरी चीज में नहीं मिल सकता. यह एक अनूठा रोमांचक अनुभव होता है जिस के लिए कुछ त्याग तो करने ही पड़ते हैं. 35 वर्षीय रुचिका कहती हैं, ‘‘30 वर्ष में मेरी शादी हुई. तब मैं एक मीडिया कंपनी में कार्यरत थी. मेरा कैरियर विकास की ओर अग्रसर था लेकिन मैं ने कैरियर को प्राथमिकता न दे कर अपने परिवार को बढ़ाने की ओर ध्यान दिया और 1 वर्ष बाद अपने बेटे को जन्म दिया. उस की परवरिश पर पूरा ध्यान दिया. आज मेरा बेटा 5 साल का है. मुझे अपने कैरियर से बे्रक लेने का कोई दुख नहीं है. मैं खुश हूं कि मैं ने अपने बेटे के साथ जरूरी समय व्यतीत किया और अब 5 साल बाद मैं दोबारा अपने कैरियर की शुरुआत कर रही हूं. जो मजा बच्चों व परिवार के साथ आया वह मेरी जमापूंजी है.’’ शैमरौक गु्रप औफ प्री स्कूल की डायरैक्टर मीनल अरोड़ा मानती हैं कि स्वयं और बच्चे में से बच्चे को चुनें. अगर आज आप अपने बच्चे को समय नहीं देंगी तो आगे चल कर वह आप को समय व महत्त्व नहीं देगा और आप के व आप के बच्चे के बीच बौंडिंग नहीं होगी. बच्चों के लिए त्याग करें, परिवार को भी समय दें. यह एक मां का सब से बड़ा गुण है.

गूंज उठेगी किलकारी आईवीएफ से

आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से हर साल हजारों बच्चे जन्म लेते हैं. जो महिलाएं बांझपन जैसी समस्या से जूझ रही हैं उन के लिए आईवीएफ प्रक्रिया की यह जानकारी काफी फायदेमंद हो सकती है:

पहला चरण: मासिकधर्म के दूसरे दिन आप के ब्लड टैस्ट एवं अल्ट्रासाउंड के माध्यम से आप के अंडाशय की जांच होती है. फिर यह अल्ट्रासाउंड सुनिश्चित करता है कि आप को कितनी मात्रा में स्टिम्युलेशन दवा दी जानी चाहिए. मासिकधर्म के दौरान डाक्टर जांच के तहत हो रही प्रक्रिया पर निगरानी करते हैं. फिर जांच के बाद आप के फौलिकल्स यानी रोम को मौनिटर करते हैं. जैसे ही आप का रोम एक निश्चित आकार में पहुंच जाता है तो फिर आप उसे रोज मौनिटर कर सकते हैं. मौनिटरिंग के बाद आप को दूसरी दवा दी जाती है, जो ट्रिगर शौट के रूप में जानी जाती है.

दूसरा चरण: अंडों की पुन:प्राप्ति के बाद डाक्टर आप के गर्भाशय के स्तर के विकास के लिए प्रोजेस्टेरौन को बढ़ाने के लिए बाहरी प्रोजेस्टेरौन दवा देते हैं.

तीसरा चरण: जब अंडे पुन: बनने की प्रक्रिया में हों तब पुरुष साथी को मास्टरबेशन के माध्यम से शुक्राणु प्रदान करने के लिए कहा जाता है. डाक्टर क्लीनिक में भी निषेचन के लिए शुक्राणु तैयार करते हैं.

चौथा चरण: शुक्राणु एवं अंडे की पुन:प्राप्ति की प्रक्रिया के बाद डाक्टर शुक्राणु एवं अंडे का गठबंधन करते हैं. इस के बाद वे निषेचित अंडे को कुछ समय के लिए इनक्यूबेटर में रख देते हैं. इस अवधि के दौरान एक भ्रूण विशेषज्ञ के द्वारा भ्रूण के विकास की नियमित चैकिंग की जाती है. अगर सब कुछ सही दिशा में चल रहा हो तो स्वस्थ विकास के लिए 3 से 5 दिनों के बाद भ्रूण तैयार हो जाता है.

5वां चरण: भ्रूण के आरोपण के लिए यह एक सरल एवं दर्दरहित प्रक्रिया है. आरोपण के लिए भ्रूण को तरल पदार्थ के रूप में एक कैथेटर में रखा जाता है. इस प्रक्रिया में अच्छी खबर के लिए आप को 2 सप्ताह इंतजार करना पड़ता है, जिस में प्रैगनैंसी टैस्ट होता है. इस के बाद डाक्टर कुछ निश्चित भोजन से संबंधित एहतियात बरतने को कहते हैं. उन्हीं चीजों को खाने की सलाह देते हैं जो आप के आरोपण की प्रक्रिया में सहायक साबित हों.

इस प्रक्रिया में आप को प्रैगनैंसी का सही परिणाम जानने के लिए ब्लड टैस्ट होने तक का इंतजार अवश्य करना चाहिए, बजाय इस के कि प्रैगनैंसी किट से रिजल्ट पता किया जाए, क्योंकि कई बार प्रैगनैंसी किट से गलत रिजल्ट भी आता है.                                

संस्कृति की आड़ में तानाशाही

लड़कियों को परेशान करने और छेड़ने वालों की पकड़धकड़ करने के लिए उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने हर थाने में रोमियो स्क्वैड बनाया है, जो किसी भी गुट को पकड़ सकता है. इन को स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं का समर्थन भी है और ये पुलिस स्क्वैड के साथ डंडे लिए घूमते रहते हैं.

लड़कियों को इस से चाहे कुछ दिन राहत की सांस मिल जाए पर अपराधों पर नियंत्रण करने के नाम पर अपनी पार्टी के लोगों को ठेके दे देना लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है.

इन स्क्वैडों ने हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों की तरह तुरंत न्याय करने और सजा देने का तरीका अपनाया है. कहीं 4 लड़के या जोड़े हाथ में हाथ डाले चलते नजर आए नहीं कि ये उन पर लाठियों से पिल पड़ते हैं. पुलिस वाले महज तमाशाई बने रहते हैं पर भगवा दुपट्टे वाले बिना वकील, बिना दलील के कानून और अदालतों के बिना न्याय प्रसाद के रूप में बांट कर वही आतंक का राज स्थापित करने में लग गए हैं, जो सदियों तक इस देश में राजघरानों या जमींदारों का होता था.

परिवारों को पहलेपहल चाहे राहत महसूस हो पर जल्द ही पता चलेगा कि भाईबहनों का भी घर से इकट्ठे निकलना खतरे से खाली नहीं रहेगा. कहने को अकेली युवतियां सुरक्षित होंगी पर रातबेरात यदि वे काम से लौट रही हों और ये रोमियो स्क्वैड उन पर वेश्यावृत्ति का आरोप लगा कर पिटाई कर दें, तो तब कोई सुनने वाला भी नहीं रहेगा.

पहले जो छेड़खानी होती थी उस में पुलिस बल उदासीन रहता था, पर अब पुलिस सक्रिय रहेगी पर सभ्यता और कानून की बातें करने वालों के मुंह बंद करने के लिए और स्क्वैडों व उन के सहायकों को संरक्षण देने के लिए. राजनीतिक दलों को छोडि़ए, वे तो फिर राख से उभर आएंगे पर जानबूझ कर या गलतफहमी के शिकार हुए परिवारों पर जो जख्म लगेंगे वे किसी मरहम से ठीक न होंगे.

कानून व व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है पर बेगुनाहों को रोकनाटोकना और संस्कारों व संस्कृति की आड़ में तानाशाही को थोपना देश को महंगा पड़ेगा. हर घरपरिवार सड़कछाप छेड़ने वालों से परेशान है पर इसे रोकने के लिए प्राकृतिक प्रेम भावना को ही समाप्त कर देना घातक है, समाज के लिए भी और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित शासनपद्धति पर भी.

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