ऐसे संवारें अपने आशियाने को

आजकल घरों को सजाने के लिए जितनी नईनई चीजों का इस्तेमाल हो रहा है उतना पहले कभी नहीं हुआ. जो ट्रैंड चल रहा है वह बहुत मैचिंगमैचिंग वाला नहीं है. जब आप भी अपने घर को सजाएं तो अलगअलग चीजों को मिक्सअप करने से न हिचकिचाएं. हमेशा ध्यान रखें कि घर को बहुत अधिक परफैक्ट भी नहीं लगना चाहिए. घर सजाते समय जरूरी है कि कौन सा ट्रैंड चल रहा है, आप का बजट कितना है, आप को कितने समय में घर तैयार करना है के साथसाथ इस बात का भी ध्यान रखें कि आप कैसे घर में रहने में सहज महसूस करेंगे. ट्रैंड के साथसाथ अपनी पसंद का ध्यान भी रखें तभी आप इस में रहने का आनंद उठा पाएंगे.

सिमिट्री का ध्यान रखें

घर को एक सिमिट्री में सजाएं. इस से न केवल आप का घर सुंदर लगेगा, बल्कि आप के डैकोरेटिव पीसेस का आकर्षण भी बढ़ेगा. आप ने कितनी भी सुंदर और कलात्मक चीजें खरीदी हों अगर आप इन्हें व्यवस्थित रूप से नहीं रखेंगे तो ये घर का लुक बढ़ाने के बजाय कम कर देंगी.

सादगी से सजाएं

घर को संवारते समय आप को सादगी में ही सौंदर्य है वाली कहावत को हमेशा याद रखना है. थोड़ा व्यावहारिक बनें, बिना सोचेसमझे खरीदारी न करें. आप बहुत सारी ऐक्सैसरीज चुन सकते हैं, मूर्तियां, कैंडल होल्डर आर्ट पीसेस आदि. जब भी कोई ऐंटिक चीज खरीदें, सोच लें कि वह आप के इंटीरियर से मैच खाएगी या नहीं. कमरे में अधिक चीजें न रखें. वैसे भी आजकल सिंपल लुक का प्रचलन अधिक है.

पेंट : कलर थेरैपिस्ट का मानना है कि जो रंग आप घर में इस्तेमाल करते हैं उन का आप की भावनात्मक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है. डल कलर घर को उदास लुक देते हैं. दीवारों पर ब्राइट रंग कराएं. आजकल पिंक और पर्पल के शेड बहुत चल रहे हैं. आप लाइट रंग की थीम भी रख सकते हैं. लेकिन उस में थोड़ी ब्राइटनैस होनी चाहिए. ब्राइट कलर और अच्छी लाइटिंग कमरों में पौजिटीविटी बढ़ाती है. कमरे की एक दीवार को अपने मनपसंद रंग में पेंट करें. इसे फोकल पौइंट बनाएं. उस दीवार पर कोई आर्ट पीस लगाएं.

फर्नीचर : वुडन फर्नीचर के लिए वुड पौलिश के बजाय फैब्रिक का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इस का इस्तेमाल पुराने और नए दोनों फर्नीचर में किया जा सकता है. फ्लोरल, प्लेन, ज्योमैट्रिकल पैटर्र्न जो भी आप को अच्छा लगे आप चुन सकते हैं. कई लोग कैनवास का इस्तेमाल भी करते हैं.

लाइट्स : अगर आप के घर के लैंप पुराने हो गए हैं तो उन्हें बदल दें, क्योंकि इस से देखने वाले को समझ में आ जाएगा कि आप का घर आउटडेटेड है. नई डिजाइन के लैंप लगाएं. लिविंग रूम में हमेशा सौफ्ट लाइट का इस्तेमाल करें जैसे कैंडल्स या वोटिव्स. बैडरूम के लैंप पर लैंप शेड जरूर लगाएं जिस से बैडरूम आकर्षक लगे. अपनी डाइनिंग टेबल के ऊपर शैंडलियर लटकाएं. इस से खाना खाते समय सीधा ग्लेयर नहीं पड़ेगा और यह रमणीय लगेगा. सीलिंग लाइट के बजाय हैंगिग लाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं. छोटी लाइट्स को मिला कर आप शैंडलर्स बना सकते हैं. आप घर को सजाने के लिए रंगबिरंगी लाइटों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

किचन : किचन को थोड़ा खुलाखुला रखें. अपनी कटलरी और क्रौकरी को ऐसी अलमारी में रखें जिस के दरवाजों पर कांच लगी हो. किचन में प्राकृतिक प्रकाश आने की व्यवस्था करें, इस से किचन न केवल आकर्षक लगेगा, बल्कि उस में ताजगी भी बनी रहेगी. कटलरी और क्रौकरी को डिस्प्ले करने के लिए आप किचन में अलग से अलमारियां भी बनवा सकते हैं.

शीशे और पेंटिंग्स : हर कमरे में कम से कम एक शीशा लगाएं. शीशों को हमेशा इस तरह लगाएं कि उन में कमरे की किसी सुंदर चीज का प्रतिबिंब दिखाई दे. इस की फ्रेम ऐसी हो जो कमरे के फर्नीचर से मैच खाए. आप छोटीबड़ी आकर्षक पेंटिंग्स से अपने घर की दीवारों को सजा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि  बहुत अधिक संख्या में पेंटिंग्स न लगाएं.

डैकोरेटिव पिलो व कुशन : बैड और सोफा दोनों के लिए कलरफुल कुशन व पिलो का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं और आप के कमरे का टैक्सचर और पैटर्न बढ़ाने में योगदान देते हैं.

परदे : परदे कमरे को हाईलाइट करते हैं, इसलिए इन का चयन बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए. परदेपसंद करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप की दीवारों पर किस रंग का पेंट है, किस कमरे के लिए आप परदे ले रहे हैं, कमरे का फर्नीचर कैसा है आदि. परदे कई पैटर्न और प्रिंट्स में आते हैं जैसे फ्लोरल, प्लेन, ज्योमैट्रिकल आदि. आजकल नैट के परदों का प्रचलन भी काफी है.

बैडशीट्स : कौटन या लिनेन की बैडशीट इस्तेमाल करें. बैडशीट के साथ मैचिंग पिलो कवर भी लें. बैडरूम की दीवारों से मैच करती हुई या कंट्रास्ट कलर वाली बैडशीट्स खरीदें.

वाल पेपर या फोटो वाल: घर को स्पोर्टी लुक देने के लिए वाल पेपर या फोटो वाल क्रिएट कर सकते हैं. इस से कमरे को नया लुक भी मिलेगा और उस का आकर्षण भी बढ़ेगा. वाल पेपर और कैनवास का इस्तेमाल कर सकते हैं.

फ्लोर : आजकल फ्लोर पर डैकवुड चलन में है. टाइल्स लगवाने के बाद जगह छोड़ कर डैकवुड लगवा सकते हैं. इस का प्रयोग अधिकतर लिविंग रूम में किया जाता है.

इनडोर प्लांट्स : नैचुरल फील देने के लिए इनडोर प्लांट्स लगाएं. आजकल के घर बहुत बंदबंद होते हैं. प्रदूषण की भी बहुत समस्या है. ऐसे में ये पौधे हवा को साफ रखते हैं और घर में ताजगी का एहसास दिलाते हैं. ये केवल आप के घर का आकर्षण ही नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि आप की सेहत भी सही रखेंगे. लेकिन पौधों का चयन करने से पहले इस बात का भी खयाल रखना चाहिए कि कहां कौन सा पौधा लगाएं. स्पाइडर प्लांट, स्नैक प्लांट, फिलोडैंड्रौन, लिली, गरबेरा डेजी, मनीप्लांट और पोथोस से अपने घर को सजाएं. अगर आप को पौधों के रखरखाव में रुचि नहीं है और आप केवल सुंदरता बढ़ाना चाहते हैं, तो आप कृत्रिम पौधों का चयन कर सकते हैं.

बालकनी : अधिकतर अपार्टमैंट्स में बालकनी होती है लकिन कई लोग अपनी बालकनी को सजाने में रुचि नहीं लेते हैं. आप को अपनी बालकनी को इस प्रकार सजाना चाहिए कि वह न केवल दिखने में सुंदर लगे, बल्कि आप इस का बेहतर तरीके से इस्तेमाल भी कर सकें. बालकनी में ऐंटीक फर्नीचर सब से बेहतर लगता है, इसलिए मौडर्न के बजाय एंटीक फर्नीचर का चयन करें. बालकनी की दीवार पर कोई आर्ट पीस लगाएं. बालकनी को न पूरी तरह कवर करें, न ही पूरी खुली रखें.

कौरिडोर : अगर आप का घर काफी बड़ा है और इस में कौरिडोर भी है तो इसे खाली न छोडे़ं. यहां की दीवारों पर कोईर् पेंटिंग या फोटो वाल क्रिएट करें. अगर कौरिडोर में जगह ज्यादा है तो इस में 2-3 जगह अलगअलग शोपीस रखे जा सकते हैं.

टैरेस : अगर आप के घर में टैरेस है, तो उसे एक आउटिंग स्पौट का लुक दें. आप यहां एक छोटा सा गार्डन बना सकते हैं, सुंदर लैंप लगा सकते हैं. थोड़ी जगह को कवर कर के वहां फर्नीचर रख सकते हैं. टैरेस पर केन का फर्नीचर काफी आकर्षक लगता है, टैरेस गार्डन के साथ इस का कौंबिनेशन आप की टैरेस को एक अलग ही लुक देगा. अगर आप की टैरेस पर जगह अधिक है तो आप झूला भी लगा सकते हैं.  

– सरवेश चड्ढा, आर्किटैक्ट, ग्रे इन स्टुडियो, दिल्ली

जल्लीकट्टू : पशुओं को सताना इंसानियत नहीं

जल्लीकट्टू खेल का यह नाम सल्ली कासू से बना है. सल्ली का मतलब सिक्का और कासू का मतलब सींगों में बंधा हुआ. सींगों में बंधे सिक्कों को हासिल करना इस खेल का मकसद होता है. धीरे-धीरे सल्लीकासू का नाम जल्लीकट्टू हो गया.

इस खेल से जुड़ी एक रोचक बात यह भी सुनी जाती है कि खेल के दौरान जो मर्द बंधन खोल देता था, उस को शादी के लिए दुलहन मिलती थी. लेकिन, अब यह प्रचलन में नहीं है. जल्लीकट्टू की परंपरा कई सालों से चली आ रही है और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खेल तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बड़ा लोकप्रिय है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि सांड को काबू में करने के लिए उस के साथ कू्ररता बरती जाती थी.

तमिलनाडु के रहने वाले कुतुबुद्दीन कहते हैं, ‘‘लेकिन क्या इस वजह से जल्लीकट्टू पर ही रोक लगा दी जाए? शायद कड़ाई से इतनाभर कहना काफी होता कि पशु के साथ हिंसा का बरताव नहीं होना चाहिए. जानवर को कोई नुकसान न पहुंचे, यह पक्का करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को निर्देश दिए जा सकते थे. इस से विवाद का दोनों पक्षों के लिए संतोषजनक हल निकलता, अदालत के फैसले और जनभावना के बीच टकराव नहीं होता.’’

चेन्नई के मरीना बीच पर लाखों लोग विरोधप्रदर्शन के लिए जुटे. रजनीकांत, ए आर रहमान, जग्गी वासुदेव जैसी फिल्मी हस्तियों समेत कई दूसरी शख्सीयतें इस आंदोलन को समर्थन देती दिखीं. मुंबई में भी लोग मानव श्रंखला बना कर जल्लीकट्टू के समर्थन में विरोधप्रदर्शन कर रहे थे.

वोटबैंक की राजनीति

तमिलनाडु में कोई राजनीतिक पार्टी इस खेल पर पूरे बैन का समर्थन नहीं करती. एक अखिल भारतीय औनलाइन जनमत के अनुसार 79.56 प्रतिशत लोग चाहते थे कि यह प्र्रथा बंद हो जाए जबकि सिर्फ 14.53 प्रतिशत चाहते थे कि यह प्र्रथा चलती रहनी चाहिए. लेकिन सवाल यह है कि क्या वे 14.53 प्रतिशत इतने प्रभावी हैं कि पूरी चेन्नई उन के प्रभाव से ग्रस्त है और सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ रहे हैं?

जल्लीकट्टू के आयोजन पर लगी रोक के खिलाफ जारी विरोधप्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने इस खेल के आयोजन को मंजूरी दे दी और अध्यादेश राज्य सरकार को सौंप दिया. क्यों? क्या आज की सरकार में इतना भी दम नहीं है कि वह 14 प्रतिशत लोगों का सामना कर सके, उन को समझा सके? क्यों हर बार सरकार को कुछ चंद लोगों के आगे झुकना पड़ जाता है? क्यों हर बार किसी प्रदेश, किसी जाति के लोगों से जुड़ी भावनाएं और विश्वास का हवाला दे कर किसी अच्छे विचार को टाल दिया जाता है या दबा दिया जाता है?

रजनीकांत व कमल हासन जैसी चर्चित हस्तियां और कुछ नेतावर्ग क्यों चाहते थे कि यह प्रथा चलती रहे? क्यों वे इस क्रूर प्रथा पर रोक के खिलाफ थे? क्या सदियों से चली आ रही नकारात्मक प्रथा को खत्म करना सही नहीं? असल में ये सब वोटबैंक की राजनीति है. अगर ये सब मुद्दे उठेंगे ही नहीं, तो ये सब लोग प्रसिद्घि कैसे पाएंगे, इन को पूछेगा कौन?

पशुओं के साथ क्रूरता

भोजन के लिए जानवर को मारा जाता है तो वह फिर भी न्यायसंगत है क्योंकि यह प्रकृतिदत्त है. पर अपने शौक के लिए किसी बेगुनाह को मारना या कष्ट देना कहां का न्याय है. कड़वी हकीकत यह है कि कुछ भद्र लोग सिर्फ अपने भय और आशंका को दूर करने के लिए बलि जैसे टोनेटोटके अपनाते हैं. यहां तक कि पाकिस्तान जैसे कई देश हैं, जहां के नेता या नामी लोग उड़ान से पहले रनवे पर एक काले बकरे की बलि देते हैं ताकि यात्रा सुगम व सुरक्षित रहे. क्या यह न्याय है, कतई नहीं.

जानीमानी कुछ जमीनी हस्तियों के मुताबिक, ‘‘जल्लीकट्टू के आयोजन के जरिए वे सांडों की बेहतर नस्ल संरक्षित करते हैं. उन के अनुसार, यह मशीनी युग है. मशीनी खेतीबाड़ी के इस दौर में पशुधन उपयोगी नहीं रह गया है.’’ कई का कहना है कि शायद इस प्रथा के जरिए वे पौरुष यानी मर्दवाद को स्थापित करना चाहते हैं.

आज की तारीख में जितने भी सभ्य माने जाने वाले अभिनेता जल्लीकट्टू का समर्थन करते हैं, उन्हें किसी समय में हम सब ने रुपहले परदे पर सांड के साथ भिड़ते हुए व जीतते हुए देखा है. वे शायद वही वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं.

इस खेल में सांड को क्रूरता के साथ पीटा जाता है, कई लोग एकसाथ उस की पीठ पर सवार होते हैं, उसे शराब या नशीला पेय पिला कर हिंसक व उन्मुक्त किया जाता है, उन की आंखों में मिर्च तक डाली जाती है और उन की पूंछों को मरोड़ा भी जाता है, ताकि वे तेज दौड़ सकें. परंपरा के नाम पर बेजबानों को तकलीफ देना आखिर कहां की इंसानियत है?

आफत बनते त्योहार

देश का हर तीजत्योहार अपने साथ कुछ न कुछ सिरदर्दी का मसला ले कर आता है. पूजा के दौरान लाउडस्पीकर गरजते हैं. प्रतिमाविसर्जन के समय ट्रैफिक की हालत खस्ता हो जाती है. लेकिन इन बातों का त्योहार के मूलभाव से कोई रिश्ता नहीं है. त्योहार का मूलभाव अकसर धार्मिक होता है. बहुत से लोगों को परेशानी होती है, परेशानी के मारे कुछ लोग अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं.

ज्यादा दिन नहीं हुए जब अदालत का फैसला आया था कि एक खास वक्त के बाद लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता. दीवाली के दिन ज्यादा शोर न हो, इसे ले कर भी एक सीमा निर्धारित की गई थी. सिरदर्दी पैदा करने वाली ऐसी बातों पर रोक लगती है, पर इस तरह की रोकथाम हमेशा विवाद पैदा करती है और फिर राजनीतिक विवाद के रूप में सामने आती है.

यह शायद इंसानी प्रवृत्ति ही है कि वह जीव को तकलीफ दे कर खुश होता है. इसलिए ही, वह नहीं चाहता कि ऐसे उत्सव बंद हों.

त्योहार जैसे दशहरा, दीवाली, मकरसंक्रांति, पोंगल तथा होली का उत्साह मनोरंजन के लिए पशुओं पर शामत बन कर आते हैं. इन त्योहारों में सांडों की लड़ाई व बैलगाड़ी दौड़ जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन देश के अनेक हिस्सों में किया जाता है तथा पशुओं के साथ कू्ररतम तरीके से व्यवहार किया जाता है. इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन को आयोजक एवं दर्शक बड़े गौरव की बात मानते हैं, जबकि ये कृत्य भारतीय दंड विधान के अनुसार दंडनीय अपराधों की श्रेणी में शामिल हैं.

पशु कू्ररता अधिनियम 1960 एवं भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत यह कृत्य वर्जित एवं दंडनीय है. इन के आयोजक एवं प्रायोजक सभी अपराधी माने जाते हैं. सांडों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है. बग्घी दौड़ जैसे आयोजनों पर भी विभिन्न राज्यों की न्यायपालिका ने रोक लगाई है.

तमाम रोकों के बाद भी पशुओं की लड़ाई एवं बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन लगातार किया जा रहा है. इस प्रकार के आयोजनों के बाकायदा विज्ञापन दिए जाते हैं. प्रिंट व टीवी चैनलों द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का कवरेज भी किया जाता है. इसी प्रकार मध्य प्रदेश के महाकौशल एवं महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बग्घी दौड़ के आयोजनों की खबरें भी मिलती हैं. वास्तव में ये तमाम घटनाएं हमारी परंपरा के खिलाफ तो हैं ही, साथ ही पशु प्रेमियों को परेशान करती हैं कि तमाम कानूनों के बाद भी पशुओं पर इस प्रकार के अत्याचार जारी हैं.

मुंबई में रहने वाले चेतन का कहना है, ‘‘यह एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. जल्लीकट्टू में वक्त बीतने के साथ कुछ बुराइयां आई हैं, जैसे सांड को चोट पहुंचाना आदि. इन्हें रोकने के लिए कोई नियम बनता है तो लोग उसे मानेंगे. सांड को चोट पहुंचाना जल्लीकट्टू का असल मकसद नहीं है. यह बहुतकुछ वैसा ही है जैसे कि त्योहार में लाउडस्पीकर बजाना. रोक लगाने की जगह पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग यानी पीपल्स फौर द ऐथिकल ट्रीटमैंट औफ ऐनिमल्स संस्था के कार्यकर्ताओं और कोर्ट को जल्लीकट्टू के इस पहलू पर विचार करना चाहिए था. महाराष्ट्र के दहीहांडी वाले मामले में जैसा आदेश दिया गया था, कुछ वैसा ही जल्लीकट्टू के मामले में कारगर होता.’’

आंकड़े यह भी बताते हैं कि ऐसे आयोजनों में बहुत से लोग घायल होते हैं या मारे जाते हैं. यह हिंसा फिर मानव की, मानव के खिलाफ इस्तेमाल होती है. कुछ लोगों, जो इस प्रथा का समर्थन करते हैं, का मानना है, ‘‘यह स्पेन की बुल फाइट से अलग है. जल्लीकट्टू हजारों वर्षों से खेला जाने वाला खेल है. इस में सांड को मारा नहीं जाता. सारा खेल तीखे सींग वाले सांड पर बांधे गए सोने या पैसे को खोलने का होता है.’’

इस के विपरीत, इस खेल का समर्थन करने वाले बालकुमारन सोमू कहते हैं, ‘‘तमिलनाडु में 6 स्थानीय नस्लें थीं. उन में से एक नस्ल अलामबदी को तो आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया गया है. सरकार का बैन लगा रहा तो बची नस्लें भी खत्म हो जाएंगी.’’ वहीं कार्तिकेयन शिव सेनापति कहते हैं, ‘‘जल्लीकट्टू ने लोगों को उत्साहित किया है कि वे अपने बैलों, सांडों को पालें. चूंकि यह परिवार और समुदाय की इज्जत की बात है, किसान उन का अच्छा खयाल रखते हैं. ये बैन लागू रहा तो लोगों में सांडों को रखने का उत्साह नहीं बचेगा.’’

जल्लीकट्टू का समर्थन करने वालों का कहना है, ‘‘घोड़ों की रेस पर क्यों कोई रोक नहीं लगाई जाती, या मंदिरों में रखे जाने वाले हाथियों पर कोई कुछ क्यों नहीं कहता? अगर कोई सांड को मारता है, उसे चोट पहुंचाता है तो उसे पकड़ें, सजा दें, इस में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इस के लिए इस खेल पर बैन लगाना सही नहीं.’’

कोलकाता निवासी अमित अंबस्था का मानना है, ‘‘संस्कृति और परंपरा के नाम पर बेजबान जानवरों से हिंसक खेल 21वीं सदी में स्वीकार्य नहीं है. अकसर हम लोगों में से ही कुछ या सरकार कहती है कि ‘सोच बदलो, तो देश बदलेगा.’ पर क्या, ऐसी सोच के साथ देश बदलेगा? सोच बदलने के लिए पहले हम को खुद भी तो बदलना होगा.’’

मनुष्य, पशु, धर्म और कानून

मनुष्य पशुपक्षियों पर कितना और किसकिस प्रकार अत्याचार करता है, कितनी बुरी तरह से उन का उत्पीड़न कर रहा है, इस को आएदिन सामान्य जीवन में देखा जा सकता है. यह और भी दुख व खेद की बात है कि मनुष्य का यह अत्याचार उन्हीं पशुपक्षियों पर चल रहा है जो उस के लिए उपयोगी, उस के मित्र, सेवक तथा सुखदुख के साथी व आज्ञाकारी हैं.

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार यह सही नहीं है कि एक जानवर को बस अपनी नस्ल बचाने के लिए हिंसाभरी जिंदगी जीनी पड़े.

जल्लीकट्टू के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सहमति हासिल करने के तमिलनाडु सरकार के प्रयास नाकाम हो गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह 3,500 वर्षों पुरानी परंपरा है जो धर्म से जुड़ी है. पर न्यायपीठ ने कहा, ‘‘यह धर्म से मेल या जुड़ाव नहीं है.’’

यहां तक कि वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर ने भी कहा, ‘‘यही एक सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजन है जो फसलों की कटाई से जुड़ा है. यह धार्मिक प्रचलन नहीं है. इस का धर्म से कोई लेनादेना नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत दी गईर् धर्म की स्वतंत्रता की धारणा से यह बाहर है.’’ इसे वर्ष 1964 के पशु अत्याचार निरोध कानून के खिलाफ करार देते हुए अदालत ने 7 मई, 2014 के फैसले में सांड से लड़ाई पर प्रतिबंध लगाया था. उस में कहा गया था, ‘‘सांड को किसी अभिनय में भाग लेने का हिस्सा नहीं बनाया जाए चाहे वह जल्लीकट्टू का कार्यक्रम हो या बैलगाड़ी की दौड़.’’

नेता, अभिनेता या कुछ सभ्रांत लोग अगर कुछ करते हैं तो किसी न किसी राजनीति के तहत ही करते हैं. किसी भी मुद्दे को उठाओ और उस को बीच में ही छोड़ दो, क्योंकि अगर मुद्दा खत्म हो गया तो जिन्हें लाभ होता है उन को पूछेगा कौन? इसलिए हर मुद्दा 2-4 दिनों या कुछ महीनों तक चर्चा में रहता है. बाद में इस मसले को बीच में ही दबा दिया जाता है. यह सब राजनीति का तरीका है.

– मोनिका अग्रवाल

अमेरिका की फर्स्ट लेडीज

45वें प्रैसिडैंट डोनाल्ड ट्रंप और फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप पर टिकी हैं. भूतपूर्व यूगोस्लाविया में जन्मी 46 वर्षीया मेलानिया ने 2006 में अमेरिकी नागरिकता ग्रहण की. विवाह से पहले वे मौडलिंग करती थीं. वे अपने रईस व आशिकमिजाज पति ट्रंप से 24 वर्ष छोटी हैं. सीक्रेट सर्विस ने मेलानिया ट्रंप को कोड नाम दिया है ‘म्यूज,’ जिस का अर्थ सुबुद्धिदाता. काफी हद तक अक्खड़ स्वभाव के प्रैसिडैंट ट्रंप को ऐसी ही पत्नी चाहिए भी थी.

महिलाओं के प्रति डोनाल्ड ट्रंप के जानेअनजाने अशिष्ट रिमार्क्स को मीडिया खूब उछालता रहा है. मेलानिया ने दबी जबान से उन रिमार्क्स का विरोध किया है और अपेक्षा की है कि भविष्य में वे पति को ऐसी बयानबाजी करने से रोक सकेंगी.

तीन बार विवाहित प्रैसिडैंट ट्रंप यों तो अपने बड़े कुनबे को यथासंभव लाइमलाइट में रखते हैं लेकिन उन्हें इस बात का विशेष ध्यान भी रखना होगा कि विशिष्ट दंपती द्वारा औपचारिक स्वागत के समय वे अपनी पत्नी को बगल में ले कर चलेंगे. एक प्रमुख मैगजीन ने ओबामा दंपती द्वारा व्हाइटहाउस में आयोजित स्वागत कार्यक्रम के अवसर पर डोनाल्ड ट्रंप को अकेले आगे बढ़ आते और मेलानिया ट्रंप को कई कदम पीछे छूटते दिखाया भी है.

अपने 11 वर्षीय पुत्र बैरन की शिक्षादीक्षा को समर्पित वर्तमान फर्स्ट लेडी मेलानिया गरमी तक न्यूयौर्क में ही रहेंगी, लेकिन फर्स्ट लेडी की भूमिका निबाहने के लिए व्हाइटहाउस में आती रहेंगी. डोनाल्ड ट्रंप और उन की पूर्व पत्नी इवाना की पुत्री इवांका अपने पति जैरेड कश्नर सहित पिता के बहुत निकट हैं और उन की विश्वासपात्र हैं. जैरेड और इवांका ने वाश्ंिगटन में घर खरीद लिया है और आवश्यकता पड़ने पर वे संभवतया पिता की औफिशियल हौस्टैस का रोल अदा करेंगी. यह असामान्य नहीं. बैचलर 15वें पै्रसिडैंट जेम्स ब्यूकैनन की भतीजी भी हैरियट लेन व्हाइटहाउस में फर्स्ट लेडी के सारे दायित्व पूरे करती थीं.

35वीं फर्स्ट लेडी जैकलीन केनेडी ने पति जौन फिटजेरल्ड केनेडी की प्रैसिडैंसी की शुरुआत में अपने नवजात शिशु पैट्रिक को खो दिया था. जीवनभर वे इस सदमे से पूरी तरह न उबर पाईं. पुत्री कैरोलाइन तथा पुत्र जौन जूनियर के पालनपोषण और व्हाइटहाउस में अपनी गृहस्थी के संचालन में उन्होंने खुद को बिलकुल रमा लिया था. प्रैसिडैंट केनेडी के भाषणों के लिए वे अनेक ऐतिहासिक व साहित्यिक तथ्य जुटाती थीं. जैकलीन केनेडी के अथक प्रयासों से राष्ट्रीय स्तर पर कला व मानविकी के उत्थान के लिए दानकोष की स्थापना हुई. उन का ‘पिल्बौक्स हैट’ लोकप्रिय फैशन प्रतीक था. अभिनेत्री मर्लिन मुनरो के साथ प्रैसिडैंट केनेडी का अफेयर उन दिनों सब की जबान पर था. मर्लिन के अलावा अन्य सुंदरियों के साथ भी उन के अफेयर्स का जिक्र अकसर होता है.

ऐयाशी और रंगीले मिजाज के लिए मशहूर विश्व के सब से बड़े प्राइवेट जहाजी बेड़े के मालिक ग्रीक शिपिंग टायकून ऐरिसटोटल ओनैसिस ऊंचे हलकों में घूमने के शौकीन थे और अपनी दौलत से हाई सोसायटी की महिलाओं को रिझाया करते थे. अमेरिकी फर्स्ट कपल के नजदीक आने की उन की कोशिश से प्रैसिडैंट केनेडी भलीभांति अवगत थे. मशहूर औपेरा सिंगर मारिया कैलस के साथ ओनैसिस की तूफानी मोहब्बत जगजाहिर थी.

जौन केनेडी देखते थे कि विधुर ओनैसिस जैकलीन केनेडी को प्रभावित करने की हर संभव कोशिश करते रहते हैं. निजी स्टाफ को उन का आदेश था कि मिसेज केनेडी को ओनैसिस से दूर रखा जाए. पति की असामयिक मृत्यु के कुछ वर्ष बाद जैकलीन केनेडी ने ओनैसिस से विवाह किया जिस के चलते वे न सिर्फ सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा से ही वंचित हुईं बल्कि आम जनता ने भी अपनी चहेती फर्स्ट लेडी को दिल से उतार दिया.

ओनैसिस की बेवफाई से दुखी हो कर उन्होंने तलाक ले लिया. उस के बाद वे न्यूयौर्क लौट आईं और जनता ने भी उन्हें फिर दिल से लगा लिया. 1994 में कैंसर से उन की मृत्यु हो गई. केनेडी दंपती के होनहार पुत्र जौन 1999 में अपनी पत्नी सहित हवाई दुर्घटनाग्रस्त हो गए. लेखक, कलाकार और डिजाइनर एडविन श्लौसबर्ग की पत्नी और जौन व जैकलीन केनेडी की एकमात्र वारिस कैरोलाइन 2013 से ले कर 18 जनवरी, 2017 तक जापान में अमेरिकी राजदूत रहीं.

कुछ अन्य फर्स्ट लेडीज ने भी अपने पतियों की आशिकमिजाजी भुगती है:

34वें प्रैसिडैंट ड्वाइट डेविड आयजेन्हौवर की ड्राइवर उन की प्रेमिका रहीं. बिल क्लिंटन के अफेयर्स के कारण उन पर महाभियोग की नौबत आने वाली थी. पत्नी हिलेरी क्लिंटन का सपोर्ट उन्हें महासंकट से उबार सका था. येल यूनिवर्सिटी से डौक्टरेट की डिगरी प्राप्त हिलेरी क्लिंटन बालाधिकार और जनस्वास्थ्य मुद्दों को समर्पित हैं.

36वीं फर्स्ट लेडी क्लौडिया जौनसन सुशिक्षित ही नहीं, कुशल प्रबंधक व चतुर निवेशक भी थीं. अपने पति लिंडन जौनसन की प्रारंभिक राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अपना निजी धन लगाया. जिद्दी स्वभाव के प्रैसिडैंट जौनसन संपर्क में आने वाले कई लोगों को नाराज कर देते थे जबकि ‘लेडी बर्ड’ के नाम से लोकप्रिय, व्यवहारकुशल क्लौडिया जौनसन सब की नाराजगी दूर कर देती थीं.

प्रैसिडैंट जौनसन से खिन्न एक फोटोग्राफर ने तो यहां तक कहा कि अपनी नाराजगी के बावजूद वह ‘लेडी बर्ड’ के लिए अंगारों पर भी चल लेगा. पत्नियों से बेवफाई करने वाले अन्य प्रैसिडैंट्स से भी आगे प्रैसिडैंट जौनसन ने बजर सिस्टम लगवा रखा था. उन के स्टाफ को मिस्ट्रैसेज की जानकारी गुप्त रखने की हिदायत थी, लेकिन ‘लेडी बर्ड’ उन के ‘हरम’ से भलीभांति अवगत थीं.

29वें प्रैसिडैंट वारेन हार्डिंग की पत्नी फ्लौरेंस ज्यादा सहिष्णु नहीं थीं. एक कोठरी में अपने पति और एक युवती के सैक्स में लिप्त होने की भनक पा कर दरवाजा पीटपीट कर तोड़ डालने पर आमादा फ्लौरेंस को मुश्किल से रोका गया था.

7वें प्रैसिडैंट ऐंड्रू जैकसन दिलफेंक प्रैसिडैंट्स से अलग थे और अफवाहों को काटते थे. अपनी पत्नी रेचल की मर्यादा रक्षा के लिए उन्होंने अनेक द्वंद्व किए और सीने व बांह में गोली भी खाई.

अमेरिका में अनेक प्रैसिडैंट्स अपनी पत्नियों को समुचित आदर व मान देते थे. कई फर्स्ट लेडीज पत्नियां प्रशासन से बाहर रह कर भी मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, मानवाधिकार और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दों को आगे बढ़ाती थीं.

39वें प्रैसिडैंट जिमी कार्टर की पत्नी रोजलिन कार्टर को सीक्रेट सर्विस ने कोड नाम दिया था डांसर. व्हाइटहाउस के कुशल संचालन करने के अलावा वे कैबिनेट मीटिंग्स में भी बैठती थीं. वे नीतिगत मामलों में पति की निजी सलाहकार थीं. व्हाइटहाउस की ईस्ट विंग में उन का अपना औफिस था.

32वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट की पत्नी ऐन्ना एलिनोर रूजवेल्ट प्रगतिशील विचारों वाली थीं. बहुत लोग उन्हें आज भी आदर्श फर्स्ट लेडी मानते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना में उन की अहम भूमिका थी. वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रथम अध्यक्ष थीं. 1933 में उन्होंने विश्व की प्रथम महिला विमानचालक अमीलिया ईयरहार्ट के साथ एक छोटी फ्लाइट ली थी.

41वीं फर्स्ट लेडी बारबरा मानसिक रोगों के निवारण व साक्षरता को समर्पित हैं.

43वें प्रैसीडैंट जौर्ज वौकर बुश की पत्नी लारा बुश टीचर और लाइब्रेरियन रह चुकी हैं और साक्षरता व शिक्षा का प्रबल समर्थन करती रहीं. मिशेल ओबामा से उन की दोस्ती राजनीतिक मतभेदों से परे रही.

– इंदिरा मितल

होम लोन लेने से पहले

होम लोन की दरें 9 फीसद से नीचे आ गई हैं. प्रौपर्टी की कीमतें भी 30 फीसद घटी हैं. जो लोग खुद का आशियाना लेने का सपना देख रहे हैं, उन के लिए यह सही वक्त है. वैसे तो हमारे देश में कर्ज लेना अच्छा नहीं माना जाता है पर अगर आप के पोर्टफोलियो में होम लोन शामिल है, तो यह अच्छी निशानी है. दरअसल, होम लोन बाकी कर्ज से बिलकुल अलग है. कारण यह है कि होम लोन लेने का मतलब है कि आप के पास एक संपत्ति बन रही है, जिस की कीमत हमेशा बढ़ेगी.

फाइनैंशियल प्लानर अविनाश दुबे के मुताबिक कार लोन या पर्सनल लोन आप की देनदारी को बढ़ाते हैं, जबकि होम लोन लेने से आप एक संपत्ति के मालिक बनते हैं. कुछ समय तक जरूर इस की ईएमआई भरनी  पड़ती है पर आप को किराया देने से भी तो मुक्ति मिल जाती है. होम लोन लेते वक्त यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो यह यकीनन आप के लिए फायदे का सौदा साबित होगा:

एकसाथ करें आवेदन

अगर आप और आप के कई मित्र एकसाथ होम लोन लें, तो यह लोन आप के लिए सस्ता पड़ेगा. कहने का मतलब है कि जब मिल कर लोन लिया जाता है, तो बैंक या वित्तीय संस्थान को इस की प्रोसैसिंग और कानूनी कार्रवाई पर कम खर्च करना पड़ता है, जिस का फायदा निश्चित तौर पर बैंक ग्राहकों को दिया जाता है. मसलन, इस के चलते बैंक आप की प्रोसैसिंग फीस और अन्य शुल्क माफ कर सकता है.

महीने के अंत में आवेदन करना बेहतर

कर्ज देने के लिए बैंकों का महीने के आधार पर टारगेट होता है. अगर आप महीने की 24 तारीख के बाद लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो आप को डिस्काउंट मिलने की संभावना ज्यादा होती है. कहने का मतलब यह है कि बैंकों की कोशिश होती है कि वे अपने हर महीने का लोन टारगेट पूरा करें. ऐसे में यह संभावना ज्यादा होती है कि इस अवधि में बैंक आप को किफायती दर पर होम लोन उपलब्ध कराएं.

अच्छी क्रैडिट रेटिंग है जरूरी

बैंक अपने पुराने और विश्वसनीय ग्राहकों को किफायती दर पर होम लोन उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं. अगर आप भी बैंक के पुराने ग्राहकों में से एक हैं और आप का रीपेमैंट रिकौर्ड अच्छा रहा है, तो अन्य ग्राहकों के मुकाबले आप को कम दर पर लोन मिलने की संभावना ज्यादा है. इसलिए जरूरी है कि आप अपने क्रैडिट कार्ड बिल और बाकी की देनदारियों का भुगतान समय पर करें. इस से आप की क्रैडिट रेटिंग दुरुस्त रहेगी और सस्ता होम लोन मिल सकेगा.

इन बातों का रखें खयाल

– नए या फिर जिन कर्जदाताओं के बारे में ज्यादा जानकारी न हो उन से लोन लेने से बचें.

– लोन लेते समय कम से कम 4-5 अलग-अलग कर्जदाताओं की ब्याज दर, लागत, आवेदन प्रक्रिया में सरलता और भुगतान की सरलता तथा पुराने कर्जदारों के अनुभव के बारे में जरूरी  जानकारी ले लें.

– ब्याज दरों और अन्य शुल्क की तुलना के लिए आप औनलाइन पोर्टल का भी सहारा ले सकते हैं.

– कर्जदाताओं के रेट रीसैट, फौर क्लोजर की शर्तों का अध्ययन बेहद जरूरी है.

– ऐसे कर्जदाताओं का चुनाव करें जिन के प्रीपेमैंट के नियम और शर्तें आसान हों.

पात्रता का प्रावधान

किसी व्यक्ति को कितना लोन मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस की ग्रौस सैलरी कितनी है. उदाहरण के तौर पर वेतनभोगी वर्ग को सालाना आय का 4 गुना होम लोन दिया जा सकता है. इस के अलावा चार्टर्ड अकाउंटैंट, डाक्टर जैसे पेशेवरों को उन की सालाना आय का 7 गुना तक लोन दिया जा सकता है. हालांकि लोन देते वक्त बैंक इस बात का भी खयाल रखते हैं कि व्यक्ति की टेक होम सैलरी या फिर नैट सैलरी ग्रौस सैलरी के 40 फीसदी से कम न हो.

इस के अलावा होम लोन के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की क्रैडिट रिपोर्ट पर भी गौर किया जाता है. अगर कर्ज चुकाने का पुराना रिकौर्ड दागदार है, तो संभव है ऐसे व्यक्ति को लोन मिले ही नहीं या मिले भी तो अपेक्षाकृत अधिक ब्याज दर पर.

बढ़ा सकते हैं होम लोन की पात्रता

आपके लोन की अवधि जितनी लंबी होगी उतना ज्यादा आपको लोन मिल सकेगा. प्रति लाख रुपए पर मासिक किश्त लंबी अवधि के लोन के लिए काफी कम होती है. ऐसी स्थिति में बैंक उसी आय पर ज्यादा लोन दे देते हैं.

अपनी लोन की पात्रता बढ़ाने का दूसरा तरीका यह है कि जिन रिश्तेदारों को बैंक अनुमति देते हैं आप उन की और अपनी आय मिला कर जौइंट लोन ले सकते हैं. इस में आप के जीवनसाथी, बच्चे, माता-पिता या भाई-बहन शामिल हो सकते हैं. एक शादीशुदा महिला भी अपने सास-ससुर या अपने पति की आय मिला कर जौइंट लोन ले सकती है. हालांकि वह अपने मां-बाप के साथ जौइंट लोन नहीं ले सकती है. अगर आप के पास डाउन पेमैंट देने के लिए पर्याप्त राशि है, तो आप को बड़ा लोन लेने की जरूरत नहीं है. इस से आप पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा नहीं. लोन देते वक्त बैंक आप से किसी पुराने रीपेमैंट की जानकारी मांग सकता है. इस के लिए आप किसी पुराने लोन (कार लोन या फिर किसी अन्य लोन) की रीपेमैंट का प्रूफ दे सकते हैं.

वरिष्ठ नागरिकों को भी है फायदा

आमतौर पर वरिष्ठ नागरिकों को ज्यादा लंबी अवधि वाला लोन नहीं दिया जाता. उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति 60 साल का है, तो उसे ज्यादा से ज्यादा 5 साल तक की अवधि वाला होम लोन ही मिल सकता है. यह समस्या भी जौइंट होम लोन लेने से दूर हो जाती है. अगर कोई वरिष्ठ नागरिक किसी कम उम्र वाले के साथ मिल कर लोन के लिए आवेदन करता है तो उसे लंबी अवधि का लोन भी मिल सकता है.

लोन के लिए आवेदन करने से पहले

क्रैडिट इन्फौर्मेशन ब्यूरो औफ इंडिया लिमिटेड यानी सिबिल से आप अपनी क्रैडिट रिपोर्ट मंगवा कर यह जान सकते हैं कि आप का रिकौर्ड और स्कोर क्या है. साल में एक बार 450 खर्च कर सिबिल से क्रैडिट स्कोर पाने के बाद आप यह जान सकते हैं कि आप का कर्जदाता आप के आवेदन को किस प्रकार देखेगा. अगर क्रैडिट रिपोर्ट में कोई विसंगति पाई जाती है जैसे आप ने क्रैडिट कार्ड के तमाम बिलों का भुगतान किया हुआ है, लेकिन रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि आप ने बिलों का भुगतान नहीं किया है और इस कारण आप की क्रैडिट रिपोर्ट प्रभावित हुई है, तो आप भुगतान के सुबूत के साथ संबंधित बैंक से बातचीत कर सकते हैं. ऐसे सुबूत के साथ आप सीधे सिबिल से संपर्क कर अपनी सूचना सही करवा सकते हैं.       

इन बॉलीवुड जोड़ियों को जानते हैं आप?

हर तरह की इंडस्ट्री, बॉलीवुड से जुड़ी हुई हैं. जैसे कि आप जानते हैं कि बॉलीवुड कलाकारों को हर तरह की इंडस्ट्री के लोगों के साथ काम करना होता है. हमारे पसंदीदा कलाकारों के कई दोस्त हैं जो खेल और मॉडलिंग की दुनिया से आते हैं. आप और हम जैसे फैन्स हमेशा अपने पसंदीदा सितारे की ‘लव-लाइफ’ के बारे में सबकुछ जानना चाहते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड के कई सितारे ऐसे भी हैं, जिनके रिश्तों के बारे में आपको पता ही नहीं है.

तो आइये हम आपको बताते हैं कौन हैं ये सितारे..

1. रणवीर सिंह और अहाना देओल 

अपने कॉलेज के दिनों में रणवीर सिंह ने अभिनेत्री हेमा मालिनी और अभिनेता धर्मेन्द्र की छोटी बेटी अहाना को डेट किया था. अब इस बात की तो कोई जानकारी नहीं है कि इनका रिश्ता खत्म क्यों हुआ. अब अहाना ने दिल्ली के एक बिजनेसमैन ‘वैभव वोरा’ से शादी कर ली है और खबरों के अनुसार फिलहाल अभिनेता रणवीर, टॉप एक्ट्रेस दीपिका के साथ रिश्ते में हैं.

2. जैकलीन फेर्नांडिज और साजिद खान 

क्या आप ये बात जानते हैं कि साजिद कामरान खान जो कि एक भारतीय फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक, टॉक शो होस्ट, और अभिनेता भी हैं, वे और अभिनेत्री जैकलीन 3 साल तक रिश्ते में थे पर साल 2013 में उनका ब्रेकअप हुआ था. एक अखबार को दिए एक इंटरव्यू में साजिद ने एक बयान देते हुए कहा था कि जब आपकी जिन्दगी में कोई औरत नहीं होती तो आपको कोई परेशान नहीं करता और अच्छा और बेहतर काम कर पाते हैं. इस बात से आप शायद अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि आखिर इनके बीच क्या हुआ होगा.

3. दीपानिता शर्मा और अभिषेक बच्चन

ऐश्वर्या से शादी करने से पहले अभिषेक थोड़े समय के लिए मॉडल और एक्ट्रेस दीपानिता शर्मा को डेट किया करते थे. एक इंटरव्यू में दीपानिता ने कहा कि अभिषेक और वो कभी दोस्त नहीं बन सकते और जो समय उन्होंने साथ बिताये वो उनके लिए बिल्कुल मायने नहीं रखता.

4. सुष्मिता सेन और रणदीप हुड्डा

बॉलीवुड के कलाकारों सुष्मिता सेन और रणदीप हुड्डा ने 2004 में एक-दूसरे को डेट करना शुरू किया था और 2007 में इनका रिश्ता खत्म हो गया था. खबरों की माने तो इनका रिश्ता काफी गहरा था. रणदीप ने सुष्मिता की बेटी रेनी के साथ भी गहरे रिश्ते स्थापित करने के बारे में बताया था. हम आपको बता दें कि अलग होने के बाद भी ये लोग दोस्त रहे हैं.

5. रणबीर और अवंतिका मलिक

रणबीर और अवंतिका ने बतौर टीनएजर्स एक-दूसरे को डेट किया था, लेकिन बाद में वे अलग हो गए थे. जब अवंतिका टीवी शो ‘जस्ट मोहब्बत’ में काम करती थीं, तब रणबीर शो के सेट पर उनसे मिलने आते थे और वे साथ समय बिताते थे. अब की बात की जाए तो अवंतिका इमरान खान की पत्नी हैं और उनकी एक बच्ची भी है. 

6. शाहिद कपूर और सान्या मिर्जा

अभिनेता शाहिद और सान्या ने कभी इस बात को नहीं कबूल तो नहीं किया कि ये दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे. साल 2017 में जब सान्या ने एक टॉक शो में शिरकत की थी तब उनसे पूछे गए इसी सवाल के जवाब में उन्होंने कि उन्हें अब ये बात याद नहीं है क्योंकि ये बहुत पुरानी बात है. 

7. शाहिद कपूर और बिपाशा बसु

साल 2011 में शाहिद और बिपाशा के साथ होने की अफवाह काफी उड़ी थी, क्योंकि इन दोनों को काफी बार एक साथ घूमते हुए देखा गया था. अंत में खबर आई कि शाहिद ने प्रियंका को और बिपाशा ने जॉन को छोड़ा और इसके बाद इन दोनों का आपस में रिश्ता शुरू हुआ. लेकिन ये रिश्ता भी नहीं चल सका.

कुछ ही महीनों बाद इन दोनों ने अपने रिश्ते के खत्म होने का ऐलान कर दिया था. तथाकथित रूप से इसका कारण था, शाहिद की इस रिश्ते में दिलचस्पी ना होना. 

8. आमिर खान और पूजा भट्ट

फिल्म ‘दिल है के मानता नहीं’ की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री पूजा और सुपरस्टार आमिर खान तथाकथित रूप से एक-दूसरे को डेट कर रहे थे. उस समय तो आमिर शादीशुदा थे और रीना दत्ता उनकी बीवी थीं. हालांकि इन दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं रहे थे. पूजा भट्ट ने एक बार कहा था कि उन दोनों का रिश्ता ‘प्यार और नफ़रत’ का था.

9. अमीषा पटेल और विक्रम भट्ट

साल 1999 में फिल्म ‘आप मुझे अच्छे लगने लगे’ के सेट्स पर विक्रम और अमीषा की मुलाकात हुई थी और तभी इनकी कहानी शुरू हुई. 5 साल तक रिश्ते में साथ रहने के बाद ये दोनों 2008 में अपने-अपने रस्ते पर चले दिए. 

9. प्रियंका चोपड़ा और असीम मर्चेंट

मिस इंडिया बनने से पहले और बतौर मॉडल अपना करियर शुरू करने से पहले अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, मॉडल और एक्टर रहे असीम को डेट कर रही थीं. साल 2000 में इन दोनों ने अपना रिश्ता खत्म कर दिया और कुछ सालों बाद असीम ने एक बायोपिक बनाने का ऐलान किया जिसका नाम था ’67 डेज़’ ! ये फिल्म प्रियंका के बॉलीवुड सेलिब्रिटी बनने से पहले की जिन्दगी के बारे में थी. 

10. शाहिद कपूर और सोनाक्षी सिन्हा

2013 में फिल्म फिल्म ‘आर… राजकुमार’ के बाद हर मीडिया रिपोर्ट में सोनाक्षी और शाहिद के रिश्ते में होने की खबर आने लगी थी. ऐसा माना जा रहा था कि ये इनकी फिल्म के फायदे के लिए किया जा रहा है. लेकिन कुछ सूत्रों के मुताबिक़ शाहिद और सोनाक्षी सच में एक-दूसरे के करीब आ गए थे. लेकिन अज्ञात कारणों से 2014 में इन दोनों ने एक-दूसरे से मिलना छोड़ दिया और अपनी-अपनी राह पर चले गए. 

11. दीपिका पादुकोण और युवराज सिंह

साल 2008 में युवराज और दीपिका कपल हुआ करते थे और कई मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से ये दोनों शादी करने के बारे में भी सोच रहे थे.

12. संजय लीला भंसाली और वैभवी मर्चेंट

इस डायरेक्टर और कोरियोग्राफर की जोड़ी की डेटिंग की अफवाह बहुत उड़ी थी, यहां तक कि ये भी कहा गया था कि साल 2008 में इन दोनों ने सगाई भी कर ली थी. एक इंटरव्यू में संजय ने कहा था कि एक रिश्ते को सम्मान देना जरूरी होता है चाहे आप उसमें हों या ना हो. ये मेरी जिन्दगी का वो हिस्सा है जिसके बारे में मैं कभी बात नहीं करूंगा.

बॉलीवुड सितारों की फैंस के साथ शादी

बॉलीवुड के मशहूर सितारों के प्यार और शादी के बारे में तो हमें पता ही होता है. और इन सितारों की शादी कितने दिन चलती है आप ये भी जानते है. बॉलीवुड में कुछ स्टार्स ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने फैंस से शादी की है. और अभी भी एक दूसरे के साथ अच्छी जिन्दगी गुजार रहें हैं.

जितेंद्र

बॉलीवुड एक्टर जितेंद्र की पत्नी शोभा ब्रिटिश एयरवेज में एयर हॉस्टेज थी. शोभा बहुत पहले से जितेंद्र की बहुत बड़ी फैन थी. इसके बाद इन दोनों ने शादी कर ली.

राजेश खन्ना

सुपर स्टार्स राजेश खन्ना ने भी अपनी फैन से ही शादी की थी. डिम्पल कपाड़िया फिल्मों में आने से पहले राजेश खन्ना को अपना दिल दे बैठी थी. 1973 में राजेश खन्ना ने अपने से आधी उम्र की डिम्पल के साथ शादी कर ली.

दिलीप कुमार

अभिनेत्री शायरा बानो ने खुद एक बार ये बात कबूल की थी की जब वे 12 साल की थी तब से वे दिलीप कुमार की फैन थी. शायरा बानो के फिल्मों में आने के बाद 1966 में दिलीप कुमार ने शायरा बानो से शादी कर ली.

आमिर खान

आमिर खान ने भी अपनी फैन किरण राव से शादी की है. जब किरण 14 साल की थी तब उन्होंने आमिर की फिल्म कयामत से कयामत तर देखी थी तब से किरण, आमिर की बहुत बड़ी फैन हो गई थी.

बिली जॉय आर्मस्ट्रांग

1990 में बिली जॉय आमस्ट्रॉग एड्रिऐनी नेसे से मिले थे. नेसे उनकी पहले से ही बहुत बड़ी प्रसंशक थी बाद में दोनों ने शादी कर ली.

रेत लागे मोहे सोणी

रेगिस्तान में छुट्टियां बिताने का अपना अलग ही आनंद है. इस में रोमांच तो है ही, साथ ही रोमांस भी है. डैजर्ट में लैंडस्केप के गोल्डन मैजिक को हिंदी फिल्मों में भी बखूबी देखा जा सकता है. ‘गाइड’, ‘सोनार किला’, ‘लमहे’, ‘रुदाली’, ‘डोर’, ‘बौर्डर’ और ‘पहेली’ जैसी अनेक हिंदी फिल्मों में मरुभूमि के रेतीले संसार की रेतीली धरती की शीतल रातों में तारों को निहारने का रोमांस दर्शाया गया है. राजस्थान के बहुत बड़े हिस्से में फैले रेगिस्तान में पर्यटन के विविध आयामों के दर्शन होते हैं. कहीं रेत के टीलों पर पैदल चलने का रोमांच होता है तो कहीं ऊंट की सवारी का लुत्फ उठाया जाता है तो कहीं डैजर्ट कैंपिंग के साथ लोकरंजनभरी प्रस्तुतियों की कल्चरल इवनिंग हर शाम को रोमांटिक बना देती है.

राजस्थान में जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, उदयपुर में डैजर्ट हौलीडे का आनंद उठाया जा सकता है. रंगबिरंगे राजस्थान का जादू इस की समृद्ध विरासत, रंगबिरंगी संस्कृति, चौंका देने वाले रेगिस्तानी मैदानों, चमकते रेत के टीलों में बखूबी दिखाई देता है जो इसे एक अत्यंत आकर्षक पर्यटन स्थल भी बनाता है. राजस्थान में हर किसी के लिए कोई न कोई आकर्षण है. बस, आप को चुननी है अपनी रुचि के अनुसार गतिविधि. हर तीसरा विदेशी सैलानी जो भारत आता है, राजस्थान जरूर जाता है.

राजस्थान के आकर्षण

राजस्थान में जहां जयपुर के प्राचीन महल हैं, उदयपुर की खूबसूरत, रोमांटिक झीलें हैं, जैसलमेर के रेगिस्तान और रेत के टीले हैं वहीं जोधपुर के भव्य शाही महल हैं जो इसे पर्यटन की दृष्टि से खास बनाते हैं. पैलेस औन व्हील्स और रौयल राजस्थान औन व्हील्स ऐसी लग्जरी ट्रेनें हैं जिन से इस अद्भुत राज्य का दर्शन रोमांचकारी बन जाता है.

जैसलमेर

गोल्डन सिटी कहा जाने वाला जैसलमेर शहर शाही महलों के साथ एक रेतीले रेगिस्तान के आकर्षण का प्रतीक है. यहां देखने के लिए एक विशाल किला, सुंदर हवेलियां और शहर से कुछ दूर स्थित सैंड ड्यून्स हैं. विश्वप्रसिद्ध यह स्थल थार रेगिस्तान के बीच में स्थित है. यह सुनहरा शहर राज्य की राजधानी जयपुर से 575 किलोमीटर दूर है. पीले पत्थरों से बने जैसलमेर फोर्ट को ‘सोनार किला’ कहा जाता है. करीब 80 मीटर ऊंची त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित यह किला विशाल परकोटे से घिरा है. इस शहर में कई भव्य हवेलियां भी हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. पटवों की हवेली इन में सब से आकर्षक है जो वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण है.

जैसलमेर आने वालों के लिए यहां का सब से बड़ा आकर्षण शहर से 42 किलोमीटर दूर स्थित ‘सम सैंड ड्यून्स’ हैं जहां जीप द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. दूर-दूर तक फैली रेत पर आप चाहें तो पैदल घूम सकते हैं या फिर ऊंट की पीठ पर बैठ कर रेत में घूम सकते हैं. शाम के समय मरुटीलों के पीछे छिपते सूर्य का दृश्य एक अविस्मरणीय अनुभव देता है. डैजर्ट हौलीडे के लिए जैसलमेर एक लोकप्रिय डैस्टिनेशन है.

लजीज भोजन

जैसलमेर की छुट्टी पर जा रहे पर्यटक राजस्थान के जनजातीय भोजन को चखने का स्वाद उठा सकते हैं. लजीज मुर्ग ए सब्ज, स्वादिष्ठ केर सांगरी जैसलमेर के लोकप्रिय व्यंजन हैं.

कैसे जाएं

जैसलमेर वायु, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है. निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है. नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोधपुर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं. साथ ही, यह को?लकाता, चेन्नई, मुंबई व बेंगलुरु से भी हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा है. जोधपुर हवाई अड्डे से प्रीपेड टैक्सियों या यात्री गाडि़यों द्वारा गंतव्य तक पहुंचा जा सकता है. रेलमार्ग द्वारा जैसलमेर रेलवे स्टेशन कई ट्रेनों द्वारा जोधपुर व अन्य प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा है. जैसलमेर के लिए डीलक्स व सेमी डीलक्स बसें भी जयपुर, अजमेर, बीकानेर व दिल्ली से उपलब्ध हैं. यहां जाने का आदर्श समय अक्तूबर व मार्च के बीच का है.

होटल व रिजौर्ट्स : सूर्यगढ़, कहाला फटा, सैमरोड, जैसलमेर.

होटल शाही पैलेस, शिव स्ट्रीट, जैसलमेर.

चौखी ढाणी रिजौर्ट्स, कन्नौज विलेज, नियर सैंड ड्यून, जैसलमेर.

निरवाना नेचर रिजौर्ट, आर जी फार्म्स, सोडालोर, जैसलमेर.

जोधपुर

जोधपुर जयपुर के बाद दूसरा सब से बड़ा रेगिस्तानी शहर है. अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण इस शहर को 2 नामों-‘सनसिटी’ और ‘ब्लू सिटी’ से पुकारा जाता है. जोधपुर की चमकीली धूप के कारण इसे ‘सनसिटी’ जबकि शहर के मेहरानगढ़ किले के आसपास स्थित नीले घरों के कारण इसे ‘ब्लू सिटी’ कहा जाता है. थार रेगिस्तान की सीमा पर स्थित होने के कारण इसे थार के प्रवेशद्वार के रूप में भी जाना जाता है. चमकदमक से भरपूर इस शहर में घूमने लायक अनेक पर्यटन स्थल हैं जिन में मेहरानगढ़ किला प्रमुख आकर्षक है.

मेहरानगढ़ किला

यह भारत का विशाल और शानदार किला है. मेहरानगढ़ किले में लगे हुए आकर्षक बलुआ पत्थर जोधपुर के कारीगरों की शानदार शिल्पकारी का प्रदर्शन करते हैं. मेहरानगढ़ किले में भव्य महल भी हैं, जैसे मोती महल, रंग महल, चंदन महल, फूल महल. फूल महल की छत पर सोने का महीन काम किया हुआ है. इस के अलावा उमेद भवन भी जोधपुर का एक अन्य आकर्षक स्थल है. यह दुनिया का सब से बड़ा निजी निवास स्थान भी है.

चित्तार पहाड़ी पर बने होने के कारण इसे चित्तार महल भी कहा जाता है. यह महल 3 हिस्सों में बंटा हुआ है. इस में फाइवस्टार होटल, म्यूजियम व जोधपुर शाही परिवार का निवास स्थान है. जोधपुर जा कर क्लौक टौवर और सरदार मार्केट से शौपिंग करना न भूलें. जोधपुर से आप अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के लिए यादगार स्वरूप राजस्थानी कढ़ाई व शीशे के काम की लहंगाचुनरी व साड़ी ला सकते हैं, साथ ही आप खरीद सकते हैं सिल्वर ज्वैलरी, ऐंटीक व ओल्ड स्टोनवर्क के सामान.

कैसे पहुंचें

जोधपुर रेलमार्ग द्वारा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. सड़कमार्ग द्वारा भी जोधपुर के लिए सभी प्रमुख पड़ोसी शहरों से बस सेवाएं उपलब्ध हैं. अगर आप जोधपुर वायुमार्ग द्वारा जाना चाहते हैं तो जोधपुर के नजदीक उदयपुर का एअरपोर्ट है. यहां पहुंच कर आप बस या टैक्सी से जोधपुर जा सकते हैं.

होटल व रिजौर्ट : मेंगो होटल, बी 1 से बी 4 घनश्याम भवन, मंडौर रोड, स्टेट बैंक औफ बीकानेर के ऊपर, पाओटा, जोधपुर.

मंडौर गेस्ट हाउस, दादावरी लेन, मंडौर गार्डन के पास, मंडौर, जोधपुर.

मरुगढ़ वैंचर रिजौर्ट, चोपासनी, जैसलमेर बाईपास, जोधपुर.

माउंट आबू

पश्चिमी राजस्थान जहां रेगिस्तान की खान है वहीं पूर्वी व दक्षिणी राजस्थान की छटा भी कम निराली नहीं है. माउंट आबू प्रकृति के वरदान से भरेपूरे नजारों, हरीभरी वादियों से भरपूर एक ऐसा अनुपम दर्शनीय स्थल है जो डैजर्ट स्टेट कहे जाने वाले राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है. दक्षिणी राजस्थान के सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटा यह हिल स्टेशन 4 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है.

अरावली पर्वत शृंखलाओं के दक्षिणी किनारे पर बसा यह हिल स्टेशन अपने ठंडे मौसम और वानस्पतिक समृद्धि की वजह से देशभर के पर्यटकों की पसंदीदा जगह है. माउंट आबू, आबू रोड रेलवे स्टेशन से 20 किलोमीटर दूर है. राजस्थान के सिरोही जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर और झीलों की नगरी उदयपुर से करीब 185 किलोमीटर दूर हरीभरी पहाडि़यों के मध्य स्थित इस पर्वतीय स्थल के ठंडे और सुहाने मौसम से आकर्षित हो कर पर्यटक, दूरदूर से यहां खिंचे चले आते हैं.

दर्शनीय स्थल

नक्की झील : हरीभरी वादियां, खजूर के वृक्षों की कतारों के बीच पहाडि़यों से घिरी नक्की झील का दृश्य अत्यंत मनमोहक है. यहां आप बोटिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं.

सनसैट पौइंट : ढलते सूर्य की सुनहरी रंगत के बीच सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा पर्वत शृंखलाओं को स्वर्ण मुकुट पहना दिया हो, ऐसा दिखाई देता है. यहां से डूबता सूरज गेंद की तरह लटकता हुआ दिखता है.

हनीमून पौइंट : सनसैट पौइंट से 2 किलोमीटर दूर बना हनीमून पौइंट नवविवाहित जोड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र है. हरे भरे मैदान व घाटियों के मनमोहक दृश्य नवविवाहित जोड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं.

टोड रौक : नक्की झील से कुछ दूरी पर स्थित टोड रौक एक खूबसूरत चट्टान है जो सैलानियों को बरबस ही आकर्षित करती है.

कैसे जाएं

माउंट आबू का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है जो 185 किलोमीटर दूर है. निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड है. सड़कमार्ग द्वारा भी सभी प्रमुख शहरों से माउंट आबू पहुंचा जा सकता है.

होटल व रिजौर्ट : होटल माउंट रीजेंसी पैट्रोल पंप के पास, माउंट आबू.

अरण्या विलेज हिल रिजौर्ट, नीलकंठ रोड, माउंट आबू.

होटल हिल्टन, मेन रोड, माउंट आबू.

जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे ‘पिंक सिटी’ यानी ‘गुलाबी नगर’ के नाम से भी जाना जाता है, पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत खूबसूरत स्थल है. इस के चारों तरफ पहाड़ियों के ऊपर किले बने हुए हैं जिन के निर्माण के लिए गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है. जयपुर में देखने लायक कई पर्यटन स्थल हैं, जैसे सिटी पैलेस, हवा महल, जल महल, जंतरमंतर, रामनिवास बाग, अल्बर्ट हाल, आमेर का किला आदि. जयपुर शहर चारों ओर से परकोटों से घिरा हुआ है जिस में प्रवेश के लिए 7 दरवाजे बने हुए हैं.

जयपुर आएं और फुरसत के पल हों तो रोमांचप्रेमी ऊंट की सवारी, गरम हवा के गुब्बारों की सैर और रौक क्लाइंबिंग जैसे खेलों का आनंद उठा सकते हैं. अगर आप खानेपीने के शौकीन हैं तो यहां की मसालेदार दाल कचौड़ी, दाल वाली पफ पेस्ट्री, मुंह में पानी ला देने वाली मीठी फेनी व घेवर का स्वाद ले सकते हैं. इस के अलावा टिक्की, रबड़ी, प्याज व मावा कचौड़ी भी अवश्य चखें. अगर आप राजस्थान के परंपरागत भोजन का स्वाद लेना चाहते हैं तो यहां की दाल, बाटी, चूरमा अवश्य खाएं.

कैसे जाएं

जयपुर देश के कई मुख्य हिस्सों से भलीभांति वायु, रेल व सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है. जयपुर शहर से 13 किलोमीटर दूर सांगानेर हवाई अड्डा है जो जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता है. जयपुर जंक्शन यहां का रेलवे स्टेशन है जो देश के मुख्य शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है. सड़कमार्ग द्वारा पर्यटक राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों द्वारा यहां पहुंच सकते हैं. शहर में भ्रमण के लिए और दर्शनीय स्थलों पर जाने के लिए जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बस सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है.

होटल व रिजौर्ट्स : द ललित जयपुर, 213-26 जगतपुरा रोड, जवाहर सर्कल के पास, जयपुर.

जयपुर मेरियट होटल, आश्रम मार्ग, जवाहर सर्कल के पास, जयपुर.

द ट्री हाउस रिजौर्ट, एमिटी यूनिवर्सिटी के पीछे, एनएच-8, जयपुर-दिल्ली हाइवे, जयपुर.

चौखीढाणी रिजौर्ट, 2 माइल्स टोंक रोड वाया वाटिका, जयपुर.

उदयपुर

हरीभरी पहाड़ियों से घिरे झीलों के शहर उदयपुर को पूर्व का वैनिस भी कहा जाता है. महलों, झीलों व बगीचों के इस शहर का अतीत काफी वैभवपूर्ण रहा है. झीलों के साथ मरुभूमि का अनोखा संगम जो उदयपुर में देखने को मिलता है वह अन्य किसी जगह में नहीं मिलता. उदयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में सिटी पैलेस, पिछोला झील, लेक पैलेस, सहेलियों की बावड़ी, विंटेज कार म्यूजियम आदि हैं.

सिटी पैलेस कौंप्लैक्स

यह पैलेस पिछोला झील पर स्थित है. यह एक भव्य परिसर है. परिसर में प्रवेश करते ही आप को भव्य त्रिपोलिया गेट दिखाई देगा. इसी परिसर का एक भाग सिटी पैलेस संग्रहालय भी है. इस संग्रहालय में प्रवेश करते ही आप की नजर कुछ बेहतरीन चित्रों पर पड़ेगी जो मेवाड़ शैली में बने हुए हैं.

सिटी पैलेस से 2 किलोमीटर दूर पर बना हुआ विंटेज कारों का म्यूजियम भी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. यहां पुरानी कारों का अच्छा संग्रह है. इस के अलावा उदयपुर में सहेलियों की बावड़ी भी एक अन्य आकर्षक पर्यटन स्थल है. उदयपुर की रानियों व राजकुमारियों के विश्राम के लिए बनवाई गई सहेलियों की बावड़ी हरीभरी वादियों से घिरी है और यहां फौआरे भी लगे हुए हैं.

पिछोला झील

उदयपुर शहर के सौंदर्य को दोगुना करती यहां की झीलों में सब से प्रमुख पिछोला झील है. सिटी पैलेस के पीछे बसी इस झील का सौंदर्य सिटी पैलेस से ही नजर आता है. राजमहल की दीवारों से टकराती झील की लहरें पर्यटकों को मोहित करती हैं.

कैसे जाएं

हवाई मार्ग : सब से नजदीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप है. यह हवाई अड्डा डबौक में है. उदयपुर का रेलवे स्टेशन देश के अन्य शहरों से जुड़ा है. यह सड़क मार्ग से जयपुर से 9 घंटे, दिल्ली से 14 घंटे तथा मुंबई से 17 घंटे की दूरी पर है.

होटल व रिजौर्ट : द ललित लक्ष्मी विलास पैलेस, उदयपुर, फतेहसागर झील के पीछे, उदयपुर.

जगत निवास पैलेस होटल, 23-25 लालघाट, उदयपुर.

ओरिएंटल पैलेस रिजौर्ट, मेन रोड, सुभाष नगर, अंधेरी, उदयपुर.

शिल्पी रिजौर्ट, शिल्पग्राम के पास, रानी रोड, उदयपुर.

सावधानी एवं तैयारी

‘गे्रट इंडियन डैजर्ट’ यानी थार के रेगिस्तान में छुट्टियां मनाने की योजना बना रहे हैं तो निम्न सावधानी बरतें :

– रेगिस्तान में दिनरात के तापमान में 20 डिगरी तक का अंतर हो सकता है, इसलिए दिन के लिए सूती वस्त्र व रात के लिए ऊनी कपड़े रखें.

– दिन में हलके रंग के कपड़े पहनें. दिन में हैट व सनग्लासेज का प्रयोग करें. छाता साथ रखें. पानी भी साथ में रखें.

– सनस्क्रीन व मौइश्चराइजर का प्रयोग करें ताकि त्वचा के रूखेपन व टैनिंग से बचा जा सके.

– गाइड के साथ रहें और उस के निर्देशों का पालन करें. रेतीले समंदर में दिशाहीन होने का खतरा रहता है.

आखिर सोशल मीडिया से क्यों दूर रहती हैं रानी

फिल्म ‘मर्दानी’ के बाद बेटी अदिरा की वजह से रानी मुखर्जी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया था, लेकिन अब वह अपनी फिल्म ‘हिचकी’ से कमबैक करने जा रही हैं. रानी यशराज फिल्म्स के ऑफिशल फेसबुक पेज पर लाइव नजर आईं और फैमिली से जुड़ीं कुछ मजेदार बातें कही हैं.

एक फैन उनसे अदिरा के भाई या बहन के बारे में सवाल किया, जिसका रानी ने काफी प्यारा सा जवाब दिया है. रानी ने कहा, वह कुछ फिल्में करेंगी, फिर ब्रेक लेंगी. उन्होंने बताया कि मां बनकर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है और वह इन पलों को काफी इंजॉय कर रही हैं.

उन्होंने इस लाइव चैट में बताया कि वह ‘हिचकी’ की शूटिंग अगले महीने शुरू करने जा रही हैं और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह फिल्म आ जाएगी.

एक ने पूछा कि वह अपने मेकअप में कितना वक्त लगाती हैं? रानी ने बड़ी चालाकी से इसका जवाब देते हुए कहा कि यह तो मेकअप आर्टिस्ट से पूछना पड़ेगा.

सोशल मीडिया पर रानी ने अपनी गैरमौजूदगी के बारे में कहा कि उनके पति प्राइवेट लाइफ पसंद करते हैं. वह चाहती हैं कि अपनी बातें, अपनी जिंदगी से जुड़ी बातें अपने फैन्स से शेयर करें, अदिरा की तस्वीरें शेयर करें, लेकिन उन्हें अपने पति की पसंद का भी ध्यान रखना है. वह नहीं चाहते कि अदिरा की तस्वीरें सोशल मीडिया तक पहुंचे और वह फैन्स को न भी नहीं कह सकतीं, इसलिए वह सोशल मीडिया से ही दूर रहती हैं.

हालांकि, उन्होंने अपने एक अन्य फैन के कहने पर इंस्टाग्राम अकाउंट जॉइन करने के बारे में सोचने की बात जरूर कही.

अनिल कपूर ने छेड़ी ‘वीरे की वेडिंग’ के खिलाफ जंग

अंततः अनिल कपूर और उनकी बेटी रिया कपूर कुंभकर्णी नींद से जाग गयी हैं. सर्वविदित है कि अनिल कपूर व रिया कपूर ने सोनम कपूर के करियर को गति देने के लिए जनवरी 2016 में फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ की घोषणा की थी.

सोनम कपूर के अलावा करीना कपूर व स्वरा भास्कर इस फिल्म में अभिनय करने वाली थीं. पहले इसकी शूटिंग अप्रैल 2016 में शुरू होने वाली थी. पर अचानक पता चला कि करीना कपूर गर्भवती हैं. पर रिया कपूर ने घोषणा की कि करीना कपूर अक्टूबर 2016 माह तक इस फिल्म की आधे से ज्यादा शूटिंग कर लेंगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

इस बीच हमने पाठकों को सूचना दी थी फरवरी माह में निर्माता रजत बक्शी, राजेश बक्शी, चंदन बक्शी और प्रमोद गोंबर ने जिम्मी शेरगिल और पंजाब की मशहूर अदाकारा दिलजोत की जोड़ी को लेकर फिल्म ‘‘वीरे की वेडिंग’’ की शुरूआत कर दी है. फिल्म ‘‘वीरे की वेडिंग’’ की पचास प्रतिशत शूटिंग मनाली में की जा चुकी है. लेकिन पिछले डेढ़ माह से चुप बैठे अनिल कपूर और रिया कपूर की नींद अब खुली है.

सूत्रों के अनुसार अनिल कपूर ने ‘फिल्म मेकर्स कंबाइन’ को पत्र लिखकर मांग की है कि फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ की शूटिंग रूकवाई जाए और उन्हें यह नाम उपयोग करने से रोका जाए. अनिल कपूर की दलील है कि उन्होंने सबसे पहले ‘वीरे दी वेडिंग’ की घोषणा करते हुए ‘फिल्म मेकर्स कंबाइन’ में नाम रजिस्टर्ड करवाया था. अनिल कपूर ने फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ के निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की भी मांग कर दी है.

मगर जानकारों की मानें तो अनिल कपूर और रिया कपूर कानूनी कार्यवाही कर भी फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ को नहीं रूकवा सकते. सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ के निर्माताओं ने फिल्म उद्योग की मूल एसोसिएशन ‘‘इम्पा’’ (इंडियन मोषन पिक्चर्स) में अपनी फिल्म का नाम रजिस्टर्ड करवा रखा है.

उधर फिल्म ‘‘वीरे की वेडिंग’’ के निर्देशक आशु त्रिखा ने दावा किया है कि उन्होंने कानूनन इस नाम का कॉपीराइट हासिल करने के अलवा इसका ट्रेड मार्क भी हासिल कर रखा है. हमने शीर्शक गीत के अलावा कई गाने फिल्मा लिए हैं. और अगले शिड्यूल में हमारी फिल्म अस्सी प्रतिशत पूरी हो जाएगी.

उधर ‘इम्पा’ से जुड़े सूत्र कहते हैं कि अब अनिल कपूर के सामने एकमात्र विकल्प यही बचा है कि वह अपनी फिल्म के लिए नया नाम चुन लें. क्योंकि ट्रेड मार्क रजिस्टर्ड होने के बाद कोई संस्था कुछ नहीं कर सकती.

इस सारे विवाद के बीच एक सच यह है कि फिल्म ‘‘नीरजा’’ को मिली अपार सफलता के बावजूद सोनम कपूर को अभी तक एक भी फिल्म नहीं मिली है. अब देखना है कि यह विवाद आगे क्या रूप लेता है.

कार्ड हैकिंग : सतर्कता में बचाव

पिछले साल नवंबर में 1,000 और 500 के नोट बंद होने के बाद नई करेंसी के लिए लोगों को एटीएम और बैंकों के बाहर लाइन लगानी पड़ी. नकदी की किल्लत के चलते रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी काफी दिक्कतें आईं. इन सब के बीच औनलाइन बैंकिंग और कार्ड के जरीए होने वाले कैशलैस लेनदेन लोगों के लिए वरदान साबित हुए. पैट्रोल पंप से ले कर राशन की खरीदारी तक दुकानदारों ने कार्ड के जरीए शौपिंग की सुविधा दिलाई. बिलों के भुगतान में औनलाइन बैंकिंग मददगार साबित हुई. हालांकि कैशलैस की ओर बढ़ रहे इन कदमों के साथ जोखिम भी कम नहीं.

कार्ड और बैंक अकाउंट की हैकिंग का खतरा हर वक्त मंडराता है. इन के इस्तेमाल में बरती गई लापरवाही आप को बड़ी चपत लगा सकती है. क्या है हैकिंग औनलाइन या कार्ड के जरीए किए जाने वाले औनलाइन भुगतान के दौरान अकसर हैकर्स फेक वैब पेज या कंप्यूटर वायरस के जरीए लोगों की डैबिट या क्रैडिट कार्ड डीटेल या औनलाइन पासवर्ड आदि चुरा लेते हैं. इसे हैकिंग कहते हैं.

अकाउंट और कार्ड डीटेल की हैकिंग कर के हैकर्स लोगों के  बैंक खातों से औनलाइन चोरी को अंजाम देते हैं. घात में रहते हैं हैकर्स 2016 में देश में कई प्रमुख बैंकों की 32 लाख एटीएम कार्ड डीटेल हैक हो गई. बैंक इस के बाद तत्काल हरकत में आए और उन्होंने उपभोक्ताओं के एटीएम कार्ड ब्लौक कर दिए. 2 सप्ताह के अंदर ही सभी ग्राहकों को नए डैबिट कार्ड जारी किए. जब तक पिन नंबर बदल नहीं गया बैंकों ने इन से जुड़े खातों से रोजाना निकासी की सीमा 5 हजार कर दी थी.

दरअसल, देश और विदेश में हैकर्स दिनरात इसी ताक में रहते हैं कि उपभोक्ता से एक चूक हो और उन की चांदी हो जाए. यही वजह है कि नैट बैंकिंग और कार्ड के इस्तेमाल में सतर्कता बेहद जरूरी है. हैक हो जाए कार्ड या अकाउंट तो क्या करें साइबर ला ऐक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक कैशलैस लेनदेन के बढ़ते चलन के साथ ही हैकिंग की घटनाएं भी बेहद आम हो चुकी हैं.

ऐसे में अकाउंट या कार्ड हैक हो जाए तो व्यक्ति को तत्काल हरकत में आना चाहिए और ये कदम उठाने चाहिए:

– हैकिंग की सूचना तत्काल बैंक को दें और अपना कार्ड ब्लौक कराएं.

– यदि आप कहीं बाहर हैं तो संबंधित बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर फोन कर के अपना कार्ड ब्लौक कराएं.

– बैंक को सूचना दे कर अपने खाते से कार्ड या नैटबैंकिंग को प्रतिबंधित कर दें.

– इस की लिखित शिकायत पुलिस को दें.

– इस दौरान खुद लेनदेन करने के लिए चैक का इस्तेमाल करें.

– जिस बैंक अकाउंट का इस्तेमाल आप नैटबैंकिंग और कार्ड के जरीए भुगतान के लिए करते हैं उस में अधिक पैसे न रखें.

– यदि क्रैडिट कार्ड होल्डर हैं तो क्रैडिट लिमिट कम ही रखें ताकि हैकिंग की स्थिति में ज्यादा नुकसान न हो.

– बैंक करेंगे भरपाई : हैकिंग के बाद यदि उपभोक्ता को नुकसान होता है तो इस की भरपाई का जिम्मा बैंक का होता है. यदि हैकिंग के चलते उपभोक्ता को 10 हजार का नुकसान होता है तो वे बैंक से इस राशि का दावा कर सकते हैं. लेकिन इस के लिए आप को पर्याप्त साक्ष्य देने होंगे कि बैंक की लापरवाही के चलते ऐसा हुआ. अधिकांश उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी नहीं है, जिस की वजह से हैकिंग से हुए नुकसान का दावा वे बैंक से नहीं करते हैं.

– सतर्कता जरूरी : कार्ड या नैट बैकिंग का इस्तेमाल करते वक्त आप को बेहद सतर्क रहना चाहिए. यदि आप गलती से अपना नैट बैंकिंग डीटेल या फिर 16 अंकों का कार्ड नंबर, कार्ड वैलिडिटी अवधि और कार्ड के पीछे मौजूद 3 अंकों का सीवीवी नंबर किसी को बता देते हैं तो वह कभी भी आप के खाते से आप की मेहनत की कमाई में सेंध लगा सकता है.

– अपने एटीएम के पिन को समयसमय पर बदलते रहें. यह काम आप किसी एटीएम पर जा कर कर सकते हैं.

– आप की कार्ड डीटेल जानने के लिए कस्टमर केयर बता कर यदि कोई फोन करे तो कभी उस से क्रैडिट या डैबिट कार्ड की जानकारी साझा न करें. याद रहे बैंक कभी किसी उपभोक्ता से उस के कार्ड का नंबर या फिर पासवर्ड नहीं मांगता.

– अपने मोबाइल नंबर को अपने खाते से जुड़वाएं. इस से किसी भी वक्त पैसे की निकासी की स्थिति में आप को तत्काल मैसेज आ जाएगा.

– हर 3 दिनों में अपनी बैंक स्टेटमैंट चैक करें. आजकल ये सेवाएं औनलाइन हैं तो आप कभी भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

– केवल अपने कार्यालय या निजी कंप्यूटर से ही औनलाइन पैसों का लेनदेन करें. इन दोनों ही जगह ऐंटीवायरस का इस्तेमाल होगा. दोनों के सर्वर सुरक्षित होंगे.

– साइबर कैफे में जा कर नैट बैंकिंग या कार्ड के जरीए लेनदेन करने से बचें. इन जगहों पर हैकिंग का खतरा अधिक होता है.

– अपने नैट बैंकिंग पासवर्ड को भी 2-3 महीनों में बदलते रहें.

– यदि आप को मोबाइल मैसेज के जरीए अपने खाते से हुए किसी ऐसे लेनदेन की सूचना मिले जो आप ने नहीं किया है तो तत्काल इस विषय में बैंक को सूचित करें.

– ऐसी स्थिति में अपने खाते से कार्ड या नैट बैंकिंग से होने वाले लेनदेन को तत्काल प्रतिबंधित कर दें.

– ई-मेल पर कई बार ऐसे संदेश आते हैं जिन में लोगों से कहा जाता है कि उन्होंने लौटरी जीती है. ऐसे भुगतान के लिए ऐसे संदेशों में लोगों से उन के खाते आदि की जानकारी मांगी जाती है. ऐसे ई-मेल संदेशों को देखते ही डिलीट कर दें. गलती से भी इन का जवाब न दें.

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