इस हौसले को सलाम

दिल्ली की एक साधारण वर्ग की कालोनी में एक पड़ोसी द्वारा भाई पर आक्रमण के दौरान एक बहन की मृत्यु हो जाना दुखद है पर यह दिखाता है कि धीरे-धीरे औरतें व युवतियां अपने खोल से निकल रही हैं. इस मामले में पड़ोसी को संदेह था कि मृतका का भाई उस की पत्नी को छेड़ता है और वह चाकू ले कर उसे मारने घर में घुस गया. 23 वर्षीय ज्योति ने भाई को बचाने की कोशिश में हमलावर को पकड़ना चाहा तो इस दौरान चाकू ज्योति को मार दिया गया.

पहले ऐसी घटना में युवतियां डर कर कोने में छिप जाती थीं पर आज की बोल्ड लड़कियां अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगी हैं. तभी भाई की सुरक्षा में इस ज्योति ने अपनी जान तक कुरबान कर दी.

लड़कियों के मन में हीनभावना धर्म ने बड़ी चतुराई से भरी है. उन्हें बचपन से ही लड़कों से कमतर समझा गया है और उन्हें खोल में रखना सिखाया गया है. उन्हें चारदीवारियों, घूंघटों, परदों, बुरकों में बंद कर दिया गया. उन्हें बाहरी खेलों में भाग नहीं लेने दिया गया, जिन से उन की मांसपेशियां बन सकें. उन्हें इस कदर कमजोर कर दिया गया कि हाल तक बड़ी संख्या में औरतें गर्भ में बच्चों तक को संभाल नहीं पाती थीं.

नीची जाति की औरतें, जो अब तक धर्म के चंगुलों में कम फंसी थीं, हमेशा से दमदार रही हैं और न छेड़ने वालों को बख्शती थीं न मर्दों को. उन्हें अपना पति छोड़ कर दूसरे के साथ जाने तक की छूट थी. धर्म के आवरण में सुरक्षा ढूंढ़ने वाली औरतें ही कमजोर रहती हैं. अगर इस ज्योति की तरह हर औरत स्थिति का मुकाबला करने को तैयार हो जाए, तो औरतों के प्रति हिंसा कम हो जाए. इस के लिए धर्म ने जो हीनभावना उन में कूटकूट कर भर रखी है वह निकालनी होगी.

अगर ज्योति अपने भाई को बचाने के लिए हनुमान चालीसा पढ़ने लगती या यह सोच कर छिप जाती कि जो लिखा होगा वही होगा और भगवान सब की रक्षा करेगा, तो क्या भाई की जान बचती? पड़ोसी भाई को मार कर ज्योति और घर में रह रही उस की मां के साथ क्या करता, इस का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.

औरतों में आत्मविश्वास पैदाइशी कम नहीं होता. प्रकृति ने स्त्री और पुरुष में बहुत कम अंतर रखा है. अधिकांश पशुओं में मादाएं अपनी मरजी चलाती हैं. जिन पशुओं को मानव ने घरेलू बना दिया है उन्हें छोड़ दें, तो आमतौर पर मानव से आजाद जानवर, पक्षी, कीट आदि में लिंग भेद न के बराबर है. सभ्यता ने सुरक्षा तो दी है पर साथ ही औरतों को धर्म के झुनझुने से कमजोर भी कर दिया और आज भी उन पर मनमाने अत्याचार होते हैं.

झट-पट करें किचन की सफाई

एक साफ और सुंदर घर में ही अच्‍छी सेहत का राज छुपा होता है. घर के हर सदस्‍य को घर के कोने-कोने को साफ करने की जिम्‍मेदारी उठानी चाहिये. घर का अहम हिस्‍सा होता है किचन, जो हर रोज भोजन बनाते वक्‍त गंदा होता है. अगर किचन साफ नहीं रहेगा तो घर का हर सदस्‍य हमेशा बीमार ही रहेगा. किचन में ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्‍हें हर रोज सफाई की जरुरत होती है. किचन की कुछ चीजों को रोज साफ करना चाहिये और कैसे साफ करना चाहिये.

कैसे करें किचन की सफाई

माइक्रोवेव-

माइक्रोवेव में एक कटोरे में दो कप पानी भरें और उसमें एक चम्‍मच नींबू का रस डालें. अब माइक्रोवेव को पांच मिनट तक के लिए चला कर छोड़ दें. जब वह रुक जाए तब उसके भीतर को एक पेपर टॉवल लें कर साफ करें. इससे माइक्रोवेव भी साफ हो जाएगा और उसमें से अच्‍छी महक भी आने लगेगी.

सिंक-

सिंक से चिपचिपे ग्रीस को हटाने के लिए उसमें से कई बार गरम पानी का बहाव करना पड़ेगा. इसके बाद एक कप सफेद सिरका डालें और बेसिन को थोड़े से बेकिंग पाउडर सोडे से साफ करें.

फ्रिज-

अगर आपको फ्रिज के भीतर सफाई करनी है, तो गरम पानी और बेकिंग सोडा का प्रयोग करें. इसके बाद फ्रिजर को भी साफ करें.

किचन कैबिनेट-

कैबिनेट को साफ करने के लिए ल्‍किविड सोप और सफेद सिरका लें और पोंछे. जब अच्‍छे से पोंछ लें तब एक साफ कपड़ा लें और उसे गरम पानी में डुबो कर बचा हुआ साबुन का घोल कैबिनेट के अंदर से साफ करें.

किचन का फर्श-

अगर जमीन पर कोई चिपचिपी चीज गिर गई हो, तो उस पर ब्‍लीच डाल दें और फिर उसे ब्रश से रगड़े. जमीन को चमकदार बनाने के लिए एक कप सिरके में गरम पानी डाल कर सफाई करिये.

सुनील और अली ने कर ली हैं वापसी की तैयारी

कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर के विवाद को खत्म करने के लिए कई स्टार्स ने कोशिश की, लेकिन लगता है ये मामला इतनी जल्दी सुलझने वाला नहीं है. कपिल का शो पहले की तरह अपने रंग बिखेरेगा या नही इसके बारे में तो हम कुछ कह नही सकते, लेकिन सुनील ग्रोवर और अली असगर ने टीवी पर वापसी कर ली है.

सुनील ग्रोवर और अली असगर अपने नए शो ‘सबसे बड़ा कलाकार’ से टीवी पर वापसी कर रहे हैं, यह शो सोनी चैनल पर ही आने वाला है. इसमें सुनील और अली मिलकर दर्शकों को हंसाते दिखेंगे. सुनील ग्रोवर और कपिल शर्मा के बीच हुए विवाद के बाद से सुनील और अली वापस ‘द कपिल शर्मा शो’ पर नहीं दिखे हैं.

बता दें यह दोनों उसी चैनल पर साथ दिखाई देंगे, जिस चैनल के टॅाप शो “द कपिल शर्मा शो” को उन्होंने अलविदा कह दिया था. लेकिन इस बार दोनों ने वापसी के लिए नया रास्ता चुना है. इतना तो साफ हो गया है कि दोनों ने ‘द कपिल शर्मा शो’ को गुड बाय कह दिया है.

सुनील ग्रोवर और अली असगर के शो की सूटिंग शुरू हो चुकी है. इस शो का प्रसारण एपिसोड सोनी टीवी पर 7 मई को रात 8 बजे से होगा.

बॉलीवुड में होगी बाहुबली प्रभास की एंट्री!

भारतीय सिनेमा की सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ से बॉक्स ऑफिस पर मजबूत पकड़ बनाने वाले अभिनेता प्रभास की जल्द ही बॉलीवुड में एंट्री हो सकती है. सूत्रों की माने तो बॉलिवुड के निर्माता-निर्देशक करन जौहर प्रभास को हिंदी फिल्मों में एक एक्शन हीरो के रूप में लांच करने की तैयारी में जुटे हैं.

खबर है की भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘बाहुबली’ के हीरो प्रभास के लिए तय की जा रही हिंदी फिल्म का डायरेक्शन भी बाहुबली के निर्देशक एस एस राजामौली ही करेंगे. हालांकि प्रभास को ‘बाहुबली’ के रिलीज के बाद से ही बॉलिवुड से कई ऑफर मिलते रहे हैं. प्रभास ने अब तक मिले ऑफर पर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया.

अब जब ‘बाहुबली 2’ रिलीज के लिए तैयार है ऐसे में प्रभास ने दूसरी फिल्मों की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया है. करन जौहर की फिल्म में प्रभास को एक्शन, स्टंट और रोमांस करते हुए दिखाए जाने की प्लानिंग कर ली गई है. ‘बाहुबली’ के सह निर्माता करन जौहर राजामौली को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं कि वह एक हिंदी फिल्म बनाएं. राजामौली ने अब जाकर करन जौहर के प्रोजेक्ट को अपनी सहमति दे दी है.

अपने पसंदीदा एक्टर का निक नेम जानती हैं आप!

बॉलीवुड और बॉलीवुड सितारों के बारे में तो आप बहुत कुछ जानती होंगी. अपने पसंदीदा सितारा से जुड़ी हर छोटी बड़ी खबर की जानकारी रखती होंगी आप. लेकिन क्या आप उनका निक नेम जानती हैं?

आप सोचती होंगी की बॉलीवुड सितारे बहुत रॉयल जिंदगी जीते हैं और उनका हम आम लोगों की तरह कुछ भी नाम नहीं होगा. लेकिन हम आपको बता दें कि आप गलत सोचती हैं. बॉलीवुड सितारों का भी निक नेम होता है. और कुछ सितारों के निक नेम तो तो इतने फनी हैं कि आप वो नाम जानकर अपनी हंसी नहीं रोक सकेंगी. तो जानिए अपने पसंदीदा सितारा का निक नेम.

प्रियंका चोपड़ा

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा को पिग्गी चॉप्स के नाम से भी जाना जाता है लेकिन उनके खास दोस्त उन्हें मिट्ठू बोलते हैं.

श्रद्धा कपूर

अभिनेत्री श्रद्धा कपूर का नाम जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है. उनका निम नेम है चिरकुट और ये नाम उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि उनके बचपन के दोस्त और अभिनेता वरुण धवन ने दिया है.

ऐश्वर्या राय बच्चन

बच्चन परिवार की बहू, पूर्व मिस वर्ल्ड और बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल मेल नहीं खाता. ऐश का निक नेम गुल्लू है.

आलिया भट्ट

बॉलीवुड की राइजिंग स्टार और बेहतरीन एक्टर आलिया भट्ट को लोग प्यार से आलू कहते हैं. आलिया पहले मोटी हुआ करती थीं इसलिए उनका नाम आलू रखा गया.

रणबीर कपूर

अभिनेता रणबीर कपूर का निक नेम काफी इंटरेस्टिंग है. उनकी मां नीतू कपूर उन्हें रेमंड कहकर बुलाती है. नीतू का मानना है कि वो कंप्लीट मैन हैं इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ये नाम दिया.

शाहिद कपूर

बॉलीवुड के चॉकलेट ब्वॉय शाहिद कपूर का निक नेम साशा है.

बिपाशा बसु

बॉलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु को अक्सर लोग बिप्स कहते हैं लेकिन उनके परिवार के लोग और खास दोस्त उन्हें बनी कहकर बुलाते हैं, क्योंकि बिपाशा जब पैदा हुईं थीं तब काफी हेल्दी थीं.

सोनम कपूर

सोनम कपूर अपने ग्लैमरस अंदाज और स्टाइल के लिए जानी जाती हैं. वो लंबी हैं इसलिए उनके पापा अनिल कपूर प्यार से उन्हें जिराफ कहकर चिढ़ाते हैं.

सुष्मिता सेन

साल 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली अभिनेत्री सुष्मिता सेन को उनके दोस्त टीटू कहते हैं.

परिणीति चोपड़ा

हाल ही में अपनी फिल्म मेरी प्यारी बिंदु का गाना माना की हम यार नहीं गाना गाकर लोकप्रिय हुई परिणीति चोपड़ा का निक नेम टिशा है.

जेनेलिया डिसूजा

अभिनेत्री जेनेलिया को उनके घरवाले प्यार से चीनू कहकर पुकारते हैं. वैसे जेनेलिया जितनी क्यूट हैं उनका निक नेम भी उतना ही क्यूट है.

करीना कपूर

करीना कपूर का निक नेम भी काफी पॉपुलर है. करीना का निक नेम बेबो है.

रितिक रोशन

अभिनेता रितिक रोशन का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल अलग है. रितिक का निक नेम डुग्गू है. वहीं उनके पापा राकेश रौशन का निक नेम गुड्डू है.

कोंकणा सेन शर्मा

अभिनेत्री कोंकणा सेन का निक नेम कोको है.

अक्षय कुमार

बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार का असली नाम राजीव भाटिया है और इसी वजह से उनक दोस्त उन्हें राजू कहते हैं.

अपने और जीवनसाथी के रिटायरमेंट को बनाएं बेहतर

सेविंग्स पैसा बचाने का सबसे अच्छा तरीका है लेकिन आज के दौर में ये तरीका थोड़ा पुराना हो गया है या यू कहें कि बदल गया है. पहले जहां लोग बैंक में पैसे जमा करके ब्याज या फिर फिक्स डिपॉजिट के जरिए पैसे कमाते थे वहीं आज के दौर में आप निवेश और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए पैसे बचा भी रही हैं और कमा भी रही हैं.

आपकी भी सबसे बड़ी चिंता रहती है रिटायरमेंट को लेकर, जिसे लेकर आप जमा करती हैं. हम आपके रिटायमेंट को कंफर्टेवल बनाने के लिए यहां आपको बताएंगे गोल्डन कहे जाने वाले पांच तरीके, जिनके जरिए आप, अपने जीवन साथी के साथ अपना रिटायरमेंट बिल्कुल रिलेक्स होकर बिता सकते हैं.

1. म्यूचुअल फंड में निवेश : बचत

सबसे पहले हम आपको कहेंगे कि आप ‘बचत’ करना शुरु करें, बैंक में पैसे जमा करने का तरीका पुराना हो चुका है. आपकी जॉब के दौरान प्रोविडेंट फंड का पैसा हर महीने कटता रहता है जो बाद में आपके रिटायरमेंट में काम आता है. इसी तरह आपको चाहिए कि आप अपनी टेकहोम सेलेरी से करीब 10 फीसदी की बचत करें और इसे म्यूचुअल फंड आदि में निवेश करती रहें. ये लॉन्ग टर्म प्लान है लेकिन इससे आपका बुढ़ापा संवर जाएगा.

2. निवेश की राशि को बढ़ाएं : इन्वेस्टमेंट

अगर आप पहले से ही कहीं निवेश कर रही हैं तो अब समय आ गया है कि धीरे-धीर आप निवेश की राशि को बढ़ाएं. आज जितनी महंगाई है उस लिहाज से आने वाले वक्त में चीजों के दाम आसमान पर होंगे. इसलिए हर वर्ष आपको अपने निवेश की रकम बढ़ा देनी चाहिए. बचत की ये फसल आपके रिटायरमेंट के जीवन को आराम से भर देगी.

3. जरूरी हो तभी पीएफ का पैसा निकालें

कई बार देखा गया है कि लोग नौकरी छोड़ने के बाद या जॉब स्विच करने के बाद पिछली कंपनी से अपने पीएफ का पैसा निकाल लेते हैं. ऐसे में वे अपने रिटायरमेंट प्लान को दांव पर लगाते हैं. जबतक कोई आपात परिस्थिति ना आए तब तक आपको पीएफ निकालने से बचना चाहिए.

4. एजुकेशन लोन

आज के दौर में बच्चों की एजुकेशन में कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. ऐसे में आपको समझदारी से काम लेते हुए बच्चों के लिए एजुकेशन लोन ले लेना चाहिए. इसके लिए पहले आप मार्केट में मौजूद विभिन्न एजुकेशन लोन की पूरी जानकारी एकत्र कर लें फिर नियम जान लें और सरकार का एजुकेशन लोन को लेकर बैंको को क्या दिशा निर्देश है इसके बारे में भी पढ़ लें. इससे आप आगे आने वाली परेशानियों से बच सकेंगी.

5. आपात फंड

आप किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स डिपॉजिट खाता खोल सकते हैं. कोशिश करें कि पास के डाक घर में फिक्स डिपॉजिट खाता खोलें ये बैंक से ज्यादा दर पर ब्याज देते हैं. इसमें बड़ा निवेश करें, एक से दो साल तक का फिक्स डिपॉजिट रखें साथ ही बैंक में रिकरिंग डिपॉजिट (RD) भी करते रहिए. इससे आपात स्थिति में आपको एक बड़ी रकम मिल जाएगी जो आपके गाढ़े वक्त में काम आ सकती है.

गर्मियों में खुद को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से बचाएं

ये बात तो आप जानती ही हैं कि अत्यधिक गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और इस वजह से लोगों को और खास तौर से स्त्रियों को यूटीआई यानि कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या हो जाती है.

कहीं आप भी तो अंजान नहीं है इस बीमारी से? आपको ऐसी कोई समस्या न हों इसलिए तेज गर्मी के मौसम में आपको सावधान रहना चाहिए. आइये हम आपको बताते हैं इसके लक्षणों के बारे में.

लक्षण :

  • यूरिन में जलन
  • प्राइवेट पा‌र्ट्स में खुजली या दर्द
  • थोड़ा-थोड़ा यूरिन डिस्चार्ज होना
  • ज्यादा दुर्गध के साथ, यूरिन का रंग अधिक पीला होना
  • कंपकपाहट के साथ बुखार आना
  • भूख न लगना
  • कमजोरी और थकान होना.

अगर आप भी ऊपर दी गईं किन्हीं भी समस्याओं से गुजर रहीं हैं तो आपको तुरंत इसका इलाज करना होगा.

हम यहां आपको इससे निपटने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं…

बचाव :

1. बाहर खुले में बिकने वाली चीजें न खाएं. क्योंकि खून में होने वाला इन्फेक्शन यूरिन तक पहुंचकर ‘यूटीआई’ का कारण बन जाता है.

2. टॉयलेट और इनरवेयर की सफाई का पूरा ध्यान रखें. खास तौर से पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से पहले और बाद में फ्लश का इस्तेमाल जरूर करें.

3. ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें.

4. इस मौसम में पसीने की वजह से स्त्रियों में वजाइनल इन्फेक्शन की भी समस्या हो जाती है. आमतौर पर इस तरह के संक्रमण में वजाइना से सफेद रंग के तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होता है.

5. इस मौसम में स्विमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी की वजह से भी कभी-कभी यह संक्रमण हो जाता है. इस समस्या से बचने के लिए स्विमिंग के बाद व्यक्तिगत सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और हमेशा कॉटन के इनरवेयर का इस्तेमाल करें.

6. अगर उपरोक्त दिए हुए लक्षणों में आपको ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए किसी कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें.

ट्रैंडी फिंगर रिंग्स

डिफरैंट स्टाइल की फिंगर रिंग हाथों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही पर्सनैलिटी को भी डिफाइन करती हैं. जहां डायमंड की सिंपल फिंगर रिंग पर्सनैलिटी को सोबर लुक देती है, वहीं कौकटेल फिंगर रिंग काफी फैशनेबल नजर आती है. इन के अलावा और कौन-कौन सी रिंग की वैराइटी फैशन में है आइए, जानें :

फुल फिंगर रिंग : फुल फिंगर रिंग की डिजाइन उंगली से शुरू और उंगली के साथ ही खत्म होती है. इस से उंगली को फुलर लुक मिलता है. इसे आप वैस्टर्न, इंडियन और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ पहन सकती हैं. लेकिन जब भी फुल फिंगर रिंग पहनें, उस के साथ बाकी कोई रिंग न पहनें और अगर आप की उंगलियां मोटी हैं तो भूल से भी फुल फिंगर रिंग पहनने की गलती न करें.

चेन फिंगर रिंग : अगर आप के हाथ पतले हैं तो चेन फिंगर रिंग आप के हाथों को फुलर लुक दे सकती है. चेन फिंगर रिंग 1 से ज्यादा उंगलियों में भी पहनी जाती है. रिंग्स चैन की सहायता से एकदूसरे से जुड़ी रहती हैं, इसलिए इसे चेन फिंगर रिंग कहा जाता है. लेकिन यह सिर्फ खास मौकों पर ही पहनी जाती है.

कौकटेल फिंगर रिंग : अगर आप मिनटों में फैशनेबल नजर आना चाहती हैं तो अपनी रैग्युलर सिंपल रिंग को कौकटेल फिंगर रिंग से रिप्लेस करें. बिग और बोल्ड साइज की कौकटेल रिंग हमेशा स्टाइलिश लुक देती है. इसे आप खासकर वैस्टर्न आउटफिट के साथ पहन सकती हैं. ऐसी रिंग लंबी और पतली उंगलियों वाली महिलाओं पर ज्यादा सूट करती है.

मिड फिंगर रिंग : रैग्युलर रिंग को उंगली के अंत में और नेल आर्ट रिंग को उंगली की शुरुआत में पहना जाता है, लेकिन मिड फिंगर रिंग को उंगली के ठीक बीच में पहनते हैं. इसलिए इसे मिड फिंगर रिंग कहते हैं. खास मौके के साथ ही मिड फिंगर रिंग को आप रैग्युलर जींस टीशर्ट, सलवारकमीज आदि के साथ भी पहन सकती हैं.

फोर फिंगर रिंग : अगर आप चारों उंगलियों में रिंग पहनना पसंद करती हैं, तो चारों में अलग-अलग रिंग पहनने के बजाय फोर फिंगर रिंग को अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. फोर फिंगर रिंग एकसाथ चारों उंगलियों में पहनी जाती है, लेकिन इसे देख कर नहीं लगता कि ये आपस में जुड़ी हुई हैं. इसे आप रैग्युलर नहीं पहन सकतीं, यह सिर्फ खास मौकों पर पहनी जाती है.

नेल आर्ट रिंग : अगर आप के पास नेल आर्ट के लिए वक्त नहीं है तो आप नेल आर्ट रिंग भी ट्राई कर सकती हैं. इसे उंगली में आगे की ओर जहां नाखून होता है, वहां पहना जाता है. वैस्टर्न वियर के साथ पहनने के लिए नियोन या फिर ब्लैक ऐंड व्हाइट शेड की नेल आर्ट रिंग खरीदें और इंडियन आउटफिट के साथ पहनने के लिए ज्वैल्ड नेल आर्ट रिंग चुनें.

ट्रिपल फिंगर रिंग : डबल फिंगर रिंग की तरह ट्रिपल फिंगर रिंग भी काफी पसंद की जा रही है. इसे एकसाथ 3 उंगलियों में पहना जाता है. आप चाहें तो इसे भी ट्राई कर सकती हैं. सिंपल डायमंड के साथ ही यह कलरफुल डायमंड में भी मिलती है, जिस का चुनाव आप अपने आउटफिट के अनुसार कर सकती हैं.

डबल फिंगर रिंग : ऐसी रिंग एकसाथ 2 उंगलियों में पहनी जाती है. इस का लुक काफी स्टाइलिश होता है. रैग्युलर से ले कर ह्यूज डिजाइन वाली डबल फिंगर रिंग्स भी मार्केट में उपलब्ध हैं. रोजाना पहनने के लिए सिंपल स्टाइल की डबल फिंगर रिंग और खास मौकों के लिए ज्वैल्ड फिंगर रिंग खरीदें. अगर आप की उंगलियां पतली हैं तो हैवी और मोटी हैं तो लाइट वेट डबल फिंगर रिंग का चुनाव करें.

कफ फिंगर रिंग : इन दिनों हैंड कफ की तरह कफ फिंगर रिंग की भी काफी डिमांड है. मार्केट में प्लेन कफ के साथ ही डिजाइनर कफ रिंग्स भी मिलती हैं. अगर आप की उंगली लंबी है, तो चौड़ी कफ वाली रिंग खरीदें और अगर छोटी है तो ज्यादा चौड़ाई वाली कफ रिंग पहनने से बचें. इस से आप की उंगली और भी छोटी नजर आएगी.

तारीफ वाला फैसला

पत्नियों को सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहना चाहिए कि उस ने राष्ट्रीय व राज्य के राजमार्गों पर 500 मीटर तक शराब बेचने व परोसने पर रोक लगा दी ताकि लोग एक घूंट चढ़ा कर ड्राइविंग का मजा न ले सकें. ड्राइवरों को तो मजा आता था पर पत्नियों की जान सूखी रहती थी कि न जाने कब कहां कौन सी दुर्घटना शराब के नशे में हो जाए. देश में होने वाली लाखों सड़क मौतों के पीछे ज्यादातर शराब ही जिम्मेदार होती है.

ये राजमार्ग कई शहरों के बीच से भी गुजरते हैं और बहुत से बढि़या होटलों से ले कर रेस्तरां व ढाबे भी इन के पास बने हुए थे जहां दारू चढ़ाते लोगों को देखा जा सकता है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि बेचारी औरतें चुप बैठी हैं और साथ के मर्द लंबी बातें करते रंगीन पानी के साथ पीए जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने झटके से देश भर की आधे से ज्यादा शराब की दुकानों को बंद करा दिया है. अब शराब पीने या खरीदने के लिए कम से कम 1 किलोमीटर अतिरिक्त जाना ही पड़ेगा और वह भी संकरी सड़कों पर.

शराब का नुकसान ज्यादातर आरतों को ही होता है चाहे उन्हें पतियों के पीने पर लंबीचौड़ी आपत्ति न हो और वे खुद भी 2-4 घूंट चढ़ा लेती हों. औरतों की घर की आय में तो सेंध लगती ही है, घर के कमाऊ जने का स्वास्थ्य खराब होने का डर भी बना रहता है. आजकल तो मांओं को यह भी चिंता होने लगी है कि बेटेबेटी पी पा कर पता नहीं क्या कर गुजरें.

सड़कों के किनारे शराब बंद करने से शराब रुक नहीं जाएगी पर यह संदेश जरूर जाएगा कि शराब कुछ ऐसी चीज है जिस से न केवल दुर्घटना हो सकती है,

उसे पाने के लिए मशक्कत भी करनी पड़ेगी. जैसे बंद जगहों पर सिगरेट की पाबंदी का असर यह हुआ है कि रेलों, होटलों, रेस्तराओं आदि में सिगरेट का धुआं नहीं दिखता वैसे ही शराब पर अंकुश असर दिखाएगा.

यह तरीफ की बात है कि यह फैसला गौमांस प्रतिबंध की तरह भाजपा सरकार का नहीं सुप्रीम कोर्ट का पूरी सुनवाई के बाद लिया गया है. इस में कट्टरता कम और व्यावहारिकता ज्यादा है. देश में शराब की अति होने लगी है और जैसे लोग मंदिरों में भरभर कर पैसा खर्च कर रहे हैं वैसे ही शराब पर कर रहे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की रोक कम से कम नशे पर तो रोक लगाएगी और जो पैसा बचेगा औरतें उस से जरूरत की चीजों व दवा के साथसाथ साडि़यों और ब्यूटीपार्लरों पर भी खर्च कर सकेंगी.

जो जैसा है स्वीकार लो

नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में धमाकेदार जीत ने देश का नकशा बदल डाला है. 2014 को एक अपवाद समझा गया था पर इन 2 राज्यों में जीत के बाद यह पक्का हो गया है कि एक नई तरह की राजनीति अब एक नई तरह की भारतीय जनता पार्टी चलाएगी. देश के अन्य राज्यों में जहां गैरभाजपाई सरकारें हैं वहां भी भारतीय जनता पार्टी आक्रामक बनेगी और 2014 व 2017 के अनुभवों को दोहराएगी.

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की जीतों ने भारतीय जनता पार्टी को 1947 से 1975 तक की कांग्रेस की स्थिति में ला खड़ा किया है और अन्य राज्य सरकारों के पास भारतीय जनता पार्टी की सरकार के एजेंडे को लागू करने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

कांग्रेस के 2004 से 2014 के सुधारों को नकारते हुए जनता ने उसे भ्रष्टाचार का भारी दंड तो दिया ही, यह भी बता दिया कि राजनीति में केवल खड़े रहना काफी नहीं है, अपने को बेचना भी जरूरी है. नरेंद्र मोदी का मुकाबला अब न कांग्रेस के और न ही अन्य दलों या उन के गठबंधनों के बस का है.

अब भारतीय जनता पार्टी के लिए विकास के एजेंडे का बहाना बनाना भी जरूरी नहीं है. उसे न तो भ्रष्टाचारमुक्त भारत बनाना है और न ही स्वच्छ भारत. उस ने जातियों, संतोंमहंतों की फौज और अंधश्रद्धालुओं के सहारे धर्म का सहारा ले कर जो नई राजनीति की है वह कोई अनूठी नहीं है.

आम आदमी सदियों से अपने पेट और अपनी जिंदगी को धर्म, रीतिरिवाज, परंपरा के नाम पर बलिदान करता रहा है और उसी में अपना वजूद देखता रहा है. कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने भी इसी को इस्तेमाल किया है पर उस ढंग से नहीं जैसे भाजपा ने.

नरेंद्र मोदी को मिली जीत ने उन की सरकार को अब देश की अर्थव्यवस्था और समाज के साथ नए प्रयोग करने की छूट दे दी है. सरकार अब विरोध की चिंता करे बिना काम कर सकती है. अब संविधान और राजनीतिक परंपराएं उसी तरह ताक पर रखी जा सकती हैं जैसे इंदिरा गांधी ने 1969 और 1977 के बीच रखी थीं.

सरकार विरोधियों को अब 4 बार सोच कर कुछ कहने की हिम्मत करनी होगी, क्योंकि जनता ने वैलट मशीनों के जरीए एक नया फैसला लिया है. अब उस पर बहस की गुंजाइश कम है कि यह फैसला अच्छा है या नहीं.

शादी के बाद जब घर में बहू या पत्नी आ जाए तो उस की कमियों पर ध्यान देने का कोई लाभ नहीं होता. भला इसी में है कि जो जैसा है स्वीकार लो. अगर पंचों यानी जनता की राय, भरपूर राय के साथ जीत कर कोई सरकार बने तो उसे स्वीकार करना चाहिए.

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