दिल ले चल वहां ट्यूलिप है जहां

दोस्तों ऐसा कौन होगा जिसे फूल पसंद न हो? फूल प्रकृति मां का एक ऐसा तोहफा है जो चुटकियों में आपका मूड फ्रेश कर देता है. आप कितने ही गुस्से में हों फूल देख कर आपके चेहरे पर मुस्कान आ ही जाएगी. यह मेरे अलावा वैज्ञानिक अनुसन्धान भी कहते हैं.

एक शोध के अनुसार जो लोग फूल पाते हैं या फिर फूलों के सानिध्य में रहते हैं उनमें तनाव का स्तर लगातार घटता जाता है. वह ज़्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं. फूल हमारे इमोशन्स के लिए हीलर का काम करते हैं. स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू जर्सी में हुए एक शोध से यह जानकारियां मिली.

फूल हमारी भावनाओं को प्रकट करने के लिए सबसे सशक्त मध्याम हैं. यह हमारे सभी प्रकार के भावों को अपने अलग अलग रंगों से बड़े ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं. खुशी, उल्लास, भक्ति, प्रेम, समर्पण, शोक जैसे सभी अवसरों पर हम अलग अलग प्रकार के फूलों का प्रयोग करते हैं.

और फिर बात अगर हो ट्यूलिप्स की तो कहने ही क्या हैं. हिमालय से निकल लम्बी यात्रा कर ट्यूलिप नीदरलैंड का राष्ट्रीय पुष्प ट्यूलिप ऐसे ही नहीं बन गया. और जिन देशों से होकर यह यूरोप पहुंचा, ट्यूलिप उनकी सभ्यता का भी अभिन्न अंग बना.

मुझे ट्यूलिप बहुत पसंद हैं, शायद इसलिए जब भी बसंत ऋतु आती है मेरा यायावर मन ट्यूलिप फ्लावर्स की खोज मे निकल पड़ता है. शायद मेरे भीतर भी कहीं एक “फ्लॉवर हंटर”की आत्मा छुपी हुई है. पिछली साल इन दिनों मैं ट्यूलिप देखने दुनिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन क्यूकेन्होफ पहुंच गई थी. क्यूकेन्होफ गार्डेन यूरोप के हॉलैंड में स्थित है.

इस बार मैंने कश्मीर में होने वाले ट्यूलिप फेस्टिवल में जाने का मन बनाया. श्रीनगर में हर साल अप्रैल में ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है जिसका आयोजन कश्मीर टूरिज्म बोर्ड करता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है. श्रीनगर मे इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन मे हर साल एक महीने के लिए ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है. जिसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ फ्लोरीकल्चर पूर साल मेहनत करता है.

जबरवान पर्वतमाला के दामन मे लगभग 12 हेक्टेयर में फैला यह बॉटनिकल गार्डेन बहुत खूबसूरत है. इस साल इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन में 15 लाख ट्यूलिप लगाए गए हैं. इस ट्यूलिप गार्डेन की स्थापना सन् 2008 में की गई थी. इस गार्डेन को देखने लाखों की संख्या में सैलानी हर वर्ष देश विदेश से आते हैं.

क्यूंकि कश्मीर घाटी ने मुग़लों का एक लंबा दौर देखा है इसलिए यहां के गार्डेन्स पर पार्शियन स्थापत्यकला का प्रभाव देखने को मिलता है. जिसमें टेरेस गार्डेन पार्शियन हॉर्टिकल्चर का खास अंग माने जाते है. निशात बाग और शालीमार गार्डेन भी इसी तर्ज़ पर बनाए गए है. और यहां का इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन भी उसी स्ट्रक्चर पर बना है. यहां तीन टैरेस हैं.

इस गार्डेन को तैयार करने में पूरे 10 महीनों का वक्त लगता है. एक महीने के लिए इस गार्डेन को खोला जाता है जिसके बाद अगले सीज़न के लिए गार्डेन को दुबारा तैयार करने की क़वायद शुरू हो जाती है. यहां जो ट्यूलिप हम देखते हैं इन्हें उगाने के लिए हॉलैंड से ट्यूलिप बल्ब आयात किए जाते हैं.

और जब फेस्टिवल के बाद गार्डेन पब्लिक के लिए बंद हो जाता है तब बड़ी सावधानी से एक-एक ट्यूलिप बल्ब को सहेजने की कवायद शुरू की जाती है. इन्हें न सिर्फ अलग अलग रंगों और वैरायटी के हिसाब से सहेजा जाता है बल्कि अगले सीज़न तक खराब न होने के लिए कोल्ड स्टोरेज मे बड़ी सावधानी से रखा भी जाता है. यह पूरा काम फ्लोरीकल्चर डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट्स की निगरानी में किया जाता है.

यहां फैले रंगबिरंगे ट्यूलिप्स को देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि इस इंद्रधनुष की  छवि को बिखरने में कितनी मेहनत की गई है. इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन डल लेक के बहुत नज़दीक स्थित है.

तीन लेवल पर बना यह ट्यूलिप गार्डेन अपने में 46 प्रकार के ट्यूलिप्स का घर है. इस ट्यूलिप गार्डेन के बीचों बीच गार्डेन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए कई फाउन्टेन्स भी लगाए गए हैं. गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है. इसलिए यहां एक छोटा सा फ़ूड पॉइंट भी है. जहां जाकर आप कश्मीर के ख़ास पकवान जैसे बाकरखानी, चॉकलेट केक और कश्मीरी केहवा का आनंद ले सकते हैं.

इस गार्डन में साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा गया है. ट्यूलिप के फूलों की क्यारियों के बीच में जाने की इजाज़त किसी को नहीं है अलबत्ता आप इनके नज़दीक तस्वीरें खिंचवा सकते हैं. यहां जगह जगह सैलानियों के बैठने के लिए बैंच भी बनाई गई हैं.

कब जाएं

इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन हर साल अप्रैल के महीने में एक महीने के लिए खोला जाता है. जिसकी तारीख कश्मीर टूरिज्म की वेबसाइट से चैक करके ही अपनी ट्रिप प्लान करें.

कैसे पहुंचे

श्रीनगर हवाई और सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है. अगर आप रेल से यात्रा करना चाहते हैं तो जम्मू तक रेल सुविधा है, उसके आगे सड़क मार्ग से जाना पड़ेगा.

ट्रैवेल टिप्स

हालांकि अप्रैल माह में पूरे देश में काफी गर्मी होने लगती है लेकिन कश्मीर में मौसम सुहावना होता है. बहुत बार बारिश की सम्भावना भी बन जाती है. जिसके चलते तापमान बहुत नीचे चला जाता है इसलिए सर्दी के इंतिजाम से जाएं. और जाने से पहले मौसम का हाल चैक करके ही प्लान बनाएं.

‘‘महाभारत’’ बनेगी हजार करोड़ी

हौलीवुड बहुत बड़े बजट की फिल्में बनाकर उन्हें विश्व की कई भाषाओं में डब करके प्रदर्शित कर, हर जगह अपनी धाक जमा रहा है. अब हौलीवुड को उसी के लहजे में जवाब देने के लिए भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने भी कमर कस ली है. इसी के चलते मूलतः भारतीय मगर यूएई में बसे उद्योगपति बी.आर. शेट्टी ने नया कदम उठाते हुए हजार करोड़ की लागत की फिल्म ‘‘महाभारत’’ बनाने की घोषणा की है, जो कि एशिया की दूसरी सबसे बड़े बजट की फिल्म होगी. कम से कम भारत में अब तक इतने बड़े बजट की फिल्म का निर्माण नहीं हुआ है.

बी.आर. शेट्टी यह फिल्म मशहूर भारतीय फिल्मकार व लेखक एम.टी. वासुदेवन नायर के साथ मिलकर बनाएंगे, जो कि एम.टी. वासुदेवन नायर की अतिमहत्वाकांक्षी फिल्म होगी. एम.टी. वासुदेवन नायर की ही किताब ‘‘रन्दामूजाम’’ पर आधारित फिल्म ‘‘महाभारत’’ में मोहनलाल भीम का किरदार निभाएंगे.

फिल्म ‘‘महाभारत’’ से जुड़ने वाले अभिनेता मोहन लाल ने एम.टी. वासुदेवन की किताब ‘‘रन्दामुजाम’’ को कई बार पढ़ा है. वह खुद कहते हैं – ‘‘मुझे याद ही नहीं है कि मैंने ‘रन्दामुजाम’ को कितनी बार पढ़ा है. मैं हमेशा इस महाकाव्य को सिनेमा के बड़े परदे पर लाना चाहता था. अब यह फिल्म फिल्मकार वी.ए. श्रीकुमार मेनन के अथक प्रयासों से बहुत जल्द शुरू होगी. मैं तो ‘महाभारत’ की कहानियां सुनते हुए बड़ा हुआ हूं. मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे इस फिल्म में भीम का किरदार निभाने के लिए चुना गया. मैं एम.टी. वासुदेवन सर का आभारी हूं कि उन्होने मुझ पर इतना भरोसा किया.’’

फिल्म ‘‘महाभारत’’ का निर्माण दो भागों में किया जाएगा. फिल्म की शूटिंग सितंबर 2018 में शुरू होगी और 2020 की शुरूआत में यह फिल्म प्रदर्शित होगी. पहले भाग के प्रदर्शन के ठीक नब्बे दिन बाद दूसरा भाग प्रदर्शित किया जाएगा. हौलीवुड फिल्मों की ही तर्ज पर ‘महाभारत’ को शुरूआत में अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलगू, कन्नड़ और मलयालम भाषा में फिल्माया जाएगा. उसके बाद इसे हर विदेशी भाषा में डब किया जाएगा. इस फिल्म में सभी महारथी कलाकार अभिनय करेंगे, जबकि तकनीकी टीम में भारतीय व विदेशी हस्तियों का समावेष होगा. इनमें कुछ ऑस्कर अवार्ड विजेता हस्तियां भी हैं. मजेदार बात यह है कि इस फिल्म में कुछ हौलीवुड कलाकार भी भारतीय कलाकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाने वाले हैं. इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय कास्टिंग ऐजेंसी की सेवाएं ली गयी हैं.

आलिया ने सुजॉय घोष को कहा ना!

‘‘कहानी’’ जैसी सुपरहिट फिल्म दे चुके निर्देशक सुजॉय घोष की जब से फिल्म ‘‘कहानी 2’’ असफल हुई है, तब से बॉलीवुड में कहा जा रहा है कि सुजॉय घोष को एक हिट फिल्म की सख्त जरुरत है.

इसी बीच यह खबर भी आयी है कि सुजॉय घोष ने हिट फिल्म की चाहत में सफल अदाकारा आलिया भट्ट से संपर्क किया, मगर आलिया भट्ट ने सुजॉय घोष के साथ बैठकर पटकथा सुनने के बाद फिल्म करने से इंकार कर दिया. इस संबंध में आलिया भट्ट से तो कोई बात नहीं हो पायी.

मगर सुजॉय घोष ने एक वेबसाइट से बात करते हुए इस खबर को सिरे से खारिज करते हुए कहा है, ‘‘मैंने आलिया भट्ट को किसी फिल्म का प्रस्ताव नहीं दिया है, तो वह इंकार कैसे करेंगी? सच तो यह है कि मैं इन दिनों किसी फीचर फिल्म की बजाय सत्यजीत रॉय की ‘अनुकूल’ नामक एक लघु फिल्म बनाने की तैयारी में लगा हुआ हूं.’’

अनुष्का ने उड़ाई शाहरुख की हीरोईन बनने की खबर?

आम तौर पर कहा जाता है कि सफलता और असफलता दोनों को पचाना हर इंसान के लिए आसान नहीं होता है. फिर बॉलीवुड, बॉलीवुड तो यूं भी ‘‘शो बाजी’’ पर ही टिका हुआ है. यूं तो यहां हर शुक्रवार इंसान की तकदीर बदलती रहती है, इस कटु सत्य को दोहराते हुए तो सभी मिल जाएंगें, मगर इस कटु सत्य को स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं होता.

हर इंसान सफल होने पर ‘अहम ब्रम्हास्मि’ की तरह अहम में इस कदर डूबता है कि फिर वह धीरे धीरे पतन की ओर अग्रसर होने लगता है. अहम में चूर इंसान को जब असफलता हाथ लगती है, तो वह अपनी कमियों का विश्लेषण करने की बनिस्पत उस असफलता को छिपाने के लिए ढेरों गलत कदम उठाता है. ऐसा ही कुछ इन दिनों अनुष्का शर्मा कर रही हैं.

गैर फिल्मी परिवार की अनुष्का शर्मा ने शाहरुख खान के साथ ‘यशराज फिल्मस’ की फिल्म ‘‘रब ने बना दी जोड़ी’’ से बॉलीवुड में कदम रखा था. तब से इक्का दुक्का फिल्मों को नजरंदाज कर दें, तो अनुष्का शर्मा लगातार सफलता की ओर अग्रसर चल रही थी. निरंतर सफलता ने उनके अंदर आत्म विश्वास पैदा किया. जिसके चलते वह बॉलीवुड की सबसे कम उम्र की फिल्म निर्माता बन बैठी.

अनुष्का शर्मा ने पहली फिल्म ‘‘एन एच 10’’ का निर्माण करने के साथ ही इसमें अभिनय किया. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता दर्ज कराते हुए अनुष्का को शोहरत दिलायी. इस सफलता ने अनुष्का शर्मा के अंदर अहम और ‘अहम ब्रम्हास्मि’ की ऐसी भावना भरी कि बतौर निर्माता उनकी दूसरी फिल्म ‘‘फिल्लौरी’’ ने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ दिया. हालात ऐसे हैं कि अब बॉलीवुड के बिचौलिए उन्हें असफल अभिनेत्री करार दे रहे हैं. आखिर ‘फिल्लौरी’ में दिलजीत दोषांज के साथ अनुष्का शर्मा की ही मुख्य भूमिका है.

‘‘फिल्लौरी’’ की असफलता के चलते अनुष्का शर्मा को बतौर निर्माता अपनी तीसरी फिल्म ‘कनेडा’ का निर्माण भी स्थगित करना पड़ा है. वैसे अनुष्का शर्मा की तरफ से दावा किया गया है कि फिल्म ‘फिल्लौरी’ ने उन्हें कमा कर दिया है. पर फिल्म ‘कनेडा’ को लेकर चुप्पी साधी हुई है.

मगर अनुष्का शर्मा अपनी इस असफलता को पचा नहीं पा रही हैं. वह निरंतर अपनी पीआर टीम के माध्यम से खबरें फैला रही हैं कि वह निरंतर व्यस्त हैं और बॉलीवुड में उनकी मांग बढ़ती ही जा रही है. जबकि हककीत इसके विपरीत है.

बहरहाल, ‘फिल्लौरी’ की असफलता और ‘कनेडा’ का निर्माण स्थगित होने की खबरें गर्म होते ही अनुष्का शर्मा ने खबर दी कि वह अपनी तीसरी फिल्म ‘‘किराज इंटरटेनमेंट’’ के साथ मिलकर बनाने वाली हैं. पर वह यह बताना भूल गयीं अब फॉक्स स्टार स्टूडियो उनके साथ क्यों नहीं है?

मजेदार बात यह है कि अनुष्का शर्मा की पीआर टीम यहीं पर नहीं रूकी है. बल्कि जिस दिन दीपिका पादुकोण की तरफ से आनंद एल राय की शाहरुख खान के साथ वाली फिल्म छोड़ने की खबर आयी, उसके दो दिन बाद ही खबर आ गई कि अनुष्का शर्मा फिल्मकार आनंद एल राय की फिल्म में शाहरुख खान की हीरोईन बनने वाली हैं.

इस खबर के आते ही पहले तो सभी ने यकीन कर लिया. क्योंकि अनुष्का शर्मा व शाहरुख खान के बीच अच्छे संबंध हैं. अनुष्का शर्मा ने ‘रब ने बना दी जोड़ी’ और ‘जब तक है जान’ के बाद अब तीसरी फिल्म ‘द रिंग’ कर ली है. (ज्ञातब्य है कि अनुष्का शर्मा ने इम्तियाज अली के निर्देशन में बनी फिल्म ‘द रिंग’ की शूटिंग ‘फिल्लौरी’ के प्रदर्शन से पहले ही पूरी कर दी थी. ‘द रिंग’ अभी तक प्रदर्शित नहीं हुई है. और ‘फिल्लौरी’ के असफल होने के बाद से अनुष्का शर्मा को कोई दूसरी फिल्म नहीं मिली है). इसलिए हर किसी ने मान लिया कि अनुष्का शर्मा अब शाहरुख खान के साथ चौथी फिल्म करने जा रही हैं. जबकि इस संबंध में आनंद एल राय चुप हैं.

बहरहाल, इस खबर के बाद बॉलीवुड से जुड़े बिचौलिए और सूत्र सक्रिय हो गए. बॉलीवुड के बिचौलिए कोई सच सामने लाते, उससे पहले ही अनुष्का शर्मा के प्रवक्ता ने इस खबर को झुठलाते हुए कहा है कि इस फिल्म के लिए अनुष्का शर्मा को कोई प्रस्ताव नहीं मिला है.

ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह की तथ्यहीन खबर किसने, किसके इशारे पर मीडिया में फैलायी और इस खबर के पीछे का मकसद क्या है? कहीं यह भी अनुष्का शर्मा का खुद को खबरों में बनाए रखने का अति घटिया पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं.

अभिनेत्रियां जो अपनी फिल्मों में बनी प्रॉस्टिट्यूट

विद्या बालन की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘बेगम जान’ 14 अप्रैल को रिलीज हो गई. यह बांग्ला मूवी ‘राजकाहिनी’ का रीमेक है, जिसमें बेगम जान यानी विद्या बालन ने तवायफों के कोठे की मालकिन का रोल प्ले किया है. वैसे, यह पहला मौका नहीं है जब किसी एक्ट्रेस ने फिल्म में तवायफ या वेश्या (प्रॉस्टिट्यूट) का किरदार निभाया है.

1974 में आई फिल्म ‘मनोरंजन’ में जीनत अमान के रोल से लेकर 2004 में आई करीना कपूर की फिल्म ‘चमेली’ तक में एक्ट्रेस ने ऐसे रोल प्ले किए. बॉलीवुड की ऐसी ही कुछ फिल्में, जिनमें एक्ट्रेस ने प्रॉस्टिट्यूट का रोल किया.

प्यासा (1957)

इस फिल्म में वहीदा रहमान ने गुलाब नाम की प्रॉस्टिट्यूट का किरदार प्ले किया है. फिल्म में गुरुदत्त और माला सिन्हा भी हैं. वहीदा रहमान हाल ही में आशा पारेख की बायोग्राफी के लॉन्चिंग इवेंट के मौके पर नजर आई थीं.

अमर प्रेम (1972)

फिल्म में शर्मिला टैगोर ने पुष्पा नाम की प्रॉस्टिट्यूट का रोल प्ले किया है. फिल्म में राजेश खन्ना और विनोद मेहरा ने भी काम किया है.

आस्था (1997)

फिल्म में रेखा ने मानसी नाम का किरदार निभाया है, जो एक मैरिड वुमन है. हालांकि बाद में वो प्रॉस्टिट्यूट बन जाती है. फिल्म में उनके अलावा ओम पुरी और नवीन निश्चल ने भी काम किया है.

वास्तव (1999)

फिल्म में नम्रता शिरोडकर ने सोनिया नाम की प्रॉस्टिट्यूट का रोल किया है. इसमें उनके अलावा संजय दत्त और मोहनीश बहल भी हैं. नम्रता ने साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू से शादी की है. उनके दो बच्चे भी हैं.

मार्केट (2003)

फिल्म में मनीषा कोइराला ने मुस्कान बानो नाम की प्रॉस्टिट्यूट का कैरेक्टर प्ले किया है. फिल्म में उनके अलावा सुमन रंगनाथन भी हैं.

चांदनी बार (2001)

प्रॉस्टिट्यूशन और डांस बार पर बनी फिल्म चांदनी बार में तब्बू ने मुमताज अली अंसारी का रोल प्ले किया है, जो चांदनी बार में बार गर्ल बन जाती है.

जूली (2004)

फिल्म में नेहा धूपिया ने जूली का रोल प्ले किया है, जो फिल्म एक हाई-प्रोफाइल प्रॉस्टिट्यूट बनी हैं. फिल्म में उनके अलावा प्रियांशु चटर्जी, यश टोंक और संजय कपूर ने भी काम किया है.

नो एंट्री (2005)

फिल्म में बिपाशा बसु ने बॉबी नाम की प्रॉस्टिट्यूट का रोल किया है, जो बार में डांस करती है. इसमें उनके अलावा अनिल कपूर, फरदीन खान और सलमान खान ने भी काम किया है.

चिंगारी (2006)

फिल्म में सुष्मिता सेन ने बसंती नाम की प्रॉस्टिट्यूट का रोल किया है, जो एक बच्चे की मां हैं. इसमें उनके अलावा मिथुन चक्रवर्ती और अनुज शावने ने भी काम किया है. फिल्म की डायरेक्टर कल्पना लाजमी हैं.

ट्रैफिक सिग्नल (2007)

फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा ने नूरी नाम की प्रॉस्टिट्यूट का रोल प्ले किया है. डायरेक्टर मधुर भंडारकर की इस मूवी में कुणाल खेमू, नीतू चंद्रा और रणवीर शौरी ने भी काम किया है.

लागा चुनरी में दाग (2007)

फिल्म में रानी मुखर्जी ने विभावरी सहाय उर्फ बड़की का रोल किया है, जो अपनी फैमिली के लिए कई सैक्रिफाइस करती है. कई बार लोग उससे प्रॉस्टिट्यूट की तरह ट्रीट करते हैं. फिल्म में रानी के अलावा कोंकणा सेन शर्मा, अभिषेक बच्चन और कुणाल कपूर ने काम किया है.

देव डी (2009)

फिल्म में कल्कि कोचलिन ने लेनी और चंद्रमुखी नाम के दो रोल किए हैं. इसमें लेनी दिल्ली की एक स्टूडेंट होती है, जो एमएमएस स्कैंडल में फंस जाती है. इस घटना के बाद उसके पिता सुसाइड कर लेते हैं और उसकी फैमिली उसे एक छोटे से कस्बे में भेज देती है. इसके बाद जब वह वापस दिल्ली जाती है तो प्रॉस्टिट्यूट बन जाती है. फिल्म में कल्कि के अलावा अभय देओल और माही गिल ने भी काम किया है.

डी Day (2013)

फिल्म में श्रुति हासन ने सुरैया नाम की पाकिस्तानी प्रॉस्टिट्यूट का रोल प्ले किया है. फिल्म में उनके अलावा अर्जुन रामपाल, हुमा कुरैशी और इरफान खान ने काम किया है.

बदलापुर (2015)

फिल्म में हुमा कुरैशी ने झिमिली नाम की प्रॉस्टिट्यूट का रोल किया है, जो नवाजुद्दीन सिद्दीकी (लियाक) की गर्लफ्रेंड रहती है. इसमें उनके अलावा वरुण धवन, यामी गौतम और दिव्या दत्ता ने भी काम किया है.

जानना चाहती हैं काले बालों का राज?

आज कल हर कोई अपने सफेद होते बालों से परेशान है. आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम अपनी सेहत की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाते हैं और पोषक तत्वों की शरीर में कमी होने के कारण हमारे शरीर में कई शारीरक समस्याएं आ जाती हैं. उनमे से एक प्रमुख समस्या है, बालों का उम्र से पहले सफेद होना. परन्तु प्राकृतिक तरीकों को अपना कर आप सफेद बालों से मुक्ति पा सकते हैं.

ये भी जानते हैं कि क्या मुख्य कारण हैं कि बाल सफेद हो जाने के…

बालों के सफेद होने के कारण :

1. बहुत ज्यादा तनाव में रहना

2. ज्यादा तैलीय चीजों को खाना

3. बहुत ज्यादा साबुन और शेम्पू का इस्तेमाल करना

4. पोष्टिक भोजन ना लेना

बालों को काला करने के 9 घरेलू उपाय :

1. नारियल और निम्बू के रस का मिश्रण सफेद बालों को काला करने में मदद करता है. नारियल के तेल को निम्बू के रस में मिलाकर अपने बालों में इसकी मालिश करें और मालिश करने के बाद तकरीवन एक घंटे के बाद अपने बालों को धो लीजिए.

2. आम की पत्तियों को पीस लें और इससे एक पेस्ट सा तेयार हो जायेगा और इसे अपने बालों में लगायें. करीब 30 मिनट तक इसे लगा रहने दें. इसके बाद साफ पानी से अपने बालों को दों लें.

3. प्याज के रस में निम्बू मिलाकर अपने बालों में लगाएं और करीब 45 मिनट तक खुला छोड़ दें और बाद में इन बालों को अच्छी तरह धो लीजिए. इससे आपको सफेद बालों से मुक्ति मिलेगी और साथ ही साथ आपके बाल झड़ने बंद हो जायेंगे.

4. बालों का शुद्ध घी अपने बालों में लगाने से सफेद बाल जल्दी काले होने शुरू हो जाते हैं. इस घी को प्रतिदिन अपने बालों में लगाना चाहिए.

5. अपने बालों पर तिल के तेल की मालिश करने से सफेद बाल काले होने शुरू हो जाते हैं. इस तेल का इस्तेमाल हमें प्रतिदिन आपने बालों में करना चाहिए.

6. काली चाय सफेद बालों को काला करने में बहुत मदद करती है. काली चाय आपके बालों को मुलायम और चमकदार बनाती है. एक कप पानी में थोड़ी सी चाय की पत्तियां मिला दें और फिर इसे उबाल लें फिर इसमें एक चमच नमक मिला दें. इस पानी को ठंडा होने के बाद अपने बालों पर लगायें एक घंटे बाद अपने बालों को साफ़ पानी से धो लें.

7. लोंग के तेल से अपने बालों की मालिश करें इससे आपके सफ़ेद बालों को रोकने में बहुत मदद मिलेगी.

8. आंवला बालों को काला करने में बहुत अच्छा माना गया है. नारियल के तेल में आंवला के कुछ सूखे टुकड़े उबाल लें. इसे ठंडा हो जाने पर अपने बालों पर इसकी मालिश करें इस मिश्रण को अपने बालों पर कुछ घंटों तक रहने दें. एक – दो दिन छोड़ कर इस मिश्रण को अपने बालों पर लगायें कुछ ही हफ़्तों में आपको इसका फर्क दिखने लगेगा.

9. संतरे के रस में थोडा सा आंवले का रस मिलाकर अपने बालों में लगाने से बालों का झड़ना और सफेद होना बंद हो जाता है.

क्या असली-नकली सिक्के की पहचान है आपको?

आप सब्जीवाले से जब सब्जी लेती हैं या पास के ही किसी स्टोर से घर का या जरुरत का कोई छोटे मोटे सामान की खरीददारी करती हैं तो आपको कई बार चेंज के तौर पर दस रुपये के सिक्के भी मिलते होंगे. अब ये बात तो आप भी जानती होंगी कि 10 रुपए के सिक्के को लेकर बहस अभी खत्म नहीं हुई है. फर्जी सिक्का बनाने वाले कई गिरोहों को पकड़ तो लिया गया है, फिर भी लोगों के बीच इस बात का डर है कि उनके पास जो 10 रुपए का सिक्का है वह नकली है या असली है!

हाल ही में नकली सिक्कों की खबर के बाद देश की कई अलग-अलग हिस्सों में लोग 10 रुपए का सिक्का लेने से बच रहे थे. यहां आज हम आपको बताएंगे कि आप कैसे 10 रुपए के असली और नकली सिक्कों को की पहचान कर सकती हैं.

असली-नकली की पहचान

10 रुपए के सिक्के में 10 लाइन्स बनी होती हैं, साथ ही सिक्के के बीच के हिस्से पर रुपए का सिंबल बना होता है. इसके अलावा अंको में 10 लिखा होता है. ये अंक ’10’ सिक्के के मध्यभाग और बाहरी भाग 6:4 के अनुपात में अंकित होता है.

हेड्स की तरफ से ऐसे पहचाने

असली सिक्कों की पहचान बहुत ही आसान है. हेड्स की तरफ से सिक्के की प्रमाणिकता को पहचानने के लिए आपको देखना होगा कि INDIA और भारत सिक्के पर कहां अंकित हैं. सिक्के पर INDIA और भारत साइट की तरफ आमने सामने होते हैं. जबकि नकली सिक्के में INDIA और भारत एक साथ उपर की तरफ लिखा होता है.

अशोक की लाट ध्यान से देखें

10 रुपए का सिक्का हेड्स की तरफ से देखने पर अशोक की लाट यानि भारतीय राजपत्र का चिह्न आपको स्पष्ट दिखेगा जबकि नकली सिक्के में यह चिह्न छोटा और अस्पष्ट होगा. इसके अलावा 10 रुपए के असली सिक्के में ‘स्त्यमेव जयते’ छोटे अक्षरों में लिखा होगा जो कि ठीक अशोक की लाट के नीचे अंकित होगा. जबकि नकली सिक्के में यह अछर बड़े और धुंधले होंगे.

अपने आसपास भी दें जानकारी

इन तीन स्टेप्स को अपनाकर आप 10 रुपए के असली और नकली सिक्के का फर्क जान सकते हैं. इसके बारे में आप अपने साथ के लोगों और दोस्तों को भी बताएं जिससे वह नकली सिक्कों को पहचान सकें और बाजार में फैले नकली सिक्कों को लेने से बच सकें.

गर्मियों में ऐसे रखें अपने बालों का ख्याल

गर्मियों का मौसम आ चुका है. और विशोषज्ञों की मानें तो इस मौसम में सबसे अधिक बाल झड़ते हैं. इसलिए गर्मियों में बालों का खास ध्‍यान रखने की जरूरत है.

जानिए ऐसे 10 टिप्‍स, जो इस सीजन में बालों से जुड़ी आपकी हर प्रॉब्‍लम को सॉल्‍व कर देंगे.

1. वीकएंड पर बालों में जरूर तेल लगाएं और जूड़ा बनाकर रखें. इससे बालों को पोषण मिलेगा.

2. बालों पर हेयर ड्रायर आदि का प्रयोग ना करें, इससे बाल और रूखे हो जाते हैं और टूटने लगते हैं.

3. शाम को जब घर पहुंचे तो बालों में कंघी जरूर करें, फिर बाल बांध लें.

4. जब बाहर निकलें तो सिर को किसी कपड़े से ढक लें. बहुत कम लोगों को पता होगा कि धूप का असर बालों पर भी पड़ता है.

5. बाल धोने से पहले नारियल, जैतून के तेल से मालिश करें. प्रतिदिन बाल ना धोएं, इससे स्कैल्प में मौजूद प्राकृतिक तेल निकल सकता है, जिससे बाल रुखे हो सकते हैं और बार-बार बाल धोने की जरूरत महसूस हो सकती है.

6. अपने बालों को कलर करने के लिए अमोनिया फ्री हेयर कलर्स का इस्तेमाल करें. ये इनके दुष्प्रभाव से बचाते हैं और बालों को पोषण देते हैं.

7. जब भी पूल आदि में जाएं तो लौटकर बालों को अवश्‍य धो लें.

8. कंघी करते हुए हेयर ब्रश की बजाय चौड़े दांतों वाली कंघी का इस्तेमाल करें.

9. गीले बालों में कंघी ना करें. इससे बाल टूटते हैं.

10. बढ़ते तापमान के साथ बालों में तेल की जगह हेयर सीरम लगाएं. यह कम चिपचिपा होता है.

ताल तलैयों का शहर भोपाल

अब से कोई 25 साल पहले तक भोपाल घूमने आना पर्यटकों के लिए आखिरी 5 विकल्पों में से एक हुआ करता था लेकिन अब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर घूमने आना शुरुआती 5 प्राथमिकताओं में से एक होने लगा है.

इस बदलाव की वजह महज यह नहीं है कि देश के किसी भी हिस्से से रेलमार्ग द्वारा आना यहां सुविधाजनक और सहूलियत वाला काम है, बल्कि यह है कि यहां वाकई पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य व विकास हुए हैं जिस का श्रेय राज्य के पर्यटन विकास निगम को भी जाता है.

ताल तलैयों वाला भोपाल, झीलों वाला भोपाल, नवाबों वाला भोपाल, बाबुओं वाला भोपाल, जरदापरदा और गरदा वाला भोपाल व गैस त्रासदी वाला भोपाल अब काफी बदल गया है. दूसरे शहरों की तरह भोपाल भी चारों तरफ बढ़ा है. लेकिन अच्छी बात यह है कि यहां ऐसा हरियाली खोने या उजाड़ने की शर्त पर नहीं हुआ है. नए भोपाल की चौड़ी सड़कों के इर्दगिर्द झूमती हरियाली, बाग बगीचे और जगह जगह बने पार्क पर्यटकों को एहसास कराते हैं कि क्यों और कैसे भोपाल दूसरे शहरों से भिन्न है.

राजा भोज द्वारा बसाए गए शहर भोपाल का नाम पहले भोजपाल था, फिर अपभ्रंश में इसे भोपाल कहा जाने लगा. मुगल शासकों का यहां लंबे वक्त तक राज रहा, उस में भी दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश वक्त शासन बेगमों ने किया.

आजादी के बाद भोपाल का विकास शुरू हुआ, तब एक नए भोपाल ने आकार लिया. नतीजतन, यह भी 2 हिस्सों में बंट गया. पुराना भोपाल और नया भोपाल. राजधानी बनने के बाद तो यहां ताबड़तोड़ निर्माण कार्य हुए मगर 70 के दशक में बने न्यू मार्केट ने मानो भोपाल का कायाकल्प कर दिया.

न्यू मार्केट न केवल व्यापारिक गतिविधियों का एक बड़ा केंद्र है बल्कि पर्यटकों के लिए शौपिंग का एक अलग अनुभव भी है. दर्जनों तंग और छोटी गलियों से हो कर जब आप बाहर निकलते हैं तो एक भोपाली जज्बा भी आप के साथ होता है. नए और पुराने भोपाल को बांटते न्यू मार्केट की खूबी है कि आप किसी भी तरफ चले जाइए, कोई न कोई पर्यटन स्थल आप का स्वागत कर रहा होगा.

साहित्य और कला में रुचि रखने वालों में से शायद ही कोई भारत भवन के नाम से वाकिफ न होगा. झील के किनारे बसे भारत भवन को कला और संस्कृति प्रेमियों का पसंदीदा अड्डा माना जाता है, जहां हर वक्त कोई न कोई आयोजन हो रहा होता है. यहां शासकीय पुरातत्व संग्रहालय और गांधी भवन भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं. भदभदा रोड पर पर्यटन विकास निगम द्वारा विकसित किया गया पिकनिक स्पौट का सैरसपाटा भी लोगों को अपनी तरफ खीचता है, जहां पार्क, बगीचा, हरियाली और रेस्तरां के अलावा बच्चों के मन बहलाने के तमाम साधन मौजूद हैं.

हवाई अड्डे को शहर से जोड़ती वीआईपी रोड रोज शाम को आबाद होती है तो देररात तक यहां चहल पहल रहती है. हाल ही में तालाब में भोज की विशाल प्रतिमा लगाई गई है. वीआईपी रोड के पुल पर खड़े हो कर तालाब के दूसरी तरफ बोट क्लब के नजारे चाह कर भी लोग नहीं भूल पाते, जहां से तालाब के सीने पर चलती मोटरबोट और क्रूज दिखते हैं. चप्पू वाली नावों या पैडल बोट में बैठ कर नौकायान का लुत्फ भी लोग उठाते नजर आते हैं.

निराली है शान 

पुराने भोपाल की भी शान निराली है जहां पर्यटक एशिया की सब से बड़ी मसजिद ताजुल मसाजिद की शान और वास्तु दोनों निहारते हैं. इस के निर्माण में संगमरमर का इफरात से इस्तेमाल हुआ है. पुराने भोपाल में ही गौथिक शैली में निर्मित शौकत महल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है. ऐतिहासिक महत्त्व की एक और इमारत गौहर महल भी देखने काबिल है.

मछलीघर, और श्यामला हिल्स स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय सहित ये सभी पर्यटन स्थल एक दिन में आसानी से घूमे जा सकते हैं. किराए की टैक्सी से भोपाल घूमने में लगभग 1,200 रुपए का खर्च आता है. पर्यटकों को खानपान के मामले में भी भोपाल सस्ता या किफायत वाला शहर महसूस होता है.

पर्यटन स्थलों पर घूमते घूमते बीच में कभी न कभी व्यापारिक क्षेत्र एमपी नगर आता है, जहां ठहरने के लिए सुविधाजनक होटल और घूमने के लिए मौल हैं. भोपाल अगर देश का प्रमुख पर्यटन स्थल बना तो इस की एक वजह इस का एजुकेशन हब बन जाना भी है. 100 से भी ज्यादा इंजीनियरिंग कालेज शायद ही देश के किसी एक शहर में हों.

भोपाल शहर के बाहर होशंगाबाद रोड से होते भोजपुर का शंकर मंदिर भी दर्शनीय है, जहां से 20 किलोमीटर दूर भीमबैठका की गुफाएं हैं. इन गुफाओं के भित्ति और शैलचित्र आदिम युग और मानव इतिहास की जीती जागती मिसाल हैं. पुरातत्वविदों और इतिहास- प्रेमियों को भीमबैठका की गुफाएं जरूर देखना चाहिए.

भोपाल से 35 किलोमीटर दूर विश्वविख्यात बौद्ध तीर्थस्थल सांची है जिस के स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए थे. बुद्ध के उपदेश, जातक कथाएं और उन से जुड़ी कुछ धरोहरें सांची में सलामत हैं.

पिछले 5 सालों में भोपाल में फिल्मी कलाकारों का आनाजाना बढ़ा है. अब यहां सालभर किसी न किसी फिल्म या फिर टीवी सीरियल की शूटिंग चलती रहती है. मध्य प्रदेश सरकार भी फिल्म निर्माताओं को खूब प्रोत्साहन दे रही है.

भोपाली बटुआ

खरीदारी के लिए हस्तनिर्मित जो आइटम देशभर में मशहूर हैं उन में भोपाली बटुआ प्रमुख है. भोपाल सालभर कभी भी आया जा सकता है लेकिन मई-जून में यहां अब तेज गरमी पड़ने लगी है. नवंबर से मार्च तक का मौसम काफी सुहाना रहता है.

रात में मौसम चाहे कोई भी हो, वीआईपी रोड के पास पुराने भोपाल के चौक बाजार की रौनक शबाब पर होती है. चौक की गलियों में चाट और खानपान का लुत्फ उठाने के साथ कपड़ों व ज्वैलरी की खरीदारी भी की जा सकती है. 

चटोरी गली

पुराने भोपाल के सुल्तानिया रोड स्थित चटोरी गली में आप को सभी प्रकार के नौनवेज आइटम की तरहतरह की वैरायटियां मिल जाएंगी जिन के जायके देशभर में मशहूर हैं. अगर कुछ चटपटा खाने का मन हो तो चटोरी गली उस के लिए एक बेहतर जगह है.

इन दर्द में सिकाई है एक बेहतर उपाय

आप रोजमर्रा में ऐसे कई काम करती हैं, जिनकी वजह से आपको सूजन, दर्द, मसल्स पेन हो जाते हैं और ये बड़ी आम बात भी है. ऐसे में किसी गर्माहट देने वाली बाम और पैनकिलर खाने के अलावा गर्म पानी या बर्फ से सिकाई भी बेहद अच्छा इलाज माना जाता है.

सिकाई करने की सलाह तो डॉक्टर भी देते हैं, परंतु अगर आप इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि कब आपको बर्फ से सिकाई करनी चाहिए और कब गर्म पानी के इस्तेमाल से तो आइए यहां हम आपको बताते हैं आपके इन सारे सवालों के जवाब.. 

1. जोड़ों में दर्द या सूजन : बर्फ की सिकाई

आपके शरीर के किसी जोड़ में दर्द हो, जैसे घुटने में, पैरों में और साथ में सूजन भी हो तो, इसकी वजह अधिक काम या मसल्स में खींचाव हो  सकता है. ऐसे में आपको बर्फ की सिकाई इस तकलीफ से छुटकारा दिलवाती है. इसके लिए आपको चाहिए कि अपने पैरों को दिल की ऊंचाई तक किसी तकिये की मदद लेकर, ऊंचा करें और अब चोट वाले स्थान पर बर्फ की सिकाई करें.

2. पीरियड में दर्द : गर्म पानी से सिकाई 

हम आपको बताना चाहते हैं कि पीरियड के दर्द में, गर्म पानी के हीटिंग पैड्स का इस्तेमाल आपको बहुत राहत देता है. इस समय के दौरान, गर्म पानी से पेट के मसल्स की सिकाई आपको आराम देगी. इसके अलावा भी आप जब भी चाहें अपनी जरूरत के अनुसार, पेट दर्द में गर्म पानी से सिकाई कर सकती हैं. 

3. कमर दर्द : गर्म पानी से सिकाई

अगर आपको पीठ में दर्द है, तो इसके लिए गर्म पानी ही है एक बढ़िया इलाज. इसके लिए आप हीटिंग पैड में गर्म पानी भरकर फिर कमर की सिकाई करें, लेकिन यह तब अच्छा होतो है जब आपको अक्सर ही पीठ में दर्द होता है तो. लेकिन अगर आपको ये दर्द पहली बार हो रहा है तो बर्फ की सिकाई आपके लिए कारगर होगी.

4. सिरदर्द : बर्फ या गर्म पानी से सिकाई 

ये बात तो आप जानती ही होंगी कि बर्फ शरीर को सुन्न कर सकती है. इसलिए ही यह आपके सिरदर्द को भी दूर कर सकती है. पर यहां एक खास बात है कि गर्म पानी से भी सिर के मसल्स को आराम मिलता है इसलिए गर्म पानी की सिकाई भी कारगार साबित हो सकती है. और आप चाहें तो इसे गर्दन पर भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

5. आर्थराइटिस : गर्म पानी से सिकाई 

शरीर के जोड़ों में जमकर दर्द और कड़कपन में आपको गर्म पानी की सिकाई करनी चाहिए. गर्माहट कड़क मसल्स को नर्म करती है और इन जगहों पर खून का बहाव भी बढ़ा देती है. अपने जोड़ों में आराम के लिए, आपको करीब 20 मिनिट तक गर्म पानी से सिकाई करना चाहिए. सिकाई करने के दौरान आराम की पोजिशन में रहें.

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