हाथों की खूबसूरती बढा़ने में नाखून अहम भूमिका निभाते हैं. अपने नाखूनों को एट्रैक्टिव बनाने के लिए लड़कियां रोजाना नेल पेंट लगाती हैं. मगर इसका लगातार इस्तेमाल करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है. कुछ समय के लिए तो नेल पेंट नाखूनों को खूबसूरत बनाता है लेकिन आगे चल कर यह नाखूनों को कई नुक्सान भी पहुंचा सकता है.
केमिकल
नेल पेंट में टालुईन नाम का केमिकल मिला होता जो आपके नाखूनों को रूखा बनाता है. इससे सिर दर्द और त्वचा संबंधी समस्याएं होती हैं. इसीलिए उन नेल पेंट का इस्तेमाल करें जिनकी क्वालिटी अच्छी हो. इसे लगाते समय ध्यान रखें कि यह आपकी आंख, नाक, मुंह और त्वचा से दूर रहे.
एलर्जी
नेल पेंट में फार्मेल्डिहाइड नामक केमिकल होता है. इसे नेल पेंट को चिपचिपा बनाने में उपयोग किया जाता है. इसकी वजह से खुजली की समस्या हो सकती है. आगे जा कर यह समस्या काफी बढ. जाती है.
नाखूनों को टूटना
कई लड़कियां हमेशा नाखुनों पर नेल पेंट लगा कर रखती हैं. इस वजह से नाखूनों की परत पतली होती है और जल्दी टूटने लगते हैं. इसलिए बीच के कुछ दिन नाखूनों को बिना नेल पेंट लगाए छोड़ दें और रोज 10-15 मिनट के लिए आपने नाखूनों को गर्म पानी में डुबो कर रखें. इससे वो हाइड्रेट होंगें.
बेस कोट
बेस कोट के बिना नेल पेंट लगाने से नाखून पीले पड़ जाते हैं. ऐसे में हमेशा नेल पेंट लगाते वक्त उसके ऊपर बेस कोट जरूर लगाएं.
नेल पेंट रिमूवर
नेल पेंट बदलने के लिए नेल पेंट रिमूवर का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एसिटोन नामक केमिकल होता है जो नाखूनों के नैचुरल ऑयल और नमी को सोख लेता है और आस-पास की त्वचा को रुखा बनाता है.
देशभर में 1 जुलाई से वन नेशन, वन टैक्स के अंतर्गत जीएसटी लागू हो गया है. जिसे लेकर देशभर में लोगों के मन में आशंकाएं पनप रही हैं. ऐसा ही हाल फिल्म इंडस्ट्री का भी है, जहां लोगों के मन में मनोरंजन कर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जीएसटी काउन्सिल ने मनोरंजन कर 18 और 28 फीसदी तय किया है, जिसके अंतर्गत बॉलीवुड सिनेमा और रीजनल सिनेमा का समावेश होगा.
जीएसटी को लेकर फिल्मों के शौकीन भी परेशान हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद मूवी देखने में उनकी जेब कितनी कटेगी. जहां बॉलीवुड फिल्में बनाने में लागत बढ़ने की बात से परेशान है, वहीं बॉलीवुड फैन्स को टेंशन है कि फेवरेट एक्टर की फिल्म देखने के लिए उनको ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी.
जीएसटी के तहत दर्शकों को 100 रुपए या उससे कम की टिकिट पर 18 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ेगा, वहीं 100 रूपए से अधिक की टिकिट पर 28 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ेगा.
ऐसे में डिस्ट्रिब्यूटर्स का मानना है कि सिंगल थियेटर पर जीएसटी का असर मल्टीप्लेक्स के मुकाबले कम होगा. दरअसल, 100 रुपये का टिकट रेट फिलहाल सिंगल स्क्रीन पर मिल सकता है. ऐसे में अगर यहां की टिकट के दाम जीएसटी लगने के बाद कम रहते हैं तो सिंगल स्क्रीन सिनेमा पर फिल्म देखने वालों की भीड़ लौट सकती है.
जैसा कि आप जानते हैं अब तक फिल्मों पर मनोरंजन कर निर्धारित करना राज्यों के हाथों में था, जिसके तहत अलग-अलग राज्यों में टैक्स की दरें अलग-अलग थीं, जहां झारखंड में 110 प्रतिशत, तो उत्तप्रदेश में 60 प्रतिशत टैक्स लिया जाता था.
इसके अलावा आंध्र प्रदेश में मनोरंजन कर 20 प्रतिशत ही देना पड़ता था. इस हिसाब से देखा जाए, तो कुछ राज्यों में टिकिट दरें सस्ती, तो कुछ में महंगी हो सकती हैं. उत्तर प्रदेश में 60 प्रतिशत दर लगाई गई थी, वहां टिकिट दरों पर जीएसटी का फायदा लोगों को होगा.
कयास लगाए जा रहे हैं कि जीएसटी का असर बॉलीवुड से ज्यादा क्षेत्रीय फिल्मों पर पड़ेगा. दरअसल इन फिल्मों पर एंटरटेनमेंट टैक्स कम लगता है. कन्नड़ फिल्मों पर तो एंटरटेनमेंट टैक्स लगाया ही नहीं जाता है. लेकिन अब इन पर जीएसटी लगने से टिकट के दाम बढ़ जाएंगे जिनके चलते कम दर्शक इन फिल्मों को देखने सिनेमा हॉल पहुंचेंगे.
इस बिल को लेकर भले ही सरकार खुश हो, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के कुछ कलाकारों ने इसका विरोध किया है. इसमें कमल हसन और आर, माधवन का नाम सबसे ऊपर हैं. इन अभिनेताओं का मानना है कि 28 प्रतिशत के दर से अगर रीजनल सिनेमा पर टैक्स लगेगा, तो लोग आगे चलकर ऐसी फिल्में नहीं बनाएंगे.
एक इवेंट में एक्टर कमल हासन ने इस बारे में सरकार पर भी उंगली उठाई थी. उनका कहना था- इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर रीजनल सिनेमा ही अवॉर्ड जीतकर लाता है. ऐसे में सरकार ने इन फिल्मों को बॉलीवुड की हाई बजट फिल्मों के साथ हाई रेट टैक्स स्लैब में रखकर सही नहीं किया है.
इसके पीछे उन्होंने तर्क देते हुए उन्होंने बताया कि रीजनल सिनेमा के लिए प्रत्येक राज्य मनोरंजन कर में छूट देता है, जिसमें महाराष्ट्र में बॉलीवुड फिल्मों पर 45 प्रतिशत, तो मराठी फिल्मों में मात्र 7 प्रतिशत टैक्स लगता था. अब जीएसटी के मुताबिक इन फिल्मों पर मनिरंजन कर बढ़ जाएगा.
आपको बताते चलें कि फिल्में बनाने में भले ही भारत सबसे आगे है. लेकिन यहां फिल्म इंडस्ट्री के हालात अच्छे नहीं हैं. जिस तरह का बजट है, उस तरीके से फिल्में कमाई नहीं कर रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है पायरेसी.
दंगल हो या बाहुबली-2, तमाम फिल्में रिलीज के साथ ही इंटरनेट पर आ जाती हैं. इससे फिल्मों की कमाई को खासा नुकसान पहुंचता है. ऐसे में अगर जीएसटी से बढ़े रेट दर्शकों की ज्यादा जेब काटने लगे तो पायरेसी की डिमांड और होगी. इसके लिए इंडस्ट्री के साथ ही सरकार को भी अभी से अलर्ट होने की जरुरत है.
अब देखना ये है कि सरकार का ये फैसला फिल्म इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद साबित होता है या नहीं.
जब से जीएसटी (GST) लागू करने का निर्णय लिया गया है तभी से लोगों के मन में एक सवाल रह-रह कर उठ रहा है, क्या है जीएसटी? शायद आप भी इसी सवाल को लेकर परेशान रहती हैं. इस सवाल के पीछे पूरा देश है, कुछ अर्थशास्त्रियों को छोड़ दें तो इस सवाल से सभी परेशान हैं. जीएसटी की टैक्स प्रक्रिया को सभी समझना चाह रहे हैं कि, आखिर एक देश में एक टैक्स सिस्टम कैसे काम करेगा.
जीएसटी को लेकर एक बहुत ही रोचक वीडियो आया है जिसे ‘ग्रेट इंडियन पॉलिटिक्स’ नामक यू-ट्यूब चैनल ने अपलोड किया है. इस वीडियो में जानी जानी-मानी अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने बेहद आसान शब्दों में जीएसटी के बारे में बताया है.
अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने इतने आसान शब्दों में जीएसटी की व्याख्या की है कि उसे एक छोटा बच्चा भी समझ जाए. अब आपने भी ऊपर वीडियो देख लिया होगा और समझ गए होंगे कि जीएसटी क्या है और इससे देश की कर प्रणाली में कैसे बदलाव आएगा.
फिर भी अगर आप जीएसटी से जुड़े तथ्यों और टैक्स सिस्टम को बारीकी से समझना चाहते हैं तो देखें ये वीडियो.
पहले सोनी और फिर कलर्स चैनल पर आनेवाला लोकप्रिय शो बिग बॉस लगातार 10 सालों से टीवी पर धमाल मचाता आ रहा है. इस शो के 11वें सीजन की शुरुआत में अभी कुछ समय बाकी है और इसके कंटेस्टेंट्स पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
लेकिन इसी बीच खबर आ रही है कि पिछले सात सीजन से यह शो होस्ट कर रहे बॉलीवुड के दबंग सलमान खान ने इस शो को अलविदा कह दिया है.
एक फिल्मी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन ‘बिग बॉस’ के होस्ट सलमान नहीं बल्कि अक्षय कुमार होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि सलमान बहुत दिनों से ‘बिग बॉस’ छोड़ना चाहते थे. हर साल वह इस बात के संकेत भी दे देते थें. लेकिन शो के प्रोमोटर्स हर बार उन्हें मना लेते थे.
सलमान के ‘बिग बॉस’ छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह बतायी जा रही है कि उनकी प्राथमिकताओं की सूची में कई फिल्में और एंडोर्समेंट्स होते हैं और ‘बिग बॉस’ की वजह से उनका बहुत समय जाया चला जाता है.
ऐसे में सलमान ने इस साल ‘बिग बॉस’ छोड़ने का फैसला किया है. शो के प्रोमोटर्स अक्षय कुमार में सलमान खान का बेहतर विकल्प तलाश कर रहे हैं. और जहां तक खबरें आ रही हैं, अक्षय कुमार के साथ ‘बिग बॉस’ की बात बन गयी है.
अब इस खबर का सच बताते हैं हम. यह महज अफवाह है. ऐसा कुछ भी नहीं है. कलर्स ने इन तमाम खबरों का खंडन किया है. सूत्रों की मानें तो कलर्स के पीआरओ ने बताया कि इन सभी अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है और बिग बॉस-11 के होस्ट सलमान ही रहेंगे.
अगर आप कहीं घुमने की तैयारी कर रही हैं और साथ ही बोटिंग की शौकीन हैं तो आपको इन जगहों पर जरूर जाना चाहिए. आप यहां बोटिंग का मजा लेने के साथ साथ प्रकृति के करीब भी आ सकती हैं.
एलेप्पी व कुमारकोम झील, केरला
वैसे अगर बोटिंग की बात करें तो सबसे पहले दिमाग में केरला आता है. यहां एलेप्पी व कुमारकोम झील बोटिंग के लिए सबसे अच्छी जगह हैं. केरला में हाउस बोट काफी मशहूर हैं. अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालकर यहां सुकून के पल बिताना काफी शानदार रहेगा. आस-पास पानी और चारों तरफ शांति, क्या खूबसूरत वो पल होगा इसकी आप कल्पना कर सकते हैं. एसी और नॉन-एसी दोनों तरह के बोट यहां उपलब्ध हैं.
नैनी झील, नैनीताल
नैनीताल स्थित नैनी झील इस शहर के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. इस झील के नाम पर ही इस शहर का नाम नैनीताल पड़ा है. यह झील पहाड़ों के बीचों-बीच है. यह जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आकर आपका वापस जाने का मन नहीं करेगा. इस झील में बोटिंग करना आपको काफी पसंद आएगा.
डल झील, श्रीनगर
कश्मीर की बेहद खूबसूरत वादियों के बीच श्रीनगर की डल झील का जिक्र करना कैसे भूल सकते हैं. यह भारत के मशहूर झीलों में शुमार है और इसकी खूबसूरत व खामोशी का तो हर कोई कायल है. इसीलिए यह बोटिंग के लिए भी बहुत मशहूर जगह है. यहां आकर आपको काफी सुकून मिलेगा और बोटिंग के साथ खूबसूरत वादियों को निहारने का अपना एक अलग ही मजा है.
दमदमा झील, हरियाणा
अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहती हैं तो आपके लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है. यह हरियाणा के गुड़गांव जिले में अरावली की पहाडि़यों के बीच स्थित है और चारों तरफ हरियाली भी है. एडवेंचर पसंद करने वालों को यहां जरूर मजा आएगा. आप यहां रो बोट, पैडल बोट और मोटर बोट इत्यादि से बोटिंग का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां जाने का सबसे अच्छा मौसम विंटर है, क्योंकि गर्मियों में अक्सर दमदमा झील सूख जाती है.
पिछोला झील, उदयपुर
राजस्थान के उदयपुर शहर का यह झील ऐतिहासिक है. यहां पिछोली गांव के निकट इस झील का निर्माण राणा लाखा के काल (14वीं शताब्दी के अंत) में किसी बनजारे ने करवाया था. महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इस शहर की खोज के बाद इस झील का विस्तार कराया था.
झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं. एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर. आप यहां आसानी से बोटिंग का मजा ले सकते हैं. यहां सोलर पावर्ड मोटर बोट उपलब्ध हैं, ऐसे में आप इको-फ्रेंडली तरीके से बोटिंग कर सकती हैं.
सलाद बनाना बेहद आसान और काफी प्रसिद्ध है. रसियन सलाद भारत में बहुत प्रसिद्ध है. रसियन सलाद को ऑलीवर सलाद भी कहते हैं. इस सलाद को मेयोनीज ड्रेसिंग में बनाया जाता है. हम जैसे शाकाहारी लोगों के लिए यह रसियन सलाद का शाकाहारी रूप है. अगर आप चाहें तो इस सलाद को बनाने के लिए बाजार में मिलने वाली मेयोनीज सौस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
सामग्री
खीरा- 1 मध्यम
उबले आलू- 2 मध्यम
गाजर- 2 मध्यम
स्वीट कॉर्न- 1/3 कप
मेयोनीज सौस- ½ कप
नमक- ½ छोटा चम्मच
काली मिर्च स्वादानुसार
नींबू का रस- 1 छोटा चम्मच
शक्कर- ½ छोटा चम्मच (वैकल्पिक)
विधि
खीरे का छिलका हटा कर उसे अच्छे से धो लें. अब खीरे को लगभग आधा इंच के टुकड़ों में काट लें. आलू का छिलका हटा कर उसे भी लगभग आधा इंच के टुकड़ों में काट लें. गाजर को छीलकर धो लें और आधा इंच के टुकड़ों में काट लें. स्वीट कॉर्न को धोकर साफ कर लें.
एक कप पानी में दो चुटकी नमक डालकर उबालें. अब इसमें कटी गाजर और स्वीट कॉर्न डालें और दो मिनट के लिए उबालें. छलनी में डालकर पानी हटा दें और गाजर और स्वीट कॉर्न को अलग रखें.
एक बड़े कटोरे में सभी सब्जियां लें. अब इसमें ठंडी मेयोनीज सौस, नमक, काली मिर्च, नींबू का रस डालें, और अगर आप डालना चाहते हैं तो शक्कर डालें और सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं.
रसियन सलाद अब तैयार है. आप चाहें तो इस सलाद को क्रिस्प ब्रेड के साथ सर्व कर सकती हैं, या फिर मेन कोर्स के साथ सर्व करिए.
अपने बालों की देखभाल के लिए आप हजारों रुपये खर्च करती होंगी और घंटों पार्लर में समय बर्बाद करती होंगे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप जिस कंघी का इस्तेमाल करती हैं वह आपके बालों पर क्या असर करता है.
बालों को सवारने के लिए कई तरह की कंघी या ब्रश बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन आपने कभी यह सोचा कि आपके बालों के लिए क्या फायदेमंद रहेगा? आज हम आपको ऐसी ही एक बारीकी के बारे में बताएंगे.
आपको शायद ही पता हो कि बालों को संवारने के लिए लकड़ी की कंघी का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकती है. लकड़ी की कंघी से आप अपने बालों की बढ़िया देखभाल कर सकती हैं. आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में.
बालों की ग्रोथ
चूंकि लकड़ी एक नेचुरल पदार्थ है इसलिए इसके इस्तेमाल से बालों की भी अच्छी ग्रोथ होती है. इसके अलावा बोलों की मजबूती के लिए भी यह एक बढ़िया उपाय है. वहीं एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि इसके इस्तेमाल से बाल डैमेज भी नहीं होते. गीले बालों में लकड़ी की कंघी घुमाने से भी बाल किसी साधारण कंघी के इस्तेमाल के मुकाबले कम टूटते हैं.
स्कैल्प के लिए फायदेमंद
लकड़ी एक प्राकृतिक पदार्थ है और इसका इस्तेमाल बालों को संवारने के लिए काफी पहले से होता रहा है. इसका इस्तेमाल आपके स्कैल्प को स्वस्थ बनाता है. इसे प्रयोग करने से स्कैल्प पर गर्मी बनती है जो सिर की ब्लड सर्क्युलेशन को बढ़ाता है. स्कैल्प स्वस्थ होने से बाल भी अच्छे बनते हैं.
डैंड्रफ से दिलाए छुटकारा
डैंड्रफ होने की वजह बाल नहीं बल्कि खराब स्कैल्प होता है. ऐसे में आप लकड़ी की कंघी के इस्तेमाल से स्कैल्प को स्वस्थ बना सकती हैं और डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा पा सकती हैं.
कुछ लोगों को नींद में खर्राटे लेने की आदत होती है, तो वहीं कुछ लोगों को नींद में बड़बड़ाने की आदत होती है. ऐसे लोग नींद में खर्राटे लेकर या फिर बड़बड़ाकर चैन की नींद सोते हैं लेकिन इनके आसपास के लोगों की नींद हराम हो जाती है.
हालांकि नींद में बड़बड़ाने की आदत के कई कारण हो सकते हैं लेकिन इससे छुटकारा पाने के लिए लोगों को डॉक्टर के पास जाना पड़ता है, क्योंकि उनके सामने इसके सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं नजर आता है.
यहां हम आपको बता दें कि आप कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करके भी, इस समस्या से निजात पा सकती हैं. तो चलिए हम आपको बताते हैं वो 5 आसान घरेलू नुस्खे जिनकी मदद से आप नींद में बड़बड़ाने की आदत से छुटकारा पा सकती हैं.
1. आराम करें और भरपूर नींद लें
कई बार थकान की वजह से लोग नींद में बड़बड़ाने लगते हैं. इसलिए इससे बचने के लिए आराम करना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही आपको भरपूर नींद लेनी चाहिए और अगर आपको ऐसी कोई बीमारी है तो दिन में समय मिलते ही कम से कम आधे घंटे की नींद लेने की आदत डालनी चाहिए.
2. शराब की आदत को कहें अलविदा
शराब पीने की आदत से भी नींद में बड़बड़ाने की समस्या हो सकती है इसलिए अगर आप शराब पीने की आदी हैं तो फिर आपको इस आदत से छुटकारा पाना होगा. अगर आप अपनी इस आदत को एकदम से नहीं छोड़ पा रही हैं तो धीरे-धीरे इसका सेवन कम कर दें.
3. तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें
कई बार तनाव की वजह से भी लोग नींद में बड़बड़ाने लगते हैं. इसलिए अगर आप अपनी इस समस्या से छुटकारा पाना चाहती हैं तो आपको तनाव मुक्त रहने की कोशिश करनी चाहिए. अपने ऑफिस की टेंशन को ऑफिस में ही छोड़ आएं और घर पर मेडिटेशन या योगा का सहारा लें इसके अलावा ऐसा काम करें जिससे आपको खुशी महसूस होती है.
4. रात में चाय-कॉफी ना पिएं
नींद में बोलने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आपको रात में कैफीन वाली चीजें जैसे चाय या कॉफी का सेवन करने से बचना चाहिए. रात के वक्त चाय या कॉफी पीने से नींद में बाधा आती है और थकान महसूस होती है.
5. डॉक्टर की सलाह जरूर लें
तमाम कोशिशों और उपायों को आजमान के बाद भी अगर आपको इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है तो फिर आपको डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए. डॉक्टरी सलाह से भी आप अपनी इस समस्या को काफी हद तक दूर कर सकती हैं.
ये घरेलू नुस्खे एकदम तेजी से दवा की तरह असर नहीं दिखाते बल्कि इनका असर धीरे-धीरे दिखाई देता है. इसलिए अगर आपको जल्दी ही इस समस्या से छुटकारा पाना है तो फिर इन घरेलू उपायों के साथ डॉक्टर की राय लेना ना भूलें.
मैं 20 वर्षीया और अनाथ हूं. 3 सालों से अपने 42 वर्षीय प्रेमी के घर में रह रही हूं. चूंकि मेरे कई लोगों से प्रेम संबंध हैं, इसलिए वह मुझ से विवाह नहीं करना चाहता. मैं स्वयं को काफी असुरक्षित महसूस कर रही हूं. कृपया मार्गदर्शन करें?
जवाब
यदि आप का प्रेमी गंभीर है और आप से शादी न करने के पीछे आप का अन्य लोगों से संबंध ही वजह है तो आप को उन लोगों से किनारा कर लेना चाहिए. यदि वह बिना विवाह किए आप को यों ही इस्तेमाल करना चाहता है तो अच्छा होगा कि आप अपने लिए कोई ऐसा व्यक्ति तलाश लें जो आप से शादी करने को राजी हो. उस स्थिति में भी आप को भटकाव का यह रास्ता जो किसी भी नजरिए से आप के हित में नहीं है, छोड़ना होगा.
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बुढ़ापे का इश्क : चंपा ने पूरी की मदन की हर इच्छा
संजय वर्मा का परिवार दिल्ली के हुमायूंपुर में रहता था, लेकिन उस के पिता मदनमोहन वर्मा रिटायरमेंट के बाद उत्तरपूर्वी दिल्ली के भजनपुरा में अकेले ही रहते थे. पिता और पुत्र अपनीअपनी दुनिया में मस्त थे.
22 जुलाई, 2017 की सुबह भजनपुरा में मदनमोहन के पड़ोस में रहने वाले विजय ने संजय वर्मा को फोन कर के बताया, ‘‘आप के पिता के कमरे का कल सुबह से ताला बंद है. उन के कमरे से तेज बदबू आ रही है.’’
विजय की बात सुन कर संजय वर्मा को पिता की चिंता हुई. उन्होंने उसी समय पिता का नंबर मिलाया, तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला. फोन बंद मिलने पर उन की चिंता और बढ़ गई. इस के बाद वह भजनपुरा के सी ब्लौक स्थित अपने पिता के तीसरी मंजिल स्थित कमरे पर पहुंच गए.
संजय को भी पिता के कमरे से तेज दुर्गंध आती महसूस हुई. उस के मन में तरहतरह की आशंकाएं आने लगीं. कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई, यह सोच कर उस ने अपने मोबाइल फोन से दिल्ली पुलिस के कंट्रोलरूम को फोन कर के पिता के बंद कमरे से आ रही बदबू की सूचना दे दी. यह क्षेत्र थाना भजनपुरा के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोलरूम से यह सूचना थाना भजनपुरा को प्रेषित कर दी गई.
सूचना पा कर एएसआई हरकेश कुमार हैडकांस्टेबल सतेंदर कुमार को अपने साथ ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. जैसे ही वह भजनपुरा के सी ब्लौक स्थित मकान नंबर 412 की तीसरी मंजिल पर पहुंचे, वहां बालकनी पर कुछ लोगों की भीड़ लगी दिखाई दी. उन्हीं के बीच संजय परेशान हालत में मिला.
एएसआई हरकेश कुमार को अपना परिचय देते हुए संजय ने बताया, ‘‘सर, मैं ने ही पीसीआर को फोन किया था.’’
जिस कमरे से बदबू आ रही थी, उस के बाहर ताला लगा था. इस से उन्होंने सहज ही अनुमान लगा लिया कि जरूर कोई अप्रिय घटना घटी है. इसलिए उन्होंने इस की जानकारी थानाप्रभारी अरुण कुमार को दे दी.
कुछ ही देर में थानाप्रभारी अन्य स्टाफ के साथ वहां आ पहुंचे. कमरे के बाहर लटके ताले की चाबी संजय के पास नहीं थी, इसलिए पुलिस ने ताला तोड़ दिया. दरवाजा खुलते ही दुर्गंध का झोंका आया. पुलिस कमरे में दाखिल हुई तो पूरब दिशा की ओर की दीवार से सटे दीवान के अंदर एक अधेड़ आदमी की सड़ीगली लाश एक कार्टून में बंद मिली.
लाश देख कर संजय रोने लगा, क्योंकि वह लाश उस के पिता मदनमोहन वर्मा की थी. अरुण कुमार ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी बुला लिया. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम का काम निपट गया तो पुलिस लाश का निरीक्षण करने लगी. मृतक के सिर के पीछे चोट का गहरा निशान था.
दीवान के बौक्स में और उस के नीचे कमरे के फर्श पर खून फैला था, जो सूख चुका था. इस से अनुमान लगाया कि यह हत्या 2-3 दिन पहले की गई थी. कमरे में मौजूद सारा सामान अपनी जगह मौजूद था. इस से इस बात की पुष्टि हो गई कि हत्यारे का मकसद लूटपाट नहीं था.
हत्या क्यों की गई, यह जांच के बाद ही पता चल सकता था. पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया. इस के बाद थाने आ कर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस मामले की जांच अतिरिक्त थानाप्रभारी राजीव रंजन को सौंपी.
इंसपेक्टर राजीव रंजन ने इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए संभावित सुराग की तलाश में दोबारा घटनास्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने मृतक के बेटे संजय वर्मा और वहां रहने वाले पड़ोसियों से काफी देर तक पूछताछ की. पड़ोसी विजय ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार मदनमोहन वर्मा को 20 जुलाई की रात साढ़े 10 बजे कमरे के बाहर देखा था.
संजय ने उन्हें बताया था कि उस के पिता शुरू से ही अलग मिजाज के व्यक्ति थे. घर के लोगों में वह ज्यादा रुचि नहीं लेते थे. रिटायरमेंट के बाद बेटे और बहुओं के होते हुए भी वह यहां भजनपुरा में अलग रहते थे. उन की देखभाल करने नौकरानी चंपा आती थी. वह घर की साफसफाई, खाना बनाने के साथ उन के कपड़े भी धोती थी.
नौकरानी चंपा का जिक्र आते ही इंसपेक्टर राजीव रंजन उस में रुचि लेने लगे. उन्होंने विजय को थाने में बुला कर पुन: पूछताछ की. उन्होंने नौकरानी के स्वभाव और उस के मदनमोहन के यहां आने और घर जाने के समय के बारे में पूछा. विजय ने बताया कि चंपा मदनमोहन वर्मा के काफी करीब थी. जिस दिन से उन के दरवाजे के बाहर ताला लगा था, पिछली रात को नौकरानी चंपा के जवान बेटे प्रेमनाथ को एक अन्य लड़के के साथ मकान के नीचे टहलते देखा था.
इंसपेक्टर राजीव रंजन विजय से चंपा का पता हासिल कर वह करावलनगर स्थित उस के घर पहुंच गए. चंपा और उस का पति कल्लन घर पर ही मिल गए.
इंसपेक्टर राजीव रंजन ने चंपा से पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘कल सुबह मदनमोहन वर्मा के यहां काम करने गई थी, लेकिन कमरे का दरवाजा बंद होने के कारण लौट आई थी.’’
उस वक्त चंपा का बेटा प्रेमनाथ घर पर मौजूद नहीं था. राजीव रंजन चंपा से उस के बेटे का मोबाइल नंबर ले कर थाने आ गए.
अगले दिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि मदनमोहन का पहले गला घोंटा गया था, उस के बाद में सिर पर घातक चोट पहुंचाई गई थी. इस से इंसपेक्टर राजीव रंजन सोचने लगे कि ऐसी क्रूर हरकत तो कोई दुश्मन ही कर सकता है. यह दुश्मन कौन हो सकता है?
जांच में पुलिस को पता चला था कि सरकारी नौकरी के रिटायर होने के बाद का सारा पैसा मदनमोहन के बैंक एकाउंट में जमा था. वह किसी से पैसा न तो उधार लेते थे और न ही किसी को देते थे. और तो और, बेटों को भी उन्होंने उस में से कोई रकम नहीं दी थी.
राजीव रंजन ने चंपा के बेटे प्रेमनाथ का नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. इस से उन्हें उस पर शक हुआ. उस का नंबर सर्विलांस पर लगाने और काल डिटेल्स रिपोर्ट निकलवाने पर पता चला कि घटना वाली रात उस के फोन की लोकेशन उसी इलाके की थी, जहां मदनमोहन वर्मा रहते थे.
फिलहाल उस की लोकेशन उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर की थी. प्रेमनाथ के बारे में गुप्तरूप से पता किया गया तो जानकारी मिली कि वह नशेड़ी होने के साथसाथ एक बार जेल भी जा चुका था. भजनपुरा थाने की एक पुलिस टीम प्रेमनाथ की तलाश में मथुरा भेजी गई. पुलिस टीम मथुरा पहुंची तो खबर मिली कि प्रेमनाथ दिल्ली चला गया है. पुलिस ने 24 जुलाई को मुखबिर की सूचना पर प्रेमनाथ को करावलनगर, दिल्ली के कजरी चौक से हिरासत में ले लिया.
थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपने एक दोस्त के साथ मिल कर मदनमोहन वर्मा की हत्या की थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, वह इस प्रकार थी—
मदनमोहन वर्मा सपरिवार दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव के पास हुमायूंपुर में रहते थे. उन का भरापूरा परिवार था. उन के परिवार में पत्नी यशोधरा के अलावा 3 बेटे और एक बेटी थी. बड़ा बेटा संजय वर्मा है, जो दिल्ली की एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता है.
मदनमोहन वर्मा मिंटो रोड स्थित गवर्नमेंट प्रैस में नौकरी करते थे. अच्छे पद पर होने की वजह से उन के घर की आर्थिक स्थिति ठीकठाक थी. घर में सब कुछ होने के बावजूद वह परिवार के सदस्यों में कम रुचि लेते थे. पत्नी यशोधरा से भी उन का रिश्ता बहुत अच्छा नहीं था. दांपत्य जीवन में पति की बेरुखी यशोधरा को हमेशा परेशान करती रही.
वह चाहती थीं कि पति घरपरिवार की जरूरतों को समझें. बेटों के सुखदुख के मौके पर उन का साथ दें. पर उन की यह ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो सकी. आखिरकार पति की बेजा हरकतों और दांपत्य जीवन की कड़वाहट से तंग आ कर 4 साल पहले उन्होंने अपने कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली.
उन की मौत के बाद मदनमोहन वर्मा ने घरेलू कामकाज के लिए नौकरानी चंपा को 9 हजार रुपए वेतन पर रख लिया. गोरे रंग और भरे बदन की चंपा की उम्र करीब 35 साल थी. वह सुबह 9 बजे उन के घर आती और सारा काम निपटा कर शाम को अपने घर चली जाती.
चंपा के काम से घर के सारे सदस्य संतुष्ट थे. कभीकभार चंपा को रुपएपैसों की जरूरत होती तो मनमोहन उस की मदद कर देते थे. बाद में वह चंपा पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गए. वह उस से कुछ ज्यादा ही हमदर्दी जताने लगे. चंपा भी अपने मालिक के दयालु स्वभाव से खुश थी.
जिस दिन मदनमोहन औफिस से जल्दी घर आ जाते या उन की छुट्टी होती तो चंपा बहुत खुश रहती. वह पूरे दिन उन के आसपास ही मंडराती रहती. घर के सदस्यों को चंपा की ये हरकतें नागवार गुजरने लगीं. संजय ने चंपा से साफ कह दिया कि वह पापा के कमरे में ज्यादा न जाया करे.
चंपा को नौकरी करनी थी, इसलिए उस ने संजय की बात मानते हुए उन के कमरे में आनाजाना कम कर दिया. मदनमोहन को इस बात का पता नहीं था कि चंपा को उन के कमरे में आने के लिए रोक दिया गया है.
जब मदनमोहन को महसूस हुआ कि चंपा उन से दूर रहने लगी है तो एक दिन उन्होंने उस से पूछ लिया. तब चंपा ने बताया, ‘‘आप के बेटे और बहुओं की नाराजगी की वजह से मैं ने यह दूरी बनाई है.’’
चंपा की बात सुन कर मदनमोहन वर्मा को अपने परिवार वालों पर गुस्सा बहुत आया. वह अपने घर वालों के प्रति और कठोर हो गए. करीब 1 साल पहले जब वह रिटायर हुए तो उन्होंने घर में यह कह कर सब को चौंका दिया कि अब वह उन लोगों से अलग भजनपुरा में अकेले ही रहेंगे.
उन्होंने भजनपुरा में किराए पर कमरा ले भी लिया. रिटायरमेंट के बाद उन्हें करीब 20 लाख रुपए मिले थे. इस में से उन्होंने अपने बेटों को कुछ भी नहीं दिया, जबकि तीनों बेटों और बहुओं को उम्मीद थी कि ससुर के रिटायरमेंट के बाद जो पैसे मिलेंगे, उस में से कुछ उन्हें भी मिलेंगे.
मदनमोहन का तुगलकी फैसला सुन कर बेटों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, पर उन के दिमाग में तो कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. दरअसल, उन के दिमाग में चंपा का यौवन मचल रहा था. अब वह अपनी बाकी की जिंदगी चंपा के साथ गुजारना चाहते थे. चंपा की खातिर उन्होंने खून के सभी रिश्तेनातों को दूर कर दिया.
इस उम्र में मदनमोहन के इस फैसले से उन के बेटों की कितनी बदनामी होगी, इस बात की भी उन्हें परवाह नहीं थी. उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी और बेटों का साथ छोड़ कर भजनपुरा के सी-ब्लौक में कमरा ले कर अकेले रहने लगे.
चंपा भजनपुरा के पास स्थित करावलनगर में रहती थी. उस के परिवार में पति कल्लन के अलावा बेटे भी थे. मूलरूप से मथुरा का रहने वाला कल्लन कामचोर प्रवृत्ति का था. हरामखोर कल्लन बीवी की कमाई पर ऐश कर रहा था. जब कभी उसे पैसों की जरूरत होती, वह चंपा को ही मालिक से कर्ज मांगने के लिए उकसाता था.
अब चंपा रोज सुबह मदनमोहन के भजनपुरा स्थित कमरे पर आती और सारा दिन वहां का काम निपटा कर शाम को घर जाती थी. कुछ दिनों तक तो ऐसे ही चला, पर जब वह रात में भी वह मदनमोहन के कमरे में रुकने लगी तो आसपड़ोस के लोगों के बीच उन के रिश्तों को ले कर तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं.
कुछ लोगों ने उस के पति कल्लन को भी उस की हरकतों की जानकारी दी, पर कल्लन को तो पहले से ही सब कुछ पता था. इसलिए उस ने लोगों की बातों को अनसुना कर दिया. इस तरह चंपा और मदनमोहन मौजमस्ती करते रहे.
धीरेधीरे चंपा के पड़ोसियों को भी पता चल गया कि चंपा ने किसी बुड्ढे को फांस लिया है. इस के बाद चंपा और मदनमोहन की चर्चा चंपा के मोहल्ले में होने लगी. चंपा का बेटा प्रेमनाथ 21 साल का हो चुका था. वह अब कोई बच्चा नहीं था, जो मोहल्ले के लोगों की बातों को न समझता.
कोईकोई तो उसे यह तक कह देता कि तेरे 2-2 बाप हैं. प्रेमनाथ कुछ करताधरता नहीं था. साथियों के साथ गांजा और कई अन्य नशे करता था. वह अपनी मां के मदनमोहन वर्मा की रखैल होने के ताने सुनसुन कर परेशान रहने लगा था. धीरेधीरे बात बरदाश्त से बाहर होती जा रही थी.
एक दिन तो एक दोस्त ने उस पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘अरे तुझे कामधंधे की क्या चिंता है, तेरे तो 2-2 बाप हैं. तुझे भला किस बात की कमी है?’’
दोस्त की यह बात प्रेमनाथ के कलेजे में नश्तर की तरह चुभी. जवानी का खून उबाल मारने लगा. उस ने अपने एक नाबालिग दोस्त सुमित (बदला हुआ नाम) को अपना सारा दर्द बताते हुए कहा, ‘‘सारे फसाद की जड़ बुड्ढा मदनमोहन वर्मा है. उसी के कारण लोग मुझे ताना देते हैं. अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं आज ही उसे ठिकाने लगा दूं.
इस उम्र की दोस्ती बड़ी खतरनाक होती है. दोस्त का दुख अपना दुख होता है. प्रेमनाथ की बात सुन कर सुमित उस का साथ देने को तैयार हो गया. 20 जुलाई, 2017 की रात दोनों दोस्त पूर्व नियोजित योजना के अनुसार, मदनमोहन के घर के आसपास तब तक चक्कर लगाते रहे जब तक कि वहां लोगों की लाइटें बंद नहीं हो गईं.
सड़क से मदनमोहन का कमरा साफ दिखाई देता था. जब मदनमोहन के पड़ोसी कमरा बंद कर के सोने चले गए तो दोनों नशा कर के सीढि़यों से तीसरी मंजिल स्थित मदनमोहन के कमरे के सामने पहुंच गए. उस रात अत्याधिक गरमी होने के कारण मदनमोहन ने कमरे का दरवाजा खोल दिया था. वह सोने की तैयारी में थे.
वह प्रेमनाथ को जानते थे, क्योंकि 2-3 बार वह मां के साथ उन के कमरे पर आ चुका था. इतनी रात को प्रेमनाथ को अपने कमरे के बाहर देख कर मदनमोहन कांप उठे. हिम्मत जुटा कर उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए को कहा. लेकिन प्रेमनाथ और सुमित ने 61 साल के मदनमोहन वर्मा को संभलने का मौका दिए बगैर साथ लाया अंगौछा उस की गरदन में लपेट कर दोनों ने पूरी ताकत से कस दिया.
मदनमोहन ने बचने के लिए हाथपांव मारे, लेकिन उन की कोशिश नाकाम रही. कुछ ही देर में उन की मौत हो गई. वह जीवित न बच जाएं, इसलिए प्रेमनाथ ने वहां पड़ा डंडा उठा कर उन के सिर पर मारा, जिस से सिर से खून बहने लगा.
इतना करने के बाद उन्होंने लाश को कमरे में रखे एक कार्टून में बंद कर के उसे दीवान के बौक्स में रख दिया और बाहर आ गए. प्रेमनाथ ने दरवाजे में ताला लगाया और नीचे उतर कर दोनों फरार हो गए.
अतिरिक्त थानाप्रभारी राजीव रंजन ने पूछताछ के बाद प्रेमनाथ को 25 जुलाई को अदालत में पेश कर एक दिन के रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में उस से वह अंगौछा भी बरामद कर लिया गया, जिस से मदनमोहन वर्मा का गला घोंटा गया था. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अगले दिन पुलिस ने उस के साथी सुमित को भी गिरफ्तार कर उसे बाल न्यायालय में पेश कर उसे बाल सुधार गृह भेज दिया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
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इडियट बॉक्स पर चलने वाले डेली सोप में आपको रोमांस, ड्रामा, सास बहु की नोंक-झोंक के साथ कई बार सुपर एक्शन्स भी देखने मिलते हैं. और ऐसा भी कई बार हुआ है कि ये सारी ऑनस्क्रीन चीजें इन्हें निभाने वाले कलाकारों की रियल लाइफ में भी उतर जाती हैं.
टीवी इंडस्ट्री के ये झगड़े भी तरह-तरह के होते हैं, कभी खुलकर सुर्खियां बन जाते हैं तो कभी इनके बीच चलता है कोल्ड वॉर जो किसी को आसानी से नजर नहीं आता. कैट फाइट भी होती हैं और ऑनस्क्रीन भाई-भाई का किरदार निभा रहे एक्टर्स के बीच भी बढ़ जाती है दुश्मनी. टीवी इंडस्ट्री के कुछ कहे-अनकहे झगड़ों की कहानी.
हिना खान और करण मेहरा
टीवी इंडस्ट्री के सबसे पॉपुलर शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के लीड रहे अक्षरा (हिना खान) और नैतिक (करण मेहरा) के बीच ऑनस्क्रीन तो गजब की केमिस्ट्री थी मगर, रियल लाइफ में दोनों एक दुसरे से बात तक नहीं करते थे. सेट्स पर एक दुसरे को हाय-हेलो तो दूर की बात है.
दीपिका सिंह और अनस रशीद
इनके बीच की लड़ाई ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. एक दुसरे के दिया बाती बने सूरज(अनस) और संध्या(दीपिका) रियल लाइफ में बिल्कुल ओपोजिट थे. इनके बीच मनमुटाव की खबरें तो आम थी मगर, सुर्खियां तब गर्म हुई जब दीपिका ने एक दिन अनस को जोरदार तमाचा मार दिया. दीपिका का कहना था की सूरज उन्हें शॉट के दौरान गलत तरीके से छू रहे थे.
कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर
शो ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ के कॉमेडियन कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर के बीच की कहानी किसी से छुपी नहीं है. कपिल सुनील और अपनी टीम के साथ फ्लाइट में थे और दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हो गई और यह बहस इतनी बढ़ गई कि सुनील ने कपिल के शो को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया.
कुशाल टंडन और करण टैकर
कुशाल टंडन और करण टैकर की जोड़ी ने शो ‘एक हजारों में मेरी बहना है’ से सबका दिल जीत लिया था. लेकिन इन ‘भाईयों’ के बीच भी आई थी गजब की दरार. स्क्रीन शेयर करने के अलावा ये दोनों एक दुसरे से कभी बात नहीं करते थे. मीडिया इंटरव्यूज के दौरान भी दोनों साथ नहीं आते थे और तो और सेट्स पर जो भी करण से बात करता था कुशाल उनसे बात करना बंद कर देते थे.
कृतिका देसाई और अनन्या खारे
ऐसा नहीं है कि इस लिस्ट में सारे यंगस्टर्स हैं, कई सीनियर कलाकार भी इसमें शामिल हैं. जैसे, शो ‘मेरे अंगने में’ में मां-बेटी का किरदार निभाने वाली अनन्या खरे और कृतिका देसाई. आपको बता दें कि इनके बीच भी कैट फाइट हुई है और वो भी फ्री एडवाइस के चलते. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कृतिका ने एक दिन अनन्या को डायलोग डिलीवरी पर एक सलाह दे दी, फिर क्या अनन्या को आ गया गुस्सा और इसके बाद दोनों ने कभी एक दुसरे से बात नहीं की. स्क्रीन शेयर करने के बाद दोनों बिल्कुल अलग-अलग जाकर बैठ जाती थी. और तो और साथ में रिहर्सल भी नहीं करती थीं.