परिवार के साथ काम करने में ही खुशी है : टीना अंबानी

‘देश परदेश’, ‘रौकी’, ‘सौतन’, ‘कर्ज’ आदि दर्जनों फिल्मों में नाम कमाने के बाद अभिनेत्री टीना अंबानी ने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ उद्योगपति अनिल अंबानी से शादी की और 2 बेटों जय अनमोल अंबानी और जय अंशुल अंबानी की मां बनीं. शादी के बाद टीना ने केवल परिवार ही नहीं संभाला, बल्कि कई सामाजिक कार्य भी किए. उन्होंने पहले बुजुर्गों के लिए ‘हारमोनी फौर सिल्वर फाउंडेशन’ संस्था खोली. इस के बाद इसे और अधिक कारगर बनाने के लिए मुंबई में कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी हौस्पिटल का निर्माण किया.

टीना अंबानी की दूसरी पारी काफी महत्त्वपूर्ण है, जिसे ले कर वे बहुत खुश हैं. ‘गृहशोभा’ के लिए उन से मिल कर बात करना दिलचस्प रहा. पेश हैं, कुछ अहम अंश:

बौलीवुड से सामाजिक कार्य और हैल्थ केयर की ओर कैसे आना हुआ?

फिल्में करतेकरते शादी हुई, फिर मैं फिल्में छोड़ अपनी दूसरी पारी की ओर बढ़ी. मैं पहले से ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करती आ रही हूं. यह काम करतेकरते मैं हैल्थ केयर की ओर बढ़ी और फिर हौस्पिटल का निर्माण किया.

हैल्थ केयर के क्षेत्र में कहां आप को अधिक कमी दिखती है?

हैल्थ केयर भारत में बहुत कम है. केवल गरीब वर्ग को दोषी ठहराना ठीक नहीं. गरीबों के पास न पैसा है न जानकारी, इसलिए उन्हें सही डाक्टर नहीं मिलते, मध्यवर्ग के लिए हैल्थ केयर कठिन और महंगा है. उच्चवर्ग के पास पैसे हैं, तो सही स्किल्ड डाक्टरों की कमी है. अगर आप सरकारी अस्पताल में जाना चाहें तो वहां बहुत भीड़ है, सिस्टम सही नहीं है, बीमार लोगों को इलाज के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है, सुविधाएं भी नहीं हैं. जगह की कमी प्रशिक्षित डाक्टरों की कमी आदि पता नहीं कितनी समस्याएं हैं. हमारे हैल्थ केयर सिस्टम में बहुत सारे गैप्स हैं जिन्हें मुझे सरकार के साथ मिल कर भरना है. यह काम आसान नहीं है, काफी चुनौतियां हैं, लेकिन धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा. अधिक से अधिक लोगों को ईमानदारी से इस क्षेत्र में आने की जरूरत है.

परिवार के साथ काम को कैसे संभालती हैं?

परिवार के साथ काम करने में ही खुशी होती है. अब मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं, लेकिन जब कभी उन्हें मेरी जरूरत होती है, मैं या मेरे पति हमेशा उन के साथ रहते हैं. मेरा हौस्पिटल हो या फाउंडेशन, मेरी टीम बहुत अच्छा काम कर रही है. फलस्वरूप आज तक मैं वह सब कर पाई जो मैं करना चाहती थी. मेरे हौस्पिटल में

हर तरह की सुविधा है खासकर बच्चों के लिए कई तरह की चिकित्सा उपलब्ध है. वयस्कों के लिए भी कार्डियोलौजी से जुड़ी तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं.

आप की कामयाबी के पीछे आप के पति का कितना सहयोग है?

उन का बहुत सहयोग है. वे स्पेस और फ्रीडम देते हैं. वे मुझे अपने काम के पैशन को बनाए रखने की सलाह देते हैं. मैं जो भी निर्णय लेती हूं उसे पूरी सपोर्ट करते हैं.

क्या आप अपने ‘स्टारडम’ को मिस करती हैं और क्या भविष्य में फिर से अभिनय करने की उम्मीद है?

जिंदगी में 4 फेज होते हैं- बचपन, जवानी, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था. आप एक फेज में जीते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. मैं हमेशा अगली अवस्था में जाना पसंद करती हूं. पीछे जाना पसंद नहीं करती, क्योंकि उस अवस्था को मैं ने जिया, आनंद लिया और आगे बढ़ गई.

गृहशोभा के पाठकों को क्या मैसेज देना चाहती हैं?

मैं गृहशोभा के सभी पाठकों से आग्रह करती हूं कि वे अपनी हैल्थ को इग्नोर न करें. नियमित चैकअप करवाते रहें. महिलाएं ब्रैस्ट कैंसर से बचने के लिए हर साल मैमोग्राफी करवाएं ताकि समय रहते बीमारी का पता चल जाए व इलाज संभव हो सके.

खूबसूरती के लिए गोरा होना जरुरी नहीं : यामी गौतम

फिल्म ‘विकी डोनर’ से चर्चा में आई अभिनेत्री यामी गौतम विज्ञापनों के जरिये फिल्मों में आईं. हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने पंजाबी, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़ आदि कई भाषाओँ में काम किया है. वैसे तो यामी की कई फिल्में खास सफल नहीं रही, लेकिन ‘काबिल’ फिल्म में एक ‘ब्लाइंड गर्ल’ की भूमिका निभाकर उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि वह अच्छा अभिनय कर सकती हैं. शांत और हंसमुख स्वभाव की यामी को अलग-अलग तरह की फिल्मों में काम करना पसंद है. देर से ही सही पर उन्होंने अपनी जगह इंडस्ट्री में बना लिया है. इस समय उनकी फिल्म ‘सरकार 3’ रिलीज पर है. उनसे मिलकर बात करना दिलचस्प था, पेश है अंश.

आपके लिए इस फिल्म से जुड़ना कितना खास था?

मेरे लिए एक बड़ी बात थी. सरकार फिल्म एक फ्रेंचाईज है, बहुत बड़ी और बहुत सारे बड़े-बड़े लोग इससे जुड़े है. इसमें मेरी भूमिका बहुत अलग है, इसलिए इसे मैं मना नहीं कर सकती थी. ये एक ‘ग्रे’ और ‘मिस्ट्री’ भरा किरदार है. मैंने जब निर्देशक रामगोपाल वर्मा से मुझे ‘कास्ट’ किये जाने की बात पूछी तो उन्होंने बहुत सहजता से जवाब दिया था कि ये भूमिका सिर्फ मेरे लिए है, वाकई ऐसा ही था. ये एक फ्रेश भूमिका है.

आपकी इमेज सॉफ्ट है ऐसे में इस तरह की ‘हार्श’ भूमिका निभाना कितना मुश्किल था? कितनी तैयारियां करनी पड़ी?

इस फिल्म में मैंने अनु करकरे की भूमिका निभाई है. शुरू में मैंने निर्देशक से पूछा कि मुझे कैसी तैयारी करनी पड़ेगी, क्योंकि इससे पहले फिल्म ‘काबिल’ के दौरान मैंने काफी मेहनत की थी. उन्होंने कहा कि कुछ भी करने की जरुरत नहीं है. मैं दंग रह गयी. उन्होंने सिर्फ शूटिंग के दिन सेट पर आने को कहा. मेरे हिसाब से जब आपका ‘लुक टेस्ट’ होता है, उसमें ही निर्देशक समझ जाता है कि आर्टिस्ट उस भूमिका के लिए परफेक्ट है या नहीं. मैंने इसमें लड़को के जैसे पोशाक पहने हैं, मेकअप में सिर्फ काजल है. इससे ही बहुत हद तक मैं चरित्र में घुस चुकी थी. मेरे हिसाब से एक अनुभवी निर्देशक अपने कलाकार से जरुरत की एक्टिंग करवा सकता है. इसके अलावा इसकी कहानी और भूमिका बहुत अच्छी तरह से लिखी गयी है.

इतने सारे बड़े कलाकारों के बीच आपकी भूमिका कितनी असरदार होगी, क्या इस बारे में सोचा है?

फिल्म सरकार अमिताभ बच्चन के ऊपर है, लेकिन इसकी खास बात है कि यहां जितने भी किरदार हैं, सब मिलकर पूरी फिल्म का निर्माण कर रहे हैं. सबकी ट्रैक है, सभी को काम करने का मौका मिला है. ऐसे में मुझे भी अभिनय करने का अवसर मिला है. मैं किसी फिल्म में हमेशा अभिनय की लम्बाई से अधिक अपनी भूमिका की पकड़ को देखती हूं. मैं इस फिल्म में काम करने के लिए शुरू से ही उत्साहित हूं.

अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अनुभव कैसा था?

वे हर किसी के साथ अपने आप को जोड़ लेते हैं. उन्होंने काबिल की सफलता पर मुझे बधाई दी थी. इसके बाद जब इस फिल्म में काम करने का मौका मिला, तो खुशी बहुत अधिक थी.

फिल्म की कठिन भाग कौन सी थी?

वह मजेदार है. मुझे बचपन से पटाखों से डर लगता है. इसमें मुझे बंदूक चलाना था. मुझे लगा कि ये आसान होगा, लेकिन मुझे उसे रियल में इमोशन के साथ चलानी पड़ी. उस डर से निकलना मेरे लिए कठिन था.

फिल्म ‘काबिल’ की कामयाबी का आपको अब कितना फायदा मिल रहा है?

काबिल को केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता ही नहीं मिली, बल्कि मुझे बतौर कलाकार सम्मान भी मिला. जो मुझे दर्शकों ने दिया, मुझे लगा नहीं था कि ये फिल्म सबको इतनी पसंद आयेगी. इस फिल्म से मुझे बहुत अधिक खुशी मिली है.

यामी, आपका करियर ग्राफ धीरे-धीरे ही सही पर एक मुकाम तक पहुंच रहा है, इसे कैसे देखती हैं?

मेरे हिसाब से मैं मुंबई की नहीं हूं. मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक्ट्रेस बनूंगी. मैं एक ‘सेल्फ मेड’ लड़की हूं. ऐसे में जरुरी नहीं कि जो मैं चाहूं वो मुझे मिले. इसलिए उस वक्त मुझे आने वाले ऑफर में से जो सही लगा, उसे मैंने चुना. हालांकि ‘विकी डोनर’ के बाद मेरी दो फिल्में नहीं चली, मैंने उसमें क्या अभिनय किया, ऑफ स्क्रीन मैंने कैसे अपने आप को ग्रूम किया, ये सारी बातें किसी को बता नहीं सकती थी. बहुत प्रेशर रहा है, मीडिया का, दर्शकों का सबको उत्तर देना पड़ता है. मेरा ये अनुभव है कि जब आप ‘फैल्योर’ से न भागकर उसे ‘एक्सेप्ट’ करना सीख जाते हैं तब कुछ मैजिक होता है और वह मैजिक ही काबिल फिल्म है. मेरे लिए सही सोच जरुरी है, उससे मुझमें आत्मविश्वास का सृजन होता है और आप खुद में विकास कर सकते है. धीरे ही सही पर लगातार काम का मिलना मेरे लिए जरुरी है.

फेयरनेस क्रीम को लेकर कई अभियान चल रहा है, कई सेलिब्रिटी ने तो इसे एंडोर्स करने से मना तक कर दिया है, लेकिन आप अभी भी कर रही हैं, आपके हिसाब से क्या लड़कियों को सुंदर दिखने के लिए गोरा होना जरुरी है?

मैं एक सेल्फ मेड लड़की हूं और मेरी सोच सिर्फ मेरी है, किसी और पर मैं इसे थोपना नहीं चाहती. मैं इसकी आलोचना करने के वजाय सोचती हूं कि अब बदलाव का समय आ गया है. उस पर जोर देना चाहती हूं. ये एक उत्पाद है. जिसे आप अपने हिसाब से प्रयोग कर सकती हैं. खूबसूरती के लिए गोरा होना कभी भी जरुरी नहीं.

गर्मियों में अपनी सुन्दरता को कैसे बनाये रखती हैं?

मैं किसी भी मौसम में मेकअप अधिक नहीं लगाती. आजकल नैचुरल मेकअप फिल्मों में भी काफी प्रचलित है. गर्मियों में त्वचा को ठीक रखने के लिए पानी का सेवन अधिक करती हूं. इसके अलावा मैं काजल और लिप ग्लॉस अधिक लगाती हूं, जिसे मैं अपने पर्स में हमेशा रखती हूं.

आगे की फिल्में कौन सी हैं?

कुछ अलग तरह की फिल्में हैं, जिसे मैं पढ़ रही हूं, जो फिर से एक अलग फिल्म होगी.

महिलाएं फिल्में बनाना जानती हैं : माधुरी दीक्षित

80 और 90 के दशक में हिंदी सिनेमाजगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाली अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को आज भी दर्शक फिल्मों में देखना पसंद करते हैं. वे सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि डांसिंग दीवा भी हैं. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में दी हैं, जिन में ‘तेजाब’, ‘रामलखन’, ‘त्रिदेव’, ‘बेटा’, ‘खलनायक’, ‘कोयला’, ‘देवदास’, ‘मृत्युदंड’, ‘डेढ़ इश्किया’, ‘गुलाब गैंग’ आदि प्रमुख हैं. उन्होंने बचपन से कत्थक डांस सीखा है और आज भी कई फिल्मों और डांस रिऐलिटी शोज में परफौर्म करती देखी जाती हैं.

जब माधुरी कैरियर के शिखर पर थीं, तब उन्होंने अमेरिका में रहने वाले डा. श्रीराम माधव नेने से शादी की और वहां चली गईं. फिर 2 बच्चों आरिन और रयान की मां बनीं. करीब 10 साल साधारण गृहिणी की तरह जीवन बिताया. फिर 2011 में माधुरी मुंबई आ गईं. फिल्म ‘आ जा नच ले’ से दूसरी पारी शुरू की, जो अधिक सफल नहीं रही. फिल्मों से अधिक वे विज्ञापनों और रिऐलिटी शोज में देखी जाती हैं.

हंसमुख और नम्र स्वभाव की माधुरी कभी तनाव नहीं लेतीं. फिर से अभिनय के क्षेत्र में आने का श्रेय वे अपने पति को देती हैं, जो हमेशा उन का साथ देते हैं. माधुरी को जब भी समय मिलता है, बच्चों के साथ बिताती हैं. यही वजह है कि आज वे एक सफल अभिनेत्री होने के साथसाथ एक सफल पत्नी और मां भी हैं. उन से हुई बातचीत इस प्रकार है:

आजकल फिल्मों में अधिक न दिखने की क्या वजह है? क्या महिलाओं को आज भी फिल्मों में काम मिलना मुश्किल हो रहा है?

मैं 2 सालों से स्क्रिप्ट पढ़ रही हूं. अभी तक कोई पसंद नहीं आई है. मैं खुश हूं कि आजकल महिलाओं को केंद्र मान कर फिल्में बनाई जा रही हैं. दर्शक भी उन्हें पसंद कर रहे हैं. पहले महिलाओं को केवल ऐक्टिंग और मेकअप के काम में देखा जाता था. आज की महिलाएं फिल्में लिखना और बनाना दोनों काम कर रही हैं, जो अच्छी बात है. आज की महिला कोई विक्टिम नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में आगे है.

परिवार के साथ काम कैसे संभालती हैं?

शादी से पहले जिंदगी अलग थी. तब मैं केवल अपनेआप तक ही सीमित थी. लेकिन जब शादी हुई और बच्चे हुए तो जिंदगी ने अलग करवट ली. असल में मेरा एक सपना था, जिस में पति और बच्चे शामिल थे. जब वह पूरा हुआ तो आगे सोचने वाली कोई बात नहीं रही. जब मैं अमेरिका में थी, तो घरेलू महिला की तरह सब काम किया करती थी. जब मुंबई आई, तो बच्चे थोड़े बड़े हो चुके थे. ऐसे में पति का साथ सब से अधिक मिला. पहले तो मुझे डर था कि पता नहीं बच्चे यहां के माहौल में ऐडजस्ट कर पाएंगे या नहीं, क्योंकि वहां का रहनसहन और स्कूल सब अलग थे. पहले तो बच्चे घर से निकलना नहीं चाहते थे, पर धीरेधीरे उन्होंने तालमेल बैठा लिया. अभी हम दोनों ने अपना काम बांट लिया है. जिसे जब समय मिलता है बच्चों को संभाल लेता है.

क्या आप के बच्चे आप की फिल्में देखते हैं?

उन्हें मेरी फिल्में पसंद नहीं आतीं. एक बार मेरा एक बेटा ‘कोयला’ फिल्म देख रहा था. उसे मेरा अभिनय जरा भी पसंद नहीं आया. अत: उस ने नोट लिख छोड़ा था कि आप इतना खराब अभिनय क्यों करती हैं? लेकिन उन्हें मेरे डांस के कार्यक्रम बहुत पसंद हैं.

आप बच्चों के साथ कितना समय बिता पाती हैं?

बच्चे मेरी खुशी हैं. उन के साथ जब भी समय मिलता है हंसती हूं, बातें करती हूं, खेलती हूं. कब कैसे करती हूं, पता नहीं चलता. घर पहुंच कर जैसे ऐनर्जी दोगुनी हो जाती है.

बच्चों की ग्रोथ में किस बात का ध्यान रखती हैं?

अभी तो वे छोटे हैं, पर इतना ध्यान जरूर रखती हूं कि उन्हें जो अच्छा लगे वह करें. मुझ पर कभी कोई पाबंदी नहीं थी, इसलिए मैं भी उन्हें पूरी आजादी देती हूं.

बच्चों के अनुसार अपना शैड्यूल बनाती हूं : रवीना टंडन

करीब 25 साल इंडस्ट्री में बिता चुकीं अभिनेत्री रवीना टंडन 90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री रही हैं. फिल्मी माहौल में जन्मी रवीना को बचपन से ही अभिनय का शौक था. कालेज की पढ़ाई के दौरान उन्हें ‘पत्थर के फूल’ फिल्म का औफर मिला तो खुद को पहली फिल्म से ही स्थापित कर लिया. इस के बाद कई सफल फिल्में कीं, जिन में फिल्म ‘मोहरा’ और ‘दिलवाले’ बौक्स औफिस पर सुपरहिट हुईं. रवीना ने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्में भी की हैं. रवीना ने अक्षय कुमार, गोविंदा, अजय देवगन, सुनील शेट्टी आदि अभिनेताओं के साथ काम किया है, पर उन की और गोविंदा की जोड़ी को कौमेडी फिल्मों में काफी सफलता मिली. कई बार रवीना और अक्षय के रोमांस के चर्चे भी सुने गए, पर कोई अंजाम नहीं निकला.

रवीना स्पष्टभाषी हैं. हर बात सामने कहना बेहतर समझती हैं. शादी से पहले ही उन्होंने 2 लड़कियों पूजा और छाया को अडौप्ट किया था. फिल्म ‘स्टंप्ड’ के दौरान रवीना का परिचय फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर अनिल थडानी से हुआ और फिर दोनों ने शादी कर ली. दोनों के 2 बच्चे राशा और रणवीर हैं.

रवीना आज एक सफल अभिनेत्री, पत्नी और मां हैं. अपने सभी दायित्वों को वे बखूबी निभा रही हैं. सोनी टीवी के रिऐलिटी शो ‘सब से बड़ा कलाकार’ की वे जज हैं. उन से मिल कर बात करना रोचक रहा:

इस रिऐलिटी शो से जुड़ने की खास वजह क्या है?

इस में सारे प्रतिभावान बच्चे हैं और बच्चों के साथ कुछ भी करना मुझे पसंद है, क्योंकि वे मासूम और साफ दिल के होते हैं. एडल्ट्स के साथ काम करना मुश्किल होता है, क्योंकि उन में ईगो होता है.

क्या कभी अपना बचपन याद आता है?

मेरा बचपन तो ऐसा था ही नहीं. मैं बहुत शाय नेचर की थी. 4 साल की उम्र में केवल अपना नाम लिखना जानती थी. ये बच्चे इतने बड़ेबड़े संवाद कैसे बोलते हैं, ऐक्शन, कौमेडी कैसे कर लेते हैं, मैं देख कर हैरान होती हूं. मैं आज भी आसानी से रिऐलिटी शोज में अभिनय नहीं कर सकती.

अपने बच्चों में क्या प्रतिभा देखती हैं?

मेरा बेटा पूरी तरह से स्पोर्ट्स पर्सन है, तो बेटी डांस और सिंगिंग पसंद करती है. वह शास्त्रीय संगीत सीख रही है.

अपने काम के बीच परिवार को कैसे संभालती हैं?

मैं ने हमेशा परिवार को प्राथमिकता दी है. इसीलिए तो बच्चों के हिसाब से काम चुनती हूं. मैं बच्चों के हर विकास को देखना और ऐंजौय करना चाहती हूं. फिल्में या काम मेरी लाइफ नहीं, बल्कि लाइफ का एक हिस्सा है. फिल्में तो मैं बाद में भी कर लूंगी, पर बच्चों का बचपना लौट कर नहीं आ सकता. उन के शैड्यूल के अनुसार में अपनेआप को ऐडजस्ट करती हूं. बच्चों की छुट्टियों में मैं कोई काम नहीं करती, क्योंकि वह समय उन के लिए होता है. इसीलिए मैं टीवी के किसी फिक्शन शो में काम नहीं करती.

आप किस तरह की मां हैं और बच्चों को कितनी आजादी देती हैं?

मैं एक नौर्मल मां हूं. बच्चों को अच्छी परवरिश देने की कोशिश कर रही हूं. उन्हें पूरी आजादी देती हूं. लेकिन वे जो भी करते हैं मुझ से डिस्कस अवश्य कर लेते हैं. इस से मुझे उन की सोच के बारे में पता चलता है. अगर कुछ समझाने की जरूरत होती है, तो बैठ कर समझा देती हूं.

बच्चों की ग्रोथ में किस बात का अधिक ध्यान रखती हैं?

मैं उन की उन के सपनों को पूरा करने में मदद करती हूं. अपने सपनों को उन पर नहीं थोपना चाहती. वे उसे चुनें जिसे बेहतर समझते हैं और अगर वे ऐसा कर पाए तो यकीनन सफल होंगे. इस के अलावा हमेशा यह कोशिश करती हूं कि वे सभी की इज्जत करना सीखें.

पुलिस, योगी आदित्यनाथ और एक बुजुर्ग

जब से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है, तब से योगी अपने एक्शन अवतार में हैं. आज हम आपको ऐसा ही वाकया बताने जा रहें हैं, जब एक थानेदार की हालत पतली हो गई, क्यूंकि उससे परेशान एक बुजुर्ग ने सीएम योगी को फोन लगा दिया.

दरअसल इलाहाबाद के मांडा थाने में एक वृद्ध अपनी शिकायत लेकर थानेदार के पास पहुंचा. लेकिन आदत से मजबूर पुलिस ने बुजुर्ग की फरियाद पर भी टाल मटोल करना शुरू कर दिया. जब सुनवाई नहीं हुई, तो बुजुर्ग ने अपना मोबाइल निकाला और एक नंबर डायल कर थानेदार की ओर बढ़ाकर बोला, “लीजिए सीएम साहब से बात करिये.” थानेदार समझ ही नहीं पाया की आखिर अब वो करे तो क्या करे?

उस समय थाने में कई और लोग भी मौजूद थे, बुजुर्ग के आत्मविश्वास को देखकर वे सभी भी चौक गए. सकपकाते हुए थानेदार ने मोबाइल थाम लिया. मोबाइल की स्क्रीन पर नंबर देखा और कान पर लगा लिया. फिर तो अगले कुछ मिनट तक थानेदार साहब बस “जी सर” का शब्द ही दोहराते रहे.

बात करने के बाद दरोगा ने खुद बताया कि फोन पर सीएम योगी आदित्यनाथ के पीआरओ थे. उन्होंने वृद्ध के मामले में तुरंत कार्रवाई और वृद्ध की समस्या का निदान करने को कहा.

ये था मामला

इलाहाबाद जिले के मांडा हेठार गांव के रहने वाले बुजुर्ग की जमीन पर बनी बाउंड्री कुछ लोगों ने तोड़ दी. घटना की शिकायत करने बुजुर्ग मांडा थाने पहुंचा. यहां थाने में इंस्पेक्टर मांडा पीके मिश्रा फरयादियों से मिल रहे थे. बुजुर्ग ने उनसे अपनी समस्या बताई तो इंस्पेक्टर साहब ने राजस्व विभाग का प्रकरण बताकर बुजुर्ग को वहां से जाने को कह दिया. थानेदार के व्यवहार से दुखी  बुजुर्ग थोड़ा सा दूर गए, मोबाइल से नंबर मिलाया और फोन पर ही अपनी सारी समस्या बताने लगे. लगभग दो मिनट बाद बुजुर्ग फोन लेकर इंस्पेक्टर के पास वापस वापिस पहुंचे और बोले, “लीजिए सीएम साहब से बात करिये.

धर्मेंद्र बनने वाले थे ‘शोले’ के ठाकुर, पर अचानक…

भारतीय सिनेमा के इतिहास में सफलतम फिल्मों में से एक है ‘शोले’. यह पहली भारतीय फिल्म थी जिसे 70mm के बड़े पर्दे पर दिखाया गया था. लगभग 42 साल पहले रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी यह फिल्म आज भी सदाबहार है. आज भी इसके संवाद उतने ही लोकप्रिय हैं जितने कल थे.

फिल्म में अमिताभ ने जय का किरदार निभाया था, वहीं धर्मेंद्र को वीरू के किरदार में देखा गया था. इसके अलावा फिल्म में हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार और अमजद खान भी मुख्य भूमिकामें थे. फिल्म में प्यार, दोस्ती और बदले की कहानी को दर्शाया गया है. इस फिल्म के बाद जय-वीरू की दोस्ती आज भी दोस्ती की मिसाल के तौर पर याद की जाती है. वहीं अमजद खान ने गब्बर सिंह के किरदार से एक अलग पहचान बनाई थी.

इस फिल्म के रिलीज के बाद से पक्के दोस्तों को जय-वीरू कहा जाने लगा था तो बक-बक करने वाली लड़कियों को बसंती की उपमा दी जाने लगी. जानें कितनी मांओं ने अपने बच्चे को गब्बर का डर दिखाकर सुलाया. आपको बताते चलें कि इस फिल्म को थ्री डी में परिवर्तित कर 2013 में एक बार फिर रिलीज किया गया था.

‘कितने आदमी थे’, ‘तेरा क्या होगा कालिया’, ‘पहले नमक खाया, ले अब गोली खा’, ‘कब-कब है होली’, ‘अरे ओ सांभा’ और ‘ये हाथ नहीं फांसी का फंदा है गब्बर’ या ‘ये हाथ हमको दे दे ठाकुर’ या फिर ‘चल धन्नो आज तेरी बसन्ती की इज्जत का सवाल है’- सलीम-जावेद द्वारा लिखे गए इन डायलॉग के बारे में कोई नहीं सोच सकता था कि ये इतने लोकप्रिय होंगे.

इस फिल्म से जुड़े कई किस्से मशहूर हुए हैं. पेश है फिल्म शोले से जुड़ी कुछ रोचक बातें..

आज भी रामगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है रामनगरम

बता दें की फिल्म को फिल्माने में निर्देशक रमेश सिप्पी को ढाई साल का वक्त लगा था. बेंगलुरु के पास स्थित रामनगरम में फिल्माई गई इस फिल्म में इसे ‘रामगढ़’ बताया गया था. वहां के लोग आज भी इसे रामनगरम के स्थान पर ‘रामगढ़’ कहते हैं.

अमजद खान नहीं थे गब्बर के लिए पहली पसंद

फिल्म शोले में गब्बर के किरदार से अलग पहचान बनाने वाले अमजद खान इस रोल के लिए रमेश सिप्पी के पहले पसंद नहीं थे. यह रोल पहले डैनी डेनजोंग्पा को ऑफर किया गया था लेकिन समय के अभाव के कारण और अपने अन्य प्रोजेक्ट के कारण उन्होंने यह रोल ठुकरा दिया था. डैनी उस वक्त फिरोज खान की फिल्म ‘धर्मात्मा’ करने में व्यस्त थे.

शोले के यादगार ठाकुर

जिसने भी शोले देखा होगा उन्हें ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार निभाने वाले संजीव कुमार निश्चित ही याद होंगे. संजीव कुमार ने ठाकुर के किरदार को ऐसे जीवंत किया कि उनके जगह किसी और की कल्पना भी नहीं की जा सकती. लेकिन आपको बताते चलें ठाकुर के किरदार के लिए रमेश सिप्पी एक्टर प्राण को लेना चाहते थे.

लाइटमैन को अलग से पैसे देते थे धर्मेंद्र

आज हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की जोड़ी पूरे बॉलीवुड में मिसाल है. दोनों की आंखों में आज भी एक दूसरे के लिए प्यार दिखता है. बसंती और वीरू का प्यार शोले के सेट से ही शुरू हुआ था. बंदूक चलाने वाले सीन को गलत तरीके से शूट करने के लिए धर्मेंद्र लाइटमैन को अलग से पैसे दिया करते थे. ऐसा इसलिए करते थे ताकि वह हेमा को बार बार अपनी बाहों में भर सकें.

शूटिंग के वक्त जया थी प्रग्नेंट

शोले की शूटिंग के वक्त जया बच्चन प्रेग्नेंट थीं. उस वक्त वह अपने पहले बच्चे श्वेता को जन्म देने वाली थीं. प्रेग्नेंसी के कारण जया ने कई दिनों तक शूटिंग नहीं की थी. इस फिल्म को बनने में लगभग ढ़ाई साल लग गए थे. आपको यह जानकर हैरानी होगी की फिल्म की शूटिंग के समय जया श्वेता को जन्म देने वाली थी और फिल्म रिलीज के वक्त वह फिर से प्रेग्नेंट थीं.

हेमा के लिए धर्मेंद्र ने छोड़ा ठाकुर का किरदार

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की खूबसूरती का कायल पूरा बॉलीवुड इंडस्ट्री था. इन्हीं में से एक थे संजीव कुमार जिन्होंने फिल्म शोले की शूटिंग से पहले हेमा को प्रपोज किया था. संजीव ने फिल्म में ठाकुर का रोल निभाया है.

आपको बता दें संजीव कुमार पहले वीरू का किरदार निभाने वाले थे और धर्मेंद्र ठाकुर का. ठाकुर का किरदार निभाने के लिए धर्मेंद्र खासे उत्साहित थे लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि संजीव कुमार हेमा के ऑपोजिट वीरू का किरदार निभाने वाले हैं वैसे ही उन्होंने ठाकुर का किरदार छोड़ वीरू का किरदार निभाने का फैसला किया.

दो बार शूट हुआ क्लाइमेक्स

शोले पहली ऐसी फिल्म है जिसका क्लाइमेक्स दो बार शूट किया गया. पहले क्लाइमेक्स के साथ रिलीज की गई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं कर पाई. इसे देखते हुए फिल्म के निर्माता निर्देशक ने विचार किया और फिल्म के क्लाइमेक्स को फिर से शूट किया. उसके बाद जो धमाल मचा वह आप सब के सामने है.

एक गाने को शूट करने में लगे 21 दिन

दोस्ती की मिसाल देने वाला गाना ‘ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे’ को शूट करने में पूरे 21 दिन लग गए थे.

पाकिस्तान में 2015 में रिलीज हुई शोले

आपको बता दें की बहुचर्चित फिल्म शोले पाकिस्तान में 17 अप्रैल 2015 को रिलीज की गई थी. यह जानकर आपको हैरानी होगी कि जब यह फिल्म जियो फिल्मस और मंड्विवाला एंटरटेनमेंट के द्वारा रिलीज की गई तब इसका प्रीमियर और कहीं नहीं बल्कि कराची में हुआ था.

ग्वालियर के गब्बर से प्रेरित था अमजद का किरदार

अमजद खान द्वारा निभाए गए गब्बर का किरदार ग्वालियर के डकैत गब्बर सिंह से प्रेरित था. 1950 के दशक में गब्बर ग्वालियर का बहुत बड़ा डकैत हुआ करता था.

जय वीरू के नाम के पीछे का रहस्य

पटकथा लेखक सलीम खान के कॉलेज के दोस्त वीरेंद्र सिंह ब्यास और जय सिंह राव कलेवर के नाम पर रखा गया था अमिताभ धर्मेंद्र का नाम.

शूटिंग के बाद जुड़ा सूरमा भोपाली का किरदार

फिल्म में सूरमा भोपाली का किरदार शूटिंग खत्म होने के बाद जोड़ा गया था. जगदीप ने सूरमा भोपाली का किरदार निभाया था.

5 साल तक थिएटर में लगी थी फिल्म

मुंबई के मिनेवरा थिएटर में लगातार 5 साल तक यह फिल्म दिखाई गई थी.

40 रीटेक के बाद फाइनल हुआ यह सीन

‘कितने आदमी थे’, शोले के मशहूर डायलॉग में से एक है. लेकिन क्या आप जानते हैं इस सीन को 40 रीटेक के बाद फाइनल किया गया था.

शादी से पहले बनाएं फाइनेंशियल अंडरस्टैंडिंग

शादी के बाद कपल्स में अक्सर पैसों को लेकर मनमुटाव होता है. शादी करने वाले दो लोगों का नजरिया पैसों को लेकर अलग-अलग हो सकता है. यह बहुत हद तक निर्भर करता है कि उनकी परवरिश कैसे हुई है या फिर वे किन परिस्थितियों में पले-बढ़े हैं. यह अंतर ही आगे चलकर ज्यादातर रिश्तों में तनाव, झगड़े और चिंता की वजह पैसे के मसले ही होते हैं.

ऐसे में बेहतर यही होता है कि शादी से पहले ही फाइनैंशियल मुद्दों पर खुलकर बातचीत की जाए. यह लव मैरिज और अरेंज्ड मैरिज, दोनों ही मामलों में जरूरी है. अगर आप अपने लाइफ पार्टनर को लंबे समय से नहीं जानती हैं तो हो सकता है कि पैसों से जुड़े सवाल पूछने में आप थोड़ा असहज रहें.

लेकिन बात आपके भविष्य की है और यह भी सही है कि पैसों को लेकर होने वाली थोड़ी अनबन भी आप दोनों के बीच बड़ा मसला बन सकती है. इसलिए पैसों से जुड़े ये 5 सवाल शादी के लिए हां करने से पहले जरूर पूछ लें. सिचुएशन को थोड़ा सहज करने के लिए आप एक-एक करके भी इन मुद्दों पर बात कर सकते हैं :

1. आपके पैरंट्स ने पैसों के मामले में बचपन से कितनी छूट दी है.

अपने पार्टनर से जानने की कोशिश करें कि उनके घर में पैसे को लेकर क्या नजरिया है और वे बचत को कितनी अहमियत देते हैं. उनसे पूछें कि पढ़ाई, लंबे वैकेशंस और बड़े खर्चे कैसे मैनेज किए जाते थे. पैसे को लेकर क्या उनके पैरंट्स ने कोई बड़ी गलती की है?  क्या वे वित्तीय रूप से घर के बुजुर्गों का ध्यान दे रहे हैं.

इन सभी सवालों के जवाब आप दोनों को एक-दूसरे के फाइनेंशियल बैकग्राउंड को समझने में मदद करेंगे.

2. लोन और हॉबी को करियर बनाने के बारे में करें सवाल.

पैसों से जुड़ी कुछ जिम्मेदार‍ियां हम सभी पर जरूर होती है. मसलन अगर पैरेंट्स ने आपकी पढ़ाई के लिए लोन लिया है तो वह आपको चुकाना ही है. हो सकता है कि उन्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसे से यह रकम दी हो. इसके अलावा भविष्य में अगर आप नौकरी छोड़कर अपने किसी पैशन को प्रोफेशन बनाने का सपना देख रहे हैं तो इस बारे में भी चर्चा करना जरूरी है.

3. खर्च करते समय क्या कार्ड की लिमिट चेक करते हैं.

कपल्स के बीच खर्च करने से जुड़ी आदतें बाद में कलह की बड़ी वजह बन जाती हैं. इसलिए कई सवाल जैसे- आप क्रेडिट कार्ड पर कितना खर्च करते हैं, क्या आप अपनी लिमिट से ज्यादा खर्च करते हैं. क्या आपने दोस्त या बैंक से उधार या लोन पर ले रखा है. आप सिर्फ बचत ही करते हैं या फिर कहीं निवेश भी किया हुआ है.

उनसे यह सब जानने के बाद अपनी आदतों से इसकी तुलना करें और फिर देखें कि आप दोनों एक ट्रैक पर चल सकेंगे या नहीं.

4. पैसों से जुड़ी भवि‍ष्य की प्लानिंग पर भी करें बात.

घर खरीदना, बच्चों की प्लानिंग, रिटायरमेंट और इमरजेंसी फंड – इन चारों मसलों पर खुलकर अपने लाइफ पार्टनर से बात करें. इसके साथ ही शादी के बाद भी अगर पढ़ाई करने का कोई विचार हो तो पहले ही अपनी इच्छा जाहिर कर दें. यह भी जानने की कोशिश करें कि उसकी प्राथमिकता क्या है, बड़ी कार या बच्चों के पढ़ाई के लिए पैसे बचाना. निवेश की प्लानिंग के बारे में भी जरूर पूछिए, हो सकता है कि एकदम आपको कुछ समझ न आए लेकिन उसके व्यवहार व सोच को समझने में आप जरूर कामयाब रहेंगे.

5. शादी और हनीमून के खर्च का भी लें जायजा.

अपने पार्टनर को खुल कर बताएं कि आप शादी में होने वाले खर्चों पर क्या सोचते हैं. अगर आप अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा इसमें खर्च करने की सोच रहे हैं तो उसको यह बात जरूर बताएं. शादी से जुड़ी ज्यादातर दिक्कतें ईमानदारी से जवाब और खुली बातचीत से ही सुलझ जाती हैं. लिहाजा पैसों से संबधित अपनी ख्वाहिश और दायरों के बारे में होने वाले पार्टनर को बेहि‍चक बताएं.

टेलीविजन अभिनेत्रियां जो बनीं ग्लैमरस हीरोइन

टीवी शो ‘नागिन’ से पॉपुलर हुई एक्ट्रेस मौनी रॉय को सलमान खान जल्द अपने होम प्रोडक्शन से बॉलीवुड में लॉन्च करेंगे. सलमान को लगता है कि मौनी का लुक देसी है और वो साड़ी में किसी ट्रेडिशनल इंडियन हीरोइन की तरह लगती हैं. मौनी ऐसी पहली एक्ट्रेस नहीं है, इससे पहले भी बहुत सी टीवी एक्ट्रेसेस बॉलीवुड का रुख कर चुकी हैं. और ये एक्ट्रेसेस पहले से ज्यादा खूबसूरत और ग्लैमरस लगने लगी हैं. बता दें कि प्राची देसाई ने 17 साल की उम्र में टीवी शो ‘कसम से’ (2006) के जरिए कैरियर शुरू किया था. पिछले 11 सालों में प्राची का लुक काफी चेंज हो गया है. प्राची ने फिल्म ‘रॉक ऑन’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था.

1. प्राची देसाई

प्राची देसाई ने 2008 में आई फिल्म ‘रॉक ऑन’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके अलावा उन्होंने ‘लाइफ पार्टनर’ (2009), ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ (2010), ‘तेरी मेरी कहानी’ (2012), ‘बोल बच्चन’ (2012), ‘पुलिसगिरी’ (2013), ‘अजहर’ (2016) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है.

2. यामी गौतम

साल 2008 में टीवी शो ‘चांद के पार चलो’ के जरिए कैरियर शुरू करने वाली यामी ने फिल्म ‘विकी डोनर’ (2012) के जरिए बॉलीवुड में सक्सेसफुल एंट्री की. इसके अलावा उन्होंने ‘एक्शन जैक्सन’ (2014), ‘बदलापुर’ (2015), ‘सनम रे’ (2016), ‘काबिल’ (2017) फिल्मों में काम किया है.

3. हंसिका मोटवानी

हंसिका सबसे पहले टीवी शो ‘देश में निकला होगा चांद’ (2001) में नजर आईं थीं. इसके बाद उन्होंने कई शोज में काम किया. साल 2007 में उन्होंने फिल्म ‘आप का सुरूर’ के जरिए बॉलीवुड में बतौर अभिनेत्री एंट्री की. फिलहाल वो साउथ की फिल्मों में व्यस्त हैं.

4. करिश्मा तन्ना

साल 2001 में टीवी शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू’ से करियर शुरु करने वाली करिश्मा तन्ना ने साल 2005 में फिल्म ‘दोस्ती: फ्रेंड्स फॉरएवर’ से बॉलीवुड में एंट्री की, लेकिन उन्हें सक्सेस मिली 2013 में रिलीज हुई फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’ के जरिए. वे सनी लियोनी के साथ फिल्म ‘टीना एंड लोलो’ में भी नजर आईं.

5. सुरवीन चावला

टीवी शो ‘कही तो होगा’ (2003-07) से करियर स्टार्ट करने वाली सुरवीन ने साल 2014 में फिल्म ‘हेट स्टोरी-2’ के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की. इसके पहले वो कई साउथ और पंजाबी फिल्मों में काम कर चुकी थीं. उन्होंने ‘उंगली’ ( 2013), ‘क्रिएचर 3डी’ (2014), ‘वेलकम बैक’ (2015) सहित कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है.

6. विद्या बालन

बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस की लिस्ट में शुमार विद्या भी पहली बार टीवी शो ‘हम पांच’ (1995) में नजर आई थीं. कई कमर्शियल ऐड और म्यूजिक वीडियोज में काम करने के बाद उन्होंने साल 2004 में फिल्म ‘परिणीता’ के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की. उन्होंने ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ (2006), ‘किस्मत कनेक्शन’ (2008), ‘द डर्टी पिक्चर’ (2011), ‘कहानी’ (2012), ‘कहानी -2’ (2016) सहित कई फिल्मों में काम किया है. अभी हाल ही में विद्या की फिल्म “बेगम जान” आई थी.

7. आमना शरीफ

‘कही तो होगा’ (2003-07) के जरिए आमना शरीफ टीवी की पॉपुलर बहू बनीं. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘आलू चाट’ (2009) के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की. उन्होंने ‘आओ विश करें’ (2009), ‘शक्ल पर मत जा’ (2011), ‘एक विलेन’ (2013) फिल्मों में काम किया है.

8. जेनिफर विंगेट

बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर शुरू करने वाली जेनिफर को टीवी शो ‘कसौटी जिंदगी की’ (2003-08) और ‘दिल मिल गए’ (2009-10) से पहचान मिली. उन्होंने कई हिट शोज में काम किया है. बतौर एक्ट्रेस वो कुणाल कोहली के साथ फिल्म ‘फिर से’ (2015) में नजर आ चुकी हैं.

9. सना खान

यूं तो सना खान कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें असली पहचान टीवी रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ (2012) के जरिए मिली. इसके बाद वो सलमान खान की फिल्म ‘जय हो’ (2014) में नजर आई. उन्होंने ‘वजह तुम हो’ (2014), ‘हल्ला बोल’ (2008) सहित कई फिल्मों में काम किया है.

10. श्वेता तिवारी

टीवी शो ‘कही किसी रोज’ (2001) से करियर शुरू करने वाली श्वेता को असली पॉपुलैरिटी एकता कपूर के शो ‘कसौटी जिंदगी की’ (2001-08) से मिली. साल 2004 में वो पहली बार बिपाशा बसु स्टारर फिल्म ‘मदहोशी’ में नजर आईं. इसके बाद वो ‘आबरा का डाबरा’ (2004) और ‘मिले न मिले हम’ (2011) जैसी कई फिल्मों में दिखीं. श्वेता ने कई भोजपुरी फिल्मों में काम किया है.

झारखंड: कण कण में प्रकृति का अद्भुत नजारा

झारखंड पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य का खजाना जम कर बरसाया है. घने जंगल, खूबसूरत वादियां, जलप्रपात, वन्य प्राणी, खनिज संपदाओं से भरपूर और संस्कृति के धनी इस राज्य में सैलानियों के लिए देखने को बहुत कुछ है.

रांची

झारखंड की राजधानी रांची समुद्र तल से 2064 फुट की ऊंचाई पर बसा है. यह चारों तरफ से जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. इस के आसपास गुंबद के आकार के कई पहाड़ हैं जो शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. इस जिले में हिंदी, नागपुरी, भोजपुरी, मगही, खोरठा, मैथिली, बंगला, मुंडारी, उरांव, पंचपरगनिया, कुडुख और अंगरेजी बोलने वाले आसानी से मिल जाते हैं. यहां के कई जलप्रपात और गार्डन पर्यटकों को रांची की ओर बरबस खींचते रहे हैं.

हुंडरू फौल

रांची शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित इस फौल की खासीयत यह है कि इस में नदी का पानी 320 फुट की ऊंचाई से गिर कर मनोहारी दृश्य पेश करता है. रांचीपुरुलिया मार्ग पर अनगड़ा के पास स्थित इस फौल तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर (छोटी गाड़ी जिस में 10-12 लोग बैठ सकते हैं) के जरिए पहुंचा जा सकता है.

जोन्हा फौल (गौतम धारा)

यहां राढ़ू नदी 140 फुट ऊंचे पहाड़ से गिर कर फौल बनाती है. इस की खूबी यह है कि फौल और धारा के निकट पहुंचने के लिए 489 सीढि़यां बनी हुई हैं. सीढि़यों पर चढ़ते और उतरते समय सावधानी रखने की जरूरत होती है क्योंकि पानी से भीगे रहने की वजह से सीढि़यों

पर फिसलन होती है. रांचीपुरुलिया मार्ग पर स्थित यह फौल रांची शहर से 49 किलोमीटर दूर है और यहां तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंचा जा सकता है.

दशम फौल

शहर से 46 किलोमीटर दूर स्थित यह फौल कांची नदी की कलकल करती धाराओं से बना है. यहां पर कांची नदी 144 फुट ऊंची पहाड़ी से गिर कर दिलकश नजारा प्रस्तुत करती है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस फौल के पानी में कभी भी उतरने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि पानी के नीचे खतरनाक नुकीली चट्टानें हैं. फौल के पास के पत्थर भी काफी चिकने हैं, इसलिए उन पर खास ध्यान दे कर चलने की जरूरत है. फौल तक कार, मोटरसाइकिल, बस या फिर यहां चलने वाली छोटी गाडि़यों के जरिए पहुंचा जा सकता है.

हिरणी फौल

यह फौल रांचीचाईबासा मार्ग पर है और रांची से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंचा जा सकता है. 120 फुट ऊंचे पहाड़ से गिरते पानी का संगीत पर्यटकों के दिलों के तारों को झंकृत कर देता है.

सीता फौल

यहां 280 फुट की ऊंचाई से गिरते पानी को देखने और कैमरे में कैद करने का अलग ही मजा है. यह फौल शहर से 44 किलोमीटर दूर रांचीपुरुलिया रोड पर स्थित है. यहां कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंच सकते हैं. फौल के पानी में ज्यादा दूर तक जाना खतरे को न्यौता देना हो सकता है.

पंचघाघ

यहां पर एकसाथ और एक कतार में पहाड़ों से गिरते 5 फौल प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा नजारा पेश करते हैं. रांची से 40 किलोमीटर और खूंटी से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस फौल के पास हराभरा घना जंगल और बालू से भरा तट है जो पर्यटकों को दोहरा आनंद देता है. इस फौल तक पहुंचने के लिए कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर आदि का सहारा लिया जा सकता है.

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान

यह उद्यान रांची से 16 किलोमीटर पूर्व में रांचीपटना मार्ग पर ओरमांझी के पास स्थित है. इस से 8 किलोमीटर की दूरी पर मूटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र भी है.

रौक गार्डन

कांके के रौक गार्डन में प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाया जा सकता है. गार्डन का भूतबंगला बच्चों के बीच खूब लोकप्रिय है. यहां से कांके डैम का भी नजारा लिया जा सकता है.

टैगोर हिल

शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोराबादी हिल, टैगोर हिल के नाम से मशहूर है. यह कवि रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी हुई है. रवींद्रनाथ को भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता काफी लुभाती थी. सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा लेने के लिए पर्यटक यहां घंटों बिताते हैं.

इस के अलावा बिरसा मृग विहार, नक्षत्र वन, कांके डैम, सिद्धूकान्हू पार्क, रांची झील, रातूगढ़ आदि भी रांची के मशहूर पर्यटन स्थल हैं.

जमशेदपुर

टाटा स्टील की नगरी जमशेदपुर या टाटा नगर पूरी तरह से इंडस्ट्रियल टाउन है, पर यहां के कई पार्क, अभयारण्य और लेक पर्यटकों को अपनी ओर खींचते रहे हैं.

जुबली पार्क

238 एकड़ में फैले जुबली पार्क को टाटा स्टील के 50वें सालगिरह के मौके पर बनाया गया था. साल 1958 में बने इस पार्क को मशहूर वृंदावन पार्क की तरह डैवलप किया गया है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह है कि इस में गुलाब के 1 हजार से ज्यादा किस्मों के पौधे लगाए गए हैं, जो पार्क को दिलकश बनाने के साथसाथ खुशबुओं से सराबोर रखते हैं. इस में चिल्डे्रन पार्क और झूला पार्क भी बनाया गया है. झूला पार्क में तरहतरह के झूलों का आनंद लिया जा सकता है. रात में रंगबिरंगे पानी के फौआरे जुबली पार्क की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.

दलमा वन्य अभयारण्य

दलमा वन्य अभयारण्य जमशेदपुर का खास प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य 193 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस में जंगली जानवरों को काफी नजदीक से देखने का खास इंतजाम किया गया है. हाथी, तेंदुआ, बाघ, हिरन से भरे इस अभयारण्य में दुर्लभ वन संपदा भरी पड़ी है. यह हाथियों की प्राकृतिक आश्रयस्थली है. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां से ले कर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की बेल पहाड़ी तक इस का दायरा फैला हुआ है.

डिमना लेक

जमशेदपुर शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डिमना लेक के शांत और प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लिया जा सकता है. दलमा पहाड़ी की तलहटी में बसी इस लेक को देखने के लिए सब से ज्यादा पर्यटक दिसंबर और जनवरी के महीने में आते हैं.  इस के अलावा हुडको झील, दोराबजी टाटा पार्क, भाटिया पार्क, जेआरडी कौंप्लैक्स, कीनन स्टेडियम, चांडिल डैम आदि भी जमशेदपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.

हजारीबाग

झारखंड के सब से खूबसूरत शहर हजारीबाग को ‘हजार बागों का शहर’ कहा जाता है. कहा जाता है कि कभी यहां 1 हजार बाग हुआ करते थे. झीलों और पहाडि़यों से घिरा यह खूबसूरत शहर समुद्र तल से 2019 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. रांची से 91 किलोमीटर की दूरी पर हजारीबाग नैशनल हाईवे-33 पर बसा हुआ है.

बेतला नैशनल पार्क

साल 1976 में बना यह नैशनल पार्क 183.89 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस नैशनल पार्क में जंगली सूअर, बाघ, तेंदुआ, भालू, चीतल, सांभर, कक्कड़, नीलगाय आदि जानवर भरे पड़े हैं. पार्क में घूमने और जंगली जानवरों को नजदीक से देखने के लिए वाच

टावर और गाडि़यों की व्यवस्था है. हजारीबाग शहर से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पार्क की रांची शहर से दूरी 135 किलोमीटर है.

कनेरी हिल

यह वाच टावर हजारीबाग का मुख्य आकर्षण है. शहर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित कनेरी हिल से हजारीबाग का विहंगम नजारा लिया जा सकता है. सूर्यास्त और सूर्योदय के समय पर्यटक इस जगह से शहर की खूबसूरती को देखने आते हैं. इस वाच टावर के ऊपर पहुंचने के लिए 600 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं.

इस के अलावा रजरप्पा, सूरजकुंड, हजारीबाग सैंट्रल जेल, हजारीबाग लेक आदि कई दर्शनीय स्थल भी हैं.

नेतरहाट

छोटा नागपुर की रानी के नाम से मशहूर नेतरहाट से सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है

6.4 किलोमीटर लंबे और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई में फैले नेतरहाट पठार में क्रिस्टलीय चट्टानें हैं. समुद्र तल से 3514 फुट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट के पठार रांची शहर से 160 किलोमीटर की दूरी पर हैं. झारखंड के लातेहार जिले में स्थित नेतरहाट में घाघर और छोटा घाघरी फौल भी पर्यटकों को लुभाते हैं.

आप भी घर पर करती हैं वैक्स तो..

हाथ, पैर और पीठ के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए ज्यादातर महिलाएं वैक्स कराती हैं लेकिन कई औरतों के चेहरे पर भी काफी बाल होते हैं. बाल कम हों और उनकी ग्रोथ अधिक न हो तो उसे थ्रेड से निकाला जा सकता है लेकिन जब ग्रोथ बहुत अधिक हो तो वैक्स का इस्तेमाल करना पड़ता है.

चेहरे पर वैक्स कराना और शरीर के किसी और हिस्से पर वैक्स कराने में काफी अंतर है. चेहरे पर वैक्स कराने के दौरान अगर एक छोटी सी भी गलती हो जाए तो वह जिंदगी भर का दाग बन सकता है. ऐसे में चेहरे पर वैक्स कराने के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. चेहरे पर वैक्स करने से पहले जरूर जान लें ये बातें.

बालों का ग्रोथ

अगर आपके चेहरे पर मौजूद बालों की ग्रोथ बहुत अधिक है तो आपके लिए वैक्स कराना ही बेस्ट ऑप्शन रहेगा. थ्रेड से काफी दर्द होगा और बाल भी पूरी तरह से साफ नहीं हो सकेंगे.

वैक्स का सही चुनाव

चेहरे पर इस्तेमाल होने वाला वैक्स, दूसरे वैक्स से अलग होता है. यह बहुत स्मूद होता है ताकि स्किन छिले नहीं और जलन भी न हो. चेहरे पर मौजूद अनचाहे बालों को हटाने के लिए जिस वैक्स का इस्तेमाल किया जाता है उसमें एलोवेरा, शहद होता है ताकि त्वचा को कम से कम नुकसान हो. इसके साथ ही वैक्स ऐसा होना चाहिए जो लंबे समय तक टिके.

वैक्स करने का सही तरीका

कई लोग घर पर ही वैक्स करते हैं लेकिन चेहरे पर वैक्स करना इतना आसान नहीं है. चेहरे पर वैक्स करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपको अच्छी तरह वैक्स करना आता हो. वरना दुर्घटना हो सकती है. वैक्स का ताप, स्ट्रिप सब कुछ सही होना चाहिए.

स्किन टाइप

आपको अपना स्किन टाइप पता होना चाहिए. अगर आपकी स्किन बहुत सेंसटिव है तो बेहतर यही होग कि आप पहले किसी स्किन स्पेशलिस्ट से मिल लें. ऐसा न हो कि इतना दर्द सहने के बाद आपको इन्फेक्शन सहना पड़े.

त्वचा की देखभाल

वैक्स करने के बाद भी त्वचा की देखभाल करना जरूरी है. वैक्स करने के बाद कोई अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं. इसके साथ ही साबुन के बजाय चेहरा धोने के लिए फेस वॉश का इस्तेमाल करें.

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