गैजेट्स से यारी, स्वास्थ्य पर भारी

क्या आप भी अपना अधिकतर समय अपने मोबाइल के साथ बिताते हैं? तो आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आप के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. इस से थकान, सिरदर्द, बेचैनी नींद न आना जैसी कई बीमारियां हो जाती हैं.

किशोरों की सुबह मोबाइल अलार्म से शुरू हो कर आईपैड व वीडियो गेम्स, कंप्यूटर और वीडियो चैट, मूवी, लैपटौप आदि के इर्दगिर्द गुजरती है. दिनभर वे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर बिजी रहते हैं. इन्हें नएनए गैजेट्स अपने जीवन में सब से अहम लगते हैं. इन की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन अगर इन का उपयोग जरूरत से ज्यादा होने लगे तो यह एक संकेत है कि आप अपनी सेहत के साथ खुद ही खिलवाड़ कर रहे हैं.

कैलाश हौस्पिटल, नोएडा के डाक्टर संदीप सहाय का कहना है कि देर रात तक स्मार्टफोन, टैब या लैपटौप का इस्तेमाल करने से नींद पर असर पड़ सकता है. इस से न सिर्फ गहरी नींद में खलल पड़ेगा बल्कि अगली सुबह थकावट का एहसास भी होगा. यदि हम एकदो रात अच्छी तरह से न सोएं तो थकावट का एहसास होने लगता है और चुस्ती कम हो जाती है. यह बात सही है कि इस से हमें शारीरिक या मानसिक तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन यदि कईर् रातों तक नींद उड़ी रहे तो न सिर्फ शरीर पर थकान हावी रहेगी बल्कि एकाग्रता और सोचने की क्षमता पर भी असर पड़ेगा. लंबे समय में इस से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं.

गरदन में दर्द : लैपटौप में स्क्रीन और कीबोर्ड काफी नजदीक होते हैं. इस कारण इस पर काम करने वाले को झुकना पड़ता है. इसे गोद में रख कर इस्तेमाल करने पर गरदन को झुकाने की आवश्यकता पड़ती है. इस से गरदन में खिंचाव पैदा होता है, जिस से दर्द होता है. कभी कभी तो डिस्क भी अपनी जगह से खिसक जाती है. लैपटौप पर ज्यादा समय तक काम करने से शरीर का पौश्चर बिगड़ जाता है. लैपटौप में कीबोर्ड कम जगह में बनाया जाता है. इसलिए इस में उंगलियों को अलग स्थितियों में काम करना पड़ता है. इस से उंगलियों में दर्द होता है. चमकती स्क्रीन देखने पर आंखों में चुभन हो सकती है. आंखें लाल होना, उन में खुजली होना और धुंधला दिखाई देना सामान्य समस्याएं हैं.

स्पाइन, नर्व व मांसपेशियों में दिक्कत : दिन का अधिकतर समय लैपटौप पर बिताने से स्पाइन मुड़ जाती है. इस से स्प्रिंग की तरह काम करने की गरदन की जो कार्यप्रणाली है वह भी प्रभावित होती है. इस से तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त भी हो सकती हैं. अधिकतर लोग लैपटौप को पैरों पर रख कर काम करते हैं. इस से भी मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है.

ज्यादा टीवी देखना भी है हानिकारक : ब्रिटिश जर्नल औफ मैडिसन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार 25 या उस से अधिक उम्र के लोगों द्वारा हर घंटे देखे गए टीवी से उन का जीवनकाल 22 सैकंड कम हो जाता है. हर भारतीय एक सप्ताह में औसतन 15-20 घंटे टीवी देखता है. कई शोधों से यह बात भी सामने आई है कि हर घंटे देखे गए टीवी से उन का जीवनकाल 22 सैकंड कम हो जाता है. रोज 2 घंटे टीवी केसामने बिताने से टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा 20त्न बढ़ जाता है.

पढ़ाई से ध्यान हटना :  जो युवा अपना अधिकतर समय कंप्यूटर व गैजेट्स के सामने बिताते हैं उन की पढ़ने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है और धीरेधीरे उन का मन पढ़ाई में कम और गैजेट्स में ज्यादा लगने लगता है. उन को घंटों बैठ कर पढ़ाई करने से ज्यादा अच्छा गेम खेलना लगता है. वे अगर किताबें ले कर बैठ भी जाते हैं तो भी उन का सारा ध्यान कंप्यूटर पर ही टिका रहता है, जो उन की पर्सनैलिटी को नैगेटिव बनाने के साथसाथ उन का कैरियर तक चौपट कर देता है.

असामाजिक होना : वर्चुअल दुनिया का साथ मिलने पर युवा अकसर असामाजिक होने लगते हैं, क्योंकि वे उस दुनिया में अपनी मनमानी करते हैं. वहां उन्हें कोई रोकने वाला नहीं होता है.

लड़कों में नपुंसकता बढ़ती है : देश की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में किए जा रहे अध्ययन से पता चला है कि मोबाइल फोन और उस के टावर्स से निकलने वाली रेडिएशन पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर डालने के अलावा शरीर की कोशिकाओं के डिफैंस मैकेनिज्म को नुकसान पहुंचाती हैं.

क्यों होता है सेहत को नुकसान : एक शोध के अनुसार इलैक्ट्रौनिक उपकरणों के प्रयोग से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. ये उपकरण इलैक्ट्रोमैग्नैटिक रेडिएशन छोड़ते हैं, जिन में मोबाइल फोन, लैपटौप, टैबलेर्ट्स वाईफाई वायरलैस उपकरण शामिल हैं.

शोध के मुताबिक वायरलैस उपकरणों के ज्यादा उपयोग से इलैक्ट्रोमैग्नैटिक हाईपरसैंसेटिविटी की शिकायत हो जाती है, जिसे गैजेट एलर्जी भी कहा जा सकता है.

डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मोबाइल फोन की रेडियो फ्रीक्वैंसी फील्ड शरीर के ऊतकों को प्रभावित करती है. हालांकि शरीर का ऐनर्जी कंट्रोल मैकेनिज्म आरएफ ऐनर्जी के कारण पैदा गरमी को बाहर निकालता है, पर शोध साबित करते हैं कि यह फालतू ऐनर्जी ही अनेक बीमारियों की जड़ है. हम जिस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं उस के नुकसान को अनदेखा करते हैं. मोबाइल फोन, लैपटौप, एयरकंडीशनर, ब्लूटूथ, कंप्यूटर, एमपी3 प्लेयर आदि की रेडिएशंस से नुकसान होता है.

ईएनटी विशेषज्ञ का कहना है कि नुकसान करने वाली रेडिएशंस हमारे स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ करती हैं और हमारी कार्यक्षमता को कम करती हैं. हम पूरे दिन लगभग 500 बार इलैक्ट्रोमैग्नैटिक रेडिएशंस से प्रभावित होते हैं. ये हमारी एकाग्रता को प्रभावित करती हैं. हमें चिड़चिड़ा बनाती हैं और थके होने का एहसास कराती हैं. हमारी स्मरणशक्ति को कमजोर करती हैं, प्रतिरोधक क्षमता को कम करती हैं और सिरदर्द जैसी समस्या पैदा करती हैं.

यही स्थिति मोबाइल की भी है अधिकांश लोग कम से कम 30 मिनट तक मोबाइल पर बात करते हैं. इस तरह एक साल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले को 11 हजार मिनट का रेडिएशन ऐक्सपोजर का सामना करना पड़ता है. मोबाइल फोन के रेडिएशन के खतरे बढ़ते जा रहे हैं.

क्या कहती है रिसर्च

एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो किशोर कंप्यूटर या टीवी के सामने ज्यादा वक्त बिताते हैं उन किशोरों की हड्डियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिस की वजह से वे गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर बढ़ रहे हैं. नौर्वे में हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि किशोरों में हड्डियों की समस्या बढ़ती जा रही है, जिस की वजह कंप्यूटर पर देर तक बैठ कर काम करना है.

अमेरिकन एकैडमी औफ पीडियाट्रिक्स ने कंप्यूटर के इस्तेमाल का समय भी बताया. आर्कटिक विश्वविद्यालय औफ नौर्वे की एनी विंथर ने स्थानीय जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित कराई है, जिस में कंप्यूटर के सामने बैठने की वजह से शारीरिक नुकसान का आकलन किया गया है. इस रिपोर्ट के साथ ही अमेरिकन एकैडमी औफ पीडियाट्रिक्स ने किशोरों के लिए कंप्यूटर के इस्तेमाल का समय भी बताया है.

मोबाइल फोन, लैपटौप आदि के ज्यादा इस्तेमाल से आप की उम्र तेजी से बढ़ रही है, जिस से आप जल्दी बूढ़े हो सकते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इस स्थिति को टैकनैक कहते हैं. इस में इंसान की त्वचा ढीली हो जाती है. गाल लटक जाते हैं और झुर्रियां पड़ जाती हैं. इन सब के कारण इंसान का चेहरा उम्र से पहले ही बूढ़ा लगने लगता है. इस के अलावा आंखों के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं और गरदन व माथे पर उम्र से पहले ही गहरी लकीरें दिखने लगती हैं.

मुंबई के फोर्टिस हौस्पिटल के कौस्मैटिक सर्जन विनोद विज ने बताया कि मोबाइल फोन का लंबे वक्त तक झुक कर इस्तेमाल करने से गरदन, पीठ और कंधे का दर्द हो सकता है. इस के अलावा सिरदर्द, सुन्न, ऊपरी अंग में झुनझुनी के साथ आप को हाथ, बांह, कुहनी और कलाई में दर्द हो सकता है.

ऐसे बचें गैजेट्स की लत से

इंटरनैट और मोबाइल एसोसिएशन औफ इंडिया की हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में 37 करोड़ 10 लाख मोबाइल इंटरनैट यूजर्स होने का अनुमान है, जिन में 40 फीसदी मोबाइल इंटरनैट यूजर्स 19 से 30 वर्ष के हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करने के लिए कई बार आगे की ओर झुकने से रीढ़ की हड्डी, मांसपेशियों और हड्डियों की प्रकृति में बदलाव होने लगता है.

कौस्मैटिक सर्जरी इंस्टिट्यूट के सीनियर कौस्मैटिक सर्जन मोहन थामस कहते हैं कि लोगों को अभी इस बात का एहसास नहीं है कि उन की त्वचा गरदन और रीढ़ की हड्डी को कितना नुकसान पहुंच रहा है. तकनीक के इस्तेमाल के आदी लोगों को इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स की लत से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण गरदन की मांसपेशियां छोटी हो जाती हैं. इस के अलावा त्वचा का गुरुत्वाकर्षणीय खिंचाव भी बढ़ जाता है. इस के कारण त्वचा का ढीलापन, दोहरी ठुड्डी और जबड़ों के लटकने की समस्या हो जाती है.

फ्रांस में अदालत का खटखटाया दरवाजा

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के नए आंकड़ों के मुताबिक भारत की 125 करोड़ की आबादी के पास 98 करोड़ मोबाइल कनैक्शन हैं. हाल ही में फ्रांस की एक अदालत ने इएचएस से पीडि़त एक महिला को विकलांगता भत्ता दे कर वाईफाई और इंटरनैट की पहुंच से दूर शहर छोड़ गांव में रहने का आदेश दिया. हालांकि ऐसा मामला अब तक भारत में नहीं आया, लेकिन अगर आप को भी शारीरिक कमजोरी हो तो डाक्टर को दिखाने के साथसाथ आप भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

वाईन की बोतल का ऐसे करें रियूज

अपनी वाईन की पुरानी बोतलों को अटाले में नहीं दें. इन्हें बचाकर रखें. कुछ बॉटल क्राफ्ट आइडियाज को यूज करके इन बोतलों से आप घर की सजावट भी कर सकती हैं.

थोड़ा क्रिएटिव हो जाएं. किसी फ्रेंड को गिफ्ट देना हो या अपने ही घर के लिए डेकोरेटिव पीस बनाना हो या फिर हॉलिडे डेकोरेशन के लिए कुछ नया चाहिए हो तो अपनी खाली वाईन बोतलों का इस तरह से बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता है.

बोतल लाइट

त्यौहारों पर बाजार के लाइट या कंदील से बोर हो गए हों तो कुछ नया करें. अपनी खाली वाईन की बोतलें स्टोर रूम में से बाहर लाएं और इनमें एलईडी लाईट लगाकर अपने कमरे में या लिविंग रूम में बॉटल लाइटिंग से रौशनी करें. कमरे को नया लुक मिलेगा और आपकी क्रिएटिविटी की तारीफ भी होगी.

कुछ कोजी

ठंड के इस मौसम में सब कुछ कोजी ही अच्छा लगता है फिर चाहे वो फूलदान ही क्यों न हो. अपने फ्रेश फ्लावर्स को ठंड के मौसम में अलग ही लुक दें. कोजी लुक दें. वाइन की बॉटल्स पर कॉटन की रस्सी या जूट की रस्सी लपेटें और पूरी तरह से ढंक दें. यहां कलरफुल यार्न भी यूज किया जा सकता है. क्योंकि सीजन ठंड का है तो डार्क और वॉर्म कलर का यार्न अच्छा लगेगा. ओकेजन और सीजन के अनुसार ही डेकोरेट करें.

बाथरूम सप्लाइज

अपने बोरिंग बाथरूम सप्लाइज भी बदल कर देखें. सबसे पहले शुरुआत करें सोप डिस्पेंसर्स के साथ. बाथरूम को केवल कुछ सिम्पल आइटम्स के साथ आसानी से कस्टमाइज किया जा सकता है.

वाइल्ड-लाइफ

आपकी खाली वाईन की बोतल न केवल ख्याल रखती है बल्कि ये आपकी लोकल वाइल्ड-लाइफ के बेहद काम आएगी. बर्ड फीडर बनाने के लिए इन वाइन की बॉटल्स से बेहतर क्या मिलेगा. कुछ करने की जरूरत नहीं है. साफ बॉटल को उठाकर उसमे फीड भरने तक की ही देर है और देखते ही देखते आपके आंगन में नन्हे मेहमानों की चहचहाने की आवाजें शुरू हो जाएंगी.

कैसे बचें लिपस्टिक ब्लंडर्स से

होंठों की सुंदरता बढ़ाने में लिपस्टिक का खास महत्त्व होता है. मगर कई महिलाएं लिपस्टिक का सही चुनाव नहीं कर पातीं, जिस का प्रभाव उन के लुक्स पर भी पड़ता है. खासतौर पर गर्मी के मौसम में लिपस्टिक के चुनाव में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, नहीं तो पूरा लुक बिगड़ सकता है. ब्यूटीशियन मीनू अरोड़ा कहती हैं, ‘‘गर्मी के मौसम में महिलाएं कपड़ों में कूलिंग इफैक्ट देने वाले रंग ढूंढ़ती हैं. ठीक उसी तरह लिपस्टिक के शेड्स और फिनिश भी मौसम के अनुकूल होनी चाहिए.

महिलाओं को अपनी स्किन टोन का भी ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि लिपस्टिक का शेड स्किन टोन को उभारता है. इस मौसम में ग्लौसी की जगह मैट फिनिश वाली लिपस्टिक का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह लाइट और सोबर लुक देती है.’’

किस स्किन टोन पर कौन सा रंग स्किन टोन पहचानने का सब से अच्छा तरीका होता है कि कलाई पर उभरी हुई नसों का रंग देख लिया जाए. यदि नसों का रंग नीला है तो यह कूल स्किन टोन का प्रतीक है और यदि नसों का रंग हरा है स्किन टोन वार्म होती है. मीनू बताती हैं कि कूल स्किन टोन वाली महिलाओं का रंग पेल व्हाइट और व्हाइट होता है जबकि वार्म स्किन टोन वाली महिलाएं व्हीटिश, डस्की और डीप डार्क होती हैं. हर रंग की त्वचा पर अलग रंग की लिपस्टिक अच्छी लगती है. जैसे :

1. गोरी या बहुत गोरी त्वचा (व्हाइट और पेल व्हाइट) पर पिंक, कोरल, न्यूड और बेज रंग इस मौसम में बहुत अच्छे लगते हैं.

2. व्हीटिश यानी गेंहुए रंग वाली महिलाओं पर रोज रैड, मोव और बेरी शेड्स की लिपस्टिक बहुत अच्छी लगती है. इस रंग की महिलाओं पर कौपर और ब्रौंज कलर की लिपस्टिक भी बहुत जंचती है.

3. यदि त्वचा का रंग सांवला है तो कभी भी ब्राउन और पर्पल फैमिली के लिप शेड्स का इस्तेमाल न करें. इस रंग पर औरेंज फैमिली के शेड्स काफी अच्छे लगते हैं.

4. गहरे सांवले रंग की महिलाएं ब्राउन, प्लम और वाइन कलर की लिपस्टिक में खूब जंचती हैं. 

लिपस्टिक खरीदते वक्त ध्यान रखें

त्वचा के रंग के आधार पर लिपस्टिक खरीदते वक्त कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. मीनू कहती हैं, ‘‘कई महिलाएं चार्ट या ऊपर से लिपस्टिक का रंग देख कर लिपस्टिक खरीद लेती हैं, मगर यह सही तरीका नहीं है. हर ब्रांड में एक ही लिपस्टिक के 2-3 कलर टोन आते हैं और यह होंठों के रंग पर निर्भर करता है की कौन सा कलर टोन अच्छा लगेगा. इसलिए हमेशा लिपस्टिक ट्राए कर के

ही लें.’’

निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें :

1. निचले होंठ के रंग से 2 शेड गहरी लिपस्टिक ही खरीदें. रंग जांचने के लिए लिपस्टिक को निचले होंठ पर लगाएं और ऊपर वाले होंठ के रंग की गहराई से परखें. रंग की गहराई समान होने पर ही लिपस्टिक खरीदें.

2. लिपस्टिक का सही कलर इफैक्ट देखने के लिए बिना मेकअप ओरिजनल स्किन टोन पर लिपस्टिक लगा कर देखें.

3. यदि एक साथ कई लिपस्टिक शेड खरीद रही हैं, तो पहले शेड को होंठों से साफ करने के बाद ही दूसरा ट्राए करें.

मैटी फिनिश के लिए होठों को करें तैयार

गर्मी के मौसम में मैट फिनिश वाली लिपस्टिक सब से अच्छा विकल्प है क्योंकि यह लिपस्टिक गर्मी में पिघल कर फैलती नहीं है. मीनू कहती हैं, ‘‘मैट फिनिश की लिपस्टिक बेहद शालीन लुक देती है मगर इसे लगाने के कुछ नियम होते हैं, जिन के अनुसार इस का इस्तेमाल न किया जाए तो लुक बिगड़ भी सकता है.’’

यह नियम निम्नलिखित हैं :

1. फटे हुए होंठों पर कभी भी मैट फिनिश वाली लिपस्टिक नहीं लगानी चाहिए. यदि होंठ फटे हैं, तो पहले उन्हें स्क्रब कर के ऐक्सफोलिएट कर लें.

2. मैट फिनिश वाली लिपस्टिक होंठों को रूखा कर देती है इसलिए लगाने से पहले होंठों पर बेबी औयल से मसाज कर लेनी चाहिए ताकि होंठों में नमी बनी रहे और होंठों पर दरारें न दिखें.

3. मैट लिपस्टिक का अच्छा इफैक्ट देखने के लिए होंठों पर पहले कंसीलर लगाएं. इस से लिपस्टिक का रंग उभर कर आता है.

4. मैट लिपस्टिक के हमेशा 2 कोट होंठों पर लगाएं और कभी भी होंठों को रब न करें.

5. मैट लिपस्टिक लगाने से पहले होंठों को लिप लाइनर से शेप जरूर दें. दरअसल ग्लौसी लिपस्टिक की तरह मैट लिपस्टिक अपने आप होंठों पर नहीं फैलती इसलिए लिप लाइनर की आउटलाइन के सहारे पूरे होंठों पर लिपस्टिक लगानी चाहिए.

न करें यह गलतियां…

1. ड्रैस के कलर को कॉम्प्लिमैंट करने वाला लिप शेड लगाएं न की ड्रैस के रंग से मैच करता हुआ. यह ड्रैस और मेकअप दोनों का ही लुक बिगाड़ देता है.

2. पतले होंठों पर कभी भी गहरे रंग की लिपस्टिक न लगाएं, होंठ और भी पतले लगेंगे.

3. यदि आंखों पर हैवी मेकअप है तो होंठों को ड्रामैटिक लुक देने से बचें.

फिर खलनायिका बनीं सारा अरफीन खान

सारा अरफीन खान हमेशा खलनायिका के ही किरदार में नजर आती हैं. फिर चाहे वह सीरियल ‘जमाई राजा’ हो अथवा ‘सिया के राम’. सीरियल ‘सिया के राम’ में उन्होंने रावण की बहन सूर्पणखा का किरदार निभाया था. बहरहाल, अब सारा अरफीन खान एक बार फिर सिद्धार्थ पी मल्होत्रा के नए सीरियल ‘लव का है इंतजार’ में खलनायिका के किरदार में नजर आएंगी. जिसे सारा अरफीन ग्रे शेड्स वाला किरदार मानती हैं.

वह कहती हैं, ‘‘सिद्धार्थ पी मल्होत्रा के साथ मैं पहले भी एक सीरियल ‘जिंदगी विन्स’ कर चुकी हूं. इसलिए मुझे पता है कि वह अर्थपूर्ण कार्यक्रम बनाते हैं. मुझे उन पर पूरा यकीन है. इस सीरियल में कीथ सिक्वेरा और संजीदा शेख हैं, मगर कहानी इस तरह की है कि मेरे किरदार के बिना यह कहानी आगे बढ़ ही नहीं सकती. क्योंकि यह ऐसी कहानी है, जिसमें खलनायक ही कहानी में रोचकता पैदा करता है. मैं इस सीरियल में विजयलक्ष्मी का किरदार निभा रही हूं, जिसकी प्राथमिकता उसका पति और उसका अपना परिवार है. यह पहला मौका है जब मैं किसी किरदार को निभाते हुए साड़ी पहने नजर आउंगी.’’

बार बार खलनायिका के ही किरदार निभाने की चर्चा चलाने पर सारा अरफीन खान ने कहा, ‘‘मुझे इस तरह के निगेटिव किरदारों में हमेशा जबरदस्त लोकप्रियता मिलती आयी है. इसलिए मुझे इस तरह के किरदार निभाने से परहेज नहीं. यूं तो निगेटिव किरदार निभाने का निजी जिंदगी पर असर पड़ता है. मगर मैं खुद मनोविज्ञान पढ़ाती हूं, इसलिए मैं इस तरह के किरदार का असर अपनी जिंदगी पर नहीं पड़ने देती. मैं काम को घर पर नहीं ले जाती. शूटिंग खत्म होते ही सब कुछ भूल जाती हूं’’.

ये वीडियो 10 लाख लोग देख चुके हैं, आप भी देखें

सोशल मीडिया आज की दुनिया में लोगों की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बन गया है. अपनी फीलिंग को शेयर करना, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा, सरकार की बुराई और बड़ाई, जवलंत मुद्दों पर चर्चा से आगे बढ़ कर अब एक दूसरे का मजाक उड़ाने के साथ-साथ अब घटनाओं का वीडियो अपलोड करना भी शुरू हो गया है. कई बार लोगों की निजी लाइफ के वीडियो लोगों को इतने पसंद आते हैं कि उसे लाखों करोड़ो लोग देखते है. ऐसा ही एक वीडियो आजकल वायरल हो रहा है.

लोगों के बीच मार-पिटाई के वीडियो तो आपने कई देखे होंगे लेकिन इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लड़कियां एक टॉयलेट में मारपीट करती नजर आ रही हैं. इस वीडियो को फेसबुक पेज पर अपलोड किया गया. अब तक इस वीडियो को 10 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

फिलहाल यह तो पता नहीं चल पाया कि यह वीडियो कब और कहां का है लेकिन लोग इस वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं. फेसबुक पर यूजर्स ने मजेदार कमेंट्स किए, एक ने लिखा कि बाहुबली-3, लगे रहो लड़कियों. इस वीडियो पर लोगों के कमेन्ट देख के आप अपनी हंसी नही रोक पाएंगे.

आप भी देखिए ये वीडियो…

रब ने नहीं फिल्मों ने बना दी जोड़ी

ये बात तो हर कोई जानता है और ये बात सच भी है कि प्यार के बारे में हमें आधी बातें फिल्मों से पता चलती हैं और अपनी जिन्दगी में प्यार करते वक्त हम ख़ुद को किसी फिल्मी हीरो या हीरोइन से कम नहीं समझते हैं.

ऐसे में दिमाग में कई बार ये सवाल आता है कि जब इन सितारों को प्यार होता होगा, तब कैसा होता होगा? वैसे बॉलीवुड के कई कपल्स ऐसे थे, जिनके प्यार की शुरुआत बस स्टैंड या ऑफिस में नहीं, बल्कि फिल्मों के सेट पर ही हुई थी.

आईये हम आपको बताते हैं कि किन फिल्मी जोड़ियों के प्यार की शुरुआत, फिल्मों के सेट से हुई और वे किन फिल्मों की शूटिंग करते वक्त एक दूसरे के दीवाने हो गए.

अभिषेक बच्चन – ऐश्वर्या राय

फिल्म : गुरु

दुनिया को अभी भी याद है ऐश्वर्या-अभिषेक की शादी. करिश्मा कपूर से रिश्ते आगे न बढ़ने के बाद, अभिषेक ‘बंटी और बबली’ के गाने ‘कजरारे’ की शूटिंग के दौरान ऐश्वर्या के क़रीब आये. उनका प्यार परवान चढ़ा, मणि रत्नम की फिल्म ‘गुरु’ की शूटिंग के दौरान. ऐश्वर्या को जूनियर बी का सेंस ऑफ़ ह्यूमर ज़रूर पसंद आया होगा.

2. सैफ – करीना

फिल्म – टशन

करीना और शाहिद का रिलेशनशिप हाई स्कूल लव स्टोरी की तरह एंड हुआ था. करीना को सैफ़ में Mature और समझदार पार्टनर दिखा. दोनों की नज़दीकियां बढ़ीं ‘टशन’ फिल्म के दौरान. उसके बाद ही उनके रिलेशनशिप के चर्चे बॉलीवुड के गलियारों में फैल गए.

3. रणबीर कपूर – कटरीना कैफ

फिल्म: अजब प्रेम की गजब कहानी

इन दोनों के रिलेशनशिप का ख़ुलासा हुआ था स्पेन के बीच पर छुट्टी मानते रणबीर-कटरीना की फ़ोटो के साथ. तब से अभी तक दोनों का रिलेशनशिप ऑन-ऑफ चलता रहा है. किसी को नहीं पता कि ये रिलेशनशिप में हैं भी या नही!

4. रणवीर सिंह – अनुष्का शर्मा

फिल्म : बैंड, बाजा, बारात

रणवीर सिंह और अनुष्का शर्मा यूं तो अब अलग-अलग कपल हैं, लेकिन कभी ये भी कपल हुआ करते थे. रणवीर सिंह और अनुष्का करीब आये थे अपनी फिल्म बैंड, बाजा, बारात से. वैसे फिल्म में इनकी केमिस्ट्री ने आग लगा दी थी और फिल्म के बाहर इनके रिलेशनशिप ने. हालांकि ये रिश्ता ज्यादा दिन चला नहीं.

5. अजय देवगन – काजोल

फिल्म: प्यार तो होना ही था

राहुल-अंजलि की जोड़ी भले ही बेस्ट जोड़ी थी, लेकिन काजोल ने अपने रियल लाइफ ‘राहुल’ के लिए चुना अजय देवगन को. इन दोनों के प्यार की शुरुआत हुई, ‘प्यार तो होना ही था’ के सेट पर. कमाल है, फिल्म का नाम भी सही था!

6. रितेश देशमुख – जेनेलिया

फिल्म : तुझे मेरी कसम

अपनी पहली ही फिल्म में ये दोनों न्यूकमर्स एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए. दोनों ने बाद में भी कुछ और फिल्में भी साथ में की, जिन्होंने दोनों को और पास आने का मौका दिया. दोनों ने साल 2012 में शादी भी कर ली. इन्हें बॉलीवुड के सबसे क्यूट कपल का खिताब भी मिला हुआ है.

7. ट्विंकल खन्ना – अक्षय कुमार

फिल्म : इंटरनेशनल खिलाड़ी

वैसे तो इस फिल्म में अक्षय और रेखा के अफेयर के चर्चे भी खूब चले थे, लेकिन कहते हैं कि इसी फिल्म के बाद ट्विंकल खन्ना ने अपनी फ्रेंड शिल्पा शेट्टी के बॉयफ्रेंड अक्षय कुमार को पसंद कर लिया था. दोनों का अफेयर इसी समय शुरू हुआ था, हालांकि तब अक्षय शिल्पा को डेट कर रहे थे.

8. रणवीर सिंह – दीपिका पदुकोण

फिल्म : रामलीला

ये दोनों इस वक़्त के बेस्ट कपल के रूप में जाने जाते हैं. रणवीर जितने मस्तमौला हैं, दीपिका उतनी ही सहज. दोनों के प्यार की शुरुआत सने लीला भंसाली की फिल्म ‘रामलीला’ के सेट पर हुई. ये प्यार इनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री में भी दिखा.

9. अनुष्का – विराट

एक कमर्शियल

विराट-अनुष्का की जोड़ी में विराट बॉलीवुड से नहीं हैं, तो क्या हुआ. उनके प्रशंसक भी किसी स्टार से कम नहीं. इन दोनों के प्यार की शुरुआत हुई थी एक शैम्पू के ऐड शूट के दौरान.

गामा पहलवान की जिंदगी पर टीवी शो बनाएंगे सलमान

बायोपिक के इस दौर में जब लगातार महान हस्तियों पर फिल्में बन रही है, ऐसे में सलमान खान ने भी गामा पहलवान पर एक बायोपिक बनाने का फैसला किया है. लेकिन सलमान कोई फिल्म नहीं बल्कि छोटे पर्दे के लिए एक शो बनाने जा रहे हैं. यह छोटे पर्दे के लिए एक नए तरह की बॅायोपिक होगी. वैसे इससे पहले महाराणा प्रताप और अशोक जैसे ऐतिहासिक किरदारों पर बायोपिक बन चुकी हैं, जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद भी किया है. अभी सोनी चैनल पर बाजीराव की बायोपिक भी प्रसारित हो रहा है.

खबरों की मानें तो सलमान खान पहले गामा पहलवान पर फिल्म बनाना चाहते थें लेकिन जब उन्हें पता चला कि जॅान अब्राहम भी इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का फैसला कर चुके हैं तो सलमान ने अपना प्रोजेक्ट रोक लिया.

गामा पहलवान को दुनिया में अजेय पहलवान के रूप में जाना जाता है. गामा एक पहलवान परिवार से ही जुड़े हुए थे और मात्र 10 साल में उन्होंनें पहलवानी करियर की शुरूआत कर दी थी. गामा ने मात्र 17 साल की उम्र में पाकिस्तानी पहलवान रहीम बख्श सुल्तानी बाबा नाम के साथ ड्रा खेलकर चौंका दिया था. बाद में गामा ने दोबारा मुकाबला होने पर सुल्तानी  बाबा को पटखनी भी दी. गामा ने अपने समय के सभी महान पहलवानों चाहें वो स्टाइन्सलास जेब्सजाइको हों या अमेरिका के बेंजामिन रोलर, मौरिस डियाज बेल्जियम के जॅान लेम स्विट्जरलैंड के सभी को हराया था.

सूत्र के अनुसार सलमान के प्रोडक्शन हाऊस ने छोटे पर्दे के लिए गामा के जीवन पर एक सीरियल बनाने का फैसला किया है. इसकी शूटिंग विभाजन के समय गामा के गांव रहे अमृतसर में होगी.

सलमान इससे पहले सुल्तान में एक पहलवान की भूमिका में दिख चुके हैं और समय समय पर कुश्ती को लेकर अपने प्रेम को जताते रहते हैं.

गुलाम मोहम्मद उर्फ ‘द ग्रेट गामा’ एक दिन में हजार दण्डबैठक लगाते थें. उनकी डायट में छह देशी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का टॉनिक होता था. इनके जैसा पहलवान भारत को दुबारा नहीं मिल सका है.

10 साल की उम्र में महारथियों को चटाई धूल

पंजाब के अमृतसर में 1878 में जन्में गुलाम ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन वह करीम बक्श जैसे महान पहलवान को भी पटखनी दे देंगे और दुनिया के महारथी बन जाएंगे. पहलवान पिता मोहम्मद अजीज बक्श की मौत के बाद दतिया के महाराज ने गामा को पेशेवर पहलवान बनाने के लिए अपने पास रख लिया. पहलवानी के गुर सीखते हुए गामा ने महज 10 साल की उम्र में ही कई महारथियों को धूल चटा दी.

इस मैच से हुए मशहूर

गामा युवावस्था में थे और उनके सामने आने वाला हर पहलवान धूल चाट लौटता था. 1895 में उनका सामना देश के सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ. गामा ने रहीम से बराबर की कुश्ती लड़ी और आखिरकार मैच ड्रॉ हुआ. इस लड़ाई के बाद गामा पूरे देश में मशहूर हो गए.

पहलवान, जिन्हें नहीं मिली हार

साल-दर-साल गामा की ख्याति बढ़ती रही और वह देश के अजेय पहलवान बन गए. गामा ने 1898 से लेकर 1907 के बीच दतिया के गुलाम मोहिउद्दीन, भोपाल के प्रताब सिंह, इंदौर के अली बाबा सेन और मुल्तान के हसन बक्श जैसे नामी पहलवानों को लगातार हराया. 1910 में एक बार फिर गामा का सामना रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ. एक बार फिर मैच ड्रॉ रहा. अब गामा देश के अकेले ऐसे पहलवान बन चुके थे, जिसे कोई हरा नहीं पाया था.

विदेशी पहलवानों के भी धूल चटाई

भारत में अजेय होने के बाद गामा ब्रिटेन गए. वहां उन्होंने विदेशी पहलवानों को धूल चटाने का मन बनाया लेकिन लंबाई कम होने की वजह से उन्हें वेस्टर्न फाइटिंग में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद, गामा ने वहां के सभी पहलवानों को खुली चुनौती दी लेकिन लोगों ने इसे मार्केटिंग की चाल समझकर तवज्जो नहीं दी. आखिरकार, गामा ने वहां के सबसे बड़े पहलवानों स्टैनिसलॉस जबिश्को और फ्रैंक गॉच को चुनौती दे डाली.

पहले हेवी वेट चैंपियन

चैंपियन स्टैनिसलॉस जबिश्को ने चुनौती स्वीकार कर ली और 10 सितंबर 1910 को फाइट हुई. गामा ने जबिश्को को पहले ही मिनट में जमीन पर पटक दिया. 2 घंटे 35 मिनट तक मैच चला, लेकिन उसे ड्रॉ करार दे दिया गया. मैच दुबारा 19 सितंबर को हुआ और जबिश्को मैच में आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए. इस तरह, गामा वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियन बनने वाले भारत के पहले पहलवान बन गए. यह खिताब रुस्तम-ए-जमां के बराबर था.

1927 में आखिरी फाइट

1911 में गामा का सामना फिर रहीम बक्श से हुआ. इस बार रहीम को गामा ने चित कर दिया. इसके बाद, 1927 में गामा ने आखिरी फाइट लड़ी. उन्होंने स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन को हराकर खामोशी से इस खेल को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. दिलचस्प बात यह रही कि 50 साल के करियर में गामा को कोई हरा ही नहीं सका.

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स म्यूजियम में मिली जगह

1947 में बंटवारे के बाद गामा पाकिस्तान में बस गए और वहीं लंबी बीमारी झेलते हुए 1963 में उनकी मौत हो गई. जिस भार से गामा पहलवान वर्जिश किया करते थे, उस 95 किलो के भार को पटियाला के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स म्यूजियम में आज भी सुरक्षित रखा गया है.

स्टार्स के फैमिली मेंबर्स भी रहें हैं एक्टर

बॉलीवुड ऐसी जगह है जहां अभिनेताओं की बहुत सी पीढ़ियां यहां काम कर लेती हैं. बॉलीवुड में ऐसे बहुत से स्टार्स हैं, जिनके फैमिली मेंबर्स भी फिल्मों में एक्टिंग करते थे.  

रोहित शेट्टी और एमबी शेट्टी

बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर हैं रोहित शेट्टी के पिता भी फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं. उनके पिता का नाम एमबी शेट्टी है, जिन्होंने गुजरे जमाने की फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया है. एमबी शेट्टी ने ‘यादों की बारात’ (1973), ‘डॉन’ (1978), ‘त्रिशूल’ (1978), ‘फकीरा’ (1976), ‘कालीचरण'(1976), ‘शंकर दादा'(1976) सहित अन्य फिल्मों में अभिनय किया है.

हालांकि, एमबी शेट्टी अब दुनिया में नहीं है. उनका निधन 23 जनवरी, 1982 को हुआ था. बता दें कि रोहित ‘गोलमाल’ सीरिज की फिल्म ‘गोलमाल अगेन’ लेकर आ रहे हैं. ये फिल्म इसी साल अक्टूबर में रिलीज होगी.

किरण कुमार और जीवन

किरण कुमार के पिता जीवन भी फेमस विलेन थे. जीवन ने ‘सुहाग’ (1979), ‘नसीब’ (1981), ‘चाचा भतीजा’ (1977), ‘जॉनी मेरा नाम’ (1970) और ‘धरम-वीर’ (1977) सहित कई फिल्मों में काम किया है. वहीं, किरण कुमार ने भी फिल्मों में अलग-अलग किरदार अदा किए हैं.

किरण कुमार ने ‘लव इन शिमला’ (1960), ‘आजाद मोहब्बत’ (1974), ‘पंडित और पठान’ (1977), ‘कालिया’ (1997), ‘औजार’ (1997), ‘प्यार किया तो डरना क्या’ (1998), ‘बेनाम’ (1999), ‘बॉबी जासूस’ (2014), ‘ब्रदर्स’ (2015) सहित कई फिल्मों में काम किया है. जीवन अब इस दुनिया में नहीं है. जीवन का निधन 10 जून 1987 को हुआ था.

रेखा और जैमिनी गणेशन

रेखा के पिता जैमिनी गणेशन जहां साउथ की फिल्मों के सुपरस्टार थे, वहीं उन्होंने बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में भी अभिनय किया है. उन्होंने 1957 में फिल्म ‘मिस मैरी’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस फिल्म में उनके साथ मीना कुमारी थी और ये फिल्म सुपरहिट रही थी. इसके अलावा उन्होंने ‘देवता’ (1956), ‘राज तिलक’ (1958), ‘नजराना’ (1961) में काम किया.

वहीं, रेखा ने ‘सावन भादो’ (1970), ‘खूबसूरत’ (1980), ‘खून भरी मांग’ (1988), ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ (1996), ‘उमराव जान’ (1981) सहित कई फिल्मों में काम किया है. जैमिनी गणेशन अब इस दुनिया में नहीं है. उनका निधन 22 मार्च, 2005 को हुआ था.

अमजद खान और जयंत

बॉलीवुड के ‘गब्बर सिंह’ यानी अमजद खान के पिता जयंत (जकारिया खान) भी फिल्मों में काम कर चुके हैं. जयंत गुजरे जमाने की ज्यादातर फिल्मों में विलेन का रोल निभाते थे. उन्होंने ‘मेरा गांव मेरा देश’ (1971), ‘रेशमा और शेरा’ (1971), ‘हिमालय की गोद में'(1965), ‘सपनों का सौदागर'(1968), ‘अनमोल मोती’ (1969) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है.

अमजद खान ने ‘शोले’ (1975), ‘कसम खून की’ (1977), ‘परवरिश’ (1977), ‘इंकार’ (1978), ‘कसमे वादे’ (1978), ‘कालिया’ (1980), ‘नसीब’ (1981), ‘याराना’ (1981), ‘सत्ते पे सत्ता’ (1981) सहित कई फिल्मों में काम किया है. हालांकि, अमजद खान और उनके पिता जयंत दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं है. अमजद खान का निधन 22 जुलाई, 1992 को और जयंत का निधन 2 जून 1975 को हुआ था.

तेज सप्रू और सप्रू

गुजरे जमाने की फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले सप्रू (दया किशन सप्रू) के बेटे हैं तेज सप्रू. फिल्मों में सप्रू के नाम से फेमस दया किशन सप्रू ने बहुत सी फिल्मों में काम किया है. उन्होंने ‘शहीद’ (1965), ‘मुझे जीने दो’ (1963), ‘प्रेम पुजारी’ (1970), ‘इम्तिहान’ (1974), ‘कसौटी’ (1974), ‘पैसे की गुड़िया’ (1974), ‘चरस’ (1976), ‘दीवार’ (1975) सहित कई फिल्मों में काम किया है.

वहीं, उनके बेटे तेज सप्रू भी बॉलीवुड में फेमस हैं. उन्होंने ‘सुरक्षा’ (1979), ‘राजपूत’ (1982), ‘युद्ध’ (1985), ‘इंसाफ मैं करूंगा’ (1985), ‘त्रिदेव’ (1989), ‘अजूबा’ (1991), ‘मोहरा’ (1994), ‘आग’ (2006) सहित कई फिल्मों में काम किया है. सप्रू अब इस दुनिया में नहीं है. उनका निधन 1979 में हुआ था.

अनीता राज और जगदीश राज

एक्ट्रेस अनीता राज के पिता जगदीश राज ने भी कई फिल्मों में अलग-अलग भूमिकाएं अदा की हैं. जगदीश राज ने ‘पाप का अंत’ (1989), ‘डॉन’ (1978), ‘आग ही आग’ (1988), ‘बॉक्सर’ 91984), ‘मजबूर’ (1983), ‘दीवार’ (1975), ‘ड्रीमगर्ल’ (1977) सहित कई फिल्मों में काम किया है.

अनिता राज ने भी ‘कर्मयुद्ध’ (1985), ‘जान की बाजी’ (1985), ‘गुलामी’ (1985), ‘असली नकली’ (1986), ‘विरोधी’ (1992), ‘चार दिन की चांदनी’ (2012) सहित बहुत सी फिल्मों में काम किया है. बता दें कि जगदीश राज अब इस दुनिया में नहीं है. उनका निधन 28 जुलाई, 2013 को हुआ था.

फरहान अख्तर और हनी ईरानी

फिल्मों का निर्देशन करने के अलावा एक्टिंग में जौहर दिखा रहे फरहान अख्तर की मां हनी ईरानी भी फिल्मों में एक्टिंग कर चुकी हैं. हनी ने ‘सीता और गीता’ (1972), ‘अमर प्रेम’ (1971), ‘कटी पतंग’ (1970), ‘चांदी की दीवार’ (1964) ‘चिराग कहां रोशनी कहां’ (1959) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है.

फरहान अख्तर ने ‘रॉक ऑन’ (2008), ‘जिंदगी ना मिलेंगी दोबारा’ (2011), ‘भाग मिलखा भाग’ (2013), ‘वजीर’ (2016), ‘दिल धड़कने दो’ (2015) फिल्मों में काम किया है.

नए जोड़ों के लिए परफेक्ट है भारत की ये 10 रोमांटिक हनीमून डेस्टिनेशन

प्यार, खुशी, छेड़छाड़ और मस्ती के अनगिनत लमहों का एहसास है हनीमून. इन लमहों को कुछ इस तरह से संजोएं कि जब भी याद आएं तो तन मन गुदगुदा जाए. ऐसे में किसी भी जोड़े के लिए यह एक मुश्किल सवाल होता है हनीमून के लिए सबसे दिलचस्प जगह कौन सी है जहां वह अपने साथी के साथ यादगार लम्हें बिता सकेगा या सकेगी. तो आपकी इस परेशानी का हल निकालते हुआ हम आपको भारत के सबसे खूबसूरत और रोमांटिक हनीमून स्पॉट्स के बारे में बताते हैं.

मनाली

मनाली, भारत के सबसे दिलकश डेस्टिनेशंस में शुमार है. मनाली को हमेशा ही एक रोमांटिक और हनीमून के लिए परफेक्ट स्थल का दर्जा दिया गया है. यहां की खुशनुमा वादियां आपके हनीमून में चार चांद लगा देंगी. यहां आप बर्फ से ढकी चोटियां, कल कल बहती व्यास नदी, ऊंचे ऊंचे वृक्ष, ठंडी हवाएं, प्राकृतिक दिलकश नजारे आदि का जी भर के लुत्फ उठा सकती हैं.

मनाली, कुल्‍लु जिले का एक हिस्‍सा है जो हिमाचल की राजधानी शिमला से 250 किमी. की दूरी पर स्थित है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनाली का नाम मनु से उत्‍पन्‍न हुआ है. यदि बात यहां के पर्यटन की हो तो आपको बता दें कि हनीमून पर आये कपल यहां ऐसा बहुत कुछ देख सकते हैं जो शायद ही उन्होंने कभी देखा हो. मनाली की यात्रा पर यहां आने वाले पर्यटक व्‍यास कुंड, हडिम्‍बा मंदिर, रोहतांग पास, सोलांग घाटी, भरीगु झील, क्लब हाउस, फ्रैंडशिप चोटी, जगन्‍नाथ मंदिर, जगतसुख गांव जैसे स्थानों की यात्रा करना बिलकुल न भूलें.

उदयपुर

अगर आप अपने हनीमून को महलों और झीलों के बीच बिताना चाहती हैं तो उदयपुर एक बेहतर विकल्प है. उदयपुर ‘झीलों के शहर’ के रूप में भी जाना जाता है. इस खूबसूरत जगह पर आप राजसी ठाठ के साथ सुंदर नजारों का लुत्फ उठा सकती हैं. यह जगह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपरा के लिए विख्यात है.

यदि बात इस शहर में पर्यटन की हो तो यहां आने वाले कपल सहेलियों की बाड़ी, बड़ा महल, गुलाब बाग, महाराणा प्रताप स्मारक, लक्ष्मी चौक, दिल कुशल, गोल महल के अलावा यहां मौजूद अलग अलग संग्रहालयों और गैलरियों की यात्रा अवश्य करें.

गोवा

भारत में लोगों को गोवा काफी पसंद हैं. गोवा अपने समुद्र तटों, वॉटर स्पोटर्स एडवेंचर, चर्च और नाइट लाइफ के लिए जाना जाता है. वहां पर ऐसी कई सुंदर और आकर्षक जगह हैं जो आपका मन मोह लेगी गोवा को अगर हनीमून डेस्टिनेशन कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. गोवा है ही प्रेमी जोड़ों की पसंद जहां वह समुद्र की लहरों के साथ अपने प्रेम को भी अठखेलियां करने का आंनद लेते हैं.

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है. आप यहां आकर नैनीताल की रंगीन वादियों में अपने पार्टनर के साथ और मजबूत रिश्ता बना सकती हैं. बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है. इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है. इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है. नैनीताल अपने खूबसूरत परिदृश्यों और शांत परिवेश के कारण पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है.

नैनीताल की सुदरंता पर्यटक और हनीमून पर आये कपल को बेहद ही सुखनुमा अनुभव प्रदान करती हैं. यहां आने वाले कपल स्नो व्यू, टिफिन टॉप, चाइना पीक किलबरी, खुर्पाताल, लैंडस-एंड, मॉल रोड जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को यादगार बनाएं.

धर्मशाला

धर्मशाला को ‘पहाड़ों की रानी’, ‘सौंदर्य की देवी’, ‘भारत में एक मिनी ल्हासा’ जैसे कई नामों से संबोधित किया जाता है. धर्मशाला कांगड़ा के उत्तर-पूर्व में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह शहर चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, शिमला से 322 किलोमीटर और नई दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

कांगड़ा घाटी में हिमालय की घौलाधार पहाडि़यों पर बसे इस बेहद ख़ूबसूरत शहर की तरफ लोग बस यूंही खिंचे चले आते हैं. हिमायल की दिलकश, बर्फ से ढ़की चोटियां, चारों ओर हरे भरे खेत, हरियाली और कुदरती सुन्दरता,चाय बागानों, चीड के जंगलों और देवदार के पेड़ों से घिरा धर्मशाला है ही इतना रोमांटिक और खूबसूरत जो आने वाले किसी भी कपल का मन मोह सकता है.

बात यदि एक कपल के लिए यहां मौजूद पर्यटक स्थलों की हो तो यहां आने के बाद कपल डल झील, हरिपुर- गुलेर, मछिरल, ततवानी हॉट स्प्रिंग, त्रिउंड, सेंट जॉन चर्च, हनुमान का टिब्बा, करेरी जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को हमेशा के लिए यादगार बनाएं.

अंडमान निकोबार द्वीप

अगर आप अपने पार्टनर के साथ शोरगुल से दूर अकेले में सुकुन के साथ समय बिताना चाहती हैं तो यह आपके लिए बेस्ट जगह है. आपके लिए इस जगह से अच्छी कोई रोमांटिक जगह नहीं होगी.

श्रीनगर

बात अगर हनीमून डेस्टिनेशंस की हो, और कश्मीर की खूबसूरत वादियोँ का जिक्र ना हो ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. कश्मीर जिसे धरती के स्वर्ग के नाम से जाना जाता है. तभी तो कोई भी जोड़ा हो उसकी पहली पसंद श्रीनगर ही होती है जहाँ वह अपनी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत फलसफा शुरू करना चाहते हैं. तो चलिए हनीमून को यादगार बनाने के लिए श्रीनगर की दिलकश वादियों में. जहां आप बेहद आकर्षक नजारों को देखने के साथ साथ शिकारे का आंनद भी उठा सकती हैं. ये प्रेम-लीन जोड़ों का पसंदीदा स्थान है. यह शहर अपनी नगीन और डल जैसी खूबसूरत झीलों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. यहां के निशात बाग, शालीमार बाग, अच्‍छाबल बाग, चश्‍मा शाही और परी महल काफी प्रसिद्ध हैं.

मसूरी

कुदरत का अनमोल खजाना मसूरी जिसे ‘पहाड़ों की रानी’ के नाम से भी जाना जाता हैं. उत्तराखंड राज्य में स्थित मसूरी देहरादून से 35 किमी की दूरी पर अवस्थित हैं जहां लोग बार बार आना पंसद करते हैं. मसूरी अपने पर्यटन के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. मसूरी की छोटी-छोटी सड़कों से जब गाड़ियां घूमकर जाती है तो पहाड़ियों का नजारा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है.

बात यदि एक कपल के लिए यहां मौजूद पर्यटक स्थलों की हो तो यहां आने के बाद कपल चाइल्डर्स लॉज, मसूरी झील, संतरा देवी मंदिर, गन हिल, केम्पटी फॉल, लेक मिस्ट जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को हमेशा के लिए यादगार बनाएं.

शिमला

अगर आप अपने हनीमून को कुछ रोमांटिक के साथ-साथ रोमांच से भरपूर देना चेहते है तो इससे अच्छी फिर कोई जगह नहीं है. यह अपनी खूबसूरती के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यह एक ऐसी जगह है जहां पर पूरे विश्व से पर्यटक आते रहते है. यहां की चांदनी रात अपने में ही एक अलग है.

यहां पर सर्दियों के मौसम को ‘लौंग मून नाइट्स’ यानी लम्बी चांदनी रातों का मौसम कहते हैं. यहां की हरी भरी पहाड़ियां, निर्मिल झरने, शांत झीलों, ऊंची चोटियां सैलानियों को अपने मोहपाश में ऐसे बांध लेती हैं कि उनसे दूर होने का मन ही नहीं होता हैं.

गुलमर्ग

गुलमर्ग जम्‍मू और कश्‍मीर का एक खूबसूरत हिल स्‍टेशन है. इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्‍वर्ग भी कहा जाता है. यह देश के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों में से एक हैं. फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्‍थान बारामूला जिले में स्थित है. समुद्र तल से 2730 मी. की ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहां बड़ी संख्‍या में पर्यटक आते हैं.

प्राकृतिक नजारों से भरपूर गुलमर्ग में कहीं पहाड़ियों पर दूर तक जमी बर्फ तो कहीं धरती पर चादर की तरह फैले फूल मन को हर्षित कर जाते हैं, और हनीमून कपल्स को अपनी ओर खींचते हैं. या यूं कहें, बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान हनीमून कपल्स के लिए बेस्टम बेस्ट जगह है. यंहा आने वाले कपल गोल्‍फ कोर्स, स्‍कींग रिजॉर्ट, खिलनमर्ग, अलपाथर झील, निंगली नल्‍लाह जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को यादगार बनाएं.

कोल्हापुरी चप्पल दे स्टाइलिश लुक

‘स्टाइलिश’ कपड़ों के साथ ‘फुटवियर’ भी बहुत मायने रखते हैं. काम-काज वाली महिलाओं को आरामदायक और ‘फ्लैट’ जूते ही पसंद आते हैं. ऐसे में इस गर्मी आप कोल्हापुरी चप्पल भी ‘ट्राई’ कर सकती हैं. यह सलवार-सूट और जींस किसी भी ‘आउटफिट’ के साथ काफी बढ़िया लुक देती है. आइए जानते हैं कोल्हापुरी चप्पल के कुछ खूबसूरत डिजाइन्स के बारे में.

एम्ब्रॉयडरी कोल्हापुरी

इस चप्पल पर कढ़ाई की होती है जो देखने में काफी खूबसूरत लगती है. इस ‘एम्ब्रॉएडेड’ कोल्हापुरी चप्पल को पटियाला सूट या कुर्ती के साथ भी पहन सकती हैं जो काफी बढ़िया लुक देगी.

कैजुअल कोल्हापुरी

सिंपल कोल्हापुरी चप्पल में ज्यादातर एक ही रंग आता है जिसे किसी भी ड्रेस के साथ पहन सकती हैं. डार्क ब्राउन रंग की यह चप्पल आप रोज पहन सकती हैं.

पॉम पॉम स्टाइल

कोल्हापुरी चप्पल पर पॉम पॉम स्टाइल काफी बढ़िया लगता है. इस चप्पल को किसी भी ड्रेस के साथ पहन सकती हैं, काफी स्टाइलिश लुक देगी.

मिरर वर्क कोल्हापुरी

मिरर वर्क कोल्हापुरी अभी ट्रेंड में है. सूट से लेकर चप्पलों पर भी ‘मिरर वर्क’ बहुत बढ़िया लगता है. यह कोल्हापुरी चप्पल जींस के साथ भी पहन सकती हैं.

घूंघरू वाली कोल्हापुरी

कुछ महिलाओं को घूंघरू की छनछन काफी पसंद होती है. ऐसे में वे इस स्टाइल की चप्पल भी ले सकती हैं.

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