शादी में परफेक्ट हो आपका लंहगा

शादी की तैयारियों दुल्‍हन की सबसे खास और अ‍हम चीज होती है इस खास दिन पहने जाने वाला जोड़ा. अगर आप भी दुल्‍हन बनने वाली हैं और अपनी वेडिंग ड्रेस को लेकर कंफ्यूज हैं तो यहां बताए जा रहे टिप्‍स की मदद से चुनें परफेक्ट लहंगा.

1. अपनी हाइट, वेट और कलर को सूट करने वाला डिजाइन चुनें. क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि जो लहंगा आप को खूबसूरत लग रहा हो वह पहनने पर भी उतना ही जंचे.

2. अगर आपकी हाइट अच्‍छी है लेकिन आपका वेट ज्‍यादा नहीं हैं तो आपको घेरदार लहंगा पहनना चाहिए. इससे आपकी हाइट ज्‍यादा नहीं लगेगी. वहीं अगर आपकी हाइट छोटी है और हेल्‍थ ज्‍यादा है तो घेरदार लहंगा पहनने की बात भूलकर भी न सोचें. आपके ऊपर बारीक डिजाइन वाला लहंगा अच्‍छा लगेगा.

3. अगर आप हेल्दी हैं लेकिन आपकी हाइट अच्‍छी है तो फि‍टिंग वाला लहंगा आप पर खूब फबेगा. इससे आपका मोटापा दब जाएगा और आप थोड़ी पतली लगेंगी.

4. अगर आपका रंग गोरा है तो आप किसी भी रंग का लहंगा चुन सकती हैं. सॉफ्ट पेस्टल, पिंक, पीच या लाइट सॉफ्ट ग्रीन जैसे रंग आप पर बहुत अच्‍छे लगेंगे.

5. अगर आपका रंग गेहुंआ है तो आप इन रंगों का चुनाव कर सकती हैं जैसे, रूबी रेड, नेवी ब्लू, ऑरेंज रस्ट, गोल्डन, रॉयल ब्लू आदि. वहीं पेस्टल कलर को चुनने से बचें.

6. डस्की ब्‍यूटी पर ब्राइट कलर जैसे, मजेंटा, लाल, नारंगी आदि कलर बहुत अच्‍छे लगते हैं और अगर आप बांग्ला, साउथ इंडियन या फिर गुजराती हैं तो सफेद रंग चुनने में आपको परेशानी नहीं होगी.

7. ध्यान रखें कि अगर लहंगा बहुत भारी वर्क वाला हो तो दुपट्टा हल्का लें. अगर दोनों भारी वर्क वाले होंगे तो आपकी ज्‍वैलरी का लुक अच्‍छा नहीं आएगा और आपका लुक बहुत भारी लगेगा. हालांकि लहंगा इतना भी भारी न खरीद लें कि आप उसे संभाल ही न पाएं.

‘सबसे बड़े झूठे इंसान हैं अमिताभ बच्चन’

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को सभी बेहद सुलझा हुआ इंसान मानते हैं. हर किसी को उनकी सादगी पसंद आती है. इसके साथ ही उनके शुद्ध हिंदी बोलने के अंदाज के तो सभी कायल हैं लेकिन कोई है जिसे अमिताभ के अंदर सिर्फ बुराई ही नजर आ रही है.

ये और कोई नहीं बॉलीवुड निर्देशक राम गोपाल वर्मा हैं. यूं तो राम गोपाल वर्मा अपने बयान को लेकर कई बार कॉन्ट्रोवर्सी में रह चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने अमिताभ बच्चन को झूठा बता कर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है.

यही नहीं राम गोपाल वर्मा ने उन्हें सबसे बड़े झूठा इंसान होने का अवार्ड तक दे डाला. इसके बाद इस पूरे वाकये का वीडियो भी शेयर किया. ये बात आपके भी गले से उतर नहीं रही होगी. मामला कुछ समझ नहीं आ रहा. सवाल तो ये भी है कि राम गोपाल वर्मा ने इतना कुछ बोल दिया फिर भी अमिताभ का जवाब क्यों नहीं आया.

दरअसल, रामगोपाल के दूसरे बयानों की तरह ये कोई कॉन्ट्रोवर्शियल स्टेटमेंट नहीं है. अपनी आने वाली फिल्म ‘सरकार 3’ के प्रमोशन के लिए निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने अमिताभ बच्चन का एक इंटरव्यू लिया है .

राम गोपाल वर्मा ने अपने ट्विटर अकाउंट से इंटरव्यू की कुछ फोटोज और वीडियो शेयर किए हैं. उन्होंने लिखा है, ‘पहली बार मैं पत्रकार बना और पहली बार किसी फिल्म डायरेक्टर ने बच्चन का इंटरव्यू लिया. पूरा इंटरव्यू 8 मई को सुबह 11 बजे आएगा.’

इस इंटरव्यू के जारी प्रोमोज में राम गोपाल वर्मा ने अमिताभ बच्चन से काफी रूखे लहजे में अजीबो-गरीब सवाल-जवाब कर रहें है. इंटरव्यू के दौरान राम गोपाल वर्मा ने अमिताभ को सबसे महान झूठे व्यक्ति का अवॉर्ड तक दे डाला है.

इंटरव्यू के दौरान कुछ सवालों पर अमिताभ बच्चन को गुस्सा भी आ गया. लेकिन इसे देखकर आपको मजा आएगा, ये एंटरटेनमेंट की हल्की-फुल्की डोज है.

आपको बता दें की फिल्म ‘सरकार 3’ 12 मई को रिलीज होने वाली है. फिल्म में इस बार एक्ट्रेस यामी गौतम भी नजर आएंगी. सरकार सीरिज का पहला पार्ट साल 2005 में आया था. उस फिल्म में एक्ट्रेस कटरीना कैफ और अभिषेक बच्चन मुख्य किरदार में थे. इस फिल्म का दूसरा पार्ट 2008 में रिलीज किया गया जिसमें में अभिषेक बच्चन के अपोजिट ऐश्वर्या राय बच्चन भी नजर आईं.

यहां देखिए वीडियो.

 

 

 

बलात्कार के मुद्दे पर चुप नहीं बैठना चाहती रवीना टंडन

नारी के साथ बलात्कार व हत्या के मुद्दे पर एक बोल्ड व विचारोत्तेजक फिल्म ‘‘मातृ’’ में अभिनय करने के बाद से अभिनेत्री रवीना टंडन ने अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं समझ लिया है. वह इस मुद्दे पर लगातार काम करते रहना चाहती हैं. इसी के चलते हाल में रवीना टंडन ने केंद्रीय महिला विकास मंत्री मेनका गांधी को भी पत्र लिखा.

इस संबंध में खुद रवीना टंडन कहती हैं, ‘‘जिस दिन मैंने अखबार में एक ही दिन में पूरे देश के अलग अलग शहरों में पांच बलात्कार की खबरें पढ़ी, उसी दिन मैंने उन खबरों की कटिंग के साथ केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को पत्र लिखा कि अब तो कड़क कानून बनाए जाएं. आखिर वह महिला विकास मंत्रालय की मंत्री हैं. मैंने उनसे निवदेन किया कि वह कानून में बदलाव करें, जिससे लोगों के अंदर डर पैदा हो. निर्भयाकांड होने के बाद ही हमने ज्युविनाइल लॉ में बदलाव किया. इस पर उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकारी काम किस गति से होते हैं. देखिए, कहीं भी बलात्कार की घटना घटित होती है, तो मेरा खून खौल उठता है. इसलिए मैं लोगो में जागरूकता लाने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहती हूं.’’

वह आगे कहती हैं, ‘‘निर्भया कांड से किसी ने कोई सबक नहीं सीखा. चार दिन पहले जब सुबह मैंने अखबार उठाया था, तो अलग अलग शहरों में मिलाकर पांच महिलाओं के साथ बलात्कार किए जाने की खबरें थी. कलकत्ता में आठ साल की बच्ची, बंगलुरु में तीन साल की बच्ची, दिल्ली में पांच साल की बच्ची मुंबई में तो एक पॉश कॉलनी में अधेड़ उम्र की महिला व दिल्ली में एक अस्सी साल की औरत के साथ बलात्कार हुआ. आखिर हम कब तक इस तरह की खबरे पढ़कर आंख मूंदे रहेंगे.’’ 

रवीना टंडन आगे कहती हैं, ‘‘मैं प्रचार के लिए कोई काम नहीं करती. मगर हम फिल्म बनाकर एक संदेश दे सकते हैं, पर उस संदेश को लोगों तक पहुंचाना मीडिया का काम है. पत्रकारों का काम है. यदि पत्रकार नहीं होंगे, तो मैं अपने घर में कुछ भी चिल्लाती रहूं, उसका कुछ असर नहीं होगा. मैं इसलिए लोगों से कहती हूं कि फिल्म ‘मातृ’ में मैंने जो संदेश देने की कोशिश की है, उसे आम लोगों तक पहुंचाने का काम मीडिया करे.’’

बलात्कारियों की चर्चा करेत हुए रवीना टंडन कहती हैं, ‘‘जो अपराधी होते हैं, वह बचपन से ही इस ढंग का अपराध करते हैं. वह बचपन में कुत्ते या बिल्ली को पत्थर मारकर या उनकी पूंछ पकड़कर खींचते हुए इंज्वॉय करते हैं. यह जो क्रूरता है, वह धीरे धीरे उनके दिमाग में बैठती जाती है. धीरे धीरे यही लोग अपने इंज्वॉयमेंट के लिए दूसरों को कष्ट देना शुरू करते हैं. ऐसे ही बच्चे स्कूल में अपनी कक्षा के सहपाठियों को परेशान करते हैं. फिर यह लड़कियों को छेड़ते हुए इंज्वॉय करते हैं. धीरे धीरे इनका मनोबल बढ़ता रहता है और फिर यह बलात्कार व हत्या की घटनाओें को अंजाम देने लगते हैं. इसलिए हर मां को चाहिए कि वह अपने बेटों पर बचपन से ही नजर रखते हुए उन्हें इस तरह की हरकते न करने के लिए समझाए. हमें अपने बेटों को बचपन से सिखाना चाहिए कि उसे दयालु होना है. हर इंसान खासकर लड़कियों और औरतों की इज्जत करनी है.’’

अभिनेत्रियों का शानदार डेब्यू लेकिन फ्लॉप कैरियर

दीया मिर्जा ने 30 अप्रैल 2014 को शादी कर सेटल होने की फैसला लेते हुए बॉलीवुड में डायरेक्टर और को-प्रोड्यूसर साहिल सिंगा से सगाई कर ली थी. उस दौरान दीया का फिल्मी करियर कुछ खास नहीं चल रहा था. दरअसल साल 2000 में मिस एशिया-पैसेफिक इंटरनेशनल बनकर फिल्मी करियर की शुरुआत करने वालीं दीया कॉलेज के दिनों से ही मॉडलिंग करने लगी थीं.

साल 2002 में उन्होंने फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ से बॉलीवुड में एंट्री ली. इस फिल्म के लिए इन्हें बेस्ट डेब्यू का अवार्ड भी मिला. लेकिन बाद में वो बॉलीवुड में कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकीं. बॉलीवुड में ऐसी कई अभिनेत्रियां हैं, जिन्होंने करियर की शुरुआत को काफी अच्छी की लेकिन वो बावजूद इसके खुद को स्टेबलिश नहीं कर पाईं. बी-टाउन की ऐसी ही कुछ अभिनेत्रियां, जिनके शानदार डेब्यू के बावजूद उनका करियर फ्लॉप रहा.

तनुश्री दत्ता

2004 में फेमिना मिस इंडिया टाइटिल जीतने के बाद 2005 में फिल्म ‘आशिक बनाया आपने’ से तनुश्री दत्ता ने बॉलीवुड में एंट्री की. पहली ही फिल्म में एक्टर इमरान हाशमी के साथ जबरदस्त बोल्ड सीन से खूब वाहवाही लूटी. बाद में उन्होंने ‘चॉकलेट'(2005), ‘रिस्क'(2007), ‘गुड ब्वॉय-बैड ब्वॉय(2007)’, ‘रकीब'(2007), ‘ढोल'(2007), ‘स्पीड'(2007), ‘सास, बहू और सेंसेक्स'(2008), ‘रॉक'(2010) जैसी फिल्मों में काम किया. लेकिन फिर भी वो बॉलीवुड में कदम नहीं जमा सकीं. बता दें, तनुश्री साल 2010 में फिल्म ‘अपार्टमेंट’ में आखिरी बार नजर आई थीं.

सेलिना जेटली

2001 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीतने के बाद सेलिना ने फरदीन खान के साथ फिल्म ‘जानशीन'(2003) से बॉलीवुड करियर शुरू किया. पहली ही फिल्म में कई बिकिनी सीन देने वाली इस एक्ट्रेस की इंडस्ट्री में बोल्ड इमेज बन गई. लेकिन इससे न तो उनका फिल्मी करियर चला और न ही इमेज बदली.

उन्होंने ‘खेल'(2003), ‘सिलसिले'(2004), ‘नो एंट्री'(2005), ‘जवानी-दीवानी’ (2005), ‘जिंदा’ (2006), ‘अपना सपना मनी-मनी'(2006), ‘रेड'(2006), ‘शाकालाका बूम-बूम'(2007), ‘मनी है तो हनी है'(2008), ‘गोलमाल रिटर्न्स'(2008) सहित कई फिल्मों में काम किया. लेकिन उनके बोल्ड सीन का उनके कैरियर पर खासा असर नहीम हुआ. आखिरी बार सेलेना साल 2011 में फिल्म ‘थैंक्यू’ में नजर आईं.

नेहा धूपिया

मॉडलिंग से फिल्मों में आई नेहा धूपिया के खाते में कई सफल फिल्में हैं, लेकिन बतौर एक्ट्रेस उनका करियर सफल नहीं रहा. नेहा ने 1994 में मलयालम फिल्म ‘मिन्नाराम’ से डेब्यू किया. तो वहीं हिन्दी में उनकी पहली फिल्म ‘कयामत: सिटी अंडर थ्रीट'(2003) रही. इसके बाद ‘जूली'(2003), ‘क्या कूल हैं हम'(2005) और ‘गरम मसाला'(2005) जैसी फिल्मों में उनका बोल्ड अवतार देखने को मिला. लेकिन उनकी फिल्में नहीं चल सकीं. नेहा की आखिरी फिल्म ‘मोह माया मनी'(2015) थी जो कि बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी.

मल्लिका शेरावत

मल्लिका की पहली फिल्म ‘ख्वाहिश'(2003) रही. जिसमें उन्होंने करीब 17 किसिंग सीन देकर सनसनी मचा दी थी. इसके बाद उन्होंने हिट फिल्म ‘मर्डर'(2004) में भी बेहद बोल्ड सीन्स किए. बावजूद इसके उनका फिल्मी करियर कुछ खास नहीं रहा. उन्होंने ‘किस किस की किस्मत'(2004), ‘बचके रहना रे बाबा'(2005), ‘प्यार के साइड इफेक्ट्स'(2006), ‘शादी से पहले'(2006), ‘डरना जरूरी है'(2006), ‘आपका सुरूर'(2007), ‘वेलकम'(2007), ‘अगली और पगली(2008)’, ‘मान गए मुगल-ए-आजम'(2008), ‘हिस्स'(2010), ‘डबल धमाल'(2011) सहित कई फिल्मों में काम किया. मल्लिका की आखिरी फिल्म ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ (2015) रही.

उदिता गोस्वामी

मॉडल से एक्ट्रेस बनीं उदिता गोस्वामी ने 2003 में पूजा भट्ट के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘पाप’ से फिल्मी सफर शुरू किया. फिल्म में उदिता ने जॉन अब्राहम के साथ कई बोल्ड सीन दिए. इसके बाद ‘जहर'(2005) और ‘अक्सर'(2006) जैसी फिल्मों में भी इमरान हाशमी के साथ उदिता बोल्ड अंदाज में नजर आईं. ये सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं.

‘जहर’ और ‘अक्सर’ के अलावा ‘अगर'(2007), ‘किससे प्यार करूं'(2009), ‘फॉक्स'(2009), ‘चेस'(2010), ‘रॉक'(2010) जैसी फिल्मों में उदिता ने काम किया. उदिता आखिरी बार ‘डायरी ऑफ बटरफ्लाय'(2012) फिल्म में नजर आई.

अमृता राव

अमृता राव ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 2002 में फिल्म ‘अब के बरस’ से की थी. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू अवॉर्ड का नोमिनेशन भी मिला. हालांकि अमृता को पहचान सुपरहिट फिल्म ‘विवाह'(2006) से मिली. इसके बाद अमृता ने ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ (2008), ‘मैं हूं ना'(2004), ‘हे बेबी'(2007), ‘लाइफ पार्टनर’ (2009), ‘जाने कहां से आई है'(2010) और ‘जॉली एलएलबी'(2013) जैसी फिल्मों में काम किया.

साल 2011 में अमृता 50 मोस्ट डिजायरेबल वुमन की लिस्ट में भी शामिल रहीं लेकिन उनका फिल्मी करियर कुछ कमाल नहीं दिखा सका. आखिरी बार अमृता साल 2013 में फिल्म ‘सत्याग्रह’ में दिखी थीं.

मेघना नायडू

बॉलीवुड एक्ट्रेस मेघना नायडू ने 18 साल की उम्र में ही करियर की शुरुआत कर दी थी. मेघना 1999 में तेलुगु फिल्म ‘प्रेम साक्षी’ में काम किया. हालांकि उन्हें लाइमलाइट म्यूजिक वीडियो ‘कलियों का चमन'(2000) से मिली. जिसके बाद उन्होंने ‘थोड़ा रेशम लगता है’, ‘दिल दे दिया था’ सहित कई म्यूजिक वीडियो में काम किया. यही नहीं मेघना ने फिल्म ‘हवस'(2003) से बॉलीवुड में डेब्यू किया.

इसके बाद मेघना ‘क्लासिक डांस ऑफ लव'(2004), ‘जैकपॉट: द मनी गेम'(2004) जैसी कई फिल्मों दिखीं. उन्हें आखिरी बार फिल्म ‘क्या कूल हैं हम-3′(2016) में देखा गया था.

अमृता अरोड़ा

अमृता ने फिल्म ‘कितने दूर कितने पास’ (2002) से बॉलीवुड में एंट्री ली थी. उन्होंने फिल्म ‘रक्त'(2004) में संजय दत्त के साथ कई बोल्ड सीन दिए, लेकिन इसके बावजूद वे बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने में सफल नहीं हो पाईं. उन्होंने ‘आवारा पागल दीवाना'(2002), ‘फाइट क्लब'(2006), ‘एक और एक ग्यारह'(2003), ‘जमीन'(2003), ‘स्पीड'(2007), ‘हे बेबी'(2007), ‘राख'(2007), ‘हीरोज'(2008), ‘हैलो'(2008) सहित कई फिल्मों में किया. आखिरी बार अमृता ‘एक थो चांस'(2009) फिल्म में नजर आईं.

आमची मुंबई के रंग

सपनों के शहर मुंबई यानी मायानगरी के बारे में यह कहावत प्रचलित है कि बड़े से ले कर छोटे कामकाज करने वाले सभी लोग यहां अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए दूरदूर से आते हैं और नाकामयाबी के बाद भी वे यह शहर छोड़ नहीं पाते. इस की माया में वे ऐसे बंध जाते हैं कि सफलता की उम्मीद लगाए सालोंसाल काट लेते हैं.

भौगोलिक दृष्टिकोण से महाराष्ट्र का मुंबई लावा द्वारा निर्मित 7 छो टेछोटे द्वीपों को जोड़ कर बनाया गया शहर है. एक ओर समुद्री किनारा तो दूसरी ओर सहयाद्रि की पर्वत शृंखला इस की शोभा को बढ़ाते हैं. प्राकृतिक रूप से कटेफटे समुद्री किनारे होने की वजह से यह स्थान बंदरगाह के लिए बहुत उपयुक्त है.

यह देश की आर्थिकनगरी होने के साथसाथ फिल्म उद्योग का प्रमुख केंद्र है. यह देश और विदेश के हर शहर से किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ है. अरब सागर से सटे होने की वजह से यहां की जलवायु माइल्ड है, न तो अधिक गरमी, न ही अधिक सर्दी. यही वजह है कि सैलानी यहां किसी भी मौसम में आ सकते हैं. शहर में घूमने के लिए टूरिस्ट बसें, आटो और लोकल ट्रेन काफी लाभदायक हैं. परिवहन यहां अधिक महंगा नहीं. यहां आने पर खास जगहों को देखना न भूलें.

मुंबई घूमने दुनियाभर से पर्यटक आते हैं और इस औद्योगिक नगरी में जम कर मौजमस्ती करते हैं.

प्रमुख तौर पर यहां गेटवे औफ इंडिया सब से पौपुलर जगह है जहां सैलानी सब से पहले आना पसंद करते हैं. 1911 में किंग जौर्ज के भारत में स्वागत के लिए इस का निर्माण कराया गया था. कोलाबा में अपोलो बंदरगाह के सिरे पर मुंबई बंदरगाह के किनारे यह विजयद्वार पीले बैसाल्ट पत्थरों से निर्मित है. इसे देख कर आप को दिल्ली के इंडिया गेट की याद बरबस आ जाएगी. यहां से एलिफैंटा द्वीप के लिए मोटर बोट चलती हैं.

गेटवे औफ इंडिया के अलावा फ्लोरा फाउंटेन भी एक बार विचरण करने लायक जगह है. इस का निर्माण 1869 में सर बार्टले फरेरे के सम्मान में किया गया. यह फाउंटेन उस क्षेत्र में है, जहां महाराष्ट्र राज्य के लिए शहीद होने वालों की याद में स्मारक बनाया गया है.

फिल्मों में आप मरीन ड्राइव का नाम सुनते आए होंगे. यकीन मानिए यहां आ कर फिल्मों में दिखने वाली मरीन ड्राइव बिलकुल अलग एहसास देती है. 1920 में निर्मित मरीन ड्राइव अरब सागर के किनारेकिनारे, नरीमन पौइंट पर सोसाइटी लाइब्रेरी और मुंबई राज्य सैंट्रल लाइब्रेरी से ले कर चौपाटी से होते हुए मालाबार हिल तक के क्षेत्र में है. यह जगह लोकल मुंबइकर्स के लिए भी बड़ी चहेती है.

मरीन ड्राइव की तरह जुहू और चौपाटी के भी नाम आप उत्तर भारतीय फिल्मों में देखते और सुनते रहते हैं. जुहू बीच की खूबसूरती के क्या कहने. 5 किलोमीटर लंबा यह तट पिकनिक स्पौट का सब से उम्दा स्थल है. यहां सपेरे, खिलौने बेचने वाले, फलविक्रेता, गोलचक्कर वाले झूले और ज्योतिषी आदि भी मिल जाते हैं. ज्योतिषों से जरा बच कर रहें. भविष्य बताने के नाम पर ये ठगने में उस्ताद होते हैं.

जबकि चौपाटी बीच में तो हमेशा रंगीनी छाई रहती है. यहां रातदिन रैलियां, फिल्मों की शूटिंग आकर्षण बने रहते हैं. यहां आएं तो भेलपूरी और चाट का जायका लेना न भूलें. धोबीघाट भी विदेशी पर्यटकों को काफी रोचक लगता है. जब एक जगह पर पूरे मुंबई शहर के कपड़े धुलते दिखेंगे तो इलाका तो मजेदार दिखेगा ही.

महालक्ष्मी स्थित नगरनिगम के इस घाट में लगभग 5,000 व्यक्ति शहरभर से लाए गए कपड़ों की धुलाई करते हैं. ‘धोबीघाट’ के नाम से तो आमिर खान ने एक फिल्म भी बनाई थी. साथ में, मालाबार हिल भी आकर्षक जगह है, खासतौर से यहां का हैंगिंग गार्डन. यहां झाडि़यों को काट कर जानवरों की शक्ल दी गई है, जो इस गार्डन की विशेषता बन गए हैं. गौथिक शैली में बना विक्टोरिया टर्मिनस का डिजाइन फ्रैडरिक स्टीवंस ने तैयार किया तथा 1887 में इस का निर्माणकार्य पूरा हुआ.

कम लोगों को पता है कि अपनी मुंबई यात्रा के दौरान महात्मा गांधी मणि भवन में रुके थे. तब से इस जगह और उन कमरों को ठीक उसी हाल में रखा गया है. यहां उन के जीवन से संबंधित चिह्नों को प्रदर्शित किया गया है. यह भवन रोजाना सुबह 9.30 बजे से सायं 6.00 बजे तक खुला रहता है तथा यहां प्रवेश निशुल्क है.

इन तमाम जगहों के अलावा बैंडस्टैंड, जीजामाता उद्यान, खाऊ गली, तारापोरवाला एक्वेरियम और छत्रपति शिवाजी वास्तु संग्रहालय भी दर्शनीय स्थल हैं.

बैंडस्टैंड

मुंबई के बांद्रा उपनगर के पश्चिमी किनारे का 1.2 किलोमीटर लंबा मार्ग जौगिंग व समुद्री किनारे का आनंद लेने के लिए खास है. यहां अधिकतर प्रेमीप्रेमिका अपने प्रेम का इजहार करने व सुकून में बातचीत करने के लिए आते हैं. लैंड्स एंड के अंतिम छोर पर एक ‘प्रोमोनेड’ है जहां मुंबई फैस्टिवल का आयोजन किया जाता है. जिस में यहां की कला और संस्कृति से जुड़े नाटक का मंचन, शास्त्रीय संगीत और नृत्य का आयोजन हर साल किया जाता है.

यहां का सूर्यास्त देखने लायक है. इस के अलावा यहां बांद्रा किला और माउंट मैरी चर्च भी काफी लोकप्रिय हैं. हिंदी सिनेमा जगत के प्रसिद्ध कलाकारों के सम्मान में यहां पीतल की 6 प्रतिमाएं लगाई गई हैं जो देखने लायक हैं. बैंडस्टैंड से निकल कर अगर आप आटो से 3 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं तो लिंकिंग रोड आता है. जहां पहुंचने पर आप को करीने से सजी हुई जूतों, चप्पलों और ड्रैस की दुकानें मिलती हैं.

यहां के जूते और चप्पलें अधिकतर मुंबई के आसपास के शहरों जैसे माथेरान, नासिक और कोल्हापुर से आती हैं. ये सामान खरीदते वक्त आप को मोलभाव करने की जरूरत अधिक होती है, क्योंकि यहां पर मिलने वाले सामान की कीमतें उन के दाम से दोगुनी बताई जाती हैं. लिंकिंग रोड से निकल कर आप आटो या बस से बांद्रा स्टेशन पहुंच कर चर्चगेट वाली ट्रेन पकड़ कर मुंबई सैंट्रल उतर जाएं, वहां से टैक्सी द्वारा 10 से 15 मिनट का सफर कर आप जीजामाता उद्यान पहुंच सकते हैं.

जीजामाता उद्यान

मुंबई के भायखला पूर्व में जीजामाता उद्यान है. 53 एकड़ में बना यह ‘जू’ भारत का सब से पुराना चिडि़याघर है. यह भायखला स्टेशन और मुंबई सैंट्रल स्टेशन से पास पड़ता है. यह चिडि़याघर विभिन्न प्रकार के पेड़पौधों, जानवरों और पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है. यहां 26 प्रजातियों के 200 जानवर, 8 मगरमच्छ और 45 प्रजातियों की 450 पक्षियां हैं. लेकिन कुछ दशकों से इस के रखरखाव पर ध्यान न देने की वजह से जानवरों और पेड़पौधों की संख्या में कमी आई है.

हाल ही में नगरपालिका की नजर इस विरासत पर पड़ने की वजह से अब इस पर ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि यह पर्यटन की दृष्टि से काफी आकर्षक है. यहां अफ्रीकी शेर, जेबरा, तेंदुआ, पैंगोलिन, माउस हिरण, हाथी, हिप्पो पोटेमस आदि देखने के लिए उपलब्ध हैं.

इस चिडि़याघर की नई आकर्षण है 8 हंबोल्ट पेंगुइन, जो दक्षिण कोरिया के सिओल से लाई गई है. जिन में से एक की मृत्यु हो जाने पर अभी 7 पेंगुइन हैं, जिन की पूरी तरह से देखभाल की जा रही है. उन के लिए पर्याप्त साफसफाई और सही तापमान का भी खयाल रखा जा रहा है.

इस की लागत अधिक होने की वजह से इस की टिकट दर अधिक है. इसे देखने के लिए वयस्कों का 100 रुपए और 16 साल से कम के लिए  50 रुपए का टिकट है. उद्यान के खुलने का समय सुबह 10.30 से सायं 5.30 बजे तक है. केवल जीजामाता चिडि़याघर में प्रवेश पाने के लिए बड़ों के लिए 5 रुपए और बच्चों के लिए 2 रुपए के टिकट हैं.

घूमतेघूमते जब आप थक जाते हैं, तो आप को एक अच्छी खाने की जगह चाहिए, ऐसे में मुंबई की जावेरी बाजार की खाऊ गली को देखना न भूलें, जहां आप की जेब के हिसाब से तरहतरह की मुंबइया चाट, भेलपूरी, बर्फ का कालाखट्टा गोला, गन्ने का जूस, जलेबी, फाफड़ा आदि सब मिलता है. इस के लिए आप जीजामाता उद्यान से टैक्सी द्वारा 20 मिनट का रास्ता तय कर वहां पहुंच सकते हैं.

खाऊ गली

खाऊ गली फूडी लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है. वैसे तो मुंबई में कई खाऊ गली हैं, जहां महाराष्ट्र की परंपरागत चाट, भेलपुरी, रगड़ा पाव, बड़ा पाव आदि सही दाम पर मिलते हैं, पर यह गली व्यापार के लिए भी खास है. गोल्ड और डायमंड व्यापारी यहां करोड़ों रुपयों का व्यवसाय बैठेबैठे ही कर लेते हैं.

करीब 5 हजार लोग हर दिन अपनी भूख मिटाने यहां आते हैं. व्यापार के साथसाथ खानपान भी चलता रहता है. यहां की कचौड़ी, पापड़ी, प्याज और मूंग दाल की भजिया के साथ बादाम का शरबत और गन्ने का जूस काफी पौपुलर है. खाऊ गली से निकल कर आप टैक्सी से 15 मिनट का रास्ता तय कर तारापोरवाला एक्वेरियम जा सकते हैं.

मुंबई शहर के मुख्य आकर्षणों में मरीन ड्राइव पर स्थित तारापोरवाला मछलीघर भारत का सब से पुराना एक्वेरियम है. यहां खारे पानी और मीठे पानी में रहने वाली 400 प्रजातियों की 2 हजार मछलियां हैं. मछलीघर में 12 फुट लंबी और 180 डिगरी एक्रेलिक में एक कांच की सुरंग है, जो इस की खास आकर्षण है.

इस के अलावा एक पूल में ऐसी मछलियां हैं, जो हानिरहित हैं, जिन्हें बच्चे छू सकते हैं. मछलियों को कांच के बड़े टैंक में एलईडी लाइट के सहारे उचित तापमान में रखा गया है. मुंबई दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है.

छत्रपति शिवाजी वास्तु संग्रहालय

3 एकड़ के एरिया में बना हुआ यह संग्रहालय पाम ट्रीज और फूलों के बगीचे से घिरा है. इस का निर्माण प्रिंस औफ वेल्स ने भारतयात्रा के समय मुंबई के उद्योगपतियों द्वारा करवाया था.

यह गेटवे औफ इंडिया के निकट दक्षिणी मुंबई में स्थित है. इस की वास्तुकला ‘इंडो सरसेनिक’ शैली में है, जो मुगलों और मराठाओं की खास शैली थी. पहले इस का नाम प्रिंस औफ वेल्स था, लेकिन मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज के बाद इस का नाम बदल कर छत्रपति शिवाजी संग्रहालय रखा गया.

इस संग्रहालय में करीब 50 हजार देसी और विदेशी कलाकृतियों को देखा जा सकता है. जिन में सिंधु

घाटी की सभ्यता से ले कर गुप्त, मौर्य, चालुक्य आदि के अवशेष शामिल हैं.

यहां आप पूरे परिवार के साथ आ कर ऐतिहासिक वस्तुओं को नजदीक से देख सकते हैं. इतिहास में अगर आप की रुचि है, तो इसे अवश्य देखें.

यहां से चर्चगेट स्टेशन काफी नजदीक है. मिनिमम किराए की टैक्सी ले कर आप चर्चगेट स्टेशन पहुंचें, फिर वहां से अपने गंतव्य स्थान के लिए लोकल ट्रेन ले सकते हैं.

इस के अलावा बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु, होटल ताज, हाजी अली भी मुंबई के आकर्षक पर्यटनस्थल है.

टेस्टी और हेल्दी स्नैक्स नाचोज

नाचोज के नाम से फेमस मक्‍के के चिप्स का जादू आजकल बच्चों और युवावर्ग के सर चढ़कर बोल रहा है. ये न सिर्फ खाने में टेस्‍टी होता है बल्कि हेल्दी भी होता है. आप इसे हेल्‍दी स्‍नैक्‍स के तौर पर बच्‍चों और घरवालों के लिए तैयार कर सकती हैं.

सामग्री

मक्के का आटा – 1 कप (150 ग्राम)

गेहूं का आटा – ½ कप (75 ग्राम)

तेल – 2 टेबल स्पून

नमक – स्वादानुसार

हल्दी पाउडर – ¼ छोटी चम्मच

अजवायन- ¼ छोटी चम्मच

तेल- तलने के लिए

विधि

किसी बड़े बर्तन में मक्के का आटा लीजिए और इसमें गेहूं का आटा, नमक और हल्दी पाउडर डाल दीजिए. साथ ही, अजवायन मसलकर और तेल भी डाल दीजिए सभी सामग्रियों को अच्छे से मिला लें. फिर, हल्के गरम पानी की सहायता से थोड़ा सख्त आटा गूंथ लीजिए. आटे को ढककर 10 से 15 मिनिट के लिए रख दीजिए ताकि आटा फूलकर सैट हो जाए.

आटा सैट होने के बाद, हाथ को थोड़े से तेल से चिकना कर लीजिए और आटे को थोड़ा सा मसल लीजिए. मक्‍की के चिप्‍स बनाने के लिए आटे से छोटी-छोटी लोइयां तोड़कर तैयार कर लीजिए. एक लोई उठाकर हाथों से गोल कर लीजिए और फिर इसे दबाकर पेड़े जैसा बना लीजिए.

इसके बाद, चकले और बेलन को थोड़े से तेल से चिकना कर लीजिए. फिर, लोई को बिल्कुल पतला चपाती की तरह बेलकर तैयार कर लीजिए. बेलते समय लोई बार-बार उठाकर रखने में चिपक रही है, तो चकले को घुमाकर ही इसे बेलिए. पूरी बेलने के बाद कांटे (फॉर्क) की मदद से इसे गोद लीजिए. गोदने के बाद, इसे कटर की सहायता से बीच से आधा करते हुए काट लीजिए.

अब इन्‍हें तिकोने शेप में काटकर तैयार कीजीए. कड़ाही में तेल गरम कर लीजिए. हल्के गरम तेल में नाचोज तले जाएंगे. तेल चेक कर लीजिए. हाथ को कड़ाही के ऊपर रखिए और हल्की गर्माहट लग रही हो, तो तेल उपयुक्त गरम है. इसके बाद, सावधानी से नाचोज चिप्स उठाकर कड़ाही में तलने के लिए डाल दीजिए. नाचोज चिप्स को दोनों ओर से अच्छे गोल्डन ब्राउन होने तक तल लीजिए.

तले हुए मक्‍के के चिप्‍स निकालकर नैपकिन पेपर बिछी प्लेट में रख लीजिए. नाचोज चिप्स बनकर तैयार हैं.

मसालेदार नाचोज बनाने के लिए एक प्याले में ½ छोटी चम्मच नमक,  ½ छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर,  ½ छोटी चम्मच अमचूर पाउडर और ¼ छोटी चम्मच काली मिर्च पाउडर डालकर मिक्स कर लीजिए.

इस मसाले को मक्‍के के चिप्‍स के ऊपर हल्का-हल्का डालते हुए छिड़क दीजिए और मिला दीजिए. क्रिस्पी और मसालेदार नाचोज चिप्स बनकर तैयार है.

घमौरियों से पाना है निजात तो..

गर्मी में घमौरी होना आम बात है. ज्यादा पसीना निकलने की वजह से घमौरियां होने लगती हैं. लेकिन इस समस्या से बचने का उपाय आपके घर में ही मौजूद है. केमिकल वाले पाउडर या कोई और दवा लगाने से बेहतर है कि आप घरेलू नुस्खों को आजमाएं. होममेड तरीकों से घमौरियां तो दूर होंगी ही साथ ही किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होगा.

नींबू और खीरा

एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ें. इसमें खीरे की एक स्लाइस डुबोकर घमौरियों पर 10 मिनट तक लगाएं. ऐसा करने से घमौरियों में आराम मिलेगा.

ऐलोवेरा जेल

एक चम्मच ऐलोवेरा जेल घमौरियों पर लगाएं. 20 मिनट बाद धो लें. ऐसा रोज दिन में 3 से चार बार करें. फायदा होगा.

नीम की पत्तियां

नीम की 20 से 30 पत्तियों को एक गिलास पानी में उबाल लें. ठंडा होने के बाद घमौरियों पर लगाएं. कुछ देर बाद नहा लें. ऐसा रोज करें, घमौरियों में तो फायदा होगा ही स्किन से जुड़ी कोई दूसरी समस्या भी नहीं होगी.

नारियल तेल

एक चम्मच नारियल तेल में एक कपूर मिलाएं. इसे घमौरियों पर लगाएं. आराम मिलेगा.

आइस क्यूब

एक प्लास्टिक बैग में आइस क्यूब डालें. इससे रोज 10 मिनट तक घमौरियों पर सिंकाई करें. फायदा होगा.

बेकिंग सोडा

5 चम्मच पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिला लें. इसे घमौरियों पर लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें. ऐसा रोज दिन में 2 बार करें.

मुल्तानी मिट्टी

2 चम्मच मुल्तानी मिट्टी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को घमौरियों पर लगाएं. कुछ देर के लिए सूखने दें और फिर धो लें. मुल्तानी मिट्टी की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसे लगाने से स्किन में ठंडक का ऐहसास होगा.

ऐपल साइडर विनिगर

कॉटन बॉल के जरिए ऐपल साइडर विनिगर को घमौरियों पर लगाएं. करीब 20 मिनट बाद इसे धो लें. ऐसा दिन में दो बार करें.

ऑलिव ऑयल

एक चम्मच ऑलिव ऑयल और एक चम्मच शहद मिलाकर घमौरियों पर लगाएं. 20 मिनट बाद इसे धो लें. ऐसा रोज दिन में दो बार करें.

संरक्षणवाद की आंधी

अमेरिका में डौनल्ड ट्रंप की सरकार को कुछ मोरचों पर शिकस्त मिल रही है पर फिर भी वे अपने चुनावी नारों को थोपने में लगे हैं. आईटी प्रोफैशनल्स को एच-1बी वीजा अब कठिनाई से मिलेगा और अमेरिकी कंपनियों में अमेरिकियों को ही नौकरियों पर रखना होगा.

यह सोचना कि अमेरिकी कंपनियां पहले पैसा बचाने के लिए भारत जैसे देशों से आईटी प्रोफैशनल्स को बुलाती थीं, गलत होगा. असल में अमेरिका में पढ़ाई महंगी है और एकदो दशकों से वहां के युवा मौजमस्ती में ज्यादा लगे हैं, काम के प्रति गंभीर होने के बजाय. इधर भारत में ऊंची जातियों के पढ़ेलिखे लोगों के बच्चे और मेहनत कर के अपना स्तर सुधारने में लगे हैं. भारत में नौकरी के अवसर कम मिलने के कारण उन्होंने अमेरिका में नौकरियां ढूंढ़ी और अपनी मेहनत से अपना रंग जमा लिया.

इन कंपनियों के आम गोरे मालिक या मैनेजर भारतीयों को आदर से देखते हों ऐसा नहीं है. जैसा व्यवहार वे अपने देश के काले या दक्षिण अमेरिका से आए मिश्रित लैटिनों से करते रहे हैं, उस से थोड़ा सा अच्छा है. अंगरेजी के ज्ञान के कारण उन की दोस्ती अच्छी चलती है और इसीलिए कंपनियां उन्हें एशिया के दूसरे क्षेत्रों से ज्यादा पसंद करती हैं.

पर अमेरिकियों के मन में भारतीयों के बारे में भी वैसा ही भेदभाव व गुस्सा है जैसा दूसरे बाहरियों के साथ. यह ट्रंप की जीत ने साबित कर दिया है. वैसे ऊंची जातियों के अमेरिकी नागरिकता प्राप्त मूल भारतीयों में से ज्यादातर ने कट्टर रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन किया था पर उन्हें अब असल रंग समझ आ रहे हैं.

अमेरिका जा कर अपना भविष्य बनाने का सपना हर भारतीय युवा का होता है और मातापिता लाखों इस पर खर्च करते हैं. असल में इंजीनियरिंग व मैडिकल प्रवेश परीक्षाओं में जो मारामारी है वह इसी अमेरिकी नौकरी की वजह से है और यही नहीं मिली तो समझो कि पूरा भविष्य चौपट हो गया.

अब यह सपना टूट रहा है. न अमेरिका में नौकरियां मिलेंगी, न अमेरिकी कंपनियां भारतीय कंपनियों को काम के ठेके दे पाएंगी. एक तरह से दोनों को टाइट बकसों में रहना पड़ेगा. वैश्वीकरण के सपनों में अब क्रैक पड़ रहे हैं. ऊपर से भारत में अफ्रीकियों के साथ जो व्यवहार हो रहा है उस से अफ्रीका में मिलने वाली मोटे वेतन वाली नौकरियों पर आंच आने लगी है. सिंगापुर भी कुछ बंधन लगाने लगा है.

अगर ऐसे में देश में ही नौकरियों के अवसर न मिले तो बच्चों की पढ़ाई पर किया खर्च बेकार हो जाएगा और अच्छे मेधावी छात्रों को छोटी नौकरियों से संतोष करना होगा. भारत अमेरिका तो क्या न चीन बन पाएगा और यहां तक कि शायद वियतनाम जैसे देश से भी पिछड़ न जाए.

नस्ली भेदभाव

भारत में विदेशियों का रहना मुश्किल होता जा रहा है. चाहे पश्चिमी देशों के गोरे हों या अफ्रीका के काले, हमारा रंग भेद इतना ज्यादा गहरा गया है कि किसी को नहीं बख्शा जा रहा. अकेली पर्यटन पर आई गोरी युवतियों को तो यहां गाइड, टैक्सी ड्राइवर, होटलों के कर्मचारी हरदम बिस्तर पर बिछने को तैयार मानते हैं और उन के नानुकर करने पर बलात्कार कर मार तक डालते हैं. कितनों का ही गैंगरेप किया जाता है.

अभी दिल्ली के निकट नोएडा में रह रहे कई सौ अफ्रीकी छात्रों के साथ बुरी तरह मारपीट की गई. आरोप वैसा ही था जैसा मुसलिम पर गौमांस रखने पर लगाया जाता है. कहा गया कि अफ्रीकियों ने एक स्थानीय युवक को नशे की आदत डाल दी और वह मर गया. इस पर सैकड़ों की भीड़ ने कालों पर हमले शुरू कर दिए. कभी मौल में तो कभी घरों के आसपास. एक युवती को टैक्सी में से घसीट कर बुरी तरह मारा.

नोएडा तो छोडि़ए जो उत्तर प्रदेश में आता है, दिल्ली में भी अफ्रीकियों को रंग की वजह से छेड़ा जाता है. अफ्रीकी दब्बू नहीं होते और प्रतिकार करते हैं तो भीड़ जमा कर ली जाती है. कई बस्तियों में इस तरह के कांड हो चुके हैं. आम आदमी पार्टी के एक मंत्री की एक बार अच्छी मुठभेड़ हुई और उन्होंने सभी अफ्रीकियों को किसी न किसी तरह का अपराधी घोषित कर दिया.

यह रंग भेद हमारी जाति, वर्ण भेद की उपज है. जाति हमारी रगों में इस बुरी तरह भरी है कि हर दूसरा व्यक्ति हमें या तो मजाक का पात्र लगता है या दुश्मन. रंग के कारण हमारे यहां की सांवली युवतियां अपनी पूरी जिंदगी मरमर कर बिता देती हैं. काले युवकों का भी यही हाल होता है. अफ्रीकियों को तो नीचा इसीलिए समझा जाता है कि उन का रंग हमारे गांवों के दलित मजदूरों का सा होता है.

दूसरी तरफ गोरे को हर कोई कच्चा चबा लेना चाहता है. गोरी युवतियों का चाहे देशी ही हों, घर से बाहर निकलना दूभर रहता है. उन की शादी तो आसानी से हो जाती है पर वे हर समय भयभीत रहती हैं कि कब, कौन आक्रमण कर दे.

हमारे समाज ने युवतियों और दूसरों को इज्जत से रखने का पाठ कभी नहीं पढ़ाया. हर कोई तानों व मजाक का निशाना रहता है. पहले मदरासी व बंगाली का मजाक उड़ता था. सरदारों पर बने चुटकुलों पर कोई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.

अपने से अलग तरह के लोगों को न मिलाने की वजह से ही हमारी कुंडली मिला कर विवाह करने की आदत है जिस से हमें विविधता का ज्ञान ही नहीं होता. हमें अपने से अलग लोगों से मिलजुल कर रहने की आदत ही नहीं पड़ती. ‘क्वीन’ फिल्म में नायिका को एक अफ्रीकी, एक गोरे और एक पूर्व एशियाई के साथ कुछ दिन मौज उड़ाते दिखाया गया था पर यह हमारे जीवन का हिस्सा नहीं है.

नोएडा और दिल्ली में जो हो रहा है उस से अफ्रीका में भारत की छवि बहुत खराब हुई है. अफ्रीका प्रगति की दौड़ में खासा तेज है और किसी रोज कुछ देश एशिया को मात देने लगें तो आश्चर्य नहीं है. अफ्रीका के कितने ही देशों की प्रति व्यक्ति आय भारतीय प्रति व्यक्ति आय से बेहतर है. उन से पंगा लेना हमें बहुत महंगा पड़ेगा.

आपने देखा शिवगामी और कटप्पा का रोमांस

‘बाहुबली 2’ को रिलीज को एक सप्ताह हो गए हैं. लेकिन यह फिल्म अभी भी सुर्खियों में बनी हुई है. एस एस राजमौली की फिल्म ‘बाहुबली- द कन्क्लूजन’ सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी अपने नाम कई रिकॉर्ड कायम की है. रिकॉर्ड्स के मामले में ये फिल्म रिलीज के पहले से ही स्पॉटलाइट में बनी हुई थी.

फिल्म ‘बाहुबली’ को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता मिली है. फिल्म के सभी किरदार चाहे वो बाहुबली हों, कटप्पा हों या शिवगामी फैंस से सभी को बहुत प्यार मिला है.

अब फिल्म में ‘शिवगामी’ और ‘कटप्पा’ का रोल निभाने वाले राम्या कृष्णन और सत्यराज को एक टेक्सटाइल कंपनी की तरफ से एक एडवर्टिजमेंट मिला है. यह ऐड सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

इस ऐड में कटप्पा यानी सत्यराज और शिवगामी यानी राम्या कृष्‍णन एक रॉयल कपल के अंदाज में रोमांस करते नजर आ रहे हैं. हालांकि फिल्म में कटप्पा एक वफादार नौकर बने हैं लेकिन यहां उनका नया अवतार बिलकुल अलग है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें