अपनी मुस्कुराहट से पीलापन हटाएं

कई बार गलत खान -पीन और समय पर दांतों की सफाई ना करने से आपके दांत पीले पड़ जाते हैं. दांत हमारी खूबसूरत मुस्कराहट को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए उनकी देखभाल बहुत जरूरी हो जाता है.

यहां हम आपको दांतों को साफ और चमकदार बनाने के कुछ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं :

1. बेकिंग सोडा आपके दांतों का पीलापन दूर करता है. इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले आपको गर्म पानी में बेकिंग सोडा मिलाना होगा और आब इस पानी से गरारे करने के बाद, अपनी उंगलियों को दांतों पर रगड़ें, इससे आपके दांतों का           पीलापन दूर होता है.

2. संतरे का छिलका भी दांतों को साफ और चमकीला बनाने में सहायक होता है. संतरे के छिलकों को दांतों पर कुछ दिनों तक लगातार स्क्रब करने से आपके दांतों का पीलापन दूर होगा.

3. क्या आप ये बात जानते हैं कि सेव के सिरके को दांतों पर स्क्रब या ब्रश करने से आपके दांत मजबूत होते हैं, इससे दांतों में मौजूद सारे खतरनाक बेक्टेरिया खत्म हो जाते हैं.

4. इसके अलावा केले के छिलके को दांतों पर रगड़ने से भी दांतों का पीलापन दूर हो जाता है.

5. पुराने समय की तरह नीम की दातुन करने से भी दांत एकदम साफ हो जाते हैं.

6. नींबू के रस की मदद से दांतों पर गरारे करने से आपके दांत सफेद हो जाते हैं. इसके अलावा आप निम्बू का छिलका भी अपने दांतों पर रगड़ कर, दातों का पीलापन दूर कर सकते हैं .

7. अपने दांतो को साफ करने के लिए तुलसी के पौधे से पत्ते लेकर, उन पत्तों को रगड़ कर उनका पाउडर बना लें. अब इस पाउडर को हर रोज आपके दांतो पर इस्तेमाल होने वाले टूथपेस्ट में मिलाकर दांतों की सफाई करें.

अनसुलझी है इन अभिनेत्रियों की मौत

बॉलीवुड की कुछ कहानियां बेहद स्याह नजर आती हैं और उन पर भरोसा करना भी काफी कठिन है. बॉलीवुड की वो अभिनेत्रियां जिनकी मौत की कहानी पर किसी को भी भरोसा नहीं हुआ था. और आज भी इनकी मौत का राज इनके साथ ही दफन हो गया है.

दिव्या भारती

‘शोला और शबनम’, ‘दीवाना’ और रंग जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीतने वाली दिवंगत अभिनेत्री दिव्या भारती आज भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी चुलबुली अदाकारी और खूबसूरती आज भी दर्शक की जेहन में हैं. दिव्या भारती उन कलाकारों में गिनी जाती है जिनका करियर महज कुछ वर्षों का रहा. दिव्या भारती की पहली हिंदी फिल्म ‘विश्वात्मा’ थी और वो तेजी से सफलता की सीढियां चढ रही थीं. हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में महज 4 साल बिताकर मौत को गले लगाने वाली क्यूट और बबली अभिनेत्री दिव्या भारती की मौत के पीछे की सच्चाई से भी कोई वाकिफ नहीं है.

लोगों का मानना है कि 19 अप्रैल, 1993 के दिन दिव्या भारती ने अपनी बिल्डिंग के पांचवें माले से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों और किसके कहने पर किया यह कोई नहीं जानता. कुछ का तो यह भी कहना है कि दिव्या भारती को किसी ने धक्का देकर मार डाला था. इतने साल बीत जाने के बाद भी उनकी मौत पर का राज बरकरार है. दिव्‍या भारती की तरह बॉलीवुड की कई ऐसी अभिनेत्रियां हैं जिनकी मौत का राज, राज ही है.

जिया खान

रामगोपाल वर्मा की फिल्‍म ‘निशब्‍द’ से बॉलीवुड में डेब्‍यू करने वाली अभिनेत्री जिया खान ने 3 जून 2013 को मौत को गले लगा लिया. पुलिस की जांच के मुताबिक जिया खान ने आत्महत्या की थी, लेकिन उनके परिजन के मुताबिक जिया की हत्या हुई थी. इस मामले में पुलिस ने अभिनेता आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली को आरोपी बनाया था. सूरज पंचोली और जिया खान कथित तौर पर रिलेशनशिप में थे. सूरज से पुलिस ने काफी पूछताछ की थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. जिया की बॉडी उनके अपार्टमेंट में पंखे से लटकी मिली थी लेकिन मुंबई पुलिस किसी भी संतोषजनक नतीजे पर नहीं पहुंची. इस मामले में एफबीआई भी इन्वॉल्व हो चुकी है. फिलहाल मौत की गुत्‍थी अभी सुलझी नहीं है.

परवीन बॉबी

22 जनवरी 2005 को उस समय बॉलीवुड सदमे में आ गया, जब दिग्‍गज अदाकारा परवीन बॉबी के निधन की खबर आई. वे दक्षिण मुंबई स्थित अपने घर में मृत मिलीं. बॉलीवुड में अपने बोल्‍ड अदाओं से दर्शकों को हैरान करने वाली अभिनेत्री ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्‍में दी. जब उनकी मौत की खबर आई, तो हर वो शख्‍स हैरान हो गया जो उन्‍हें थोड़ा-सा भी जानता था. परवीन बॉबी की मौत किस कारण हुई यह अभी तक पहेली बनी हुई है. कहा जाता है कि उनकी मौत की खबर भी दो दिन बाद लोगों को पता चली थी. 

सिल्‍क स्मिता

दक्षिण भारतीय सिनेमा की पूर्व अभिनेत्री‍ सिल्‍क स्मिता को कौन नहीं जानता. अपने जमाने में बोल्‍ड अभिनेत्री के तौर पर शुमार सिल्‍क उर्फ विजयलक्ष्‍मी को एक विवादित एक्‍ट्रेस में भी गिना जाता है. उन्‍होंने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे, वहीं उनकी मौत भी एक रहस्य बन गई. सिल्‍क स्मिता 23 सितंबर, 1996 को मात्र 36 की उम्र में चेन्नई स्थित अपने घर में मृत पाई गई थीं. सिल्क स्मिता को शोहरत तो खूब मिली, लेकिन अकेलापन उन्हें डसने लगा था. धीरे-धीरे वे शराब और नशे की गिरफ्त में आ गईं. शायद नशे की लत के कारण उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर ली थी. उनकी कहानी पर फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ भी बनी जिसमें विद्या बालन ने सिल्क का किरदार निभाया.

नफीसा जोसेफ

साल 1997 में मिस इंडिया यूनिवर्स का ताज अपने नाम करने वाली नफीसा जोसेफ साल 2004 में मात्र 25 साल की उम्र में वे फंदे पर झूल गईं. नफीसा की पहचान एक मॉडल के साथ-साथ MTV के होस्‍ट की भी थी. उन्‍होंने बॉलीवुड फिल्‍म ‘ताल’ में काम किया था. लेकिन उन्‍होंने आत्‍महत्‍या क्‍यों की इस पर रहस्‍य बरकरार है.

विवेका बाबजी

मॉडल जगत में पहचान बना चुकी विवेका बाबजी 2010 में मुंबई स्थित अपने घर में पंखे पर लटकी मृत पाई गईं. पुलिस के अनुसार डिप्रेशन के चलते विवेका ने सुसाइड किया था. लेकिन अपनी डायरी में उन्‍होंने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने बॉयफ्रेंड गौतम वोहरा को ठहराया. लेकिन उनके और गौतम के बीच ऐसा क्या हुआ था कि बात आत्महत्या तक जा पंहुची, इसका खुलासा हो ही नहीं पाया.

फिल्म रिव्यू: ब्लू माउंटेन

टीवी के रिएलिटी शो का हिस्सा बनने वाले किशोरवय के बच्चों के मन मस्तिष्क और उनके भविष्य व उनकी शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावा माता पिता द्वारा अपने अधूरे सपनों को अपने बच्चों के माध्यम से पूरा करवाने का सपना देखने के क्या परिणाम होते हैं, इन दो मूल बिंदुओं पर बात करने वाली फिल्म है,‘‘ब्लू मांउटेंन’’. लेकिन पटकथा लेखक और निर्देशक की अपनी कमियों के चलते यह फिल्म मकसद से भटक जाती है.

एक हिल स्टेशन में रहने वाला किशोरवय का सोम शर्मा (यथार्थ रत्नम) यूं तो पायलट या वैज्ञानिक बनने का सपना देख रहा है, पर अचानक जब उसका टीवी के एक संगीत प्रधान रिएलिटी शो के लिए चयन हो जाता है, तो इससे उसकी मां वाणी शर्मा (ग्रेसी सिंह) बहुत खुश होती हैं. क्योंकि वाणी शर्मा (ग्रेसी सिंह) कभी मशहूर गायिका हुआ करती थीं, पर ओम से शादी करने के बाद उन्होंने संगीत को तिलांजली दे दी थी.

अब वाणी अपने संगीत के उस अधूरे सपने को अपने बेटे के माध्यम से पूरा होते हुए देखना चाहती हैं. वह चाहती हैं कि उनका बेटा मशहूर गायक बने और फिल्मों में हीरो के लिए पार्श्वगायन करे. जबकि सोम के पिता ओम (रणवीर शोरी) चाहते हैं कि बेटा सोम पढ़ाई पर ध्यान दे और फाइटर पायलट बने. मगर वाणी के आगे ओम को झुकना पड़ता है. वाणी बेटे सोम के साथ मुंबई पहुंचती है, जहां रिएलिटी शो में सोम हिस्सा लेता है. एपीसोड दर एपीसोड उसे स्टारडम मिलने लगता है. पर सेमी फाइनल में वह हार जाता है और फिर पूरी तरह से टूट जाता है.

वह वापस अपने शहर के घर आकर अपने आपको घर के कमरे में बंद कर लेता है. स्कूल नहीं जाता. अपने सहपाठियों से नहीं मिलता. सभी उसे आम बच्चों की तरह की जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करते हैं. पर सोम को किसी की बात समझ में नहीं आती. वह अपनी सहपाठी ओशी (सिमरन) को भी भगा देता है. पर सोम के दोस्त हार नहीं मानते. वह कोई न कोई योजना बनाते रहते हैं.

ओशी के जन्मदिन पर सोम के साथ सभी दोस्त इकट्ठा होते हैं और वहां पर सोम से ओशी रोमांटिक गीत गाने के लिए कहती है. पर वह गीत नहीं गाता है. बल्कि वहां से चल देता है. ओशी उसके पीछे आती है और रास्ते में सोम को थप्पड़ मारकर कहती है कि उसने उसका जन्मदिन बर्बाद कर दिया. तब सोम के अंदर का गुबार फट पड़ता है. वह रोने लगता है. ओशी भी रोती है और उसे समझाती है कि हर इंसान की जिंदगी में हार जीत होती रहती है. वह यह क्यों भूल जाता है कि जिन बच्चों का चयन इस रिएलिटी शो के लिए नहीं हुआ या जो सेमी फाइनल तक भी नहीं पहुंचे वह क्या उसी की तरह हार का गम मना रहे हैं?

उसके बाद पता चलता है कि सोम की मां बीमार है, अब मां को खुश करने के लिए सोम फिर से गाना गाने लगता है. मां वाणी स्वस्थ हो जाती है. सोम को भी मुंबई से एक फिल्म में पार्श्वगायन का निमंत्रण मिलता है. वह मुंबई जाने से पहले एक बार अपने दोस्तों के साथ साइकल की रेस लगाता है.

लेखक व निर्देशक सुमन गांगुली ने फिल्म के लिए बहुत बेहतरीन विषय का चयन किया. उन्होंने टीवी के रिएलिटी शो की चमकीली दुनिया की हककीत व अवसाद को बेहतर तरीके से उकेरा है. फिल्म में बच्चों के लालन पोषण पर भी बात की गयी है. मगर कमजोर पटकथा के चलते फिल्म अपना प्रभाव खो देती है. फिल्म का क्लायमेक्स भी गड़बड़ा गया है.

लेखक व निर्देशक को अपनी फिल्म वहीं खत्म करनी चाहिए थी, जहां सोम, ओशी का थप्पड़ खाकर रो पड़ता है और ओशी उसे जिंदगी की असलियत समझाती है. सोम के मन का सारा गुबार वहीं निकलना चाहिए था. मगर फिल्म में मां के इमोशन को महत्व देने के चक्कर में कहानी आगे बढ़ाकर सारा प्रभाव खत्म कर दिया गया. यह बात दर्शक के गले नहीं उतरती.

फिल्म का गीत संगीत अच्छा है. फिल्म में शास्त्रीय संगीत को बहुत अच्छे तरीके से पिरोया गया है. लोकेशन बहुत बेहतरीन चुनी गयी है. कैमरामैन ने हिमायल की खूबसूरत वादियों को बहुत अच्छे तरीके से कैमरे में कैद किया है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो ग्रेसी सिंह व रणवीर शोरी ने अच्छा अभिनय किया है. सोम शर्मा के किरदार को यथार्थ रत्नम ने बेहतर तरीके से निभाया है.

134 निमट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ब्लू मांउटेन’’ के निर्माता राजेश कुमार जैन, लेखक व निर्देशक सुमन गांगुली, कैमरामैन चंद्रशेखर रथ, संगीतकार संदीप शौर्य, मोंटी शर्मा, आदेश श्रीवास्तव तथा कलाकार हैं- ग्रेसी सिंह, रणवीर शोरी, यथार्थ रत्नम, सिमरन शर्मा, राजपाल यादव, आरिफ जकरिया, महेष ठाकुर व अन्य.

पाक जेल में थी यह भारतीय टीवी ऐक्ट्रेस!

पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में शूटिंग कर रहीं टीवी ऐक्ट्रेस सारा खान भारत वापस आ गई हैं. पाकिस्तान से लौटने के बाद सारा सुर्खियों में बनी हुई हैं.

सारा खान को लेकर एक चौंकाने वाला वाकया सामने आया है. खबरों की मानें तो सारा कुछ महीने पहले पाकिस्तान में अपनी एक सीरीज के लिए शूटिंग कर रही थीं. जहां उन्हें कुछ समय के लिए पाकिस्तानी जेल में रहना पड़ा.

दरअसल सारा को बिना वीजा के वापस देश लौट रही थीं. ऐसे में उन्हें वीजा नहीं होने की जुर्म में गिरफ्तार कर पाकिस्तानी जेल में डाल​ दिया गया था.

लेकिन सारा ने हाल ही में इन सभी खबरों का खंडन किया है. सारा ने इन बातों पर कहा, “मेरे बारे में कही जा रहीं तमाम बातें अफवाह हैं.” सारा ने कहा कि वीजा से जुड़े मामलों में उन्हें रोका जरूर गया था लेकिन वहां उन्हें जेल में नहीं रखा गया था.

सारा जल्द ही स्टार प्लस के सीरियल ‘जाना न दिल से दूर’ से टीवी पर वापसी करेंगी. इस सीरियल में वह शशांक व्यास के अपीजिट नजर आएंगी. सीरियल में सारा का नाम मलिका होगा. सारा ने अपने इंस्टा अकाउंट पर पहले दिन के शूट का वीडियो भी शेयर किया है.

सारा खान इंडिया की पहली ऐसी ऐक्ट्रेस हैं जो पाकिस्तान के टीवी शो (ये कैसी मोहब्बत है) में काम कर रही हैं. इस शो में उनके साथ पाकिस्तानी टीवी के फेमस एक्टर नूर हसन हैं.

आपको बता दें, सारा को फेम टीवी शो ‘बिदाई’ से मिला था. आखिरी बार वो सीरियल ‘कवच’ और ‘ससुराल सिमर का’ में नजर आईं थी.

 

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बनना था डाक्टर बन गई ऐक्ट्रैस

मैडिकल की पढ़ाई अधूरी छोड़कर फैशन डिजाइनर बनने की चाह में कृतिका दिल्ली तो आ गईं, मगर उन को यह नहीं मालूम था कि अभिनय की ये रूपहली दुनिया उन का इंतजार कर रही है. अब अदाकारी का यह सफर उन को किस मुकाम तक ले जाएगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

मध्य प्रदेश के छोटे से कसबे की इस लड़की को बचपन से ही फैशन से बहुत लगाव था. बेटी के डाक्टर पापा चाहते थे कि उनकी लाडली भी डाक्टर बन कर उन का हौस्पिटल संभाले, पर कृतिका का मन तो कहीं और ही रमा था.

उन्हें डाक्टरी की पढ़ाई के लिए कोटा भेजा गया, लेकिन वे पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर फैशन डिजाइनर बनने दिल्ली आ गईं. निफ्ट में पढ़ाई करने के दौरान मौडलिंग का जो शौक उन्हें लगा, वो मुंबई आ कर बॉलीवुड इंडस्ट्री में पूरा हुआ. पढ़ाई के दौरान ही पहला शो ‘यहां के हम सिकंदर’ में काम कर चुकीं कृतिका ने ‘कितनी मुहब्बत है’ और ‘कुछ तो लोग कहेंगे’ जैसे धारावाहिकों से दर्शकों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है. टीवी शोज के साथ ही उन्होंने कई शौर्ट फिल्में भी की हैं, लेकिन वे कभी छोटे परदे से वे अपना मोह नहीं तोड़ पाईं.

28 साल की कृतिका हमेशा अपनी ड्रैसिंग सैंस को ले कर पहचानी जाती हैं. इन दिनों वे निर्देशक निखिल सिन्हा के शो ‘चंद्रकांता’ में राजकुमारी चंद्रकांता का रोल कर रही हैं.

यहां पेश हैं शो के प्रमोशन के मौके पर उन से हुई दिलचस्प बातचीत के कुछ अंश :

कृतिका कहती है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वे यहां तक पहुंच पाएंगी. कृतिका बताती हैं कि- ‘‘मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से कसबे से हूं. मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं कभी ऐक्ट्रैस बनूंगी. मेरे पापा डाक्टर थे. मैं जब पढ़ाई के लिए दिल्ली आई तब मुझे सिर्फ यह पता था कि या तो मुझे डाक्टर बनना है या फिर फैशन डिजाइनर. ऐक्ट्रैस बनने के बारे में मैंने कभी सोचा ही नहीं था, लेकिन जब एनएसडी और कमानी में थिएटर देखती थी तब दिल में कहीं ऐक्टिंग करने की हूक उठती थी.

जब निफ्ट में, मैं फैशन डिजाइनर का कोर्स कर रही थी तब शौकिया मौडलिंग भी करने लगी थी. तभी किसी ने कहा था कि तुम्हें एक बार मुंबई जरूर जाना चाहिए. कालेज की छुट्टियों के दौरान वहां गई. ‘यहां के हम सिकंदर’ शो के लिए औडिशन दिया और मेरा चुनाव हो गया. जैसे ही पापा को ये मालूम हुआ तो उन्हें झटका लगा, वैसे मैं उन्हें पहले भी झटका दे चुकी थी, क्योंकि उन्होंने मुझे डाक्टरी की पढ़ाई के लिए कोटा भेजा था, पर मैं उसे बीच में ही पढ़ाई छोड़कर एक फैशन डिजाइनर बनने दिल्ली आ गई थी.’’

कैमरे के सामने ही ऐक्टिंग सीखी

‘‘मैंने ऐक्टिंग का कोई कोर्स नहीं किया है. मैं फैशन डिजाइनर के तौर पर अपना कैरियर बनाना चाहती थी. अगर पहले मालूम होता तो जरूर ऐक्टिंग का कोर्स करती. मैं यह तो नहीं कह सकती कि मेरा कभी मन ही नहीं हुआ कि नाटकों में अभिनय करूं, लेकिन कभी मौका भी नहीं मिला. काफी कम उम्र में ही मेरा चयन ‘यहां के हम सिकंदर’ शो के लिए हो गया, तो एनएसडी में अभिनय सीखने के बारे में सोच ही नहीं पाई. एनएसडी में पोस्ट ग्रैजुएशन कोर्स था. जब तक सोचती तब तक ऐक्ट्रैस बन गई थी.’’

कुछ अलग हट कर करना पसंद है

‘‘चंद्रकांता के लिए कई लोगों ने औडिशन दिया. जब मुझे इस किरदार का प्रस्ताव मिला तो मैं सब से पहले यही सोच रही थी कि मुझे क्यों चंद्रकांता के लिए चुना गया. मैंने अपने अब तक के कैरियर में इस तरह का किरदार कभी नहीं निभाया है. लेकिन देवकीनंदन खत्री के उपन्यास के बारे में सुना बहुत था कि इसमें एक राजकुमारी की कहानी है और राजकुमारी बनना मेरा बचपन का सपना था. जब यह शो दूरदर्शन पर आता था तब मैं बहुत छोटी थी. मुझे अच्छे से याद भी नहीं है कि इसकी कहानी क्या थी, पर मुझे शिखा स्वरूप और इरफान खान द्वारा निभाए गए पात्र अभी भी याद हैं.

जब मैंने सीरियल साइन किया तब थोड़ी सी कन्फ्यूज थी कि पता नहीं लोगों को मेरा यह बदला लुक पसंद आएगा भी या नहीं, लेकिन अब महसूस होता है कि मैंने सही फैसला लिया है. यह शो टीवी के सभी टिपिकल पैटर्न्स को ब्रेक कर रहा है, फिर चाहे वह भाषा हो अथवा ऐक्ट्रैस के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ऐक्स्ट्रा मेकअप.’’

सभी तरह के रोल पसंद हैं

कृतिका एक वैब सीरीज भी कर चुकी हैं. लेकिन उन का कहना है, ‘‘वैब सीरीज और टीवी दोनों ही अलग-अलग मीडियम हैं. मैं किसी में मस्तमौला लड़की बनी हूं तो किसी में सीधी सादी. मुझे दोनों माध्यमों में काम करने का मौका मिला. मैंने 3 शौर्ट फिल्में भी की हैं. हर माध्यम में काम करना चैलेंजिंग होता है. मुझे ऐसे, हर तरह के काम करना पसंद है.

अगर बौलीवुड में कभी चांस मिलता है, तो मैं वहां भी पूरी शिद्दत के साथ काम करना चाहूंगी, लेकिन कोई अच्छा औफर आए तब. हां, अगर रिऐलिटी शो के नाम पर बिग बौस से औफर आया, तो मैं कभी नहीं करूंगी, क्योंकि वहां जो होता है वह मैं नहीं कर सकती.’’

दिल्ली अब भी दिल में है

बातचीत में आगे कृतिका कहती हैं कि ‘‘आज भी जब दिल्ली आती हूं, तो कनाट प्लेस और मंडी हाउस जाना नहीं भूलती. इन जगहों से मेरी कई यादें जुड़ी हैं. मंडी हाउस में, मैं प्ले देखने जाया करती थी और कत्थक की वर्कशौप करती थी. वहां की आर्ट गैलरी में जाना मुझे बहुत पसंद भी था. अगर आप दिल्ली में रह चुके हैं, तो आप कहीं भी जाकर सर्वाइव कर सकते हैं. दिल्ली एक ऐसी जगह है, जो आप को एक लड़की के तौर पर बहुत स्ट्रौंग और स्मार्ट बना देती है, फिर आप दुनिया में कहीं भी रह सकती हैं. इसीलिए जब मैं मुंबई गई, तो मुझे कोई मुश्किल नहीं हुई.

फिट रहने का राज

लंबी शूटिंग के चलते मैं हमेशा यह ध्यान रखती हूं कि शरीर की ऐनर्जी कम न हो पाए, इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहती हूं. मैं इस समय व्हीट और डेरी प्रोडक्ट्स बिलकुल नहीं ले रही हूं. टीवी इंडस्ट्री में लगातार काम करने के लिए खुद की फिटनैस का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. मैं ज्यादा कुछ नहीं केवल अपनी नानी व दादी के जमाने का हैल्दी खाना मतलब मोटे अनाज वाला खाना खाती हूं. खूब पानी पीती हूं. केवल घर का बना खाना इस समय मेरी डाइट का हिस्सा है.

शादी अभी नहीं, इसीलिए बौयफ्रैंड को छोड़ा

कृतिका ने अपने बौयफ्रैंड सिद्धार्थ बिजपुरिया से ब्रेकअप कर लिया है, खबर है कि शादी को लेकर कुछ आपसी विवाद के कारण यह ब्रेकअप हुआ है. सिद्धार्थ इस रिश्ते को खत्म नहीं करना चाहते और वे कृतिका से पैचअप करने की कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन कृतिका अब इस रिलेशन को आगे नहीं ले जाना चाहतीं, क्योंकि वे अभी शादी के लिए तैयार नहीं हैं, जबकि सूत्रों की माने तो सिद्धार्थ उन्हें शादी करने के लिए फोर्स कर रहे थे.

रिटायरमैंट प्लान ताकि बुढ़ापा आराम से गुजरे

महिलाओं की जिंदगी पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. अध्ययन बताता है कि पति की तुलना में पत्नी अधिक उम्र तक जीती है. इस का मतलब पैंशन पर आश्रित जिंदगी, जीवनसाथी के साथ बिताई जाने वाली जिंदगी से लंबी होती है. इसलिए एक घरेलू महिला को अपने पति के रिटायरमैंट प्लान के बारे में जानना बेहद जरूरी है. यदि कोई रिटायरमैंट प्लान नहीं है तो उस के बारे में फैसला करने का यह सब से सही समय है.

यदि आप के पति वैतनिक कर्मचारी हैं तो सभी की तरह उन का भी एक कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ खाता होगा. लेकिन अगर आप के पति यह सोचते हैं कि ईपीएफ उन के रिटायरमैंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है तो उन्हें दोबारा सोचने के लिए मजबूर करें.

सच यह भी है कि यदि कोई रिटायरमैंट की जरूरतों के लिए सिर्फ भविष्य निधि के सहारे है तो उसे रिटायरमैंट के बाद पैसों की कमी से जूझना पड़ सकता है.

ईपीएफ, यहां तक कि लोक भविष्य निधि भी, सौ फीसदी डेट आधारित होने की वजह से महंगाई का असर रोकने में कामयाब नहीं होते. इन पर मिलने वाला वास्तविक रिटर्न, महंगाई समायोजित रिटर्न से कम होता है. इस तरह ये महज बचत को संरक्षित रखने का काम कर पाते हैं. इस समय महंगाई दर 8-9 फीसदी के आसपास है, वहीं फिक्स्ड इनकम निवेश पर मिलने वाला रिटर्न 9 फीसदी के करीब है. डेट असेट यानी ऋण आधारित स्कीमें आप की पूंजी को संरक्षित करने का माध्यम हैं. इन का इस्तेमाल लघु या मध्यम अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने में ही किया जा सकता है.

बेहतर विकल्प

लंबी अवधि के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी में निवेश आवश्यक है. इस के पीछे की धारणा यह है कि निवेश पर रिटर्न महंगाई की दर से 3-4 फीसदी अधिक होना चाहिए. रिटर्न में एक छोटा सा अंतर मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर बड़ा असर डालता है. लंबी अवधि के दौरान संपत्तियों के निर्माण में वास्तविक रिटर्न माने रखता है, न कि टोकन यानी सांकेतिक रिटर्न.

पहले के अध्ययन बताते हैं कि एक लंबी अवधि में इक्विटी अन्य साधनों जैसे सोना, डेट या रीयल एस्टेट की तुलना में अधिक रिटर्न देता है. यदि आप गौर करेंगे तो पता चलेगा कि पिछले 10-15-20 सालों में सैंसेक्स का संयोजित वार्षिक रिटर्न क्रमश: 17 फीसदी, 12 फीसदी, 11.23 फीसदी रहा है और रिटायरमैंट का लक्ष्य अकसर इतना ही लंबा होता है. ऐसे में इक्विटी एक सुरक्षित और बेहतर विकल्प हो सकता है.

म्यूचुअल फंड

रिटायरमैंट की जरूरतों को पूरा करने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प है क्योंकि लंबी अवधि में अधिक रिटर्न के साथ यह महंगाई के असर को खत्म करने का माद्दा रखता है. लंबी अवधि का फायदा हासिल करने के लिए निवेश को लगातार बनाए रखना चाहिए. इस से भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे म्यूचुअल फंड का चुनाव करना चाहिए जिन का सौ फीसदी एक्सपोजर इक्विटी में हो और जो आगे चल कर आप को डेट फंड में स्विच करने का विकल्प प्रदान करें. इक्विटी और डेट में शिफ्ट होने की ऐसी अंतर्निहित विशेषता संपत्तियों के निर्माण में मददगार साबित होती है.

इन से रहें सतर्क

इक्विटी से मिलने वाला रिटर्न बेहद अस्थिरता भरा होता है क्योंकि यह बाजार के उतारचढ़ावों पर निर्भर करता है. बाजार विभिन्न आर्थिक व गैरआर्थिक कारणों से प्रभावित होता है. लघु अवधि में अस्थिरता ज्यादा होती है जबकि लंबी अवधि में यह कमोबेश पहले जैसी हो जाती है. इसलिए दिनप्रतिदिन होने वाली और गैरप्रासंगिक घटनाओं को अनदेखा कर निवेश को कायम रखना ही बेहतर होता है.    

क्या करें

संपत्तियों के निर्माण करने के लिए एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान का सहारा लें. एसआईपी के जरिए एक तय राशि नियमित अंतराल पर निवेश करें. ऐसा करने से बाजार में होने वाली घटबढ़ से बचा जा सकता है. परिणामस्वरूप लंबे समय तक आप के निवेश की एक औसत लागत बनी रहेगी.

एसआईपी का लब्बोलुआब यह है कि जब बाजार में गिरावट होती है तो आप को निवेश पर अधिक यूनिट मिल जाते हैं लेकिन जब बाजार चढ़ता है तो यूनिट कम मिलते हैं. रिटायरमैंट का समय नजदीक आने पर इक्विटी में संचित सारी निधि को डेट फंड में शिफ्ट कर दें ताकि पूंजी को संरक्षित किया जा सके. रिटायरमैंट के बाद जरूरत के हिसाब से फंड में से रकम निकालें और शेष राशि को बाजार में लगी रहने दें.

रिटायरमैंट के लिए बचत करना आप के जीवन में न सिर्फ अनुशासन लाता है, बल्कि रिटायरमैंट के बाद आप के स्वर्णिम वर्षों को बेहतर भी बनाता है.         

(लेखक बजाज कैपिटल के ग्रुप सीईओ और डायरैक्टर हैं)

ये कदम उठाएं

– 2-3 इक्विटी म्यूचुअल फंड का चुनाव करें और ऐसे रिटायरमैंट फोकस्ड फंड को प्राथमिकता दें जो सौ फीसदी इक्विटी में हों

– निवेश को जारी रखें. बोनस, विंडफौल गेन आदि को उसी एसआईपी में फिर से निवेश करें

– रिटायरमैंट का समय नजदीक आने पर एसआईपी की राशि को बढ़ा दें

– रिटायरमैंट से 3 साल पहले अपने निवेश को जोखिम से दूर रखें

– रिटायरमैंट के बाद एसडब्लूपी यानी सिस्टमैटिक विदड्रौल प्लान का विकल्प अपना कर पैंशन प्राप्त करना शुरू कर दें

– फंड्स को रिटायरमैंट से जोड़ें

– जल्दी शुरुआत करें

अवसर के अनुसार ऐसे हों तैयार

प्रत्येक परिधान की अपनी उपयोगिता होती है, अपना महत्त्व होता है, परंतु उसे पहनने के अवसर अलग-अलग होते हैं. कुछ शालीन, कुछ भड़कीली, कुछ ट्रैडिशनल, कुछ मौडर्न या कुछ इंडोवैस्टर्न आउटलुक वाली ड्रैसेज आप अपनी इच्छा, अपनी जरूरत अथवा अवसर के हिसाब से पहनती हैं. घर में तो आप कुछ भी पहन सकती हैं यानि जिसमें भी आप कंफर्टेबल महसूस करें, पर इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं कि आप दिन भर नाइटी में ही घूमें.

घर के परिधान आराम, काम और घर के सदस्यों के रिश्तों के अनुसार होने चाहिए. सलवार-कुर्ता, कुर्ता-पाजामा, कुर्ती-कैपरी, टौप-शौर्ट्स, फ्रौक, साड़ी कुछ भी. लेकिन यहां बात तो बाहर जाने की या खास अवसरों की है, जब आपको विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इस दृष्टि से ड्रैसेज को कुछ भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है ताकि आपको इन्हें पहनने, सहेजने, खरीदने व मैनेज करने में आसानी हो :

पार्टी वियर

पार्टी, उत्सव व त्योहारों पर आप वाइब्रैंट कलर्ड परिधानों में अपना जलवा बिखेरते हुए खुशियां मनाएं. ड्यूअल और मल्टीटोन्ड साडि़यां आजकल खूब प्रचलन में हैं. चंदेरी साड़ी नैट के आंचल के साथ, सिल्क, कंजीवरम, बंधानी, कलकुट्टी व बनारसी इत्यादि पारंपरिक साडि़यां किसी भी एज ग्रुप में खूब फबती हैं.

ठंड का मौसम है तो पश्मीना शाल कंधे पर स्टाइल में डाली जा सकती है. इसके अलावा हाल्टर कालर ब्लाउज, गराराशरारा, पटियाला सलवार, चूड़ीदार पर कलियों वाला अनारकली या औब्लीक कालर वाला लंबा ब्रौकेड कुर्ता अथवा ग्लौसी फैब्रिक, प्लाजो के साथ लंबा कंट्रास्ट साइड मिडल कट वाला डिजाइनर कुर्ता, ऊपर हाईनैक फ्रंट ओपन बौर्डर कढ़ाई वाला, स्लीवलैस श्रग गाउन या लंबी खूबसूरत जैकेट पहन सकते हैं.

अगर आपकी उम्र 40 साल से ऊपर है तो आप कफ्तान, स्टाइलिश लेस मैक्सी गाउन में यंग दिखेंगी और आप का अंदाज बिल्कुल निराला व आई कैचिंग लगेगा.

कम उम्र की महिलाएं, लड़कियां, शाइनिंग ब्राइट कलर वाले जंप सूट, फ्लैशी टौप के साथ लौंग स्कर्ट, झीने फ्लोरोसैंट कलर्ड थ्रीफोर्थ गाउन के साथ हाल्टर कालर वाली खूबसूरत फूलों प्रिंट की लौंग फ्रौक, पैच वर्क वाली लंबी स्लीव के साथ कौकटेल-पोर्म ड्रैस ट्यूनिक, स्पैगेटी, कुछ भी ऐसा पहनें जो माहौल में चार चांद लगाए.

आप अपने ड्रेस में स्टोल, बैल्ट, कैप, हैट, ग्लव्ज, स्कार्फ, रंगबिरंगे मिटन इत्यादि ऐक्सैसरीज शामिल करके और भी आकर्षक और स्टाइलिश लग सकती हैं.

पिकनिक, मस्ती और आउटिंग के लिए आप कढ़ी हुई हिप्पी ब्लाउज वाली बोहो ड्रैस, कंट्रास्ट टौप वाले जंप सूट, कैपरी टौप, डैनिम के ब्लू या ब्लैक जींसपैंट, शिमर या नैट प्लाजो लैगिंग्स, प्लेन कुर्ता अथवा कुर्ते के साथ प्रिंटेड स्लीवलैस जैकेट या हाईनैक कोटी पहन सकती हैं. इसके अलावा क्राप्ड टौप्स, फ्लेयर्ड जींस, डैनिम शौर्ट्स और सर्दियों में मिनी स्कर्ट के साथ मोटे कपड़े की कलरफुल टाइट या थर्मल लैगिंग पहनें और अलग-अलग ब्राइट कलर्स की ड्रैसेज लेयरिंग स्टाइल में पहनें ये भी आप पर अच्छी दिखेंगी. सर्दियों में स्लीवलैस जैकेट के साथ कालर वाली शर्ट्स भी खूब जंचती है.

औफिस वियर एण्ड फौर्मल वियर

यदि आप औफिस गोइंग हैं, तो वहां यदि कोई ड्रैस कोड है तो वही पहनें अन्यथा जैसा वहां का चलन हो उस के अनुसार साड़ीसूट या शर्टपैंट, टाईकोट, कट-कालर, प्लेन कालर कोट, बंद गले का टर्टल कालर कोट, लौंग कोट इत्यादि पहनें.

हल्के प्रिंट वाले सोबर और सिम्पल सूट, साडि़यां अथवा तन को शालीनता से ढकने वाली चुस्त स्मार्ट ड्रैसें भी औफिस के लिए उपयुक्त होती हैं. जहां ब्लैक, ब्लू डैनिम जींस के साथ व्हाइट या लाइट कलर्ड बटनअप शर्ट खूब जंचती है, वहीं औफिस में भड़कीले, ब्राइट कलर, डिजाइनर व अंगप्रदर्शन वाली ड्रैस पहनने से परहेज करना चाहिए, ताकि दूसरों के कार्य में आप की वजह से खलल न पड़े.

अपने वर्क प्लेस पर न तो अपने और न ही दूसरों के काम का टैंपो भंग करने में ही समझदारी है आप भी कपड़े स्मार्टली पहनें, जिस से आप स्वयं भी औफिस कार्यों को अच्छी तरह अंजाम दे सकें.

यदि आप औफिस गोइंग नहीं हैं पर आप को कभी किसी औफिस में जाना पड़ता है, तो भी आपको इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जाड़ों में, ऐसी जगहों पर मीटिंग्स में स्मार्ट ब्लैक जैकेट या ब्लेजर अथवा ग्रे, स्किन, कौफी कलर व कंधे पर डाली गई शॉल आप पर खूब सूट करेगी.

शादी व सेरेमोनियल वियर

शादियों के लिए गोल्डन, सिल्वर, शाइनिंग, ब्राइट और बोल्ड कलर्स की ड्रैस खूब पसंद की जाती हैं. ट्रैडिशनल साडि़यों में भी इन तरीकों पर खास जोर दें. जरी की भारी बनारसी साड़ियों पर ऐसे ब्लाउज खूब फबेंगे. यदि कोई शादी घर के संबंध में हैं या सहेली की है, तो आप हैवी वर्क वाली चुन्नी के साथ जयपुरी लहंगा, स्ट्रेट या कलियों वाला, जिसमें जरदोजी काम किया गया हो या आप चमकती बूटियों वाला घेरदार लहंगा पहनकर, ऊपर बैकलैस और पूरी बाजू हैवी वर्क वाली सुनहरी, चमकती चोली या कुर्ता भी डाल सकती हैं या कुछ और जिससे आप मस्ती में जी भर कर डांस करने का मजा भी ले सकें.

लेटैस्ट लहंगे में रौयल लुक देने के लिए जैकेट, रोब्स कैप्स का भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है. रिसैप्शन के लिए थोड़ा हलकी जरी, मोती-सितारों या सीप-कढ़ी साड़ी के साथ स्लीवलैस या फोर्थ बाजू वाले बैकलैस ऐलीगैंट बलाउज अथवा अनारकली सूट, नैट लेस या टिशू पर ऐंब्रौयडरी की हुई लौंग स्कर्ट या ज्यादा वर्क की हुई लंबी ग्लौसी फैब्रिक फ्रौक के साथ चमकते स्लीक आभूषणों के साथ आपको स्टाइलिश लुक देगा.

अगर आप हल्दी के फंक्शन में जा रही हैं तो कुछ पीले रंग के परिधान में जाएं. ये बहुत अच्छा लगेगा. इसी तरह मेहंदी की रस्म में जा रही हों तो कोई हरी या मेहंदी कलर की ड्रैस का चुनाव करें, जिससे लगेगा आप वाकई उन की खुशियों में दिल से शामिल होने आई हैं.

ऐक्सरसाइज एण्ड वाक जौग वियर

वाकिंग के लिए ढीला कुर्ता, कुर्ती और पाजामा, टौप, ट्राउजर, कैपरी तथा जौगिंग के लिए ट्रैक सूट, व्यायाम के लिए घुटनों तक स्किनी लैगिंग, शौर्ट, कौटन स्लीवलैस टौप आदि उचित होते हैं, जिन में बौडी को आराम से हिला और घुमा सकें और ये शरीर से पसीना भी सोखता रहे.

सादी संजीदा ड्रैसें

बहुत से ऐसे मौके होते हैं, जब चटक-मटक, दामदार कपड़े पहन कर जाना बिल्कुल उचित नहीं होता, जैसे कि जब किसी मरीज को हौस्पिटल या घर देखने जा रही हों या किसी की मातमपुरसी में जाना होता है, तो आपको सादे, सफेद या हल्के रंग और कम प्रिंट वाले संजीदा कपड़े पहनकर ही जाएं.

नाइट वियर

नाइट गाउन या नाइटी तो कुछ महिलाओं को इतनी प्यारी होती है कि वे घर में हर वक्त उसी में ही रहना पसंद करती हैं. इतना ही नहीं वे सब्जीभाजी खरीदने भी उसी में ही निकल जाती हैं, पर ऐसा करना अशोभनीय है. रात के लिए पजामा-कुर्ता, टौप या नाइट सूट भी सही और सुविधाजनक होते हैं, जिसमें आप कलर, प्रिंट और फैब्रिक अपने सुकून के मुताबिक चुन सकती हैं.

स्पोर्ट्स वियर

ढीले टौप, शौर्ट्स या स्कर्ट्स और स्किनी शौर्ट्स खेलकूद के लिए आरामदेह तो होते ही हैं, साथ ही चुस्तीस्फूर्ति बढ़ाने में भी सहायक होते हैं. तैराकी के लिए भी विविध प्रकार के स्वीमिंग सूट मिलते हैं लेकिन टू पीस या वन पीस और बिकिनी पहनना आपकी अपनी चौइस है. इनके अलावा अन्य सभी परिधान स्वीमिंग के लिए असुविधा जनक और हास्यास्पद होते हैं.

काम नहीं और बहस अनंता

दोस्त होते ही इसलिए हैं कि वे एकदूसरे का वक्तबेवक्त टाइम खोटा कर सकें. दोस्तों के फायदे भी बहुत हैं. दोस्तों का एक सब से बड़ा लाभ यह है कि इन के सामने दिल का गुबार निकालने में आसानी रहती है. घर के सदस्यों से सारी बातें नहीं कही जा सकतीं. घर में रह कर मन में जो कुंठाएं जमा होती रहती हैं उन्हें निकालने के लिए दफ्तर बिलकुल सही जगह है. दफ्तर सरकारी हो तो फिर डर काहे का. पूरे दिन लगे रहो गपशप में. किसी के बाप का क्या जाता है.

मिसेज गुप्ता ने अपनी पहली फाइल खोली ही थी कि मिसेज कपूर उन से हैलोहाय करने आ गईं. पास रखी कुरसी पर लदते ही वे लगीं चहकने, ‘‘मैडम, आज बहुत उदास दिख रही हैं आप. कामवाली नहीं आई थी क्या?’’

मिसेज गुप्ता ने फाइल बंद कर दी. पूरा दिन तो खिचखिच रहती ही है. दफ्तर में सुबहसुबह काम करने का मूड बनाना बहुत कठिन काम है. कई तरह की अड़चनें आती हैं. घर से दुखी हो कर आए लोग अपनीअपनी रामकहानी ले कर बैठ जाते हैं. दफ्तर के सब से बड़े खड़ूस बौस से भी दफ्तर की खुर्रांट लेडीज इतनी नहीं डरतीं जितनी कि वे इन झाड़ूपोंछा वाली यानी कामवालियों से त्रस्त रहती हैं. दफ्तर जाने वाली महिलाओं का नाजायज फायदा भी उठाती हैं ये कामवालियां.

कलम कलमदान में रखते हुए मिसेज गुप्ता बोलीं, ‘‘क्या बताऊं मैडम, सुबहसुबह अपने श्रीमानजी से पंगा हो गया. आप को बताया था न कि मेरी ननद के साथ रिहायशी प्लौट को ले कर झंझट पड़ा हुआ है. मेरी ननद किराए के घर में रहती है. मेरी सास हमारा यह प्लौट उसे दिलवाना चाहती हैं जबकि पिछले 5 साल से हम पेट काटकाट कर उस प्लौट की किस्तें भर रहे हैं. खुले बाजार में प्लौट की कीमत 10 लाख से ऊपर चली गई है. ऐसे में सिर्फ बेसिक कीमत पर अपनी ननद को प्लौट दे देने में हम राजी कैसे हों? ‘हां’ तो मेरे श्रीमानजी ने भी नहीं की, मगर हर तरफ से हम पर दबाव डाला जा रहा है. जहां जाओ, रिश्तेदार कहते हैं कि मुझे यह प्लौट अपनी गरीब ननद को दे देना चाहिए. हम भला कुरबानी क्यों दें?’’

मिसेज गुप्ता उसी रौ में बोलती रहीं, ‘‘खैर, सुबहसुबह हम मियांबीवी में अच्छी झड़प हो गई. ऊपर से मेरी कामवाली माया आधा घंटा लेट आई. मैं ने सारा गुस्सागुबार उसी पर निकाला. बस, पीटा ही नहीं. लताड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वह भी इतनी ढीठ निकली कि पलट कर उस ने कोई जवाब नहीं दिया. मेरा पारा और चढ़ता गया.

‘‘अगर वह कुछ बोले, बड़बड़ाए तो फिर भी लगता है कि आप के कहे का कुछ असर उस पर हो रहा है मगर वह तो बजरबट्टू बन कर काम में लगी रही. अंदर से सौसौ गालियां दे रही होगी. जब भी उस के काम में कोई मीनमेख निकालती हूं तो कई दिन घुग्घू बनी रहती है वह. ढंग से नमस्ते तक नहीं करती. हमें अपनी गरज होती है कि बारबार इन्हें बदलना न पड़े.

‘‘आजकल अच्छे लोग आसानी से कहां मिलते हैं. फिर दूसरी दिक्कत यह है कि हम चाहती हैं कि सुबह सब से पहले ये लोग हमारा काम कर जाएं. हम हाउसवाइफ तो हैं नहीं कि जब चाहा इन से काम करवा लिया. ये कामवालियां बहुत कामचोर होती हैं. जब तक उन्हें टोकते रहो, ठीक काम करती रहती हैं, वरना सारी गंदगी घर में डालती रहती हैं. गुस्से में तो आज मैं थी ही, मैं ने उस से लौबी में 2 बार पोंछा लगवाया तथा सारे घर के परदे मशीन में धुलवाए. उस ने भी चूं तक न की.’’

मिसेज कपूर ने अपनी व्यथाकथा कहनी शुरू की, ‘‘मैं अपने पति के साथ ही सब से पहले दफ्तर आ जाती हूं, मगर आज तो घर में ही 10 बज गए. मेरी कामवाली है न शांताबाई, उस के घर पर पंगा हो गया था. उस का पति एक नंबर का शराबीकबाबी और लंपट है. रात कुछ ज्यादा दारू पी गया होगा. शांताबाई से मारपीट की होगी. सुबहसुबह शांताबाई ने अपनी छोटी बेटी के द्वारा मेरे घर संदेश भिजवाया कि अब वह काम करने नहीं आएगी. अपने पति से लड़झगड़ कर मायके जा रही है. उस ने अपनी पगार के बाकी पैसे मंगवाए थे.

‘‘सुन कर मेरे तो तनबदन में आग लग गई. अभी कुछ दिनों पहले ही मैं ने उसे पोटलीभर पुराने कपड़े तथा जूते दिए थे. आप से क्या छिपाना, अपनी 2 साल की बेटी को क्रेश से हटवा दिया था और उसे शांताबाई के हवाले कर के मैं बेफिक्र हो कर दफ्तर आ जाती थी. मुंहमांगी पगार देती थी उसे. खानापीना, त्योहार की छुट्टी सो अलग. अब नए सिरे से झमेला खड़ा हो गया.’’

मिसेज कपूर थोड़ा सांस ले कर आगे बोलीं, ‘‘मैं अपने हसबैंड को ले कर तुरत शांताबाई की बस्ती में पहुंची. शांताबाई का तो बुरा हाल था. मुंह सूजा हुआ और चेहरा लटका हुआ. अपनी पोटली तैयार किए बैठी थी. उस के पति से बात हुई, वह अलग चीख रहा था. मेरे हसबैंड ने उसे खूब धमकाया, पुलिस में शिकायत करने का डर दिखाया. हमें अपनी गरज थी. बड़ी मुश्किल से उन दोनों में समझौता करवा कर शांताबाई को अपने घर छोड़ कर भागती हुई दफ्तर पहुंची हूं.

‘‘वैसे मिसेज गुप्ता, एक बात है, ये लोग हम से कुछ न कुछ और पाने की फिराक में हर बार इतना हंगामा करते रहते हैं. हम भी क्या करें, ये लोग हमारी मदद न करें तो हमारा दफ्तर आ पाना मुश्किल हो जाए.

‘‘मैं ने शांताबाई को तो सिर्फ अपनी बेटी की देखभाल के लिए रखा हुआ है. घर की साफसफाई तो दूसरी कामवाली गीता करती है. तीसरी कामवाली छाया सुबहशाम बरतन धोती है. एक अन्य छोटी लड़की भी आती है जो मेरे बेटे बबलू को स्कूल के लिए तैयार करवाने में मदद करती है और उसे छोड़ने बस स्टाप तक जाती है व दोपहर में उसे लेने भी जाती है. शांताबाई को सख्त हिदायत दी हुई है कि घर को खुला छोड़ कर न जाए.’’

औरतों में एक खास बात होती है कि किसी से कुछ सुनेंगी तो अपनी रामकहानी सुनाए बिना टलेंगी नहीं. इस के बाद मिसेज जैन, मिसेज भारद्वाज, मिसेज कौशल आदि सब ने बारीबारी से अपनी वर्तमान व भूतपूर्व कामवालियों के दुर्लभ किस्से सुनाए.

लंच टाइम हो गया था. फाइलें ज्यों की त्यों पड़ी इंतजार करती रहीं कि शायद आज उन का निबटान हो जाए. दोपहर बाद राजनीति पर ऐसी जम कर बहस छिड़ी कि पूछिए मत. दफ्तर बंद होने का वक्त आ गया, फाइलें अभी भी तरस रही थीं जबकि नौकरीवालियां ‘घरघर की कामवालियां’ विषय पर बहस करती रहीं.

– जसविंदर शर्मा

फिल्म रिव्यू : लाली की शादी में लड्डू दीवाना

शादी और करियर में से किसे कितना महत्व दिया जाए, इस दुविधा में फंसी युवा पीढ़ी की कहानी को बेतरतीब तरीके से पेश की जाने वाली फिल्म है-‘‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’’. फिल्म में नायक अपने करियर की आड़ में अपनी गर्भवती प्रेमिका से दूर हो जाता है और उसकी शादी किसी अन्य से होती है.

फिल्म की कहानी के केंद्र में एक सायकल की दुकान के मालिक (दर्शन जरीवाला) के बेटे लड्डू (विवान शाह) हैं. उसकी तमन्ना सायकल की दुकान में बैठने की बजाय रातों रात बहुत बड़ा उद्योगपति बनने की है. इसी के चलते वह दूसरे शहर में एक रेस्टारेंट में नौकरी करने लगता है, जहां उसकी मुलकात लाली (अक्षरा हासन) से होती है. जो कि अपने पिता (सौरभ शुक्ला) का घर छोड़कर इसी शहर में नौकरी कर रही है. लड्डू खुद को करोड़पति पिता की संतान बताकर लाली को अपने प्यार में फांसता है. दोनों के बीच प्यार पनपता है और एक साथ रहने लगते हैं. पर लड्डू के दिमाग में तो पैसा हावी है. परिणामतः लड्डू की नौकरी चली जाती है और फिर लाली भी उसका घर छोड़कर चली जाती है.

इसके बाद कहानी में बड़ा मोड़ आता है. रामनगर के युवराज (गुरमीत चौधरी) की दादी को ज्योतिषी बताता है कि यदि युवराज की शादी किसी गर्भवती लड़की से कर दी जाए, तो इनके जीवन में सब कुछ ठीक हो जाएगा. युवराज व लाली की शादी तय हो जाती है. फिर कहानी में कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं और एक दिन लाली एक बच्चे की मां बन जाती है.

फिल्म की कहानी बेवजह खींची गई है. लाली व लड्डू का रोमांस प्रभाव नहीं पैदा करता. युवराज की कहानी से बची खुची कसर पूरी होती है और कहानी अर्थहीन हो जाती है. फिल्म का गीत संगीत असरहीन है. पूरी फिल्म देखकर लगता है कि फिल्म की पटकथा किसी नौसीखिए ने रची है. लेखक व निर्देशक जो मुद्दा लेकर चले थे, उसके साथ भी वह न्याय नहीं कर पाए. कैमरामैन ने अच्छा काम किया है. लोकेशन अच्छी है. मगर इससे फिल्म बेहतर नहीं होती.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो इस फिल्म में विवान शाह और अक्षरा हासन की जोड़ी नहीं जमती है. दोनों युवा होते हुए भी रोमांटिक किरदारों में अजीब से लगते हैं. गुरमीत चौधरी ठीक ठाक हैं.

टी पी अग्रवाल और राहुल अग्रवाल निर्मित तथा मनीष हरीशंकर निर्मित फिल्म ‘‘लाली की शादी में लड्ड दीवाना’’ के संगीतकार विपिन पटवा, रेवंत सिद्धार्थ तथा कलाकार हैं- अक्षरा हासन, विवान शाह, संजय मिश्रा, सौरभ शुक्ला, दर्शन जरीवाला, रवि किशन व अन्य.

खूबसूरती के रंग सितारों के संग

त्वचा की खूबसूरती अंदर से आती है और इस के लिए चाहिए सही खानपान और नियमित वर्कआउट. आज की महिलाएं इस पर खास ध्यान देने लगी है, क्योंकि उन्हें पता है कि हर उम्र में स्किन की सही देखभाल जरूरी है. जिस से आप के चेहरे पर किसी प्रकार के दाग, झाइयां और झुर्रियां न आएं.

ग्लैमर वर्ल्ड में सुंदर चेहरे की तो और अधिक जरुरत होती है, क्योंकि हर दिन धूप में शूटिंग, मेकअप का प्रयोग और अनियमित खानपान से त्वचा बेजान होने लगती है. ऐसे में क्या करती है ये सिने तारिकाएं आइए जानते हैं:

आलिया भट्ट

गर्मी के मौसम में त्वचा में नमी की कमी हो जाती है. ऐसे में पर्याप्त पानी पीना जरूरी होता है. आलिया गर्मी में डिटौक्स वाटर का अधिक प्रयोग करती हैं. जो खासकर नीबू पानी होता है. वे कहती हैं कि इस से शरीर का वजन कंट्रोल में रहता है. डिटौक्स वाटर से पाचन शक्ति बढ़ती है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है.

इस के अलावा मैं कभी डाइट फौलो नहीं करती. 2 घंटे के अंतराल पर खाना खाती हूं. शुगर, फैट और कार्बोहाइड्रेट कम लेती हूं. गर्मियों में पाए जाने वाले फ्रैश फ्रूट्स और सब्जियां अधिक खाती हूं. दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीती हूं. वर्क आउट मैं सप्ताह में 4 से 5 दिन करती हूं, जिस में मैडिटेशन खास होता है ताकि लंबी शूटिंग के बाद दिमाग शांत रहे.

आलिया अपनी त्वचा के लिए हमेशा अच्छे ब्रांड के उत्पाद का प्रयोग करती है. गर्मियों में त्वचा नमी युक्त रखने के लिए मौइश्चराजर का प्रयोग दिन में 2 बार करती हैं. अधिक मेकअप वह पसंद नहीं करतीं. काजल, लिप बाम और परफ्यूम वे अपने पर्स में हमेशा रखती हैं. इस के अलावा गर्मियों में त्वचा को नियमित स्क्रब करना नहीं भूलतीं. रैगुलर स्क्रब और स्पा से अपने तनाव को कम करती हैं.

दीपिका पादुकोण

अभिनेत्री दीपिका की स्किन जन्म से ही काफी अच्छी है, लेकिन पूरा दिन मेकअप लगाने से पहले वे चेहरे पर सनस्क्रीन लगाना नहीं भूलतीं. वे अधिकतर मौइश्चराइजर एसपीएफ वाले प्रयोग करती हैं ताकि त्वचा में नमी की कमी न हो. इस के अलावा वे सन ग्लासेज हमेशा पहनती हैं, जिस से सूर्य की किरणें उन की आंखों के आसपास के टिश्यू को क्षति न पहुंचाएं.

रात को सोने से पहले वे अपने मेकअप को फेसवाश से निकाल कर क्रीम या मौइश्चराइजर लगाती हैं. जिस से सुबह उठकर ताजगी महसूस हो. वे कहती हैं कि कई बार घंटो धूप में शूटिंग करनी पड़ती है, जिस के लिए मुझे पहले से ही तैयारी करनी पड़ती है. गर्मी में पानी और लिक्विड डाइट अधिक लेती हूं.

यह जरूरी नहीं कि आप कितना खाते हैं, गर्मी में जरूरी है कि आप खाते क्या हैं? हैल्दी और बैलेंस डाइट हमेशा आप की त्वचा को हैल्दी रखती है. बाडी वाश के लिए वे लिक्विड साबुन का प्रयोग करती हैं.

दीपिका बैडमिंटन प्लेयर भी रही हैं, इसलिए डेली एक्सरसाइज का महत्त्व जानती है. उन का कहना है कि सही व्यायाम से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और त्वचा में चमक बनी रहती है. मैं रेगुलर जिम न भी जा पाऊं तो साइक्लिंग या वाक कर लेती हूं.

अदा शर्मा

फिल्म ‘कमांडो 2’ में अभिनय करने वाली अभिनेत्री अदा शर्मा गर्मियों में अपनी त्वचा की खूब देखभाल करती हैं. वे कहती हैं कि मुझे गर्मियों में पसीना बहुत आता है इसलिए मैं पानी अधिक पीती हूं. इस मौसम में त्वचा और बालों की भी देखभाल मुझे अधिक करनी पड़ती है. अपनी स्कैल्प और चेहरा हमेशा साफ रखती हूं. इस के लिए मैं पपीता और आमंड के नैचुरल फेस पैक का अधिक प्रयोग करती हूं. व्हिट ग्रास जूस मैं त्वचा को टैन होने से बचाने के लिए लगाती हूं और स्किन के अधिक टैन होने पर उसे हटाने के लिए एलो वेरा जैल लगा लेती हूं.

मैं पूरे साल ऐंटीबायोटिक साबुन अपनी त्वचा के लिए प्रयोग करती हूं ताकि किसी प्रकार के रैसेज न हों. अधिकतर मैं गर्मी के मौसम में त्वचा को नमी प्रदान करने के लिए लाइट मौइश्चराइजर का प्रयोग करती हूं, लेकिन अगर अधिक गर्मी हो, तो मैं एलो वेरा जैल लगाती हूं. इस मौसम में अधिक मौइश्चराइजर लगाने से त्वचा चिपचिपी हो जाती है, जिस से मुहांसे का डर रहता है. मैं प्योर वैजीटेरियन हूं और मौसमी फल और सब्जियां खाती हूं. गर्मी में अधिकतर तरल पदार्थ सेवन करती हूं. इस में मैं गाजर का जूस अधिक पसंद करती हूं.

कैटरीना कैफ

हालांकि कैटरीना कैफ की स्किन बहुत सौफ्ट है और हार्श गर्मी का मौसम उन्हें परेशान करता है, पर वे गर्मी के मौसम को बहुत ऐंजौय करती हैं. अगर शूटिंग न हो तो इस मौसम में वह सूती कपड़े पहनना पसंद करती है, ताकि त्वचा को आराम मिले. इस मौसम में वे अधिक मेकअप नहीं लगातीं.

वे कहती हैं कि लाइट मौइश्चराइजर मैं इस मौसम में अधिक लगाती हूं. सनस्क्रीन लगा कर ही बाहर निकलती हूं. खाना मैं बहुत साधारण लेती हूं. जिस में औयल और मिर्च की मात्रा कम हो, जो अधिकतर उबली हुई सब्जियां ही होती हैं. लेकिन मौसमी फलों के जूस और फ्रैश फल लेती हूं. मुझे आम बहुत पसंद है.

कैटरीना गर्मी में त्वचा को साफ रखना बहुत जरूरी समझती हैं, इसलिए दिन में 2 बार फेस वाश से चेहरा धो कर लाइट मौइश्चराइजर लगाती हैं. रात में शूटिंग से आ कर क्लींजिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग अवश्य करती हैं. खूबसूरती को हमेशा कायम रखने के लिए वे मिनरल मड मास्क को अधिक उपयोगी समझती है, क्योंकि इस से त्वचा की गंदगी जल्दी निकल आती है.

कैटरीना एक ऐसी ऐक्ट्रैस हैं जो बिना मेकअप के भी सुंदर दिखती हैं. वे गर्मियों में अपने पर्स में हमेशा लिप बाम और मौइश्चराइजिंग सनब्लाक रखती हैं. उन का कहना है कि खूबसूरती अंदर से आती है, जिस में खुश रहना बहुत जरुरी है.

नियमित वर्कआउट करने में मुश्किल आने पर मैं मैडिटेशन करती हूं, लेकिन अगर समय मिले तो स्विमिंग, वेट ट्रेनिंग और डांस करती हूं. मेरे हिसाब से सोने से पहले शरीर को हल्का महसूस करना चाहिए, इसलिए खाना मैं सोने से 2 घंटा पहले खाती हूं. साबुन मैं अधिकतर मैडिकेटेड ही प्रयोग करती हूं.

श्रद्धा कपूर

श्रद्धा कपूर इन दिनों शूटिंग को ले कर बहुत व्यस्त हैं, ऐसे में उन्हें अपनी त्वचा का खास ध्यान रखना पड़ता है. वे हंसती हुई कहती हैं कि वैसे तो मेरी चमकती त्वचा का राज मेरे माता पिता हैं, जिन से मुझे ये वरदान में मिली है, लेकिन इस की देखभाल मेरे लिए वाकई चुनौती है. मुझे खोई हुई ग्लो को लाने के लिए स्ट्राबेरी और पीच का सेवन नियमित करना पड़ता है.

अधिक समय तक हार्श मौसम में शूटिंग करने से मैं ने पाया कि मेरी त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है. इसलिए सही खानपान इस मौसम में जरूरी है, जिस में अधिक तरल पदार्थ, फ्रूट्स और पानी पीती हूं. मैं कुछ लगाने से अधिक अपनी डाइट पर ध्यान देती हूं.

मुंबई में गर्मी अधिकतर चिपचिपी होती है, ऐसे में नियमित क्लींजर से चेहरे को साफ रखती हूं और लाइट मौइश्चराइजर से खोई हुई नमी को वापस लाती हूं. गर्मियों में मैं अपने स्कैल्प को नारियल तेल से मसाज करवा कर शैम्पू करती हूं. इस के अलावा सनस्क्रीन लगाना नहीं भूलती.

गर्मियों में श्रद्धा अपनी ब्यूटी किट में लिपबाम, हीट प्रोटैक्शन स्प्रे, मेकअप रिमूवर और काटन स्वाइप्स रखती हैं. मेकअप वे अधिक नहीं पसंद करतीं. इसलिए सिंपल रहती हैं. नहाने के लिए वे शावर जेल का प्रयोग करती हैं. वर्कआउट का समय मिले तो जौगिंग करने और जिम में जाती है.

करीना कपूर

गौर्जियस करीना कपूर की त्वचा रुखी होने की वजह से वे गर्मी में हमेशा अच्छे ब्रांड के मौइश्चराइजर का प्रयोग करती हैं. वे प्राकृतिक ब्यूटी प्रोडक्ट का अधिक इस्तेमाल करती हैं. घरेलू नुस्खे उन्हें अपनाना अधिक पसंद है, जिस में खास कर शहद से त्वचा की मालिश कर थोड़ी देर बाद धो देती हैं. इस से त्वचा काफी मुलायम हो जाती है. होम मेड फेस मास्क लगाती हैं. वे गर्मियों में फेसवाश कर हलके गरम पानी से चेहरे को धोती हैं. वे कहती हैं खूबसूरती अंदर से आती है, जिस के लिए मुझे खुश रहना जरुरी है. मैं कोई तनाव नहीं लेती. शूटिंग खत्म होने के बाद रात को मैं अपना मेकअप उतार कर मौइश्चराइजर लगा लेती हूं.

त्वचा की देखभाल के लिए करीना गर्मियों में सही डाइट लेती हैं. वर्कआउट नियमित करती हैं, जिस में जौगिंग, स्विमिंग और जिम शामिल होता है. बौडी क्लीनिंग के लिए शावर जैल का प्रयोग करती है.

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