शादी का झांसा दे कर बलात्कार

आमतौर पर देखा गया है कि युवतियां पहले तो किसी युवक की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाती हैं या उस की दोस्ती कबूल कर लेती हैं. बाद में उन का यह दोस्ताना रिश्ता शारीरिक संबंधों तक पहुंच जाता है. यह युवक भी जानता है और युवती भी कि उन की शादी हो नहीं सकती, इस के बावजूद दोनों संबंध बना कर सुख भोगते रहते हैं.

सामान्यत: कोई युवक शादी का झांसा दे कर या बहलाफुसला कर युवती से शारीरिक संबंध नहीं बनाता, लेकिन वक्त आने पर युवतियां उस पर शादी का झांसा दे कर बलात्कार करने या यौन शोषण का आरोप लगा कर उसे जेल भिजवाने से भी नहीं हिचकतीं.

कुछ प्रकरणों में तो युवतियों का कहना होता है कि पिछले 5 साल से वह शादी का झांसा दे कर यौन शोषण कर रहा था. प्रश्न यह है कि यदि वह बलात्कार था, तो 5 साल तक वे चुप क्यों बैठी रहीं? क्यों न पहले दिन या पहली बार में एफआईआर दर्ज कराई गई? इन 5 साल में उन्होंने कई बार संबंध बनाए, तब तो उसे कोई आपत्ति नहीं हुई, तो फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि रजामंदी को बलात्कार का स्वरूप दे कर उसे फंसा दिया?

कुछ युवतियां पैसे वाले लड़कों से दोस्ती करती हैं या उन्हें अपने प्रेमजाल में फंसाती हैं. उन के साथ हमबिस्तर होती हैं और उन के पैसों पर ऐश करती हैं. जब सामने वाला हाथ खींच लेता है, तो वह उसे ब्लैकमेल करने लगती हैं कि या तो वह उस की आर्थिक जरूरतें पूरी करता रहे या फिर झूठे मुकदमे में फंसने के लिए तैयार रहे?

अब यदि युवक ब्लैकमेल से बचने के लिए उसे धनराशि देता है तो उस की कभी खत्म न होने वाली चाहत बढ़ती जाती है, जो आर्थिक दृष्टि से उसे खोखला कर देती है. ऐसे में जिस दिन वह पैसे देना बंद कर देता है, उस पर शादी करने का झांसा दे कर बलात्कार करने का आरोप मढ़ दिया जाता है.

शादी का झांसा या वादा कर यौन शोषण करने के आरोप प्राय: बेतुके, झूठे और बेबुनियाद होते हैं. युवक लाख सफाई दे, रजामंदी से संबंध बनाने की दुहाई दे, लेकिन उसे सुनता कौन है, नतीजतन, बेकुसूर युवक को सजा हो जाती है.

यदि यह मान भी लिया जाए कि कभी युवक ने शादी करने का वादा किया था और अब उस से मुकर रहा है, तो यह वादाखिलाफी तो हो सकती है, पर बलात्कार नहीं. क्या वादाखिलाफी और बलात्कार एक ही अपराध है? तो फिर उसे बलात्कार के जुर्म में क्यों सलाखों के पीछे डाला जाए?

बलात्कार वह होता है जब कोई बलपूर्वक या डराधमका कर किसी युवती के साथ शारीरिक संबंध बनाता है. मैडिकल जांच से पता चल सकता है कि वह बलात्कार था या आपसी सहमति का नतीजा, क्योंकि बलात्कार में छीनाझपटी, कपड़ों का फटना, प्रजनन अंग में जख्म होना आदि बातें उजागर होती हैं, लेकिन यदि दोनों की सहमति से संबंध बनते हैं तो इस तरह के कोई लक्षण नजर नहीं आते.

जो युवती युवक पर शादी का झांसा दे कर संबंध बनाने जैसे इलजाम लगाती है, कोई उस से पूछे कि वह झांसे में आई क्यों? वह नासमझ तो है नहीं? यदि नाबालिग है तो यह उम्र नहीं शारीरिक संबंध बनाने की, उस ने अपनी सहमति क्यों दी? यदि वह बालिग है तो अपना भलाबुरा खुद जानती है, इस के लिए वह तैयार क्यों हुई?

आजकल मौडर्न सोसायटी या बड़े शहरों में साथ पढ़ने वाले अथवा नौकरीपेशा युवकयुवतियों में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने का चलन बढ़ रहा है. अपने घरपरिवार से दूर युवकयुवती एक कमरे में, एक छत के नीचे बगैर शादी किए रहते हैं, ऐसे युवकयुवतियां शादी को एक बंधन मानते हैं और इस बंधन में बंधना नहीं चाहते, पर शादी के बाद मिलने वाला सुख भोगना चाहते हैं.

न तो उन्हें ‘लिव इन’ में रहने के लिए कोई विवश करता है और न ही शारीरिक संबंध बनाने के लिए. रही बात शादी का झांसा देने की, तो इस का प्रश्न ही पैदा नहीं होता, क्योंकि शादी नहीं करनी थी, तभी तो वे ‘लिव इन’ में साथ हैं. इसलिए 10 साल तक ‘लिव इन’ में रहने के बाद युवक पर यौन शोषण का आरोप लगाना सरासर नाइंसाफी है.

एक बात यह भी है कि ‘लिव इन’ में रहने वाली युवतियां हों या युवक मौजमस्ती के लिए वे गर्भनिरोधक गोलियों अथवा अन्य साधनों का इस्तेमाल करते हैं ताकि गर्भ न ठहरे. जरा गौर कीजिए, क्या आज तक किसी ने कंडोम का इस्तेमाल कर बलात्कार किया है? तो फिर यह बलात्कार या यौन शोषण कैसे हो सकता है?

कई बार मंगेतर प्रेमीप्रेमिका जब एकांत में होते हैं तो परिस्थितिवश उन के कदम बहक जाते हैं और वे शादी का इंतजार किए बगैर शारीरिक संबंध बना लेते हैं. ऐसे में युवती या उस के परिजन उस से शादी करना नहीं चाहते तो उलटे उस पर बलात्कार का आरोप लगा कर उस से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं.

यदि आप शादी से पूर्व शारीरिक संबंध बनाने को गलत मानती हैं तो संबंध न बनाएं. एक सीमा तक ही उसे शारीरिक स्पर्र्श करने दें. शारीरिक संबंधों को ‘शादी के बाद’ के लिए छोड़ सकती हैं.

कोई भी युवक, प्रेमी या मंगेतर तब तक संबंध नहीं बनाता, जब तक कि युवती राजीखुशी तैयार नहीं होती या अपनी मौन स्वीकृति’ नहीं दे देती. यदि युवक पहल करता है और वह उस का मजा लेते हुए उसे सब कुछ करने देती है, तो फिर यह बलात्कार कैसे हुआ?

इस तरह के बलात्कार या यौन शोषण के मुकदमे दर्ज कराने वाली युवतियां खुद भी जानती हैं कि वह बलात्कार नहीं था. कई प्रकरणों में तो युवती उसे बलात्कार सिद्ध करने में असफल रही या युवक ने यह सिद्ध कर दिया कि जो कुछ हुआ वह दोनों की सहमति से हुआ. ऐसे में न्यायालय युवती को बलात्कार का झूठा मुकदमा दर्ज करने पर फटकार लगाता है तथा युवक को बरी कर देता है.

राजस्थान के बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी का मानना है कि छोटी उम्र में अगर जानेअनजाने में भी सहमति से संबंध बनाएं जाएं, तो उसे दुष्कर्म नहीं मानना चाहिए.

इस के व्यावहारिक पहलू को समझने की जरूरत है. ऐसे मामलों में अकसर युवक के खिलाफ पोक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज हो जाता है और उसे जीवन भर परेशानी होती है.

राजस्थान के राजसमंद जिले में अपने दौरे में अधिकारियों के साथ बैठक में मनन चतुर्वेदी ने कहा कि आजकल जितने भी पोक्सो ऐक्ट में दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज हो रहे हैं जिन में बालक को दोषी ठहराया जा रहा है, उन में परामर्श की जरूरत है ताकि गलती दोबारा न हो.

मनन चतुर्वेदी ने आगे कहा कि उन्होंने कई आदिवासी इलाकों का दौरा किया और मातापिता तथा किशोरगृहों में रह रहे बच्चों से बात की, तो सामने आया कि उन्हें यह पता ही नहीं है कि वे क्या गलती कर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि वे पोक्सो ऐक्ट को गलत नहीं मानतीं, लेकिन यह ऐक्ट लगाने से पहले बच्चों को समझाने की जरूरत भी है.

बच्चे फिल्में देख कर या किसी परिस्थिति में संबंध बना लेते हैं, मगर इस में कहीं न कहीं एकदूसरे की रजामंदी जरूर है. इस के लिए न सिर्फ स्वयंसेवी संगठनों की जिम्मेदारी से परामर्श देते हुए लोगों को प्रेरित करना होगा बल्कि पुलिस व प्रशासन को भी ध्यान देना चाहिए. चतुर्वेदी के बयान पर राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा ने कहा कि देखना होगा कि चतुर्वेदी ने किस संदर्भ में यह बयान दिया है.

फिल्म रिव्यू : मिर्जा ज्यूलिएट

मिर्जा साहिबां की क्लासिक प्रेम कहानी को तमाम फिल्मकार अपने अपने अंदाज में पेश करते रहे हैं. लगभग6 माह पहले मशहूर फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ में एक साथ दो कहानियों यानी कि मिर्जा साहिबां की क्लासिक प्रेम कहानी व आधुनिक युग के मिर्जा साहिबां की प्रेम कहानी को समानांतर पेश करते हुए साहिबां तीर क्यों तोड़े का जवाब तलाशने का प्रयास किया था. अब उसी क्लासिक प्रेम कहानी को निर्देशक राजेश रामसिंह उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर की पृष्ठभूमि में बाहुबलियों व हिंदू मुस्लिम परिवारों की पृष्ठभूमि में इस तरह लेकर आए हैं कि कहानी का पूरा मर्म धराशाही हो गया. फिल्म ‘‘मिर्जा जूलिएट’’ प्यार व रोमांस की बजाए एक्शन, राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते अपने भाई की हत्या करा देने से लेकर आनर किलिंग तक के सारे मुद्दों से ओतप्रोत एक बोझिल फिल्म बनकर रह गयी है.

फिल्म ‘‘मिर्जा जूलिएट’’ की कहानी उत्तर भारत के मिर्जापुर शहर की है, जहां हिंदू और मुसलमान दोनों धर्म के लोग रहते हैं. यहां बाहुबली धर्मराज शुक्ला (प्रियांशु चटर्जी) अपने दो भाईयों नकुल व सहदेव व बहन जूली के साथ रहते हैं. जूली मस्त व बिंदास है. वह निडरता के साथ हर किसी से पंगे लेती रहती है. उसे अपने प्रति अपने भाईयों के प्रेम का अहसास है. जूली की शादी इलाहाबाद के दबंग नेता पांडे परिवार में तय की गयी है. जूली के होने वाले पति राजन पांडे (चंदन राय सान्याल) कामुक किस्म के इंसान है. राजन, जूली को जुलिएट पुकारते हैं और फोन पर किस व सेक्स की बात करते हैं. पर जूली उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती. निजी जीवन में जूली बिंदास है, मगर प्यार, रोमांस व सेक्स से अपरिचित सी है.

इधर रामनवमी के दिन  इलहाबाद में हिंदू और मुसलमानों के जुलूस निकल रहे होते हैं, दोनों में से कोई रास्ता बदलना नहीं चाहते. उस क्षेत्र का पुलिस अधिकारी मुस्लिम नेता सलाउद्दीन और हिंदू नेता यानी कि राजन पांडे चाचा देवी पांडे को राह बदलने के लिए समझाने का असफल प्रयास करते हैं. तभी वहां पुलिस की वर्दी में एक शख्स आता है और देवी पांडे पर गोली चलाकर चला जाता है. आरोप सलाउद्दीन पर लगता है. उधर पता चलता है कि पुलिस वर्दी वाला शख्स जेल का कैदी मिर्जा (दर्शन कुमार) है, जिसने वहां के पुलिस अफसर पाठक के इशारे पर इस हत्या को अंजाम दिया है.

वास्तव में बचपन में अबोध मिर्जा से गुनाह हुआ था, जिसके चलते वह बाल सुधार गृह पहुंचा था. अब मिर्जा जेल से निकलकर शराफत की नई जिंदगी शुरू करने के लिए मिर्जापुर अपने मामा मामी के यहां जाता है. 15साल बाद मिर्जा को देखकर उसके मामा मामी बहुत खुश होते हैं. मिर्जा के मामा और जूली शुक्ला का मकान मिला जुला है, दोनों बचपन में दोस्त रहे हैं. राजन पांडे की हरकतों की वजह से परेशान जूली को मिर्जा के संग सकून मिलता है और दोनों के बीच प्यार हो जाता है. पर इस प्यार की रूकावट जूली के तीनों दबंग भाईयों के अलावा राजन पांडे का पूरा परिवार है.

राजन पांडे को विधायक का चुनाव लड़ने का टिकट मिल जाता है. इसी खुशी में एक जश्न का आयोजन होता है. वहां पर जूली भी अपने भाइयों के साथ आई है. मिर्जा उसके पीछे यहां आकर पांडे परिवार में नौकरी पा गया है. क्योंकि मिर्जा ने राजन पांडे के पिता को बता दिया है कि उन्होंने अपने बेटे राजन पांडे के विधायक बनने का रास्ता आसान करने के लिए खुद मिर्जा के ही हाथ से अपने छोटे भाई की हत्या करवायी है. इस समारोह के दौरान राजन, जूली को अपना कमरा दिखाने मकान के अंदर ले जाता है और कमरे से रोते हुए निकलकर जूली पूरे गांव वालों के सामने राजन पर बलात्कार का आरोप लगाती है. वह पुलिस में शिकायत दर्ज कराना चाहती है. पर जूली के भाई धर्मराज, नकुल व सहदेव उसे जबरन घर ले जाते हैं. इधर गुस्से में मिर्जा, राजन पांडे की पिटाई करता है. पांडे के लोग मिर्जा पर हावी होते हैं, तो किसी तरह मिर्जा वहां से भागने में सफल हो जाता है. पर पांडे की शिकायत पर पुलिस मिर्जा के पीछे पड़ जाती है.

कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. राजन पांडे व जूली अपनी कार से मिर्जा को नेपाल सीमा तक छोड़ने जातेहैं. अब तक जूली को अहसास हो चुका है कि उसका असली प्यार मिर्जा है. वह भी मिर्जा के साथ नेपाल चली जाती है. इस बात की खबर जब पांडे व धर्मराज को मिलती है, तो वह इन दोनों की हत्या के लिए निकल पड़ते हैं. मिर्जा कहता है कि जूली के भाईयों को वह गोली मार देगा. जूली छिपकर मिर्जा की बंदूक से गोली खाली कर देती है. अंत में जूली के भाईयों के हाथ मिर्जा और जूली दोनों मारे जाते हैं.

फिल्म की शुरुआत बहुत घटिया है. इंटरवल से पहले लगता है कि फिल्मकार के पास कहानी नहीं है और वहदुविधा में है कि इस फिल्म को किस दिशा में ले जाए. इंटरवल से पहले लगता है कि वह एक सेक्सी फिल्म बना रहे हैं. फिल्म की गति बहुत धीमी है. इंटरवल के बाद फिल्म की कहानी के पात्र मिर्जा साहिबान के आधुनिक रूप में में आ जाते हैं. पूरी फिल्म देखते समय लगता है कि लेखक और निर्देशक दोनों ही भटके हुए हैं. कभी रोमांस, कभी हिंसा तो कभी राजनीति के चक्कर में घूमते रहते हैं. फिल्म की कथा कथन शैली नीरस व अति धीमी है. पटकथा व निर्देशन की गड़बड़ी के चलते पूरी फिल्म बोर करने के अलावा कुछ नहीं है. फिल्म में पटकथा लेखक शांतिभूषण और निर्देशक राजेश रामसिंह ने जिस तरह से बाहुबलियों व दबंग किरदारों व रिश्तों को जिस तरह से पेश किया है, उससे कोई रिलेट नहीं कर सकता. शायद इन्हे भाई बहन के रिश्तों की अहमियत ही पता नहीं है.

जहां तब अभिनय का सवाल है, तो मिर्जा के किरदार में दर्शन कुमार और जूली शुक्ला के किरदार में पिया बाजपेयी ने बेहतरीन अभिनय किया है. पिया बाजपेयी के अभिनय में ताजगी है. मगर जूली शुक्ला के किरदार में लेखक की अपनी कमियों के चलते कई विरोधाभास है. जबकि दर्शन कुमार के गठन में कमजोरी के चलते कई जगह उनका अभिनय प्रभाव नहीं डाल पाता है. प्रियांशु चटर्जी विलेन के किरदार में अपनी छाप छोड़ने में असफल रहते हैं. राजन पांडे के किरदार के साथ चंदन सान्याल न्याय नही कर पाए. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं करता. पूरी फिल्म में लेखक व निर्देशक ने महज क्षेत्रीय परिवेश को उभारने पर ही ज्यादा ध्यान दिया, मगर कहानी व फिल्म का बंटाधार कर डाला. दर्शक महज दर्शन कुमार के कारण ही फिल्म को देख सकते हैं.

125 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मिर्जा जूलिएट’’ का निर्माण नीरज कुमार बर्मन, केतन मारू व अमित सिंह, निर्देशक राजेश राम सिंह, संगीतकार कृष्णा सोलो, गीतकार संदीप नाथ तथा कलाकार हैं – दर्शनकुमार, पिया बाजपेयी, प्रियांशु चटर्जी, स्वानंद किरकिर, चंदन राय सान्याल व अन्य.

फिल्मों में आने से पहले ट्रेन में गाना गाता था यह ऐक्टर

यह बात बिलकुल सच है कि अगर हौसला बुलंद हो तो आपको कामयाबी से कोई नहीं रोक सकता. इस नौजवान पर यह वचन सही बैठती है जिसने तमाम मुश्किलों को सामना करते हुए, बिना गॉडफादर के फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाई.

ये हैं ऐक्टर आयुष्मान खुराना. आयुष्मान ने पहली ही फिल्म बॉलीवुड में ऐसी एंट्री की कि उसके लिए इन्हें नैशनल अवॉर्ड से नवाजा गया.

लेकिन शायद ही आप जानते हों कि सफलता के जिस मुकाम पर आज आयष्मान विराजमान हैं वहां तक पहुंचने के लिए आयुष्मान को खूब मशक्कत करनी पड़ी. जब आयुष्मान कॉलेज में थे तो अपना खर्चा निकालने के लिए ट्रेन में गाते थे और फिर जो भी पैसे मिलते उससे वह अपना खर्च निकालते थे.

कॉलेज के दिनों में एक बार गोवा का ट्रिप बना. आयुष्मान के पास पैसे नहीं थे और उन्होंने वही ट्रिक आजमाई. आयुष्मान ने ट्रेन में गाने गाकर इतने पैसे इकट्ठे कर लिए कि वो ट्रिप पर जा सकें.

आयुष्मान खुराना तब 17 साल के ही थे जब पहली बार उन्हें टीवी पर एक रिएलिटी शो में देखा गया. इस रिएलिटी शो में वह एक कंटेस्टेंट थे. इसके बाद आयुष्मान ‘एमटीवी रोडीज’ में नजर आए और विनर बने. विनर बनने के बाद आयुष्मान ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई रिएलिटी शो में काम किया और कई शोज को होस्ट भी किया.

साल 2012 में उन्होंने फिल्म ‘विक्की डोनर’ से बड़े परदे पर डेब्यू किया. ये फिल्म तो हिट रही ही लेकिन इसमें आयुष्मान की ऐक्टिंग को इतना पसंद किया गया कि उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला.

तभी से आयुष्मान ने फिल्मों का ही रूख कर लिया. हालांकि यहां भी उन्हें असफलता का स्वाद चखने को मिला. डेब्यू के बाद लगातार तीन फ्लॉप से आयुष्मान के करियर पर आंच आ गई लेकिन ‘दम लगाके हायेशा’ ने बचा लिया.

पुराने अखबार को रद्दी में न बेचें… करें रियूज

रोज सुबह चाय के कप के साथ अखबार पढ़ने की आदत अब ज्यादा लोगों में नहीं रही. चाय या कॉफी का कप तो ज्यों का त्यों है, बदल गया है तो बस अखबार पढ़ने का तरीका. अब अखबार हर सुबह दरवाजे के बाहर से नहीं उठाया जाता. जब भी कोई बड़ी खबर आती है, नोटिफीकेशन आता जाता है.

पर आज भी सुबह के अखबार में अलग ही सुकून मिलता है. इससे कागज की बर्बादी तो होती है, पर हाथ में अखबार लेकर पढ़ने का भी अपना ही मजा है. पर अखबार की उम्र 24 घंटों से भी कम होती है. पर क्या आप जानती हैं कि रद्दी के भाव बेचकर कुछ पैसे घर लाने के अलावा भी अखबार बहुत ज्यादा फायदेमंद है. वैसे तो कचड़े में भी अखबार डालना स्वास्थय के लिए नुकसानदायक है. आप अखबारों को रिसाइकल होने के लिए दे सकते हैं, पर कुछ अखबार अपने घर में इस्तेमाल के लिए भी रख लें. क्योंकि अखबार से आप अपने घर के कई काम आसानी से कर सकती हैं.

1. ग्लास सर्फेस को पॉलिश करना

कांच की खिड़कियों और बेसिन और ड्रेसिंग टेबल पर लगे आईने को कागज की मदद से आसानी से साफ किया जा सकता है. ग्लास सर्फेस पर सिरके और पानी का मिश्रण डालें या फिर अपने क्लिनर की कुछ बूंदें डालें और अखबार से शीशे को साफ करें. फर्क आप खुद ही देखेंगी.

2. जूते की बदबू हटाए

जूतों और बूट से बदबू आना एक आम समस्या है. पर आप अखबार से इस समस्या से भी निजात पा सकती हैं. बदबूदार जूतों में अखबार का रोल बनाकर रातभर के लिए रख दें. अखबार सारी बदबू और नमी सोख लेगा और आपके जूतें भी पहनने लायक हो जाएंगे. सूटकेस और स्टोरेज बिन्स में भी अखबार रख कर उनकी बदबू दूर की जा सकती है.

3. पैकिंग में करे सहायता

पुराने अखबार से आप बड़ी ही आसानी से कोई भी चीज पैक कर सकती हैं. आमतौर पर बबल रैप से किसी भी चीज को पैक किया जाता है. पर न्यूज पेपर से आसानी से चीजें पैक की जा सकती है.

4. ग्रिल की सफाई

अखबार से ग्रिल की भी सफाई आसानी से की जा सकती है. अच्छे से बारबीक्यू होस्ट करने के बाद ग्रिल की सफाई में काफी मेहनत लगती है. पर अखबार की मदद से यह आसानी से किया जा सकता है. हल्के गर्म ग्रिल पर ही गिले अखबार की परत डाल दें. उसके बाद ढक्कन लगा दें. 1-2 घंटों के लिए छोड़ दें. अखबार की परत हटाएं और ग्रिल की सफाई कर लें.

5. पौधे उगायें

आप अखबार की मदद से छोटे-छोटे पौधे भी ऊगा सकती हैं. अखबार से पॉट बनाकर बीज रोप दें. जब छोटे-छोटे पौधे निकल जाएं तो पूरे पॉट को ही मिट्टी में लगा दें. पेपर अपने आप अलग हो जाएगा.

6. फ्रॉस्ट से बचाएं पौधे

आप अपने कीमती पौधों को फ्रॉस्ट से बचा सकती हैं. पौधे के ऊपर टेंट के जैसे अखबार की 2-3 परत लगा दें. क्लॉथ पिन से किनारो को बंद कर दें. पौधे फ्रॉस्ट से बचे रहेंगे.

7. बनी रहे फल और सब्जियों की ताजगी

अखबार से फल और सब्जियों की ताजगी बनी रहती है. कच्चे फलों को अखबार में ढककर रखने से वे जल्दी पक जाते हैं.

8. बनाएं एक ईको-फ्रेंडली गिफ्ट रैप

हम अकसर दूसरों को गिफ्ट देते हैं. गिफ्ट देने के साथ ही यह ध्यान भी रखते हैं कि गिफ्ट रैपिंग कवर भी शानदार हो. पर अखबार से भी आप गिफ्ट रैप कर सकती हैं. यह ईको-फ्रेंडली होने के साथ ही एक अलग तरह का आईडिया भी है.

तो अगली बार अखबार को रद्दी में फेंकने से पहले जरूर करें रियूज.

टेलीविजन के मशहूर क्राइम शोज

जो लोग सास-बहू और परिवार की राजनीति को देखने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते हैं, उनके लिए कुछ अपराध दिखाए जाते हैं अर्थात् कुछ अपराध से भरे धारावाहिकों का प्रसारण किया जाता है.

क्राइम पेट्रोल

क्राइम पेट्रोल की लोकप्रियता काफी अधिक है. सप्ताह के अंत में चैनल “सोनी” पर इसका प्रसारण किया जाता है. शो इतना लोकप्रिय है कि यह लोगों को जागृत रहने के लिए देर रात तक नए-नए एपिसोड देखता है. यह शो सिर्फ एक ऐसा शो नहीं है, जो अपराध की कहानियों को दिखाता है, लेकिन वास्तविक जीवन की घटनाओं को एक सच्चे चित्रण को नाटकीय रूप में प्रस्तुत करता है.

इस शो में अनूप सोनी एंकरिंग करते हैं अनूप सोनी ने अब तक बड़ी संख्या में प्रशंसकों को इकट्ठा किया है. इस शो में लोगों के अपने आस-पास होने वाले घिनौने अपराध के बारे में बताया जाता है और लोगों को जागरूक किया जाता है.

क्राइम पेट्रोल का पहला सीजन 2003 में प्रीमियर हुआ था और इसे दिवाकर पुंडुर ने होस्ट किया था इसके बाद में शक्ति आनंद ने इसे होस्ट किया. लेकिन इस शो ने अपने दूसरे सीजन में लोकप्रियता हासिल की, जब अनूप सोनी और साक्षी तंवर ने इस कार्यक्रम को संयुक्त रूप से शुरू किया.

सावधान इंडिया

यह शो अपराध की सच्ची कहानियों को भी प्रसारित करता है. इसे प्रतिदिन चैनल “लाइफ ओके” पर प्रदर्शित किया जाता है. सुशांत सिंह और कुछ अन्य लोगों द्वारा इस शो को होस्ट किया जाता है और यह शो टीआरपी के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. चैनल शो को हिंसा और अपराध के खिलाफ अभियान के रूप में पेश करता है. इस शो में “100 एपिसोड, 100 कहानियां” जैसी खासियतें हैं, जो पूरी तरह से समयबद्ध थीं और इसके कारण शो को अद्भुत प्रतिक्रिया मिली है.

यह न केवल सिखाता है कि कैसे एक कठिन परिस्थिति को संभालना है  यह लोगों को विकल्प भी देता है. यह शो बताता है कि अपने आप को कैसे सुरक्षित रखें और परिवार के लोगों की रक्षा कैसे करें.

शैतांन

“रंग” एक अन्य भारतीय टेलीविजन चैनल है जो “शैतान” नामक शो को दिखाता है. यह शरद केल्कर द्वारा आयोजित किया जाता है शो वास्तविक जीवन की अपराध की कहानियों के वर्णन के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है. यह आपराधिक के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक जड़ों की खोज करता है और अपराध की तुलना में आपराधिक पर अधिक ध्यान देता है.

गुमराह

गुमराह चैनल “वी” पर प्रसारित होता है, मुख्य रूप से उन युवाओं से संबंधित होता है जो आपराधिक गतिविधियों को जबरदस्ती या उनके सहयोगी समूह के माध्यम से अंजाम देते हैं. लेकिन, इस शो के होस्ट करन कुंद्रा प्रशंसकों को लुभाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि वह कहानी को अच्छी तरह से बता नहीं पाते. जैसा कि, यह एक हिंदी चैनल है, शो भी हिंदी में दिखाया जाना चाहिए परन्तु यहां कुछ अलग है. शो के होस्ट हिंदी की तुलना में काफी अंग्रेजी का उपयोग करते हैं जिससे शो के लिए कम टीआरपी प्राप्त होती है. इतना ही नहीं, शो के कई एपिसोड काल्पनिक दिखते हैं जो शो की मौलिकता को कम कर देते हैं.

ये हैं टीवी के सबसे महंगे शोज

भारतीय टेलीविजन दिन पे दिन अपनी पहुंच को और ज्यादा बड़ा रहा है. नयी-नयी थीम और कॉन्सेप्ट के साथ दर्शकों को रोज कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है और इसकी वजह से यहां प्रतियोगिता और ज्यादा बढ़ जाती है.

जहाँ कई निर्माता ऐतिहासिक और पौराणिक टीवी शो बनाते हैं तो वहीं कई अपने शो को और बेहतर दिखाने के लिए बॉलीवुड स्टार्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये सब करने के लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती है. ऐतिहासिक शोज के सेट्स को बनाने में काफी पैसा खर्च होता है और बॉलीवुड स्टार्स की फीस भी बहुत ज्यादा होती है. कभी-कभी प्रोड्यूसर्स इतना ज्यादा पैसा खर्च कर देते हैं कि आप सुनकर बस चौंक उठेंगे.

आइये आज हम आपको बताते हैं टेलीविजन जगत के 7 सबसे महंगे शोज के बारे में…

बिग बॉस 9

हम यहां बात कर रहे हैं बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान के बारे में. क्या आप जानते है कि अभिनेता सलमान खान, रियेलटी शो बिग बॉस के सीजन 9 के हर एपिसोड में काम करने के 7 करोड़ रुपये लेते थे! इस लिहाज से तो ये शो बिग बॉस सबसे महेगा शो बन गया, क्योंकि शो के निर्माताओं को अकेले सलमान को ही 7 करोड़ रुपये देने होते थे.

वॉरियर हाई

एमटीवी पर आने वाला ये शो बहुत कम टीआरपी के चलते बहुत जल्दी बंद हो गया था. इसके केवल 85 ऐपिसोड ही प्रसारित हुए थे. लेकिन इस शो की खास बात खास ये थी कि इसके केवल सेट का ही कुल खर्च 3 करोड़ रुपये था. अब इतने कम समय चलने वाले शो का इतना मंहगा सेट, हो तो ये शो तो मंहगे शोज की लिस्ट में शुमार हो ही जाऐगा.

युद्ध

साल 2014 में आने वाला यह एक मिनि सीरीज शो था, जिसमें सदी के महानायक और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन मुख्य किरदार में थे. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने इस शो में रहते हुए, हर एपिसोड के 3 करोड़ रुपये लिए थे.

देवों के देव महादेव

टेलीविजन पर आने वाले इस पौराणिक शो के रह एक एपिसोड को प्रोड्यूस करने की कुल कीमत 14 लाख रुपये थी. वाकई इस शो का निर्माण काफी मंहगा रहा होगा.

24 (सीजन 2)

साल 2016 में आने वाले इस शो के कुल 24 एपीसोड प्रसारित हुए और अनिल कपूर ने इस शो के हर एपिसोड को करने के लिए शो के निर्मातोओं से 2 करोड़ रुपये लिये थे.

महाभारत

महाभारत पौराणिक कथाओं को दिखाने के लिए एक बड़ा ऐर अच्छा शो माना जाता है और जब इतना बड़ा शो बनाया जाता है तो उसमें पैसा भी ज्यादा खर्च होता है. पुराने समय और चीजों को दिखाने के लिए इस शो के पूरे सेट को बनाने की कीमत पूरे 100 करोड़ रुपये थी.

भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप

यह शो एक फिक्शन ऐतिहासिक कहानी थी और इसे बनाने में काफी ज्यादा पैसा लगाया गया था. हम आपको बता देना चाहते हैं कि इसके अलग-अलग  सेट्स और कॉस्टूयम्स को मिलाकर कुल खर्च 80 करोड़ रुपये था.

इन शोज के निर्माताओं ने अपने शो के लिए इतना सारा पैसा फूंक दिया और यहां कुछ दर्शकों को तो ये सोचने में भी वक्त लग जाता है कि 1 करोड़ रुपये में कितने शून्य होते हैं.

अहाना कृष्णा का ये डांस उड़ा देगा आपके होश

गायक एड शीरन के गाने ‘शेप ऑफ यू’ गाने पर अबतक कई सेलेब अपना डांसिंग टैलेंट दिखा चुके हैं. अब साउथ की ऐक्ट्रेस अहाना कृष्णा ने इस गाने पर परफॉर्म कर अपनी एक वीडियो फेसबुक पर डाली है.

अहाना की ये वीडियो इंटरनेट पर छाई हुई है. अहाना इस वीडियो में अपनी बहन दिया और इशानी के साथ डांस करती नजर आ रही हैं.

इस वीडियो के फेसबुक पर आने के 20 घंटों के अंदर ही इसे 93 हजार लोग देख चुके थे. वैसे फेसबुक के अलावा अहाना का एक यूट्यूब चैनल भी है वह अकसर अपनी वीडियो उस चैनल पर शेयर करती रहती हैं.

इन गाने पर पहले जहां आईआईटी के कुछ स्टूडेंट्स ने परफॉर्म किया था. वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस दिशा पटानी, सुष्मिता सेन ने भी इस गाने पर परफॉर्म किया था. सुष्मिता इस गाने पर अपनी बेटी के साथ डांस करती नजर आई थीं. दिशा पटानी ने भी ‘शेप ऑफ यू’ पर परफॉर्म किया था. दिशा ने यह वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. दिशा ने 26 फरवरी को यह वीडियो शेयर की थी.

 

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मुस्कुराइए आप ‘पनौति’ में हैं

जिससे भी पूछोगे एक ही जवाब मिलेगा, गर है वो हिन्दुस्तानी तो लाजवाब ही मिलेगा… हमारे देश की बात ही कुछ और है और देशवासियों की तो पूछिए ही मत. हां, इक्का-दुक्का दंगों और धर्म सुधारक दस्तों द्वारा किए गए हिंसा को छोड़ दें तो यहां के लोग बड़े ‘पाक’ दिल और नेक ख्यालात के हैं. इतने भोले हैं कि पत्थर को भी ईश्वर और मनुष्य को जानवर से बद्तर समझने लगते हैं…!

हम उस देस के वासी हैं जहां, गऊ को माता कहते हैं, पर जहां के लोग मां-बहन वाली गाली के बिना एक पल नहीं गुजार सकते. साल में दो दिन कन्या पूजन का विशाल आडंबर करते हैं और बाकि दिन उन्हीं को अपनी हवस का शिकार बनाने से नहीं चूकते. अब आप कहेंगे ये कौन सी नई बात है. हर रोज यही सब होता है. ये तो मामूली सी परेशानी है कि देश में बलात्कार हो रहे हैं, पर उससे बड़ी और सोचने पर मजबूर कर देने वाली बात यह है कि हम बलात्कार के आदी होते जा रहे हैं. हमें गैंग-रेप और बाल-उत्पीड़न की खबरें पढ़ने, सुनने, देखने की आदत हो गई है. खैर रंगीले देस में हर सुबह दिखने वाली धनक की छटा ही अनोखी है. फिर दंगे और बलात्कार तो रोज का किस्सा और हमारी जिन्दगी का हिस्स बन गए हैं…

चलिए समाज पर भाषण देकर आपको बोर करने के बजाय, मुद्दे की बात की जाए. जरा अपना बचपन याद करिए. किसी बच्चे के अटपटे नाम पर कितना चिढ़ाते थे सब उसे. अगर आप उनमें से कोई एक हैं, तो हमें आपसे पूरी हमदर्दी है. एक व्यक्ति के नाम पर उसे इतना चिढ़ाया जाता था, जरा सोचिए एक ऐसे शहर, गांव या बस्ती के बारे में जो अपने अटपटे नाम के कारण विश्व-विख्यात है.

आज हम आपको कुछ ऐसे जगहों के नाम के बारे में बताएंगे, जिनके नाम इतने अटपटे हैं कि आप हंसने पर मजबूर हो जाएंगे. अगर हंसी न भी आए, तो हंस लीजिए, कौन सा पैसे लगने वाले हैं?

1. भैंसा, तेलंगाना

बिल्कुल सही पढ़ा है आपने. तेलंगाना के अदिलाबाद जिले में है भैंसा. पहले इस जगह का नाम महिषा था. पर वक्त के साथ इस जगह का नाम बदल दिया गया. भैंसा का हिन्दी में अर्थ तो आप जानते ही होंगे… जरा सोचिए अगर कोई कहे कि ‘हाय! आई एम फ्रॉम भैंसा?’ तो आप कैसा महसूस करेंगे?

2. क्लटर बक गंज, उत्तर प्रदेश

ये कुछ काम का नाम है. यहां आकर अपना सारा रंजो-गम ऊर्फ क्लटर बक दीजिए और सुकून से लौट जाइए. उत्तर प्रदेश में है यह बक गंज. यूपी वैसे भी करिश्माई राज्य है.

3. डिवाइन नगर, केरल

अगर डिवाइन ऐनर्जी चाहिए, तो यहां जरूर जाएं. आप समस्त मोह-माया को भूल जाएंगे. लौटकर अपना ऐक्सपीरियंस जरूर बताइएगा.

4. वेंकटनरसिंम्हराजवारिपटा

आप पर पूरी दुनिया कुर्बान अगर आपने एक बार में यह नाम पूरा पढ़ लिया तो. यह सबसे लंबे नाम वाला रेलवे स्टेशन है. मुस्कुराइए आप वेंकटनरसिंम्हराजवारिपटा में हैं.

5. फोरबसगंज, बिहार

एक बिहारी, सौ पर भारी वाली कहावत सच हो गई. फोरब्स मैगजीन का अपना गांव है भारत में. यह बिहार के अररिया जिले में है. तो अगली बार ऐंजलिना जी को यहां देखने जरूर जाएं. ये अलग बात है कि आपको वो यहां नहीं मिलेंगी.

6. बाढ़, बिहार

बिहार की राजधानी पटना में ही एक जगह है बाढ़. यहां एनटीपीसी ने सुपर थर्मल पावर स्टेशन का निर्माण किया है. बिहार में वैसे भी हर बरसात में बाढ़ से स्थिति बद्तर हो जाती है. अब तो बाढ़ ने बिहार में ही घर बना लिया है!

7. पनौति, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में ही है ‘पनौति’. चित्रकूट जिले में कारवी तहसील के अंदर पनौति गांव आता है. किस्मत का खेल देखिए, पनौति आई भी तो कहां? चित्रकूट में…

कुछ जानवरों के नाम पर भी भारत के कई जगहों का नामकरण किया गया है

8. गधा, उत्तर प्रदेश

गधे को लेकर उत्तर प्रदेश के चुनावों में गहमागहमी तो रही. पर क्या मुद्दा उठाने वालों ने ये सोचा कि ‘गधा’ के बासिंदों पर क्या गुजरेगी. जी, सही सुना आपने. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में है ‘गधा’ गांव.

विडंबना देखिए गुजरात के सबरकांथा जिले में भी एक गांव का नाम ‘गधा’ है. यानि गधा गुजरात में भी है और यूपी में भी. कृपया इसे राजनीति से न जोड़ें.

9. काला बकरा, पंजाब

पंजाब के जालंधर जिले में है काला बकरा. इस जगह का नाम काला बकरा क्यों पड़ा ये कोई नहीं जानता. अब बकरा काला है या गोरा, यह शर्त लगी होगी और बकरा काला था और इस पर जगह का नामकरण कर दिया गया. ऐसी कोई कहानी नहीं है, पर कहने में क्या जाता है. वैसे भी कही-सुनी बातों पर आप आसानी से विश्वास कर लेते हैं.

10. सूअर, उत्तर प्रदेश

धर्म को लेकर सुलगते राज्य के लिए यह एक उदाहरण है कि यहां सुअर नाम की एक जगह है जहां लोग रहते हैं.

हंसी को जरा रोककर ये सोचिए, कि ऐसी जगहों पर लोग शांति से रहते हैं. कभी आपने खबरों में नहीं सुना होगा कि पनौति में दंगे हो गए. अब ये नाम का असर है कि काम का ये आप तय करें.

इस गर्मी खीरे से निखारें अपनी त्वचा

गर्मियों में अपनी स्क‍िन को धूप और धूल से बचाने के लिए हम क्या-क्या नहीं करते. कभी चेहरे को कपड़े से ढकते हैं तो कभी उस पर महंगी से महंगी सनस्क्रीन लगाते हैं. इन सब के बावजूद चेहरे पर टैनिंग हो ही जाती है.

अगर आप इन गर्मियों में अपने चेहरे की रौनक को बरकरार रखना चाहती हैं तो बाजार से महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने की बजाय किचन की इन चीजों का इस्तेमाल करें. ये न केवल आपकी त्वचा को गर्मी में झुलसने से बचाएंगी, बल्क‍ि चेहरे की रौनक भी बनी रहेगी.

जानिये, इन गर्मियों में आप कैसे अलग-अलग पैक बनाकर अपने चेहरे की नमी को बरकरार रख सकती हैं.

खीरा और एलोवेरा

खीरा और एलोवेरा दोनों ही त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि दोनों आसानी से मिल भी जाते हैं. खीरे का पेस्ट बना लें और इसमें 1 चम्मच एलोवेरा जेल डालकर मिला लें. इसमें 1 चम्मच नींबू का रस भी मिला लें. चेहरे पर लगाएं और सूखने दें और फिर धो लें. यह पैक एंटी-एजिंग का काम करता है.

खीरा और दही

खीरे और दही को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें. थोड़ी देर बाद गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें. अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो यह आपके लिए बेहद कारगर है.

खीरा और ओट्स

गर्मियों में डेड स्कि‍न की समस्या आम है. ऐसे में डेड स्किन हटाने के लिए आप खीरे और ओट्स से बना फेसपैक लगा सकती हैं. खीरा, ओट्स और हल्दी को मिलाकर चेहरे पर लगाएं. थोड़ी देर पानी ठंडे पानी से धो लें.

खीरा और बेसन

आधा खीरा, बेसन और एक चम्मच नींबू का पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें. चेहरे पर ग्लो आएगा और डेड स्क‍िन भी खत्म होगा.

खीरा और संतरे का जूस

खीरे और संतरे के जूस को मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. इसे चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें. यह चेहरे में चमक के साथ-साथ टाइटनेस भी लाएगा.

जब चुनें समर इनरवियर्स

गरमी के मौसम में शरीर से टपकता पसीना परेशानी का सबब बन जाता है. यदि महिलाओं की बात की जाए तो उन्हें इस परेशानी से अधिक जूझना पड़ता है. इस की बड़ी वजह उन के इनरवियर्स होते हैं. जहां बौडी सपोर्ट के लिए इनरवियर्स जरूरी होते हैं वहीं फैशन के लिहाज से भी महिलाओं का अंडरगार्मैंट्स पहनना जरूरी होता है.

मगर गरमियों के मौसम में इनरवियर का कसाव त्वचा संबंधी रोग जैसे घमौरियां, रैशेज आदि उत्पन्न कर देता है. इन से बचने के लिए जरूरी है कि इस मौसम के लिए सही इनरवियर का चुनाव किया जाए. आइए, जानते हैं इस मौसम के लिए महिलाएं किस तरह के इनरवियर का चुनाव करें:

सही फैब्रिक का चुनाव : गरमी के मौसम में अंडरगार्मैंट्स के लिए सही फैब्रिक का चुनाव बेहद जरूरी है. कई महिलाएं जो इनरवियर सर्दियों में पहनती हैं वही गरमी के मौसम में भी पहनती हैं, जबकि दोनों मौसम में अलगअलग फैब्रिक के इनरवियर पहनने चाहिए. यदि सर्दी के मौसम में पहने जाने वाले नायलोन या सिंथैटिक फैब्रिक के इनरवियर्स को गरमी के मौसम में पहना जाए तो शरीर से अधिक पसीना निकलता है, जिस से घमौरियां होने का डर रहता है. इस मौसम में कौटन, लाइक्रा या नैट के अंडरगार्मैंट्स पहनने से त्वचा को भरपूर औक्सीजन मिलती रहती है.

पैडेड इनरवियर पहनने से बचें : आजकल महिलाओं में पैडेड इनरवियर का क्रेज बखूबी देखा जा सकता है, मगर यह गरमी के मौसम के लिहाज से त्वचा की सेहत के लिए बिलकुल सही नहीं होते. यदि पैडेड अंडरगार्मैंट पहनना भी पड़े, तो केवल कौटन से बना ही पहने.

न पहनें लेयर्ड अंडरगार्मैंट्स : कई बार महिलाएं जरूरत न होने पर भी एक के ऊपर दूसरा इनरवियर पहन लेती हैं. उदाहरण के तौर पर कई महिलाएं ब्रा के ऊपर स्पैगेटी पहन लेती हैं तो वहीं कुछ महिलाएं पैंटी के ऊपर शेपवियर पहन लेती हैं, जिस की वास्तव में जरूरत नहीं होती है. इस के 2 नुकसान हैं. पहला यह कि लेयर्ड अंडरगार्मैंट्स गरम मौसम में शरीर को और भी गरम करते हैं और दूसरा कि इन के कसाव से एक अजीब सी उलझन बनी रहती है.

स्ट्रैपी एवं सीमलैस पैटर्न : आजकल कई ब्रैंड स्ट्रैपी और सीमलैस अंडरगार्मैंट्स डिजाइन कर रहे हैं. इस तरह के इनरवियर्स गरमी के मौसम के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं. इन की आरामदायक फिटिंग बौडी को सही शेप देती है और इन की स्ट्रैपी डिजाइन हवा को आसानी से त्वचा तक पहुंचने देती है.

ब्रा चुनते वक्त इन बातों का रखें ध्यान…

– इस मौसम में बिना अंडरवायर वाली ब्रा ही पहनें. टीशर्ट ब्रा इस मौसम के लिए सब से अच्छी साबित हो सकती है. यह सही फिटिंग के साथसाथ आरामदायक भी होती है. इसे किसी भी टौप के साथ पहना जा सकता है.

– गरमी के मौसम में डीप बैक कट ड्रैस के साथ बैकलैस ब्रा पहनी जा सकती है. महिलाओं को मिथ होता है कि बैकलैस ब्रा केवल एक बार ही पहनी जा सकती है, मगर ऐसा नहीं है. एक बैकलैस ब्रा को लगभग 50 बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

– छोटी ब्रैस्ट वाली महिलाएं पुशअप ब्रा पहन सकती हैं. इस ब्रा की खासीयत यह होती है कि जब जरूरत हो तो पैड्स लगाए जा सकते हैं और जरूरत न होने पर निकाले भी जा सकते हैं.

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