वेब सीरीज में दिखा टीवी की संस्कारी बहुओं का बोल्ड लुक

टीवी सीरियलों में संस्कार का पाठ पढा़ने वाली डेली सोप की बहुएं का संस्कारी अवतार तो आपने खूब देखा होगा. लेकिन क्या आप इनके दूसरे अंदाज से वाकिफ हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं संसकारी बहुओं के वेब सीरीज में दिखने वाले बोल्ड और बिंदास अवतार की.

आइए जानें, ऐसी ही कुछ टीवी एक्ट्रेस के बारे में जिनके वेब सीरीज रोल कर देंगे अपको हैरान…

निया शर्मा

निया शर्मा वैसे तो अकसर ही अपनी बोल्ड अदाओं के लिए सुर्खियों में रहती हैं. लेकिन इस बार जीटीवी के शो ‘जमाई राजा’ फेम बबली एक्ट्रेस निया ने वेब सीरीज ‘ट्विस्टेड’ में अपना सेक्सी और बोल्ड अवतार दिखा कर सबको चौंका दिया है.

सुरभि ज्योति

सीरियल ‘कूबूल है’ से टीवी इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने वाली सुरभि‍ ज्योति ने अपनी पहली वेब सीरीज ‘तनहाइयां’ से फैंस के बीच काफी हिट हो रही हैं.

शमा सिकंदर

शमा सिकंदर ने छोटे पर्दे पर ‘ये मेरी लाईफ है’ में एक मजबूत और इंडिपेंडेंट लड़की का किरदार निभाया था. ऐसे में उनकी वेब सीरीज ‘माया’ में उनका सेक्सी अंदाज उनके फैंस के होश उड़ाने के लिए काफी रहा.

संजीदा शेख

संजीदा शेख ने यूं तो यह बात साफ कर दी थी की वो स्क्रीन पर कोई बोल्ड सीन नही करेंगी लेकिन जल्द ही वह वेब सीरीज ‘गहराइयां’ में स्क्रिप्ट की डिमांड पर लव मेकिंग सीन करती नजर आएंगी.

त्रिधा चौधरी

त्रिधा चौधरी ने भी डिजिटल मीडिया पर तहलका मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उनकी वेब सीरीज ‘स्पॉटलाईट’ में उन्होंने बोल्ड सीन्स दिखाकर अपने फैन्स के नंबर्स बढ़ा लिए हैं.

एक आलू है बालों की सारी समस्याओं पर भारी

क्या आपको भी लंबे, खूबसूरत और काले बालों की चाह हैं. खूबसूरत बाल किस महिला को पसंद नहीं आते, लेकिन अपनी लाइफस्टाइल और सही देखभाल के अभाव में अक्सर आपको बालों से जुड़ी किसी न किसी परेशानी को फेस करना ही पड़ता है. महंगे हेयर ट्रीटमेंट और कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल के बावजूद आपको इन परेशानियों से छुटकारा नहीं मिलता.

ये बात शायद आपको बताने की जरुरत नहीं है कि बहुत अधिक केमिकल इस्तेमाल करने से भी बाल खराब हो जाते हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप अपने बालों के लिए नेचुरल तरीके अपनाएं.

बहुत से ऐसे कुदरती उपाय उपलब्ध है जिनकी मदद से आप बालों से जुड़ी परेशानियों को दूर कर सकते हैं. आमतौर पर लोगों को बालों से जुड़ी तीन तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिनमें

– रूखे-बेजान बाल,

– रूसी और

– ग्रोथ की समस्या शामिल हैं.

आमतौर पर ऐसी सभी परेशानियों के लिए अलग-अलग उपाय बताए जाते हैं लेकिन आलू एक ऐसी चीज है, जिसके इस्तेमाल से आप इन सभी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं.

आप आलू में शहद, दही और नींबू मिलाकर आप आपके बालों से संबंधित अलग-अलग समस्याओं से मुक्त‍ि पा सकते हैं.

1. घने और मुलायम बालों के लिए

दो से तीन आलू ले लें. इसे छीलकर इसका पेस्ट तैयार कर लें. इसके बाद इस पेस्ट में अंडे का पीला हिस्सा और शहद मिला लीजिए. उसके बाद इस पेस्ट को बालों पर लगाइए. इसे कुछ देर सूखने के लिए छोड़ दीजिए. जब ये पैक सूख जाए तो किसी अच्छे-माइल्ड शैंपू से बाल धो लीजिए. दो से तीन बार इस्तेमाल से ही आपको फर्क नजर आने लगेगा.

2. बालों की ग्रोथ के लिए

दो आलू लीजिए और इसका रस निकाल लीजिए. इसमें एक या दो चम्मच एलोवेरा जेल मिला लीजिए. इस मिश्रण को बालों की जड़ों से लेकर सिरे तक लगाइए. इसे 30 से 40 मिनट तक बालों में लगे रहने दीजिए. इसके बाद पानी से बालों को धो लीजिए. तुरंत शैंपू करने की जरूरत नहीं है.

3. डैन्ड्रफ की समस्या के लिए

एक या दो आलू ले लें. इन्हें पीसकर इनका रस निकाल लीजिए. इस रस में नींबू और दही मिलाकर बालों में लगाइए. इस पेस्ट को बालों में लगाकर कुछ देर के लिए यूं ही छोड़ दीजिए. इसके बाद किसी अच्छे शैंपू से बाल धो लीजिए.

दिलकश दुबई

दुबई को अगर रेगिस्तान का राजा कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. बहुत सुना था दुबई के बारे में और बहुतकुछ पढ़ा था. दुबई बहुत ही खूबसूरत है, बहुत ही व्यवस्थित, बहुत ही साफसुथरा है, चोरीचकारी का तो वहां सवाल ही पैदा नहीं होता.

मेरा बेटा प्रतीक और बहू चारू कुछ वर्षों से दुबई में नौकरी कर रहे हैं. इसलिए दुबई दर्शन की तमन्ना और भी बलवती हो गई. दिल में ढेर सारी उत्सुकता लिए मैं पति के साथ अपनी इस चिरप्रतीक्षित यात्रा पर निकल गई. दुबई के बारे में जितना सुना था, उस से कहीं अधिक पाया.

जिस रेगिस्तान को अंगरेज भारत को 60 लाख पौंड में बेच रहे थे, भारत के लेने से इनकार करने के बाद अंगरेजों ने उसे गैर पढ़ेलिखे कबीलों को दे दिया था. 4,000 वर्ग किलोमीटर के इस रेगिस्तान में न खेती लायक जमीन थी, न पेड़पौधे, न पीने का पानी था. बंजर गांवों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था. लोग पढ़ेलिखे नहीं थे. एक तरफ अंतहीन रेगिस्तान था तो दूसरी ओर खारे पानी का समुद्र हिलोरें ले रहा था.

वही रेगिस्तान आज दुबई की शक्ल में न्यूयौर्क से भी अधिक खूबसूरत लगता है. वहां अपार संपदा है. इस का कारण है कि दुबई के शेखों ने कभी भी मजहबी और कट्टरपंथी संगठनों को बढ़ावा नहीं दिया. कोई भी चरमपंथी मौलवीमौलाना जरा भी हरकत करे तो उसे देशनिकाला दे दिया जाता है. दुबई में दुनियाभर के लोगों को रहने व व्यापार करने की छूट है.

दुबई के निर्माण को 46 वर्ष हो गए हैं. दुबई, अबूधाबी, अजमान, शारजाह, फुजैराह, रस अल खैमाह, उम अल कुवैन – इन 7 राज्यों ने मिल कर संयुक्त अरब अमीरात का गठन किया है. जिसे यूएई कहा जाता है. इस की राजधानी अबूधाबी है, जो इस का सब से बड़ा राज्य भी है.

दुबई में नवंबर से फरवरी तक टूरिज्म का बैस्ट सीजन होता है. इस समय यहां पर पर्यटकों की अथाह भीड़ होती है. नवंबर माह में हम जैट एयरवेज की फ्लाइट से दुबई गए. दुबई का समय भारतीय समयानुसार डेढ़ घंटा पीछे रहता है. दुबई एयरपोर्ट पर काफी कठिन जांचों से गुजरना पड़ता है.

दुबई की 20 लाख की जनसंख्या में वहां के मूल अरब मात्र 13 प्रतिशत हैं. अन्य सारे लोग अनेक देशों से यहां काम करने, व्यापार करने के लिए आए हुए हैं. प्रतिदिन दुनियाभर से लाखों टूरिस्ट यहां आते हैं.

दुबई के शेखों के दृढ़निश्चय, तेल से प्राप्त अकूत धनराशि दुबई को शानदार बनाने में लगी है. दुबई तो एक रेगिस्तान था, इसे आज का दुबई बनाने के लिए मिट्टी, पत्थर, सीमेंट, पेड़पौधे, फूल, हरीघास, यानी रेत के अतिरिक्त सारी निर्माण सामग्री बाहरी देशों से आयात की गई.

दुबई का अपना कोई उद्योग नहीं है. अन्य देशों से आयातित सामान ही यहां पर मिलता है. कई विदेशी कंपनियां इस को सजानेसंवारने में लगी हैं या यहां आ कर व्यापार कर रही हैं.

पूरे यूएई के सातों राज्यों की जनसंख्या 1.5 करोड़ है. जिन में 30 प्रतिशत तो केवल भारतीय हैं. 13 प्रतिशत निवासियों के अतिरिक्त अन्य देशों से आए हुए हैं. यहां के मूल निवासियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य की व्यवस्था मुफ्त है. दुबई में चमचमाती सड़कें, सरपट दौड़ता यातायात है. सड़कें 2 लेन से ले कर 8 लेन तक की हैं. यातायात के लिए मैट्रो का जाल बिछा है. दुबई में लाखों टैक्सियां व प्राइवेट वाहन चलते हैं. लाखों लोगों की भीड़ है. अपने वाहन की गति यदि आप ने निर्धारित गति से आगे बढ़ाई तो तुरंत फोटो खिंच जाएगी और फाइन लग जाएगा. इस की सूचना आप तक तुरंत पहुंच जाएगी.

दुबई में अपराध नहीं के बराबर हैं क्योंकि एक बार अपराध करते पकड़े गए तो छूटना मुश्किल है. स्वच्छता और पर्यावरण का सख्ती से पालन किया जाता है. एक कागज का टुकड़ा भी कहीं देखने को नहीं मिलता.

दुबई का सारा विकास कार्य निरवील (विकास प्राधिकरण) देखता है. अपार्टमैंट का किराया भी यही तय करता है. इस का नियंत्रण शेख परिवार के लोगों और कंपनी के उच्च स्तर के अधिकारियों के हाथों में रहता है. दुबई में अनेक बड़ेबड़े मौल हैं. जिन में एकदो तो विश्व स्तर के हैं. दुबई का सारा कारोबार बाहर के देशों से आए हुए लोगों के हाथों में है.

यहां पर हर तरह का पहनावा देखने को मिलता है. एक तरफ जहां यहां के मूल निवासी सिर से पांव तक ढके रहते हैं यानी कि अपने पारंपरिक पहनावे में रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ विदेशी छोटेछोटे कपड़ों में दिखाई देते हैं. यहां पैट्रोल सस्ता है, लेकिन पीने का पानी महंगा है. कोल्डड्रिंक्स पानी से सस्ता है.

दुबई एक प्रकार से कौस्मोपौलिटन राज्य जैसा है. कोई प्रतिबंध नहीं है. इसलिए प्रतिदिन लाखों पर्यटक यहां अरबों डौलर व्यय करते हैं. दुबई सहित पूरा यूएई गैस नहीं बेचता. इसी से इस के विद्युत ट्रावाइजन चलते हैं. दुबई दिन के उजाले से रात के उजाले में अधिक खूबसूरत दिखाई देता है.

दर्शनीय स्थल

मरीना वाक

रात्रि में मरीना वाक का दृश्य अत्यधिक दर्शनीय हो जाता है. समुद्र से पानी ला कर एक झील सी निर्मित की गई है. जिस के 3 तरफ बड़ेबड़े टावर खड़े हैं. झील में नौकायन की व्यवस्था है.

झील के किनारेकिनारे लगभग 7 किलोमीटर की सड़क बनी है. जिस में टूरिस्ट पैदल या चारपहियों वाली छोटी खुली गाड़ी से घूमते हैं. इस सड़क के एक तरफ खानेपीने के रैस्टोरैंट व मौल वगैरा हैं. गद्दीदार बैंच लगी हैं. खजूर के पेड़ बिजली के लट्टुओं से सजे रहते हैं. यहां पर शाम व रात को पर्यटकों का मेला लगा रहता है.

ऐटलांटिस

यहां पर भी समुद्र के किनारेकिनारे घूमने के लिए पथ बना हुआ है. खूबसूरत गद्दीदार बैंचों पर बैठ कर सामने सैकड़ों नौकायनों को समुद्र में अठखेलियां करते देख सकते हैं. इस पथ के एक तरफ ऐटलांटिस होटल है जिस में टूरिस्ट आ कर ठहरते हैं.

ऐटलांटिस मौल व ऐक्वेरियम

ऐटलांटिस मौल में देशविदेश से निर्यातित सामान खरीदने की सुविधा है. ऐक्वेरियम तो इतना बड़ा है कि घूमने में डेढ़दो घंटे लग जाते हैं. इस ऐक्वेरियम में छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी मछली व समुद्री जीवों का अद्भुत संसार है. घूमने में ऐसा लगता है कि समुद्र के अंदर ही विचरण कर रहे हैं और जैसे समुद्र

और हमारे बीच शीशे की ऊंचीऊंची दीवारें हों.

इब्न बतूता मौल

यह मौल घूमने के लिए अच्छा है. इस मौल के ऊपर एक छत ऐसी बनाई गई है कि वहां लगता है कि हम खुले आसमान के नीचे घूम रहे हैं और ऊपर चांदतारों का समूह अठखेलियां कर रहा हो. यह छत कलाकार की कल्पना और वास्तुकला का कमाल है.

दुबई मौल

यह दुनिया का सब से बड़ा पांचमंजिला मौल है. यहां दुनिया के सभी देशों का सामान मिलता है. दुबई मौल बुर्ज खलीफा से लगा हुआ, इसी का एक हिस्सा है. इस में अनेक देशों के अपने खाने की चीजों के रैस्टोरैंट हैं. इस मौल को ठीक से पूरा घूमने के लिए एक दिन भी कम है.

मिरेकल गार्डन

मिरेकल गार्डन अकल्पनीय, अद्भुत, अप्रतिम, अतुलनीय है. यह फूलों की मानवीय कल्पना, आर्किटैक्ट के दिमाग का अद्भुत संयोजन है. इस मरुस्थल को खूबसूरत बनाने के लिए विभिन्न वस्तुएं दुनिया के देशों से एकत्रित कर के फूलों के स्वर्णिम संसार को अनेक रूपों, कलाकृतियों से इस प्रकार सजायासंवारा गया है कि क्षणभर के लिए दिमाग भ्रमित हो जाता है कि हम किसी रेगिस्तान में हैं या पुष्पलोक में.

सरिया, तारों, पुष्पों, घास व विद्युत की लडि़यों से सैकड़ों कलाकृतियां बनाई गई हैं. कहीं रेल का डब्बा, कहीं बस का डब्बा, कहीं भवन, कहीं वाटिका, कहीं महिला बड़ा सा फुहारा लिए सिंचाई कर रही है और ये सब कलाकृतियां विभिन्न रंगों के फूलों से बनाई गई हैं. सड़क के दोनों तरफ घने पेड़ों की कतारें हैं जो घना जंगल होने का एहसास देती हैं. तितलियों का अद्भुत संसार है. कुल मिला कर इस का शब्दों में वर्णन करना असंभव है.

बुर्ज खलीफा

बुर्ज खलीफा दुनिया की सब से ऊंची इमारत है. यह 828.8 मीटर ऊंची और 150 मंजिल की है. इस का निर्माण वर्ष 2004 में प्रारंभ  कर के 2009 में पूरा कर लिया गया था. इस में जाने के लिए औनलाइन 130 दिरहम और वहीं जा कर काउंटर पर 400 दिरहम दे कर टिकट लेना पड़ता है. पर्यटकों के लिए बुर्ज खलीफा 125वीं मंजिल तक ही खुला रहता है. यहां तक लिफ्ट 63 सैकंड में पहुंचा देती है. ऊपर की मंजिलों में पर्यटकों को नहीं जाने दिया जाता. बुर्ज खलीफा की मोटी कांच की दीवारों से पूरा दुबई दिखाई देता है. यहां पर पर्यटक फोटो खिंचवाते रहते हैं. फोटोग्राफर भी फोटो के लिए घूमते रहते हैं.

डांसिंग फाउंटेन

बुर्ज खलीफा के पास ही दुनिया का सब से बड़ा डांसिंग फाउंटेन है. इस का समय लगभग आधा घंटा है और हर आधे घंटे बाद शो दिखाया जाता है. संगीत के साथ जल की लहरों का नर्तन बहुत ही आकर्षक व बेमिसाल है.

डेजर्ट सफारी

दुबई से करीब 75-80 किलोमीटर दूर रेगिस्तान में मुख्य सड़क से हट कर 3-4 किलोमीटर के दायरे में कैंप लगाए गए हैं. वहां पर मुख्य सड़क से कुछ खास तरह की गाडि़यों से जाया जाता है. जो रेत के टीलों की सफारी कराते हुए ले जाती हैं. पर्यटक रेत के टीलों की सफारी का लुत्फ उठाते हैं.

इन कैंपों में तरहतरह के प्रोग्राम होते हैं, बैले डांस होता है, खानेपीने का प्रबंध होता है. यह सब टिकट में शामिल होता है. टिकट लगभग प्रतिव्यक्ति सवा सौ दिरहम का होता है. ये प्रोग्राम रात में होते हैं. रात में रेत ठंडी हो जाती है. मरु रेगिस्तान के मध्य रात बिताने का अलग ही आनंद होता है.

बर दुबई

यह कहने को पुराना दुबई है पर दुबई के साथ ही इस का भी आशातीत विकास हुआ है. दुबई की तरह ही यहां भी ऊंचे टावर, अपार्टमैंट व मौल हैं. यहां पर भी अनेक देशों का सामान मिलता है. यहां के विकास कार्यों आदि की व्यवस्था निरवील (विकास प्राधिकरण) के हाथ में है. सोना या अन्य सामान लेना हो तो यहीं से लेना चाहिए.

बर दुबई, दुबई की अपेक्षा हर लिहाज से सस्ता है. वैसे, निकटवर्ती शारजाह रहने व सामान खरीदने के लिए दुबई से काफी सस्ता है. दुबई में बाहरी देशों से गए श्रमिकों के लिए शहर से काफी दूर आवासीय स्थल बनाए गए हैं. शहर में इन की भीड़ दिखाई नहीं देती.

ग्लोबल विलेज

यह लगभग 20 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां पर बहुत बड़ेबड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाए गए हैं. यहां पर विभिन्न देश अपने देशों का बनाया गया सामान विक्रय करते हैं. प्रतिदिन लाखों लोग आ कर इन प्रतिष्ठानों से सामान खरीदते हैं. ग्लोबल विलेज में अनेक पार्क हैं. लंबाचौड़ा परिसर है. लाखों कारों की रेलपेल है. हर सायं व रातभर मेला सा लगा रहता है. सब से अधिक भीड़ चाइनीज व्यापारिक प्रतिष्ठान में देखी गई. हमारे देश का भी वहां पर बहुत बड़ा व्यापारिक प्रतिष्ठान देखने को मिला. भारतीय व्यापारिक प्रतिष्ठान में भी काफी भीड़ थी. पाकिस्तान व्यापारिक प्रतिष्ठान में अधिकतर ऊन और चमड़े के जैकेट बेचे जा रहे थे.

जेबीआर बीच

यह दुनिया के बड़े बीच में से एक है. लाखों पर्यटक यहां मोटरबोट और अन्य तरीकों से समुद्र में अठखेलियां कर रहे थे. इस के पास 60-70 मंजिले ऊंचे टावर खड़े हैं, रैस्टोरैंट हैं, होटल हैं. इन होटलों में बाहरी देशों से टूरिस्ट आ कर ठहरते हैं. इन होटलों का किराया बहुत अधिक होता है. यहां पर अपार्टमैंट भी बहुत महंगे हैं. टूरिस्ट और यहां पर रहने वाले लोग नीचे उतर कर घूमते रहते हैं, खरीदारी करते हैं. खातेपीते हैं. यहां जगहजगह पर कल्चरल प्रोग्राम भी होते रहते हैं. लोग पिकनिक भी मनाते हैं. खूब गहमागहमी और रौनक रहती है. रात का पता ही नहीं चलता है.

इन के अलावा भी दुबई में घूमने के लिए अनेक जगहें हैं. निर्माण कार्य यहां चलता रहता है. नए नए टूरिस्ट स्पौट बनते रहते हैं. मानवनिर्मित खूबसूरती है दुबई की. दुबई बहुत ही सुंदर, सुरक्षित व व्यवस्थित है.

अपनी दोस्त से पूछें पैसे के बारे में ये सवाल

रिलेशनशिप हो या फिर करियर, हर मामले में आपकी खास दोस्त आपका साथ देती ही होगी. कई बार उसकी नसीहतों से आप इरिटेट होती होंगी, तो कई बार उन्हीं टिप्स पर चलकर आपको कई फायदे भी मिले होंगे.

लेकिन क्या आपके दोस्त पैसे और निवेश के मामले में भी आपको एडवाइज देते हैं? निश्चित रूप से कुछ ऐसे मनी टिप्स होंगे जो आप नहीं जानते होंगे लेकिन उन्हीं टिप्स को फॉलो करके आपका दोस्त आपसे बेहतर काम कर रहा होगा.

यह जानने के लिए कि क्या आपकी दोस्त सच में पैसे का बेहतरीन इस्तेमाल कर रही है, आज ही अपने दोस्त से ये सारे सवाल जरूर पूछें…

1. आपकी दोस्त अपनी इनकम का कितना पर्सेंट बचत करती हैं. अगर वे सच में बचत करती हैं तो उन्होंने कितनी जल्दी बचत करना शुरू किया था?

हम हमेशा नोटिस करते हैं कि हमारे दोस्त कितना खर्च करते हैं. आज तक हमने कितनी बार पूछा होगा कि आखिर वे बचाते कितना हैं? भले ही आपके दोस्त आपको अपनी सही इनकम न बताएं लेकिन वे अपनी बचत का पर्सेंटेज जरूर बता सकते हैं.

2. टैक्स बचाने के लिए आपकी दोस्त कौन से तरीके अपनाती हैं?

आपका दोस्त निश्चित रूप से टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस और होम लोन से बेहतर स्कीमों जैसे ELSS टैक्स सेविंग फंड में निवेश करती होगी. इस सवाल का जवाब पूछें और अगर सही लगे तो पूरी जानकारी लेकर आप भी इन तरीकों को अपनाएं.

3. वे किस चीज में इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं और क्यों?

निवेश का तरीका पूरी तरह से निर्भर करता है कि आपके रिस्क लेने का लेवल क्या है यानि कि आप रिस्क लेने में विश्वास करती हैं या नहीं. आपको पूछना चाहिए कि वह फिक्स डिपॉजिट में निवेश करती हैं या बॉन्ड या फिर इक्विटी और म्यूचुअल फंड में.

4. उन्हें पैसे बनाने और बचाने के आइडियाज कहां से मिलते हैं?

जब भी आपकी दोस्त को कोई वित्तीय जानकारी हासिल करनी होती है तो वो कौन से तरीके अपनाती हैं. क्या वह कोई विशेष न्यूज पेपर या ब्लॉग पढ़ती हैं या फिर किसी एप से जानकारी हासिल करती हैं.

5. उन्हें किस वित्तीय संस्थान पर भरोसा हैं?

जब बात पैसे की आती है तो भरोसा एक बड़ा मसला हो जाता है . इसी से आपको अपने दोस्त से पूछना चाहिए कि आपकी दोस्त अपने पैसे के लिए किस पर और क्यों विश्वास करती हैं.

स्पाइसी ड्रैगन चिकन

आज की हमारी यह ड्रैगन चिकन रेसिपी उन लोगों के लिए है जिन्हें नॉन वेज खाना बहुत पंसद है. यदि आप भी चिकन खाने के शौकीन हैं तो आज हम आपको एक स्पैशल डिश ड्रैगन चिकन घर पर बनाना सिखाएगें. यह खाने में बड़ा ही लजीज लगता है और इसे बनाना भी काफी आसान है.

सामग्री

500 ग्राम चिकन

1/2 टी स्पून नमक

1 टी स्पून काली मिर्च

2 टी स्पून सोया साॅस

1 टेबल स्पून लाल मिर्च पेस्ट

1 टेबल स्पून अदरक लहसुन पेस्ट

1 अंडा

30 ग्राम कार्न स्टार्च

70 ग्राम मैदा

35 मिलीलीटर तेल

35 ग्राम काजू

3 सूखी लाल मिर्च

60 ग्राम प्याज

100 ग्राम शिमला मिर्च

1 टेबल स्पून अदरक लहसुन पेस्ट

1 टेबल स्पून लाल मिर्च पेस्ट

150 मिलीलीटर केचप

1 टेबल स्पून सोया साॅस

1/2 टी स्पून नमक

टी स्पून चीनी

3 टेबल स्पून पानी

धनिया सजाने के लिए

विधि

एक बाउल में मैरीनेट करने की सारी सामग्री को लेकर अच्छे से मिक्स करें. फिर इस मसालेदार मिश्रण को 15 मिनट के लिए रख दें.

एक कड़ाही में तेल को गर्म करें और फिर इसमें मैरीनेट चिकन को सुनहरा भूरा होने तक तलें. अब इसे नैपकिन पेपर पर निकाल लें.

एक पैन में 35 मिलीलीटर तेल गर्म करें और फिर इसमें काजू,सूखी लाल मिर्च डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राई करें.

फिर इसमें प्याज और शिमला मिर्च डालकर भूनें. इसके बाद 1 टेबल स्पून अदरक लहसुन पेस्ट डालें और 1 मिनट तक हिलाएं.

अब इसमें 1 टेबल स्पून लाल मिर्च पेस्ट,150 मिलीलीटर केचप,1 टेबल स्पून सोया साॅस,1/2 टी स्पून नमक,2 टी स्पून चीनी डालकर अच्छे से मिक्स करें. इसी में ही फिर 3 टेबलस्पून पानी मिलाएं और दो मिनट के लिए इसे पकने दें ताकि पानी सूख जाए और साॅस गाढ़ी हो जाए.

अब तला हुआ चिकन इसमें डालें और इसे साॅस में अच्छी तरह से मिक्स करें. धनिए से इसे सजाकर गर्म-गर्म परोसें.

खूबसूरत त्वचा के लिए प्याज लहसुन फेसपैक

खूबसूरत, निखरी और गोरी त्वचा किसे नहीं चाहिए होती है. और इसे पाने के लिए हम सब कुछ ट्राई भी करते हैं. आपने खूबसूरत त्वचा के लिए बेसन, गुलाब जल, एलोवेरा, हल्दी, दूध और शहद जैसे के घरेलू उपाय तो अपनाए होंगे लेकिन क्या आपने कभी प्याज और लहसुन का फेसपैक ट्राई किया है? अगर नहीं तो जरूर ट्राई करें प्याज और लहसुन का फेस पैक.

प्याज और लहसुन दो ऐसी चीजें हैं जिनका इस्तेमाल हर घर में होता है. ऐसे में आप जब चाहें तब ये फेसपैक बनाकर लगा सकती हैं.

त्वचा के लिए वरदान है प्याज

प्याज में कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं. इसके अलावा ये एंटी-ऑक्सीडेंट का भी खजाना है. इसके जूस में एंटी-सेप्ट‍िक, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं. जो कील-मुंहासों की समस्या को दूर करते हैं. इसके जूस में फ्लेवोनॉएड्स पाए जाते हैं. ये स्क‍िन सेल्स को यूवी किरणों से सुरक्षित रखते हैं. इसके नियमित इस्तेमाल से बढ़ती उम्र के लक्षण भी जल्दी नजर नहीं आते हैं.

कैसें करें इस्तेमाल

आप चाहें तो रोज की डाइट में कच्चे प्याज को शामिल कर सकती हैं. ये सेहत और खूबसूरती दोनों के लिए बेहतरीन है. इसे पीसकर फेसपैक बना सकती हैं और इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके अलावा इसके जूस को भी प्रयोग में लाया जा सकता है.

रूप निखारने का अच्छा उपाय है लहसुन

लहसुन में विटामिन सी, विटामिन बी6, सेलेनियम, जिंक और फाइटोन्यूट्रीएंट्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाया जाता है. पिंपल और झांइयों की समस्या दूर करने के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.

कैसें करें इस्तेमाल

आप चाहें तो रोजाना लहसुन की एक या दो कली खा सकती हैं. इससे त्वचा पर तो निखार आएगा ही साथ ही पेट से जुड़ी कई बीमारियां भी दूर हो जाएंगी.

लहसुन के रस को कील-मुंहासों की जगह लगाएं. इससे ये जल्दी ठीक तो ही जाएंगे साथ ही दाग बनने का डर भी नहीं रहेगा. लहसुन के पेस्ट को शहद के साथ मिलाकर लगाना भी फायदेमंद है.

इस अभिनेत्री ने फिल्म में शूट किया था रियल डिलीवरी सीन

फिल्‍मों में दिखाए जाने वाले अधिकांश सीन कल्‍पना के आधार पर शूट किए जाते हैं. जिनमें कैमरे का खास भूमिका होती है, लेकिन फिल्‍म कालीमन्नू का एक डिलीवरी वाला सीन काफी चर्चा में रहा और ऐसा हो भी क्‍यों न..आखिर इसमें काम करने वाली अदाकारा ने इसके डिलीवरी सीन को अपनी रियल डिलीवरी के जरिए जो शूट कराया.

आइए जानते हैं जानें कैसे शूट हुआ ये सीन और क्या रहीं खास बातें…

साउथ इंडियन एक्ट्रेस श्वेता मेनन एक ऐसी अभनेत्री हैं, जिनके एक सीन ने सबको हिला कर रख दिया था. दरअसल, श्वेता ने ही अपनी फिल्म के एक सीन में लाइव डिलीवरी की थी. फिल्म के डायरेक्टर ब्लेसी ने फिल्म के लिए श्वेता की डिलीवरी को लाइव रिकॉर्ड किया था। 45 मिनट की इस लाइव डिलीवरी ने लोगों को चौंका दिया था. श्वेता ने एक बेटी को जन्म दिया था, जिसका नाम सबाइना रखा है.

हैरान हुए सभी लोग

अब एक्‍ट्रेस श्‍वेता मेनन को कौन नही जानता है. हालांकि इनकी खास बात यही है कि ये अपने अभिनय से ज्‍यादा अपने रियल डिलीवरी वाले सीन को लेकर जानी जाती हैं. श्‍वेता मेनन ने फिल्म ‘कालीमन्नू‘ में डिलीवरी सीन को रियल डिलीवरी के जरिए पूरा किया था. 2013 में आई फिल्‍म कालीमन्नू के डिलीवरी सीन को रियल डिलीवरी के जरिए पूरा करने के उनके फैसले ने सबको हैरत में डाल दिया था.

खास व्‍यवस्‍था : तीन कैमरों में हुआ था ये सीन शूट

फिल्‍म मेकर्स से लेकर हर कोई हैरान था. श्‍वेता मेनन का ये रियल डिलीवरी वाला सीन शूट कराने के मुंबई के नानावती अस्पताल को चुना गया था. इसके लिए वहां पर मैनेजमेंट से अनुमति लेकर विशेष व्‍यवस्‍था की गई थी. सीन को शूट करते वक्त अस्पताल के चुनिंदा डॉक्टर और नर्स थे. इसके अलावा वहां पर फिल्म की प्रोडक्शन टीम के तीन मेंबर्स भी थे.

काफी चर्चित हुआ था ये सीन

इतना ही नहीं इस सीन को शूट करने के लिए तीन कैमरे प्रयोग किए गए थे. जिससे जब यह फिल्‍म रिलीज हुई थी तो दर्शक इसमें इसके इस सीन को देखने के लिए एक्‍साइटेड हुए थे. फिल्‍म का यह सीन और ऐसा करने वाली श्‍वेता मेनन काफी फेमस हुई थीं. लोगों का कहना था कि यह उनका काफी हिम्‍मतभरा कदम है. ऐसा कम ही लोग कर सकते हैं.

श्वेता की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बात करें तो उन्होंने मलयालम फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की थी. साल 1994 में उन्होंने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. फिल्मों के अलावा श्वेता ने टीवी शो और एंकरिंग भी की.

असहज परिस्थितियों में रहें सकारात्मक

सकारात्मकता सफलता की कुंजी है. असहज परिस्थितियों में संयम व धैर्य ही काम आते हैं. एक शोध के अनुसार पौजिटिविटी हमारे भीतर असीमित ऊर्जा का संचार कर एर्डोफिन नामक हारमोन स्रावित करने में सहायक होती है, जिस से हम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं. अगर हम मुश्किल हालात में धैर्य व संयम खोने के बजाय मजबूत इरादों के साथ उन का मुकाबला करें तो निश्चित ही हमारी जीत होगी.

कई बार हम ऐसी असहज परिस्थिति में घिर जाते हैं, जहां स्थिति हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती है. विशेषकर कार्यस्थल पर यह बहुत जरूरी होता है कि हम कार्य और स्थितियों के बीच बेहतर तालमेल बैठाएं. इस की संभावना तब होती है जब हम घबराने के बजाय बेहद संतुलन के साथ अपना उच्च कार्यप्रदर्शन दिखाएं. इस में सकारात्मकता अहम भूमिका निभाती है, प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स, जिन से प्रबंधन कौशल दिखाते हुए असहज परिस्थितियों से बचा जा सकता है :

ऐसे पाएं औफिस में तनाव से मुक्ति

बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रोजैक्ट बेस्ड समयसीमा आधारित काम होता है. लिमिटेड टाइमलाइन के भीतर बैस्ट परफौर्मैंस देनी होती है और ऐसे हालात कमोबेश सभी दफ्तरों में होते हैं जहां वर्क का एकदम प्रैशर रहता है. आप ऐसे हालात के लिए बिलकुल तैयार नहीं होते, तो ऐसी स्थिति में एकदम परेशान न हों और बेहतर कार्यनिष्पादन के लिए निम्न तरीके आजमाएं :

–  वर्क प्रोजैक्ट मिलने के बाद उस का अध्ययन करें. प्रोजैक्ट देखते ही उस की जटिलता व समयसीमा का अंदाजा न लगा लें. धैर्यपूर्वक उस का आकलन करें और टाइम फ्रैक्शन तैयार करें.

–  एक रोडमैप बनाएं, जिस से सीमित समयसीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण कार्य प्रदर्शन में सहायता मिलेगी.

–  संभव हो तो अपने किसी अनुभवी सीनियर की ऐक्सक्यूशन मैथड में सहायता लें बशर्ते काम नया हो या फिनिशिंग की जरूरत हो.

–  कुछ समय के लिए अपनी अन्य प्राथमिकताओं को साइड करें, क्योंकि अगर फोकस टारगेटेड वर्क पर होगा तो कार्यसंपादन उम्दा होगा.

–  संयमित रहेंगे तो उलझनों से बचेंगे अन्यथा कार्य पर इस का विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इस से प्रोजैक्ट पैंडिंग हो सकता है.

ऐसे रहें असहज परिस्थितियों में सहज

–  आपा न खोएं.

–  नर्वस होने के बजाय अपने सहकर्मियों से परामर्श करें.

–  जब कुछ समझ न आए तो बौस से अपनी समस्या साझा करें और राय लें. अपनी सूझबूझ और अनुभव से निश्चित तौर पर वे कुछ रास्ता सुझाएंगे.

– तनाव बिलकुल न लें. वर्क को विनविन सिचुएशन में अंजाम दें.

– पुराने प्रोजैक्ट व संगृहीत दस्तावेजों से भी सहायता ली जा सकती है.

–  कार्य व स्थिति की अपरिहार्यता निश्चित रूप से व्यक्ति को तनावग्रस्त करती है, तो जरूरी है नकारात्मक आवेगों से बचें.

–  सुकून, संयम व निष्ठा के साथ किया गया काम हमेशा बेहतर परिणाम देता है इसलिए कार्य के प्रति संवेदनशीलता भी जरूरी है.

कुल मिला कर कहा जा सकता है कि काम कभी तनाव में न करें. हलकेफुलके अंदाज में बड़े से बड़े प्रोजैक्ट को आसानी से कुशल प्रबंधन के साथ निष्पादित किया जा सकता है. कौशल, क्षमता और योग्यता तभी निखर पाएगी जब तनावमुक्त रहा जाए.

आज की जीवनशैली में तनाव, डर और घबराहट ने हर जगह अपना डेरा जमा रखा है, चाहे घर हो या औफिस, सिर पर हरदम तय वक्त पर असीमित काम निबटाने का बोझ रहता है, लेकिन परिस्थितियां तभी हमारे अनुकूल बनती हैं जब हम उन्हें अपनी इच्छानुसार सकारात्मक रहते हुए अपने हिसाब से मोड़ दें.

हमारे अंतस में असीमित ऊर्जा का भंडार है. अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस ऊर्जा को धनात्मक बनाएं या ऋणात्मक, पर यह तो सौ फीसदी सच है कि जीतेगा वही जिस में नकारात्मकता को भी सकारात्मकता में बदलने का माद्दा हो, जो अपने जनून और आदर्श पौजिटिव सोच से अपने आसपास का माहौल भी जीवंत ऊर्जा से भर दे.

नई बाजार संस्कृति में फंसते युवा

आज एक नई बाजार संस्कृति का प्रसार तेजी से हो रहा है. हर शहर में मौल्स खुल रहे हैं. साथ ही मल्टीप्लैक्स भी हैं, जहां खरीदारी से पहले या बाद में फिल्म देखी जा सकती है. हां, यह बात अलग है कि इस के लिए आप को काफी महंगा टिकट खरीदना पड़ता है. इतना ही नहीं, अब तो महंगे रैस्टोरैंट और बार की सुविधाएं भी इस नई बाजार संस्कृति का हिस्सा बन रही हैं.

युवाओं के मन में हमेशा यह चाह रहती है कि वे स्मार्ट बनें. इस चक्कर में वे बाइक से जगहजगह घूमते हैं. मौल्स में जा कर कम कीमत की चीजें खरीदते नजर आते हैं, लेकिन सचाई कुछ और ही होती है.

यह बात जरूर है कि इस संस्कृति के चलते सभी चीजें एक छत के नीचे उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन साथ ही कुसंस्कृति को भी बढ़ावा मिल रहा है और आगे चल कर यह युवाओं को कहां ले जाएगी, कहा नहीं जा सकता. भारतीय युवाओं पर इस के दुष्परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं. यह संस्कृति जीवनयापन की नई समस्या ले कर आई है. हमारा देश सभ्यता और संस्कृति के लिए विख्यात है. आज अमेरिका और इंगलैंड जैसे देश भी हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं, लेकिन हमारी युवापीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति दीवानी है.

नई बाजार संस्कृति युवाओं को अपने कब्जे में ले रही है. बड़ी कंपनियां औफर्स दे कर युवाओं को आकर्षित कर रही हैं. ये दूसरी चीजों पर खुले बाजार से अधिक कीमत वसूल कर बड़ी चालाकी से उस की भरपाई कर लेती हैं. युवा आसानी से इन के जाल में फंस जाते हैं. उन्हें लगता है कि बाजार से कम कीमत पर चीजें खरीद कर उन्होंने अच्छा सौदा किया है, लेकिन सचाई कुछ और ही है.

इस बाजार में अब तो बार चलाने के लाइसैंस भी दिए जा रहे हैं. हुक्का बार तक खुल गए हैं, जहां किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं होती. महिलाओं और बच्चों की मौजूदगी में नशे की पार्टियां चल रही हैं. यह खबर चौंकाने वाली है कि मौल के बार में नाबालिगों की पार्टियां होने लगी हैं. मौल के ये बार ऐसी पार्टियों के लिए अलग से सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं. इस गु्रप को पार्टी के लिए अलग से कैबिन की सुविधा दी जाती है. नाचनेगाने का मन करे तो इन के लिए डांस फ्लोर भी हैं.

नई पीढ़ी की मौजमस्ती का नया साधन उपलब्ध करा कर ये आर्थिक दोहन ही नहीं कर रहे बल्कि युवाओं को राह से भी भटका रहे हैं. ऐसे ही एक बार में किशोरों की पार्टी हुई, जिस में नामचीन निजी स्कूलों के छात्र शामिल थे. एक बार से देर रात को एक छात्रा को भी नशे की हालत में बाहर निकलते हुए देखा गया. आखिर यह संस्कृति युवाओं को किस ओर ले जाएगी, इस का किसी को अंदाजा नहीं है?

प्रशासनिक अधिकारी यह कह कर इस कुसंस्कृति को बढ़ाने के मामले से खुद को अलग कर लेते हैं कि उन का काम लाइसैंस की शर्तों के उल्लंघन के मामले देखने का है. उलटे वे सवाल भी करते हैं कि यदि युवा ऐसे बारों में जा रहे हैं तो उन के अभिभावक क्या कर रहे हैं? हालत यह है कि यह कुसंस्कृति पारिवारिक विघटन का कारण बन रही है.

दाढ़ी बढ़ाने की संस्कृति

क्लीनशेव का जमाना अब चला गया. अब हलकीहलकी दाढ़ी रखने का चलन है. जिन किशोरों की अभी दाढ़ी नहीं आई है वे भी इस के लिए परेशान दिखते हैं. उन में जल्द दाढ़ी आने की चाह रहती है. फिल्मों और धारावाहिकों से यह दाढ़ी का चलन आया है. इस नए लुक को युवक खूब पसंद कर रहे हैं. उन का कहना है कि हलकी दाढ़ी में वे हौट लगते हैं. दाढ़ी सैट करवाने के लिए महंगे हेयर ड्रैसर के पास जाते हैं. वहां उन से मनमाना पैसा वसूला जाता है. यहां भी वे बाजार की गिरफ्त में आ जाते हैं.

अब मर्दाना ब्यूटी सैलून भी खुलने लगे हैं. वहां आप का फेस देख कर दाढ़ी की कटिंग की जाती है. आज युवकों द्वारा बनाए गए तमाम ऐसे हेयरस्टाइल्स आप को दिख जाएंगे, जिन्हें आप ने पहले कभी नहीं देखा होगा. कान के दोनों तरफ बाल साफ, केवल फ्रंट के बाल, वह भी सीधे खड़े हुए. 

आजकल हेयरस्टाइल में शौर्ट, जिगजैग, क्रूकट और रेजर कट फैशन में हैं. बालों का स्टाइल आप की पर्सनैलिटी को खिला देता है. रेजर कट बाल सिर्फ ब्लेड से ही काटे जाते हैं. आज युवक इसे खूब पसंद कर रहे हैं. युवतियों को भी ऐसे ही युवक पसंद आते हैं.

बढ़ती रफ्तार के सौदागर

यह स्टाइल का जमाना है. फैशन के इस दौर में बाइक का शौक युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है. बाइक राइडिंग आजकल युवकयुवतियों का शौक बन चुका है. तेज रफ्तार बाइक चलाना स्टाइल में है. बाइक पर स्टंट दिखाना युवाओं के लिए आम हो गया है, लेकिन इस में छोटी सी लापरवाही से उन की जान पर आ बनती है. बाइक चलाने के लिए केवल ड्राइविंग लाइसैंस की ही नहीं, बल्कि उस के साथ जरूरी दस्तावेजों का होना भी जरूरी होता है.

आज युवक अकसर दस्तावेजों को ले कर नहीं चलते. जब चैकिंग होती है तो वे तेजरफ्तार से बाइक चला कर भागने की कोशिश करते हैं. ये दस्तावेज सरकार की ओर से निर्देशित होते हैं. किसी भी दुर्घटना के बाद पहचान आदि में ये काम आते हैं. लेकिन युवकयुवतियां ऐसा नहीं करते. वे अकसर इन्हें घर पर ही भूल जाते हैं. कोई भी वाहन चलाते समय पौल्यूशन अंडरकंट्रोल सर्टिफिकेट का साथ होना बेहद जरूरी है. इस के न होने पर आप का चालान हो सकता है. इस प्रमाणपत्र को हर 3 महीने में रिन्यू कराना पड़ता है.

राज्य सरकार ड्राइविंग लाइसैंस 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही जारी करती है, लेकिन कुछ कम उम्र के किशोर भी इसे फर्जी सर्टिफिकेट या पैसा दे कर प्राप्त कर लेते हैं. आप की बाइक की चोरी या दुर्घटना होने पर ये जरूरी कागजात आप की बहुत मदद करते हैं. ऐसी स्थिति में इंश्योरैंस  कंपनी आप की चोरी हुई बाइक की कीमत या दुर्घटना क्लेम की रकम अदा कर देती है, लेकिन कुछ मनचले युवक इस सर्टिफिकेट को नहीं बनवाते और हादसे का शिकार हो जाते हैं.

दुर्घटनाओं का लाइसैंस जारी है

देश में हर साल करीब 1 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं. इस में युवकों की संख्या ज्यादा होती है. उत्तर प्रदेश में खौफनाक आंकड़ा सालाना 15 हजार के आंकड़़े को पार कर जाता है. दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में यह सब से ज्यादा है. इस का मुख्य कारण है आंख मूंद कर ड्राइविंग लाइसैंस जारी करना. दरअसल, ड्राइविंग लाइसैंस नहीं, यह तो मौत के परवान हैं.

कभीकभी तो ड्राइविंग लाइसैंस देते समय इस बात की पुष्टि भी नहीं की जाती कि लाइसैंस लेने वाले को वाकई वाहन चलाना आता भी है या नहीं.

प्रदेश के आरटीओ दफ्तरों का हाल यह है कि वहां न तो इतनी जगह है और न ही इतना स्टाफ कि ड्राइवरों की नियमानुसार जांच की जा सके, तिस पर दलालों की भरमार है, फाइलों का अंबार है. ये पैसा उगाही का अड्डा हैं, यहां नियमों के पालन करने का किसी के पास वक्त नहीं है.

दिल्ली से सटे गाजियाबाद की हालत और भी नाजुक है. गाजियाबाद के आरटीओ दफ्तर का हाल यह है कि यहां ड्राइविंग लाइसैंस बनवाने के लिए रोज करीब 200-300 आवेदन आते हैं. उन में से करीब 100-125 लोगों को बिना वाहन चलवाए ही लाइसैंस जारी कर दिए जाते हैं. यहां दफ्तर में ड्राइविंग टैस्ट लेने के लिए कोई जगह नहीं है.

यह सिर्फ एक दफ्तर की बात नहीं बल्कि अन्य जगह भी ऐसा ही हाल है. कुछ आरटीओ के पास तो दफ्तर के लिए अपनी इमारत तक नहीं है. यहां तो सिर्फ चेहरा देख कर लाइसैंस जारी कर दिया जाता है. यहां भी वाहन चला कर देखने का कोई इंतजाम नहीं है.

हर किसी की जान प्यारी

दूर  का सफर तय करने के लिए बाइक राइडिंग का टशन तो फैशन बन चुका है. इस टशन और जरूरत में सामंजस्य की आवश्यकता है. हम बाइक या कार तो अपने आराम के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कभीकभी ये हमारे आराम को हराम कर देते हैं.

हमारी जान कितनी कीमती है, शायद आज के युवा नहीं समझते. आज हालत यह है कि किसी की जेब में ड्राइविंग लाइसैंस है तो यह जरूरी नहीं कि वह ड्राइवर होगा ही. ऐसा अनुमान है कि देश में बिना जांच के हर साल करीब 10 लाख लाइसैंस जारी हो जाते हैं. ऐसे ड्राइवर बनेंगे तो दुर्घटनाएं ही होंगी.

देश की जनसंख्या वृद्धि भी दुर्घटनाओं का बहुत बड़ा कारण है, जिस दिन हम जनसंख्या पर काबू पा लेंगे, उस दिन इस में बहुतकुछ सुधार हो सकता है.

जनसंख्या वृद्धि भी रोड पर भीड़ का कारण है. वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. रोड पर घंटों जाम लग जाता है. जाम खत्म होते ही लोग तेज रफ्तार से अपने गंतव्य की ओर भागते हैं, जिस से दुर्घटनाएं होती हैं. रोड पर भीड़ ज्यादा होने के कारण दुर्घटना की चपेट में निर्दोष लोग आ जाते हैं. इन में युवाओं की संख्या ज्यादा है.

बाइक पर रोमांस

अब पहले वाला रोमांस नहीं रहा. आज युवा बाइक पर रोमांस करते हैं. उन के प्रेम की शुरुआत बाइक पर होती है. बाइक पर ही तो साथी का पूरा स्पर्श मिलता है. पुरानी फिल्मों में बैलगाड़ी पर रोमांस हुआ करता था. इस रोमांस की रफ्तार बड़ी धीमी होती थी, लेकिन आज हवा से बातें करता रोमांस सब को ओवरटेक कर रहा है.

आज के युवा राइडर्स भी हैं और प्रेमी भी. रोमांस के भी अब पर निकल आए हैं. युवतियों को एक अच्छे राइडर की तलाश रहती है. युवतियां भी राइडिंग में पीछे नहीं हैं. आज हर किसी को रफ्तार से प्यार हो गया है. ऐसे में भला रोमांस को भी रफ्तार पकड़ने में देर कैसी?

दरअसल, आज के युवाओं में राइडिंग का जनून है. अपनी गर्लफ्रैंड को बाइक की पिछली सीट पर बैठा कर हवा से बातें करना उन्हें बेहद पसंद है. आज के राइडर्स एकांत में रोमांस का मजा लेना चाहते हैं. वे ऐसी जगह रोमांस करना चाहते हैं, जहां उन्हें ब्रेक लगाने की जरूरत न पड़े, लेकिन कभीकभी इस रोमांस का खतरा भी उन्हें झेलना पड़ता है.

इसलिए युवकों को चाहिए कि बाइक पर रोमांस करते समय बाइक को धीरे चलाएं, बातें कम करें. रैडलाइट और रेलवे क्रौसिंग का खास ध्यान रखें.

अगर आप नौसिखिए हैं तो बाइक पर रोमांस कदापि न करें. ग्रुप के साथ हों तो एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ न मचाएं. हमारी संस्कृति धीरे और सुरक्षित चलने की है.

विजन कुमार पांडेय  

ये पौधे रोकेंगे मच्छरों को घर में आने से

मानसून के समय मच्छर बहुत परेशान करते हैं और बाहर बैठने का मजा भी किरकिरा करते हैं. मच्छर के काटने से खुजली होती है साथ ही यह मलेरिया जैसी बिमारियों को भी खतरा बना रहता है. मच्छरों को दूर रखने के लिए लोग मॉस्किटो रिपेलेन्ट क्रीम और हर्बल मॉस्किटो लोशन इस्तेमाल करते हैं. कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी होती है और वे इनके काटने से नाक, त्वचा और गले से सम्बंधित समस्याओं के शिकार हो जाते हैं.

लोग मच्छरों को भगाने के लिए केमिकल्स भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन वह भी स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. यदि आप प्राकृतिक रूप से मच्छरों से छुटकारा चाहते हैं तो मॉस्किटो रिपेलेन्ट प्लांट्स अपने बगीचे में लगाएं.

आपके घर के लिए कुछ मॉस्किटो रिपेलेन्ट प्लांट्स…

रोजमेरी

रोजमेरी अपने आप में एक नेचुरल मॉस्किटो रिपेलेन्ट है, रोजमेरी के पौधे 4-5 फ़ीट तक लम्बे होते हैं और इनके नीले फूल होते हैं. गर्म मौसम में ये बढ़ते हैं. सर्दी के मौसम में ये नहीं बचते क्योंकि इन्हें गर्मी की जरुरत होती है. इसलिए रोजमेरी को गमले में उगाएं और सर्दियों में इन्हे घर के अंदर रखें. रोजमेरी का इस्तेमाल कुकिंग के लिए भी होता है. रोजमेरी मॉस्किटो रिपेलेन्ट की 4 बूंदों को 1 चौथाई जैतून के तेल के साथ मिलाकर भी लगाया जा सकता है. इस तेल को ठंडे और सूखे स्थान पर रखें.

सिट्रोनेला ग्रास

सिट्रोनेला ग्रास मच्छरों को दूर करने का अच्छा तरीका है. यह 2 मीटर तक बढ़ती है और इसके फूल लॅवेंडर जैसे रंग के होते हैं. इस ग्रास से निकलने वाला सिट्रोनेला ऑयल मोमबत्तियों, परफ्यूम्स, लैम्प्स आदि हर्बल प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है. सिट्रोनेला ग्रास डेंगू पैदा करने वाले मच्छरों (एडीज एजिप्टी) को भी दूर करती है. मच्छरों को दूर करने के लिए सिट्रोनेला ऑयल को बगीचे में जलने वाली कैंडल्स और लालटेंस में छिड़क दें. सिट्रोनेला ग्रास में एंटी- फंगल प्रॉपर्टी भी मौजूद होती है. सिट्रोनेला ग्रास त्वचा के लिए भी सुरक्षित है और लम्बे समय के लिए असरदार है. इसके साथ ही यह किसी प्रकार का नुकसान भी नहीं पहुंचाता है.

गेंदा

गेंदें के फूलों में एक तेज गंध होती है जो मच्छरों को पसंद नहीं आती है. ये पौधे 6 इंच से 3 फीट तक बढ़ते हैं. गेंदें के पौधे अफ्रीकन और फ्रेंच दो तरह के होते हैं. ये दोनों ही मॉस्किटो रिपेलेन्ट हैं. गेंदें के पौधे सब्जियों के पास ही उगाये जाते हैं क्यों कि ये एफिड्स और अन्य कीड़ों को दूर रखते हैं. गेंदे के फूल पीले से डार्क ऑरेंज और लाल रंग के होते हैं. ये सूरज की रौशनी में बढ़ते हैं. मच्छरों को दूर रखने के लिए इन्हे बाउंडरी, पोर्च में या बगीचे में उगाएं.

कैटनिप

कैटनिप एक औषधि है जो पुदीने जैसी होती है. हाल ही में इसे भी मॉस्किटो रिपेलेन्ट माना गया है. हाल ही में किये गए अध्ययन के अनुसार यह डीईईटी से 10 गुना ज्यादा असरदायक है. यह एक एक बारहमासी पौधा है जो धूप में और आंशिक छाया में बढ़ता है. इसके फूल सफ़ेद और लेवेंडर कलर के होते हैं. मच्छरों को दूर रखने के लिए इसे घर के बैकसाइड या छत पर लगाएं. बिल्लियों को इसकी सुगंध अच्छी लगती है इसका बचाव करें. इसकी मसली हुई पत्तियां या इसका लिक्विड स्किन पर भी लगा सकते हैं.

एजीरेटम

एजेराटम प्लांट भी एक अच्छा मॉस्किटो रिपेलेन्ट है. इस प्लांट के फूल हल्के नीले और सफेद होते हैं जो एजेराटोक्रोमीन पैदा करते हैं. यह एक भयंकर गंध है जो मच्छरों को दूर रखती है. इसका इस्तेमाल कमर्शियल मॉस्किटो रिपेलेन्ट और परफ्यूम इंडस्ट्री में होता है. एग्रेटम को स्किन पर ना रगड़ें क्यों कि इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो स्किन के लिए नुकसानदायक हैं. ये गर्मियों के दौरान सूर्य की पूरी और आंशिक रौशनी में खिलते हैं.

हॉर्समिंट

हॉर्समिंट भी मच्छरों को दूर करने में मददगार है. यह एक बारहमासी पौधा है जिसे किसी विशेष देखभाल की जरुरत नहीं है. इसकी गंध सिट्रोनेला जैसी ही होती है. ये पौधे गर्म मौसम में और रेतीली मिट्टी में उगते हैं. इनके फूल गुलाबी होते हैं. बुखार के इलाज में भी इनका इस्तेमाल होता है.

नीम

नीम का पौधा एक बेहतर मॉस्किटो रिपेलेन्ट है. इसमें कीड़ें मकोड़ों और मच्छरों को दूर रखने का तत्व मौजूद है. बाजार में नीम बेस्ड अनेक मॉस्किटो रिपेलेन्ट और बाम उपलब्ध हैं. मच्छरों को भगाने के लिए आप अपने गार्डन में नीम लगा सकते हैं. आप नीम की पत्तियों को जला सकते हैं या नीम का तेल केरोसीन लैंप में इस्तेमाल कर सकते हैं. मच्छरों को दूर भगाने के लिए आप स्किन पर नीम का तेल भी लगा सकते हैं. नीम के मॉस्किटो रिपेलेन्ट तत्व मलेरिया की रोकथाम के लिए भी उपयोगी है.

लैवेंडर

मच्छरों को दूर रखने के लिए लैवेंडर एक शानदार पौधा है. लैवेंडर आसानी से उग जाता है क्यों कि इसे ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. यह 4 फीट की हाइट पर उगता है और इसे धूप की आवश्यकता होती है. केमिकल फ्री मॉस्किटो सोल्युशन बनाने के लिए लैवेंडर ऑयल को पानी में मिलाकर सीधे स्किन पर लगा सकते हैं. मच्छरों पर नियंत्रण करने के लिए इस पौधे को बैठने की जगह लगाएं. मच्छरों को दूर रखने के लिए लैवेंडर ऑयल को गर्दन, कलाई और घुटनों पर भी लगा सकते हैं.

तुलसी

तुलसी का पौधा भी एक मॉस्किटो रिपेलेन्ट है. तुलसी एक ऐसी जड़ी बूटी है जो कि बिना दबाये ही अपनी खुशबु फैलाती है. मच्छरों को दूर रखने के लिए तुलसी को गमले में लगाएं और घर के पीछे रखें. आप तुलसी की पत्तियों को मसलकर त्वचा पर भी रगड़ सकते हैं. खाने को जायकेदार बनाने के लिए भी तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है. आप किसी भी किस्म की तुलसी लगा सकते हैं लेकिन दालचीनी तुलसी, नीम्बू तुलसी और पेरू तुलसी अपनी तेज सुगंध के कारण ज्यादा उपयोगी है.

लेमन बाम

लेमन बाम भी मच्छरों को दूर रखता है. लेमन बाम तेजी से बढ़ता है और इसे कमरे में रखना चाहिए. लेमन बाम की पत्तियों में सिट्रोनेला की अधिक मात्रा में होती है. कई कमर्शियल मॉस्किटो रिपेलेन्ट्स में इसका इस्तेमाल होता है. लेमन बाम की कुछ किस्मों में 38 प्रतिशत तक सिट्रोनेला होती है. मच्छरों को दूर रखने के लिए आप लेमन बाम की पत्तियों को रगड़कर स्किन पर भी लगा सकते हैं.

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