संक्रमण के आसान शिकार हैं शिशु

बच्चों में एलर्जी भले ही आम समस्या है लेकिन बच्चा एलर्जी के साथ ही बड़ा हो जाए और आगे चल कर एलर्जी गंभीर रूप धारण कर ले, यह ठीक नहीं. इस के लिए क्या करें, जानने के लिए यहां पढ़ें.

अगर आप ध्यान दें तो कई बार कीड़ेमकोड़ों के काटने से इंसैक्ट बाइट एलर्जी हो जाती है. इस में खुजली होनी शुरू हो जाती है.

एलर्जन के प्रभाव में जब सांस के रास्ते सिकुड़ जाते हैं तो ऐसी स्थिति दमा बन जाती है. दमा भी एलर्जी का ही एक रूप है.

शिशुओं में एलर्जी होना, खासकर 0-3 साल के बच्चों में एलर्जी होना, एक आम समस्या है, जो बड़े होने पर अपनेआप ठीक हो जाती है. लेकिन अगर इस का समय पर इलाज न कराया जाए तो इस के परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं.

बच्चों में 3 तरह की एलर्जी देखने को मिलती हैं…

– एयर बौर्न एलर्जी

– फूड एलर्जी और

– इंसैक्ट बाइट एलर्जी.

एयर बौर्न  एलर्जी : बच्चों में होने वाली सब से सामान्य एलर्जी एयर बौर्न एलर्जी यानी हवा के द्वारा होने वाली एलर्जी होती है. यह एलर्जी धूल, घरेलू गंदगी पर रेत के कण, फूलों के परागकण, हवा में प्रदूषण और फंगस आदि से होती है.

एयर बौर्न एलर्जी होने पर कई बच्चों को रैशेज हो जाते हैं, त्वचा पर लाललाल चकत्ते बन जाते हैं. अगर सांस के रास्ते की एलर्जी है तो बच्चे की सांस फूलने लग जाती है, कइयों की नाक बहना शुरू हो जाती है, खांसी आने लगती है, आंखों से पानी आने लगता है और वे लाल हो जाती हैं.

यह भी जानना जरूरी है कि एयर बौर्न एलर्जी, जो बच्चों में होने वाली एलर्जी का प्रमुख कारण है, इससे नाक, कान और गला सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. ऐसे में एलर्जी का सही समय पर सही इलाज न कराने से बड़े होने पर बच्चों को इन अंगों से संबंधित समस्याएं ज्यादा होती हैं.

इतना ही नहीं, इस से बच्चे की वृद्धि भी प्रभावित होती है क्योंकि परेशानी के कारण बच्चा रातभर सोएगा नहीं. ऐसे में चिड़चिड़ा होने के साथ ही उस की एकाग्रता भी प्रभावित होगी. छोटे बच्चों में इस तरह की एलर्जी उस के विकास को सब से ज्यादा प्रभावित करती है.

फूड एलर्जी : 1 या 2 प्रतिशत बच्चों में फूड एलर्जी यानी खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है, क्योंकि छोटे बच्चे बहुतकुछ खाते नहीं हैं, तो ऐसे में इस एलर्जी के होने की संभावना बहुत कम होती है.

ऐसे बच्चों में ज्यादातर एलर्जी की शिकायत तब देखी जाती है जब उन्हें कोई नया खाद्य पदार्थ दिया जाता है. इतना ही नहीं, दूध से भी कुछ बच्चों को एलर्जी होती है. ऐसा उन बच्चों को होता है जिन के घर वाले बच्चे के 1 साल का होने के पहले ही उसे गाय का दूध देना शुरू कर देते हैं. हालांकि, ऐसा बहुत कम होता है.

फूड एलर्जी होने पर कई बच्चों को जहां पेटदर्द होता है, वहीं कई बच्चों को पेट में मरोड़ उठने शुरू हो जाते हैं. कई बार फूड एलर्जी होने पर बच्चों की त्वचा पर रैशेज भी हो जाते हैं. गहरे रंग की पोटी होनी शुरू हो जाती है. हजार में से एक बच्चे की पोटी में खून भी निकल आता है. ऐसा होने पर बच्चे बहुत ज्यादा रोने लगते हैं, बेचैन से हो जाते हैं, सोते नहीं हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं. पेटदर्द के कारण बच्चे बेहद पैनिक हो जाते हैं.

इंसैक्ट बाइट एलर्जी : कई बार बच्चों को कीड़ेमकोड़ों के काटने से एलर्जी हो जाती है. इंसैक्ट बाइट एलर्जी होने पर कीड़े के काटने वाली जगह पर वैसा ही निशान सा बन जाता है, जैसे मच्छर के काटने पर बनता है. स्किन पर दाने या चकत्ते बन जाते हैं, खुजली होनी शुरू हो जाती है. इस तरह की एलर्जी तब होती है जब बच्चा या तो पार्क में चला जाए और वहां उसे कोई कीड़ा काट ले. कई लोग अपने घर में कुत्ते, बिल्ली, तोता आदि पालते हैं. ऐसी स्थिति में इन पालतू पशुपक्षियों से भी बच्चे को एलर्जी हो सकती है.

दुष्प्रभाव

एलर्जी का समय पर इलाज न कराने पर बच्चों में, बड़े होने पर, कई तरह की समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है. समय रहते इलाज करा लेने पर एलर्जी समाप्त हो जाती है और बच्चा पहले जैसी स्थिति में आ जाता है.

बच्चे को जो भी तकलीफ होती है उसे दूर करने के लिए एलर्जन से दूरी बनाना जरूरी होता है. एलर्जी को कंट्रोल करना जरूरी है, इस से एलर्जी के कारण बच्चों में स्थायी बदलाव नहीं आता है और धीरेधीरे एलर्जी दूर हो जाती है. लेकिन अगर ऐसा न किया जाए और लापरवाही बरती जाए, तो कई बार परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं.

जिन बच्चों को सांस संबंधी यानी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की एलर्जी होती है, उन का समय पर इलाज जरूरी है. उसे उस माहौल से हटाया जाए जिस की वजह से उसे एलर्जी हो रही है.

अगर एलर्जन से बच्चे को दूर रखना संभव नहीं है तो उसे नियमित दवाइयां देने की जरूरत होती है, ताकि बच्चे की परेशानी न बढ़े. इसमें लापरवाही बरतने और बारबार रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में एलर्जी होने पर बच्चे के फेफड़ों में स्थायी तौर पर बदलाव हो सकता है और उसे आजीवन सांस संबंधी परेशानी हो सकती है.

बारबार एलर्जी होने पर बच्चा बारबार खांसेगा, हमेशा इस तकलीफ से गुजरेगा. इस से उस के विकास पर असर पड़ेगा. वह सोएगा नहीं, तो हमेशा चिड़चिड़ा सा बना रहेगा. बीमारी की वजह से वह स्कूल भी नहीं जा पाएगा. कुल मिला कर देखा जाए तो एलर्जी का उचित इलाज नहीं कराने से बच्चे का पूरा विकास प्रभावित हो सकता है.

कई बार माता-पिता को यह बात समझ ही नहीं आती है कि उन के बच्चे को किस चीज से एलर्जी है, उन्हें पता ही नहीं चलता कि उन के बच्चे को एलर्जी है और बच्चा इसी स्थिति में बड़ा हो जाता है. ऐसी स्थिति होने पर बच्चे को बड़े होने पर कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं. कई बच्चों में एलर्जी की वजह से एड्रीनल ग्लैंड बारबार बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चे को सुनने में थोड़ी परेशानी हो जाती है.

बढ़ती उम्र में अगर इस तरह की समस्या बच्चे को होती है तो उस के बोलने की क्षमता प्रभावित होती है. क्योंकि, इस उम्र में बच्चा जब सुनता है तभी वह बोलना सीखता है. सुनने में बहुत ज्यादा दिक्कत आने, नाक बंद होने, कान बंद होने आदि समस्या होने पर बच्चे का संपूर्ण विकास प्रभावित होने लगता है.

इलाज है जरूरी

एलर्जी को रोकना संभव नहीं है तो उसे नियंत्रित करना जरूरी है ताकि बच्चे को ज्यादा नुकसान न पहुंचे. एयर बौर्न एलर्जी को कंट्रोल करना कठिन होता है, क्योंकि हम हवा को तो नहीं बदल सकते. ऐसे में एलर्जी को कंट्रोल करने के लिए दवाइयों का सहारा लिया जाता है. इस तरह एलर्जी दबी रहती है.

बच्चे के एलर्जी का स्तर क्या है, इस के आधार पर ही उसे ट्रीटमैंट दिया जाता है. ट्रीटमैंट कितने दिनों तक लिया जाए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे को किस तरह की परेशानी हो रही है. अगर एलर्जी की समस्या सीजन को ले कर हो रही है यानी मौसम में आने वाले बदलाव के कारण परेशानी है, तो बस उस बदलाव से बचने के लिए उसी समय बच्चे को दवाइयां दी जाती हैं.

कई बच्चों को वसंत के मौसम, जिसे फ्लावरिंग मौसम कहते हैं, से एलर्जी होती है. तो कई बच्चों को सर्दी की शुरुआत होने यानी बरसात के बाद हवा में होने वाले बदलाव से एलर्जी हो जाती है. इस तरह की मौसमी एलर्जी के लिए बच्चों को कम से कम 3 महीने तक लगातार दवा देनी पड़ती है.

कई बच्चों को सालभर एलर्जी होती रहती है. ऐसे बच्चों को ज्यादा दिक्कत रहती है और फिर उन का ट्रीटमैंट भी अलग तरह का होता है. सालभर बने रहने वाली एलर्जी में दवा की मात्रा एलर्जी की गंभीरता पर निर्भर करती है. कई बच्चों को 3 महीने तक दवा देने के बाद ही आराम आ जाता है तो कइयों को लगातार कई महीने तक दवाइयां देनी पड़ती हैं.

एयर बौर्न एलर्जी के बढ़ने पर बच्चों को एंटी एलर्जिक दवाइयां दी जाती हैं. ये दवाइयां सिरप या टैबलेट के रूप में ली जाती हैं. ये दवाइयां एलर्जी को बढ़ने और विकरालरूप धारण करने से रोकती हैं. बड़े बच्चों को इनहेलेशन और नेबुलाइजर देना पड़ता है. नाक में स्प्रे दिया जाता है. जिन्हें आंखों से पानी आता है उन्हें आईड्रौप दिया जाता है. सांस फूलने पर इनहेलर दिया जाता है या फिर नेबुलाइज किया जाता है.

अगर फूड एलर्जी है तो फिर जिस खाद्य पदार्थ से एलर्जी है, उस से परहेज करना होता है. इस से बच्चा ठीक हो जाएगा. वैसे, बहुत सारी एलर्जी तो बिना दवा के अपनेआप ही ठीक हो जाती हैं. असल में जैसेजैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, उसे एलर्जी की आदत पड़ जाती है, खासकर फूड एलर्जी की. मिल्क एलर्जी 2 से 3 वर्ष के बाद अपनेआप ठीक हो जाती है.

सांस की एलर्जी जैसे-जैसे सांस की नली बड़ी होती जाती है, बच्चे को आराम पड़ता जाता है और उसे उस की आदत पड़ जाती है. लगभग 50-60 प्रतिशत बच्चों में बड़े होने के साथ एलर्जी की समस्या अपनेआप दूर हो जाती है.

– बच्चों के आसपास की जगहों को साफ रखें.

– बच्चों को जानवरों से दूर रखें.

– बार-बार छींकना, इचिंग जैसी समस्याओं को हलके में न लें.

– बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करें.

– घर को हमेशा बंद न रखें, खुला और हवादार बनाए रखें.

(लेखक बीएलके सुपर स्पैशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली में पीडियाट्रीशियन हैं)

मानसून में खुद को कैसे सजाती हैं आप?

मानसून के दिनों में ज्‍यादा मेकअप करना जोखिम है, बारिश के दौरान मेकअप के खराब हो जाने का डर बना रहता है, इसलिए बारिश के दिनों में मेकअप बहुत हल्‍का और वॉटरप्रुफ करना चाहिए. चेहरे पर वॉटरप्रुफ फाउंडेशन,स्‍मज न होने वाली लिपिस्‍टक और वॉटरप्रुफ आईलाइनर आदि का इस्‍तेमाल करना चाहिए. ऐसे प्रोडक्‍ट बारिश के दिनों में बेहद जरूरी होते है.

यहां हम कुछ मानसून मेकअप टिप्‍स के बारे में बता रहे है जो कि मानसून में मेकअप के दौरान आपकी मदद कर सकते है.

1. चेहरे से ऑइल साफ करें

सबसे पहले अपने चेहरे को अच्‍छी तरह पानी से धो लें और 5 से 10 मिनट तक चेहरे पर आईसक्‍यूब लगा लें. इससे चेहरे का तैलीयपन खत्‍म हो जाएगा और मेकअप ज्‍यादा समय तक चेहरे पर टिका रहेगा.

2. ऑयली और ड्राई त्‍वचा के लिये

जिन महिलाओं की त्‍वचा शुष्‍क है वह बर्फ मलने के बाद टोनर का भी इस्‍तेमाल कर सकती है ताकि उनकी त्‍वचा में नमी आ जाए. वहीं जिन महिलाओं की त्‍वचा ऑयली है वह एस्‍ट्रीजेंट का इस्‍तेमाल कर सकती हैं.

3. बेस तैयार करें

मेकअप का बेस तैयार करने के लिए फाउंडेशन का इस्‍तेमाल न करें.

4. आंखों के लिये

आंखों पर हल्‍का सा आईलाइनर लगाएं, उसके ऊपर हल्‍के भूरे, पिंक या पेस्‍टल रंग के आईशैडो का इस्‍तेमाल करे. इसके बाद वॉटरप्रुफ मस्‍कारा लगाएं.

5. होंठो पर

होंठो पर सॉफ्ट मैटी लिपिस्‍टक लगाएं, यह लिपिस्‍टक ही मानसून के दौरान सबसे बेहतर रहती है. लेकिन होंठो पर शाइन लाने के लिए आप पिंक ग्‍लॉस का इस्‍तेमाल भी कर सकती हैं.

6. वॉटरप्रुफ मॉश्‍चराइजर लगाएं

बारिश के दिनों में वॉटरप्रुफ मॉश्‍चराइजर के यूज को न नकारें. अगर आप स्‍कीन ऑयली है तो हल्‍का मेकअप ही करें.

7. अपना हेयरस्‍टाइल साधारण और आसान रखें

अगर बारिश के दिनों में ज्‍यादा स्‍टाईलिश हेयरस्‍टाइल रखेगी तो भीगने के बाद उसे सुलझाना बेहद मुश्किल हो सकता है या बाल टूटने का ड़र सबसे ज्‍यादा रहेगा. मानसून के दौरान बैंड या लेयर हेयरस्‍टाइल को अपनाएं.

8. चमकदार ज्‍वैलरी न पहनें

मानसून के दौरान चमकदार ज्‍वैलरी न पहनें. स्‍टोन ज्‍वैलरी को ज्‍यादा पहनें. हल्‍के गहने मानसून के दौरान आरामदायक रहते है.

9. लाइट मेकअप करें

अगर आप चमकना चाहती हैं तो मेकअप को लाइट रखें और लाइट शेड का यूज करें जैसे – पिंक, ब्राउन या पीच कलर्स का. 

10. आईब्रो पेंसिल का प्रयोग न करें

मानसून के दौरान अपनी आईब्रो को हमेशा सेट रखें और आईब्रो पेंसिल का इस्‍तेमाल भूल से भी न करें. इन दिनों में पेंसिल के बहने का ड़र रहता है.

11. बालों को रोज धुलें

अपने बालों को रोजाना धुलें. रूसी से बचने के लिए नियमित रूप से मसाज भी करें. बालों की देखभाल करें. बारिश के दिनों में बालों की एक्‍ट्रा केयर रखनी पड़ती है.

12. कॉटन के कपड़े पहने

मानसून के दौरान जींस न पहने. हल्‍के कॉटन के कपडे पहने. जैसे – कैप्री, कॉटन पैंट या थ्री फोर्थ आदि.

13. न पहने सफेद कपड़े

सफेद कपड़ों को न पहनें. सफेद कपड़े आसानी से गंदे हो जाते है इसलिए डार्क कलर के कपड़े पहने.

14. सैंडिल व चप्‍पल पहनें

लेदर के शूज या सैंडिल न पहनें. हल्‍के और मजबूत सैंडिल व चप्‍पल पहनें. जहां तक हो, स्‍नीकर्स ही पहनें

टीवी पर राज करते हैं ये कलाकार

टेलीविजन इंडस्ट्री को आप छोटा मत समझिये यहां भी स्ट्रगल गजब का होता है. आपके सभी फेवरेट टीवी स्टार्स जिन्हें आप आज लीड किरदारों में देखते हैं वो कभी आपको सेकेंड लीड किरदार या छोटे मोटे रोल्स में भी दिखे थे, मगर शायद आपकी नजर उन पर उस समय नहीं गई.

आज के समय में ये कलाकार टेलीविजन इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं मगर एक समय था जब ये लीड रोल में नहीं थे. पर अपनी मेहनत से इन्होंने सबकी नजरों में भी और दिल में भी घर बना लिया.

साक्षी तनवर

हाल ही में फिल्म ‘दंगल’ में आमिर खान के साथ दिखाई देने वाली साक्षी को अपने सबसे पहले टेलीविजन पर्दे पर नोटिस किया होगा एकता कपूर के शो ‘कहानी…घर घर की’ में. लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि इससे पहले साक्षी शो “कुटुंब” में भी दिखाई दी थी मगर छोटे से किरदार माया मित्तल के रूप में. इसके बाद उन्हें ‘कहानी… घर घर की’ में लीड किरदार लीड किरदार मिला.

द्रष्टि धामी

मधुबाला, पॉपुलर शो मधुबाला की लीड द्रष्टि धामी ने भी यहां तक पहुंचने के लिए बहुत कुछ किया. आपने इन्हें शो ‘दिल मिल गए’ में डॉक्टर मुस्कान के रूप में देखा होगा. हालांकि, लोगों ने उन्हें इस शो में भी बहुत पसंद किया था मगर लीड किरदार उन्हें साल 2010 में शो ‘गीत – हुई सबसे पराई’ में मिला.

विक्रांत मेस्सी

फिल्म ‘लूटेरा’, ‘दिल धड़कने दो’ और ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ में नजर आने वाले विक्रांत को अपने टीवी से बॉलीवुड में जम्प करते हुए तो देखा लेकिन आपको बता दें कि विक्रांत ने पॉपुलर शो “बालिका वधु” में भी एक छोटा सा मगर अहम किरदार निभाया था. जगदीश की बहन सुगना का पति श्याम, जिसकी मौत हो जाती थी? धारावाहिक ‘बाबा ऐसो वर दीजो’ में लीड किरदार निभाने से पहले विक्रांत “बालिका वधु” में दिखे थे.

बरुन सोबती

धारावाहिक ‘इस प्यारा को क्या नाम दूं’ से सबका दिल जीतने वाले बरुन सोबती को आज कौन नहीं जानता? लेकिन, एक समय था जब इन्हें शायद ही किसी ने नोटिस किया था. “दिल मिल गए” के दुसरे सीजन में बरुन ने डॉक्टर राज सिंह का किरदार निभाया था और इसके बाद उन्हें शो ‘बात हमारे पक्की है’ में लीड रोल मिला था.

रवि दुबे

आपके फेवरेट जमाई राजा ने भी सेकेंड लीड रोल निभाया है. साल 2010 में धारावाहिक ‘सास बिना ससुराल’ में लीड रोल से पहले रवि को आपने ’12/24 करोल बाग’ में सेकेंड लीड ओमकार के रोल में देखा होगा. आज रवि टीवी इंडस्ट्री के सबसे चहीते कलाकार में से एक हैं.

खरीदारी सीखें, लूट से बचें

कुछ साल पहले टैलीविजन पर एक विज्ञापन आता था, जिस में एक बच्चा दुकानदार से शुद्ध नमक मांगता है, लेकिन दुकानदार उसे बच्चा समझ कर साधारण नमक थमा देता है, जिसे देख कर बच्चा तुरंत दुकानदार से कहता है, ‘‘शुद्ध नहीं समझते क्या… मुझे शुद्ध नमक ही चाहिए.’’

इस विज्ञापन में जिस तरह से बच्चे को जागरूक दिखाया गया है उसी तरह आज के किशोरों को भी जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि अकसर किशोर जब खरीदारी के लिए जाते हैं तब न तो मोलभाव करते हैं और न ही जांचपड़ताल. बस, दुकानदार को बताया कि क्या चाहिए और ले कर चल दिए. कई किशोर तो ऐसे भी होते हैं जो  खरीदारी के समय भी अपने फोन पर ही व्यस्त रहते हैं. कुछ किशोरों को तो इतनी जल्दी रहती है कि देखते भी नहीं कि दुकानदार ने क्या दिया है और उन्हें क्या चाहिए था, जिस की वजह से दुकानदार उन्हें आसानी से बेवकूफ बना लेते हैं, कभी ज्यादा पैसे वसूल लेते हैं, तो कभी खराब सामान दे कर अपना फायदा कर लेते हैं, इसलिए जरूरी है कि किशोर खरीदारी की कला सीखें ताकि जब कोई उन्हें लूटने की कोशिश करे तो समझदारी से निबट सकें.

सस्ते के चक्कर में न पड़ें

किशोर सस्ते के चक्कर में बेवकूफ बन जाते हैं, उन्हें लगता है कि इतने कम दाम में क्या मिलता है इसलिए एक नहीं बल्कि 2-3 खरीद लेते हैं. बाद में जब इस्तेमाल होता है तब अफसोस होता है. ऐसे में न सिर्फमम्मी की डांट सुननी पड़ती है बल्कि सारी पौकेटमनी भी खत्म हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि खरीदारी करते समय सस्ती चीजों पर न टूट पड़ें, बल्कि अच्छी तरह जांचपड़ताल कर के ही सामान खरीदें.

खुद पर करें भरोसा

जब खरीदारी के लिए किसी दुकान पर जाते हैं तो दुकानदार कई तरह के लुभावने औफर देने के साथसाथ प्यार भरी बातें भी करने लगता है. जैसे ले कर जाओ, तुम पर अच्छा लगेगा, तुम्हारी उम्र के सारे टीनएजर्स यहीं से सामान खरीदते हैं. आज तक किसी तरह की शिकायत नहीं आई.

ऐसे में अधिकांश किशोर दुकानदार की बातों में आ जाते हैं, उन्हें समझ नहीं आता कि उन के लिए क्या अच्छा है और उन्हें क्या करना चाहिए, दुकानदार से ज्यादा जरूरी है कि खुद पर भरोसा करें और अपनी चौइस को प्राथमिकता दें न कि दुकानदार के आश्वासन को.

जल्दबाजी न दिखाएं

कई बार किशोर खरीदारी के लिए जाते हैं तो दुकान में घुसते ही कहने लगते हैं, ‘‘अंकल, प्लीज जल्दी दे दो, टाइम नहीं है.’’

आप के ऐसा कहते ही दुकानदार जल्दी में सब से महंगा प्रोडक्ट देता है और अगर आप थोड़ा सस्ता दिखाने के लिए कहते हैं तो उस के पास जो सब से सस्ता व खराब होता है आप के सामने रख देता है. दुकानदार को पता होता है कि आप जल्दी में ज्यादा मीनमेख तो निकालेंगे नहीं, बस चुपचाप ले लेंगे, इसलिए हड़बड़ी के बजाय समय दे कर सामान खरीदें.

फ्रैंड्स के साथ जाएं

कोशिश करें कि जब शौपिंग करने जाएं तो अपने फ्रैंड्स के साथ जाएं, क्योंकि कोई साथ होने पर दुकानदार भी एक बार जरूर सोचता है. अगर आप पसंद करने में कहीं फंसते हैं तो फ्रैंड्स आप की मदद करते हैं, अपना विचार भी देते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि आप के फ्रैंड्स को कोई ऐसी दुकान पता हो जहां अच्छा सामान कम दाम पर मिलता हो.

जांचपड़ताल करें

ऐसा न करें कि दुकान में घुसें और सामान ले कर बाहर निकल जाएं. अगर आप को उस चीज के बारे में पहले से पता है तो ठीक है, लेकिन अगर आप नई चीज खरीद रहे हैं तो खरीदने से पहले 2-3 दुकानों में पता जरूर कर लें. इस से आप को वैराइटी के साथसाथ प्राइज व क्वालिटी का भी अंदाजा हो जाएगा.

मोलभाव करना भी सीखें

दुकानदार ने जितना बताया है उतनी कीमत पर ही न खरीद लें, मोलभाव जरूर करें. यह न सोचें कि मम्मी ने तो जोड़ कर पैसे दिए ही हैं, फिर क्या मोलभाव करना. यह जरूरी नहीं है कि जितना मूल्य लिखा है उतने पर ही खरीदना पड़ेगा. आप एमआरपी पर मोलभाव कर सकते हैं. यह दुकानदार पर निर्भर करता है कि वह एमआरपी से कितने कम पर आप को देता है.

दूसरों की देखादेखी न करें

ऐसा न करें कि किसी दूसरे को खरीदते देख आप भी वही खरीदने लगें. जरूरी नहीं है कि सामने वाले की जो जरूरत हो वही आप की भी हो इसलिए अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सामान खरीदें.

ओवर ऐक्साइटमैंट न दिखाएं

अगर दुकानदार आप को कोई ऐसा सामान दिखाए जो आप को एक नजर में पसंद आ जाए या आप जैसा ढूंढ़ रहे थे वह एकदम वैसा ही हो, तो एकदम से खुश न हों, क्योंकि आप ऐसा करते हैं तो इस से दुकानदार निश्चित रूप से दाम ज्यादा बताएगा, इसलिए नौर्मल व्यवहार करें.

खुद को डरासहमा न दिखाएं

खुद को भोलाभाला व मासूम न दिखाएं बल्कि कौन्फिडैंटली प्रेजैंट करें. अगर आप खुद को मासूम दिखाते हैं तो दुकानदार आप को आसानी से बेवकूफ बना सकता है इसलिए स्मार्ट खरीदार बनें.

बेकार की खरीदारी न करें

किशोरों की आदत होती है कि वे सोचते हैं यह भी ले लेता हूं, वह भी ले लेता हूं, जरूरत तो पड़ ही जाएगी. ऐसा न करें बल्कि आप को जिस चीज की जरूरत है वही खरीदें.

कीमत का रखें खास ध्यान

बाजार में आप के सामने कोई सामान बिक रहा है तो वह कितने में बिक रहा है, इस की जानकारी जरूर रखें. फिर रेटलिस्ट से उसे मिलाएं, इस से आप को उस की सही कीमत का अंदाजा लगाने में आसानी होगी. कई बार आप खूबसूरत फैंसी पैकिंग के पैसे दे रहे होते हैं इसलिए ऊपरी खूबसूरती पर न जाएं बल्कि क्वालिटी देखें.

अपना बजट तय करें

यह थोड़ा मुश्किल है लेकिन बजट तय करना ठीक रहता है इस से आप अतिरिक्त खर्च से बचते हैं और कंट्रोल में रहते हैं. आप को जिस चीज की जरूरत है उसे ही खरीदें, फालतू खर्च न करें.

एटीएम कार्ड न सौंप दें

आप अपना एटीएम कार्ड कभी भी दुकानदार को न सौंपें कि वह ही पिन नंबर वगैरा डाल ले. पता चला वह ज्यादा अमाउंट डाल दे और आप को पता ही न चले. इस के साथ ही जब भी डिजिटल पेमैंट करें तब थोड़ी सावधानी बरतें, जैसे वौलेट द्वारा भुगतान करने पर ट्रांजैक्शन पूरा न हो, तो तुरंत दोबारा न करें. क्योंकि कई बार सर्वर स्लो होने के कारण ट्रांजैक्शन पूरा होने में समय लग सकता है.

औनलाइन सर्च कर के जाएं

जब किसी चीज की खरीदारी के लिए जाएं तो औनलाइन सर्च कर लें. इस से एक अंदाजा लग जाता है कि किस प्राइज में चीजें बिक रही हैं, क्या खासीयत है. आमतौर पर औनलाइन में प्रोडक्ट की पूरी जानकारी दी रहती है जिसे आप आराम से पढ़ सकते हैं, लेकिन अगर दुकानदार के भरोसे रहते हैं तो वह वही दिखाएगा जिस में उस का प्रौफिट होगा और हां, रिव्यू पढ़ना न भूलें. रिव्यू से आप को पौजिटिव व नैगेटिव दोनों पहलुओं के बारे में पता चलता है जिस से खरीदने में आसानी होती है.

बिल जरूर लें

अधिकांश किशोरों की आदत होती है कि वे जल्दीजल्दी में बिल नहीं लेते और अगर ले भी लेते हैं तो दुकान से बाहर निकलते ही फाड़ कर फेंक देते हैं. ऐसा न करें, क्योंकि अगर आप के पास बिल नहीं होगा तो दुकानदार रिटर्न करने में आनाकानी कर सकता है कि बिना बिल के सामान वापस नहीं लेगा इसलिए बिल जरूर लें. एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि बिल पक्का हो, जिस पर दुकान का नाम लिखा हो व मुहर लगी हो.

सिर्फ जोखिम नहीं है म्‍यूचुअल फंड्स

जब भी कोई म्‍यूचुअल फंड्स के बारे में बात करता है तो आपके दिमाग में सबसे पहले एक ही ख्‍याल आता है, कि क्‍या म्‍यूचुअल फंड रिस्‍की है? जिस तरह से आप घर में पैसे अलग-अलग जगह पर रखती हैं. ठीक उसी तरह से म्‍यूचुअल फंड की किसी एक स्‍कीम में ही सारे पैसे नहीं लगाने चाहिए. आपको अलग-अलग स्‍कीम में निवेश करना चाहिए अगर आप ऐसा करती हैं तो रिस्‍क कम हो जाता है.

प्रोफेशनल फंड मैनेजर

आप सोचती होंगी कि कैसे पता चले कि किस म्‍यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए और किसमें नहीं निवेश करना चाहिए. इसके लिए आपको टेंशन लेने की आवश्‍यकता नहीं है क्‍योंकि यह सब कुछ देखने का काम प्रोफेशनल फंड मैनेजर का होता है. उसके अनुभव से आपका रिस्‍क और भी कम होता है.

डायर्विसिफिकेशन

डायवर्सिफिकेशन यानि कि विविधीकरण के अंतर्गत निवेश करने से रिस्‍क कम हो जाता है. अलग-अलग जगह पर पैसों को निवेश करने से डर कम रहता है और नुकसान भी कम होता है. निवेश करने में रिस्‍क तो है, पर इस रिस्‍क को कम करना आसान भी है. म्‍यूचुअल फंड आपके पैसे को एक सुरक्षित कवर में छुपा कर रखते हैं.

अपनी जरुरतों के हिसाब से चुनाव करें

निवेश करने से पहले आप यह जान लें कि आपके निवेश का उद्देश्‍य क्‍या है? यदि निवेश की समयावधि चुने गए फंड के अनुरूप है तो आप खुद को बहुत छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रखती हैं. मान लीजिए, आपने किसी इक्‍वटी फंड में निवेश किया है तो आप छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि में इस बात की काफी संभावना है कि आपको इक्‍वटी से जुड़े दीर्घकालीन प्रतिफल हासिल हों.

सही जानकारी रखें

म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले सही जानकारी लेकर रखें. ऐसा नहीं कि किसी के कहने पर किसी भी स्‍कीम पर इन्‍वेस्‍टमेंट कर दें. इसके लिए जरुरी है कि एक्‍सपर्ट की सलाह लें और कई म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम के बारे में अच्‍छे से जांच लें.

मैं फिल्में दूसरों की सलाह से नहीं, अपनी पसंद से चुनती हूं : नेहा शर्मा

फैशन डिजाइनर नेहा शर्मा ने तेलुगू फिल्म ‘चिरूथा’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की. आज वे बौलीवुड में भी अपनी धाक जमाने का प्रयास कर रही हैं. उन का कहना है कि वे बौलीवुड में कुछ खास किरदार निभा कर नाम कमाना चाहती हैं.

नेहा शर्मा उन अभिनेत्रियों में से हैं, जिन के कैरियर को फिल्म की असफलता प्रभावित नहीं करती. 2007 में चरण तेज के साथ तेलुगू फिल्म ‘चिरुथा’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने के बाद वे हिंदी फिल्मों से जुड़ीं. पिछली फिल्म ‘तुम बिन 2’ की असफलता के बाद वे अनिल कपूर और अर्जुन कपूर के संग ‘मुबारकां’ फिल्म में काम कर खुश हैं. पेश हैं उन से हुई बातचीत के खास अंश :

आप का कैरियर जिस तरह से बढ़ रहा है, इससे आप कितना खुश हैं?

मैं अपने कैरियर को ले कर काफी खुश हूं. इसकी सब से बड़ी वजह यह है कि हर इंसान के लिए सफलता के मायने अलग होते हैं. आपके लिए सफलता के जो मायने हैं, वही मेरे लिए हों, ऐसा जरूरी नहीं है. मेरी सफलता का सबसे बड़ा पैमाना ये है कि मैं जो कुछ करना चाहती हूं, जिस तरह का काम करना चाहती हूं, उसे करने के मुझे अवसर मिले.

मैं अपनेआप को खुशकिस्मत मानती हूं कि मैं खुद से अपनी फिल्में चुन सकती हूं. मैं हमेशा वही काम करती हूं, जिसे करने के लिए मेरा दिल कहे. मुझे यह पसंद नहीं कि कोई इंसान मुझे सलाह दे कि मुझे यह फिल्म करनी चाहिए या यह नहीं करनी चाहिए. यदि दूसरों की सलाह पर फिल्में करना सफलता का पैमाना है तो मुझे यह पसंद नहीं. मुझे लगता है कि अब तक के कैरियर में मैं ने वही काम किया, जो मुझे पसंद आया. इसलिए मैं खुश हूं. इसी आधार पर मुझे लगता है कि मेरा कैरियर बहुत सही तरीके से आगे बढ़ रहा है.

मगर बौलीवुड में कलाकार का कैरियर तो फिल्म की सफलता के इर्दगिर्द घूमता है?

देखिए, यह सब अलगअलग नजरिए से खुद को देखने का तरीका होता है. कुछ लोगों को अपनेआप को नंबर वन कहलाने की चाहत होती है, तो वे बताते रहते हैं कि हमारी फिल्म ने इतने करोड़ कमा लिए. मैं नंबर वन, नंबर 2 या नंबर 3 में यकीन नहीं रखती. वास्तव में वे कलाकार, जो नंबर की चूहादौड़ में हैं, उन्हें तमाम लोग कंट्रोल करते हैं. इन के इर्दगिर्द लंबीचौड़ी फौज रहती है, जो इन्हें पल-पल पर टोकती रहती है कि उन्हें क्या करना है या क्या नहीं करना है.

मेरे इर्दगिर्द ऐसी कोई फौज नहीं है. मैं खुश हूं. मेरे लिए सफलता बहुत बड़ी बात है. पर मैं हमेशा वही काम करना चाहती हूं, जिस में मुझे खुशी मिले. जिस काम को करने के लिए मेरा मन गवाही दे. मुझे कोई टोकने वाला नहीं है, जो मुझ से कहे कि मुझे क्या करना है. मैं तो फिल्में भी दूसरों की सलाह से नहीं, अपनी पसंद से चुनती हूं.

‘तुम बिन 2’ की असफलता से आप के कैरियर पर क्या असर हुआ?

हम सब की ढेरों अपेक्षाएं और उम्मीदें होती हैं, उसी के अनुरूप हम योजना बनाते हैं, जब उस तरह से चीजें नहीं होतीं तो हम हताश हो जाते हैं. परिणामत: हमारा कैरियर खत्म होने लगता है, लेकिन मैं तो फिल्म की शूटिंग पूरी करते ही उसे भूल कर आगे बढ़ जाती हूं. इसलिए किसी भी फिल्म की असफलता का मेरे कैरियर पर कोई असर नहीं होता.

जहां तक ‘तुम बिन 2’ की असफलता का सवाल है, तो मेरे हिसाब से फिल्म सफल रही, निर्माता को नुकसान नहीं हुआ. लोगों को मेरा काम भी पसंद आया. दूसरी सफलता और असफलता दोनों ही हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं. हमें सफलता की ही तरह असफलता को भी लेना चाहिए. मैं सफलता मिलने पर हवा में नहीं उड़ती और असफलता से मायूस नहीं होती.

मैं इस बात का गम नहीं मानती कि मुझे क्या नहीं मिला, पर जो मिलता है, उसका जश्न जरूर मनाती हूं. तीसरी बात मैं इस बात पर यकीन करती हूं कि किसी भी फिल्म की सफलता व असफलता कलाकार के हाथ में नहीं होती है.

कलाकार के अलावा फिल्म के साथ बहुत सी चीजें जुड़ी होती हैं. मसलन, फिल्म का निर्माता कौन है? फिल्म के साथ कौन सा स्टूडियो जुड़ा हुआ है? निर्देशक कौन है? उस ने पहले कौन सी फिल्में बनाई हैं? गाने किस तरह के हैं? संगीतकार कौन है? कलाकार कौनकौन हैं? पता नहीं कितनी लंबी सूची होती है, जब तक इन सारी चीजों पर चैकलिस्ट नहीं लगेगी, तब तक फिल्म की सफलता की गारंटी कोई नहीं दे सकता.

एक कलाकार के तौर पर आप फिल्में चुनते समय कुछ तो ध्यान देती होंगी?

कलाकार के तौर पर हम उस तरह के कटैंट वाली फिल्म चुनते हैं, जिसमें हमें यकीन होता है. हम कहानी या पटकथा के बारे में जानकारी दे कर अपने आप से सवाल करते हैं कि क्या यह हमें पसंद है? क्या हम किरदार के साथ इत्तेफाक रखते हैं? क्या हम इसे अपने अभिनय से संवार सकेंगे? इन सारे सवालों का जवाब ‘हां’ हो तो हम फिल्म कर लेते हैं.

हीरोइन के रूप में फिल्म ‘तुम बिन 2’ करने के बाद मल्टीस्टारर फिल्म ‘मुबारकां’ में छोटा सा कैमियो करना कहां तक उचित है?

यह मसला पानी से भरे आधे गिलास की ही तरह है. इस गिलास को देखने का हर इंसान का अपना अलग नजरिया होता है. क्या आप मल्टीस्टारर फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ में जिस किरदार को जूही चावला ने निभाया था, भुला सकते हैं? वह भी तो छोटा सा किरदार था. इसी तरह मेरा दावा है कि जब फिल्म ‘मुबारकां’ प्रदर्शित होगी, तो लोगों को मेरा किरदार याद रहेगा.

इस मल्टीस्टारर फिल्म में अभिनय कर मैं ने बहुत कुछ सीखा. जहां मुझे दिग्गज अभिनेता अनिल कपूर के साथ काम कर बहुत कुछ सीखने को मिला, तो वहीं मैं लंबे समय से अनीस बजमी के निर्देशन में फिल्म करने का सपना देख रही थी.

मैं तो उनकी कौमेडी फिल्मों की मुरीद हूं. मैंने उन की हर फिल्म देखी है. ऐसे में जब अनीस बजमी ने मेरे सामने ‘मुबारकां’ में कैमियो करने का प्रस्ताव यह कहते हुए रखा कि इस में अनिल कपूर व अर्जुन कपूर भी हैं, तो मैं ने इसे तुरंत लपक लिया.

इस के अलावा आज मैं अपने कैरियर के जिस मुकाम पर हूं वहां मुझे ज्यादा से ज्यादा अच्छा काम, बेहतरीन लोगों के साथ करना है. मैं ‘मुबारकां’ के अलावा कुछ दूसरी रोचक व बड़ी फिल्में कर रही हूं, पर जब तक उन की घोषणा निर्माता न कर दें, मैं उस पर बात नहीं कर सकती.

फिल्म में आप का क्या किरदार है?

बहुत ज्यादा विस्तार से बताना तो ठीक नहीं होगा, लेकिन यह फनी फिल्म है. मेरा किरदार भी फनी है. मैं लोगों को इस फिल्म में हंसाऊंगी.

अनिल कपूर के साथ ’मुबारकां’ में काम करने के क्या अनुभव रहे?

बहुत मजा आया. वे काफी बड़े कलाकार हैं. विविधतापूर्ण किरदार निभा चुके हैं. वे ऐनर्जी से भरपूर हैं. हर किसी से गर्मजोशी के साथ मिलते हैं. काम के प्रति उन का समर्पण देख कर मैं दंग रह गई. उन से बहुत कुछ सीखने को मिला.

क्या यह माना जाए कि आप महत्त्वाकांक्षी नहीं हैं?

किस ने कहा? मैं महत्त्वाकांक्षी हूं, लेकिन मेरे लिए सफलता के माने कुछ और हैं. मेरे लिए सफलता का अर्थ नंबर वन की कुरसी हथियाना नहीं है. मैं इस तरह की किसी भी चूहादौड़ का हिस्सा नहीं हूं.

मेरे लिए सफलता का पैमाना इस बात पर निर्भर करता है कि मैं अपनी पसंद के किरदार व पसंद की फिल्में चुनने के लिए स्वतंत्र हूं. किसी भी फिल्म को स्वीकार करने में मुझे काफी समय लगता है. कुछ लोग मुझे चूजी समझते हैं.

अब तो आप की बहन आयशा शर्मा भी बौलीवुड में संघर्ष कर रही हैं?

वे भी दूसरी आम युवतियों की तरह हैं, जो अपने लिए बौलीवुड में जगह तलाश रही हैं.

आपने कुछ दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी अभिनय किया है. आप को लगता है कि वहां काम करना ज्यादा आसान है?

आसान कहीं नहीं होता. हर जगह आप को अपनी प्रतिभा के बल पर अपनी जगह बनानी होती है. यही बात बौलीवुड, टौलीवुड, हौलीवुड हर जगह लागू होती है.

आप ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था, वह अब काम आ रहा है?

दिल्ली में मैं ने निफ्ट से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया. फैशन डिजाइनिंग करने से हमें पोशाक कैसे डिजाइन करनी है, यह समझ में आता है. इसी के चलते मेरे लिए अपनी फिल्मों के किरदारों के अनुरूप पोशाकों को अपनी डिजाइनर के साथ बैठ कर डिजाइन करवाना आसान होता है. इस के अलावा अब मैं ने अपना ऐप शुरू किया है. अब मैं अपना खुद का लेबल शुरू करने वाली हूं.

आप को अपने ऐप की जरूरत क्यों महसूस हुई?

मुझे जरूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन ऐप बनाने वाली कंपनी इस्कापेक्स ने मुझ से संपर्क किया. उन्होंने मुझे ऐप के बारे में विस्तृत जानकारी दी. तब मुझे एहसास हुआ कि ऐप होना कितना जरूरी है, क्योंकि इस में बहुत कुछ है.

मेरे फैंस मेरे संपर्क में आने के लिए मेरे बारे में जानकारी हासिल करने के लिए अलगअलग सोशल मीडिया यानी कि इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर वगैरा पर जाते हैं. इससे उनका काफी समय बरबाद होता है.

अब उन्हें मेरे बारे में किसी भी जानकारी को हासिल करने के लिए अलगअलग सोशल मीडिया पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्हें सारी जानकारी मेरे ऐप से मिल जाएगी.

किन फिल्मकारों के साथ काम करना चाहती हैं?

मैं संजय लीला भंसाली के साथ फिल्में करना चाहती हूं. यदि वे अपनी किसी ऐतिहासिक फिल्म से जुड़ने का औफर देंगे, तो मैं आंख मूंद कर उन के इस औफर को स्वीकार कर लूंगी.

मैं संजय लीला भंसाली से फिल्म की पटकथा भी नहीं मांगूगी, क्योंकि मुझे पता है कि संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में महिला किरदारों को बहुत ही भव्यता व शालीनता के साथ पेश करते हैं. उनकी फिल्म में महिला पात्र हमेशा सशक्त होते हैं.

आप एक राजनीतिज्ञ परिवार से जुड़ी हुई हैं. तो क्या फिल्मों में क्या करना है या क्या नहीं ऐसा कुछ है?

बिलकुल नहीं. मैंने कोई सीमाएं नहीं बनाई हैं. मैं किरदार की मांग के अनुरूप हर तरह की पोशाक पहनने के लिए तैयार हूं. मैं ने अपने पिता व भागलपुर से कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा के लिए चुनाव प्रचार किया है. मगर मेरा राजनीति से जुड़ने का कोई इरादा नहीं है.

आप ने एक चीनी फिल्म ‘झौंगजौंग’ की थी. कोई दूसरी चीनी फिल्म करने वाली हैं?

ऐतिहासिक फिल्म है. पिछले वर्ष चीन में प्रदर्शित हुई और सफल हुई. वहां फिल्म करने का मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा. वहां फिल्मकार पटकथा, विषय व चरित्र पर बहुत बारीकी से काम करते हैं. यदि दूसरी फिल्म का औफर मिला, तो जरूर करना चाहूंगी.

अब दक्षिण भारतीय फिल्में नहीं कर रही हैं?

जब किसी अच्छे कथानक वाली फिल्म का औफर मिलेगा, तो जरूर करना चाहूंगी.

किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?

कोई सीमारेखा तो खींची नहीं है. मगर मैं संजीदा या गंभीर किस्म के किरदार फिलहाल नहीं निभाना चाहती. मैं हमउम्र के हलकेफुलके किरदारों को ही निभाना चाहती हूं. रोमांटिक किरदारों को निभाना चाहती हूं.

सच कहूं तो मुझे ढेर सारे चरित्र निभाने हैं. अभी तो मेरे कैरियर की शुरुआत हुई है. मुझे उम्मीद है कि अभी मेरी राह में तमाम औफर आएंगे. मैं यह भी अच्छी तरह से समझती हूं कि मैं उस मुकाम पर नहीं हूं, जहां शाहरुख खान या सलमान खान हैं.

इन सभी कलाकारों ने 20-25 साल के कैरियर में 2-3 सौ फिल्में की हैं. तो जब मैं उस मुकाम पर पहुंचूंगी, तो शायद मैं लोगों से कह सकूंगी कि मुझे यह किरदार या यह फिल्म करनी है.

सच यही है कि जो दूसरे कर रहे हैं, उन से मैं कुछ अलग काम करना चाहती हूं. मेरी कोशिश रहती है कि मैं जो भी किरदार निभाऊं वह मेरे लिए ड्रीम रोल साबित हो. इस के लिए मैं अपनी तरफ से पूरी मेहनत करती हूं.

कोई खास किरदार जो करना चाहती हों?

ऐसा कुछ नहीं है. मैं अलगअलग तरह की फिल्में करना चाहती हूं. हर जौन में काम करना है. मुझे लगता है कि जिंदगी में काम ज्यादा और आराम कम करना चाहिए. तो मेरी कोशिश यही है कि मैं बहुत सी फिल्में करूं और सब अलग तरह की हों, जिस से मेरे अंदर की अभिनय कला का विकास हो सके. आप को याद होगा कि मैं ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. जो कुछ सीखा है, काम करते हुए सीखा है.

शौक?

कुकिंग, पढ़ना, कुत्तों के साथ खेलना, संगीत सुनना मुझे पसंद है. मुझे बचपन से ही नृत्य का शौक रहा है. मैं ने कत्थक की विधिवत ट्रेनिंग ली है. इसके अलावा मैंने जेज, सालसा जैसे कई वैस्टर्न डांस के फौर्म की भी ट्रेनिंग हासिल की.

पसंदीदा अभिनेत्री?

विद्या बालन, मधुबाला, कैमरोन डियाज.

खुशबू ही नहीं बीमारी भी देते हैं फूल

फूल यूं तो खुशबू देते हैं लेकिन इनके परागकण जब एलर्जिक होते हैं तो सांस लेना दूभर करते हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि हर इंसान को किसी न किसी चीज से एलर्जी होती हैं, किसी को भीड़ व गर्द से एलर्जी है, तो वहीं सैकड़ों लोग हर साल दवाओं की एलर्जी से जान गंवा बैठते हैं. कई लोगों को ठंड से शरीर पर दाने हो जाते हैं, किसी को सूरज की रोशनी में जाने पर एलर्जी हो जाती है. यानी किसी व्यक्ति को किसी भी पदार्थ से एलर्जी हो सकती है.

फूलों के छोटे-छोटे परागकणों के कारण भी कई लोगों को एलर्जी हो जाती है. यह एलर्जी वसंत ऋतु में फूल खिलने के समय बहुत आम होती है. भारत में यह आम नहीं है लेकिन अमेरिका व यूरोप जैसे ठंडे देशों में इस का काफी असर देखा गया है. अमेरिका में 4 करोड़ लोगों में यह एलर्जी पाई जाती हैं. यूरोप में हर 5वें शख्स में यह एलर्जी है. दरअसल, पश्चिमी देशों में सर्दी शुरू होने से पहले ही पतझड़ आ जाता है. सर्दी के खत्म होने पर जब वसंत ऋतु आती है तो पेड़ों पर लगे रंग-बिरंगे नए फूल देखने में बहुत सुंदर लगते हैं लेकिन मन को लुभाने वाले इन फूलों में से निकलते हैं छोटे-छोटे बीज जिन्हें पौलेन ग्रेन या परागकण कहा जाता है. ये हवा में मिल कर चारों तरफ फैल जाते हैं. इन के कारण नाक और गले में जलन व सांस लेने में दिक्कत आने लगती है.

पौलेन सीधा फेफड़ों पर जम कर असर करता है. पौलेन वास्तव में इतने बारीक होते हैं कि ये सांस लेते वक्त कब मुंह में चले जाते हैं, इसका किसी को भी पता नहीं चल पाता और ये अत्यधिक बारीक होने के कारण फेफड़ों पर परत बना देते हैं, जिससे अचानक ही सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. इसके अलावा, पौलेन फेफड़ों में पहुंच कर या गले में संक्रमण कर सकता है. इससे खासकर एलर्जी वाले मरीजों को दिक्कत होती है.

ऐसा भी माना जाता है कि अधिक साफ-सफाई वाले देशों में इस बीमारी का ज्यादा असर होता है. इसकी वजह यह है कि साफ वातावरण में रहकर शरीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता यानी इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिसके कारण शरीर बीमारियों का मुकाबला करने में बेबस महसूस करने लगता है.

शायद यही वजह है कि भारत में यह एलर्जी उतनी आम नहीं है. हां, बड़े शहरों में जहां लोग अपना सारा दिन एयरकंडीशंड कमरों में बिताते हैं, वे आसानी से इस एलर्जी के शिकार हो जाते हैं.

क्यों होती है एलर्जी

सवाल यह उठता है कि कुछ लोगों को परागकण से एलर्जी क्यों होती है और यह एलर्जी किस तरह से हमारे शरीर को प्रभावित करती है? इस बारे में डाक्टर कोचर का कहना है कि ये छोटे-छोटे परागकण नाक में घुस कर उसके अंदर की श्लेष्मा की परत से चिपक जाते हैं, इसके बाद ये नाक से गले तक पहुंच जाते हैं, जहां इन्हें या तो निगल लिया जाता है या फिर खांस कर बाहर निकाल दिया जाता है. इससे कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन कभी-कभी परागकण, रोग प्रतिरक्षा तंत्र यानी बीमारियों से लड़ने की शरीर की ताकत पर असर करते हैं.

दरअसल, समस्या की जड़ पराग में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जिन लोगों को पराग से एलर्जी होती है, उन के शरीर का रोग प्रतिरक्षा तंत्र कुछ खास किस्म के पराग के प्रोटीन को खतरा समझने लगता है. इसलिए जब उन के शरीर में ये परागकण घुस आते हैं, तो ऐसा चक्र शुरू हो जाता है कि जिस से शरीर के उतकों में पाई जाने वाली मास्ट कोशिकाएं फट जाती हैं और ये बड़ी तादाद में हिस्टामीन नाम का पदार्थ छोड़ती हैं.

हिस्टामीन की वजह से खून की नलियां फैल जाती हैं और उन में से पदार्थों के आरपार जाने का रास्ता खुल जाता है. इस वजह से बीमारियों से लड़ने वाली कोशिकाओं से भरा द्रव्य बह कर बरबाद हो जाता है. नतीजनन, नाक बहने लगती है और उस में खुजली होने लगती है, ऊतक फूल जाते हैं और आंखों से पानी आने लगता है.

फूलों में मौजूद पौलेन की वजह से लोगों को अस्थमा की एलर्जी भी हो जाती है. बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, इसलिए उन्हें एलर्जी की समस्या ज्यादा होती है. कुछ बच्चों की सांस की नली असाधारण रूप से संवेदनशील होती है, जो वातावरण में मौजूद धूल के कणों की वजह से सिकुड़ जाती है और उस में सूजन आ जाती है, इसी वजह से बच्चों को सांस लेने में तकलीफ और खांसी की समस्या होती है. आमतौर पर फूलों के परागकणों से यह एलर्जी होती है. इसलिए जहां तक संभव हो, बच्चों को इन से दूर रखने की कोशिश करें.

लक्षण पहचानें…

–  छींकें और आंखों से पानी आना.

–  आंखों का लाल होना.

–  खांसी, जुकाम और नजला होना.

–  कन्जेशन और गले में खारिश.

–  शरीर में जगहजगह चकत्ते पड़ना.

–  सांस लेने में दिक्कत होना.

–  तालू, नाक या आंखों में खुजली होना.

ये बात शायद आप नहीं जानते होंगे कि फूलों के परागकण के संपर्क में आने के कारण अस्थमा का अटैक भी आ सकता है. वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञों का कहना है कि शहरों की हवा में घुले हुए फफूंद और परागकण एलर्जी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. यह बात पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 2008 में विभिन्न शहरों पर किए गए एक सर्वे में भी सामने आ चुकी है. सर्वे में फफूंद के 40 और अन्य 70 प्रकार के परागकण एलर्जी के लिए विशेष कारण बताए गए थे.

कैसे करें बचाव

–  पौलेन प्रभावित क्षेत्रों में जाने से बचें.

–  धुएं से बचें.

–  पौलेन से बचने के लिए अपने पास रूमाल रखें.

–  हवा चलने के साथ यदि पौलेन उड़ रहा हो तो रूमाल से अपना मुंह ढक लें.

–  यदि परागकणों से एलर्जी है तो दोपहर के वक्त, जब परागकणों की संख्या बढ़ जाती है, तो बाहर काम करने या खेलने से परहेज करें.

–  बगीचे या पत्तियों के ढेरों में भी काम न करें.

–  पौलेन से बचने के लिए मास्क पहनना चाहिए. उन लोगों को जरूर मास्क का प्रयोग करना चाहिए जिन्हें श्वास से संबंधित समस्या है.

–  घर में जाते ही अपने हाथपांवमुंह जरूर धोने चाहिए.

–  आंखों को बचाने के लिए चश्मा  लगाएं.

–  छोटे बच्चों को परागकणों के संपर्क में आने से बचाएं.

–  जिन लोगों को इस से एलर्जी है वे डाक्टर के निर्देशानुसार एंटी एलर्जिक दवा हर वक्त अपने पास रखें.

–  धुले हुए सूती कपड़े पहनें.

–  अस्थमा और एलर्जी के मरीज दवाइयों का सेवन करते रहें.

–  अधिक परेशानी होने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

–  एलर्जी का कारण जानने के लिए सब से पहले इस का टैस्ट कराएं और फिर डाक्टर के निर्देशानुसार इस का इलाज करें.

(यह लेख ईएनटी स्पैशलिस्ट डा. हरप्रीत सिंह कोचर और स्किन स्पैशलिस्ट डा. प्रदीप सेठी से बातचीत पर आधारित है.)

सही वक्त पर सही आउटफिट

भारत विभिन्न परंपराओं के साथसाथ परिधानों के भी कई प्रकार समेटे हुए है. यह देश अलगअलग भाषा, संस्कृति और खानपान के साथसाथ अलगअलग पहनावे के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है. यह एक ऐसा देश है जहां कदमकदम पर फैशन के अनेक रंग और ढंग बिखरे हुए हैं. यदि सिर्फ परिधानों की बात की जाए तो भारत में हर मौके के लिए अलगअलग आउटफिट निश्चित हैं. लेकिन जब ट्रैंड और स्टाइल का संगम होता है तो आउटफिट की रूपरेखा बदल जाती है. पारंपरिक होते हुए भी उस में फैशनेबल का टैग लग जाता है.

परिधान पुराना अंदाज नया

दरअसल, भारत में अलगअलग समय पर अलगअलग देशों के राजाओं की हुकूमतें रही हैं और हर शासनकाल अपने साथ अलग पहनावा ले कर भारत आया. रजिया सुलतान के पहनावे से प्रभावित रजिया सूट और मुगल वंश की अनारकली के अनारकली सूट अब तक भारत में महिलाओं के फैशन का विस्तार कर रहे हैं. कहने के लिए यों तो ये बहुत ही पुराने परिधान हैं, लेकिन फैशन ने इन्हें चमका दिया है.

इन की रूपरेखा में भी बदलाव किया गया है. अपने नए कलेवर में इस तरह के सूट शादी और छोटेमोटे फैमिली फंक्शनों के लिए उपयुक्त हैं. लेकिन आप किसी की बर्थडे पार्टी या औफिशियल पार्टी में इस तरह के सूट पहन कर जाएंगी तो यह फैशन ब्लंडर ही कहलाएगा.

वैस्टर्न फैशन

इस के साथ ही भारत में आए ब्रिटिश राज ने भी भारतीयों की फैशन सैंस को बढ़ाया है. यही वजह है कि आज भारतीय महिलाओं को वैस्टर्न फैशन में आसानी से लिपटा देखा जा सकता है. विनीता कहती हैं कि अब हर महीने नया फैशन मार्केट में देखने को मिल जाता है. हर नई चीज को एक बार खुद पर जरूर आजमाना चाहिए. लेकिन इस बात की सैंस बहुत जरूरी है कि कौन सा आउटफिट किस अवसर पर पहना जाए.

कई लड़कियां दोपहर के समय हो रही पार्टी में ईवनिंग गाउन पहन कर चली जाती हैं जबकि नाम से ही साफ है ईवनिंग गाउन ईवनिंग पार्टी के लिए होते हैं. ईबे कंपनी द्वारा हाल ही में 1000 महिलाओं पर कराए गए सर्वे के अनुसार लगभग 15% महिलाएं यह गलती करती हैं.

फैशन जो बनाए जवां

फैशन यानी जो आप को अपटुडेट रखे. लेकिन अपटुडेट होने के चक्कर में कई बार महिलाएं इस बात का खयाल नहीं रख पातीं कि उन की उम्र के हिसाब से उन पर क्या जंचेगा. खासतौर पर घरेलू महिलाओं के लिए फैशन का मतलब रंगबिरंगी साड़ी या साधारण सी सलवारकमीज ही होती है. विनीता कहती हैं कि साड़ी तक सीमित महिलाओं को हम यह नहीं कह सकते कि वे फैशनेबल नहीं हैं.

आजकल बाजार में साडि़यों के कई पैटर्न मौजूद हैं. उन्हें ट्राई किया जा सकता है. लेकिन जरूरी है पैटर्न के हिसाब से डै्रपिंग. जी हां, फैशन वर्ल्ड में साडि़यों के साथ बहुत प्रयोग हो रहे हैं. अब साडि़यों में डिजाइनर्स क्रिएटिविटी दिखते हैं. खासतौर पर ड्रैपिंग के अलगअलग तरीकों को ध्यान में रख कर साड़ी को डिजाइन किया जाता है. लेकिन महिलाएं उसी पुराने ढर्रे पर हर साड़ी ड्रैप कर लेती हैं और यहीं वे फैशन की दौड़ से बाहर हो जाती हैं.

आउटफिट्स ही नहीं ऐक्सैसरीज के मामले में भी महिलाएं कई बार गलतियां कर बैठती हैं. सिर्फ आउटफिट अच्छा होने से ही बात नहीं बनती. ऐक्सैसरीज आउटफिट के लुक को इनहैंस करती हैं. इसलिए इन का चुनाव सही और सीमित होना चाहिए. लेकिन बहुत महिलाएं आउटफिट और ऐक्सैसरीज के चुनाव में सही तालमेल नहीं बैठा पाती हैं जैसे जो हेयर ऐक्सैसरीज ट्रैडिशनल आउटफिट के साथ पहननी चाहिए उन इस्तेमाल कैजुअल वियर के साथ करना फैशन मिस्टेक ही है.

बहुत अधिक फंकी लुक वाले फुटवियर पहनने से बचें. ये आप को फैशनेबल लुक से ज्यादा चाइल्डिश लुक देंगे. माना कि ऐनिमल प्रिंट ट्रैंड में हैं, लेकिन ध्यान रखें ये कैजुअल प्रिंट हैं. प्रोफैशनल और ट्रैडिशनल आउटफिट्स में इन का प्रयोग न करें. इनरवियर को आउटवियर पर फ्लौंट करने का फैशन अब पुराना हो चुका है और यह बहुत भद्दा भी लगता है, इसलिए ध्यान रखें कि आप की ब्रा की बैल्ट और पैंटी आउटवियर से ढकी रहे. ज्वैलरी पहनने की शौकीन हैं तो अवसर के अनुसार उस का चयन करें.

बाजार में यों तो कई तरह की ज्वैलरी हैं लेकिन इस का चयन ड्रैस पैटर्न पर निर्भर करता है. आप कितनी भी अच्छी ड्रैस पहन लें, लेकिन मेकअप और हेयरस्टाइल पर ध्यान न दिया जाए तो आप फैशनेबल कम फूहड़ ज्यादा लगेंगी.

ट्रैवल इंश्योरैंस: बेफिक्री में बीते छुट्टियां

एक महिला पत्रिका में उपसंपादक अनुराधा ने अपनी 10वीं एनिवर्सरी के मौके पर शादी के समय पूरे न हुए ख्वाबों को अब पूरा करने और जीभर एंजौय करने की ठानी थी. इस के लिए उस ने महीनों से तैयारी की थी. एकएक पैसा जोड़ा था. अपनी तमाम सहेलियों से इस संबंध में खुशीखुशी चर्चा की थी. जिस हिल स्टेशन उन्हें जाना था, उस ने वहां के इतिहास भूगोल के बारे में खूब ढूंढ़ ढूंढ़ कर पढ़ा था.

लेकिन ऐन मौके पर समय फिर दगा दे गया. पता चला कि उत्तरपूर्व में कानून और व्यवस्था की हालत खराब होने के कारण उसे जहां जाना था वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है. इस कारण वहां जाने वाली सभी फ्लाइटें कैंसिल कर दी गई हैं.

अनुराधा, उस के पति और उन के 2 छोटेछोटे बच्चे महीनों से एकएक दिन गिनगिन कर गुजार रहे थे और हर शाम उन्होंने एक बड़ा वक्त उन योजनाओं को बनाने में खर्च किया था कि वे कैसेकैसे एंजौय करेंगे.

आर्थिक नुकसान से बचें

ऐन मौके पर बिगड़ी कानून और व्यवस्था की स्थिति ने सब गुड़गोबर कर दिया. लेकिन यह कोई अनहोनी घटना नहीं थी. उत्तरपूर्व के जो राजनीतिक हालात हैं उन के कारण वहां ऐसा अकसर हो जाता है. यह अकेले अनुराधा के साथ घटी घटना नहीं थी बल्कि और भी तमाम लोगों के साथ भी पहले ऐसा हो चुका था.

सवाल है ऐसी स्थिति में जब ऐन मौके पर आप के तमाम सपनों पर पानी फिर जाए, आप का सबकुछ कियाधरा बराबर हो जाए तो क्या करें? क्या इसे नियति मान कर चुपचाप बैठ जाएं और जो आर्थिक चपत लग चुकी हो उसे बुरे सपने की तरह भूल जाएं? या फिर घूमने न जा सकने पर कम से कम अपने आर्थिक नुकसान को तो बचाएं? आप पूछेंगे यह कैसे संभव है?

हम कहेंगे ये सब संभव है बशर्ते हम कहीं घूमने जाने का कार्यक्रम बनाते समय इस आशंका को भी ध्यान में रखें कि ऐन मौके पर जाना कैंसिल भी हो सकता है.

जी हां, आप बिलकुल सही सुन रहे हैं. किसी प्राकृतिक आपदा को रोकना, ऐन मौके पर कानून और व्यवस्था की हालत बिगड़ जाना या ऐसी ही किसी परिस्थिति पर हमारा कोई वश नहीं होता. ऐसी तमाम स्थितियों पर हम असहाय हो जाते हैं. लेकिन इस स्थिति से बचना भले ही न संभव हो पर आप अपनी यात्रा का बीमा करवा सकते हैं ताकि आप की गाढ़ी कमाई बरबाद न हो.

छुट्टियों का आनंद मनाते हुए आप के साथ कुछ अनहोनी न हो, लेकिन यदि ऐसा हो ही जाए तो इस की वजह से आप के पीछे बचे आप के परिवार के लोग एक झटके में ही अनाथ जैसा न महसूस करें.

रिस्क कवर कराएं

खराब मौसम या लचर कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते अगर आप की फ्लाइट कैंसिल हो जाती है या आप का पासपोर्ट गुम हो जाता है तो आप को दरदर की ठोकरें न खानी पड़ें. ठीक है कि एक जमाना था जब छुट्टियों का बीमा संभव नहीं था. लेकिन अब यह कोई अजनबी शब्द नहीं है.

यूरोप और अमेरिका में तो पिछले 70 के दशक से ही यात्रा का बीमा होता रहा है. हमारे यहां भी पिछले कई सालों से ट्रैवल इंश्योरैंस हो रहा है. मुंबई, गोआ, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद तमाम शहरों में हौलिडे इंश्योरैंस अब काफी बड़ी संख्या में होने लगे हैं.

जब तक देश में बीमा सिर्फ सरकारी एजेंसियों के हाथ में था तब तक बहुत सारी स्थितियों, चीजों और अवस्थाओं का बीमा संभव नहीं था. लेकिन अब बीमा क्षेत्र सिर्फ सरकारी एकाधिकार में नहीं रहा. आज की तारीख में बीमा के क्षेत्र में निजी कंपनियों का खासा दखल होचुका है. यही वजह है कि नई से नई परिघटनाएं, चीजें और अवस्थाएं बीमा के दायरे में आ रही हैं.

हौलिडे इंश्योरैंस यानी ट्रैवल इंश्योरैंस बीमा के दायरे में आने वाली नई चीज है. हालांकि अभी हमारे यहां यात्रा का बीमा कराए जाने का इतना ज्यादा चलन नहीं बढ़ा कि आप को अपने इर्दगिर्द चारों तरफ ऐसे लोग नजर आएं. लेकिन हां, अगर आप कोशिश करें तो ऐसे लोगों से आप जरूर मिल सकते हैं क्योंकि जैसेजैसे हिंदुस्तानियों की आय बढ़ रही है, हौलिडे इंश्योरैंस पर्यटन जीवनशैली का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है.

भरपूर लुत्फ उठाएं

आज की तारीख में यात्रा का मतलब महज किसी मशहूर जगह जा कर किसी भी तरह, कितनी भी मुसीबतों में रहते हुए उस जगह को देख आना भर नहीं है और न ही समुद्र के किनारे मौजमस्ती या किसी पहाड़ी रिजौर्ट की सैर करना भर रह गया है. आज पर्यटन में बंगी जंपिंग, पैरासेलिंग, पैराग्लाइडिंग, डीप सी वौकिंग, ट्रैकिंग जैसे तमाम एडवैंचरस स्पोर्ट्स भी शामिल हो चुके हैं.

लोग अपनी छुट्टियों का भरपूर लुत्फ उठाने के लिए जब पर्यटन के लिए निकलते हैं तो इन तमाम चीजों को भी अपने कार्यक्रमों में शामिल करते हैं. पिछले साल चेन्नई स्थित एक निजी साधारण बीमा कंपनी ने ऐसे तमाम एडवैंचरस स्पोर्ट्स के लिए इंश्योरैंस की सुविधा उपलब्ध कराई ताकि आप अपने पैसों का भरपूर लुत्फ ले सकें और अगर लुत्फ नहीं ले पाए तो आप का पैसा यों बरबाद न हो.

कहते हैं पुराने जमाने में जब लोग यात्रा पर निकलते थे तो अपने आसपड़ोस वालों से, रिश्तेदारों से, घरपरिवार के लोगों से मिल कर जाया करते थे क्योंकि कोई निश्चित नहीं होता था कि वे लोग सकुशल वापस लौट पाएंगे.

लेकिन अब स्थिति बदल गई है, यात्राएं छोटी हो गई हैं, कम खतरनाक रह गई हैं. हर जगह मैडिकल की सुविधा उपलब्ध है. इंटरनैट, मोबाइल और टैलीफोन आदि के चलते आदमी हर समय अपने घरपरिवार से जुड़ा भी रहता है. लेकिन संकट तो संकट है. अभी भी ऐसा नहीं है कि आप घर से खुशियों का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटन को जाएं और गारंटी से घर सकुशल वापस लौट ही आएं.

माना कि कई तरह की समस्याओं पर काबू पा लिया गया है लेकिन दुस्साहसिक खेलों में हिस्सा लेतेसमय कब कोई जिंदगी से चूक जाए, भला इस की गारंटी कौन ले सकता है. इसलिए छुट्टियों में घर से निकलते समय रिस्क कवर करा लेना अक्लमंदी का ही काम है.

पति के साथ कमरे में सोफिया कर रही थीं…और वायरल हो गया वीडियो

अक्सर विवादों में रहने वाली सोफिया हयात एक बार फिर चर्चाओं में हैं. इस बार उन्होंने कुछ ऐसा किया है जिसे जानकर कोई भी हैरान रह जाएगा. आए दिन फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाली सोफिया ने इस बार हदें पार करते हुए अपने पति के साथ एक इंटीमेट वीडियो पोस्ट किया है.

सोफिया ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें वो पति व्लाद स्टैन्श्यू के साथ इंटीमेट होती नजर आ रही हैं. इसके साथ उन्होंने कैप्शन लिखा है – ये है मेरा नया म्यूजिक वीडियो और सॉन्ग ओम शांति ओम. उन्होंने आगे लिखा- जागो बच्चों, आप स्वर्ग में हो. सच्चे प्यार और इंटीमसी के बारे में सभी को जानना चाहिए. आपको बता दें कि सोफिया ने कुछ समय पहले ही अपने से 10 साल छोटे व्लाद स्टैन्श्यू से शादी की है. जो एक आर्किटेक्ट हैं.

सोफिया कभी नन बन जाती हैं तो कभी शादी कर लेती हैं. ऐसे में असली सोफिया क्या हैं इसे तय करना मुश्किल हो जाता है. बता दें ये कोई पहली बार सोफिया ने ऐसा नहीं किया है. वह इससे पहले भी कई बार सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर चुकी हैं. सोफिया इसी वजह से काफी चर्चाओं में रहती हैं.

इससे पहले सोफिया ने पोस्ट की थी बैकलेस फोटो

सोफिया ने हाल ही में अपनी एक बेहद बोल्ड फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी. इस फोटो में उन्होंने कुछ पहना नहीं हुआ था और फोटो उनके बैक की थी. सोफिया की कमर पर सिर्फ खुले बाल दिखाई दे रहे थे. उनके इस फोटो को पोस्ट करते ही सोशल मीडिया पर इसे लाइक और कमेंट करने वालो का तांता लग गया था. इसके साथ ही फोटो सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गई थी. इस फोटो को पोस्ट करते हुए सोफिया ने अपने बालों की खूबसूरती का बखान करने वाला कैप्शन भी दिया था.

खैर, पहले आप देखिए वीडियो और फिर देखिए सोफिया की बैकलेस फोटो

 

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