इन बॉलीवुड स्टार्स का छोटे पर्दे पर नहीं चला जादू

बॉलीवुड के ऐसे कई स्टार्स हैं, जिनका बड़े पर्दे पर तो खूब जादू चलता है लेकिन छोटे पर्दे पर आते ही उनकी चमक फीकी पड़ने लगती है. बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हैं जो बड़े पर्दे की कामयाबी को छोटे पर्दे पर दोहरा नहीं सके. कुछ ऐसे ही स्टार्स की छोटे पर्दे की पारी पर एक नजर.

अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोड़पति गेम शो से स्मॉल स्क्रीन पर वापसी कर रहे हैं. ये बेहद कामयाब शो है, मगर जब बिग बी ने अनुराग कश्यप के शो युद्ध से फिक्शन में किस्मत आजमायी तो फ्लॉप हो गए. ये शो खास कामयाबी हासिल नहीं कर पाया था.

शाहरुख खान

शाहरुख खान ‘क्या आप पांचवीं पास से तेज हैं’, शो के साथ छोटे पर्दे पर आए थे, लेकिन शो को कुछ खास लोकप्रियता हासिल नहीं हुई. शाहरुख के शो जोर का झटका को भी खास दर्शक नहीं मिल सके थे.

गोविंदा

2001 में गोंविदा ने ‘छप्पड़ फाड़ के’ रिएलिटी शो को होस्ट किया, लेकिन यह शो भी दर्शकों को खास रास नहीं आया. शो को वक्त से पहले ही ऑफ एयर कर दिया गया था.

अर्जुन कपूर

खतरों के खिलाड़ी सीजन 7 को अर्जुन कपूर ने होस्ट किया था. इस सीजन को दर्शकों ने खास पसंद नहीं किया था. शो को अच्छी टीआरपी नहीं मिली थी. सीजन 8 फिर से रोहित शेट्टी होस्ट कर रहे हैं.

माधुरी दीक्षित

बॉलीवुड दिवा माधुरी दीक्षित शो (कहीं ना कहीं कोई है) 2002 में लेकर आयी थीं, मगर माधुरी को जो जादू बड़े पर्दे पर दिखता है, वो इस शो में नजर नहीं आया. उम्मीद तो बहुत थी, मगर ये मेट्रिमोनियल शो एक सीजन के बाद सर्वाइव ना कर सका.

सौरी पापा

विचारों के भंवर में डूबतेउतराते अमन की पलकें भीग गईं. उस की जिंदगी को तो झंझावातों ने घेर रखा था. शुभि, उस की प्यारी सी बेटी…उस के दिल का टुकड़ा जिसे वह बेइंतहा प्यार करता था, स्याह अंधियारों में भटक रही थी और वह हर संभव कोशिश कर के भी उसे उजाले की ओर नहीं खींच पा रहा था.

रोज की तरह आज सुबह वह औफिस गया था. अभी वह अपनी टेबल पर बैठा जरूरी काम निबटा रहा था कि उस के पड़ोसी राजीव का फोन आ गया, ‘अमनजी, आप की बेटी शुभि की तबीयत अचानक खराब हो गई है. आप औफिस से सीधे सिटी अस्पताल पहुंचिए. हम शुभि को ले कर वहीं पहुंच रहे हैं.’

काल रिसीव करते समय उस ने मोबाइल कस कर न पकड़ा होता तो वह उस के हाथ से फिसल कर नीचे गिर गया होता. उस का दिमाग एकाएक सुन्न हो गया था.

किसी से बिना कुछ कहेसुने वह दौड़ता हुआ औफिस से बाहर आया और कार स्टार्ट कर फुल स्पीड पर दौड़ा दी. इसे संयोग ही कहा जाएगा कि रास्ते में कहीं लालबत्ती नहीं मिली. मिलती तो भी वह सारे नियमकायदों को तोड़ता हुआ निकल जाता. इस वक्त वह जिस मनोस्थिति में था उस में जैसे भी हो मौत से संघर्ष करती शुभि के करीब जल्दी से जल्दी पहुंचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था उस के पास.

सिटी अस्पताल के इमर्जैंसी वार्ड के बाहर कालोनी में रहने वाले अमन के शुभचिंतकों की खासी भीड़ जमा थी. उसे देखते ही राजीव लपक कर उस के पास आ कर बोला, ‘‘हम ठीक वक्त पर यहां पहुंच गए थे. डाक्टरों ने उपचार शुरू कर दिया है. अब चिंता की कोई बात नहीं है.’’

‘‘आप लोगों का यह उपकार मैं जिंदगीभर नहीं भूलूंगा,’’ वह भर्राए कंठ से हाथ जोड़ कर बोला.

‘‘आप हमें शर्मिंदा कर रहे हैं,’’ राजीव ने प्रतिरोध किया, ‘‘पड़ोसी होने के नाते यह तो हमारा फर्ज था.’’

आसपड़ोस में अच्छा व्यवहार रखने की अहमियत आज ठीक से समझ आ गई थी उसे. संकट की इस घड़ी में ये लोग साथ न होते तो पता नहीं क्या होता. उस का हलक सूखने लगा.

‘‘मैं शुभि को एक नजर देखना चाहता हूं,’’ उस ने राजीव से फरियाद की. लाख कोशिशों के बावजूद उस की आंखें झरने लगी थीं.

‘‘अभी यह ठीक नहीं होगा. डाक्टरों ने किसी को भी अंदर जाने से मना कर दिया है,’’ राजीव सहानुभूति से उस का हाथ दबा कर बोला, ‘‘प्लीज, संभालिए अपनेआप को. आप इस तरह होश खो देंगे तो आप की पत्नी का क्या होगा? उन का तो पहले से ही रोरो कर बुरा हाल हो गया है.’’

‘‘कहां है नेहा?’’ अमन चारों ओर देखता हुआ भरे स्वर में बोला.

राजीव उसे गैलरी के अंत तक ले गया. वहां कोने में पड़ी बैंच पर नेहा आंखें बंद किए अधलेटी सी बैठी थी. उस के गालों पर बहती ताजा आंसुओं की लकीर बता रही थी कि ऊपर से शांत सागर के भीतर ज्वारभाटे के कितने तूफान चल रहे थे.

अमन ने अपना कांपता हाथ नेहा के सिर पर रखा. नेहा की पलकों में हलकी सी जुंबिश हुई. अमन को देखते ही वह बिजली की गति से उठी और उस से लिपट कर फूटफूट कर रो पड़ी.

‘‘थोड़ा सा जहर ला कर मुझे भी खिला दो.’’

वह जड़ हो कर रह गया.

‘‘मुझे मेरी बेटी सहीसलामत चाहिए,’’ वह हिचकियों के बीच बोली, ‘‘उसे कुछ हो गया तो मैं भी जीवित नहीं रहूंगी.’’

‘‘सब्र करो, नेहा. अभीअभी डाक्टर साहब से बात हुई है मेरी. वे बता रहे थे कि शुभि बिलकुल ठीक है. थोड़ी देर में हम उस के पास होंगे,’’ उस की विक्षिप्त सी हालत देख कर वह बड़ी मुश्किल से बोल पाया. य-पि किसी अनहोनी की आशंका से वह खुद कांप रहा था. सबकुछ घूमता हुआ सा लग रहा था उसे, फिर भी नेहा की खैरियत के लिए सफेद झूठ बोल गया था अमन.

‘‘सच कह रहे हैं आप,’’ उस की आंखों में निश्चयअनिश्चय के भाव घुमड़ने लगे थे.

‘‘बेटी की जितनी फिक्र तुम्हें है उतनी मुझे भी है. मैं भला झूठ क्यों बोलूंगा.’’

वह बैंच पर उस के पास ही बैठ गया. उस की दलीलों से नेहा पता नहीं पूरी तरह आश्वस्त हुई थी कि नहीं, पर पहले से बेहतर नजर आने लगी थी. अमन के कंधे से सिर टिकाए उस के आंसू अब भी झर रहे थे.

नशे की अधिकता से शुभि की जान पर आ बनी थी. अमन के देखते ही देखते उस के जीवन की खुशियां हाशिए पर आती जा रही थीं और वह न चाहते हुए भी सबकुछ देखने के लिए मजबूर था.

शुभि उस की एकलौती बेटी थी. वह बहुत प्यार करता था अपनी बच्ची से. यथासंभव उस की हर इच्छा को पूरी करने का प्रयास भी किया. फिर भी पता नहीं क्या कमी रह गई थी उस के लाड़प्यार में कि शुभि उस के हाथों से फिसलती चली गई. उस का मन कर रहा था कि दीवार पर पटकपटक कर अपना सिर फोड़ ले.

समय की रफ्तार कितनी तीव्र होती है, एक अंधड़ आया नहीं कि पलक झपकते चेहरेमोहरे और हालात सबकुछ बदल जाते %E

डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए बेस्ट हैं ये 5 जगह

शादी का सीजन चल रहा है. और अगर आप भी डेस्टिनेशन वेडिंग का प्‍लान बना रही हैं तो आपको ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जिसके आसपास खूबसूरत नजारे हों, साथ ही वह आपके बजट में भी हो. आज हम आपको भारत के ऐसे ही 5 डेस्टिनेशन वेडिंग स्‍पॉट्स के बारे में बताने जा रहे हैं.

गोवा

गोवा में सबसे अधिक डेस्टिनेशन वेडिंग्‍स होती हैं. यंगस्टर्स के बीच तो यह जगह खासतौर पर पॉपुलर है. गोवा में बीच वेडिंग, गार्डन वेडिंग या सनसेट वेडिंग का विकल्‍प आप चुन सकते हैं. साथ में यहां का परंपरागत संगीत व डांस, विवाह समारोह में चार-चांद लगा देता है.

आप फाइव स्‍टार होटल्‍स का चुनाव भी कर सकती हैं. अगर आप भी गोवा जाने का प्‍लान कर रही हैं तो वेडिंग प्‍लानर की मदद लेने से काम आसान हो जाता है क्‍योंकि बीच वेडिंग के लिए गोवा के सरकार की अनुमति की आवश्‍यकता होती है और इस काम को वेडिंग प्‍लानर आसान बना देता है.

राजस्‍थान

रॉयल वेडिंग की तमन्‍ना रखते हैं तो राजस्‍थान आपके लिए सही जगह होगी. हवेली से लेकर रॉयल प्‍लेस तक, सब कुछ किराए पर मिल जाएगा यहां. पूर्वी राजस्‍थान में उदयपुर में कई वेडिंग वेन्‍यूज हैं. जयपुर में जल महल पैलेस का रुख कर सकते हैं. जोधपुर भी जा सकती हैं.

अंडमान और निकोबार द्वीप

यह भी अब यूथ की पसंद बन रहा है. यहां सफेद रेत से भरे बीच और उनके आसपास बने प्राइवेट रिसोर्ट डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उपयुक्‍त जगह है. यहां ग्रीनरी काफी ज्‍यादा है इसलिए यह प्राकृतिक तौर पर काफी मनमोहक लगता है. रोस आईलैंड या हेवलॉक यहां सबसे ज्‍यादा पसंद किए जाते हैं.

केरल

केरल को खूबसूरत शहर माना जाता है. यहां कई बीच, रिसोर्ट हैं जहां प्रकृति की खूबसूरती में विवाह उत्‍सव मना सकते हैं. कई रिसोर्ट तो वेडिंग प्‍लानर की सुविधा भी देते हैं. यहां तेजी से बढ़ते वेडिंग डेस्टिनेशन व्‍यवसाय के कारण अब कई नए तरीके भी इजाद किए गए हैं जैसे एलीफेंट थीम वेडिंग. इसमें दूल्‍हा हाथी पर सवार होकर शादी समारोह तक पहुंचता है या परंपरागत मलयाली वेडिंग सेरेमनी, जहां भोजन पत्‍तों पर परोसा जाता है और वहां के स्‍थानीय ग्रुप द्वारा संगीत आदि पेश किया जाता है.

लवासा

पुणे के पास स्थित लवासा ऐसा हिल स्‍टेशन है जो इटली के तर्ज पर विकसित किया गया है. यहां झरने, पहाड़, झील और आकर्षक प्राकृतिक नजारे हैं. शहर की भीड़भाड़ से दूर यह लोगों को खूब पसंद आता है. यहां कई ऐसे होटल हैं जो डेस्टिनेशन वेडिंग का आयोजन करते हैं.

अथश्री भ्रष्टाचार कथा

जिस की कथा के स्मरण मात्र से मनुष्य कंगाली से छूट मालामाल हो जाता है उस भ्रष्टाचार को नमस्कार.

हे महामते, इसलिए तुम्हें भ्रष्टाचारियों पर सपने में भी क्रोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि आज के दौर में भ्रष्टाचार ही यश है, वह ही जुर्म करवाने वाला और सजा से रक्षा करने वाला है. यह संपूर्ण जीवन भी भ्रष्टाचार ही है. तभी आज सभी सीना चौड़ा कर भ्रष्टाचार में रत हैं. आज कोई देवता भी इसे शाप दे कर इस देश से बहिष्कृत नहीं कर सकता. भ्रष्टाचार सर्वव्यापी होने के कारण किसी के भीतर नहीं है. इस की कोई सीमा नहीं है, इस दृष्टि से देखने पर यह सदा ही सब धंधों से परे है.

हे भक्तो, उन्मुक्त हो, प्रेम मुदित मन से कहो, ‘भ्रष्टाचार…भ्रष्टाचार… भ्रष्टाचार…श्री  भ्रष्टाचार…भ्रष्टाचार… भ्रष्टाचार…भ्रष्टाचार माता च पिता भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार बंधुश्च सखा भ्रष्टाचार. स्विस खातों में जमा काला धन भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार सर्वं मम देव देव.’

हे विप्रगणो, जो तनमन से करप्ट हो साधु होने का दिखावा करते हैं, जो कलियुग में इस भ्रष्टाचार कथा का रसास्वादन करें या इस की कथा निष्ठा से करते हैं उन्हें व उन की आने वाली कई पीढि़यों को स्वर्ग और मोक्ष दोनों प्राप्त होंगे, इस में तनिक भी संदेह नहीं. भ्रष्टाचार की कथा तुरंत फलदायी है. जो सदा भ्रष्टाचार की कथा का पाठ करते हैं वे धन्य हैं. जिन्होंने भ्रष्टाचार न छोड़ पद छोड़ दिए, ईमानदारी को दग्ध कर डाला उन परमादरणीय भ्रष्टाचारियों की महिमा का वर्णन कौन कर सकता है?

भ्रष्टाचार कथा का पाठ करने से चोर भी धार्मिक विचारों वाला हो जाता है. कायर हर फील्ड में विजय पाता है, नालायक हर साक्षात्कार में सफल होता है, अफसर चांदी कूटता है, दिवालिए दिमाग वाला अपार बुद्धि पा बुद्धिजीवी हो जाता है.

अधर्म की इच्छा करने वाला पलक झपकते ही करंट धर्म को पाता है, ठेकों की इच्छा रखने वाला देखते ही देखते ठेकों को पा देश के निर्वाण में दिनरात जुटा रहता है.

हे नागरिको, जो ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर सब से पहले शुद्ध मन से भ्रष्टाचार देव का ध्यान कर भ्रष्टाचार कथा का भली प्रकार पाठ करता है वह समाज के जागने से पहले ही सम्माननीय हो जाता है. देवता भी उस के दर्शन को लालायित रहते हैं. वे तब तक मंदिर में प्रवेश नहीं करते जब तक वह उन के मंदिर के द्वार नहीं खोलता. उस का आशीर्वाद पा नाली का कीड़ा भी समाज में दसदस सिर लगा निर्भय विचरण कर सरकारी जमीन पर सरेआम कब्जा करता है. उस को कानून से डरने की कोई आवश्यकता नहीं होती. चाहे कोई कितना ही हलका क्यों न हो. भ्रष्टाचार कथा के नियमित पाठ से वह आरोग्यवान, बलवान, वीर्यवान, सर्वगुण- संपन्न हो जाता है. कानून से छिपछिप कर जीने वाला कानून का सलाम लेतेलेते थक जाता है. जो भक्तिसंपन्न हो कर भ्रष्टाचार कथा में कहे का विधिविधान, पूरी निष्ठा के साथ प्रतिदिन स्तुति करता है वह शीघ्र ही समस्त संकटों से पार हो उच्च पद को प्राप्त करता है.

भ्रष्टाचार के भक्तों का सपने में भी अशुभ नहीं होता. उन्हें कोर्ट, कचहरी, कानून जैसी व्याधियां होने का भी डर नहीं रहता. भ्रष्टाचार में भक्तिभाव से भक्तों को ईमानदारी, सत्य, निष्ठा जैसे तमोगुण छू भी नहीं पाते. प्रेम, भाईचारे जैसे दुर्गुणों से उन की बुद्धि अशुद्ध नहीं होती. राजनीति में भ्रष्टाचार ही आचार माना गया है, भ्रष्टाचार से ही समाज में धर्म की स्थापना होती है.

समाज में भ्रष्टाचार की अनैतिकता ही नैतिकता कही गई है. इस में झूठ को ही सच कहा गया है, दगाबाजी को ही इस क्षेत्र में मित्रता कहा जाता है. स्वार्थी से बड़ा समाज में दूजा कोई निस्वार्थी नहीं. जो यहां घोर स्वार्थी है वही माया से उठा हुआ है. जो मायावी है वही यथार्थ है. झूठे, फरेबी, बहुरूपिए, शब्दों के सौदागर सब भ्रष्टाचार से ही उत्पन्न होते हैं. जनता को उल्लू बनाने की जितनी भी कलाएं हैं वे सब भ्रष्टाचार से ही उत्पन्न हुई हैं. इस देश के समस्त साधनों, संसाधनों के उपभोक्ता भ्रष्टाचारी ही एक ऐसे हैं जो पंचायत स्तर से ले कर संसद तक भिन्नभिन्न रूपों को धारण कर सब को भोग रहे हैं.

हे परमार्थियो, जो छल, बल से सुख पाना चाहता हो, जो दिन में देखे गए सपनों को पूरा करना चाहता हो वह मेरे कहे से भ्रष्टाचार कथा का नियमित पाठ करे. जो मर्यादारहित भगवान से भी कद्दावर भ्रष्टाचारजी का भजन करते हैं वे कभी अभावों से सपने में भी चार नहीं होते. इसलिए हरिओम फटाफट हरिओम फटाफट.

– अशोक गौतम

कोहनी और घुटने के कालेपन से पाएं छुटकारा

बॉडी और स्किन की कई तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए हम घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह की एक समस्या है कोहनी और घुटनों का कालापन जो देखने में तो बुरा लगता ही है साथ ही यह स्किन को हार्ड भी बना देता है.

इस समस्या को दूर करने के लिए अगर आप बाजार से लाए क्रीम और लोशन इस्तेमाल कर थक चुकी हैं तो यहां बताए जा रहे उपाय आपकी कुछ मदद जरूर कर सकते हैं.

नींबू

अगर आप रोज रात सोने से पहले नींबू का रस कोहनी और घुटनों पर लगाकर छोड़ दें और सुबह धो लें तो फर्क आपको जरूर नजर आएगा.

खीरा और इमली

एक चम्‍मच खीरे का रस और आधा चम्‍मच इमली का गूदा मिलाएं और फिर इसे कोहनी और घुटनों पर लगाएं और 15 मिनट के बाद धो लें.

दूध और शहद

एक कटोरी में दूध और शहद मिलाकर इससे कोहनी और घुटनों की मालिश करें. इसको 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर इसे ठंडे पानी से धो लें.

नारियल तेल

रोज रात को सोने से पहले अपने कोहनी और घुटनों की नारियल तेल से मालिश करें. नारियल तेल में लॉरिक एसिड और प्रोटीन होता है जो कि रूखी त्‍वचा को ठीक करता है.

सिरका और दही

दही में लैक्‍टिक एसिड पाया जाता है जो कि बिल्‍कुल ब्‍लीच की तरह काम करता है. एक कटोरी में दही और सिरके की एक मात्रा मिलाएं और इससे कोहनी और घुटनों की मसाज करें. 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें. इस उपाय को कुछ दिनों तक रोजाना करें.

अगर आप भी डिजिटल वॉलेट यूज करती हैं तो…

घर बैठे-बैठे सिनेमा हॉल की टिकट बुक करना, हॉस्टल में पढ़ रहे बेटे की फीस जमा करना, गांव में पैसे भिजवाना, बिना लाइन में खड़े हुए बिजली का बिल भर देना जैसी सहूलियत आपको ई वॉलेट से ही मिलती है. बिना झंझट और झल्लाहट के आप आराम से घर बैठे कई काम कर देती हैं. घर से बाहर निकलने पर अब आपके पैसे चोरी का डर भी नहीं रहता, क्योंकि अपना बहुत सारा काम आप ई वॉलेट के जरिए निपटा देती हैं.

डिजिटल हो रहे इस मॉडर्न जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए आपका भी डिजिटल होना बहुत जरूरी है, लेकिन इन सबके बीच सुरक्षा यानी आपके ई-वॉलेट की सेफ्टी का इश्यू वैसे ही रह जाता है. आपका हर काम आसान करने वाले डिजिटल वॉलेट को सेफ कैसे रखें? आइए, हम बताते हैं.

फोन लॉक करें

आमतौर पर सिर्फ एक उंगली की दूरी पर है आपका ई वॉलेट. ऐसे में उसकी सुरक्षा और भी अहम् हो जाती है, इसलिए अपने फोन में लॉक कोड रखें. इतने से ही काम नहीं चलेगा. आप चाहें, तो अपने फोन में फिंगर लॉक रखें. ऐसे में कोई दूसरा आपके फोन को एक्सेस नहीं कर पाएगा.

ऐप लॉक

सिर्फ फोन लॉक करने से काम नहीं चलेगा. कहीं आपका फोन चोरी हो गया और गलती से सामने वाले ने फोन का लॉक खोल लिया, तो आसानी से आपके ई वॉलेट का मिसयूज कर सकता है, इसलिए जरूरी है कि ऐप पर लॉक कोड सेट करें.

स्ट्रॉन्ग पासवर्ड

ऐप का पासवर्ड रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि वो सिंपल और छोटा न हो. इससे, उसे कोई भी आसानी से ब्रेक कर सकता है. बेहतर होगा कि 10 डिजिट का पासवर्ड रखें. स्पेशल कैरेक्टर के साथ पासवर्ड रखें.

एंटी वायरस डालें

कंप्यूटर, लैपटॉप की तरह मोबाइल में भी एंटी वायरस डलवाएं. ऐसा इसलिए करें, क्योंकि आप अपने मोबाइल का यूज एक लैपटॉप की तरह करती हैं. सोशल साइट्स से लेकर कई साइट्स पर जाती हैं. ऐसे में वायरस आपके मोबाइल में एंटर कर सकते हैं.

मिनिमम बैलेंस

अगर आप चाहती हैं कि फ्यूचर में आपको रोना न पड़े, तो अपने ई वॉलेट में कम पैसा रखें. ऐसे में अगर आपका मोबाइल किसी और के हाथ में आ भी गया, तो वो बहुत ज्यादा पैसे का यूज नहीं कर पाएगा.

कार्ड डिटेल सेव न करें

मानाकि कार्ड डिटेल सेव करने से आपको पेमेंट करने में आसानी होती है, लेकिन ये सही नहीं है. ऐसा करना भारी पड़ सकता है. किसी के हाथ मोबाइल लगने पर, वो आपका पूरा पैसा खत्म कर सकता है.

हवाई जहाज से तेज हाइपरलूप

हमारे देश में ट्रेनों की औसत सुस्त रफ्तार बीते कई दशकों से कायम है, लेकिन उस के साथ ही यह सपना भी आम लोगों को दिखाया जाता रहा है कि भारत में बुलेट ट्रेनें चलेंगी. इधर इस सपने में एक और बढ़ोतरी हुई है.

दावा किया जा रहा है कि नई तकनीक की मदद से दिल्ली से मुंबई का सफर 1 घंटा 10 मिनट में और मुंबई से चेन्नई का सफर सिर्फ 30 मिनट में पूरा हो सकता है. इसी तरह चेन्नई से बेंगलुरु की दूरी महज आधे घंटे में तय हो सकेगी. इन दूरियों को तय करने में वैसे तो हवाईजहाज से ज्यादा समय लगता है, लेकिन फरवरी, 2017 में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने एक ऐसी टैक्नोलौजी पर चर्चा की, जिसे अगर वास्तविकता में बदला जा सका तो लोग बुलेट ट्रेन से भी तेज सफर कर सकते हैं. यह नई तकनीक है हाइपरलूप, जिस की इन दिनों अमेरिका समेत कईर् देशों में चर्चा है.

ऐसे हुई शुरुआत

हालांकि यह एक मुश्किल काम माना जाता है कि जिस रफ्तार से विमान हवा में उड़ते हैं, उसी गति से ट्रेनें जमीन पर चल सकें. इस बारे में अभी तक सब से अधिक तेजी बुलेट ट्रेनें ही दिखा सकी हैं. अब तक के प्रयोगों में बुलेट ट्रेन अधिकतम 600 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकी है पर सफर के जिस एक नए उपाय की चर्चा दुनिया में हो रही है, इस तकनीक से जमीन पर ही 1,200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चल सकती है. यह चमत्कार एक नई तकनीक हाइपरलूप के माध्यम से पूरा करने का सपना देखा जा रहा है. हाइपरलूप का संबंध अंतरिक्ष तकनीक से भी जोड़ा जा सकता है. असल में, लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराने की तैयारी कर रही प्रसिद्ध स्पेस कंपनी ‘स्पेसऐक्स’ के जनक और टेस्ला मोटर्स के कोफाउंडर व सीईओ एलन मस्क ने ही सब से पहले हाइपरलूप तकनीक से ट्रेन चलाने के बारे में सोचा है. एलन मस्क ने साल 2013 में हाइपरलूप का प्रस्ताव दुनिया के सामने रखते हुए ऐलान किया था कि दुनिया में कोई भी संगठन चाहे तो संसाधन जुटा कर हाइपरलूप प्रोजैक्ट पर काम कर सकता है. यही वजह है कि मस्क के बजाय इस कल्पना को 2 अन्य कंपनियां हाइपरलूप वन और हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टैक्नोलौजीज (एचटीटी) साकार करने में जुटी हुई हैं और ये दुनियाभर में 7 परियोजनाओं के लिए समझौते पर दस्तखत कर चुकी हैं.

हाइपरलूप कंपनी ऐसी टैक्नोलौजी पर काम कर रही है जो लो प्रैशर ट्यूब्स में चुंबकीय उत्तोलन के जरिए एक जगह से दूसरी जगह तक  ले जाने में सक्षम है.

भारत में हाइपरलूप

हाइपरलूप प्रोजैक्ट के तहत भारत में 5 गलियारों पर काम शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. इन में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, तिरुअनंतपुरम, चेन्नईबेंगलुरु, मुंबईचेन्नई और 2 बंदरगाहों को जोड़ने की योजना है. फिलहाल कंपनी हाइपरलूप वन अमेरिका के नेवाडा में ऐसे ट्रैक का प्रोटोटाइप (कामकाजी मौडल) बना रही है. एक प्रोजैक्ट आबू धाबी को दुबई से जोड़ने का भी है.

ऐसा पहला व्यावसायिक प्रोजैक्ट 2020 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है. बहरहाल, देश में हाइपरलूप का क्या भविष्य हो सकता है, इस के बारे में फरवरी, 2017 में दिल्ली में ‘भारत के लिए हाइपरलूप का विजन’ नामक एक सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिस में भाग लेने के बाद रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, ‘मुंबई और दिल्ली के बीच करीब 60 मिनट और चेन्नई से मुंबई केवल 30 मिनट में जाने के बारे में सोच रहा हूं. हम नजदीक से देख रहे हैं कि यह कैसे हो सकता है.’

उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे आधुनिकीकरण और स्पीड बढ़ाने पर जोर दे रहा है. स्पीड पर हमारा फोकस है. हम सभी ट्रेनों की औसत गति को बढ़ाने में जुटे हुए हैं. हम ने मौजूदा ट्रैक्स पर ही दिल्लीमुंबई और दिल्लीहावड़ा के बीच ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं. इन बातों से लगता है कि अगले कुछ वर्षों में हम बुलेट ट्रेन के साथसाथ कुछ जगहों पर हाइपरलूप तकनीक से चलने वाली ट्रेनें भी देख सकेंगे.

कुछ तथ्य

– हाइपरलूप को हाई स्पीड ट्रेनों के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है. इस तकनीक में कम दबाव के स्टील ट्यूब के जरिए पौड्स में सामान और यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह लाना ले जाना संभव हो सकेगा.

– हाइपरलूप कंपनी माल, यात्री छोटे पार्सल या कूरियर आदि के लिए अलगअलग मौडल के हाइपरलूप डैवलप कर रही है.

– हाइपरलूप वन में वर्ल्डवाइड बिजनैस डैवलपमैंट के ऐलन जेम्स ने बताया था, ‘10-10 सैकंड के अंतराल पर चल रहे पौड्स प्रत्येक दिशा में हर घंटे 20 हजार यात्रियों को ढो सकते हैं. इसी तरह हरेक मालवाहक पौड 70 टन सामान ढो सकता है.’

बुलेट की रफ्तार

हाइपरलूप तकनीक से पहले हमारे देश में पिछले एक दशक से बुलेट ट्रेन लाने की बात जोरशोर से की जा रही है. हालांकि अभी तक ऐसी कोई ट्रेन देश में नहीं चल सकी है, लेकिन जापानचीन ने इस मामले में कई रिकौर्ड कायम कर डाले हैं. उल्लेखनीय है कि जापान में 60 के दशक में, जबकि फ्रांस, ब्रिटेन और जरमनी में 80 के दशक में बुलेट ट्रेनें दौड़ने लगी थीं.

60 के दशक में जब जापान में बुलेट ट्रेनें चलाई गईं तब वहां ऐसी ट्रेनों को हाई स्पीड ट्रेन कहा जाता था. वहां सब से पहले टोक्यो और ओसाका के बीच हाई स्पीड ट्रेन सेवा शुरू की गई थी. इस के बाद 80 के दशक में फ्रांस, ब्रिटेन और जरमनी ने भी हाई स्पीड रेल नैटवर्क की शुरुआत की. आज यूरोप के ज्यादातर देशों में हाई स्पीड ट्रेनें चलती हैं.

चीन में नई बुलेट ट्रेनें चलाने के बाद वहां का हाई स्पीड रेल नैटवर्क 9,300 किलोमीटर का हो गया. जापान में सब से पहले 1964 में टोक्यो और ओसाका के बीच हाई स्पीड ट्रेन सेवा शुरू की गई थी. जापान में बुलेट ट्रेन को ‘शिनकांसेन’ कहा जाता है. इन ट्रेनों का संचालन जापान रेलवेज ग्रुप करता है जिस में 4 कंपनियां शामिल हैं.

जापान में बुलेट ट्रेनें फिलहाल 2,388 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग पर चलती हैं और इन की औसत गति 240 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे रहती है. इस के अलावा एक मिनी शिनकांसेन यानी मिनी बुलेट या हाई स्पीड रेलमार्ग भी है जिस पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेन चलती है.

जापान में बुलेट ट्रेनों की गति बढ़ाने के प्रयोग भी समयसमय पर किए जाते रहे हैं. जैसे वर्ष 1996 में वहां 443 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक बुलेट ट्रेन चलाई गईर् थी. इस के बाद 2003 में मैगलेव ट्रेन को 581 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चला कर जापान ने विश्व कीर्तिमान बनाया था. हालांकि तेज गति के रिकौर्ड बनाने के मामले फ्रांस की टीजीवी (ट्रेने ग्रैंडे विटेसे यानी हाई स्पीड ट्रेन) किसी से पीछे नहीं रही है. वर्ष 1972 से 2007 के बीच फ्रांस की इस बुलेट ट्रेन ने कई बार तेज रफ्तार के कीर्तिमान कायम किए.

फ्रांस की राष्ट्रीय रेल सेवा एसएनसीएफ द्वारा संचालित टीजीवी ने यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता किए बगैर 3 अप्रैल, 2007 को 574.8 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने का रिकौर्ड अपने नाम किया है. खास उल्लेखनीय बात यह है कि टीजीवी आज दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई है और यूरोप जाने वाले पर्यटक इस से यात्रा करना नहीं भूलते हैं.

ब्रिटेन जरमनी आगे आए

फ्रांस की तरह ही जरमनी और ब्रिटेन की बुलेट ट्रेनें भी वहां के रोजमर्रा के जीवन में शामिल हो चुकी हैं. वे वहां लंबी दूरी की यात्राओं का सुविधाजनक विकल्प साबित हो रही हैं. फ्रांसीसी बुलेट टीजीवी की सफलता देखने के फौरन बाद जरमनी ने भी अपने यहां हाई स्पीड रेल नैटवर्क बनाने और उन पर बुलेट ट्रेनें चलाने का फैसला किया था, लेकिन इस मामले में पैदा हुए कानूनी विवादों के कारण जरमनी की बुलेट ट्रेन इंटरसिटी ऐक्सप्रैस (आईसीई) का संचालन शुरू होने में 10 वर्ष का विलंब हो गया, लेकिन जब जरमन इंटरसिटी ऐक्सप्रैस ने पटरियों पर दौड़ना शुरू किया तो इस ने कार्यकुशलता और विशेष रूप से समय पर ट्रेनों के आवागमन के मामले में उल्लेखनीय सफलता हासिल की. आज जरमनी की ये बुलेट ट्रेनें यूरोप के आरपार रोजाना हजारों यात्रियों का सफर आसान बना रही हैं. जापान, फ्रांस, जरमनी ब्रिटेन समेत आज यूरोप के ज्यादातर देशों में हाई स्पीड ट्रेनें चलती हैं.

मैगलेव भी पीछे नहीं

वर्ष 2013 में जापान ने एक ऐसी रेलगाड़ी का सफल परीक्षण किया था जिस की रफ्तार 500 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. खास बात यह रही कि यह ट्रेन लोहे की पटरियों पर नहीं बल्कि पटरी से ऊपर हवा में अदृश्य चुंबकीय ट्रैक पर दौड़ती है. फिलहाल वहां पलक झपकते नजरों से ओझल हो जाने वाली ऐसी 5 ट्रेनें बनाई गई हैं जो वर्ष 2027 में लोगों को रिकौर्ड रफ्तार के साथ बने सफर का आनंद देंगी. इन ट्रेनों को ‘मैगलेव’ नाम दिया गया है, क्योंकि ये चुंबकीय ट्रैक पर हवा में फिसलती हैं.

मैगलेव का मतलब है मैगनेटिक लैविटेशन. इन तेज रफ्तार ट्रेनों को दौड़ने के लिए न पहिए चाहिए, न ऐक्सल, न बियरिंग. मैगलेव तकनीक विद्युतचुंबकीय चमत्कार की देन है. इस के लिए लोहे की परंपरागत पटरियों के बजाय नई तरह की चुंबकजडि़त पटरियां बिछाई जाती हैं. असल में चुंबक के चारों ओर अदृश्य चुंबकीय क्षेत्र होता है. हर चुंबक की शक्ति उस के सिरों पर सब से अधिक होती है. ये सिरे धु्रव कहलाते हैं, उत्तरी धु्रव (एन) और दक्षिणी ध्रुव (एस).

चुंबक के सिरों के ये नाम पृथ्वी के धु्रवों के अनुसार रखे गए हैं. चुंबक के विपरीत धु्रव एकदूसरे की ओर आकर्षित होते हैं जबकि समान धु्रव यानी उत्तरीउत्तरी या दक्षिणीदक्षिणी धु्रव एकदूसरे से दूर भागते हैं. जब किसी सुचालक चीज जैसे तांबे के तार में बिजली का करंट दौड़ता है तो उस के चारों ओर अदृश्य चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है. इस तरह बनाए जाने वाले चुंबक विद्युतचुंबक कहलाते हैं.

चुंबकीय ताकत से चलने वाली मैगलेव ट्रेनों का यही रहस्य है. पटरी पर लगे इलैक्ट्रोमैगनेटों के तीव्र चुंबकीय बल के कारण ये हवा में कुछ सेंटीमीटर ऊपर उठ जाती हैं ओर चुंबकों के कारण ही हवा में सरपट फिसलती हैं. पटरी और ट्रेन में लगे चुंबकों के कारण आकर्षण और विकर्षण बल पैदा होते हैं जिस के कारण रेलगाड़ी हवा में सरकती जाती है.

इलैक्ट्रोमैगनेट क्षणभर के लिए चुंबकीय क्षेत्र को पलट देते हैं तो तेज विकर्षण बल पैदा होता है, इस से रेलगाड़ी हवा में टिकी रहती है. ये एक बार फिर चुंबकीय क्षेत्र को बदल देते हैं और ट्रेन आगे निकल जाती है. हर पल कई बार यही क्रिया लगातार दोहराए जाने पर रेलगाड़ी तेजगति से भागती रहती है. खास बात यह है कि  मैगलेव तकनीक से सामान्य वातावरण में ट्रेन 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है.

न फंसें विज्ञापनों के भ्रामक जाल में

16 वर्षीय सान्या अपने चेहरे के सांवलेपन और पिंपल्स से बहुत परेशान थी. उस ने अनेक उपाय किए पर कोई फायदा न हुआ. फिर उस ने टीवी पर एक ब्यूटी क्रीम का विज्ञापन देखा, जिस में चेहरे को गोरा व बेदाग बनाने की बात कही जा रही थी. विज्ञापन से प्रभावित हो कर सान्या ने भी वह क्रीम औनलाइन और्डर कर दी.

क्रीम की डिलीवरी पा कर सान्या खुश थी. उसे लग रहा था कि अब जल्द ही वह गोरी व बेदाग त्वचा की मलिका हो जाएगी. क्रीम पर लिखे निर्देशानुसार रात को सान्या ने कुछ दिन क्रीम लगाई. लेकिन इस से सान्या का पूरा चेहरा लाल होने लगा था और पूरे चेहरे पर जलन और खुजली मचने लगी.

अब सान्या को पछतावा हो रहा था कि क्यों उस ने बिना सोचेसमझे विज्ञापन के झांसे में आ कर इतनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली. सान्या जैसे अनेक किशोर विज्ञापन से आकर्षित हो कर कोई भी प्रोडक्ट खरीद लेते हैं और धोखा खा जाते हैं. बदले में उन के पास सिवा पछतावे के कोई और उपाय नहीं बचता.

औनलाइन शौपिंग : धोखे की गुंजाइश ज्यादा

रोहन कई दिन से अपने लिए आईपैड खरीदने की सोच रहा था, लेकिन सभी आईपैड उस के बजट से बाहर थे. ऐसे में एक दिन इंटरनैट पर उस ने औनलाइन एक आईपैड देखा, जो उस के बजट में मिल रहा था. रोहन ने बिना सोचेसमझे आईपैड और्डर कर दिया.

जब आईपैड आया तो पता चला कि उस की कोईर् गारंटीवारंटी नहीं थी. साथ ही आईपैड की मैन्यूफैक्चरिंग डेट भी बहुत पुरानी थी. शायद इसीलिए उसे वह आईपैड मार्केट रेट से कम दाम में मिल गया था. सस्ते के चक्कर में आ कर रोहन को पुराने आईपैड से ही काम चलाना पड़ा.

इसी तरह कई औनलाइन फैशन साइट्स पर आकर्षक ड्रैसेज बहुत कम कीमत पर मिलने का विज्ञापन दिया जाता है और किशोर विज्ञापन के झांसे में आ कर औनलाइन शौपिंग कर लेते हैं, लेकिन जब ड्रैस उन के सामने आती है तो न तो ड्रैस का कलर वह होता है जो विज्ञापन में दिखाया गया होता है और न ही उस का फैब्रिक.

इसलिए औनलाइन शौपिंग करते समय सिर्फ विज्ञापनों के वादों पर न जाएं बल्कि पूरी तरह जांचपड़ताल करने के बाद ही शौपिंग करें और साथ ही अगर औनलाइन शौपिंग में कैश औन डिलीवरी का औप्शन हो तो वही लें ताकि आप डिलीवरी के बाद प्रोडक्ट की जांचपरख कर ही पेमैंट करें.

विज्ञापन और सेहत से खिलवाड़

टीवी पर दिखाए जाने वाले कई विज्ञापनों में दिखाया जाता है कि फलांफलां टौनिक पीने से आप की हाइट बढ़ जाएगी और फलां जूस पीने से आप का वजन कम हो जाएगा और आप किसी फिल्मी स्टार की भांति स्लिमट्रिम और फिट दिखने लगेंगे. ऐसे विज्ञापनों के झांसे में आने से बचें और बिना डाक्टर की सलाह के कोई हैल्थ टौनिक न लें.

किशोरावस्था में लड़कों को बौडी बनाने की और लड़कियों को खूबसूरती बढ़ाने और मैंटेंड फिगर पाने की चाहत होती है, जिस के चलते वे विज्ञापनों के झांसे में आ जाते हैं और सेहत से खिलवाड़ कर बैठते हैं. जहां पैसे की तो बरबादी होती ही है, सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

एक के साथ एक फ्री का लालच

कई बार किशोर किसी मौल या शौपिंग स्टोर में जाते हैं और वहां जा कर एक के साथ एक फ्री या बाय वन गैट टू फ्री के झांसे में आ जाते हैं और बिना जरूरत का सामान भी खरीद लाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि स्कीम में  उन्हें सस्ता सामान मिल रहा है जबकि यह कंपनियों की स्ट्रेटजी होती है. वे अपना सामान निकालने के लिए ऐसी युक्तियां रचते हैं, वह प्रोडक्ट मार्केट में आउटडेटेट हो चुका होता है इसलिए ऐसा सामान खरीदने से बचें.

तंत्र मंत्र यंत्र के धोखे

वे किशोर छात्र जो पढ़ाई में कमजोर होते हैं परीक्षा में सफलता पाने के लिए देर रात आने वाले रत्नों, मंत्रों और यंत्रों के विज्ञापनों के झांसे में आ जाते हैं जो दावा करते हैं कि उक्त रत्न को धारण करने से उन्हें परीक्षा में सफलता मिलेगी.

ये विज्ञापन वास्तव में सिर्फ छलावा होते हैं जो अपना धंधा चमकाने के लिए किशोरों को मेहनत की राह से भटकाते हैं जिन के भरोसे रह कर छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ कर रत्नों के जरिए सफलता पाने की आस में रहते हैं, लेकिन जब परीक्षा परिणाम आता है तो उन के सामने वास्तविकता आती है.

इसलिए अपनी मेहनत और लगन पर विश्वास रखें और ऐसे अंधविश्वास भरे विज्ञापनों के भ्रामक जाल से बचें.

पेरैंट्स की सलाह लें

कोई भी शौपिंग करने से पहले पेरैंट्स की सलाह लें. सिर्फ विज्ञापनों में दिखाए गए वादों पर भरोसा न करें, क्योंकि विज्ञापनों में सिर्फ प्रोडक्ट की खूबियों को उजागर किया जाता है, सब अच्छाअच्छा दिखाया जाता है. अगर विज्ञापन में कोई उत्पाद आप को पसंद आता भी है तो उसे खरीदने से पहले किसी ऐसे व्यक्ति की राय लें जिस ने वह उत्पाद प्रयोग किया हो यानी विज्ञापन के दिखावों पर न जाएं अपनी अक्ल लगाएं.

जब सजाना हो बच्चों का बेडरूम

बच्चों का बेडरूम सजाते समय सभी माता-पिता को बहुत मजा आता है. वे अपनी सारी कल्पनाएं बच्चे के कमरे को सजाने में लगा देना चाहते हैं. यदि आप भी अपने बच्चे का बेडरूम सजाना चाहते हैं, कुछ विशेष बातों का का ध्यान जरूर रखें.

कमरे के बनाएं कलरफुल

ब्राइट कलर के खिलौने, बीन बैग, बेडशीट, कुशन्स, लॉन्ड्री बेस्केट आदि से बच्चों के कमरे को कलरफुल लुक मिलेगा.

आकर्षक हो बेडरूम

बच्चों के बेडरूम के लिए आजकल मार्केट में तरह-तरह के शेप व साइज के फर्नीचर उपलब्ध हैं, जैसे- बंक बेड, रेस कार बेड, बर्ड या एनिमल शेप की चेयर आदि. इन्हें खरीदकर आप अपने बच्चे के बेडरूम को और भी आकर्षक बना सकती हैं.

फर्नीचर

बच्चों के बेडरूम के लिए फर्नीचर चुनते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि उनके कॉर्नर नुकीले न हों, वरना बच्चों को चोट लग सकती है.

बच्चों के लिए जरूरी

अपने बच्चे में पढाई के प्रति रूचि पैदा करने के लिए उसके कमरे की एक दीवार पर इंफॉमेंटिव टाइल्स लगाएं, इससे उसका कमरा खूबसूरत भी लगेगा और क्रिएटिव भी. बच्चों के कमरे में कम से कम फर्नीचर रखें, ताकि उन्हें खेलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके.

बेडरूम के रंग

बच्चें के कमरे को ब्लू, पिंक, यलो, पर्पल, ऑरेंज जैसे ब्राइट कलर्स से पेंट करवाएं. बच्चें का बेडरूम सजाते समय उनकी भी सलाह लें. इससे आप अपने बच्चे की कल्पनाशक्ति के बारे में भी जान सकेंगे.

बच्चों के खेल

बच्चे के रूम में छोटा सा टेन्ट लगाकर आप उसे अपने खिलौनों के साथ वहां पर खेलने को कहें, ऐसा करने में उसे बहुत मजा आएगा.

कार्टून

बच्चों के कमरे की दीवार पर उनकी पसंद के कार्टून कैरेक्टर के पोस्टर या वॉल पेपर लगाएं. अपने पसंदीदा कैरेक्टर से बातें करना बच्चों को अच्छा लगता है.

यौनजनित बीमारियां : शरमाना मना है

यौनजनित एलर्जी व संक्रमण को ले कर अकसर लोग बात करने से झिझकते, जबकि निजी व शर्मिंदगीभरी बात समझ कर छिपाने से कई बार गंभीर रोगों का रूप ले लेता है. इसलिए यौन संबंधी एलर्जी को ले कर डाक्टरों से खुल कर परामर्श व उपचार लें.

यौनजनित एलर्जी एवं रोगों का पता नहीं चल पाता, क्योंकि यह थोड़ा निजी सा मामला है. इस बारे में बात करने में लोग झिझकते हैं और अकसर चिकित्सक या परिजनों को भी नहीं बताते. जहां यौन संसर्ग से होने वाले रोग (एसटीडी) कुछ खास विषाणु एवं जीवाणु के कारण होते हैं, वहीं यौनक्रिया से होने वाली एलर्जी लेटेक्स कंडोम के कारण हो सकती है. अन्य कारण भी हो सकते हैं, परंतु लेटैक्स एक प्रमुख वजह है.

यौन संसर्ग से होने वाले रोग

एसटीडीज वे संक्रमण हैं जो किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संसर्ग करने पर फैलते हैं. ये रोग योनि अथवा अन्य प्रकार के सैक्स के जरिए फैलते हैं, जिन में मुख एवं गुदा मैथुन भी शामिल हैं. एसटीडी रोग एचआईवी वायरस, हेपेटाइटिस बी, हर्पीज कौंपलैक्स एवं ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) जैसे विषाणुओं या गोनोरिया, क्लेमिडिया एवं सिफलिस जैसे जीवाणु के कारण हो सकते हैं.

इस तरह के रोगों का खतरा उन लोगों को अधिक रहता है जो अनेक व्यक्तियों के साथ सैक्स करते हैं, या फिर जो सैक्स के समय बचाव के साधनों का प्रयोग नहीं करते हैं.

कैंकरौयड : यह रोग त्वचा के संपर्क से होता है और अकसर पुरुषों को प्र्रभावित करता है. इस के होने पर लिंग एवं अन्य यौनांगों पर दाने व दर्दकारी घाव हो जाते हैं. इन्हें एंटीबायोटिक्स से ठीक किया जा सकता है और अनदेखा करने पर इन के घातक परिणाम हो सकते हैं. कंडोम का प्रयोग करने पर इस रोग के होने की आशंका बहुत कम हो जाती है.

क्लैमाइडिया : यह अकसर और तेजी से फैलने वाला संक्रमण है. यह ज्यादातर महिलाओं को होता है और इलाज न होने पर इस के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. इस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, परंतु कुछ मामलों में योनि से असामान्य स्राव होने लगता है या मूत्र त्यागने में कष्ट होता है. यदि समय पर पता न चले तो यह रोग आगे चलकर गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या पूरी प्रजनन प्रणाली को ही क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिस से बांझपन की समस्या हो सकती है.

क्रेब्स (प्यूबिक लाइस) : प्यूबिक लाइस सूक्ष्म परजीवी होते हैं जो जननांगों के बालों और त्वचा में पाए जाते हैं. ये खुजली, जलन, हलका ज्वर पैदा कर सकते हैं और कभीकभी इन के कोई लक्षण सामने नहीं भी आते. कई बार ये जूं जैसे या इन के सफेद अंडे जैसे नजर आ जाते हैं. कंडोम का प्रयोग करने पर भी इन जुंओं को रोका नहीं जा सकता, इसलिए बेहतर यही है कि एक सुरक्षित एवं स्थायी साथी के साथ ही यौन संसर्ग किया जाए. दवाइयों से यह समस्या दूर हो जाती है.

गोनोरिया : यह एक तेजी से फैलने वाला एसटीडी रोग है और 24 वर्ष से कम आयु के युवाओं को अकसर अपनी चपेट में लेता है. पुरुषों में मूत्र त्यागते समय गोनोरिया के कारण जलन महसूस हो सकती है, लिंग से असामान्य द्रव्य का स्राव हो सकता है, या अंडकोशों में दर्द हो सकता है. जबकि महिलाओं में इस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते. यदि इस की चिकित्सा समय से न की जाए, तो जननांगों या गले में संक्रमण हो सकता है. इस से फैलोपियन ट्यूब्स को क्षति भी पहुंच सकती है जो बांझपन का कारण बन सकती है.

हर्पीज : यह रोग यौन संसर्ग अथवा सामान्य संपर्क से भी हो सकता है. मुख हर्पीज में मुंह के अंदर या होंठों पर छाले या घाव हो सकता है. जननांगों के हेर्पेस में जलन, फुंसी हो सकती है या मूत्र त्याग के समय असुविधा हो सकती है. यद्यपि दवाओं से इस के लक्षण दबाए जा सकते हैं, लेकिन इस का कोई स्थायी इलाज मौजूद नहीं है.

एचआईवी या एड्स : ह्यूमन इम्यूनोडैफिशिएंसी वाइरस अथवा एचआईवी सब से खतरनाक किस्म का यौनजनित रोग है. एचआईवी से पूरा तंत्रिका तंत्र ही नष्ट हो जाता है और व्यक्ति की जान भी जा सकती है. एचआईवी रक्त, योनि व गुदा के द्रव्यों, वीर्य या स्तन से निकले दूध के माध्यम से फैल सकता है. सुरक्षित एवं स्थायी साथी के साथ यौन संबंध रख कर और सुरक्षा उपायों का प्रयोग कर के एचआईवी को फैलने से रोका जा सकता है.

पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज : पीआईडी एक गंभीर संक्रमण है और यह गोनोरिया एवं क्लेमिडिया का ठीक से इलाज न होने पर हो जाता है. यह स्त्रियों के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है, जैसे फैलोपियन ट्यूब. गर्भाशय या डिंबग्रंथि में प्रारंभिक अवस्था में कोई लक्षण स्पष्ट नहीं होते. परंतु इलाज न होने पर यह बांझपन या अन्य कई समस्याओं का कारण हो सकता है.

यौनजनित एलर्जी : इस तरह की एलर्जी की अकसर लोग चर्चा नहीं करते. सैक्स करते वक्त कई बार हलकीफुलकी एलर्जी का पता भी नहीं चलता. परंतु, एलर्जी से होने वाली तीव्र प्रतिक्रियाओं की अनदेखी नहीं हो सकती, जैसे अर्टिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा के लक्षण, और एनाफाइलैक्सिस. इन में से कई एलर्जिक प्रतिक्रियाएं तो लेटैक्स से बने कंडोम के कारण होती हैं. कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि वीर्य से एलर्जी, गस्टेटरी राइनाइटिस आदि.

लेटैक्स एलर्जी : यह एलर्जी कंडोम के संपर्क में आने से होती है और स्त्रियों व पुरुषों दोनों को ही प्रभावित कर सकती हैं. लेटैक्स एलर्जी के लक्षणों में प्रमुख हैं- जलन, रैशेस, खुजली या अर्टिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा के लक्षण और एनाफाइलैक्सिस आदि. ये लक्षण कंडोम के संपर्क में आते ही पैदा हो सकते हैं.

यह एलर्जी त्वचा परीक्षण या रक्त परीक्षण के बाद पता चल पाती है. यदि परीक्षण में एलजीई एंटीबौडी मिलते हैं तो इस की पुष्टि हो जाती है, क्योंकि वे लेटैक्स से प्रतिक्रिया करते हैं. लेटैक्स कंडोम का प्रयोग बंद करने से इस एलर्जी को रोका जा सकता है.

वीर्य से एलर्जी : बेहद कम मामलों में ऐसा होता है, लेकिन कुछ बार वीर्य में मौजूद प्रोटीन से स्त्री में इस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है. कई बार भोजन या एनसैड्स व एंटीबायोटिक्स में मौजूद प्रोटीन पुरुष के वीर्य से होते हुए स्त्री में एलर्जी करने लगते हैं. इस का लक्षण है –

योनि संभोग के 30 मिनट के भीतर योनि में जलन. अधिक प्रतिक्रियाओं में एरियूटिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा और एनाफाइलैक्सिस आदि शामिल हैं. प्रभावित महिला के साथी के वीर्य की जांच कर के इस एलर्र्जी की पुष्टि की जा सकती है.

दरअसल, नियमित यौन जीवन जीने वाले महिलाओं व पुरुषों को किसी विशेषज्ञ से प्राइवेट पार्ट्स की समयसमय पर जांच कराते रहना चाहिए. इस से यौनजनित विभिन्न रोगों का पता चलेगा और उन से आप कैसे बचें, इस का भी पता चल सकेगा. यदि ऐसी कोई समस्या मौजूद हुईर्, तो आप उचित इलाज करा सकते हैं. यह अच्छी बात नहीं है कि झिझक या शर्र्म के चलते ऐसी बीमारियों का इलाज रोक कर रखा जाए. यदि आप को या आप के साथी को ऐसी कोईर् बीमारी या एलर्जी हो, तो तत्काल विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

(लेखक ब्लूम आईवीएफ ग्रुप के मैडिकल डायरैक्टर हैं.)

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