ऐसे तो रिश्ता टूटेगा ही

पतियों को लगातार हड़काने वाली औरतों को दिल्ली के उस पेंटर पति से सबक लेना होगा, जिस ने गुस्से में आ कर अपने 8 वर्षीय बेटे के सामने पत्नी को सिर पर फावड़ा मार-मार कर मार डाला और फिर लाश को बोरे में भर कर सड़क पर डाल आया. यह पति मजदूरी करता था पर अच्छे पढ़े-लिखे घरों में लाखों पति ऐसे होंगे जिन का खून उस पेंटर पति की तरह उबलता हो.

दरअसल, औरतें भूल जाती हैं कि पति कैसा भी हो, कम से कम उन की जबान चलाने से तो वह बदल नहीं सकता. कभीकभार का गुस्सा तो ठीक है पर लगातार शिकायती लहजा अपनाए रखना, रातदिन पतियों की गलतियों, कमियों, सुविधाओं के अभावों, रिश्तेदारों के व्यवहारों पर कमैंटरी करना चाहे औरतें अपना अधिकार व कर्तव्य समझती हों पर पतिपत्नी के बीच विवादों की जड़ आमतौर पर यह लगातार नैगिंग ही होती है जो अच्छेभले पति को पटरी से उतार देती है.

पतिपत्नी में डोमैस्टिक वायलैंस की जड़ में भी यही बड़बड़ाहट होती है और पतियों

का शराब या दूसरी औरतों का सहारा लेने के पीछे यही वजह भी होती है. यह संभव है कि बहुत पतियों में बहुत कमियां हों पर यह पक्का है कि वे कमियां पत्नी के आदेशों, उपदेशों, तानों, कड़वे वचनों, रोनेधोने, धमकियों से दूर नहीं हो सकतीं.

पतिपत्नी का जोड़ा एक विशिष्ट सामाजिक देन है और जब तक जोड़ा बना है दोनों एकदूसरे का पूरक बनें. बायां हाथ हर वह काम नहीं कर सकता जो दायां हाथ कर सकता है और पत्नी को बाएं हाथ का पूरक बनना होता है. उसी तरह पति को पत्नी

के कामों में नुक्स निकालने की जगह खुद काम करने की आदत डालनी चाहिए.

हर पति और हर पत्नी अलगअलग होते हैं. पड़ोस के या रिश्ते के पतिपत्नी क्या कर रहे हैं या क्या कर सकते हैं, यह आदर्श बात नहीं बन सकती. ऊपर वाली घटना में पत्नी पति से कोई जौब लेने को कह रही थी पर यदि पति में क्षमता या योग्यता न हो तो पत्नी के कहने से तो जौब नहीं मिलेगी न?

पतिपत्नी का जोड़ा जब टूटता है तब बहुत कुछ टूटता है, चीनी के बरतन की तरह. इस जोड़े को संभाल कर रखना होता है, इस पर लोहे की पतीली की तरह कल्छी नहीं मारी जा सकती.

आपको लोटपोट कर देगा बॉलीवुड सितारों का ‘अप्रैल फूल’

अप्रैल फूल का दिन ही एकमात्र समय होता है जब हर किसी को किसी दूसरे को मूर्ख बनाने का मौका मिलता है. क्या आपने कभी विचार किया है कि हमारे बॉलीवुड सितारे भी किसी से मजाक कर सकते हैं, अगर हां तो किस-किस के और कितने बड़े-बड़े.

तो आज 1 अप्रैल यानि कि ‘मूर्ख दिवस’ पर हम आपके लिए अपने बॉलीवुड सितारों के कुछ आकर्षक ‘अप्रैल फूल’ के किस्से यानि कि कुछ लोगों के बेवकूफ बनने की तो कुछ लोगों को बेवकूफ बनाने की कहानियां लेकर आए हैं. तो अपने पसंदीदा कलाकारों द्वारा दी गई इस हंसी की खुराक का आनंद लीजिए…

विद्या बालन

फिल्मों के आने के कुछ समय पहले अदाकारा विद्या को उस दिन बड़ा आश्चर्य हुआ जब उन्हें 1 अप्रैल के दिन एक उपहार मिला. वे उस तोहफे को लेकर बहुत ही उत्साहित थी और उसे जल्दी से खोलना चाहती थी. लेकिन जैसे ही उन्होंने उसे खोला, उन्हें एक बड़ा सा पंच मिला क्योंकि उस तोहफे में पैक किया हुआ एक पंचिंग बैग था! यकीनन उनका सिर कुछ समय तक घूमता रहा होगा और फिर कुछ समय बाद उन्हें ये एहसास हुआ कि उन्हें ‘अप्रैल फूल’ बनाया गया था! “

अमिताभ बच्चन

अमिताभ के अनुसार कॉलेज के दिनों में वे कई बार इसके शिकार हो चुके हैं. उन्हीं घटनाओं में से एक घटना के बारे में हम आपको बताना चाहते हैं कि “एक बार बिग बी के एक दोस्त ने उन्हें फोन किया और उनसे जल्द से जल्द अदालत पहुंचने के लिए कहा, क्योंकि उनका दोस्त अपने माता-पिता की इच्छाओं के विरुद्ध शादी कर रहा था इसलिए वे जल्दी से समय पर अदालत पहुंचे और वहां पहुंच कर उन्हें यह महसूस हुआ कि उन्हें मूर्ख बनाया गया था!”

शाहरुख खान

“ये बात तो हम सब जानते हैं कि शाहरुख के बच्चे उनसे बहुत मजाक करते हैं और उनके साथ कई शरारते करते हैं. लेकिन एक दफा शाहरुख खुद बहुत आश्चर्य में पड़ गए जब कुछ ऐसा ही मीडिया ने उनके साथ किया था. जब उन्हें एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए मुंबई के ताज लैंड एंड होटल में जाना था और जैसे ही वे स्थल पर पहुंचे, तभी सभी मीडिया वाले और पत्रकार अपना-अपना स्थान छोड़कर ये कहकर जाने लगे कि शाहरुख ने आने में देर की है, वे लेट आएं हैं और सभी लोग उनसे नाराज हैं. इससे पहले कि शाहरुख कुछ कह सकते या सोच सकते, वहां मौजूद सभी लोगों ने उनके चेहरे के भावों को देखकर ताली बजाते और हंसते हुए कहा कि यह ‘अप्रैल फूल’ की एक शरारत थी!

आलिया भट्ट

इसमें कोई नयी बात नहीं है कि “मीडिया ने हमेशा आलिया को उनकी बुद्धि, जिसे सभी न के बराबर ही मानते हैं, के लिए लक्ष्य बनाया है. तो एक बार, एक ये खबर अखबार में आई कि आलिया अपनी फिल्म के लिए गंजी होने जा रही हैं. समाचार पढ़ने के बाद आलिया चौंक गयी थी, बाद में उन्हें पता चला कि यह एक अप्रैल फूल की शरारत है जो मीडिया ने उनके साथ की थी!”

सोनाक्षी सिन्हा

अपने स्कूल के दिनों मे सोना बहुत ही बड़ी प्रैंक मास्टर रहीं हैं. उन्होंने एक बार अपने स्कूल की एक शिक्षिका की किताब में छिपकली रख दी थी, जब उनकी शिक्षिका ने उस किताब को खोला, तो वे इतना डर गई थी, कि बहुत जोर से चिल्लाई पर पूरी कक्षा में सब चुप थे, लेकिन सभी ने इसका बहुत मजा लिया!”

अजय देवगन

अजय तो अपने बारे में भी यही कहते हैं कि “वे एक बड़े मसखरे आदमी हैं. एक बार अजय ने अपने निर्देशक को बुलाया और कहा कि वे उनकी फिल्म को बीच में ही छोड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि वे गलत दिशा में जा रहे हैं और उन्हें गलत कहानी मिल गई है. वह यह सुनकर उनके निर्देशक बहुत चकित हो गये. बाद में अजय ने उन्हें बताया कि अजय उनको अप्रैल फूल बनाने की कोशिश कर रहे थे! “

सनी लियोनी

हम आपको बता दें कि एक दफा 1 अप्रैल को सनी को एक बड़े निर्माता फोन करके ये कहते हैं कि वे सन्नी से मुंबई के ताज लैंड एंड होटल में मिलना चाहते हैं क्योंकि वे सनी को अपने अगले प्रोजेक्ट मे कास्ट करना चाहते हैं. सनी समय पर वहां पहुंच गई पर वहां उन्हें कोई नहीं मिला, बाद में उन्हे बताया गया कि वे बेवकूफ बन चुकी हैं!

गोविंदा और संजय दत्त

संजय दत्त और गोविंदा ने मिलकर एक बार सेट पर एक कैमरामैन को बेवकूफ बनाया था. एक फिल्म की शूटिंग करते वक्त, वो कैमरामैन हमेशा शॉट खत्म होते ही एक पेड़ के पास जाता था और जब यह वाकिया 2-3 बार हुआ तो संजय दत्त और गोविंदा ने जाकर उसे बताया कि उस पेड़ पर एक भूत रहता है और अब, वो भूत उसे परेशान करेगा.

बस ये जानने के बाद वह कैमरामैन इतना डर गया कि वह शूटिंग के लिए कभी वापस ही नहीं आया. फिल्म के निर्माता को बाद में इस वजह से थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा.

बचपन की याद दिलाते हैं ये धारावाहिक

भारत में टीवी का आगमन देर से हुआ था, लेकिन दूरदर्शन के लिए धन्यवाद, यह हमारे लिए कभी बोर नहीं था. दूरदर्शन सब मजेदार, नाटक, मनोरंजन और मूल्य की शिक्षा थी, जिसे हम आधुनिक युग के सास-बहू के धारावाहिक से कभी नहीं सीख सकते थे.

दूरदर्शन के कुछ धारावाहिक हमारे बचपन का हिस्सा थे.

तेनाली रमन

तेनाली रमन सीरियल बुद्धिमान चुटकुले और जीवन सबक से भरा था, न कि हमारी पीढ़ी, बल्कि हमारे दादा दादी भी इसे देखना पसंद करते थे.

अलिफ लैला
अलिफ लैला प्रत्येक दिन के लिए एक नई कहानी के साथ हमें देखने को मिलता था,

ब्योमकेश बक्षी

शर्लक होम्स के संस्करण, ब्योमकेश बक्षी धारावाहिक में एक जासूस की कहानी को बताया जाता था.

कैप्टन व्योम

कैप्टन व्योम ने भारतीय विज्ञान-कथा, कहानियों को एक नए स्तर पर दिखाया. इसे पहले से बेहतर प्रदर्शित किया.

चंद्रकांता

चंद्रकांता की कहानी ने न केवल सच्चे प्यार को दिखाया और प्यार के प्रति हमारे विश्वास को मजबूत किया. बल्कि क्रूर सिंह की शक्ति में भी जोर दिया.
चित्रहार

90 के दशक के दौरान चित्रमय चित्रमाला “चित्रहार” को देखे बिना या सुने बिना अधूरे थे.

देख भाई देख

देख भाई देख एक कॉमेडी धारावाहिक था, देख भाई देख ने हमें सिखाया कि कैसे जीवन के उतार-चढ़ाव के दौरान, परिवार हमेशा एक साथ रहता है.

फौजी

इस धारावाहिक ने भारतीय सेना की महिमा की और हमें उन कठोर प्रशिक्षणों को दिखाया, जिसके माध्यम से सबने जाना की भारतीय फौजी कैसे देश की रक्षा करते है. इस धारावाहिक से शाहरुख खान भी मशहूर हुए थे. शाहरुख खान इस धारावाहिक में मुख्य भूमिका में थे.

जंगल बुक  

यह धारावाहिक रुडयार्ड किपलिंग की पुस्तक पर आधारित थी और बच्चों के रूप में देखने के लिए सबका पसंदीदा कार्टून था. कौन मोगली, शेर खान और बगीरा की कहानियों को भूल सकता है.
महाभारत
इस महाकाव्य धारावाहिक का "मैं समय हूं" हिस्सा पूरे घर को सजाने के लिए अभी भी पर्याप्त है. महाभारत सभी के लिए बहुत पसंदीदा धारावाहिक था.
मालगुडी डेज
इसी नाम की आर के नारायण की पुस्तक के आधार पर, मालगुडी का काल्पनिक शहर यह सीरियल सेट किया गया था, इस धारावाहिक में एक भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को सही ढंग से दर्शाया गया है.

शक्तिमान

भारतीय धारावाहिक के सबसे अच्छे और सबसे प्यारे सुपर हीरो के साथ सभी सुपरहिरों की कमी को पुरा करने के लिए धारावाहिक शक्तिमान बना हुआ था. 
श्रीमान श्रीमति
इस कहानी को "प्यार पड़ोसी" सा शाब्दिक रूप से लिया गया था, लेकिन फिर भी सब अपनी क्लासिक पंचलाइनों के लिए इस कॉमेडी को देखना पसंद करते थे. अभी भी केशू, दिलरुबा, कोकी और प्रेमा जी को याद किया जाता है.

सुरभि

टीवी पर सबसे लोकप्रिय सांस्कृतिक शो सुरभि था, यह एक इतिहास सबक या एक यात्रा की कहानी बताता था.

विक्रम बेताल
यह सीरियल शैक्षणिक योग्यता की सही परिभाषा दर्शाता था, जहां बेताल ने राजा विक्रमादित्य को जीवन के पाठकों के साथ कहानियों को बताया और माता-पिता ने इसे अपने बच्चों को देखने और इस से सीखने के लिए एक बिंदु बनाया.
जबान सम्भाल के
यह शो 90 के दशक के एक आम आदमी की दुर्दशा को हाइलाइट करता है, जो शिक्षित होने के बावजूद भी कितनी परेशानियों का सामना करता है.

लिखने के अलावा भी बहुत काम आता है ‘चॉक’

चॉक से ब्लैक-बोर्ड पर लिखने में कितना मजा आता था. स्कूल में हम मौका ढूंढते थे की कब टीचर क्लास से जाएं और हम ब्लैक-बोर्ड पर रंग-बिरंगे चॉक से कलाकारी करे. आप अपने बच्चों के लिए भी घर पर स्लेट-पेंसिल खरीदी होगी. कुछ बच्चों को चॉक खाने की गंदी आदत भी लग जाती है. बदलते समय के साथ चॉक और ब्लैक-बोर्ड की जगह व्हाइट-बोर्ड और मार्कर ने ले ली है. पर कई स्कूलों में आज भी ब्लैक-बोर्ड और चॉक का इस्तेमाल किया जाता है.

पर क्या आप जानती है कि आप चॉक का इस्तेमाल घर पर भी कर सकती हैं? चौंकने की जरूरत नहीं है, चॉक आपके घर में कई तरह से काम आ सकता है.

1. चांदी के बर्तन चमकाएं

चांदी के बर्तन तो हर घर में शान से रखे जाते हैं. कभी-कभी इस्तेमाल में लाए जाने वाले चांदी के बर्तन धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगते हैं. पर अगर आप चांदी के बर्तनों के साथ चॉक के पीस रख देंगी तो, चांदी की चमक बरकरार रहेगी. चॉक हवा की नमी को सोख लेगा और चांदी के बर्तन सालों-साल सही रहेंगे.

2. जिद्दी दाग हटायें

स्याही से लेकर ग्रीज के निशान तक चॉक सब साफ कर सकता है. ग्रीज सबसे जिद्दी दाग है और इसे छुड़ाने में काफी मेहनत लगती है. पर चॉक से यह दाग भी आसानी से छुड़ाए जा सकते हैं.

चॉक स्टीक को पाउडर बना लें और दाग पर छिड़कें. रात भर के लिए छोड़ दें. अगली सुबह चॉक झाड़ दें. चॉक से पसीने के दाग भी आसानी से छुड़ाए जा सकते हैं.

3. टूल बॉक्स के औजारों की सुरक्षा

टूल-बॉक्स तो हर घर की जरूरत हैं. पर सालों साल रखे रखे टूल बॉक्स के औजारों में भी जंग लगने लगती है. अगर आप टूल बॉक्स में चॉक रख देंगी तो इनमें जंग नहीं लगेगा और औजार सालों-साल सलामत रहेंगे.

4. कपड़ों की बदबू को करें दूर

आप रोजाना कपड़े धोती हैं. पर अगर आप वर्किंग वुमन हैं तो यह काम रोजाना संभव नहीं है. आप लॉन्ड्री बैग में कपड़े डालती जाती हैं, पर लॉन्ड्री बैग में से कुछ समय बाद बदबू आने लगती है. इस समस्या का समाधान भी चॉक से किया जा सकता है. चॉक के कुछ स्टीक्स लॉन्ड्री बैग में डालने से बदबू दूर हो जाएगी.

5. चींटीयों की छुट्टी

आप कॉक्रोच और चींटियों को भगाने के लिए लक्ष्मण रेखा का प्रयोग करती हैं. पर क्या आप जानती हैं कि नॉर्मल चॉक से भी आप यह काम आसानी से कर सकती हैं? ये टिप आजमा कर जरूर देखें.

6. फर्नीचर की सेटिंग

आप अकसर अपने घर की सेटिंग बदलती रहती हैं. फर्नीचर हटा के प्लेस करना आसान नहीं है. उतने भारी-भरकम को बार-बार उठाके रखना बहुत मेहनत का काम है, और कई बार ये अकेले संभव भी नहीं होता. जरा से चॉक से आप अपना काम आसान कर सकती हैं. जहां पर फर्नीचर रखना है वहां चॉक से निशान बना दें. जब सेटिंग हो जाए तो चॉक के निशान को गिले कपड़े से पोंछ लें.

अब आप चॉक से घर के काम आसान करें और अपनी थोड़ी मेहनत बचाएं.

थ्रेडिंग के बाद होते हैं पिंपल्स, तो अपनाएं ये टिप्स

त्वचा से अनचाहे बालों को हटाने का ‘थ्रेडिंग’ एक अच्छा तरीका है. थ्रेडिंग हर प्रकार की त्वचा पर की जाती है, चाहे आपकी त्‍वचा संवदेनशील हो. स्टाइल और फैशन एक्सपर्टस वैक्सिंग की तुलना में थ्रेडिंग को एक अच्छा विकल्प मानते हैं, लेकिन थ्रेडिंग करना जहां पर एक अच्छा विकल्प है, वही इसके कुछ नुकसान भी होते हैं.

थ्रेडिंग करवाने से कई लोगों की त्वचा पर चकत्‍ते, लाली के साथ छोटे-छोटे दाने और पिंपल्स जैसी समस्याएं हो जाती हैं. अगर आपकी त्वचा पर भी इस तरह की कोई समस्या होती है तो इन उपायों को इस्तेमाल करके आप इनसे बच सकती हैं.

इस समस्याओं से बचने के उपाय…

– थ्रेडिंग करवाने से पहले त्वचा को गुनगुने पानी से धो लें. इससे आप ताजगी अनुभव करेंगी और आपको दर्द भी कम होगा.

– इसके बाद टोनर लगा कर त्वचा को थोड़ा सा नम सा कर लें. अगर आपकी त्वचा दाने वाली है तो, आप दाल चीनी पाउडर का इस्तेमाल भी टोनर के रूप में कर सकती हैं.

– थ्रेडिंग करवाने के बाद आब्रो पर बर्फ का इस्तेमाल करें, ताकि चेहरे पर जलन और किसी अन्य प्रकार का संक्रमण न होने पाए.

– थ्रेडिंग के बाद अपने चेहरे को गुलाब जल से धोएं. इससे आपकी त्वचा पर पिंपल्स नहीं होते हैं.

– कोशिश करें कि 12 से 24 मिनट तक अपने चेहरे को हाथ न लगाएं. ऐसा करने से चेहरे पर पिंपल्‍स या जलन पैदा हो सकती है.

– अपने आईब्रो पर क्लिंजर या मॉश्‍चराइचर का इस्तेमाल करें. यह एसिडिक उत्‍पाद त्‍वचा की बाहरी परत को हटा देता है.

– थ्रेडिंग करवाने के बाद ‘स्‍टीम ट्रीटमेंट’ यानि कि भाप का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.

सैक्स जानकार कैसोनोवा और क्लियोपेट्रा

29 वर्षीय प्रिया तंदुरुस्त शरीर की आकर्षक युवती है. उस की शादी हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन 3 साल में उसे एक भी रात वह यौनसुख प्राप्त नहीं हो पाया, जिस की हर युवती को चाह होती है. दूसरी ओर 28 वर्षीय कामकाजी रत्ना सिंह है जिस की शादी को 2 वर्ष हुए हैं. वह अपने पति की कामुकता से परेशान है. रत्ना थकीहारी अपने काम से आती है तो रात को पति कामवर्धक औषधियों का सेवन कर उस के साथ भी नएनए प्रयोग करता है.

दोनों ही स्थितियों में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिलता, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने यौन जीवन में संतुलन बनाएं. अगर किसी में यौन उत्तेजना सामान्य है तो उसे अतिरिक्त दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की यौन उत्तेजना में कमी है तो वह निम्न लवफूड्स का प्रयोग कर वैवाहिक सुख का आनंद ले सकता है.

एफ्रोडाइस संज्ञा एक ऐसा द्रव्य है जो समुद्र से निकली विशाल घोंघा मछली एफ्रौडाइट से प्राप्त होता है. एफ्रोडाइट को कामुकता का प्रतीक माना जाता है. इस के द्रव्य को एफ्रोडाइस कहते हैं.

एफ्रोडाइस, यौनशक्तिवर्द्धक द्रव्य है जिस से स्त्रीपुरुष में यौनशक्ति या यौन अभिरुचि उत्पन्न होती है.

प्राकृतिक रूप से हम ऐसे कुछ खाद्य पदार्थों से पहले ही परिचित हैं, जो यौन क्षमता बढ़ाते हैं, जिन में ऐसे फल व सब्जियां प्रमुख हैं जिन का आकार स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों से मिलताजुलता है. इन फल व सब्जियों के अंदर कुछ ऐसे गुण छिपे होते हैं जो मानव की यौन क्षमता को बढ़ाने में कारगर हैं. ये सभी फल पुरुष की कामुकता से जुड़े हैं, जबकि स्त्री की कामुकता बढ़ाने के लिए चैरी, खजूर, अंजीर, खास प्रकार की मछली और सीप जैसे खाद्य पदार्थ प्रमुख हैं.

केला एक ऐसा फल है, जिस में खनिज द्रव्य और ब्रोमेलिन प्रचुर में उपलब्ध है, जो पुरुष क्षमता को बढ़ाता है और यह फल सर्वसुलभ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सस्ता होने के कारण इस का प्रयोग आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं.

प्राचीन यूनान में जब अंजीर की फसल की कटाई शुरू होती थी तो रीतिरिवाज के अनुसार रतिक्रीड़ा की जाती थी. क्लियोपेट्रा को भी अंजीर बहुत पसंद थे जिन्हें वह चाव से खाती थी. सब फलों में प्राचीनतम माने गए फल द्राक्ष का संबंध भी कामोत्तेजक गतिविधि से जोड़ा जाता है. वैसे द्राक्ष का फल काफी उत्तेजक है और स्वादिष्ठ होता है.

19वीं शाताब्दी में फ्रांस में सुहागरात से पहले दूल्हे को जो भोजन दिया जाता था उस में शतावरी को विशेष स्थान दिया जाता था, जबकि काफी समय पहले एशिया के मध्यपूर्व देशों के सुलतान व अमीर उमरा गाजर को स्त्रियों की उत्तेजना बढ़ाने में सहायक मानते थे.

कुछ व्यंजनों को भी उत्तेजना बढ़ाने में सहायक माना गया है. उदाहरणस्वरूप चौकलेट. चौकलेट को परंपरागत रूप से उत्तेजक माना गया है. इसलिए सदियों पहले ईसाई पादरियों और ननों को चौकलेट खाने की सख्त मनाही थी. कच्चे घोंघों में प्रचुर मात्रा में जस्ता होता है जिस के सेवन से लंबे समय तक संभोगरत रहने की शक्ति बढ़ सकती है. भूमिगत गुच्छी यानी ट्रफल भी ऐसा ही महंगा व सुगंधित पदार्थ है.

शैंपेन को भी लंबे अरसे से प्यार का पेय माना गया है, जो शादी के अवसर पर या विजयोत्सव मनाते समय भी ऐयाश लोगों में पानी की तरह बहाया जाता है. कहा जाता है कि व्हिस्की पिलाने से औरत बहस करना बंद करती है. बियर से उसे यौन आनंद मिलता है. रम से वह सहयोग करने लगती है. शैंपेन से होश खो बैठने पर कामुक हो उठती है. केवियर एक ऐसी मछली है जो मनुष्य के शरीर में उत्तेजना बढ़ाती है. यद्यपि निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि ऐसा क्यों माना जाता है.

साधारणातया हम कह सकते हैं कि अधिक शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ दुर्लभ हैं और इन का मूल्य भी काफी है, इसी कारण लोग अधिक आनंद लेने के लिए इन के दीवाने हैं. डामैना को चाय की तरह उबाल कर नियमित एक कप पीने से हारमोंस नियंत्रण में रहते हैं और इस से शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है. एक प्रकार के लालमिर्च के मसाले से एंडोर्फोंस हारमोंस भी बढ़ाता है. गरम सूप या सौस पर मिर्च छिड़क कर प्रतिदिन खाने से भी लाभ होता है. अगर युवक जिनसेंग का प्रयोग करते हैं तो कामोत्तेजना अधिक होती है. अगर युवतियां इस का प्रयोग करती हैं तो उन की भी पिपासा बढ़ जाती है. जिनसेंग प्रसिद्ध चीनी द्रव्य है जो अश्वगंधा जैसा प्रतीत होता है.

भारत और मध्यपूर्व एशियाई देशों में लहसुन जोकि एक अच्छा विषाणुनाशक भी है, सदियों से युवकों की उत्तेजना बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. इस की अप्रिय दुर्गंध से बचाव के लिए खाने के बाद लौंग या छोटी इलायची का प्रयोग कर सकते हैं. प्याज और शहद का मिश्रण भी उपयोगी है. अदरक, लाल रास्फरी के पत्ते और गुड़हल या जाबा कुसुम कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी प्रचलित रहे हैं.

शहद से भी यह प्रकट होता है कि इस में भी कामवर्धक गुण हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध हो. कुछ समाज आज भी  नवविवाहितों को शहद का पान कराते हैं. फिर चांदनी रात हो आशा और अरमानों की अंगड़ाइयां लेती हुई नववधु हो, तत्पश्चात लज्जा और मर्यादा का आवरण धीरेधीरे हट रहा हो और फिर काम और रति का युद्ध शुरू हो, कैसी रोमांटिक कल्पना है? यह भी बता दें कि शहद में विटामिन  ‘बी’ और एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से कामोत्तेजक सिद्ध हुआ है.

मिस्र में हड्डियों का सूप यानी पाया का भी काफी चलन है. हलाल की गई भेड़ की टांग की हडिड्यों के साथ ताजा कटी प्याज, लहसुन, पुदीना, लालमिर्च आदि को एकसाथ डाल कर 2 घंटे तक मिश्रण कर जो लुगदी तैयार होती है उस का भक्षण कर न जाने कितने मध्य एशियाई तथा मिस्रवासियों ने महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं.

कामसूत्र में नीले सूखे कमल का चूर्ण, घी और शहद एकसाथ मिला कर खाने को कहा गया है, जिस से पुरुषों में खोई हुई शक्ति दोबारा लौट आती है. इसी प्रकार भेड़ा या बकरे के अंडकोश को उबाल कर चीनी डाल कर जो पेय बनता है, इसे पीने से भी अधिक शक्ति मिलती है.

इसी तरह इत्र या सुंगधित तेल की मालिश भी सुख के लिए लाभदायक है. ग्रीष्मऋतु की एक गरम शाम को ठंडी हवा का झोंका और प्रिया का उन्मुक्त्त स्पर्श इस से अधिक उत्तेजक और क्या हो सकता है.

एक कथानुसार साम्राज्ञी नूरजहां को पानी में गुलाब की पंखडि़या मिला कर स्नान करना पसंद था. एक दिन नहाने में देर हो गई तो उस ने देखा कि पानी के ऊपर एक तरल पदार्थ तैर रहा है. वह समझ गई कि यह गुलाब की पंखडि़यों से निकला इत्र है जो दालचीनी, तेल की तरह कामोत्तेजक है. इसी तरह वनिला, चमेली, धनिया और चंदन का लेप या इत्र लगाने से भी स्त्रीपुरुष उन्मुक्त होते हैं.

शराब और नशीले द्रव्यों से कुछ हद तक कामोत्तेजना बढ़ती है, लेकिन इन का नुकसान अधिक है. ये कामोत्तेजना द्रव्य नहीं हैं. इन की छोटी खुराक शुरू की शर्म व संकोच दूर करने में सहायक होती है, लेकिन यदि कोई स्त्री या पुरुष इन का अधिक मात्रा में लंबे समय तक सेवन करता है तो आगे चल कर युवक ढीला हो जाता है तथा युवती में चरमोत्कर्ष के आनंद को ले कर कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि इन से मस्तिष्क प्रभावित होता है.

इसी प्रकार मारीलुआना व वियाग्रा जैसे पदार्थ भी अस्थायीरूप से यौनसुख की इच्छा या संभोग सुख थोड़ाबहुत बढ़ाते हैं. पर बेहोशी की सी हालत में. आप को  वार्निंग दी जाती है कि कृपया ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि अगर एक बार आप इन के आदी हो गए तो इन से पीछा छुड़ाना मुश्किल है. वियाग्रा जैसी दवाएं डाक्टर के परामर्श के बाद ही प्रयोग करें. युवतियों में भी हारमोंस की कमी को डाक्टर की सहायता से पूरी करें.

फिर आखिरी सवाल यही है कि क्या सचमुच ऐसी दवा यौनशक्ति में वृद्धि करती है. ऐसी दवा केवल तब ही लाभप्रद होती है, जब आदमी का मन भी कामवासना की तृप्ति करने में सहयोग करे.

औषधि निर्माता व विक्रेता केवल जरूरतमंदों का मात्र आर्थिक शोषण करते हैं. अगर इंसान अपने खानपान व व्यायाम पर विशेष ध्यान देते हुए प्रकृति के नियमों का पालन करे तो उस की यौन क्षमता स्वत: ही बनी रहेगी.

– डा. प्रेमपाल सिंह वाल्यान

तलाक एक सामाजिक दुर्घटना है

विवाह बाद तलाक होने पर जिंदगी समाप्त नहीं होती. तलाक लेना घुटन, गालीगलौच, शक, आर्थिक संकट से भरी जिंदगी से ज्यादा अच्छा है, चाहे बच्चे हों या न हों. तलाक एक अंतिम उपाय है पर यह जीवन का अंत नहीं है. तलाकशुदा पुरुष या स्त्री को न तो संदेह की दृष्टि से देखा जाना चाहिए और न ही दया का पात्र बनाना चाहिए.

तलाक एक सामाजिक, पारिवारिक दुर्घटना है, एक गंभीर बीमारी है, एक सौदे में घाटा होना है और जीवन की मांग है कि उस के बाद हाथ झाड़ो और फिर नए सिरे से जिंदगी को खोजो.

करिश्मा कपूर ने अभिनेत्री के रूप में खूब नाम कमाया, पैसा भी कमाया होगा और इसलिए जब उन का 2003 में संजय कपूर से विवाह हुआ तो संजय से लोगों को ईर्ष्या हुई होगी कि ऐसी ट्रौफीनुमा पत्नी मिली.

पर अफसोस दोनों का विवाह 2 बच्चे होने के बावजूद चल न सका और 6 साल तक अदालती मुकदमों के बाद दोनों का 2016 में तलाक हो गया. अब संजय कपूर फिर विवाह कर रहे हैं. मजेदार बात यह है कि यह संजय की तीसरी शादी होगी और होने वाली पत्नी प्रिया की दूसरी. प्रिया का पहला विवाह अमेरिका के एक अमीर भारतीय होटल मालिक से हुआ था.

यानी विवाह और तलाक जीवन को समाप्त नहीं करते. ये जीवन जीने के तरीके हैं और इन को आसानी से ढालना सीखना चाहिए. आज से 75 साल पहले जब तलाक कम होते थे तब भी लड़कियां पति का घर छोड़ कर मायके आ बैठती थीं, चाहे उन्हें तलाक न मिला हो.

1956 के हिंदू विवाह कानून के पहले पति को दूसरा विवाह करने की कानूनी व सामाजिक इजाजत थी पर औरतों को सामाजिक इजाजत बिलकुल न थी. मुसलिम औरतों को तलाक के बाद फिर विवाह करने की सामाजिक आजादी भी थी.

तलाक के बाद विवाह कर लेने का अर्थ है कि सिर्फ दोस्ती से काम नहीं चलता और संबंध को कोई कानूनी आवरण तो चाहिए ही ताकि दोनों एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हो सकें. कानूनों की भरमार ऐसी है कि स्त्री व पुरुष यदि चाहें तो भी लंबे समय तक साथ नहीं रह सकते. इसलिए तलाक के बाद विवाह हो तो अच्छा ही है और उसे सामाजिक जबरदस्ती नहीं, व्यक्तिगत पसंद और फैसला समझा जाना चाहिए.

ऐसे बढ़ाएं अपनी आंखों की रोशनी

आपकी आंखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील अंग है. ये बात तो आपको बताने की नहीं है कि ये आकार में छोटी होने के बावजूद बहुत ही उपयोगी होती हैं, क्योंकि इसकी मदद से ही हम ये बेहतरीन दुनिया को देखते हैं. आंखों के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.

वैसे अक्सर देखा गया है कि आप अपनी आंखों का उतना ख्याल नहीं रखते हैं जितना कि शरीर के दूसरे अंगों का रखते हैं, जबकि आपको अपनी आंखों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. कई ऐसी चीजें हैं जिसके जरिये हम अपनी आंखों को स्वस्थ्य बनाए रख सकते हैं. हम यहां कुछ टिप्स लेकर आए हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी आंखों को स्वस्थ्य रख सकते हैं-

1. फल और सब्जियां
आपकी आंखों के लिए लाभकारी गाजर के अलावा, आपको अपने पौष्टिक आहार में फलों और सब्जियों की प्रचुर मात्रा को शामिल करना चाहिए. जैसे- गहरे हरे रंग का पत्तेदार साग, स्प्राउट्स, नट्स, संतरे और नींबू.

2. ओमेगा 3 फैटी एसिड
अपने भोजन में मछली को शामिल करें, क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इन मछलियों में सल्मोन, ट्यूना, और हलिबट मछलियां प्रमुख हैं. अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है.

3. उचित वजन
शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के लिए अपने वजन को नियंत्रित रखें, क्योंकि इससे डायविटिज का खतरा भी बढ़ सकता है, जिसका असर आपकी आंखों पर भी पड़ता है.

4. धूम्रपान या स्मोकिंग छोड़ें
स्मोकिंग सिर्फ आपके शरीर के कुछ मुख्य अंगों के लिए ही नुकसानदेह नहीं है, बल्कि ये आपकी नाजुक आंखों के लिए भी खतरनाक है. स्मोकिंग से बढ़ती उम्र से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

5. सूर्य की पराबैगनी या अल्ट्रावायलेट रोशनी से बचें
ध्यान दें कि सूर्य को कभी भी डायरेक्ट ना देखें, क्योंकि सूर्य से आ रही अल्ट्रावायलेट किरणें आपकी आंखों के रेटिना को खराब करती है. इससे आपकी आंखों में अंधापन (ब्लाइंडनेस) भी हो सकता है. 

6. आंखों को धोएं
रोज सुबह-शाम अपनी आंखों को 10 से 15 बार छींटे मारकर साफ पानी से धोएं. ऐसा करने से आपकी आंखों की थकावट दूर होगी. आप अपनी आंखों में बर्फ और ठंडे-गर्म पानी का इस्तेमाल न करें.

7. पर्याप्त नींद
रोज रात में पर्याप्त नींद लेकर सोने से आपकी आंखों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहते हैं और आपकी आंखें उचित तरीके से काम भी करती हैं. नींद की कमी होने पर आंखों में थकान, खुजली और जलन जैसी समस्या भी हो सकती है.

8. नियमित आंखों की जांच कराएं
अपने आंखों की दृष्टी को मजबूत बनाने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहना चाहिए, फिर चाहे आप किसी भी उम्र के हों. इससे आपको आपकी आंखों की समस्या के बारे में जानकारी मिलती रहेगी और आप अपनी आंखों के प्रति सतर्क रहेंगे.

वक्त रसोई में घुस जाने का नहीं

5 राज्यों के चुनावी नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि अब देश में एक नई तरह की राजनीति चलेगी. अब तक सामाजिक, धार्मिक मुद्दे सरकारों की नजर से अलग रहते थे पर अब जो सरकार में हैं उन की आम लोगों के सामाजिक व्यवहार, रीतिरिवाजों, धार्मिक अनुष्ठानों और परिवार व संस्कृति पर गहरी सोच है और वे उसे शासन का एक हिस्सा मानते हैं. अब सरकार केवल कर एकत्र करने, कानून व्यवस्था बनाने और सड़कों व इन्फ्रास्ट्रक्चर की ही चिंता नहीं करेगी वरन कौन क्या खाता है, क्या पहनता है, कैसे रहता है, कैसे विवाह करता है, भी सब शासन के हिस्से बन जाएंगे.

महिलाओं को अब अपनी जीवनशैली में बदलाव नजर आ सकता है, जिस के पीछे सिर्फ शिक्षा या बाजार न होगा वरन सरकारी फैसले भी हो सकते हैं. इस बारे में सरकार की नीति क्या होगी यह स्पष्ट नहीं है पर वह परंपरावादी जरूर होगी. इसलिए इन परिणामों को सिर्फ कुछ लोगों की सोच का जिम्मा मान कर रसोई में घुस जाना ठीक न रहेगा.

राजनीति जब घर में घुस जाए तो फर्क औरतों को ही पड़ता है. मुसलिम व ईसाई राजाओं ने भारत व यूरोप के देशों में सदियों औरतों पर कहर ढाया और उन्होंने जो आजादी पिछली 2 सदियों में पाई, वह केवल परिवार के पुरुषों से नहीं पाई, सरकारी फैसलों के विरुद्ध मोरचे खोल कर पाई.

देश की पिछली सरकारें आमतौर पर औरतों के अधिकारों के इक्कादुक्का कानून बना कर चुप बैठ जाती थीं. औरतों ने देश में अपने अधिकार मांगने या बढ़ाने के लिए कुछ ज्यादा नहीं किया. जो मिला वह तकनीक या आर्थिक जरूरत से मिला. फिर भी कांग्रेसी सरकारें भी लकीर की फकीर बनी रही थीं और नतीजा है कि छिटपुट हस्तियों के अलावा अधिकांश सत्ता पुरुषों के हाथ में ही रही.

जिन देशों में औरतों के अधिकार कम हैं वहां न केवल उन पर अत्याचार ज्यादा होते हैं, वहां हिंसा और युद्ध भी ज्यादा होते हैं, क्योंकि औरतों की सुरक्षा को देश, वाद और धर्म के नाम पर कुरबान कर दिया जाता है. इराक, ईरान, लीबिया, इजिप्ट, सीरिया ही नहीं, अधिकांश कैथोलिक ईसाई शासकों के देशों में भी औरतों का हाल बुरा है.

भारत की नई राजनीति क्या पिटारे खोलती है इस का एहसास है पर यह औरतों पर निर्भर करता है कि वे अधिक अधिकार मांगें और जो मिले हैं उन्हें छद्म रूप से घटाने न दें. आर्थिक मोरचे पर जो हो सो हो पर घरेलू मोरचे पर कुछ अप्रिय न हो और बराबरी के हक मिलें, यह देखना अब औरतों को खुद करना होगा.

अमेरिका में पिंक हैट क्रांति की शुरुआत इसीलिए हुई है कि वहां के नए राष्ट्रपति बेहद दंभी हैं और औरतों को खिलौना मानते हैं. उन्होंने अपने नए बजट में औरतों की परेशानियां बढ़ाने वाले बहुत से कदम भारी विरोध के बावजूद उठाए हैं. यह बीमारी दूसरे शासकों को न लगे इस के लिए प्रतिरोध औरतों को करना होगा, कोई और न करेगा. भारत की महिलाओं को पिछले 5-6 दशकों में जो मिला है उसे वे धर्म और संस्कृति के नाम पर कहीं खो न दें, उस के लिए उन्हें होशियार रहना होगा. पुरुष साथ देंगे, इस में संदेह ही है.

मीना कुमारी : काश आप मेरे इस खत का जवाब दे पाती

प्रिय मीना… आपको नाम से बुलाने का हक तो मुझे नहीं है. पर आपके नाम के साथ कौन सा विशेषण जोड़ के बुलाऊं, इस ऊहापोह से बेहतर है कि सिर्फ नाम से ही पुकारूं. ‘जी’ शब्द भी आपके सामने बहुत छोटा ही लगता है. खूबसूरती के सारे पर्यायों से ऊपर उठ चुकी हैं आप. माहजबीन बानो… आज आपको लोगों के दिलों में जिंदा रखने की जिम्मेदारी तो हम पत्रकारों और लेखकों की ही बनती है. पर वक्त के साथ साथ यादें धुंधली पड़ने लगती है. और शायद आपके साथ भी ऐसा ही हो रहा है.

खैर जन्मदिन पर और पुण्यतिथि पर तो याद करना फर्ज बन जाता है. पर अगर मैं आपसे कहूं की आप आए-दिन मुझे याद आती हैं तो क्या आप मानेंगी? शायद आपको मेरी बातें खोखली लगें. पर हकीकत है. चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था… पर उस सफर में भी आप याद आ गई.

आपसे इतनी लगाव की वजह तो मैं नहीं जानती. आपको ‘ट्रेजेडी क्वीन’ कहा जाता है, पर क्या वजह थी जो आपको ये ताज मिला? सिर्फ फिल्में ही वजह थी, या आपका निजी जीवन भी? इसका जवाब तो आप ही दे सकती हैं, और यह जमीनी हकीकत से परे है, क्योंकि अब इस इंसानों की दुनिया में सिर्फ आपकी कुछ फिल्में और कुछ नज्में ही बाकि हैं. हां, आप नज्में भी लिखती थी, और गुलजार साहब ने इसे प्रकाशित भी किया था. फिर भी शायरों के हुजूम में इन नज्मों को पढ़ने वाले कुछ ही लोग हैं, पर जो भी पढ़ा, इतना दर्द पाया कि आंखें चाह कर भी मुस्कुरा न पाई.

30 साल के फिल्मी करियर में 90 से ज्यादा फिल्में और फिर भी ‘ट्रेजेडी क्वीन’… उफ्फ… ये शब्द ही आपके नाम के साथ गलत जुड़ गया है. क्वीन ठीक था, पर ट्रेजेडी क्यों?

सुना है, आपके साथ काम करने वाले आपके नूर के आगे अपनी लाइनें भूल जाते थे. हम तो आज भी आपकी ब्लैक ऐंड व्हाइट फिल्में देखकर कायल हो जाते हैं. रंगीन में तो पता नहीं क्या होता… ट्रेजिक रोल्स को इतने बखूबी से निभाने का कारण क्या था? शायद असल जिन्दगी का अक्स भी रूपहले पर्दे पर ऊभर आता है, इसलिए तो 60 के दशक की औरतों की कहानी आपने बखूबी कही.

आपका दौर ही कुछ और था. जब एक अभिनेत्री के दम पर भी फिल्में सुपरहिट हो जाती थी. अभी का दौर अलग है कि शरीर पर कपड़ें कम हो तो फिल्में लोग पसंद करते हैं, पर यह एक तबके की बात है. आपको पसंद करने वाले लोग आज भी हैं. आपका वंशवृक्ष तो बंगाल तक फैला है. पढ़कर अचंभा हुआ की आपकी नानी रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार से थी. नृत्य और संगीत तो आपको विरासत में मिला, पर यह ‘ट्रेजेडी’ क्यों अपना ली आपने?

इश्क भी क्या खूब था आपका, जो बागों में नहीं पर अस्पताल के गलियारों में परवान चढ़ा. पूना के उस अस्पताल में कमाल साहब को उनकी ‘अनारकली’ मिल गई और शायद आपको आपका सलीम… पर अनारकली का अंत भी दर्दनाक ही था, तो क्या उस वक्त भी आपको मुगलों की वो कहानी याद नहीं आई? देर रातों तक लंबी बातों का सिलसिला शुरु हो गया था. 19 साल की उम्र में निकाह भी कर लिया और परिवार को भी नहीं बताया. यह इंकलाब ही तो था. पर जिस इंकलाब के जरिए आपने पिता का घर छोड़ दिया, वो इंकलाब इश्क में क्यों नहीं था? जब आप सबके दिलों पर राज करती हैं तो एक ऐसे इंसान की हर छोटी-बड़ी शर्त को क्यों माना? ये भी भूल गईं कि कमाल साहब पहले से शादीशुदा थे.

आपका हमसफर ही हर जगह सफाई देता हुआ पाया गया कि आप मां बनना नहीं चाहती. पर नरगिस को आपने कुछ शब्दों में ही हकीकत बता दी ‘कौन सी औरत, मां नहीं बनना चाहती.’ इतना दर्द कैसे छिपा लिया आपने? अकसर इश्क में लोग भूल जाते हैं कि पुरुषों को स्त्रियों की शौहरत बर्दाशत नहीं होती, आपके साथ भी तो यही हुआ.

दवा भी जहर बन जाती है. सोने के लिए एक पेग ब्रान्डी आपकी आदत बन जाएगी, ये तो शायद आपने भी नहीं सोचा था. आपने तलाक नहीं लिया, इश्क वैसे भी किसी को आजादी नहीं देता, उम्रभर का कैदी बना देता है.

पाकीजा को बनने में कितने साल लगा दिए, पर कोई कह नहीं सकता, कि उस फिल्म में आपकी उम्र में दस साल का अंतर है. 16 साल… एक बहुत लंबा अरसा होता है. और सिर्फ 1 गिन्नी में इतना कमाल कर दिया? यह फिल्म शायद आपकी जिन्दगी की हर कहानी कहती है. शायद आप जानती थी, कि इसके बाद आप फिल्में नहीं कर पाएंगी.

कुछ सवाल है जो अकसर दिमाग में आते हैं, जैसे कि, आपने किसी ऐसे से इश्क ही क्यों कर लिया कि आपने खुद से मोहब्बत करना छोड़ दिया. दूसरा सवाल ये, कि जब आपको शराब के ‘गुण’ पता है तो उसे महबूब बनाने की क्या जरूरत थी? फिर दिल से ही जवाब भी मिल जाते हैं, कि इश्क सोच-समझकर नहीं किया जाता, सोच और समझ के तो सारे रास्ते बंद ही हो जाते हैं.

मुझे आपसे बेइंतहा मोहब्बत है. इतनी ज्यादा कभी किसी फनकार से नहीं हो पाई. आज की दुनिया के लोग इस लगाव को न जाने क्या नाम दे. पर मैं सिर्फ आपकी फैन नहीं हूं… फैन शब्द भी बहुत छोटा है, उस एहसास को बयां करने के लिए जो आपकी फिल्में और नज्में पढ़कर मुझे होते हैं. जिन्दगी से यही गिला है मुझे, कि एक दफा हकीकत में आपसे रूबरू होने का मौका नहीं मिला.

जब भी पाकीजा देखती हूं, एक टीस उठती है दिल से… काश, कुछ साल और.. फिर लगता है हर खूबसूरत चीज का अंत खूबसूरत हो, ये जरूरी नहीं.

आपके एक जवाब के इंतजार में…

 

– संचिता पाठक

 

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