हॉलीवुड में सफल होंगी प्रियंका !

दोनों अभिनेत्रियां चाहे दीपिका पादुकोण हो या प्रियंका चोपड़ा दोनों ने वेस्टर्न वर्ल्ड में अपने काम की वजह से जगह बनायी है और वे उस समय वहां पहचानी गयीं जब वे हिंदी सिनेमा जगत की चोटी पर थीं. दोनों के अभिनय क्षमता को हॉलीवुड में भी पहचान मिली.

दीपिका की फिल्म एक्स एक्स एक्स रिटर्न ऑफ जेंडर केज, उनकी बेबी प्रोजेक्ट थी, जिसमें दीपिका ने काम किया, पर उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं रही. उनका अभिनय खुलकर सामने नहीं आया, फिल्म में कई बार ऐसा लगा की अभिनय में वह बात नजर नहीं आई जैसा कि हॉलीवुड के एक्टर कर रहे थे. ये चाहे भाषा का असर हो या परिवेश का, कहीं कुछ कमी तो होगी, जिसकी वजह से फिल्म सफल नहीं हो पाई.

अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जिनकी इंग्लिश एक्सेंट अच्छी है और पिछले कई सालों से अमेरिका में हैं और वहां की टीवी धारावाहिक ‘क्वांटिको’ की सेकंड सीजन में भी काम कर अवॉर्ड भी पा चुकी है, हो सकता है कि वह आगे भी तीसरे सीजन में काम करें.

दरअसल प्रियंका मीडिया फ्रेंडली हैं और वहां भी उनके फैन फॉलोअर काफी हैं. बहुत कम समय में उन्होंने अपनी पहचान टीवी जगत में बना ली है. अब प्रियंका अपनी अंग्रेजी फिल्म ‘बेवाच’ के प्रमोशन के लिए मुंबई आई हुई हैं, उनके हिसाब से उसने ‘वेस्टर्न वर्ल्ड’ में अपनी जगह बना ली हैं, जहां उन्हें काम के लिए उन लोगों ने खासतौर पर बुलाया है.

‘बेवाच’ उनकी पहली अंग्रेजी एक्शन फिल्म है, जिसमें उन्होंने नकारात्मक भूमिका निभाई है. फिल्म कैसी होगी? प्रियंका ने कैसी अभिनय की है? यह तो देखने के बाद ही पता चल पायेगा. लेकिन इतना कहना काफी होगा कि हॉलीवुड के निर्माता निर्देशक और एक्टर इसलिए बॉलीवुड की नामचीन एक्ट्रेस को अपनी फिल्मों में लेते हैं, ताकि उनकी फिल्म भारत जैसे इतनी जनसंख्या वाले देश में बॉक्स ऑफिस पर सफल हो.

जैसी हूं, वैसी ही रहना पसंद करती हूं : शिल्पा शेट्टी

फिल्म ‘बाजीगर’ से बॉलीवुड में कदम रखने वाली पतली और स्लीक बॉडी की धनी, ‘फिटनेस फ्रीक’ शिल्पा शेट्टी हमेशा से ही हेल्थ और फिटनेस पर ध्यान देती हैं. यही वजह है कि फिटनेस से जुड़ी किसी भी बात पर वह हमेशा आगे रहती हैं. उनकी हाइट अधिक होने की वजह से उनकी और अक्षय कुमार की जोड़ी काफी सराही गयी. वह खाना खूब खाती हैं, लेकिन वर्कआउट भी खूब करती हैं. दिन में एक घंटा समय वह अपने लिए अवश्य देती हैं, जिसमे मेडिटेशन खास होता है.

आई टी सी की फूड नेचुरल की ब्रांड अम्बेसेडर शिल्पा कहती हैं कि मुझे हर मौसम में वर्कआउट करना पसंद है. गर्मियों में मैं खासकर लिक्वीड ड्रिंक्स लेती हूं, जिसमें खासकर नारियल पानी, नीबू पानी, जूस, छास आदि है. जो नैचुरल है और घर पर आसानी से कम शक्कर के साथ बनाया जा सकता है. ये व्यक्ति को एनर्जी देती है और लोग इसे समझने भी लगे हैं.

गर्मियों में पसीने से शरीर से काफी मात्रा में पानी बाहर निकल जाता है, ऐसे में शरीर को हाइड्रेट करते रहना जरुरी है. इतना ही नहीं जो लोग एसी में काफी समय तक गर्मियों में रहते है, उन्हें भी अधिक से अधिक पानी पीना चाहिये.

शिल्पा को अपनी फिटनेस को बनाये रखने के लिए कोई प्रेशर नहीं रहता. काम का प्रेशर अधिक रहता है वह आगे बताती हैं कि काम के बावजूद भी मैं पूरी नीद लेती हूं, सही खाना खाती हूं, जिसमें तरल पदार्थ सही मात्रा में होना आवश्यक है वह केवल पानी नहीं, बल्कि किसी भी फॉर्म में लिक्वीड होना चाहिए.

सुबह की शुरुआत मैं एक गिलास पानी से करती हूं. चीनी खाने में जहर के समान होती है. इसका हमेशा कम प्रयोग सही होता है. मुझे हमेशा एक्टिव रहना पसंद है, समय मिले तो बेटे के साथ भी एक्टिव हो जाती हूं. इसके अलावा ओवर वर्क नहीं करती. शरीर की क्षमता को व्यक्ति खुद ही समझता है,क्योंकि कोई भी मशीन भी अगर अधिक देर तक आप चलाती है, तो वह भी क्रैश हो जाता है. बॉडी की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने के लिए सही नियमावली का पालन, खासकर गर्मियों में करनी चाहिए.

शिल्पा को गर्मियों में मेकअप लगाना एकदम पसंद नही. फिल्मों के अलावा दैनिक जीवन में वह केवल सनस्क्रीन और लिप बाम का प्रयोग करती हैं. गर्मियों में बाहर से आकर शावर लेकर वह मॉइस्चराइजर लगाना नहीं भूलती. इससे त्वचा की नमी कम नहीं होती. शिल्पा के केश बचपन से अच्छे हैं, जिसके लिए वह अपने माता-पिता को थैंक्स कहती हैं. वह अपने केशों को ‘सिर का ताज’ कहती हैं, जो हमेशा उनके खूबसूरती को बनाये रखती है. इसे अच्छा रखने के लिए उसे नियमित देखभाल करनी पड़ती है. सप्ताह में एक दिन ऑइल मसाज करवाती हैं और शैम्पू के बाद ब्लो ड्राई करती है. उनके हिसाब से संतुलित भोजन और सही वर्कआउट ही आपकी त्वचा और केशों को सही माइने में पोषण देती है.

शिल्पा हमेशा फिट रहती हैं, बेटा होने के बावजूद उन्होंने बहुत ही कम समय में वापस अपने वजन पर आ गयी. लेकिन कई बार फिल्मों में एक्टर या एक्ट्रेस भूमिका के हिसाब से अपना वजन घटाते और बढ़ाते हैं, ये कितना सही है, क्या आपने कभी ऐसा किया था? पूछे जाने पर शिल्पा कहती हैं कि मुझे ऐसी भूमिका नहीं मिली, लेकिन आजकल कई ऐसे कलाकार हैं जो इस तरह की चुनौतियों को लेना पसंद करते हैं और किरदार को पूरी न्याय देने के लिए वे ऐसा करते है. हेल्थ पर इसका असर अधिक नहीं पड़ता, क्योंकि वे डॉ. की सलाह के अनुसार ही करते हैं. वजन बढ़ाना और घटाना दोनों ही मुश्किल है. अगर वजन बढ़ाया है, तो उसे घटाने के भी कई तरीके है. जो वे ट्रेनर के साथ करते हैं.

शिल्पा आगे बताती हैं कि आजकल की महिलाएं खुद खाना बनाना पसंद नहीं करती, वे बाहर की जंक फूड और रेडीमेड फूड अधिक खाती हैं. मैं मध्यम वर्गीय परिवार में पली बड़ी हुई हूं, मुझे याद आता है, मेरी मम्मी और पापा दोनों ही काम पर जाते थे. इसके बावजूद मम्मी शाम का खाना खुद बनाती थीं. वह अधिकतर शनिवार को बाजार में जाकर अपने हाथों से चुनकर सब्जियां, मांस और मछलियां पूरे सप्ताह के लिए लाकर फ्रीज करती थी. इससे पूरे सप्ताह में हमें चिकन और फिश खाने को मिलता था. हर खाने को वह घी, नारियल तेल और वेजिटेबल ऑइल में पकाती थी. घर का खाना हमेशा सेहत के लिए अच्छा होता है. कामकाजी महिलाएं एकदिन खाना बनाकर फ्रीज कर उसे कई दिनों तक खा सकती हैं, क्योंकि हमारे इंडियन मसालें खासकर हल्दी, मिर्च, पुदीना, नीबू, गरम मसालें आदि में प्रिसर्वेटिव तत्व होते हैं, जो खाने को खराब होने से बचाते हैं.

चुकी ग्लैमर वर्ल्ड में बनावटी लोगों की भरमार है, ऐसे में शिल्पा स्पष्टभाषी है और किसी प्रकार की बनावटी लोगों को पसंद नहीं करती, कई बार उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, पर वह उसका सामना करने से नहीं घबराती. वह जोरदार हंसती हुई कहती हैं कि बनावटी बातें या चीजें देखने या सुनने में अच्छी लगती है, पर उसका असर हमेशा खराब होता है. जितना नैचुरल आप रहेंगे या खाना खायेंगे उतना ही आप स्वस्थ रहेंगे. मैं जैसी हूं वैसी ही रहना पसंद करती हूं. आपको हमेशा खुश रहना चाहिए, इससे लाइफ सिंपल बनती है.

आप के शिशु का मानसिक विकास अधूरा तो नहीं

‘‘आप की बेटी पढ़ाई में बहुत कमजोर है. उसे क्लास में पढ़ाया याद नहीं रहता,’’ जब टीचर रीमा को उस की बेटी अनिका के बारे में यह बता रही थी, तब उसे टीचर की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था. 3 साल की अनिका देखने में तंदुरुस्त थी और उस का कद भी उस की उम्र के हिसाब से सही थी, तो फिर उसे पढ़ने या याद करने में क्या दिक्कत हो सकती है? यही सोच रीमा परेशान हो रही थी.

रीमा ने घर आ कर अनिका के बरताव पर गौर किया, तो उसे समझ में आया कि अनिका एकाग्र हो कर न तो खेलती है और न ही पढ़ती है. उसे बहुत हैरानी हो रही थी कि क्यों कभी उस ने अनिका के इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया. रीमा का पूरा ध्यान उस की कदकाठी और वजन पर रहता था. यह सिर्फ रीमा की ही कहानी नहीं है. रीमा जैसी न जाने कितनी औऱ मांएं हैं, जो सिर्फ बच्चे की शारीरिक सेहत पर ध्यान देती हैं, लेकिन यह कभी नहीं सोचतीं कि बच्चे का मानसिक विकास भी बहुत जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार शिशु के शुरू के 1000 दिन उस के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं. इसलिए शिशु के पोषक तत्त्वों से युक्त आहार यानी न्यूट्रिएंट डैंस फूड पर खास ध्यान देना चाहिए, लेकिन बहुत कम पेरैंट्स अपने शिशु के दिमाग या मानसिक विकास पर चर्चा करते हैं…

जरूरी हैं पोषक तत्त्व

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के नियोनेटोलौजिस्ट डा. सतीश सलूजा कहते हैं, ‘‘भारत में बहुत कम अभिभावक बालरोग विशेषज्ञ से शिशु के मानसिक विकास से जुड़े आहार की बात करते हैं. अधिकतर अभिभावक सिर्फ शिशु के वजन, हाइट को ले कर फिक्रमंद हैं और इन्हीं से जुड़े आहार के बारे में पूछते हैं. अकसर यह भी देखा गया है कि लोग अपने परिवार के खानपान के हिसाब से ही शिशु का खाना निश्चित करते हैं. इस स्थिति में कई शिशु पोषक तत्त्वों जैसे आयरन, जिंक और कैल्सियम की कमी से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि मातापिता बच्चे के मानसिक विकास से जुड़े पोषक तत्त्वों की जरूरतों के बारे में डाक्टर से परामर्श लें.’’

गौरतलब है कि भारतीय अभिभावक अपने शिशुओं के मैक्रोन्यूट्रिएंट्स यानी प्रोटीन, कार्ब्रोहाइड्रेट और फैट पर तो ध्यान देते हैं, जिस से उन का शारीरिक विकास तो नजर आता है, लेकिन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स यानी जिंक, आयरन, कैल्सियम, विटामिन्स देने पर कम ध्यान देते हैं. इन की कमी से शिशु का मानसिक विकास प्रभावित होता है, जो शारीरिक विकास की तरह आंखों से तो दिखाई नहीं देता, लेकिन समय बढ़ने के साथ पता चलता है कि बच्चे का मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हुआ है. अगर समय रहते शिशु का मानसिक विकास नहीं हुआ तो इसे भविष्य में कवर करना नामुमकिन हो जाता है. भारत में 6 महीने से 23 महीने के बच्चों में सब से ज्यादा 49.5 फीसदी आयरन की कमी पाई गई है.

संपूर्ण विकास के लिए

1. गौरतलब है कि शुरुआती 6 महीने तक शिशु सिर्फ स्तनपान पर रहते हैं और 6 महीने का होने पर उन्हें स्तनपान के साथ ठोस आहार देना शुरू किया जाता है. लेकिन इस के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शिशु शुरू में आहार पचा नहीं पाते तो उन्हें आहार थोड़ा तरल कर के ही देना चाहिए. थोड़ा तरल आहार होने के साथ यह पोषक तत्त्वों से युक्त होना भी बहुत आवश्यक है.

2. शिशुओं का आहार बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. सब से जरूरी है कि उन के आहार में पहले साल नमक न डालें, क्योंकि उन में नमक पचाने की क्षमता नहीं होती.

3. नमक के अलावा चीनी का प्रयोग करने से भी बचाना चाहिए. इस से शिशु के निकलने वाले दांतों को नुकसान पहुंच सकता है और भविष्य में मोटापे का भी खतरा रहता है. सिर्फ खट्टे फलों को मीठा करने के लिए थोड़ी चीनी का इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्हें खाने में बिस्कुट और नमकीन देने की आदत न डालें.

4. प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट जैसे पोषक तत्त्वों के साथ शिशु को आयरन, जिंक और कैल्सियम युक्त पोषक तत्त्वों से भरपूर आहार देना भी महत्त्वपूर्ण है ताकि उन का संपूर्ण विकास हो सके.

5. उनके मानसिक विकास के लिए आयरन युक्त आहार देना जरूरी है, जिस में ब्रोकली, शकरकंदी, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोफू, मटर, मछली इत्यादि शामिल हैं.

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए

इसी तरह जिंक शिशुओं की इम्युनिटी में सहायक होता है. यह रैड मीट, दही, नट्स और साबूत अनाज में पाया जाता है. साबूत अनाज के भूसे में जिंक की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन जिंक की यह मात्रा पिसाई के दौरान लगभग खत्म हो जाती है. घर पर बने आहार से आयरन, जिंक और कैल्सियम की कमी को पूरा करना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि शिशु के पेट का आकार वयस्क के पेट से 5 गुना छोटा होता है. इसलिए शिशु बहुत ही सीमित आहार खा पाता है. इस स्थिति में शिशु के शरीर के पोषक तत्त्वों को पूरा करने के लिए फोर्टीफाइड आहार शामिल किया जा सकता है. इस में जिंक, आयरन और कैल्सियम जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शिशु के मानसिक विकास और इम्युनिटी को बरकरार रखने में मदद करते हैं.

मां का दूध है सर्वोत्तम

घर के बने आहार के  साथ आयरन, जिंक और कैल्सियम से भरपूर फोर्टीफाइड आहार को शिशु की डाइट में सम्मिलित कर उसे शारीरिक व मानसिक रूप से सक्षम बनाना महत्त्वपूर्ण है. शिशु के शुरुआती 2 साल में खानपान का खास खयाल रखना जरूरी है, क्योंकि बिना पोषक तत्त्वों से उसे भविष्य में कई तरह के विकार हो सकते हैं.

ठोस आहार के साथ स्तनपान का भी ध्यान रखें. मां का दूध शिशु के पोषण के लिए बहुत फायदेमंद है. इसे बिलकुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. शिशु के खानेपीने के साथसाथ समय पर वैक्सीनेशन पर भी ध्यान दें. जब भी शिशु को टीका लगवाने जाएं, तो उस की ग्रोथ को जरूर चैक करें.

इस तरह की छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर शिशु की संपूर्ण मानसिक व शारीरिक देखभाल की जा सकती है.

महत्त्वपूर्ण तथ्य

वैसे तो मां का दूध शिशु के लिए पूरा आहार होता है, लेकिन उस में आयरन और विटामिन सी जैसे मुख्य पोषक तत्त्व नहीं होते. अगर आप का शिशु 6 महीने से ज्यादा उम्र का हो गया है और उसे दूध के अलावा पोषक तत्त्वों से युक्त भोजन नहीं मिल रहा तो वह ऐनीमिया से ग्रस्त हो सकता है.

अलगअलग अध्ययनों के अनुसार शिशु का दिमाग 2 साल की उम्र तक 80 फीसदी तक विकसित हो जाता है और अगर इस उम्र में शिशु में पोषक तत्त्वों की कमी रह जाए, तो उसे पूरा करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.

महत्त्वपूर्ण बातें

1. शिशु को बैठा कर चम्मच से धीरेधीरे खिलाना चाहिए और बचे आहार को शिशु को दोबारा नहीं खिलाना चाहिए.

2. पहली बार जब शिशु को आहार दें, तो थोड़ी मात्रा में ही दें ताकि वह आसानी से पचा सके और उसे आहार का स्वाद महसूस हो सके.

3. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को पूरा करने के लिए पोषक तत्त्वों से युक्त फोर्टीफाइड आहार भी दिया जा सकता है.

कुछ ऐसे करें एक्वेरियम की साफ-सफाई

बहुत-से लोगों को अपने घर में फिश एक्वेरियम रखने का शौक होता है. इससे घर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. घर में एक्वेरियम रखने से मन को शांति और सुकून मिलता है. अधिकतर लोग इसे कमरे, लॉबी या डाइनिंग हॉल में रखना पसंद करते हैं. ऐसे में इसकी साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी होता है.

एक्वेरियम को साफ करने के लिए काफी सावधानी बरतनी पड़ती है ताकि एक्वेरियम टूट ना जाए. आईए जानें इसे साफ करने के तरीका.

– एक्वेरियम को साफ करने में कम से कम 1-2 घंटे लग जाते हैं इसलिए आराम से इसके लिए समय निकालें.

– सफाई शुरू करने से पहले एक्वेरियम का फिल्टर सिस्टम, लाइटिंग और हीटर को बंद कर दें ताकि साफ करते वक्त करंट न लगे.

– एक्वेरियम में लगे आर्टिफिशल पौधों को बाहर निकालें और साफ करें.

– इसके बाद बाल्टी में आधा पानी निकाल लें लेकिन ध्यान रखें कहीं मछलियों को कोई नुकसान न हो.

– धीरे-धीरे सारी मछलियों को नेट की मदद से बाहर निकालें और बाल्टी में रख दें.

– एक्वेरियम से सारा पानी निकालने के बाद इसकी अच्छे से सफाई करें. पानी की वजह से एक्वेरियम में काई जम जाती है इसलिए स्पंज की मदद से दीवारों को साफ करें.

– साफ पानी से एक्वेरियम को धोएं और कपड़े से अच्छे से सूखा लें.

– इसके बाद सारी चीजें अपनी जगह पर टिका दें और एक्वेरियम में साफ पानी भरें और मछलियों को बड़ी सावधानी से उसमें डालें.  

पचमढ़ी जहां मन हो जाए मदमस्त

इतिहास और खूबसूरती का अद्भुत रंग समेटे मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी के नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा की पहाडि़यों के बीच पहाड़ों और जंगलों से घिरे हिल स्टेशन पचमढ़ी में पर्यटकों को कश्मीर जैसी खूबसूरती व नेपाल की शांति मिलती है.

अगर आप भी कुदरत के सौंदर्य को नजदीक से निहारना चाहते हैं तो सुकून और प्रदूषणरहित वातावरण से भरपूर पचमढ़ी एक बेहतर प्लेस है. यहां की खूबसूरती और आबोहवा सिर चढ़ कर बोलती है. खुशबूदार हवा, फाउंटेन, मनमोहक पेड़पौधे, पहाड़ और दूरदूर तक फैली हरियाली आंखों के सामने नैसर्गिक सौंदर्य का संसार प्रस्तुत करते हैं. यहां का तापमान सर्दी में 4.5 डिगरी सैल्सियस और गरमी में अधिकतम 35 डिगरी सैल्सियस होता है.

यहां आप वर्ष भर किसी भी मौसम में जा सकते हैं. यहां की गुफाएं पुरातात्त्विक महत्त्व की हैं क्योंकि यहां की गुफाओं में शैलचित्र मिले हैं. यहां की प्राकृतिक संपदा को पचमढ़ी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संजोया गया है. पर्यावरण की दृष्टि से पचमढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए यहां पौलिथीन का उपयोग नहीं करने दिया जाता.

दर्शनीय स्थल

पांडव गुफा

पचमढ़ी की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित 5 गुफाओं को पांडव गुफा के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि ये गुफाएं गुप्तकाल की हैं और इन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था. ऐसी भी मान्यता है कि 5 पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इन गुफाओं में कुछ समय बिताया था. गुफा के ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से पूरी पचमढ़ी के सौंदर्य को निहारा जा सकता है.

अप्सरा विहार

पांडव गुफा से आगे 30 फुट गहरा एक ताल है जहां नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है. बच्चों के साथ घूमने के लिए यह एक बेहतरीन पिकनिक स्पौट है.

रजत प्रपात

अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस प्रपात से 350 फुट की ऊंचाई से गिरता इस का पानी एकदम दूध की तरह दिखाई देता है. अपने साथ एक जोड़ा कपड़ा ले जाएं ताकि इस प्रपात में स्नान कर सकें.

हांडी खोह

300 फुट गहरी यह खाई पचमढ़ी की सब से गहरी खाई है. खाई का अंतिम छोर जंगल के ऊंचेऊंचे पेड़ों के कारण दिखाई नहीं देता. घने जंगलों में ढकी इस खाई के आसपास कलकल बहते झरनों की आवाज सुनना अद्भुत आनंद देता है. ऊपर से देखने पर एक रोमांचभरी सिहरन पैदा होती है. स्थानीय लोग इसे अंधी खोह के नाम से भी पुकारते हैं. यहां बनी रेलिंग प्लेटफौर्म से पूरी घाटी का नजारा दिखाई देता है.

धूपगढ़

धूपगढ़ सतपुड़ा रेंज की सब से ऊंची चोटी है. यहां से सनसैट का व्यू काफी सुंदर दिखाई देता है. धूपगढ़ तक जाने के लिए अंतिम 3 किलोमीटर का रास्ता काफी घुमावदार है. बादलों के बीच में ही धीरेधीरे मलिन होते सूरज को देखना एक अनोखा अनुभव होता है.

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान

524 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह उद्यान जहां चीड़, देवदार, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य छोटेबड़े वृक्षों से ढका हुआ है वहीं यहां आप को बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू और रंगबिरंगे पक्षियों के भी दर्शन हो जाएंगे.

डचेश फौल्स

यह पचमढ़ी का सब से दुर्गम स्पौट है. यहां पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है. 700 मीटर का रास्ता जहां घने जंगलों के बीच से पार करना पड़ता है वहीं करीब 800 मीटर का रास्ता पहाड़ पर से सीधा ढलान का है, इसलिए काफी संभलसंभल कर चलना पड़ता है. लेकिन नीचे उतरने के बाद फौल में नहाने से सारी थकान पल में छूमंतर हो जाती है.

इस का नाम बी फौल्स इसलिए पड़ा क्योंकि पहाड़ी से गिरते समय यह झरना बिलकुल मधुमक्खी की तरह दिखता है. यहां आते समय अपने साथ स्पोर्ट्स शूज लाना न भूलें क्योंकि पहाड़ी रास्तों पर चलने के दौरान उन की जरूरत पड़ती है. यह 3 बजे बंद हो जाता है.

समुद्रतल से 1,100 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस शहर की आबादी लगभग 12 हजार है और यहां की जीवनशैली आज भी बाहरी चकाचौंध से अछूती है. प्रदूषणरहित वातावरण में कुदरत के सौंदर्य को निहारने के लिए इस छोटी सी सैरगाह में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें. इन में कई जगह कैमरे या हैंडीकैम का शुल्क है, इसलिए गाइड से पूछ लें कि यह शुल्क कहां जमा कराया जाए.

कहां ठहरें

पचमढ़ी में ठहरने की बहुत अच्छी व्यवस्था है. मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के भी हेरिटेज होटल और गेस्ट हाउस हैं जो विभिन्न आयुवर्ग की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. 

इस गर्मी आप दिखें कूल

गर्मी के शुरू होते ही घर से बाहर निकलने को दिल ही नहीं करता. धूप से बचते बचाते हम बाहर निकल तो जाते हैं मगर ऐसे बढ़ती हुई गर्मी में फैशन की सोचने की फुर्सत कहां है. लेकिन इस मौसम में फैशन में सुपरहिट रहना इतना भी मुश्किल नहीं है.

आज हम बता रहे हैं कि इस चिलचिलाती गर्मी में भी आप कैसे फैशनेबल दिख सकती हैं, फैशन में नया क्या है, जो आपको गर्मी से भी बचाएगा और ट्रेंडी भी दिखाएगा.

बाजार में कई समर क्लेक्शन आ चुके है साथ ही समर वियर में इस बार जॉर्जट मैक्सी, कॉटन कुर्ता और शर्ट्स काफी इन हैं. बात करें कलर्स और डिजाइन की तो पीच, लेमन, स्काई ब्लू और ग्रे कलर इस बार गर्मियों में सबसे ज्यादा पॉपुलर है.

ऐथेनिक वियर में खास चिकनकारी क्लेक्शन बाजार में उतारी गई है जॉर्जट पर चिकनकारी सूट सलवार और दुप्पटा आपको गर्मी से राहत के साथ साथ ट्रेंडी दिखने में भी मदद करेगा.

इस समय डिजिटल प्रिंट्स के ढेरों ऑप्शंस बाजार में मौजूद है. कुर्ता में हल्के रंगों के साथ इस बार एक्सपेरीमेंट किया गया है. फैशन एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों में आप भारी भरकम प्रिन्ट और डार्क कलर्स अवॉएड करें.

अगर आपका बजट थोड़ा कम है तो घबराए नहीं. थोड़े पैसे खर्च कर भी आप इन गर्मियों में स्टाइलिश दिख सकती हैं. स्ट्रीट मार्केट अफोर्डेबल रेंज में गर्मियों के कपड़ों की शॉपिंग का बेस्ट ऑप्शन है. यहां पर आपको टॉप्स, स्कर्ट्स, मैक्सी ड्रेसेज की ढेरों वेराएटी मिल जाएगी. वो भी आपके बजट में. गर्मियों से निपटने के लिए स्टोल्स की सबसे ज्यादा डिमांड होती है.

कौन हैं बॉलीवुड के रियल सुपरस्टार्स?

कहते हैं कि इंसान अपनी मेहनत से किसी भी मुकाम तक जा सकता है, मगर वो अपनी सफलता को कितने दिनों तक संजो कर रख सकता है, ये उसी पर निर्भर करता है. यूं तो बॉलीवुड में कई सुपरस्टार हैं जो अपनी मेहनत से रोज सफलता के नये नये झंडे गाड़ रहे हैं.

फिल्मों को दर्शक देखते हैं और दर्शक ही हैं जो एक आम इंसान को सुपरस्टार बनाते हैं. कई सितारों को तो इस बात की जानकारी होती है, वहीं कुछ सितारे ऐसे भी हैं जिन्हें अहसास भी नहीं होता कि उन्हें बनाने वाले उनके प्रशंसक ही हैं. यहां आज हम उन स्टार्स के बारे में बात कर रहे हैं, जो रील लाइफ और रियल लाइफ, दोनों में देश की जनता, सभी दर्शकों और देश-विदेश में उनके प्रशंसको के दिलों पर राज कर रहे हैं.

अमिताभ बच्चन

बात जब बॉलीवुड की कर रहे हैं, तो अमिताभ बच्चन का नाम इस मामले में सबसे बड़ा नाम है. क्या आप जानते हैं कि  हाल ही में अमिताभ बच्चन ने कुछ गरीब किसानों की पैसे देकर मदद की. इतना ही नहीं, अमिताभ यूनिसेफ (UNICEF) की महत्वकांक्षी परियोजना पल्स पोलियो और भारत सरकार की कैंपेन ‘सेव अवर टाइगर्स’ (Save Our Tigers) से भी जुड़े हुए हैं.

सलमान खान

यूं तो अभिनेता सलमान खान की पहचान इस देश के एक दबंग अभिनेता के तौर पर की जाती है. ये बात तो देश में लगभग सभी लोग जानते हैं कि सलमान अपना एक गैर-सरकारी सामाजिक संगठन बिइंग ह्युमेन (Being Human) चलाते हैं. इसकी मदद से वे उन कैदियों की मदद करते हैं, जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, मगर अपनी आर्थिक तंगी के चलते जेल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इसके अलावा सलमान खान कई जरुरमंदों लोगो को पैसे भी डोनेट करते हैं.

प्रियंका चोपड़ा

देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड की तो जान हैं ही, आजकल वे विदेशों में भी अपने हुनर के जलवे बिखेर रही हैं. ये बात जगजाहिर है कि आज वे सफलता की शिखर पर खड़ी हैं. अपनी एक्टिंग में बेस्ट देने के अलावा वे सामाजिक कार्य भी खूब करती हैं. वे देश-भर के कई गांवों में इको-फ्रेंडली प्रोजेक्टस चलाती हैं और इतना ही नहीं, वे एनडीटावी (NDTV) द्वारा चलाए जा रहे ‘ग्रीनाथन’ की ब्रांड एंबेसडर भी हैं.

ऐश्वर्या राय बच्चन

खूबसूरती की मिसाल ऐश्वर्या राय को आज पूरी दुनिया जानती हैं. अपनी एक्टिंग से ऐश्वर्या ने बॉलीवुड में एक अलग ही छाप छोड़ी है. सबसे अच्छी बात है कि ऐश्वर्या सामाजिक कामों से भी खूब लगाव रखती हैं. उन्होंने अपनी आंखें ‘Eye Bank Association of India’ को दान कर दिया है. इतना ही नहीं ऐश्वर्या राय जरुरतमंद लोगों के लिए एक ‘ऐश्वर्या राय फाउंडेशन’ भी चलाती हैं.

शाहरुख खान

बॉलीवुड के बादशाह कहे जाने वाले किंग खान को पूरी दुनिया में भला कौन नहीं जानता. अपनी एक्टिंग से लोगों को प्रभावित करने वाले किंग खान अपने सामाजिक कामों से भी लोगों को प्रभावित करते हैं. वे ‘मेक अ विश’ (Make-A-Wish) फाउंडेशन के मेंबर हैं. शाहरुख अपनी स्वर्गीय मां के नाम से एक ट्रस्ट भी चलाते हैं, जो गरीब और असहाय लोगों के लिए काम करता है. शाहरुख खान एक ऐसे कलाकार हैं, जो दिव्यांगों के लिए भी चैरिटी करते हैं.

दिया मिर्जा

बॉलीवुड की खूबसूरत एक्ट्रेस दिया मिर्जा कई सामाजिक संस्थानों से जुड़ी हुई हैं. वे कैंसर, एड्स, पेटा और NDTV के ‘ग्रीनाथन’ कैंपेन से भी जुड़ी हुई हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने लखनऊ स्थित प्रिंस ऑफ वेल्स जूलोजिकल (Prince of Wales zoological park) के दो चीता को भी अडोप्ट कर रखा है.

जॉन अब्राहम

बॉलीवुड के सबसे स्टाइलिस्ट और सेक्सी एक्टर जॉन अब्राहम भी कई ऐसे सामाजिक मुहिम से जुड़े हुए हैं, जो गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करता है.

शिल्पा शेट्टी

बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कमाई हुई फिल्मों की राशि में से कुछ राशि को एड्स जागरुकता अभियान के लिए डोनेट करती हैं. इतना ही नहीं, वे युवाओं के लिए कई बार कैंपेन करके और ऐसे ही कई माध्यमों के जरिए पैसे भी इकट्ठा कर चुकी हैं.

राहुल बोस

राहुल बोस की पहचान एक दमदार एक्टर के रूप में है. रियल लाइफ में भी वो ऐसे ही हैं. साल 2004 में आए सुनामी के दौरान उन्होंने अपने दम पर पैसे इकट्ठे किए थे. इतना ही नहीं, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कई संस्थाओं के साथ वे जुड़े हुए भी हैं.

शबाना आजमी

बौलावुड की दुनिया की शबाना आजमी को भला कौन नहीं जानता. एक्टिंग के साथ-साथ शबाना अपना एक एनजीओ भी चलाती हैं. एनजीओ की मदद से वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई स्कूल्स और कॉलेजों में गरीब छात्रों क आर्थिक मदद करती हैं. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सिलाई मशीन की भी व्यवस्था करती हैं.

विद्या बालन

भारत में चल रहे स्वच्छता अभियान के साख जुजडने के अलावा बॉलीवुड में मंजोलिका नाम से जानी जाने वाली अभिनेत्री विद्या बालन कई अन्य संस्थाओं से जुड़ी हुई हैं. इनमें से कुछ खास संस्थाएं बच्चों के लिए भी काम करती हैं.

प्रीति जिंटा

बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा महिला भ्रुण हत्या के खिलाफ हैं. वे इसके लिए खुले तौर पर काम भी करती हैं. इसके अलावा प्रीति विधवा महिलाओं और एड्स से ग्रसित व्यक्तियों की मदद करने का काम भी करती हैं.

अक्षय कुमार

बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार वाकई में एक दरियादिल इंसान हैं. देश में जब कभी भी कोई संकट आया है, उन्होंने खुल कर मदद की है. देश के किसानों और जवानों के लिए वे खास काम करते हैं. स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए भी वे कई संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं.

नाना पाटेकर

बॉलीवुड के सही मायने में सुपरस्टार हैं, नाना पाटेकर. वे हमेशा अपनी कमाई का 70 प्रतिशत किसानों और विधवाओं को दान कर देते हैं. उनकी सबसे अच्छी बात ये है कि वे इसका कभी प्रचार नहीं करते हैं.

कम पैसों और समय में करें बेहतर शॉपिंग

 

जैसे खाने-पीने का रूटीन टाइम पर बने रहने के लिए आप मेहनत करते हैं और ये आपके लिए बेहद जरूरी भी होता है. उसी तरह ग्रोसरी शॉपिंग टाइम पर की जाए यह भी जरुरी है. और अब जब ग्रोसरी शॉपिंग जरूरी है, तो आवश्यक है उन बातों को भी जानना जिनकी मदद से आप कम पैसों और कम समय में बेहतर शॉपिंग कर सकते हैं.

आइये जानते हैं बेहतर ग्रोसरी शॉपिंग के ये कुछ जरूरी टिप्स :

1. प्लान बनाएं

आपको सुनने में भले ही यह अजीब लगे शॉपिंग पर जाते समय यह कभी डिसाइड न करें कि आपको क्या-क्या खरीदना है. बेहतर है कि जब भी आपको जो सामान याद आए, उसे एक लिस्ट में अपडेट करते जाएं.

2. शॉपिंग लिस्ट हमेशा अपने साथ ले जाएं

अक्सर दुकान पर पहुंच कर हमें पता चलता है कि हम लिस्ट घर पर ही भूल आएं है इसीलिए शॉपिग पर जाने से पहले हमेशा याद से लिस्ट साथ रख लें. यह लिस्ट तब और भी जरूरी हो जाती है जब आपके पास सीमित समय हो और उसी दौरान आपको घर के लिए पूरा सामान अपडेट करना हो.

3. सामान का दुकानों के मुताबिक ग्रुप बनाएं

हमेशा सामान को एक ग्रुप में बांट लें इससे आपको पता रहेगा कि किस दुकान में जाकर क्या लेना और आपको कुल कितनी अलग-अलग दुकानों पर जाने की जरूरत है. इस बेहतर प्लानिंग से आप समय बचा सकते हैं.

4. लिस्ट से भटकें नहीं

आपने लिस्ट किसी खास वजह से बनाई है इसलिए जरूरी है कि आप उस पर टिके रहें. अपनी लिस्ट के प्रति ईमानदार रहेंगे तो फिजूल के खर्च से बचेंगे.

5. थोक में सिर्फ जरूरत का सामान ही

अक्सर हम ऑफर्स, छूट जैसे लुभावने प्रस्ताव की वजह से किसी चीज को ज्यादा क्वांटिटी में खरीद लेते हैं. आपको हमेशा वैराइटी का ध्यान रखना चाहिए जिससे आप जल्दी उबेंगे भी नहीं और थोक का सामान बर्बाद भी नहीं होगा.

6. एक हफ्ते की खरीदारी का मेन्यू बनाएं

रोजाना कुछ न कुछ खरीदने के लिए दुकान पर जाने से बेहतर है कि आप हफ्ते भर के सामान की लिस्ट एक साथ बना लें और उसी के मुताबिक सामान खरीदें. साथ ही, अगली शॉपिंग की तारीख भी तय कर लें. इससे घर पर अचानक सामान खत्म होने की स्थिति का सामना आपको नहीं करना पड़ेगा.

7. पीक आवर्स में शॉपिंग न करें

हमेशा शॉपिंग ऐसे समय पर ही करने जाएं जब भीड़ कम हो और पेमेंट के लिए लाइन छोटी हो. साथ ही आपके पास भी फुर्सत हो. हमें कोशिश करनी चाहिए कि शाम, रात और रविवार की दोपहर में शॉपिंग पर न जाएं. इस समय ज्यादातर लोग खरीदारी के लिए इकट्ठा होते हैं और समय का अभाव होने पर अक्सर कुछ न कुछ लेना छूट जाता है.

8. एक्सपायरी डेट चेक करें

जब भी कोई प्रोडक्ट खरीद रहे हों तो एक्सपायरी डेट चेक करें. इस बात को भी चेक करें कि पैकिंग में कोई खराबी न हो. कई बार कुछ चीजें जो छूट या कम रेट पर बेची जाती हैं वे अपनी एक्सपायरी डेट के नजदीक हो सकती हैं या उनकी पैकिंग में कोई खराबी हो सकती है. इसका सीधा-सा मतलब यह है कि उस चीज की क्वालिटी के साथ समझौता किया गया है.

9. किसी फ्रेंड के साथ शॉपिंग पर जाएं

जहां तक मुमकिन हो अपनी किसी ऐसी सहेली या पड़ोसन के साथ खरीददारी करने जाएं जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो और हेल्दी फूड में विश्वास रखती हो. शॉपिंग के दौरान जंक फूड के ऑप्शन आसानी से आपको ललचा देते हैं. खासकर जब जंक फूड के साथ ‘बाय वन गेट वन फ्री’ जैसे ऑफर मिलते हैं. ऐसे समय में ये फ्रेंड्स ही आपको ऐसी खरीदारी करने से रोकते हैं.

10. लेबल्स को समझें

कई प्रोडक्ट्स के पैक पर लो फैट जैसे शब्द लिखे होते हैं. अधिकतर इनको ढंग से समझ नहीं पाते हैं. अधिकतर लो फैट फूड्स में शुगर या नमक भरपूर मात्रा में होता है जो उसमें स्वाद के लिए डाला जाता है. खाने का सामान खरीदते समय उसमे मौजूद कैलोरीज के लिए न्यूट्रीशनल लेबल्स जरूर पढ़ें. कोई चीज कम कैलोरी वाली है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह हेल्दी भी है. आपको कैलोरी वैल्यू के लिए नहीं, बल्कि क्वालिटी वैल्यू के लिए खाना चाहिए.

समर ब्राइडल लुक्स के नये अंदाज

मौसम के करवट लेने के साथ ही ब्राइडल फैशन का मिजाज भी बदल गया है. गरमी के मौसम में दुल्हन बनने वाली ऐसे परिधान तलाशती हैं, जो उन की खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ आरामदायक भी हों. इस मौसम में वजनदार लहंगा व भारीभरकम गहने पहनने के अलावा मेकअप की मोटी परत चढ़ाना भी मुमकिन नहीं होता है और इस बात को फैशन इंडस्ट्री भी बखूबी समझती है. तभी तो फैशन के गलियारों में समर वैडिंग की दुलहनों के लिए वह सब मौजूद है, जो वे चाहती हैं.

आजकल की लड़कियां ट्रैंडी और स्टाइलिश आउटफिट्स पसंद करती हैं. अब पारंपरिक दिखने वाले शादी के लहंगे चैक लिस्ट से आउट हो चुके हैं. इस बाबत फैशन डिजाइनर श्रुति संचिति कहती हैं, ‘‘बौलीवुड फिल्मों में अभिनेत्रियों द्वारा पहने गए स्टाइलिश लहंगों का क्रेज आम लड़कियों में तेजी से बढ़ रहा है. पहले ज्यादातर दुल्हनें गहरे लाल रंग की जरी और सीक्वैंस वर्क वाले भारीभरकम लहंगे ही पहनती थीं, मगर अब नौन-ट्रैडिशनल कौन्सैप्ट वाले लहंगे, वैडिंग गाउन्स, घाघरा और स्कर्ट्स पसंद करती हैं.’’

आजकल लड़कियां पहले की शरमाई-सकुचाई दुल्हनों की तरह एक जगह बुत बन कर नहीं बैठतीं, बल्कि अपनी शादी के हर क्षण का लुत्फ उठाती हैं. वे बरातियों संग डांस भी करती हैं और मेहमानों का स्वागत भी. गर्मी के मौसम में शादी के जोड़े को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है. उस का दुल्हन को स्टाइलिश दिखाने के साथसाथ आरामदायक होना भी जरूरी है. श्रुति के अनुसार, ‘यदि शादी में लहंगा ही पहनना है, तो फैब्रिक, कलर और लहंगे पर हुए काम पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि इस मौसम में स्टाइल और कंफर्ट में संतुलन बैठाना जरूरी है.’

श्रुति समर में ये कुछ खास ट्रैंडी वैडिंग लहंगों के स्टाइल्स के बारे में बताती हैं:

1. समर वैडिंग के लिए ओंब्रे सिल्क फैब्रिक का बना लहंगा सब से आरामदायक विकल्प है. यह फैब्रिक वजन में तो हलका होता ही है, इसे कलर कौकटेल के लिए भी जाना जाता है. दरअसल, कई रंगों की शेडिंग इसे रचनात्मक बना देती है, इसलिए इस फैब्रिक को वैडिंग लहंगे के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस पर गोल्डन पैच वर्क बेहद खूबसूरत लगता है. इस तरह के लहंगे को क्रौप वैडिंग चोली के साथ पहना जा सकता है. हलकी शिफौन की चुन्नी इस लहंगे के लुक को पूरा कर देती है.

2. गैरपारंपरिक दुल्हनों के लिए सिल्वर क्रौप टौप के साथ स्करलेट रैड कलर का वैल्वेट से बना लहंगा भी एक आदर्श लहंगा हो सकता है. यदि लहंगे पर चौड़ा गोल्डन बौर्डर हो तो वह और भी स्टाइलिश लगेगा.

3. आजकल गोल्ड थ्रैड की ऐंब्रौयडरी वाले लहंगे भी काफी इन हैं. ये दिखते भारी हैं, मगर वास्तव में इन का वजन काफी कम होता है.

4. दुलहन के लहंगे में गोल्डन कलर का एक अलग महत्त्व होता है. यह एक ऐसा रंग है, जिस में ट्रैडिशनल और मौडर्न दोनों ही लुक देने की क्षमता होती है. इसलिए गोल्ड थ्रैड वर्क के साथ ही गोल्ड फ्लौवर मोटिफ्स से सजे लहंगे भी समर वैडिंग की दुलहनों के लिए अच्छे विकल्प हैं.

5. साटन फैब्रिक पर हाफ नैट कवरिंग के साथ ये लहंगे नौनट्रैडिशनल कौन्सैप्ट पर तैयार होते हैं, इसलिए डैस्टिनेशन वैडिंग के लिए सब से अच्छे रहते हैं.

6. अब दुल्हनें लाल पारंपरिक रंगों से हट कर रंगों का चुनाव करती हैं. समर वैडिंग के लिए तैयार लहंगों के रंगों में प्रयोग काफी पसंद किए जा रहे हैं. अब रैड फैमिली के लाइट कलर्स के साथ ही पिंक, ग्रीन, ब्लू और निओन कलर्स के लाइट शेड्स के ब्राइडल लहंगे भी तैयार हो रहे हैं.

6. लहंगों में हैरिटेज फैब्रिक्स जैसे बनारसी, कांजीवरम और चंदेरी का फैशन भी लौट आया है. रौयल एवं क्लासिक इंडियन लुक पसंद करने वाली दुलहनें इस तरह के लहंगे भी ट्राई कर सकती हैं.

पिक्चर परफैक्ट मेकअप का है ट्रैंड

आजकल प्रोफैशनल फोटोग्राफी का जमाना है, इसलिए मेकअप का पिक्चर परफैक्ट होना बेहद जरूरी है. इस बाबत मेकअप आर्टिस्ट अतुल चौहान कहते हैं, ‘‘पहले की तरह फाउंडेशन, फेस पाउडर, काजल, बिंदी और लिपस्टिक लगा देने भर से आज की दुलहनें तैयार नहीं हो जातीं, बल्कि उन की पोशाक के आधार पर हमें उन का मेकअप स्टाइल तय करना पड़ता है. तभी उन्हें फोटोजैनिक लुक दिया जा सकता है.’’

मेकअप स्टाइल को तो और भी सावधानी से चुनना पड़ता है, क्योंकि इस मौसम में पसीना सारा खेल बिगाड़ सकता है. अतुल के अनुसार, इस मौसम में डे वैडिंग हो या नाइट वैडिंग मेकअप का सैटल होना जरूरी है. इस तरह के मेकअप में न्यूट्रल रंगों पर जोर दिया जाता है. इन में सभी हलके रंग जैसे पीच, ब्राउन फैमिली के लाइट कलर्स और स्किनटोन बेस्ड कलर्स का इस्तेमाल होता है. ये रंग दुलहनों को सोबर और सौफ्ट लुक देते हैं.

अतुल कुछ ऐसे समर ब्राइडल लुक्स के बारे में बता रहे हैं, जो खूबसूरती के साथसाथ स्टाइल भी नवाजते हैं :

ड्रामैटिक लुक : आजकल की लड़कियों को सैलिब्रिटी लुक चाहिए, जो असल में ड्रामैटिक मेकअप होता है. इस मेकअप में आंखों को बोल्ड लुक दिया जाता है और इस के लिए ग्लिटर्स का इस्तेमाल होता है. लिपस्टिक के शेड्स भी डार्क चुने जाते हैं. कंटूरिंग और हाईलाइटर्स का प्रयोग भी इस मेकअप का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. समर वैडिंग के लिए यह मेकअप एक अच्छा विकल्प है बशर्ते शादी रात की हो.

स्ट्रोबिंग एवं बेकिंग : स्ट्रोबिंग और बेकिंग मेकअप इंडस्ट्री का एकदम ताजा ट्रैंड है. जहां स्ट्रोबिंग में लाइट मेकअप के साथ अपर चीकबोन, नोज, अपर लिप्स और चिन हाईलाइटिंग पर जोर दिया जाता है, वहीं बेकिंग में अंडरआई और फोरहैड की कमियों को दुरुस्त किया जाता है.

रौयल लुक : इस लुक में फ्लैट हेयरस्टाइल के साथ स्मोकी आई इफैक्ट दिया जाता है. इस लुक में बड़ी बिंदी और आभूषणों का अधिक महत्त्व है, इसलिए मेकअप बहुत ही हलका होता है.

अरैबिक स्टाइल : यह मेकअप भारतीय दुलहनों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है, क्योंकि इस मेकअप स्टाइल में बहुत ही कम कौस्मैटिक्स का प्रयोग होता है और पूरा फोकस आंखों को दिया जाता है.

समर ब्राइडल ज्वैलरी भी है खास

अब दुलहनें अपनी शादी के जोड़े के साथ इमिटेशन ज्वैलरी की जगह रियल ज्वैलरी पहनना ज्यादा पसंद करती हैं. इस बाबत ज्वैलरी डिजाइनर प्रितेश गोयल कहते हैं, ‘‘आजकल की दुलहनें ज्यादा जेवर पहनना पसंद नहीं करती हैं, इसलिए जो आभूषण वे शादी के वक्त खरीदती हैं उन की डिजाइन को अपनी ड्रैस के साथ मैच कर के ही खरीदती हैं.’’

समर वैडिंग और विंटर वैडिंग के हिसाब से दुलहनों की अलगअलग डिमांड होती है. जहां विंटर वैडिंग के लिए दुलहनें थोड़ा भारी ज्वैलरी भी पसंद कर लेती हैं वहीं समर वैडिंग के लिए उन की पसंद हलकी, सोबर और वनपीस ज्वैलरी होती है.

प्रितेश समर वैडिंग ज्वैलरी के कुछ खास ट्रैंड्स के बारे में बता रहे हैं :

जहां सर्दियों में दुलहन के लिए मल्टीलेयर्ड नैकलैस ट्रैंड में है वहीं गरमियों में टोडा डिजाइन (लंबे हार) का फैशन है. इस मौसम में दुलहन गले से सटे चोकर डिजाइन के नैकलैस भी ले सकती हैं, क्योंकि ये भी लेटैस्ट ट्रैंड का हिस्सा हैं. यदि गोल्ड ज्वैलरी ही लेनी है, तो मेटा पौलिश और फ्रौस्टिंग वर्क वाले मेटा स्टाइल के गहने भी काफी इन ट्रैंड हैं. लुक में ये हैवी लगते हैं, मगर वजन में हलके होते हैं.

अब चूडि़यों से भरे हाथों का फैशन भी चला गया है. अच्छे ज्वैलरी ब्रैंड्स में चौड़े ब्राइडल हैंडकफ्स आने लगे हैं. दुलहनें चाहें तो दोनों हाथों में 1-1 हैंडकफ पहन सकती हैं वरना एक हाथ में हैंडकफ और दूसरे में 2 कड़े भी पहन सकती हैं.

ब्राइडल चोली ट्रैंड्स

औफशोल्डर : औफशोल्डर या कोल्ड शोल्डर इस सीजन का हौट ट्रैंड है. वैस्टर्न आउटफिट्स से ले कर इन्हें ट्रैडिशनल लिबासों के साथ भी पेयर किया जा रहा है. ब्राइडल लहंगों के साथ भी इस तरह की चोलियां विभिन्न डिजाइनों में उपलब्ध हैं.

ब्रालेट : यदि दुलहन थोड़ा बोल्ड लुक चाहती है, तो ब्रालेट चोली अच्छा विकल्प है. यह चोली डीपनैक और शौर्ट स्लीव्स के लिए जानी जाती है. वैसे तो इस तरह की चोली का ट्रैंड साडि़यों के साथ है, मगर आजकल ब्राइडल लहंगों के साथ भी इन्हें क्लब किया जा रहा है.

पोचू स्टाइल : पोचू स्टाइल चोली के कई अंदाज हैं. दुलहन के फ्रंट को कवर करने के लिए जिस दुपट्टे का इस्तेमाल किया जाता है पोचू चोली उस की आवश्यकता को खत्म कर देती है. इस तरह गरमी के मौसम में दुलहनें 2 दुपट्टों के वजन से भी बचती हैं और उन्हें स्टाइलिश लुक भी मिल जाता है.

सुपर क्रौप चोली : नौनट्रैडिशनल लहंगे पर यह चोली बहुत ही खूबसूरत दिखती है. इस की लैंथ ब्रैस्ट लाइन तक ही होती है. पतली कमर वाली दुलहनों पर इस तरह की चोली खूब जंचती है.

प्रीड्रैप्ड दुपट्टा चोली : लुक में सब से अलग यह चोली काफी ट्रैंडी है. इस में चोली के साथ ही दुपट्टा भी जुड़ा होता है. लहंगे के साथ इस तरह की चोली दुलहनों को इंडोवैस्टर्न लुक देती है.

रिलीज होगी ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ लेकिन..

प्रोड्यूसर प्रकाश झा की फिल्‍म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को आखिरकार भारत में दिखाने की इजाजत मिल गई है. यानी विदेशों के कई फिल्‍म फेस्टिवल्‍स में तारीफें बटोर रही इस फिल्‍म को अब भारत में भी देखा जा सकेगा. हालांकि फिल्‍म को ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज किया जाएगा और इसके कुछ सीन्‍स भी काटे जाएंगे.

फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया है कि फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुरका’ को ‘ए’ प्रमाणपत्र दिया जाए जिसे पहले प्रमाणपत्र देने से सेंसर बोर्ड ने मना कर दिया था. सेंसर बोर्ड के द्वारा फिल्‍म को हरी झंड़ी न मिल पाने के कारण फिल्‍म के निर्देशक और प्रोड्यूसर समेत पूरी टीम काफी निराश थी. जिसके बाद प्रकाश झा ने एफसीएटी में अपनी की थी.

एफसीएटी ने निर्देश दिया है कि फिल्म को ‘स्वैच्छिक और कुछ अतिरिक्त कट के साथ तथा दृश्य हटाने के साथ’ प्रमाणपत्र दिया जाए. उन्होंने कहा कि फिल्म में गाली-गलौज वाली भाषा और अंतरंग दृश्य उसकी कहानी का अभिन्न हिस्सा हैं. हालांकि न्यायाधिकरण ने फिल्म के निर्माताओं को कुछ दृश्यों से हिंदी के कुछ शब्दों को म्यूट करने का निर्देश दिया जिनमें तवायफों के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द शामिल हैं.

कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, अहाना कुमरा और प्लाबिता बोरठाकुर जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म ने तोक्यो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘स्पिरिट ऑफ एशिया अवार्ड’ और मुंबई फिल्म महोत्सव में लैंगिक समानता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए ‘ऑक्सफेम अवार्ड’ जीता है. साथ ही इस फिल्‍म को हाल ही में हॉलीवुड फॉरिन प्रेस असोसिएशन द्वारा चुना गया है.

फिल्‍म को लॉस एंजलिस में हुए भारतीय फिल्‍मोत्‍सव (आईएफएफएलए) में प्रदर्शित किया गया था और यहीं से इसे हॉलीवुड फॉरिन प्रेस असोसिएशन द्वारा चुना गया है. क्‍योंकि इस फिल्‍म को अब चुन लिया गया है जिसका मतलब यह है कि अब इस फिल्‍म की डायरेक्‍टर अलंकारिता श्रीवास्‍तव और प्रोड्यूसर प्रकाश झा इसे इस साल के गोल्‍डन ग्‍लोब्‍स अवॉर्ड्स में एक आधिकारिक एंट्री के तौर पर भेज सकते हैं.

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