रिलीज होगी ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ लेकिन..

प्रोड्यूसर प्रकाश झा की फिल्‍म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को आखिरकार भारत में दिखाने की इजाजत मिल गई है. यानी विदेशों के कई फिल्‍म फेस्टिवल्‍स में तारीफें बटोर रही इस फिल्‍म को अब भारत में भी देखा जा सकेगा. हालांकि फिल्‍म को ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज किया जाएगा और इसके कुछ सीन्‍स भी काटे जाएंगे.

फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया है कि फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुरका’ को ‘ए’ प्रमाणपत्र दिया जाए जिसे पहले प्रमाणपत्र देने से सेंसर बोर्ड ने मना कर दिया था. सेंसर बोर्ड के द्वारा फिल्‍म को हरी झंड़ी न मिल पाने के कारण फिल्‍म के निर्देशक और प्रोड्यूसर समेत पूरी टीम काफी निराश थी. जिसके बाद प्रकाश झा ने एफसीएटी में अपनी की थी.

एफसीएटी ने निर्देश दिया है कि फिल्म को ‘स्वैच्छिक और कुछ अतिरिक्त कट के साथ तथा दृश्य हटाने के साथ’ प्रमाणपत्र दिया जाए. उन्होंने कहा कि फिल्म में गाली-गलौज वाली भाषा और अंतरंग दृश्य उसकी कहानी का अभिन्न हिस्सा हैं. हालांकि न्यायाधिकरण ने फिल्म के निर्माताओं को कुछ दृश्यों से हिंदी के कुछ शब्दों को म्यूट करने का निर्देश दिया जिनमें तवायफों के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द शामिल हैं.

कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, अहाना कुमरा और प्लाबिता बोरठाकुर जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म ने तोक्यो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘स्पिरिट ऑफ एशिया अवार्ड’ और मुंबई फिल्म महोत्सव में लैंगिक समानता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए ‘ऑक्सफेम अवार्ड’ जीता है. साथ ही इस फिल्‍म को हाल ही में हॉलीवुड फॉरिन प्रेस असोसिएशन द्वारा चुना गया है.

फिल्‍म को लॉस एंजलिस में हुए भारतीय फिल्‍मोत्‍सव (आईएफएफएलए) में प्रदर्शित किया गया था और यहीं से इसे हॉलीवुड फॉरिन प्रेस असोसिएशन द्वारा चुना गया है. क्‍योंकि इस फिल्‍म को अब चुन लिया गया है जिसका मतलब यह है कि अब इस फिल्‍म की डायरेक्‍टर अलंकारिता श्रीवास्‍तव और प्रोड्यूसर प्रकाश झा इसे इस साल के गोल्‍डन ग्‍लोब्‍स अवॉर्ड्स में एक आधिकारिक एंट्री के तौर पर भेज सकते हैं.

इस एक्ट्रेस ने प्रेग्नेंसी में शूट किया था रेप सीन

बॉलीवुड इंडस्ट्री में हर दिन कुछ ना कुछ नया घटित होता है लेकिन कभी कभी कुछ ऐसा घटित दो जाता है जिस पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसी ही एक घटना फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ (1974) की शूटिंग के दौरान हुई.

डायरेक्टर मनोज कुमार की इस फिल्म में मौसमी चैटर्जी ने अभिनय किया था. इस फिल्म में मौसमी का रेप सरवाइवर तुलसी का किरदार काफी लोकप्रिय हुआ था.

इस फिल्म का रेप सीन हिंदी सिनेमा के सबसे डिस्टर्बिंग सीन्स में से एक है. खास बात यह है कि मौसमी ने प्रेग्नेंसी के दौरान इस सीन को शूट किया था. 2015 में ही एक इंटरव्यू में मौसमी ने बताया था कि सीन में विलेन को उनका ब्लाउज खींचते दिखाया गया. उन्हें चिंता थी कि यह सीन कैसे शूट होगा. उस वक्त वह प्रेग्नेंट थी.

इस सीन के लिए मौसमी ने दो ब्लाउज पहने थे और विलेन ने ऊपर वाला ब्लाउज खींचा था. शूटिंग के दौरान उनके ऊपर ढेर सारा आटा गिर गया. वे पसीने से तर थीं और हर चीज चिपक जा रही थी. मुंह में आटा जाने के कारण खूब उलटियां हुई थी.

यही नहीं सीन के शूटिंग के वक्त मौसमी के बाल काफी लंबे थे. शूटिंग के बाद रात में 10.30 बजे वे घर पहुंचीं और बालों से आटा निकालते-निकालते उन्हें रात के 2 बज गए.

मौसमी के मुताबिक शूटिंग के दौरान नीचे गिरने से उन्हें ब्लीडिंग होने लगी थी. उन्हें अस्पताल ले जाया गया. किस्मत से उनहोंने बच्चे को नहीं खोया. हालांकि इसके बावजूद प्रोड्यूसर ने अगले दिन मैसमी को सेट पर रिपोर्ट करने के लिए कहा. इस सिचुएशन में रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, विनोद खन्ना और विनोद मेहरा ने उनकी काफी मदद की थी.  

एक्ट्रेस मौसमी चटर्जी ने प्रोड्यूसर जयंत मुखर्जी से शादी की थी. उनकी दो बेटियां- पायल और मेघा हैं. उन्हें फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए 1974 में बेस्ट एक्ट्रेस इन सपोर्टिंग रोल का अवॉर्ड मिला था.

मौसमी का जन्म कोलकाता में हुआ था. उन्होंने 1967 में आई फिल्म बालिका वधु से डेब्यू किया था. वह आखिरी बार 2015 में रिलीज हुई फिल्म पीकू में नजर आई थी.

सोनाक्षी क्यों बन रही हैं विवादों की रानी!!

सोनाक्षी सिन्हा तो विवादों की रानी बनती जा रही है. वे ट्विटर पर हर किसी से न सिर्फ उलझ रही हैं, बल्कि जब ट्विटर पर वे किसी को सही जब नहीं दे पाती हैं, तो उन्हे ब्लॉक करना शुरू कर देती हैं.

ट्विटर पर अपनी ‘कला’, अपने ‘सपने’ और स्टेज पर परफार्म करने के अपने हक की बात करने वाली अदाकारा सोनाक्षी सिन्हा की 21 अप्रैल को सिनेमाघरों में प्रदर्शित फिल्म ‘‘नूर’’ ने जब से पानी तक नहीं मांगा, तब से सोनाक्षी सिन्हा लगातार ट्विटर पर लोगों से भिड़ने पर आमादा हैं.

‘नूर’ देखने के बाद फिल्म आलोचकों व सोनाक्षी सिन्हा के फैन्स ने जब उनकी परफॅार्मेंस की बुराई की, तो सभी को मुंहतोड़ जवाब देते हए उन्होने ट्विटर पर शायरी करते हुए लोगों को जवाब देना शुरू कर दिया. उसके बाद ट्विटर पर जस्टिन बीबर के म्यूजिकल कंसर्ट में गाने को लेकर वे अरमान मलिक व अमाल मलिक से भिड़ गईं. जब वे ट्विटर पर अरमान मलिक व अमान मलिक से नहीं जीती, तो सोनाक्षी सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा कि वह जस्टिन बीबर के कार्यक्रम में नही गा रही हैं.

सोनाक्षी सिन्हा के इस ट्वीट को देखकर जब गायिका सोना महापात्रा ने ट्विटर पर सोनाक्षी के लिए लिखा कि, ‘यदि यही बात पहले ही कह देंती कि वे जस्टिन बीबर के कार्यक्रम में नहीं गा रही हैं, तो इतनी बड़ी बहस न होती.’ इस पर सोना महापात्र को कोई जवाब देने की बजाय सोनाक्षी सिन्हा ने ट्विटर पर सोना महापात्रा को ब्लॉक कर दिया. जिसकी वजह किसी को भी समझ में नहीं आयी, पर सोनाक्षी के इस कदम के बाद सोना महापात्रा ने ट्विटर पर सोनाक्षी द्वारा खुद को ब्लॉक किए जाने के स्क्रीन शॉट को डालने के साथ व्यंग करते हुए लिखा है -‘‘हा हा हा..ऐसा नहीं है कि मैं कभी भी प्रतिभा, अनुग्रह और बुद्धि के इस बंडल का पालन करती थी.’’ अब सोनाक्षी चुप हो गयी हैं.

जरूर घूमें गोवा के ये 10 बीच, खूबसूरती देख हो जाएंगे दीवाने

गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सब से छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सब से छोटा राज्य है. पूरी दुनिया में गोवा समंदर के अपने खूबसूरत किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिए जाना जाता है. वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ अलग, लेकिन अद्भुत स्वरूप प्रदान करती है. यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृतिप्रेमियों को बहुत भाता है.

गोवा में छोटे बड़े लगभग 40 समुद्रीतट हैं. इन में से कुछ समुद्रतट अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं. इसी कारण विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर गोवा की पहचान विदेशों की तरह है. आकर्षक बीच, रिजौर्ट औैर बजट होटल सैलानियों को खूब आकर्षित करते हैं.

गोवा आने वालों को यहां की फिश करी और सीफूड बहुत पसंद आते हैं. साउथ गोवा में मार्टिन कौर्नर, वोकेरो इस के  लिए बहुत मशहूर हैं. साउथ गोवा में फाइवस्टार होटल बहुत हैं. यहां वे सैलानी आते हैं जिन्हें शांत माहौल पसंद है. जो लोग शोरशराबा, लेटनाइट पार्टीज, मस्ती, म्यूजिक पसंद करते हैं वे नौर्थ गोवा को पसंद करते हैं. यहां क्लब ज्यादा हैं. बाघा बीच के पास फैटफिश नामक रेस्तरां है. यहां की फिश थाली बहुत पसंद की जाती है. एंथोनी रेस्तरां का सीफूड लोगों को पसंद आता है. यहां के राहुल बताते हैं कि यहां हमेशा अच्छा और टैस्टी खाना मिलता है.

मौरजिम ग्रांड रिजौर्ट के मनोज कहते हैं कि दिसंबरजनवरी में यहां भीड़ ज्यादा रहती है. टापू पर लोग घूमना ज्यादा पसंद करते हैं. ट्रेबो रेन फौरेस्ट रिजौर्ट में पंजाबी फूड बहुत अच्छा मिलता है. मौरजिम के सफारिया रिजौर्ट में टापू और रिवर का मजा लिया जा सकता है.

बटरफ्लाई बीच

अपने नाम के हिसाब से यह बीच बहुत खूबसूरत है. अपनी अनछुई खूबसूरती की वजह से यह सैलानियों के बीच मशहूर है. एकांत चाहने वालों के लिए इस से बढि़या कोई दूसरी यह जगह नहीं हो सकती.

बटरफ्लाई द्वीप पर स्थित यह जगह बेजोड़ है. इस तट पर पहुंचने के लिए अगोंडा या पलोलेम तट से नाव के सहारे जाना होता है. रोमांच के शौकीन काकोलम बीच के तट पर जा सकते हैं. इस को टाइगर बीच भी कहते हैं.

गलजीबाग बीच

देशदुनिया में मशहूर मौरजिम तट की तरह गलजीबाग तट भी विलुप्तप्राय औलिव रिडली कछुए के अंडे देने और सेने वाली जगह है. मगर मौरजिम तट के भीड़भाड़ के बजाय यह तट अपेक्षाकृत शांत रहता है. हां, एक अच्छी बात यह है कि यहां कुछ बेहतरीन और स्वादिष्ठ सीफूड्स मिलते हैं. गलजीबाग तट कानाकोनासे 18 किलोमीटर की दूरी पर है, जो तालपोना बीच के दक्षिणी मुहाने पर स्थित है.

होलांत बीच

यह बेहद शांत रहने वाला समुद्री किनारा दूरदूर तक पसरा हुआ है. यह तट थोड़ा पथरीला है, मगर इस की खूबसूरती खुद की ओर खींचने के लिए काफी है.

बेतुल बीच

बेहद चौड़ा और पट्टीदार यह समुद्रीतट मडगांव से 18 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के नजारे आप को किसी पारंपरिक समुद्री गांव, जो मत्स्य पालन के धंधे में लगे होते हैं, की याद दिला देंगे. इस के नजदीक एक 17वीं शताब्दी का किला और एक खाड़ी भी है. यहां पहुंचने के लिए पहले आप सड़क के रास्ते मोबोर तट पहुंचें, और वहां से कैवेलोसिम-ऐसोलना फेरी की मदद से साल नदी होते हुए यहां तक पहुचें.

आरमबोल बीच

यह बेहद खूबसूरत और शांत समुद्रीतट दोस्तों और परिवार के साथ बार्बेक्यू का मजा लेने के लिए सब से मुफीद जगह है. यह तट धीरेधीरे मशहूर हो रहा है, जो पूरी दुनिया से बोहेमियाई लोगों को खुद की ओर आकर्षित कर रहा है. इस तट के नजदीक आज कई बेहतरीन कैफे व रेस्तरां खुल गए हैं.

अगोंडा बीच

मडगांव से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह बीच बेहद खूबसूरत और पिकनिक के लिए मुफीद स्थानों में से एक है. समुद्र के किनारे की पहाडि़यां इसे रमणीय स्थल में बदल देती हैं.

कोला बीच

यहां रहने वाले स्थानीय लोग भी इस तट से वाकिफ नहीं हैं. इस छिपे हुए समुद्रीतट तक पहुंचने के लिए आप को कानकोना के दक्षिणी हिस्से की ओर जाना होगा, और फिर वहां से आप को संकेतों का पीछा करना होगा. सुनने में ही कितना दिलचस्प लग रहा है न.

अगोंडा तट से 5 मिनट की दूरी पर स्थित यह तट झील से घिरा हुआ है. यहां की सब से अच्छी बात यह है कि यहां रात को रुकने के लिए झोंपड़ीनुमा घर भी बने हैं. यहां रुक कर आप समंदर और वादियों का पूरा मजा ले सकते हैं.

वलसाओ बीच

गोवा के मशहूर मेजोरदा और कोलवा समुद्रीतट के उत्तर में और गोवा के दक्षिणी भाग में स्थित इस अद्भुत तट को कुदरत ने फुरसत में बनाया है, ऐसा लगता है. यहां आप को कुछेक तैराक तैरते हुए मिल जाएंगे जो भीड़भाड़ से बच कर यहां तैरने हेतु आते हैं.

सिंकेरियम बीच

यह सफेद बलुई तट दूरदूर तक पसरा हुआ है. लग्जरी रिजौर्ट्स के आसपास होने के बावजूद यह बेहद शांत समुद्रीतट है. शांतिपूर्वक बैठनेलेटने और खुद में खो जाने के लिए इस से बेहतर जगह शायद ही कोई हो. अरब सागर में डूबते हुए सूरज को देखना और उसे अपने चेहरे पर महसूस करने के लिए इस से मुफीद जगह नहीं मिल सकती.

सिरिदाओ बीच

पणजी से 12 किलोमीटर की दूरी पर और जुआरी नदी के मुहाने पर स्थित यह बेहद शांत और सुरमयी तट है. दूरदूर तक बालू ही बालू पसरी हुई है. इस के अलावा यहां पाए जाने वाले घोंघे, जो समंदर के किनारे पर आ जाते हैं, की चमक इसे और बेहतरीन बनाती है. सिरिदाओ के नजदीक में कई गुफाएं हैं जो यहां घूमनेफिरने वालों के लिए एक और रोमांचक स्थान है.

गोवा में पर्यटकों की भीड़ सब से अधिक गरमी के महीनों में होती है. जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानूसन का लुत्फ उठाना चाहते हैं.

गोवा के मनभावन बीच की लंबी कतार में पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगूट बीच, उस के पास बागा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच स्थित हैं. वहीं, इस की दूसरी दिशा में कोलवा बीच ऐसे ही सागरतटों में से है जहां मानसून के वक्त पर्यटक जरूर आना चाहेंगे. यही नहीं, अगर मौसम साथ दे तो वागाटोर बीच, अंजुना बीच, पोलोलेम बीच जैसे अन्य सुंदर सागरतट भी देखे जा सकते हैं.

गोवा को पर्ल औफ ईस्ट भी कहा जाता है. यह विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा जगह है. दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं. अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, शानदार और भव्य वास्तुकला वाले चर्च, मंदिर व पुराने मकान गोवा में विदेशी सैलानियों को आकर्षित करते हैं.

यहां कई वन्यजीव अभयारण्य हैं, जैसे बोंडला वन्यजीव अभयारण्य और कोटिगाव वन्यजीव अभयारण्य और कुछ संग्रहालय, जैसे गोवा राज्य संग्रहालय, नैवेल एविएशन संग्रहालय, पुरातत्व संग्रहालय और पौट्रेट गैलेरी आदि भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

कई किले, जैसे अगुआड़ा दुर्ग, तिरकोल किला और प्रसिद्ध चर्चों, जैसे बैसिलिका औफबोम जीसस, सेंट औगस्टिन चर्च आदि कई स्थान भी हैं जो देखने लायक हैं. गोवा अपनी पार्टियों और कार्निवाल के

लिए भी जाना जाता है जो कि खासतौर पर अक्तूबर और दिसंबर महीने में होते हैं.

आई मेकअप हटाने के आसान टिप्स

यह कहना गलत नहीं होगा कि पूरा दिन अपनी आंखों को खूबसूरत दिखाने और अपने चेहरे पर चार चांद लगाने के इरादे से लड़कियां हर सुबह खूब मेहनत कर काजल, मस्कारा, लाइनर आदि प्रोडक्ट यूज कर उन्हें खूबसूरत बनाती हैं.

लेकिन जब उन्हें यह मेकअप उतारना होता है, तो यह बहुत मुश्किल काम होता है. आईए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स, जिनकी मदद से आप आसानी से उतार सकती हैं अपना आई मेकअप.

मेकअप रिमूवर प्रोडक्ट का प्रयोग

आंखों का मेकअप किसी कपड़े से रगड़कर या सिर्फ पानी से धोकर न उतारें. उसके लिए अच्छे मेकअप रिमूवर प्रोडक्ट का प्रयोग करें. अगर वह नहीं है तो घर पर ही रखे सामान का सही इस्‍तेमाल करें और अपनी आंखों की खूबसूरती को दें लम्बी उम्र. आखों का मेकअप उतारने के लिए वही प्रोडक्ट प्रयोग में लाने चाहिए जो आपकी आंखों के लिए सेफ हों.

तेल

तेल एक प्राकृतिक मेकअप रिमूवर का काम करता है. मिनरल तेल एक बेहतर विकल्‍प है, जिस मेकअप उतारने के काम में लाया जा सकता है. यह सुरक्षित होते हुए तकरीबन हर प्रकार की स्किन के लिए काम में लाया जा सकता है. इसी के साथ ही बेबी ऑयल भी एक बेहतरीन विकल्प है जो कुछ सुगंधों के साथ मिनरल तेल होता है. तेल से आंखों का मेकअप उतारने का उपाय महज उन हालातों में इस्तेमाल करें जब आप कॉन्टेक्ट लेन्स का प्रयोग न करती हों.

बेबी वाइप्‍स

यदि आप बेबी शैम्पू का इस्तेमाल करने में खुद को सहज नही कर पा रही हैं, तो आप बेबी वाइप्स का प्रयोग भी कर सकती हैं. फिर भी आपका मन इन चीजों से अपनी आंखे साफ करने का नहीं है, तो आप पैट्रोलियम जैली का प्रयोग कर सकती हैं. यह सिर्फ आंखों का ही नहीं बल्कि सारे चेहरे का मेकअप सरलता से हटा देगा. चाहे तो बिना सुगन्ध वाला कोई भी अच्छा लोशन इस्‍तेमाल कर सकतीं हैं यह बेहत सहजता से सारा मेकअप उतारने के काम आता है.

बेबी शैम्पू

टीयर फ्री बेबी शैम्पू का इस्‍तेमाल आंखों का लाइनर, शेडो, मस्कारा हटाने का एक बेहतर विकल्प है. अगर आप रोज आंखों का मेकओवर करती हैं, तो आपके लिए आई मेकअप रिमूवर एक महगा साधन होगा ऐसे में यह एक दर्द रहित व जेब के मुताबिक होगा वह भी बिना किसी जलन के. बेबी शैम्पू से मेकअप हटाते समय ठंडे पानी की जगह गुनगुने पानी का इस्‍तेमाल करें.

घरेलू उपाय

आप उन तेलों को भी प्रयोग कर सकतीं हैं जो आपकी रसोई में भरे रहते हैं. जिनमें सबसे बेहतर होता है आंवले का तेल. इसके अलावा बादाम का तेल भी अच्छा साबित हो सकता है. इस तेल से किसी भी तरह के साइड इफेक्ट करने के चान्स कम होंगे. तेल से मेकअप हटाने के लिए रूई के फोहे पर कुछ बूंदें तेल की लें इसके बाद हल्के हल्के मसाज करते हुए मेकअप हटाएं.

काला धंधा बनती शिक्षा

शिक्षा महंगी होती जा रही है और उस में भरपूर बेईमानी भी घुस रही है. पहले शिक्षा देने वाले अपने धंधों में चाहे बेईमानियां करते हों वे स्कूल, कालेजों को दान भी देते थे और उन के प्रबंध में समय भी. अब उलटा हो गया है और शिक्षा चाहे सरकारी हो या प्राइवेट दोनों में धांधली ही धांधली है.

मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला इसी का नतीजा है. दिल्ली के समीप गुड़गांव में अंसल विश्वविद्यालय में आजकल हंगामा मचा हुआ है. अंसल विश्वविद्यालय अंसल बिल्डरों द्वारा चलाया जा रहा है और उन्होंने शिक्षा में भी छात्रों को अट्रैक्ट करने के लिए वे ही गुर अपनाए थे जो वे अपने फ्लैटों और प्लाटों को बेचने में अपनाते हैं : सब्जबाग दिखा कर पैसा वसूल करो.

छात्रों को कहा गया था कि उन्हें स्विमिंग पूल, जिम और स्पोर्ट्स सैंटर दिया जाएगा और उस के लिए मोटा पैसा ले लिया गया. पर छात्रों के हितों को तो आजकल के शिक्षा प्रबंधक ध्येय समझते ही नहीं हैं. उन्होंने छात्रों के फ्लैटों को खरीदारों के बराबर मान कर वादों को टरकाना शुरू कर दिया और नतीजा यह हुआ है कि अंसल विश्वविद्यालय के छात्र हड़ताल व धरने पर बैठे हैं.

यह कई निजी विश्वविद्यालयों में हो रहा है, क्योंकि वहां प्रबंधक शिक्षा के माध्यम से अगली पीढ़ी को तैयार करने नहीं आ रहे, अपने लिए पैसा बनाने के लिए शिक्षा का इस्तेमाल कर रहे हैं.

शिक्षा आज देश का एक बड़ा काला धंधा बन गया है. आज के मातापिता जानते हैं कि शिक्षा ही बच्चों का भविष्य बना सकती है और इसलिए बच्चों की पढ़ाई पर पेट काट कर खर्च कर रहे हैं, पर शिक्षा देने वाले इसे मातापिता की मजबूरी मान कर उन्हें लूटने में लग गए हैं. सरकारी शिक्षा में कौपीइंग, एबसैंटिज्म और ट्यूशन की भरमार है तो निजी में फीस के नाम पर डोनेशन और चार्जेज का बोलबाला है.

प्रबंधक चाहे सरकारी शिक्षा के हों या निजी शिक्षा के, नई पीढ़ी के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भूल चुके हैं और उसे कमाई और सिर्फ कमाई का धंधा मान कर चलते हैं. अफसोस यह है कि मातापिता अपने को इतना लाचार व असहाय समझते हैं कि हर पग पर कंप्रोमाइज करने को तैयार हैं. वे किसी भी गलत काम पर हल्ला नहीं मचाते.

गनीमत है कि देश की आबादी इतनी ज्यादा है कि कामचलाऊ संख्या में प्रतिभाशाली छात्र निकल ही आ रहे हैं. तभी तो 95 और 98त्न वालों को भी दाखिला नहीं मिल रहा है, पर यह भी संभव है कि जो 95 व 98त्न वाले बेईमान शिक्षा के प्रौडक्ट हों और डिग्री की प्रतिष्ठा को भी नष्ट कर रहे हों, पर इतना जरूर है कि हमारे युवाओं ने इन विषम स्थितियों में भी कुछ लाभ तो कमा लिया कि अमेरिका की सिलीकौन वैली भारतीयों  से भरी पड़ी है और अमेरिका में डौनल्ड ट्रंप के निशाने पर मुसलिम आतंकवादी कम और भारतीय मेधावी छात्र ज्यादा हैं. अगर हमारे शिक्षा प्रबंधक जरा से देशभक्त हो जाएं तो वे अगली पीढ़ी ऐसी तैयार कर सकते हैं कि भारत ही भारत दिखे.          

चिनगारी फोगट बहनें

हरियाणा की कुश्ती पदक विजेता गीता फोगट, जिस पर आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ बनी थी, को 2010 के कौमनवैल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर वह वाहवाही नहीं मिली थी, जो फिल्म ने दिलाई है. अब गीता और बबीता फोगट घरघर का नाम बन गई हैं और लड़कियों की नई आशा बन गई हैं. हिंदी फिल्में इस प्रकार का सामाजिक बदलाव कम करा पाती हैं, पर इस बार ऐसा हो गया है.

हरियाणा में एक पिता ने अपनी 2 बेटियों को कुश्ती में महारत दिलाने का संकल्प लिया था, यही अपनेआप में बड़ी बात है. इस देश में जहां औरतों को सदियों से बोझ समझा जाता रहा है, वहां एक पिता का बेटियों को कुश्ती में अपनी मरजी से डालना आश्चर्य ही है.

अब फिल्म ‘दंगल’ के बाद इन लड़कियों को नई पहचान मिलने लगी है और वे रोल मौडल बन रही हैं. महिला कुश्ती में वैसे तो लड़कियां ही होंगी, पर हरियाणा के पिछड़े गांवों में से इस तरह लड़कियों का बाहर निकलना एक सामाजिक बदलाव की निशानी है.

यह बदलाव असल में बहुत गहरे जाना जरूरी है. औरतों और लड़कियों को सामाजिक व धार्मिक रीतिरिवाजों से इस तरह बांध दिया जाता है कि वे खूंटे से बंधी गाय की तरह हो जाती हैं, जिन का काम केवल दूध देना भर रह जाता है. लड़कियों का व्यक्तित्व तो खो ही जाता है, देश को उत्पादन की एक भरपूर सक्षम इकाई से भी हाथ खो देना पड़ता है.

यह नहीं भूलना चाहिए कि कमजोर इनसान चाहे मर्द हो या औरत, पूरे समाज पर बोझ होता है. किसी समाज की अमीरी उस की उत्पादकता पर निर्भर होती है और यदि लड़कियों को घर में बंद कर के पूजापाठ, सिर्फ चूल्हेचौके और बच्चे पैदा करने पर लगा दिया जाए, तो परिवार ही नहीं पूरा देश पीछे रह जाता है. धर्म ने साजिश कर के सदियों से औरतों को कमजोर रखा, ताकि वे मर्दों की सेवा करते रहें और कोई मांग न करें. ऐसा समाज गुलामी को तख्त पर बैठा देता है और उसे अपनी खुद की गुलामी का एहसास भी नहीं रहता.

फोगट बहनें महिला कुश्ती में नाम कमा कर एक दकियानूसी समाज में चिनगारी का काम कर रही हैं. अगर वे दूसरे पाखंडों का भी इसी तरह विरोध करें, तो ही उन का काम सफल होगा. फिल्म ‘दंगल’ में उन का ट्रेनिंग के दौरान लड़कों को भी पछाड़ना असल चैलेंज है और यह हर स्तर पर होना जरूरी है.

‘बवासीर’ ऐसे पाएं निजात

गुदा के अंदर वौल्व की तरह गद्देनुमा कुशन होते हैं, जो मल को बाहर निकालने या रोकने में सहायक होते हैं. जब इन कुशनों में खराबी आ जाती है, तो इन में खून का प्रवाह बढ़ जाता है और ये मोटे व कमजोर हो जाते हैं. फलस्वरूप, शौच के दौरान खून निकलता है या मलद्वार से ये कुशन फूल कर बाहर निकल आते हैं. इस व्याधि को ही बवासीर कहा जाता है.

ऐसा माना जाता है कि कब्ज यानी सूखा मल आने के फलस्वरूप मलद्वार पर अधिक जोर पड़ता है तथा पाइल्स फूल कर बाहर आ जाते हैं. बवासीर की संभावना के कई कारण हो सकते हैं.

क्या हैं कारण..

  • शौच के समय अधिक जोर लगाना
  • कम रेशेयुक्त भोज्य पदार्थ का सेवन करना
  • बहुत अधिक समय तक बैठे या खड़े रहना
  • बहुत अधिक समय तक शौच में बैठे रहना
  • मोटापा
  • पुरानी खांसी
  • अधिक समय तक पतले दस्त लगना
  • लिवर की खराबी
  • दस्तावर पदार्थों या एनिमा का अत्यधिक प्रयोग करना
  • कम पानी पीना
  • गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन करना आदि.

आनुवंशिक : एक ही परिवार के सदस्यों को आनुवंशिक गुणों के कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आना.

बाह्य संरचना :  पाइल्स साधारणतया जानवरों में नहीं पाए जाते, चूंकि मनुष्य पैर के बल पर सीधा खड़ा रहता है, सो, गुरुत्वाकर्षण बल के कारण शरीर के निचले भाग में कमजोर नसों में अधिक मात्रा में रक्त एकत्रित हो जाता है, जिस से नसें फूल जाती हैं और पाइल्स का कारण बनती हैं.

शारीरिक संरचना : गुदा में पाई जाने वाली नसों को मजबूत मांसपेशियों का सहारा नहीं मिलने के कारण ये नसें फूल जाती हैं और कब्ज के कारण जोर लगता है तो फटने के कारण खून निकलना शुरू हो जाता है.

इसके लक्षणों को पहचानें

शौच के दौरान बिना दर्द के खून आना, मस्सों का फूलना व शौच के दौरान बाहर आना. मल के साथ चिकने पदार्थ का रिसाव होना व बाहर खुजली होना, खून की लगातार कमी के कारण एनीमिया होना तथा कमजोरी आना व चक्कर आना और भूख नहीं लगना इस के प्रमुख लक्षण हैं.

उपाय भी हैं…

यदि हम खानपान में सावधानी बरतें तो बवासीर होने से बचने की संभावना होती है. कब्ज न होने दें, भोजन में अधिक रेशेयुक्त पदार्थों का प्रयोग करें, दोपहर के खाने में कच्ची सब्जियों का सलाद लें, अंकुरित मूंगमोठ का प्रयोग करें, गेहूं का हलका मोटा पिसा व बिना छना आटा खाएं, खाना चबाचबा कर खाएं, रात को गाय के दूध में 8-10 मुनक्का डाल कर उबाल कर खाएं. चाय व कौफी कम पीएं, वजन ज्यादा हो तो कम करें, प्रतिदिन व्यायाम करें और सकारात्मक सोच रखें.

इन बातों का भी रखें ध्यान…

जब भी शौच की जरूरत महसूस हो, तो उसे रोका न जाए. शौच के समय जरूरत से ज्यादा जोर न लगाएं. लंबे समय तक जुलाब न लें. बहुत अधिक समय तक एक ही जगह पर न बैठें. शौच जाने के बाद मलद्वार को पानी से अच्छी तरह साफ करें.

एमआईपीएच विधि से इलाज

एमआईपीएच यानी मिनिमली इनवेजिव प्रौसीजर फौर हेमरोहिड्स. इस विधि में एक विशेष उपकरण, जिसे स्टेपलर कहते हैं, काम में लिया जाता है, जो कि सिर्फ एक ही बार काम में आता है. यह विधि गे्रड-1, ग्रेड-2 तथा ग्रेड-3, जोकि दूसरी विधि के फेल हो जाने पर काम में ली जाती है. इस विधि में पाइल्स को काट कर उस के ऊपर मलद्वार में 2-3 इंच की खाल कट जाती है, जिस से पाइल्स अपने सामान्य स्थान पर आ जाते हैं.

इस विधि को करने में मात्र 20 मिनट लगते हैं, न के बराबर खून निकलता है, तथा दर्द भी कम ही होता है व मरीज को 24 घंटों से पहले छुट्टी दे दी जाती है. व्यक्ति 24-48 घंटों में काम पर जाने लायक हो जाता है. इस विधि द्वारा उपचार करने के बाद फिर से पाइल्स होने की संभावना 2 से 10 प्रतिशत ही रहती है, निर्भर करता है कि सर्जन कितना अनुभवी है.

(लेखक पाइल्स व गुदा रोग विशेषज्ञ हैं.)

‘गे’ विलन के अवतार में दिखेंगे गोविंदा

अपनी कॉमेडी और डांसिंग स्‍टाइल से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले सुपरस्‍टार गोविंदा एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं. बता दें कि अपनी अगली फिल्म में भी वह बाकी फिल्मों की तरह कुछ अलग करते हुए नजर आने वाले हैं.

सूत्रों की मानें तो अपने आने वाली फिल्म में गोविंदा डबल रोल के किरदार में नजर आने वाले हैं. लेकिन फिल्म की खास बात यह है कि फिल्म का खलनायक एक ‘गे’ होगा.

इससे पहले भी गोविंदा ने ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘हद कर दी आपने’ जैसी कई फिल्मों में डबल रोल निभाए हैं.

अपनी इस फिल्म में गोविंदा गे विलन का किरदार निभाएंगे. आपको बता दें कि गोविंदा पहली बार ऐसा कोई रोल कर रहे है. गोविंदा की इस फिल्म में उनके साथ नीतू और ऋषि कपूर भी दिखाई देंगे. इस फिल्म को सत्येंद्र राज निर्देशित कर रहे हैं.

फिल्म को सरवन शर्मा और जयंत घोष बना रहे हैं. हालांकि फिल्म की शूटिंग पहले ही शुरू की जा चुकी है. कहा जा रहा है कि फिल्म को 2017 में ही रिलीज कर दिया जाएगा.

बता दें कि गोविंदा ने इससे पहले अपनी एक फिल्म ‘आंटी नम्बर वन’ में एक महिला का किरदार निभाया था. जिसे उनके फैंस ने काफी पंसद किया था.

इस हीरोइन को लॉन्च करने में दिवालिया हो गए जैकी

एक समय पर जैकी श्रॉफ का स्टारडम ऐसा था कि उन्हें अपनी फिल्मों में साइन करने के लिए निर्माता-निर्देशक उनके आगे पीछे घुमते थे. हर निर्देशक इस होड़ में रहता कि जैकी सबसे पहले उनकी ही फिल्म में काम करें.

लेकिन कहते हैं ना कि कब किसकी किस्मत पलट जाए और उसके बुरे दिन शुरु हो जाए कोई नहीं जानता. कुछ ऐसा ही हुआ जैकी श्रॉफ के साथ. जैकी की जिंदगी में एक वक्त ऐसा आया जब एक फिल्म के चक्कर में उन्हें अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा और कोई मदद के लिए आगे नहीं आया.

ये फिल्म थी ‘बूम’. जैकी श्रॉफ ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया था और इसके जरिए उन्होंने कटरीना कैफ को बॉलीवुड में लॉन्च किया. कटरीना के अलावा फिल्म में अमिताभ बच्चन, गुलशन ग्रोवर, पद्मा लक्ष्मी जैसे सितारे थें.

जैकी को लगा कि ये फिल्म चल जाएगी, लेकिन फिल्म में कटरीना कैफ और गुलशन ग्रोवर के अलावा बाकी कलाकारों ने भी इस कदर बोल्ड और इंटीमेट सीन दिए कि फिल्म को बी-ग्रेड का दर्जा मिल गया.

जैकी फिल्म को मिले इस दर्जे से पहले ही परेशान थे कि इसी बीच ड्रिस्ट्रीब्यूटर्स ने भी हाथ पीछे खींच लिए. फिल्म रिलीज से पहले ही लीक हो गई जिसकी वजह से कोई भी जैकी श्रॉफ को पैसे देने के लिए तैयार नहीं हुआ.

इसके बाद तो जैकी के पैरों तले जमीन ही खिसक गई. उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या करें. जब कहीं से कोई राह नजर नहीं आईं तो मजबूरन जैकी श्रॉफ को अपना घर गिरवी रखना पड़ा. उन्होंने सोचा कि फिल्म से जो मुनाफा होगा उससे वो अपना घर छुड़वा लेंगे. लेकिन हुआ उल्टा.

फिल्म रिलीज हुई और बुरी तरह फ्लॉप हो गई. इसके बाद तो जैसे जैकी श्रॉफ के बुरे दिन ही शुरू हो गए. एक तरफ उनका घर पहले से ही गिरवी रखा हुआ था तो वहीं दूसरी ओर कटरीना कैफ से भी उनके रिश्ते बिगड़ गए.

वहीं जिन लोगों ने फिल्म में पैसे लगाए थे उनके पैसे वापस करने के लिए जैकी श्रॉफ और उनकी पत्नी को अपनी बहुमूल्य चीजें तक बेचनी पड़ीं. जैकी श्रॉफ की हालत दिवालिया हो चुकी थी क्योंकि फिल्म में उतनी कमाई भी नहीं की थी जितनी रकम उन्हें चुकानी पड़ी.

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