सफर में पैकिंग के लिए आसान टिप्स

अक्‍सर सफर पर जाने से पहले लोग पैकिंग को लेकर थोडा टेंशन में रहते हैं. ऐसे में हम बताते हैं पैकिंग की बेहद आसान टिप्‍स, जिनसे सफर का मजा होगा दोगुना.

चेक लिस्‍ट बनाना जरूरी

किसी भी सफर पर जानें से पहले एक चेक लिस्‍ट बनाना बेहद जरूरी होता है. जिसमें जिस जगह जा रहे हैं उस जगह के बारे में. इसके साथ ही वहां साथ ले जाने वाले सामान के बारे में लिखें. सफर में निकलने से पहले उस लिस्‍ट को जरूर चेक करें.

जगह के हिसाब से प्‍लान

सफर पर कहां जा रहे हैं और कितने लोग साथ जा रहे हैं. इसकी जानकारी बहुत मायने रखती है. जहां जा रहे हैं पहले वहां के मौसम के बारे में, यातायात के बारे में जानना जरूरी है. इसके बाद वहां पर ले जाने वाले सामान को इकट्ठा करें.

सामान रखने की जगह

सामान को पैक करने से पहले यह डिसाइड करना है कि किस बैग में कौन सा सामान रखना है. सामान बैग और उसमें बने पॉकेट के हिसाब से प्‍लान करना ज्‍यादा सही रहता है. इससे सामान रखने के साथ ही उसे निकालने में भी आराम रहता है.

कपड़ों का चयन करें

सफर हिल स्टेशन का है या बीच आदि का. इन दोनों ही जगहों के हिसाब से कपड़ों का चयन होना चाहिए. हिल स्टेशन आदि के सफर में गर्म कपड़े अवश्य रखें. वहीं बीच आदि पर जा रहे हैं तो फिर टी-शर्ट और शॉर्ट्स बैग में अवश्य होने चाहिए.

पेपर आइटम ऐसे रखें

पैकिंग करते समय टिकट पासपोर्ट, पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड और वीजा आदि को रखना न भूलें. इसके अलावा इन्‍हें रखने में जगह का चयन बेहद जरूरी है. जिससे कि ये कभी भी कहीं भी जरूरत पर आसानी से निकाले जा सकें.

हेल्थ किट रखना जरूरी

सफर में अक्‍सर वहां के वातावरण के मुताबिक लोगों को हल्की खांसी जुकाम व शरीर में दर्द जैसी समस्‍या होने लगती है. ऐसे में जरूरी नहीं कि हर जगह पर डॉक्‍टर या फिर दवा मिल सके. जिससे जरूरी है कि पैकिंग के समय मेडिकल किट जरूर रखें.

जूते-चप्‍पल कम रखें

पैकिंग करते समय सफर के हिसाब से जरूरत के हिसाब से जूते-चप्‍पल रखें. ब्रांडेड जूते-चप्‍पल लोकल की अपेक्षा अधिक मजबूत रहेंगे. एक से अधिक जोड़ी जूते रखने से बैग में ज्‍यादा जगह घेरते हैं क्‍योंकि वह बाकी सामानों से अलग रखे जाते हैं.

फ्रेशनेस से जुड़ा सामान

अक्‍सर देखने में आता है कि बहुत से लोग सफर के दौरान फ्रेशनेस से जुड़ा सामान भूल जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि मंजन, साबुन, तेल, कंघा आदि पहले से एक जगह पर रख लेना चाहिए. लंबे सफर में सेविंग किट रखना बिल्‍कुल न भूलें.

आपस में सब कनेक्‍टेड रहें

अगर पूरे परिवार या फिर कई दोस्‍तों संग सफर पर जा रहे हैं तो पैकिंग के दौरान सबसे कनेक्‍टेड जरूर रहें. कोशिश करें कि सबलोग मिलजुल कर सामान पैक करें. इससे एक ही इंसान दो आइटम पैक करने से बचेगा और सारा सामान भी साथ होगा.

इलेक्‍ट्रॉनिक सामान भी

आज के दौर में सफर के दौरान लैपटॉप, टैबलेट, फोन और कैमरा भी जरूरी सामानों में शामिल है. ऐसे में इन्‍हें चालू रखने के लिए इनके सेल और चार्जर रखना जरूरी होता है. वहीं पैकिंग के दौरान कोशिश करें कि पॉवर बैंक रखना न भूलें.

अगर ये कपड़े पहनती हैं, तो आपको हो सकता है नुकसान

अक्सर ऐसा कहा जाता है, कि किसी इंसान के पहनावे से उनके व्यक्तिव के बारे में पता चलता है. हर इंसान को अच्छे कपड़े पहनने का शौक होता है. सुन्दर सी जींस विद ब्रांडेड टी शर्ट आखिर किसको नहीं सुहाएगी.

लेकिन कभी-कभी फैशन के इस दौर में ट्रेंडिंग फैशन के चक्कर में कई बार हमें दर्द सहन करने के साथ-साथ असहज भी होना पड़ता है. ऐसा जरूरी नहीं है कि आपके ट्रेंडिंग कपड़े आपके शरीर के साथ भी फ्रेंडली हो. जिसकी वजह से आपको परेशानी उठानी पड़ती है.

आइए जानते है ऐसे ही कुछ कपड़ो के बारे में जो अनजाने में ही सही पर हर रोज आपको स्वास्थ्य समस्याओं की और धकेलते हैं.

1. हम सबको अक्सर डेनिम पहनना बहुत पसंद होता है. हमारे पास पड़ी डेनिम की कई जीन्स ऐसी होती है जिनमें खुद को एक दिन फिट देखने की हमारी तमन्ना हमें उन्हें फेंकने नहीं देती. हम खुद को परेशान करके उसी पुरानी जींस में खुद को फिट करने की कोशिश करते रहते है ताकि इस जीन्स में हम पतले लग सके. जींस के तंग कपड़े आपके पैरों को सुन्न कर देते हैं.

साथ ही आपकी कमर के आस-पास जकड़न जैसी स्थिति पैदा कर देता है. इतना ही नहीं, कई बार तो ऐसी स्थितियों में व्यक्ति कम्पार्टमेंट सिंड्रोम जैसी स्थिति को बढ़ावा दे देता है. इसमें शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ जाती है.

2. टाइट स्कर्ट आजकल ट्रेंड में है. हालांकि ये दिखने में काफी खूबसूरत भी लगती है. लेकिन अपनी खूबसूरती के साथ-साथ असुविधा का कारण भी बनती है. ऐसी तंग स्कर्ट जो कमर पर बांधी जाती है,सांस लेने में समस्या पैदा कर सकती है.

3. ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट की मानें तो कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े और उनके रंग ऐसे होते है जो हमारे हार्मोन में ऐसी गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं. जिससे लोगों को कैंसर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

4. अक्सर हम स्टाइलिश लुक के चक्कर में ऊंची एड़ी के जूते पहनने लगते हैं. इनमें आप पतली और लम्बी भी दिख सकती हैं. लेकिन ये हमारे स्वास्थ्य के लिए उतने ही हानिकारक है. ये आपकी पीठ, रीढ़ और घुटने पर कुप्रभाव डालती हैं.

घर के रंग-रोगन में हो कुछ खास

त्योहारों के समय घरों में रंग-रोगन का काम तो अधिकांश लोग कराते हैं और उसकी सुंदरता बढ़ाते हैं, यदि ये रंग आपकी मानसिक सेहत को सूट करते हुए हों तो कितना अच्छा हो. याद है आपको अपने बचपन का घर, वहां की नीली और सफेद दीवारें कैसे आज भी आपके दिलोदिमाग में बसी हैं. यादों के ऐसे ही रंगों से यदि घर की दीवारों को सजाया जाए तो उससे मानसिक सेहत बेहतर होती है. यदि यादों में बसा ऐसा कोई रंग नहीं हो तो फिर ऐसे रंगों का चुनाव करें, जो आपके मन को सुकून देने वाले हों.

जब लिविंग रूम की दीवारें करें स्वागत

रंगों के वॉर्म प्रकार के टोन जैसे लाल, पीला और नारंगी, मिट्टी के रंग के टोन जैसे भूरा लिविंग रूम के लिए बेहतर माने जाते हैं. क्योंकि ये रंग संवाद को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं. ये लोगों को उस स्थान पर बैठकर बातें करने को प्रेरित करते हैं. ये रंग घर पर आने वाले लोगों को गर्मजोशी का अहसास कराते हैं और लोगों को जोड़ने का काम करते हैं.

बचपन का किचन

रंग विशेषज्ञों का कहना है कि किचन से हमारे बचपन की बहुत ही मीठी यादें जुड़ी होती हैं. यदि उन्हीं रंगों को दोबारा बड़े होने पर प्रयोग किया जाए तो उसका अर्थ और अधिक सार्थक होगा. मान लीजिए आप जब छोटी हों और आपके किचन की दीवारों का रंग नीला और सफेद हो तो ये दोनों ही रंग आपके परिवार के लिए बहुत अच्छे होंगे.

यदि रंगों को लेकर ऐसी कोई याद न हो तो फिर किचन के लिए लाल और पीले रंग सबसे सटीक होंगे. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपका वजन अधिक है तो लाल रंग और अधिक खाने को प्रेरित करता है. यदि आप डाइटिंग कर रही हैं तो फिर लाल रंग आपके किचन के लिए ठीक नहीं.

डाइनिंग रूम के रंग कुछ खास

यदि आपके डाइनिंग रूम की दीवारों का रंग लाल है तो इससे लोगों तक यह बात पहुंचेगी कि आप एक बेहतर कुक होंगी. लाल रंग की दीवारें मेहमानों की भूख को बढ़ाती है और साथ ही बातचीत का माहौल भी बेहतर होता है.

कूल बेडरूम का कलर हो कूल

बेडरूम ऐसी जगह होती है जहां इंसान आराम करता है. कूल कलर्स जैसे- नीला, हरा और लैवेंडर कलर्स बेहतर विकल्प हो सकते हैं. इन रंगों में शांति प्रदान करने का गुण होता है.

बाथरूम के वॉर्म कलर्स

बाथरूम के लिए चुनें वॉर्म कलर्स सफेद और वॉर्म कलर्स बाथरूम के लिए हमेशा ही बेहतर विकल्प माने जाते रहे हैं. क्योंकि ये रंग स्वच्छता और शुद्धता का संदेश देते हुए प्रतीत होते हैं. कई लोगों को नीले, हरे और फिरोजी रंग बाथरूम के लिए बेहतर जान पड़ते हैं. ये रंग स्वच्छता और ताजगी का अहसास कराते हैं. यदि आप किसी खास रंग के कपड़े नहीं पहनते हैं तो उस रंग से कभी भी बाथरूम को पेंट न कराएं.

यदि घर में हो वर्कआउट रूम

आपने भी यदि वर्कआउट के लिए घर पर अलग से एक रूम बनवाया है तो फिर उस कमरे की दीवारों का रंग भी कुछ खास होना चाहिए. इस कमरे के लिए लाल और नारंगी रंग का प्रयोग करने से आपको सक्रिय बने रहने की प्रेरणा मिलती है वैसे नीला और हरा रंग भी बेहतर विकल्प हो सकते हैं. पीला-हरा और नीला-हरा बेहतर हो सकता है.

लिवर को जानें और रहें स्वस्थ

शरीर के सब से महत्त्वपूर्ण अंगों में शुमार होता है लिवर. यह शरीर का सब से बड़ा भीतरी अंग है जो स्वस्थ शरीर के अस्तित्व के लिए जरूरी कई रासायनिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार है. 

लिवर एक ग्रंथि भी है क्योंकि यह ऐसे रसायनों का स्राव भी करता है जिस का इस्तेमाल शरीर के अन्य अंग करते हैं. अपने अलग अलग तरह के कार्यों के कारण यह एक अंग और ग्रंथि दोनों में शुमार होता है. यह शरीर के सामान्य ढंग से काम करने के लिए जरूरी रसायनों का निर्माण करता है. यह शरीर में बनने वाले तत्त्वों को छोटेछोटे हिस्सों में तोड़ता है और जहरीले तत्त्वों को खत्म करता है. साथ ही, यह स्टोरेज यूनिट की तरह भी काम करता है.

हेप्टोसाइट्स (हेपट-लिवर+ साइट-सेल) शरीर में कई प्रकार के  प्रोटीन के  निर्माण के लिए जिम्मेदार होते हैं जिन की अलगअलग कार्यों के लिए जरूरत होती है. इन में ब्लड क्लौटिंग और एल्बुमिन शामिल हैं जिन की सर्कुलेशन सिस्टम  के भीतर फ्लुइड बनाए रखने के लिए जरूरत होती है. 

लिवर कोलैस्ट्रौल और ट्रिग्लीसेराइड्स बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण भी लिवर में होता है और यह अंग ग्लूकोज को ग्लूकोजेन में बदलने के लिए जिम्मेदार है जिन्हें लिवर में और मांसपेशियों की कोशिकाओं में स्टोर किया जा सकता है.

लिवर बाइल भी बनाता है जो खाना पचाने में मदद करते हैं. लिवर शरीर में उपापचयी प्रक्रिया के सहउत्पाद अमोनिया को यूरिया में बदल कर शरीर को जहरीले तत्त्वों से मुक्त करने में अहम भूमिका निभाता है जिसे किडनी द्वारा पेशाब मार्ग से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. यह अल्कोहल समेत दवाओं को भी तोड़ता है और यह शरीर में इंसुलिन व दूसरे हार्मोंस को तोड़ने के लिए भी जिम्मेदार होता है.

लिवर की सामान्य बीमारियां

जीवनशैली और खानपान की आदतों में होने वाले बदलावों के कारण आज जिस अंग पर सब से अधिक प्रभाव पड़ा है वह है लिवर. लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों में विषाणु, नुकसानदायक भोजन और अल्कोहल का इस्तेमाल भी हो सकता है. हेपेटाइटिस ए, बी और सी जैसे विषाणु लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. 

आज अल्कोहालिक पेय का अत्यधिक कोलैस्ट्रौल वाले जंक फूड के साथ उपभोग किया जाना एक नित्य जीवनशैली सी बन गया है, यह भी लिवर की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है. इस से बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स का स्तर बढ़ जाता है जो टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से संबंधित है और जो लिवर की गंभीर बीमारी से भी संबंधित है. अत्यधिक बीएमआई के बढ़ते जोखिम की वजह से जीवन के  बाद के हिस्से में गंभीर लिवर बीमारी होने का खतरा कम उम्र से ही बना रहता है. लगातार अधिक वजन बने रहने और मोटापे ने भी दुनियाभर में लिवर की बीमारियों को बढ़ाने में भूमिका निभाई है.

लिवर को नुकसान पहुंचाने वाला एक अन्य कारक मोटापा है. मोटापा आज के समय में दुनियाभर की समस्या है और विकासशील देशों में भी वयस्कों एवं बच्चों दोनों में मोटापे की समस्या की वजह से यह एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है. उपलब्ध अध्ययनों से मोटापे से विभिन्न प्रकार के कैंसर पैदा होने की जानकारी मिली है. खासतौर पर मोटापे और लिवर कैंसर के बीच मजबूत संबंध है. 

इस के अलावा नौन अल्कोहालिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) और अधिक गंभीर नौन अल्कोहालिक स्टियोहैपेटाइटिस (एनएएसएच) जैसी अन्य बीमारियों का भी खतरा है. एनएएसएच को लिवर के चरबीदार होने और जलन होने से पहचाना जाता है और माना जाता है कि इस से फाइब्रोसिस और सिरौसिस भी हो सकता है. सिरौसिस को लिवर कैंसर के जोखिम के कारण के तौर पर जाना जा सकता है. दरअसल, अधिक लोगों के मोटापे से पीडि़त होने की

वजह से यह हेपेटाइटिस विषाणु की वजह से होने वाले संक्रमण के मुकाबले हैप्टोसैल्यूलर कार्सिनोमा की अहम वजह हो सकता है.

अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल का इस्तेमाल करने की वजह से लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है. जब कोई व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल का इस्तेमाल करता है तो लिवर के सामान्य कामकाज में बाधा पैदा होती है. जिस से शरीर में रासायनिक असंतुलन हो सकता है. लिवर की कोशिकाएं बरबाद हो सकती हैं.

लिवर कैंसर के लक्षण

लिवर कैंसर के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलगअलग होते हैं और इन में से कोई लक्षण दूसरे लक्षण की वजह से हो सकता है.

–       वजन में कमी.

–       बुखार आना.

–       पेट में सूजन.

–       उबकाई और उलटी होना.

–       भूख में कमी या थोड़ा खाना खाने के बाद ही पेट भरा महसूस होना.

–       सामान्य कमजोरी लगातार थकान बनी रहना.

–       दायीं तरफ पेट के ऊपरी हिस्से में या दाएं कंधे में होना वाला दर्द.

–       लिवर का बड़ा आकार (हैप्टोमीगली) पसलियों के नीचे दायीं तरफ एक बनावट की तरह महसूस होता है.

–       स्प्लीन का बड़ा आकार पसलियों के नीचे बायीं तरफ एक बनावट की तरह महसूस होता है.

–       पीलिया जो त्वचा व आंखों में पीलेपन के तौर पर दिखाई देता है. पीलिया तब होता है जब लिवर अच्छी तरह काम नहीं करता है.

चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण के साथ गंभीररूप से खराब हो चुके लिवर वाले मरीज लिवर प्रत्यारोपण का विकल्प चुन सकते हैं. उन के लिए इस की आधारभूत प्रक्रिया को समझना जरूरी है.

देखभाल करने के लिहाज से लिवर सरल अंग है लेकिन उसे वह महत्त्व नहीं मिलता जिस का वह हकदार है. अपने विभिन्न प्रकार के कार्यों की वजह से इस पर विषाणुओं, जहरीले पदार्थों, खाने और पानी में मौजूद मिलावट व बीमारियों का असर पड़ता है. लेकिन यह परेशानी में होने के बाद भी शिकायत करने के लिहाज से सुस्त होता है क्योंकि यह शरीर का एक मजबूत और सख्त हिस्सा है. 

अकसर लिवर की समस्याओं से पीडि़त लोगों को किसी गड़बड़ी का पता नहीं चलता क्योंकि उन्हें कुछ या न के बराबर ही लक्षण देखने को मिलते हैं.  हालांकि लिवर की बीमारियों के उपचार का महत्त्वपूर्ण आधुनिकीकरण तरीका उपलब्ध है लेकिन संपूर्ण सामाधन नहीं है. इसलिए लिवर को नुकसान से बचाने के लिए सेहतमंद जीवनशैली अपनानी बेहद महत्त्वपूर्ण है और लिवर की बीमारियां पैदा करने वाले विषाणुओं के खिलाफ जरूरी टीके लेने जरूरी हैं.

(डा. गौरदास चौधरी, लेखक गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट के निदेशक हैं.)

कौन कर रहा है देसी गर्ल को बार बार किस

प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपनी फिल्म ‘बेवॉच’ को लेकर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. उन्होंने बड़े जोर शोर से फिल्म का प्रमोशन भी किया. आपको याद हो अगर तो कुछ दिनों पहले प्रियंका चोपड़ा की बिकिनी में कुछ तस्वीरें सामने आई थीं. जो इंटरनेट पर खूब वायरल हुई. इन तस्वीरों में प्रियंका काफी हॉट भी लग रही थी.

हम आपको बता दें कि इन तस्वीरों के साथ-साथ, कुछ समय से प्रियंका के दो वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. ये दोनों वीडियो प्रियंका के इंटरव्यू के हैं. दरअसल, इन दोनों ही इंटरव्यू के दौरान प्रियंका की हॉलीवुड फिल्म ‘बेवॉच’ के को-स्टार ड्वेन जॉनसन पीछे से आकर अचानक प्रियंका को किस कर देते हैं और ड्वेन जॉनसन ने दो बार, अलग-अलग इंटरव्यू में प्रियंका को किस किया है.

इस वीडियो में प्रियंका ‘बेवॉच’ को लेकर एक इंटरव्यू दे रही हैं. तभी पीछे से ड्वेन आते हैं और प्रियंका को किस कर देते हैं. हालांकि सामने लगे शीशे में प्रियंका ने उन्‍हें आते हुए देख लिया और वह समझ गईं और थोड़ी तैयार भी हो गईं. प्रियंका ने ड्वेन से कहा भी कि उन्‍होंने, उन्‍हें पीछे से आते हुए देख लिया था.

 

ड्वेन आए और उन्‍हें किस कर के तुरंत वहां से यह कहते हुए चले गए कि ‘प्रियंका अमेजिंग हैं और वह उनकी स्‍टार हैं.’ इतना ही नहीं, इसके बाद इंटरव्‍यू करने वाले ने जब प्रियंका से पूछा कि ड्वेन ने प्रीमियर पर भी ऐसा किया था, तो प्रियंका ने कहा, ‘शायद उन्‍हें मेरे बाल बहुत पसंद हैं.’

बता दें कि मियामी में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब प्रियंका चोपड़ा इस फिल्‍म के प्रीमियर के दौरान इंटरव्‍यू दे रही थीं और अचानक वहां से गुजरते हुए ड्वेन ने उन्‍हें किस कर लिया था. जब मियामी में ड्वेन ने प्रियंका को किस किया था तो वे कुछ नहीं कह पाई थीं.

ये बात तो शायद आप जानते हैं अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि ‘बेवॉच’ 90 के दशक की इसी नाम की टीवी सीरीज पर आधारित फिल्‍म है. प्रियंका इस फिल्‍म में विक्‍टोरिया के किरदार में नजर आएंगी, जो एक विलेन है. प्रियंका चोपड़ा इसके अलावा अमेरिकन टीवी सीरीज ‘क्‍वांटिको’ के दूसरे सीजन में भी नजर आ चुकी हैं और अब तीसरे सीजन की तैयारी कर रही हैं. हाल ही में प्रियंका न्‍यूयॉक में आयोजित हुए मेट गाला 2017 में भी शिरकत कर चुकी हैं.

आपने देखी सनी लियोन की ये हॉट फोटोज

एमटीवी पर प्रसारित होने वाला रियलटी टीवी शो स्प्लिट्सविला बेहद ही पॉपुलर है जिसे यंगस्टर्स देखना काफी पसंद करते हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोन ने स्प्लिट्सविला सीजन 10 की शूटिंग शुरू कर दी है. सनी ने शूटिंग के दौरान की कई तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम पर शेयर भी की हैं.

इन तस्वीरों में सनी के साथ उनके को होस्ट रणविजय सिंह भी नजर आ रहे हैं. बता दें कि सनी और रणविजय इस बार स्प्लिट्सविला सीजन 10 की शूटिंग नेशनल जिम कार्बेट पार्क में कर रहे हैं.

हर तस्वीर में सनी का अलग अंदाज दिखाई दे रहा है. सनी और रणविजय जिम कॉर्बेट की अलग-अलग लोकेशन्स पर शूट कर रहे हैं जिसकी वजह पूरी यूनिट को नेटवर्क की समस्या से भी जूझना पड़ रहा हैं. सनी स्प्लिट्सविला के नए सीजन को होस्ट करने को लेकर काफी एक्सा​इटेड हैं.

सनी पिछले काफी समय से स्प्लिट्सविला को होस्ट कर रही हैं और शायद उनकी वजह से भी इस शो की पॉपुलैरिटी और ज्यादा बढ़ी है.​ स्प्लिट्सविला सीजन 9 में काफी लव, फाइट और ड्रामा देखने को मिला था. कुछ दिनों पहले सनी ने लोगों से शाहकारी बनने की अपील की. एक विज्ञापन में सनी ढेर सारी लाल मिर्ची पर लेटी हुई नजर आईं. विज्ञापन के जरिए उन्होंने लोगों से शाकाहारी होने की अपील की.

 

 

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छुट्टियों में रोमांच के लिए करें इन 5 जगहों की सैर

आपको अडवेंचर पसंद है और हिस्ट्री में इंट्रेस्ट है तो इन जगहों पर घूमना आपको पसंद आएगा. ये हैं छुट्टियों में रोमांच भर देने वाले इंडिया के 5 हॉन्टेड प्लेस.

भानगढ़

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ फोर्टो को एशिया की सबसे खौफनाक जगहों में से एक माना जाता है. सूरज ढलने के साथ ही लोग इस किले के आस-पास भी नहीं भटकते.

दमस बीच

गुजरात का दमस बीच डुमस नाम से भी जाना जाता है. दिन में यहां सैलानी मस्ती करते हैं, लेकिन रात के वक्त लोकल लोग इस बीच की दिशा में देखते तक नहीं है. स्थानीय लोगों कहना है कि भूत-प्रेतों का बसेरा है. रात में यहां चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती हैं.

अग्रसेन की बावली

दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास स्थित अग्रसेन की बावली के बारे में कहा जाता है कि एक बार यह बावली स्वत: काले पानी से भर गई थी. उस काले पानी में सम्मोहन शक्ति थी, जिस कारण कई लोगों ने उसमें कूदकर आत्महत्या कर ली. उसके बाद जब यह बावली सूखी तो फिर कभी नहीं भरी. अब केवल बरसात में ही यहां पानी भरता है.

शनिवारवाड़ा

महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है शनिवारवाड़ा. इस किले से जुड़ा डर इसके इतिहास को याद दिलाता है. इस किले में मराठा साम्राज्य के पांचवे पेशवा नारायण राव की रात में हत्या की गई. खतरा भांपकर अपने चाचा के कक्ष की तरफ दौड़ते हुए राव ‘काका माल बचावा’ चाचा मुझे बचा लो चिल्ला रहे थे. इसी बीच उनकी हत्या कर दी गई. कहते हैं, नारायण राव की आत्मा आज भी इस किले में भटकती है. उनके आखिरी शब्द अभी रात को इस महल में गूंजते हैं.

डाउ हिल

पश्चिम बंगाल के कर्शियांग की डाउ हिल यहां हुई आत्महत्याओं के लिए जानी जाती है. इस जंगल में एक अजीब सी सिहरन होती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आत्माएं दिखती हैं. सुनसान जंगल में लोगों के चलने की आहट महसूस होना आम बात है.

कंगना के खिलाफ केतन मेहता ने दर्ज करायी शिकायत

कंगना रनौत अपनी अति महत्वाकांक्षा के चलते लगातार विवादों में घिरने के साथ ही कानूनी पचड़ों में फंसती हुई नजर आ रही हैं. एक तरफ उनकी लेखक बनने की महत्वाकांक्षा के चलते फिल्म ‘‘सिमरन’’ के लेखक अपूर्वा असरानी उन पर कई तरह के आरोप खुलेआम लगा चुके हैं. तो वहीं अब झांसी की रानी पर बन रही फिल्म ‘‘मणिकर्णिका’’ को लेकर केतन मेहता ने कंगना रनौत के खिलाफ पुलिस की ‘इकोनॉमिक ऑफेंस विंग’ यानी कि ‘आर्थिक अपराध शाखा’ में शिकायत दर्ज कराते हुए कंगना रनौत पर धोखाधड़ी व विश्वास हनन का आरोप लगाया है.

लगभग एक माह पहले केतन मेहता ने अपने वकील के माध्यम से कंगना रनौत को कानूनी नोटिस भेजते हुए अपनी फिल्म ‘‘झांसी की रानी’’ को हाईजैक करने का उन पर आरोप लगाया था. तब कंगना के वकील ने केतन मेहता के आरोपों को ‘‘घटिया व बेतुका’’ बताया था. पर अब केतन मेहता ने पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग’ में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि कंगना रनौत के धोखाधड़ी व विश्वास हनन के चलते उनकी दस वर्ष की मेहनत व नौ करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है.

वास्तव में केतन मेहता अपनी महत्वकांक्षी फिल्म ‘‘झांसी की रानी लक्ष्मी बाई’’ पर दस वर्ष से मेहनत कर रहे थे. पिछले दो वर्ष से इस फिल्म के साथ कंगना रनौत बतौर अभिनेत्री इस फिल्म से जुड़ी हुई थी, जिसके चलते कई जानकारियां केतन मेहता ने कंगना को दी थी. पर अचानक कंगना ने केतन मेहता की फिल्म में काम करने से इंकार कर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की ही जिंदगी पर बन रही निर्देशक राधा कृष्णा जगरलामुड़ी की फिल्म ‘मणिकर्णिका’ कर रही हैं. वह इस फिल्म का पोस्टर व फस्टलुक भी जारी कर चुकी हैं. ज्ञातब्य है कि राधा कृष्णा इससे पहले अक्षय कुमार की फिल्म ‘‘गब्बर इज बैक’’ निर्देशित कर चुके हैं. पर इससे केतन मेहता को धक्का लगा है.

बहरहाल, अब केतन मेहता ने कंगना रनौत के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है. एक अंग्रेजी अखबार से केतन मेहता ने कहा है, ‘‘हमने अपनी फिल्म की पटकथा के कई वर्जन और रानी लक्ष्मीबाई के किरदार से संबंधित कई स्केच कंगना को दिए थे. पर हमें उस वक्त धक्का लगा, जब हमें पता चला कि हमारी दी हुई सामग्री का उपयोग कर वह दूसरे फिल्मकार के साथ फिल्म कर रही हैं. हमने दस साल इस पर काम किया है और वह उसे हाईजैक कर काम कर रहे हैं.’’

उधर मुंबई पुलिस में इकोनॉमिक ऑफेंस विंग के डीसीपी पराग मनेरे कहते हैं, ‘‘हमें केतन मेहता की तरफ से लिखित शिकायत मिली है. अभी हमने पूरी शिकायत नहीं पढ़ी है. पर नौ करोड़ की क्षतिपूर्ति की मांग है. हम पूरी रपट पढ़ने के बाद आवश्यक कार्यवाही करेंगे.’’

अब देखना है कि यह मसला कितनी दूर तक जाता है.

तुलसी के पत्तों से निखारें रंग-रूप

तुलसी एक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका इस्तेमाल रूप-रंग निखारने के लिए भी किया जा सकता है? तुलसी में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो त्‍वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में सहायक हैं.

त्वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. ये एक नेचुरल उपाय है. ऐसे में किसी भी तरह के साइड-इफेक्ट का खतरा नहीं होता है.

डैंड्रफ से छुटकारा

अगर आपके सिर में रूसी है तो तुलसी के पत्‍तों का पेस्‍ट बना लें. इसे आंवले के पाउडर के साथ मिलाकर स्कैल्प में लगाएं. कुछ देर बाद बाल धो लें. इसके अलावा आप चाहें तो तुलसी की पत्त‍ि‍यों को पानी में उबालकर भी इसे प्रयोग में ला सकती हैं.

पिंपल्स से छुटकारा

तुलसी और नीम के पत्‍तों को पीस लें और एक पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट में शहद की कुछ बूंदें मिला लें. पेस्‍ट को पिंपल्‍स पर लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें. कुछ दिन ये उपाय करने पर पिंपल दूर हो जाएंगे.

दांतों में लाए चमक

दांतों में पीलापन आ जाना एक आम समस्या है. आप चाहें तो तुलसी की पत्त‍ियों को सुखाकर एक पाउडर बना सकती हैं. इसके अलावा आप चाहें तो इसे संतरे के छिलके के साथ पीसकर पेस्ट भी बना सकती हैं. इस पेस्ट के नियमित इस्तेमाल से पायरिया की शि‍कायत दूर हो जाती है.

सेविंग अकाउंट से ज्यादा ब्याज चाहती हैं तो यहां जाएं…

अगर आप निवेश के साथ साथ टैक्स भी बचाना चाहती हैं तो पोस्ट ऑफिस की कुछ स्कीम्स आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं.

भविष्य की जरूरतों के मद्देनजर हर कोई थोड़ी बहुत बचत करता ही है. लोग बचत के लिए तरह-तरह के निवेश विकल्प का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अमूमन ज्यादातर लोग बैंक के सेविंग अकाउंट को ही बेहतर मानते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें जमा पैसा आप किसी भी समय निकाल सकती हैं और इस खाते में जमा रकम पर सालाना 4 से 6 फीसद तक का ब्याज भी मिलता है.

लेकिन डाकघर यानी पोस्ट ऑफिस में भी ऐसी तमाम स्कीम चलती हैं तो बैंक के सेविंग अकाउंट से भी ज्यादा फायदेमंद हैं. हम यहां आपको ऐसी ही कुछ स्कीम के बारे में बता रहे हैं.

डाकघर मासिक बचत आय (पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम अकाउंट)

डाकघर की मासिक आय खाता योजना ऐसे निवेशकों के लिए होती है जो एकमुश्त राशि का निवेश कर मासिक आधार पर ब्याज पाना चाहते हैं. यह योजना रिटायर्ड कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेहद उपयोगी होती है.

इस खाते में म्योच्योरिटी पीरियड पांच साल होता है. इसमें खाता धारक को जमा पर हर महीने ब्याज मिलता है. मौजूदा समय में इस योजना में 7.60 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है. इसे सिंगल या फिर ज्वाइंट दोनों तरह से खोला जा सकता है, दोनों में ही जमा की सीमा अलग अलग है.

जैसा कि सिंगल में अधिकतम निवेश 4.5 लाख है तो ज्वाइंट खाते में आप 9 लाख रुपए तक जमा करा सकते हैं.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)

पीपीएफ अकाउंट वेतनभोगी और व्यापारी वर्ग दोनों के लिए ही होता है. इसमें एक वित्तवर्ष में अधिकतम एक लाख रुपए तक के निवेश पर कर छूट का लाभ मिलता है. इसे या एकमुश्त या फिर 12 किश्तों में जमा किया जा सकता है. यह अकाउंट नाबालिग और बालिग दोनों का हो सकता है. इसका म्योच्योरिटी पीरियड 15 साल है. इसमें जमा पर 7.9 फीसद का ब्याज मिलता है.

राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी)

अगर आप सुरक्षित निवेश के साथ बेहतर रिटर्न भी चाहते हैं तो आपको इसका चयन करना चाहिए. इस योजना को सरकारी कर्मचारी, बिजनेसमैन और कर अदा करने वाले अन्य वेतन भोगियों की जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए जारी किया गया है. इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं होती है.

राष्ट्रीय बचत पत्र दो तरह के होते हैं पहल है और इन पर टीडीएस नहीं कटता है. ट्रस्ट और एचयूएफ इसमें निवेश नहीं कर सकते हैं. इसमें जमा पर 7.9 फीसद की दर से ब्याज मिलता है. इसमें जमा पर आयकर की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है.

पांच वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता

यह भी निवेश का एक बेहतर टूल्स है. इसमें आपका पैसा पांच साल के लिए जमा रहता है. इस खाते में जमा पर 7.2 फीसद की दर से ब्याज मिलता है. साथ ही इस बचत योजना में एक साल के बाद 50 फीसदी रकम निकलाने की व्यवस्था है. ध्यान रहे कि प्रति माह इसमें 10 रुपये का निवेश जरूरी है.

डाकघर सावधि जमा खाता (पोस्ट ऑफिस डिपोजिट अकाउंट)

डाकघर सावधि जमा खाता भी निवेश का एक बेहतर माध्यम है, जिसमें आपको 7.8 फीसद की दर से ब्याज मिलता है. यह ब्याज दर आपको पांच वर्षीय खाते पर मिलता है. यह खाता व्यक्तिगत तौर पर खोला जा सकता है. सावधि जमा खाते पर आयकर अधिनियम 80c के तहत आयकर से छूट मिलती है.

वरिष्ठ नागरिक बचत खाता (एससीएसएस)

यह बचत योजना खासतौर पर 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए है. ये 60 की उम्र पार कर चुके लोगों के लिए निवेश का शानदार विकल्प है. हालांकि, 55 साल से 60 साल की उम्र के बीच में रिटायर होने वाले या वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने वाले व्यक्ति भी रिटायरमेंट के तीन माह पहले यह खाता खोल सकते हैं. एक हजार रुपए से यह खाता खोला जा सकता है. इसमें अधिकतम निवेश की सीमा 15 लाख रुपए है. इस अकाउंट का म्योच्योरिटी पीरियड पांच साल है. इस खाते को अपनी पत्नी के साथ ज्वाइंट अकाउंट के रुप में भी खोला जा सकता है. इस पर 8.4 फीसद की दर से ब्याज मिलता है.

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