इस साल बॉक्स ऑफिस पर टकराएंगी ये बड़ी फिल्में

बॉलीवुड में जब भी दो फिल्में एक साथ रिलीज की जाती हैं तो इसका असर बॉक्स ऑफिस पर साफ पता चलता है. साल 2017 की शुरुआत ही दो बड़े स्टार्स की फिल्मों के टकराव से हुई थी और ऐसा लगता है कि ये साल बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों के क्लैश की तारीखें साथ ले कर आया है.

तो आइए जानते हैं इस साल बॉक्स ऑफिस पर कौन-कौन से स्टार टकराने वाले हैं.

आमिर-रजनीकांत

आमिर खान की फिल्म ‘सी‍क्रेट सुपरस्टार’ और सुपरस्टार रजनीकांत की मेगाबजट फिल्म ‘रोबोट 2.0’ दीवाली पर आमने सामने होंगी.

आमिर खान ने अपनी अगली फिल्म ‘सीक्रेट सुपर’ स्टार की रिलीज 11 अगस्त से आगे बढ़ा दी क्योंकि उस डेट को अक्षय कुमार की ‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’ और शाहरुख-अनुष्का स्टारर फिल्म पहले से टकाराने को तैयार हैं.

इसके बाद उन्होंने फिल्म की रिलीज डेट दिवाली कर दी और अब उनकी फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ रजनीकांत की फिल्म ‘2.0’ के साथ बॉक्स ऑफिस पर भिड़ेगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि दोनों बड़े स्टार्स में से किसी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कब्जा जमाने में कामयाब होती है.

अक्षय-शहरुख

इस साल का सबसे बड़ा टकराव 11 अगस्त को रिलीज हो रही फिल्मस के बीच है. अक्षय कुमार की ‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’ और इम्त‍ियाज अली के निर्देशन में बनी रही शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा स्टारर फिल्म होंगी. नेशनल अवॉर्ड विनर अक्षय की टॉयलेट कैसे देती है किंग खान को टक्कर ये देखना वाकई दिलचस्प होगा.

श्रद्धा-सैफ-श्रीदेवी

14 जुलाई को रिलीज अपूर्वा लाखिया की गैंगस्टर बेस्ड फिल्म ‘हसीना’ जिसमें लीड रोल में श्रद्धा कपूर और सिद्धांत कपूर नजर आएंगे के साथ एक्टर सैफ अली खान की फिल्म ‘शेफ’ आमने सामने होंगी. इन दोनों फिल्मों के कड़ी टक्कर देने के लिए श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’ भी इसी दिन रिलीज होने को तैयार है. देखना ये है कि दो बड़े नाम वाले स्टार्स के सामने न्यू कमर श्रद्धा कपूर क्या बॉक्स ऑफिस पर राज कर पाएंगी.

आयुषमान-परिणीता-अमिताभ-इरफान

12 मई को यशराज बैनर की परिणीता चोपड़ा और आयुषमान खुराना स्टारर फिल्म ‘मेरी प्यारी बिंदू’ और रामगोपाल वर्मा की अमिताभ बच्चन स्टारर ‘सरकार’ सीरीज की तीसरी फिल्म के साथ ही एक्टर इरफान खान की हल्की-फुल्की कॉमेडी ‘हिंदी मीडियम’ भी इस रेस में शामिल है.

फरहान अख्तर-कंगना

15 सिंतबर को फरहान अख्तर स्टारर ‘लखनऊ सेंट्रल’ और बॉलीवुड क्वीन कंगना रनोट की फिल्म ‘सिमरन’ में कड़ी टक्कर होगी. जहां एक तरफ ‘लखनऊ सेंट्रल’ का निर्माण निखिल आडवाणी और निर्देशन रणजीत तिवारी कर रहे हैं तो वहीं ‘सिमरन’ का निर्देशन हंसल मेहता ने किया है जो पहले भी ‘शाहिद’ और ‘अलीगढ़’ जैसी ऑफबीट फिल्मों से लोगों का दिल जीत चुके हैं.

देखना दिलचस्प होगा कि इन फिल्मों की टक्कर होगी या इनमें सो कोई अपनी रिलीज डेट दूसरे के डर से आगे बढ़ा लेगा.

ये हैं मशहूर कॉमेडियन्स की खूबसूरत पत्नियां

टीवी स्टार्स की बात की जाए तो टीवी में कई कॉमेडियन स्टार्स है जिनकी कॉमेडी लोगों को काफी पसन्द आती है. हम आपको उन कॉमेडियन की पत्नियों के बारे में बताएंगे क्योंकि इन कॉमेडियन्स की पर्सनल जिन्दगी के बारे में बेहद ही कम लोगों को मालूम है. आपको बता दें की टीवी के बहुत से कॉमेडियन शादीशुदा है हालांकि कपिल नहीं है लेकिन बाकी और भी है, जो ऑडियंस के बीच काफी मशहूर है. आइए जानते है इनकी पत्नियों के बारे में.

सिद्दीका असगर – अली असगर

अली असगर को आप पहचानते ही होंगे. उन्होंने छोटे पर्दे के कई शो किए हैं. फिलहाल वो कपिल शर्मा के शो में नानी बनकर लोगों को हंसाते हैं. इनकी पत्नी का नाम सिद्दीका असगर हैं. अली ने साल 2005 में इनसे निकाह किया था दोनों के दो बच्चे हैं, अदा और नूयान असगर.

प्रियंका शारदा – कीकू शारदा

कीकू कपिल के शो के बम्पर हैं. उनका टैलेंट आप FIR शो में देख चुके होंगे. कीकू सबके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. और उनके चेहरे पर मुस्कान लाती हैं उनकी पत्नी प्रियंका शारदा. दोनों की जोड़ी रियलिटी शो ‘नच बलिये सीजन-6’ में साथ नजर आई थी. इन्होंने साल 2003 में शादी की. इनके दो बच्चे हैं, जिनका नाम शौर्या और आर्यन शारदा है.

आरती ग्रोवर – सुनील ग्रोवर

‘डॉक्टर मशहूर गुलाटी’ के नाम से मशहूर सुनील ग्रोवर ने इंटीरियर डिजाइनर आरती से शादी की. इनके दो बच्चे हैं. उन्होंने एक बार इंटरव्यू में कहा था कि जिन जोक्स को मैं पब्लिक के सामने बोलता हूं, उससे पहले मैं उन्हें अपनी पत्नी के सामने कहता हूं. अगर वह उन पर हंसी, तो ही मैं उन्हें जनता तक ले जाता हूं. अगर नहीं हंसी तो उन्हें मैं पीछे ही छोड़ देता हूं.

कश्‍मीरा शाह – कृष्णा अभिषेक

कृष्णा और कश्‍मीरा की जोड़ी बेहद पॉपुलर है. दरअसल, कश्‍मीरा एक मॉडल और अभिनेत्री हैं. दोनों ने गुपचुप ही शादी कर ली थी. कृष्णा जाने माने कॉमेडियन होने के साथ-साथ मशहूर एक्टर गोविंदा के भांजे भी हैं. और हां, कृष्णा का डांस उनके मामा से मिलता जुलता है.

नंदनी खन्ना – चंदन प्रभाकर

कपिल शर्मा शो से मशहूर हुए चंदन प्रभाकर कई कॉमेडी शो में काम कर चुके हैं. उनका मासूम सा किरदार लोगों को गुदगुदाता है. चंदन की लाइफ में नंदनी साल 2015 में आईं. दोनों की शादी पंजाबी रिती रिवाजों से हुई थी. चंदन पंजाबी फिल्मों के डायरेक्टर और स्क्रि‍प्ट राइटर भी हैं.

शिखा श्रीवास्तव – राजू श्रीवास्तव

‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ फिल्म में राजू श्रीवास्तव की ‘भैयाजी’ का किरदार लोगों को बेहद रास आया था. और उन्होंने टीवी पर भी कई कॉमेडी शो में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है. इनकी देसी कॉमेडी कई चेहरों पर मुस्कान लाती है. राजू ने अपनी लाइफ शिखा के साथ गुजारने का फैसला किया और उनसे शादी की. दोनों के दो बच्चे हैं, जिनका नाम अंतरा और आयुष्मान है.

रचना कुरैशी – एहसान कुरैशी

कुरैशी सहाब का अपना अलग अंदाज है. उनके जोक्स लय में बहार लाते हैं और दर्शकों के दिलों को छू उनके पेट में दर्द कर देते हैं. इन्होंने फिल्म में भी काम किया है. उनकी पत्नी रचना एक लेखक हैं, उन्होंने हिंदी में एमए किया है. इतना ही नहीं रचना की गजल भी वुमेन मैगजीन में पब्लिश हुई है.

सरिता – सुनिल पॉल

सुनिल पॉल फिलहाल टीवी पर दिखाई नहीं देते, लेकिन उन्होंने लोगों को बेहद हंसाया है. उनका नशीला अंदाज आपको अब भी याद होगा? सुनील ‘ग्रेट इंडियन लाफटर चैलेंज’ के वि‍नर रह चुके हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कई किरदारों को अपनी आवाज भी दी है. उन्होंने सरिता से शादी की जिससे उनके दो बच्चे हैं. एक का नाम प्रबल और दूसरे का नाम सरल है.

हीरोइन को सफेद साड़ी में देख रोने लगा था ये डायरेक्टर

70-80 के दशक में फिल्मी इंडस्ट्री पर राज करने वाली आशा पारेख के करोड़ों दीवाने थे. लेकिन उनका एक दीवाना ऐसा भी था जो उनके दुखी होने पर दुखी हो जाता था और मन ही मन उनसे प्यार करता था. लेकिन उस वक्त तो यह दीवाना फूट फूटकर रोने लगा जब इसने अपनी पसंदीदा आशा पारेख को सफेद साड़ी में लिपटे देखा.

ये और कोई नहीं बल्कि फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली हैं जो आशा पारेख पर फिदा थे और मानते थे कि आशा पारेख ने उनकी हीरोइन बनने के लिए ही जन्म लिया था लेकिन वो ही दुनिया में लेट आए. आशा पारेख से जुड़े भंसाली के इस किस्से का जिक्र आशा पारेख की ऑटोबायोग्राफी ‘द हिट गर्ल’ में किया गया है.

फिल्म ‘कटी पतंग’ में आशा पारेख को सफेद साड़ी में देख संजय लीला भंसाली फूट फूटकर रोए थे. वो परदे पर था लेकिन भंसाली मानने को तैयार नहीं थे और ऐसे रोए कि ना जाने उनकी हीरोइन को क्या हो गया हो? फिल्म में आशा पारेख का गमगीन अंदाज भंसाली बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे.

भंसाली आशा पारेख से तब प्यार करने लगे जब उन्होंने उनकी फिल्म ‘प्यार का मौसम’ देखी और वो भी मुंबई के अपने पसंदीदा इंपीरियल थियेटर में. कटी पतंग के गाने ‘ना कोई उमंग है’ में आशा पारेख को सफेद साड़ी में देख संजय खुब रोए.

भंसाली ना सिर्फ आशा पारेख की खूबसूरती और सादगी के कायल थे बल्कि उनके गहने, उनके पहनावे तक पर भंसाली का दिल आ गया था. उनकी ऑरेंज लिपस्टिक तक के भंसाली दीवाने थे. लेकिन एक फिल्म में आशा पारेख के साथ जो हुआ उसने भंसाली को अरुणा ईरानी से नफरत करने पर मजबूर कर दिया.

संजय लीला भंसाली को आज भी इस बात का मलाल है कि वह आशा पारेख को अपनी किसी फिल्म में कास्ट नहीं कर पाए.

कहीं धूप न चुरा ले बालों का रूप

इन दिनों कलर्ड बाल बहुत ज्यादा ट्रैंड में हैं. कुछ महिलाएं अपने बालों को पूरी तरह कलर करना पसंद करती हैं, तो वहीं कुछ ऐसी भी हैं, जो सिर्फ बोल्ड कलर्स से हाईलाइट करना पसंद करती हैं.
कलर्ड हेयर हमारे लुक को पूरी तरह चेंज कर देते हैं और खुशी की बात यह है कि आजकल महिलाएं इस बारे में काफी जागरूक भी हो गई हैं कि उन का हेयर प्रोडक्ट अमोनिया फ्री हो ताकि उन के बालों को कोई नुकसान न हो, लेकिन क्या आप जानती हैं कि बस इतना ही काफी नहीं होता है, क्योंकि धूप आप के कलर्ड बालों पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है. आइए, इस बारे में जानते हैं विस्तार से :

खतरनाक है धूप का असर

जब हम धूप में निकलते हैं तो सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों का न सिर्फ हमारी त्वचा पर कुप्रभाव पड़ता है, वरन वे बालों की खूबसूरती पर भी ग्रहण लगा देती हैं. इतना ही नहीं, अगर आपने बालों को कलर कर रखा है तो, ये बालों के लिए और अधिक हानिकारक साबित होती हैं.

वैसे तो सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के हानिकारक प्रभाव से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन बालों पर रंग अच्छा आए, इसके लिए उन पर कलर करने से पहले ब्लीच का प्रयोग जरूर करें, जिससे आपके जब भी बाल अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आएंगे, तो वे बहुत ही जल्दी रूखे व बेजान हो जाने से बचे रहें और उन की खूबसूरती न खोए.

कैसे करें बचाव…

हौट औयल ट्रीटमैंट : समय समय पर कलर्ड बालों पर हौट ऑयल ट्रीटमैंट करती रहें, क्योंकि कलर्ड बालों को नौर्मल बालों की तुलना में अधिक मौइश्चराइजर की जरूरत पड़ती है. यह धूप में बालों को डैमेज होने से रोकता है.

अल्कोहल फ्री प्रोडक्ट : आजकल बहुत सारे ऐसे प्रोडक्ट्स मार्केट में आ गए हैं, जो कलर्ड बालों को धूप के हानिकारक प्रभाव से बचाते हैं. आप अपने बालों के टाइप के अनुसार उन का चुनाव कर सकती हैं, लेकिन उन्हें खरीदते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि वे सभी अमोनिया और अल्कोहल फ्री हों, वरना बालों को फायदे की जगह नुकसान हो सकते हैं.

स्कार्फ का प्रयोग : धूप में निकलने से पहले अपने बालों को हैट या स्कार्फ से कवर कर लें. इससे आप के बाल धूप के संपर्क में आने से बचेंगे और उन के क्षतिग्रस्त होने की संभावना भी कम हो जाएगी.

सही प्रोडक्ट का चुनाव : हमेशा बालों पर ऐसे प्रोडक्ट्स का प्रयोग करें, जिन्हें खासतौर पर कलर्ड बालों के लिए बनाया गया हो, क्योंकि इन प्रोडक्ट्स का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि वे आप के कलर्ड बालों को न सिर्फ धूप के प्रभाव से बचाते हैं, बल्कि और भी कई प्रकार की समस्याओं से दूर रखते हैं.

खुले न हों बाल : जब भी धूप में जाएं तो बालों को खुले रखने के बजाय पोनीटेल या बन बना लें. इस से बालों के डैमेज होने की संभावना कम हो जाती है, क्योंकि सारे बाल एकसाथ धूप के संपर्क में नहीं आते.

स्विमिंग के दौरान रखें ध्यान : जब भी स्विमिंग के लिए जाएं तो हमेशा किसी अच्छे हेयर प्रोटैक्शन सीरम का प्रयोग जरूर करें, क्योंकि जब भी सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावौयलेट किरणें पानी पर पड़ती हैं तो उन का हानिकारक प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है.

स्टाइलिंग न पड़ जाए महंगी : कभी हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट का प्रयोग कर के धूप में न जाएं, क्योंकि यह बालों को बुरी तरह डैमेज कर देता है.

– डा. विवेक मेहता, डर्मैटोलॉजिस्ट, पुलत्स्या कैडल स्किन केयर सैंटर

कैश दो कैश लो

नवंबर खत्म हो रहा था और सर्दी दस्तक दे चुकी थी, इसलिए सोसाइटी की औरतों का घर के बाहर चारपाई और कुरसियां डाल कर बैठना भी शुरू हो गया था. एक तरफ जहां उन के हाथ मूंगफली और रेवड़ी मुंह में डालते रहते, वहीं दूसरी ओर साग काटने का सिलसिला भी चलता रहता. बहुत सारी औरतें जब घर का काम निबटा धूप सेंकने के बहाने एकत्र होंगी तो जाहिर सी बात है घरघर की बातें होंगी. कौन आया, कौन गया से ले कर किस की लड़की का चक्कर किस के साथ चल रहा है और बहुओं की कामचोरी तक, आज क्या बना और महंगाई कितनी बढ़ गई है से ले कर अपनेअपने पति और सास की बातें तक.

उस दिन भी कमलेश अपना बहू पुराण ले कर बैठी थीं कि अपने मोटे, थुलथुल शरीर को ठेलती हुई हांफती सी मिसेज वर्मा कुरसी पर धम से बैठ गईं. पलभर के लिए सब को देखा और फिर पूरी टोली की ओर एक नजर डाली. उन के आने पर एक क्षण के लिए सब का ध्यान उन की ओर गया बेशक था, पर जब कमलेश फिर से अपनी बहू का रोना ले कर बैठ गईं तो सब उन्हें सुनने लगीं.

‘‘अरे कमलेश बहनजी, क्या बहू की बुराइयों में टाइम खराब कर रही हो? यहां सोसाइटी में 2 फ्लैट बिक गए हैं, वह भी एचआईजी,’’ यह सुन सारी औरतों के चेहरे पर हैरानी तैर गई. खबर थी भी चटपटी. मिसेज वर्मा को पता चल गया था जबकि वे सब बेखबर थीं.

मूंगफली को वापस प्लेट में डालते हुए मिसेज नारंग ने पूछा, ‘‘अरे, कब? पता नहीं चला. कौन से 2 फ्लैट बिके?’’ मिसेज नारंग का घर सोसाइटी में घुसते ही था. इसलिए उन्हें हर बात की खबर रहती थी और जो पता नहीं चलता उस की खबर वे गार्ड से ले लेती थीं. उन्हें अफसोस इस बात का था कि इतनी बड़ी चूक उन से आखिर हो कैसे गई.

‘‘पीछे के जीने से जो 2 फ्लैट खाली थे न अगलबगल, वे ही बिके हैं,’’ मिसेज वर्मा ऐसे बता रही थीं मानो उन्होंने किसी बहुत बड़े रहस्य को उजागर कर कोई बहुत बड़ी फतह हासिल की हो.

‘‘बड़ी बात यह है कि एक फ्लैट तो मार्केट रेट पर ही बिका पर दूसरा काफी ऊंचे दाम पर बिक गया है. मेरे पति बता रहे थे कि जिस ने यह फ्लैट खरीदा है उसे अगलबगल ही फ्लैट चाहिए थे और कहीं मिल नहीं रहे थे, इसलिए मार्केट रेट से ज्यादा कीमत दी.’’

उस के बाद तो हर किसी की जबान से उन 2 फ्लैटों की ही चर्चा होने लगी. हर कोई यह जानने को उत्सुक था कि आखिर वह कौन है जिस ने ये फ्लैट खरीदे हैं. इस सोसाइटी में ग्राउंडफ्लोर पर एचआईजी, सेकंडफ्लोर पर एमआईजी और थर्डफ्लोर पर एलआईजी फ्लैट थे. ये दोनों फ्लैट फर्स्टफ्लोर पर थे. अब सब की नजर उन 2 फ्लैटों पर ही लगी रहती. हफ्ते बाद उन फ्लैटों में तोड़फोड़ और मरम्मत होनी आरंभ हो गई. कभी सीमेंट आता तो कभी ईंटें और रोड़ी. बीचबीच में एक आर्किटैक्ट चक्कर लगा जाता. पूरे फ्लैट के रंगरोगन से ले कर अलमारियां और रसोई तक तोड़ कर दोबारा बनाई जा रही थी. हर दिन कोई न कोई सामान आता ही रहता. पूरे दिन लेबर उन फ्लैटों पर लगे रहते. फर्श पर लगने वाली टाइलों के डब्बे जीने में इकट्ठे हो गए थे. बिजली की फिटिंग भी नए सिरे से हो रही थी. हालांकि इस दौरान सिवा आर्किटैक्ट के किसी और को वहां आते किसी ने देखा नहीं था. मिसेज वर्मा का घर तो उन फ्लैटों के एकदम सामने था, इसलिए उन की नजर तो बराबर बनी रहती.

6-8 महीने तक मरम्मत का काम चलता रहा. फिर एक दिन सामान से लदे 4-5 ट्रक आ कर खड़े हो गए. सामान देख सोसाइटी की औरतों ने अपने दांतों तले उंगली दबा ली. एक से बढि़या एक सामान ट्रकों से उतारा जा रहा था. फर्नीचर एकदम नया और स्टाइलिश था. मार्बल की डाइनिंग टेबल, बड़ेबड़े लेटैस्ट डिजाइन के बड़े कारपेट. यहां तक कि इलैक्ट्रौनिक की सारी चीजें भी नई थीं. एकदम डब्बाबंद, पैक्ड.

एकदो बार सब ने एक बड़ी सी गाड़ी को आते देखा. उस में से एक छरहरी काया की शिफौन की साड़ी पहने महिला उतरती. अपनी आंखों पर लगे रेबेन के सनग्लास को बड़ी अदा से उतारती और फ्लैटों का मुआयना कर के चली जाती. उस की शान देख किसी की हिम्मत ही नहीं होती कि जा कर उस से परिचय करे.

‘जरूर कोई मोटी आसामी है, सारी चीजें एक्सपैंसिव हैं. घर का पूरा इंटीरियर कितने खास ढंग से करवाया है,’ सोसाइटी में फुसफुसाहटें लगातार बढ़ती जा रही थीं. ‘और नहीं तो क्या, वरना घर के बाहर जीने तक कोई टाइल्स लगवाता है?’ रमा शर्मा ने अपनी समझ दिखाई.

उसे न सिर्फ अपने गोरेपन पर घमंड था, बल्कि सोसाइटी में सब से शिक्षित होने पर भी वह इतराती थी. एक साल पहले ही उस की शादी हुई थी और खुद को वह मौडर्न समझती थी, इसलिए बाहर चारपाई डाल कर बैठने पर उसे आपत्ति होती थी. वह घर पर रहना पसंद करती थी, पर इस बार इतनी बड़ी खबर को जानने के बाद वह अपने को रोक नहीं पाई थी और उस के अनुसार जो ‘टिपिकल औरतें’ थीं, उन की टोली में वह शामिल हो गई थी.

‘‘बहुत ऐक्सक्लूसिव टेस्ट लगता है, इस पार्टी का,’’ रमा की बात पर सब ने सिर हिला कर मानो सहमति दी. 2 दिन तक सामान को लगाने की उठापटक के बाद वह महिला एक व्यक्ति के साथ, जिसे सब ने उसे पति ही माना, वहां आई और रहने लगी. सोसाइटी की औरतों की लगातार उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी कि कैसे उस के बारे में और कुछ पता चले. उस के ठाटबाट से अब तक हर औरत प्रभावित हो चुकी थी और चाहती थी कि किसी तरह उस से दोस्ती हो जाए.

कुछ दिनों बाद सब के घर गार्ड के हाथों हाउस वार्मिंग पार्टी का कार्ड पहुंचा. गार्ड ने सब को यह संदेश भी दिया कि मैडम ने कहा है कि परिचय न होने के कारण उन के लिए एकएक के घर आना मुश्किल है, लेकिन वे पार्टी में सब के आने की प्रतीक्षा करेंगी.

सोसाइटी के गार्डन में पार्टी का आयोजन किया गया. मजे की बात तो यह थी कि वहां पार्टी करने के लिए कोई पैसे नहीं देने पड़ते पर उन्होंने सैके्रटरी को यह कह कर 50 हजार रुपए थमा दिए कि उन्हें इस बात की खबर नहीं थी और अब इसे डोनेशन समझ कर ले लें और सोसाइटी के काम में लगा लें. चाहें तो गेट बदलवा लें.

सोसाइटी के सारे परिवार पार्टी में पहुंचे. बड़ीबड़ी गाडि़यां सोसाइटी के बाहर खड़ी थीं. बहुत सारे लोग थे और सिक्योरिटी का भी प्रबंध था. इतना तामझाम और डैकोरेशन देख फुसफुसाहटें एकदूसरे के कान से इधरउधर जा रही थीं.

पार्टी होस्ट करने वाली मिसेज तान्या गुप्ता सब से गर्मजोशी से मिलीं. शिफौन की साड़ी और डायमंड सैट में सजी वे बला की खूबसूरत लग रही थीं. उन के डिजाइनर ब्लाउज और सैंडिल पर से नजरें हटना ही नहीं चाहती थीं. होंगी कोई वे 45 वर्ष की, पर क्या मेंटेन किया हुआ था अपने को. उन के पति भी सब से बहुत दिल से मिले. वे भी काफी स्मार्ट थे.

मिसेज गुप्ता ने सोसाइटी की सारी औरतों को अपने विजिटिंग कार्ड थमाए और उन के मोबाइल नंबर तेजी और पूरी उत्सुकता के साथ अपने मोबाइल में फीड किए. फोटो भी खिंचवाए. बढि़या सा डिनर कर के और लाजवाब डिशों का स्वाद ले कर निकलती सोसाइटी की हर औरत ने उन को अपने घर आने का निमंत्रण दिया. तब वे अपने चेहरे पर हंसी बिखेरते और अपने पल्लू को झुलाती हुई बोलीं, ‘‘अरे क्यों नहीं. आप जिस दिन कहेंगी, मैं आ जाऊंगी. आखिर आप लोगों के साथ ही रहना है अब.’’

फिर सोसाइटी में कुछ दिनों तक पार्टी की चर्चा चली और सब कहने लगीं, हमें नहीं लगता कि वे हमारे घर आएंगी. आभा चतुर्वेदी ने एक दिन उन्हें फोन कर बुला लिया. वे चाकलेट का डब्बा और बुके ले कर आ पहुंचीं. आभा की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे उस ने बाजी मार ली हो. दोनों लगभग हमउम्र ही थीं, बड़ी देर तक वे गपें मारती रहीं.

‘‘आप ने 2 फ्लैट क्यों खरीदे?’’ आभा पूछने से अपने को रोक नहीं पाई. वैसे भी सोसाइटी की हर औरत यह बात जानने को बेताब थी. तान्या गुप्ता बोलीं, ‘‘हम ने सोसाइटी में 2 फ्लैट इसलिए खरीदे क्योंकि हमारे पास सामान ज्यादा था. असल में पहले हम बहुत बड़ी कोठी में रहते थे. बच्चे हैं नहीं और पति ज्यादातर बिजनैस टूर पर रहते हैं और कईकई महीने विदेश में रहते हैं.

‘‘पति के साथ मैं भी बिजनैस देखती हूं. बड़ी कोठी को संभालना आसान नहीं होता, फिर सुरक्षा का भी सवाल था. वहां अकेले रहतेरहते मैं बोर हो जाती थी और डर भी लगता था. तब हम ने सोचा कि किसी सोसाइटी में फ्लैट ले लेते हैं. यहां गेट पर गार्ड तैनात होते हैं और सुरक्षा रहती है. अब दूर कहीं लेते जैसे नोएडा, गुड़गांव तो बगल वाला कोई झांकता नहीं. यहां कम से कम आप लोगों से बातचीत तो हो सकती है. हालांकि मुझे पसंद नहीं कि कोई फालतू में घर आए या मेरे जीवन में दखल दे. अच्छा आभा, चलती हूं. आना शाम को घर, खाली हूं मैं.’’

उन का आभा के घर आना सब को हैरान कर गया और सब यही सोचने लगीं कि हमें भी उन्हें अपने घर बुलाना चाहिए.

चौथे दिन की बात होगी, मिसेज वर्मा, रमा और मिसेज शर्मा पहुंच गईं उन के घर. 2 मिनट ही हुए होंगे कि एक आदमी ब्रीफकेस में रखे 5 लाख रुपए देते हुए उन से रखने के लिए कहने लगा. वे लगातार मना कर रही थीं पर वह बहुत झिकझिक कर रहा था कि चाहे ब्याज कम दे देना पर आप इन्हें रख लें. तान्या गुप्ता थोड़ी रुखाई से बोलीं, ‘‘हमारे पास बहुत पैसा है, आप इसे ले जाइए.’’

अब तो सारी औरतें यह अटकलें लगाने लगीं कि आखिर चक्कर क्या है. एक हफ्ते बाद तान्या गुप्ता ने मिसेज नारंग को घर आने का न्योता दिया. वे पहुंचीं तो एक आदमी फिर आ गया. इस बार वह 10 लाख रुपए लाया था. तब तान्या गुप्ता बोलीं, ‘‘बगैर बताए यहां मत आया करो. फोन कर के आया करो.’’

उस आदमी के जाने के बाद वे बताने लगीं, ‘‘आप हैरान हो रही होंगी न, मिसेज नारंग. असल में हमारा बिजनैस ही ऐसा है. लोगों ने इस में बहुत सारा पैसा लगा रखा है. हम मना भी करते हैं पैसे लेने से, पर वे कहते हैं कि आप ज्यादा ब्याज देती हैं.’’

मिसेज नारंग के पेट में कहां बात पचने वाली थी, सब को बता दिया कि वे पैसा ले कर मार्केट से दोगुना ब्याज देती हैं. मिसेज नारंग ने यह भी कहा, ‘‘मैं तो सोच रही हूं, कुछ पैसे मैं भी दे दूं. ब्याज मिलेगा तो आमदनी हो जाएगी. पर मेरे पति मानेंगे नहीं. मेरी मां जो कैश मुझे देती रहती हैं न, वही छिपा कर रखा हुआ है उन से. उन्हें बिना बताए दे दूंगी.’’

उस के बाद तो अधिकतर औरतों ने ठान लिया कि वे भी ऐसा करेंगी. पति से छिपा कर पैसा एकत्र करने में सब लग गईं. कुछ ने सेविंग बैंक से पैसे निकाल लिए तो किसी ने एफडी तुड़वा ली.

‘‘देखिए, हमारे बिजनैस में तो पहले ही बहुत पैसा लगा हुआ है. लेकिन आप पड़ोस में रहती हैं, मेरी दोस्त भी बन चुकी हैं. मैं आप लोगों को मना नहीं कर सकती, लेकिन प्लीज और लोगों को यह बात नहीं बताइएगा, सिक्योरिटी की वजह से. अधिकतर मैं अकेली रहती हूं यहां. हर महीने मैं खुद ब्याज की रकम ले कर आप के घर आ जाऊंगी. यहां मेरे घर पर कोई न कोई आया ही रहता है. अपने कर्मचारियों के सामने मैं लेनदेन नहीं करना चाहती. लेकिन हम छोटीमोटी रकम नहीं लेते हैं. आखिर अपनी हैसियत का भी ध्यान रखना पड़ता है. फिर हम तो मानते हैं कि दूसरों का भला करना चाहिए. एक बार कैश दो, बारबार कैश लो, यही हमारी पौलिसी है.’’

तान्या गुप्ता अपनी बात की पक्की निकलीं. हर महीने लिफाफा पकड़ा जातीं. कोई भी एकदूसरे को यह बताने को तैयार नहीं था कि उस ने कितने पैसे ब्याज पर चढ़ाए हैं. यह तो अंदाजा था ही सब को कि किसी ने 5-10 लाख से कम तो नहीं दिए होंगे. आखिर वे भी तान्या के आगे अपने को कमतर साबित नहीं कर सकती थीं. सब को लगता था कि कहीं घर में बात न पता चल जाए या उन की बचत के बारे में दूसरी न जान ले.

रमा भाईदूज पर मायके गई हुई थी, इसलिए लिफाफा समय पर उन के घर पहुंचा नहीं. तब तान्या गुप्ता ने फोन किया कि यह ठीक बात नहीं है, मैं समय पर पैसे देने में विश्वास करती हूं. लौटते ही आप लिफाफा ले जाइएगा.

4 महीनों में सब को यकीन हो गया था कि वे बहुत ही विश्वसनीय और ईमानदार महिला हैं और उन लोगों के पैसे सुरक्षित हैं. वैसे भी ब्याज में मिलने वाली राशि उस के बारे में कुछ गलत सोचने ही नहीं देती थी. ब्याज के पैसे हाथ आने लगे तो औरतों ने जम कर खर्च करना आरंभ कर दिया. उन को मानो पर लग गए. किसी ने नई साड़ी खरीदी तो किसी ने अपने मकान में पेंट करवा लिया, तो किसी ने घर का फर्नीचर बदल डाला.

मिसेज नारंग को अपनी मारुती अब खटकने लगी थी. उन्हें लगा कि वह उन की हैसियत के अनुकूल नहीं है इसलिए आई 20 कार खरीद ली. आखिर ईएमआई चुकाने की टैंशन जो अब खत्म हो गई थी. ब्याज की रकम के साथ निश्ंिचतता आ गई थी. मिसेज नारंग की देखादेखी मिसेज वर्मा और रमा ने भी अपनी गाडि़यां बदल डालीं. हर किसी को, जिस ने तान्या गुप्ता को पैसे दिए थे, लग रहा था कि उस के दिन बदल गए हैं. इसलिए खर्चने में अगर उन का हाथ खुल गया था तो उन की सोच भी लंबी उड़ान भरने लगी थी.

एक दिन सब ने तय किया कि तान्या गुप्ता उन के लिए इतना कुछ कर रही हैं तो उन्हें मिल कर एक शानदार पार्टी देनी चाहिए. फिर क्या था, सोसाइटी के लौन में पार्टी का आयोजन किया गया. तान्या गुप्ता उस में चीफगैस्ट बन कर घूम रही थीं और बाकी औरतें उन के आगेपीछे. हर किसी को लग रहा था कि उस की ओर से कोई कमी नहीं रह जानी चाहिए. इस बीच, एकाध बार उन के पति को देखा गया था, पर तान्या गुप्ता से इस बारे में पूछ कर कोई उन से अपने रिलेशन खराब नहीं करना चाहता था.

इस तरह 6 महीने बीत गए. हर महीने की पहली तारीख को ब्याज के लिफाफे, जिस में कैश होता था, सब के घर पहुंच जाते. वे कभी चैक से पेमेंट नहीं करती थीं. उन का मानना था कि जब कैश लेती हूं तो कैश ही दूंगी. अगर कभी खुद नहीं आ पातीं तो ड्राइवर आ कर लिफाफा पहुंचा जाता, लेकिन इस क्रम में कभी बाधा नहीं आई.

सोसाइटी की और भी औरतें अब तान्या के पास आ कर पैसे देने लगी थीं. आखिर उन की विश्वसनीयता जो कायम हो चुकी थी. यह भी तय था कि हर कोई ज्यादा से ज्यादा रकम देती थी ताकि अधिक ब्याज मिल सके. 6 महीने में ही उन के पास अच्छीखासी ब्याज की राशि आ गई थी.

नया महीना आरंभ हो गया था और औरतें अपनेअपने प्लान बना लिफाफा आने की प्रतीक्षा कर रही थीं कि तभी मिसेज वर्मा बदहवासी की हालत में मिसेज नारंग के घर पहुंचीं और बोलीं कि तान्या गुप्ता के दोनों फ्लैट खाली पड़े हैं. रातोंरात तान्या गुप्ता गायब हो गई थीं. उन के पति को तो खैर एकाध बार से ज्यादा किसी ने देखा तक नहीं था. सैके्रटरी ने पुलिस को खबर दी तो पता लगा कि दोनों फ्लैट किराए पर थे और सारा फर्नीचर और बाकी का सामान भी उधार पर लिया गया था. कुछ औरतों के मुंह से घबराहट में पतियों के सामने बात निकल गई पर वे फिर भी सच छिपा गईं कि कितने पैसे दिए थे. 10-20 हजार रुपए दिए थे, कह कर बात छिपा गईं. पुलिस को भी उन्होंने कुछ नहीं बताया. आश्चर्य की बात यह भी थी कि उस महिला का कोई पुलिस रिकौर्ड भी नहीं था.

केवल रमा ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उस के 10 लाख रुपए तान्या गुप्ता ले उड़ी है. 2 दिन बाद ही उसे 10 लाख रुपए का ड्राफ्ट मिल गया. पुलिस ने बहुत चाहा कि सोसाइटी की अन्य औरतें भी बयान दें और रिपोर्ट लिखवा दें, पर ऐसा कुछ न होने पर कोई शिकायत बनी ही नहीं. केस वहीं बंद करना पड़ा. अफसोस और लुट जाने की लकीरें हर किसी के चेहरे पर खिंची हुई थीं, पर वे बेबस थीं, क्योंकि उन के लालच को कैश कर तान्या गुप्ता तो कब की रफूचक्कर हो चुकी थीं. मजे की बात यह थी कि औरतें अभी भी यह हिसाब लगाने में असमर्थ थीं कि ब्याज की रकम जो उन्हें मिलती थी उस की तुलना में तान्या करोड़ों रुपए का उन्हें चूना लगा गई थीं.

जय हो उपवास करने वालों की

दुकान खोल कर अगरबत्ती जलाई ही थी कि वे दोनों व्यक्ति हमारे प्रतिष्ठान में आए. हम जान गए कि वे व्यापारिक पूछताछ के लिए आए होंगे, क्योंकि हमारी दुकान कोई पकवानमिठाई की तो है नहीं, कंसल्टैंसी करते हैं. शुद्ध हिंदी में कहें तो सलाहमशविरा, सुझाव देने का काम है. कभीकभी पार्टी से मिलवा कर दलाली खा लेने का भी छोटामोटा काम निबटा लेते हैं.

दोनों सज्जन हमारी टेबल के सामने रखी कुरसी पर बैठ गए. एक ने सफेद और दूसरे ने भगवा टोपी पहन रखी थी. चेहरे से शरीफ प्रतीत हो रहे थे. हम ने कहा, ‘‘कहिए?’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या कहें?’’

हम ने कहा, ‘‘आप आए हैं तो प्लीज काम बताएं.’’

उन्होंने दाएंबाएं देखा और हम से कहा, ‘‘हम सलाह लेने आए हैं.’’

‘‘दोनों या एक?’’ हम ने क्लाइंट (मुरगों) को घूरते हुए कहा.

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों.’’

‘‘प्लीज, आप हमें फीस के 1 हजार रुपए दे दें, फिर हम आप को सलाह दे पाएंगे,’’ हम ने उन के चेहरे को उपेक्षा से देखते हुए कहा.

‘‘1 हजार?’’

‘‘जी हां, 500 रुपए प्रति व्यक्ति, प्रति घंटे के हिसाब से,’’ हम ने आगे का गणित भी उन्हें समझाते हुए कहा.

उन्होंने एकदूसरे का चेहरा देखा और 500-500 के 2 नोट हमें निकाल कर दे दिए. फिर पूछने लगे :

‘‘इन दिनों उपवास का मार्केट कैसा है?’’

‘‘शानदार है, लेकिन यह निर्भर करता है कि आप क्या पहन कर उपवास करेंगे.’’

‘‘उपवास से पहनावे का क्या संबंध?’’ सफेद टोपी वाले ने प्रश्न को क्रिकेट गेंद की तरह उछाला.

‘‘श्रीमान, पहनावे से तात्पर्य है कि आप सलवारसूट पहन, बुरका ओढ़, शाल ओढ़  या मुंह काला कर किस तरह बैठेंगे,’’ हम ने स्पष्टीकरण करते हुए कहा.

‘‘ठीक है, ठीक है. बिलकुल सच कहा. हम निर्वस्त्र भी तो बैठ सकते हैं? सुना है नंगों से भूत भागते हैं?’’

‘‘यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सी जाति के भूतों के सामने उपवास पर बैठ रहे हैं. आप कितने लोग उपवास पर बैठेंगे?’’

‘‘संख्या से क्या अंतर पड़ता है?’’

‘‘गजब करते हैं भाई, एक उपवास पर बैठेगा, एक प्रैस को प्रैसनोट देगा, तीसरा समझौता वार्त्ता हेतु हाथपांव फटकारेगा,’’ हम ने उन्हें अनुभव ज्ञान देते हुए कहा.

‘‘इन दिनों कौन से उपवास का मार्केट चल रहा है?’’ भगवा टोपी वाले ने प्रश्न किया.

‘‘देखिए, इंडिया ने उपवास को इंटरनैशनल क्रेज दिलवाया है. गांधीजी के बाद उपवास का मार्केट अब हाई है, हम ने पिछले दिनों पाकिस्तान को ऐक्सपोर्ट किया है. अमेरिका से बातचीत चल रही है,’’ हम ने कंप्यूटर पर दिखाते हुए कहा.

‘‘उपवास में आप की भूमिका क्या होगी?’’

‘‘यदि आप हमें ठेका देते हैं और बता देते हैं कि कितने दिनों का कार्यक्रम चलेगा तो उसी अनुसार चार्ज होगा. मीडिया, पौलिटिक्स, भीड़ सब को मैनेज हम कर के देंगे. यह सब आप के बजट पर निर्भर करता है.’’

‘‘12 दिन के उपवास पर चार्ज क्या होगा?’’ सफेद टोपी वाले ने प्रश्न किया.

‘‘इतने बड़े उपवास के लिए विदेशी मदद लेनी होगी और बजट कम से कम 2 करोड़ रुपए के लगभग जाएगा,’’ हम ने कैलकुलेटर पर जोड़भाग कर के बताया.

‘‘यह कुछ अधिक नहीं है?’’ सफेद टोपी वाले ने प्रश्न किया.

‘‘बिलकुल नहीं है. पिछले दिनों 3 दिन के उपवास पर 18 करोड़ रुपया खर्च किया गया था. उस को भी मैनेज हम ने ही करवाया था. पूरा हाईटैक, हाईप्रोफाइल मामला था,’’ हम ने कंप्यूटर पर उपवास के फोटो को दिखाते हुए कहा.

‘‘यदि किसी एजेंसी को उपवास का कौंट्रैक्ट नहीं दें तो क्या हम सफल नहीं हो पाएंगे?’’ दोनों ने सम्मिलित रूप से पूछा.

‘‘बिलकुल नहीं. देखा नहीं रेत निकालने के खिलाफ बैठे स्वामीजी का स्वर्गवास ही हो गया, किसी ने नोटिस लिया? नहीं न. यह तो हमारी एजेंसी है जो तिल का ताड़ और ताड़ को राई बना दे. अब आप बताएं, आप किस मुद्दे पर उपवास का मूड बना रहे हैं?’’

‘‘अभी हम ने तय नहीं किया है. आप के पास कोई आइडिया हो तो…’’

‘‘देखिए, मार्केट कैसा चल रहा है, हम बताते हैं. आइडिया बताने का अतिरिक्त चार्ज है जिस में हम आप को एक दरजन आइडिया बताते हैं, हर आइडिया पर हम क्याक्या करेंगे? ये सब बताते हैं,’’ हम ने उन से कहा.

‘‘इस समय किस तरह का मार्केट चल रहा है?’’

‘‘हीहीही,’’ हम हंस दिए. हम ने कहा, ‘‘5 हजार रुपया अतिरिक्त चार्ज है.’’

वे बड़े परेशान हुए, लेकिन धोती में छिपा कर रखी गड्डी निकाल कर हमें देते हुए कहा, ‘‘अब बताइए.’’

‘‘आप किस क्षेत्र में उपवास करना चाहते हैं, जैसे राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, नगर स्तर पर, राष्ट्र स्तर पर या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, पर्यावरण पर या किसी और पर? आप अपनी इच्छा स्पष्ट करें,’’ हम ने उन से प्रश्न किया.

‘‘जिस के चलते हम माल कमा सकें,’’ दोनों ने समवेत स्वर में कहा.

‘‘क्या आप दोनों एकसाथ या अलगअलग जगह उपवास पर बैठेंगे?’’

‘‘इस से क्या अंतर पड़ेगा?’’ सफेद टोपी वाले ने पूछा.

‘‘देखिए, 2 दुकानें खुलेंगी तो अधिक ग्राहक होंगे. एक दुकान पर कम ग्राहक होते हैं,’’ हम ने अनुभव का लाभ देते हुए कहा.

‘‘आप ही उपवास की जगह बता दें, हमें तो माल चाहिए.’’

‘‘नाम या माल?’’

‘‘पहले माल, फिर नाम.’’

‘‘बजट कितना है?’’

‘‘आप का कम से कम बजट कितना है?’’

‘‘हमारी रेंज 10 लाख से प्रारंभ होती है और 10 लाख वाले उपवासों की श्रेणी ‘डी’ होती है. इस में झुग्गीझोंपड़ी बचाओ, नाली का पानी निकलवाओ, गांवों का विस्थापन है, तथा इस के अतिरिक्त जितनी शक्कर डालेंगे हलवा उतना मीठा होगा,’’ हम ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा.

‘‘हम 50 तक जा सकते हैं.’’

‘‘इस में प्रदेश को 2 भागों में बांटने, नदी के पानी का वितरण, नाभिकीय ऊर्जा जैसे मुद्दे होंगे.’’

‘‘और,’’ सफेद टोपी वाला चहका.

‘‘राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री पर आरोप लगा कर इस्तीफे की मांग रख कर उपवास, सीमा पर विदेशी घुसपैठ और धर्म के कुछ मामलों को लाया जा सकता है,’’ हम ने बताया.

दोनों ने सलाह की और हम से कहा, ‘‘नाभिकीय बिजलीघर के खिलाफ उपवास करना चाहेंगे.’’

‘‘वाह, यह तो बढि़या मुद्दा है. आप आधी रकम हमें एडवांस दे दें.’’

‘‘लेकिन माल कब मिलना शुरू होगा?’’

‘‘आप के बैठने के दूसरे दिन से सब व्यवस्थाएं होने लगेंगी.’’

‘‘माल कहां से मिलेगा?’’

‘‘जो नाभिकीय सामान सप्लाई करने वाली एजेंसी है वह अपने वैलफेयर फंड में से देगी,’’ हम ने उन्हें समझाया.

‘‘यदि नहीं मिला तो?’’

‘‘50 प्रतिशत फ्री.’’

‘‘आप उधार नहीं कर सकते?’’

हम ने घड़ी देखी, पूरे 1 घंटे का समय हो चुका था. उन्होंने हम से एक दरजन प्रश्नों को पूछा लेकिन हम ने मुंह बंद रखा. अगले सप्ताह वे 25 लाख रुपए पेशगी लेते आए.

हम ने उन का प्रैसनोट जारी करवा दिया. दिल्ली के फुटपाथ पर उपवास करने की घोषणा जारी करवा दी. नाभिकीय तापगृह के खिलाफ एक दरजन से अधिक फ्रांस, जापान, सोवियत देश के आंकड़ों को प्रस्तुत कर दिया. कुछ टुटपूंजियों की भीड़ भी एकत्र करवा दी. उन के उपवास की घोषणा हो गई. हम उन की हैल्प एजेंसी थे. हमारे पास विदेशों के सप्लायरों के फोन, मेल आने शुरू हो गए हैं. लेकिन अभी रेट कम हैं इसलिए दोनों क्लाइंटों को अलगअलग बैठा कर वसूली कर ही उठवाएंगे.

हमें मालूम है कि जो लागत उन्होंने उपवास के कारोबार पर लगाई है वह फिल्म रिलीज होने के 2 दिनों में ही लौट आएगी. पिछली बार भी पार्टी को विदेशी सहयोग दिलवाया था, उन्हें नाम अधिक दाम थोड़े कम दिलवाए थे. लेकिन इन टोपी वालों के साथ तो हम ने लाभ का सौदा किया है, इन की भी चांदी और हमारा सोना ही सोना. जय हो उपवास तेरी, जय हो उपवास करने वालों की.

सोशल वर्क : पैसों के साथ शोहरत भी

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव काफी बढ़ गया है. लोग अपने मकसद में तो आगे बढ़ रहे हैं, पर उन का जीवन काफी समस्याग्रस्त होता जा रहा है. ऐसे में समाजसेवा से जुड़े लोगों से आशा की जाती है कि वे इन समस्याओं से नजात दिलाएं. इसी हुनर ने समाजसेवियों की आवश्यकता को अनिवार्य बना दिया है, जिस से सोशल वर्क में शोहरत और सुकून के साथ पैसा भी मिलने लगा है.

क्या है समाजसेवा

समाजसेवा का अर्थ है, लोगों को अपनी समस्याओं का हल खोजने में मदद करना. लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं का निदान ढुंढ़वाने में जागरूक करना. समाज में व्याप्त अंधविश्वास, कुपोषण, खराब स्वास्थ्य, गरीबी, निरक्षरता आदि ऐसी कई समस्याएं हैं, जो सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा हल की जा सकती हैं.

महिला सामाजिक संगठन की राष्ट्रीय महासचिव डा. जया शुक्ला के मुताबिक, समाजसेवा का अर्थ ऐसे कार्यों से है, जिन्हें कर के हम सामाजिक जीवन में व्यापक सुधार ला सकते हैं. सर्वप्रथम हमें समाज में व्याप्त अंधविश्वास व कुरीतियों को दूर करना होगा, तभी हम सही माने में समाजसेवा कर सकते हैं. हमें एक अभियान के माध्यम से सामाजिक बुराइयों को दूर करना चाहिए, तभी हम एक सभ्य समाज की कल्पना कर सकते हैं.

रोजगार के अवसर

समाजसेवा अब केवल परोपकार की भावना से नहीं की जाती, बल्कि यह तेजी से उभरते हुए रोजगार के रूप में युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. समाजसेवा में निपुण युवाओं के लिए यह क्षेत्र सुनहरे अवसर उपलब्ध करा रहा है. प्रशिक्षित छात्रों के लिए सरकारी विभागों, निजी व सरकारी अस्पतालों में रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा हो रही हैं.

सैकड़ों ऐसी सरकारी व गैरसरकारी संस्थाएं हैं, जो समाजसेवा के कार्यों में रुचि रखने वाले युवाओं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका देती हैं.

मैडिकल सोशियोलौजी में विशेषज्ञता प्राप्त कर आप निजी और सरकारी अस्पतालों में सेवा दे कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

सरकारी कार्यसूची में प्रौढ़ शिक्षा, एड्स जागरूकता, साक्षरता, नशामुक्ति अभियान, स्वास्थ्य पोषाहार, महिला और बाल विकास कल्याण आदि सरकार के ऐसे कार्यक्रम हैं, जहां रोजगार के शतप्रतिशत अवसर हैं. इन के अलावा कुछ औद्योगिक संगठन भी अपने यहां कर्मचारियों के कल्याण व संरक्षण के लिए प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं को रखते हैं.

नौकरी के अलावा आप समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा संस्था को पंजीकृत करवा कर अपना एनजीओ भी शुरू कर सकते हैं. सरकारी कार्यक्रमों में भागीदारी निभा कर सरकार से अनुदान प्राप्त कर समाजसेवा के साथसाथ अच्छी आमदनी भी अर्जित कर सकते हैं.

हर क्षेत्र में आज सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवश्यकता बढ़ती जा रही है. दिल्ली स्कूल औफ सोशल वर्क, टाटा इंस्टिट्यूट आदि ऐसे संस्थान हैं, जो अपने यहां प्रशिक्षण प्राप्त समाज सेवियों को अवसर प्रदान करते हैं.

प्रशिक्षण

समाजसेवा के क्षेत्र में जाने के लिए समाजशास्त्र में स्नातक या स्नातकोत्तर होना अनिवार्य है. देश के कई विश्वविद्यालयों व निजी संस्थानों में सोशल वर्क का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है. 2 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए समाजशास्त्र के विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाती है. कुछ निजी संस्थानों में भी स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम चलाया जाता है.

स्पाइसी चिकन ड्रमस्टिक खाया क्या?

चिकन की तो कई रेसिपी आपने ट्राई किया होगा. लेकिन क्या कभी चिकन ड्रमस्टिक खाया है. नहीं, तो यहां जानिए इसे बनाने की विधि.

सामग्री

6 चिकन लेग पीस

1 बड़ा चम्मच अदरक, कटा हुआ

2 बड़े चम्मच मैदा

2 बड़े चम्मच कॉर्नफ्लोर

2 अंडे फिटे हुए

1 चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट

आधा चम्मच काली व लाल मिर्च पाउडर

चुटकी भर चीनी

नमक स्वादानुसार

1 बड़ा चम्मच सोया सॉस

तलने के लिए तेल

विधि

एक बाउल में सोया सॉस, अदरक-लहसुन पेस्ट और चीनी मिलाएं. इसमें चिकन लेग पीस को मैरीनेट कर आधे घंटे के लिए रख दें. एक बर्तन में कॉर्नफ्लोर, मैदा, नमक, मिर्च मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें. इसमें अंडे डालें और अच्छी तरह फेंट लें.

अब एक कढ़ाई में तेल डालकर तेल तेज आंच पर गर्म कर लें. इसके बाद चिकन लेग पीस को तैयार किए मिश्रण में डालकर अच्छी तरह कोट कर दें.

तेल गर्म होने पर ड्रमस्टिक्स को धीमी आंच पर गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई करें. गरमागरम चिकन ड्रमस्टिक्स को प्याज और नींबू स्लाइस से गार्निश करके सर्व करें.

ब्यूटी एप्स से पाएं खूबसूरती

अगर खूबसूरत दिखना आप का पैशन है और आप मेकअप के लेटैस्ट ट्रैंड्स से अपडेट रहना चाहती हैं, तो अपने स्मार्टफोन को बना सकती हैं अपना ब्यूटी ऐक्सपर्ट यानी स्मार्ट फोन में मौजूद ब्यूटी एप्स आप को रखेंगे ब्यूटी की हर जानकारी से अपडेट.

मौडीफेस

इस एप में आप अपनी सैल्फी ले कर यह देख सकती हैं कि कौन सा सैलिब्रिटी हेयरस्टाइल आप पर फबेगा या किस हेयरस्टाइल में आप कैसी दिखेंगी. यह सभी कुछ आप कुछ ही पलों में इस ब्यूटी एप से जान सकती हैं. इस के साथ ही कौन सा हेयर कलर आप पर सूट करेगा, किस से आप खूबसूरत दिखेंगी, इस की जानकारी भी आप को इस एप से मिल जाएगी. मेकअप कौन सा अधिक खिलेगा, सभी कुछ यह एप आप को बता देगा.

ब्यूटीफुल मी

यह एप आप के फोटो का विश्लेषण कर के यह बताता है कि आप की स्किन कैसी है, क्या आप की स्किन ऐजिंग से प्रभावित हो रही है, साथ ही उस स्किन के लिए आप को कौन से फाउंडेशन का शेड प्रयोग करना चाहिए. यह एप बालों को खूबसूरत बनाने के टिप्स, नए ब्यूटी प्रोडक्ट्स और ट्रैंड्स के बारे में भी बताता है.

ब्यूटीलिश

इस एप से आप यह  जान सकती हैं कि मार्केट में इस समय मेकअप और हेयरस्टाइल का क्या लेटैस्ट ट्रैंड चल रहा है और कैसे उस ट्रैंड को फौलो किया जा सकता है, साथ ही इस एप पर आप ब्यूटी रिलेटेड टिप्स भी पा सकती हैं. इस एप पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स के रिव्यू के साथसाथ उन की शौपिंग का औप्शन भी होता है.

आई मेकअप ट्यूटोरियल

आंखों का मेकअप आप के पूरे चेहरे में काफी निखार लाता है और इसीलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप की आंखों का मेकअप आकर्षक हो. आई मेकअप ट्यूटोरियल की मदद से आप आंखों का अलगअलग तरह का मेकअप कर के काफी स्टाइलिश दिख सकती हैं.

ट्राई इट औन मेकअप

हर महिला के लिए लिपस्टिक, आईशैडो या फाउंडेशन का कौन सा शेड चुना जाए, यह निर्णय लेना काफी चुनौती भरा काम होता है. लेकिन इस बेहतरीन एप की मदद से आप की यह मुश्किल हल हो जाएगी. आप को सिर्फ अपने चेहरे की एक तसवीर लेनी होगी और उस ब्यूटी प्रोडक्ट के बारकोड से स्कैन करनी होगी, जिसे आप खरीदना चाहती हैं. ऐसा करने के बाद आप को उत्पाद लगाने के बाद वाली तसवीर प्राप्त होगी, जिस से आप निर्णय ले सकती हैं कि वह प्रोडक्ट आप को खरीदना चाहिए या नहीं.

हेयर डिजाइन

इस एप की मदद से अनेक तरह के बेहतरीन हेयरस्टाइल बनाए जा सकते हैं. इस में हेयरस्टाइल से जुड़े कई ट्यूटोरियल दिए हुए हैं और हर हेयरस्टाइल को बनाने का तरीका स्टेप बाई स्टेप बताया गया है. इस एप में एक स्मार्ट मिरर भी है, जिस में आप अपने बने हेयरस्टाइल की तसवीर भी ले सकती हैं, जिसे अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ शेयर कर सकती हैं.

माई स्किन

आप की स्किन टाइप के अनुसार आप की स्किन को कौन सा प्रोडक्ट सूट करेगा, यह एप इस बात की जानकारी देगा. इस के अतिरिक्त अगर आप को अपनी स्किन को ले कर कोईर् ऐक्सपर्ट ऐडवाइज चाहिए, तो वह भी यह एप आप को देगा.

चैक योर कौस्मैटिक

आप अपनी खूबसूरती निखारने के लिए जिन सौंदर्य उत्पादों का प्रयोग कर रही हैं वे प्रयोग करने लायक हैं या नहीं, यह एप इस बात की जानकारी देता है. इस एप में आप को सौंदर्य उत्पाद का बैच कोड और ब्रैंड डालते ही उस की ऐक्सपायरी डेट पता चल जाती है.

तो अब देर किस बात की. आप भी ब्यूटी रिलेटेड इन एप्स को डाउनलोड करें और अपनी खूबसूरती को फ्लौंट करें.

उम्र एक पर अंदाज जुदा

फिल्मी हस्तियों में अपनी असल उम्र से छोटा दिखने की होड़ लगी रहती है. लेकिन कुछ सितारे ऐसे भी हैं, जो इसे नहीं मानते. अब देखिए, कितना अंतर हो जाता है, अपने शरीर का ध्यान देने और न देने में. ऐसे ही कुछ सितारे हैं जो अपनी उम्र से बड़े दिखते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी उम्र से छोटे दिखते है.

अनिल कपूर और आलोक नाथ

आप यकीन नहीं करेंगे अभिनेता अनिल कपूर और आलोक नाथ दोनों इस वक्त 59 साल के हैं. एक अनिल कपूर अपनी फिल्मों में बांह चढ़ाते नवयुवतियों से इश्क फरमाते नजर आते हैं तो दूसरी ओर बापूजी आलोक नाथ युवतियों पर नजर फेरते हैं तो लोग उनकी खिल्ली उड़ते हैं.

विजय राज और सौरभ शुक्ला

अब विजय राज और सौरभ शुक्ला को देख लीजिए. देखने से लगता है दोनों ने अपने शरीर का ध्यान नहीं दिया. एक ने खाने पीने पर कभी ध्यान नहीं दिया तो दूसरे ने खाने से कभी ध्यान ही नहीं हटाया. दोनों की उम्र 53 वर्ष है. अहम बात कि दोनों अभिनय में हांस्य कलाकार हैं. काम भी दोनों को छिट-फुट मिलते रहते हैं. हालांकि विजय राज की तुलना में सौरभ शुक्ला अधिक सफल रहे हैं. सौरभ शुक्ला की आखिरी फिल्म ‘पीके’ में अभिनय की खूब तरीफ हुई थी.

फरीदा जलाल और हेमा मालिनी

फरीदा जलाल इनको बच्चे अब नानी कहकर बुलाते हैं. टीवी धारावाहिक ‘शरारत’ में इन्होंने नानी का किरदार निभाया था. और दूसरी ओर हैं हेमा मालिनी, जिनको आज भी लोग ड्रीम गर्ल कहकर पुकारते हैं. दोनों की उम्र में कोई फर्क नहीं है. दोनों इस वक्त 67 साल की हैं.

विनय पाठक और अजय देवगन

अभिनेता विनय पाठक और अजय देवगन की उम्र इस वक्त 47 साल की है. दोनों के अभिनय में दम है. लेकिन अजय देवगन अपने अभिनय के साथ-साथ अपनी शरीर पर भी मेहनत करते हैं. 47 की उम्र में भी वह 22 साल की हीरोइन के साथ रोमांस करते नजर आते हैं. लेकिन विनय पाठक को अब 80 साल के बूढ़े का किरदार मिलता है. ‌पिछले साल आई उनकी फिल्म ‘गौर हरी दास्तानः द फ्रीडम फाइल (2015)’ में वह 80 साल के शख्स के किरदार में थे.

रेखा और किरण खेर

आज भी लोग अभिनेत्री रेखा की खूबसूरती का राज जानने में दिलचस्पी रखते हैं. आखिरी 61 की उम्र में वह इतनी चुस्त-दुरस्त और खूबसूरत कैसे बनी हुई हैं. लेकिन उतनी ही उम्र की किरण खेर, जबकि वह एक नृत्यांगना-अभिनेत्री हैं, उतनी फुर्तीली नहीं दिखतीं, जितनी रेखा. हालांकि दोनों ही इस उम्र में भी सक्रिय हैं. अवार्ड समारोहों व टीवी कार्यक्रमों में दोनों की उपस्थि‌ति लोगों को उत्साहित करती है.

आमिर खान और प्रकाश राज

आमिर खान तो अपने किरदार मुताबिक खुद को ढालने के लिए जाने ही जाते हैं, लेकिन उनकी जितनी उम्र दक्षिण के अभिनेता प्रकाश राज की भी है. अब फिलहाल दोनों कैसे दिखते हैं देख लीजिए. इनकी तस्वीरे देखकर आपको शरीर पर मेहनत और शरीर पर कोई मेहनत नहीं का असर साफ दिखेगा. दोनों की उम्र 51 साल है.

नागार्जुन और पुनीत इस्सर

द‌िक्षण के अभिनेताओं की बात चल ही रही है तो हम एक बार नागार्जुन को भी देख लेते हैं. इनकी उम्र इस वक्त 56 साल है. देखने में एकदम छरहरे, जबकि उतने ही साल के हिन्दी फिल्‍म अभिनेता पुनीत इस्सर बूढ़े दिखने लगे हैं. नागार्जुन फिलहाल दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. उनकी फिल्म ‘ओपिरि’ इसी साल रिलीज हुई है, जबकि पुनीत फिल्मों से बाहर हो चुके हैं, उन्हें अंतिम बार बिग बॉस 9 में देखा गया था. पुनीत भी इस वक्त महज 56 साल के हैं.

संजय मिश्रा और जावेद जाफरी

कम उम्र में सबसे ज्यादा बाल जिस अभिनेता के बाल पके हैं, उनका नाम है ‘संजय मिश्रा’. संजय की उम्र फिलहाल 52 है. यानि आमिर-सलमान-शाहरुख से महज एक से डेढ़ साल बड़े. लेकिन कद काठी और लुक के मामले में संजय तीनों खानों से काफी उम्रदराज दिखते हैं. उनकी ही उम्र के अभिनेता जावेद जाफरी अब भी फिल्मों में 20-22 के युवक किरदार निभाते देखे जाते हैं.

जया बच्चन और सिमी ग्रेवाल

जया बच्चन, युवावस्‍था में जितनी बच्ची दिखती थीं, प्रौढ़ावस्‍था में उतनी ही बूढ़ी दिखने लगी हैं. इसमें सबसे अहम भूमिका निभाई है उनके मोटापे ने. शादी के बाद से जैसे ही उन्होंने फिल्मों से त्याग लिया मानो अपने लुक की चिंता भी छोड़ दी. अब उनकी उम्र की अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल उनके सामने बहू और वो सासू मां दिखती हैं. उम्र दोनों ही की 68 साल है.

अमिताभ बच्चन और परिक्षित साहनी

एक तरफ जया हैं, दूसरी तरफ उनके पति अमिताभ. जया दिन ब दिन बूढ़ी होती जा रही हैं तो अमिताभ जवान. 73 साल की उम्र में अमिताभ सोलो हीरो फिल्म करने की हालत में हैं. अब भी जिस फिल्म में अमिताभ होते हैं, दूसरे अभिनेता से गौड़ किरदार उनके पास नहीं आता. भले मुख्य किरदार कोई और हो पर हालिया रिलीज सभी अमिताभ फिल्मों में वो बिल्कुल भी मुख्य किरदार से कमतर नहीं रहे हैं. इसके पीछे उनका लुक और उनका उत्साह है. दूसरी ओर उनसे ढाई महीने छोटे परिक्षित साहनी अमिताभ के बड़े भाई की तरह दिखने लगे हैं.

संजय दत्त और शक्ति कपूर

ढाई साल से अधिक समय जेल में काटकर लौटे अभिनेता संजय दत्त फिर से बड़े पर्दे पर वापसी की सोच रहे हैं तो इसमें बहुत बड़ी भूमिका उनके आकर्षक लुक की है. 57 की उम्र में भी उनके डिलडौल कम नहीं हुए हैं. दूसरी ओर 57 साल के शक्ति कपूर अब अपनी बेटी की फिल्में देखते हैं और बेटे के आने का इंतजार कर रहे हैं.

जीनत अमान और डेसी ईरानी

एक ही उम्र के दो इंसानों में दोनों ही ऐसे पेशे में है जहां आकर्षक शरीर की बहुत अहमियत होती है, फिर भी लुक में इतना बड़ा अंतर देखने को मिले तो हैरानी होती है. अपने समय की खूबसूरत अभिनेत्री जीनत अमान और डेसी ईरानी की उम्र इस वक्त 64 साल है. लेकिन जीनत अभी भी रैंप पर चलने की हालत में हैं और डेसी बस घर पर टीवी में रैंप वॉक देखने की.

हृतिक रोशन और राम कपूर

हम उम्र में कुछ अहम अंतर देखने को नई उम्र के अभिनेताओं में भी मिलता है. अभिनेता हृतिक रोशन और राम कपूर को ले लीजिए. दोनों की जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है. लेकिन हृतिक, राम को लुक के मामले में कहीं पीछे छोड़ देते हैं. दोनों ही इस वक्त 42 साल के हैं, लेकिन हृतिक रोजाना अपने शरीर के लिए अथक मेहनत करते हैं, जबकि राम कपूर मोटापा घटाने के‌ लिए कुछ देर जिम में बिताते हैं.

फरहान अख्तर और नवाजुद्दीन सिद्दकी

इस वक्त इंडस्ट्री के दो और सितारे 42 की उम्र हैं, फरहान अख्तर और नवाजुद्दीन सिद्दकी. दोनों के खातों में आई फिल्मों की संख्या में बहुत अंतर नहीं है. लेकिन नवाज के अभिनय की तारीफ फरहान की तुलना में अधिक है. बावजूद इसके चाहने वालों की तादाद खासकर लड़कियों में फरहान की अधिक है. वह उनके शरीर के प्रति जागरुकता को लेकर है. फरहान ने फिल्म ‘भाग मिल्‍खा भाग’ के समय से ही जबर्दस्त बॉडी बना रखी है. इससे वह अपनी ही उम्र के नवाजुद्दीन से कम उम्र के भी नजर आते हैं.

नाना पाटेकर और रजनीकांत

भारतीय सिनेमा इतिहास के दो वजनदार अभिनेता, तीनों की उम्र 65 साल. इनमें हैं नाना पाटेकर और रजनीकांत. इनमें रजनीकांत के दो रूप हैं, फिल्मों में तो वो अभी दीपिका पादुकोण, सोनाक्षी सिन्हा के साथ रोमांस करते नजर आते हैं, लेकिन असलियत में वो अपने गिरे हुए बाल कभी छिपाते नहीं. जबकि नाना पाटेकर इतनी ही उम्र में पर्दे के बाहर भी बेहद चुस्त-दुरुस्त नजर आते हैं.

मुकेश खन्ना और जॉनी लीवर

कभी-कभी इंडस्ट्री से बाहर होना भी उम्र का हिसाब बिगाड़ देता है. एक समय में मुकेश खन्ना, भीष्म और शक्तिमान बनकर घर के चहेते हो गए थे, तब जॉनी लीवर फिल्मों में छिटफुट हंसी के किरदार करते थे. मुकेश खन्ना हीरो और जॉनी लीवर सहायक किरदार पर अब जॉनी को अब भी काम मिल रहा है, मुकेश अब बूढ़े हो चले हैं. उम्र दोनों की बराबर ही है, 58 साल.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें