बॉलीवुड में एंट्री करने को तैयार हैं ये स्टार किड्स

बॉलीवुड की नई जनरेशन इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई है. और इसकी वजह है उनका स्टार किड होना. ऐसे में बड़े से बड़ा डायरेक्‍टर उन्‍हें लॉन्‍च करना चाहता है. हम आपको ऐसे स्‍टार किड्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो जल्‍द ही बॉलीवुड में डेब्‍यू करने वाले हैं.

सारा अली खान

बॉलीवुड के नबाव सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान जल्‍द ही बॉलीवुड में डेब्‍यू करने वाली हैं. सारा कोलंबिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं. बॉलीवुड में चर्चा थी कि वो करण जौहर की फिल्‍म से डेब्‍यू करेंगी.

खुशी कपूर

खुशी कपूर श्रीदेवी और बोनी कपूर की बड़ी बेटी हैं. खुशी मुंबई के धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्‍कूल से पढ़ाई कर रही हैं. खुशी कपूर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं.

नव्‍या नवेली नंदा

अमिताभ बच्‍चन की नातिन और श्वेता नंदा की बेटी नव्‍या नवेली नंदा जल्‍द ही बॉलीवुड में इंट्री कर सकती हैं. नाव्‍या लंदन के सेवनहॉक्‍स स्‍कूल से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं.

आलिया इब्राहिम

पूजा बेदी और फरहान फर्नीचरवाला की बेटी आलिया इब्राहिम का जन्‍म 28 नवंबर 1997 को हुआ था. आलिया को आर्ट, राइटिंग और फिल्‍म मेकिंग के लिये अवॉर्ड भी मिल चुका है. हाल ही में आलिया वोग मैग्जीन के पेज पर भी नजर आईं थीं.

इब्राहिम अली खान

इब्राहिम अली खान नबाव सैफ अली खान और अमृता सिंह के बेटे हैं. नबाव के हैंडसम बेटे को ब्रेक देने के लिये बॉलीवुड के टॉपमोस्‍ट प्रोड्यूसर इब्राहिम को लॉन्‍च करना चाहते हैं.

कृष्णा श्रॉफ

बॉलीवुड एक्‍टर जैकी श्रॉफ और आयशा श्रॉफ की बेटी कृष्‍णा श्रॉफ जल्‍द ही बॉलवुड में डेब्‍यू करने वाली हैं. कृष्‍णा अक्‍सर अपने हॉट अवतार के साथ सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाती हुई नजर आती हैं.

आलिया कश्यप

आलिया कश्‍यप फिल्‍म डॉयरेक्‍टर अनुराग कश्‍यप की बेटी श्रीदेवी की बेटी खुशी कपूर की बेहद करीबी दोस्‍त हैं. जल्‍द ही अनुराग अपनी बेटी को किसी फिल्‍म में लॉन्‍च कर सकते हैं.

आरव कुमार

बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय और ट्विंकल खन्‍ना के बेटे आरव कुमार का जन्‍म 15 सितंबर 2002 को हुआ था. आरव कराटे में ब्राउन बेल्‍ट हैं. उन्‍होंने जूडो नेशनल चैम्पियनशिप में गोल्‍ड भी जीता है.

त्रिशला दत्‍त

त्रिशला दत्‍त बॉलीवुड स्‍टार संजय दत्‍त और उनकी पहली पत्‍नी रिचा शर्मा की बेटी हैं. त्रि‍शला न्‍यूयॉर्क के जॉन जे कॉलेज आफ क्रिमिनल जस्टिस से लॉ की पढ़ाई कर रही हैं. चर्चा थी कि त्रिशला इंडिया आने की तैयारी कर रही हैं.

पालोमा ढिल्‍लोन

21 साल की पालोमा ढिल्‍लोन पूनम ढिल्‍लोन की बेटी हैं. पालोमा अपनी मां की तरह ही खूबसूरत हैं. बॉलीवुड में चर्चा है कि पालोमा जल्‍द ही डेब्‍यू करने वाली हैं.

पिंपल फ्री स्किन के लिए ग्रीन टी टोनर

गर्मी का मौसम आते ही पसीने और पॉल्युशन की वजह से स्किन पर रैशेस, पिंपल और एक्ने की समस्या आम हो जाती है. लेकिन अगर आप इसपर समय-समय पर ध्यान नही देती हैं तो ये आगे चलकर आपके लिए एक बड़ी प्रॉब्लम खड़ी कर सकता है.

आज हम आपको बता रहे हैं इस गर्मी खुद को तरोताजा रखते हुए इस प्रॉब्लम से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है. यहां हम आपको बता रहे हैं हैं होममेड ग्रीन टी टोनर के बारे में जिसकी मदद से आप पिंपल से छुटकारा पा सकते हैं.

पिंपल फ्री स्किन

ग्रीन टी स्किन से रेडनेस और इरिटेशन को कम करने में मददगार होती है. ये स्किन से बैक्टीरिया को भी खत्म करने में मदद करता है जो एक्ने पैदा करने में जिम्मेवार होता है. ग्रीन टी के एंटीऑक्सीडेंट्स विटामिन सी से 25 से 100 गुना अधिक शक्तिशाली होते हैं. ये त्वचा में बनने वाले वसा को कम करके पिंपल फ्री स्किन बनाता है.

कैसे बनायें ग्रीन टी का टोनर

एक पैन में पानी गर्म करें. जब पानी उबलने लगे तो उसमें ग्रीन टी कुछ पत्तियां डालें. 5-10 मिनट तक इसे उबलने दें. जब तक पानी का रंग गाढ़ा पीला ना हो जाए तब तक इंतजार करें. अब पानी को ठंडा होने दें. आप इस पानी को एक स्प्रे बॉटल में स्टोर करके भी रख सकती हैं.

ऐसे करें इस्तेमाल

कॉटन पर ग्रीन टी टोनर को स्प्रे करें. इस कॉटन से अपने चेहरे को साफ करें. एक दिन में कम से कम दो बार ये जरुर करें. ये आपके चेहरे को ना सिर्फ पिंपल से दूर रखेगा बल्कि स्किन में कसाव लाएगा और इसे ऑयली होने से भी बचाएगा.

अब वक्त है स्प्रिंग क्लीनिंग का

मौसम के बदलने के साथ ही लोग सफाई का काम भी शुरू कर देते हैं. अब वक्त है स्प्रिंग क्लीनिंग का. इसे करते हुए हमें कुछ आइटम अपने घर से बाहर कर देने चाहिए.

सिंगल इयरिंग्स

अगर आपके इयरिंग अब पेयर में नहीं हैं तो एक इयरिंग का उपयोग बुलेटिन बोर्ड पिन की तरह कर सकते हैं. इन्हें ब्रोच या मैगनेट में भी बदला जा सकता है. अगर वाकई हटाने के बारे में सोच रहे हैं तो किसी ऐन्टिक शॉप पर इन्हें दे दें.

काम न आने वाली रसीद

ऐसी रसीद फाड़कर फेंक दें जो आपके काम अब नहीं आ रही है और जिनमें आपका पेन कार्ड नंबर या क्रेडिट कार्ड नंबर है.

खराब सीडी

स्क्रैच अगर कम है तो एक माइल्ड एब्रेसिव जैसे टूथपेस्ट, इस पर रब करें. ऐसा डिस्क के नॉन-लेबल साइड पर करें और सरक्युलर मोशन में करें. लेकिन अगर फिर भी इन्हें हटाने का मन बना लिया है तो इन्हें डोनेट कर दें या बेच दें.

क्रेयॉन्स

क्रेयॉन्स के साथ तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं. इन्हें पिघला कर नए क्रेयॉन्स भी बना सकते हैं.

पुराने सेल फोन्स

पुराने सेल फोन्स को आप दोबारा किसी मार्केट में सेल कर सकते हैं. किसी चैरिटी में दिए जा सकते हैं या बेहद कम कीमत पर किसी जरूरतमंद को भी दे सकते हैं.

ग्रीटिंग कार्ड्स

ग्रीटिंग कार्ड्स को आप ऐसे ही डस्टबिन में नहीं फेंके इन्हें दोबारा नए तरह से क्रिएट करें. इन्हें नया जीवन देने के लिए इनके डेकोरेटिव एलिमेंट्स काटकर रख लें. इनके खूबसूरत कोलाज भी बनाए जा सकते हैं. होम-मेड कार्ड्स बनाएं या स्क्रैप बुक डेकोरेशन करें.

एक्सपायर मेकअप

बहुत से लोगों को यह नहीं पता है कि आय-मेकअप हर दो-चार महीनों में बदल देना चाहिए. वहीं मस्कारा, फेस मेकअप और लिपस्टिक बदलने के लिए एक साल रुका जा सकता है. अपने मेकअप के कंटेनर्स को रीसाइकल भी कर सकते हैं. मैक जैसी कंपनियां कंटेनर रीसाइकल करने के लिए कुछ मेल-इन प्रोग्राम भी चला रही हैं.

वायर हैंगर्स

आप चाहें तो अपने वायर हैंगर्स किसी ड्रायक्लीनर को डोनेट कर दें. ये थोड़े मुड़े हुए हों तो भी कर दें.

पुराने कपड़े

अगर पुराने कपड़ों को आप डोनेट नहीं कर सकते या किसी को दे नहीं सकते तो कॉटन क्लोदिंग को काटकर क्लीनिंग रैग्स बनाकर घर की साफ सफाई में लगाया जा सकता है. कुछ मार्केट्स में टेक्सटाइल रीसाइकल बिन्स भी होते हैं. यहां पर पुराने कपड़ों को फाइबर और अन्य प्रोडक्ट में बदल दिया जाता है.

छूरियां

छूरियां ट्रिकी होती हैं. यूं तो ये सालों साल भी चल सकती हैं लेकिन अगर हैंडल ही टूट जाए तो बात अलग हो जाती है. पुराने छूरे को डस्टबिन में कचरे के साथ नहीं फेंकें. इन्हें बेहतर तरीके से डिस्पोज करें. ब्लेड को हेवी पेपर या टेप कार्डबोर्ड से लपेट लें. अब इन्हें एक सील किए हुए कंटेनर में रखें. अगर इन्हें दोबारा यूज करने की थोड़ी भी गुंजाईश है तो किसी दुकान पर डोनेट कर दें. नहीं तो किसी रीसाइक्लिंग सेंटर पर इन्हें दे दें.

पुराने कैलेंडर

पुराने कैलेंडर को आप घर पर ही रैपिंग पेपर की तरह यूज कर सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो इन्हें किसी दुकान पर भी डोनेट कर सकते हैं. वहां भी इनका अच्छा उपयोग किया जाता है. आप चाहें तो घर पर इनसे प्यारे-प्यारे लिफाफे भी बना सकते हैं. या फिर इन्हें किसी रीसाइक्लिंग बिन में डाल दें.

हेयर ब्रश

किसी डॉल से खेलने वाली बच्ची को जानते हैं तो अपने पुराने कंघे साफ करके बच्ची को अपनी डॉल के लिए दे दें. या फिर उन्हें दें जो हर दिन नई हेयरस्टाइल ट्राय करने की फिराक में नए एक्सेसरीज की तलाश में रहते हैं. अगर आपके कंघे के ब्रिसल नरम हैं तो अपने पेट डॉग या कैट के लिए भी इसे रख सकते हैं.

जूते

जब आपको लगे कि अब शूज बदलने का वक्त आ गया है तो इन्हें किसी मोची की दुकान पर ले जाकर डोनेट कर दें. मोची इनका बेहतरीन उपयोग कर लेगा. कुछ ऐसी संस्थाएं भी हैं जो इस तरह के जूते लेकर इन्हें उन लोगों में बांट देती हैं जिनके पास पैर में पहनने के लिए कुछ नहीं होता. इनका पता करें.

किताबें डोनेट

आप चाहें तो किसी लोकल स्कूल, अस्पताल या लाइब्रेरी में अपनी पढ़ी हुई किताबें डोनेट कर दें. अगर ऐसी किताबें ज्यादा हैं तो आप एक बुक सेल भी लगा सकते हैं. खासकर बच्चों की किताबें इस तरह से बिक जाती हैं. ‘एमेजॉन’ जैसी वेबसाईट अच्छी हालत वाली किताबों को रीसेल भी करती है.

काउच की रीफिनिश

काउच को दोबारा अपहोल्स्टर करवाएं और रीफिनिश करवाएं. अगर ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो नेट पर सेलिंग साइट्स पर इनकी पिक्चर डालकर रखें. अगर आपके सोफे की हालत ज्यादा खराब है तो इन्हें म्युनिसिपल वेस्ट सर्विस पर डंप कर दें. यहां फर्नीचर हॉल भी होते हैं.

पर्दों की रिपेयरिंग

पर्दे तो आसानी से रिपेयर किये जा सकते हैं. लेकिन अगर आपको लगता है कि अब ये ज्यादा पुराने हो गए हैं तो इन्हें धोकर, डाय करके और नाप कर टेबल क्लॉथ या रनर में बदला जा सकता है. अगर आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो इनके पिलो-कवर बना लें या अन्य कोई अपहोल्स्ट्री आइटम की तरह यूज कर लें.

फटे और कटे टॉवल

फटे और कटे हुए टॉवल बहुत अच्छे फ्लोर क्लीनिंग रैग्स बन सकते हैं. इन्हें लीकेज के वक्त भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

पुरानी घड़ियां

पुरानी घड़ियों को ज्वेलरी की तरह भी यूज किया जा सकता है. आप चाहें तो इन्हें किसी एन्टीक शॉप पर दे दें. इसके अलावा इसी रिपेयर शॉप पर ले जाकर इन्हें रिपेयर करवाने की कोशिश करें. अगर नहीं होती है तो वे लोग इसे रख लेंगे और इसके पार्ट्स रीयूज कर लेंगे.

फिल्म रिव्यू : बाहुबली 2

फिल्म ‘बाहुबली 2 : कंकल्यूजन’ की वापसी इस सवाल के साथ हुई है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? इसी के साथ यह सवाल भी है कि राजमाता शिवागामी (रमैया कृष्णन) ने भल्लाल देव (राणा डग्गूबटी) की बजाय अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) को महिस्पति के राज सिंहासन पर बैठाने के निर्णय क्यों बदला?

राज सत्ता का सुख भोगने की लालसा में धर्म व अधर्म की व्याख्या बदलने व राजनीतिक साजिशों, इंसानी छल कपट, स्वार्थपूर्ति के लिए अपने भाई के खून के प्यासे इंसान की कहानी है ‘‘बाहुबली’’. इसे आधुनिक युग में ‘महाभारत’ की व्याख्या भी कह सकते हैं. ‘महाभारत’ में पुत्र मोह से ग्रसित धृष्टराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन की कपट व साजिशों को न समझकर हस्तिनापुर के सर्वनाश का असली कारण बनते हैं. जबकि ‘बाहुबली’ में महिस्पति की राजमाता शिवागामी अपने पति बिज्जल देव तथा अपने बेटे भल्लाल देव के कपट व साजिश को नहीं समझ पाती है और जब उन्हें इस सच का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

फिल्म शुरू होती है गाने के साथ. गाने के साथ ही परदे पर चित्रों के माध्यम से बाहुबली एक की कथा बयां हो जाती है. अब कई दृश्यों से बाहुबली की वीरता के अलावा उनका राजमाता शिवागामी के प्रति प्यार व समर्पण और महिस्पति राजसिंहासन की सुरक्षा का भाव प्रकट होता है. विजयादशमी को अमरेंद्र बाहुबली का राजतिलक होने से पहले प्रजा के सुख दुख को समझने के लिए अमरेंद्र बाहुबली राज माता के आदेश से कटप्पा (सत्यराज) के साथ देश भ्रमण पर निकलते हैं. और कुंतल राज्य की राजकुमारी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) की वीरता पर लट्टू हो मामा भांजे आम इंसान की तरह उनके साथ हो जाते हैं. इधर भल्लाल देव के जासूस यह खबर उसे देते हैं तो वह राजमाता से पत्नी के रूप में देवसेना की मांग कर देता है. राजमाता कुंतल राजा के पास प्रस्ताव भेजती है, पर राजकुमारी देवसेना उनके प्रस्ताव को ठुकरा देती हैं.

भल्लाल देव की सलाह पर राजमाता, अमरेंद्र बाहुबली के पास देवसेना को बंदी बनाकर लाने का संदेश भेजती हैं. इधर कुंतल राज्य को शत्रुओं से बचाकर अमरेंद्र, देवसेना के दिल में जगह बना लेते हैं. तभी उन्हें राजमाता का संदेश मिलता है. वह देवसेना को मरते दम तक साथ देने व उनके मान सम्मान की रक्षा का वचन देता है. जब वह महिस्पति राज्य वापस पहुंचते हैं तो राजमाता अमरेंद्र के निर्णय से नाखुश होकर उनकी जगह भल्लाल देव को राजा और उन्हें सेनापति बना देती है. भल्लाल देव का राजतिलक हो जाता है. उसके बाद भल्लाल देव अपनी कुटिल राजनीतिक साजिश चलकर अमरेंद्र को सेनापति और फिर राज्य से बाहर करवा देता है. उसके बाद राजा भल्लाल देव साजिश रचकर अमरेंद्र की हत्या व देवसेना को बंदी बना लेते हैं.

कटप्पा महिस्पति राज सिंहासन से बंधे हुए हैं. कटप्पा के पुर्वजों ने शपथ ली थी कि वह आजीवन महिस्पति के सिंहासन के प्रति वफादार रहेगें. कटप्पा भी उस शपथ से बंधे हुए हैं. महिस्पति राज सिंहासन से बंधे होने के ही कारण कटप्पा को भ्ज्ञी कुछ कदम अनचाहे उठाने पड़ते हैं.

जबकि राजमाता शिवागामी, अमंरेंद्र के बेटे महेंद्र बाहुबली को राजा घोषित कर उसकी जान बचाते हुए मौत में समा जाती हैं. अब 25 साल बाद महेंद्र बाहुबली वापस कटप्पा के मुंह से सच जानकर भल्लाल देव की हत्या कर महिस्पति का राजसिंहासन संभलता है.

इस बार प्रभास की वापसी जबरदस्त हुई है. प्रभास ने अपने दमदार अभिनय से साबित कर दिया कि इस तरह के चुनौतीपूर्ण किरदार के साथ उनके जैसे बिरले कलाकार ही न्याय कर सकते हैं. वह शानदार अभिनेता हैं. इसमें कोई दो राय नहीं. उन्होंने विविधतापूर्ण अभिनय क्षमता का परिचय दिया है, तो वहीं क्रूरता के दृश्यों में भी वह जमे हैं.

देवसेना के किरदार में अनुष्का शेट्टी ने भी बेहतरीन अभिनय किया है. वास्तव में फिल्म का इंटरवल से पहले का भाग तो बाहुबली और देवसेना की प्रेम कहानी के ही इर्द गिर्द घूमता है. भल्लाल देव के किरदार में राणा डग्गूबटी और राजमाता शिवागामी के किरदार में रमैया कृष्णन ने जान डाल दी है. कटप्पा के किरदार के लिए सत्यराज की जितनी तारीफ की जाए, कम है.

जहां तक कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा सवाल का है? तो फिल्मकार एस एस राजामौली ने फिल्म में इस सवाल का जवाब बहुत बेहतर तरीके से दिया है. एस एस राजामौली ने ही फिल्म की पटकथा भी लिखी है, इसलिए एक बेहतरीन पटकथा लिखने के लिए उनकी प्रशंशा की जानी चाहिए.

फिल्म कुछ लंबी हो गयी है. इसे एडीटिंग टेबल पर इंटरवल से पहले कसा जा सकता था. इंटरवल से पहले बाहुबली और देवसेना की प्रेम कहानी बहुत खूबसूरत अंदाज में पात्रों की हैसियत को ध्यान मे रखते हुए रचा गया है. जब इंटरवल के बाद जब कहानी कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा का सवाल ढूढ़ना शुरू करती है, तो रोचक ज्यादा आ जाती है. इसके लिए फिल्म की पटकथा लेखक व निर्देशक एस एस राजामौली बधाई के पात्र हैं.

एस एस राजामौली ने साबित कर दिखाया कि हमारे देश में हमारी संस्कृति में खूबसूरत कहानयों का जखीरा है, यदि हम उन पर काम करके फिल्म बनाएं, तो दर्शकों के दिलों में आसानी से जगह बना सकते हैं. इस फिल्म को देखते समय दर्शकों को ‘महाभारत’ के कुछ पात्र व कुछ घटनाएं याद आ जाए, तो उसमें आश्चर्य वाली कोई बात नही होनी चाहिए. मसलन जिस तरह कौरव यानी कि दुर्योधन के चलते पांडवों की जिंदगी में 12-13 साल गुजरते हैं, उसी तरह से राजा भल्लाल देव की वजह से अमरेंद्र बाहुबली को भी आम प्रजा के साथ उन्ही की तरह रहना पड़ता है.

जहां तक वीएफएक्स व साल गुजरेतयुद्ध के दृश्यों का सवाल है, तो ‘बाहुबली एक’ के मुकाबले ‘बाहुबली 2’ कमतर है. युद्ध रणनीति वगैरह पर इस बार निर्देशक का ध्यान कम रहा है. कुछ युद्ध दृश्य ज्यादा रोचक नहीं बन पाए. फिर भी यह फिल्म साबित करती है कि हम अपने देश में हॉलीवुड से ज्यादा बेहतर काम कर सकते हैं. और उन्हें चुनौती दे सकते हैं. फिल्म का गीत संगीत भी बेहतर है.

भव्यता के स्तर पर कोई कमी नहीं है बल्कि भव्यता के स्तर पर अति श्रेष्ठ फिल्म है. बेहतरीन सेट है. कैमरामैन के सेंथिल कुमार की केमरे की करतब गीरी फिल्म में चार चांद लगाती है. 

दो घंटे 48 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘बाहुबली 2 : द कंकलूजन’ के निर्माता शोबू यारलागद्दा व प्रसाद देवीनेनी, निर्देशक एस एस राजामौली, संगीतकार एम एम कीरवानी, कैमरामैन के के सेंथिल कुमार, कहानीकार के वी राजेंद्र प्रसाद हैं. साथ ही कलाकार हैं प्रभास, राणा डगुबट्टी, अनुष्का शेट्टी, रमैया कृष्णन,तमन्ना भाटिया व अन्य.

हफ्तेभर में वजन घटाती है ग्रीन टी

आज के समय में भारी संख्या में ऐसे लोग मौजूद हैं जो अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं. भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खानपान और तनाव भरे जीवन के चलते लोगों में वजन बढ़ना एक आम सी बात हो गई है.

लोगों का लाइफस्टाइल इतना पैक है कि वजन घटाने के लिए उन्हें सिर्फ जिम ही वजन घटाने का एकमात्र सहारा दिखता है. जबकि ऐसा नहीं है. हमारे सामने कई ऐसे घरेलू नुस्खे भी हैं जिनकी मदद से हम आसानी से वजन घटा सकते हैं.

पेट की चर्बी कम करने और वजन घटाने के लिए ग्रीन टी सबसे आसान और जबरदस्त उपाय माना जाता है. अगर शादी के बाद आप घर पर ही रहती हैं और अपना पहले जैसा आकर्षक फिगर खो बैठी हैं, ये ग्रीन टी आपके लिए और भी बेहतर विकल्प है.

इस ग्रीन टी के सेवन का सबसे अच्छा फायदा ये है कि अगर इससे आपको कोई फायदा नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा. इस ग्रीन टी को बनाने के लिए आपको जिन सामान की जरूरत होगी वो लगभग सभी आपके घर में होंगे. आइए जानते हैं कैसे बनाएं घर में ग्रीन टी.

1. पुदीने के कुछ पत्ते लें और उन्हें साफ कर के धो लें. अब इन पत्तों को पानी में उबालें और पानी को ठण्डा कर पी लें. पुदीन में खासा मैंथाल होता है जो फैट सैल्स को कम करने में मदद करता है.

2. लगभग 1 चम्मच जीरे को पानी में उबालें और पानी को गुनगुना होने के बाद पी लें. ग्रीन टी की तरह बना ये मिश्रण चर्बी को कुछ ही दिनों में पूरी तरह से बर्न कर देता है. अच्छे टेस्ट के लिए आप इसमें शहद या नींबू का रस भी मिला सकते हैं.

3. दालचीनी में पॉलीफेनाल्ज पाए जाते है जो कैलोरी बर्न करने में काफी मददगार साबित होते है. इसकी चाय बनाने के लिए गर्म पानी में दालचीनी का पाउडर, चाय की पत्ती और दूध डालकर, इसे 5 मिनट तक उबालें और फिर छानकर पीएं. वजन घटाने का ये बहुत आसान और कारगार नुस्खा है.

4. एक बर्तन में पानी उबालें और उसमें लगभग 5 पत्ते तुलसी के और एक छोटा टुकड़ा अदरक का डाल दें. ठण्डा होने के बाद इस मिश्रण को पीएं, बहुत लाभ मिलेगा.

5. काली मिर्च और अदरक को गर्म पानी में 5 मिनट तक उबालकर और छानकर थोड़ा गुनगुना रहने पर शहद मिलाकर पीएं. इसमें मौजूद पाइपेरीन फैट बर्न करने में मदद करता है.

क्यों होना चाहिये आपके पास क्रेडिट कार्ड?

जब बात क्रेडिट कार्ड की आती है, तब कुछ लोगो का मुंह बन जाता है. वो कहते हैं क्रेडिट कार्ड बर्बादी है, अनायास ही पैसा उधार लेने का फंडा है और कुछ लोगों का मानना होता है कि क्रेडिट कार्ड उन लोगों के लिये अच्छा रहता है, जो लोग घर से दूर रह रहे हों.

शायद ये सोच आपकी भी होगी, लेकिन अब आपकी सोच बदलने वाली है, क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे कारण, जिनसे कि आपको मालूम होगा कि आपको क्रेडिट कार्ड क्यों रखना चाहिये.

कुछ लोग तो केवल इसलिये क्रेडिट कार्ड नहीं रखते, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि अगर समय से बिल चुका नहीं पाये तो क्या होगा. इस नजर से देखें तो क्रेडिट कार्ड पर लगने वाली लेट फीस से लेकर टैक्स तक सब ज्यादा होता है, लेकिन अगर आप समझदारी से इसे इस्तेमाल करेंगे, तो आप इसके कई फायदे उठा सकते हैं.

1. कैश बैक कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां बड़े-बड़े बांड के साथ टाई-अप करते हैं, जिसके तहत 10 से 20 प्रतिशत तक का कैश बैक ऑफर देते हैं. उसमें एक ही शर्त होती है, खरीददारी आप क्रेडिट कार्ड के जरिये ही करेंगे.

2. रिवॉर्ड प्वाइंट कैश बैक के अलावा सभी क्रेडिट कार्ड कंपनियां प्रत्येक ट्रांजैक्शन के वेट के अनुसार प्वाइंट देती हैं. प्वाइंट्स आपके खाते में जुड़ते जाते हैं और 2000, 5000 या फिर उससे ज्यादा प्वाइंट होने पर आप रीडीम कर सकते हैं.

3. कैश का झंझट नहीं क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको वॉलेट में कैश लेकर नहीं चलना पड़ेगा. और न ही आपको इस बात की चिंता करने की जरूरत होती है कि बैंक में बैलेंस है या नहीं.

4. क्रेडिट स्कोर क्रेडिट कार्ड के प्रयोग से आप अपनी क्रेडिट हिस्ट्री अपने साथ रख सकते हैं. यानि आपको पता रहता है कि आपने कब कहां कितना पैसा खर्च किया.

5. खर्च पर लगाम क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट का अध्ययन कर आप अपने अनायास खर्चों पर लगाम कस सकते हैं.

6. EMI का विकल्प अगर आपका मन कोई बड़ी चीज खरीदने का है, लेकिन पैसे नहीं, तो क्रेडिट कार्ड से खरीद कर आप उस पैसे को ईएमआई यानि किश्तों में बदल सकते हैं. कई बार क्रेडिट कार्ड जीरो प्रतिशत ब्याज पर भी ईएमआई देता है.

यूट्यूब पर धमाल मचा रही हैं 106 साल की नानी

बदलते वक्त के साथ हमने अपने मनोरंजन के साधन भी बदल दिए हैं. पहले हम सभी प्रोग्राम दूरदर्शन पर ही देखते थे फिर आया कलर टीवी और अब यूट्यूब. यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए लोग अपनी छिपी हुई प्रतिभा को सामने लेकर आते हैं और रातों-रात स्टार बन जाते हैं. यूट्यूब पर हमें कई तरह की जानकारी के साथ मनोरंजन भी भरपूर मिलता है. कहा जाता है कि इंसान को वक्त के साथ खुद को भी बदलते रहना चाहिए.

ऐसा ही कुछ किया है इस 106 वर्ष की मस्तानम्मा ने. मस्तानम्मा एक यूट्यूबर हैं. जी हां, इनका एक कुकिंग चैनल है जिसमें ये तरह-तरह के व्यंजन बनाने की रेसिपी बताती हैं. ये नानी अपनी कुकिंग स्टाइल की वजह से यूट्यूब पर खूब धमाल मचा रही हैं.

जानकारी के मुताबिक, आंध्र प्रदेश की रहने वाली मस्तानम्मा दुनिया की सबसे बुजुर्ग यूट्यूबर हैं. यूट्यूब पर इनकी लोकप्रियता किसी स्टार से कम नहीं है.

आप यकीन नहीं करेंगे कि मस्तानम्मा के यूट्यूब पर 2,47,000 सब्सक्राइबर्स हैं. उन्हें सब ‘ग्रैनी’ कहकर बुलाते हैं. इनके पास कुछ ऐसी खास रेसिपी हैं जो शयद ही आपको कहीं और मिलेगी. इनके यूट्यूब चैनल का नाम है ‘कंट्री फूड्स’. इनके सामने तो बड़े-बड़े शेफ फेल हैं तभी तो इनके ढेरों सब्सक्राइबर्स हैं.

दरअसल, इनके पर पोते ने इनके कुकिंग वीडियोस बनाकर यू ट्यूब पर अपलोड किये और अच्छा रिस्पांस मिलने पर कई और वीडियोस पोस्ट किया. इनके कुकिंग में एकदम ताजा इंग्रीडिएंट्स का प्रयोग होता है. जिससे ये और भी स्वादिष्ट बनता है.

106 वर्ष की आयु में भी मस्तानम्मा बहुत तंदुरुस्त और एक्टिव हैं. खाना बनाने का सारा काम वो खुद ही करती हैं. इनके कुकिंग चैनल की एक खास बात ये भी है कि ये किसी किचन में नहीं बल्कि खुले जगह में खाना बनतीं हैं. इन्हे देखकर तो सबको इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए.

हॉलीवुड में सफल होंगी प्रियंका !

दोनों अभिनेत्रियां चाहे दीपिका पादुकोण हो या प्रियंका चोपड़ा दोनों ने वेस्टर्न वर्ल्ड में अपने काम की वजह से जगह बनायी है और वे उस समय वहां पहचानी गयीं जब वे हिंदी सिनेमा जगत की चोटी पर थीं. दोनों के अभिनय क्षमता को हॉलीवुड में भी पहचान मिली.

दीपिका की फिल्म एक्स एक्स एक्स रिटर्न ऑफ जेंडर केज, उनकी बेबी प्रोजेक्ट थी, जिसमें दीपिका ने काम किया, पर उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं रही. उनका अभिनय खुलकर सामने नहीं आया, फिल्म में कई बार ऐसा लगा की अभिनय में वह बात नजर नहीं आई जैसा कि हॉलीवुड के एक्टर कर रहे थे. ये चाहे भाषा का असर हो या परिवेश का, कहीं कुछ कमी तो होगी, जिसकी वजह से फिल्म सफल नहीं हो पाई.

अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जिनकी इंग्लिश एक्सेंट अच्छी है और पिछले कई सालों से अमेरिका में हैं और वहां की टीवी धारावाहिक ‘क्वांटिको’ की सेकंड सीजन में भी काम कर अवॉर्ड भी पा चुकी है, हो सकता है कि वह आगे भी तीसरे सीजन में काम करें.

दरअसल प्रियंका मीडिया फ्रेंडली हैं और वहां भी उनके फैन फॉलोअर काफी हैं. बहुत कम समय में उन्होंने अपनी पहचान टीवी जगत में बना ली है. अब प्रियंका अपनी अंग्रेजी फिल्म ‘बेवाच’ के प्रमोशन के लिए मुंबई आई हुई हैं, उनके हिसाब से उसने ‘वेस्टर्न वर्ल्ड’ में अपनी जगह बना ली हैं, जहां उन्हें काम के लिए उन लोगों ने खासतौर पर बुलाया है.

‘बेवाच’ उनकी पहली अंग्रेजी एक्शन फिल्म है, जिसमें उन्होंने नकारात्मक भूमिका निभाई है. फिल्म कैसी होगी? प्रियंका ने कैसी अभिनय की है? यह तो देखने के बाद ही पता चल पायेगा. लेकिन इतना कहना काफी होगा कि हॉलीवुड के निर्माता निर्देशक और एक्टर इसलिए बॉलीवुड की नामचीन एक्ट्रेस को अपनी फिल्मों में लेते हैं, ताकि उनकी फिल्म भारत जैसे इतनी जनसंख्या वाले देश में बॉक्स ऑफिस पर सफल हो.

जैसी हूं, वैसी ही रहना पसंद करती हूं : शिल्पा शेट्टी

फिल्म ‘बाजीगर’ से बॉलीवुड में कदम रखने वाली पतली और स्लीक बॉडी की धनी, ‘फिटनेस फ्रीक’ शिल्पा शेट्टी हमेशा से ही हेल्थ और फिटनेस पर ध्यान देती हैं. यही वजह है कि फिटनेस से जुड़ी किसी भी बात पर वह हमेशा आगे रहती हैं. उनकी हाइट अधिक होने की वजह से उनकी और अक्षय कुमार की जोड़ी काफी सराही गयी. वह खाना खूब खाती हैं, लेकिन वर्कआउट भी खूब करती हैं. दिन में एक घंटा समय वह अपने लिए अवश्य देती हैं, जिसमे मेडिटेशन खास होता है.

आई टी सी की फूड नेचुरल की ब्रांड अम्बेसेडर शिल्पा कहती हैं कि मुझे हर मौसम में वर्कआउट करना पसंद है. गर्मियों में मैं खासकर लिक्वीड ड्रिंक्स लेती हूं, जिसमें खासकर नारियल पानी, नीबू पानी, जूस, छास आदि है. जो नैचुरल है और घर पर आसानी से कम शक्कर के साथ बनाया जा सकता है. ये व्यक्ति को एनर्जी देती है और लोग इसे समझने भी लगे हैं.

गर्मियों में पसीने से शरीर से काफी मात्रा में पानी बाहर निकल जाता है, ऐसे में शरीर को हाइड्रेट करते रहना जरुरी है. इतना ही नहीं जो लोग एसी में काफी समय तक गर्मियों में रहते है, उन्हें भी अधिक से अधिक पानी पीना चाहिये.

शिल्पा को अपनी फिटनेस को बनाये रखने के लिए कोई प्रेशर नहीं रहता. काम का प्रेशर अधिक रहता है वह आगे बताती हैं कि काम के बावजूद भी मैं पूरी नीद लेती हूं, सही खाना खाती हूं, जिसमें तरल पदार्थ सही मात्रा में होना आवश्यक है वह केवल पानी नहीं, बल्कि किसी भी फॉर्म में लिक्वीड होना चाहिए.

सुबह की शुरुआत मैं एक गिलास पानी से करती हूं. चीनी खाने में जहर के समान होती है. इसका हमेशा कम प्रयोग सही होता है. मुझे हमेशा एक्टिव रहना पसंद है, समय मिले तो बेटे के साथ भी एक्टिव हो जाती हूं. इसके अलावा ओवर वर्क नहीं करती. शरीर की क्षमता को व्यक्ति खुद ही समझता है,क्योंकि कोई भी मशीन भी अगर अधिक देर तक आप चलाती है, तो वह भी क्रैश हो जाता है. बॉडी की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने के लिए सही नियमावली का पालन, खासकर गर्मियों में करनी चाहिए.

शिल्पा को गर्मियों में मेकअप लगाना एकदम पसंद नही. फिल्मों के अलावा दैनिक जीवन में वह केवल सनस्क्रीन और लिप बाम का प्रयोग करती हैं. गर्मियों में बाहर से आकर शावर लेकर वह मॉइस्चराइजर लगाना नहीं भूलती. इससे त्वचा की नमी कम नहीं होती. शिल्पा के केश बचपन से अच्छे हैं, जिसके लिए वह अपने माता-पिता को थैंक्स कहती हैं. वह अपने केशों को ‘सिर का ताज’ कहती हैं, जो हमेशा उनके खूबसूरती को बनाये रखती है. इसे अच्छा रखने के लिए उसे नियमित देखभाल करनी पड़ती है. सप्ताह में एक दिन ऑइल मसाज करवाती हैं और शैम्पू के बाद ब्लो ड्राई करती है. उनके हिसाब से संतुलित भोजन और सही वर्कआउट ही आपकी त्वचा और केशों को सही माइने में पोषण देती है.

शिल्पा हमेशा फिट रहती हैं, बेटा होने के बावजूद उन्होंने बहुत ही कम समय में वापस अपने वजन पर आ गयी. लेकिन कई बार फिल्मों में एक्टर या एक्ट्रेस भूमिका के हिसाब से अपना वजन घटाते और बढ़ाते हैं, ये कितना सही है, क्या आपने कभी ऐसा किया था? पूछे जाने पर शिल्पा कहती हैं कि मुझे ऐसी भूमिका नहीं मिली, लेकिन आजकल कई ऐसे कलाकार हैं जो इस तरह की चुनौतियों को लेना पसंद करते हैं और किरदार को पूरी न्याय देने के लिए वे ऐसा करते है. हेल्थ पर इसका असर अधिक नहीं पड़ता, क्योंकि वे डॉ. की सलाह के अनुसार ही करते हैं. वजन बढ़ाना और घटाना दोनों ही मुश्किल है. अगर वजन बढ़ाया है, तो उसे घटाने के भी कई तरीके है. जो वे ट्रेनर के साथ करते हैं.

शिल्पा आगे बताती हैं कि आजकल की महिलाएं खुद खाना बनाना पसंद नहीं करती, वे बाहर की जंक फूड और रेडीमेड फूड अधिक खाती हैं. मैं मध्यम वर्गीय परिवार में पली बड़ी हुई हूं, मुझे याद आता है, मेरी मम्मी और पापा दोनों ही काम पर जाते थे. इसके बावजूद मम्मी शाम का खाना खुद बनाती थीं. वह अधिकतर शनिवार को बाजार में जाकर अपने हाथों से चुनकर सब्जियां, मांस और मछलियां पूरे सप्ताह के लिए लाकर फ्रीज करती थी. इससे पूरे सप्ताह में हमें चिकन और फिश खाने को मिलता था. हर खाने को वह घी, नारियल तेल और वेजिटेबल ऑइल में पकाती थी. घर का खाना हमेशा सेहत के लिए अच्छा होता है. कामकाजी महिलाएं एकदिन खाना बनाकर फ्रीज कर उसे कई दिनों तक खा सकती हैं, क्योंकि हमारे इंडियन मसालें खासकर हल्दी, मिर्च, पुदीना, नीबू, गरम मसालें आदि में प्रिसर्वेटिव तत्व होते हैं, जो खाने को खराब होने से बचाते हैं.

चुकी ग्लैमर वर्ल्ड में बनावटी लोगों की भरमार है, ऐसे में शिल्पा स्पष्टभाषी है और किसी प्रकार की बनावटी लोगों को पसंद नहीं करती, कई बार उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, पर वह उसका सामना करने से नहीं घबराती. वह जोरदार हंसती हुई कहती हैं कि बनावटी बातें या चीजें देखने या सुनने में अच्छी लगती है, पर उसका असर हमेशा खराब होता है. जितना नैचुरल आप रहेंगे या खाना खायेंगे उतना ही आप स्वस्थ रहेंगे. मैं जैसी हूं वैसी ही रहना पसंद करती हूं. आपको हमेशा खुश रहना चाहिए, इससे लाइफ सिंपल बनती है.

आप के शिशु का मानसिक विकास अधूरा तो नहीं

‘‘आप की बेटी पढ़ाई में बहुत कमजोर है. उसे क्लास में पढ़ाया याद नहीं रहता,’’ जब टीचर रीमा को उस की बेटी अनिका के बारे में यह बता रही थी, तब उसे टीचर की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था. 3 साल की अनिका देखने में तंदुरुस्त थी और उस का कद भी उस की उम्र के हिसाब से सही थी, तो फिर उसे पढ़ने या याद करने में क्या दिक्कत हो सकती है? यही सोच रीमा परेशान हो रही थी.

रीमा ने घर आ कर अनिका के बरताव पर गौर किया, तो उसे समझ में आया कि अनिका एकाग्र हो कर न तो खेलती है और न ही पढ़ती है. उसे बहुत हैरानी हो रही थी कि क्यों कभी उस ने अनिका के इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया. रीमा का पूरा ध्यान उस की कदकाठी और वजन पर रहता था. यह सिर्फ रीमा की ही कहानी नहीं है. रीमा जैसी न जाने कितनी औऱ मांएं हैं, जो सिर्फ बच्चे की शारीरिक सेहत पर ध्यान देती हैं, लेकिन यह कभी नहीं सोचतीं कि बच्चे का मानसिक विकास भी बहुत जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार शिशु के शुरू के 1000 दिन उस के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं. इसलिए शिशु के पोषक तत्त्वों से युक्त आहार यानी न्यूट्रिएंट डैंस फूड पर खास ध्यान देना चाहिए, लेकिन बहुत कम पेरैंट्स अपने शिशु के दिमाग या मानसिक विकास पर चर्चा करते हैं…

जरूरी हैं पोषक तत्त्व

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के नियोनेटोलौजिस्ट डा. सतीश सलूजा कहते हैं, ‘‘भारत में बहुत कम अभिभावक बालरोग विशेषज्ञ से शिशु के मानसिक विकास से जुड़े आहार की बात करते हैं. अधिकतर अभिभावक सिर्फ शिशु के वजन, हाइट को ले कर फिक्रमंद हैं और इन्हीं से जुड़े आहार के बारे में पूछते हैं. अकसर यह भी देखा गया है कि लोग अपने परिवार के खानपान के हिसाब से ही शिशु का खाना निश्चित करते हैं. इस स्थिति में कई शिशु पोषक तत्त्वों जैसे आयरन, जिंक और कैल्सियम की कमी से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि मातापिता बच्चे के मानसिक विकास से जुड़े पोषक तत्त्वों की जरूरतों के बारे में डाक्टर से परामर्श लें.’’

गौरतलब है कि भारतीय अभिभावक अपने शिशुओं के मैक्रोन्यूट्रिएंट्स यानी प्रोटीन, कार्ब्रोहाइड्रेट और फैट पर तो ध्यान देते हैं, जिस से उन का शारीरिक विकास तो नजर आता है, लेकिन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स यानी जिंक, आयरन, कैल्सियम, विटामिन्स देने पर कम ध्यान देते हैं. इन की कमी से शिशु का मानसिक विकास प्रभावित होता है, जो शारीरिक विकास की तरह आंखों से तो दिखाई नहीं देता, लेकिन समय बढ़ने के साथ पता चलता है कि बच्चे का मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हुआ है. अगर समय रहते शिशु का मानसिक विकास नहीं हुआ तो इसे भविष्य में कवर करना नामुमकिन हो जाता है. भारत में 6 महीने से 23 महीने के बच्चों में सब से ज्यादा 49.5 फीसदी आयरन की कमी पाई गई है.

संपूर्ण विकास के लिए

1. गौरतलब है कि शुरुआती 6 महीने तक शिशु सिर्फ स्तनपान पर रहते हैं और 6 महीने का होने पर उन्हें स्तनपान के साथ ठोस आहार देना शुरू किया जाता है. लेकिन इस के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शिशु शुरू में आहार पचा नहीं पाते तो उन्हें आहार थोड़ा तरल कर के ही देना चाहिए. थोड़ा तरल आहार होने के साथ यह पोषक तत्त्वों से युक्त होना भी बहुत आवश्यक है.

2. शिशुओं का आहार बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. सब से जरूरी है कि उन के आहार में पहले साल नमक न डालें, क्योंकि उन में नमक पचाने की क्षमता नहीं होती.

3. नमक के अलावा चीनी का प्रयोग करने से भी बचाना चाहिए. इस से शिशु के निकलने वाले दांतों को नुकसान पहुंच सकता है और भविष्य में मोटापे का भी खतरा रहता है. सिर्फ खट्टे फलों को मीठा करने के लिए थोड़ी चीनी का इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्हें खाने में बिस्कुट और नमकीन देने की आदत न डालें.

4. प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट जैसे पोषक तत्त्वों के साथ शिशु को आयरन, जिंक और कैल्सियम युक्त पोषक तत्त्वों से भरपूर आहार देना भी महत्त्वपूर्ण है ताकि उन का संपूर्ण विकास हो सके.

5. उनके मानसिक विकास के लिए आयरन युक्त आहार देना जरूरी है, जिस में ब्रोकली, शकरकंदी, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोफू, मटर, मछली इत्यादि शामिल हैं.

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए

इसी तरह जिंक शिशुओं की इम्युनिटी में सहायक होता है. यह रैड मीट, दही, नट्स और साबूत अनाज में पाया जाता है. साबूत अनाज के भूसे में जिंक की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन जिंक की यह मात्रा पिसाई के दौरान लगभग खत्म हो जाती है. घर पर बने आहार से आयरन, जिंक और कैल्सियम की कमी को पूरा करना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि शिशु के पेट का आकार वयस्क के पेट से 5 गुना छोटा होता है. इसलिए शिशु बहुत ही सीमित आहार खा पाता है. इस स्थिति में शिशु के शरीर के पोषक तत्त्वों को पूरा करने के लिए फोर्टीफाइड आहार शामिल किया जा सकता है. इस में जिंक, आयरन और कैल्सियम जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शिशु के मानसिक विकास और इम्युनिटी को बरकरार रखने में मदद करते हैं.

मां का दूध है सर्वोत्तम

घर के बने आहार के  साथ आयरन, जिंक और कैल्सियम से भरपूर फोर्टीफाइड आहार को शिशु की डाइट में सम्मिलित कर उसे शारीरिक व मानसिक रूप से सक्षम बनाना महत्त्वपूर्ण है. शिशु के शुरुआती 2 साल में खानपान का खास खयाल रखना जरूरी है, क्योंकि बिना पोषक तत्त्वों से उसे भविष्य में कई तरह के विकार हो सकते हैं.

ठोस आहार के साथ स्तनपान का भी ध्यान रखें. मां का दूध शिशु के पोषण के लिए बहुत फायदेमंद है. इसे बिलकुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. शिशु के खानेपीने के साथसाथ समय पर वैक्सीनेशन पर भी ध्यान दें. जब भी शिशु को टीका लगवाने जाएं, तो उस की ग्रोथ को जरूर चैक करें.

इस तरह की छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर शिशु की संपूर्ण मानसिक व शारीरिक देखभाल की जा सकती है.

महत्त्वपूर्ण तथ्य

वैसे तो मां का दूध शिशु के लिए पूरा आहार होता है, लेकिन उस में आयरन और विटामिन सी जैसे मुख्य पोषक तत्त्व नहीं होते. अगर आप का शिशु 6 महीने से ज्यादा उम्र का हो गया है और उसे दूध के अलावा पोषक तत्त्वों से युक्त भोजन नहीं मिल रहा तो वह ऐनीमिया से ग्रस्त हो सकता है.

अलगअलग अध्ययनों के अनुसार शिशु का दिमाग 2 साल की उम्र तक 80 फीसदी तक विकसित हो जाता है और अगर इस उम्र में शिशु में पोषक तत्त्वों की कमी रह जाए, तो उसे पूरा करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.

महत्त्वपूर्ण बातें

1. शिशु को बैठा कर चम्मच से धीरेधीरे खिलाना चाहिए और बचे आहार को शिशु को दोबारा नहीं खिलाना चाहिए.

2. पहली बार जब शिशु को आहार दें, तो थोड़ी मात्रा में ही दें ताकि वह आसानी से पचा सके और उसे आहार का स्वाद महसूस हो सके.

3. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को पूरा करने के लिए पोषक तत्त्वों से युक्त फोर्टीफाइड आहार भी दिया जा सकता है.

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