फिल्म रिलीज के पहले ही ‘रईस’ ने बनाया रिकॉर्ड

शाहरुख खान की फिल्म ‘रईस’ के ट्रेलर ने आते ही तूफान मचा दिया है. ढाई मिनट के इस ट्रेलर को अब तक 10 मिलियन से ज्यादा लोगों ने देख लिया है.

राहुल ढोलकिया निर्देशित एक शराब माफिया की कहानी पर बनी रईस के ट्रेलर को 24 घंटे पूरे होने से पहले ही वर्ल्डवाइड 10 मिलियन से ज्यादा व्यूअर्स देख चुके हैं. ट्रेलर को हाल फिलहाल के दिनों में आई फिल्मों के मुकाबले जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है.

3 घंटे 35 मिनट में ही इस ट्रेलर को 1000 लाइक मिल चुके हैं. जिसकी वजह से यह सबसे जल्दी 1000 लाइक मिलने वाला ट्रेलर बन गया है. सभी को पीछे छोड़ते हुए रईस सबसे बड़ा ट्रेलर बन गया है.

सुल्तान को 1000 लाइक 42 घंटों में, दंगल को 8 घंटे 48 मिनट में, शिवाय को 23 घंटे में और एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी को 12 घंटे में मिले थे.

ढाई मिनट के इस ट्रेलर के रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर हैशटैग #RaeesTrailer ट्रेंड करने लगा था. सभी फैंस और क्रिटिक इसके प्रति अपनी एक्साइटमेंट को शेयर करने लगे.

करीब 2 मिनिट 45 सेकंड के ट्रेलर में शाहरुख खान के कई दमदार डायलॉग हैं और साथ में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहे नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अपने उसी अंदाज में हैं. ट्रेलर लॉन्च को लेकर शाहरुख ने खुद ही कमान संभाल रखी थी और वो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव थे.

फिल्म के प्रवक्ता ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘हमें बहुत खुशी है कि ट्रेलर को इतना जबर्दस्त रिस्पॉन्स मिला. टीम ने बहुत कड़ी मेहनत की है और हम काफी एक्साइटेड हैं. दर्शक काफी लंबे समय से फिल्म का इंतजार कर रहे हैं. इस स्टनिंग ट्रेलर ने लोगों के मन की उत्सुकता को और, बढ़ाने का काम किया है.’

जानिए क्या है ग्रेच्युटी

किसी भी कंपनी में कार्यरत कर्मचारी के वेतन का एक भाग ग्रेच्युटी के रूप में डिडक्ट किया जाता है. पर यह किसी तरह का टैक्स नहीं है. ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा है जो आपको आपकी सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है. यह रिटायरमेंट के बाद कंपनी की तरफ से कर्मचारी को उसकी सेवा के बदले दिया जाता है.

कई कर्मचारी रिटायरमेंट के पहले नौकरी छोड़ देते हैं, उस वक्त भी ग्रेच्युटी मिलती है. आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के मुताबिक किसी भी निगम या कंपनी में न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी हासिल कर सकता है. कर्मचारी को उसकी सेवा के प्रत्येक वर्ष के बदले 15 दिनों का वेतन ग्रेच्युटी के तौर पर दिया जाता है. इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता का योग शामिल होता है. ग्रेच्युटी के तहत मिली राशि पर कर देना पड़ता है. केंद्र, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के तहत आने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी पूरी से टैक्स फ्री होती है.

कुछ नियुक्तिकर्ता ग्रेच्युटी भुगतान को कॉस्ट टू कंपनी(CTC) पैकेज के तहत दिखाते हैं, ऐसे में आपको सीटीसी ऑफर में ग्रेच्युटी कटौती देखने को मिलती है, जिसका कारण है कि नियुक्तिकर्ता द्वारा इसे अपने खर्च के तौर पर देखा जाता है.

समझें आंखों की भाषा

यह सही है कि जो बातें जबान नहीं बोल पाती उन्हें आंखें बोल देती हैं. कभी ऐसा भी होता है कि कुछ लोग मुंह से कम आंखों से ज्यादा बोलते हैं. आंखों की भाषा हमारी बौडी लैंग्वेज का ही एक हिस्सा है. किसी की आंखों को ठीक से पढ़ा जाए तो यह अंदाज लगा सकते हैं कि वह क्या कहना चाहता है. आंखें अपनी बातें अपनी भिन्नभिन्न मूवमैंट्स से बोल देती हैं जैसे:

ऊपर देखना: जब कोई व्यक्ति ऊपर की ओर देखता है तो इस का मतलब है वह कुछ सोच रहा है या याद करने की कोशिश कर रहा है. कभीकभी ऊपर देखने के साथसाथ वह बाएं या दाएं भी देख सकता है. ऊपर देखने का अर्थ यह भी हो सकता है कि वह व्यक्ति अपने चारों तरफ के माहौल से बोर हो रहा है.

सिर नीचे कर देखना: अगर कोई इनसान सिर नीचे किए आंखों से पीछे की ओर किसी दूसरे आदमी को देख रहा हो तो समझें कि वह उस से नाराज है या उस व्यक्ति को शक की निगाहों से देख रहा है अथवा उसे परखने का प्रयास कर रहा है.

नीचे देखना: जब कोई व्यक्ति आप की किसी बात या व्यवहार से आंखें नीची कर देखे तो वह अपने को दोषी स्वीकार रहा है या आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार है. लड़कियां जब ऐसा करें तो यह उन का शरमाना भी होता है.

बगल में देखना: आंखें ज्यादातर सामने देखती हैं. पर जब कोई बगल में देखने लगे तो मतलब आगे की चीज में उस की कोई रुचि नहीं है या फिर किसी दूसरे व्यक्ति या चीज में रुचि रखता है या उसे कुछ खतरा महसूस हो रहा है अथवा अपने आसपास की कोई आवाज सुनना चाहता है.

पार्श्व में देखना: कभी आंखें साइड मूव करती हैं. इस का मतलब यह हुआ कि वह आदमी झूठ बोल रहा है या कोई बहाना बना रहा है अथवा किसी षड्यंत्र के बारे में सोच सकता है.

टकटकी लगाए देखना: किसी को टकटकी लगा कर देखने का अर्थ है कि हम उस में रुचि ले रहे हैं. 2 प्रेमी भी एकदूसरे को इस तरह देख सकते हैं. अकसर ऐसा होता है कि जब हम किसी को कुछ देर टकटकी लगाए देखते हैं तो उस का भी ध्यान हमारी ओर आकर्षित हो जाता है और जब वह हमारी ओर देखने लगता है तो हम आंखें फेर लेते हैं और अपने किए पर शरमा जाते हैं या इस के लिए दोषी महसूस करते हैं.

इस तरह से देखते समय ध्यान देना होता है कि आंखें किधर देख रही हैं. यदि आंखें ऊपर से नीचे तक स्लाइड करें तो मतलब वह उस के प्रति आकर्षित है. अगर सैक्स और्गन पर नजर गड़ाए है तो उस में कामवासना है.

ऊपर से नीचे तक टकटकी लगाए देखने का मतलब यह भी हो सकता है कि वह आदमी अपने को सामने वाले से शक्तिशाली या बेहतर समझता है. कभीकभी ऐसा भी होता है कि एक से ज्यादा विकल्प सामने हों तो ऐसे में आंखें उन्हें परखने के लिए देर तक देखती हैं.

घूरना: आंखों में आंखें डाल कर घूरने का मतलब क्रोध या चैलेंज करना होता है. किसी खास समाचार को सुन कर दुखी या आश्चर्यचकित होने पर भी आंखें फाड़ कर देखते हैं.

आंखों द्वारा पीछा करना: आंखें आदतन अपने आसपास की मूवमैंट, अपने प्रिय व्यक्ति या वस्तु या जिस से खतरे का आभास हो उस का पीछा करती हैं जैसे कोई सेल्समैन अपनी चीज को उंगली या पैन से इंगित कर हमें कुछ दिखाता है तो हमारी आंखें भी उस के इशारे का पीछा करती हैं.

एक झलक या एक नजर देखना: किसी ओर एक झलक देखने के भी कई माने हो सकते हैं जैसे अगर कोई दरवाजे की ओर देख रहा हो तो वह वहां बाहर से जाना चाहता है. खिड़की की ओर देखने का मतलब खिड़की खोलना या बंद करना हो सकता है. अगर किसी व्यक्ति की ओर बारबार एक झलक देख रहा है तो उस में उस की रुचि है पर देखना मना हो या यह भी हो सकता है कि उसे टकटकी लगा कर देर तक देखने की स्थिति में नहीं है.

आंखों में आंखें डाल कर देखना: इस का मतलब वे दोनों परिचित हैं और उन के बीच स्ट्रौंग कम्यूनिकेशन है. दोनों को एकदूसरे में बराबर रुचि है या दोनों दूसरे की तुलना में अपने को बेहतर या शक्तिशाली समझते हैं.

आई कौंटैक्ट टूटना: किसी को लगातार देर तक घूरना संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न कर सकता है. किसी को खतरे या अपमान का आभास हो जाता है तो वह और ज्यादा आई कौंटैक्ट बरदाशत नहीं कर पाता है. अगर वार्त्तालाप के बीच में हम आई कौंटैक्ट तोड़ देते हैं और फिर तुरंत उसे वापस देखते हैं तो इसे फ्लर्टिंग समझा जाए.

अगर किसी व्यक्ति को हम देख रहे हैं और वह आंखें मिलते ही नजरें फेर लेता है तो मतलब है कि उस की आप में रुचि नहीं है.

देर तक आई कौंटैक्ट: नौर्मल से ज्यादा देर तक आई कौंटैक्ट के अनेक माने हो सकते हैं. जब हम किसी को ध्यान से सुनते हैं तो आई कौंटैक्ट बढ़ जाता है बजाय जब हम उस से बात करते हैं.

जिन्हें हम पसंद करते हैं उन्हें देर तक देखते हैं और जो हमें पसंद करते हैं उन्हें भी देर तक देखते हैं. 2 प्रेमी एकदूसरे को देर तक देखते रह सकते हैं. मुसकरा कर देर तक देखने का मतलब उस की ओर हम आकर्षित हैं.

सीमित आई कौंटैक्ट: जब कोई आप से बहुत थोड़ी देर के लिए आई कौंटैक्ट बनाता हो तो समझें कि वह असुरक्षित महसूस कर रहा है. यह भी हो सकता है कि वह झूठ बोल रहा हो.

प्रोत्साहन: कोई आप की बात ठीक से समझे या माने इस के लिए आई कौंटैक्ट जरूरी है. अगर आप किसी की ओर देख कर बात कर रहे हैं और वह आप की तरफ नहीं देख रहा या कहीं ओर देख रहा हो तो समझें कि उस का ध्यान आप की बातों पर नहीं है. अगर आप की बात सुन भी रहा है तो पर्सनल कनैक्शन में कमी है.

जानबूझ कर भेंगापन: अगर किसी आदमी की बातों पर पूर्णतया आंशिक रूप से विश्वास न हो या संदेह हो तो सामने वाला आदमी अपनी अधखुली आंखों से देखता है. झूठ बोलने वाला व्यक्ति भी ऐसा करता है.

आंखों का झिलमिल करना: आंखों का झिलमिलाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिस से पुतलियां आंखों की सफाई करती हैं. किंतु जब हम विचारमग्न हों या स्ट्रैस में हों तो इस की गति बढ़ जाती है. जिस आदमी से हम बात कर रहे हैं उस के बारे में हम क्या सोचते हैं और कैसा रिश्ता है इस का असर भी ब्लिंकिंग पर होता है. आमतौर पर एक मिनट में हम 6 से 10 बार ब्लिंक करते हैं.

नौर्मल ब्लिंकिंग के अतिरिक्त सिर्फ एक बार बीच में ब्लिंक करने का मतलब यह भी हो सकता है कि जो हम देख रहे हैं वह कुछ असाधारण है.

आंख मारना: जब हम सामने वाले को आंख मारते हैं तो मतलब यह बात सिर्फ हम दोनों जानते या समझते हैं या कोई तीसरा जो वहां हो सकता है उस के विरुद्ध कोई चाल है. आमतौर पर इसे अच्छा नहीं मानते हैं.

आंखें बंद कर लेना: आंखें बंद करने के बाद हम कुछ भी नहीं देख सकते हैं. इस का मतलब हमारे सामने जो भी है उसे हम देखना नहीं चाहते हैं. कभी कोई सीरियस वक्ता बोलने के बीच में अपनी आंखें बंद कर लेता है. इस का अर्थ हुआ कि वह गंभीर चिंतन कर कुछ सोच या मन में झांक रहा है ताकि खुली आंखों से उस का ध्यान विचलित न हो.

गीली आंखें और आंसू: आंसू नली आंसुओं द्वारा आंखों की धुलाई करती है. ये आंसू हमारे दुखी होने के भी द्योतक हैं. कभीकभी अपार हर्ष या सफलता पर भी आंखों से आंसू गिरने लगते हैं. जब कभी हम अपने दुख को दूसरों से छिपाना चाहते हैं तब भी आंखें गीली हो जाती हैं.

आंखें रगड़ना: जब कभी हम किसी असहज स्थिति में होते हैं तो आंखें गीली हो सकती हैं. दूसरों को यह पता न चले इस के लिए हम आंखें रगड़ कर उन्हें सूखा करने का प्रयास करते हैं. कभीकभी यह स्थिति हमारी थकावट को भी दर्शाती है.

होम डैकोर ट्रैंड्स 2016

कुछ वर्षों से होम डैकोर यानी घर की साजसजावट से संबंधित रुझान और चलन अतीत की ओर बढ़ता दिख रहा है. इस का मतलब है कि मामूली आधुनिक बदलाव के साथ प्राचीन संस्कृति को अपनाने का चलन फिर से मजबूत हो रहा है. यहां हम ने 2016 में लोकप्रिय कुछ रुझानों का चयन किया है और 2017 में भी इन की लोकप्रियता बरकरार रहने की संभावना है.

इंडियन हैरिटेज

इस साल पुराने समय के आकर्षण के साथ गृह साजसज्जा पर जोर देने की प्रवृत्ति दिख रही है. आकर्षक कलर और टैक्स्चर भारतीय डिजाइन के प्रमुख तत्त्व हैं. बूटेदार तकिए और आकर्षक फर्नीशिंग भारतीय सजावट में शामिल करने के लिए एक प्रमुख तरीका है. भारतीय फर्नीचर देखने में देहाती और गुणवत्ता में मजबूत है और यह सागौन लकड़ी से निर्मित है. भारत को अपने श्रेष्ठ सिल्क और अन्य टैक्सटाइल के लिए जाना जाता है, जिसे भारतीय घरों में खिड़कियों को सजाने से ले कर तकिए बनाने और दीवार पर लटकने वाले सामान सहित और कई कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है. भारतीय शैलियों के इस समावेश की लोकप्रियता अंतर्राष्ट्रीय सजावट में भी दिख रही है और इस के फिलहाल चलन से बाहर होने की संभावना नहीं दिख रही है.

इकत

इकत एक प्रिंटिंग स्टाइल है, जो धागों को फैब्रिक पर विशेष पैटर्न के साथ जोड़ता है. यह मुख्यतौर पर भारत और इंडोनेशिया में लोकप्रिय है. इकत प्रिंट विभिन्न रंगों, आकारों और खास पैटर्न डिजाइनों के साथ आते हैं. ये बेहद सुंदर और अति सूक्ष्म हो सकते हैं. इकत के नए प्रिंट ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है. इसे न सिर्फ कपड़े पर स्वाभाविक ढंग से बनाया जा सकता है, बल्कि क्लौक, मग और लैंपों पर भी प्रिंट किया जा सकता है.

पीतल और तांबा

पीतल और तांबा हमारे लिए नए नहीं हैं. लेकिन 2 सालों से ये वैश्विक डिजाइन परिदृश्य का हिस्सा बन गए हैं और ऐसा लगता है कि ये यहां लंबे समय तक बने रहेंगे. डिजाइनर पीतल को गला कर, मोड़ कर और पौलिश कर इस के आकर्षण को बनाए रखते हुए झूमर, पैंडेंट लाइट्स से ले कर कुरसियां, बाथ व किचन उपकरण और सजावटी चीजें बनाने के लिए इस प्राचीन धातु का इस्तेमाल कर रहे हैं. तांबा दूसरी धातु है, जिस ने शानदार वापसी की है. टेबलवेयर (मेज पर रखे जाने वाले खाने के बरतन आदि) में तो इस का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. अब तांबे के लाइटिंग उपकरण भी काफी पसंद किए जा रहे हैं. इस तरह से इस प्राचीन धातु ने आधुनिक रूप हासिल किया है.

क्रिस्टल

क्रिस्टल घर की सजावट में इस्तेमाल होने वाली कोई नई चीज नहीं है. राजशाही के समय से महंगे कांच के कार्य और सुंदर झूमर आदि का इतिहास रहा है. इस सीजन में क्रिस्टल काफी लोकप्रिय है. हर जगह चमकते झूमर और चकाचौंध करने वाला सामान दिख जाता है. मेहमानों को चमचमाते सैंटरपीस से ज्यादा कोई और चीज आकर्षित नहीं करती और मेज पर सजाने के लिए क्रिस्टल जैसी और कोई चीज भी नहीं है. क्रिस्टल कांच और सैंटरपीस फूलदान को गोल्ड चार्जर्स के इस्तेमाल से और आकर्षक बनाया जा रहा है. हालांकि क्रिस्टल के असली झूमर बहुत महंगे हैं, लेकिन नकली क्रिस्टल और क्रिस्टल स्ट्रिंग्स का इस्तेमाल आप अपनी लाइटिंग्स में कर सकती हैं.

इंडिगो कलर

यह रंग शांति और सौहार्द का प्रतीक है और यही वजह है कि इस का इंटीरियर डिजाइन में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. इंडिगो ऐसे रंगों में से एक है, जिस का लंबे समय से घर की सजावट में इस्तेमाल किया जा रहा है. इस रंग के साथ काम करना आसान है और यह किसी भी जगह के लिए गर्मजोशी, उत्साह और भव्यता के उपयुक्त समावेश की भी पेशकश करता है. अन्य गहरे रंगों के साथ मिलाए जाने पर इंडिगो संपन्नता, गहन पृष्ठभूमि के तौर पर काम करता है.

जहां इंडिगो का इस्तेमाल चमकीले रंगों के खिलाफ तटस्थता के तौर पर किया जा सकता है, वहीं कुछ अन्य रंगों के साथ मिलाए जाने पर यह बेमिसाल स्टनर का काम भी कर सकता है. इंडिगो डाई ने भारत में गहरी पैठ बनाई है और इसे विभिन्न फर्नीशिंग और डैकोर श्रेणियों में देखा जा सकता है.

मोरक्को का प्रभाव

मोरक्को डैकोरेशन का इस्तेमाल अफ्रीकी, पारसी और यूरोपीय लोग करते हैं. दूसरी पुरानी सभ्यताओं की तरह मोरक्को डैकोरेशन का लंबा इतिहास और अलग स्टाइल है. इस में चटक और समृद्ध रंगों का इस्तेमाल होता है. फर्नीचर आमतौर पर जमीन से ज्यादा ऊंचा नहीं होता, उस के साथ गद्देदार आसनी और टेबल होते हैं. लेकिन कुछ की डिजाइन काफी जटिल होती है. थ्रो पिलोज भी डिजाइन का हिस्सा होते हैं और साथ ही लालटेन और लैंप्स जैसी ऐक्सैसरीज भी होती हैं. पारंपरिक मोरक्कन डैकोरेशन का इस्तेमाल आजकल घरों में करने का ट्रैंड बढ़ा है.

फूलों से सजावट

वैसे तो फूलों से सजावट कोई नई चीज नहीं है, लेकिन फूलों से सजावट के पुराने तरीके की जगह नए तरीके ने ले ली है. फैब्रिक में वालपेपर्स में फूलों के इस्तेमाल का नया ट्रैंड वाटर कलरिंग पेंटिंग्स

से प्रेरित है, जहां फ्लोरल प्रिंट्स करीब आर्ट वर्क जैसा ही है. दुनिया भर में डिजाइनर कुशन, चेयर फैब्रिक्स और यहां तक कि ट्रे और टेबलवेयर में फ्लोरल प्रिंट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. फ्लोर डैकोरेशन में आप दीवार पर लगे वालपेपर जैसी चीज का या फ्लोरल डिजाइन वाले झूमर का इस्तेमाल कर सकती हैं. अपने लिविंगरूम में फ्लोरल कुशन का भी उपयोग कर सकती हैं.

आंखों और होंठों का भी रखें ध्यान

अमूमन टीनएज लड़कियां आंखों में काजल और होंठों पर लिपग्लौस लगाती हैं औैर पूरापूरा दिन लगाए रहती हैं. लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि आंखों में काजल लगाने से टीयर ग्लैंड बंद हो जाती है और आंखें ड्राई हो जाती हैं. इसलिए मांओं को अपनी बेटी को हिदायत देनी चाहिए कि काजल का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें और सिर्फ नामी कंपनी यानी ब्रैंडेड प्रोडक्ट ही इस्तेमाल करें.

इसी तरह मसकारे का प्रयोग करते वक्त भी इन्हीं बातों का ध्यान रखें. मसकारे से पलकों पर आर्टिफिशियल कैमिकल कोटिंग हो जाती है, जिस से पलकों के बालों में औक्सीजन नहीं पहुंचती और वे झड़ने लगते हैं.

ऐसे ही होंठों पर भी हर वक्त लिपग्लौस न लगाए रखें. ऐसा करने से होंठों की रंगत खराब होती है.

होंठों के गुलाबीपन को सुरक्षित रखने के लिए पैट्रोलियम जैली का इस्तेमाल करें. इस में ऐंटीसैप्टिक तत्त्व होते हैं. यदि किसी अवसर पर बेटी लिपस्टिक लगाने की जिद करे, तो विटामिन ई, ए और मौइश्चराइजर युक्त लिपस्टिक ही लगाएं. यह होंठों की त्वचा को प्रभावित नहीं करती है.

आज की लड़कियां अपने लुक्स के लिए बहुत सजग रहती हैं और इस में कोई बुराई भी नहीं है, मगर बेटी की त्वचा को कौन सा प्रोडक्ट लाभ पहुंचाएगा और कौन सा नुकसान यह एक मां ही उसे बता सकती है. ध्यान रहे कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स सिर्फ ब्रैंडेड ही खरीदें.   

प्रतिनिधि

एक यात्रा जाइरो की

भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों की प्राकृतिक सुंदरता के कारण दुनियाभर में अलग ही पहचान है. यहां के राज्यों की कला और हस्तशिल्प की भव्यता ही अलग है. यहां के त्यौहार भी यहां के लोगों के प्रकृति प्रेम को दर्शाते हैं. अरुणाचल प्रदेश के प्राचीन शहरों में से एक है जाइरो. यह समुद्र तल से 5754 फीट (1,780 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. अपनी खूबसूरती की वजह से ही यह शहर यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल है.

जाइरो एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो पाइन के पेड़ों से भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है. पूरे क्षेत्र में फैले घने जंगल ही आदिवासी लोगों के घर हैं. यह क्षेत्र अपनी धान की खेतों की वजह से भी काफी फेमस है. जाइरो पेड़-पौधों और जन्तुओं के मामले में काफी धनी है.

जाइरो के लोग प्रकृति को भगवान की तरह पूजते हैं और खुद को प्रकृति से जोड़कर देखते हैं. वहां के लोग खेतों के अलावा हस्तशिल्प तथा हैन्डलूम उत्पादों को बनाकर अपना जीवनयापन करते हैं.

जाइरो के पर्यटक स्थल

जीरो पूटु

इसे आर्मी पूटु के नाम से भी जाना जाता है. आजादी के बाद यहां पर अरुणाचल प्रदेश के पहले प्रशासनिक केन्द्र की स्थापना की गई थी. इसके बाद छठे दशक में यहां पर सेना के कैम्प का निर्माण किया गया.

डोलो मांडो

हपोली से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोलो-मांडो डोलो और मांडो के प्रेम-संबंध के लिए प्रसिद्ध है. यहां से जाइरो और हपोली शहर के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं.

तारीन मछली फार्म

पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगहों में से एक ‘मछली फार्म’ हपोली से 3.5 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह बहुत ही खूबसूरत जगह है. यहां आने वाले पर्यटक अनेक प्रजातियों की खूबसूरत मछिलयों को देख सकते हैं.

मौसम

जाइरो की जलवायु मौसम के अनुसार बदलती रहती है. वैसे तो पर्यटक पूरे साल भर जाइरो जाते हैं लेकिन यदि आपको वहां के मनमोहक दृश्य को देखना है अक्टूबर तथा नवम्बर का महीना आपके लिए सही रहेगा.

कैसे पहुंचे?

रेल से: तेजपुर, जाइरो पहुंचने का नजदीकी रेलवे स्टेशन है. यह जाइरो से 300 किमी की दूरी पर है.

रोड से: इटानगर से जाइरो के लिए राज्य सरकार की बसें चलती हैं.

हवाई सफर: तेजपुर में ही सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है. यहां से आप जाइरो के लिए टैक्सी ले सकते हैं.

ग्रेवीन वैक्स म्यूजियम में लगेगा रणवीर का स्टैच्यू

पेरिस के ग्रेवीन वैक्स म्यूजियम में अब रणवीर सिंह का पुतला लगाया जाएगा. वो ब्रैड पिट और जॉर्ज क्लूनी जैसे हॉलीवुड स्टार के साथ खड़े नज़र आएंगे. इस म्यूजियम में वो बॉलीवुड के एकमात्र स्टार होंगे जिनका स्टैच्यू लगाया जा रहा हैं.

रणवीर की इसी हफ्ते फिल्म बेफिक्रे रिलीज होने जा रही है जिसकी पूरी शूटिंग पेरिस में की गई थी और अब वो वहां भी काफी लोकप्रिय हो चुके हैं. ग्रेवीन वैक्स म्यूजियम में रणवीर का लाइफ साइज स्टैच्यू लगाया जाएगा.

सूत्रों के मुताबिक स्टैच्यू बनाने का काम शुरू हो गया है और ये अगले साल यह बन कर तैयार हो जाएगा. रणवीर सिंह का स्टैच्यू जहां लगाया जायेगा वहां पहले से ही हॉलीवुड स्टार जॉर्ज क्लूनी, पेलोपेज क्रूज, ब्रैड पिट, मर्लिन मुनरो, मडोना, फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनल मेसी के पुतले लगे हुए हैं.

हाल ही में म्यूजियम के लोगों ने स्टैच्यू के लिए रणवीर का नाप लिया है. जिसके तहत प्लास्टर ऑफ पेरिस से उनके हाथों की नापजोक की गई और बाद में हाइट बोर्ड लगाया गया. साथ ही अलग अलग एंगल से रणवीर की तस्वीरें भी खीचीं गई.

वैसे तो बॉलीवुड के लोगों के वैक्स स्टैच्यू अब तक मैडम तुसाद म्यूजियम में ही लगाए जाते रहे हैं लेकिन रणवीर ऐसे पहले बॉलीवुड स्टार होंगे जिनका पुतला पेरिस के वैक्स म्यूजियम में लगेगा.

धरती पर स्वर्ग का टुकड़ा: मुन्नार

आप प्रकृति की गोद में अपना समय बिताना चाहती हैं तो हिल स्टेशन से अच्छी और कोई जगह नहीं है. भारत में लोगों के बीच हिल स्टेशन का क्रेज जबरदस्त है. मौसम कोई भी हो लोग हिल स्टेशन जाना नहीं भूलते.

केरल का मुन्नार उन आकर्षणों में से एक है जो सैलानियों के बीच बहुत प्रसिद्ध है. तीन पर्वतों की श्रृंखला – मुथिरपुझा, नल्लथन्नी और कुंडल, के मिलन स्थल पर स्थित है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1600 मीटर है. मुन्नार का हिल स्टेशन किसी जमाने में दक्षिण भारत के पूर्व ब्रिटिश प्रशासन का ग्रीष्मकालीन रिजॉर्ट हुआ करता था. यहां दूर दूर तक फैले चाय के बगान लोगों का मन मोह   लेते हैं.

वनों की विलक्षण वनस्पति तथा हरे घास के मैदानों के बीच यहां नीलकुरंजी नामक फूल पाया जाता है. हरे घास के मैदानों में नीलकुरंजी फूल पूरी पहाड़ी को नीला कर देता है. यह फूल बारह वर्षो में केवल एक बार ही खिलता है. जब यह फूल खिलता है तो पहाड़ियों की सुंदरता देखते ही बनती है.

मुन्नार के आसपास के पर्यटन स्थल

इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान, आनामुड़ी शिखर, माट्टूपेट्टी, पल्लिवासल, चिन्नकनाल, अनयिंरगल, टॉप स्टेशन, चाय संग्राहलय आदि.

इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान

इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान मुन्नार और इसके आसपास के प्रमुख आकर्षणों में से एक है. यह मुन्नार से लगभग 15 किमी दूर है और लुप्तप्राय प्राणी, नीलगिरी टार के लिए जाना जाता है. 97 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान तितलियों, जानवरों और पक्षियों के अनेक दुर्लभ प्रजातियों का घर है. यह ट्रैकिंग के लिए भी सर्वोत्तम स्थान है. यह उद्यान चाय के बगान और साथ ही लहरदार पर्वतों पर धुन्ध की चादर का एक विस्तृत नजारा पेश करता है.

आनामुड़ी शिखर

आनामुड़ी शिखर इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है. यह दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा शिखर. यह ऊंचाई 2700 मीटर से भी अधिक है. मगर इसकी चढ़ाई करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है.

माट्टूपेट्टी

मुन्नार शहर से 13 किमी दूर स्थित दूसरा दिलचस्प स्थान है मट्टुपेट्टी. मट्टुपेट्टी अपने स्टोरेज मेसनरी बांध और खूबसूरत झील के लिए जाना जाता है. माट्टूपेट्टी की प्रसिद्धि का श्रेय इंडो-स्विस लाइवस्टॉक परियोजना द्वारा संचालित डेयरी फार्म को भी जाता है.

पल्लिवासल 

पल्लिवासल मुन्नार के चितिरपुरम से लगभग 13 किमी दूरी पर स्थित है. यह केरल का पहला हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजना स्थल है. यह स्थल व्यापक प्राकृतिक सुन्दरताओं से भरा पड़ा है और पर्यटकों का पसंदीदा पिकनिक स्थल है.

चिन्नकनाल

चिन्नकनाल मुन्नार शहर के निकट स्थित है. यहां के झरनें को पावर हाउस वाटरफॉल कहा जाता है.

अनयिरंगल  

चिन्नकनाल से लगभग 7 किमी आगे बढ़ने पर, आप अनयिरंगल पहुंच जाएंगे. मुन्नार से 22 किमी दूर स्थित अनयिरंगल चाय के हरे भरे पौधों का गलीचा है. शानदार जलाशय की सैर एक अविस्मरणीय अनुभव है. अनयिरंगल बांध चारों ओर से चाय के बगीचों और सदाबहार वन से घिरा है.

चाय संग्रहालय

चाय बगानों की उत्पत्ति और विकास की दृष्टि से मुन्नार की अपनी अलग विरासत है. इस विरासत को ध्यान में रखते हुए, केरल के ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में चाय बगानों की उत्पत्ति और विकास के कुछ सूक्ष्म और दिलचस्प पहलुओं को सुरक्षित रखने और प्रदर्शनीय बनाने के लिए मुन्नार में टाटा टी द्वारा कुछ वर्ष पहले एक संग्रहालय की स्थापना की गई थी. इस चाय संग्रहालय में दुर्लभ कलाकृतियां, चित्र और मशीनें रखी गई हैं; इनमें से हर एक  की अपनी कहानी है जो मुन्नार के चाय बगानों की उत्पत्ति और विकास के बारे में बताती है.

कैसै पहुंचे?

रेलवे स्टेशन: तेनी (Theni) (तमिलनाडु), लगभग 60 किमी दूर; चेंगनचेरी, लगभग 93 किमी दूर.

हवाईअड्डा: मदुरई (तमिलनाडु), लगभग 140 किमी दूर; कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, लगभग 190 किमी दूर.

जल्द ही बड़े पर्दे पर एंट्री कर सकते हैं युवी

युवराज सिंह ने हाल ही में मॉडल-एक्ट्रेस हेजल कीच से शादी की है. शादी के हर फंक्शन में दोनों युवी और हेजल बेहद खुश दिखें. जाहिर है, युवी को खुश देखकर उनके फैन्स भी उत्साहित हैं. वैसे युवी अपने फैन्स को एक और खुशखबरी जल्द देने वाले हैं.

दरअसल, बॉलीवुड में उनकी एंट्री होने वाली है. नहीं, पर्दे पर वह अभिनय नहीं करेंगे. लेकिन उन पर एक बायोपिक बनाने की प्लानिंग हो रही है.

सूत्रों की मानें तो युवराज और एक नामी प्रोडक्शन हाउस के बीच इस फिल्म को लेकर गंभीरता से बातचीत हो रही है. फिलहाल शादी की वजह से मामला बीच में लटका है लेकिन जब युवराज हनीमून से लौटेंगे तो दोबारा इस पर चर्चा शुरू होगी. और हो सकता है कि उसके बाद जल्द ही इसकी घोषणा भी हो जाए.

बहुत पहले युवराज ने एक टॉक शो में कहा था कि अगर उनके ऊपर बायोपिक बने तो अक्षय कुमार उनका किरदार निभाएं. इसके साथ– साथ आपको बता दें कि रणवीर कपूर ने भी कुछ दिन पहले एक साक्षात्कार में कहा था कि वो भी युवी का किरदार निभाने की ईच्छा रखते हैं.

डांस के बाद सिंगिंग रिएलिटी शो जज करेंगे करण

‘झलक दिखला जा’ और ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ जैसे शो में जज रह चुके करण अब सिंगिंग रिएलिटी शो ‘दिल है हिंदुस्तानी’ जज करने वाले हैं. उन्होंने कहा, ‘‘टेलीविजन पर मैं सभी तरह के शो कर चुका हूं. नए आइडिया आते हैं तो उन पर विचार करूंगा. जितने ज्यादा रियलिटी शो होंगे उतना अच्छा होगा. मुझे जो भी ऑफर मिलेगा, मैं उस पर विचार करूंगा. मैं टेलीविजन को ना नहीं कह सकता. मेरा दिल टेलीविजन में लगता है लेकिन मेरी आत्मा तो फिल्मों में बसी है. ’’

फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के डायरेक्टर करण जौहर का मानना है कि अब वह टेलीविजन की शख्यियत बन चुके हैं. करण ने कहा, ‘‘टेलीविजन, फिल्मों के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रभावशाली है. हमारे देश में तीन प्रतिशत लोग ही फिल्में देखते हैं जबकि 25 से 30 प्रतिशत लोग टेलीविजन देखते हैं. इस तरह टेलीविजन लगभग नौ गुना ज्यादा प्रभावशाली है. देशभर में टेलीविजन पर दिखने की मेरी इच्छा ने फिल्म मेकर के तौर पर मेरी पहचान को बनाने में मदद की है. इसके लिए मैं टेलीविजन का आभारी हूं.’’

इस शो का आयोजन प्रतिभाशाली गायकों की खोज के लिए किया जाएगा. इस रिएलिटी शो को करण के साथ साथ रैपर बादशाह और एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय जज करेंगी.

करण, ऐश्वर्या और बादशाह दुनियाभर में प्रतिभाशाली गायकों की तलाश करेंगे. इस शो का प्रसारण स्टार प्लस पर होगा.

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