विद्या बालन की बेगम जान में क्या है खास

फिल्म ‘ कहानी 2’ में अपनी एक्टिंग के जलवे दिखाने के बाद विद्या बालन फिर से स्क्रीन पर अपने जलवे बिखेरने के लिए तैयार हैं. जल्द ही वो फिल्म ‘बेगम जान’ में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म में विद्या का अंदाज ऐसा होगा जो दर्शकों ने अभी तक नहीं देखा होगा.

खबर है कि फिल्म ‘बेगम जान’ श्रीजीत मुखर्जी की बंगाली फिल्म ‘राजकाहिनी’ का हिंदी रीमेक है, जिसे नेशनल अवॉर्ड मिला था.

फिल्म की कहानी 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद के बंगाल की है. फिल्म की पृष्ठभूमि में कोठे पर रहने वाली 11 महिलाएं हैं. विभाजन के बाद जब नई सीमा रेखा बनती है तो उस कोठे का आधा हिस्सा भारत में पड़ता है और आधा पाकिस्तान में. फिल्म में विद्या बालन ने इस कोठे की मालकिन का किरदार निभाया है. जबकि श्रीजीत मुखर्जी की फिल्म में ये किरदार रितुपर्णा सेनगुप्ता ने निभाया था और इसके लिए उन्हें दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब मिला.

हाल ही में इस फिल्म से विद्या बालन का फर्स्ट लुक भी सोशल मीडिया पर सामने आया है. जिसमें विद्या बालन एक चारपाई पर पड़ी हुक्का पीती नजर आईं. विद्या का ये अंदाज उनकी अब तक की फिल्मों में नहीं देखा गया है. ‘द डर्टी पिक्चर’ की तरह ही ये फिल्म भी विद्या के करियर को नई ऊंचाइयां देगी. फिल्म में गौहर खान भी हैं जो वेश्या के किरदार में नजर आएंगी. किरदार में ढलने के लिए गौहर खान ने ना तो मेक-अप किया और ना चेहरे की देखभाल के लिए कोई चीज ही इस्तेमाल की.

..तो चमक उठेंगे पुराने बर्तन

बर्तन चमकाना बड़ा मुश्क‍िल काम है. उस पर अगर बर्तन जल जाए तो और मुसीबत हो जाती है. अगर आपके बर्तन भी जल गए हैं और अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही पुराने लगने लगे हैं तो इन तरकीबों से आप उन्हें नया बना सकती हैं.

यहां कुछ ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं, जिससे आपके बर्तन और आपका किचन चमकने लगेगा.

1. कांच के बर्तन और कप की सफाई के लिए रीठे के पानी का इस्तेमाल करें.

2. पीतल के बर्तन साफ करने के लिए नींबू को आधा काट लें व इस पर नमक छिड़ककर बर्तनों पर रगड़ने से वे चमकने लगते हैं.

3. बर्तनों पर जमे मैल को साफ करने के लिए पानी में थोड़ा-सा सिरका व नींबू का रस डालकर उबाल लें.

4. जले हुए बर्तनों को साफ करने के लिए उसमें एक प्याज डालकर अच्छी तरह उबाल लें. फिर बर्तन साबुन से साफ करें.

5. एल्यूमीनियम के बर्तनों को चमकाने के लिए बर्तन धोने वाले पाउडर में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बर्तनों को साफ करें.

6. प्याज का रस और सिरका बराबर मात्रा में लेकर स्टील के बर्तनों पर रगड़ने से बर्तन चमकने लगते हैं.

7. प्रेशर कुकर में लगे दाग-धब्बों को साफ करने के लिए कुकर में पानी, 1 चम्मच वॉशिंग पाउडर व आधा नींबू डालकर उबाल लें. बाद में बर्तन साफ करने वाले स्क्रबर से हल्का रगड़कर साफ कर लें.

8. चिकनाई वाले बर्तनों को साफ करने के लिए सिरका कपड़े में लेकर रगड़ें, फिर साबुन से अच्छी तरह धोएं.

“एक की तारीफ का मतलब अन्य से लगाव खत्म होना नहीं”

फिल्मी माहौल में पले बढ़े वरुण धवन ने बॉलीवुड में बहुत कम समय में अपनी एक खास पहचान बना ली है. वह लगातार सफलता की ओर अग्रसर हैं. तो वहीं बॉलीवुड में नताशा दलाल के संग उनके रिश्तों की चर्चाएं हैं. वरुण धवन अक्सर नताशा के साथ नजर आ जाते हैं, पर अब तक वरुण ने खुलकर इस रिश्ते की बात कबूल नहीं की है. पर इन दिनों वह दस मार्च को होली के अवसर पर प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ की चर्चा करते रहते हैं.

आपके करियर के टर्निंग प्वाइंट क्या रहा?

मेरे करियर की पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ थी. इस फिल्म से जुड़ना मेरे करियर, मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ रहा. इस फिल्म के बाद मेरी ईमेज एक चॉकलेटी ब्वॉय की बन गयी. लोगों को समझ में आया कि मैं सिर्फ क्लासी फिल्में करता हूं और खुश रहता हूं. लेकिन एक साल के बाद मेरे करियर में दूसरा मोड़ आया, जब मैंने अपने पिता डेविड धवन के निर्देशन में फिल्म ‘मैं तेरा हीरो’ की. इस फिल्म ने मेरी इमेज बदली.

इसके बाद मेरी फिल्म आयी ‘बदलापुर’. बदलापुर मेरे करियर की बहुत बड़ी टर्निंग प्वाइंट रही. इसमें मेरा किरदार बहुत अलग था. इसके बाद ‘ए बी सी डी’ रही, इस फिल्म ने सौ करोड़ का व्यापार भी किया. उसके बाद मैंने ‘दिलवाले’ व ‘ढिशुम’की. अब मेरी नई फिल्म आ रही है ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’. उम्मीद करता हूं कि यह फिल्म भी मेरे करियर में एक नया मोड़ लेकर आएगी.

इन फिल्मों के चलते आपकी निजी जिंदगी में क्या बदलाव आए?

‘मैं तेरा हीरो’ के समय मुझे साबित करना था कि सोलो हीरो के रूप में मैं फिल्म को सफलता दिला सकता हूं. तो मुझ पर बहुत बड़़ा दबाव था. इस फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाने से मेरा अपना आत्म विश्वास बढ़ गया. मुझे निजी जिंदगी में अहसास हुआ कि मैं भी फिल्म में हीरो बन सकता हूं. उस वक्त मैं निजी जिंदगी में बहुत खुश था. जब मैंने ‘बदलापुर’ की, तो माहौल थोड़ा सा धीमा व डार्क हो गया था. यह फिल्म भी बहुत डार्क थी. इसका असर मेरी जिंदगी में बहुत पड़ा. मेरी निजी जिंदगी में कुछ झगड़े भी हुए. अब जब मैं ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ की शूटिंग कर रहा था, तब बीच में मैं थोड़ा अग्रेसिव हो गया था. क्योंकि इस किरदार में कुछ चीजें ऐसी हैं, जो मेरी निजी जिंदगी पर भी पूरी तरह से छा गयी थीं.

क्या आपके पिता ने मैं तेरा हीरोआपकी ईमेज को बदलने के लिए बनायी थी?

देखिए, पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ में मेरे साथ दो दूसरे नए हीरो भी थे. जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि इस फिल्म से मेरी इमेज एक क्लासी किस्म करने वाले चॉकलेटी हीरो की हो गयी थी. अब ईमेज बदलना था. तो फिल्मों में अलग पहचान बनाने के लिए रिस्क तो लेनी होती है. फिल्म ‘मैं तेरा हीरो’ के समय मैंने रिस्क लिया. मेरे पिता ने रिस्क लिया और खुद को साबित करने का मेरे उपर दबाव भी था. यदि मैं यह कहूं कि मेरे पिता पर मुझसे ज्यादा दबाव था, तो गलत नहीं होगा.

आप बद्रीनाथ की दुल्हनिया को हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया का सिक्वअल मानते हैं या नहीं?

मैं इसे सिक्वअल नहीं बल्कि फ्रेंचाइजी वाली फिल्म मानता हूं. सिक्वअल में कहानी आगे बढ़ती है. पर यहां कहानी बहुत अलग है. किरदार अलग है. किरदार व कहानी का माहौल अलग है. हां! दोनों फिल्मों के कलाकार समान हैं. हम इसे ‘लव फ्रेंचाइजी’ मानते हैं. दोनों ही फिल्मों में प्यार ही मुख्य मुद्दा है. इसके अलावा पिछली फिल्म की ही तरह यह फिल्म भी दुल्हन व शादी के बारे में है.

बद्रीनाथ की दुल्हनिया को लेकर क्या कहना चाहेंगे?

बद्री झांसी के एक साहूकार का लड़का है. जिसे कोटा में रह रही वैदेही पसंद आ जाती है. कोटा और झांसी अलग जगह है. दोनों शहरों की अपनी अलग अलग खासियत है. जबकि इनके बीच चार घंटे की दूरी है. पर दोनों शहर के लोगों की सोच रहन सहन बहुत अलग है. इस फिल्म में इस बात को बेहतर तरीके से पेश किया गया है, कि दो चार घंटे की दूरी में हमारे यहां कैसे भाषा और रहन सहन बदल जाती है.

छोटे शहर के लोगों की सोच, मानसिकता, बातचीत का लहजा बहुत अलग होता है. इसको अपने किरदार में ढालने के लिए आपने क्या किया?

फिल्म के निर्देशक शशांक खेतान इस मसले पर काफी शोध कर चुके हैं. वह कानपुर, झांसी, लखनउ, कोटा सहित कई छोटे छोटे शहरों में जा चुके हैं. वहां रहकर हुए काफी कुछ समझ चुके थे. वह इन शहरों से मेरे लिए करीबन तीस वीडियो लेकर आए थे. मैंने उन वीडियो को देखा. दो माह का वर्कशॉप किया. मैंने बात करने के लहजे पर काम किया. भाषा के एक्सेंट पर काम किया. उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान इन सभी जगहों पर बात करने का लहजा अलग है. तो मुझे झांसी का एक्सेंट भी लाना था. पर इस बात का भी ख्याल रखना था कि फिल्म पूरे देश वालों के लिए बन सके. इस पर काम करने पर मुझे समय लगा. देखिए, झांसी में भी किसान और साहूकार दोनों अलग अंदाज में बात करते हैं.

बद्री क्या है?

झांसी का रहने वाला नवयुवक है बद्रीनाथ बसंल. बद्री का किरदार बहुत प्यारा है. शराबी है. मगर गाली गलौज नहीं करता. वह वैदेही के प्यार को पाने के लिए कई तरह की हरकतें करता रहता है. बद्री उन लोगों में से है, जो कुछ भी करने से पहले सोचते नहीं हैं, बस कर जाते हैं.

झांसी के लोग गर्म दिमाग के होते हैं?

बिलकुल सही कहा! बद्री भी गर्म दिमाग का है. किसी ने गलत बात कर ली, तो सीधे मारामारी पर उतर जाता है. पर वह हंसमुख भी है. दिलवाले भी हैं. झांसी के लोग बहुत संजीदा किस्म के होते हैं. भावुक हैं.

चलिए मंबई और झांसी के बीच का अंतर बता दीजिए?

बहुत अलग माहोल है. हमने झांसी के किले में जाकर शूटिंग की. वहां से आसमान बहुत साफ नजर आता है. मुझे झांसी और कोटा दोनों जगह का वातावरण और खाना अच्छा लगा. वहां के लोग सोचते बहुत अलग ढंग से हैं, बातचीत करते समय गुणाभाग नहीं लगाते. लाभ हानि नहीं सोचते हैं.

कोटा और झांसी में क्या फर्क हैं?

कोटा में कोचिंग क्लासेस बहुत हैं. आईआई टी का हब बना हुआ है. मतलब कोटा एक पढ़ाकू शहर है. इसीलिए वैदेही में समझदारी बहुत है. जबकि झांसी में मारामारी का मासला है. मुझे तो दोनों जगह शूटिंग करने में मजा आया.

जब आप अपने पिता या भाई के निर्देशन में काम करते हैं अथवा जब दूसरे निर्देशकों के साथ काम करते हैं. तो कहां सहज रहते हैं?

देखिए, धर्मा प्रोडक्शन तो मेरे लिए परिवार की तरह है. शशांक भी पारिवारिक सदस्य की तरह हो गए हैं. इन लोगों के साथ मैं भावनात्मक रूप से जुड़ जाता हूं. इनकी जब मैं फिल्में करता हूं, तो मैं आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि भावनात्मक दृष्टिकोण से चाहता हूं कि फिल्म सफल हो.

कहा जा रहा है कि आप सलमान खान का स्थान लेने वाले हैं?

इन चर्चाओं को मैं गंभीरता से नहीं लेता. मैं तो चाहूंगा कि इस तरह की चीजें ना लिखी जाएं. पर मैं अपना व्यक्तित्व नहीं बदल सकता. मेरे व्यक्तित्व के आधार पर किसी को कुछ लगता है, तो बात अलग है. यह सच है कि मुझे सलमान खान या गोविंदा जिस तरह की फिल्में करते रहे हैं, वह सारी फिल्में बहुत पसद हैं.

गोविंदा ने आपके पापा के खिलाफ जो बयान बाजी की है, उसे आप कैसे देखते हैं?

मुझे पता है कि गोविंदा और मेरे पापा ने एक साथ काम करते हुए इतिहास रचे हैं. दोनों इज्जतदार और प्रतिभाशाली लोग हैं. अब गोविंदा ने जो कुछ कहा, अब उस वक्त उनके अपने मन में जो था, वही उन्होंने कहा. पर मेरे पिता के मन में उनके प्रति कोई नाराजगी नहीं है. हमारे परिवार में नकारात्मक बातों पर सोचा नही जाता. उन्होंने जो कुछ कहा, वह कहकर अच्छा लग रहा है. तो कुछ नहीं कह सकता. मैं उनके खिलाफ कुछ भी कहकर बयानबाजी नहीं कर सकता. क्योंकि मेरी परवरिश ऐसी हुई है, उन्होंने तो करण जौहर के खिलाफ भी बाते की हैं. पर वह भूल गए कि हमारी फिल्म की रिलीज की तारीख आठ माह पहले ही घोषित कर दी गयी थी. मैं आज भी उनकी इज्जत करता हूं. इसलिए उनके खिलाफ कोई बात नहीं करूंगा.

दूसरी बात एक कलाकार के तौर पर किसी भी कलाकार को इस बात पर निर्देशक से नाराज नहीं होना चाहिए कि वह उसे लेकर फिल्म नहीं बना रहा है. हर कलाकार किसी भी निर्देशक के साथ काम कर सकता है. एक निर्देशक किसी भी कलाकार के साथ काम कर सकता है. तीसरी बात रचनात्मकता में आप किसी को बांध कर नही रख सकते. फिर भी उनके खिलाफ बात नहीं करना चाहता.

घर पर आप लोगों के बीच फिल्म को लेकर क्या बातें होती हैं?

हम लोग सिनेमा, फिल्म की पटकथा, कंटेंट, सिनेमा में आ रहे बदलाव आदि पर बहुत लंबी लंबी बहस करते हैं. यह सब जब चर्चाएं होती हैं, तो मेरे जहन में कहीं न कहीं बस ही जाती हैं. पर सेट पर मैं पूरी तरह से निर्देशक का कलाकार बनकर काम करता हूं.

आप आलिया भट्ट की बड़ी तारीफ करते हैं?

वह मेरी फिल्म की हीरोइन हैं. हमने एक साथ तीन फिल्में की हैं. हमारे शुभचिंतक भी हैं.

इससे नताशा दलाल को तकलीफ नहीं होती हैं?

बिलकुल नहीं होती है. होनी भी नही चाहिए. कलाकार के तौर पर मैं किसी की भी तारीफ कर सकता हूं. आलिया भट्ट की तारीफ करने के अर्थ यह नही हैं कि नताशा के प्रति मेरा लगाव कम हैं. मैं तो पुरूष कलाकारों कि भी तारीफ करता हूं .

आप ट्वीटर पर बहुत व्यस्त रहते हैं. ट्वीटर का बॉक्स ऑफिस पर कितना असर पड़ता है?

ट्वीटर और बॉक्स ऑफिस का कोई संबंध नही है. मुझे पता है कि तमाम कलाकार ऐसे हैं, जो ट्वीटर पर नही हैं. पर उनकी फिल्में सफलता के रिकॉर्ड बनाती है. आमिर खान ट्वीटर पर नही हैं, आमिर खान किसी टीवी चैनल पर नहीं गए. पर ‘दंगल’ ने कमायी के रिकॉर्ड बना दिए. मैं ट्वीटर पर फिल्म को प्रमोट करने नही जाता. बल्कि अपने मन की बातें लिखने जाता हूं. मैं हमेशा सकारात्मक बातें ही ट्वीटर पर डालता हूं.

सोशल मीडिया पर कलाकारों को गालियां बहुत मिलती हैं?

मुझे तो गालियां नही मिली. शायद मैं भी सिर्फ पॉजीटिव बातें करता हूं.

बायोपिक फिल्में नहीं करना चाहते?

बायोपिक फिल्में करनी है, पर अभी थोड़ा समय है, बाद में करूंगा.

इसके अलावा क्या कर रहे हैं?

पुरानी फिल्म ‘जुड़वा’ की सिक्वअल फिल्म ‘जुड़वा 2’ की शूटिंग शुरू कर चुका हूं. पहले दिन हमने गणपति के भजन के गाने के फिल्मांकन से शुरूआत की है. इसका निर्देशन मेरे पिता डेविड धवन कर रहे हैं. इसमें मेरे साथ जैकलीन फर्नांडिश और तापसी पन्नू हैं. जैकलीन के  साथ यह मेरी दूसरी और तापसी पन्नू के साथ पहली फिल्म है.

‘भाभी जी…’ वाली स्मिता का बोल्ड लुक

युवा एक्ट्रेस स्मिता दुबे जितना अच्छी आर्टिस्ट हैं उतना ही अच्छा उनका बोल्ड और ब्यूटीफुल लुक है. उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर की रहने वाली स्मिता की शिक्षा मुम्बई में हुई. बीकॉम की पढाई के ही समय उनको टीवी सीरियल चन्द्रनं दिनीमें काम करने को मिला. इसके बाद उन्हें कॉमेडी सीरियल भाभी जी घर पर हैमें रोल मिल गया.

ग्लैमर नर्स के साथ स्मिता ने होली स्पेशल के लिये तैयार एपीसोड में अपनी अदाकारी दिखाई. इसके साथ स्मिता ने भोजपुरी फिल्म मोहब्बत की सौगातमें भी काम किया है. कुछ हिन्दी फिल्मों में भी उनके काम करने की बातचीत चल रही है.

डांस, एक्टिंग और रीडिंग का शौक रखने वाली स्मिता कहती हैं, मुझे ज्यादातर ग्लैमर वाले रोल ही ऑफर हो रहे हैं. इसकी वजह यह हो सकती है कि मैं ग्लैमरस नजर आती हूं. भाभी जीमें टीका और मलखान मुझे छेड़ते हैं. इसमें मुझे कॉमेडी बहुत अच्छी लगती है. मैं ऐसे ही रोल करना पंसद करती हूं. इसके अलावा मुझे डांस वाले रोल पंसद हैं. वैसे मुझे पता है कि गंभीर किरदार भी मैं बहुत अच्छे से कर सकती हूं. यही कारण है कि भोजपुरी फिल्म और हिन्दी सीरियलों के साथ ही साथ मुझे हिन्दी फिल्मोँ में भी काम करने का मौका मिल रहा है.

स्मिता कहती हैं कि ग्लैमर से आपकी पहचान बन सकती है. पर लंबे समय तक काम करने और दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ने के लिये गंभीर किरदार भी करना जरूरी होता है. भाभी जी कॉमेडी सीरियल जरूर है पर उसमें कॉमेडी के बीच गंभीर मुद्दे भी उठते हैं. यही कारण है कि शो सभी तरह के दर्शक देखते हैं और पसंद करते हैं. इस शो में काम करके मुझे नई पहचान मिली है.

भोजन के साथ सलाद जरूर खाएं

सलाद हमें ताकत तो देता ही है और साथ ही पेट के लिये भी बहुत अच्छा होता है. क्या आप जानते हैं कि आपके सलाद में क्या-क्या शामिल होना चाहिए. सलाद में कई सब्जियां और फल शामिल होते हैं और ये हमें कई प्रकार से स्वास्थ्य वर्धक लाभ पहुंचाते हैं.

हमेशा ताजे सलाद का ही सेवन करना चाहिए. सलाद आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाता है. सलाद में कच्चे फल और सब्जियों का सेवन करने से आप वाकई बेहतर महसूस करेंगे. आज हम आपको बताऐंगे हमेशा भोजन के साथ सलाद खाने से क्या-क्या स्वास्थ्य लाभ होते हैं.

1. कब्ज दूर करता है

सेहतमंद भोजन आपके शरीर को ऊर्जा देता है और इसके साथ सलाद खाने से आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है. सलाद हमारे भोजन में फाइबर की मात्रा को बढ़ाता है जिससे कोलेस्ट्राल और कब्ज की समस्या दूर होती है.

इसके अलावा भोजन करने से पहले उच्च फाइबर युक्त आहार या सलाद का सेवन करने से आपको वजन घटाने में भी मदद मिलती है.

2. वजन कम करता है

सलाद में कैलोरीज कम होते हैं, इसीलिए इससे आपका वजन नियंत्रित रहता है. आपको अपने सलाद में फल, ऑलिव ऑयल और ऐवाकाडो आदि को शामिल करना चाहिए. ये सभी शरीर को आयरन, लिकोपिन, ल्यूटिन जैसे अन्य कई पोषक तत्त्वों को अवशोषित करने में मदद करते हैं.

3. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है

आप जानते हैं कि सलाद विटामिन, मिनरल्स से भरपूर होता है. इसमें विटामिन, इम्यूनिटी, विटामिन सी, संक्रमण से बचाव, आयरन अवशोषण, स्वस्थ हड्डियां, मसूड़ों और त्वचा को रोगों से बचाना, जख्मों को भरने और रक्त को गाढ़ा बनाने जैसे तत्व होते हैं. इनके अलावा कैल्शियम और अन्य कई सारे पोषक तत्व भी सलाद में होते हैं.

4. पोषक तत्वों से है भरा

कई स्वास्थ्य सलाहकारों की माने तो गहरे रंग के फल और सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं. दरअसल बात ये है कि गहरे रंग के फल और सब्जियों में कैल्शियम और मैग्निश्यिम काफी मात्रा में पाया जाता है. ब्रोकली, सलाद पत्ता, पत्ता गोभी और दूसरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं. चुकंदर खून को बढ़ाने का काम करता है, इसके अलावा इसमें प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड, आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है और मूली में विटामिन सी, सोडियम और कैल्शियम पाया जाता है, आप इन सभी को अपने सलादमें शामिल कर सकते हैं.

5. बार बार भूख लगने से बचाता है

अगर आपको हमेशा कुछ न कुछ खाने का मन करता रहता है और आपका मन ज्यादातर कुछ मीठा खाने को करता है तो कैंडीज या चॉकलेट्स खाने की जगह आपको फलों के सलाद का सेवन करना चाहिए. इससे न सिर्फ आपकी भूख शांत होगी, बल्कि मुंह का स्वाद भी अच्छा होगा और यह आपके शरीर में ऊर्जा और ताजागी का संचार भी होगा.

टाइम मैनेजमैंट के टिप्स

शीर्षक में मैनेजमैंट शब्द देख कर घबराइए नहीं. इस की जितनी जरूरत किसी कंपनी के सीईओ या मैनेजर को है, उतनी ही स्कूलकालेज में पढ़ने वाले किशोरों को भी. मैनेजमैंट कोई कठिन सब्जैक्ट नहीं है, जिसे मोटीमोटी किताबें पढ़ कर ही सीखा जा सके. दरअसल, मैनेजमैंट के सूत्र बड़े सरल और मजेदार हैं और साथ ही असरदार भी.

मैनेजमैंट यानी प्रबंधन कैसे किया जाए, यह जानने से पहले आप का यह जानना जरूरी है कि मैनेजमैंट किस का करना है. आप को किसी और का मैनेजमैंट नहीं करना है. सब से बड़ा और सब से जरूरी मैनेजमैंट है अपने ही समय और काम का. भले ही आप अभी कमाई नहीं करते, परंतु समय कमा सकते हैं. इस कमाए गए समय में किए गए कार्य भविष्य में जीवनभर आप को आगे रखेंगे और बेहतर कैरियर एवं कमाई  में मददगार बनेंगे.

जानिए मैनेजमैंट के सूत्र

जल्दी शुरुआत यानी ज्यादा समय

जल्दी उठें, फटाफट तैयार हों और शीघ्रता से अपने कामों की शुरुआत करें. फिर देखें कि पूरे दिन आप के पास समय ही समय होगा. सुबह योगा, कसरत या सैर को अपनी रोज की दिनचर्या में शामिल करें. इस से आप पूरे समय स्फूर्तिवान रहेंगे और शरीर के साथसाथ मन भी चुस्तदुरुस्त रहेगा.

मंडे से संडे तक एक जैसे

ऐसा नहीं कि स्कूलकालेज जाना है तो जल्दी उठ गए और छुट्टी वाले दिन देर तक बिस्तर पर पड़े रहे. ऐसा करेंगे तो सोमवार को सुबह जल्दी उठने में आलस महसूस होगा. इसलिए सातों दिन एक ही समय पर बिस्तर छोड़ें और हमेशा यही रूटीन फौलो करें.

क्या करना है, यह लिख लें

अकसर कामकाजी लोग अगले दिन किए जाने वाले काम की सूची रात में ही बना लेते हैं. इस से उन के सामने अगले दिन की योजना स्पष्ट रहती है और उन्हें बारबार सोचविचार नहीं करना पड़ता कि अब क्या करें. आप भी रात में सूची बना कर उस में अगले दिन की जाने वाली पढ़ाई, क्रिकेट या बैडमिंटन मैच और घर के कामों से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों को दर्ज कर सकते हैं.

ना कहना सीखें

इस का यह मतलब नहीं कि मम्मी किसी काम के लिए कहें, तो मना कर दें. ना कहना सीखने का मतलब है, प्रलोभनों से इनकार करना. जैसे आप पढ़ने बैठे हों और उसी समय कोई दोस्त आ कर घूमनेफिरने का प्रस्ताव रखे, तो उसे मना करना सीखें. जब बहुत सारे काम पड़े हों और दिल कहे कि टीवी देख लो, तो खुद को ना कहना सीखें.

एकएक कर काम निबटाएं

आप पढ़ते वक्त दोस्त के साथ चैटिंग नहीं कर सकते या पापा के साथ बात करते समय भी फेसबुक पर व्यस्त नहीं रह सकते. जो भी काम करें उसे पूरा समय और ध्यान दें. पढ़ाई के लिए नैट सर्फिंग कर रहे हों, तो बीचबीच में फेसबुक पोस्ट्स देखने के लालच से बचें.

काम का रूट तय करें

एक रास्ते के काम एक बार में करें. घर से निकलने से पहले ही यह तय कर लें कि क्याक्या करना है. पहले पै्रस के लिए कपड़े देने हैं, फिर फ्रैंड के घर जा कर पुस्तक लेनी है, उस के बाद वापसी में दुकान से सामान लेते हुए घर आना है. इस तरह आप को बारबार दौड़ना नहीं पड़ेगा और कम से कम समय में आप ज्यादा जिम्मेदारियां पूरी कर पाएंगे.

व्यवधान दूर करें

पढ़ाई करते समय फोन को दूर रख दें. उसे साइलैंट मोड पर डाल दें. यदि आप ने पढ़ाई से संबंधित रिसर्च पूरी कर ली है, तो इंटरनैट कनैक्शन भी बंद कर दें, जो टौपिक पढ़ना है, उस से संबंधित स्टडी मैटीरियल टेबल पर रख लें. जब पढ़ने बैठें तो उस चैप्टर को खत्म किए बिना न उठें.

किसी को चार्ज सौंपें

यदि आप सारी कमान अपने हाथ में रखेंगे, तो हो सकता है कि कभीकभी आलस भी कर जाएं. इसलिए अपने मम्मीपापा, बड़े भाईबहन या दोस्त को पूछताछ का चार्ज दे दें. वह आप से पूछ सकते हैं कि आप ने आज की पढ़ाई पूरी की या नहीं? आप को घर के काम करने थे, आप ने किए कि नहीं? इस से आप जिम्मेदार बने रहेंगे और कोताही नहीं बरतेंगे.

छोटी चीजों पर भी ध्यान दें

समय बीतने के बाद छोटीछीटी बातें भी बड़ी बन जाती हैं. आज बिल भरना छोटा सा काम लग सकता है, जो कभी भी किया जा सकता है, लेकिन एक सप्ताह बाद जब उस की तारीख आ जाएगी और आप को लंबी लाइन में लगना पड़ेगा, तो इस छोटे से काम में ही कई घंटे बरबाद हो जाएंगे.

सार्वजनिक घोषणा करें

जब पढ़ने बैठें तो मम्मी या पापा को बता दें कि आज साइंस का पूरा चैप्टर खत्म कर के ही उठूंगा या घर में कह दें कि अब से मैं सुबह साढ़े 5 बजे बिस्तर छोड़ दूंगा. इस से आप पर दबाव रहेगा कि मुझे अपने द्वारा कहा गया काम कर के दिखाना है.

जल्दी का एहसास विकसित करें

आप ध्यान दें कि परीक्षा के दिनों में पाठ कितनी जल्दी याद होते हैं, क्यों? क्योंकि दिमाग को पता होता है कि अब ज्यादा समय नहीं है यानी परिस्थिति के हिसाब से हम उस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं और वह जल्दी समझ आने लगता है. अगर समय कम है औैर काम ज्यादा वाला एहसास विकसित करें, तो न सिर्फ काम जल्दी होंगे, बल्कि आप का दिमाग भी तेज चलने लगेगा. अगर आप को ऐग्जाम की तैयारी जनवरी तक पूरी करनी है, तो इसे दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य बनाएं. सैल्फ  मैनेजमैंट का मतलब होता है, ज्यादा व्यवस्थित होना, ज्यादा प्रोडक्टिव होना.

– विवेक गुप्ता

कैसे बचते हैं मौसम की मार से पशु पक्षी

तेज बर्फीली हवाओं और कड़ाके की ठंड में जब हम गरम कपड़ों से खुद को ढक लेते हैं और रजाईकंबल ओढ़ कर सोते हैं, ऐसे में पशुपक्षी अपना बचाव कैसे करते हैं, क्या कभी सोचा है?

मेढक, सांप, कछुए, छिपकली, केंचुए कुछ मछलियां, जमीन के अंदर घुस कर शीत निद्रा में चली जाती हैं और सर्दियां खत्म होने पर इन की नींद खुलती है. केंचुआ 6-7 फुट जमीन के नीचे जा कर सोता है. काला भालू भी अपनी गुफा में पूरी सर्दी सोता रहता है. शीतनिद्रा लेने से पहले ये जीव भरपेट खापी लेते हैं और शरीर में वसा जमा कर लेते हैं. इसी तरह कीट पेड़ों की छालों के नीचे तथा छिपकलियां मकान की दराजों में जा कर सो जाती हैं. वैज्ञानिक भाषा में इस क्रिया को हाइबरनेशन कहा जाता है.

कुछ पक्षी सर्दियों से अनुकूलन कर के सर्दी में बने रहते हैं, किंतु कुछ पक्षी अधिक सर्दी वाले इलाकों से उड़ कर कम ठंड वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं, इन में खंजन, कोयल, साइबेरियन सारस, जांघिल आदि पक्षी हजारों मील उड़ कर भारत आते हैं.

उत्तरी धु्रव में पाई जाने वाली चिडि़या आर्कटिक टर्न तो शीत शुरू होते ही उड़ चलती है और आधी पृथ्वी पार कर दक्षिण ध्रुव में जा कर रहती है. चमगादड़, कैरिबू भी कम सर्दी वाले प्रदेशों में चले जाते हैं. उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली कुछ तितलियां उड़ कर मैक्सिको चली जाती हैं. कुछ पक्षी अपने खून को जाड़ों में गरम व सर्दियों में ठंडा कर के मौसम की मार से बचते हैं. इन के पंजों के रोएं व बाल भी इन्हें सर्दी से बचाते हैं. इसे उत्प्रवास (माइगे्रशन) तथा अनुकूलन (ऐडाप्टेशन) कहते हैं.

छछूंदर, ऊदबिलाव, खरगोश आदि जीव बिलों में अपने खाने का पर्याप्त सामान जमा कर सर्दी भर दुबके रहते हैं. भेड़बकरियों के लंबेघने बाल, उन के लिए कंबल का काम करते हैं, तो कुत्ते, लोमडि़यां तथा बंदर ठिठुरते रहते हैं.

सियार, लोमड़ी तथा कुत्ते, कूंकूं कर कुकुआ कर शीत की रात बिताते हैं. हरदम धमाचौकड़ी मचाने वाली गिलहरी अपने गुदड़नुमा घोंसले में दुबकी रहती है और धूप निकलने पर बाहर निकलती है. पेड़पौधों व फूलों को भी सर्दी लगती है. बर्फ पड़ने पर पौधे सूख जाते हैं व फूल मुरझाने लगते हैं.

– शिवचरण चौहान

कोहनी के कालेपन से आसानी से निजात पाइए

आपकी त्वचा का ख्याल रखना आपकी ही जिम्मेदारी है और कोहनी और घुटने की त्वचा ऐसी होती है जो कि बहुत काली हो जाती है. इसका कारण है कि यहां की त्वचा अपेक्षाकृत शुष्क और मोटी होती है. इसके अलावा कोहनी, घुटने या आपके टखनों में लगातार घर्षण या दबाव होने की वजह से भी वहां की त्वचा काली पड़ने लगती है. त्वचा की देखभाल न होने पर कुछ हार्मोन्स की कमी औऱ मृत त्वचा पर कोशिकाओं का बनना भी इसके प्रमुख कारण हैं.

यदि आप चाहते हैं कि बिनी किसी क्रीम, दवा और कैमिकल्स युक्त चाजों का इस्तेमाल करे आप कोहनी और घुटने के कालेपन से निजात पालें,  तो यहां हम आपको कुछ आसान और घरेलू उपाय बता रहें हैं जिनकी मदद से आप इनका कालापन दूर कर सकती हैं.

1. खीरे का इस्तेमाल करके आप अपनी कोहनी और घुटनों के कालेपन से निजात पा सकते हैं. खीरे के एक-दो स्लाइस काटकर, उन्हें काली हुई जगह पर रगड़ें और ऐसा कम से कम 10 मिनट तक करते रहें. बाद में इसे 5 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़े दे और फिर साफ पानी से इसे धो लें. ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपको अपने आप ही फर्क नजर आने लगेगा.

2. दो चम्मच बेसन और एक चम्मच दही मिलाकर इसका पेस्ट बनाएं और इसे अपने कोहनी और घुटने के कालेपन पर 20 मिनट तक लगाकर छोड़ दें. निश्चित समय के बाद अपने हाथों को गीला करके पेस्ट पर 2 मिनट तक रगड़ें और इसके बाद पानी से धो लें. ऐसा करने से कालापन दूर होने के साथ-साथ आपकी स्किन भी सॉफ्ट होगी.

3. एक चम्मच मक्खन में चुटकी भर हल्दी मिलाकर 10 मिनट के लिए अपने कोहनी और घुटनों पर रगड़ कर कुनकुने पानी से धो लें. त्वचा साफ होगी.

4. कोहनी के कालेपन की समस्या को आप स्क्रब करके भी दूर कर सकते हैं. इसके लिए एक बाउल में थोड़ा सा बेकिंग सोड़ा लेकर इसमें चीनी और दूध ठीक तरह से मिला लें. अब इसे काली जगह पर लगाकर 5 मिनट तक इसका स्क्रब करें. ऐसा करने से आपको कालेपन से तुरंत निजात मिलेगा.

5. अपने शरीर पर आप प्याज का इस्तेमाल करके भी शरीर के कालेपन से निजात पा सकते हैं. दो चम्मच प्याज का पेस्ट बनाकर इसमें 2 चम्म्च नींबू का रस, आधा चम्मच शहद और 1 चम्म्च बेसन लेकर इसे अच्छी तरह से मिला लें. हम आपके बता दें कि प्याज में एंटी ऑक्सीडेंट होता है और नींबू में 6 प्रतिशत सिट्रिक ऐसिड होता है, जो आपकी त्वचा को गहराई तक नरिश करता है और स्किन टोन को हल्का करता. इसके जरिए आपके शरीर से कालेपन को हटाता है. शहद एक नेचुरल ब्लीचिंग है और ये त्वचा के पोर्स को साफ और चमकदार बनाता है.

6. इनके अलावा आप पके हुए पपीते के एक छोटे से टुकड़े को कोहनी और घुटनों पर रगड़ सकते हैं. पपीता त्वचा से कालापन तो दूर करता ही है साथ ही इससे आपकी त्वचा नरम और कोमल भी होती है.

यह समस्या बड़ी सामान्य है और सभी को होती है, चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला. कोहनियों पर ये कालापन वास्तव में मैल की ही परतें होती हैं. ठीक ढंग से शरीर की देखभाल न की जाएं तो यह समस्या हो जाती है.

बॉलीवुड में दाखिले के लिए तैयार हैं निधि अग्रवाल

यामाहा फेसिनो मिस दिवा 2014 की फाइनलिस्ट्स में जगह बनाने वाली निधि अग्रवाल अब बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री करने वाली हैं और इसके लिए वे बहुत मेहनत भी कर रही हैं. यह बात गौर करने वाली है कि निधि अग्रवाल बॉलीवुड में मुख्य अभिनेत्री के रूप में टाइगर श्राफ के साथ, फिल्म से एंट्री करने जा रही हैं.

इस फिल्म में निधि के विपरीत अभिनेता टाइगर श्राफ और नवाजुद्दीन सिद्दीकी हैं. बैली डांसिंग में कुशल, नृत्यांगना निधि अग्रवाल बैंगलोर से संबंध रखती हैं. 23 साल की निधि पेशे से एक डांसर और मॉडल हैं. उन्होंने बचपन से ही डांस से सीखा है और वे टेनिस की भी खिलाड़ी हैं.

कत्थक और बैली डांसिंग में परांगत निधि फिल्म में सोलो डांस करने वाली हैं लेकिन वे ठीक से डांस नहीं कर पा रही हैं. उन्हें लगता है कि शायद पहली बार बॉलीवुड में कदम रखने के साथ, यहां पहली बार डांस करने के कारण ऐसा हो रहा है.

फिल्म मुन्‍ना माइकल में निधी अग्रवाल एक दिल्‍ली की कुड़ी का किरदार निभाने वाली हैं. हाल ही में निधि ने फिल्म का एक ‘डिंग डांग’ गीत फिल्माया है. इस गीत में टाइगर भी नजर आ रहे हैं. इस फिल्म के निर्देशक शब्बीर खान हैं.

इस फिल्म की पूरी कहानी सड़क किनारे रहने वाले बच्चों के ऊपर आधारित है जो सारे माइकल जैक्सन के फैन हैं. फिल्म की कहानी को लेकर निधि भी कहती हैं कि वे भी बॉलीवुड स्टार्स सलमान खान, गोविंदा और रानी मुखर्जी को देखते और पसंद करते हुए बड़ी हुई हैं.

मॉडल सी इठलाई गृहणियां

घर में काम करने वाली महिलायें भी किसी मशहूर मॉडल या अभिनेत्री से कम नहीं होती हैं. मिसेज यूपी 2017 में हिस्सा लेने वाली 30 से अधिक खूबसूरत महिलाओं ने यही संदेश देने की कोशिश की. नवाबों की नगरी लखनऊ के होटल जेमनी कांन्टीनेटल में आयोजित मिसेज यूपी 2017 के जजमेंट पैनल में मिसेज यूनिवर्स 2016 रश्मि सचदेवा, बॉलीवुड अभिनेत्री अर्पिता माली, मिस यूपी 2010 गरिमा रस्तोगी और प्रियंका यादव थीं. इसमें प्रतिभागियों ने अलग-अलग राउंड में अपने रैंप वॉक, सवाल जवाब और खूबसूरत अंदाज से जजमेंट पैनल को प्रभावित करने का काम किया.

मिसेज यूपी 2017 में उत्तर प्रदेश के अलग-अगल शहरों से आई हुई खूबसूरती गृहणियों ने अपने हुनर का जलवा दिखाया. कार्यक्रम के आयोजक विक्रम राव ने बताया कि कई राउंड में यह प्रतियोगिता चली अंत में फाइनल के लिये मुख्य प्रतिभागियों को चुना गया. फाइनल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली खूबसूरत गृहणियों को पुरस्कार और सम्मान दिया गया. महिलायें अलग-अलग प्रोफेशन से आई थीं. कई ऐसी महिलायें भी थीं जो हाउस वाइफ थीं. इनको देखकर लगा कि मॉडलिंग और रैंप वॉक में भी गृहणियां किसी से कम नहीं हैं. बहुत ही कम समय में इन लोगों ने बेहतर प्रदर्शन किया. 

गोरखपुर की रोशनी वर्मा को मिसेज यूपी, बस्ती की सुप्रिया राठौर और लखनऊ की प्रतिभा को रनरअप चुना गया. दूसरे महत्वपूर्ण खिताबों में लखनऊ की श्वेता तिवारी को अवध क्वीन, पूनम रस्तोगी को किचन क्वीन, अनुराधा शर्मा ब्यूटीफुल लुक, इटावा की रेनू गुप्ता को ब्यूटीफुल स्माइलइलाहाबाद की स्मृति सिंह को बोल्ड एंड ब्यूटीफुल, अलीगढ की इति गौर मिसेज क्वीन, सीमा मोदी को मिसेज ब्यूटीफुल, डॉक्टर वरूणी को बेस्ट फिगर का खिताब दिया गया.

इन प्रतिभागियों में अलग-अलग पेशे से आई महिलाओं ने हिस्सा लिया. इनमें श्वेता तिवारी वकील हैं. वह फैमली कोर्ट के मसले हल करती हैं. डॉक्टर वरूणी अरोरा डेंटिस्ट हैं. रेनू गुप्ता महिलाओं को सेल्फ डिफेंस सिखाती हैं. राज्य सरकार द्वारा उनको पुरस्कार दिया जा चुका है.

मिसेज यूनिवर्स 2016 रश्मि सचदेवा, बॉलीवुड अभिनेत्री अर्पिता माली ने कहा कि हम दिल्ली और मुम्बई में बैठ कर सोंचते थे कि लखनऊ में गृहणियां रैंप पर कैसे आयेगी? कितना कठिन होगा यह सब पर इनको देखकर लगा कि उत्तर प्रदेश के अलग अलग शहरों से आई यह लोग मौका मिलने पर बड़े से बड़े खिताब को भी अपने नाम कर सकती हैं.

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