‘आशिकी 3’ में आलिया बनेंगी सिंगर

‘आशिकी’ फ्रेंचाइज की तीसरी फिल्म ‘आशिकी 3’ को लेकर दर्शकों के बीच चर्चा शुरू हो चुकी है. फिल्म में लीड ऐक्टर कौन-कौन होंगे, इसे लेकर पिछले कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे थे. इस फिल्म के लिए सोनम कपूर, रितिक रोशन, कंगना रनौत, सिद्धार्थ मल्होत्रा और आलिया भट्ट तक के नाम की चर्चा थी.

आखिरकार निर्देशक मोहित सूरी ने फिल्म के लिए लीड कलाकारों में आलिया भट्ट का नाम तय कर लिया है. बता दें कि ‘आशिकी 3’ में आलिया सिर्फ एक्ट ही नहीं करेंगी, बल्कि गाना भी गाएंगी. वैसे, इससे पहले भी आलिया ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’, ‘उड़ता पंजाब’, ‘डियर जिंदगी’ में अपनी आवाज का जादू चला चुकी हैं और दर्शकों ने उनके गाने को खूब पसंद भी किया है.

मोहित ने कहा कि ‘चूंकि यह फिल्म आशिकी फ्रेचाइज की है, तो इसमें आलिया एक सिंगर के किरदार में होंगी.’ आलिया की बड़ी बहन शाहीन भट्ट ने इसकी कहानी लिखी है, जिसमें कुछ हल्के-फुल्के बदलाव किए गए हैं. मोहित फिलहाल अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर के साथ उनकी फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की शूटिंग में व्यस्त हैं और इसका काम खत्म होते ही वह ‘आशिकी 3’ की शूटिंग शुरू कर देंगे.

आलिया बेस्ट एक्ट्रेस तो अमिताभ बेस्ट एक्टर

‘डियर ज़िंदगी’ में अपनी एक्टिंग के लिए तारीफें बटोर रहीं आलिया भट्ट का खाता अवॉर्ड्स फंक्शंस में खुल गया है. हाल ही में हुए स्क्रीन अवॉर्ड्स समारोह में आलिया ने बेस्ट एक्ट्रेस समेत दो अवॉर्ड्स अपने नाम किए हैं. वहीं, अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया.

मुंबई में स्क्रीन अवॉर्ड्स समारोह का आयोजन किया गया. आलिया भट्ट को अभिषेक चौबे निर्देशित फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में बेहतरीन एक्टिंग के लिए बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड दिया गया है. इस फिल्म में आलिया ने एक मजदूर लड़की का रोल निभाया था, जो गल्ती से पंजाब के ड्रग रैकिट के चंगुल में फंस जाती है. स्टार प्लस नई सोच अवॉर्ड भी आलिया के नाम रहा.

अमिताभ बच्चन को पिंक के लिए बेस्ट एक्टर चुना गया. इस फिल्म में बिग बी ने एक रिटायर्ड लॉयर का किरदार निभाया था, जो एक आपराधिक मामले में फंसी तीन लड़कियों की मदद के लिए फिर से काला कोट पहनता है.

वहीं, एटरनल ब्यूटी कही जाने वाली अदाकारा रेखा को लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया. सोनम कपूर स्टारर नीरजा के लिए राम माधवानी को बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड दिया गया. इनके अलावा बेस्ट डायलॉग्स के लिए रितेश शाह (पिंक), बेस्ट लिरिसिस्ट के लिए अमिताभ भट्टाचार्य (ऐ दिल है मुश्किल) को चुना गया.

करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के लिए बेस्ट म्यूजिक का अवॉर्ड प्रीतम के नाम रहा, जबकि इसी फिल्म के गाने ‘बुलया’ के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर अमित मिश्रा रहे. पलक मुच्चल को ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ के कौन तुझे सांग के लिए बेस्ट प्लैबक सिंगर फीमेल का अवॉर्ड दिया गया.

एमस धोनी में सपोर्टिंग रोल निभाने वाली दिशा पटनी को बेस्ट न्यूकमर फीमेल का अवॉर्ड मिला, जबकि नीरजा के लिए जिम सर्भ और मिर्ज्या के लिए हर्षवर्धन कपूर को बेस्ट न्यूकमर मेल के अवार्ड से नवाजा गया. बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड कपूर एंड संस के लिए ऋषि कपूर को दिया गया, जबकि नीरजा के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस शबाना आजमी रहीं.

ढिशूम के लिए वरूण धवन को बेस्ट एक्टर इन ए कॉमिक रोल अवॉर्ड दिया गया, जबकि दीपिका पादुकोण स्टाइव आइकॉन अवॉर्ड जीतने में कामयाब रहीं.

सलमान और शाहरुख ने शो को होस्ट किया. दोनों ने लोगों को खूब एंटरटेन भी किया.

मुझे खराब कपड़े पहनने की आदत हैः आमिर

सुपरस्टार आमिर खान की फिल्मों की बात की जाए तो वह एक ‘परफेक्शनिस्ट’ के तौर पर पहचाने जाते हैं, लेकिन इस अभिनेता का कहना है कि अगर लोग उनके फैशन को लेकर आंकते हैं तो उन्हें इससे कोई डर नहीं है, क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जिसकी अपेक्षा लोग उनसे नहीं करते.

आमिर ने कहा कि उन्हें फैशन की कोई समझ नहीं है और साथ ही रैंप पर चलने में भी उन्हें शर्म आती है. फैशन को लेकर मन में भय होने के सवाल पर आमिर ने कहा, ‘मैं वैसे भी खराब कपड़े पहनता हूं और मुझे इसकी आदत हो चुकी है. लोग मेरे फैशन के बारे में कोई अच्छी राय नहीं रखते, इसलिए मुझे इसका कोई भय भी नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं बस एक बार सलमान खान के ‘बीइंग ह्यूमन’ के लिए रैंप पर चला था. आमतौर पर मुझे काफी शर्म आती है कि मैं रैंप पर चलूं और लोग मुझे देखें.’

वह नीला परदा: भाग-5

पूर्व कथा

एक रोज जौन सुबहसुबह जंगल में सैर के लिए गया, तो वहां नीले परदे में लिपटी सड़ीगली लाश देख कर घबरा गया. उस ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. बिना सिर और हाथ की लाश की पहचान करना पुलिस के लिए नामुमकिन हो रहा था. इंस्पैक्टर क्रिस्टी ने टीवी पर वह नीला परदा बारबार दिखाया, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा.

एक रोज क्रिस्टी के पास जैनेट नाम की लड़की का फोन आया. वह क्रिस्टी से मिल कर कुछ बताना चाहती थी.

जैनेट ने क्रिस्टी को जिस लड़की का फोटो दिखाया उस का नाम फैमी था. फोटो में वह अपने 3 साल के बेटे को गाल से सटाए बैठी थी. जैनेट ने बताया कि वह छुट्टियों में अपने वतन मोरक्को गई थी. क्रिस्टी ने मोरक्को से यहां आ कर बसी लड़कियों की खोजबीन शुरू की. आखिरकार क्रिस्टी को फहमीदा नाम की एक महिला की जानकारी मिली. क्रिस्टी फहमीदा के परिवार से

मिलने मोरक्को गया. वहां फहमीदा की मां ने लंदन में बसे अपने 2-3 जानकारों के पते दिए. क्रिस्टी को लारेन नाम की औरत ने बताया कि फहमीदा किसी मुहम्मद नाम के व्यक्ति से प्यार करती थी और वह उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.

फिर एक दिन लारेन ने क्रिस्टी को बताया कि उस ने मुहम्मद को देखा है. क्रिस्टी और लारेन जब उस जगह पहुंचे तो पता चला कि यह दुकान मुहम्मद की नहीं बल्कि साफिया की थी, जिस के दूसरे पति का नाम नासेर था.

क्रिस्टी एक कबाब की दुकान पर गया तो अचानक दुकान के मालिक नासेर को देख उस के दिमाग में लारेन का बताया हुलिया कुलबुलाने लगा.

कांस्टेबल एंडी ने नासेर का पीछा किया तो मालूम पड़ा कि उस की बीवी और 3 बच्चे वहीं रहते हैं. क्रिस्टी ने एंडी को उस की बीवी का पीछा करने की सलाह दी. एंडी ने उस की बीवी, दुकान व बच्चों का ब्योरा क्रिस्टी को दे दिया. क्रिस्टी ने स्कूल से बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट निकलवाया तो कई बातें उजागर हो गईं. क्रिस्टी ने नासेर से फहमीदा नाम की औरत का जिक्र किया, तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया. क्रिस्टी के साथ काम कर रही मौयरा ने स्कूल के हैडमास्टर की मदद से बच्चे को फहमीदा का फोटो दिखाया तो बच्चे ने तुरंत उसे पहचान लिया.

मौयरा साफिया से अब्दुल नाम के बच्चे की हकीकत उगलवाना चाहती थी, मगर अब्दुल का नाम सुनते ही साफिया सकपका गई. फिर जो कुछ भी उस ने मौयरा को बताया, वे सारी बातें उस ने रिकौर्ड कर लीं. क्रिस्टी को यकीन हो चला कि नासेर भागने की कोशिश करेगा मगर क्रिस्टी के बिछाए जाल में वह खुदबखुद फंसता चला गया. क्रिस्टी ने कड़ाई से पूछताछ की, तो नासेर ने फहमीदा और अब्दुल के बारे में सारी जानकारी पुलिस को दे दी. मगर नीले परदे में लिपटी लाश का रहस्य अभी बरकरार था.

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थोड़ी नानुकर के बाद साफिया राजी हो गई, तो बच्चा नासेर ने हथिया लिया. इस के साथ ही उस ने 30-40 मील दूर सरे काउंटी में घर व बिजनैस भी शिफ्ट करने की योजना बना ली और एस्कौट में एक दुकान व उस के ऊपर एक फ्लैट ले कर उस में जा बसा. फैमी को पास ही के गांव बेसिंगस्टोक में बस जाने का सुझाव दिया. फैमी पढ़ाई के साथसाथ एक फैक्टरी में काम करने लगी. फैक्टरी बेसिंगस्टोक में ही थी. वह वहां से अपने बच्चे से आसानी से मिलने आ सकती थी.

बच्चा जब नासेर के घर चला गया तब वह बहुत रोईधोई मगर नासेर ने उसे बहलाफुसला लिया. अपनी बीवी से छिपा कर उसे खूब सैर कराई और वादे के मुताबिक मोरक्को, मां से मिलने भेज दिया.

वह जब वहां से लौटी तो सरे में शिफ्ट कर गई और जैनेट के घर में एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगी. जैनेट ज्यादातर नर्सिंग के काम से बाहर ही रहती थी. उस का कमरा नासेर और फैमी का हनीमून चैंबर था. यहीं वह घुमाने के बहाने बेटे को भी ले आता था, फैमी से मिलवाने. यह सब इतनी चतुराई से चलता रहा कि साफिया को कुछ खबर नहीं लगी.

इधर छोटे से फ्लैट में 5 बेटियों का निर्वाह मुश्किल से हो रहा था. उन में से 3 तो कालेज जाने लगी थीं, लेकिन बच्चे के आ जाने से साफिया का सारा ध्यान उसी में लगा रहता था. उधर नासेर की दुकान नई जगह होने से अच्छी नहीं चल रही थी. इतना बदलाव तीनों बड़ी बेटियां निगल नहीं पा रही थीं.

साफिया ने अपने मांबाप को सब व्यथा सुनाई. उन्होंने कुछ पैसा अपने पास से लगा कर एक और दुकान न्यूजएजेंट की खरीद ली और उसी के ऊपर तीनों बड़ी बेटियों के संग रहने लगे. यह जगह नासेर की दुकान से 4-5 मील दूर उसी शहर में थी.

इधर नासेर ने देखा कि एस्कौट शहर में बाहर के टूरिस्ट बहुत आते हैं, क्योंकि यहां बहुत बड़ा रेसकोर्स है. अत: उस ने ग्रोसरी की दुकान हटा कर वहां कबाब व सैंडविच की दुकान खोल ली. वह बातचीत में लोगों का मन मोहने में नंबर वन था ही. दुकान धड़ल्ले से चल निकली. इस में साफिया का कोई काम नहीं था, इसलिए वह सुबह से दोपहर तक अपनी बड़ी बेटी की दुकान में हाथ बंटाती ताकि वह कालेज की पढ़ाई ढंग से कर सके.

नासेर की दुकान अच्छी चल निकली तो उस ने एक अच्छा सा 4 बैडरूम वाला घर भी खरीद लिया. यह वही घर था, जिस में मौयरा मनोवैज्ञानिक बन कर साफिया से मिलने गई थी.

सारी कहानी सामने आ चुकी थी मगर फैमी का क्या हुआ, इस बात का कोई इशारा भी नासेर नहीं दे रहा था. इस के अलावा वह फैमी को दुश्चरित्र औरत के अलावा और कुछ भी नहीं बता रहा था.

उस ने अपने बेटे के फैमी का बेटा होने की बात भी पुलिस को नहीं बताई. यह तो लारेन ने बताया डेविड क्रिस्टी को. बच्चे के गोद लेने का कोई पेपर भी नहीं मिला था.

नासेर ने फहमीदा का नाम तक जानने से इनकार कर दिया. सैकड़ों सवालों का उत्तर वह गोल कर गया. फिर भी झूठ पकड़ने वाली ‘लाई डिटेक्टर’ पर उस का झूठ पकड़ा जा रहा था. अंत में क्रिस्टी ने उस से पूछा, ‘‘जब जैनेट अपने घर में होती थी, तब तुम क्या फैमी के पास नहीं जाते थे?’’

नासेर बोला, ‘‘तब वही मेरे पास आती थी.’’

क्रिस्टी ने पूछा, ‘‘कहां सोते थे तुम दोनों?’’

अचानक नासेर बोल पड़ा, ‘‘दुकान के ऊपर फ्लैट खाली पड़ा था, हम वहीं

मिलते थे.’’

मौयरा को भी उस ने ऊपर के फ्लैट में चलने की दावत दी थी.

क्रिस्टी ने कड़क कर कहा, ‘‘तुम तो वहां और लड़कियों को भी ‘गुड टाइम’ देते थे. क्या यह नहीं हो सकता कि एक दिन फैमी ने तुम्हारी बेवफाई पकड़ ली और तुम से झगड़ा किया, इसलिए तुम ने उसे रास्ते से हटा दिया?’’

नासेर ने मना करते हुए कहा, ‘‘नहीं, बात कुछ और थी.’’

क्रिस्टी ने पूछा, ‘‘क्या बात थी.’’

नासेर पलट गया, ‘‘कुछ नहीं, कोई झगड़ा नहीं हुआ.’’

‘‘झूठ, बिलकुल झूठ. हमें पूरा यकीन है कि तुम ने उसे जान से मार डाला.’’

नासेर शांत था मगर अंदर की घबराहट मशीन पर साफ नजर आ रही थी.

क्रिस्टी ने उस की चुप्पी को अपराध छिपाने की कोशिश बताया और ऊपर के फ्लैट की फोरेंसिक जांच करने का हुक्म दिया.

फ्लैट हालांकि नया पेंट किया गया था फिर भी फोरेंसिक जांच के लिए उस की हरेक चीज उधेड़ कर देखने का उस ने हुक्म दिया.

 

साफिया नासेर की अचानक गिरफ्तारी से बेहद घबरा गई लेकिन उसे कुछ भी नहीं बताया गया.

मौयरा ने उस की दोनों छोटी बेटियों से पूछ लिया, ‘‘जब तुम लोग डैडी की दुकान के ऊपर फ्लैट में रहती थीं, तब तुम्हारे घर में किस रंग का सोफा था?’’

‘‘काले रंग का. मगर वह बहुत पुराना था, इसलिए डैड ने उसे फेंक दिया.’’

‘‘तुम्हें याद है कि तुम्हारे परदे किस रंग के थे?’’

‘‘थोड़ेथोड़े नीले, थोड़ेथोड़े ग्रे रंग के.’’

अब तो कोई शक बचा ही नहीं था. सारे फ्लैट में कोई सुराग नहीं मिला, मगर बाथरूम के टब के सामने का पैनल जब खींच कर हटाया गया तब उस का ऊपरी किनारा, जो टब से एकदम जुड़ जाता है, काफी गंदा मिला. उस में चिपचिपाहट थी. उसे माइक्रोस्कोप से देखने पर जमा हुआ पुराना

खून साफसाफ नजर आ गया, जिस में कुछ बाल भी फंसे हुए थे.

अब तो बाथरूम का सारा पेंट खुरचा गया. दरवाजे के पीछे पेंट के नीचे खून के धब्बे काफी मात्रा में पाए गए.

जांच करने पर वह खून जंगल में मिली लाश के खून से एकदम मिलता हुआ पाया गया.

अपने खिलाफ निकल रहे सुबूतों से डर कर अंतत: नासेर ने कबूल कर ही लिया कि उस ने फैमी को मार डाला था.

‘‘क्यों?’’

‘‘क्योंकि वह मुझे मजबूर कर रही थी कि मैं मोरक्को जा कर उस से निकाह कर लूं ताकि वह मेरी बीवी कहला सके. मैं ऐसा नहीं कर सकता था. साफिया को नाराज कर के मैं शादी की मंजूरी नहीं ले सकता था. दूसरी वजह थी मेरा बेटा. साफिया ने उसे 6 महीने की उम्र से पालापोसा था. उस की जानकारी में बच्चे की मां कब की उसे छोड़ चुकी थी.’’

नासेर ने एक और चालाकी यह खेली थी कि फैमी को कभी साफिया से नहीं मिलाया ताकि वह उस की अज्ञात प्रेमिका बनी रहे. बच्चे को अगर कानूनी तौर पर गोद लेता, तो फैमी को सब के सामने लाना पड़ता. वह इस खतरे से खेलना नहीं चाहता था. आमनासामना होने पर फैमी कभी भी सारे भेद खोल सकती थी, इसलिए उस ने बच्चे का नाम बदल कर उस का जन्म मोरक्को में लिखवा दिया और गलत तारीख से जन्मपत्र बनवा लिया.

बड़ी चालाकी से वह फैमी से बच्चे को मिलवाने ले जाता था. वह कभी मिलने आता तो फिर खूब प्यार लुटाता था उस पर. यही समय नासेर और फैमी का ‘गुड टाइम’ भी होता था.

साफिया के नए घर में जाने के बाद से फैमी अकसर डोनर कबाब की दुकान के ऊपर वाले फ्लैट में नासेर से मिलने आती थी. वहीं उस ने वह तसवीर अपने बेटे के संग खिंचवाई थी.

अब वह चाहती थी कि नासेर उस से इसलामिक रीति से मोरक्को जा कर शादी कर ले ताकि वह अपने समाज में मुंह दिखा सके. उस की उम्र 35 की हो चली थी. इस उम्र में उसे कोई और मर्द नहीं मिलने वाला था. मगर नासेर न तो मान रहा था न ही उस पर से अपना कब्जा हटा रहा था. फैमी ने उस के राज का परदा हटाने की धमकी दी. बस, यही उस की मौत का कारण बनी. दोनों का झगड़ा हुआ. नासेर ने सोफे के कुशन से उस का मुंह दबा दिया और उस की छाती पर चढ़ बैठा. जब वह सांस घुटने से मर गई, तब उस को घसीट कर बाथरूम में ले गया. वहां बाथटब में डाल कर उस ने उस की गरदन डोनर कबाब काटने वाली तेज छुरी से काट कर अलग कर दी.

जिस प्लास्टिक की ढक्कनदार बालटी में डोनर कबाब का कीमा आता था, उसी में उस ने फैमी के सिर को रखा और उस के ऊपर रेत भर दी ताकि खून न टपके. फिर ढक्कन को बंद कर दिया. इसी तरह उस ने एक दूसरी बालटी में उस के दोनों हाथ काट कर डाले और रेत भर दी. फिर बचे हुए शरीर को परदों में लपेट कर बांध दिया. अपनी वैन में लाश डाल कर वह रौक्सवुड में फेंक आया. दोनों प्लास्टिक की बालटियां उस ने 2 अलगअलग पुलों पर से रात में टेम्स नदी में फेंक दीं.

वापस फ्लैट में आ कर उस ने सोफे को आग लगा दी. रैक्सीन का सोफा जलने से सारा फ्लैट धुएं से भर कर काला हो गया. गलीचा भी जल गया. इस आग को उस ने खुद ही पानी डाल कर बुझा दिया.

देर रात गए वह घर पहुंचा. साफिया के पूछने पर उस ने आग लगने का ब्योरा बता दिया. बताया कि फ्लैट में जहरीला धुआं भरा है, इसलिए कोई वहां न जाए. वह क्लेम कर के इंश्योरैंस से इस नुकसान का मुआवजा लेगा. अगले ही दिन उस ने बाथटब को साफ किया और जहांजहां खून के छींटे पड़े थे उन पर पेंट मार दिया.

फैमी का हैंडबैग उस के पास था, जिस में से चाबी ले कर वह मौका देख कर उस के घर में घुसा और शिनाख्त के सारे पेपर, जेवर, पैसे और अब्दुल का असली जन्मपत्र वगैरह सब अपने कब्जे में कर लिया जो सामान बेमतलब का था, उसे वहीं छोड़ दिया. और फैमी के कपड़े भी वह ले आया ताकि लगे कि वह कहीं विदेश चली गई है.

जैनेट उन दिनों घर पर नहीं थी. उसे क्रिसमस पर एक बूढ़े की तीमारदारी करने के लिए मोरक्को में काम मिला था. उस के जाने से पहले फैमी ने उसे बताया था कि वह भी मोरक्को जा रही है.

ठोस सुबूतों के आधार पर पुलिस ने नासेर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया. अदालती कार्यवाही के बाद नासेर को उम्रकैद की सजा हुई.

जौन और डोरा के ड्राइंगरूम में बैठ कर डेविड क्रिस्टी आराम से सारी कहानी सुना रहा था. मौयरा और उस की बीवी भी वहां थी.

‘‘जौन, तुम सचमुच मानते हो कि वह आत्मा तुम्हें ढूंढ़ती हुई आई थी?’’

‘‘अरे मैं कैसे विश्वास दिलाऊं तुम सब को. डेविड जितनी बार तुम ने कहा कि मैं यह केस बंद कर रहा हूं, उतनी बार उस के आने का एहसास मुझे हुआ. तुम मानो या न मानो पर मुझे अब और भी तसल्ली हो गई है कि यह सब मेरा भ्रम नहीं था. जरा सोचो, जब से उस के हत्यारे ने उसे जंगल में फेंका मैं पहला व्यक्ति था जिस ने उसे देखा और उस के बारे में बताया. शायद वह अपने शरीर में बैठी रही मदद मांगने के लिए और जैसे ही मैं उसे मिला वह मेरे पीछे हो ली. वह मुझ से बारबार विनती कर रही थी, इस पर मुझे पूरा विश्वास है. तुम लोग इसे पागलपन समझते हो तो समझो.’’

‘‘नहीं जौन, कम से कम मैं इसे तुम्हारा पागलपन नहीं मान रहा हूं.’’

‘‘कैसे बोल रहे हो अब,’’ डोरा उपहास से बोली, ‘‘तुम्हीं ने तो कहा था न अल्बर्ट म्यूजियम में कि यह सब जौन के उत्तेजित होने के कारण कल्पना का तानाबाना है. उसे मानसिक शांति चाहिए.’’

‘‘कहा था, जरूर कहा था मगर उस के बाद जो कुछ घटा वह कम विस्मयकारी नहीं है. बताता हूं.

 

‘‘एक दिन जब मैं पूरी तरह हार गया था और केस बंद करने वाला था, एक औरत मुझ से मिलने आई. वह ईरानी थी और सरे के इलाके बर्ग हीथ से आई थी. यह जगह एमएसएम मार्केट से कोई 5-6 मील दूर पड़ती है. यह ईरानी औरत एक जोड़ी पुराने नीले परदे लाई थी मुझे दिखाने जो उस ने बुढि़या मार्था से खरीदे थे. उसे पता चला कि ऐसे परदे की पुलिस को तलाश है. मगर तब वह अपने देश जाने वाली थी. वापस आने पर उस ने नए परदे खरीद लिए और ये नीले परदे वह मुझे देने के लिए ले आई.’’

‘‘मगर मार्था ने तो कहा था बेसिंगस्टोक से कोई आई थी,’’ मौयरा ने चौंक कर पूछा.

‘‘मौयरा, मार्था बूढ़ी है न इसलिए उस की याददाश्त में से बर्ग हीथ फिसल गया और ब शब्द से बेसिंगस्टोक उभर आया, तो वह वही बोल गई. न वह बेसिंगस्टोक का नाम लेती, न हम उसे टीवी पर घोषित करते. न वहां रहने वाली जैनेट आगे आती और हमें फैमी का फोटो दिखाती. हमारी तहकीकात तो बस वहीं से शुरू हुई. है न अजीब बात?’’

‘‘कमाल है,’’ सब के मुंह से एकसाथ निकला.

‘‘तुम अब आराम से बेफिक्र हो कर सो सकते हो जौन. मैं ने तुम्हारी जिम्मेदारी पूरी कर दी है. मैं ने फैमी को उस के देश मोरक्को भेज दिया है और एक सरकारी चैरिटी की तरफ से एक मोटी रकम भी, जो उस के भाईबहनों के भविष्य को संवारने के काम आएगी.’’

अदालत का मानवीय फैसला

तलाक के एक मामले में जिस में पति ने पत्नी से छुटकारा पाने के लिए बेटी के डीएनए टैस्ट तक की मांग कर डाली थी कि वह उस की अपनी बेटी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी से ज्यादा मानवीय फैसला कर के समस्या को सुलझा दिया. उच्च न्यायालय में भी पति ने पत्नी से अलगाव के बाद यह मामला उठाया था पर उच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर डीएनए टैस्ट की मांग को ठुकरा दिया गया पर पति पत्नी का तलाक मंजूर कर लिया गया.

दोनों अब अपनीअपनी जिंदगी जिएंगे. न कोई गुजारा खर्च, न बेटी को पालने का खर्च, न पति को बेटी से मिलने का हक, न बेटी को पिता की संपत्ति में हक यानी संबंध पूरी तरह से अलग.

लड़ते झगड़ते पतिपत्नी का यह हल सब से सही है और चाहे किसी भी धर्म के पतिपत्नी हों, कानून ऐसा ही होना चाहिए और यह अलगाव देने का हक सब से निचली अदालत को हो और वहां से अपील का हक भी न हो.

अगर मामला अदालत में चला गया तो चाहे गलत कोई भी हो, दुनिया की कोई भी ताकत पतिपत्नी को फिर से एक बिस्तर पर एकदूसरे की बांहों में सोने को मजबूर नहीं कर सकती. बच्चों की खातिर अगर अदालतें तलाक देने में देर लगाएं या इनकार करें तो यह भी बच्चों पर अन्याय है. पिता या मां अगर किसी और को चाहने लगें या एकदूसरे से घृणा करने लगें तो पैसा या कानूनी हक बेकार हो जाता है. विवाद की चक्की में बच्चे पिसते हैं तो यह एक दुर्घटना समझा जाना चाहिए जिस में बैठे लोग न गाड़ी चला रहे थे न कोई गलत काम कर रहे थे. बच्चे मातापिता के गलत फैसलों के शिकार होते हैं तो होने दें, क्योंकि तलाक को रोक कर अदालतें बच्चों का भला नहीं कर सकतीं.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला तिहरे तलाक के मामले में भी आदर्श है. जब मुसलिम पति पत्नी को तलाक देना चाहता है तो कैसे दिया जाए, उस का क्या अर्थ रह जाता है?

धार्मिक कानून कुछ भी कहता रहे, तलाक तो होगा ही. तिहरा या ट्रिपल नहीं तो किसी और ढंग से. समान व्यक्तिगत कानून इस तलाक को नहीं रोक सकता. पतिपत्नी में झगड़ा हो तो काजी कुछ नहीं कर सकता. 2-3 पेशियों के बाद अदालत पहुंचे हर युगल को ही नहीं, हर पति या पत्नी को तलाक मिल जाना चाहिए. उस पतिपत्नी को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा यही अफसोस की बात है.

अब तो आंखें खोलो

सरकार नोटबंदी के बाद लगातार कहती जा रही है कि यह परेशानी केवल कुछ दिन की है. यह ‘केवल कुछ दिन’ क्या होता है और क्या किसी भी सरकार को केवल कुछ दिन के लिए देश की सारी जनता के साथ खेलने का हुक्म देने का हक है? सिर्फ इसलिए कि मई, 2014 में एक व्यक्ति को लोक सभा चुनावों में बहुमत दे दिया गया था? 25 जून, 1975 की तरह केवल कुछ दिन अनुशासन के नाम पर आपातस्थिति घोषित करने का मौलिक हक क्या हर किसी सरकार के पास है?

सरकारों के पास बहुत कुछ कराने और करने के हक हैं क्योंकि उन के पास फौज, पुलिस और सरकारी नौकरों की एक बड़ी जमात है और हर नागरिक असल में एकदम अकेला होता है और अकेले उस के घर के किसी निष्ठुर, मनमानी करने वाले शासक से निबटने की हिम्मत नहीं होती. अकेला नागरिक तो इतना भयभीत होता है कि वह गली के गुंडों से अपनी कमसिन बेटी की रक्षा नहीं कर पाता, पड़ोसी के भूंकते कुत्तों को चुप नहीं करा सकता.

केवल कुछ दिन किसी को जेल में बंद कर देना पुलिस का बाएं हाथ का काम है जबकि देश का संविधान इस के सख्त खिलाफ है. केवल कुछ दिन के लिए बिजली, पानी काट देना आम है. केवल कुछ दिन के लिए सड़कें बंद कर के उन्हें खोद डालना या उन पर कोई धार्मिक उत्सव करा देना भी आम है, पर क्या ये सरकार के नैतिक हकों में से हैं? केवल कुछ दिन लाइनों में लग कर अपनी ही गाढ़ी कमाई के नए नोट ले लेने की कैद काटना सिर्फ इसलिए कि इस से कुछ जो आराम कर रहे हैं व कुछ अमीर कष्ट में होंगे और उन की संपत्ति धुल कर राख बन जाएगी, क्या बुद्धिमानी का काम है?

बस कुछ दिन बाद अच्छे दिन आएंगे यह गणित आज भक्त लोग सोच नहीं रहे और इसलिए तुगलकी फैसले पर बोल नहीं रहे वरना यह पक्का है कि लखनऊ के हजरतगंज में तीसरी मंजिल में 2 कमरों के मकान में रहने वाले के दिन अच्छे नहीं आएंगे अगर दिल्ली की पौश कालोनी सैनिक फार्म के किसी सेठ के क्व10 करोड़ के प्लौट बेकार हो भी जाएं.

देश को जो काला धन घुन की तरह खा रहा है, शेर की तरह नहीं. शेर को तो गोली से मार कर खुद को सुरक्षित किया जा सकता है पर घुन को मारने के लिए गेहूं या आटे में जहर मिला कर उसे आदमी को खाने को कहा जाएगा तो घुन चाहे मरे या न मरे खाने वाला अवश्य मरेगा.

सरकार ने कहा है कि यह परेशानी लेबर पेन की तरह है. इस के बाद बच्चे पैदा होंगे तो खुशी होगी. हां, यह लेबर पेन है पर बलात्कार के बाद ठहरे गर्भ के कारण, जिस का गर्भपात नहीं होने दिया. हां, बच्चा पैदा होगा, पर उस का पिता कौन है यह पिता को भी पता नहीं होगा और मां उसे सड़क पर छोड़ जाएगी, क्योंकि यह बच्चा इच्छा से नहीं बल्कि जबरन पैदा हुआ है.

सरकारी बलात्कार हुआ है जनता पर. ज्यादा से ज्यादा उसे उस नियोग से पैदा हुए बच्चे का दर्जा दिया जा सकता है जिस का वर्णन रामायण, महाभारत में खुले शब्दों में है और जिस के अभिशाप को दोनों महाकाव्यों के पात्रों ने जीवन भर ढोया है और रामायण, महाभारत इन पात्रों की कुंठा का पर्याप्त वर्णन है.

इस तरह के अच्छे दिन कभी खुशी नहीं देंगे, जिन का जन्म झूठे वादों और देशव्यापी महामारी से हुआ है. यह वह बच्चा होगा जिस पर जन्मजात ठप्पा लगा होगा. कतारों में लगे लोग ही नहीं वे लोग भी जिन की दराजों, अलमारियों, गुदड़ों से वर्षों तक पुराने नोट समयसमय पर निकलते रहेंगे और जो सरकारी धौंस पट्टी के नतीजे की वजह से बेकार हो जाएंगे. वे हर जने को उस बलात्कार के दर्द की याद दिलाएंगे जो किसी भी औरत ने बस कुछ देर के लिए सहा होगा. पर दिखावा जीवन भर खलता रहता है.

सोच समझकर लें हेल्थ इंश्योरेंस

साइंस के विकास के साथ ही जहां एक तरफ कई बिमारीयों का इलाज संभव हो गया है वहीं दूसरी तरफ इलाज का खर्च भी बढ़ गया है. महंगे इलाज से सुरक्षा के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस सबसे आसान उपाए है. हेल्थ इंश्योरेंस से खर्च मैनेज हो जाता है और टैक्स बेनिफिट भी मिलता है. हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते वक्त भी कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए.

पॉलिसी लेने से पहले क्‍लेम के क्‍लॉज ध्यान से पढ़ें

पॉलिसी लेते वक्‍त हम अक्‍सर सिर्फ प्रीमियम अमाउंट ही देखते हैं. जबकि कई बार आपका एजेंट पॉलिसी के पीछे के क्‍लॉज नहीं बताता. एजेंट से सारी जानकारी हासिल करें. इंटरनेट पर भी बहुत सारी जानकारियां उपलब्ध होती हैं. ध्यान रहे पॉलिसी आपके हेल्थ के लिए है. इसलिए एक्सट्रा सावधानी जरूरी है.

कैशलैस फैसिलिटी का फायदा

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेते वक्‍त कंपनी की कैशलैस सर्विस पर ध्यान देना जरूरी है. इस सुविधा से आपको इलाज का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा. मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाते समय या डिस्चार्ज के समय बड़ी राशि का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. अस्पताल में रहने का खर्च भी इंश्योरेंस कंपनी ही उठाएगी.

रीइंबर्समेंट करवाते वक्‍त ये ध्‍यान रखें

कई बार हमारा इलाज कैशलैस हॉस्पिटल में संभव नहीं होता. नोट बैन के बाद यह समस्या नहीं आनी चाहिए. इस स्थिति में हमें कंपनी के पास क्‍लेम रीइमबर्समेंट के लिए भेजना होता है. रीइमबर्समेंट के वक्‍त पॉलिसी होल्डर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके पास सारे बिल, जरूरी दस्तावेज हैं.

नेटवर्क हॉस्‍पिटल की लिस्‍ट पास जरूर रखें

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त कंपनी एक नेटवर्क हॉस्पिटल की लिस्‍ट भी मुहैया करवाती है. आपका इस लिस्‍ट को हमेशा पास रखना चाहिए. इससे इमर्जेंसी के वक्‍त नेटवर्क हॉस्पिटल में इलाज करवाना आसान हो जाता है. नेटवर्क हॉस्‍पिटल के साथ इंश्‍योरेंस कंपनी का टाइअप होता है.

पॉलिसी में डे केयर भी शामिल हो

बहुत सी इंश्‍योरेंस कंपनियां कम से कम 24 घंटे हॉस्पिटलाइजेशन पर ही इंश्‍योरेंस कवर मुहैया करवाती हैं. लेकिन बहुत सी बीमारी ऐसी होती हैं जिनके लिए 24 घंटें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती. इसलिए उचित जानकारी प्राप्त कर के ही हेल्थ इंश्योरेंस ऑप्ट करें.

कंपेरिजन कर के लें पॉलिसी

आज बहुत सी वेबसाइट हैं जो कि प्राइस के साथ ही हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के कवरेज का कंपेरिजन भी शो करती है. इन वेबसाइट्स की मदद जरूर लें. अलग अलग कंपनियों के प्लैन की तुलना कर के  देखें कि ज्यादा प्रीमियम कौन दे रहा है, इससे आप बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस सेलेक्ट कर सकेंगे.

हेयर चॉक है बेहतर ऑप्शन?

अगर आप फैशन के साथ सेफ एक्‍सपेरिमेंट करना चाहती हैं तो आपके लिए हेयर चॉक बहुत ही अच्‍छा विकल्‍प है. फैशन करने वाले लड़कियों के लिए बालों को कलर के नुकसान से बचाने और कलरफुल स्‍ट्रीक्‍स पाने का ये सबसे आसान तरीका है. और तो और आप जब चाहे इसे हटा भी सकती हैं.

बालों पर गुलाबी या पेस्टल रंग की स्ट्रिपिंग, किसी भी आउट‌िंग या गर्ली लुक के लिए इससे ज्यादा स्टाइलिश आपके लिए और क्या हो सकता है. अगर आप सोचती हैं कि ये सिर्फ बालों को कलर करवाने से ही संभव हैं तो आप गलत सोचती है. क्‍योंकि बालों पर रंग-बिंरगे हेयर चॉक की मदद से आप आज न केवल अपने मनपसंद रंगों की स्‍ट्रीक्‍स बना सकती हैं बल्कि उन्हें ज्यादा देर तक कैरी भी कर सकती हैं.

आखिर क्या है हेयर चॉक?

जो बालों को कलर करवाने से घबराती हैं ये उनके लिए यह बहुत ही अच्छा ऑप्शन है. हेयर चॉक को वॉटर बेस्ड इंक के साथ तैयार किया जाता है. ये इंक माइक्रो फाइबर की तरह काम करती है और बालों के ऊपर एक विजिबल स्ट्राइकिंग फिल्म बना देती  है. वॉटर बेस्ड इंक होने की वजह से ये आसानी से रिप्लेस हो जाती है. बालों पर कलर की जगह हेयर चॉक एक मेकअप की परत की तरह काम करता है और एक-दो बार धोने के बाद ही बालों से छूटने लगता है. इतना ही नहीं, ये इंक को लॉक कर देता है और जल्दी सूख भी जाता है.

हेयर चॉक इस्तेमाल करने के उपाय 

हेयर चॉक लगाना बिल्कुल ब्लैकबोर्ड पर चॉक इस्तेमाल करने जितना ही आसान है. जिस कर्ल को आप हाइलाइट करना चाहती है, बस उस पर चॉक को रगड़िए. हेयर चॉक को आसानी से लगाने के लिए बालों का गीला होना बहुत जरूरी होता है. इसे लगाते समय बालों को ट्विस्ट करते रहें ताकि बालों का पूरा सेक्शन कलर हो जाए. अगर आपको कलर को ज्‍यादा दिनों तक बनाए रखना है तो हेयर चॉक लगाने के तुरंत बाद हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करें. ये चॉक को ड्राय कर लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है.

हेयर चॉक के बालों को नुकसान

हेयर चॉक की मदद से आप अपने लुक्‍स को बदल सकती हैं. लेकिन चॉक आखिर चॉक ही होता है. ये बालों से नमी को सोख लेता है, इसीलिए इसे लगाने के तुरंत बाद इसे धो लें. अगर आपको सांस से जुड़ी समस्‍या है तो इसे लगाने से पहले अपने नाक और चेहरे को ढक कर इस्‍तेमाल करना चाहिए.

पुराने बक्सों के अनोखे उपयोग

पुरानी चीजों से घर सजाने से घर को ऐंटीक लुक के साथ ही एक रोयाल लुक भी मिलता है. अगर आपके घर में भी सालों से पुराने, जंग लगे बक्से हैं और आप इसी सोच में हैं कि उनका क्या किया जाए, तो आपकी इस समस्या का समाधान हम आपको बतायेंगे. एक पुराने बक्से की अपनी अलग ही बात है. उन बक्सों से आपके घर के लोगों की न जाने कितनी सारी यादें जुड़ी होंगी. जरा सी पॉलिश से आप अपने घर की धरोहर को घर के इंटीरियर के तौर पर इस्तेमाल कर सकती हैं.

1. कॉफी टेबल

पुराने कॉफी टेबल को बदलकर आप उसकी जगह पर ट्रंक रख सकती हैं. अगर ट्रंक काफी सिंपल है तो आप किसी कलाकार से उसे विंटेज लुक दिलवा सकती हैं. एक वास रखें और एक अनोखा कॉफी टेबल तैयार है.

2. ज्वैलरी बॉक्स

पुराने बक्सों में ही तो गहने आते थे, दादी-नानी से कहानी तो सुनी ही होगी आपने. पुराने बक्सों को जरा सा पॉलिश करवाके आप भी उनमें अपने गहने रख सकती हैं. कारपेंटर से कहकर बक्से में वुडन स्लैब लगवा लें और आपका ब्रैंड न्यु ज्वैलरी बॉक्स तैयार है. इस बक्से को ड्रेसिंग टेबल के पास ही रखें, इससे कमरे का लुक भी चेंज हो जाएगा.

3. सीटिंग बेंच

बक्से इतने भारी होते हैं कि इस पर आराम से 2 लोग बैठ सकते हैं. आप इसे गार्डन या घर के किसी भी जगह घर के लोगों के बैठने के लिए रख सकती हैं. अगर आप बक्से को मल्टीपर्पस बनाना चाहती हैं तो इसे दरवाजे के पास रखें, ये जूते रखने के काम आ सकता है.

4. स्टोरेज

घर के किसी भी कमरे में बक्से को रखें, यह इंटीरियर डेकोर की तरह भी काम करेगा. आप पार्टी डेकोरेशन के लिए भी बक्से को यूज कर सकती हैं.

5. ट्रंक टेबल

बक्से को टेबल में बदलने के लिए आपको कारपेंटर की जरूरत पड़ेगी. मगर आप ट्राई कर सकती हैं. इंटरनेट से मदद लें और कुछ नया करें.

वह नीला परदा: भाग-4

पूर्व कथा

एक रोज जौन सुबहसुबह अपने कुत्ते डोरा के साथ जंगल में सैर के लिए गया, तो वहां नीले परदे में लिपटी सड़ीगली लाश देख कर वह बुरी तरह घबरा गया. उस ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. बिना सिर और हाथ की लाश की पहचान करना पुलिस के लिए नामुमकिन हो रहा था. ऐसे में हत्यारे तक पहुंचने का जरिया सिर्फ वह नीला परदा था, जिस में उस लड़की की लाश थी. इंस्पैक्टर क्रिस्टी ने टीवी पर वह नीला परदा बारबार दिखाया, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा.

एक रोज क्रिस्टी के पास किसी जैनेट नाम की लड़की का फोन आया, जो पेशे से नर्स थी. वह क्रिस्टी से मिल कर नीले परदे के बारे में कुछ बताना चाहती थी.

जैनेट ने क्रिस्टी को जिस लड़की का फोटो दिखाया उस का नाम फैमी था. फोटो में वह अपने 3 साल के बेटे को गाल से सटाए बैठी थी. जैनेट ने बताया कि वह छुट्टियों में अपने वतन मोरक्को गई थी. क्रिस्टी ने मोरक्को से यहां आ कर बसी लड़कियों की खोजबीन शुरू की. आखिरकार क्रिस्टी को फहमीदा नाम की एक महिला की जानकारी मिली. क्रिस्टी फहमीदा के परिवार से मिलने मोरक्को गया. वहां फहमीदा की मां ने लंदन में बसे अपने

2-3 जानकारों के पते दिए. क्रिस्टी को लारेन नाम की औरत ने बताया कि फहमीदा किसी मुहम्मद नाम के व्यक्ति से प्यार करती थी. वह उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.

एक रोज लारेन ने क्रिस्टी को बताया कि उस ने मुहम्मद को देखा है. क्रिस्टी और लारेन जब उस जगह पहुंचे तो पता चला कि यह दुकान मुहम्मद की नहीं, बल्कि साफिया की थी, जिस के दूसरे पति का नाम नासेर था. अब सवाल यह उठ रहा था, आखिर साफिया दुकान बेच कर कहां चली गई?

एक रोज डेविड एक कबाब की दुकान पर गया तो अचानक दुकान के मालिक को देख उस के दिमाग में लारेन का बताया हुलिया कुलबुलाने लगा.

नासेर के बारे में एकएक कर के जो बातें उजागर हो रही थीं, वे उसे कठघरे की तरफ धकेलती जा रही थीं. कांस्टेबल एंडी ने नासेर का पीछा किया तो मालूम पड़ा कि उस की बीवी और 3 बच्चे वहीं रहते हैं. डेविड ने एंडी को उस की बीवी का पीछा करने की सलाह दी. एंडी ने उस की बीवी, दुकान व बच्चों का ब्योरा डेविड को दिया. डेविड ने स्कूल से बच्चे का बर्थसर्टिफिकेट निकलवाया तो कई बातें उजागर हो गईं. डेविड ने नासेर से फहमीदा नाम की औरत का जिक्र किया, तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया. मौयरा ने स्कूल के हैडमास्टर की मदद से बच्चे को फैमी का फोटो दिखाया तो बच्चे ने तुरंत उसे पहचान लिया.

-अब आगे पढ़ें…

शकूर की तारीफें सुन कर साफिया बहुत खुश हुई. मौयरा ने कहा कि वह उस के घर के वातावरण से परिचित होना चाहती है. साफिया ने झट से उसे बुलावा दे डाला, अगले ही दिन सुबह लंच से पहले.

घर बड़े करीने से सजा था. साफिया ने  मौयरा को बताया कि वह 2 साल पहले ही यहां आई है. इस से पहले वह पति की दुकान के ऊपर फ्लैट में रहती थी. वह दुकान ग्रोसरी की थी.

उस का पिता टर्की से आया था और उस ने काफी अच्छा पैसा बनाया लंदन में. उसी दौरान उस ने एक मोरक्कन मुसलमान से शादी कर ली. वह भी अच्छे घरपरिवार से था, मगर उसे सिगरेट पीने की बुरी लत थी. इसलिए

वह फेफड़े के कैंसर से मर गया. उन की 3 बेटियां थीं.

पति के मरने के बाद साफिया ने उस की फलसब्जी की दुकान संभाली. मगर 3 बच्चों को पालना और दुकान चलाना काफी भारी पड़ता था. कुछ साल बाद उस के पति के रिश्ते का भाई अली नासेर स्टूडैंट वीजा पर लंदन आया. पति का भाई होने के नाते साफिया ने उसे घर में रखा. बाद में उस से शादी कर ली. अली से भी उसे 2 बेटियां हुईं. अली हर हालत में एक लड़का चाहता था ताकि वह अपनी पुश्तैनी जायदाद का हक न खो दे.

‘‘फिर?’’ मौयरा ने पूछा.

साफिया थोड़ा अटकी फिर सोच कर बोली, ‘‘फिर क्या, शकूर आ गया, बस.’’

साफिया की कहानी हूबहू लारेन की बताई कहानी से मिलती थी. मौयरा ने अपने बैग में रखे टेपरिकौर्डर पर उस की सारी बातें रिकौर्ड कर ली थीं.

मौयरा ने आगे पूछा, ‘‘तुम किसी मुहम्मद नाम के आदमी को जानती हो?’’

‘‘वह तो मेरा पहला पति था, जो मर गया.’’

‘‘अली मुहम्मद?’’

‘‘नहीं, मुहम्मद जब्बार नासेर. यह नाम था उस का.’’

‘‘किसी अब्दुल नाम के बच्चे को जानती हो, वह भी मोरक्को से आया है?’’

‘‘नहीं, यहां कोई मोरक्कन नहीं है.’’

‘‘उस की मां का नाम फहमीदा है.’’

‘‘नहीं, मैं नहीं जानती.’’

साफिया की बातचीत एकदम निश्छल लगी.

‘‘तुम्हारी बड़ी बेटियां?’’

साफिया उदासी को छिपाते हुए बोली, ‘‘वे अलग रहती हैं. दरअसल, मेरे पिता ने उन के लिए अलग से बिजनैस शुरू करवा दिया और फ्लैट खरीद कर दे दिया. दरअसल, ग्रोसरी ही हमारा पुराना धंधा है, जिसे अब वे तीनों मिल कर चलाती हैं और मैं भी वहां जा कर उन की मदद कर आती हूं. ये तीनों छोटे बच्चे मेरे दूसरे पति नासेर की जिम्मेदारी हैं. अब कोई तकरार नहीं.’’

‘‘क्या पहले तकरार होती थी?’’

साफिया मुसकरा कर चुप हो गई.

‘‘नासेर क्या करता है?’’

‘‘उसी दुकान में है मगर डोनर कबाब बेचता है.’’

‘‘फ्लैट में कौन रहता है?’’

‘‘कोई नहीं, पिछले क्रिसमस के बाद उस ने उसे रंगरोगन करवाया था मगर खाली ही पड़ा है.’’

मौयरा ने सारी रिपोर्ट क्रिस्टी को दे दी.

क्रिस्टी सावधान था. लारेन को चकमा दे कर दुकान से निकलने के बाद नासेर का अगला कदम होगा कि वह भाग जाए. क्रिस्टी

ने चारों तरफ से नाकेबंदी कर दी और वह सीधा दुकान पहुंचा. लारेन भी उस के साथ

थी. लारेन ने ऐसा दिखावा किया जैसे वह क्रिस्टी की बीवी हो और वह नासेर को पहचानती ही न हो.

मगर उसे देख कर नासेर का रंग उड़ गया.

क्रिस्टी ने उस से पूछा, ‘‘क्या तुम हमें पसंद नहीं करते?’’

नासेर संभल कर सामान्य होते हुए बोला, ‘‘नहीं, वह बात नहीं. दरअसल, आप की मित्र को देख कर मुझे किसी और का भ्रम हो गया था. आप गोरी चमड़ी के लोग न कभीकभी एकदूसरे से काफी मिलते हो.’’

‘‘मुझे भी तुम सारे मोरक्कन एकजैसे लगते हो.’’

सुन कर नासेर जोरजोर से हंसने लगा, मगर उस की घबराहट छिपी नहीं रही. क्रिस्टी ने लारेन को अभी तक नहीं बताया था कि फैमी गायब थी. मगर उस का शक एकदम पक्का हो गया कि नासेर अपराधी है. सिवा उसे हिरासत में ले कर सवालजवाब करने के, क्रिस्टी के पास दूसरा चारा नहीं बचा था.

 

नासेर और साफिया दोनों की इंक्वायरी अलगअलग तरीकों से की गई थी. दोनों को जरा भी शक नहीं हुआ कि यह सब तहकीकात एक ही गुत्थी को सुलझाने का प्रयास था. साफिया ने नासेर को मनोवैज्ञानिक टीचर के बारे में सब बताया मगर नासेर अपनी ही परेशानी में उलझा रहा.

लारेन को देखने के बाद वह बदहवास हो गया था. हालांकि लारेन ने उसे जरा भी यह एहसास नहीं होने दिया कि वह उसे पहचानती है. साफिया से बहाना बना कर वह अगले दिन चंपत हो गया. साफिया अपने दूर के किसी रिश्तेदार को दुकान खोलने के लिए कह कर स्वयं अपनी दुकान में चली गई.

क्रिस्टी इस के लिए तैयार था. जिस टे्रन से नासेर भागा वह उसी पर चढ़ गया. उस की तैनात की हुई पुलिस फोर्स ने उसे नासेर के स्टेशन पर गाड़ी पकड़ने की इत्तला तुरंत दे दी थी. अगले स्टेशन पर क्रिस्टी उस में चढ़ा और ऐसा दिखाया, जैसे यह इत्तफाक हो. नासेर उसे देख कर बेबसी से मुसकराया और उस से पूछा कि आप कहां तक जाएंगे?

क्रिस्टी ने कहा कि जहां तक यह टे्रन जाएगी.

मुझे तो पास ही जाना है, कह कर नासेर फटाफट अगले ही स्टेशन पर उतर गया.

मगर जैसे ही वह उतरा, क्रिस्टी ने इंटरकाम पर पुलिस को आगाह कर दिया. लंदन के बाहरी इलाकों में छोटे शहरों में उतरने वाले इक्केदुक्के लोग ही होते हैं. नासेर का पीछा करना आसान नहीं तो दुष्कर भी नहीं था.

अगले स्टेशन पर उतर कर वह झट से कार से पिछले स्टेशन पर लौट गया. पुलिस ने नासेर को एक टैक्सी में बैठते देखा था. पुलिस चुपचाप एक अन्य कार से उस का पीछा कर रही थी. क्रिस्टी भी कार से उस के पीछे लग गया.

नासेर ने सोचा, कहीं भागने से बेहतर वह वापस दुकान पर ही पहुंच जाए. आखिर उस के खिलाफ पुलिस के पास कोई सुबूत भी नहीं है. अत: वह वापस अपने ठिकाने लौट आया.

करीब आधे घंटे बाद क्रिस्टी सीधा उस की दुकान में दाखिल हो गया और अपना पुलिस बैज दिखा कर बोला, ‘‘अली नासेर, मुझे तुम से एक गुमशुदा लड़की फैमी के बारे में पूछताछ करनी है.’’

‘‘मैं इस नाम की किसी लड़की को नहीं जानता, तुम मेरा पीछा छोड़ दो.’’

‘‘तुम जानते नहीं हो तो लारेन को देख कर घबराए क्यों? तुम्हें उस ने पहचान लिया है, तुम्हारा एक नाम मुहम्मद है.’’

‘‘सब गलत, मुझे तंग मत करो.’’

‘‘ठीक है, तुम यहां नहीं तो पुलिस स्टेशन में अपनी सफाई दे देना, हमें अच्छी तरह पता है कि तुम और भी कई लड़कियों से संबंध रखते हो, इसलिए तुम ने 2-3 रोज पहले एक अंगरेज लड़की को भी फंसाने की कोशिश की थी. हम सब तुम्हारी बीवी साफिया को बताने वाले हैं, क्योंकि हम ने तुम्हारी बातचीत रिकौर्ड कर ली है.’’

अब अली नासेर कुछ ढीला पड़ा, उस ने क्रिस्टी से कहा, ‘‘चलो, ऊपर चल कर इतमीनान से बातें करते हैं.’’

क्रिस्टी उस के साथ ऊपर फ्लैट में अकेला चला गया, मगर अपनी जेब में रखे अलार्म बटन को दबा कर उस ने एंडी और मौयरा को इत्तला दे दी.

‘‘इतनी अच्छी साजसज्जा कितने पैसों में कराई?’’

‘‘नहीं, यह सब तो मैं ने खुद किया है.’’

फ्लैट बहुत शानदार ढंग से सजा था. हलके पीले रंग की दीवारें, सफेद रंग की खिड़कियां, दरवाजे, शानदार सफेद लैदर का सोफा उस पर हरेफीरोजी रंग के खूबसूरत कुशन. वैसे ही हरेफीरोजी परदे, बड़ीबड़ी पेंटिंग, हलके क्रीम रंग का गलीचा. सब बेहद साफसुथरा मगर क्रिस्टी की नजर सिटिंग रूम की बड़ी सी खिड़की पर अटक गई, जिस पर जाली का मेहराबदार परदा पड़ा हुआ था. उस के हरेफीरोजी परदे खुदबखुद मानो रंग बदलने लगे और नीले हो गए. सामने का सफेद सोफा काले रंग में बदल गया, जिस पर बैठी फैमी अपने बच्चे को गालों से सटाए मुसकराने लगी. क्रिस्टी मन ही मन उस तसवीर की असलियत को पहचान गया.

अली नासेर ने पूछताछ में इतना कबूल किया कि एक पेशा करने वाली मोरक्कन लड़की से उस के शारीरिक संबंध थे, क्योंकि उस की पत्नी उस से काफी बड़ी थी और दूसरा पति होने के नाते उस से उस की तृप्ति नहीं होती थी. उस औरत का नाम उसे नहीं मालूम, क्योंकि मोरक्कन होने के कारण वह अपना असली नाम नहीं बताती थी और न ही वह उस की असल जिंदगी के बारे में कुछ जानता था.

‘‘तो फिर तुम उसे कैसे बुलाते थे? अब वह कहां मिलेगी?’’

‘‘फोन नंबर था उस का. मगर वह कुछ महीनों पहले मोरक्को गई थी और अभी तक वापस नहीं आई.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता कि वह अभी तक नहीं आई? तुम ने उसे उस के नंबर पर फोन किया? मुझे वह नंबर दो.’’

‘‘मेरे पास नहीं है. बेकार परेशान मत करो,’’ नासेर उठ कर जाने लगा तो क्रिस्टी ने कड़क कर उसे बैठ जाने को कहा. तभी एंडी भी ऊपर आ गया. नासेर के पास कोई चारा नहीं बचा था.

उस ने नासेर को पुलिस की हिरासत में लेने के लिए एक और सुबूत सामने रखा.

मौयरा स्कूल के हैडमास्टर की इजाजत और असिस्टैंट टीचर की मदद से अब्दुल को ले आई और उस से सब के सामने उस तसवीर के बारे में पूछा, बच्चा फिर रोने लगा और उस ने बताया कि वह आंटी थी. यह सब अली नासेर के सामने किया. बच्चे से पूछा कि क्या तुम्हारे डैड इसे जानते थे? उस ने कहा कि हां वह यहां आती थी और डैड के साथ घूमने जाती थी.

अब अली नासेर के पास कोई जवाब नहीं था. वह मान गया कि अब्दुल फैमी को जानता था. क्रिस्टी ने बच्चे को सुरक्षित घर भिजवा दिया और कड़क कर कहा कि मिस्टर अली नासेर फैमी गायब है. तुम उसे जानते थे और उस के साथ तुम्हारे शारीरिक संबंध थे. उस के गुम हो जाने में तुम्हारा हाथ है. तुम्हें हम गिरफ्तार करते हैं. तुम्हें जो कुछ कहना है अदालत में कहना.

 

नासेर गिरफ्तार हो गया और थोड़ी सख्ती के बाद उसे सब बताना पड़ा. उस ने फैमी को अपना असली नाम नहीं बताया था और मुहम्मद नाम से उसे फंसा रखा था.

इस देश में वह स्टूडैंट वीजा ले कर मोरक्को से आया था. यहां वह अपने दूर के भाई मुहम्मद जब्बार नासेर का पता ले कर आया था, मगर जब वह उस से मिलने गया तो पता चला कि वह 2-3 साल पहले मर चुका था और उस की विधवा पत्नी साफिया अपनी 3 बेटियों के साथ अकेली गृहस्थी और बिजनैस दोनों चला रही थी.

अली नासेर ने उस से हमदर्दी दिखाई और उस के बिजनैस में हाथ बंटाने का बहाना कर के उस का विश्वास जीत लिया. जल्द ही साफिया ने उसे अपना पेइंग गैस्ट बना लिया. अली हंसमुख जवान लड़का था. साफिया की बेटियां उसे अंकल कहने लगीं और एक दिन साफिया के बूढ़े मांबाप ने उस से पूछा कि वह क्या यहां बस जाना पसंद करेगा?

अंधे को क्या चाहिए 2 आंखें. अली ने बताया कि वह एक अच्छे खातेपीते परिवार का लड़का है. बाप कपड़े का व्यापारी है. घर में सिलाई की दुकान है. मोरक्को से उस ने स्नातक क्रिमिनल ला में किया है और इधर आगे की पढ़ाई करना चाहता है.

साफिया के बाप ने उसे साफिया से शादी करने के लिए कहा और बताया कि मुहम्मद जब्बार अच्छाखासा पैसा छोड़ कर मरा है, इसलिए उस की बेटियां बेसहारा नहीं रहेंगी और वह शादी कर के यहां की नागरिकता पा जाएगा और घर व बिजनैस भी. अगर वह चारों तरफ से माली सुरक्षा पा जाएगा तो उसे पढ़ाई का खूब वक्त मिलेगा.

हालांकि साफिया उस से उम्र में 5-7 साल बड़ी थी, लेकिन उस ने उस से शादी कर ली. इस शादी से 2 बेटियां और पैदा हो गईं.

 

इधर अली को कालेज में फहमीदा मिल गई. एक ही देश के होने के कारण दोस्ती और फिर प्रेम होते देर न लगी. साफिया का पैसा तो उसे चाहिए था और उसी शादी की बिना पर उसे यू.के. में रहने का वीजा मिला था. भाई की बीवी से शादी करने पर उसे अपने और जब्बार नासेर दोनों के परिवारों से बहुत मानसम्मान मिला था. सब उसे ऊंचे खयालात का इज्जतदार शरीफ समझते थे. पारिवारिक रूप से जुड़े होने के कारण नासेर अपने भाई के बच्चों की जिम्मेदारी से मुंह नहीं चुरा सकता था.

इसलिए उस ने फैमी को अपना असली नाम व पता नहीं बताया. अपना नाम मुहम्मद अली बताया और अपनी शादी की बात छिपाए रखी. फहमीदा से वह मोरक्को जा कर शादी करने के वादे करता रहा. फिर उसे पता चला कि फैमी गर्भवती है. बस यहीं से उस की सचाई पकड़ी गई. पहले तो बहाने बना कर उस ने गर्भ गिरा देने की मांग की मगर फैमी अड़ी रही. उस की दलील थी कि बच्चे के रहते वह शादी क्यों नहीं कर सकता जबकि वह उन की पाक मुहब्बत का नतीजा था.

तब नासेर झुंझला गया और उस ने साफिया से अपनी शादी की बात बताई.

फैमी का दिल टूट गया. वह चुपचाप नौकरी छोड़ कर कहीं अज्ञात रूप से रहने लगी.  नासेर को इस बात का खौफ था कि कहीं वह उस का राज का परदाफाश न कर दे और पुलिस को न बता दे. वह उसे ढूंढ़ता रहा,

उस की सहेलियों से पूछता रहा फिर जब वह नहीं मिली तो उस के जानने वालों को उस के बारे में अनर्गल बातें बता कर उस का चरित्र हनन किया.

फैमी ने एक बेटे को जन्म दिया और अपनी प्रिय सहेली लारेन को बताया. मगर लारेन ने यह खबर मुहम्मद तक पहुंचा दी और उसे कानून से भी डराया.

इधर नासेर की अपनी बीवी साफिया से अनबन हो गई. साफिया 5 बेटियों की मां बन चुकी थी मगर अब उसे गर्भधारण करने में कठिनाइयां आने लगी थीं. हालांकि वह भी हर औरत की तरह एक पुत्र चाहती थी. पुत्र होने पर ही उसे अली नासेर का उत्तराधिकार मिल सकता था. नासेर उसे कई बार यह कह चुका था.

 

जब मुहम्मद को पता चला कि फैमी ने पुत्र को जन्म दिया है तो उस की नीयत डोल गई. यह उस का बच्चा था, कदाचित एकमात्र पुत्र, अत: उस ने फहमीदा को फिर से अपने प्रेमजाल में लपेट लिया. हजारों माफियां मांगी, कसमें खाईं और बच्चे के लिए उपहारों के ढेर लगा दिए. उस ने कसम खाई कि कभी वह अपने बेटे से अलग नहीं रहेगा और साफिया को कुछ भी पता नहीं होने देगा. वह फहमीदा को हर तरह से मदद करने लगा. ताकि वह बेटे की देखभाल ठीक से कर सके और उसे मदद के लिए कहीं भटकना न पड़े.

वह रोज बेटे से मिलने जाने लगा. फहमीदा उस के लाड़प्यार को देख कर आश्वस्त हो गई. कुछ दिन बाद नासेर ने पासा फेंका.

‘‘मुझ जैसा अभागा कौन है दुनिया में जो अपने बेटे को बेटा न कह सके.’’

इधर फहमीदा बदनामी के डर से घुली जा रही थी. वह न तो खुल्लमखुल्ला किसी से मिल सकती थी, न ही नौकरी कर सकती थी. न ही वह अपने देश वापस मां से मिलने जा सकती थी.

एक दिन नासेर ने साफिया को केवल बेटियां पैदा करने के लिए बहुत शर्मिंदा किया. कहा कि उस का पुश्तैनी हक का पैसा तो बिना वारिस के डूब ही जाएगा. साफिया बहुत रोईधोई. साफिया के बूढ़े मांबाप भी बहुत

दुखी हुए.

नासेर ने पासा फेंका, ‘‘मुझे लगता है कि अब बस यही सूरत है कि हम एक मोरक्कन बच्चा गोद ले लें.’’

साफिया डर गई कि कहीं नासेर उसेछोड़ कर दूसरी शादी न कर बैठे. हालांकि उसे पता था कि नासेर जैसा खुदगर्ज कभी भी उसे नहीं छोड़ेगा. वही तो उस की सोने का अंडा देने वाली मुरगी थी. एक तो मांबाप का पैसा, दूसरी अपने पहले पति की कमाई और तीसरी उस की खुद की कमाई. नासेर के पौबारह थे.

साफिया के मांबाप ने भी उसे समझाया कि अगर वह नासेर को रखना चाहती है तो उसे बात माननी पड़ेगी. पहले तो वह घबराई फिर रजामंदी दे दी. उस ने सोचा कौन सा कोई बच्चा हथेली पर उग रहा है. देखी जाएगी जब मिलेगा.

साफिया के हां कहते ही मुहम्मद ने फहमीदा को समझाना शुरू किया. उस ने कहा कि वह ऐसा इंतजाम करेगा कि फहमीदा बच्चे से मिल भी सकेगी और वह बाप के पास भी रह सकेगा.

जानबूझ कर नासेर ने फहमीदा को साफिया से नहीं मिलवाया. फहमीदा ने दूर से साफिया को देखा जरूर था मगर साफिया के तो सपने में भी कोई नासेर की चहेती नहीं थी. अकसर बीवियों से धोखा करने वाले ऊंचेऊंचे वादे करते हैं और अपने झूठे प्यार का इजहार करते हैं.

नासेर ने फहमीदा से भी झूठा नाटक खेला. उसे लालच दिया कि वह उसे

मोरक्को मां से मिलने जाने देगा. बस, वह बच्चा उस के पास छोड़ दे. फहमीदा राजी हो गई. उस का बच्चा अपने बाप के पास पलेगा. वह उस से मिलती रहेगी. उसे कोई कमी नहीं होगी कभी, न ही वह अवैध संतान कहलाएगा. वरना भविष्य में वह अपने ही बेटे को क्या जवाब देगी, अपनी मां को क्या जवाब देगी वगैरहवगैरह…

बच्चा 5-6 महीने का हो चला था. फहमीदा उसे बोतल से दूध पिलाने लगी थी. एक दिन मुहम्मद उसे साफिया को दिखाने ले गया. आंखों से आंसू भर कर फैमी ने उसे ले जाने दिया.

साफिया और उस की बेटियों ने जब गोलमटोल प्यारा सा बच्चा देखा तो वे उस की दीवानी हो गईं. नासेर ने बताया कि उस बच्चे की मां मोरोक्को की है. उस की उम्र अभी 20 वर्ष भी नहीं है, लेकिन उस का आदमी एक मोटरसाइकिल ऐक्सीडैंट में मर गया.

अगर साफिया बच्चा गोद ले लेती है, तो वह बेचारी दूसरी शादी कर लेगी या आगे पढ़ाई कर लेगी.

– क्रमश:

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