यह हमदर्दी कोरी धार्मिक है

तिहरे तलाक के मसले पर तो प्रधानमंत्री से ले कर भगवा दुपट्टा ओढ़े सड़कछाप मजदूर तक बड़े जोरशोर से बोल रहे हैं कि यह मुसलिम महिलाओं के साथ अन्याय है और इस कानून को तुरंत कर्बला में दफना दिया जाना चाहिए. पर हिंदू धर्म के तलाक कानून पर कुछ नहीं कहा जा रहा.

जरूरत यह है कि औरतों को तलाक की सुविधा वैसी ही मिले जैसी शादी करने की मिलती है. फेरे लिए, कबूल है बोला, आई डू कहा और शादी हो गई पर यदि शादी तोड़नी हो तो औरतों को आज भी अपनी जिंदगी झोंकनी पड़ती है. फिर चाहे गलती उन की हो या न हो.

एक औरत को यह पैदाइशी हक मिलना चाहिए कि अगर वह किसी पुरुष के साथ बंध कर नहीं रहना चाहती है तो जब चाहे अपने बच्चों व सामान के साथ जहां मरजी चली जाए. हर औरत ऐसा नहीं करेगी यह पक्का है पर उस से धर्म या कानून उस का हक छीनता है और यह हक सिर्फ अदालतों को या सिर्फ पतियों को देता है तो गलत है.

अगर भगवाई समाज को मुसलिम औरतों से प्यार अनायास उमड़ा है, तो उन्हें हिंदू पतियों के जुल्म सहती करोड़ों औरतों को भी हक दिलाना चाहिए कि वे ‘तलाक देती हूं, तलाक देती हूं, तलाक देती हूं’ कह कर एक अनचाहे से छुटकारा पा सकें और अपने पैरों पर खड़ी हो कर अपनी जिंदगी अकेले या अपने मनचाहे के साथ गुजार सकें.

सरकार की मुसलिम औरतों के प्रति यह हमदर्दी कोरी धार्मिक है. हर हिंदू को यह पाठ पढ़ा दिया जाता है कि मुसलिम पति मजे में रहते हैं. वे 4-4 शादियां कर सकते हैं और जब चाहें तलाक दे सकते हैं. यह उन का कानून अवश्य है, यह गलत भी है, पर इस का इस्तेमाल व्यापक हो रहा होता, तो मुसलिम मर्दों के पास 4 तो क्या 1 भी औरत नहीं होती और सारी मुसलिम औरतें तलाकशुदा होतीं. किस घर में कभी न कभी बरतन इतने जोर से नहीं खड़कते कि पति बोल दे कि वह तलाक देना चाहता है?

पर कुछ देर बाद होश आ जाता है कि पत्नी एक नायाब तोहफा है, जो अपना तनमनधन एक पराए को सौंप कर उस के सुखदुख में शामिल हो कर एक घरौंदा बनाती है, एक सुरक्षा देती है, वक्त पड़ने पर दोस्त बनती है, सलाह देती है, सुरक्षा देती है, सुकून देती है. उसे 3 बार तलाक कह कर नहीं छोड़ा जा सकता.

तलाक का कानून बराबरी का और सभी समाजों के लिए हो, यह जरूरी है. यह आसान भी हो. औरतें वर्षों अदालतों के गलियारों में सैंडल खड़खड़ाती न रहें. जब मन में पंगा तो 2 बालटी पानी में गंगा. मुक्ति का रास्ता घाट पर ही न हो, यह औरतों की मुट्ठी में भी हो.

फिल्म 2.0 में होगा अनोखा साउंड

रजनीकांत के साथ कई हिट फिल्में दे चुके शंकर अब अपनी हिट रोबोट का दूसरा भाग यानि 2.0 लेकर आने वाले हैं जिसमें, इस तरह की साउंड डिजाइनिंग की गई है जो अब तक दुनिया में कहीं नहीं हुई.

शंकर ने बताया है कि उनकी ये फिल्म इस लिहाज से काफी टफ है कि फिल्म में साउंड डिजाइनिंग को लेकर जो एक्सपेरिमेंट किया गया है वो वर्ल्ड सिनेमा में पहली बार है. हालांकि उन्होंने इस पर विस्तार से जानकारी नहीं दी है.

उन्होंने कहा है कि इसके लिए सबको फिल्म देखनी पड़ेगी. इस फिल्म में अक्षय को नेगेटिव किरदार में लेने के पीछे की वजह को भी सस्पेंस में रखना चाहते हैं. फिल्म में श्रीनिवास मोहन वीएफएक्स का काम देख रहे हैं और ऑस्कर विजेता रसूल पुकुट्टी ने फिल्म की साउंड डिजाइनिंग की है. शंकर इस फिल्म के निर्माण को एवरेस्ट पर चढाई का काम मानते हैं.

रजनीकांत और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म ‘ 2. 0 ‘ अगले साल दिवाली के मौके पर रिलीज होगी. फिल्म में पिछली बार रजनीकांत की हीरोइन ऐश्वर्या राय थी. इस बार फिल्म की हीरोइन एमी जैक्सन हैं.

ये बिग बॉस कंटेस्टेंट जा सकता है जेल

खुद को संन्यासी कहने वाले स्वामी ओमजी महाराज इन दिनों ‘बिग बॉस 10’ में बतौर कंटेस्टेंट नजर आ रहे हैं. हालांकि, दिल्ली पुलिस बाबा को बिग बॉस के घर में आराम करने देने के मूड में नहीं है.

दरअसल, सूत्रों की मानें तो दिल्ली पुलिस ओमजी महराज पर पहले से चल रहे चोरी और आर्म्स एक्ट के केस में उन्हें गिरफ्तार करने बिग बॉस के घर पहुंची. हालांकि ओम स्वामी ने घर से बाहर निकलने से इनकार किर दिया. इस पर पुलिस ने कुछ डॉक्युमेंट्स पर उनके साइन (दस्तखत) ले लिए हैं.

बेहद कम ही लोग जानते होंगे कि बाबा पर अपने ही भाई की दुकान से चोरी का आरोप है. उनके पास से महिलाओं के अश्लील फोटोज बरामद की जा चुकी हैं, जिनसे वह उन्हें ब्लैकमेल किया करता थे.

बाबा की कॉन्ट्रोवर्शियल लाइफ

बिग बॉस के घर में जाने से ठीक दो दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट में पेश न होने की वजह से ओमजी के खिलाफ गैर जमानती वारंट इश्यू हुआ था. लेकिन जब बाबा की तरफ से कोई भी पेश नहीं हुआ तो उनके खिलाफ फिर से यही वारंट जारी किया गया.

बाबा के खिलाफ यह चौथा गैर जमानती वारंट है, जो 2008 में चोरी के एक मामले में जारी किया है. 14 अक्टूबर की सुनवाई से पहले ओमजी ने कोर्ट से वकील की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उनके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह वकील नहीं रख सकते.

यह है चोरी का पूरा मामला

ओमजी के छोटे भाई प्रमोद झा ने 2008 में उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि बाबा ने दिल्ली की लोधी कॉलोनी स्थित प्रमोद की दुकान का ताला तोड़कर 11 साइकिलों समेत कई महंगे स्पेयर पार्ट्स और कागजात चुराए हैं. प्रमोद के मुताबिक, उनके बेटे ने ओमजी को दुकान का ताला तोड़ते और चोरी करते देखा था. पुलिस ने ओमजी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली थी.

अश्लील फोटोज से करते थें महिलाओं को ब्लैकमेल

बाबा के नाम कॉन्ट्रोवर्सीज का पूरा पिटारा है. दिल्ली पुलिस की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के मुताबिक, डकैती और चोरी के अलावा, बाबा पर आर्म्स एक्ट और टाडा के तहत 7 मामले दर्ज हैं. डिफेंस कॉलोनी के पुलिस ऑफिसर्स ने ओमजी के पास से कई हथियार और गोला बारूद बरामद किए थे. उनके पास से महिलाओं की कुछ अश्लील फोटोज भी मिली थीं. बताया जाता है कि इन फोटोज से वे उन महिलाओं को ब्लैकमेल किया करते थें.

दिल्ली के सीएम को गोली मारने की दी थी धमकी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान स्वामी ओमजी का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. उन्होंने यू-ट्यूब पर जारी एक इंटरव्यू कहा था कि अगर केजरीवाल नहीं समझे तो उन्हें गोली मार दी जाएगी. उन्होंने कहा था कि ‘मैं परशुराम का वंशज हूं. कोई घंटी बजाने वाला साधू नहीं हूं. देशद्रोहियों को मैं गोली मारता हूं. आने वाले समय में जो भी देश के खिलाफ काम करेगा, उसको पहले प्यार से समझाएंगे जैसे केजरीवाल को समझा रहे हैं, नहीं समझेंगे तो उसको गोली मार देंगे.’

साध्वी के साथ लाइव शो में की थी मारपीट

‘बिग बॉस’ के पहले कंटेस्टेंट के रूप में स्वामी ओमजी महाराज ने एंट्री ली. ओमजी स्वघोषित संन्यासी है और उन्होंने खुलासा किया कि वह देश में रामराज्य लाना चाहते हैं. उनके मुताबिक, वह 24 में से 22 घंटे लोगों की सेवा में लगाते हैं . बता दें कि ओमजी महाराज सितंबर 2015 में तब खूब विवादों में रहे थें, जब उन्होंने एक न्यूज चैनल की लाइव डिबेट के दौरान एक साध्वी के साथ हाथापाई की थी.

सलमान के खिलाफ आंदोलन चलाने की दी थी धमकी

सलमान खान को जब कोर्ट ने हिट और रन केस में बरी कर दिया था, तो ओमजी महाराज ने खासी नाराजगी जताई थी. उन्होंने कोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए सलमान के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया है, लेकिन वह लोगों को न्याय दिलाएगें.

नारायण साईं की ओजस्वी पार्टी संभाल रहे हैं महाराज

विवादित संत आसाराम के बेटे नारायण साईं ने ओजस्वी पार्टी नामक दल बनाया था. वे दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में चुनाव लड़ने की सोच रहे थें, लेकिन यौन उत्पीड़न के आरोप लगने बाद चुनाव लड़ना संभव नहीं हुआ. इसके बाद स्वामी ओमजी महाराज को ओजस्वी पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था.

एंट्री के साथ ही कुबूली थी एक लड़की को लात मारने की बात

ओमजी महाराज ने ‘बिग बॉस 10’ में एंट्री लेते ही क़ुबूल किया था कि वे एक लड़की को लात मार चुके हैं. हालांकि, होस्ट सलमान भी उनके इस बयान को अनसुना कर गए.

भोपाल में भी दी थी हिंसक आंदोलन की धमकी

एक इंटरव्यू में ओमजी महाराज ने कबीरपंथी बाबा रामपाल और आसाराम बाबू के पक्ष में बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि हमारे अनुयायी भोपाल में आंदोलन कर सकते हैं. यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन ओजस्वी पार्टी के बैनर तले होगा. इस राजनीतिक पार्टी का गठन जेल में बंद आसाराम बापू के बेटे नारायण साई ने किया था.

रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज करा चुके हैं झूठा केस

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओमजी महाराज पर यह आरोप भी है कि वे अपने भाई-बहन, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करा चुके हैं. बता दें कि बाबा का पूरा नाम विवेकानंद झा है. वे खुद को स्वामी सदाचारी साई बाबा ओमजी कहलवाना पसंद करते हैं.

अब बायोपिक की रेस में अनुराग भी

सत्तर के दशक में पंजाबी साहित्य में नक्सलवादी आंदोलन के सबसे बड़े कलमकार रहे अवतार सिंह संधू यानि पाश की जिन्दगी भी अब फिल्मी परदे पर होगी. अनुराग कश्यप ने इन पर बायोपिक बनाने का जिम्मा लिया है.

अनुराग कश्यप ने बताया है कि उनकी प्रोडक्शन कंपनी काफी समय से एक फिल्म बनाने की कोशिश में लगी थी और वो है पंजाब के एक कवि पाश. हम अभी उनकी जिन्दगी से जुड़े सारे डिटेल्स ढूंढ रहें है. हमारा ये रिसर्च काफी समय से चल रहा है. अभी तक उनकी बायोपिक पर कोई कंक्रीट डेट, कलाकार और बाकी चीजें फाइनल नहीं हुई है.

जैसे ही पाश की बायोपिक से जुड़ा काम पूरा हो जाएगा घोषणा कर दी जायेगी. पाश एक क्रांतिकारी कवि रहे और लोह कथा और साड्डे शामियान विच जैसी किताबें लिखी. साल 1888 में खालिस्तान समर्थकों ने उनकी हत्या कर दी थी.

लगातार फिल्में फ्लॉप होने के बाद अनुराग ने पिछले दिनों सोनाक्षी सिन्हा स्टारर फिल्म ‘अकीरा’ में अभिनय भी किया था. अब आगे किसी फिल्म में अभिनय करने की बात पर अनुराग हंसते हुए और बात टालते हुए कहतें हैं “अभी एक्टिंग नहीं बल्कि इस ये सोच रहा हूं कि फिल्में कैसे बनाऊं.”

शाहिद-मीरा छोटे पर्दे पर करेंगे डेब्यू

शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत बेटी मीशा को जन्म देने के बाद से अभी तक किसी बड़े इवेंट में नजर नहीं आई हैं. मीरा और शाहिद बॉलीवुड के स्वीट कपल्स में से एक हैं. लेकिन अभी तक इन दोनों को साथ में इंटरव्यू देते हुए नहीं देखा गया है. अब शाहिद और मीरा पहली बार किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साथ नजर आने वाले हैं.

मीरा जल्द ही शाहिद के साथ छोटे पर्दे पर डेब्यू कर सकती हैं. बताया जा रहा है कि करण जौहर के शो ‘कॉफी विद करण’ में अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना के बाद शाहिद कपूर और मीरा राजपूत बतौर गेस्ट नजर आएंगे. ‘कॉफी विद करण’ का यह एपिसोड दिसंबर महीने के मध्य में तब प्रसारित होगा, जब शाहिद फिल्म ‘पद्मावती’ के पहले शेड्यूल की शूटिंग पूरी कर लेंगे.

करण जौहर, अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना के बाद अपने शो में किसी असामान्य जोड़े को लेकर आना चाहते थे. इधर शाहिद और मीरा ने करण से शो में आने की इच्छा जाहिर की. करण यह जानकर बेहद उत्साहित हुए, अब वह शाहिद की डेट देखकर एपिसोड की शूटिंग के लिए समय तय करेंगे.

बता दें कि शाहिद अभी तक करीना कपूर, सोनाक्षी सिन्हा और प्रियंका चोपड़ा के साथ ‘कॉफी विद करण’ में आ चुके हैं. हैरानी की बात यह है कि इन तीनों के साथ ही शाहिद के अफेयर के चर्चे सुनने को मिल चुके हैं. यह पहली बार होगा जब शाहिद अपनी पत्नी मीरा के साथ किसी चैट शो में नजर आएंगे.

मिनटों में आ जाएगा चेहरे पर निखार

कई बार ऐसा होता है कि हमारे पास तैयार होने का समय नहीं होता. ऐसे में हम कोई ऐसा नुस्खा चाहते हैं, जिससे मिनटों में चेहरे पर निखार आ जाए. पर क्या यह संभव है कि 20 मिनट में चेहरे पर ग्लो आ जाए? इन टिप्स को ध्यान में रखकर आप 20 मिनट में अपना खोया निखार वापस पा सकते हैं.

– अगर आपके पास घर में ब्लीच क्रीम नहीं है तो आप आलू का इस्तेमाल कर सकते हैं. आलू एक नेचुरल ब्लीच है. आलू स्किन टोन को हल्का करने का काम करता है. इसके अलावा आलू ऐक्ने को भी साफ करने में मददगार है. आलू को पीसकर उसका एक पेस्ट तैयार कर लें और चेहरे पर लगाएं. करीब 20 मिनट बाद चेहरा साफ कर लें.

– आलू के अलावा टमाटर भी एक अच्छा ब्लीच है. टमाटर में भरपूर मात्रा में ऐंटि-ऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं. टमाटर के गूदे से को अच्छी तरह पीसकर एक पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें. इससे चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बे भी साफ हो जाएंगे.

– आप पपीते का इस्तेमाल भी चेहरे पर चमक लाने के लिए कर सकते हैं. एक पपीते को अच्छी तरह पीस लें. इसमें गुलाब जल की कुछ बूंदें मिला लें. इस पैक को फेस मास्क की तरह चेहरे पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें.

हर मौसम में हिट है ये फैशन

सर्दियों में सबसे ज्यादा टेंशन फैशन ट्रेंड को लेकर होती है. मोटे-मोटे ऊनी कपड़ों के बीच ट्रेंडी नजर आना किसी चुनौती से कम नहीं है लेकिन कुछ चीजें सदाबहार होती हैं. इन टिप्स को अपनाकर आप भी ट्रेंडी और क्लासिक नजर आएंगी… तो खुद को तैयार कर लीजिए.

नाजुक पेस्टल रंगों का चयन

टोट या चेन स्ट्रैप, बैग चाहे जो भी हो, पर सुनिश्चित करें कि इस मौसम में सब नाजुक पेस्टल रंगों का ही हो.

समय की बचत

रोज और रोज गोल्ड घड़ियां देंगी रॉयल लुक.

आंखों की हिफाजत

कैट आइ सनग्लासेज को अलविदा कहें और बग आइ सनग्लासेज चुनें.

ज्वेलरी का कमाल

क्रिस्टल और राइनस्टोन (स्टफिक) ज्वेलरी की लेयर्स चमकीली होंगी और बहुत ज्यादा ध्यान अट्रैक्ट करेंगी.

जूतों का जादू

आरामदेह फैशन का स्थान सबकी सूची में अव्वल होता है. अपनी टीम वाली सैंडल्स की जगह डेपर लेदर मोकैसिन्स यानी सॉफ्ट चपड़े से बनें सपाट जूतें पहनें.

लिप्स का कमाल

होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक से ज्यादा आकर्षक भला और क्या लगेगा. इसलिए इस कलर को बेहिचकर लगाएं.

नोट बदलते वक्त न करें ये गलतियां

सरकार की ओर से 1000 और 500 रुपए के नोट बैन किए जाने के बाद बैंकों के बाहर लंबी लाइन लगी है. हर व्‍यक्ति अपना पैसा जमा कराने की जल्‍दी में है. एटीएम और बैंकों के सामने सुबह से शाम तक लंबी लाइन देखी जा रही है, लेकिन आपको बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है. आपका पैसा सेफ रहेगा. आपको अपने पैसे को 30 दिसंबर से पहले बैंक में जमा कराना होगा. इसके अलावा आप रेलवे, हॉस्पिटल और मेट्रो जैसे जरूरी सेवाओं में 24 नवंबर तक अपना पैसा जमा कर सकते हैं.

कुल मिलाकर जल्‍दबाजी न करें, क्‍योंकि अक्‍सर हम जल्‍दबाजी में ही गलतियां करते हैं.  हम यहां आपको जल्‍दबाजी में की जाने वाली ऐसी 5 ग‍लतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनके चलते टैक्‍स अधिकारी के नजर में आ सकते हैं.

1. बिना कैश बुक जांचे 2.5 लाख रुपए जमा करना

क्‍या होगा इससे?

2.5 लाख के डिपॉजिट पर सरकार कोई जांच नहीं करेगी, लेकिन आपने पहले भी अपने बैंक से ट्रांजनेकशन किए हैं. अगर 2.5 लाख डालने के बाद डिपॉजिट या ट्रांजेक्‍शन लिमिट के पार पहुंच रहा है तो आप टैक्‍स डिपार्टमेंट के राडार पर आ जाएंगे. दरअसल सेविंग अकाउंट पर 10 लाख से ज्‍यादा ट्रान्‍जेक्‍शन पर बैंक आपके खाते की जानकारी टैक्‍स डिपार्टमेंट को देता है.

ये है सॉल्‍यूशन?

आप सबसे पहले अपने कैश बुक को करेक्‍ट करें, जिससे ट्रांजेक्‍शन और कैश बुक का मिलान हो सके. इसके बाद अगर आप ज्‍यादा कैश भी जमा करते हैं तो आपको कोई दिक्‍कत नहीं होगी, क्‍योंकि आप टैक्‍स अधिकारियों के सामने अपनी बात रखने में सक्षम होंगे.

2. ज्‍यादा मात्रा में एक साथ कैश डिपॉजिट करना

क्‍या होगा इससे?

अगर आपने पहले इतना डिपॉजिट नहीं किया है तो आप टैक्‍स डिपार्टमेंट के राडार पर आ जाएंगे.

क्‍या है सॉल्‍यूशन?

पैसा थोड़े-थोड़े इन्‍स्‍टॉलमेंट में जमा करें और इस दौरान अपनी अर्निंग के एविडेंस भी जमा करें. अगर इन्‍फॉर्मल एविडेंस भी हैं तो भी जमा करके रखें, इससे टैक्‍स विभाग के सामने आपको अपनी बात रखने में आसानी होगी. प्रोफेशनल्‍स से सलाह लें.

3. बड़े पैमाने पर सोना खरीद लेना

क्‍या होगा इससे?

एक्‍साइज डिपार्टमेंट के डेटा के जरिए सरकार आप तक पहुंच जाएगी. सोने की हर बड़ी खरीद का ब्‍यौरा दुकानदारों को एक्‍साइज डिपार्टमेंट को हर साल सौंपना होता है.

क्‍या है सॉल्यूशन?

सोने में लिमिटेड निवेश करें या फिर खरीदने से बचें, प्रोफेशनल्‍स की सलाह लें.   

4. अपनी निजी जानकारी किसी अनजबी से साझा करना

क्‍या होगा इससे?

आपकी जानकारी लीक हो सकती है या आपके खिलाफ सामने वाला व्‍यक्ति शिकायत कर सकता है.

क्‍या है सॉल्‍यूशन?

इस बारे में पेशेवर लोगों से सलाह लें और उसी हिसाब से अपनी आय दिखाएं.

5. अपनी आय टैक्‍स डिपार्टमेंट के समाने घोषित नहीं करना

क्‍या होगा इससे?

लगातार कड़े होते टैक्‍स नियमों और तकनीक के चलते आप आज नहीं तो कल पकड़ में आ जाएंगे.

क्‍या है सॉल्‍यूशन?

अपनी आय इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट को बताएं, टैक्‍स और पेनाल्‍टी अदा करें और चैन की नींद सोएं.

प्रमोशन करने में मजा आता है: विद्या बालन

फिल्म ‘परिणीता’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’,  ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘कहानी’ आदि कई फिल्मों से अपने अभिनय कालोहा मनवा चुकीं अभिनेत्री विद्या बालन स्वभाव से हंसमुख, विनम्र और स्पष्ट भाषी हैं. ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ उनके करियर की टर्निंग पॉइंट थी. जिसके बाद से उन्हें पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. उन्होंने अपने उत्कृष्ट परफोर्मेंस के लिए कई अवार्ड जीते. साल 2014 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यही वजह है कि आज कोई भी निर्माता, निर्देशक उन्हें लेकर एक सफल फिल्म बनाने की कोशिश करता है. वह अपनीकामयाबी से खुश हैं और मानती हैं कि एक अच्छी स्टोरी ही एक सफल फिल्म दे सकती है. ‘कहानी’ फिल्म उनकी सफल फिल्म रही, इसके बाद ‘कहानी 2’ में भी वह फिर एकबार जबरदस्त भूमिका में आ रही हैं. फिल्म की प्रमोशन को लेकर वह बहुत खुश हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है कुछ अंश.

प्र. इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है, कौन सी बात आपको इसमें अच्छी लगी?

ये एक अलग तरह की इमोशनल थ्रिलर फिल्म है. अलग दुनिया, अलग भूमिका, सब अलग है. फिल्म में दुर्गा रानी सिंह के साथ जो होता है वह एकदम अलग है. साढ़े चार साल बाद यह नयी कहानी आई है. इसकी कहानी रोमांचक और मनोरंजक है. इसमें मुझे एक अलग भूमिका करने को मिला जो अच्छी और चुनौतीपूर्ण है.

प्र. सीक्वल करना कितना मुश्किल होता है? कितना प्रेशर होता है?

हां, मुझे पता है कि लोग पुरानी कहानी से इसकी तुलना करेंगे. मैंने निर्देशक से इस बारें में बात भी की. उन्होंने कहा कि ये फ्रैंचाइजी है. इसमें हर कहानी अलग-अलग होगी. पहली बार फिल्म सुनते ही मैंने निर्देशक से पूछा कि क्या इस फिल्म में पुरानी फिल्म का कुछ भाग होगा? उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा कि ये एकदम अलग फिल्म है, इसकी तुलना उससे नहीं होगी.

प्र. इस फिल्म के लिए आपने कितना होम वर्क किया?

सुजोय और मैं हमेशा फिल्म को और उसके भूमिका को लेकर बात करते रहते हैं, उसमें ही आधी तैयारी हो जाती है, क्योंकि किरदार को समझने में समय लगता है. लेकिन लगातार बात करते रहने से वह आसान होता है. इसमें एक जगह जहां मेरा एक्सीडेंट होता है प्रोस्थेटिक का प्रयोग किया गया है. उसके लिए कई ट्रायल्स हुए. मेकअप पर बहुत ध्यान दिया गया, क्योंकि निर्देशक ‘नो मेकअप लुक’ चाहते थे. जो फिल्म के एक भाग पर अधिक था. दूसरे भाग में प्रोस्थेटिक का प्रयोग हुआ है. वे ड्राई स्किन चाहते थे, क्योंकि दृश्य पहाड़ों पर रहने वाले के थे. जो कलिम्पोंग में शूट हुआ. मेरे मेकअप आर्टिस्ट श्रेयस म्हात्रे ने काफी मेहनत की है. फिर भी सही नहीं हुआ. अंत में निर्देशक ने मोयास्चरायजर लगाने को मना किया. मैंने वही किया और लुक सही आया.

प्र. ये फिल्म एक मां और बेटी की कहानी है, आप इसे कैसे ‘एक्सप्लेन’ करना चाहेंगी?

मेरे हिसाब से एक मां अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकती है. किसी का क़त्ल भी कर सकती है. कुछ ऐसी ही भाव इस फिल्म में है और शायद अधिकतर मां ऐसी ही होती है. दुर्गारानी सिंह भी ऐसी ही महिला है. एक रियल भूमिका निभाने में बहुत अच्छा लगा.

प्र. फिल्म का कौन सा भाग अभिनय करने में मुश्किल लगा?

किसी का कान चबाना था. मुझे बहुत बुरा लगा. मुझे डर भी लगा था कि ये सीन एक बार में हो जाये. बार-बार ‘रिटेक’ ना करना पड़े.

प्र. आपके हिसाब से फिल्म का प्रमोशन करना कितना जरुरी है?

फिल्म का प्रमोशन करना बहुत जरुरी है. ये आज के कलाकारों के लिए अच्छा मौका है कि वे अपने काम को लोगों तक मीडिया के माध्यम से पंहुचा पाते है. इसे मैं हमेशा नयी-नयी तरीके से करना चाहती हूं. ताकि दर्शकों की रूचि फिल्म के प्रति बढ़े. मुझे अलग-अलग तरीके से प्रमोशन करने में मज़ा आता है.

प्र. अब तक की जर्नी को कैसे देखती है? अपने आप में कितना बदलाव महसूस करती है?

जर्नी तो उतार-चढ़ाव के बीच रही कुछ फिल्में चली कुछ नहीं, पर मैंने कभी हार नहीं मानी, क्योंकि हर दिन एक नया दिन होता है और हर दिन आप कुछ नया कर सकते हैं. मेरे जीवन में बदलाव तो बहुत आया, पहले मैं अकेली थी अब शादी हो चुकी है. सब कुछ बदल चुका है समय के साथ-साथ मैं भी ग्रो हुई हूं.

प्र. आप हमेशा कुछ न कुछ सामाजिक कार्य करती हैं, इसकी रूचि कहां से पैदा हुई?

बचपन से ही हमें सिखाया जाता रहा है कि हमें वो सबकुछ मिला, जिसकी जरुरत है. लेकिन इसका कुछ भाग हमें उनको देना चाहिए जिनके पास यह सब नहीं है. मेरी बहन भी अपने बच्चों को शेयर सिखाती है. ये बचपन से ही बच्चों को सिखाना पड़ता है. इससे बच्चों में संवेदनशीलता बढ़ती है. साथ ही इससे आप को ख़ुशी मिलती है और एक इंसान अपने पास कितना रख सकता है. ये सारी चीजे मुझे किसी और के बारें में सोचने पर मजबूर करती है और मैं सामाजिक कार्य की ओर चल पड़ती हूं.

प्र. आगे क्या कर रही हैं?

मैं एक मलयालम बायोपिक लेखक कमलादास पर कर रही हूं. उसी की तैयारी चल राही है. वह एक कंट्रोवर्सियल महिला थी. जिस तरह से वह अपनी जिंदगी जीती थी वह लोगों को अभी भी रुचिकर लगता है. उनपर फिल्म बन रही है और मैं उनको समझना चाहती हूं. इसके अलावा किसी भी भाषा में अच्छी स्क्रिप्ट पर मैं काम करना चाहूंगी. अभी मराठी और बांग्ला दोनों से ऑफर आते हैं, पर कोई बात अभी तक बनी नहीं है.

Film Review: तुम बिन 2

जीवन, मौत व प्यार को लेकर दार्शनिक बातें सुनने के शौकीन लोगों को यह फिल्म भाएगी. आंखों को सुख प्रदान करने वाली खूबसूरत लोकेशन की तलाश करने वालों को भी यह फिल्म पसंद आएगी. पर जिन्हे महज प्रेम कहानी व रोमांस में रूचि है, उन्हे यह फिल्म सिर्फ बोर करती है.

फिल्मकार अनुभव सिन्हा की  2001 की फिल्म “तुम बिन” की सिक्वअल फिल्म ‘‘तुम बिन 2’’ की कहानी के केंद्र में स्काटलैंड में रह रहे अमर (आशिम गुलाटी), तरन कौर (नेहा शर्मा) व शेखर (आदित्य शील) हैं. तरन अपने होने वाले पति अमर के साथ बर्फीली पहाड़ी पर स्कैटिंग का मजा लेने जाती है. अमर रात में कुछ उंची पहाड़ियों पर स्कैटिंग के लिए जाता है और तरन से सुबह नौ बजे होटल में मिलने का वादा करता है, मगर वह तय समय पर नहीं पहुंचता है. क्योंकि अमर स्कैटिंग करते समय किसी से टकराकर उंची पहाड़ी से नीचे नदी में गिर चुका है. 10 दिन की मेहनत के बाद भी उसकी तलाश नही हो पाती है. अंततः अमर के पिता (कंवलजीत सिंह) भी मान लेते हैं कि अमर की मौत हो गयी. क्योंकि शेखर नामक युवक आकर खुद बताता है कि उसकी गलती नहीं है, पर अमर व शेखर क्रास करते समय टकरा गए थे.

शेखर कहता है कि चाहे व उसे पुलिस को सौंप दे या अपने बेटे जैसा मान लें. उस दिन से शेखर तो अमर के पिता के लिए बेटे जैसा हो जाता है. अमर के पिता ही शेखर को तरन व उसकी बहनों से भी मिलवाते हैं. शेखर, तरन कौर की हर तरह से मदद कर उससे जीवन व प्यार को लेकर दार्शनिक बातें करते हुए खुश रखने का प्रयास करता है. वह तरन को समझाता है कि एक इंसान के चले जाने से जिंदगी रुक नहीं जाती. वह बताता है कि उसकी प्रेमिका ने किसी अन्य से शादी कर ली, उसे दुःख नही हुआ.

शेखर कहता है, ‘‘हम अपनी जिंदगी से जो चाहते हैं और जो चुनते हैं, उसके बीच हमारी अपनी कुछ कमजोरी व कुछ ताकत होती है.” पर तरन को बार बार अमर की याद सताती रहती है. शेखर, तरन को डर का मुकाबला करना सिखाता है. धीरे धीरे दोनों में प्यार हो जाता है.

तभी पता चलता है कि अमर जिंदा है, वह 8 माह से लंदन के एक अस्पताल में कोमा में था. अब उसे होश आ गया है. डाक्टर का फोन पाकर अमर के पिता, तरन का परिवार व शेखर लंदन से अमर को लेकर आते हैं. तरन खुश है, पर  असमंजस में हो जाती है कि वह क्या करे? एक उसका अतीत का प्यार है, तो दूसरा उसका वर्तमान का प्यार है. एक दिन तरन, अमर को लेकर गुरूद्वारा जाती है और वह अमर को सच बताती है कि जब वह कोमा में चला गया था, तो यहां पर सभी को लगा था कि उसकी मौत हो गयी. वह 8 माह तक उसकी याद में रोती रही. पर दोस्त बनकर आए शेखर ने उसे खुश रहना सिखाया और अब सच यह है कि वह शेखर से प्यार करती है.

तरन की बात सुनकर अमर एक निर्णय लेता है, तभी गुरूद्वारे में शेखर भी पहुंच जाता है. अमर, तरन का हाथ शेखर के हाथ मे देते हुए कहता है कि वही तरन का वर्तमान है. वह तो उनका दोस्त ही रहेगा. पर तरन का अमर से फोन पर बात करना या अमर को लंदन डाक्टर के पास दिखाने ले जाना शेखर के मन में ईर्ष्या का भाव जगा देता है. वह एक हारे हुए प्रेमी व जलन की भावना से कुछ काम करता है. अंततः शेखर, तरन से दूर जाने का फैसला कर लेता है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो आदित्य शील, नेहा शर्मा और आशिम गुलाटी यह तीनों कलाकार निराश करते हैं.

‘‘तुम बिन’’ का सिक्वअल बनाते समय पटकथा लेखक के तौर पर अनुभव सिन्हा कुछ कन्फ्यूज हो गए हैं. पहली फिल्म में अमर मर गया था, पर दूसरी फिल्म में वह अमर को दोबारा जिंदा वापस ले आए हैं. वह एक तरफ शेखर को अमर की मौत के लिए प्रायश्चित करने वाला श्ख्स बता रहे हैं, जो कि तरन को खुशी देने का काम कर रहा है. तो दूसरी उसी शेखर के अंदर प्यार को लेकर ईर्ष्या से ग्रसित व एक शक्की दिमाग वाला इंसान भी बता देते हैं.

एक तरफ वह वर्तमान पीढ़ी के बीच पनप रहे ‘कॉफी डे वाले प्यार’ की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ शाश्वत व पहले प्यार की जीत की बात करते हैं. इसी चक्कर में फिल्म की गति न सिर्फ धीमी होती है, बल्कि फिल्म लंबी हो गयी. परिणामतः दर्शक सोचने लगता है कि फिल्म कब खत्म होगी. इंटरवल से पहले पाकिस्तानी लड़के को लेकर गढ़े गए दृश्य बेमानी हैं और मूल कहानी पर जबरन थोपे गए हैं.इससे भी लेखक व निर्देशक का कन्फ्यूजन ही साबित होता है.

15 वर्षों में समाज, देश व लोग काफी कुछ बदल चुका है. प्यार को लेकर सोच भी बदली है. जिसके चलते भी दर्शक इस कहानी से इत्तफाक नही रखेगा. इंटरवल के बाद कहानी कुछ ज्यादा ही बोर करती है. शेखर के किरदार में कई तरह के बदलाव गले नहीं उतरते. कुछ अच्छे गानों के बावजूद फिल्म में गाने इतने हैं कि वर्तमान समय की भोजपुरी फिल्में याद आ जाती हैं.

फिल्म का क्लायमैक्स कई फिल्मों व सीरियलों की नकल मात्र है. पर अनुभव सिन्हा के निर्देशन की तारीफ की जा सकती है, कुछ दृश्य अच्छे बने हैं. पूरी फिल्म को बहुत खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माया गया है. यह लोकेशन जरुर लोगों की आंखों को सुकून प्रदान करती हैं. फिल्म के कैमरामैन ईवान मुलीगान तारीफ के हकदार हैं. टीसीरीज और बनारस मीडिया वर्कस द्वारा निर्मित ढाई घंटे की अवधि वाली फिल्म ‘‘तुम बिन 2’’ के लेखक अनुभव सिन्हा, संगीतकार अंकित तिवारी व निखिल विनय तथा कलाकार हैं- आषिम गुलाटी, नेहा शर्मा, आदित्य सील, मौनी रॉय, कंवलजीत सिंह व अन्य.

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