मैरिज रजिस्ट्रेशन है जरूरी

कानूनन जरूरी होने के बावजूद लोग शादी का रजिस्ट्रेशन तभी कराते हैं जब उन्हें वीजा आदि के लिए आवेदन करना होता है. शादी या उस के बाद और बातों का तो बड़ा ध्यान रखा जाता है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन कराने को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. अनपढ़ लोगों का ही नहीं शिक्षित लोगों का भी यही हाल है.

चलिए, बात करते हैं कि शादी का रजिस्ट्रेशन कितना जरूरी है तथा यह करवाना कितना आसान है और आगे चल कर इस के क्या फायदे हैं:

मैरिज सर्टिफिकेट इस बात का आधिकारिक प्रमाण होता है कि 2 लोग शादी के बंधन में बंधे हैं. आजकल जन्म प्रमाणपत्र को उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जितनी विवाह प्रमाणपत्र को दी जाती है. लिहाजा, इसे बनवाना अहम है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. अत: यहां 2 ऐक्ट्स के तहत शादियों का रजिस्ट्रेशन होता है- हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 और स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954.

आप की शादी हुई है और अमुक तारीख को हुई है, इस बात का अनिवार्य कानूनी सुबूत है मैरिज सर्टिफिकेट. आप बैंक खाता खोलने, पासपोर्ट बनवाने या किसी और दस्तावेज के लिए आवेदन करते हैं, तो वहां मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है. जब कोई दंपती ट्रैवल वीजा या किसी देश में स्थाई निवास के लिए आवेदन करता है, तो मैरिज सर्टिफिकेट काफी मददगार साबित होता है.

भारत या विदेश में स्थित दूतावास पारंपरिक विवाह समारोहों के सुबूत को मान्यता नहीं देते. उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट देना होता है. जीवन बीमा के फायदे लेने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट जमा कराना (जिन मामलों में पति या पत्नी में से किसी की मौत हो गई हो) होता है. नौमिनी अपने आवेदन की पुष्टि में कानूनी दस्तावेज पेश नहीं करे तो कोई बीमा कंपनी अर्जी को गंभीरता से नहीं लेती. 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य घोषित कर दिया था.

कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन

हिंदू ऐक्ट या स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन कराना कतई मुश्किल नहीं है. पति या पत्नी जहां रहते हैं, उस क्षेत्र के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के दफ्तर में अर्जी दे सकते हैं. अर्जी पर पतिपत्नी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए. अर्जी देते वक्त उस के साथ लगाए गए दस्तावेज की जांचपरख होती है. उस के बाद औफिस की ओर से एक दिन तय किया जाता है. इस की सूचना दंपती को दे दी जाती है. उस वक्त पहुंच कर पतिपत्नी शादी को रजिस्टर्ड करा सकते हैं. उस वक्त एसडीएम के सामने पतिपत्नी के साथ एक गैजेटेड औफिसर को भी मौजूद रहना पड़ता है, जो शादी में मौजूद रहा हो. प्रमाणपत्र उसी दिन जारी कर दिया जाता है.

आवेदन के लिए क्याक्या है जरूरी

पूरी तरह भरा आवेदनपत्र, जिस पर पतिपत्नी और उन के मातापिता के हस्ताक्षर हों. रिहाइश का प्रमाणपत्र जैसे वोटर आईडी/राशन कार्ड/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसैंस, पति और पत्नी दोनों का जन्म प्रमाणपत्र, 2-2 पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ्स, शादी का एक फोटोग्राफ.

सारे दस्तावेज सैल्फ अटैस्टेड होने चाहिए. आवेदन के साथ शादी का एक निमंत्रणपत्र भी लगाना होता है.

अर्हताएं: दूल्हा या दुलहन उस तहसील का निवासी हो जहां शादी रजिस्टर्ड कराई जानी है. शादी के वक्त दुलहन की उम्र 18 और दूल्हे की 21 साल से कम न हो.

जुर्माना: अगर कोई शख्स विवाह प्रमाणपत्र नहीं दे पाता है, तो उसे 10 हजार जुर्माना भरना पड़ सकता है.

विवाह प्रमाणपत्र के लिए अर्जी देने में कोई ज्यादा खर्च नहीं आता है और न ही यह लंबी प्रक्रिया है. हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत प्रमाणपत्र लेने के लिए आवेदन फीस 100 और स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत लेने के लिए 150 है. फीस डीएम औफिस के कैशियर के पास जमा कराई जाती है और उस की रसीद अर्जी के साथ लगानी होती है. सरकार ने औनलाइन रजिस्ट्रेशन की पहल भी की है.

विवाह प्रमाणपत्र के फायदे

– भारत में स्थित विदेशी दूतावासों या विदेश में किसी को पतिपत्नी साबित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है.

– विवाह प्रमाणपत्र होने से महिलाओं में विश्वास और सामाजिक सुरक्षा का एहसास जगता है. पतिपत्नी के बीच किसी तरह का विवाद (दहेज, तलाक, गुजाराभत्ता लेने आदि) होने की स्थिति में विवाह प्रमाणपत्र काफी मददगार साबित होता है.

– इस से प्रशासन को बाल विवाह पर लगाम लगाने में मदद मिलती है. अगर आप की उम्र शादी लायक नहीं है तो विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.   

शादीशुदा हों या तलाकशुदा, दोनों ही सूरत में विवाह प्रमाणपत्र काम आता है. इस के अलावा इस प्रमाणपत्र की सब से ज्यादा उपयोगिता तलाकशुदा महिलाओं के लिए है क्योंकि तलाक के बाद महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है.     

स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954

स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत भी आसानी से शादी रजिस्टर्ड कराई जा सकती है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:

– पतिपत्नी जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां के मैरिज अफसर को शादी की सूचना देनी होती है.

– नोटिस की तारीख से कम से कम 1 महीना पहले से उस क्षेत्र में रिहाइश होनी जरूरी है.

– नोटिस मैरिज अफसर के औफिस में किसी ऐसी जगह पर चस्पां करना चाहिए जहां सब की नजर पड़े.

– अगर पतिपत्नी दोनों अलगअलग इलाके में रहते हैं तो नोटिस की एक कौपी दूसरे क्षेत्र के मैरिज अफसर को भेजनी होगी. नोटिस पब्लिश होने के 1 महीने बाद शादी को कानूनी वैधता दे दी जाती है.

– अगर कहीं से कोई आपत्ति आती है तो मैरिज अफसर दंपती से संपर्क कर पूछता है कि शादी को वैधता प्रदान की जाए या नहीं.

शादी रजिस्टर्ड कराने के स्टैप्स

हिंदु मैरिज ऐक्ट के तहत कोई भी अपनी शादी को रजिस्टर्ड करा सकता है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:

– दंपती को रजिस्ट्रार के यहां आवेदन करना होता है. यह रजिस्ट्रार या तो उस क्षेत्र का होगा जहां शादी हुई हो या फिर वहां का जहां पतिपत्नी में से कोई कम से कम

6 महीने से रह रहा हो.

– दंपती को शादी के 1 महीने के भीतर गवाह के साथ रजिस्ट्रार के सामने हाजिर होना होगा. बतौर गवाह मातापिता, अभिभावक, दोस्त कोई भी हो सकता है.

– रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर 5 साल तक रजिस्ट्रार को माफी देने का अधिकार है. इस से ज्यादा वक्त होने पर संबंधित डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार के पास इस का अधिकार है. 

-विपुल माहेश्वरी, सीनियर ऐडवोकेट

फीडबैक दें और कमायें पैसे

जॉब के साथ ही बिना इन्‍वेस्‍टमेंट के आप हर महीने 30 हजार रुपए से ज्‍यादा कमा सकती हैं. इसके लिए आपको सिर्फ कुछ फेमस कंपनियों की वेबसाइट्स और सर्विसेज को लेकर फीडबैक देना होगा.

महज 20 से 30 मिनट के एक फीडबैक सेशन के लिए आप 500 से 1000 रुपए तक कमा सकती हैं और वो भी घर बैठे ही. कंप्‍यूटर, इंटरनेट कनेक्‍शन के साथ ही अगर रोजाना आपके पास आधे घंटे का वक्‍त है, तो आप इसके जरिए हर महीने 30 हजार से भी ज्‍यादा की कमाई कर सकती हैं.

कुछ वेबसाइट्स हैं, जो वेबसाइट टेस्टिंग का काम करती हैं. इन वेबसाइट्स पर आपको रजिस्‍टर करना होगा और इसके बाद आपको मेल में रोजाना असाइनमेंट्स भेजे जाएंगे. जिन्‍हें आपको संबंधित कंपनी की वेबसाइट देखने के बाद पूरा करना होगा.

इन वेबसाइट्स से ऐसे होगी पेमेंट

वेबसाइट टेस्टिंग का काम करने वाली ये ज्‍यादातर यूएस वेबसाइट्स हैं, लेकिन ये इंटरनेशनल यूजर्स के लिए भी ओपन हैं. अगर आपके पास पेपल अकाउंट हैं, तो आप इस काम के लिए एलिजिबल हैं. कुछ वेबसाइट्स वीक वाइज पेमेंट करती हैं. हर सोमवार को आपके पेपल अकाउंट में पैसे भेज दिए जाते हैं.

कुछ वेबसाइट्स एक डॉलर से कम पेमेंट भी करती हैं. ऐसे में ये ध्‍यान रखें कि आप इनसे जुड़ने से पहले उनके रूल्‍स एंड रेग्‍युलेशंस ध्‍यान से पढ़ लें. असाइनमेंट से जुड़े रेग्‍युलेशंस पर भी ध्‍यान दें और इन सबको समझने के बाद ही काम शुरू करें.

वेबसाइट टेस्टिंग में क्‍या करना होगा आपको

आजकल माइक्रोसॉफ्ट, एप्‍पल समेत कई बड़ी कंपनियां हैं, जो वेबसाइट के साथ ही अपने प्रोडक्‍टस और सर्विसेज टेस्‍ट करवाती हैं. ये कंपनीज वेबसाइट टेस्टिंग के अलावा लोगो में बदलाव और अपने किसी नए प्रोडक्‍ट को मार्केट में लाने से पहले फीडबैक लेती हैं.

ऐसे में ये कंपनियां इन ऑनलाइन प्‍लैटफॉर्म्‍स से कॉन्‍टैक्‍ट करती हैं. इसके बाद ये असाइनमेंट रजिस्‍टर्ड यूजर्स को भेजा जाता है और यूजर्स को वेबसाइट, प्रोडक्‍ट अथवा लोगो को लेकर अपनी राय देनी होती है.

आपका फीडबैक लेने के लिए ये कंपनियां आपको कुछ क्‍वेशंस भेजती हैं. आपको इनका जवाब देना होता है और जैसे ही आप सब्मिट करेंगे, वैसे ही आप 10 से 15 डॉलर (600 से 1000) तक कमाई कर सकेंगे.

यह वेबसाइट पे करती है 4000 रुपए प्रति असाइनमेंट

वेबसाइट – टेस्टिंग टाइम

टेस्टिंग टाइम से जुड़ने के बाद आप सबसे अच्‍छी कमाई कर सकती हैं. यह वेबसाइट प्रति असाइनमेंट 50 पाउंड (4000) पे करती है. इनकी हर स्‍टडी 30 से 40 मिनट की होती है.

इस वेबसाइट पर आप स्‍काइप से सीधे तौर पर क्‍लाइंट से बात करते हैं. आपको उनके सवालों के जवाब देने होते हैं.

कंपनी के प्रोडक्‍टस, वेबसाइट्स और अन्‍य सर्विसेज को लेकर आपको फीडबैक देना होगा. ऐसे में हर प्रोडक्‍ट और सर्विस सबसे पहले आपको मुहैया की जाती है और आपको उस पर फीडबैक देना होता है.

ये वेबसाइट देती है ट्रैवलिंग के दौरान कमाई का मौका

वेबसाइट – एनरोल

अगर आप दिन में ज्यादा समय ट्रेवलिंग करती हैं, तो एनरोल से जुड़कर आप उस समय का फायदा उठा सकती हैं. एनरोल आपको स्‍मार्टफोन, टैबलेट और अन्‍य किसी भी इंटरनेट डिवाइस से कमाई करने का मौका देती है. ये कंपनी दूसरी कंपनीज के लोगो, प्रोडक्‍ट्स और नई सर्विस को लेकर आपसे प्रश्‍न पूछती है, जिसका आपको जवाब देना होगा.

जवाब सब्मिट करने के बाद एनरोल की तरफ से आपको बैज मिलते हैं, इन्‍हें आप पेपल अकाउंट में क्रेडिट करवा सकती हैं.

वेबसाइट – स्‍टार्टअप लिफ्ट

स्‍टार्टअप लिफ्ट में भी आपको रजिस्‍टर करना होगा. रजिस्‍ट्रेशन के बाद आपके डैशबोर्ड पर नए टास्‍क और असाइनमेंट्स पोस्‍ट किए जाते रहेंगे. इसके बाद ये आपकी मर्जी है कि आप कितने टास्‍क्‍ करना चाहते हैं और कब करना चाहते हैं.

यह वेबसाइट हर टास्‍क के लिए मिनिमम 5 डॉलर (350) रुपए पे करती है. ये पेमेंट आपको पेपल अकाउंट से पे की जाती है. हालांकि पेमेंट आपको तब ही की जाती है कि जब आपके फीडबैक को संबंधित कंपनी एक्‍सेप्‍ट कर ले. ज्‍यादातर समय में कंपनीज फीडबैक को एक्‍सेप्‍ट कर लेती हैं, लेकिन जब उन्‍हें लगता है कि जवाब लापरवाही से दिए गए हैं, तो तब ही वह किसी रिस्‍पॉन्‍स को रिजेक्‍ट करते हैं.

गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने के अनूठे फायदे

गर्म दूध और शहद मिलाकर पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इसमें हीलिंग का गुण होता है. ये तो हम सभी जानते हैं कि दूध और शहद दोनों ही स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं लेकिन इन दोनों का एकसाथ सेवन करना स्वास्थ्य के लिए किसी औषधि की तरह काम करता है.

एक ओर जहां शहद में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाया जाता है. वहीं दूध एक संपूर्ण आहार है. जिसमें विटामिन ए, विटामिन बी और डी की पर्याप्त मात्रा होती है. इसके अलावा ये कैल्शियम, प्रोटीन और लैक्ट‍िक एसिड से भी भरपूर होता है.

गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने के फायदे:

1. गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने से तनाव दूर होता है. ये तंत्रिका कोशिकाओं और तंत्रिका तंत्र को आराम पहुंचाने का काम करता है.

2. बेहतर नींद पाने के लिए भी गर्म दूध में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद होता है. सोने से एक घंटे पहले गर्म दूध में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद होता है.

3. पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखने के लिए भी गर्म दूध में शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है. इससे कब्ज की समस्या नहीं होने पाती है.

4. हड्ड‍ियों को मजबूत बनाए रखने के लिए भी दूध के साथ शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है. इसका सेवन करने से हड्डियों में अगर कोई नुकसान हुआ हो तो उसकी भी भरपाई होती रहती है.

5. दूध और शहद के नियमित सेवन से शारीरिक आैर मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है. क्षमता बढ़ने का सीधा असर हमारे काम पर पड़ता है. जोकि सकरात्मक होता है.  

‘मास्टरमाइंड’ बच्चे चले ‘नासा’

बच्चों की परवरिश में माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ होता है. इसके लिए जन्म से उनमें सही आदतें डालने की जरुरत होती है. जिसमें शिक्षा सबसे ऊपर आती है. बाल दिवस के अवसर पर ‘ब्रेन डेवलपमेंट’ के इस बात को ध्यान में रखते हुए ‘सेवेन सीज अकादमी’ ने पहली बार पूरे भारत के 10 शहरों के 200 स्कूलों के 60,000 बच्चों में केवल दो मास्टरमाइंड बच्चों को उनके माता-पिता सहित ‘नासा’ जाने का अवसर दिया.

इस अवसर पर ब्रांड एम्बेसेडर अभिनेत्री रवीना टंडन कहती हैं कि स्कूल में बच्चे पढने के लिए जाते है पर इसके साथ-साथ घर पर भी उनकी शिक्षा सही तरह से होनी चाहिए. उसके लिए केवल किताबें ही नहीं, बल्कि उन्हें रोजमर्रा की अच्छी आदतों से भी अवगत करवाना चाहिए. मुझे याद आता है कि बचपन में हमलोग पढाई के अलावा खेलते भी थे, पर आजकल के बच्चे खेलते नहीं हैं. खेलने के लिए उनके पास समय और जगह नहीं होती. बच्चें इसे खो रहे हैं.

आजकल गेम्स भी क्लासेस में ही सिखाए जा रहे हैं. केवल पढाई पर ही उनका ध्यान रहता है. स्कूल के साथ परिवार की जिम्मेदारी भी बड़ी होती है. आज तकनीकें बदली हैं, बच्चों पर पढाई का बोझ भी अधिक है. ऐसे में उनके दैनिक दिनचर्या पर भी ध्यान देना आवश्यक है. इसके अलावा बच्चों की क्षमता को भी माता-पिता को देखना चाहिए. आजकल के पेरेंट्स बहुत अधिक डिमांडिंग होते जा रहे हैं, जिसका प्रभाव बच्चों पर सबसे अधिक देखा जाता है. मैं चाहती हूं कि माता-पिता इसे समझे और उन्हें बेसिक जानकारी दे.

पिंकी बुआ छोड़ रही हैं ‘द कपिल शर्मा शो’

‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ से कपिल शर्मा की पिंकी बुआ के किरदार से मशहूर हुईं उपासना सिंह ‘द कपिल शर्मा शो’ छोड़ रही हैं. हाल ही में खबरें थी कि उपासना सिंह और उनके पति नीरज भारद्वाज का तलाक होने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, नवंबर 2009 में शादी के बंधन में बंधा यह कपल चार साल से अलग रह रहा है. दोनों का सिर्फ कानूनी रूप से अलग होना बाकी रह गया है.

जब कपिल की टीम ने कलर्स चैनल को छोड़ा और सोनी चैनल पर अपना शो शुरू किया, तब उपासना सिंह, कृष्णा अभिषेक के शो ‘कॉमेडी नाइट्स लाइव’ के साथ थीं. लेकिन उन्होंने जल्द ही कृष्णा की टीम को छोड़ कपिल की टीम को ज्वॉइन कर लिया था.

उपासना सिंह अपनी शादीशुदा जिंदगी में आई दिक्कतों के चलते कपिल के शो को भी छोड़ रही हैं. कपिल को अब अपने शो में उपासना द्वारा निभाए जा रहे किरदार की ज्यादा जरुरत नहीं है, इसलिए इनके वापस कपिल की टीम में आने की कोई उम्मीद नहीं है.

उपासना और नीरज चार साल से अलग रह रहे हैं लेकिन उनके बीच बातचीत हो रही थी. मगर 9 महीने से उनका एक-दूसरे से कोई संपर्क नहीं हुआ. उपासना ने नीरज को अपनी बर्थडे पार्टी में भी इनवाइट नहीं किया था. बताया जाता है कि दोनों ने शादी को बचाने की बहुत कोशिश की. लेकिन मतभेद नहीं सुलझ सके. अलग-अलग एक्सपेक्टेशन की वजह से रिश्ता तलाक तक पहुंच गया है.

मुगलों की कहानी फतेहपुर की जुबानी

फतेहपुर सीकरी परिसर में दाखिल होने के बाद आप नि:संदेह मुगलिया सल्तनत के वैभव, ताकत और सांस्कृतिक शैलियों से प्रभावित हो सकते हैं. पूरा परिसर राजस्थान से लाए गए लाल पत्थरों से बनाया गया हैं. फतेहपुर सीकरी का सीधा संबंध सम्राट अकबर से था, जिन्होंने भारतीय इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी. ताजमहल के करीब होने के कारण यह जगह लंबे समय तक उपेक्षित सरीखी भी रही. इसे 1986 में वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया था.

फतेहपुर सीकरी कई सवाल भी लिए हुए है, जो यहां आने वाले सैलानियों की जुबां पर स्वाभाविक तौर पर आते हैं- शहर क्यों बसाया गया? महज 14 सालों बाद यह वीरान क्यों हो गया? इस शहर का पराभव क्या इसलिए हो गया, क्योंकि यहां पानी नहीं था?

बाबर सन् 1527 में खानवा के युद्ध को फतह करने के बाद यहां आए. उसने अपने संस्मरण में इस जगह को सीकरी कहा. बाद में बादशाह अकबर संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. रास्ते में सीकरी पड़ा. वहां अकबर की मुलाकात सूफी फकीर शेख सलीम चिश्ती से हुई. फकीर ने अकबर से कहा बच्चा तू हमारा इंतजाम कर दे, तेरी मुराद पूरी होगी. कुछ समय बाद अकबर की हिंदू बेगम जोधाबाई गर्भवती हो गईं.

अकबर ने तय कर लिया था कि जहां बालक पैदा हुआ वहां एक सुंदर नगर बसाएंगे, जिसका नाम था फतेहबाद जिसे आज हम फतेहपुर सीकरी के नाम से जानते हैं. यह सही मायनों में मुगल शासनकाल की पहली योजनाबद्ध तरीके से बसाई गई स्मार्ट सिटी थी. यह सड़क मार्ग से दिल्ली और आगरा से जुड़ा हुआ है. हजारों सैलानी यहां रोज आते हैं.

जो पर्यटक ताजमहल आते हैं, वह फतेहपुर सीकरी जाना नहीं भूलते. फतेहपुर सीकरी के मुख्य द्वार से परिसर करीब एक किलोमीटर अंदर है, वहां तक ले जाने के लिए यहां कई साधन चलते हैं, जिसमें तांगा भी है. पहले अकबर की राजधानी आगरा थी, लेकिन सीकरी में नया नगर फतेहबाद के बन जाने और उस सूफी संत के सानिध्य के लिए अकबर ने अपना निवास और दरबार आगरा से सीकरी स्थानांतरित कर दिया.

खास है यह इमारत

यहां की इमारतों को दो तरह से देखा जा सकता है या तो आप नीचे से ऊपर की ओर बढ़ें या बुलंद दरवाजे से घुस कर ऊपर से नीचे आएं. बुलंद दरवाजे तक पहुंचने के लिए पत्थर की सीढ़ियों से 13 मीटर ऊपर आना होगा. प्रवेश द्वार विशाल और बुलंद है इसलिए इसका नाम ही बुलंद दरवाजा है. इसे वर्ष 1602 में अकबर की गुजरात में जीत की यादगार के तौर पर बनाया गया था. इसे दुनिया का सबसे विशालतम दरवाजा भी माना जाता है. इसकी ऊंचाई 54 मीटर है.

दरवाजे से अंदर घुसते ही सामने लाल पत्थरों का विशाल प्रांगण और इसके चारों ओर स्तंभों से गलियारे हैं, जो ढेर सारे प्रकोष्ठों से जुड़े हैं. इसी प्रांगण में एक सफेद रंग की इमारत है, जो इस पूरे परिसर में अपने रंग, नक्काशी और खूबसूरती के लिए अलग ही नजर आती है. यह शेख सलीम चिश्ती की संगमरमर की बनी दरगाह है. इसे बारीक मुगल कला का अद्भुत नमूना भी कहा जा सकता है.

बादशाही दरवाजे के करीब पहुंचने पर नीचे जाती हुई सीढ़ियां दिखती हैं, जो उस शाही रिहायशी इलाके में पहुंचाती हैं, यहां सारे आवासीय भवन, मनोरंजन की सुविधाएं बनाई गईं. यहां घूमते हुए आप दीवाने खास के सामने पहुंचेंगे. वाकई यह खास प्रकोष्ठ है. यहीं दो बेगमों के साथ अकबर न्याय करता था. बादशाह के नवरत्न-मंत्री थोड़ा हट कर नीचे बैठते थे.

यहां सामान्य जनता तथा दर्शकों के लिए चारों तरफ बरामदे बने हैं. इसमें अकबर के बैठने की व्यवस्था एक खंबे के ऊपर गोलाई लिए बनी है. यह जगह पंच महल, हवा महल और शाही हरम से लगी हुई है. जब बात हरम की हो रही है, तो यहां जोधाबाई का भी जिक्र जरूरी है.

जोधा का महल शाही हरम का महत्वपूर्ण हिस्सा था. आज भी यह हरम में अलग-सा लगता है. इसके अंदर कई हिंदू भित्त चित्रों का इस्तेमाल हुआ था. हरम के करीब पंचमहल या हवामहल है. यह पांच मंजिला भवन जोधाबाई के सूर्य को अध्र्य देने के लिए बनवाया गया था. यहीं से अकबर की मुसलमान बेगमें ईद का चांद देखती थीं. समीप ही मुगल राजकुमारियों का मदरसा है. लाल पत्थरों से ही एक अनूप ताल बनाया गया, जहां तानसेन गाया करता था. ताल के पूर्व में अकबर की तुर्की बेगम रूकैया का महल है. यह इस्तांबुल की रहने वाली थी. इस महल की सजावट तुर्की के दो शिल्पियों ने की थी. हालांकि बाद में औरंगजेब ने इसकी सुंदरता को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था.

यहां के अन्य महत्वपूर्ण भवनों में नौबत-उर-नक्कार खाना, टकसाल, कारखाना, खजाना, हकीम का घर, दीवान-ए-आम, मरियम निवास और बीरबल का निवास आदि शामिल हैं. सलीम और अनारकली की मोहब्बत के किस्से यूं तो बहुत मशहूर हैं, लेकिन कम लोगों को मालूम है कि अनारकली को यहीं चिनवाया गया था.

वर्ष 1584 में एक अंग्रेज व्यापारी अकबर की राजधानी आया, उसने लिखा- आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं. उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है. फतेहपुर सीकरी घूमते हुए इसकी निर्माण कला को देखते हुए लगता है कि जिस स्मार्ट सिटी की अवधारणा पर हम काम कर रहे हैं, वह अपने देश में सैकड़ों सालों से है. मुगलों की जीवनशैली का भी प्रतीक है फतेहपुर सीकरी.

बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं जेनेलिया

खबर है कि शादी और बच्चों की वजह से फिल्मों से ब्रेक ले चुकीं जेनेलिया डिसूज़ा अब बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं. पिछली फिल्म ‘फोर्स’ में जॉन अब्राहम की पत्नी की भूमिका निभा चुकीं जेनेलिया ‘फोर्स 2’ में गेस्ट अपीयरेंस करेंगी.

गौरतलब है कि पिछली फिल्म ‘फोर्स’ में जेनेलिया के किरदार का अंत काफी दर्दनाक दिखाया गया था. अब यह देखना काफी मजेदार होगा कि ‘फोर्स 2’ में जेनेलिया को किस अंदाज में दिखाया जाता है.

इस खबर को कन्फर्म करते हुए प्रड्यूसर विपुल शाह ने बताया, ‘जेनेलिया इस फिल्म का हिस्सा हैं. पिछली फिल्म में उनके किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया. जॉन और जेनेलिया के रोमांस की भी खूब तारीफ रही, इसलिए हमने खासकर ऐक्ट्रेस के हिसाब से स्क्रिप्ट तैयार किया और इस कहानी में बड़ी खूबसूरती से उनके लिए जगह बनाई है. वह जॉन के किरदार की मदद करने के साथ-साथ, फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाती नजर आएंगी.’

खास बात यह है कि जेनेलिया दो बच्चों की मां बनने के बाद भी पहले की ही तरह स्लिम ट्रिम नजर आती हैं.

ट्विंकल ने की करण की बोलती बंद

करण जौहर के सेलेब्रिटी टॉक शो ‘कॉफी विद करण’ के पांचवें सीजन की शुरुआत बेहद अच्छी रही. शो के पहले गेस्ट शाहरुख खान और आलिया भट्ट थे. करण ने शाहरुख और आलिया से उनके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े कई सवाल पूछे, जिनका उन्होंने पूरी इमानदारी से जवाब दिया. शो के अगले एपिसोड में अक्षय कुमार अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना के साथ काफी पीते नजर आएंगे.

‘कॉफी विद करण’ में करण के सवालों पर गेस्ट सेलेब्रिटी बगले झांकते नजर आते हैं. लेकिन ट्विंकल और अक्षय ने करण से ऐसे-ऐसे सवाल पूछे कि उनकी बोलती बंदा हो गई. करण के पास इन सवालों का कोई जवाब ही नहीं था.

ट्विंकल ने रैपिड फायर राउंड में करण जौहर को क्लीन बोल्ड कर दिया. उन्होंने करण से पूछा, ‘सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान में से सबसे कूल कौन है?’ इसके बाद ट्विंकल ने सीधे करण की दुखती रग पर हाथ रख दिया. उन्होंने पूछा, ‘आप एक और खान, फवाद खान को क्यों नहीं लेते हैं?’ ट्विंकल के इन सवालों पर पहले तो करण मुस्कुराए और फिर कहां कि वह क्लीन बोल्ड हो चुके हैं यानि करण के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं था. ऐसे में करण जौहर के चेहरे के भाव देखने वाले थे.

बता दें कि पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान, करण के चहेते कलाकारों में से एक रहे हैं. वह फवाद के साथ ‘कपूर एंड सन्स’ और ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में काम कर चुके हैं. करण, फवाद के साथ तीसरी फिल्म भी करने जा रहे थे, जिसमें कट्रीना कैफ को कास्ट किया गया था. लेकिन उड़ी आतंकी हमले के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियों ने पाक कलाकरों का विरोध किया. इस वजह से पाक कलाकरों को फिल्ममेकर्स अपनी फिल्मों में कास्ट करने से बच रहे हैं.

इस दिन रिलीज होगी भंसाली की ‘पद्मावती’

रणवीर सिंह इन दिनों अपनी फिल्म ‘पद्मावती’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. इसके साथ-साथ वो अपनी आने वाली फिल्म ‘बेफिक्रे’ के प्रमोशन में भी जुटे हैं. ‘पद्मावती’ में रणवीर के साथ दीपिका पादुकोण की रोमांटिक जोड़ी का इंतजार कर रहे फैंस के लिए अच्छी खबर है. फिल्म की रिलीज डेट सामने आ गई है.

रणवीर ने इंस्टाग्राम पर ‘पद्मावती’ की रिलीज डेट का खुलासा किया है. 17 नवंबर 2017 को फिल्म रिलीज हो रही है. डेट के साथ रणवीर ने फिल्म से अपना लुक भी शेयर किया है. ‘पद्मावती’ में वो अलाउद्दीन खिलजी का रोल प्ले कर रहे हैं, और इस फोटो में उनकी सिर्फ आंखे नजर आ रही हैं.

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ एक पीरियड ड्रामा है. जिसमें रणवीर, दीपिका के साथ शाहिद कपूर भी नजर आएंगे. फिल्म की शूटिंग का काम काफी तेजी से चल रहा है. बता दें रणवीर और दीपिका की जोड़ी आखिरी बार भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में नजर आई थी. फिल्म के साथ-साथ इनकी जोड़ी को भी दर्शको ने खूब पसंद किया.

क्रिटिकल बीमारी के लिए अलग पॉलिसी

जब आप जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते हैं तो कंपनी आपकी मृत्यु हो जाने पर आपके उत्तराधिकारी या मनोनित व्यक्ति को बीमा राशि का भुगतान कर देती है. इसी तरह बीमा कंपनी आपको किसी बीमारी की वजह से अस्पताल में दाखिल होने पर स्वास्थ्य बीमा के तहत अस्पताल में आपके इलाज पर हुए खर्चे का भुगतान करती है. कभी आपने सोचा है कि अगर आपको किसी गंभीर बीमारी के निदान के बाद आपके कार्य करने और कमाने की क्षमता समाप्त या कम हो जाती है तो ऐसी परिस्थिति में न तो जीवन बीमा कंपनी आपको कुछ भुगतान करेगी और न ही स्वास्थ्य बीमा के तहत कोई भी भुगतान मिलेगा क्योंकि आप जीवित है और अस्पताल में भी भर्ती नहीं हैं.

क्या होती है क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी?

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के तहत अगर आप किसी गंभीर बीमारी से बचकर निकलते हैं और आप उसके बाद नियत समय (जो कि 30 दिन तक का होता है) तक जिंदा रहते हैं तो आप बीमा की राशि पाने के हकदार होते हैं यानी आपकी बीमा कंपनी राशि का भुगतान करेगी. क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में गंभीर मानी जाने वाली बीमारियों के सामने आर्थिक रक्षण प्रदान किया जाता है. इसमें कवर होने वाली बीमारियों में दिल का दौरा पड़ना, किडनी का काम करना बंद करना, पक्षाघात, हृदय का वॉल्व खराब हो जाना, कैंसर आदि प्रकार की गंभीर बीमारियां शामिल हैं.

कितनी राशि का कवर खरीदना चाहिए?

चूंकि गभीर बीमारी के निदान के पश्चात आपकी आमदनी बंद हो जाती है एवं चिकित्सा एवं उपचार पर व्यय बढ़ जाता है, इसलिए आपको आपकी सालाना आय का कम से कम 10 से 12 गुना क्रिटिकल इलनेस कवर खरीदना चाहिए.

कैसे खरीदें पॉलिसी

कई बीमा कंपनियां अपनी जीवन बीमा पॉलिसी और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ क्रिटिकल इलनेस का राइडर खरीदने की सुविधा देती हैं. पर आपको क्रिटिकल इलनेस की अलग से पॉलिसी खरीदनी चाहिए और इसके पीछे कई कारण हैं.

– आपकी क्रिटिकल इलनेस के जोखिम को कवर करने के लिए जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा के साथ में मिलने वाले राइडर की राशि पर्याप्त नहीं होती है.

– क्रिटिकल इलनेस कवर कें अंतर्गत जो भी बीमारियां (रोग) शामिल होते हैं उससे जुड़े नियम हर एक कंपनी में अलग अलग होते हैं. यह भी जरूरी नहीं है कि जो जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा आप खरीद रहे हैं उसके साथ मिलने वाले राइडर में वो सब गंभीर बीमारियां कवर हों आप चाहते हैं.

– स्वास्थ्य बीमा परिवार के हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है परंतु क्रिटिकल इलनेस परिवार के हर व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं है और जब आप स्वास्थ्य बीमा के लिए फैमिली फ्लोटर पॉलिसी खरीदते है तो आपको क्रिटिकल इलनेस का कवर भी परिवार के सभी सदस्यों के लिए खरीदना पड़ेगा.

– फैमिली फ्लोटर में लगने वाला प्रीमियम परिवार के सबसे बड़े सदस्य की आयु पर निर्भर करता है और राइडर पर लगने वाला प्रीमियम भी इसी तरह ज्यादा लग जाता है.

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