सेल में दिखाएं खरीदारी में समझदारी

फेस्टिव सीजन सेल में हम सभी को हर तरह की खरीदारी अच्छी लगती है. कई लोग बाकायदा नया सामान खरीदने के लिए इन सेल का इंतजार करते हैं. अगर आने वाले त्योहारों में घर को खूबसूरत तरीके से सजाना चाहते हैं या नए कपड़े खरीदने हैं या फिर रिश्तेदारों को गिफ्ट देना है तो तमाम शॉपिंग वेबसाइट्स पर लगी सेल का खासा फायदा उठा सकते हैं.

बचत के अलावा इसका एक फायदा आपको यह भी होगा कि बाद में शॉपिंग करने के लिए बाजार की भीड़भाड़ और सड़कों पर जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं, सामान आपके घर तक सुरक्षित पहुंचेगा और अगर किसी को गिफ्ट देना है तो सीधा उनके घर भी डिलीवर करवा सकते हैं.

वैसे, तमाम ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स इन दिनों मोबाइल, लैपटॉप, घर की जरूरत के उपकरणों व अन्य सामान, कपड़ों, गहनों आदि कई चीजों में अच्छा-खासा डिस्काउंट दे रही हैं.

जानिए वे आइटम्स, जो आप इस फेस्टिव सीजन के डिस्काउंट ऑफर में ऑनलाइन खरीद सकते हैं :

ट्रेडिशनल से लेकर फैशनेबल कपड़े

त्योहारों पर नए कपड़े न खरीदें तो मजा अधूरा सा रह जाता है. इस नवरात्र और दिवाली पर अगर आपको कुछ ट्रेडिशनल या फैशनेबल खरीदना है तो इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा. इन दिनों तमाम वेबसाइट्स पर कपड़ों पर 50 से 80% तक की छूट मिल रही है. इनमें ब्रैंडेड कपड़े भी शामिल हैं.

घर व ऑफिस के लिए डेकोरेटिव सामान

इस नवरात्र और दिवाली आप अपने घरों में सजावट का सामान, मूर्तियां, फ्लॉवर पॉट, बेडशीट, परदे, रंग-बिरंगी इलेक्ट्रि‍क लाइट्स और बल्ब जैसी चीजें 30-50% डिस्काउंट पर खरीद सकते हैं. इससे कम पैसों में अच्छी चीजें मिलेंगी और घर की रौनक भी दोगुनी हो जाएगी.

किफायती दाम पर पूजा की सामग्री

नवरात्र हो या दिवाली, पूजा तो होती ही है जिसकी तैयारी के लिए हर छोटा-बड़ा सामान आपको बड़ी ही आसानी से कम दामों पर ये साइट्स उपलब्ध करा रही हैं. यहां तक कि अब आप गोबर के उपले भी ऑनलाइन खरीद सकते हैं जो पूजा में हवन के लिए सबसे जरूरी है. ये चीजें खासतौर पर बड़े शहरों में उपलब्ध नहीं हो पाती हैं तो इस सेल का फायदा उठाकर इनको खरीदा जा सकता है.

इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स

अगर आपको मोबाइल, आईफोन, टीवी या और कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना है तो यह एक बेहतर मौका है. इस समय इन सब चीजों पर 70% तक की छूट मिल रही है. ऐसे मौके पर आप किचन की जरूरत का नया सामान ले सकते हैं. नया टीवी सेट, वैक्यूम क्लीनर, वॉशिंग मशीन या आने वाली सर्दियों को देखते हुए गीजर, जैसे आइटम खरीदे जा सकते हैं.

रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए गिफ्ट

दिवाली पर अगर आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को ज्वैलरी, मेकअप कि‍ट, बैग, फिटनेस केयर या किताबें जैसी कोई भी चीजें देना चाहते हैं तो आप भारी छूट पर इस मौके का लुत्फ उठा सकते हैं. इसके अलावा आप ड्राईफ्रूट्स कॉम्बो पैक्स, चॉकलेट, जूस जैसे आइटम भी गिफ्ट में दे सकते है.

ऐडवेंचर के हैं शौकीन तो घूम आएं यहां

लाइफ में ब्रेक क्यों लेते हैं? इसलिए न कि कुछ रोमांचक किया जाए. अगर आप इसी सोच पर चलने वालों में से हैं तो देश की ये 8 जगहें आपका इंतजार कर रही हैं…

1. मनाली:

चीड़ के पेड़ों की खूबसूरत कतारें, रास्तों में सेब के बगीचे और हिमालय के अद्भुत नजारे… ऐसा ही है मनाली का मनमोहक दृश्य. यह जगह प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए बेस्ट है. ढेरों ट्रेकिंग ट्रैल्स मनाली से ही शुरू होते हैं. मलाना गांव, जोगिनी फॉल्स, रोहतांग पास और सोलंग वैली में पैराग्लाइडिंग के लिए मनाली ही एंट्री गेट है.

2. बांधवगढ़:

मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर की दहाड़ गूंजती है. यहां रोमांचक वाइल्डलाइफ सेंचुरी का पूरा मजा उठाया जा सकता है. हाथी की पीठ पर चढ़कर जंगल के एक से बढ़कर एक नजारे ले सकते हैं.

3. काजीरंगा नेशनल पार्क:

लुप्त होते हुए भारतीय गैंडों को सामने से देखने का मजा लेना है तो असम के काजीरंगा नेशनल पार्क जरूर जाएं. यह लगभग 2 हजार गैंडों का घर है. यहां आप जीप सफारी और हाथी की पीठ की सवारी करके हरी-हरी घास की जमीन पर मस्ती में घूमते गैंडे देख सकते हैं. इस नेशनल पार्क में हाथी, जंगली भैंसें और दलदल के हिरण भी बड़ी संख्या में हैं.

4. नागरहोल नेशनल पार्क:

कर्नाटक में स्थित नागरहोल नेशनल पार्क अपनी वाइल्डलाइफ सेंचुरी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. यहां बाघ, तेंदुए, हाथी और ऐसे कई जानवरों को आप करीब से देख सकते हैं. यह 650 वर्ग किमी. में फैला है. नागरहोल में आपको पहाड़ों के अद्भुत नजारे भी देखने को मिलेंगे. यह पार्क वनस्पति और जीवों का एक बड़ा घर है.

5. लाहुल-स्‍पीति:

हिमांचल प्रदेश में लाहुल-स्‍पीति घाटी की सुंदरता के चर्चे पूरे विश्व में है. यहां के पहाड़ी इलाके, कलकल करके बहती नदियां, खूबसूरत घाटियां और एक शांत व निर्मल वातावरण आपको यहां आने के लिए मजबूर करता है. लाहुल-स्‍पीति में एक से बढ़कर एक ट्रेक पर ट्रेकिंग और नदियों के किनारे कैंपिंग करके एडवेंचर का मजा लिया जा सकता है. यहां जाने के लिए बाइक रोड ट्रिप वर्ल्ड फेमस है.

6. औली:

क्या आपको एडवेंचर हॉलीडे के लिए स्कीइंग स्पॉट पसंद हैं? अगर हां, तो उत्तराखंड के गढ़वाल में ऑली से बेहतर कोई जगह नहीं. यहां 3 किमी लबां स्लोप और 500 मीटर लंबी स्की लि‍फ्ट है. ऑली में बहुत से स्की रिजोर्ट भी हैं. नवंबर और दिसंबर में बर्फ से ढका औली बेहद खूबसूरत दिखता है.

7. ऋषिकेश:

मदिरों और पवित्र स्थलों से हटकर ऋषिकेश एडवेंचर स्पॉट्स के लिए भी जाना जाता है. यहां बंजी जंपिंग, लॉन्ग जिप लाइनिंग, क्लिफ जंपिंग, ट्रेकिंग, राफ्टिंग जैसे कई एडवेंचरस स्पोर्ट हैं. इसे भारत की योग राजधानी भी कहते हैं. अगर मेडिटेशन के लिए आप कोई जगह तलाश रहें तो ऋषिकेश से बेहतर कोई जगह नहीं.

8. जनस्‍कर पर्वत श्रृंखला:

जमी हुई नदियों पर ट्रेकिंग करने का प्लान है तो हिमाचल के जनस्‍कर का रुख करें. हर साल जनवरी और फरवरी के महीने में यहां की नदियां जम जाती हैं. बर्फ की चादर ओढ़े इन नदियों को चादर ट्रेक भी कहते हैं. हालाकि नदियों पर जमी बर्फ पर चलना थोड़ा रिस्की है पर यहां हिमालाय के खूबसूरत नजारे, जमे हुए झरने और प्राचीन मॉनेस्ट्री का अद्भुत अनुभव पाकर आप सब भूल जाएंगे.

बस्तर दशहरा की धूम

बस्तर में आयोजित होने वाले पारंपरिक पर्वों में बस्तर दशहरा सर्वश्रेष्ठ है. बस्तर के आदिवासियों की अभूतपूर्व भागीदारी का ही प्रतिफल है कि बस्तर दशहरे की पहचान अब राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं है वरन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी स्थापित हो चुकी है. देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिए बस्तर दशहरा अब मुख्य आकर्षण का केंद्र बन चुका है.

स्थानीय मान्यताओं व प्रथाओं का मिश्रण

यह मुख्यरूप से दंतेश्वरी देवी पर केंद्रित होता है. यह त्योहार संपूर्ण रूप से स्थानीय मान्यताओं एवं आदिवासी प्रथाओं का मिश्रण है. अनेक पारंपरिक जनजातीय, स्थानीय एवं हिंदू धर्म के देवीदेवता दंतेश्वरी देवी के मंदिर में एकत्रित होते हैं, जोकि पर्व का केंद्र बिंदु होता है. कहते हैं कि राजा पुरुषोत्तम देव जब पुरी धाम से बस्तर लौटे तभी से गोंचा और दशहरा पर्वों में रथ चलाने की प्रथा चली.

75 दिवसीय सुप्रसिद्ध बस्तर दशहरे की शुरुआत श्रावण की हरेली अमावस्या से होती है एवं समापन अश्विन महीने की पूर्णिमा की 13वीं तिथि को होता है. इस पर्व पर आदिवासी समुदाय ही नहीं, बल्कि समस्त छत्तीसगढ़ी गर्व करते हैं. इस पर्व में अन्नदान एवं श्रमदान की जो परंपरा विकसित हुई उस से साबित होता है कि हमारे समाज में सामुदायिक भावना की बुनियाद बेहद मजबूत है.

ऐतिहासिक आयोजन

बस्तर दशहरे में होने वाली रस्में बेहद रोचक एवं अनूठी हैं जैसे पाट जात्रा, काछिन गादी, नवरात: जोगी बिठाई, रथपरिक्रमा, दुर्गाष्टमी निशाजात्रा, जोगी उठाई, मावली परघाव, विजयादशमी भीतर रैनी, बाहिर रैनी, मुरिया दरबार, ओहाड़ी आदि.

बस्तर दशहरा बहुआयामी है. धर्म, संस्कृति, कला, इतिहास और राजनीति से तो इस का प्रत्यक्ष संबंध जुड़ता ही है, साथ ही साथ परोक्षरूप से भी बस्तर दशहरा समाज की उच्च एवं परिष्कृत सांस्कृतिक परंपरा का गवाह बनता है. आज का बस्तर दशहरा पूर्णतया दंतेश्वरी का दशहरा है.

बस्तर दशहरा कार्यक्रमों की शुरुआत 30 सितंबर से हुई और इस दौरान अलग अलग दिनों में अलग अलग कार्यक्रमों के साथ 15 अक्तूबर को इस का समापन होगा.

MOVIE REVIEW: मिर्जिया

राकेश ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित फिल्म मिर्जिया में एक पंक्ति है-‘‘एक नदी थी, दो किनारे थामे बैठी थी, कोई किनारा छोड़ नहीं सकती थी.’’ फिल्म खत्म होने के बाद अहसास होता है कि शायद लेखक ने यह पंक्ति फिल्म की नायिका सैयामी खेर के लिए लिखी हैं, जिन्होंने इस फिल्म में सुचित्रा उर्फ सुचि तथा साहिबां का किरदार निभाया है. यह एक कटु सत्य है. फिल्म ‘मिर्जिया’ में अपने अभिनय से सैयामी खेर ना सिर्फ प्रभावित करती हैं, बल्कि उनमें स्टार बनने के गुण भी साफ नजर आते हैं. इसके बाद अनुज चौधरी लोगों के जेहन में बस जाते हैं. भव्य स्तर पर बनायी गयी यह फिल्म उन लोगों को ज्यादा पसंद आएगी, जो कि कला, खूबसूरती, फोटोग्राफी आदि के शौकीन हैं. अन्यथा फिल्म की गति धीमी है. गुलजार लिखित पटकथा का उलझाव ऐसा है कि दर्शक सोचने लगता है कि फिल्म कब खत्म होगी.

फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ की कहानी दो स्तर पर चलती है. एक कहानी लोक कथा शैली में सदियों पुरानी प्रेम कथा ‘मिर्जा साहिबां’ की है. जब जब परदे पर ‘मिर्जा साहिबां’ की कहानी आती है, तब तब गाने आ जाते हैं. मिर्जा और साहिबां के किरदारों को क्रमश हर्षवर्धन कपूर और सैयामी खेर ने निभाया है. पर इसमें संवाद नहीं हैं. दूसरी कहानी राजस्थान में मिर्जा साहिबां की कथा के गूंज के रूप में चलती है. यह कहानी शुरू होती है लोहारों की गलियों से. यह कहानी है उदयपुर के गोवर्धन स्कूल में पढ़ रहे मोनीष (हर्षवर्धन कपूर) और सुचित्रा उर्फ सुचि (सैयामी खेर) की. दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं. मोनीष के पिता (ओमपुरी) लोहार हैं. जबकि सुचि के पिता (आर्ट मलिक) पुलिस इंस्पेक्टर हैं. मोनीष की रूचि पढ़ाई में कम है. एक दिन वह स्कूल में होमवर्क करके नही ले जाता है. सुचि उसे अपनी नोटबुक दे देती है. शिक्षक पहले खुश होते हैं पर वह लिखावट देखकर समझ जाते हैं कि यह नोटबुक सुचि की है. सुचि को सजा मिलती है, सुचि अपने प्यार के लिए दर्द सह जाती है. पर मोनीष, सुचि के पिता की बंदूक चुराकर दूसरे दिन सुबह स्कूल के शिक्षक को गोली मार देता है. पकड़ा जाता है और सजा के तौर पर उसे बालसुधारगृह भेज दिया जाता है, जहां से कुछ समय बाद वह भाग जाता है.

इधर सुचि के पिता उसे लेकर वह शहर छोड़कर जोधपुर में बस जाते हैं. सुचि को पढ़ाई के लिए विदेश भेज देते हैं. विदेश में सुचि की मुलाकात महाराजा के बेटे व राजकुमार करण (अनुज चौधरी) से होती है. समय बीतता है. अब पुलिस इंस्पेक्टर, पुलिस कमिश्नर बन गए हैं. उन्होंने सुचि व करण की शादी तय कर दी है. जब सुचि विदेश से वापस लौटती है, तो एअरपोर्ट पर सुचि के पिता व करण के साथ आदिल भी जाता है. पता चलता है कि आदिल अब करण के अस्तबल में घोड़ों की देखभाल करता है, जो कि वास्तव में मोनीष है, पर नाम बदलकर रह रहा है.

सुचि और करण रोज मिलते हैं. उनकी शादी की तैयारी शुरू हो गई हैं. एक दिन सुचि घुड़सवारी सीखने की इच्छा जाहिर करती है, तो करण यह जिम्मेदारी आदिल को सौंपता है. सुची अक्सर आदिल के सामने मोनीष के साथ बिताए दिन की कहानियां सुनाती है. एक दिन आदिल उस कहानी में कुछ चीजें ऐसी कह जाता है, जिससे सुचि समझ जाती है कि यह मोनीष है. मोनीष की पीठ पर सुचि और सुचि की पीठ पर मोनीष का टैटू है. मोनीष के लिए करण को छोड़ने के लिए सुचि तैयार है. पर आदिल नहीं चाहता कि उसकी जिंदगी बर्बाद हो. क्योंकि वह अनपढ़ गंवार है. जिससे एक लोहार की विधवा बेटी जीनत (अंजली पाटिल) प्यार करती है.

एक पूर्णिमा की रात करण, सुचि व आदिल के साथ सफारी में जाते हैं. जहां शेर, करण पर हमला कर देता है. पर अपनी जान जोखिम में डालकर आदिल, करण की जान बचाता है. पर करण को यह बात समझ में आ जाती है कि शेर के मुंह में खून लग चुका है, इसलिए वह फिर उस पर हमला कर सकता है. फिर आदिल पुलिस कमिश्नर के पास जाकर अपना सच बयां कर देता है. पुलिस कमिश्नर उससे कहते हैं कि वह चुपचाप चला जाए और सुचि को भूल जाए. यह बात उनका बचपन का नौकर भी सुनता है, जो कि शुरू से ही मोनीष को सैल्यूट करता रहा है.

फिर महाराजा के पास जाकर पुलिस कमिश्नर हकीकत बताते हैं. महाराजा कहते हैं कि -‘‘कानून को बीच में लाने की जरुरत नही है. इससे राजमहल की बदनामी होगी.’ वह राजमहल के अंदर ही सब ठीक कर लेने का वादा करते हैं. राजमहल में वह सब कुछ अंदर ही अंदर निपटा लेंगे. यह सारी बातचीत करण भी सुन लेता हैं.

दूसरे दिन करण, आदिल के साथ शिकार खेलने के लिए फिर से सफारी जाता हैं. जहां शेर के बहाने करण, आदिल और आदिल के सफेद घोड़े को गोली मार देता है. करण को लगता है कि आदिल मर गया या अब शेर आकर उसे खा जाएगा. पर आदिल बच जाता है.

इधर करण और सुचि की शादी होने जा रही है. सुचि सिंदूरदानी में सिंदूर व जहर दोनों भरती है. इधर मंडप के नीचे करण बैठा है. उधर पुलिस कमिश्नर के घर का घरेलू नौकर बुरके में आदिल से प्रेम करने वाली जीनत को सुचि से मिलवाकर बाहर तक छोड़ आता है. जब मंडप में सुचि को बुलाया जाता है, तो पता चलता है कि सुचि भाग चुकी है और वह विधवा जीनत मरी पड़ी है. उधर सुचि व आदिल भाग रहे हैं. अब सुचि की तलाश में पुलिस कमिश्नर पुलिस की पूरी फौज लगा देता है. करण भी अपने हिसाब से दौड़ रहा हैं.

मिर्जा साहिबां की कहानी चलती है. मिर्जा और साहिबां, साहिबां के भाईयों के डर से भागते भगते रात होने पर एक पेड़ के नीचे सो जाते हैं. सुबह जब उसके भाई लोग आ रहे होते हैं, तो अपने भाई का चेहरा याद कर साहिबां एक तीर छोड़कर सारे तीर तोड़ देती है. जब भाई और उसका मंगेतर सामने आता है, तो मिर्जा के तीर से साहिबां का भाई मारा जाता है. पर साहिबां के भाई मिर्जा को मार देते हैं.

अंततः मिर्जा साहिबां की ही तरह भारत पाक सीमा पर एक पेड़ के नीचे दोनों सो जाते हैं. सोने से पहले आदिल के पास जो बंदूक होती है, उस बंदूक की छह में से पांच गोलियां सुचि अपने हाथ में ले लेती है. सुबह जब करण व पुलिस की फौज पहुंचती है, तो एक गोली वह करण को मार देती है. उसके बाद आदिल को पता चलता हैं कि उसकी बंदूक में गोलियां नहीं है. आदिल, पुलिस कमिश्नर के हाथ मारा जाता है. सुचि भी सिंदूर वाला जहर खा कर मर जाती है.

फिल्म की लोकेशन, फिल्मांकन व फोटोग्राफी कमाल की है. घुड़सवारी व तीरंदाजी के दृश्यों के साथ ही कई सीन बेहतर बन पड़े हैं. मगर इन सारे दृश्यों को जब आप फिल्म के रूप में देखते हैं, तो निराशा होती है. यानी कि पटकथा ने फिल्म की ऐसी की तैसी कर दी. हो सकता है कि लोग यह तर्क दें कि गुलजार की लेखनी हर कोई आसानी से नहीं समझ सकता. पर इसमें बेचारे दर्शक की क्या गलती? गुलजार को भी पता होगा कि वह दर्शकों के लिए फिल्म की पटकथा लिख रहे हैं.

निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने इस फिल्म पर काम करने से पहले शोधकार्य करते हुए एक फ्रेंच डाक्यूमेंट्री देखी थी. जिसमें राजस्थान की लोकशैली के अलावा फ्रेंच ओपेरा का भी समावेश है. तो उन्होंने एक नया प्रयोग करते हुए इस फिल्म में भी ओपेरा किस्म के नाच गाने डालने की कोशिश की है, पर वह फिल्म की कहानी को नुकसान पहुंचाते हैं. परिणामतः यह फिल्म भारतीय दर्शकों को पसंद आएगी, इसमें शक है. हो सकता है कि विदेशों में यह फिल्म राकेश ओमप्रकाश मेहरा को लोकप्रियता दिला दे.

‘मिर्जिया’ को आम बौलीवुड फिल्म नहीं कहा जा सकता. शायद दो कहानियां, दो अलग अलग किस्म के किरदारों और दो अलग अलग काल को एक साथ पेश करने के चक्कर में वह दर्शक को बांध पाने में असफल हो गए. फैंटेसी व यथार्थ  एक साथ नहीं चल पाता. यह दर्शकों को दिग्भ्रमित करता है. कमजोर पटकथा के चलते बेचारा निर्देशक मात खा गया. फिल्म भावनात्मक स्तर पर भी दर्शकों को बांध नहीं पाती. फिल्म में चुंबन दृश्यों की भरमार है, पर दर्शक सिर्फ चुंबन दृश्य देखने के लिए फिल्म देखने नहीं जाता.

फिल्म का पार्श्वसंगीत काफी उम्दा है. फिल्म के गाने ठीक हैं, पर इतने अधिक गानों की जरूरत नहीं थी. संगीतकार शंकर एहसान लाय ने बेहतरीन काम किया है. कैमरामैन पावेल डायलस व एक्शन निर्देशक डैनी बधाई के पात्र हैं.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो पूरी फिल्म में सैयामी खेर छायी हुई हैं. सैयामी खेर एक परिपक्व अदाकारा के रूप में उभरती हैं. कुछ दृश्य तो ऐसे हैं, जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि वह सबसे पहले सोनम कपूर की छुट्टी करेंगी. फिर अनुज चौधरी ने भी अभिनेता के  तौर पर अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज करायी है. पूरा बौलीवुड हर्षवर्धन कपूर की तारीफ करने में लगा हुआ है. मगर इस फिल्म की कमजोर कड़ियों में पटकथा के बाद हर्षवर्धन कपूर का नाम है. हर्षवर्धन कपूर का चेहरा सपाट ही रहता है. उनके चेहरे पर भाव उभरते ही नही है. कुछ दृश्यों में उनकी आंखे कमाल कर जाती है.

लगभग दो घंटे दस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ का निर्माण ‘राकेश ओमप्रकाश मेहरा पिक्चर्स’ और ‘सिनेस्टान’ ने मिलकर किया है. निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा, पटकथा लेखक गुलजार तथा कलाकार हैं- हर्षवर्धन कपूर, सैयामी खेर, अनुज चौधरी, अंजली पाटिल, ओम पुरी, आर्ट मलिक व अन्य.

‘गांधीगिरी’ फिल्म में मेघना का ठुमका

राजनीति और समाजसेवा में गांधीगिरी का मतलब दूसरा होता है और जिंदगी की जद्दोजहद से जूझती जिंदगी के लिये गांधीगिरी का मतलब दूसरा होता है. फिल्म ‘गांधीगिरी’ में जयंती का किरदार निभा रही मेघना हलधर ने इसको बखूबी समझा है. अपने रोल के बारे में मेघना ने बताया कि उनका किरदार एक ऐसी लड़की का है जिसकी नजर में गांधीगिरी का मतलब सिर्फ नोट पर छपे गांधी जी से होता है. इसे पाने के लिये वह अमीर लोगों को फंसाती है. जिससे वह उनसे गांधीछाप नोट ले सके और खुद अमीर बन सके.

कोलकाता की रहने वाली मेघना बंगाली सिनेमा की बहुत मंझी हुई कलाकार हैं. उनका अपना प्रोडक्शन हाउस है. इसके साथ ही साथ वह फैशनेबल ड्रेस का अपना आउटलेट चलाती हैं. जिसमें उनकी बहन का सहयोग रहता है. मेघना कहती हैं इस फिल्म में मेरा आइटम डांस बहुत अलग है. इसे देखने के बाद लोग मुझे याद रखेंगे. इस फिल्म के बाद मैं हिन्दी फिल्मों में काम करना शुरू करुंगी. इस फिल्म में दर्शक मुझे किस तरह से पंसद करते हैं यह देखना है.

फिल्म गांधीगिरी में ओमपुरी जैसे सशक्त अभिनेता हैं. उनके साथ रिषी भूटानी और डाली चावला जैसे उभरते कलाकार अपनी एक्टिंग में फिल्म में जान डाल रहे हैं. फिल्म के निर्माता प्रताप सिंह यादव कहते है ‘यह फिल्म एक अलग किस्म की कहानी को लेकर बनी है. गांधी पर बनी दूसरी फिल्मों से बहुत अलग है. इसमें सामाजिक मूल्यों को लेकर एक संदेश दिया गया है.’   

कंगना का नया फरमान, प्रोड्यूसर हैरान

बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत ने अब एक नया ‘फितूर’ पाल लिया है. कोई भी फिल्म अब उनको बिना दिखाए रिलीज नहीं की जा सकेगी, वो भी तब, जब तक कंगना पूरी तरह संतुष्ट ना हो जायें.

जी नहीं, कंगना रनौत खुद ‘सेंसर बोर्ड’ नहीं बन गई है बल्कि ये उनका नया क्लॉज है जो अब से उनकी फिल्म के हर कॉन्ट्रैक्ट के साथ जोड़ा जाएगा. खबर है कि कंगना ने किसी भी फिल्म को साइन करने से पहले बनने वाले अपने कॉन्ट्रैक्ट में अब एक नया क्लॉज एड कर दिया है.

शर्त ये है कि कंगना जिस भी फिल्म में काम करेंगी, उस फिल्म का फाइनल एडिट देखेंगी और उसके बाद ही अगर वो फाइनल एडिट पार्ट से संतुष्ट होंगी, तो ही फिल्म को रिलीज के लिए ग्रीन सिग्नल दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि कंगना ने कॉन्ट्रैक्ट में ये नई शर्त अपने पिछले अनुभवों को ध्यान में रखकर जोड़ी है.

खबर है कि कंगना का ये नया कॉन्ट्रैक्ट, हंसल मेहता की फिल्म ‘सिमरन’ के साथ ही ऑन हो गया. सिर्फ फिल्म ही नहीं, कंगना इस नयी शर्त को अपने ब्रांड एंडोसर्मेंट में भी शामिल करेंगी. यानि अब सारे एड जिसमे आपको कंगना दिखाई देगी वो उसके ही ‘पास’ किये हुए होंगे और कंगना को उसमें जरा भी फेर बदल मंजूर नहीं होगा.

बता दें कि कंगना की ये शर्त, निर्माता को आमतौर पर दी जाने वाली ‘ एन ओ सी’ से अलग होगी. ये पहला मौका होगा जब बॉलीवुड के किसी कलाकार ने अपने कॉन्ट्रैक्ट में इस तरह का क्लॉज को शामिल किया गया हो.

बॉलीवुड में पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से टॉप एक्ट्रेसेस की लिस्ट में शामिल ऐश्वर्या हो या करीना, प्रियंका, दीपिका, अनुष्का, कटरीना, सोनम हो इनमे से किसी ने भी कभी अपने किसी भी कॉन्ट्रैक्ट में इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी है.

जब करण ने सलमान के सामने घुटने टेके

जी हां, यह कोई फिल्मी बात नहीं, बल्कि ऐसा कुछ हुआ था करण जौहर और सलमान खान के बीच. वक्त था फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ की शूटिंग का. हाल ही में करण जौहर ने फिल्म से जुड़ी एक मजेदार कहानी शेयर की है, जिसे सुनकर आप हंसते रह जाएंगे.

करण ने बताया, मैं चंकी पांडे की पार्टी में सलमान से मिला. वह मेरे पास आया और उसने कहा कि, मैंने सुना है तुम कुछ कुछ होता शुरू कर रहे हो. सलमान की बहन अलवीरा और मैं काफी अच्छे दोस्त थे और हैं. बहरहाल, सलमान ने मुझे कहा कि अगली दिन आकर मैं उसे फिल्म की कहानी सुनाऊं.

अगले दिन मैं सलमान खान से मिलने गया. उसने फिल्म का फर्स्ट हाफ सुना. फर्स्ट हाफ में सलमान का इंट्रो भी नहीं है फिर भी उसने कहा कि मैं फिल्म कर रहा हूं. मैनें सलमान को पूरे जोश उत्साह के साथ स्क्रिप्ट सुनाई थी.

मैंने सलमान से कहा कि तुम तो फिल्म के सेकेंड हाफ में हो. तो सलमान ने कहा कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं तुम्हारी फिल्म कर रहा हूं. मैं तुम्हारे पिता से बहुत प्यार करता हूं, और तुमने तरह स्क्रिप्ट सुनाई, मुझे बहुत अच्छा लगा. करण ने कहा कि, सलमान ने यह फिल्म करण की वजह से नहीं, बल्कि यश जौहर की वजह से की थी.

बहरहाल, फिर दिन आया कुछ कुछ होता है में सलमान की एंट्री शूटिंग का. यानि की गाना साजन जी घर आए. करण जौहर ने बताया कि उस वक्त सलमान फिल्म हम दिल दे चुके सनम की शूटिंग से आया था और सफेद रंग की फटी जीन्स और टीशर्ट पहन रखी थी. 

सेट पूरा तैयार था, सलमान का सूट तैयार था, लेकिन तभी अचानक सलमान ने कहा, हे करण, मेरे पास एक आइडिया है. मैं यही जींस टीशर्ट में एंट्री करता हूं. आज तक ऐसा किसी दूल्हे ने नहीं किया. यह स्टाइल ट्रैंड बन जाएगा. लोग पागल हो जाएंगे.

मुझे अब लगता है कि शायद सलमान मजाक कर रहा था. लेकिन उस वक्त मैं बाहर गया और मैंने सलमान से कहा प्लीज मेरी पहली फिल्म के साथ ऐसा मत करो. तुम यह ब्लैक सूट पहनो. यह भी बहुत अच्छा है.

करण जौहर ने कहा कि सलमान जैसा बड़ा सितारा मेरी फिल्म में था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं पूरा फिल्मी हो चुका था, मैंने आंसूओं के साथ सलमान से कहा कि प्लीज वह फटी जीन्स-टीशर्स बदल ले.

और आखिरकार सलमान खान ने करण जौहर की बात मान ही ली. लेकिन कोई शक नहीं कि वह कहानी काफी दिलचस्प है.

“दिमाग और फैट दोनों खो चुके हैं अदनान”

भारत में रह रहे पाकिस्तान सिंगर अदनान सामी ने उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान पर निशाना साधा था. इसके बाद पाकिस्तान के ही सिंगर शफकत अमानत अली ने उन्हें आड़े हाथों लिया.

पाकिस्‍तानी मूल के अदनान सामी ने टि्वटर पर भारतीय सेना को बधाई दी थी. इंडिया टुडे ग्रुप के ‘सफाईगीरी अवॉर्ड्स’ कार्यक्रम में अपने ट्वीट को लेकर हुए विरोध पर अदनान ने कहा कि ट्वीट मेरे दिल से निकला था. मैं आलोचना करने वालों को माफ करता हूं.

अदनान का यह ट्वीट आते ही उनके पाकिस्‍तानी फैंस जैसे बौखला गए. इसके बाद वे अदनान के खिलाफ ट्वीट पर ट्वीट करने लगे. कईयों ने तो उन्‍हें गालियां देना भी शुरू कर दीं.

अब पाकिस्तानी सिंगर शफकत अमानत ने अदनान सामी पर निशाना साधते हुए कहा मोटापा और दिमाग दोनों खो चुके हैं.

शफाकत अली ने कहा, ‘अदनान के पाकिस्तान को दोष देने को लेकर मैं असहमत हूं. अदनान ऐसा कतई नहीं कह सकते कि पाकिस्तानी सेना और सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. वो उन लोगों के हीरो होंगे जो आतंक फैला रहे हैं, मेरे हीरो नहीं हैं.

गौरतलब है इंडिया टुडे ग्रुप के ‘सफाईगीरी अवॉर्ड्स’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आतंकवाद की कोई सरहद नहीं होती. आतंकवादी मुंबई में भी हमले करते हैं, वो पेशावर में भी करते हैं और पेरिस में भी करते हैं.

अदनान ने बताया कि उनकी मां, भाई और बेटे अभी भी पाकिस्तान में ही हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के पक्ष में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये किसी क्षेत्रीय विवाद को लेकर नहीं था, बल्कि ये उस आतंकवाद के लिए था, जो कि मानवता के लिए खतरा था.

दीवाली पर ‘ऐ दिल है..’ नहीं होगी रिलीज!

फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के फैन्स के लिए ये ए‍क बुरी खबर हो सकती है कि इस फिल्म की रिलीज डेट को टाला जा सकता है. दीवाली के मौके पर रिलीज होने जा रही करण जौहर की इस फिल्म की रिलीज डेट को आगे बढ़ाने की खबरे हैं.

खबरों की मानें तो फिल्म की रिलीज को टालने का अहम कारण उरी आतंकी हमले के बाद बॉलीवुड में पाकिस्तानी एक्टर्स पर बैन लगाने की मांग बताया जा रहा है. फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान अहम किरदार अदा कर रहें हैं.

फिल्म में उनके विजुअल्स हटाने की धमकी पहले ही MNS पार्टी की ओर से दी जा चुकी है. यही नहीं अगर करण जौहर अपनी फिल्म से फवाद खान के पार्ट को एडिट नहीं करते हैं तो MNS ने फिल्म को रिलीज नहीं करने देने की धमकी भी दी है.

इसी मसले को देखते हुए शायद फिल्ममेकर ऐ दिल है मुश्किल को दीवाली पर रिलीज ना करने का फैसला लें. अगर ऐसा होता है तो यह साफ है कि दीवाली पर फिर सिर्फ अजय देवगन की फिल्म ‘शि‍वाय’ ही रिलीज होगी.

हालांकि दोनों ही फिल्मों का प्रमोशन जोरों शोरों से चल रहा है. अब देखना यह है कि क्या करण जौहर मौजूदा माहौल को देखते हुए अपनी फिल्म की रिलीज डेट को बदलते हैं या नहीं?

‘व्यवसाय में फिल्मों से ज्यादा चुनौतियां’

नागेश कुकनूर की फिल्म ‘बौलीवुड कॉलिंग’ से डेब्यू करने वाली अभिनेत्री पेरिजाद जोराबियन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म ‘जौगर्स पार्क’ से कामयाबी मिली. दरअसल, बचपन से ही स्टेज परफौर्मैंस का शौक रखने वाली पेरिजाद ने न्यूयौर्क में एमबीए की पढ़ाई खत्म करने के बाद अफ्रीकन डांस सीखा. 12 साल बैले किया. थिएटर में थोड़े दिनों तक काम किया.

उन्हें जहां भी मौका मिलता स्टेज पर अवश्य परफौर्म करतीं. तब फिल्मों के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. पर पेरिजाद ने जब फिल्म में काम करना शुरू किया, तो उन्हें परिवार का पूरा सहयोग मिला. धीरे धीरे उन्होंने कई फिल्में कर डालीं.

अलग रास्ता

हालांकि वे सिर्फ अनुभव लेना चाहती थीं. पर एक के बाद एक फिल्में करती गईं, तो पिता के पोल्ट्री फार्म के व्यवसाय में उन की उपस्थिति कम होने लगी. फिर एक दिन पिता ने साफ साफ उनकी इच्छा जाननी चाही कि उन्हें करना क्या है. तब पेरिजाद भी तय कर चुकी थीं कि वे क्या करेंगी.

अत: वे ऐक्टिंग छोड़ बिजनैस में आ गईं. जब वे एन. चंद्रन की फिल्म ‘ये है मेरा इंडिया’ की शूटिंग कर रही थीं, उसी दौरान रियल ऐस्टेट व्यवसायी बमन रुस्तम ईरानी से एक इवेंट के दौरान मुलाकात हुई. फिर प्यार हुआ और फिर शादी. तब पेरिजाद ने तय किया कि वे पहले परिवार को बढ़ाएंगी, फिर काम. वे 2 बच्चों बेटी अजहा और बेटे जयान की मां बनीं.

परिवार का श्रेय

आज पेरिजाद ‘जोराबियन चिकन’ की ओनर और डायरैक्टर हैं. यहां तक पहुंचने का श्रेय वे अपने मातापिता और पति को देती हैं, जिन्होंने उन का पूरा पूरा साथ दिया.

व्यवसाय में आप को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

पेरिजाद कहती हैं, ‘‘यह सही है कि ‘पोल्ट्री’ का व्यवसाय मेल डौमिनेट है. मैं जब यहां आई तो मैं ही एक लड़की थी. पर बाद में मैं ने कई लड़कियां रखीं ताकि उन्हें काम मिले और मुझे काम करने में आसानी हो. मैं महिलाओं को शक्तिशाली बनाने में विश्वास रखती हूं. मेरे पिता ने मुझ में और मेरे भाई में कोई फर्क नहीं किया. मेरा भाई पोल्ट्री फार्म हाउस संभालता है. मातापिता के हिसाब से मेरी और उस की काबिलीयत बराबर की है. टीम में सारे लड़के हैं. वे किसी महिला द्वारा कही गई बात को अधिक नहीं मानते थे. अत: मैंने तय किया कि उन का सहयोग पाने के लिए चीखने चिल्लाने की जगह धैर्य से काम लेना होगा.”

‘‘मैं ने अपना सम्मान जबरदस्ती नहीं, बल्कि प्यार से पाया है, जो बहुत मुश्किल था. मेरा ब्रैंड 5 साल पुराना हो चुका है और मैं खुश हूं कि कुछ हद तक इस में मुझे सफलता मिली है. मैं इस में चिकन की रिटेल लाइन को देखती हूं. पहले मेरे पापा होलसेल मार्केट को देखते थे जो मुंबई और पुणे तक सीमित थी, लेकिन धीरे धीरे इस में कंपीटिशन बढ़ने लगा, तो मैंने ही सलाह दी कि रिटेल बेचना आज बहुत जरूरी है, क्योंकि जो लोग होटल में खाना खाते हैं उन्हें कौन सा चिकन दिया जा रहा है पता नहीं होता. ऐसे में ब्रैंड स्थापित नहीं हो सकता. आज रिटेल की डिमांड है. तब हमारी बहुत अच्छी ग्रोथ हुई. मुंबई, पुणे, दिल्ली, भोपाल, बैंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत आदि सभी जगहों पर इस की काफी डिमांड है.’’

खुद करती हैं देखभाल

पेरिजाद बताती हैं, ‘‘मेरे पास अंडों से ले कर चिकन बनने तक का पूरा प्रोसैस है, जिसे हम अपनी देखरेख में करते हैं. अच्छा दाना, अच्छी देखभाल, बेहतर साफसफाई से मुरगेमुरगियां उत्तम क्वालिटी की होती हैं. इन्हें किसी प्रकार का इंजैक्शन दे कर बड़ा नहीं किया जाता. चिकन की कई रैसिपीज जैसे शामी कबाब, सीख कबाब आदि को महिलाएं, पुरुष व यूथ सभी चंद मिनटों में बना सकते हैं. सामान हम हमेशा डिमांड से थोड़ी कम मात्रा में बनाते हैं ताकि बचे नहीं.’’

परिवार के साथ काम संभालने में परेशानी नहीं होती?

पेरिजाद बताती हैं, ‘‘मेरी टीम बहुत अच्छी है. घर पर जो मेरा सपोर्ट सिस्टम है वह भी बहुत अच्छा है. सुबह उठ कर थोड़ा वर्कआउट करती हूं. फिर औफिस और शाम को घर पहुंच कर बच्चों की पढ़ाई देखती हूं.’’

अब फिल्मों में आने की इच्छा नहीं होती?

‘‘अभी मेरे बच्चे छोटे हैं. फिर भी अगर अच्छी फिल्म मिलेगी, तो मैं अवश्य करना चाहूंगी.’’

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें