सावधानी से करें आइपीओ में निवेश

किसी भी कारोबार की शेयर वैल्यू फिक्स होने के बाद उसका आइपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) बाजार में आता है. निवेशकों और आम जनता की इसमें काफी रुचि रहती है.

आइपीओ में निवेश से कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है

कंपनी बीहेवियर

आइपीओ में निवेश करने से पहले कंपनी का पास्ट और ग्रोथ का एनालिसिस जरूर करें. यदि इंडस्‍ट्री में कंपनी बेहतर प्रदर्शन कर रही है तो इसमें निवेश करना फायदेमंद हो सकता है.

आइपीओ का उद्देश्य

आइपीओ का उद्देश्य जानना बेहद जरूरी है. ऐसा करने से आपको इस बात का पता चलेगा कि कंपनी आइपीओ के जरिए पैसे क्यों जुटा रही है. इससे आप अनुमान लगा सकती हैं कि कंपनी का ग्रोथ होगा या नहीं.

कंपनी के आइपीओ प्रोस्पेक्टस को पढ़ें

निवेश करने से पहले कंपनी के आइपीओ प्रोस्पेक्टस को ध्यान से पढ़ें. ऐसा करने से आपको आइपीओ के उद्देश्‍य को समझने में आसानी होगी और साथ ही इससे जुड़े जोखिमों के बारे में भी पता चलेगा.

इश्यू प्राइस को देखें

इश्यू प्राइस कहीं ओवर प्राइस्‍ड या अंडर प्राइस्‍ड तो नहीं है, यह जानने के लिए इनकी तुलना करना जरूरी है.

‘आ गया हीरो’ से कमबैक कर रहे हैं गोविंदा

कॉमेडी किंग माने जाने वाले गोविंदा आ गया हीरो फिल्म से बड़े पर्दे पर कमबैक करने वाले हैं. फिल्म का फर्स्ट लुक गोविंदा ने ट्वीट कर जारी किया.

हालांकि पिछले कुछ सालों में गोविंदा ने फिल्मों में छोटे रोल्स भी किए हैं. लेकिन लीड रोल में उनकी फिल्म बहुत दिनों बाद आ रही है.

दरअसल इस फिल्म की शूटिंग बहुत पहले शुरू हुई थी लेकिन किन्हीं वजहों से इसे रोक दिया गया था. फिल्म को गोविंदा ही प्रोड्यूस कर रहे हैं और फिल्म का नाम पहले ‘अभिनय चक्र’ रखा गया था.

बता दें कि फिल्म में गोविंदा आईपीएस ऑफिसर के रोल में दिखेंगे. आ गया हीरो में आशुतोष राणा का भी अहम किरदार है.

किसी बात का पछतावा नहीं: सनी लियोन

“खूबसूरती परफैक्ट फिगर में नहीं, बल्कि फिट फिगर में होती है. कहने का मतलब यह है कि बहुत जरूरी है कि आप की फिगर ही नहीं, बल्कि आप की सेहत भी अच्छी हो. अगर आप की सेहत अच्छी होगी तो आप की त्वचा और फिगर अपनेआप ही खूबसूरती की दास्तान कह देगी. इसलिए बहुत जरूरी है कि आप अपनी सेक्सी फिगर से ज्यादा अच्छी सेहत पर ध्यान दें’’ यह कहना है दुनिया की सबसे सेक्सी सनी लियोन का, जिनकी खूबसूरती के चर्चे हर मर्द की जबान पर हैं.

हर औरत सनी लियोन की तरह सेक्सी और खूबसूरत फिगर की मालकिन बनना चाहती है. लिहाजा हमने सनी से उनकी खूबसूरती और सेक्सी फिगर का राज जानने के लिए उन से बातचीत की. पेश हैं, सनी की जबानी उन की खूबसूरती की कहानी:

सनी का परफेक्ट बौडी में नहीं फिट बौडी में विश्वास का कारण?

मैं परफैक्ट बौडी से ज्यादा फिट बौडी में विश्वास रखती हूं. मैं ने ज्यादातर लोगों को देखा है सेक्सी फिगर पाने के लिए डाइटिंग शुरू कर देते हैं, जिस से वे अत्यधिक पतले हो कर बीमार लगने लगते हैं जबकि सच बात यह है कि डाइटिंग करने के बजाय हैल्दी खाना खाना चाहिए. आप जितना सही खाना खाएंगे उतना ही फिट रहेंगे. मेरी अच्छी सेहत का राज सही खानपान और समय पर खाना है.

क्या खाएं और क्या नहीं?

जिंदगी में अगर हमने स्वादिष्ठ खाने का त्याग करना सीख लिया तो समझ लो हम स्वस्थ जीवन के लिए बुक हो गए हैं. ज्यादातर देखा गया है कि जबान को अच्छी लगने वाली चीजें सेहत के लिए खराब होती हैं जैसे जंक फूड, मिठाई, चौकलेट, केक आदि. मैं इन सब चीजों से दूर रहती हूं. मेरी डाइट प्लान बहुत ही बोरिंग है, लेकिन हैल्दी है. जैसे मैं दिन की शुरुआत नारियल पानी से करती हूं. नारियल पानी पीने से तरोताजा महसूस होता है और स्किन भी अच्छी रहती है. चाय की जगह ब्लैक कौफी पीना पसंद करती हूं. 100 कैलोरी से ज्यादा का नाश्ता नहीं करती हूं, नाश्ते में अंडे की सफेदी और टोस्ट खाती हूं.

खूबसूरत दिखने के नायाब नुस्खे क्या हैं?

खूबसूरत दिखने के लिए 2 चीजें बहुत जरूरी हैं, सब से पहले आप की पौजिटिव सोच और दूसरी आप का अपने प्रति आत्मविश्वास. अगर अपनी बात करूं तो मैं अपनी जिंदगी में कभी किसी बात को ले कर पछतावा नहीं करती.

जब मैं ने बौलीवुड में कदम रखा तो मुझे अपने लिए कई सारी बातें सुनने को मिलीं, लेकिन मैं ने उन्हें ले कर कभी ओवर रिएक्ट नहीं किया और न ही निगेटिव सोच रखी. उस का नतीजा यह है कि धीरे धीरे मुझे बौलीवुड इंडस्ट्री स्वीकार करने लगी. पौजिटिव सोच और सबने मुझे एक मजबूत इनसान बनाया.

अगर आप में आत्मविश्वास की कमी होगी या आप की सोच निगेटिव होगी तो वह सब आप की बौडी लैंग्वेज में नजर आ जाएगा. इसलिए खूबसूरत दिखने के लिए पौजिटिव सोच और आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है.

ऐक्सरसाइज करने के खास तरीके?

मैं हफ्ते में 3 दिन ऐक्सरसाइज जरूर करती हूं. अगर शूटिंग होती है तो 30 मिनट की ऐक्सरसाइज करती हूं और अगर फ्री होती हूं तो पूरे 2 घंटे ऐक्सरसाइज करती हूं. मुझे अपने पति के साथ ऐक्सरसाइज करने में बहुत मजा आता है.

जिम में वही मेरे पार्टनर हैं. मैं कार्डियो ज्यादा करती हूं, जिस में ऐक्सरसाइज के दौरान मेरा मकसद कैलोरी कम करना ही होता है. कंधों की ऐक्सरसाइज के लिए बौक्सिंग करती हूं और कमर के नीचे का हिस्सा पतला करने के लिए साइकलिंग ज्यादा करती हूं, मैं हर सैशन में 500-600 कैलोरी बर्न करती हूं.

मेकअप टिप्स?

दरअसल, मुझे मेकअप करने से सख्त नफरत है. खासतौर पर मुझे पाउडर लगाना बिलकुल पसंद नहीं है. इसलिए मैं क्रीम बेस्ड मेकअप करती हूं. मेकअप उतारने के लिए जैपनीज मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करती हूं. इस के अलावा ब्लश भी क्रीम बेस्ड ही लगाती हूं. मेकअप के लिए मेरे ज्यादातर प्रोडक्ट वाटर बेस्ड होते हैं. मसकारा भी मैं लाइट वेट और पतला इस्तेमाल करती हूं. लाइनर और काजल भी वाटर बेस्ड ही लगाना पसंद करती हूं. इस के अलावा किस फौर ग्लौसी जो हर रंग में आता है उसे जरूर होंठों पर लगाती हूं. अगर शूटिंग नहीं होती तो मैं बहुत हलका मेकअप करती हूं. ताकि मेरी स्किन को भी थोड़ा आराम मिले.

बालों की देखभाल?

मुझे बालों की खासतौर पर देखभाल करनी पड़ती है, क्योंकि प्रोफैशन के हिसाब से मेरे बालों पर कैमिकलयुक्त प्रोडक्ट्स और बहुत ज्यादा ब्लो ड्राई का इस्तेमाल होता है. इसलिए मैं नियमित तौर पर बालों में नारियल तेल लगा कर मसाज करती हूं. बालों को मजबूत बनाने के लिए प्रोटीनयुक्त पदार्थ भी लगाती हूं ताकि बालों की जड़ से देखभाल हो सके.

ड्रैसिंग स्टाइल?

मुझे इंडियन ड्रैसेज खासतौर पर साड़ी पहनना बहुत पसंद है और वह शायद इसलिए कि मुझे पहले कभी खूबसूरत साड़ी पहनने का मौका नहीं मिला. इंडिया आने के बाद मैं सारी प्रैस कौन्फ्रैंस में साड़ी पहन कर जाना पसंद करती हूं. इस के अलावा मुझे गाउन और जींसटीशर्ट पहनना भी पसंद है. इनमें मैं काफी सहज रहती हूं.

पसंदीदा ज्वैलरी?

रोजमर्रा की जिंदगी में मुझे लाइट वेट ज्वैलरी पहनना पसंद है जैसे डायमंड, प्लैटिनम पर्ल से बनी ज्वैलरी. लेकिन खास मौकों पर मुझे नक्काशीदार सोने से बनी जड़ाऊ ज्वैलरी पहनना अच्छा लगता है. पर्सनली मैं खूबसूरत ज्वैलरी की बहुत शौकीन हूं. मेरे पास अच्छाखासा कलैक्शन है.

लाइफस्टाइल?

मेरा मानना है कि अगर आप को अच्छी जिंदगी जीनी है तो पर्सनल लाइफ में सादा जीवन उच्च विचार रखों. अगर आप शोओफ की जिंदगी जीएंगे तो आप सहज नहीं रह पाएंगे, फिर अगर आप सहज नहीं रहेंगे तो आप की सेहत पर इस का बुरा असर होगा. इसलिए कोशिश करें कि पर्सनल जिंदगी पर प्रोफैशनल जिंदगी की छाप न आने दें.

पाकिस्तान में रिलीज नहीं होगी दंगल

आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ 25 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है. दुनियाभर में मौजूद आमिर के प्रशंसक इस फिल्म को लेकर खासे उत्साहित हैं. लेकिन पाकिस्तान में मौजूद आमिर के चाहने वालों के लिए बुरी खबर है. ये फिल्म वहां रिलीज नहीं होगी.

दरअसल उड़ी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के साथ ही यहां के फिल्म जगत में उथल-पुथल मच गई है. एक तरफ भारत में पाक फिल्मी कलाकारों के काम करने पर बैन लगा. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के सिनेमाघरों के मालिकों और डिस्ट्रिब्यूटर्स ने भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग पर वहां रोक लगा दी. डिस्ट्रिब्यूटर्स के स्पोक्सपर्सन ने एक स्टेटमेंट जारी कर यह साफ कर दिया है कि ‘दंगल’ पाकिस्तान में रिलीज नहीं होगी.

गौरतलब है कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्में रिलीज न करने के फैसले के बाद से पिछले दो महीनों के दौरान वहां के सिनेमा मालिकों को करीब 150 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है. पिछले दिनों खबर आई कि पाकिस्तान में इंडियन फिल्मों की स्क्रीनिंग पर लगी रोक अब खत्म हो गई है और अब वहां ‘दंगल’ रिलीज होगी.

तापसी कर सकती हैं श्रद्धा को रिप्लेस

2016 की हिट फिल्म ‘बागी’ का सीक्वल बनने जा रहा है. लेकिन सूत्रों की मानें तो श्रद्धा कपूर इस फिल्म में नहीं होंगी. उनकी जगह तापसी पन्नू का नाम लगभग तय किया जा चुका है. प्रॉड्यूसर साजिद नाडियाडवाला की प्रोडक्शन टीम के एक अहम सूत्र ने ये जानकारी दी है.

उन्होंने बताया कि शब्बीर खान निर्देशित ‘बागी’ 100 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी है, इसलिए सीक्वल में श्रद्धा को कास्ट किया जाना तय माना जा रहा था, लेकिन अब तापसी और साजिद के बीच उस किरदार को लेकर फाइनल डिस्कशन चल रहा है. सूत्र के मुताबिक, इस बारे में ऑफिशियल अनाउंसमेंट होनी भर बाकी है.

‘गाजी’, ‘नाम शबाना’ और ‘जुड़वा 2’ जैसी फिल्मों के साथ तापसी ने करियर में अच्छी ग्रोथ हासिल की है. नए साल में उनकी 6 फिल्में रिलीज हो रही हैं. तापसी ने साजिद नाडियाडवाला के साथ तीन फिल्मों की डील भी साइन की है.

डबल चिन छिपाने के मेकअप टिप्स

चेहरे की खूबसूरती निखारने में तो मेकअप मदद करता ही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार मेकअप आपकी कई तरह की सौंदर्य समस्याओं को भी मिनटों में हल कर देता है.

यदि आप डबल चिन से परेशान है और फिटनेस के सारे फंडे अपनाकर थक चुकी हैं तो मेकअप आपकी इस ख्वाहिश को काफी हद तक पूरा कर सकता है. अब पार्टी में जाने से पहले शीशे में बार-बार अपनी डबल चिन देखकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. आपकी इसी मुसीबत को आसान कर देंगे ये फटाफट मेकअप ट्रिक्स.

चिन के निचले हिस्से को मेकअप के दौरान थोड़ा डार्क रखें और इसे अपनी गर्दन के कलर से भी इसे मैच करें.

मेकअप करते समय गले और आंखों के मेकअप पर ज्यादा ध्यान दें ताकि यह उभरे हुए नजर आएं. इससे लोगों का ध्यान आपकी चिन से हट जाएगा और चेहरा सुंदर दिखने लगेगा.

चेहरे की जॉ लाइन पर ध्यान देना भी जरूरी है. मेकअप के जरिए यदि इन्हें उभारा जाए तो भी डबल चिन पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता.

गले में कोई ज्वैलरी पहनें. नेकलेस की सुंदर डिजाइन या फिर सोने के तारों से बनी चेन लोगों का डबल चिन से ध्यान हटाने का काम करेगी.

कपड़ों की डिजाइन भी आपकी सहायता कर सकती है. नेकलाइन, चौड़ा गला और वी-नेक डबल चिन को छिपाने में कारगर साबित होते हैं.

हेयरस्टाइल बनाते समय भी बहुत ध्यान दें. बालों को खुला रखें और इन्हें आगे की तरफ रखें. चेहरे के आकार के हिसाब से आप किसी हेयर स्टाइलिस्ट की मदद भी ले सकती हैं.

तो इसलिए आती है डकार

आम तौर पर लोग समझते हैं कि डकार आ गई, मतलब पेट भर गया और कुछ लोग इसे बदहजमी की शिकायत कहते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. डकार आना शारीरिक क्रिया का एक अंग है. कूकर में जैसे दाल या सब्जी पकाते समय गैस ज्यादा बन जाती है तो सेफ्टी वॉल्व अपने आप सीटी देने लगता है, उसी तरह से पेट में इकट्ठा गैस आवाज के साथ जब मुंह व गले के सहारे बाहर निकलती है तो उसे डकार आना कहा जाता है.

ऐसे आती है डकार

जब हम खाना खाते हैं तो भोजन के साथ कुछ वायु पेट में प्रवेश कर जाती है. भोजन नली और पेट के बीच डायफ्राम होता है. भोजन के पेट में प्रवेश हो जाने के बाद यह खुद ही बंद हो जाता है. इससे पेट में कुछ वायु इकट्ठी हो जाती है. लेमन सोडा आदि पेय पदार्थों के पीने से भी पेट में ज्यादा गैस पैदा हो जाती है, जिससे शरीर के कंट्रोल रूम रूपी मस्तिष्क बेकार गैसों को बाहर निकालने का आदेश दे देता है. इसके बाद कुछ मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं जिससे भोजन नली में छाती और पेट के बीच बना दरवाजा(डायफ्राम) कुछ देर के लिए खुल जाता है. वायु गले और मुंह से होती हुई बाहर आती है. यह पेट भरने का परिचायक नहीं है.

डकार आने पर आवाज का कारण

जब इकट्ठा वायु पेट से भोजन नली में आती है तो एक तरह का कंपन करने लगती है जो गले और मुंह से बाहर निकलने पर आवाज करती है. अगर पेट की वायु बाहर निकलने पर कंपन न करे तो आवाज नहीं होगी, जो असंभव है क्योंकि यह स्वाभाविक शारीरिक क्रिया है.

डकार न आने पर

अगर डकार न आए यानी मस्तिष्क पेट में एकत्रित गैस को बाहर निकालने के लिए आदेश देने में कुछ देरी कर रहा है. इससे हमें बेचैनी होने लगती है.

डकार न आए तो

– पेट में अक्सर दर्द की शिकायत रहने लगती है.

– भूख कम लगने लगती है.

– पाचन क्रिया शिथिल पड़ जाती है.

नाखूनों को दें स्टाइलिश व कलरफुल लुक

विंटर सीजन खुद को फैशनेबल फ्लौंट करने का सब से बढि़या मौसम होता है, जिस में आप पेल से ले कर डार्क व न्यूड से ले कर बोल्ड किसी भी लुक को बिना किसी हिचकिचाहट के अपना सकती हैं.

तो इस विंटर सीजन की दस्तक के साथ कमिंग फैशन ट्रैंड्स पर भी नजर डालना शुरू कर दीजिए ताकि आप के स्टाइलिश लुक में कोई कमी न रह जाए.

 

तो चलिए, नेल्स को इस फौल विंटर में सैक्सी व स्टाइलिश बनाने के लिए जानें टौप 10 नेल कलर्स व ट्रिक्स.

बरगंडी या औक्सब्लड

इस साल के हौट ये ड्यूल लिप कलर्स इस विंटर सीजन में आप के नेल्स को भी ट्रैंडी दिखाएंगे. वूल स्टफ आउटफिट के साथ रैड वैल्वेट व ब्लडी कलर्स बेहद सैक्सी नजर आएंगे. डिफरैंट लुक के लिए आप नेल्स पर रैड के डिफरैंटडिफरैंट शेड्स अप्लाई कर सकती हैं.

ग्लिटर नेल्स

ग्लिटरी नेल पौलिश भी इस विंटर सीजन में आप को स्टाइलिश लुक देगी खासतौर पर वैडिंग, डेट या नाइट पार्टी में तो इन नेल पेंट्स का अपना ही जलवा रहेगा. बस अपनी ड्रैस से मैच करता वाइब्रेट शेड नेल्स पर लगाएं और ग्लिटर बेस्ड नेल कलर को टौप कोट के तौर पर लगा लें. आप के नेल्स पार्टी की रौनक में चार चांद लगा देंगे.

मिडनाइट ब्लू

ब्लू के शेड्स किसी भी मौके पर किसी के भी साथ खूब भाते हैं. फिर चाहे वह आप की ड्रैस हो अथवा ऐक्सैसरीज. अगर बात की जाए अपकमिंग ट्रैंड्स की तो ब्लू के शेड्स सब से ज्यादा हिट हैं, जो आप के हाथों को बेहद ब्राइट व खूबसूरत लुक देंगे.

न्यूड

न्यूड शेड्स हमेशा ही डीसैंट व क्यूट नजर आते हैं, फिर चाहे मौसम कोई भी हो. विंटर 2016-17 में न्यूड शेड्स की अहमियत बाकी अन्य शेड्स से ज्यादा रहेगी. इन शेड्स से हाथों को फेयरी व क्लीयर लुक मिलेगा और आप का ओवरऔल लुक फैंटास्टिक नजर आएगा.

ग्रे

लाइट व डार्क का परफैक्ट कौंबिनेशन कहलाए जाने वाला यह हौट कलर हर तरह से क्लासी नजर आएगा. इस में थोड़ा सा ग्लैमर ऐड करने के लिए आप क्रिएटिव नेल आर्ट, नेल ऐक्सैसरीज का सहारा भी ले सकती हैं. यह काफी हौट व ब्यूटीफुल नजर आएगा.

पेल

सौफ्ट लुक पसंद करने वाली महिलाओं के लिए पेल शेड्स हमेशा बैस्ट होते हैं. न्यूट्रल मेकअप, सौफ्ट रोमांटिक कलर्स के साथ आप पेल कलर को परफैक्टली कैरी कर सकती हैं.

पर्पल शेड्स

पर्पल श्रग, स्वैटर व टौप के साथ इस विंटर को मैचिंगमैचिंग बनाने के लिए आप इस हिट कलर के शेड्स से नेल्स को डैकोरेट कर सकती हैं. यकीन मानिए ये आप की पर्सनैलिटी को कंप्लीटली निखार देंगे. वैसे इस विंटर सीजन में पर्पल के सभी शेड्स जैसे लाइलैक, लैवेंडर, जैम, मलबैरी आदि का खुमार केवल आप के हाथों पर ही नहीं, बल्कि आउटफिट पर भी खूब रहेगा.

मैटेलिक कलर्स

इस विंटर सीजन में नेल्स पर मैटेलिक शेड्स का कोट भी लगा सकती हैं. गारमैंट्स, ऐंबैलिशमैंट व नेल्स पर मैटेलिक शाइन आप के लुक को रौयल दिखाएगी.

डार्क ग्रीन

ऐमरल्ड, डार्क टिंबरलैंड ग्रीन जैसे टिंट्स वाली शिमरी ऐनैमल्स से नेल्स को फ्लौंट कर सकती हैं, क्योंकि ग्रीन भी इस फौल विंट्स के हिट कलर्स की श्रेणी में शामिल है.

ब्लैक कार्बन शेड्स

कार्बन ब्लैक शेड को आप किसी भी कलर के आउटफिट के साथ कौन्फिडैंटली कैरी कर सकती हैं. यह आप के हर अटायर पर बखूबी सूट करेगा और सिंपल व ऐलिगैंट नजर आएगा.

नेल आर्ट

पार्टी वाले मूड के लिए सोकडी नेल आर्ट 3 औफ नेल पेंट्स भी करवा सकती हैं. लेकिन अगर गर्ली कैजुअल मूड में रंगने का मन है तो पोल्का डौट्स, स्ट्राइप्स, ऐनिमल प्रिंट्स, ग्लिटर्स, न्यूजपेपर आर्ट, कार्टून कैरेक्टर आदि बनवा सकती हैं.

स्ट्राइप्स बनवा कर नेल्स को लंबा दिखा सकती हैं. कालेजगोइंग हैं तो पिकाचो, स्किटी, टौरचिक, टर्टविग, जूबट, जिगलीपफ, स्किर्टिल आदि कैरेक्टर्स को भी अपने नेल्स पर फ्लौंट कर सकती हैं.

इस के साथ पौकेमौन बौल्स जैसे सफारी बौल, मास्टर बौल, स्पोर्ट बौल, पिकाचो बौल, अल्ट्रा बौल, डस्क बौल आदि को भी अपनी डिजाइन के तौर पर चुन सकती हैं. वाइब्रेंट शेड की ये बौल्स व कैरेक्टर्स आप के हर तरह के आउटफिट पर जंचेंगे.

नोट ही नोट छप्पर फाड़ के

गेट खोल कर निम्मी अंदर जाने लगी कि सामने के मकान के गेट पर खड़ी युवा महिलाओं के झुंड ने आवाज दे कर रोक लिया.

‘‘आज किट्टी में क्यों नहीं आई… बाजार का चक्कर लगाने की फुरसत है हमारे बीच बैठने की नहीं,’’ रश्मि ने उलाहना देते हुए कहा.

‘‘आज थोड़ा बिजी थी. कल ननद अपने परिवार के साथ यहां सासूजी से मिलने आ रही हैं, तो घर का सामान लेने और रुपए निकालने एटीएम तक गई थी.’’

‘‘क्यों हमारे बैंकर भाई साहब कहां हैं, जो तुम्हें पैसों के लिए दौड़ना पड़ गया?’’

‘‘उन की बात न ही करो तो अच्छा. उन के चक्कर में ही घर में नकदी नहीं रहती. जितनी जरूरत हो बस उतने ही ले कर शाम को आ जाएंगे. मैं तो 1 रुपया पार नहीं कर सकती इन की जेब से. 1-1 नोट गिन कर रखते हैं. क्या मजाल कि 10 का नोट भी अपनी जगह से खिसक जाए. अपना तो अपना मेरे पर्स के भी नोट उन्हें जबानी याद रहते हैं,’’ निम्मी का आक्रोश उमड़ पड़ा.

‘‘यह अच्छा है, मेरे पति को तो कुछ खबर नहीं रहती. दोपहर दुकान बंद कर जब लंच में घर आते हैं तो 1-2 बड़े नोट उड़ा लेती हूं, ‘‘शिखा गर्व से बोली,’’ यह हार उन्हीं रुपयों का है.’’

 

निम्मी जलभुन कर राख हो गई. पर प्रकट में बोली, ‘‘जब वे दूसरों के रुपयों का दिन भर बैठ कर हिसाब लगाते रहते हैं, तो क्या अपनी मेहनत की कमाई का हिसाब नहीं रखेंगे? तुम लोग लकी हो कि पति की जेब कट भी जाए, तो उन्हें पता नहीं चलता.’’

रसोईघर में सामान व्यवस्थित कर अपनी सास से निम्मी ने कहा, ‘‘सारा सामान ले आई हूं और 5 हजार रुपए भी निकाल लिए हैं. अगर दीदी और बच्चे शौपिंग करना चाहें तो इन से काम चल ही जाएगा. कल बुधवार है, अब ये बृहस्पतिवार सुबह ही भोपाल से लौटेंगे. इस दूसरे शनिवार और इतवार को छुट्टी रहेगी बैंक में. तभी हम सभी कहीं पास का घूमने का प्रोग्राम बना लेंगे.’’

‘‘यह ठीक किया बहू, जो रुपए निकाल लाई. वैसे भी रीमा 2 साल बाद आ रही है… मेरे पास भी नकदी नहीं है घर में. अगर होती तो तुम्हें यों परेशान न होना पड़ता.’’

‘‘कोई बात नहीं मांजी, मेरी आदत भी खराब हो गई है. नकद रुपयों का कुछ ध्यान ही नहीं रखती. ये ही हर हफ्ते के हिसाब से घर खर्च के रुपए अलमारी में रख देते हैं. अब इन्हें अचानक भोपाल मीटिंग में जाना पड़ गया और मुझे किट्टी के पैसे भी देने थे, तो बस नकदी खत्म हो गई. वैसे हालफिलहाल इन से काम चल ही जाएगा. परसों दिन तक ये लौट आएंगे,’’ निम्मी अपनी तरफ से निश्चिंत हो उठ कर रसोई के काम में लग गई.

तभी फोन की घंटी बजी तो निम्मी ने रिसीवर उठा कर कहा, ‘‘हैलो, कहां पहुंचे?’’

‘‘वह सब छोड़ो, जरा टीवी पर देख कर बताओ कि 5 सौ और 1 हजार के नोट बंद हो गए क्या?’’ विनीत ने हड़बड़ी में पूछा.

‘‘क्या कह रहे हो? अभी टीवी औन करती हूं. हां ‘मन की बात’ में मोदीजी कह रहे हैं कि आज रात 12 बजे से ये नोट बंद हो जाएंगे.’’

‘‘जरा फोन का स्पीकर औन कर मुझे सुनाओ.’’

‘‘अच्छा… तुम्हारी मीटिंग भी इसीलिए है क्या?’’

‘‘मुझे कुछ नहीं पता,’’ और फोन कट गया.

‘ट्रेन में सिग्नल मिलना बंद हो गया होगा,’ सोच कर निम्मी ने रिसीवर रख दिया और फिर सोचने लगी कि अब ये 5 हजार किस काम के?

जल्दी से उठ कर अपने 2-3 पर्स खंगाल डाले. करीब हजार रुपए के छुट्टे मिले, तो राहत की सांस ली.

तभी फोन फिर बज उठा.

‘‘हैलो, हां प्रणाम जीजी, अरे आप वापस क्यों लौट गईं आधे रास्ते से… तो क्या हुआ… ठीक है घर पहुंच कर फोन करिएगा.’’

‘‘मांजी, जीजी आधे रास्ते से ही गाड़ी मोड़ कर जबलपुर लौट गईं. अब फिर कभी प्रोगाम बनाएंगी यहां आने का,’’ निम्मी ने सास को ननद के न आने की सूचना दी तो 80 वर्षीय वृद्घा परेशान हो उठीं.

‘‘क्यों लौट गई?’’ उन्होंने परेशान स्वर में पूछा.

‘‘अरे मांजी, हजार और 5 सौ के नोट बंद हो जाएंगे कल से… शायद घर में काफी नकदी रखी है उन्होंने… परेशान हो उठीं इस खबर को सुन कर और फिर लौट गईं.’’

‘‘जो नोट घर में हैं उन का क्या होगा?’’

‘‘वे बैंक से बदल कर दूसरे लेने पड़ेंगे और क्या? मगर आप को क्या परेशानी है? आप की पैंशन तो बैंक में जमा रहती है, आप जब भी निकालेंगी, आप को नए नोट ही मिलेंगे.’’

अंदर जा कर मांजी एक पर्स उठा लाईं. बोलीं, ‘‘देख इस में 20-25 नोट तो होंगे ही… तू कल ही जा कर इन्हें बदल आना.’’

निम्मी उन का चेहरा देखती रह गई कि अभी कुछ देर पहले तो 1 भी रुपया न होने का रोना रो रही थीं और अब अचानक इतने नोट…

‘‘और भी कहीं रखे हैं तो निकाल दीजिए,’’ निम्मी आज उन की पूरी बचत अपनी आंखों से देखना चाहती थी. थोड़ी देर में एक पोटली और ले आईं, जिस में रेजगारी रखी थी. बोलीं, ‘‘ये भी बंद हो गए क्या?’’

निम्मी मन ही मन हंसने लगी, पर कुछ न बोली. मांबेटे दोनों पैसों के मामले में बड़े तेज हैं… बेटे के पास 1-1 पाई का हिसाब रहता है, तो भी मां इतने सारे नोट छिपा कर रखे रहती हैं. जरूर अपनी बेटियों को छिप कर देती होंगी. बेटा इन को भी कुछ न कुछ हर माह तो देता ही होगा, मगर खर्चा कुछ होता नहीं. इन दोनों मांबेटे के बीच वही बेवकूफ है, जिस के पास कोई छिपा धन नहीं है.’’

फिर निम्मी ने सारे काम छोड़ कर पहले रुपए गिनने का काम किया. 20 हजार 4 सौ रुपए निकले. वह मन ही मन अपनी सास को परेशान देख कर खुश हो रही थी. फिर बोली, ‘‘कल बैंक बंद रहेंगे.’’

‘‘फिर क्या होगा?’’ सास की हवाइयां उड़ गईं.

‘‘अब परसों जब ये वापस आएंगे तभी पता चलेगा इन रुपयों का क्या होगा,’’ और फिर वह किचन का काम निबटाने चली गई. उस ने जानबूझ कर अपनी सास को सही जानकारी नहीं दी. सोचा होने दो परेशान जब मैं रुपयों को ले कर कुछ देर पहले परेशान थी तब तो ये चुपचाप बैठी थीं जैसे कुछ जानती ही न हों.

बुधवार को तो जिसे देखो वही विनीत भाई को खोजता चला आ रहा था.

‘अच्छा हुआ ये घर पर नहीं हैं वरना सब मिल कर दिमाग चाट लेते इन का’ सोच निम्मी मन ही मन कुढ़ रही थी. स्वभाव से वह बहुत ही शक्की और मतलबपरस्त थी. आज सुबह से ही लोगों के आनेजाने से उस की बहुत आफत आ गई थी. विनीत का फोन मिल नहीं रहा था. पहले ट्रेन में, फिर शायद मीटिंग में फोन बंद कर दिया होगा.

‘‘भाभी सुनो तो, आज बैंक बंद हैं न?’’ यह सामने वाली कुसुम थी, ‘‘भैया हैं क्या घर पर?’’

‘‘नहीं, कल तक आएंगे.’’

‘‘यह कोई बात है भला, तुम ने हमें पहले नहीं बताया कि नोट बंद हो जाएंगे… बैंक वालों को तो पता चल ही जाता है पहले से,’’ कुसुम उलाहना देते हुए बोली.

‘‘अरे, हमें भी क्या पता था. कल ही तो एटीएम से 5 सौ के 10 नोट ले कर आई हूं… ऐसे ही बैंक वालों को पता होता तो उन के दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसियों को पता न चल जाता?’’ निम्मी चिढ़ कर बोली और भीतर चली गई.

‘‘बहू इन नोटों का क्या होगा?’’ सास बहुत चिंतित थीं.

‘‘अरे, आप के बेटे कल आप के अकाउंट में जमा कर देंगे,’’ निम्मी ने उन्हें परेशान देख कर सच बता ही दिया.

‘‘मगर जो मैं ने गांव की अलमारी में रखे हैं उन का क्या होगा?’’ सास बोलीं.

‘‘क्या? वहां घर में क्यों रखे आप ने? डाकखाने में खाता खोल तो रखा है आप का,’’ निम्मी हैरानी से बोली.

‘‘अरे बारबार कौन चक्कर लगाए डाकखाने के. वहां भी तो शादीविवाह, नातेदारी, मेहमानों के लिए कुछ तो रखना था घर में. पिछले 8-9 महीनों से तो यही हूं, तो वे रुपए वैसे ही रखे हैं.’’

‘‘कितने रुपए हैं?’’

‘‘10 हजार निकाले थे डाकखाने से. 9 हजार तो होंगे ही वहां. हजार रुपए ले कर मैं यहां आ गई थी.’’

‘‘गांव क्या पास में है? 2-3 हजार किलोमीटर दूर है यहां से. ट्रेन से 9-10 हजार रुपए लग ही जाएंगे. अब तत्काल से टिकट निकालने पड़ेंगे. आप के साथ मुझे ही जाना पड़ेगा. इन्हें तो अब छुट्टी मिलने से रही. हुंह, बिना बात आप की वजह से लफड़ा होगा,’’ निम्मी भुनभुनाई.

मांजी कुछ सोच कर बोलीं, ‘‘उसी डाकखाने को वापस दूंगी, जिस ने ये नोट मुझे दिए हैं.’’ निम्मी कुछ न बोली.

बृहस्पतिवार को जब दोपहर को विनीत भोपाल से लौटा, तो मांजी अपने नोट ले कर तुरंत खड़ी हो गईं. मानो अभी न जमा हुए तो भूचाल आ जाएगा. विनीत भी बस तुरंत तैयार हो बैंक को निकल गया.

सौ के नोट की एक गड्डी ले कर रात 8 बजे घर में घुसा तो निम्मी ने राहत की सांस ली. तभी कुसुम हाजिर हो गई.

‘‘भैया एटीएम में तो नोट खत्म हो गए थे. बैंक में इतनी लंबी लाइन थी कि हिम्मत ही नहीं पड़ी लगने की, फिर सोचा जब भैया बगल में हैं तो हम क्यों परेशान हों.’’

‘‘सही कहा आप ने. बोलिए आप की क्या सेवा करूं.’’

‘‘बस आप 2 हजार के खुले दे दें, तो काम चल जाएगा,’’ अपने हाथ में पुराने नोट लिए कुसुम ने कहा.

‘‘आप ऐसा करिए, मुझे 2 हजार का चैक दे दीजिए और निम्मी से खुले नोट ले लीजिए. ये पुराने नोट और पासबुक यहीं छोड़ दीजिए, कल आप के अकाउंट में जमा कर दूंगा.’’

‘‘साहब, मुझे भी 1 हजार चाहिए,’’ यह विनीत का ड्राइवर था, जो कार की चाबी देने को खड़ा था.

‘‘तुम ने दिन में बैंक से क्यों नहीं लिए? निम्मी… इसे भी 1 हजार दे दो.’’

‘‘भाभी आप ने बोला था, साहब आएंगे, तो नोट बदल देंगी. मैं आप के दिए नोट ही वापस लाई हूं,’’ यह स्यामा थी, कामवाली, 5 सौ के 4 नोट पकड़े, ‘‘शर्माजी के घर मेहमान आए हैं इसीलिए आज देर तक वहीं थी. फिर साहब की गाड़ी देखी तो दौड़ कर घर से रुपए उठा लाई. अब और तो कोई खुले दे नहीं पा रहा.’’

निम्मी ने उस के नोट ले कर उसे खुले नोट दे दिए. अब 5 हजार के ही 100 के नए नोट हाथ में बचे थे उस के. ‘‘अब किसी और को नोट घर से देने की जरूरत नहीं है,’’ वह बड़बड़ाई.

मगर कुसुम ने जो सुविधा प्राप्त की उस का डंका दूसरे दिन सभी महिला मंडल को लग गया. विनीत से घर बैठे सुविधा का लाभ लेने का मौका भला वे क्यों छोड़तीं. अभी सुबह के 8 ही बजे थे कि रीना, मधु, गीतिका सजधज कर हाजिर हो गईं.

‘‘मेरे पास 10 हजार हैं, बदल जाएंगे?’’ मधु अपनी आवाज में शहद की मिठास घोल कर बोली.

‘‘मेरे पास 30 हजार हैं,’’ रीना ने बताया.

‘‘मेरे पास 50 हजार हैं, पर मैं ने सोचा अपने विनीत भाई हैं न, फिर क्यों परेशान होना,’’ यह गीतिका थी.

‘‘भैया मेरा तो छोटा सा प्राइवेट स्कूल है, दोढाई लाख की तो मुझे हर महीने पेमैंट ही करनी होती है. किराया, सैलरी इन सब के लिए मेरे पास 8-10 लाख तक कैश रखा है, कोईकोई पेरैंट्स 3-3 और 6-6 महीनों की फीस इकट्ठा ही दे जाते हैं. 10 तारीख तक फीस जमा होती है. फिर उसी से पेमैंट करती हूं, अब मैं क्या करूं?’’ यह प्रतीक्षा थी. उसे शायद देर से खबर लगी थी. इसीलिए वह तो नाइट गाउन में ही भागी चली आई थी.

प्रतीक्षा के गहरे गले की नाइटी को विनीत घूरघूर कर देखता रहा. फिर मुसकरा कर बोला, ‘‘निम्मी, भाभी लोगों को चायपानी पिलाओ.

आप लोग अपनीअपनी पासबुक और रुपए ले कर बैंक में आ जाएं. वहां लाइन में न लग कर सीधे मेरे कैबिन में आ जाना. सभी के खाते में रुपए जमा करवा दूंगा और 4 हजार के नोट बदल लीजिएगा.’’

‘‘आप मेरा सारा कैश बदल कर कल वापस कर दीजिए. बैंक में तो लाखों के नए नोट होंगे,’’ मधु अपने लहराते पल्लू को संभालते हुए बोली.

‘‘हां, यह ठीक रहेगा. हमारी बचत पतियों को पता नहीं चल पाएगी,’’ बाकियों ने हां में हां मिलाई.

‘‘अरे, ऐसे कैसे नोट बदल दूं. एक आदमी अपनी आईडी पर 4 हजार ही एक दिन में बदल सकता है,’’ विनीत को हंसी आ गई.

‘‘अंदर ही अंदर बदल दीजिए, काउंटर से नहीं.’’

‘‘ऐसा नहीं हो सकता, सीसीटीवी की निगरानी में काम होना है. आप लोग परेशान न हों. फिलहाल कल आ कर 4 हजार ले कर काम चलाइए, कोई परेशानी हो, तो मैं हूं न.’’

तभी विनीत का फोन बज उठा, ‘‘नमस्कार हां, आप कल बैंक आ जाएं. नहींनहीं, वह तो अकाउंट में ही जमा करना पड़ेगा… नहीं नकद तो बदल कर अभी 4 हजार ही मिलेंगे. बाद में कोई नया रूल आया तब देखेंगे कि क्या कुछ हो सकता है… ठीक है.’’

‘‘किस का फोन था?’’ निम्मी चाय की ट्रे लिए हाजिर हुई.

‘‘तहसीलदार का. बोल रहे थे 2 लाख कैश है घर में. उसे बदलना है.’’

‘‘अरे, उन की छोड़ो, मैं तुम्हें बताना भूल गई. मांजी गांव में 9 हजार रख कर यहां आ गईं. अब नोट कैसे बदलेंगे?’’

‘‘एक नई मुसीबत. बैंक में कम हायहाय हो रही है जो तुम लोग घर में भी कुछ न कुछ तमाशा करते रहते हो,’’ विनीत झल्ला कर बोला.

‘‘मैं ने नहीं, तुम्हारी मां का कियाधरा है. मेरे पास तो फूटी कौड़ भी नहीं है पुरानी रकम के नाम पर.’’

‘‘ऐसा करो, तुम दोनों कल तत्काल टिकट से गांव निकल जाओ 1-2 हफ्तों के लिए.’’

‘‘हां भैया आप हमारे घर पर ही लंच, डिनर कर लिया करना,’’ मधु बोली.

‘‘अरे, हम सब हैं न,  बारीबारी से अपने घर से खाना बना कर भेज देंगे, तुम निश्ंिचत हो कर मांजी को ले कर गांव चली जाओ,’’ प्रतीक्षा बोली.

‘‘मैं कहीं नहीं जाने वाली, 8-10 हजार तो आनेजाने में ही खर्च हो जाएंगे, तो फायदा क्या होगा, उन नोटों को बदल कर? इस से तो अच्छा वे अपनेआप बेकार हो जाएं,’’ निम्मी गुस्से से बोली. उस ने सोचा कि ये सब औरतें मिल कर उस के पति पर डोरे डालने में लगी हैं. अभी काम कराना है इन को विनीत से.

अपने रुपयों की बात सुन मांजी भी मैदान में कूद पड़ीं, ‘‘कोई जाए या न जाए, मेरा टिकट कटा दो. मैं अकेले ही चली जाऊंगी.’’

विनीत सिर पकड़ कर बैठ गया. तभी उस का फोन फिर बज उठा, ‘‘हां सर, नए नोट 20 लाख के ब्रांच के लिए और 4 लाख एटीएम के लिए चाहिए. हांहां, मैं 9 बजे तक पहुंच जाऊंगा सर कैश लेने. ठीक है सर,’’ फिर रिसीवर रख कर विनीत खड़ा होते हुए बोला, ‘‘भाभीजी, आप लोग बैंक में आ जाइएगा. वहीं आप का काम हो जाएगा. अभी मुझे तैयार हो कर तुरंत निकलना है.’’

जब वे चली गईं तो विनीत बोला, ‘‘निम्मी, तुम मां के साथ गांव जाने के टिकट बुक कर लो… मुझे परेशान न करो.’’

निम्मी भी तैश में थी. अत: बोली, ‘‘तुम अपनी ब्रांच संभालो, घर को मैं देख लूंगी. मैं गांव जाऊं और तुम यहां गुलछर्रे उड़ाओ… मुझे क्या करना है क्या नहीं, तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है.’’

 

विनीत के स्नानघर में जाते ही उस ने तुरंत गांव में फोन मिला दिया और मांजी को थमा कर बोली, ‘‘यह लीजिए रघु काका से बात हो गई है. वे घर के ताले की डुप्लीकेट चाबी बनवा कर खोल भी देंगे और अलमारी में रखी रकम को आप के खाते में डाकखाने में जमा भी करा देंगे. आप भी उन्हें बता दो अलमारी की चाबी कहां रखी है.’’

मांजी को गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करें मजबूरी थी. अत: बोलीं, ‘‘हां रघु, रसोई में चायपत्ती के डब्बे में रखी है अलमारी की चाबी. निकाल कर रुपया जमा कर देना… बाकी सब ठीक है न?’’

जब निम्मी रिसीवर रख कर जाने लगी तो मांजी बोल पड़ीं, ‘‘आज रघु को भी पता चल गया कि हमारे पास पैसे हैं. अब कभी वह मांगेगा तो मना नहीं कर सकेंगे. अच्छा है बेटे ने जेवर लौकर में रखवा दिए वरना तुम तो उन्हें भी गांव भर को दिखा देती.’’

निम्मी कुछ न बोल कर विनीत के नाश्ते और टिफिन तैयार करने में लग गई. विनीत के जाने के कुछ देर बाद शिखा और पिंकी आ धमकीं.

‘‘ओह, भैया आज जल्दी चले गए. मेरे को उन से बहुत जरूरी काम था,’’ शिखा बोली.

‘‘मुझे भी पता चला तुम गांव जा रही हो रुपए बदलवाने, तो मैं भी राय लेने आ गई,’’ पिंकी ने बताया.

‘‘लगता है बहुत माल भरा है तुम दोनों के पास… शिखा तुम गहने क्यों नहीं खरीद लेती?’’ निम्मी ने उसे छेड़ा.

‘‘कल मैं सब से पहले अपने सुनार के पास ही दौड़ कर गई थी. मगर उस का सारा सोना तो रात में ही बिक गया था. 30 हजार का सोना

40-45 हजार में बेचा उस ने… 3 तोले का हार पहले से पसंद कर के आई थी. उसी के लिए

1 लाख जोड़ कर रखे थे. अब तो बैंक का ही सहारा है,’’ शिखा एक सांस में बोल गई.

‘‘मुझे तो तुम्हारी तरह ही अपने मायके जाना पड़ेगा नोट बदलने के लिए,’’ पिंकी बोली.

‘‘कितने रुपए हैं?’’ निम्मी ने पूछा.

‘‘13 लाख. पूरे 15 सालों में जमा किए हैं मैं ने,’’ पिंकी बोली.

‘‘तो घर में क्यों रखे? बैंक में रखती उन को?’’ निम्मी को आश्चर्य हुआ.

‘‘अरे बैंक में ही तो रखे हैं, मगर अब तो वे नहीं चलेंगे. उन्हें ही तो बदलवाना है,’’ पिंकी की बात सुन निम्मी जोरजोर से हंसने लगी.

‘‘कैसे बदलोगी, जरा मैं भी तो सुनूं?’’ निम्मी अपनी हंसी पर ब्रेक लगा कर बोली.

‘‘कुछ पता भी है तुम्हें, अपने खाते से निकाल कर रोज 4 हजार रुपए बदलती रहूंगी. न जाने कितने दिन सतना जा कर रहना पड़े,’’ पिंकी दुखी हो कर बोली, ‘‘मुझ पर हंस क्यों रही हो? तुम भी तो अपने गांव जा रही हो नोट बदलने?’’

‘‘तुम भी न पिंकी पढ़ीलिखी हो कर ऐसी बातें कर रही हो, तो अनपढ़ लोग क्याक्या बातें न करते होंगे. तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं, बैंक खुद तुम्हारे रुपयों को बदल देगा, बस इतना समझ लो.’’

‘‘और मेरा क्या होगा?’’ शिखा बोली.

‘‘कुछ नहीं होगा, जा कर अपने अकाउंट में डाल दो और क्या.’’

तभी फोन बज उठा. निम्मी सुबह से बज रहे फोन से परेशान थी, ‘‘अरे ये फोन नहीं उठा रहे हैं तो मैं क्या करूं?’’ ये रिश्तेदार भी न… चैन नहीं है किसी को, वह रिसीवर पटकते हुए बोली.

‘‘दीदी, छुट्टे मिलेंगे क्या?’’ अब दूध वाला आ गया था पुराने नोटों के साथ.

‘‘अरे बैंक में नौकरी करते हैं कोई नोट छापने की मशीन नहीं है घर में,’’ बड़बड़ाते हुई निम्मी 1 हजार के नोट उसे थमाते हुए बोली.

अब तक सब की बकबक से परेशान हो सिर दर्द कर गया निम्मी का. दवा खा कर बैठी ही थी कि मांजी फिर हाजिर हो गईं. ‘‘बहू…’’ बड़े मीठे स्वर में बोलीं.

‘‘अब क्या हुआ?’’ निम्मी खीज कर बोली.

‘‘वह अभी याद आया बहू, 5 हजार दाल के डब्बे में भी रखे थे. यहां आने से एक दिन पहले ही सुमन उधारी वापस करने आई थी, तो वहीं रसोई में काम करते हुए डब्बे में रख दिए थे, मगर फिर तुम सब की जल्दबाजी में भूल गई संभालना उन को. मुझे लगता है गांव जाना ही पड़ेगा. पता नहीं अभी और भी कहीं रखे हों. अभी याद नहीं आ रहा.’’

‘‘अब यह भी मेरी ही गलती है,’’ निम्मी सिर पकड़ कर बैठ गई. उसे लगा वह नोटों के भंवरजाल में फंस कर रह गई है.

देशभक्ति राष्ट्रगान गाने से नहीं आती

सुप्रीम कोर्ट ने न जाने किस कानून के अंतर्गत यह आदेश दिया है कि हर थिएटर में दिखाई जाने वाली फिल्म के प्रारंभ में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य है और उस दौरान सब को खड़ा होना पड़ेगा. किसी याचिकाकर्त्ता की याचिका पर निर्णय देते समय यह आदेश दिया गया है. कोई भी व्यक्ति किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज रखने का मौलिक अधिकार रखता है और सुप्रीम कोर्ट कईयों पर विचार कर लेता है और ज्यादातर पर सुनवाई कर के उन्हें खारिज कर देता है.

देशभक्ति के नाम पर राष्ट्रगान थोपना ठीक उसी तरह का काम है जैसा हिंदू होने के नाते सुबह सूर्य नमस्कार करना या मुसलमान होने के कारण नमाज पढ़ना या फिर ईसाई होने के कारण खाने से पहले प्रार्थना करना. ये सब काम जन्म से घुट्टी की तरह पिला दिए जाते हैं ताकि एक तरह की अंधभक्ति पैदा हो जाए और कोई भी धर्म या देश के फैसलों को तर्क, व्यावहारिकता, कथनी, स्वतंत्रताओं, निजता के अधिकारों के नाम पर चुनौती न दे सके.

देशभक्ति आज असल में धर्म भक्ति का पर्याप्त बन गई है. आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट इस से ऊपर रहा करता था और धर्म को या उस की छाया को राजनीतिक फैसलों से बचाती रही है पर न जाने क्यों इस पीठ ने एक ऐसा फैसला दे दिया जो ऊपर से अच्छा लगते हुए भी अंदर चोट पहुंचाता है.

देश के लिए जीना, काम करना और मरना सब के लिए हर देशवासी को तैयार रहना चाहिए, क्योंकि इसी से सामूहिक शक्ति और सुरक्षा मिलेगी. जिस देश में शारीरिक सुरक्षा नहीं है- 2014 के रेप कांड के बाद रेप बंद नहीं हुए, धार्मिक दंगे बंद नहीं हुए, कर चोरियां कम नहीं हुईं, दहेज हत्याओं में कमी आई है पर इसलिए कि अब हर युवा मौत को दहेज हत्या नहीं कहा जाता. आर्थिक सुरक्षा नहीं है. सरकार जेब, अलमारी में रखे धन को 8 मिनट के भाषण से छीन सकती है और घंटों, दिनों अपना पैसा लेने के लिए लाइनों में खड़ा कर सकती है. सरकार की निगाह हर औरत के सोने पर है. जहां सरकार महंगाई नहीं रोक पा रही हो. जहां सरकार करों की भरमार करने में लगी है. मानसिक सुरक्षा नहीं है. भारतपाक सीमा पर हर रोज घुसपैठिए आते हैं और सैनिकों को मार डालते हैं. मध्य भारत में माओवादी सक्रिय हैं, खालिस्तानी आज भी अलग देश का सपना देख रहे हैं. ऐसे देश में देशभक्ति क्या मनोरंजन के समय राष्ट्रगान से आ जाएगी?

इस जिद को कुतर्क बताते हुए लेखक चेतन भगत ने यह तक कह डाला कि क्या सैक्स करने पहले राष्ट्रगान गाया जाए? यही सवाल उठ सकता है कि क्या हर किट्टी पार्टी से पहले राष्ट्रगान गाया जाए जैसे बहुत सी धार्मिक किट्टियों में आरती गा ली जाती है.

देशभक्ति राष्ट्रगान गाने से नहीं आती. यह अंध अतार्किक  भक्ति है, जो कट्टर बना सकती है. देश महान उत्पादन से होता है, रातदिन मेहनत करने से बनता है, बरबादी रोकने से बचत करता है, नई खोजों से आगे दौड़ता है. वंदे मातरम या शांति पाठों से न धर्म बढ़ता है, न राष्ट्रगान से देश बनता है.

 

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