आपने खाया कौर्नफ्लैक्स क्लस्टर्स?

सामग्री

– 1 कप कौर्नफ्लैक्स,

– 3/4 कप गुड़,

– 2 बड़े चम्मच बादाम भुने,

– 2 बड़े चम्मच किशमिश,

– 1 बड़ा चम्मच क्रीम

विधि

गुड़ की चाशनी बनाएं. इस में 1 बड़ा चम्मच क्रीम मिला लें. कौर्नफ्लैक्स, बादाम व किशमिश डाल कर मिला लें व ग्रीज किए बरतन पर चम्मच की सहायता से क्लस्टर्स रखें. ठंडा होने पर सर्व करें.

व्यंजन सहयोग

अनुपमा गुप्ता

रिश्ते को शालीन गुडबाय

तलाक किसी का भी हो, आम इनसान का या किसी सैलिब्रिटी का, दुखदाई ही होता है और इस का सब से बुरा असर बच्चों पर पड़ता है. वैसे भी जिस पर बीतती है, वही जानता है पर ‘जो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना ही अच्छा है’ की तर्ज पर क्यों न किसी रिश्ते को जबरदस्ती ढोने के बजाय शालीनता से छोड़ दिया जाए.

आम लोग फिल्मी सितारों की ऊपरी चकाचौंध, उन की फिगर, उन की ऐक्टिंग से प्रभावित हो कर उन्हें एक अलग ही दुनिया के लोग मानने लगते हैं. मगर अचानक उन के निजी जीवन से संबंधित कुछ कटु सत्य सामने आते ही हम उन के सब से बड़े आलोचक बन जाते हैं. हम यह भूल जाते हैं कि वे हमारी तरह साधारण इनसान नहीं हैं. निजी जीवन की बातें सार्वजनिक  होने पर कैरियर और निजी जीवन में तालमेल बैठाए रखना आसान नहीं होता है.

इन दिनों फिल्मी सितारों के टूटते रिश्तों की लिस्ट लंबी होती जा रही है, पर इन्होंने अलग होने के कारणों पर चर्चा न करते हुए टूटते रिश्ते की भी गरिमा बनाए रखी. आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ सितारों के दुखद पर शालीन संबंधविच्छेद पर:

फरहान अख्तर और अधुना भबानी

स्टाइलिश, क्रिएटिव और अतिप्रतिभावान यह जोड़ा जहां भी जाता लोग प्रशंसा भरी नजरों से देखते. साल 2000 में दोनों ने विवाह किया था. इन के अलग होने की घोषणा से सब हैरान रह गए. इन्होंने अलग होने पर भी यही कहा कि इन की दोनों बेटियां शक्या (16) और अकीरा (9) हमेशा उन की प्राथमिकता रहेंगी और वे हमेशा व्यावसायिक रूप से एकदूसरे के साथ काम करते रहेंगे.

रितिक और सुजैन खान

ये दोनों विवाह के 13 साल बाद अलग हो गए. दोनों बचपन के दोस्त थे. जब वे साथ नहीं हैं तो भी मातापिता की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. दोनों का कहना है कि अलग होने के बावजूद साथ काम करते रहेंगे. दोनों कोशिश कर रहे हैं कि उन के दोनों बेटे रेहान (9) और रेदान (7) सामान्य जीवन बिताएं. रितिक आज भी अपना संडे बच्चों के साथ बिताते हैं. सुजैन ने एक वार्त्तालाप में यह कहा कि बच्चों के मामले में उन का रितिक से रिश्ता बहुत अच्छा है. वे अच्छे मातापिता हैं और बच्चे उन की प्राथमिकता हैं.

रणवीर शौरी और कोंकणा सेन शर्मा

कला और फिल्मों के शौकीन ये दोनों आदर्श पतिपत्नी थे. फिर शादी के 5 साल बाद ही दोनों ने 2015 में सोशल मीडिया पर अपने संबंधविच्छेद की घोषणा कर दी. दोनों ने कहा कि वे दोस्त रहेंगे और अपने बेटे हारुन की जिम्मेदारी मिल कर उठाएंगे.

जैनिफर विंगेट और करण सिंह ग्रोवर

करण ने अपनी पहली पत्नी श्रद्धा निगम से विवाह के 3 साल बाद 2013 में जैनिफर से विवाह किया. यह भी नहीं चला. करण ने भी 2014 में सोशल मीडिया पर कहा कि वे अलग हो गए हैं. कारण बहुत पर्सनल हैं. जैनिफर ने भी हाल ही में पोस्ट किया कि वे करण को आगे बढ़ता देख कर खुश हैं और उन्हें और उन की पार्टनर को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हैं.

कल्कि और अनुराग कश्यप

2011 में जैसे शांति से इन का विवाह हुआ था वैसे ही 2015 में इन का तलाक भी हो गया. वे विवाह से पहले 2 साल तक लिव इन में भी थे. आज जहां अनुराग कल्कि के थिएटर की प्रशंसा करते हैं, वहीं कल्कि भी अनुराग की सफलता सैलिब्रेट करती हैं. तलाक के बाद कल्कि ने कहा भी था कि वे दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं. हम आज भी दोस्त हैं और चैट करते हैं, मिलते हैं. अनुराग अच्छे दिल का इनसान है.

रघुराम और सुगंधा गर्ग

‘रोडीज’ से फेमस रघुराम और उन की अभिनेत्री पत्नी सुगंधा ने हाल ही में अलग होने का फैसला किया. उन का वैवाहिक जीवन 10 साल चला. वे आज भी मिलते हैं और दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है. वे अच्छे दोस्त हैं और दोस्त बने रहेंगे.

शालीनता से अलग होना ठीक ही तो है कि जब कहीं एकदूसरे से आमनासामना हो, तो कम से कम दिलों में शर्मिंदगी तो न हो. पतिपत्नी न सही, अगर दोस्त बन कर ही रह सकें तो क्या बुरा है?

‘हार को कर दरकिनार, सपने करें साकार’

दिल्ली के मयूर विहार इलाके की रिहाइश में पहली मंजिल के बाहर ‘मोंगाज’ की तख्ती देख मैं ने आश्वस्त हो कर घंटी बजाई. स्वयं प्रीति मोंगा ने दरवाजा खोला और मुसकराते हुए हाथ मिला कर अपना परिचय दिया. फिर मुझे घर के अंदर आमंत्रित कर सोफे पर बैठने को कहा और खुद कमरे की बत्ती जला कर किचन से मेरे लिए ट्रे में पानी का गिलास ले आईं.

जब मेरे पास बैठ कर उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह नेत्रहीन हैं, तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. उन की मुझे देखती सी आंखें, मुझ से हाथ मिलाना, बत्ती जलाना, बिना किसी सहायता के चल कर पानी लाना यानी कोई भी काम ऐसा नहीं था जिस की अपेक्षा हम किसी नेत्रहीन व्यक्ति से कर सकते हैं.

प्रीति मोंगा की कहानी सुनने को मैं लालायित थी. सुना था कि वे एक प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर हैं, जिन्होंने न सिर्फ भारतीय, बल्कि विदेशी विद्यार्थियों को, महिला उ-मियों को भी भाषण दिए हैं.

उन के पास बैठ कर मेरे मुंह से पहला वाक्य यह निकला, ‘‘आप को देख कर लगता ही नहीं कि आप नेत्रहीन हैं.’’

वे बोलीं, ‘‘यही मेरा उद्देश्य है. विकलांगता न योग्यता है और न ही अयोग्यता. जब अपने जीवन से जुड़े सारे कार्य मैं स्वयं करती हूं तो सामने वाले को यह आभास क्यों हो कि मैं विकलांग हूं? यही सुझाव मैं अन्य विकलांगों को भी देती हूं.’’

रोशनी गई लगन नहीं

प्रीति का जन्म 1959 में अमृतसर में हुआ था. जब वे 6 वर्ष की थीं तब उन के अभिभावकों को यह पता चला कि उन की नजर लगातार कमजोर होती जा रही है. जब प्रीति 8वीं कक्षा में थीं तब वे पूरी तरह नेत्रहीन हो गईं. उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया. उन दिनों नेत्रहीन लड़कियों के लिए विद्यालयों की कमी के कारण प्रीति ने फौर्मल ऐजुकेशन सिर्फ 10वीं तक प्राप्त की.

‘‘लेकिन आप की अंगरेजी इतनी बढि़या कैसे है?’’ मेरे इस प्रश्न पर उन्होंने बताया कि उन्हें किताबें बहुत पसंद हैं. आज तकनीकी प्रगति के कारण ऐसे सौफ्टवेयर हैं, जो कंप्यूटर या स्मार्ट फोन अथवा ई बुक्स को पढ़ कर सुना सकते हैं. किंतु जब वे छोटी थीं तब वे हर संभव प्रयास करतीं और हर मिलनेजुलने वाले से किताब पढ़ कर सुनाने को कहतीं.

प्रीति घर का सारा काम बखूबी कर लेती हैं. वे बताती हैं कि उन की मां कार्यों को आंखें बंद कर के करती थीं और फिर उसी तरह उन्हें सिखाती थीं जैसे खाना बनाना, बुनाई करना, यहां तक कि सितार बजाना. जब उन की सहेलियों की शादियां होने लगीं तब प्रीति के मन में भी शादी करने की प्रबल इच्छा जगी. उन्होंने एक ईसाई लड़के से प्रेम विवाह किया, किंतु पहली रात को ही उन्हें आभास हो गया कि यह उन के जीवन की एक भारी भूल है. वह शराबी, कामचोर निकला. 5 साल सदमे में गुजरे. इसी बीच उन की बेटी व बेटा हुए. फिर प्रीति अलग हो अपने मातापिता के घर आ गईं. मगर स्वाभिमानी प्रीति को आत्मनिर्भरता पसंद थी. मेहनत व लगन के साथ वे पहली नेत्रहीन ऐरोबिक्स इंस्ट्रक्टर बनीं. साथ ही ‘नैशनल ऐसोसिएशन फौर द ब्लाइंड’ में कंप्यूटर व अंगरेजी की शिक्षिका की नौकरी भी करने लगीं. इस के अलावा एक सहेली की कंपनी का अचार भी बेचने लगीं. पहली ही सेल उन्होंने बाकी सभी मार्केटिंग स्टाफ से दोगुना ज्यादा कर दिखाई. यहीं उन की मुलाकात अपने दूसरे पति अरविंद से हुई. हालांकि अरविंद उन से करीब 10 साल छोटे हैं, किंतु उन से मिलते ही प्रीति को लगा कि यही उन के सच्चे जीवनसाथी हैं.

हुई शुरुआत

2006 में प्रीति ने ‘सिल्वर लाइनिंग ट्रस्ट’ की स्थापना की, जिस का उद्देश्य है महिलाओं व विकलांगों को समाज में बराबरी व प्रगति हेतु ट्रेनिंग प्रदान करना.

‘‘यदि मैं अपने सपनों को साकार कर सकती हूं तो हर कोई अपने सपनों को साकार कर सकता है. आप के सपने आप की राह देख रहे हैं. बस, हाथ बढ़ाओ और पा लो उन्हें,’’ यह कहना है प्रीति का.

‘सिल्वर लाइनिंग ट्रस्ट’ के मुख्य प्रोजैक्ट्स निम्न हैं:

डिग्निटी: नेत्रहीन लड़कियों के लिए रहने की बढि़या व्यवस्था जहां उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही सैक्सुअल अधिकारों के क्षेत्र में हैल्पलाइन की भी व्यवस्था है.

फ्रीडम: सिल्वर लाइनिंग नेत्रहीनों के लिए बोलने वाली किताबों का पुस्तकालय बनाने की प्रक्रिया में है. यहां कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, टैब इत्यादि की ट्रेनिंग की व्यवस्था होगी.

फ्यूजन: 10 नवंबर, 2013 को यह सोशल नैटवर्किंग साइट लौंच की गई. यहां जो विकलांग हैं और जो नहीं हैं वे एक ही वैबसाइट पर मेलजोल बढ़ा सकते हैं. इस से इन दोनों वर्गों की दूरी कम होगी. इस से विकलांगों को कई फायदे हो सकते हैं, जैसे नौकरी की संभावना, समाज में विकलांगों की परेशानियों के प्रति जागरूकता, दोस्ती और शायद शादी की भी संभावना.

प्रीति कहती हैं, ‘‘जब कोई अपनी इच्छा से विकलांग नहीं बनता तो फिर यह सामाजिक भेदभाव क्यों?’’

प्रीति कई संस्थाओं जैसे ‘नैशनल ऐसोसिएशन फौर द ब्लाइंड’, ‘स्पास्टिक सोसाइटी औफ इंडिया’, ‘ब्लाइंड रिलीफ ऐसोसिएशन’ आदि के पैनल पर हैं तथा कई नामीगिरामी कंपनियों की सैक्सुअल हैरसमैंट ऐक्ट 2013 व विशाखा गाइडलाइंस की अंदरूनी शिकायत कमेटी का हिस्सा भी हैं.

प्रीति के कई लेख भारतीय अखबारों में प्रकाशित हुए हैं. इलैक्ट्रौनिक मीडिया में भी प्रीति सुर्खियों में रहती हैं.

1997 में चेन्नई में आयोजित पहले सम्मिलित फैशन शो में इन्होंने ऐश्वर्या राय, ऊषा उत्थुप आदि के साथ हिस्सा लिया. फिर 2003 में ऐसे ही एक फैशन शो में दिल्ली में राहुल देव आदि के साथ सम्मिलित रहीं.

प्रीति ने नेत्रहीनों द्वारा बैंक में चालू खाता खोलने का मुद्दा मानव अधिकार कमीशन में उठाया व इस का और्डर स्टेट बैंक औफ इंडिया में पास करवाया. इन्होंने एक आत्मकथा ‘द अदर सैंसेज’ भी लिखी है, जो रोली बुक्स ने प्रकाशित की है.

वाकई प्रीति मोंगा जैसे सकारात्मक व्यक्तित्व से मिल कर विश्वास हो जाता है कि हमें अपनी परिस्थितियों से हार मान कर नहीं बैठ जाना चाहिए, अपितु अपनी हार से सीख ले कर अपने सपनों को साकार करने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए.           

प्रीति मोंगा को मिले पुरस्कार

2013 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया ‘नैशनल अवार्ड फौर द ऐंपावरमैंट औफ पर्संस विद डिसऐबिलिटीज’.

2011-12 में ‘फिक्की लेडीज और्गनाइजेशन’ द्वारा सम्मानित.

2011 में ‘डा. बत्रा पौजिटिव हैल्थ अवार्ड’ मिला.

1999 में ‘रैड ऐंड व्हाइट ब्रेवरी सिल्वर अवार्ड’ दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा दिया गया.

1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत आई. के. गुजराल से ‘इनर फ्लेम अवार्ड’ मिला.

1995 में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की स्मृति में सोनिया गांधी ने ‘मानव सेवा अवार्ड’ से सम्मानित किया.

– प्रीति भारद्वाज

सिर्फ 5 हजार हैं जेब में, तो जाइए यहां

देश में कई ऐसी खूबसूरत लोकेशन है जहां घूमने का खर्च काफी कम है. अगर आपका बजट कम है तो आप बेहद सस्ते में इन लोकेशन का मजा उठा सकतें हैं. लेकिन इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. ये बजट हम दिल्ली से घूमने के लिए तय कर रहे हैं. देश की अन्य जगहों से पर भी यहा घूमने के बजट में ज्यादा इजाफा नहीं होगा.

घूमने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

– कहीं भी जाने से पहले अपना बजट तैयार करें

– बजट के मुताबिक अपने आने-जाने, रहने और खाने की व्यवस्था करें

– किसी नई जगह जा रहे हैं तो पहले उसके बार में पूरी जानकारी जुटा लें. जैसे जाने का सही समय, ठहरने के लिए जगह आदि.

– बजट के मुताबिक अपना खर्च करें लेकिन अपनी जेब में इमर्जेंसी के लिए हमेशा अतिरिक्त पैसे रखे.

– जितना हो सके कैश का कम इस्तेमाल करें, प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल ज्यादा करें.

कसोल, हिमाचल प्रदेश

यह हिमाचल प्रदेश में स्थित एक छोटा सा कस्बा है जो कुल्लू से करीब 42 किलोमीटर उत्तर में पड़ता है. लेकिन कस्बे का मतलब यह नहीं है कि यहां सुविधाओं की कमी होगी यहां बार से लेकर रेस्टोरेंट तक सब कुछ उपलब्ध है. यहां जाने के लिए दिल्ली से वोल्वो बस मिलती है जिसका किराया 950 रुपए प्रति व्यक्ति से शुरू होता है. मनीकरण से कसोल की दूरी केवल 5 किलोमीटर है. यहां आपको विदेशी टूरिस्ट भी घूमते दिख जाएंगे. यहां आपको 500 रुपए प्रति नाइट के हिसाब से होटल मिल जाएंगे जिन्हे आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं. यहां भीड़-भाड़ से दूर कुछ दिन सुकून के बिता सकते हैं.

जयपुर, राजस्थान

दिल्ली से जयपुर की दूरी करीब 300 किलोमीटर है. जो सड़क, रेल और हवाई तीनों ही तरीको से दिल्ली से जुड़ा है. बस के रास्ते दिल्ली से जयपुर केवल 220 रुपए में पहुंचा जा सकता है. जबकि कई एयरलाइन कंपनियां ऑफर के तहत दिल्ली से जयपुर की फ्लाइट 1 हजार रुपए से कम में देती हैं. यहां बजट होटल की शुरुआत 500 रुपए प्रति नाइट से शुरू होती है. जबकि किसी छोटे रेस्टोरेंट में एक व्यक्ति के खाने का खर्च 100-200 रुपए तक आएगा. यहां घूमने के लिए आप सिटी बस ले सकते हैं. जिसका किराया 200 रुपए प्रति व्यक्ति है. यहां कई हिस्टोरिकल लोकेशन हैं जहां दिनभर घूमा जा सकता है.

लेंसडाउन, उत्तराखंड

उत्तराखंड के हिल स्टेशन लेंसडाउन की दिल्ली से दूरी केवल 250 किलोमीटर है. यहां पहुंचने का सबसे आसान तरीका है पहले आप कोटद्वार पहुंचे फिर आप आगे लोकल बस से लेंसडाउन जा सकते हैं. कोटद्वार से लेंसडाउन की दूरी 50 किलोमीटर है. दिल्ली से कोटद्वार सड़क और रेल दोनो ही मार्ग से जुड़ा है. दिल्ली से लेंसडाउन आप 1000 रुपए से कम में पहुंच जाएंगे जबकि बहुत अच्छे होटल आपको यहां 700-800 रुपए प्रति नाइट के हिसाब से मिल जाएंगे. कमर्शियलाइजेशन न होने के कारण यह इलाका पूरी तरह नेचुरल ब्यूटी से भरा है.

तवांग, अरुणाचल प्रदेश

यह अरुणाचल प्रदेश का बहुत ही खूबसूरत इलाका है. तवांग अपनी मोनेस्ट्री, बोद्ध मठ और ऊंचे पहाड़ों के लिए मशहूर है. दिल्ली से ट्रेन के जरिए 1500 रुपए में पहुंचा जा सकता है. आपको यहां पहुंचने में भले ही ज्यादा किराया लगेगा लेकिन यहां के होटल काफी सस्ते हैं. यहां आपको 500 रुपए प्रति नाइट से भी कम में होटल मिल जाएगा. जबकि खाने पीने का भी यहां ज्यादा खर्चा नहीं है. नेचुरल खूबसूरती से भरपूर इस इलाके में कई टूरिस्ट अट्रैक्शन हैं.

आलिया-सिड और बंद लिफ्ट…

आलिया भट्ट और सिद्धार्थ मल्होत्रा के अफेयर के चर्चे हमेशा से ही उड़ते रहे हैं पर वो बात अलग है कि दोनों में से किसी ने भी अपने रिलेशन पर खुलकर कुछ नहीं कहा, सिवाय इसके कि दोनों एक-दूसरे के लिए बेहद स्पेशल हैं. लेकिन अब आलिया ने कुछ ऐसा कहा है जिससे साबित होता है कि उनकी लाइफ में सिद्धार्थ की जगह कोई नहीं ले सकता.

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान आलिया से पूछा गया था कि अगर वो सिद्धार्थ के साथ एक लिफ्ट में फंस जाती हैं तो वो क्या करेंगी? इस पर आलिया ने चुटकी लेते हुए कहा कि वो वही करेंगी जो हमेशा करती रही हैं यानि वो सिद्धार्थ के साथ ढेर सारी बातें करेंगी.

क्यूं चौंक गये ना? इससे साफ जाहिर होता है कि सिद्धार्थ आलिया की लाइफ में एक अलग ही महत्व रखते हैं.

वहीं आलिया ने इंटरव्यू में ये भी कहा था कि वो अपने पिता महेश भट्ट जैसा लाइफ पार्टनर बिल्कुल नहीं चाहेंगी बल्कि वो चाहेंगी कि उनका लाइफ पार्टनर उनके दोस्त जैसा हो. उनके साथ खूब बातें करे और प्यार करे. चूंकि आलिया को सिद्धार्थ के साथ बातें करना खूब पसंद है तो कहीं वो हमें अपने लाइफ पार्टनर के बारे में कोई क्लू तो नहीं दे रहीं?

फिल्हाल आलिया अपनी अगली फिल्म ‘बदरीनाथ की दुल्हनिया’ की शूटिंग कर रही हैं जिसमें उनके साथ एक्टर वरुण धवन नजर आएंगे.

सेंसिटिविटी से हैं परेशान?

कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर दांतों में झनझनाहट होना, खट्टा या मीठा लगने पर सेंसेशन होना जैसी समस्याओं को ही दांतों की  सेंसिटिविटी कहते हैं. उम्र के साथ दांतों से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं और मसूड़ों की पकड़ कमजोर हो जाती है. कई बार दांतों की सड़न भी सेंसिटिविटी का कारण हो सकती है.

सेंसिटिविटी  में फायदा पहुंचाने वाले टूथपेस्ट और दूसरे उपायों के विज्ञापन तो हम हर रोज देखते हैं लेकिन इनका असर कुछ देर तक ही रहता है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपाय अपनाएं. इन उपायों को अपनाने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है और इनका असर भी लंबे समय तक बना रहता है.

इन घरेलू उपायों को अपनाने से होगा फायदा:

1. दिन में दो बार एक-एक चम्मच काले तिल को चबाने से सेंसिटिविटी में फायदा होता है.

2. तिल, सरसों का तेल और नारियल का तेल एक-एक चम्मच करके अच्छी तरह मिला लें. अब इस तेल से दांतों और मसूड़ों की मसाज करें. उसके बाद गुनगुने पानी से मुंह साफ कर लें. कुछ दिन ऐसा करने पर आपको खुद ही फर्क नजर आने लगेगा.

3. नमक और सरसों के तेल से मसाज करना भी फायदेमंद होता है. आप चाहें तो सिर्फ सरसों के तेल से भी दांतों और मसूड़ों की मसाज कर सकते हैं.

अब अक्षय करेंगे दनादन गोल

खिलाडियों का खिलाड़ी यानि अक्षय कुमार अब हॉकी के मैदान में फुल फॉर्म में नजर आने को तैयार हैं. वो देश के बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी बन कर दे दनादन गोल करने वाले हैं.

इस बात की तो पहले ही घोषणा की जा चुकी है कि अक्षय कुमार अब बड़े परदे पर हॉकी खेल की कहानी पर बनने वाली फिल्म ‘गोल्ड’ में लीड रोल निभाएंगे. अब खबर है कि अक्षय का ये किरदार बलबीर सिंह का होगा जिन्हें गोल करने का उस्ताद माना जाता था.

बलबीर सिंह अब 92 साल के हो चुके हैं और अपने पूरे परिवार के साथ कनाडा में रहते हैं. बंटवारे के पहले के पाकिस्तान में जन्में बलबीर सिंह के नाम हॉकी में व्यक्तिगत तौर पर ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकार्ड है.

साल 1952 ओलंपिक खेलों में बलबीर सिंह ने उस मैच में पांच गोल किये थे जिसमें भारत ने नीदरलैंड को 6 -1 से हराया था. बलबीर सिंह सीनियर के नाम से मशहूर इस खिलाड़ी ने बाद में भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर और कोच के रूप में भी सेवाएं दी. साल 1977 में बलबीर सिंह ने ‘द गोल्डन यार्डस्टिक’ नाम से अपनी आत्मकथा भी लिखी थी.

अक्षय कुमार की ‘गोल्ड’ ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के 1948 लंदन ओलंपिक में हॉकी का गोल्ड मेडल जीतने की कहानी है. इस फिल्म का निर्देशन रीमा कागती कर रही है और फिल्म साल 2018 में 15 अगस्त को रिलीज होगी.

‘ट्यूबलाइट’ में कैमियो करेंगे शाहरुख

सलमान खान की आने वाली फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ में शाहरुख खान नजर आएंगे. शाहरुख खान सलमान की इस फिल्म में कैमियो करते नजर आएंगे.

अगर सबकुछ ठीक रहा था तो शाहरुख खान सलमान की फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ में स्पेशल अपीयरेंस देते नजर आएंगे. सूत्रों की मानें तो कबीर खान के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में पहले एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा को कैमियो रोल के लिए फाइनल किया गया था. लेकिन अब इस रोल के लिए शाहरुख खान का चयन करने की बात कही जा रही है.

अगर ऐसा होता है तो सलमान खान और शाहरुख खान की जोड़ी करीब 9 साल बाद बड़े पर्दे पर नजर आएगी. इससे पहले सलमान और शाहरुख फराह खान की साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म ‘ओम शांति‍ ओम’ में एक फ्रेम में नजर आए थे.

वैसे भी दोस्त से दुश्मन और फिर दुश्मन से दोस्त बने शाहरुख और सलमान की दोस्ती के चर्चे पहले ही खूब सुर्ख‍ियां बटोर चुके हैं. ऐसे में दोनों स्टार्स को एक साथ बड़े पर्दे पर देखने के लिए फैन्स भी आतुर हैं. डायरेक्टर कबीर खान के लिए इन दोनों स्टार्स को अपनी फिल्म में एक साथ दिखाना फायदे का फैसला साबित हो सकता है.

बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी अमीषा पटेल

‘कहो ना प्यार है’, ‘गदर’, ‘हमराज’ जैसी सफल फिल्मों में काम कर चुकीं अभिनेत्री अमीषा पटेल अब बड़े पर्दे से गायब हो चुकी हैं लेकिन उनके अभिनेता भाई अश्मित पटेल का कहना है कि वह बड़े पर्दे पर उनकी कमी महसूस करते हैं.

अमीषा ने सुपरहिट फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरआत की थी और इसी फिलेम से ऋतिक रोशन ने भी अपने फिल्मी सफर शुरू किया था. लेकिन कुछ सफल फिल्में देने के बाद वह बॉक्स ऑफिस पर अपनी सफलता बनाये रखने में असफल रहीं.

उनकी अंतिम फिल्म ‘शार्टकट रोमियो’ थी जो 2013 में रिलीज हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी. अश्मित को उम्मीद है कि 40 वर्षीय अभिेनत्री जल्द से जल्द बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी.

अश्मित ने कहा, ‘‘मुझे बड़े पर्दे पर उनकी कमी महसूस होती है और मुझे उम्मीद है कि वह जल्द ही बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी. उन्होंने जो भी फिल्में की उससे उन्होंने खुद को साबित किया. वह कुछ फिल्मों पर काम कर रही हैं जो जल्द ही रिलीज होंगी. मैं उन्हें वापस बड़े पर्दे पर देखने का इंतजार कर रहा हूं.’’

आखिर दो साल बाद जॉन का सपना होगा पूरा

जॉन अब्राहम काफी समय से रियल कहानियों पर फोकस कर रहे हैं और ऐसी ही एक असली कहानी को लेकर पिछले दो साल से फिल्म बनाने का इन्तजार कर रहे जॉन का ये सपना अब पूरा होने वाला है.

दरअसल ये बात तो सभी जानते हैं कि जॉन को फुटबाल से बेहद लगाव है. वो ना सिर्फ खुद फुटबाल खेलते हैं बल्कि फुटबाल को प्रमोट करने के लिए पूरा समय भी देते हैं. और अब जॉन बड़े परदे पर एक फुटबाल खिलाड़ी का रोल निभाएंगे. खबर है कि ‘ 1911 ‘ नाम से दो साल से रुकी पड़ी उनकी फिल्म अब शुरू होने जा रही है. ये फिल्म फुटबाल खिलाड़ी सिबदास भादुड़ी की जिंदगी पर होगी जिसमे जॉन सिबदास का रोल निभाएंगे. इसी फिल्म के लिए जॉन ने पहले ‘ विक्की डोनर ‘ और ‘ मद्रास कैफे ‘ के निर्देशक शूजीत सरकार के साथ हाथ मिलाया था लेकिन बताया जा रहा है कि शूजीत अब इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं होंगे.

जॉन इस फिल्म को दो साल पहले ही बनाना चाहते थे लेकिन फिल्म का बजट बहुत ज्यादा होने के कारण उन्होंने इरादा बदल दिया था. हालांकि इस फिल्म के लिए अब उनको डायरेक्टर की तलाश है जिसके मिलते ही फिल्म फ्लोर पर जायेगी.

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