श्रीमतीजी डौगी और हम

श्रीमतीजीजब भी किसी हीरोइन को डौगी के साथ देखती हैं, तो उन के मुंह से आह निकल जाती है कि काश, उन के पास भी कोई विदेशी गबराझबरा डौगी होता. उस के साथ फोटो खिंचवातीं, सहेलियों पर रोब झाड़तीं और सुबहशाम वाकिंग पर जातीं.

एक दिन हम औफिस से घर पहुंचे, तो महल्ले की महिलाओं की बैठक जमी हुई थी और श्रीमतीजी दिल का दर्द बयां कर रही थीं.

‘‘अरे, आजकल तो डौगियों का जमाना है. एक से बढ़ कर एक विदेशी डौगी मिल रहे हैं. एक डौगी मुझे भी मिल जाए, तो मजा आ जाए. इन की भी अलग ही शान होती है.’’

सहेलियों के जाने के बाद श्रीमतीजी कोपभवन में चली गईं. हमें कोसते हुए रुदाली की तरह उन का रुदन शुरू हो गया.

‘‘अरे, मेरी शादी किस कंगाल से हुई है. एक भी डौगी नहीं है इस के पास… मेरी तो किस्मत फूट गई… शादी के पहले कितने अरमान थे डौगी के साथ घूमने के.’’

 

हम सोच रहे थे कि अरे, हम क्या किसी डौगी से कम हैं. जब से शादी हुई है श्रीमतीजी के आगेपीछे ही तो घूम रहे हैं. फिर भी अगले दिन हम औफिस से छुट्टी ले कर एक डौगी की तलाश में निकल पड़े.

अब सब से पहले हम ने डौगी बेचने वालों से जानकारी ली. तब मालूम हुआ कि डौगी की कीमत तो हजारों में है… और वह सब तो अपनी जगह है, उन को खिलानापिलाना भी डाइट चार्ट के अनुसार पड़ता है. भले ही खुद

भूखे रहें. इस के अलावा समयसमय पर डाक्टर से चैकअप भी कराना पड़ता है और टीके भी लगवाने पड़ते हैं, चाहे अपना इलाज न करवा पाएं. खुद गरमी या ठंड में पडे़ रहें, लेकिन डौगी के लिए कूलर और हीटर का इंतजाम करना ही पड़ता है. वैसे भी ये विदेशी डौगी बड़े नाजुक होते हैं. तुरंत कुम्हला जाते हैं.

हम ने अंदाज लगाया कि यदि सब कुछ ऐसा ही रहा तब या तो डौगी रह पाएगा या फिर हम. लेकिन श्रीमतीजी कुछ सुनने को तैयार नहीं थीं.

मामले की गंभीरता को समझते हुए हम ने श्रीमतीजी को समझाया कि देशी डौगी भी अच्छे होते हैं, इसलिए महल्ले के ही किसी डौगी को पाल लेते हैं. बेचारा दुआ भी देगा. उस का मेकअप करवा देंगे. बस काम चल जाएगा.

अगली सुबह हम घूमने निकले तब एक देशी डौगी हमारे पीछेपीछे आने लगा. हम ने उसे पुचकारा तो वह घर तक आ गया. पहले तो हम ने उसे दूधरोटी खिलाई, फिर बरामदे में चेन से बांध दिया. जब श्रीमतीजी ने उसे बड़े प्यार से देखा, तो हम जलभुन गए, क्योंकि शादी के बाद से आज तक इतने प्यार से श्रीमतीजी ने हमें भी नहीं देखा था.

फिर बोलीं, ‘‘देखोजी, डौगी तो प्यार के भूखे होते हैं. अब मैं अपना पूरा प्यार इसी पर लुटाऊंगी… शादी के बाद से आज तक इतना प्यार तो तुम पर भी कभी नहीं आया.’’

अगले दिन सुबह श्रीमतीजी ने डौगी की चेन पकड़ी और वाकिंग पर निकल पड़ीं. अब देशी डौगी बड़े गर्व के साथ श्रीमतीजी के साथ चल रहा था और उस के साथी उस से ईर्ष्या कर रहे थे. इसी दौरान दूसरे महल्ले के कुछ डौगी उस के पीछे लग गए और भूंकने लगे. अब श्रीमतीजी आगेआगे और 4-5 डौगी पीछेपीछे. किसी तरह श्रीमतीजी घर आईं और पलंग पर ढेर हो गईं. मालूम हुआ उन के पैर में मोच आ गई है. श्रीमतीजी की दवा पर हजार रुपए खर्च हुए और इस के बाद वे बैड रैस्ट पर आ गईं.

हम महसूस कर रहे थे कि हमारी परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अब हमें डौगी को संभालने के लिए औफिस से छुट्टी लेनी पड़ी. उसे बांध कर रखो तो भूंकता था, इसलिए लोगों की सलाह पर हम ने उसे घर में खुला छोड़ दिया. अब पूरे घर पर उस का राज हो गया. जब जहां मन होता वहां जाता. श्रीमतीजी ने अब उसे नहलानेधुलाने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर डाल दी.

1 महीने की छुट्टी के बाद जब कामवाली रमिया बाई आई, तो हम ने सोचा चलो घर के काम से कुछ राहत मिलेगी. लेकिन डौगी ने उस के ऊपर छलांग लगा दी. उस से बचने के लिए बाई भागी तो गिर गई और उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया. चूंकि दुर्घटना हमारे घर हमारे डौगी से हुई थी, इसलिए

उस का इलाज भी हमें ही करवाना और बिना तनख्वाह काटे 2 महीने की छुट्टी के अलावा 10 हजार भी देने पड़े. वरना उस ने पुलिस की धमकी दी थी. अब घर और डौगी का सारा काम हमारे ऊपर आ गया था.

चूंकि घर में डौगी था, इसलिए हम लोग बेफिक्र हो कर पार्टी, फंक्शन में जाने लगे थे. लेकिन अब यह आलसी हो चला था. एक बार हमारे घर में चोरी हो गई और यह मजे से ब्रैडमटन खाता रहा. हम ने सुना था कि डौगी मालिक के साथ बेवफाई नहीं करता है, लेकिन ब्रैडमटन के आगे इस ने मालिक से भी गद्दारी कर ली थी.

इस बार फिर श्रीमतीजी ने हमें डांटते हुए कहा, ‘‘अरे डौगी पाला है, कोई चूहा नहीं. आज तक तुम ने कभी इसे ब्रैडमटन खाने को दिया? नहीं दिया न, तो जिस ने दिया उसी का वफादार यह हो गया.’’

यह भी जिंदगी का एक सच था, इसलिए हम चुप हो गए.

जिंदगी में हम ने कभी किसी से उधार नहीं लिया था. लेकिन डौगी के चक्कर में हमारे ऊपर उधारी बढ़ती जा रही थी.

एक रात को डौगी ज्यादा ही भूंक रहा था. हम ने यह महसूस किया कि जब गली के डौगी भूंकते हैं तब किसी को परेशानी नहीं होती, लेकिन किसी का पालतू डौगी भूंके तो पड़ोसियों को जरूर तकलीफ होती है. सो इस बीच किसी ने पुलिस को खबर कर दी और उसी समय हमारे घर पुलिस और पशु संरक्षण विभाग के लोग आ गए. हमारे ऊपर डौगी को भूखा रखने का इलजाम लगा दिया गया.

हम ने कहा, ‘‘भाई साहब, ऐसी कोई बात नहीं है. देखो इस के पास ब्रैडबटर अभी भी रखा है… मैं ने भले ही कर्ज लिया हो, पर डौगी को हम ने कोई दुख नहीं होने दिया है.’’

इस पर इंस्पैक्टर ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तो भाई साहब, अब थोड़ा सा कर्ज और ले लीजिए ताकि यह मामला भी सुलट जाए वरना जानवर पर अत्याचार के इलजाम में जेल और जुरमाना दोनों हो जाएंगे.’’

 

अक्लमंद के लिए इशारा ही काफी होता है, यह सोचते हुए हम ने अगले दिन औफिस में डौगी को पालने के लिए भविष्यनिधि से पैसा निकालने का आवेदन दे दिया. आदमी से ज्यादा डौगी को महत्त्व देते हुए हमारे औफिस वालों ने तुरंत 30 हजार रुपए स्वीकृत कर दिए, जबकि हम अपनी बीमारी के लिए पैसा निकलवाने के लिए चक्कर लगा रहे थे, जो अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ था.

हमारे लिए यह खुशी की बात थी कि अब श्रीमतीजी का डौगी प्रेम कम होता जा रहा था, इसलिए एक दिन हम से बोलीं, ‘‘देखोजी, जो होना था सो हो गया. लेकिन कुछ भी हो डौगी से घर में शान तो रहती ही है और हम ने बाहर गेट पर ‘डौगी से सावधान’ का बोर्ड भी लगा दिया है. अब इसे निकालेंगे तो महल्ले में हमारी बदनामी होगी कि हम डौगी नहीं पाल सकते. वैसे भी यह मेरी भूल थी कि मैं ने कभी भी तुम्हें डौगी के बराबर इज्जत नहीं दी. मैं ने तो पहली रात को ही महसूस कर लिया था कि तुम ही मेरे सब से ज्यादा वफादार हो. अब भी तुम्हें वफादारी तो निभानी ही पड़ेगी. अब बस इतना करना है

कि जैसे ही दरवाजे पर किसी के आने की आहट हो तब तुम भूं…भूं… करने लगना. तब मैं कहूंगी कि सुनते हो जी, जरा डौगी को पीछे के बरामदे में बांध देना. समझ गए न?’’

इस डौगीपुराण से हम इतने आजिज आ चुके थे कि श्रीमतीजी की कोई भी शर्त मानने को तैयार हो गए. फिर एक रात के अंधेरे में हम ने चुपके से देशी डौगी को आजाद कर दिया.

अब श्रीमतीजी और घर की शान के लिए वक्तबेवक्त हमें ही भों…भों… करनी पड़ती है.

स्वादिष्ट थाई बैसिल चिकन

चिकन की तो बहुत सारे रेसिपी आपने ट्राई किया होगा लेकिन क्या आपने कभी थाई बैसिल चिकन बनाया है. नहीं ना. तो ट्राई करें बेहद ही स्वादिष्ट और लाजावाब थाई बैसिल चिकन.

सामग्री

1 बड़ा चम्मच औलिव औयल

1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन बारीक कटा

1 बड़ा चम्मच लैमन ग्रास बारीक कटी

1/4 कप हरे प्याज का सफेद भाग बारीक कटा

450 ग्राम चिकन कीमा

1 बड़ा चम्मच सोया सौस

1 छोटा चम्मच हौट सौस

नमक स्वादानुसार

1 छोटा चम्मच मिर्च क्रश्ड

1/4 छोटा चम्मच चीनी

7-8 बैसिल लीव्स

1/2 कप चिकन स्टौक

सजाने के लिए

1 अंडे का आमलेट

विधि

एक पैन में तेल गरम कर के अदरक, लहसुन व लैमन ग्रास सौटे करें. अब इसमें प्याज डाल कर भूनें और फिर चिकन कीमा के साथ बाकी सारी सामग्री मिला कर चिकन के पक जाने तक भूनें. आमलेट से गार्निश कर के गरमगरम परोसें.

व्यंजन सहयोग

शैफ रनवीर बरार

रुपयों का पेड़ उगायें

बहुत सारे पढ़ेलिखे लोग रुपएपैसे के मामले में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं. जबकि बहुत सारे अनपढ़ लोग वित्तीय निर्णय के मामले में पढ़ेलिखे लोगों से भी ज्यादा समझदार व बुद्घिमान होते हैं. कई लोग पैसों को फुजूलखर्ची से बचा कर उस की हिफाजत करना और उन्हें सुरक्षित जगह इकट्ठा कर के रखना ही बुद्धिमानी भरा कदम मानते हैं. जबकि यह बिलकुल नामसमझी और अपने पैसों को नुकसान पहुंचाने वाला निर्णय होता है. ऐसा करने वाले अपने संचित धन की क्रयशक्ति को छीजने के लिए छोड़ देते हैं.

बुद्धिमान लोग अपनी बचत और कमाई के पैसों को वित्त बाजार रूपी खेत में बीज की तरह इस्तेमाल कर के उस से रुपयों के पेड़ उगाते हैं. इन्हें पैसों की खेती करनी आती है और सही जगह निवेश कर के रुपयों का पेड़ उगाना आता है. संचित धन कभी बढ़ता नहीं, बल्कि छीजता है जबकि निवेशित धन निरंतर बढ़ता है और अपने स्वामी को पूरा लाभ पहुंचाता है.

आइए जानते हैं कुछ बातें जिन से आप भी अपनी बचत के बीजों को रुपयों के पेड़ में तबदील कर सकेंगे.

पैसा छिपाएं नहीं, लगाएं

ज्यादातर लोगों में एक आम प्रवृत्ति होती है, पैसे को छिपा कर रखने और उस का गुप्त भंडारण करने की. इस की मूल वजह है टैक्स की बचत. लेकिन इस से मन में सदैव डर, संदेह और कर विभाग द्वारा जब्ती का जोखिम बना रहता है. वहीं, अगर आप पैसा एक नंबर में रखते हैं और उसे किसी अच्छी जगह निवेश करते हैं, तो न आप के मन में डर या संदेह रहेगा, न कर विभाग द्वारा छापामारी का भय. साथ ही, आप की रकम के बढ़ने की उम्मीद भी रहेगी.

ध्यान रहे, टैक्स की चोरी कर के, चोरीछिपे रखा धन आप का होने के बावजूद आप कभी भी उस के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकते और न ही खुल कर उस का मजा ले सकते हैं. बेहतर होगा कि कर सलाहकार से टैक्स बचाने की तकनीकी जानकारी हासिल कर के उसे किसी अच्छी जगह लगाएं ताकि वह बढ़ कर आप के पास आए.

निवेश और बचत में फर्क

बचत और निवेश 2 अलगअलग चीजें हैं. माना कि बचत एक अच्छी आदत है लेकिन निवेश के बिना इस का पूरा फायदा नहीं उठाया जा सकता और असली मकसद भी पूरा नहीं हो सकता. जैसे, एक अच्छा बचतकर्ता बनने के लिए अनुशासन और दीर्घ अवधि की लगन की जरूरत होती है, ठीक उसी प्रकार उस के निवेश के लिए बेहद सावधानी और चुस्त,  सक्रिय दिमाग की जरूरत होती है. सही निवेश के लिए आप को थोड़ा सा लालची भी होना पड़ेगा ताकि आप अपनी गाढ़ी कमाई से बचाई गई रकम का अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए तत्पर रहें.

कई लोग यह सोच कर कि उन्हें तो वित्तीय मामलों की जानकारी नहीं, अपडेट, विश्लेषण करने की क्षमता नहीं, हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाते हैं और अपने पैसे बैंक अकाउंट में डाल कर संतुष्ट हो जाते हैं या फिर इधरउधर से सुनीसुनाई टिप्स के आधार पर शेयर्स खरीद लेते हैं. ऐसे लोगों को समझना होगा कि जैसे आप चिकित्सा के लिए डाक्टर और मुकदमा लड़ने के लिए वकील की मदद लेते हैं, ठीक उसी प्रकार वित्तीय मामलों के लिए अच्छे फाइनैंशियल एडवाइजर की मदद लेनी पड़ती है.

बचत खाते में न रखें सारा पैसा

आप के बचत खाते में सारी रकम को इकट्ठा रखना नादानीभरा निर्णय है. इस से आप को बमुश्किल 4-5 फीसदी सालाना ब्याज मिल पाता है. अगर आप के पास पैसा है और आप उस के सही निवेश का निर्णय नहीं ले पा रहे या निवेश के लिए सही समय या माध्यम का इंतजार कर रहे हैं, तो भी बड़ी रकम को बचत खाते में संचित रखना बेकार है.

इस के बजाय आप को उक्त अवधि के लिए बैंक में फिक्स्ड डिपौजिट कर देना चाहिए जहां आप को 8.5 फीसदी के आसपास रिटर्न मिलता रहता है या फिर बैंक में ‘स्विप इन’ या फ्लैक्सी अकाउंट खोलें, जिस में एक खास सीमा के बाद आप के रुपए फिक्स्ड डिपौजिट अकाउंट में चले जाते हैं, जिन्हें आप जब चाहें बिना पैनल्टी दिए निकाल सकते हैं.

अलग अलग जगह लगाएं पैसा

इन्वैस्टमैंट का एक गोल्डन रूल है- सारा पैसा कभी भी एक जगह निवेश न करें. दरअसल, कोई भी जगह या माध्यम सौ फीसदी सुरक्षित या जोखिम रहित नहीं है. अपने वित्तीय सलाहकार और अपने शुभचिंतक, क्वालीफाइड लोगों से राय लेने के बाद, खुद की सूझबूझ से रकम को अलगअलग कई हिस्सों में बांट लें और उन्हें रिटर्न मिलने व जोखिम की दर के मुताबिक कम या ज्यादा अलगअलग जगह निवेश कर दें.

निवेश के लिए कई रास्ते हैं जैसे म्यूचुअल फंड में कुछ पैसा एकमुश्त लगाएं, तो कुछ पैसा एसआईपी यानी सिस्टेमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान के माध्यम से लगाएं, कुछ पैसा बैंक में फिक्स्ड डिपौजिट करें, कुछ पैसा शेयर बाजार में फंडामैंटली स्ट्रौंग कंपनियों के शेयर खरीदने में लगाएं, कुछ पैसों का सोना खरीदें और प्रौपर्टी भी खरीदें. इस प्रकार आप का पैसा चौतरफा लगा रहेगा, तो कभी भी किसी अनहोनी में आप पर वज्रपात जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी. वैसे तो लाइफ इंश्योरैंस पौलिसी का मूल उद्देश्य मृत्यु के बाद पतिपत्नी और बच्चों के लिए कुछ व्यवस्था करने का होता है पर यह भी अप्रत्यक्ष रूप से निवेश  का एक साधन है, जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए.

फाइनैंस वर्ल्ड की रखें खबर

वित्त संबंधी निर्णय सही तरीके से लेने में खुद को सक्षम बनाने के लिए आप को मनी वर्ल्ड की खबरों से अपडेट होना पड़ेगा. यह काम बहुत कठिन नहीं है. बस, आप को अपने दैनिक अखबार में फाइनैंस और कारोबार से जुड़ी खबरों पर ध्यान देना होगा, फाइनैंस से जुड़े अखबार पढ़ने की आदत डालनी होगी और बिजनैस खबरों पर केंद्रित व फाइनैंस से जुड़े टीवी चैनल देखने होंगे.

इन सब चीजों से आप को वित्तीय जगत से जुड़ी बहुत सारी जानकारियां मिलने लगेंगी और आप काफी हद तक निवेश व रुपएपैसों से जुड़ी बारीकियां समझने लगेंगे. इन सब के साथ, अच्छे लेखकों व वित्तीय सलाहकारों की किताबें पढ़ने की आदत भी डालें. इस से आप को निवेश की सही योजना बनाने में सुविधा होगी.

आईटीसी लेकर आया लक्जरी चॉकलेट ‘फबेल’

चॉकलेट का कोई मौसम नहीं होता है, बर्थडे हो या कोई खास अवसर, एक अदद चॉकलेट आपके मूड को बदलने के लिए काफी होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आईटीसी ने पहली बार भारतीय लक्जरी चॉकलेट ब्रांड ‘फबेल’ का लौंच मुंबई में किया.

इस बारें में आईटीसी फूड डिवीजन के वाईस प्रेसिडेंट जी के सुरेश कहते हैं कि ये चॉकलेट करीब 10 साल की शोध के बाद भारत में लाया गया है. इसे बनाने के लिए उत्तम क्वालिटी की कोका मेडागास्कर, वेनेजुएला, इक्वाडोर, डोमिनिक रिपब्लिक और घाना से मंगाया जाता है. इसका स्वाद अलग होने के साथ-साथ सुगंध भी अलग है. इसे अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए हेजलनट्स का रिच क्रीमी मिल्क, ताजी क्रीम और मक्खन का भी प्रयोग किया जाता है. जाने-माने विशेषज्ञों ने इसे हमारे देश के टेस्ट के अधार पर बनाया है.

इस अवसर पर शेफ भूमिका हरवानी बताती हैं कि इस उत्पाद का उद्देश्य सिर्फ चॉकलेट खाना नहीं, बल्कि उसके बारे में जानकारी हासिल करना है. जो यहां उपस्थित जानकार व्यक्ति देते हैं.

यह उत्पाद केवल आईटीसी के बुटिक में ही मिलेगा, क्योंकि इसे बनाने से लेकर घर पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी हमारी होती है. ताकि उसका स्वाद कुछ दिनों बाद भी वैसी ही बना रहे. प्रकृति के तत्वों से प्रेरित इस चॉकलेट की फीलिंग्स और टोपिंग्स विभिन्न अवसरों के आधार पर किये जाते हैं. कुछ ही दिनों में यह चॉकलेट दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में मिलेगी.

कैशलेस भुगतान के फायदे

पायल अपने जन्मदिन पर कपड़े लेने के लिए शौपिंग मौल गई और बड़े जतन से अपनी पसंद के कपड़े और अन्य सामान ट्रौली में भर कर बिल काउंटर पर पहुंची. बिलिंग काउंटर पर बिल बनवाने के बाद पैसे निकालने के लिए जैसे ही उस ने अपना पर्स खोला तो उस के होश उड़ गए क्योंकि पर्स में वौलेट ही नहीं था. पहले तो उसे लगा कि वौलेट किसी ने उड़ा लिया जिस में ढेर सारी नकदी, क्रैडिट और डैबिट कार्ड थे. उस ने घटना की सूचना देने के लिए घर में फोन किया तो मम्मी ने बताया कि जल्दबाजी में उस ने वौलेट घर पर ही छोड़ दिया था और घर में  मम्मी के अलावा और कोई नहीं था जो उस का वौलेट उसे ला कर दे जाता.

अब उस के पास घर जा कर अपना वौलेट लाने के सिवा और कोई चारा नहीं था. यही सोच कर उस ने काउंटर क्लर्क से कहा कि घर जा कर अपना वौलेट ले कर आने में उसे करीब 2 घंटे लगेंगे तब तक वह सामान वैसे ही रखे लेकिन काउंटर क्लर्क ने अधिक देर तक सामान रखने से मना कर दिया. पायल ने इतनी मेहनत से अपनी पसंद के रंग और साइज के कपड़े निकाल कर अच्छी तरह से पहन कर चैक किए थे और वह इसे इतनी आसानी से उन्हें वापस नहीं लौटाना चाहती थी परंतु उस के पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

उस दिन पायल यही सोच रही थी कि काश कोई ऐसा मोबाइल ऐप होता जिस के माध्यम से वह अपने स्मार्ट फोन से ही यह भुगतान कर देती. पायल जैसे कई लोग हैं जिन्हें  इस तरह की समस्याएं आती हैं. दूसरी ओर नकद खरीदने में कई बार खुले पैसे नहीं होने के कारण अधिक पैसे भी देने पड़ते हैं या उस राशि का ऐसा सामान खरीदना पड़ता है जो उन के लिए कतई जरूरी नहीं होता वहीं नकदी नोट के लुटने, खोने या फटने का भी खतरा होता है. सब से बड़ी बात तो नकदी लेनदेन से कालेधन को भी बढ़ावा मिलता है जिस के कारण देश की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित होती है. यही कारण है कि सरकार ही नहीं अब कंपनियां भी कैशलैस यानी नकदी रहित भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ा रही हैं.

8 नवंबर, 2016 को जब प्रधानमंत्री ने रात 8 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश में भ्रष्टाचार, कालेधन एवं आतंकवाद को रोकने की दिशा में पुराने 500 एवं 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की तो सारा देश उन के इस निर्णय से स्तब्ध रह गया क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था से लगभग 80 प्रतिशत नकदी को अचानक बाजार से बाहर किए जाने के निर्णय ने देशवासियों को परेशानी में डाल दिया. हालांकि, औनलाइन बैंकिंग, डैबिट कार्ड, चैक, मोबाइल वौलेट आदि अन्य वैकल्पिक माध्यमों से भुगतान करने वालों को कोई परेशानी नहीं हो रही है. यह बात दूसरी कि यदि मंडियां बंद हो गईं और ट्रांसपोर्ट सिस्टम ढीला हो गया तो औनलाइन व्यापार भी ठप हो सकता है.

26 अगस्त को ही कैशलैस भुगतान के क्षेत्र में एक नई शुरुआत करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम यानी एनपीसीआई के सहयोग से 21 बैंकों में यूनिफाइड पेमैंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई सेवा की शुरुआत कर दी थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वर्ष 11 अप्रैल को ही इस सेवा की शुरुआत की घोषणा की थी परंतु तकनीकी कारणों से इस में थोड़ा विलंब हो रहा था पर अब ऐसा नहीं है.

एनपीसीआई भारत में विभिन्न प्रकार के भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करता है. इस में भारत का अपना प्लास्टिक कार्ड, रुपे कार्ड भी शामिल है जिस का उपयोग कर के किसी भी बैंक के एटीएम से पैसा निकाला जा सकता है. यूपीआई मोबाइल के जरिए कैशलैस भुगतान एवं राशि अंतरण की सब से नई तकनीक होगी. इस के माध्यम से भुगतान वैसे ही होगा जैसे आप कोई मोबाइल संदेश भेजते हैं. हालांकि

यह सुविधा एनईएफटी, आरटीजीएस या आईएमपीएस जैसे नकदी अंतरण सुविधा के समान ही है जिस में बैंक के एक खाते से दूसरे खाते में पैसा अंतरित किया जाता है पर यूपीआई इन सेवाओं का एडवांस वर्जन है जिस में क्रैडिट/डैबिट कार्ड का विवरण देने या नैटबैंकिंग या वौलेट पासवर्ड की परेशानी नहीं होती.

यूपीआई भुगतान का एक ऐसा चैनल है जो किसी भी यूपीआई प्रतिभागी बैंक के मोबाइल ऐप पर कई बैंक खातों से जोड़ सकता है. कई बैंकिंग फीचरों को एकसाथ मिला कर आसान निधियों का अंतरण एवं मर्चेंट्स का भुगतान आप के मोबाइल से कर सकता है. यह इंटरफेस एनपीसीआई के तत्काल भुगतान सेवा यानी आईएमपीएस का एडवांस वर्जन है जो 24?7 फंड ट्रांसफर सेवा है.  इस सेवा के माध्यम से एक दिन में 50 रुपए से 1 लाख रुपए तक के लेनदेन किए जा सकते हैं.  

एनपीसीआई ने 26 अगस्त, 2016 को 21 बैंकों के मोबाइल ऐप को मंजूरी दे दी जोकि अब गूगल के प्लेस्टोर में शीघ्र ही उपलब्ध होंगे. फिलहाल आंध्रा बैंक, ऐक्सिस बैंक, बैंक औफ महाराष्ट्र, भारतीय महिला बैंक, केनरा बैंक, कैथोलिक सिरियन बैंक, डीसीबी बैंक, फैडरल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टीजेएसबी सहकारी बैंक, ओरिएंटल बैंक, कर्नाटक बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक औफ इंडिया, युनाइटेड बैंक औफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, साउथ इंडियन बैंक, विजया बैंक और येस बैंक सहित कुल 19 बैंकों के ऐप गूगल के प्लेस्टोर पर एंड्रौयड फोन उपलब्ध हैं. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक औफ बड़ौदा, बैंक औफ इंडिया और कुछ अन्य बड़े बैंक आने वाले कुछ दिनों में इस भुगतान व्यवस्था से जुड़ जाएंगे.

यूपीआई ऐप ऐसे करें डाउनलोड

सब से पहले गूगल के प्ले स्टोर पर अपने बैंक की यूपीआई ऐप की तलाश करें.  उस के बाद अपने बैंक के यूपीआई ऐप को डाउनलोड कर अपने मोबाइल में इंस्टौल करें. फिर ऐप को लौगइन करें.  लौगइन करने के बाद पंजीकरण हेतु पंजीकरण पर क्लिक करें और सुरक्षा प्रश्न सहित सभी आवश्यक जानकारी को भरें. ध्यान रहे कि सुरक्षा प्रश्न और उस के उत्तर को हमेशा याद रखें क्योंकि बाद में पासवर्ड भूलने की स्थिति में पासवर्ड रिकवरी करने के लिए इन की आवश्यकता पड़ेगी.

इसी पेज पर आप को पासवर्ड बनाने हेतु विकल्प मिलेगा. यह आप का लौगइन पासवर्ड होगा. उस के बाद अपना वर्चुअल पता बनाएं फिर बाद में अपने बैंक खाते के साथ उसे जोड़ दें. और अपने पसंद के अनुसार एक मोबाइल पिन (एमपिन) निर्धारित करें.  बस हो गई यूपीआई से भुगतान करने की प्रक्रिया पूरी. अब आप यूपीआई का उपयोग अपने पसंद के अनुसार कर सकते हैं.

यूपीआई की कार्यप्रणाली

यूपीआई भुगतान के क्षेत्र के एक ऐसी क्रांति की शुरुआत है जिस से मोबाइल भुगतान के क्षेत्र में तेजी से विस्तार संभव हो पाएगा और सुरक्षित मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा मिलेगा परंतु यह नई भुगतान व्यवस्था आखिर कैसे काम करेगी और कैसे हम इस व्यवस्था के तहत पल में पैसे अंतरित कर सकते हैं. आइए इस संबंध में विस्तृत चर्चा करते हैं.

एनपीसीआई के अनुसार, यूपीआई एक ऐसी भुगतान सुविधा प्रस्तुत करेगा जो किसी भी बैंक ग्राहक को ईमेल के समान वर्चुअल पते के रूप में पहचान करेगा.  इतना ही नहीं यह ग्राहकों के व्यक्तिगत आंकड़ों की निजता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न बैंकों में विभिन्न खाते हेतु एक से अधिक वर्चुअल पते रखने की भी अनुमति प्रदान करता है.

इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहक के अपने बैंक के अलावा कहीं भी खाता मैप नहीं होता है. इस में एक सुविधा यह भी है कि यदि कोई ग्राहक चाहे तो अपना मोबाइल नंबर भी अपने वर्चुअल पते के रूप में उपयोग कर सकता है. यही कारण है कि इस सुविधा का लाभ उठाने वाला ग्राहक ब्रेफिक्र हो कर अपना वर्चुअल वित्तीय पता किसी को भी दे सकता है.

इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहक सिर्फ एक क्लिक से ही अपना लेनदेन प्रमाणीकृत कर सकता है क्योंकि इस में भुगतान प्रेषित करने या प्राप्त करने के लिए वर्चुअल पता ही भुगतान पहचानकर्ता का काम करता है. बैंक खाता अथवा कार्ड आदि का उपयोग नहीं करने के बावजूद यह सुविधा बेहद सुरक्षित ही नहीं, बल्कि सुविधाजनक भी है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस सुविधा के लिए भी एक क्लिक पर 2 फैक्टर प्राधिकरण अनिवार्य बनाया गया है.

हालांकि इस प्रक्रिया में वन टाइम पासवर्ड के स्थान पर एमपिन द्वारा लेनदेन प्राधिकृत किया जा सकता है. आमतौर पर एमपिन मोबाइल बैंकिंग के रूप में पंजीकृत कराने के बाद बैंक द्वारा ग्राहकों को प्रदान किया जाता है. इस से ग्राहकों को अपना भुगतान प्राधिकृत करने में आसानी होती है. मोबाइल फोन पर ग्राहकों को मोबाइल ऐप पर अपने डैबिट या क्रैडिट कार्ड का विवरण डालने में काफी परेशानी होती है और कई बार गलत पासवर्ड डालने पर खाता लौक होने का खतरा भी बना रहता है.

कैसे होगा लेनदेन

यूपीआई के तहत कोई भी व्यक्ति भुगतान के लिए डैबिट अनुरोध दे सकता है. इस समय कोई भी भुगतान तकनीक यह सुविधा नहीं देती. इस सुविधा के अंतर्गत विभिन्न बैंकों के बीच तत्काल भुगतान की सुविधा मिल सकती है.  यूपीआई तकनीक बेहद सरल है. इस में डिजिटल तरीके से आसानी से रकम भेजी व प्राप्त की जा सकती है. इस में वर्चुअल पते, मोबाइल नंबर, आधार नंबर आदि की जानकारी के साथ भुगतान होता है यानी अब ग्राहकों को राशि अंतरण करने के लिए बैंक का नाम, आईएफएससी कोड एवं बैंक खाता संख्या देने की आवश्यकता नहीं होगी. इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहकों को किसी भी प्रकार का भुगतान करने के समय दुकानदार को अपना एक वर्चुअल पता देना होगा. आप का वर्चुअल एड्रैस प्राप्त करते ही दुकानदार आप के वर्चुअल एड्रैस में भुगतान विवरण डाल देगा.

उदाहरण के लिए किरण ने मौल से 15,999 रुपए की खरीदारी की. यदि उस के स्मार्ट फोन में यूपीआई की सुविधा होती तो उसे बस अपने भारतीय स्टेट बैंक खाते से भुगतान करने के लिए काउंटर कैशियर को अपने एसबीआई खाते का वर्चुअल एड्रैस देना होता. काउंटर क्लर्क द्वारा उस वर्चुअल एड्रैस में 15,999 रुपए से संबंधित विवरण डालते ही किरण के मोबाइल पर एक संदेश आता. किरण उस संदेश को अपने बैंक के एमपिन प्राधिकृत करती और तत्काल राशि उस के भारतीय स्टेट बैंक खाते से दुकानदार के खाते में अंतरित हो जाती. इस प्रक्रिया के अंतर्गत भुगतान आसानी से होगा और दुकानदार क्रैडिट/डैबिड कार्ड की तरह विवरण अथवा पिन नहीं देख पाएगा.  इसलिए यह पूर्णत: सुरक्षित भुगतान प्रक्रिया है.

यूपीआई का वर्चुअल एड्रैस  

इस भुगतान व्यवस्था का उपयोग करने के लिए सब से पहले आप को अपने बैंक से संपर्क करना होगा कि उन का मोबाइल ऐप यूपीआई समर्थन के लिए अपडेट किया गया है. विभिन्न  बैंकों का वर्चुअल एड्रैस देने के संबंध में अलगअलग व्यवस्था हो सकती है और आवश्यकता पड़ने पर उसे समाप्त भी किया जा सकता है.

आप बैंक के ऐप पर बैंक की अनुमति से बिटकौइन की तरह एकबारगी उपयोग करने लायक वर्चुअल एड्रैस खुद भी बना सकते हैं.  इस के लिए आप को अपने बैंक से यूपीआई के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण कराते ही आप का वर्चुअल एड्रैस बना दिया जाएगा जिसे आप के मोबाइल के साथ मैप कर दिया जाएगा. भुगतान के लिए यूपीआई लाभार्थी के इस वर्चुअल पते की पहचान करता है और राशि तत्काल अंतरित हो जाती है.

यह एकल सिंगल क्लिक टू फैक्टर प्राधिकृत प्रक्रिया के आधार पर कार्य करता है.  आमतौर पर विभिन्न बैंकों में विभिन्न खातों में विभिन्न प्रकार के वर्चुअल एड्रैस बनाने की अनुमति भी  मिल सकती है.

इस सुविधा के अंतर्गत किसी भी प्रकार का बिल, सामान खरीदने के बाद नकदी देने के स्थान पर पैसा अंतरण, बारकोड को स्कैन कर भुगतान करने पर आधारित भुगतान, स्कूल आदि की फीस, किसी संस्थान को दान देने आदि के अलावा कई अन्य तरीके से भी इस का लाभ उठाया जा सकता है. 

इस सुविधा से बैंकों को भी फायदा होगा जैसे उन्हें एक से अधिक लेनदेन के मामले में एक ही क्लिक पर उस लेनदेन के लिए प्राधिकृत किया जा सकता है. इस व्यवस्था में लेनदेन के लिए यूनिवर्सल ऐप का प्रयोग किया जाता है. बैंक वर्तमान इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रयोग द्वारा ही यह सुविधा उपलब्ध कराने में सफल हो सकता है.

ग्राहकों को फायदा

इस नई भुगतान व्यवस्था में बैंक को ही नहीं बल्कि ग्राहकों को भी फायदा है.  एक ओर तो ग्राहक को कभी भी कहीं भी पैसा प्राप्त हो सकता है, दूसरी ओर उसे विभिन्न बैंकों के खाते तक पहुंचने के लिए एक ही ऐप का उपयोग करना पड़ेगा.  सब से बड़ी बात है कि ग्राहक को लेनदेन के लिए अपना कोई भी विवरण नहीं देना पड़ेगा बल्कि उसे सिर्फ अपने बैंक की अनुमति से अपनी पसंद के अनुसार तैयार किया गया वर्चुअल पता ही देना होगा.  

नकदी व्यवस्था के नुकसान

नकदी आधारित व्यवस्था में कुछ आर्थिक नुकसान भी हैं. एक ओर कालेधन में निरंतर वृद्धि से देश की अर्थव्यवस्था चौपट होती है, दूसरी ओर रिजर्व बैंक और व्यावसायिक बैंक की फिलहाल मुद्रा परिचालन लागत लगभग 21,000 करोड़ के आसपास है. नकदी का उपयोग कम किया जाए तो बचत राशि को देश के विकास के लिए व्यय किया जा सकता है. भारत सरकार नकदी लेनदेन को कम करने के लिए कई कदम उठा रही है.  हाल ही में भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में नकदी लेनदेन रोकने के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति कैशलैस भुगतान को बढ़ावा देने के साथसाथ देश में प्लास्टिक कार्ड द्वारा भुगतान की अधिकतम स्वीकार्यता बढ़ाने पर बल देगी.

रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, मार्च 2016 की समाप्ति पर भारत में 2.45 करोड़ क्रैडिट कार्ड, करीब 66 करोड़ डैबिट कार्ड और 13 लाख पौइंट औफ सेल्स (पीओएस) हैं.

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

इंटरनैट ऐंड मोबाइल ऐसोसिएशन औफ इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 और 2013 के बीच डिजिटल भुगतान में करीब 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है.  वह भी तब जब 2013 में औनलाइन भुगतान का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा औनलाइन यात्रा, 23 प्रतिशत वित्तीय सेवाओं और सिर्फ 12 प्रतिशत औनलाइन रिटेलिंग में हुआ है.

ताज्जुब की बात तो यह है कि इन लेनदेन का 80 प्रतिशत हिस्सा डैस्कटौप और लैपटौप पर हुआ है और इस में मोबाइल फोन एवं टैबलेट का हिस्सा  नाममात्र था परंतु भारत में मोबाइल भुगतान वर्ष 2011 में लगभग 602 करोड़ रुपए की तुलना में प्रतिवर्ष 68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 2016 में लगभग 150 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2022 तक इस के लगभग 1150 करोड़ रुपए होने का अनुमान है.  

प्लास्टिक मुद्रा का महत्त्व

डिजिटल इंडिया का मुख्य उद्देश्य भारत में फैले नकदी आधारित व्यवस्था  को हाशिए पर लाना है जो इस समय भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ है. इसी सिलसिले में सरकार इलैक्ट्रौनिक/प्लास्टिक मुद्रा के जरिए भुगतान करने वालों को कर में भी छूट देने पर विचार कर रही है.  दूसरी ओर सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं में भी व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करने हेतु चरणबद्ध तरीके से समस्त सरकारी योजनाओं एवं सब्सिडी का भुगतान डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में तेजी से काम कर रही है.

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए लगभग 20 करोड़ खातों में रुपे कार्ड वितरित किए गए हैं.  इस योजना के अंतर्गत भुगतान को तकनीकी आधारित भुगतान समाधान के साथ जोड़ा जाएगा.

स्मार्ट फोन होंगे संचालक

ग्लोबल रिसर्च फर्म ईमार्केटर ने दिसंबर 2015 के अंत में किए गए एक सर्वेक्षण में कहा है कि भारत में इस समय लगभग साढ़े 12 करोड़ स्मार्ट फोन हैं और अमेरिका में साढ़े16 करोड़ स्मार्ट फोन हैं परंतु यहां स्मार्ट फोन की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है वैसे में भारत 2016 तक स्मार्ट फोन के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा. 

भारत  में  35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की संख्या 70 करोड़ से भी अधिक है. यह पीढ़ी अपना अधिकांश समय मोबाइल फोन व इंटरनैट पर व्यतीत करती है तथा सदैव त्वरित एवं आसान सेवाओं के प्रति आकर्षित होती है.  भारतीय बैंकिंग उद्योग ने भी समय के साथ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी प्रगति करते हुए तकनीकी रूप से उन्नत पीढ़ी के लिए विश्वस्तरीय सेवाएं उपलब्ध करा दी हैं जिस के कारण डिजिटल भुगतान का प्रचलन दिनप्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.  

औफर्स से वंचित उपयोगकर्ता

क्रैडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को एक ओर खरीदारी की तिथि से उस राशि के भुगतान के लिए अधिकतम 50 दिनों का समय मिलता है तो दूसरी ओर इस अवधि में उस राशि का अन्यत्र उपयोग अथवा बैंक में राशि पड़े होने की स्थिति में कुछ ब्याज राशि भी अर्जित कर सकता है.

आज कार्ड कंपनियां विभिन्न कंपनियों के साथ समझौता कर अपने ग्राहकों को खरीदारी करने पर 5 व 10 और कभीकभी 15 प्रतिशत तक की छूट अथवा कैशबैक देती हैं जोकि अभी की व्यवस्था  के अनुसार यूपीआई उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध  नहीं हो पाएगी. वहीं क्रैडिट कार्ड ग्राहकों को अपने कार्ड द्वारा व्यय की गई राशि पर रिवार्ड पौइंट भी मिलते हैं जोकि 1 से 1.5 प्रतिशत तक होते हैं. इस रिवार्ड पौइंट का नकदीकरण भी किया जा सकता है. यह सुविधा भी यूपीआई उपयोगकर्ताओं को नहीं मिल पाएगी.

सरकार द्वारा उठाए गए इस कड़े कदम के बाद निश्चित तौर पर नकदी का प्रचलन कम होगा और लोग कैशलैस भुगतान की ओर आकर्षित होंगे. इतना तो तय है कि यूपीआई औनलाइन या औफलाइन खरीदारी हेतु क्रैडिट कार्ड का विकल्प तो नहीं बन पाएगा परंतु खरीदारी हेतु डैबिट कार्ड का विकल्प जरूर बन पाएगा क्योंकि डैबिट कार्ड में भी पैसा खरीदारी के समय ही तत्काल अंतरित हो जाता है परंतु कार्ड का उपयोग आज के बढ़ते साइबर अपराध के युग पर काफी असुरक्षित हो गया है और यहीं यूपीआई प्लास्टिक कार्ड पर भारी पड़ेगा और लोगों को पूरी तरह से सुरक्षा उपलब्ध करा पाने में सफल हो पाएगा.

जहां तक एनईएफटी/आरटीजीएस और आईएमपीएस के विकल्प  बनने की बात है तो यहां यूपीआई उपयोगकर्ताओं को दोहरा लाभ मिलेगा. एक तो भुगतान तत्काल होगा वहीं इस के उपयोगकर्ताओं को साइबर धोखाधड़ी से भी पूरी तरह से सुरक्षा मिलेगी.

इस प्रकार यूपीआई आने वाले समय में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगा. बस जरूरत है ग्राहकों में इस सेवा एवं इस के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने की ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कैशलैस भुगतान व्यवस्था का उपयोग बढ़ाया जा सके.

शाहिद-सोनम बनें 2016 के हॉटेस्ट वेजिटेरियन

इस साल के सबसे हॉटेस्ट वजिटेरियन का खिताब शाहिद कपूर और सोनम कपूर के नाम हो गया है. जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा इंडिया ने यह खिताब उन्हें दिया है.

शाहिद और सोनम ने कई जानेमाने सितारों को मात देते हुए यह खिताब अपने नाम किया. इस दौड़ में अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट, कंगना रनोट, विद्वयुत जामवाल, आर माधवन और सनी लियोन जैसे सितारे शामिल थे.

एक सर्वे के दौरान शाहिद और सोनम को 2016 का हॉटेस्ट वजिटेरियन घोषित करने का फैसला किया गया. पेटा इंडिया डॉट कॉम पर विजिटर्स ने अपने वोट दिए और दोनों को इस खिताब के लिए चुना. पेटा इंडिया के सेलेब्रिटी व पब्लिक रिलेशंस के एसोसिएट डायरेक्टर सचिन बंगेरा ने कहा कि शाहिद और सोनम फिट, हॉट व पैशनेट हैं और वो अपने फैंस व उन लाखों लोगों के लिए एक शानदार उदाहरण पेश कर रहे हैं जो अपने खाने से जलवायु बदलाव से लड़ना चाहते हैं.

वहीं इस बारे में बात करते हुए शाहिद ने कहा, ‘अब ऐसा हो गया है कि मैंने दुध और दुध से बने उत्पादों को लेना बंद कर दिया है. मैं लैक्टो-सेंसेटिव हूं. बड़ी संख्या में लोग लैक्टो-सेंसेटिव होते हैं, मगर उन्हें इसका पता नहीं होता है. मुझे मुर्गे, सुअर, गाय, मछली और दूसरे जानवरों से प्यार भी है. इसलिए मैं वेजिटेरियन बन गया.’ शाहिद वेजिटेरियन बनकर बहुत ही खुश हैं.

ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुए ए.आर. रहमान

भारतीय संगीतकार ए.आर. रहमान एक बार फिर ऑस्कर की दौड़ में हैं. इस बार वह ‘पेले: बर्थ ऑफ ए लीजेंड’ में अपने काम के लिए इस दौड़ में शामिल हुए हैं.

रहमान 2009 में अपनी फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए दो ऑस्कर जीत चुके हैं. इस बार 89वें अकेडमी अवॉर्ड्स में ऑरिजिनल स्कोर के लिए नामांकन सूची में उनका नाम शामिल किया गया है. ‘अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज’ ने अपनी ऑफिशयल वेबसाइट पर यह लिस्ट जारी की है.

89वें अकेडमी अवॉर्ड्स के लिए आखिरी नामांकनों की घोषणा 24 जनवरी को की जाएगी. पुरस्कार समारोह 26 फरवरी को हॉलीवुड में ‘हॉलीवुड एंड हाइलैंड सेंटर के डोल्बी थियेटर’ में आयोजित किया जाएगा.

रहमान इससे पहले 2009 में अपनी फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए दो ऑस्कर जीतकर भारत का नाम रोशन कर चुके हैं. उन्हें फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए बेस्ट ऑरिजिनल स्कोर और बेस्ट ऑरिजिनल सॉन्ग के लिए पुरस्कार दिया गया था. गीत के बोल गुलजार ने लिखे थे.

साल 2014 में ‘मिलियन डॉलर आर्म’, ‘द हंड्रड-फुट जर्नी’ और भारतीय फिल्म ‘कोचादइयां’ के लिए भी उनका काम दावेदारों में था.

जैन मलिक बने एशिया के सबसे सेक्सी पुरुष

बॉलीवुड एक्टर रितिक रौशन को पछाड़ते हुए इस बार ब्रिटिश सिंगर जैन मलिक 2016 के एशिया के सबसे सेक्सी पुरुष बन गए हैं. वहीं रितिक दूसरे स्थान पर हैं. वन डायरेक्शन के पूर्व सदस्य जैन (23) ने लगातार दूसरे साल यह खिताब अपने नाम किया है.

आपको बता दें कि सिंगर और सॉन्ग राइटर ने वन डायरेक्शन छोड़ने के बाद भी अपने करियर में काफी शोहरत हासिल की है.

सोशल मीडिया पर कराए गए इस चुनाव में पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान, भारतीय टेलीविजन एक्टर आशीष शर्मा और सुपरस्टार सलमान खान टॉप 5 में शामिल हैं.

इस लिस्ट में शाहरुख खान 17वें नंबर पर हैं. वहीं रणवीर सिंह ने 10वीं और शाहिद कपूर ने 7वां स्थान हासिल किया है.

एक्ट्रेस के बारे में बात करें तो बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण जिनकी हालीवुड फिल्म ‘ट्रीपल एक्स: रिटर्न ऑफ जेंडर केज’ जल्द ही रिलीज होने वाली है, वह पिछले सप्ताह जारी की गई एशिया की 50 सबसे सेक्सी महिलाओं की लिस्ट में टॉप पर थीं.

अगले साल सोनम करेंगी शादी!

सोनम कपूर इन दिनों अपनी फिल्मों से ज्यादा अपने अफेयर को लेकर चर्चा मे हैं. सूत्रों की मानें तो इन दिनों सोनम दिल्ली के रहने वाले आनंद आहूजा को डेट कर रही हैं. दोनों कई मौके पर साथ-साथ नजर आए. अब खबर आ रही है कि अगले साल ये जोड़ी शादी के बंधन में बंध जाएगी.

सोनम और आनंद एक दूसरे के साथ घूमते नजर आ रहे हैं. कई इवेंट में भी दोनों साथ नजर आ चुके हैं. इतना ही नहीं आनंद के दिए तोहफे की फोटो सोनम ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर शेयर की थी. आनंद से जुड़ी कोई भी चीज सोनम छुपा नहीं रही हैं बस अपने रिलेशनशिप पर उन्होंने पर्दा डाल रखा है. सोनम ने हाल ही में अपने फैमिली के साथ एक फोटो शेयर की थी जिसमें आनंद उनका हाथ थामे नजर आए.

गौरतलब है कि सुपरहिट फिल्म ‘नीरजा’ के बाद सोनम ‘वीरे दी वेडिंग’ में नजर आएंगी. इसके अलावा आर बाल्की की फिल्म में वो अक्षय कुमार के साथ रोमांस करती दिखाई देंगी. संजय दत्त की बायोपिक में भी उनका छोटा सा किरदार देखने को मिलेगा.

ऐसे पाएं काली गर्दन से निजात

आमतौर पर हम अपने चेहरे की सफाई पर जितना ध्यान देते हैं, उतना गर्दन की सफाई पर गौर नहीं करते. ऐसे में, गर्दन पर मैल जमने लगती है और धीरे-धीरे मैल का कालापन जम जाता है. हम यहां कुछ ऐसे घरेलू टिप्स लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप अपनी गर्दन को साफ और सुंदर बना सकती हैं.

नींबू का रस

नींबू में विटामिन सी और सिट्रिक एसिड होता है. इसकी वजह से इसे प्राकृतिक ब्लीच भी कहते हैं. गर्दन का कालापन हटाने के लिए नहाने से पहले पांच या दस मिनट तक गर्दन पर नींबू का टुकड़ा रगड़ें. अगर आपकी त्वचा बहुत ज्यादा नाजुक है तो आप इसमें गुलाब जल मिला सकती हैं. इसके लगातार प्रयोग से आपकी गर्दन पर जमी मैल छूट जाएगी.

संतरे का छिलका

संतरे में भी विटामिन सी भरपूर मात्रा में होती है. इसलिए संतरे के छिलके और दूध को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें. नहाने से पहले इस पेस्ट से रोजाना अपने गर्दन की मालिश करें. कुछ दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा.

बेसन

आपने पुराने जमाने में बेसन को उबटन की तरह इस्तेमाल करते देखा होगा. दरअसल, बेसन एक तरह से नेचुरल स्क्रबर है, जो डेड स्क‍िन को हटाने में बहुत मददगार होता है. इसके अलावा इसे लगाने से त्वचा में चमक भी आती है. गर्दन का कालापन हटाने के लिए आप बेसन का इस्तेमाल पानी या दूध मिलाकर कर सकती हैं. इसमें यदि चुटकी भर हल्दी डाल दें तो इसका असर और बढ़ जाएगा.

खीरा

ब्यूटी पार्लर में आपने कई बार खीरे का इस्तेमाल मास्क के तौर पर देखा होगा. इसकी मूल वजह यही है कि खीरा त्वचा की डेड स्क‍िन्स की मरम्मत कर उसे तरोताजा बनाता है. खीरे को कस कर गर्दन पर लगाएं. दस मिनट बाद खीरे के रस से दस मिनट तक गर्दन की मालिश करें और फिर धो लें. कालापन दूर हो जाएगा.

आलू

आलू में केटाकोलिस नाम का एंजाइम पाया जाता है. यह एंजाइम दरअसल, स्क‍िन को ठंडक पहुंचाता है और काले धब्बों को साफ करता है. आप आलू का रस निकाल कर नहाने से पहले अपनी गर्दन पर रगड़ें. बेहतर परिणाम के लिए आप आलू के रस में नींबू का रस भी मिला सकती हैं.

एलोवेरा

सेहत के लिए एलोवेरा कई तरह से फायदेमंद है. स्क‍िन के लिए तो यह वरदान से कम नहीं. गर्दन का कालापन हटाने के लिए एलोवेरा की जेली निकालकर उससे गर्दन की मालिश करें और सूखने के लिए छोड़ दें. फिर धो दें. आपकी गर्दन साफ हो जाएगी.

केला

घर में रखे-रखे केला यदि ज्यादा पक गया है और उसे कोई खा भी नहीं रहा है तो उसका इस्तेमाल आप अपनी गर्दन पर जमी मैल हटाने के लिए कर सकती हैं. केले का पेस्ट बनाएं और उसमें जैतून का तेल मिला लें. इस मिश्रण को गर्दन पर लगाएं. दस मिनट रखें और फिर हल्के हाथों से मालिश करते हुए धो दें.

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