अवनि और मैं कई मामलों में एक हैं: आर्शीन नामदार

आज के बच्चे छोटी उम्र में ही ज्यादा समझ रखने के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारियों को भी भलीभांति समझते हैं जैसे अवनि. वह समझदार है, जिज्ञासु है, अपनी मां का ध्यान रखती है, उन्हें हमेशा खुश रखती है. वह अपने मासूम सवालों से ऐसे सवाल उठाती है, जो हमारे समाज को चुनौती देते हैं.

पेश हैं, अवनि का किरदार निभा रही आर्शीन नामदार से बातचीत के खास अंश

नामकरण शो की खास बात क्या है?

इस शो की खास बात यह है कि इस में खूबसूरत गानों के साथ कहानी को दर्शकों के सामने एक अलग अंदाज में प्रस्तुत किया जा रहा है. यह आइडिया प्रसिद्ध डायरैक्टर महेश भट्ट का है. यह शो 10 साल की एक बच्ची अवनि की कहानी है, जिस का एक अनोखा परिवार है.

उसके पिता की अनुपस्थिति उसे इतनी कम उम्र में अन्य बच्चों की तुलना में मजबूत बनाती है. अवनि के पिता हर समय उन के साथ नहीं रहते, वे आते जाते रहते हैं. अन्य बच्चों के पिता की तरह वे हर जगह नहीं आते.

यह अवनि के लिए एक उलझन है, क्योंकि उस के दोस्तों के मातापिता ऐसा व्यवहार नहीं करते. अवनि के दोस्त उस के पापा को ‘मिस्टर इंडिया’ कहते हैं. अवनि को यह बिलकुल पसंद नहीं है कि उस के दोस्त उस के पापा का मजाक बनाएं.

आप का कैरेक्टर किस तरह से अलग है?

मैं अवनि का कैरेक्टर निभा रही हूं. वह मुझ से और मेरे बाकी दोस्तों से काफी अलग है. उस का चरित्र निभाने पर मुझे समझ आया कि कैसे हर परिवार अलग होता है. अवनि एक प्रभावशाली और आत्मविश्वासी लड़की है. उस का परिवार सामान्य है, लेकिन उस के पिता की अनुपस्थिति उस की सब से बड़ी ताकत बन गई है.

आप अपने कैरेक्टर से कितनी मिलती हैं?

अवनि और मैं कई मामलों में एक से हैं. हम दोनों ही बहुत सवाल पूछते हैं. वह प्रभावशाली और आत्मविश्वासी लड़की है. मुझे लगता है कि मैं भी ऐसी ही हूं. इस के अलावा उसे काफी अच्छे मातापिता मिले हैं और मेरे भी हैं. वह अपनी लाइफ में एक भाई या बहन चाहती है और मैं भी रियल लाइफ में एक भाई या बहन चाहती हूं.

इस शो में कौन सब से ज्यादा पसंद है?

सैट पर हर कोई मुझे पसंद है. शो में सब मेरे साथ अभ्यास करते हैं, मुझे बताते हैं कि मुझे कैसे और कहां सुधार करना चाहिए. सैट पर हम हर छोटे से छोटे अवसर को सैलिबे्रट करते हैं. इसलिए हम सब यहां खुश रहते हैं, क्योंकि मैं बरखा मैम के साथ ज्यादा समय बिताती हूं इसलिए वे मेरे बहुत करीब हैं. हम औन स्क्रीन और औफ स्क्रीन दोनों जगह साथ ही रहते हैं. वे एकदम मेरी मम्मी की तरह हैं. मैं उन के साथ सुरक्षित महसूस करती हूं.

शूटिंग में व्यस्त रहने के बाद आप पढ़ाई और दोस्तों के लिए समय कैसे निकालती हैं?

मुझे जब भी समय मिलता है तो घर पर या सैट पर पढ़ाई करती हूं. मेरी मम्मी और आशा मां हमेशा मेरी पढ़ाई का ध्यान रखती हैं. हमेशा ये देखती रहती हैं कि मैं ने होमवर्क पूरा किया कि नहीं, समय पर प्रोजैक्ट तैयार किया कि नहीं.

इस शो में कुछ खूबसूरत गाने हैं. इन में आप का पसंदीदा कौन सा है?

इस शो में मुझे ‘मिट्टी है जहां खुशियां हैं परियों के भेष में…’ लोरी बहुत पसंद है. मेरी मम्मी ने जब इस गाने में मुझे देखा तो वे भी रो पड़ीं.

अपने अन्य प्रोजेक्ट्स के बारे में बताइए?

फिलहाल मैं अपना सारा ध्यान ‘नामकरण’ पर केंद्रित कर रही हूं. हालांकि यह एक फुल टाइम शो है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि मुझे किसी अन्य अवसर पर ध्यान देने की जरूरत है. इस शो की शुरुआत पर मैं बहुत खुश हूं.

ऑनलाइन शॉपिंग में फ्रॉड से बचें

लोगों के मन में ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर कई तरह की आशंकाएं रहती हैं. ये आशंकाएं ऑनलाइन फ्रॉड को लेकर होती हैं और होनी भी चाहिए, आजकल ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में जबरदस्त उछाल जो आया है.

वैसे भी आप जिस व्यक्ति या वेबसाइट पर भरोसा करके प्रोडक्ट खरीद रहे हैं, उसे सीधे तौर पर तो जानते नहीं हैं. उसकी एक वर्चुअल पहचान है, जिससे आप वाकिफ हैं.

ऐसे में आप सोचेंगे कि ‘कैश ऑन डिलीवरी’ बेहतर विकल्प है. लेकिन ‘कैश ऑन डिलीवरी’ के मामले में भी आप अपने खरीदे गए प्रोडक्ट को देखे बिना ही उसकी कीमत चुकाते हैं. यानी आप उसकी पैंकिंग देखकर पैसे दे देते हैं. ऐसे में आप ऑनलाइन शॉपिंग में कैसे अपने रिस्क को कम से कम कर सकते हैं और कैसे इस तरह के फ्रॉड से बच सकते हैं. यहां जानिए कुछ उपाय…

1. ऑफिशियल सेलर से खरीदें सामान

अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स दुनियाभर के विक्रेताओं को मार्केट प्लेस मुहैया कराती हैं, ये वेबसाइट स्वयं कोई प्रोडक्ट नहीं बेचती हैं. हालांकि इन वेबसाइट्स पर सभी विक्रेता एक सामान नहीं होते, कुछ विक्रेता ऐसे भी होते हैं जिन्हें इन ई-कॉमर्स वेबसाइट्स का लगभग ‘आधिकारिक विक्रेता’ माना जा सकता है.

फ्लिपकार्ट के मामले में यह दर्जा ‘डब्ल्यूएस रिटेल’ को हासिल है. यानी फ्लिपकार्ट पर इस विक्रेता से खरीदारी करना 100 फीसदी सुरक्ष‍ित है. हालांकि इसी वेबसाइट पर मौजूद अन्य विक्रेताओं के मुकाबले ‘डब्ल्यूएस रिटेल’ पर कीमतें थोड़ी ज्यादा हो सकती हैं, लेकिन लालच ना करें. यही नहीं ‘डब्ल्यूएस रिटेल’ ही फ्लिपकार्ट पर इकलौता विक्रेता है जो 30 दिन की मनी बैक गारंटी देता है, जबकि बाकी विक्रेता 7 से 10 दिन की रिटर्न गारंटी देते हैं.

अमेजन पर यह दर्जा ‘क्लाउडटेल’ को हासिल है. जबॉन्ग और मिंत्रा पर ज्यादातर प्रोडक्ट आधिकारिक विक्रेताओं द्वारा ही बेचे जाते हैं.

2. ऐसे ही प्रोडक्ट खरीदें जो गोदाम में हों

अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के अपने गोदाम होते हैं, जहां थर्ड पार्टी विक्रेता का भी सामान रखा होता है. पहले से गोदाम में मौजूद सामान को अगर आप खरीदते हैं तो फिर इनकी शिपिंग थर्ड पार्टी विक्रेता नहीं बल्कि वह वेबसाइट स्वयं करती है, जिससे आपने खरीदा है. अगर आपको जानना हो कि जो प्रोडक्ट आप खरीद रहे हैं वो गोदाम में मौजूद है या नहीं तो बता दें कि अमेजन पर ऐसे प्रोडक्ट्स के साथ ‘अमेजन फुलफिल्ड’, फ्लिपकार्ट पर ‘फ्लिपकार्ट एडवांटेज’ व स्नैपडी पर ‘सेफशिप’ का टैग लगा रहता है.

3. विक्रेता की रेटिंग पर भी नजर डालें

इससे पहले कि आप अपनी मनपसंद का प्रोडक्ट खरीदने के लिए Buy का बटन दबाएं, विक्रेता की रेटिंग जरूर देख लें. खासतौर पर ईबे और स्नैपडील जैसी वेबसाइटों के मामले में यह जरूर करें. ध्यान रखें कि ऐसे विक्रेताओं से ही सामान खरीदें जो जिन्होंने कम से कम 50 या इससे ज्यादा ट्रांजेक्शन किए हों और उनकी रेटिंग भी 90 फीसदी या कम से कम 4 स्टार हो. जितनी ज्यादा रेटिंग होगी उतना ही ज्यादा आप उस विक्रेता पर भरोसा कर सकते हैं.

4. सस्ते और डिस्काउंट के चक्कर में ना पड़ें

अगर आपको कोई महंगा प्रोडक्ट किसी शॉपिंग वेबसाइट पर बहुत सस्ता मिल रहा है और आप उसे खरीदने का मन बना रहे हैं तो ठहरें. क्योंकि इस तरह से आपको सस्ते का झांसा देकर आपकी मेहनत की कमाई उड़ाने वालों की भी कोई कमी नहीं है. कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि ग्राहकों को महंगी चीज सस्ते में देने का लालच देकर गिफ्टपैक में पत्थर, प्लास्टिक या साबुन जैसी चीजें पहुंचा दी जाती हैं. ऐसा भी नहीं है कि ऑनलाइन शॉपिंग में महंगी चीजों पर डिस्काउंट देकर उन्हें सस्ते में नहीं बेचा जाता, लेकिन जब भी ऐसी डील पर क्लिक करें तो हमेशा ध्यान रखें कि आप आधिकारिक विक्रेता से ही खरीददारी करें. कई बार आप देखेंगे कि विक्रेता को रेटिंग तो अच्छी मिली हैं, लेकिन उसने अब तक केवल 18-20 ट्रांजेक्शन ही किए हैं तो ऐसे विक्रेता पर भरोसा करने से बचें.

करीना को पसंद नहीं था स्कूल जाना!

करीना कपूर प्रिग्नेंट हैं मगर अभी भी अपनी प्रोफेशनल कमिटमेंट्स को पूरा कर रही हैं, मगर एक काम ऐसा है जो वो अब भी नहीं करतीं. बेबो सुबह जल्दी नहीं उठ सकतीं.

हर स्टार की अपनी आदत होती है. मसलन अक्षय कुमार सुबह जल्दी उठने में यकीन रखते हैं और रात को जल्दी सो जाते हैं. मगर करीना कपूर को सुबह जल्दी उठने से एलर्जी है. करीना ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि वो अर्ली बर्ड फ्रेज में बिल्कुल यकीन नहीं करतीं और किसी के लिए भी सुबह की नींद से कांप्रोमाइज नहीं कर सकतीं. इसीलिए सुबह के वक्त बेबो को किये गए कॉल्स मिस्ड ही रहते हैं, क्योंकि वो सुबह कभी भी फोन उठाना पसंद नहीं करती हैं.

बेबो के करीबी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं और वे जानते हैं कि बेबो को यह बात पसंद नहीं तो वे उन्हें सुबह के वक्त फोन ही नहीं करते. हालांकि कई बार बेबो को इस बात की तकलीफ भी होती है. वो जरूरी कॉल भी मिस कर देती हैं.

बेबो के मुताबिक सुबह ना उठने की आदत की वजह से ही उन्हें स्कूल जाने से भी चिढ़ थी. वैसे करीना को ऐसी एक्ट्रेस माना जाता है जो अपना काम आराम से करती हैं. किसी हड़बड़ी में नहीं रहतीं.

सलमान को लगता है शादी से डर!

‘सलमान खान शादी कब करेंगे’ यह सवाल तो जैसे राष्ट्रीय बहस का सदाबहार मुद्दा है. उनके इतने अफेयर हुए, लेकिन शादी तक बात नहीं पहुंची. अब तो यह हाल है कि सलमान किसी लड़की के साथ एक झलक दिख भी जाएं, तो लोग कयास लगाने लगते हैं कि वह लड़की कहीं सलमान की फ्यूचर बीवी तो नहीं!

हर बात की कोई न कोई वजह तो होती है, सो सलमान के अबतक शादी ना करने की भी कोई वजह होगी. वह वजह क्या है, इसका जवाब खुद सलमान ने दिया है.

सलमान हाल ही में एक जूलरी स्टोर की लॉन्चिंग के मौके पर दिल्ली पहुंचे थे. पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने की जो मांगे उठ रही हैं, उसपर सलमान ने अपना स्टैंड साफ किया. इतना ही नहीं, वह अपनी लव लाइफ के बारे में खुलकर बोले.

सलमान ने कहा ‘इस पूरी दुनिया में मैं सबसे ज्यादा रोमांटिक इंसान हूं.’ वैसे, सलमान के बिना बताए भी हम जानते हैं कि वह बेहद रोमांटिक हैं.

इतना रोमांटिक होने के बावजूद उन्होंने अब तक शादी क्यों नहीं की, इसका जवाब भी उन्होंने खुद ही दिया. सल्लू ने बताया, ‘अंगूठियों का फोबिया है मुझे. शादी से डर लगता है. मुझे लगता है कि इतनी बार दिल टूटने की वजह से ऐसा हुआ. अब यह डर मेरे अंदर गहरे तक बैठ गया है.’

भारती को मारा थप्पड़ तो…

कॉमेडी शोज हंसने-हंसाने के लिए होते हैं, लेकिन कई बार ये शोज भी विवादों की चपेट में आ जाते हैं. कलर्स के कॉमेडी शो कॉमेडी नाइट्स बचाओ ताजा के बाद अब इसका एक और कॉमेडी शो कंट्रोवर्सी में आ गया. हालांकि शो के कलाकार कह रहे हैं, कि सब ठीक है.

कॉमेडी नाइट्स लाइव से कॉमेडियन सिद्धार्थ सागर की छुट्टी हो गई है. खबरें ये आई थीं कि शो में एक एक्ट के दौरान सिद्धार्थ ने भारती सिंह को भूल से थप्पड़ मार दिया. कॉमेडी की स्टार बन चुकीं भारती इससे नाराज हो गईं, जिसका खामियाजा सिद्धार्थ को भुगतना पड़ा.

लेकिन सिद्धार्थ कहते हैं कि, ”मैंने खुद अभी ब्रेक लिया है. क्योंकि मैं इस घटना के बाद थोड़ा डिस्टर्ब हो गया था. हमारा काम एंटरटेन करना है जो खुद का दिमाग शांत करके करेंगे. फिर से जल्द ही लौटूंगा.”

ये दोनों कॉमेडियंस कॉमेडी कलासेज और कॉमेडी सर्कस से धूम मचा चुके हैं. उन्होंने कहा, ”भारती और मैं क्लोज फ्रेंड रहे हैं. ऐसे में यह सब जो हुआ ठीक नहीं हुआ है. लेकिन अब कॉन्ट्रोवर्सी हो गयी है तो क्या किया जा सकता है. हम आर्टिस्ट हैं तो कई बार यह सब हो जाता है. भारती मुझसे काफी सीनियर हैं और मैच्योर भी हैं. तो हम दोनों इस सिचुएशन को समझ रहे हैं.”

सिद्धार्थ ने उन खबरों का खंडन भी किया, जिनमें कहा जा रहा है कि इस घटना की वजह से प्रोडक्शन हाउस ने उन पर बैन लगा दिया है. सिद्धार्थ ने कहा है कि मैं 9 साल से काम कर रहा हूं उनके साथ. सभी लोग अच्छे हैं.

वहीं भारती ने भी इन खबरों को गलत बताया है कि उन्होंने चैनल या प्रोडक्शन हाउस को सिद्धार्थ को कास्ट ना करने के लिए दवाब बनाया है. भारती ने सिद्धार्थ का समर्थन करते हुए कहा कि सिद्धार्थ भाई जैसा है.

उसकी सफलता मैंने देखी है. उसे बढ़ते हुए मैंने देखा है. मैं उसका बुरा ना कर सकती और ना ही सोच सकती हूं. आप जब काम कर रहे होते हो तो यह सब बातें होती रहती हैं. लेकिन इससे हमारे रिलेशन पर फर्क नहीं पड़ेगा.

कुरसी बड़ी या रिश्ता

उत्तर प्रदेश में सासबहू की सी लड़ाई बेटे, पिता, चाचा में हो रही है. अखिलेश यादव सरकार अपनी तरह चलाना चाहते हैं, पिता और चाचा यानी ससिया चाची और सास मिल कर अपने रंग दिखा रहे हैं. भारतीय पारिवारिक परंपरा का यह उदाहरण न पहला है न अंतिम. पौराणिक ग्रंथ भी इन से भरे हैं, लोक कथाएं इन से भरी हैं और अदालतों के फैसले इन से भरे हैं.

निकटता जहां प्रेम व भरोसा पैदा करती है, वहीं असहजता भी पैदा करती है. अनजानों से लेनदेन बकाया नहीं रहता. अपनों से खाता कभी बंद नहीं होता और बैक डेटेड ऐंट्रियां होती रहती हैं और अखिलेश, मुलायम व शिवपाल इसी चक्कर में हैं और वह भी तब जब 2017 के चुनाव सिर पर हों. जिसे लगता है कि उसे उतना लाभ नहीं हो रहा है जितना वह उठा सकता है, वह विद्रोह का झंडा सास या बहू की तरह उठा लेता है.

कहने को तो हम नारे लगाते रहते हैं कि सास मांजी होती है, बहू बेटी होती है पर इन के बीच एक अदृश्य दीवार मोटी होती है और पैतरेबाजी हर समय चलती रहती है. इस से परिवार टूटते हैं, मातापिता यानी सासससुर भी नुकसान में रहते हैं और नातीपोते भी. पर यह प्रकृति का नियम है और इस पर गम नहीं करना चाहिए.

उत्तर प्रदेश में जो हुआ वह इंदिरा गांधी के घर में हो चुका है. वह जयललिता के साथ हुआ, आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के साथ हुआ, शिवसेना के बाल ठाकरे परिवार के साथ हुआ. इसलिए न यह अनूठा है और न चिंता की बात. राज्य की सरकार चलती रहेगी, रसोई में खाना पकता रहेगा बस बरतन जरा जोर से पटके जाएंगे.

मनुष्य को साथ रहने के गुण मिले हैं पर ये गुण हमारे जीन्स में इतने गहरे नहीं गए हैं कि सभी मानव एकसाथ एकजैसा सोचने लगें. ऐसा होता तो न सदियों से युद्ध होते, न करोड़ों मारे जाते और न ही तलाक होते. मनुष्य अपने हितों के कारण साथी ढूंढ़ता है और जब बात हितअहित की सीमा तक पहुंच जाए तो अलग होना ही एक तरीका बचता है.

अखिलेश को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी छोड़नी पड़ सकती है और हो सकता है 2017 के चुनावों में कोई पक्ष जा कर भाजपा या मायावती से जा मिले. ऐसा होता है तो समाजवादी दल चाहे समाप्तप्राय हो जाए पर दूसरों की थाली में हलवापूरी बिना मेहनत के आ जाएगी. यह मामला थोड़ा चौंकाने वाला है पर अजीब नहीं और इसीलिए 2-4 महीनों बाद उस की लकीरें भी रेत की जमीन पर न रहेंगी.

जेल अपराधों का स्कूल

जेल अपराधों का इलाज नहीं है, यह 3 मामलों ने और साफ किया है. दिल्ली में 25 साला एक विवाहित औरत की एक पड़ोसी ने दिनदहाड़े सड़क पर हत्या कर खुद भी आत्महत्या कर ली. पड़ोसी देखते रहे पर कोई कुछ बोला नहीं. यह औरत हत्यारे की शिकायत कर चुकी थी और उसे 2 माह पहले जेल भी भेजा गया था पर जमानत पर बाहर आया था. 6 साल से वह इस औरत को तंग कर रहा था.

उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक युवक को हिरासत में लिया गया है, क्योंकि उस ने 10 साल की लड़की का बलात्कार किया था. उस ने 2012 में 8 साल की लड़की का भी बलात्कार किया था और 4 साल  जेल में भी रह चुका था. एक अन्य मामले में 34 साल के एक आदमी ने 21 साल की लड़की की सड़क पर खुलेआम 24 बार कैंची घोंपघोंप कर हत्या कर दी और देखने वाले उसे न रोक पाए. लड़का लड़की का कई सालों से पीछा कर रहा था.

अपराध विशेषज्ञ हमेशा से इस बात पर बहस करते रहे हैं कि क्या जेल में सुधार होता है या सिर्फ अपराधी को समाज से दूर किया जाता है? अपराध विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि जेल में जीवन चाहे कितना ही कठिन हो पर यह अपराधों का स्कूल भी है, जहां अपराध कैसे किए जाएं सिखाया जाता है.

अपराधों पर नियंत्रण असल में जेलों से कम शिक्षा से ज्यादा आता है. जब पता चलने लगता है कि ईमानदारी से ज्यादा कमाई हो सकती है तो लोग अपराध कम करते हैं.  पर यह दावा भी अधूरा है, क्योंकि सभ्य देशों में अमेरिका में जनसंख्या के अनुपात में सब से ज्यादा अपराध होते हैं और वहां की जेलें कैदियों से ठसाठस भरी हैं. जेल चलाना वहां एक बड़ा व्यवसाय हो गया है और कई राज्यों ने यह काम ठेकों पर दे दिया है, जो जजों को प्रभावित कर के ग्राहक यानी कैदियों की संख्या बढ़वाने में लग गए हैं.

अमेरिका अमीर होते हुए भी सुरक्षित नहीं है और शहरी हों या गैरशहरी इलाके, अपराधियों से भरे हैं. इसीलिए वहां गन कंट्रोल चल नहीं पा रहा जबकि सिरफिरों ने कितने ही निहत्थे, निर्दोषों की अकारण हत्याएं कर डाली हैं.

भारत में बलात्कार, औरतों पर जुल्म, दहेज हत्या आदि पर एकदम जेल में ठूंसने या फांसी पर चढ़ाने की जो बात होने लगती है वह बेमतलब की है. अदालतों को हर अपराधी को समय देना होगा कि वह खुद का बचाव कर सके साथ ही पैरोल और जमानत की सुविधाएं भी देनी ही होंगी.

जेल समाज की सुरक्षा का रास्ता नहीं है. नैतिकता का पाठ पढ़ाना भी आसान नहीं है. अपराध सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में मौतों की तरह हैं जो होते रहेंगे. समाज को इन दुखों को कैसे झेलें, यह सीखना और सिखाना होगा.

ट्रेकिंग का मजा लेना है तो रखें ध्यान…

ट्रेकिंग पर जाना बेशक रोमांचक अनुभव होता है लेकिन बहुत अधिक उत्‍साह आपके सफर का मजा किरकिरा भी कर सकता है. अगर आप भी ऐसा कोई ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो इसका पूरा मजा उठाने के लिए जान लें कि ट्रेकिंग के दौरान आपको क्या करना है और क्या नहीं…

1. जरूर करें नाश्‍ता

दिन की शुरुआत नाश्‍ते से करना सेहत के लिए बुहत अच्‍छा होता है, ऐसी बातें आपने कई बार सुनी और पढ़ी होंगी. ट्रेकिंग के समय भी नाश्‍ता आपके लिए हेल्‍पफुल होगा क्‍योंकि ये बॉडी में एनर्जी बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है. यह आपको ट्रेकिंग के दौरान लगने वाली भूख से बचाएगा. नाश्‍ते में ज्‍यादा चाय या कॉफी का सेवन न करें. इससे आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है.

2. जरूरी है किसी का साथ

फिल्‍मों में दिखाए गए ट्रेकिंग के सीन्स से बिल्‍कुल भी इंस्पायर न हों. अकेले ट्रेकिंग करने की सोचें भी नहीं. अपने दोस्‍तों या ग्रु्प के साथ ही ट्रेकिंग करें. ट्रेकिंग का सबसे बड़ा रूल है धैर्य और अनुशासन जिसका ध्‍यान रखना आपको कई समस्‍याओं से बचा सकता है. अपने ट्रेक लीडर की बातों को ध्‍यान से सुनें और उनको फॉलो करें.

3. इस सफर में पानी है आपका हमसफर

पहाड़ों पर चढ़ने और उतरने के दौरान कई तरह की सिचुएशन्स का सामना करना पड़ता है. चढ़ाई के दौरान बॉडी को बैलेंस रखना बहुत जरूरी होता है. इसलिए आपके पास पानी के लगभग 4 से 5 स्‍टॉक होने चाहिए. पानी बॉडी को डिहाइड्रेशन से बचा कर रखता है. हर 20 मिनट के बाद थोड़ा-थोड़ा पानी लेते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. ध्‍यान रखें एकसाथ ढेर सारा पानी न पीएं.

4. रफ्तार को कंट्रोल रखें

फिल्‍मों में ट्रेकिंग के दौरान कॉम्पिटीशन दिखाए जाते हैं लेकिन वास्‍तव में ऐसी चीजें करने से बचें. बहुत ही ध्‍यान से और आराम से चढ़ाई करें. बहुत ज्‍यादा तेजी आपके लिए नुकसानदेह हो सकती है. एक्‍सपर्ट भी ऐसी चीजें करने के लिए मना करते हैं. अपने बॉडी स्‍टेमिना के हिसाब से ही चढ़ाई की रफ्तार को घटाएं-बढ़ाएं न कि किसी दूसरे को देखकर. ऐसा करके आप बहुत सारी परेशानियों से बचे रहेंगे.

5. एल्‍कोहल पीने से बचें

पहाड़ों की खूबसूरती, ठंडी हवा के झोंके और हसीन वादियों के बीच कैम्‍प मस्‍ती आपको झूमने के लिए उकसा सकती है. लेकिन आपका शराब से दूर रहना ही बेहतर होगा क्‍योंकि शराब पीने के बाद पहाड़ों पर चलना मुश्किल होता है. शराब आपका पेट खराब कर सकती है और आपको इसी तरह की कई परेशानियां  झेलनी पड़ सकती हैं.

होटल में नौकरी करने अमरीका गई क्वीन!

फिल्म ‘क्वीन’ में कंगना रनौत ने अकेले पेरिस जा कर खूब ‘हंगामा’ किया था और अब वो अमरीका निकल गई हैं होटल में नौकरी करने. वैसे ये सब हो रहा है हंसल मेहता की अगली फिल्म ‘सिमरन’ के लिए.

कंगना रनौत, अपनी अगली फिल्म ‘सिमरन’ की शूटिंग के लिए मुम्बई से अमेरिका के लिए रवाना हो गईं. अमेरिका में ‘सिमरन’ के शूटिंग की सारी तैयारियां हो चुकी हैं. फिल्म की यूनिट के कुछ सदस्य पहले से ही वहां पहुंच चुके हैं.

हंसल मेहता की फिल्म सिमरन में कंगना एक होटल में हाउस कीपिंग स्टाफ की भूमिका निभाएंगी. फिल्म में कंगना एक गुजराती एन आर आई की भूमिका में होंगी जिसका नाम प्रफुल पटेल है.

बता दें कि इसी फिल्म के लिए कंगना अगस्त के अंतिम सप्ताह में अटलांटा में एक होटल में रहकर वर्कशॉप भी किया था और अपने किरदार को अच्छी तरह जानने-समझने के लिए वहां के हाउस कीपिंग स्टॉप के साथ समय होटल का काम भी किया.

विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’ के पोस्ट प्रोडक्शन का काम पूरा कर कंगना ने अमरीका जाते वक्त एयरपोर्ट पर इसकी पुष्टि की और बताया, “मैं हंसल मेहता की फिल्म सिमरन की शूटिंग के लिए यूएस जा रहीं हूं.”

‘सिमरन’ एक ऐसी लड़की की कहानी है जो अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए अपराध के दलदल में फंस जाती है. ‘सिमरन’ की रिलीज डेट फिलहाल तय नहीं है लेकिन हंसल ने एक बातचीत में ये साफ किया था कि सिमरन को अगले साल के सेकेण्ड हाफ में रिलीज किया जाएगा.

शूटिंग छोड़ 10 घंटे के लिए इंडिया आते थे अर्जुन!

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर अपनी अगले साल आने वाली फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की शूटिंग विदेश से छोड़कर सिर्फ 10 घंटे के लिए इंडिया आते थे. फिल्म के न्यूयॉर्क शेड्यूल के दौरान अर्जुन जिस वजह से सिर्फ 10 घंटे के लिए इंडिया आए थे उस वजह का खुलासा हो चुका है.

ये साफ हो गया है कि अर्जुन अपनी किसी गर्लफ्रेंड से मिलने नहीं बल्कि अपने हेयर ट्रीटमेंट के लिए इंडिया आते थे. सूत्रों कि मानें तो अर्जुन को शूटिंग के लिए खास तरह का हेयर स्टाइल बनवाना था और वो अपने बालों को लेकर बहुत केयरिंग हैं. हेयर स्टाइल बनवाने के लिए ही वो 10 घंटे के इंडिया आए थे.

श्रद्धा कपूर और अर्जुन स्टारर फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रैंड’ अगले साल 19 मई को रिलीज होगी. फिल्ममेकर मोहित सूरी की इस फिल्म का सह निर्माण चेतन भगत कर रहे हैं, इसी नाम के उनके उपन्यास पर यह फिल्म बनाई जा रही है.

यह पहली बार नहीं है जब अर्जुन उपन्यास पर आधारित फिल्म का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इससे पहले भी वह ‘2 स्टेट्स’ में काम कर चुके हैं. यह फिल्म भी चेतन भगत के ‘2 स्टेट्स: द स्टोरी ऑफ माय मैरिज’ उपन्यास पर आधारित थी.

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