अपनी पहली फिल्म में ही आलिया को किया रिप्लेस

श्रीदेवी और बोनी कपूर की बड़ी बेटी जाह्नवी कपूर जल्द ही बड़े पर्दे पर नजर आने वाली हैं. सूत्रों की मानें तो वो अपकमिंग फिल्म ‘शिद्दत’ में आलिया भट्ट को रिप्लेस करने जा रही हैं.

पहली ही फिल्म में किसी हीरोइन को रिप्लेस करना अपने आप में एक बड़ी बात है. हो सकता है कि इस फिल्म में अच्छी एक्टिंग के बल पर श्रीदेवी की बेटी कुछ और फिल्में हथिया ले.

करण जौहर के प्रोडक्शन और अभिषेक वर्मन के डायरेक्शन में बन रही इस फिल्म में पहले आलिया भट्ट को तय किया गया था. लेकिन उनकी जगह जाह्नवी को फिल्म में लिया जाएगा.

जाह्नवी ने इसी साल 6 मार्च को अपना 19वां बर्थडे मनाया. खबर है कि जाह्नवी इन दिनों लॉस एंजलिस के ‘द ली स्ट्रासबर्ग थिएटर एंड फिल्म इंस्टीट्यूट’ से एक्टिंग की ट्रेनिंग ले रही हैं.

आपको बता दें कि जाह्नवी फिल्म ‘शिद्दत’ में वरुण धवन के साथ नजर आएंगी. यह फिल्म करण जौहर के बैनर ‘धर्मा प्रोडक्शन’ के तले बनेगी. साजिद नाडियाडवाला फिल्म के को-प्रोड्यूसर होंगे.

वरुण धवन ‘जुड़वां 2’ की शूटिंग खत्म करने के बाद ‘शिद्दत’ की शूटिंग शुरू करेंगे. उम्मीद है कि 2017 में ही जाह्नवी कपूर की पहली फिल्म रिलीज हो जाएगी.

हालांकि इस फिल्म की रिलीज के बाद दर्शक जाह्नवी कपूर की तुलना उनकी मां श्रीदेवी के साथ कर सकते हैं.

सैक्सी खलनायिका बनना चाहती हूं: मेघना नायडू

अपने पहले वीडियो अलबम से ही लोगों के दिल पर छा जाने वाली मेघना को मनोरंजन की दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. अब वे खुद को कैरियर के किस मुकाम पर देखती हैं, उन्हीं से जानें.

बोल्ड रूप में बौलीवुड में ऐंट्री लेने का फौर्मूला मेघना के लिए फ्लौप साबित हुआ. 18 साल की उम्र में तेलुगु फिल्म ‘प्रेम साक्षी’ में अभिनय करने के बाद वीडियो अलबम ‘कलियों का चमन’ में अपनी अदाओं के जलवे दिखाने वाली मेघना अपने पहले ही वीडियो अलबम से बौलीवुड में छा गईं. उन्हें बौलीवुड में ऐंट्री फिल्म ‘हवस’ से मिली.

मेघना ने बौलीवुड की ज्यादातर बी ग्रेड फिल्मों में ही काम किया और जम कर खुद को ऐक्सपोज किया, पर वे खुद को स्थापित नहीं कर पाईं. इसीलिए छोटे परदे का रुख कर लिया.

छोटे परदे पर मेघना ने जितने भी सीरियल किए हैं, उनके कैरेक्टर ज्यादातर नैगेटिव रहे हैं. मेघना मानती हैं कि उन्हें नैगेटिव रोल्स से खास लगाव है. औडियंस को नैगेटिव रोल ही ज्यादा ऐंटरटेन और अट्रैक्ट करते हैं. नैगेटिव शेड्स वाले कैरेक्टर ही कहानी में ट्विस्ट लाते हैं.

मेघना चाहती हैं कि लोग उन्हें सैक्सी वैंप के रूप में ही जानें.

अलग पहचान

‘‘जब मैं ने फिल्म ‘प्रेम साक्षी’ साइन की थी उस समय मैं 16 साल की स्कूल गोइंग गर्ल थी. उस समय मुझे कैमरा, शूटिंग के बारे में कुछ भी पता नहीं था. मुझे इंडस्ट्री में भी कोई नहीं जानता था. मुझे याद है जब भी शूटिंग शुरू होती मैं कैमरे की तरफ बड़ी उत्सुकता से देखा करती थी कि पता नहीं इस में क्या होता होगा. हर समय सहमी सहमी रहती थी. पर वक्त के साथ मैं मैच्योर होती गई. आज मेरी इंडस्ट्री में अलग पहचान है,’’ कहती हैं मेघना.

डांस ही पैशन है

मेघना सीरियल ‘अम्मां’ में मुजरा भी करती नजर आएंगी. वे कहती हैं, ‘‘मुझे तो बौलीवुड डांसिंग का क्रेज है. आप सुबह 4 बजे भी ‘चिकनी चमेली…’, ‘कलियों का चमन…’ या किसी अन्य सौंग पर डांस करने को कहें तो मैं शुरू हो जाऊंगी. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन मुजरा या इंडियन क्लासिकल डांस करने में मुझे थोड़ी दिक्कत होती है. बिना डांस के मेरी लाइफ बहुत ही बोरिंग हो जाएगी.

उम्र का डांस पर असर नहीं

देखा गया है कि एक डांसर की यंग एज में ही डिमांड रहती है. उम्र बढ़ने के साथ उस की डिमांड कम हो जाती है. लेकिन मेघना इस बात को नहीं मानतीं. वे कहती हैं, ‘‘मेरा तो मानना है कि डांसर का ऐक्सपीरियंस जितना ज्यादा होता जाता है, उस का डांस उतना ही ज्यादा निखरता जाता है.

उदाहरण के लिए हेमा मालिनी, माधुरी दीक्षित और शोभना नारायण को ही लीजिए. ये बचपन से ही डांस से जुड़ी रही हैं और आज भी डांस कर रही हैं. इसलिए यह सिर्फ एक धारणा बनी हुई है कि उम्र बढ़ने के साथ अदाएं और लोच कम हो जाती हैं, बल्कि उम्र बढ़ने के साथ डांस में परिपक्वता आ जाती है.’’

बौलीवुड में फ्लौप

‘‘फिल्में नहीं चलीं तो छोटे परदे पर आ गई, क्योंकि जीवनयापन के लिए पैसा तो चाहिए न, फिर चाहे छोटा परदा हो अथवा बड़ा परदा इस से कोई फर्क नहीं पड़ता,’’ कहती हैं मेघना.

जब म्यूजिक अलबम ‘कलियों का चमन’ के लिए औडिशन हो रहे थे, तो मेघना भी स्क्रीन टैस्ट देने वहां जा पहुंचीं. तब उन्हें देख सभी यह कहने लगे कि यह साउथ की फिल्मों की काली, मोटी, लंबे बालों वाली लड़की कैसे इस म्यूजिक अलबम में काम करेगी. अगर इसे लिया तो यह अलबम फ्लौप हो जाएगा. मगर निर्देशक ने मेघना पर विश्वास किया और उन्होंने इस में काम किया. जब यह अलबम आया तो मार्केट में तहलका मच गया और उसी से उन्हें वास्तविक पहचान मिली है.

मेघना अभी शादी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती हैं, क्योंकि उन का कहना है कि पेरैंट्स आज शादी की बात करेंगे कल बच्चों के लिए कहेंगे और फिर सब की डिमांड पूरी करते करते वे अपना कैरियर बनाने से पहले ही गुमनामी में खो जाएंगी. वे शादी समय आने पर करेंगी. वैसे उन्हें अपना ड्रीम बौय मिल गया है, जो इस इंडस्ट्री से नहीं है. एक स्पोर्ट्समैन है और वे उस के साथ जिंदगी बिताने का फैसला कर चुकी हैं.

साइबर क्राइम की बनीं शिकार

प्रैगनैंसी को ले कर झूठी खबर फैलाए जाने के मामले में मेघना नायडू ने मुंबई स्थित साइबर क्राइम इनवैस्टिगेशन सैल में शिकायत दर्ज करवाई थी. एक अज्ञात हैकर ने उन का मेल अकाउंट हैक कर उन्हें प्रैगनैंट बताया था. इस हैकर ने मेघना के दोस्तों के साथ मेघना बन चैट की और कहा कि वे प्रैगनैंट हैं और मुझे उस शख्स का नाम भी याद नहीं है, जिस ने यह काम किया है.

जब इस अज्ञात व्यक्ति ने मेघना के ऐक्स पब्लिसिस्ट डेल भगवागर से चैट की तो डेल को दाल में कुछ काला नजर आया. इसलिए चैट के तुरंत बाद उस ने मेघना के घर फोन यह जानने के लिए किया कि क्या वे ही चैट कर रही थीं.

तब उनके पेरैंट्स ने बताया कि वे तो जिम गई हुई हैं. एक घंटे बाद मेघना वापस आईं और उन्होंने डेल से बात की. मेघना ने बाद में कहा कि मैं ने अपने गूगल चैट्स चैक किए और पाया कि उस व्यक्ति ने उन के कई दोस्तों से बात की और उन के प्रैगनैंट होने की जानकारी उन्हें दी.

बदल गई रंगोली

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच रंगोली बनाने के तौर तरीके भी काफी तेजी से बदल रहे हैं. रंगोली जमीन या कपड़े पर बनाई जाती है, पर आजकल कागज, प्लाईवुड, हार्ड बोर्ड, सनमाइका, कैनवास आदि पर भी बनाई जाने लगी है.

पहले त्योहारों के आने से पहले ही महिलाएं रंगोली बनाने की तैयारी में जुट जाती थीं, लेकिन अब तो त्योहारों के मौके पर कागज और प्लास्टिक पेपर पर प्रिंटेड रंगोली भी धड़ल्ले से बिकती है. जिन्हें रंगोली बनाना नहीं आता या जिन के पास समय की कमी है, वे अपने घरों में रंगोली का स्टीकर चिपका कर ही उत्सवी माहौल बनाने की कोशिश करते हैं.

अद्भुत कला

पटना में रंगोली के स्टीकरों का थोक कारोबार करने वाले विनीता सेल्स के उपेंद्र सिंह बताते हैं कि हर साल दीवाली के मौके पर करीब 3 करोड़ के रंगोली के स्टीकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में बिक जाते हैं. खुदरा बाजार में एक स्टीकर साइज के हिसाब से 20 से 250 तक में बिकता है.

आमतौर पर रंगोली बनाने के लिए फूलों, रंगों, अबीर, चावल दोनों और लेई आदि का इस्तेमाल किया जाता है. देखने में बिना किसी तामझाम वाली इस कला का अपना अलग आकर्षण, खूबसूरती और पहचान है. इस में भारतीय कला की बुनियादी सोच छिपी हुई है.

नया रंग नई उमंग

पटना के गुरुदेव पेंटिंग क्लासेज की कलाकार अनुपम कहती हैं कि हमारे देश में कभी भी कला के लिए कला वाली सोच नहीं मानी गई. यहां हर कला के पीछे कोई न कोई मकसद जरूर होता है. हर त्योहार, रस्म में कला का खूबसूरती से इस्तेमाल कर माहौल को रंगीन और उत्सवी बना दिया जाता रहा है.

रंगोली बनाने में ज्यादातर कमल और सूरजमुखी के फूल, शंख, दीपक, सूरज, पक्षी, मछली आदि के चित्र उकेरे जाते हैं. खास बात यह है कि ज्यादातर रंगोली गोलाई में ही बनाई जाती है. इसे हाथ की उंगलियों, बांस की सींक, कपड़े आदि से बनाया जाता है.

रंगोली बनाने में सफेद रंग का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसे शांति का प्रतीक माना जाता है और जहां शांति का माहौल होता है, वहीं तरक्की आती है. भारत की काफी पुरानी कला परंपरा में रंगोली शामिल है और भारतीय कला में इसे 64वीं कला का नाम दिया गया है.

रंगोली की खास बात

दक्षिण भारत में रंगोली की परंपरा काफी मजबूत है. रंगोली की खूबसूरती और इस का मोह आज के भागदौड़ भरे जीवन में भी कायम है. लोग खुद भले ही रंगोली न बना सकते हों पर बाजार में मौजूद रंगोली के स्टीकरों को चिपका कर अपनी संस्कृति से जुड़ाव को महसूस तो कर ही सकते हैं.

ओडिशा के मशहूर कलाकार अनिल कुमार बल बताते हैं कि बिहार और मध्य प्रदेश में रंगोली के तरह-तरह के नमूने मशहूर हैं.

बिहार के दरभंगा जिले में ‘धूली चित्रा’ के नाम से बनाई जाने वाली रंगोली चावल के घोल से बनाई जाती है. मध्य प्रदेश में मौनसून के खत्म होने पर घरों के दरवाजों पर फूलों और पत्तियों से रंगोली बनाई जाती है. राजस्थान की रंगोली की सब से खास बात यह है कि उस में चटक रंगों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है.

विविध नाम व रूप

केरल में ओणम के मौके पर बनाई जाने वाली रंगोली में फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. फर्श पर रंगोली का चित्र बना कर खाली जगहों को गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, चमेली आदि फूलों की पंखुडि़यों को सलीके से भरा जाता है.

हर राज्य में रंगोली को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. बिहार में इसे अरिपन तो उत्तर प्रदेश में चौक पूरना कहा जाता है. राजस्थान में इसे मांडना के नाम से पुकारा जाता है, तो बंगाल में अल्पना कहा जाता है. कर्नाटक में रंगवल्ली तो तमिलनाडु में कोल्लम के नाम से पुकारा जाता है.

मजा लें ‘लैमन ग्रास मशरूम स्कीवर्स’ का

सामग्री

– 180 ग्राम मशरूम

– जरूरतानुसार लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च चौकोर टुकड़ों में कटी

– लालमिर्च पाउडर स्वादानुसार

– थोड़े से बेसिल के पत्ते बारीक कटे

– चिली सौस, मस्टर्ड सौस, गरममसाला पाउडर, लैमन ग्रास, लैमन जूस, नमक सभी स्वादानुसार

– थोड़ा सा स्प्रिंग ओनियन गार्निशिंग के लिए.

विधि

शिमलामिर्च व स्प्रिंग ओनियन को छोड़ बाकी सारी सामग्री को एकसाथ मिला कर मशरूम मैरीनेट कर लें. अब सौते स्टिक्स में शिमलामिर्च के टुकड़े, फिर मशरूम और एक बार फिर शिमलामिर्च लगा लें. तैयार स्टिक्स को ग्रिल कर स्प्रिंग ओनियन से सजा कर सर्व करें.

व्यंजन सहयोग:

ऐग्जीक्यूटिव शैफ चिंतामनी आर्या

आंच, दिल्ली

सिगरेट की लत छुड़ाने के उपाय

सिगरेट पीना जानलेवा हो सकता है. एक ओर जहां इसकी लत बहुत जल्दी लग जाती है वहीं इसे छोड़ना उतना ही मुश्क‍िल होता है. शुरुआत दोस्तों के साथ बैठकर एक या दो सिगरेट पीने के साथ होती है लेकिन धीरे-धीरे ये लत बन जाती है.

कुछ सालों तक या कुछ समय तक सिगरेट पीने के नुकसान भले ही नजर नहीं आते हों लेकिन एक समय के बाद इसका बुरा प्रभाव शरीर पर साफ नजर आने लगता है.

उसके बाद इंसान कई मौकों पर कसमें खाता है, वादे करता है कि अब सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाएगा लेकिन ये इतना आसान नहीं है. सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए कई ऑर्गेनाइजेशन काम कर रहे हैं पर अगर आप चाहें तो खुद के लिए थोड़ा समय निकालकर खुद भी इस बुरी लत को छोड़ सकते हैं.

इन उपायों को अपनाकर आप पा सकते हैं इस बुरी लत पर काबू:

1. सुबह उठकर टहलने से पूरे शरीर की एक्सरसाइज हो जाती है जोकि सिगरेट पीने की तलब को कम करने में मददगार है.

2. जॉगिंग करना भी फायदेमंद साबित होगा.

3. स्वीमिंग करना भी एक कारगर उपाय है.

4. अगर आप वाकई सिगरेट छोड़ना चाहते हैं तो योग अपनाएं.

5. साइकिल चलाना भी एक बेहद कारगर उपाय है.

6. अगर आप वाकई सिगरेट छोड़ना चाहते हैं तो कोई डांस क्लास ज्वाइन कर ले.

7. परिवार के साथ वक्त बिताएं.

साबुन छोड़ घर पर बनायें शावर जैली

साबुन स्किन के लिए हानिकारक होते हैं. इसमें सिंथेटिक डेरिवेटिव, कृत्रिम खुशबु और केमिकल्स होते हैं जो फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचाते हैं. साबुन अच्छे तथा बुरे दोनों बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है. अच्छे बैक्टीरिया आपके लिए रक्षा कवच की तरह कार्य करते हैं तथा इनके समाप्त हो जाने पर आप ज़ुकाम तथा अन्य संक्रामक बीमारियों के संपर्क में आ सकते हैं.

साबुन त्वचा के पी एच संतुलन को बिगाड़ देते हैं जिसके कारण त्वचा सूखी, पपड़ीदार हो जाती है. इन सब चीजों से बचने के लिए यहां एक शावर जैली बनाने की विधि बताई जा रही है जो नॉन टॉक्सिक है, बनाने में आसान है और बहुत सस्ती है.

घर पर शावर जैली कैसे बनायें?

सामग्री

– 2 छोटे पैकेट जिलेटिन पाउडर

–  ½ कप बॉडी वॉश 

– ¾ कप गर्म पानी 

– ½ टी स्पून ग्लिसरीन 

– 2 बूंदें खाने का रंग (आपकी पसंद के अनुसार) 

– 20 बूंदें एसेंशियल ऑइल (आपकी पसंद के अनुसार) 

– 1 टी स्पून सी सॉल्ट 

स्टेप 1

एक कटोरा लें तथा पैकेट काटकर इसमें जिलेटिन पाउडर डालें. गर्म पानी मिलाएं. इसे तब तक हिलायें जब तक जिलेटिन घुल न जाए तथा कोई झाग न हो.

स्टेप 2

इस मिश्रण में लिक्विड बॉडी वॉश और ग्लिसरीन मिलाएं. इस मिश्रण को तब तक हिलाएं जब तक सारे पदार्थ अच्छी तरह न मिल जाएं.

स्टेप 3

इस मिश्रण में फूड कलर (खाने का रंग) और एसेंशियल ऑइल मिलायें. इसे तब तक हिलातें रहें जब तक लिक्विड का रंग ट्रांसल्यूसेंट से गहरे रंग (जो रंग आपने मिलाया है) का न हो जाए.

स्टेप 4

इस घोल में नमक मिलाएं. इसे धीरे धीरे हिलाते रहें जब तक नमक घुल न जाए.

स्टेप 5

इस मिश्रण को मोल्ड में डालकर तीन घंटे तक फ्रीजर में रखें.

स्टेप 6

मोल्ड को फ्रीजर से निकालें. आपकी शावर जैली उपयोग करने के लिए तैयार है.

दुनिया के सबसे खूबसूरत स्व‌िम‌‌िंग पूल

पूल में नहाने के शौकीन हैं और अभी तक दुनिया के सबसे खूबसूरत स्व‌िम‌‌िंग पूल के बारे में नहीं जानते. तो जानिए कौन से हैं वो पूल.

रीठी राह, मालदीव

मालदीव में मौजूद ये खूबसूरत पूल वहां मौजूद 100 फीट गहरी झील में बना है. यहां के शांत पानी और माहौल में लोग आराम कर सकते हैं. ये अपने आप में करिश्मा है.

मरीना बे सैंड्स होटल, सिंगापुर

इस होटल की इमारत 57 मं‌जिला है. इतनी ऊंची इमारत में 500 फीट बड़ा ये स्विम‌िंग पूल अपने आप में एक आश्चर्य है. यहां से सिंगापुर का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है.

कत‌िकीज होटल, सैंटोरिनी, ग्रीस

ग्रीस में मौजूद ठंडे पानी के इस पूल का आनंद वहीं जानता है जिसने इसे महसूस किया है. यहां सन बाथ और खुली हवा में स्पा भी लिया जा सकता है. इस पूल से दिखने वाला दृश्य जादुई है.

होटल करुसो, रैवेल्लो, इटली

अल्फामी तट की चोटी पर बने इस होटल में मौजूद स्विम‌िंग पूल गज़ब का सुंदर है. ये गर्म पानी का पूल है, जहां से इटली का नज़ारा देखते ही बनता है. इसमें तैराकी का एहसास ऐसा है कि आप आसामान और समुद्र के बीच में मौजूद हों.

कैम्बि‌रियन ऐडलबोडेन, स्विटजरलैंड

बर्फीली पहाड़ियों के बीच मौजूद इस पूल में गर्म पानी है. तैराकी करते वक्त यहां से दिखने वाले नज़ारे की कोई तुलना नहीं की जा सकती. सर्दियां हो या गर्म‌ियां यहां मौजूद पहाड़ियों पर हमेशा बर्फ की चादर लिपटी रहती है. एक बार इसका आनंद लेने के बाद आपको बाहर आने का मन नहीं करेगा

यूबुड हैंगिंग गार्डन, बाली

बरसाती जंगल से घिरी चोटी पर बने इस पूल की कई ख़ासियतें हैं. एक ये दो मं‌ज़‌िला है, दूसरा इसकी दीवारें ज्वालामुखी से निकली राख से बनी हैं. खूबसूरत नज़ारे और शांत माहौल के मामले में इस शानदार स्विम‌िंग पूल का जवाब नहीं.

जेड माउंटेन, सेंट लूसिया

यहां मौजूद हर 29 विलाओं में स्विम‌िंग पूल मौजूद हैं. यूनेस्को ने इसे हैरिटेज घोष‌ित किया हुआ है. इन सभी स्वि‌म‌िंग पूल को ख़ास तरह की टाइल्स से बनाया गया है जो सभी को एक दूसरे से अलग बनती है.

‘बड़ी खरीदारी’ से पहले खुद से पूछें ये सवाल

बिना सोचे पैसे खर्च करना अमीरों की शान होती है लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार के लिए तो कम पैसे में जरूरतों को पूरा करते हुए घर चलाना एक बड़ी चुनौती होती है.

यही वजह है कि किसी महीने अगर कुछ बड़ी और महंगी खरीदारी करनी होती है तो घर का बजट पटरी से उतर जाता है और पूरे महीने एडजेस्ट करके चलना पड़ता है.

कोई बड़ी खरीदारी जरूरी भी हो और आप नहीं चाहते कि इसका घर खर्च पर ज्यादा असर पड़े या फिर भविष्य में इस सामान की वजह से आपको पछताना पड़े, तो अपनी जेब ढ़ीली करने से पहले अपने आप से ये 5 सवाल जरूर पूछें.

1.क्या ये मेरे बजट में है?

दरअसल कई बार आप लालच, शौक या किसी से भहकावे में आकर बड़ी खरीदारी कर लेते है जिसकी वजह से पूरे महीने आपको अपनी छोटी-छोटी जरूरतों का त्याग करना पड़ता है. इसलिए बेहतर है कि ऐसी खरीदारी से पहले अच्छी प्लानिंग करें अगर सामान बजट में हो तभी खरीदें वरना दो-तीन महीने में पैसे इकट्ठे करके सामान खरीदें.

2. क्या इस सामान की मुझे भविष्य में जरूरत पड़ेगी?

एक बात हमेशा ध्यान रखें कि जो सामान आप खरीदने जा रहे हैं वो ‘वन टाइम यूज’ न हो. अगर भविष्य में भी आपको उसकी जरूरत पड़ने वाली हो तभी खरीदने का फैसला करें. क्योंकि एक-दो बार की जरूरत के लिए तो आप किसी से मांगकर भी सामान अरेंज कर सकते है.

3. क्या ये चीज टिकाऊ हैं?

किसी भी चीज की गुणवत्ता बहुत महत्व रखती है. सामान की क्वालिटी को परखना भी एक कला है. कुछ लोग ज्यादे पैसे देकर भी अच्छी क्वालिटी के सामान नहीं खरीद पाते और ठग का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में अपने साथ उस सामान के जानकार को साथ ले जाएं या फिर खुद से समझदारी बरतें.

4. क्या ये इसका वाजिब मूल्य है?

कई बार ऐसा होता है कि जो सामान आप खरीद कर लाते है वो दूसरी दुकान या वेबसाइट्स पर कम दाम में मिल रही होती है. ऐसे में कुछ भी बड़ा खरीदने से पहले आपको अच्छे से रिसर्च जरूर कर लेनी चाहिए. कई बार तो वेबसाइट्स पर मिल रहे डिस्काउंट्स ऑफर और कूपन से दाम पर काफी फर्क पड़ जाता है.

5. इसकी रिटर्न पॉलिसी क्या है?

सामान घर लेने जाने की जल्दबाजी में उसकी रिर्टन पॉलिसी के बारे में जानकारी लेना न भूलें. इतना ही नहीं सामान की गारंटी और वारंटी के बारे में भी ढंग से पूछताछ कर लेनी चाहिए ताकि अगर सामान वारंटी पीरियड के अंदर खराब होता हैं तो फ्री में उसकी सर्विसिंग या एक्सचेंज कर सकें. कई ऐसे दुकानदार होते हैं जो चीजे वापस नहीं करते इसलिए इस सब का जायजा खरीदारी के वक्त ही ले लें.

“करण हैं फवाद की महबूबा”

बॉलीवुड के फेमस सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य आए दिन अपने ट्विटर अकाउंट पर कुछ न कुछ ऐसा करते हैं कि वह चर्चा का विषय बने रहते हैं. अब उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए निशाना साधा है बॉलीवुड के डायरेक्टर करण जौहर पर. उन्होंने करण जौहर को पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान की महबूबा करार दिया है.

अभिजीत ने करण जौहर को टैग करते हुए #lovejihad तथा #KaranJohar के हैशटैग के साथ व्यंग्यात्मक लहजे में ट्वीट किया है, ‘एक और लव जिहाद. महबूबा करण जौहर डिप्रेशन में हैं. क्योंकि पाक प्रेमी फवाद ने बेचारी मिसेज करण जौहर खान को धोखा दे दिया है.’

अभिजीत ने यह ट्वीट उस खबर के जवाब में किया है, जिसमें करण जौहर ने कहा है कि उनके आनेवाले फेमस शो ‘कॉफी विद करण’ के पहले एपिसोड के गेस्ट फवाद खान नहीं होंगे. करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ आराम से रिलीज हो पाएगी या नहीं, यह सवाल आजकल हर किसी की जुबान पर है और इसकी वजह सिर्फ एक है, फिल्म में पाकिस्तानी ऐक्टर फवाद खान की मौजूदगी. दरअसल उड़ी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकार निशाने पर आ गए.

करण जौहर का प्रेम पाकिस्तानी कलाकारों के प्रति नहीं अपितु अपनी आने वाली पिक्चर के लिये है. उसका करोड़ों रुपया इस पिक्चर में फंसा है और यदि फिल्म रिलीज नहीं हुई तो उसको आर्थिक हानि हो जायेगी. इसलिये बेचारा कुछ भी करके भारत विरोधी पाकी कलाकारों के लिये समर्थन जुटा रहा है और भारत का अपमान कर रहा है.

राज ठाकरे की एमएनएस पार्टी की ओर पाकिस्तानी कलाकारों को जल्द से जल्द देश छोड़ने की धमकी दी गई थी. इसके बाद खबर आई कि फवाद खान भारत छोड़कर पाकिस्तान जा चुके हैं और आनेवाले समय में भारत वापस आने का उनका कोई इरादा भी नहीं है.

हालांकि, पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई, जिसमें बताया गया है कि फवाद खान एमएनएस पार्टी की धमकी के बाद नहीं बल्कि जुलाई से ही भारत में नहीं हैं. खबर यह भी सुनने को मिली कि फवाद ने बॉलीवुड के खिलाफ कुछ बयान दिए हैं. हालांकि जानकारी के मुताबिक, फवाद न तो जुलाई से भारत में हैं और न ही उन्होंने मीडिया से इस बारे में किसी तरह की बातचीत की है.

भूलकर भी नल के पानी से न बनाएं खाना

क्लोरामिन युक्त पानी में बना खाना आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. एक नए शोध के मुताबिक, क्लोरामिन युक्त पानी और नमक प्रतिक्रिया कर ऐसे हानिकारक रसायनों का निर्माण करते हैं, जो आपको अस्पताल पहुंचाने के लिए काफी हैं. शोध दल ने ऐसे कई नए अणुओं का पता लगाया है जो बिल्कुल नए हैं और क्लोरामिन युक्त पानी व खाने में मौजूद आयोडीन युक्त नमक के बीच प्रतिक्रिया होने से बने हैं.

पानी को स्वच्छ करने के लिए उसमें या तो क्लोरीन या क्लोरामीन के अणु मिलाए जाते हैं.

शोधार्थियों के दल के अनुसार, नल के पानी में मौजूद क्लोरीन या क्लोरामाइन्स आयोडीन नमक के साथ प्रतिक्रिया कर हाईपोआयोडस एसिड का निर्माण करते हैं, जो साधारण रूप से हानिकारक नहीं है. जब यह एसिड भोजन पकाते समय नल के पानी में मौजूद अणुओं और अन्य कार्बनिक (जैव) पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया करता है, तब इससे हानिकारक आयोडीनयुक्त कीटाणुनाशक (आई-डीबीपी) का निर्माण होता है.

हांगकांग यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर डॉ.शियांग्रु झांग के अनुसार, ‘खाना बनाते समय बना आई-डीबीपी पर्यावरणीय रसायनविदों व इंजीनियरों के लिए बिल्कुल नया है.’

शोधकर्ताओं ने विभिन्न नलों के पानी के साथ विभिन्न तापमान व समय पर खाना बनाया और उसमें आयोडीन युक्त नमक मिलाकर जो आई-डीबीपी का निर्माण हुआ, उसका अध्ययन किया.

अति आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर उन्होंने इस तरह से बने खाने में 14 नए अणुओं की पहचान की, जो अन्य की तुलना में 50-200 गुना अधिक खतरनाक हैं.

डॉ. झांग व शोध दल ने कहा कि लोगों को पानी को स्वच्छ करने के लिए क्लोरामिन की जगह क्लोरीन का इस्तेमाल करना चाहिए और नमक के रूप में पोटाशियम आयोडाइड की जगह पोटाशियम आयोडेट का इस्तेमाल करना चाहिए.

कम तापमान पर कम समय तक भोजन को पकाना भी आई-डीबीपी के निर्माण को सीमित करता है. यह शोध पत्रिका ‘वाटर रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है.

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