“चलो रेप पर बात करें”

फरहान अख्तर एक ऐसे बॉलीवुड एक्टर हैं जो महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर खुलकर बात करते हैं और इस बार उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स में एक खुला खत लिखा है अपनी बेटी के नाम, जिसका अहम मुद्दा है, ‘चलो रेप पर बात करें’.

फरहान अख्तर, दो बेटियों के पिता हैं. बड़ी बेटी शाक्या अख्तर 16 साल की है और छोटी बेटी अकीरा 8 साल की है. फरहान ने ये खत अपनी बड़ी बेटी शाक्या के नाम लिखा है.

इस खत में फरहान ने अपनी बेटी से शारीरिक हिंसा और यौन उत्पीड़न पर बात की है. उन्होंने खत में लिखा, “मुझे नहीं पता कि मैं तुमसे यौन उत्पीड़न के बारे में क्या बात करूं. तुम्हारे पापा होने की हैसियत से मैं हमेशा तुमसे ऐसी बातें छिपा कर तुम्हें ऐसी गंदी दुनिया से दूर रखना चाहूंगा पर अब बात करना ज़रूरी है.”

फरहान ने सबसे पहले एक कविता लिखी जो उन्होंने अपनी एक सह कर्मचारी के रेप के बाद लिखी थी. उस वक्त शाक्या 12 साल की थीं. और फरहान का कहना है कि तब मैं ये बातें नहीं बता सकता था.

फरहान ने लिखा कि, “मैं जानता हूं कि तुम्हारा सर चकरा जाता होगा ये सोचकर कि हम लोग किस तरह के देश में रहते हैं. किस तरह अपनी महिलाओं के साथ पेश आते हैं. एक पिता की तरह मैंने तुम्हें हमेशा समझाया है कि गलत तरीके से छूना क्या होता है.”

“लड़के और लड़कियां बराबर होते हैं और लड़कों की ही तरह लड़कियों का भी अपने शरीर पर पूरा हक है. मैंने तुम्हें ये तक समझाया है कि अगर तुम्हारा मन नहीं है, तो मैं भी तुम्हें गले से नहीं लगा सकता.”

“मैं तुम्हारे फेसबुक पोस्ट देखता रहता हूं और तुम्हारी तस्वीरों से समझ आता है कि तुम इस दुनिया में उड़ना चाहती हो. लेकिन तुम परेशान हो, गुस्सा भी हो. ये क्यों नहीं पहन सकती, वो क्यों नहीं पहन सकती, मैं कौन होना चाहती हूं, ये मैं क्यों नहीं तय कर सकती.”

“भले ही मैं बॉलीवुड में हूं पर एक पिता हूं, और मैं आंख मूंद कर तुम्हें कुछ भी नहीं कहना चाहता. सच ये है, कि हम एक बंटे हुए और गैर जिम्मेदार जगह पर रहते हैं जहां आसपास बिल्कुल भी सुरक्षा नहीं है. हमने तुम्हें कभी नहीं कहा कि ये मत पहनो या बाहर मत जाओ”.

“तुम्हें नीले बाल रखने हैं तो बिल्कुल रखो, ये तुम्हारी जिंदगी है और तुम्हें पूरा हक है अपने मन से जीने का. तुम मुझसे हमेशा पूछती हो कि हम फिल्मों में औरतों को ऐसे क्यों दिखाते हैं जैसे कि वो कोई चीज हैं. और मुझे गर्व होता है जब तुम ऐसे सवाल पूछती हो.”

“मैंने और जोया ने हमेशा ये ध्यान रखा है कि तुम्हें इस बात का जवाब देने में हमें शर्म ना आए. लोगों को फिल्में देखकर लगता है कि लड़की से बात करना, उसका पीछा करना लड़के का हक है. एक लड़की को दिलाने के लिए पूरी कास्ट लड़के की मदद करती है. वो उसके कपड़े पकड़ेगा कुछ और करेगा पर लड़की उसी की है.”

“पहले फिल्मों में रेप या इस तरह की हरकतें, गंदा आदमी करता था जो विलेन होता था. लेकिन अब हीरो भी लड़की का पीछा करता है. ऐसी फिल्मों पर यकीन मत करना. जिन लोगों को तुम असल जिंदगी में नापसंद करोगी वही आजकल फिल्मों का हीरो है. वो उसका पीछा कर रहा है क्योंकि उससे प्यार करता है पर इसमें कोई सच्चाई नहीं होती.”

“जब भी तुम घर से बाहर निकलती हो, हर पापा की तरह मैं भी थोड़ा सा डर जाता हूं, लेकिन मैं तुम्हें याद दिला दूं कि तुम्हारे हर सफर में एक दोस्त तुम्हारे पास है वो तुम्हारे पापा हैं. पूरी आजादी से जीना, लेकिन हमेशा सुरक्षित रहना. तुम्हें पता है कि क्या सुरक्षित है और क्या नहीं है.”

हमेशा खुद से ये सवाल पूछना कि हम कैसे देश में रहते हैं, लेकिन याद रखना कि तुम्हारे हर सवाल का जवाब देने के लिए एक इंसान हमेशा है.

तुम्हारे पापा

रिलीज से पहले ही ‘बेफिक्रे’ ने बनाया रिकॉर्ड

रणवीर सिंह और वाणी कपूर स्टारर फिल्म ‘बेफिक्रे’ रिलीज से पहले ही सुर्खियों में छाई हुई है. सुत्रों कि मानें तो इस फिल्म के जरिए रणवीर-वाणी ऑन स्क्रीन किसिंग का रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं. इसके साथ ही ‘बेफिक्रे’ रिलीज होने से पहले ही इतिहास रचने की तैयारी कर रही हैं.

आदित्य चोपड़ा अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का ट्रेलर ऐसी जगह लॉन्च करने जा रहे हैं, जहां पहले कभी किसी ने नहीं किया. यश राज फिल्म्स 10 अक्टूबर को एफिल टावर पर आदित्य चोपड़ा निर्देशित फिल्म ‘बेफिक्रे’ के ट्रेलर को रिलीज कर इतिहास रचने जा रहा है.

ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जब किसी फिल्म का ट्रेलर एफिल टावर पर रिलीज होने जा रहा है. इससे पहले किसी बॉलीवुड, हॉलीवुड या यूरोपियन फिल्म का ट्रेलर पेरिस में एफिल टावर पर रिलीज नहीं किया गया है.

बता दें कि ‘बेफिक्रे’ एक लव स्टोरी है, इसीलिए आदित्य ने फिल्म का ट्रेलर पेरिस में रिलीज करने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि रणवीर, वाणी के बीच इस फिल्म में 21 किस सीन देखने को मिलेंगे.

फिल्म के पोस्टर्स में इनके बीच कई किस सीन देखने को मिल चुके हैं. अब ट्रेलर में देखते हैं कि ये दोनों क्या गुल खिलाते हुए नजर आएंगे. फिल्म 9 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है.

आदित्य ने ‘बेफिक्रे’ की रिलीज डेट बहुत प्लानिंग के साथ तय की है. 9 दिसंबर को आदित्य और रानी मुखर्जी की बेटी अदिरा का पहला जन्मदिन है.

क्या हो पत्नी का सरनेम

एशिया महाद्वीप के देश जापान में महिला अधिकारों की हार हुई. तकनीकी रूप से संपन्न देश जापान में 5 महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपने नाम के साथ पति का उपनाम न लगाने को ले कर अर्जी दी थी. मगर इस में कोर्ट ने महिलाओं के खिलाफ फैसला सुनाया. इस से अब यह तय हो गया है कि महिलाओं को अपने नाम के साथ पति का उपनाम लगाना आवश्यक है. यह उस देश के संविधान का फैसला है, जिस देश में शिक्षासंपन्न लोग हैं, जो तकनीक में बहुत आगे हैं और जहां बुजुर्गों की संख्या युवाओं के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. ऐसे देश में तो महिलाओं के प्रति ज्यादा उदारता की बात सामने आनी चाहिए थी. लेकिन उसी देश में इस फैसले के बाद महिलाओं के लिए संघर्ष और ज्यादा बढ़ गया है.

जापानी अदालत के मुताबिक यह कानून संविधान का उल्लंघन नहीं करता. इस के अलावा एक अन्य कानून भी है, जो महिलाओं को तलाक के 6 माह के भीतर विवाह करने को असंवैधानिक करार देता है. ये दोनों ही कानून 19वीं सदी के हैं जिन्हें अब भी बदला नहीं जा सका है. उसी देश में महिलाओं को आज भी यह अधिकार नहीं है कि वे पति के नाम से अलग अपने वजूद को उभार सकें.

पति का उपनाम ही क्यों

ऐसे में यह सवाल हर औरत के मन में उठना स्वाभाविक है कि उस के लिए पति के उपनाम को अपने नाम के साथ लगाना कहां तक जायज है?

आज के नए युग में यह जरूर है कि कुछ नामचीन महिलाएं अपने उपनाम के साथ पति का भी उपनाम लगा लेती हैं लेकिन सवाल फिर वही है कि आधुनिक समाज में भी पत्नी ही पति का उपनाम क्यों लगाए?

वह लड़की जो शादी से पहले पिता के उपनाम के साथ अपनी शिक्षा पूरी करती है और अपनी पहचान बनाती है, विवाह होते ही एकदम उस की पहचान बदल जाती है. उस के नाम के साथ पति का उपनाम जोड़ दिया जाता है. बिना यह पूछे कि उसे अपने नाम के साथ पति का उपनाम लगाना भी है या नहीं. लेकिन जब यही उपनाम उस पर थोपा जाता है तब वहां महिला की अपनी रजामंदी का सवाल ही कहां रहता है? अर्धांगिनी कह कर घर लाई जाने वाली महिला को आधा अधिकार भी कब दिया गया? मायके से ससुराल आते ही उस का नाम कब बदल जाता है, उसे यह एहसास ही कब होता है. और वह एक नए नाम से पुकारी जाने लगती है, मानो एक रात में एक रिश्ते ने उस की बरसों की पहचान छीन ली हो.

सभी देशों का रवैया एक जैसा

इस से भी ज्यादा तकलीफ तब होती है जब पति से पत्नी का रिश्ता टूटता है. पति बच्चों, घर हर चीज के साथ पत्नी से अपना नाम भी छीन लेता है और पत्नी बरसों एक घर बनाने के बाद एकाएक अपनी पहचान ढूंढ़ने लगती है कि आखिर उस का वजूद क्या है? शादी से पहले पिता का नाम उस की पहचान था, जो खून का रिश्ता होने के कारण सारी उम्र नहीं टूटना चाहिए था. जैसे उस के भाइयों का नाम उस के पिता के नाम के साथ अटूट है, वैसा ही उस के साथ होना चाहिए. लेकिन चूंकि वह लड़की है, इसलिए उस की पहचान उस के पति से है और वही पति जब उस से रिश्ता तोड़ ले तब वह अपनी पहचान कहां खोजे? फिर से पिता का नाम अपने नाम से जोड़ ले या पति के उपनाम को ही नाम के साथ रहने दे?

एक विकल्प और भी है. वह अपने नाम को अकेला छोड़ दे. असल में लड़ाई इसी अकेले नाम को रखने की है. यही लड़ाई जापान की महिलाओं ने लड़ी. मगर वे हार गईं.

विश्व के हर मुल्क में महिलाओं के लिए एक जैसे ही कानून हैं. फिर चाहे जापान हो, बौद्ध शिक्षाओं वाला चाइना हो, इसलामिक देश हो, ईसाई मुल्क या फिर सनातन समाज. धर्ममजहब के सांचे में भले ही ये देश एक न हों, लेकिन महिलाओं पर लादे जाने वाले अधिकारों के मामले में सभी देशों का रवैया एक जैसा ही रहा है. फिर चाहे औरत शिक्षित हो या अशिक्षित, गरीब हो या अमीर सब पर पुरुष अधिकार लागू होते हैं.

सवाल सिर्फ वजूद का नहीं

महाराष्ट्र के ठाकरे परिवार की बड़ी बहू स्मिता ठाकरे के लिए भी ऐसे ही हालात बने थे जब उन्होंने अपने पति जयदेव ठाकरे से तलाक के बाद अलग रहने का फैसला किया था. तब ठाकरे परिवार से एक बयान आया था कि उन्हें अलग रहना है तो रहें, लेकिन ठाकरे उपनाम यहीं छोड़ जाएं.

वहीं मुंबई हाई कोर्ट ने जनवरी, 2015 में अपने एक फैसले में कहा था कि तलाक के बाद भी महिलाएं अपने पति के उपनाम का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं. पति इस पर तभी रोक लगा सकता है जब उस के उपनाम का पत्नी आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल कर रही हो.

सवाल सिर्फ वजूद का नहीं है. एक व्यवस्था जो शादी से पहले कायम होती है, उस में एकाएक बदलाव होने से परेशानियां खड़ी होती हैं. जैसे शादी से पहले सारे शैक्षिक दस्तावेज, पहचान प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, राशनकार्ड पर नाम सब पिता के उपनाम से होते हैं, लेकिन शादी के बाद या तो इन में बदलाव कराया जाता है जोकि बहुत परेशानी का काम है या फिर पत्नी का व्यावहारिक नाम और दस्तावेजों में नाम दोनों अलगअलग पहचान के होते हैं. हालांकि इस बात से संतोष किया जा सकता है कि महिलाएं अपने इस अधिकार को ले कर जागरूक हुई हैं और भले ही जापान का संविधान उन के पति के नाम से अलग पहचान न दे रहा हो, लेकिन वहां महिलाओं का संघर्ष अब भी जारी है.

2007 में कैलिफोर्निया का एक विधेयक भी बतौर उदाहरण याद किया जा सकता है. इस विधेयक के तहत कोई पुरुष चाहे तो अपनी पत्नी का उपनाम अपने नाम के साथ लगाने को स्वतंत्र है. इस विधेयक का निर्णय एक युगल द्वारा पेश याचिका के बाद लिया गया. उस याचिका में पति ने पत्नी के उपनाम को अपने नाम के साथ लगाने की इच्छा प्रकट की थी.

इतिहास में महिलाओं को अधिकार मिले तो हैं, लेकिन इन के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी है. शायद इसी सामाजिक व्यवस्था को देख कर ‘द सैकंड सैक्स’ की फ्रैंच लेखिका सीमोन द बस ने कहा था कि स्त्री होती नहीं बना दी जाती है.

अंधविश्वास का जाल, पंडे पुजारी हो रहे मालामाल

केस 1

समय: सुबह के 5-6 के बीच का

महिलाओं के लिए खासतौर पर फोन घनघनाने लगे. ये फोन दैवीय चमत्कार बताने के लिए थे. सूचना मिली कि घरों में रखे दैनिक उपयोग के पत्थरों से बने औजारों जैसे सिल व बट्टा तथा अनाज पीसने वाली चक्की के पाट अपनेआप किसी दैवीय शक्ति के बूते टंक गए हैं. बताया गया कि ऐसा प्रतीकात्मक रूप से पत्थर द्वारा निर्मित देवीदेवताओं की पूजा में अरुचि के कारण देवी की नाराजगी से हुआ है. जो व्यक्ति पूजाअर्चना नहीं करेगा वह गंभीर संकट से घिर जाएगा. बस फिर क्या था. महिलाएं झटपट पत्थर से बने उन औजारों को देखने भागीं. जिस के औजारों में थोड़ा भी परिवर्तन था वह इसे दैवीय शक्ति का प्रभाव मान बैठी और फिर तुरंत पूजाअर्चना शुरू कर दी. कुछ ही घंटों में यह बात जंगल में लगी आग की तरह कई जिलों में फैल गई और फिर कई हफ्तों तक बदस्तूर जारी रही. यह अंधविश्वास का एक नमूना भर है, जिसे पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश के जनपदों खासकर इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, कानपुर, रायबरेली, अमेठी आदि के ग्रामीण क्षेत्रों में खूब प्रसारित किया गया.

केस 2

स्थान: केस 1 के सभी क्षेत्र. समय: शाम के 7-8 बजे के बीच का

ग्रामीण महिलाओं के पास खबर आने लगी कि देवी सपने में आई और बोली कि मेरा पूजन करो, बहनबेटियों के यहां साडि़यां और पकवान बना कर भेजो, दानदक्षिणा दो. इस से घर में बरकत बढ़ेगी.

केस 3

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के अरखा गांव के निकट एक गाय ने विकृत आकृति वाला बच्चीनुमा बछड़ा जना. स्थानीय महिलाओं का भारी हुजूम उमड़ पड़ा. देखते ही देखते फूलमालाएं, प्रसाद और पैसा चढ़ने लगा. 2 दिनों के बाद गाय के बच्चे की मौत हो गई.

केस 4

इस बार उत्तर प्रदेश के ही कौशांबी जनपद के सराय अकिल थाने के अंतर्गत मायाराम का पुरवा गांव में मल्हू की पत्नी कौशल्या देवी ने विकृत आकृति का बच्चा जना. उसे देखने स्थानीय महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ा. प्रसाद, पैसों और फूलमालाओं का ढेर लग गया. कुछ ही दिनों में बच्चे की मौत हो गई.

केस 5

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद में धमधमा गांव स्थित 2 बंदर भिड़ गए और किसी कारण दोनों की मौत हो गई. बस इसी को बालाजी का चमत्कार मान लिया गया और बंदरों की याद में एक मंदिर बना कर धर्म के नाम पर धंधेबाजी शुरू हो गई, जो अभी तक बदस्तूर जारी है.

इन उदाहरणों को देख यह पता चलता है कि बड़े पैमाने पर पाखंड के नाम पर ठगी का यह नया तरीका है, जिसे निठल्ले एवं पाखंड फैलाने वालों ने निकाला है. इन का सब से आसान शिकार ग्रामीण महिलाएं हैं. दरअसल, इन दिनों पत्रपत्रिकाओं के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं में भी थोड़ी जागरूकता आई है, जिस से पूजापाठ और धर्म के नाम पर ठेकेदारी करने वालों का धंधा भी थोड़ा मंदा हो चला है. इसीलिए अब पाखंडी और निठल्ले लोगों ने पैतरा बदल कर गरीब जनता को इस तरह ठगने के नायाब तरीके ढूंढ़ लिए.

पंडेपुजारियों की मौज: धर्म की आड़ में इस प्रकार के अंधविश्वासों को प्रसारित करने से धर्म के ठेकेदारों यानी पंडेपुजारियों का तो भला होता ही है, पूजन आदि की सामग्री बेचने वाले भी इस से मोटा फायदा पा रहे हैं. उधर गरीब जनता इन धंधेबाजों के जाल में फंस कर दिनबदिन कंगाल होती जा

रही है.

ठगी का जाल: अगर इस तरह पूजापाठ करने, दानदक्षिणा देने से भला होता तो अब तक देश विकसित हो चुका होता. दान देने और पूजापाठ करने वाले कभी गरीब नहीं होते, कोई बेऔलाद न रहता, हर कोई बिना पढ़े पास हो जाता, कभी कोई बीमार न पड़ता यानी पूजापाठ करने वाले सभी लोग हर तरह के क्लेश से मुक्त हो जाते. मगर काबिलेगौर बात यह है कि लाखोंकरोड़ों लोगों के पूजा करने के बाद भी चारों तरफ गरीबी व्याप्त है. इस का सीधा मतलब है कि पंडेपुजारियों के झांसे में आ कर कुछ करना ठीक वैसे ही है जैसे अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारना. ऐसे ज्यादातर मामले गांवों से जुड़े होते हैं. चूंकि गांवों में अभी भी अशिक्षित महिलाओं की बड़ी संख्या है. इसीलिए भेड़चाल में सुनीसुनाई बातों में आ कर वे ठगी का शिकार हो जाती हैं. चूंकि ये सारी सूचनाएं वे अपने सगेसंबंधियों और पड़ोसियों से पाती हैं, इसलिए बाद में उन के पास पछताने के सिवा और कुछ नहीं बचता है.

पत्थर से बने औजारों जैसे सिल व बट्टा आदि का अपनेआप दैवीय शक्ति के बूते टंक जाने के संदर्भ में इलाहाबाद स्थित मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफैसर डा. आर. सी. वैश्य का मानना है कि अत्यधिक गरमी के कारण अकसर स्टोन कमजोर हो जाते हैं जिस से वे टूट भी सकते हैं. स्टोन के कमजोर होने के ही कारण वे टंकाई जैसे प्रतीत हो रहे होंगे. अत: अफवाहों पर कभी भरोसा न करें.

इसी प्रकार जानवर या महिला द्वारा गणेश जैसे आकार में बच्चा जनने की बाबत रायबरेली के प्रभारी चिकित्साधिकारी एवं अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले डा. आर.पी. मौर्य बताते हैं कि जीन उत्परिवर्तन, जैनेटिक स्ट्रक्चर की गड़बड़ी, जन्मजात विसंगति या विकासात्मक विसंगति बच्चे के विकृत आकृति में पैदा होने की वजह हो सकती है. विकासात्मक विसंगति के कारण कभीकभी कोई अंग कम या ज्यादा विकसित हो जाता है तो लोग उसे गणेश या अन्य किसी का अवतार मान बैठते हैं.

समाज में व्याप्त अन्य प्रकार के अंधविश्वासों की बाबत डाक्टर मौर्य कहते हैं कि ग्रामीण महिलाओं को गुमराह करने में भारत की पुरोहिती व्यवस्था नंबर 1 पर है. गुमराह करने वाले यानी धर्म के धंधेबाज यह अच्छी तरह जानते हैं कि वे जितने लोगों को अंधविश्वास के जाल में जकड़ेंगे उतना ही ज्यादा उन का फायदा होगा. यह पूरा सिस्टम पैसों के लिए होता है. अगर पूजापाठ में पैसे का चलन बंद हो जाए तो अंधविश्वास भी बंद हो जाए. सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थानों को समयसमय पर फैलने वाले इस तरह के अंधविश्वासों के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए.

चटपटे गलौटी गोलगप्पे

सामग्री

– 100 ग्राम मटन कीमा

–  50 ग्राम प्याज बारीक कटा

– 30 ग्राम काजू के टुकड़े

– 2 छोटे चम्मच देशी घी

– थोड़ा सा केसर

– गोलगप्पे जरूरतानुसार

– 100 ग्राम दही

– नमक व लालमिर्च पाउडर स्वादानुसार

– थोड़ीथोड़ी सोंठ व पुदीना चटनी

– थोडे़ से अनारदाने व महीन सेब गार्निशिंग के लिए.

विधि

प्याज, काजू, केसर, लालमिर्च पाउडर व नमक को कीमे के साथ मिला कर देशी घी में अच्छी तरह फ्राई कर के मटन गलौटी तैयार कर लें. तैयार मटन गलौटी को गोलगप्पों में फिल करें और ऊपर से दही, चटनी, सेब व अनारदाने से गार्निश कर परोसें.

व्यंजन सहयोग

ऐग्जीक्यूटिव शैफ चिंतामनी आर्या

आंच, दिल्ली

उम्मीद की किरण जगाता ‘होप लोन्स’

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने स्पेशल फाइनैंसिंग स्कीम ‘होप लोन्स’ की घोषणा की. इसके तहत ग्राहक बहुद कम दरों पर लोन सुविधा ले सकते हैं. बैंक ने एक बयान में यह जानकारी दी है.

इसमें कहा गया है, ‘उधारी दर की सीमांत लागत (एमसीएलआर) में कमी के कारण घटी ब्याज दरों का लाभ होप लोन्स योजना में मिलेगा. उदाहरण के रूप में 50 लाख रुपये के होम लोन पर 30 साल की अवधि के लिए लगभग 3.5 लाख रुपये की बचत होगी.’ एमसीएलआर में कमी से बैंक के होम लोन की प्रभावी दर महिलाओं के लिए 9.25 प्रतिशत जबकि पुरुषों के लिए 9.30 प्रतिशत होगी.

एसबीआई ने बताया कि अब कार लोन पर कोई प्रोसेसिंग फी नहीं ली जाएगी. साथ ही जिन्होंने एसबीआई द्वारा मंजूर प्रॉजेक्ट्स पर होम लोन ले रखा है, वो अगर घर के ट्रांसफर के लिए आवेदन दे रहे हैं तो उन्हें भी फी से छूट का फायदा मिलेगा. एसबीआई का कहना है कि वह होम और ऑटो, दोनों लोन्स पर सबसे कम ब्याज लेता है और ‘होप लोन्स’ ने इसमें और भी कटौती कर दी है.

बैंक ने बताया कि 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2016 के दौरान दिए गए हरेक होम, ऑटो और पर्सनल लोन पर वह शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में देश भर में काम करने वाले स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओज) को कुछ पैसे देगा. स्टैट बैंक के डिजिटल वॉलिट से भी किए गए लेनदेन भी इस नई पहले के अधीन आएगें.

बयान में कहा गया है, ‘होप लोन्स की अवधारणा पेश करने का बड़ा मकसद अपने ग्राहकों में एसबीआई के मजबूत और विश्वसनीय ब्रैंड के साथ होने का भरोसा दिलाना है ताकि सुविधाहीनों में उम्मीद की किरण जगे.

देश जहां नहीं होती है रात

हम सभी कभी न कभी यह जरूर सोचते हैं कि अगर सूरज न अस्त हो तो कितना अच्छा होगा. मगर सूरज के आगे किसकी चलती है. वह अपनी मर्जी से निकलता है और अपनी मर्जी से अस्त भी होता है. लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी जगहें जरूर हैं जहां सूरज अस्त नहीं होता और वहां रात नहीं होती. जानिए ऐसी ही जगहों के बारे में.

नॉर्वे

यह देश आर्क्टिक सर्कल के अंदर आता है. इसे मध्य रात्रि का देश भी कहा जाता है. मई से जुलाई के बीच करीब 76 दिनों तक यहां सूरज अस्त नहीं होता. बेशक इस अनुभव को वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है.

स्‍वीडन

स्‍वीडन में तो करीब 100 दिनों तक सूर्य अस्त नहीं होता. यहां मई से अगस्‍त तक सूरज नहीं डूबता. और जब ढलता है तो आधी रात को. फिर सुबह 4:30 बजे तक निकल भी आता है.

आइसलैंड

ग्रेट ब्रिटेन के बाद यह यूरोप का सबसे बड़ा आईलैंड है. यहां आप रात में भी सूरज की रोशनी का आनंद ले सकते हैं. यहां 10 मई से जुलाई के अंत तक सूरज नहीं डूबता है.

कनाडा

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश जो साल में लंबे अर्से तक बर्फ से ढका रहता है. हालांकि यहां के उत्तरी-पश्च‍िमी हिस्से में गर्मी के दिनों में 50 दिनों तक सूरज लगातार चमकता भी है.

फिनलैंड

हजारों झीलों और आइलैंड्स से सजा हुआ यह देश काफी सुंदर और आकर्षक है. गर्मी के मौसम में यहां करीब 73 दिनों तक सूरज अपनी रोशनी बिखेरता रहता है. घूमने के लिहाज से यह देश काफी अच्छा है.

अलास्का

यहां मई से जुलाई के बीच में सूरज नहीं डूबता है. अलास्का अपने खूबसूरत ग्लेशियर के लिए जाना जाता है. अब कल्पना कर लें कि मई से लेकर जुलाई तक बर्फ को रात में चमकते देखना कितना रोमांच भरा हो सकता है.

हेल्दी है गारबेज फ्राइज

सामग्री

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– 10 ग्राम लहसुन बारीक कटा

– जरूरतानुसार लाल, हरी व पीली शिमलामिर्च बारीक कटी

– सफेद व कालीमिर्च स्वादानुसार

– 1 प्याज बारीक कटा

– चिली फ्लैक्स स्वादानुसार

– 1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस

– 15 ग्राम मोजरेला चीज

– 80 ग्राम फ्रैंच फ्राइज

– 60 ग्राम सोया बड़ी

– नमक स्वादानुसार

– जरूरतानुसार औयल फ्रैंच फ्राइज तलने के लिए

विधि

एक पैन में तेल गरम कर के लहसुन, प्याज, शिमलामिर्च, चिली फ्लैक्स, टोमैटो सौस और सोया बड़ी डाल कर कुछ देर फ्राई करें. अब इस में सफेद व कालीमिर्च और नमक मिला कर सौस तैयार कर लें. फ्रैंच फ्राइज को तलने के बाद सर्विंग प्लेट में निकालें और ऊपर से तैयार की गई सौस व चीज डाल कर 2 मिनट बेक कर गार्लिक ब्रैड के साथ परोसें.           

व्यंजन सहयोग

ऐग्जीक्यूटिव शैफ चिंतामनी आर्या

आंच, दिल्ली

ऐश्वर्या करना चाहती हैं सलमान के साथ काम!

सलमान खान और ऐश्वर्या राय एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर साथ नजर आ सकते हैं. हालांकि ऐश्वर्या ने सलमान के साथ फिल्म करने को लेकर एक शर्त रखी है. ये शर्त अगर पूरी होती है, तो ऐश्वर्या को सलमान के साथ स्क्रीन शेयर करने में कोई परेशानी नहीं है. हालांकि सलमान के इस बारे में क्या विचार हैं, वो अभी सामने नहीं आए हैं.

ये खुलासा फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने अपने कॉलम में किया है. इसके अनुसार ऐश्वर्या राय बच्चन चाहती हैं कि सलमान खान के साथ कोई फिल्म करें. जी हां. ऐश्वर्या ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान ऐसी इच्छा जाहिर तो की है. वो पुरानी बातों को भूलकर सलमान के साथ काम करने के लिए तैयार हैं.

यह बात इसके बिल्कुल उलट है जिसमें लंबे समय से कहा जा रहा था कि ऐश्वर्या अपने एक्स-लवर के साथ कोई प्रोजेक्ट नहीं करना चाहती हैं. तो फिर मतलब ऐश्वर्या जल्द ही अपनी फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को प्रमोट करने के लिए सलमान खान के शो ‘बिग बॉस 10’ पर आएंगी?

मसंद ने संकेत दिए है कि ऐश्वर्या ने अपने करीबियों के बीच इस मामले पर स्पष्ट रुख रखा है कि वो सलमान खान के साथ तभी फिल्म करने के लिए राजी होंगी जब स्क्रिप्ट और डायरेक्टर असाधारण हो. मगर अभी सलमान ने अपनी ओर से इस बारे में ऐसी कोई राय नहीं दी है. फैन्स को इंतजार करना पड़ सकता है.

बीते दिनों यह भी चर्चा थी कि ऐश किसी भी हालत में सलमान के शो ‘बिग बॉस 10’ पर फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को प्रमोट करने नहीं आना चाहती हैं. मगर मसंद ने कहा है कि इस बारे में बताया गया है कि सलमान और ऐश्वर्या की ओर से ऐसी कोई बात नहीं कही गई है कि शो पर साथ आने में दोनों को किसी भी तरह से कोई दिक्कत है. मतलब दोनों ही सितारे शायद पुरानी बातों को भुलाना चाहते हैं.

ऐसी स्थिति में तो फैन्स सिर्फ यह कल्पना ही कर सकते हैं कि दोनों सितारे एक बार फिर बड़े परदे पर साथ नजर आएंगे. मगर यह करिश्मा तो फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली ही कर सकते हैं.

ऋषि को घर में पड़ते हैं बीवी के जूते!

पॉपुलर होस्ट सिमी ग्रेवाल का टॉक शो ‘रॉन्डेवू विद सिमी ग्रेवाल’ के नए सीजन का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ऋषि कपूर और नीतू कपूर इसके गेस्ट होंगे. शो के दौरान ऋषि-नीतू की लव-स्टोरी, दोनों की नोकझोंक, इनकी केमिस्ट्री और ऋषि-रणबीर के रिश्तों पर जोड़ी खुलकर बात करती दिखाई देगी.

ट्रेलर में नीतू ने उड़ाई ऋषि की खिल्ली

लगभग 2 मिनट का यह ट्रेलर सिमी ग्रेवाल के ऑफिशियल यू-ट्यूब पेज पर अपलोड किया गया है. इसमें नीतू अपने पति ऋषि की जमकर खिल्ली उड़ाती दिख रही हैं. हालांकि, ऋषि भी मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं.

सिमी का सवाल: शुरुआती दिनों में आपको ऋषि कैसे लगते थे?

नीतू का जवाब: हॉरिबल

सिमी का सवाल: क्या वे बहुत पजेसिव थे?

नीतू का जवाब: अब तो और भी ज्यादा हो गए हैं.

इसपर ऋषि बोले: हसबैंड डरा हुआ महसूस करता है जब उसकी बीवी पिटाई करती है. तो जूते घर में पड़ते हैं, इसलिए ऐसा हूं.

सिमी का सवाल: क्या वो (ऋषि) भरोसेमंद हैं?

इस सवाल पर नीतू ने कुछ अजीब एक्सप्रेशन्स दिए.

इसपर ऋषि बोले: ये बहुत सयानी है.

सिमी का सवाल: अगर आपको चांस मिला तो क्या आप दोबारा चिंटू जी (ऋषि) से शादी करना चाहेंगी?

यह सवाल सुन नीतू सोच में पड़ गईं. नीतू के इस रिएक्शन पर ऋषि बोले, यह बहुत शॉकिंग है.

ऋषि ने यह भी माना कि वे बहुत गुस्सैल हैं. उन्होंने कहा, “मुझे यह कबूलने में कोई शर्म नहीं है कि हम आज भी लड़ते हैं.”

रणबीर से रिश्तों के बारे में क्या बोले ऋषि

बेटे रणबीर कपूर से रिश्तों के बारे में ऋषि बोले, “मैं उसकी फिल्में नहीं देखता. एक शीशा है हम दोनों के बीच. हम देख रहे हैं. लेकिन एक-दूसरे को फील नहीं कर पा रहे. इसपर सिमी ने पूछा कि उन्हें आपके प्यार की जरूरत होगी तो ऋषि बोले, “मुझे डर है कि वह बहुत दूर चला गया है.”

टॉक शो में एक फैन ने पूछा कि क्या ऋषि कपूर के अंदर ऐसा कुछ है जो बाहर निकलना चाहता है? इसपर ऋषि बोले रात को चार दारू के बाद मिलना, फिर देखना क्या-क्या बाहर आता है.

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