क्यों बदल गए बोमन ईरानी

पाकिस्तानी फिल्म निर्देशक अजान सामी खान ने बोमन ईरानी को अपनी पाकिस्तानी फिल्म में अभिनय करने का ऑफर दिया था. पहले बोमन ईरानी इस फिल्म को करने के लिए सहमत हो गए थे. मगर अप्रैल माह में ‘बजरंगी भाईजान’ फिल्म के निर्देशक कबीर खान जब पाकिस्तान गए, तो इस फिल्म की वजह से नाराज पाकिस्तानियों ने कराची एअरपोर्ट पर कबीर खान के साथ बदसलूकी की. सूत्रों के अनुसार यह बात बोमन ईरानी को पसंद नहीं आयी थी.

पाकिस्तान में कबीर खान के साथ बदसलूकी किए जाने के दो दिन बाद ही खबर आयी कि बोमन ईरानी ने कबीर खान के प्रति सम्मान दिखाते हुए पाकिस्तानी फिल्म करने से इंकार कर दिया है. यह खबर उस वक्त लगभग हर समाचार चैनल पर प्रसारित हुई. हर पत्र पत्रिका में छपी.

उस वक्त बोमन ईरानी की तरफ से इस खबर का खण्डन नहीं आया. मगर पूरे दो माह के अंतराल के बाद अब बोमन ईरानी मीडिया को कोस रहे हैं.

मुंबई में ‘‘ब्लेंडर्स प्राइड रिजर्व कलेक्शन’’ के समारोह में जब बोमन ईरानी ने बोलना शुरू किया, तो मीडिया को कोसते हुए कहा ‘‘यह पूरी तरह से गलत खबर छापी गयी थी. आप मीडिया वाले कुछ भी कहानी बनाते रहते हो. आप लोगों ने लिखा कि मैंने फिल्म छोड़ दी, जबकि मैंने यह फिल्म कभी नहीं छोड़ी. मेरे पास समय का अभाव था, इस कारण मैं फिल्म नहीं कर पाया.’’

अब बोमन ईरानी की बात समझ से परे है. पाकिस्तानी फिल्म करने या छोड़ने का मसला उनकी तरफ से महज पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं था. अन्यथा गलत खबर छपने पर दो माह बाद उनकी तरफ से इस तरह की प्रतिक्रिया क्यों आयी? जबकि वह मई माह में फिल्म ‘‘हाउसफुल 3’’के समय पत्रकारों से बात कर चुके हैं. कहीं उन्हें किसी दबाव के तहत अपना बयान तो नही बदलना पड़ा? क्योंकि बॉलीवुड में सभी को पता है कि बोमन ईरानी के पास फिलहाल कोई नई फिल्म नहीं है.

बोमन अपनी एक फिल्म ‘‘द लीजेंड आफ मिचेल मिश्रा’’ की शूटिंग 2015 में ही खत्म कर चुके हैं. यह फिल्म 2015 से ही प्रदर्शन की राह देख रही है.

विवादों में रहना चाहते हैं अनुराग कश्यप

अनुराग कश्यप और विवादों का चोली दामन का साथ हो गया है. बॉलीवुड का एक तबका मानता है कि अनुराग कश्यप स्वयं विवादों को जन्म देते रहते हैं. तभी तो ‘‘उड़ता पंजाब’’ के बाद अब वह फिल्म ‘‘अंदाज अपना अपना 2’’ को लेकर विवादों में आ गए हैं. अनुराग कश्यप ने चार दिन पहले ही घोषणा की थी कि ‘‘फैंटम फिल्मस’’ ने 11 अप्रैल 1994 को प्रदर्षित कॉमेडी फिल्म ‘‘अंदाज अपना अपना’’ के रीमेक के अधिकार खरीद लिए हैं और अब वह इस फिल्म का रीमेक ‘‘अंदाज अपना अपना 2’’ के नाम से करने जा रहे हैं. गौरतलब है कि ‘‘फैंटम फिल्मस’’ में अनुराग कश्यप के अलावा विकास बहल, मधु मेंटेना व विक्रमादित्य मोटावणे भागीदार हैं.

1994 की चर्चित फिल्म ‘‘अंदाज अपना अपना’’ का निर्देशन राज कुमार संतोषी ने किया था, जिसमें आमीर खान, सलमान खान, करिश्मा कपूर, रवीना टंडन, परेष रावल, शक्ति कपूर, शहजाद खान, विजू खोटे जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था.

‘‘अंदाज अपना अपना’’ का रीमेक ‘‘अंदाज अपना अपन 2’’ के बनने की खबर आते ही सबसे पहले अमीर खान ने कहा कि यदि स्क्रिप्ट अच्छी हुई, तो वह इस रीमेक फिल्म में सलमान खान के साथ अभिनय करना चाहेंगे. उसके बाद सलमान खान ने भी इस रीमेक फिल्म में आमीर खान के साथ काम करने की इच्छा जाहिर कर दी. आमीर खान व सलमान खान के साथ साथ ‘‘अंदाज अपा अपना’’ के प्रशंसक खुश थे, पर इस पर अब सवालिया निशान लग गया है.

पर अब मूल फिल्म ‘‘अंदाज अपना अपना’’ के निर्माता विनय सिन्हा की बेटी प्रीति सिन्हा ने बयान जारी कर कहा है कि फिल्म ‘‘अंदाज अपना अपना’’ के रीमेक या किसी भी प्रकार के अधिकार ‘‘फैंटम फिल्मस’’ को नहीं बेचे गए हैं. प्रीति सिन्हा, जो कि ‘रील लाइफ इंटरटेनमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ की निदेशक भी हैं, ने बयान जारी कर कहा है ‘‘यह याद रखना चाहिए कि फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ के सभी अधिकार अभी भी ‘विनय पिक्चर्स’ के पास हैं. इसके अधिकार ‘फैंटम फिल्मस’ को नहीं बेचे गए हैं.’’

फिल्म ‘‘अंदाज अपना अपना’’ के मूल निर्माता विनय सिन्हा की बेटी प्रीति सिन्हा के इस बयान के बाद एक नया विवाद पैदा हो गया है और फिलहाल अनुराग कश्यप या ‘फैंटम फिल्मस’ ने चुप्पी साध रखी है.

घिसेपीटे किरदार नहीं निभा सकती: अनुष्का

दूसरी अभिनेत्रियों के पदचिन्हों पर चलते हुए अभिनय के साथ साथ फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतर चुकी अनुष्का शर्मा ने हाल ही में हॉलीवुड में काम कर रही अभिनेत्रियों की प्रशंसा करने के साथ साथ यह कह कर सभी को चैंका दिया है कि वह हॉलीवुड फिल्मों में घिसी पिटी यानी कि निरीह भारतीय नारी के किरदार नहीं निभाना चाहती. तो क्या अनुष्का शर्मा मानती हैं कि दीपिका पादुकोण या प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड में घिसी पिटी भारतीय नारी के किरदार निभा रही हैं!

अनुष्का शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा है ‘‘एक अदाकारा के रूप में मैं जो कुछ करने वाली हूं, उसमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला कि क्या कहां से आ रहा है. मैं वही काम करना चाहूंगी जो कि रोचक हो. मैं कहीं भी जाकर घिसा पिटा भारतीय नारी का किरदार नहीं निभा सकती. घिसा पिटा काम तो हर जगह हो रहा है. दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा अमेजिंग काम कर रही हैं. वह हॉलीवुड में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए दूसरे कलाकारों के लिए काम करने की संभावनाएं जगा रही हैं. लेकिन मैं हॉलीवुड जाने के बारे में नहीं सोच रही.’’

दिलजीत दोसांज ने छोड़ी ‘‘बादशाहो’’

फिल्मकार मिलन लूथरिया और अजय देवगन की फिल्म ‘‘बादशाहो’’ का संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. यह फिल्म पिछले तीन साल से शुरू नहीं हो पा रही है. अब फिल्म ‘‘बादशाहो’’ में आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाने के लिए हामी भर चुके पंजाबी अभिनेता दिलजीत दोसांज ने यह फिल्म छोड़ दी है. सूत्रों की माने तो फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ से सबक सीखते हुए दिलजीत सिंह ने फिल्म ‘‘बादशाहो’’ से खुद को अलग कर लिया है. सूत्रों के अनुसार दिलजीत दोसांज की समझ में आ गया है कि बॉलीवुड में मल्टीस्टारर फिल्म करना नुकसान दायक होता है. इसलिए वह अनुष्का शर्मा के संग सोलो हीरो वाली फिल्म ‘‘फिलौरी’’ कर रहे हैं. पर ‘बादशाहो’ छोड़ दी है. अब तक ‘बादशाहो’ में दिलजीत दोसांज के अलावा अजय देवगन, विद्युत जामवाल व ऐष्वर्या राय बच्चन थे.

उधर मिलन लूथरिया के नजदीकी सूत्रों का दावा है कि पैसे को लेकर अनबन होने की वजह से दिलजीत दोसांज ने ‘‘बादशाहो’’ छोड़ दी है. सूत्र बताते हैं कि दिलजीत दोसांज ‘बादशाहो’ करने के लिए तैयार थे, लेकिन जब अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने की बारी आयी, तो उन्होने बहुत ज्यादा पैसे मांगे, जिसके चलते मामला नहीं बना.

बहरहाल अब सूत्रों के अनुसार मिलन लूथरिया ने दिलजीत दोसांज की जगह आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाने के लिए इमरान हाषमी को ‘बादशाहो’ के साथ जोड़ा है.

फिल्म ‘‘बादशाहो’’ की कहानी आपातकाल की पृष्ठभूमि में सोने की चोरी पर है, जो कि एक वास्तविक घटनाक्रम पर आधारित है. इस फिल्म में अब सोने के चोर के किरदार में अजय देवगन, अंडरकवर पुलिस के किरदार में विद्युत जामवाल, महारानी गायत्री देवी से प्रेरित किरदार में ऐष्वर्या राय बच्चन और आर्मी ऑफिसर के किरदार में इमरान हाषमी नजर आएंगे. पर अभी यह तय नहीं हो पाया है कि इस फिल्म की शूटिंग कब शुरू होगी.

ब्लैक टी पीने से होंगे ये 10 फायदे

अगर आप में कोई एक कप से ज्यादा ब्लैक टी पीना चाहते हैं तो उतना हानिकारक नहीं है जितना आप सोचते होंगे. वास्तव में कई लोग ब्लैक टी का उपयोग स्वास्थ्य के फायदे के लिए करते हैं.

नियमित तौर पर ब्लैक टी पीने के ये हैं 10 फायदे

1. रोज ब्लैक टी पीने से डायबिटिज के खतरे कम होते हैं.

2. ब्लैक टी में पाये जाने वाले टैनिन और उपयोगी केमिकल्स डायजेशन के लिए लाभदायक है और ये डायजेस्टिव सिस्टम को भी ठीक तरह से काम करने में मदद करता है.

3. ब्लैक टी में पाया जाने वाला ऐन्टीऑक्सिडंट कैंसर के खतरे को कम करता है.

4. नियमित तौर पर ब्लैक टी पीने से बैड कॉलेस्ट्रोल कम होता है और इस प्रकार हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स के खतरे कम होते हैं.

5. नियमित तौर पर ब्लैक टी पीने से किडनी स्टोन और पार्किंसन्स रोग के खतरे कम होते हैं.

6. ब्लैक टी दांतों में कैविटी बनाने वाले बैक्टिरिया को रोकता है और प्लेग से बचाता है.

7. रोज ब्लैक टी पीने से इसमें पाये जाने वाले फाइटोकेमिकल्स आपके शरीर की हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है और आर्थ्राइटिस के खतरे को रोकता है.

8. ब्लैक टी आपको वजन कम करने में मदद करता है क्योंकि इसमें बहुत मात्रा में सोडियम, फैट और कैलोरी पाया जाता है.

9. ब्लैक टी आपके स्किन के लिए बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसमें विटामिन B2, C, E और मिनरल्स पाया जाता है तथा इसमें मैग्नेशियम, पोटैशियम, जिंक, टैनिन, और कुछ आवश्यक पॉलीफेनॉल्स पाये जाते हैं.

10. ब्लैक टी आपके बालों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इसमें कैफीन और ऐन्टीऑक्सिडेंट पाये जाते हैं.

सदाबहार कॉटन के कुर्ते

गर्मी के मौसम में फैशन और कंफर्ट दोनों का खास ख्‍याल रखना होता है और ऐसे में फैब्रिक की अनदेखी नहीं की जा सकती है. कॉटन के कुर्ते कंफर्ट और स्‍टाइल दोनों का परफेक्‍ट कॉम्ब‍िनेशन होते हैं. फिर चाहे आप इन्‍हें एथनिक लुक में पहनें या फिर स्‍टाइलिश लुक कैरी करें.

आइए जानें कैसे आप कॉटन के कुर्ते में भी फैशनेबल दिख सकती हैं…

– कॉटन के प्‍लेन कुर्ते को अपनी पसंद की जींस के साथ मैच करें और अगर कुर्ता हल्‍के रंग का है तो आप इसके साथ स्‍कार्फ भी कैरी कर सकती हैं.

– पार्टी में जाना है और कुछ तड़क-भड़क नहीं पहनना चाहती है तो डार्क कलर की डिजाइनर लॉन्‍ग कुर्ती को उसके कंट्रास से मैच करती स्‍ट्रेट पैंट के साथ पहनें. ग्‍लैमरस लुक के लिए पार्टी वेयर हाई हील्स पहन सकती हैं. अपने इस लुक को आप एसेसरीज के जरिए और भी चार्मिंग बना सकती हैं. जैसे: कानों में बोल्‍ड ईयररिंग्‍स पहनकर, स्टोन का नेकपीस पहनकर.

– एथनिक लुक हर जगह जंचता है फिर चाहे ऑफिस हो या फिर कॉलेज. कुर्ते लुक को परफेक्‍ट बनाने के लिए कान में बड़े झुमके पहनें और आप चाहें तो कोल्‍हापुरी चप्‍पल या फिर फैंसी मोजड़ी भी पहन सकती हैं.

– कॉटन की शॉर्ट कुर्तियों को धोती पैंट और पटियाला सलवार के साथ भी पहना जा सकता है लेकिन ये फेस्टिवल लुक के लिए ज्‍यादा बेहतर रहती हैं.

– लॉन्‍ग कुर्तों को प्लाजो पैंट्स या फिर लॉन्‍ग स्‍कर्ट के साथ भी मैच किया जा स‍कता है. यह ड्रेसिंग स्‍टाइल आपको आर्टिस्टिक लुक देने का काम करेगा.

इमरान हाशमी करेंगे नई पारी की शुरुआत

​इमरान हाशमी एक सफल अभिनेता हैं. उन्होंने “किस ऑफ़ लाइफ” नाम से एक किताब लिखी है. इसके साथ ही वे एक लेखक भी बन गए हैं. अब इमरान हाशमी अपने होम प्रोडक्शन ‘इमरान हाशमी फिल्म्स’ के बैनर तले, फिल्म का निर्माण कर बतौर फिल्म निर्माता नयी पारी शुरू करेंगे.

इमरान हाशमी “मासेस के हीरो” के रूप में जाने जाते हैं. हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘अजहर’ ने यह साबित भी कर दिया है.

अभिनेता इमरान हाश्मी बेहद खुश हैं कि उन्होंने बतौर निर्देशक ‘इमरान हाशमी फिल्म्स’ के लिए सबसे पहले टोनी डिसूजा को अप्रोच किया है.

इमरान और टोनी जल्दी ही एक साथ एक रोमांचक वेंचर के ​लिए एक साथ आएंगे. फिल्म का निर्माण इमरान हाशमी फिल्म्स तथा टोनी डिसूजा और नितिन के ऑडबॉल मोशन पिक्चर्स के बैनर तले निर्माण किया जाएगा.

आइकिदो की ट्रेनिंग लेंगे राम चरण!

टॉलीवुड सुपरस्टार राम चरण अपनी आगामी फिल्म ध्रुवा में आईपीएस अफसर का किरदार निभाएंगे. इसके लिए वे अभी से ही कड़ी मेहनत कर रहे हैं. अपने किरदार को परफेक्ट बनाने के लिए वे जापानी मार्शियल आर्ट फॉर्म आइकिदो की ट्रेनिंग लेंगे.

इस कला का मुख्य लक्ष्य ये है कि प्रैक्टिशनर्स खुद के बचाव के लिए इस कला का इस्तेमाल कर सकते है.

यह आर्ट फॉर्म आईपीएस अफसर का किरदार निभाने के लिए बहुत ही सटीक है.

राम चरण अपने हर काम में परफेक्शन चाहते हैं इसलिए वो इस आर्ट फॉर्म को सीखने के लिए स्पेशल ट्रेनर को अपॉइन्ट कर रहे है.

मुझे और अधिक ग्रो करना चाहिए था:अमन वर्मा

“पचपन खम्भे लाल दीवार’ धारावाहिक से अपने अभिनय कॅरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता अमन वर्मा को छोटे पर्दे पर पहचान गेम शो ‘खुल जा सिम-सिम’ से मिली. इसके बाद उन्होंने ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कुमकुम’, ‘तीन बहूरानियाँ’, ‘बिगबौस’, आदि कई धारावाहिकों और रियलिटी शो में काम किया.

टीवी के साथ-साथ उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किये जिसमें ‘संघर्ष’, ‘बागबान’, ‘कोई है’, ‘जानेमन’,‘प्राण जाये पर वचन न जायें’ आदि फिल्में है.उन्होंने एक बांग्ला और दो पंजाबी फिल्में भी की है.

करीब 30 सालों तक इंडस्ट्री में काम कर चुके अमन वर्मा एक बार ‘कास्टिंग काउच’ में भी फंसे. जिसका असर उनके कॅरियर पर पड़ा. वे कई सालों तक छोटी-मोटी भूमिका निभाकर ही संतुष्ट रहे. वे अपने व्यवहार की वजह से कई बार सुर्खियों में आएं लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी इमेज को ठीक किया.

वे मानते है कि जितनी प्रसिद्धि उन्हें मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली, क्योंकि कई बार सफलता को सम्हालना मुश्किल होता है, वह सिर चढ़ जाती है. लेकिन अब वे उस बारें में अधिक नहीं सोंचते और आगे बढ़ जाना पसंद करते है.

अभी वे जी टीवी पर धारावाहिक ‘एक माँ जो लाखों के लिए बनी अम्मा’ में शेखरन शेट्टी की भूमिका निभा रहे है. अमन उसी गेटअप में हमारे सामने आए और हमारी बात हुई. पेश है कुछ अंश.

प्र. इस शो से जुड़ने की वजह क्या है?

यह शो अलग है. इसमें मेरी भूमिका एक साउथ इंडियन व्यक्ति की है जो 10 साल की उम्र में मुंबई पहुचा था, कैसे वह मुंबई का ‘रोबिनहुड’ बन जाता है, अमीरों से पैसा छीनकर वह गरीबों को दे देता है. मेरा ये चरित्र कुछ लोगो के लिए पॉजिटिव तो कुछ के लिए नेगेटिव लगेगा.

इसमें मैंने अपने आवाज को नीचा कर अपना अलग लुक दिया है. इसके लिए मैंने कई तमिल औए तेलगु वर्ड्स उठाएं है, ‘नायकन’ और ‘दयावान’ जैसी फिल्में देखी हैं. कई एक्टर के अभिनय को देखा है कि कैसे कोई दक्षिण भारतीय व्यक्ति हिंदी बोलता है उसे पकड़ने की कोशिश की है. ये सब करने में खूब अच्छा लगा. उम्मीद है सबको मेरा काम पसंद आयेगा. एक एक्टर के नाते हम चाहते है कि लोग हमारे अभिनय को पसंद करें.

प्र. किसी किरदार से बाहर निकलना कितना मुश्किल होता है ?

ये मुश्किल अवश्य है, जब मैं ‘न आना इस देश लाडो’ कर रहा था तो लगता था कि मैं अब हरियाणवी में ही बात न करने लगू, क्योंकि कोई भी चरित्र धारावाहिकों में काफी समय तक करना पड़ता है. थोड़ा समय लगता है पर आप कलाकार है तो आपको चरित्र से निकलना आना चाहिए.

प्र. तनाव होता है तो क्या करतें हैं?

तनाव होने पर मैं ‘जिम’ में चला जाता हूँ और तब तक दौड़ता हूँ जब तक कि मेरा तनाव कम न हो जाए .इससे मेरा तनाव पसीने के रूप में बाहर निकल जाता है.

प्र. इतने सालों में अपने आप में और इंडस्ट्री में क्या बदलाव महसूस करते है ?

मैंने काफी बदलाव देखा है पहले जो टीवी धारावाहिक बनाता था निर्माता, निर्देशक सोचते थे कि कौन सी धारावाहिक बनानी है लेकिन जबसे इतने सारे चैनल आ गए है तब से चैनल ही निर्णय लेता है कि कौन सी धारावाहिक बनेगी, थोड़े दिनों बाद ये भी वे ही सोंचने लगे कि एक्टर कौन होगा, फिर निर्देशक का चुनाव भी वे ही करने लगे अभी तो टेबल के कपड़े, सेट, पोशाक, यहाँ तक कि कहानी भी क्या होगी वे ही सोंचते है. इस तरह छोटी-छोटी बातें अब वे ही निर्णय लेने लगे है.

टीवी अब पूरी तरह से बदल चुकी है. कॅन्टेंट की अगर बात करें तो टीआरपी के अनुसार कहानी जाती है, आजकल नागिन, भूत-प्रेत, चुड़ैल, मक्खी सब चल रहा है, क्योंकि दर्शक देख रहे हैं और टीआरपी बढ़ रही है. लेकिन एक अच्छा एक्टर हमेशा अच्छा ही रहेगा और अच्छे एक्टर की जरुरत उन्हें हमेशा रहेगी.

मैं ‘ग्रो’ तो हुआ हूँ पर लगता है कि और भी आगे जाने की जरुरत थी वह संभव नहीं हो पाया. जगह तो इतनी बनाई है कि आज वह रोल मेरे पास आते है जिसे कम से कम पांच लोगो ने करने से मना किया हो तब डायरेक्टर इतना समझ लेता है कि मैं ही हूँ जो इसे कर पाउँगा और वे मेरे पास आ जाते है.

प्र.क्या आप अपनी कॅरियर से संतुष्ट है?

नहीं, मुझे अवश्य और आगे जाना चाहिए था. लेकिन मैं उसके बारे में सोचकर बैठ नहीं सकता. हाँ अगर किसी नामचीन एक्टर के घर में पैदा हुआ होता तो मुझे आगे बढ़ने में अधिक मदद मिलती. मैं दिलीप कुमार से काफी प्रभावित हूँ. ये सही है कि टीवी पर काम करते हुए आपकी फिल्मों से दूरी बन जाती है पर इस इंडस्ट्री में आप कभी भी इत्मिनान नहीं हो सकते कि आपने जो फिल्म की है वह चलेगी अगर नहीं चली तो आप घर बैठ गए और वह मुझसे नहीं हो सकता इसलिए मुझे जो काम मिला मैं करता गया .

प्र.आगे और क्या है ?

दो कोमेडी फिल्में ‘आई एम नॉट देवदास’ दूसरी ‘डांस में मेरी लग गई ’इसके अलावा एक और शो करने वाला हूँ.

प्र.क्रिएटिव लोग रिश्ते निभाने में असमर्थ क्यों होते है ?

जब दूसरा व्यक्ति आपके जीवन में आ जाता है तो बहुत सारी बातें जो पहले आप खुले दिमाग से सोंच सकते थे वह नहीं हो पाता वे एक बंधन में बंध जाते हैं और वे ये नहीं चाहते कि कोई उसे बांधे. लेकिन ऐसा नहीं है बहुत सारे ऐसे भी है जिन्होंने शादी की है और सुखी है.

प्र.आपने जीवन में आए कंट्रोवर्सी को कैसे लिया?

मेरे साथ ‘स्टिंग ऑपरेशन’ हुआ था ,उस समय गोविंदा और सलमान खान ने मेरा साथ दिया. उन्होंने सलाह दी थी कि मैं अपना काम करूँ, इन बातों पर अधिक ध्यान न दूँ. मैंने वैसा ही किया. मैं बहुत अपसेट था, पर धीरे-धीरे सब ठीक हुआ. कॅरियर पर इतना असर हुआ था कि निगेटिव रोल मिलने लगे थे.

प्र. यूथ जो दूसरे शहरों से यहाँ अभिनय के लिए चले आते है उनके लिए क्या मेसेज देना चाहते है?

कोई भी शॉर्टकट रास्ता नहीं होता, अगर आपमें अभिनय की प्रतिभा है और वैसा प्रूव हुआ है तो मेहनत करें. अगर नहीं तो कामयाबी हर क्षेत्र में मिलती है उसे चुने जो प्रतिभा आप में है.

प्र. क्या इंडस्ट्री में ग्लैमर, सफलता और पैसे को सम्हालना मुश्किल होता है?

वाकई मुश्किल होती है वहां आपकी फैमिली आती है. अगर फैमिली आपके साथ है आपकी ‘अपब्रिंगिंग’ ऐसी है कि आप किसी भी माहौल को सम्हाल सकते हैं तो कोई समस्या नहीं होती. मुझे याद आता है जब मैं सफल हो रहा था तो मेरा दिमाग भी एक तरह से घूम गया था. इसलिए मैं सोचता हूँ कि हमारे तीनों खान  25 साल से कामयाब है वे कैसे अपने आप को सम्हाले हुए हैं, सालों साल वे बड़े से बड़े होते ही जा रहे है.

प्र.आपकी ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है? क्या निर्माता या निर्देशक बनने की इच्छा है?

बहुत सारी फिल्में है जिसे मैं करना चाहता हूँ, सुनील दत्त की फिल्म ‘मदर इंडिया’, दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ आदि कई फिल्में अगर रीमेक हो तो करना चाहता हूँ. फिल्में या शो बनाना काफी रिस्की होता है चलेगी या नहीं चलेगी ये सोचना पड़ता है. आजकल आप कुछ कह नहीं सकते, ऐसे में बिना सोंचे समझे इस ओर पांव बढ़ाना नहीं चाहता.

प्र.परिवार में कौन-कौन है, जो आपके साथ रहते है?

मेरी माँ दिल्ली में रहती है बहन कोलकाता में है. मेरी एंगेजमेंट वंदना लालवानी के साथ हुई है कुछ दिनों में हम ‘डेट डीसाइड’ करने वाले है, हम इस साल के अंत तक शादी करने वाले है. वह भी इंडस्ट्री से है वह भी एक्ट्रेस है. मैं उनसे एक शो ‘शपथ’ के दौरान मिला था. करीब एक साल से मैं उन्हें जनता हूँ. एक क्षेत्र में रहने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, कई बार एक फिल्ड से होने पर भी वे साथ नहीं रह सकते. कई बार बाहर से आकर भी अच्छी तरह रह लेते है. मेरे हिसाब से वह हर एक व्यक्ति पर निर्भर करता है.

व्यवस्थित निवेश, चिंतामुक्त जीवन

सिस्टमेटिक यानी व्यवस्थित होना तमाम क्षेत्रों में सफलता की पहली शर्त होती है. बचत और निवेश के मामले में इसकी अहमियत ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बचत और निवेश में अनुशासन बरतने से बड़ी पूंजी इकट्ठी होती है और वह समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है.

इस मामले में कई मौकों पर दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन यदि इनसे सही तरीके से निपट लिया जाए तो आगे की राह आसान हो जाती है. एकमुश्त रकम इकट्ठी करना हमेशा आसान नहीं होता, लिहाजा नियमित बचत को आदत बना लेना चाहिए.

अनुशासित निवेश का सबसे सरल तरीका म्युचुअल फंडों में पैसा लगाना है, लेकिन सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) निवेश का ऐसा जरिया है, जो इस मामले में सहज अनुशासन सिखाता है.

सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप)

सिप किसी फंड में निश्चित अंतराल पर निश्चित रकम का नियमित निवेश है. आम तौर पर निवेश की दो किस्तों के बीच एक महीने का अंतर रखा जाता है.

सिप बिलकुल सहज तरीके से म्युचुअल फंड्स में निवेश करके सबसे ज्यादा संभव लाभ कमाने के रास्ते में आने वाली दो कठिनाइयों का समाधान करता है. पहला यह कि चूंकि सिप के तहत निश्चित रकम का नियमित निवेश किया जाता है और इस मामले में एनएवी (संपत्ति का निवल मूल्य) या बाजार में गिरावट या तेजी का ध्यान नहीं रखा जाता, लिहाजा निवेशक स्वत: कम मूल्यों पर ज्यादा यूनिटें खरीदता है.

नतीजतन यूनिटों की औसत कीमत कम रहती है, जिसका सीधा मतलब है ज्यादा कमाई. निवेश का एक आधारभूत सिद्धांत है ‘कम दाम में खरीदना और ऊंचे दाम में बेचना.” सिप सहज तरीके से यह जरूरत पूरी करता है.

यदि आप एक ही बार में बड़ी रकम निवेश करते हैं, तो आप ज्यादा कीमतों पर यूनिटें खरीदकर मुश्किल में पड़ सकते हैं. इसका मतलब होगा कि आपने अधिक एनएवी पर निवेश किया है. ऐसे में बाजार में गिरावट आने पर लाभ की रकम कम हो जाएगी. सिप इस समस्या से बचाता है.

इसके जरिए एक निश्चित अवधि में औसत कीमत पर निवेश किया जा सकता है. दूसरा फायदा यह है कि सिप से निवेश करते समय मनोवैज्ञानिक मदद मिलती है. निवेशक स्वाभाविक रूप से बाजार में पैसा लगाने की सही टाइमिंग की तलाश में रहते हैं. बाजार में जब गिरावट आती है तो आम तौर वे बिकवाली शुरू कर देते हैं, निवेश नहीं बढ़ाते.

निवेश का समय और रकम पहले से निर्धारित होती है. इसका फायदा होता है कि यह फैसला नहीं करना पड़ता कि अधिक-से-अधिक लाभ कमाने के लिए कब निवेश करना है. गैर-अनुभवी निवेशकों के लिए अपनी पूंजी से बढ़िया रिटर्न पाने की दिशा में यह सबसे बड़ी बाधा साबित होती है. दरअसल, जो निवेशक कम कीमत पर लिवाली करता है वह अंतत: फायदे में ही रहता है.

सिस्टमेटिक विड्रावल प्लान (एसडब्ल्यूपी) किसी फंड में किए गए निवेश को नियमित तरीके से भुनाने का प्लान है. इसके तहत निवेशक निश्चित रकम निकाल सकता है, निश्चित संख्या में यूनिटों की बिक्री कर सकता है या फिर एक निश्चित स्तर से ऊपर मुकम्मल रिटर्न निकाल सकता है. अन्य तमाम बातों के अलावा यह किसी इन्वेस्टमेंट फंड से नियमित आय का सुविधाजनक तरीका है.

सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी)

एसटीपी एक फंड से किसी दूसरे फंड में नियमित तरीके से निवेश ट्रांसफर करने की योजना है. यह सिप जैसा ही है, लेकिन इसमें निवेश की रकम दूसरे फंड से निकाली जाती है. एसटीपी का इस्तेमाल अक्सर तब किया जाता है, जब निवेशक के पास किसी इक्विटी फंड में डालने के लिए एकमुश्त रकम हो.

जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि हमेशा यही बेहतर होता है कि एक ही बार में बड़ी रकम निवेश करने की जगह सिप के जरिए नियमित तरीके से निवेश किया जाए. ऐसे मामलों में किसी एएमसी के डेट फंड में एकमुश्त रकम डाली जा सकती है और सीधे-सीधे निर्देश दिया जा सकता है कि हर महीने चुने हुए इक्विटी फंड में निश्चिम रकम ट्रांसफर की जाए. निवेश के इस तरीके को एसटीपी कहा जाता है.

सिस्टमेटिक प्लान से जुड़ी बातें

1.सिप बाजार के उतार-चढ़ाव की परवाह किए बगैर औसत लागत पर नियमित निवेश का तरीका है

2.सिप मुनाफा कमाने का पक्का साधन नहीं है. ऐसे हालात भी होते हैं, जब एकमुश्त निवेश से भी बेहतर आय हो सकती है.

3. ऐसा तब होता है, जब बाजार उस स्तर से कभी भी नीचे न आया हो, जिस स्तर पर निवेश शुरू किया गया था.

4.आम तौर लंबी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण सिप से बेहतर कमाई पक्की होती है.

5.यह कहने का कोई आधार नहीं है कि किसी खास तरीके का नियमित निवेश सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.

6.सिप के जरिए सबसे अधिक कमाई के लिए स्वाभाविक बचत चक्र पर ध्यान देने की दरकार होती है, इसी से तय करना चाहिए कि निवेश का अंतराल कितना हो.

सिप निवेशक की सुविधाओं के अनुरूप होना चाहिए. स्वाभाविक आय और बचत के आधार पर. निवेश की दो किस्तों के बीच एक महीने का अंतर हो सकता है, एक हफ्ते का या फिर तीन महीनों का भी.

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