देखें ‘एम क्रीम’ का TRAILER

सेंसर बोर्ड से ‘ए’ सर्टिफिकेट मिलि फिल्म ‘एम क्रीम’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ‘एम क्रीम’ का निर्देशन अग्नेय सिंह ने किया है.

डायरेक्टर अग्नेय सिंह का कहना है कि हालिया रिलीज ‘उड़ता पंजाब’ की तरह उनकी यह फिल्म भी ड्रग्स पर है, लेकिन दोनों में कोई तुलना नहीं है. अग्नेय ने बताया, उड़ता पंजाब’ और ‘एम क्रीम’ दोनों में ड्रग्स का चलन दिखाया गया है, पर दोनों में कोई समानता नहीं है.

उन्होंने कहा, उड़ता पंजाब’ के प्रोड्यूसरों ने नशे को समाज के लिए खतरा दिखाया है, जबकि हमारी सोच उलट है. देशभर में यूथ भांग और एलएसडी जैसे ड्रग्स को आजमा रहे हैं. अग्नेय का मानना है कि आजमाने या लेने की यह आदत युवाओं की तकलीफों में अहम रोल निभा रही है.

उन्होंने कहा,  हमें ढोंग बंद करने की जरूरत है. मैं उम्मीद करता हूं कि ‘एम क्रीम’ एक बड़ी बहस की राह खोल सकती है. फिल्म चार दोस्तों की एक टोली की कहानी है, जो एम क्रीम (चरस की पुरानी किस्म) की तलाश में हिमाचल प्रदेश की टूर पर निकलती है.

नसीरुद्दीन शाह के बेटे इमाद शाह और थिएटर एक्ट्रेस इरा दुबे स्टारर ‘एम क्रीम’ 22 जुलाई को रिलीज होगी. सेंसर बोर्ड ने इसमें एक भी कट नहीं लगाया है और इसे ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है.

महिलाओं के विकास में बाधा है कानून

कानून हो या धर्म, सब के निशाने पर महिलाएं ही होती हैं. उन्हें कमजोर मान कर जहां धार्मिक गुरुओं व पंडितों द्वारा बंदिशों व नियमों की दीवारें खड़ी की जाती हैं, तो वहीं कानून भी कहीं न कहीं महिलाओं के साथ नाइंसाफी करने से बाज नहीं आता और यह स्थिति सिर्फ भारत नहीं, विदेशों में भी है.

इक्वेडोर

यहां अबौर्शन गैरकानूनी है. सिर्फ मानसिक तौर पर अस्वस्थ महिलाओं को ही इस से अलग रखा गया है. अफसोस की बात तो यह है कि इस नियम का सहारा ले कर अकसर मिसकैरिज को भी अपराध बना दिया जाता है.

यमन

यमन में एक कानून यह है कि महिलाओं को कोर्ट के आगे पूर्ण व्यक्ति का दरजा नहीं मिलता. एक अकेली महिला की गवाही को गंभीरता से नहीं लिया जाता, जब तक कि एक पुरुष अपनी गवाही से उस तथ्य की पुष्टि नहीं करता. वह पुरुष उस जगह, उस समय मौजूद न हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता. व्यभिचार, मानहानि, चोरी वगैरह के मामले में महिलाएं गवाही नहीं दे सकतीं.

यहां महिलाएं अपने पति की अनुमति के बिना घर से नहीं निकल सकतीं. कुछ आपातकालीन स्थितियों में ही उन्हें छूट दी जाती है जैसेकि अपने बीमार अभिभावक की देखभाल या अस्पताल ले जाने की.

सऊदी अरब

यहां महिलाएं ड्राइव नहीं कर सकतीं. तर्क दिया जाता है कि ड्राइविंग से महिला के गर्भाशय पर असर पड़ता है. मगर इस तथ्य का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

वैटिकन सिटी

दुनिया का यह एकमात्र ऐसा देश है जहां महिलाओं को वोट डालने का हक कानून नहीं देता. अब तक सऊदी अरब भी इसी श्रेणी में शुमार था, पर 2015 के चुनाव में उस ने इस परंपरा पर विराम लगाते हुए महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया.

सऊदी अरब ऐंड मोरक्को

ऐसे बहुत से देश हैं, जहां बलात्कार पीडि़ता को न्याय नहीं मिल पाता. मगर इस से भी अफसोसजनक यह है कि कुछ देश बलात्कार पीडि़ता को ही दंड देते हैं. सऊदी अरब व मोरक्को में ऐसा ही होता है. तर्क ये दिए जाते हैं कि वह महिला, पुरुष साथी के बगैर घर से क्यों निकली? किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अकेली क्यों थी जो उस का रिश्तेदार नहीं?

भारत

भारत में भी ऐसे बहुत से कानून हैं, जो पक्षपातपूर्ण हैं:

– एडवोकेट ऐंड सोशल वर्कर अनुजा कपूर कहती हैं कि भले ही ससुराल में महिला के साथ बुरा व्यवहार होता रहा हो, पर उस की मौत के बाद यदि महिला के पति या बच्चे जीवित न हों, तो ऐसी स्थिति में हिंदू लौ औफ इनहैरिटैंस के अंतर्गत उस की संपत्ति स्वत: उस के अपने मांबाप के बजाय उस के सासससुर के नाम हो जाएगी.

– 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ संबंध कायम करना रेप माना जाता है, मगर एक पुरुष अपनी नाबालिग पत्नी के साथ कुछ भी कर सकता है. भारत में मैरिटल रेप से भी जुड़ा कोई कठोर कानून नहीं है.

– एक पुरुष के लिए शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री के लिए 18 वर्ष है. यह एक तरह से पितृसत्तात्मक सोच का कानूनी विस्तार है, जिस के अंतर्गत माना जाता है कि एक पत्नी को सदैव पुरुष से कम उम्र का होना चाहिए.

– गोवा में एक हिंदू दूसरी शादी कर सकता है, यदि उस की पहली पत्नी 30 साल की उम्र तक उसे वारिस न दे पाए.

– भले ही एक महिला को बच्चे के जन्म और पालनपोषण में पुरुष से ज्यादा तकलीफ सहनी होती है, फिर भी अभिभावक के तौर पर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं हैं. एक पिता को ही बच्चे का स्वाभाविक अभिभावक माना जाता है.

हिंदू लौ औफ अडौप्शन ऐंड मैंटेनैंस

1956 के अनुसार कोई भी पुरुष बच्चा अडौप्ट कर सकता है. उसे सिर्फ पत्नी की सहमति की जरूरत पड़ती है. मगर महिला अपने नाम से तभी बच्चा अडौप्ट कर सकती है, जब वह विधवा हो, अविवाहित हो या उस का पति मानसिक रूप से स्वस्थ न हो या नपुंसक हो या साधू बन गया हो.

सवाल यह है कि इतने सारे नियम सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों बनाए गए हैं.

अनुजा कपूर कहती हैं कि कुछ कानून महिलाओं के हित में भी बनाए गए हैं. मगर ये कमजोर पड़ जाते हैं, क्योंकि इन का प्रौपर इंप्लिमैंटेशन नहीं होता. कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो महिलाओं के फेवर में बने कानूनों का गलत प्रयोग कर इस की सार्थकता को संदेह के घेरे में खड़ा कर देती हैं.             

‘शोरगुल’ फिर विवाद में, मुजफ्फरनगर में बैन

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगों पर आधारित फिल्म ‘शोरगुल’ विवादों में घिर गई है. सूत्रों के मुताबिक फिल्म मुजफ्फरनगर में बैन हो गई है. वहीं मुजफ्फरनगर सिनेमा एसोशियन कह रहा है कि उन्हें नुकसान का डर है इसलिए सभी सिनेमा मालिकों ने प्रशासन को फिल्म का प्रदर्शन ना करने की लिखित सहमति दी.

फिल्म निर्माता ने दावा किया है कि प्रशासन ने कुछ दृश्यों को निहायत आपत्तिजनक बताते हुए फिल्म से सामाजिक सौहार्द्र को खतरा पैदा होने का डर बताया है और फिल्म को मुज्जफरनगर में बैन कर दिया है. हालांकि मुजफ्फरनगर के जिला अधिकारी ने इस मामले में कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया है.

फिल्म में मुजफ्फरनगर हिंसा के अलावा गोधरा, बाबरी मस्जिद दंगों जैसे गंभीर विषयों को भी उठाया गया है. साथ ही फिल्म में नौकरशाहों के कुकमार, चालबाजियों और कुछ हाई प्रोफाइल शख्सियतों से जुड़े विवादास्पद मामलों का भी जिक्र है.

फिल्म के निर्माताओं में से एक व्यास वर्मा ने कहा, ‘हमने बार-बार कहा है कि ‘शोरगुल’ किसी विशिष्ट घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि यह समाज में जो हो रहा है, उसका प्रतिबिंब है. इसमें उन मुद्दों को उठाया गया है जो देश के लिए चिंता का विषय हैं. उत्तर प्रदेश केवल फिल्म की पृष्ठभूमि है.’

उन्होंने कहा, ‘यह खबर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है. मैं प्रशासन से पूछना चाहता हूं कि वह खासतौर पर मुजफ्फरनगर में फिल्म पर क्यों रोक लगा रहा है. क्या उन्हें किसी खास बात का डर है? क्या मुजफ्फरनगर के लोगों को यह देखने का हक नहीं है कि देश में क्या हो रहा है? हर नागरिक को फिल्म देखने का अधिकार है क्योंकि फिल्म में आम आदमी की आवाज उठाई गई है.’

फिल्म के सह निर्माता अमन सिंह ने कहा, ‘हमारी इच्छा किसी भी राजनैतिक दल को बदनाम करने की नहीं है. हम निश्चित ही यह चाहते हैं कि महत्वपूर्ण मुद्दे उठें और चाहते हैं कि लोग फिल्म देखकर ऐसे सवालों के साथ घर लौटें जिसके जवाब एक अधिक तार्किक भारत की तरफ ले जाते हों.’

इस महीने के शुरू में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता मिलन सोम ने फिल्म के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहति याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

फिल्म में जिमी शेरगिल, संजय सूरी, आशुतोष राणा प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

घर बेचने पर टैक्स से कैसे बचें?

जब आप घर बेचते हैं तो कैलेंडर पर भी नजर रखिए. अगर इसकी टाइमिंग सही नहीं हुई तो आपको काफी टैक्स चुकाना पड़ सकता है. अगर प्रॉपर्टी को खरीदने के तीन साल के अंदर बेचा जाता है तो इससे होने वाले प्रॉफिट को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इस रकम को आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाएगा और उसके बाद आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स वसूला जाएगा. इसका मतलब यह है कि जो लोग साल में 10 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें ऐसे ट्रांजैक्शन पर मुनाफे का 30 पर्सेंट टैक्स चुकाना पड़ेगा.

वहीं, घर पांच फाइनेंशियल ईयर के अंदर बेचा जाता है तो इस पर आपको टैक्स बेनेफिट से हाथ धोना पड़ सकता है. आपने प्रिंसिपल री-पेमेंट, स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन पर सेक्शन 80 सी के तहत जो टैक्स छूट क्लेम की होगी, वह रिवर्स हो सकती है और घर बेचने वाले साल में रकम टैक्सेबल हो सकती है. इसमें सिर्फ सेक्शन 24बी के तहत इंटरेस्ट पेमेंट पर मिली छूट वापस नहीं ली जाएगी. इसलिए प्रॉपर्टी को कम से कम तीन साल के लिए होल्ड करना जरूरी है.

अगर आप प्रॉपर्टी को तीन साल के बाद बेचते हैं तो प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इंडेक्सेशन के बाद इस पर 20 पर्सेंट के हिसाब से टैक्स लगेगा. इंडेक्सेशन में होल्डिंग पीरियड के दौरान महंगाई दर के असर को शामिल किया जाता है और उस हिसाब से घर खरीदने की कीमत में एडजस्टमेंट होता है. इससे घर बेचने वाले के टैक्स के बोझ में काफी कमी आती है. इसके दूसरे फायदे भी हैं.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मामले में ओनर कई एग्जेम्पशंस क्लेम कर सकता है, जो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में नहीं मिलता. इस बारे में एचएंडआर ब्लॉक इंडिया के वैभव सांकला ने बताया, ‘घर को रिपेयर करने और उसके रेनोवेशन पर आपने जो पैसा खर्च किया है, उसे प्रॉपर्टी खरीदने की कीमत में जोड़कर आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं. वहीं, प्री-कंस्ट्रक्शन पीरियड में आपने जो ब्याज चुकाया है, उसे भी कॉस्ट में जोड़ा जा सकता है बशर्ते उस पर पहले छूट हासिल ना की गई हो.’

घर बेचने से हुए प्रॉफिट से अगर दो साल के अंदर आप दूसरी प्रॉपर्टी खरीदते हैं या तीन साल के अंदर कोई घर बनाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. दो और तीन साल की यह रियायत तब भी लागू होती है, जब आपने पहला घर बेचने से पहले ही दूसरा घर खरीद लिया हो. हालांकि, इसके लिए प्रॉपर्टी का सेलर के नाम पर खरीदा जाना जरूरी है. इस तरह के मामलों में अगर पूरे कैपिटल गेन का इनवेस्टमेंट नहीं होता है तो बची हुई रकम पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.

लजीज खाने के शौकीन हैं तो चलिए हैदराबाद

भारत के प्रमुख नगरों में से एक हैदराबाद अपनी ऐतिहासिक इमारतों और बहुसांस्कृतिक सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है. आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद तेलंगाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है. हिन्दू और मुसलमान के एकता और भाईचारे का प्रतीक यह शहर सूचना क्रांति के क्षेत्र में भी आगे है.

कुतुब शाही वंश के संस्थापक कुली कुतुब शाह ने 1591 ईसवी में मूसी नदी के किनारे हैदराबाद शहर बसाया था. 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान कुतुब शाही सल्तनत का यहां शासन था. उसके बाद कुछ समय तक यहां मुगलों का भी शासन रहा. खूबसूरत इमारतों, निजामी शानो-शौकत और लजीज खाने के कारण मशहूर हैदराबाद भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी एक अलग अहमियत रखता है.

हैदराबाद और सिंकदराबाद दो जुड़वाँ शहरों के नाम से जाने जाते हैं. इन दोनों शहरों को विभाजित करने वाली झील हुसैन सागर झील है, जो अपनी नायाब खूबसूरती के कारण पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. स्वाद प्रेमियों के लिए तो हैदराबाद जन्नत के समान है. यहाँ की लजीज बिरयानी और पाया की खूशबू दूर-दूर से पर्यटकों को हैदराबाद खींच लाती है.

नई-पुरानी संस्कृति के संगम के रूप में उभरता हैदराबाद सदियों से निजामों का प्रिय शहर और मोतियों के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है. हैदराबाद इस शहर का यह नाम कैसे पड़ा इसके पीछे छिपी है एक प्रेम कहानी. शुरुआत में भाग्यनगर कहलाने वाले इस शहर का नाम बदल कर हैदराबाद इसलिए हुआ क्योंकि इब्राहिम कुतुबशाह के पुत्र मुहम्मद कुली का प्रेम मूसी नदी के पार छिछलम गांव की भागमती से हो गया. पिता ने पुत्र की इस प्रेमयात्रा को सरल बनाने के लिए नदी पर एक पुल बनाया. भागमती के साथ मुहम्मद कुली का निकाह होते ही भागमती का नाम हैदर महल रखा गया और भाग्यनगर का नाम बदल कर हैदराबाद कर दिया गया.

हैदराबाद के मुख्य आकर्षण

चार मीनार

हैदराबाद की शान और पर्याय के रूप में चार मीनार इस शहर का सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र है. मुहम्मद कुली ने अपनी बीवी के गांव की जगह इसका निर्माण 1591 में शुरू किया और इन चारों मीनारों को पूरा बनने में करीब 21 साल लगे.

सालारजंग संग्रहालय

जितने शौकीन यहां के निजाम थे, उनके मंत्री भी उतने ही कलाप्रेमी थे. सातवें निजाम के प्रधान मंत्री के रूप में नवाब मीर यूसुफ अली खान का शौक अद्भुत कलाकृतियों का संग्रह था. उनकी जुटाई कलाकृतियों व किताबों को बहुत सुंदर ढंग से सजाकर रखा गया है सालार जंग संग्रहालय में.

गोलकोंडा किला

हैदराबाद मुख्य शहर से करीब 10 किमी दूर पर गोलकोंडा किला इतिहास का एक ऐसा पन्ना है, जिसे बार-बार पढ़ने की इच्छा हर पर्यटक के मन में होती है. 800 साल पुराने इस किले के खंडहरों को देख कर स्थापत्य कला के प्रति कुतुबशाही वंश के राजाओं का रुझान स्पष्ट हो जाता है. इसमें आठ विशाल द्वार हैं. सात किमी की गोलाई में इस किले का निर्माण ग्रेनाइट से हुआ है. रानी महल के खंडहरों में शाही हमाम, मस्जिदों, मंदिरों व दीवाने आम के हॉलों का आज भी देखा जा सकता है. गोलकोंडा में अरब व अफ्रीका के देशों के साथ हीरे व मोतियों का व्यापार होता था. विश्व प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर हीरा यहीं मिला था.

फलकनुमा महल

हैदराबाद के निजामों की शानों-शौकत और कला के प्रति बेहद प्यार की एक झलक आपको आखिरी निजाम द्वारा बनवाए गए फलकनुमा महल में भी देखने को मिलेगी. 1884 में यह महल पूरी तरह तैयार हुआ और इसे बनने में 9 वर्ष लगे. यहां के कालीन, फर्नीचर, मूर्तियां तथा महल के अंदर की दीवारों पर की गई बेहद उम्दा नक्काशी और चित्रकारी देखने लायक हैं.

हैदराबादी कुज़ीन

हैदराबाद की सैर करते-करते आपको यहां के मशहूर व्यंजनों की मदहोश करने वाली खुशबू शहर के किसी न किसी कोने से आपको जरूर मिल जाएगी और आप अपना रुख उसी ओर करते दिखाई देंगे. जी हां, हैदराबाद की कच्चे गोश्त की बिरयानी का नाम सुनते ही और खुशबू पाते ही खाने के शौकीन लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. कुछ लोग तो इस खास बिरयानी का जायका लेने खासतौर पर हैदराबाद जाते हैं. कच्चे गोश्त व चावल को धीमी आंच पर मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है. कई तरह के खुशबूदार मसालों व केसर के केसरिया रंग से सजी बिरयानी आंध्र प्रदेश के व्यंजनों की सरताज है.

निजामों के इस शहर हैदराबाद में अन्य मुगलई व्यंजन भी हैं, जिनके जायके आपको यहीं मिलेंगे. हांडी का गोश्त, काली मिर्च का मुर्ग, जाली के कबाब, सीक व शामी कबाबों का जायका लेने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. गोश्त के साथ रुमाली या तंदूरी रोटी खाना आम है, पर खमीरी शीरमल के साथ गोश्त का मजा बिलकुल अलग होता है.

शाकाहारी लोगों के लिए भी कई तरह के स्वाद हैं जिनमें इडली, डोसा, सांबर व नारियल की चटनी के साथ-साथ चूरन के करेले व बघारे बैंगन विशेष हैं. तिल व पिसी मूंगफली की ग्रेवी में बने चटपटे बघारे बैंगन सिर्फ आंध्र प्रदेश की खासियत हैं जिनमें छोटे-छोटे गोलाकार बैंगनों का प्रयोग किया जाता है. भोजन में पापड़ भुने हों या तले व विभिन्न प्रकार की चटनियों के स्वाद से हैदराबादी खाने का मजा दुगना हो जाता है. यहां भी भोजन का अंत मीठा खाकर ही होता है. सेवई, खीर या खुबानी का मीठा इनमें खास है.

रामोजी फिल्म सिटी

रोजमर्रा की जिंदगी से जब मन उचटने लगता है, तो किसी ऐसी जगह जाने की इच्छा होती है, जहां कुछ नया, कुछ अलग हो और कुछ दिन परिवार समेत आराम से मौजमस्ती की जा सके. हैदराबाद के निकट रामोजी फिल्म सिटी ऐसा ही स्थान है. कहने को तो यह फिल्मों की शूटिंग का एक केंद्र है, लेकिन यह एक ऐसी जगह भी है जो अपने अंदर पर्यटन के कई आयाम समेटे हुए है. यहां कुदरत के नजारे भी हैं और ऐतिहासिक स्थल भी. मेले जैसा कोलाहल है तो अद्भुत शांति भी. देशी-विदेशी जगहों पर घूमने के आनंद के साथ ही यहां रहस्य और रोमांच के अनुभव भी हैं. रोमांटिक हॉलीडे मनाने के लिए यह स्वर्ग जैसा है तो बच्चों के लिए किसी परिलोक से कम नहीं.

कैसे पहुंचे

भारत के प्रमुख शहरों से हैदराबाद के लिए नियमित उड़ानें हैं. सड़क मार्ग से भी यह पूरे देश से जुड़ा है. देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से यह रेलमार्ग से भी जुड़ा है. दिल्ली से रेल से हैदराबाद पहुंचने में करीब 26 घंटे लगते हैं.

कहां ठहरें

आईटीसी होटल काकतीय शेरेटन एंड टॉवर्स, ताज कृष्णा व रेसिडेंसी, होटल कम्फर्ट इन यहां के स्टार होटल हैं. इसके अलावा होटल चारमिनार, होटल पर्ल ऑर्फ द ओरियंट में भी ठहरा जा सकता है.

कैसे और कब जाएँ हैदराबाद

वैसे तो आप वर्षभर में कभी भी हैदराबाद जा सकते हैं परंतु यदि आप यहाँ की झुलसाती गर्मी से बचना चाहते हैं तो अप्रैल-मई माह छोड़कर कभी भी हैदराबाद जा सकते हैं.

हवाईअड्डा- शमशाबाद हवाईअड्डा

रेलवे स्टेशन- सिंकदराबाद, नामपल्ली, काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन

तीनों खान की आभारी हूं: अनुष्का

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा इंडस्ट्री के तीनों खानों की आभारी हैं. यह बात उन्होंने खुद कही है. कई अभिनेत्रियों की ख्वाहिश शाहरुख, आमिर और सलमान के साथ काम करने की रहती है लेकिन इन तीनों खानों के साथ स्क्रीन साझा कर चुकी अनुष्का शर्मा ने कहा कि ज्यादा दर्शकों तक उनका काम पहुंचाने में मदद करने के लिए वह उनकी शुक्रगुजार हैं.

अनुष्का ने 2008 में ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से बॉलीवुड में कदम रखा था, जिसमें उन्होंने शाहरुख के साथ काम किया था और 2014 में उन्होंने ‘पीके’ में आमिर के साथ फिल्म की. वह अब सलमान के साथ ‘सुल्तान’ में दिखेंगी.

अनुष्का ने कहा, ‘‘ एक अभिनेत्री के तौर पर मेरे लिए तीनों खानों के साथ काम करने का जबर्दस्त अनुभव है. उनके पास वह हर संभव तुजर्बा है जो फिल्म उद्योग में किसी के पास नहीं हो सकता है. वे तकरबीन दो दशक से ज्यादा से है. उनके साथ काम करने के दौरान कोई भी बहुत कुछ जान सकता है और सीख सकता है. इसके अलावा, मैं बहुत अभारी हूं कि उनकी वजह से मेरा काम ज्यादा लोगों तक पहुंच रहा है.”

28 वर्षीय अदाकार ने कहा कि हालांकि वह शीर्ष अभिनेताओं के साथ काम कर चुकी है लेकिन अपने सह अभिनेताओं को चुनना कभी भी उनके दिमाग में नहीं रहता बल्कि निदेशक और पटकथा उनकी प्राथमिकता होती है.

‘अकीरा’ का टीजर पोस्टर रिलीज

सोनाक्षी सिन्हा ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी अपकमिंग फिल्म ‘अकीरा’ का पहला टीजर पोस्टर जारी किया है. पोस्टर में सिर्फ सोनाक्षी का चेहरा नजर आ रहा है. सोनाक्षी के चेहरे पर दाईं आंख के पास एक चोट का निशान नजर आ रहा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सोनाक्षी भी इस फिल्म में कई स्टंट करते हुए नजर आएंगी.

ए आर मुरुगदॉस निर्देशित ‘अकीरा’ एक एक्शन ड्रामा है, जिसकी टैग लाइन “किसी को माफ नहीं किया जाएगा” है. सोनाक्षी सिन्हा ने फिल्म के पोस्टर के साथ ट्वीट किया, ‘लाइट, कैमरा, एक्शन…#अकीरा.’ बताया जा रहा है कि फिल्म में सोनाक्षी मार्शल आर्ट स्टंट करते हुए नजर आएंगी.

‘अकीरा’ में शत्रुघ्न सिन्हा भी अहम भूमिका में दिखाई देंगे. यह पहला मौका होगा, जब सोनाक्षी और शत्रुघ्न स्क्रीन शेयर करते हुए नजर आएंगे. ‘अकीरा’ तमिल फिल्म ‘मोनारगुरु’ का रीमेक है.

बॉलीवुड में अक्सर देखा गया है कि फिल्म की रिलीज तारीख को लेकर मारा-मारी मची रहती है. अब ऐसा ही सोनाक्षी सिन्हा की ‘अकीरा’ और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की जिंदगी पर बन रही फिल्म ‘एम.एस. धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी’ के बीच भी हुआ है.

हालांकि दोनों ही फिल्म फॉक्स स्टार स्टूडियो की है लेकिन पहले 2 सितंबर को रिलीज हो रही धोनी की जिंदगी पर बन रही फिल्म अब 30 सितंबर को रिलीज होगी जबकि ए.आर. मुरुगदॉस निर्देशित ‘अकीरा’ 2 सितंबर को रिलीज होगी. हालांकि फिल्म को पहले 23 सितंबर को रिलीज करने की योजना थी. मुरुगदॉस ‘अकीरा’ से पहले ‘गजनी’ और ‘हॉलिडे’ जैसी सुपरहिट फिल्में बना चुके हैं.

इस फिल्म को लेकर सोनाक्षी कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड नजर आ रही हैं. उन्होंने ट्वीट किया ‘बदली हुई रिलीज डेट के साथ, क्योंकि आप और मैं यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर पा रहे हैं कि मुरुगदॉस ने मुझे ‘अकीरा’ के लिए कैसे बदला है.’

‘वीरे दी वेडिंग’, लड़कियों की पहली फिल्म

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान का कहना है कि ‘वीरे दी वेडिंग’ असल में देश में लड़कियों की पहली फिल्म होगी. उन्हें लगता है कि किसी ने भी अभी तक इस तरह की शैली में फिल्म बनाने का साहस नहीं किया है.

करीना ने कहा, ‘यह शायद भारत की पहली वास्तविक रूप में लड़कियों की फिल्म है. यह चार लड़कियों, चार दोस्तों के बारे में है जो फिल्म में मेरी (किरदार) शादी में एक साथ आती हैं. यह वास्तव में रोचक और मजेदार है. पश्चिम की फिल्मों में ऐसा देखा जाता रहा है लेकिन यहां कोई ऐसा नहीं है जो वास्तव में इस तरह की शैली में फिल्म बनाने का साहस करे.’

हाल में आई फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में डॉक्टर की भूमिका निभाने वाली करीना ने कहा, ‘आज के बदलते समय और सिनेमा में मुझे लगता है ऐसी फिल्में बनाना आसान है क्योंकि आजकल लोग भी ऐसी फिल्में देखना चाहते हैं.’

‘वीरे दी वेडिंग’ फिल्म में करीना के अलावा सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा तल्सानिया हैं. इसका निर्माण रिया कपूर और एकता कपूर ने किया है. करीना ने कहा, ‘यह अद्भुत फिल्म है. इसकी निर्माता भी दो महिलाएं हैं और फिल्म सिर्फ अभिनेत्रियों से सजी है.’

महिला का प्रेजैंटेबल होना आवश्यक

हमेशा अलग तरह का काम करने की चाह रखने वाली और हंसमुख स्वभाव की पल्लवी पुरी इस समय टाटा स्काई की चीफ कमर्शियल औफिसर हैं. इस से पहले वे कई कंपनियों में काम कर चुकी हैं.

मुंबई की पलीबढ़ी पल्लवी ने अपनी शुरू की और उच्च शिक्षा यहीं से प्राप्त की. उन की बचपन से ही कुछ अलग काम करने की इच्छा थी. शुरू से वे टाटा स्काई की सब्सक्राइबर थीं. पर इस कंपनी में काम करेंगी, यह पता नहीं था.

वे कहती हैं कि इस कंपनी के अपने ग्राहकों से बहुत अच्छे संबंध हैं. अगर ग्राहक को कोई समस्या होती है तो कंपनी की तरफ से उस का तुरंत समाधान मिल जाता है. यह इनोवेटिव कंपनी है, जो हमेशा नई तकनीक ग्राहकों को मुहैया कराती है.

चुनौतीपूर्ण काम

पल्लवी कहती हैं कि इस क्षेत्र में काम करना आसान नहीं. कुछ नया ही लोगों को आकर्षित करता है. ग्राहकों को नियमित न्यू प्रोडक्ट सर्विस देनी पड़ती है. यह कोशिश काफी चुनौतीपूर्ण होती है. हर चैनल कुछ न कुछ नया कार्यक्रम देता है. ऐसे में हमारी सर्विस में क्या अलग है, क्या अच्छा है, क्या नया है आदि सोचना पड़ता है ताकि ग्राहक उत्साहित हों. उन की रुचि बनी रहे.

पिछले साल हम ने कई नई सर्विसेज लौंच कीं, जिन में ऐक्टिव फिटनैस, ऐक्टिव डांस, कौमेडी, ऐक्टिव स्मार्ट मैनेजर आदि खास हैं. ये इंटरैक्टिव सर्विसेज हैं. लोगों की मांग पर ‘मोबाइल ऐप’ भी लौंच किया गया है, क्योंकि आजकल स्मार्टफोन का चलन बढ़ रहा है. टीवी के अलावा स्मार्टफोन पर भी लोग अपने पसंदीदा कार्यक्रम देखना चाहते हैं. यदि आप किसी कार्यक्रम को निर्धारित समय पर नहीं देख पाते हैं, तो उसे बाद में अपनी सुविधानुसार देख सकते हैं. इंटरैक्शन सर्विसेज स्पैशल सर्विसेज हैं, जो 13 हैं. इन सेवाओं का उद्देश्य ग्राहकों को जिन में खासकर महिलाएं होती हैं, उन से जुड़ना होता है.

अगर आप ने कोई रैसिपी या फिटनैस का वीडियो देखा है तो उसे आप एक बटन के द्वारा ‘सेव’ कर सकते हैं, आप को लिखने की जरूरत नहीं होती और फिर आप जब तक चाहें उसे सेव रख सकते हैं. इस सर्विस में आप फिटनैस ऐक्सपर्ट या किसी भी ऐक्सपर्ट से बात कर अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं.

ग्राहकों का पूरा ध्यान

पल्लवी कहती हैं कि ग्राहकों के रिस्पौंस के आधार पर सारी सेवाएं लौंच की जाती हैं, जिन में कुछ नई होती हैं तो कुछ को रिवाइज्ड कर नया बनाया जाता है. यह काम अपने हिसाब से नहीं वरन ग्राहकों की जरूरतों को जानने के बाद ही किया जाता है. आज टाटा स्काई का पूरे देश में काफी अच्छा रिस्पौंस है. यह हर वर्ग के लिए है.

इन सर्विसेज को अधिक रुचिकर बनाने के लिए पल्लवी सैलिब्रिटी का भी सहारा लेती हैं, जो काफी मुश्किल होता है. माधुरी दीक्षित की एक कंपनी ‘डांस विद माधुरी’ से टाटा स्काई ने टाईअप किया है. इस से लोगों को घर बैठे माधुरी के डांस स्टैप्स सीखने का मौका मिलता है. शिप्रा खन्ना के ‘मास्टर क्लास’ कार्यक्रम में शिप्रा केवल व्यंजन बनाने की विधियां नहीं बतातीं, बल्कि उन्हें कैसे अलगअलग तरीकों से सजाना है, यह भी जानकारी देती हैं. प्रेजैंटेशन को खाने में अधिक महत्त्व दिया जाता है. कार्यक्रम को देखने वाला अपनी राय ‘अपलोड’ कर शेयर कर सकता है. इतना ही नहीं, अब हम एक परिवार के कुकिंग स्टाइल को दूसरे परिवार के कुकिंग स्टाइल से जोड़ने की भी कोशिश कर रहे हैं,

जिस के तहत महिलाएं या पुरुष अपने हाथ की बनी साधारण दाल का भी वीडियो अपलोड कर सकते हैं. इस से एक ही डिश अलगअलग कैसे बनती है, इस का पता लगेगा. इस सर्विस के बाद मेरे पास हजारों की संख्या में लोगों की रैसिपीज आईं.

पल्लवी के हिसाब से यह सेवा देश के कोनेकोने में फैल चुकी है. हर कोई इस सर्विस से संतुष्ट है, क्योंकि यहां दिखाया जाने वाला कार्यक्रम हर वर्ग के लिए होता है.

पल्लवी के इस काम में उन के परिवार का पूरा सहयोग रहता है. सासससुर, मातापिता, नानानानी, पति और 10 साल की बेटी सब का सहयोग किसी न किसी रूप में उन्हें अवश्य रहता है. वे हर दिन की प्लानिंग अपने हिसाब से करती हैं.

पल्लवी के अनुसार आज की महिला का हमेशा प्रेजैंटेबल होना आवश्यक है. इस से उस का आत्मविश्वास बढ़ता है, काम करने में शक्ति मिलती है. पल्लवी के पास हमेशा समय का अभाव रहता है. वे कहती हैं कि दफ्तर जाते वक्त वे अकेली होती हैं. वह समय उन का अपना होता है. तब वे संगीत सुनना पसंद करती हैं, अपने दोस्तों, परिवार वालों से बातें करती हैं.

जब पकड़ी गई रणवीर की चोरी

पकड़ी गई बाजीराव की चोरी. आने वाली फिल्म बेफिक्रे के लिए दिन रात मेहनत कर टोन्ड बॉडी बनाने वाले रणवीर खुद को रोक नहीं पाए और आखिर में पकड़े गए. हाल ही में रणवीर चोरी छिपे चॉकलेट स्प्रेड खाने की कोशिश में लगे थे. लेकिन ट्रेनर की नजर से नहीं बच पाए. फिर क्या था हर जगह रणवीर के साथ रहने वाले उनके ट्रेनर लोएड स्टीवन खुद को रोक नहीं पाए और तुरंत रणवीर के पास पहुंच गए. रणवीर को रोकते हुए लोएड की यह तस्वीर इतनी एक्युरेट क्लिक हुई कि खुद लोएड इसे शेयर करने से रोक नहीं पाए.

इससे पहले लोएड ने रणवीर की बेहतरीन बॉडी की एक तस्वीर शेयर की थी. लेकिन इस फनी फोटो को देख वो इतने हंसे कि उन्होंने इसे भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया.उन्होंने लिखा, वो मोमेंट जब पकड़ी गई रणवीर की चोरी, मेरी नजर तुम पर हमेशा है.

आदित्‍य चोपड़ा रनवीर सिंह को लेकर ‘‍बेफिक्रे’ नाम से फिल्‍म बना रहे हैं. इसमें हीरोइन वाणी कपूर हैं. इस फिल्म के साथ वह सात साल बाद बतौर डायरेक्टर वापसी करने वाले हैं. रोचक बात है कि आदित्‍य चोपड़ा पहली बार बिना शाहरुख खान के फिल्‍म बना रहे हैं. इससे पहले उन्‍होंने तीन फिल्‍में बनाई थी, दिलवाले दुल्‍हनियां ले जाएंगे, मोहब्‍बतें और रब ने बना दी जोड़ी. इन तीनों में शाहरुख मेन लीड में थे.

 

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