बेहतरीन ब्यूटी प्रोडक्ट है चायपत्ती

चाय की चुस्क‍ियां लेते समय क्या आपने कभी ये सोचा है कि इसका इस्तेमाल और किस तरह से कर सकते हैं. शायद आपको पता न हो लेकिन चाय की पत्त‍ियां एक बेहतरीन ब्यूटी प्रोडक्ट हैं, जिनका इस्तेमाल न केवल त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने के लिए किया जाता है बल्क‍ि ये बालों की सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

आमतौर पर ग्रीन टी को ही ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में देखा जाता है लेकिन चाय की पत्ती चाहे जो भी हो, उसका इस्तेमाल खूबसूरती निखारने के लिए किया जा सकता है. चाय की पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है. इसके अलावा इसमें anti-aging और anti-inflammatory गुण भी पाए जाते हैं. आप चाहें तो अपनी इन ब्यूटी प्रॉब्लम्स के लिए चाय की पत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं.

1. अगर आपके बाल रूखे-बेजान हैं  

बालों में चमक लाने के लिए आप ग्रीन टी या ब्लैक टी बैग्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके लिए एक बर्तन में पानी उबलने के लिए रख दें. इसमें कुछ टी-बैग्स भी डाल दें. 15 मिनट तक इस पानी को उबलने दें. इसके बाद ठंडा होने के लिए रख दें. बालों में शैंपू करने के बाद इस पानी को बालों में लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें. इसके बाद किसी माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें. एक वॉश में ही आपको फर्क नजर आने लगेगा.

2. सनबर्न से सुरक्षा के लिए

क्या तमाम सनस्क्रीन इस्तेमाल करने के बावजूद आपको सनबर्न की प्रॉब्लम हो गई है? अगर आपको सनबर्न दूर करने का कोई सही तरीका समझ नहीं आ रहा है तो एकबार टी-बैग्स का इस्तेमाल करके देखें. कुछ टी-बैग्स लेकर ठंडे पानी में डुबो दें. उन्हें हल्के हाथों से दबाकर चेहरे पर रखकर कुछ देर के लिए लेट जाए. इससे आपकी सनबर्न की प्रॉब्लम दूर हो जाएगी.

3. अगर कोई कीट-पतंगा काट ले तो

कई बार ऐसा होता है कि पार्क या बगीचे में जाने पर हमें कोई कीट-पतंगा काट लेता है. चाय की पत्त‍ियों का ये फार्मूला आप किसी भी कीट के काटने पर अपना सकते हैं. वो चाहे मच्छर ही क्यों न हो. इफेक्ट‍िव जगह पर ठंडे टी-बैग्स रखने से बहुत जल्दी फायदा होता है.

4. डार्क सर्कल दूर करने के लिए

अगर आपकी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं या फिर आपकी आंखें पफी-पफी रहती हैं तो भी ठंडे टी-बैग्स का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. इसमें मौजूद कैफीन आंखों के नीचे के काले घेरों को दूर करने में मदद करता है.

5. पैरों की बदबू दूर करने के लिए

अगर आपके पैरों से बदबू आती है तो भी चाय पत्ती का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा. चाय की पत्त‍ियों को पानी में डालकर उबाल लें. जब ये पानी ठंडा हो जाए तो इसे किसी टब में डाल दें. पैरों को कुछ देर तक इसमें डुबोकर रखें. ऐसा करने से पैरों की बदबू दूर हो जाएगी.

6. और भी हैं कई फायदे

इसके अलावा चाय की पत्त‍ियों का इस्तेमाल ड्राई स्क‍िन को मॉइश्चराइज करने के लिए, आफ्टरशेव के रूप में और बालों का रंग बरकरार रखने के लिए भी किया जा सकता है.

पलकों को दें नेचुरल खूबसूरती

सुंदरता का मतलब खूबसूरत चेहरे से होता है. चिकनी त्‍वचा, बड़ी-बड़ी आंखें और सुंदर सी नाक व लाल होंठ, एक खूबसूरत चेहरे के मानक होते हैं. लेकिन आप कई लोगों को देखेंगे तो उनकी आंखें सुंदर होती हैं लेकिन उनमें पलकें नहीं होती हैं. नकली पलकें लगाना, लड़कियों के बीच खासा ट्रेंड बनता जा रहा है लेकिन इससे उनमें नेचुरल ग्‍लो नहीं आता है. ऐसे में बेहतर विकल्‍प है कि पलकों की देखरेख इस प्रकार की जाएं कि वो बढ़ सकें और सुंदर लगें.

1. केस्‍टर ऑयल या अरंडी का तेल: अरंडी के तेल में ऐसे गुण होते हैं जो पलकों को बड़ा बना देते हैं. इसे ऑयल को कॉटन की मदद से आंख बंद करके पलकों पर लगाएं. और सो जाएं. सुबह उठकर चेहरा धो लें. इससे पलकों को पर्याप्‍त विटामिन ई मिलेगा.

2. जैतून का तेल: जैतून का तेल लगाने से पलकें घनी हो जाती हैं और तेजी से बढ़ती हैं.

3. ब्रशिंग करें: पलकों को छोटे से ब्रश से ऊपर की ओर रोजाना तीन बार उठाएं. इससे उनमें रक्‍त का संचार अच्‍छे से होगा और उनमें गंदगी भी निकल जाएगी.

4. पेट्रोलियम जैली: पलकों को बड़ा करने के लिए आप उनमें नियमित रूप से पेट्रोलियम जेली भी लगा सकते हैं.

5. मसाज: पलकों को घना और स्‍वस्‍थ बनाने के लिए उनकी मसाज करें. इससे गंदगी दूर होगी, पलकों में रक्‍त का संचार अच्‍छे से होगा. मसाज के लिए अरंडी या जैतून के तेल का इस्‍तेमाल अच्‍छा रहेगा.

6. ग्रीन टी: ग्रीन टी को पानी में डालें और इस पानी से पलकों को भिगोंए. इससे पलकें स्‍वस्‍थ हो जाएगी.

कैंसर के लक्षण, पुरुष न करें इग्नोर

 कैंसर एक गंभीर बीमारी है. जिसका पता अगर शुरुआत में चल जाए तो आप इस समस्या से अपना बचाव आसानी से कर सकते हैं. इसके कई ऐसे लक्षण होते हैं. अगर आप उनपर थोड़ा ध्यान दें तो आप इस जानलेवा बीमारी से बच सकते हैं. महिलाएं ही नहीं पुरुष भी अधिक मात्रा में इस समस्या से ग्रसित हैं. जो कि ठीक ढंग से ध्यान न देने के कारण होता है.

एक अनुमान के मुताबिक पुरुषों में कैंसर से होने वाली मृत्यु; 31 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 10 प्रतिशत प्रोस्टेट, 8 प्रतिशत कोलोरेक्टल, 6 प्रतिशत पैंक्रिएटिक और 4 प्रतिशत लिवर कैंसर से होती हैं. अगर आप इस समस्या से बचना चाहते हैं तो इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें. जिससे आप इस समस्या से बच सकते है. जानिए इन लक्षणों के बारें में.

फीवर आना

फीवर कैंसर का एक सामान्य लक्षण होता है. कैंसर के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके कारण शरीर बीमारियों से खुद की रक्षा नहीं कर पाता और अक्सर बुखार की शिकायत होती है. इससे आपको ब्लड कैंसर, ल्यूकीमिया आदि लक्षण नजर आते हैं.

पीठ में दर्द

अधिक देर तक कुर्सी  पर बैठे रहने आदि से दर्द होना नार्मल है लेकिन आपको बराबर पीठ का दर्द सताता है तो आपको कोलोरेक्‍टल या प्रोस्‍टेट कैंसर हो सकता है. इसके अलावा आपकी कमर की मसल्स में भी दर्द रहता हैं.

आंत में हो किसी प्रकार की समस्या

आंतो में नार्मल प्राब्लम होना कोई बड़ी बात नहीं हैं,  लेकिन अगर बराबर आंतो में समस्या हो रही हो तो यह कैंसर के स्टार्ट का लक्षण हो सकता है. यह कोलेन या कोलोरेक्‍टल कैंसर हो सकता है. इस प्राब्लम में आपको पेट संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं.

यूरिन में बदलाव

जब आप वॉशरुम जाते हो तो आपको यूरिन करने में अधिक दर्द होता है या फिर ब्लड आए तो ये प्रोस्टेट कैंसर अथवा डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.

टेस्टिकल्‍स में चेंजमेंट

टेस्टिकल्‍स का बदलना टेस्टिकुलर कैंसर संकेत हो सकता है. अगर आपके टेस्टिकल्‍स का आकार बढ़ रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें. टेस्टिकुलर कैंसर ज्‍यादातर 20 से 39 साल की उम्र में होता है.

लगातार ब्लड का निकलना

अगर आपके शरीर से लगातार ब्लड गिर रहा हौ तो यह भी कैंसर का एक लक्षण हो सकता है. यह कोलेन कैंसर हो सकता है, लेकिन यह कैंसर 50 साल की उम्र की बाद होता है. इस समस्या में आपको मलाशय के साथ खून आता है. लेकिन आज के सम में ये किसी भी उम्र में हो सकता हैं.

लगातार वेट कम होना

आज के समय में वजन कम करने के लिए कई उपाय करते हैं, लेकिन अगर आपका वजन बिना कोई उपाय कम हो रहा है तो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अगर आपका वजन 10 पौंड से ज्यादा कम हो जाए,तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

जल्द थक जाना

बेवजह लगातार थका-थका महसूस करना कैंसर का शुरुआती लक्षण है. कैंसर की शिकायत होने पर मरीज बिना वजह थका-थका महसूस करता है. कभी-कभी तो वह हाथ पांव से काम करने लायक भी नहीं रहता.

अधिक खांसी आना

अगर आपको सर्दी-जुकाम में खांसी आए तो कई बात नहीं. अगर आपको बिना किसी कारण खांसी आए तो आपको लंग कैसंर की समस्या हो सकती है. अगर खांसी के साथ आपके मुंह से खून आ जाए तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.

स्किन में बदलाव

अगर आपकी स्किन एक दम से बदलाव आए तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते है. इससे आपकी स्किन सांवली या काली या फिर पीला होना भी कैंसर का होने का एक लक्षण हैं.

आ गया है चलता-फिरता टीवी

एंटरटेनमेंट की दुनिया में हमेशा कुछ नया करने की चाहत रखने वाली ‘जी डिजिटल कन्वर्जेंस लिमिटेड’ ने ‘डिट्टो टीवी’ को मुंबई में लौंच किया. यह एक प्रकार की ‘ऐप’ है जिसे मात्र 20 रुपये मासिक देकर डाउनलोड करने के बाद आप अपने मोबाइल फोन, टेबलेट या पीसी पर टीवी के सभी कार्यक्रम या धारावाहिक लाइव देख सकते है.

यह नया ‘ऐप’ दर्शकों को 100 से अधिक हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के चैनल देखने की सुविधा प्रदान करेगा, जिसमें मनोरंजन, खेल, फिल्म, न्यूज़ और लाइफस्टाइल चैनल भी शामिल होंगे.

इसे आसान बनाने के लिए कम्पनी ने आईडिया सेल्युलर के साथ हाथ मिलाया है, जिसके तहत ऐप के यूजर्स को प्रत्येक रिचार्ज के साथ मुफ्त 3जी और 4जी इन्टरनेट पैक्स का एक मासिक सबस्क्रिप्शन देगी.

जी एंटरटेनमेंट के एम डी और सी ई ओ पुनीत गोयनका का कहना है कि भारत में डिजिटल एंटरटेनमेंट क्षेत्र काफी मजबूत हो चला है. ऐसे में इस प्रकार की ‘ऐप’ उन्हें ये तय करने में सुविधा प्रदान करेगी कि वे टीवी कब और कहां देखें. यह पहले संभव नहीं था.

बिजनेस हेड अर्चना आनंद ने बताया कि “डिट्टो टीवी से लोगों के पास चलता फिरता टीवी हो सकेगा जो आज की तारीख में काफी जरुरी है. यह उनके लिए दूसरा स्क्रीन होगा जिसे वे जब चाहे तब चला सकते हैं. इसमें पिक्चर क्वालिटी ‘इन्टरनेट पैक’ की पॉवर पर निर्भर करेगा.” 3जी के मुकाबले 4जी की क्वालिटी ज्यादा अच्छी होगी.

इस अवसर पर टीवी ऍक्टर शब्बीर अहलुवालिया ने कहा कि पहले हम सेट पर रहकर अपनी परफॉर्मेंस देख नहीं पाते थे. अब हमें एक आसान विकल्प मिला है कि हम अपने परफॉर्मेंस को देख सके और जान पायें कि हमने अपने किरदार को कैसे निभाया है.

जिंदगी का अंत नहीं तलाक

दिल्ली की निकिता अपने तलाक के अनुभव को साझा करते हुए कहती हैं, ‘‘तलाक के बाद एकदम से लगा कि जिंदगी खत्म हो चुकी है. मेरा औफिस जाने का मन नहीं करता था, लोगों से बात करते हुए खुद को असहज महसूस करती थी. जब आप का तलाक होने वाला हो तो लोग बस आप से आप के संबंधों के बारे में ही पूछते हैं. इस से चिढ़ पैदा हो जाती है. मैं ने जौब छोड़ दी, पार्टियों में जाना बंद कर दिया, सोशल फंक्शन से बचने लगी. यहां तक कि अपने दोस्तों से भी बात करना छोड़ दिया. खुद को एक कमरे में बंद कर बीते दिनों के बारे सोचती रहती थी. कुछ समझ में नहीं आता था कि अब जिंदगी को पटरी पर कैसे लाऊं. मुझे इस स्थिति से निकलने में लंबा वक्त लगा.’’

सब खत्म नहीं हो जाता

गाजियाबाद की सोनम सिन्हा भी इस दुखद अनुभव से गुजर चुकी हैं. वे कहती हैं, ‘‘तलाक के बाद आप की जिंदगी एकदम बदल जाती है. आप अपनी पसंदीदा चीजों से नफरत करने लगती हैं. आप की हौबीज आप का साथ छोड़ चुकी होती हैं. आप की पर्सनल लाइफ की परेशानियों के आगे आप की प्रोफैशनल लाइफ दम तोड़ने लगती है. लगता है कि इस पूरी दुनिया में बस खाली आसमान आप के हिस्से में बचा है.’’

निकिता और सोनम दोनों के ये अनुभव वाकई काफी दर्दनाक हैं. इन के जैसी न जाने कितनी औरतें हैं, जो तलाक को अपनी जिंदगी का अंत मान बैठती हैं और खुद को नितांत अकेला चारदीवारी में बंद कर लेती हैं. कई बार वे नशे या किसी अन्य लत की शिकार भी हो जाती हैं. अकेलापन उन्हें अवसाद के दरवाजे तक ले जाता है और यहां मिलती है उन्हें मानसिक और शारीरिक बीमारियां.

एक नई शुरुआत

मगर खुद को अंधकार में धकेलने से पहले एक बार क्या हमें गौर से नहीं सोचना चाहिए? क्या तलाक के बाद जिंदगी जीने का बस यही एक तरीका बचता है? आप जरा सोच कर देखिए. तब आप को जवाब मिलेगा कि नहीं, कोई भी बदलाव इतना बड़ा नहीं हो सकता, जो हमारी जिंदगी खत्म कर दे. नई शुरुआत की संभावना हमेशा बनी रहती है. आप की जिंदगी भी फिर मुसकरा सकती है बस इन बातों का खयाल रखें:

– सिर्फ पेपर पर तलाक ले लेना ही पति से अलग हो जाना नहीं होता. हमारी पर्सनल लाइफ में तलाक का मतलब होता है खुद को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से अपने पार्टनर से अलग करना, खुद को भावनाओं के उस तूफान से बाहर निकालना जिस से तलाक लेने के दौरान गुजरना पड़ता है. यह सिर्फ एक परिवार भर से ही संबंधविच्छेद नहीं होता है, यह वर्षों से बने एक पूरे वक्त, एक याद से विच्छेद होता है. जिंदगी की नई शुरुआत के लिए इन सारी चीजों से रिश्ता खत्म करना पड़ता है.

–  सब से पहले अपने मन में यह स्वीकार करें कि आप की शादीशुदा जिंदगी खत्म हो चुकी है. अपनी नई जगह नई भूमिका के लिए खुद को तैयार करें. अपने वर्तमान और भविष्य में जीएं. भूत से आप का नाता टूट चुका है.

–  तलाक के बाद घरपरिवार के सदस्य ही सब से बड़ा संबल होते हैं. अगर वे बारबार पुरानी बातों को भूलने के लिए कह रहे हैं तो इस पर चिढ़ने या परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे ठीक कह रहे हैं. जरा सोचिए, पुरानी बातों को भूले बगैर क्या आप नई जिंदगी शुरू कर सकती हैं?

द्य  अगर आप ने अपनी जिंदगी में बदलाव लाने की ठान ली है तो इस की शुरुआत भी आप को खुद से ही करनी चाहिए जैसे आईने में एक बार फिर खुद को ब्यूटीफुल ऐंड गुड लुकिंग देखना, अपने पसंदीदा कपड़े पहनना, अपने चेहतों के साथ वक्त बिताना, कोई टेस्टी डिश बनाना.

– बदलाव की प्रक्रिया कभीकभी थोड़ी कष्टदाई होती है, क्योंकि पुरानी बातें और पुराने लोग जबतब आप को फिर से उसी अंधेरे में वापस ले जा सकते हैं. लेकिन आप को फिर से उसी गड्ढे में नहीं गिरना है, इस बात का आप को दृढ़ निश्चय करना होगा.

– अगर लीगल मैटर या बच्चों की वजह से आप को अपने ऐक्स से बात करनी पड़ रही है तो बात टू द पौइंट करें. बेवजह की बातें कर आप खुद को ही हर्ट करेंगी.

– तलाक के बाद आप के पुराने दोस्त हो सकता हो आप से मित्रता कायम रखने में रुचि न लें. लेकिन इस का यह मतलब नहीं है कि अब आप का कोई मित्र नहीं बन सकता. आप कोशिश जारी रखें. आप को जल्द ही कोई ऐसा मित्र जरूर मिल जाएगा, जो आप को हंसा भी सके और सही राह भी दिखा सके.

– आप कोई सपोर्टिव गु्रप जौइन कर सकती हैं. अपने जैसे और लोगों को ऐसी स्थिति से उबरता देख कर आप को भी हौसला मिलेगा. उन से बातें कर आप हलका महसूस करेंगी. इस से आप बेवजह के तनाव से भी जल्दी छुटकारा पाने में सक्षम होंगी.

– अपनी पुरानी हौबीज को फिर से जिंदा करें. पेंटिंग, गार्डनिंग, स्पोर्ट्स, बुक रीडिंग या मूवी देखना जो भी आप को पसंद हो उसे फिर से शुरू करें. अपनी बालकनी में कोई नया पौधा लगाएं. अपने लिविंगरूम की दीवार पर कोई प्रेरणात्मक कोटेशन लिख कर चिपकाएं और उसे बारबार पढ़ कर उस से प्रेरणा लेती रहें. अपने घर में कुछ दिनों के लिए कोई मेहमान बुलाएं और उन के साथ ऐंजौए करें.

– यदि अपनी प्रोफैशनल जिंदगी रुक गई है, तो फिर से शुरू करें. यदि ठीक नहीं चल रही है तो उसे ठीक करने की पूरी कोशिश करें. आप जितनी देर अपने काम में व्यस्त रहेंगी अपनी परेशानियों को उतनी ही जल्दी पूरी तरह भूल सकेंगी. साथ ही प्रोफैशनल लाइफ में बेहतर करना आप को जीने और आगे बढ़ने का हौसला देता रहेगा.

– खुद को सपोर्ट करने वाला ऐन्वायरन्मैंट बनाएं. अपनी जिंदगी में छोटेछोटे गोल्स तय करें और फिर उन्हें पूरा करने में जीजान से जुट जाएं जैसे आप ने अपना वेट कम करने का लक्ष्य रखा है, तो इसे पूरा करने वाला माहौल बनाएं. पसीना बहाने वाले कुछ काम करें. मौनिंग वाक पर जाएं वगैरहवगैरह.

– शादी के टाइम स्पेस को भूल जाएं और कल्पना करें उस वक्त की जब आप अनमैरिड थीं. क्या शौक थे आप के, क्या दिनचर्या थी, कैसे खिलखिलाती थीं. इन्हें अपनी जिंदगी में दोबारा आने का रास्ता दें.

अदालत के दरवाजे से बाहर आते हुए शायद आप के दिमाग में एक ही बात आई हो

कि आप का तलाक आप की जिंदगी का अंत है, मगर असल में यह एक नई जिंदगी की शुरुआत भी है.                          

देखें ‘एम क्रीम’ का TRAILER

सेंसर बोर्ड से ‘ए’ सर्टिफिकेट मिलि फिल्म ‘एम क्रीम’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ‘एम क्रीम’ का निर्देशन अग्नेय सिंह ने किया है.

डायरेक्टर अग्नेय सिंह का कहना है कि हालिया रिलीज ‘उड़ता पंजाब’ की तरह उनकी यह फिल्म भी ड्रग्स पर है, लेकिन दोनों में कोई तुलना नहीं है. अग्नेय ने बताया, उड़ता पंजाब’ और ‘एम क्रीम’ दोनों में ड्रग्स का चलन दिखाया गया है, पर दोनों में कोई समानता नहीं है.

उन्होंने कहा, उड़ता पंजाब’ के प्रोड्यूसरों ने नशे को समाज के लिए खतरा दिखाया है, जबकि हमारी सोच उलट है. देशभर में यूथ भांग और एलएसडी जैसे ड्रग्स को आजमा रहे हैं. अग्नेय का मानना है कि आजमाने या लेने की यह आदत युवाओं की तकलीफों में अहम रोल निभा रही है.

उन्होंने कहा,  हमें ढोंग बंद करने की जरूरत है. मैं उम्मीद करता हूं कि ‘एम क्रीम’ एक बड़ी बहस की राह खोल सकती है. फिल्म चार दोस्तों की एक टोली की कहानी है, जो एम क्रीम (चरस की पुरानी किस्म) की तलाश में हिमाचल प्रदेश की टूर पर निकलती है.

नसीरुद्दीन शाह के बेटे इमाद शाह और थिएटर एक्ट्रेस इरा दुबे स्टारर ‘एम क्रीम’ 22 जुलाई को रिलीज होगी. सेंसर बोर्ड ने इसमें एक भी कट नहीं लगाया है और इसे ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है.

महिलाओं के विकास में बाधा है कानून

कानून हो या धर्म, सब के निशाने पर महिलाएं ही होती हैं. उन्हें कमजोर मान कर जहां धार्मिक गुरुओं व पंडितों द्वारा बंदिशों व नियमों की दीवारें खड़ी की जाती हैं, तो वहीं कानून भी कहीं न कहीं महिलाओं के साथ नाइंसाफी करने से बाज नहीं आता और यह स्थिति सिर्फ भारत नहीं, विदेशों में भी है.

इक्वेडोर

यहां अबौर्शन गैरकानूनी है. सिर्फ मानसिक तौर पर अस्वस्थ महिलाओं को ही इस से अलग रखा गया है. अफसोस की बात तो यह है कि इस नियम का सहारा ले कर अकसर मिसकैरिज को भी अपराध बना दिया जाता है.

यमन

यमन में एक कानून यह है कि महिलाओं को कोर्ट के आगे पूर्ण व्यक्ति का दरजा नहीं मिलता. एक अकेली महिला की गवाही को गंभीरता से नहीं लिया जाता, जब तक कि एक पुरुष अपनी गवाही से उस तथ्य की पुष्टि नहीं करता. वह पुरुष उस जगह, उस समय मौजूद न हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता. व्यभिचार, मानहानि, चोरी वगैरह के मामले में महिलाएं गवाही नहीं दे सकतीं.

यहां महिलाएं अपने पति की अनुमति के बिना घर से नहीं निकल सकतीं. कुछ आपातकालीन स्थितियों में ही उन्हें छूट दी जाती है जैसेकि अपने बीमार अभिभावक की देखभाल या अस्पताल ले जाने की.

सऊदी अरब

यहां महिलाएं ड्राइव नहीं कर सकतीं. तर्क दिया जाता है कि ड्राइविंग से महिला के गर्भाशय पर असर पड़ता है. मगर इस तथ्य का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

वैटिकन सिटी

दुनिया का यह एकमात्र ऐसा देश है जहां महिलाओं को वोट डालने का हक कानून नहीं देता. अब तक सऊदी अरब भी इसी श्रेणी में शुमार था, पर 2015 के चुनाव में उस ने इस परंपरा पर विराम लगाते हुए महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया.

सऊदी अरब ऐंड मोरक्को

ऐसे बहुत से देश हैं, जहां बलात्कार पीडि़ता को न्याय नहीं मिल पाता. मगर इस से भी अफसोसजनक यह है कि कुछ देश बलात्कार पीडि़ता को ही दंड देते हैं. सऊदी अरब व मोरक्को में ऐसा ही होता है. तर्क ये दिए जाते हैं कि वह महिला, पुरुष साथी के बगैर घर से क्यों निकली? किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अकेली क्यों थी जो उस का रिश्तेदार नहीं?

भारत

भारत में भी ऐसे बहुत से कानून हैं, जो पक्षपातपूर्ण हैं:

– एडवोकेट ऐंड सोशल वर्कर अनुजा कपूर कहती हैं कि भले ही ससुराल में महिला के साथ बुरा व्यवहार होता रहा हो, पर उस की मौत के बाद यदि महिला के पति या बच्चे जीवित न हों, तो ऐसी स्थिति में हिंदू लौ औफ इनहैरिटैंस के अंतर्गत उस की संपत्ति स्वत: उस के अपने मांबाप के बजाय उस के सासससुर के नाम हो जाएगी.

– 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ संबंध कायम करना रेप माना जाता है, मगर एक पुरुष अपनी नाबालिग पत्नी के साथ कुछ भी कर सकता है. भारत में मैरिटल रेप से भी जुड़ा कोई कठोर कानून नहीं है.

– एक पुरुष के लिए शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री के लिए 18 वर्ष है. यह एक तरह से पितृसत्तात्मक सोच का कानूनी विस्तार है, जिस के अंतर्गत माना जाता है कि एक पत्नी को सदैव पुरुष से कम उम्र का होना चाहिए.

– गोवा में एक हिंदू दूसरी शादी कर सकता है, यदि उस की पहली पत्नी 30 साल की उम्र तक उसे वारिस न दे पाए.

– भले ही एक महिला को बच्चे के जन्म और पालनपोषण में पुरुष से ज्यादा तकलीफ सहनी होती है, फिर भी अभिभावक के तौर पर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं हैं. एक पिता को ही बच्चे का स्वाभाविक अभिभावक माना जाता है.

हिंदू लौ औफ अडौप्शन ऐंड मैंटेनैंस

1956 के अनुसार कोई भी पुरुष बच्चा अडौप्ट कर सकता है. उसे सिर्फ पत्नी की सहमति की जरूरत पड़ती है. मगर महिला अपने नाम से तभी बच्चा अडौप्ट कर सकती है, जब वह विधवा हो, अविवाहित हो या उस का पति मानसिक रूप से स्वस्थ न हो या नपुंसक हो या साधू बन गया हो.

सवाल यह है कि इतने सारे नियम सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों बनाए गए हैं.

अनुजा कपूर कहती हैं कि कुछ कानून महिलाओं के हित में भी बनाए गए हैं. मगर ये कमजोर पड़ जाते हैं, क्योंकि इन का प्रौपर इंप्लिमैंटेशन नहीं होता. कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो महिलाओं के फेवर में बने कानूनों का गलत प्रयोग कर इस की सार्थकता को संदेह के घेरे में खड़ा कर देती हैं.             

‘शोरगुल’ फिर विवाद में, मुजफ्फरनगर में बैन

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगों पर आधारित फिल्म ‘शोरगुल’ विवादों में घिर गई है. सूत्रों के मुताबिक फिल्म मुजफ्फरनगर में बैन हो गई है. वहीं मुजफ्फरनगर सिनेमा एसोशियन कह रहा है कि उन्हें नुकसान का डर है इसलिए सभी सिनेमा मालिकों ने प्रशासन को फिल्म का प्रदर्शन ना करने की लिखित सहमति दी.

फिल्म निर्माता ने दावा किया है कि प्रशासन ने कुछ दृश्यों को निहायत आपत्तिजनक बताते हुए फिल्म से सामाजिक सौहार्द्र को खतरा पैदा होने का डर बताया है और फिल्म को मुज्जफरनगर में बैन कर दिया है. हालांकि मुजफ्फरनगर के जिला अधिकारी ने इस मामले में कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया है.

फिल्म में मुजफ्फरनगर हिंसा के अलावा गोधरा, बाबरी मस्जिद दंगों जैसे गंभीर विषयों को भी उठाया गया है. साथ ही फिल्म में नौकरशाहों के कुकमार, चालबाजियों और कुछ हाई प्रोफाइल शख्सियतों से जुड़े विवादास्पद मामलों का भी जिक्र है.

फिल्म के निर्माताओं में से एक व्यास वर्मा ने कहा, ‘हमने बार-बार कहा है कि ‘शोरगुल’ किसी विशिष्ट घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि यह समाज में जो हो रहा है, उसका प्रतिबिंब है. इसमें उन मुद्दों को उठाया गया है जो देश के लिए चिंता का विषय हैं. उत्तर प्रदेश केवल फिल्म की पृष्ठभूमि है.’

उन्होंने कहा, ‘यह खबर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है. मैं प्रशासन से पूछना चाहता हूं कि वह खासतौर पर मुजफ्फरनगर में फिल्म पर क्यों रोक लगा रहा है. क्या उन्हें किसी खास बात का डर है? क्या मुजफ्फरनगर के लोगों को यह देखने का हक नहीं है कि देश में क्या हो रहा है? हर नागरिक को फिल्म देखने का अधिकार है क्योंकि फिल्म में आम आदमी की आवाज उठाई गई है.’

फिल्म के सह निर्माता अमन सिंह ने कहा, ‘हमारी इच्छा किसी भी राजनैतिक दल को बदनाम करने की नहीं है. हम निश्चित ही यह चाहते हैं कि महत्वपूर्ण मुद्दे उठें और चाहते हैं कि लोग फिल्म देखकर ऐसे सवालों के साथ घर लौटें जिसके जवाब एक अधिक तार्किक भारत की तरफ ले जाते हों.’

इस महीने के शुरू में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता मिलन सोम ने फिल्म के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहति याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

फिल्म में जिमी शेरगिल, संजय सूरी, आशुतोष राणा प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

घर बेचने पर टैक्स से कैसे बचें?

जब आप घर बेचते हैं तो कैलेंडर पर भी नजर रखिए. अगर इसकी टाइमिंग सही नहीं हुई तो आपको काफी टैक्स चुकाना पड़ सकता है. अगर प्रॉपर्टी को खरीदने के तीन साल के अंदर बेचा जाता है तो इससे होने वाले प्रॉफिट को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इस रकम को आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाएगा और उसके बाद आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स वसूला जाएगा. इसका मतलब यह है कि जो लोग साल में 10 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें ऐसे ट्रांजैक्शन पर मुनाफे का 30 पर्सेंट टैक्स चुकाना पड़ेगा.

वहीं, घर पांच फाइनेंशियल ईयर के अंदर बेचा जाता है तो इस पर आपको टैक्स बेनेफिट से हाथ धोना पड़ सकता है. आपने प्रिंसिपल री-पेमेंट, स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन पर सेक्शन 80 सी के तहत जो टैक्स छूट क्लेम की होगी, वह रिवर्स हो सकती है और घर बेचने वाले साल में रकम टैक्सेबल हो सकती है. इसमें सिर्फ सेक्शन 24बी के तहत इंटरेस्ट पेमेंट पर मिली छूट वापस नहीं ली जाएगी. इसलिए प्रॉपर्टी को कम से कम तीन साल के लिए होल्ड करना जरूरी है.

अगर आप प्रॉपर्टी को तीन साल के बाद बेचते हैं तो प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इंडेक्सेशन के बाद इस पर 20 पर्सेंट के हिसाब से टैक्स लगेगा. इंडेक्सेशन में होल्डिंग पीरियड के दौरान महंगाई दर के असर को शामिल किया जाता है और उस हिसाब से घर खरीदने की कीमत में एडजस्टमेंट होता है. इससे घर बेचने वाले के टैक्स के बोझ में काफी कमी आती है. इसके दूसरे फायदे भी हैं.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मामले में ओनर कई एग्जेम्पशंस क्लेम कर सकता है, जो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में नहीं मिलता. इस बारे में एचएंडआर ब्लॉक इंडिया के वैभव सांकला ने बताया, ‘घर को रिपेयर करने और उसके रेनोवेशन पर आपने जो पैसा खर्च किया है, उसे प्रॉपर्टी खरीदने की कीमत में जोड़कर आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं. वहीं, प्री-कंस्ट्रक्शन पीरियड में आपने जो ब्याज चुकाया है, उसे भी कॉस्ट में जोड़ा जा सकता है बशर्ते उस पर पहले छूट हासिल ना की गई हो.’

घर बेचने से हुए प्रॉफिट से अगर दो साल के अंदर आप दूसरी प्रॉपर्टी खरीदते हैं या तीन साल के अंदर कोई घर बनाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. दो और तीन साल की यह रियायत तब भी लागू होती है, जब आपने पहला घर बेचने से पहले ही दूसरा घर खरीद लिया हो. हालांकि, इसके लिए प्रॉपर्टी का सेलर के नाम पर खरीदा जाना जरूरी है. इस तरह के मामलों में अगर पूरे कैपिटल गेन का इनवेस्टमेंट नहीं होता है तो बची हुई रकम पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.

लजीज खाने के शौकीन हैं तो चलिए हैदराबाद

भारत के प्रमुख नगरों में से एक हैदराबाद अपनी ऐतिहासिक इमारतों और बहुसांस्कृतिक सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है. आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद तेलंगाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है. हिन्दू और मुसलमान के एकता और भाईचारे का प्रतीक यह शहर सूचना क्रांति के क्षेत्र में भी आगे है.

कुतुब शाही वंश के संस्थापक कुली कुतुब शाह ने 1591 ईसवी में मूसी नदी के किनारे हैदराबाद शहर बसाया था. 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान कुतुब शाही सल्तनत का यहां शासन था. उसके बाद कुछ समय तक यहां मुगलों का भी शासन रहा. खूबसूरत इमारतों, निजामी शानो-शौकत और लजीज खाने के कारण मशहूर हैदराबाद भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी एक अलग अहमियत रखता है.

हैदराबाद और सिंकदराबाद दो जुड़वाँ शहरों के नाम से जाने जाते हैं. इन दोनों शहरों को विभाजित करने वाली झील हुसैन सागर झील है, जो अपनी नायाब खूबसूरती के कारण पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. स्वाद प्रेमियों के लिए तो हैदराबाद जन्नत के समान है. यहाँ की लजीज बिरयानी और पाया की खूशबू दूर-दूर से पर्यटकों को हैदराबाद खींच लाती है.

नई-पुरानी संस्कृति के संगम के रूप में उभरता हैदराबाद सदियों से निजामों का प्रिय शहर और मोतियों के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है. हैदराबाद इस शहर का यह नाम कैसे पड़ा इसके पीछे छिपी है एक प्रेम कहानी. शुरुआत में भाग्यनगर कहलाने वाले इस शहर का नाम बदल कर हैदराबाद इसलिए हुआ क्योंकि इब्राहिम कुतुबशाह के पुत्र मुहम्मद कुली का प्रेम मूसी नदी के पार छिछलम गांव की भागमती से हो गया. पिता ने पुत्र की इस प्रेमयात्रा को सरल बनाने के लिए नदी पर एक पुल बनाया. भागमती के साथ मुहम्मद कुली का निकाह होते ही भागमती का नाम हैदर महल रखा गया और भाग्यनगर का नाम बदल कर हैदराबाद कर दिया गया.

हैदराबाद के मुख्य आकर्षण

चार मीनार

हैदराबाद की शान और पर्याय के रूप में चार मीनार इस शहर का सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र है. मुहम्मद कुली ने अपनी बीवी के गांव की जगह इसका निर्माण 1591 में शुरू किया और इन चारों मीनारों को पूरा बनने में करीब 21 साल लगे.

सालारजंग संग्रहालय

जितने शौकीन यहां के निजाम थे, उनके मंत्री भी उतने ही कलाप्रेमी थे. सातवें निजाम के प्रधान मंत्री के रूप में नवाब मीर यूसुफ अली खान का शौक अद्भुत कलाकृतियों का संग्रह था. उनकी जुटाई कलाकृतियों व किताबों को बहुत सुंदर ढंग से सजाकर रखा गया है सालार जंग संग्रहालय में.

गोलकोंडा किला

हैदराबाद मुख्य शहर से करीब 10 किमी दूर पर गोलकोंडा किला इतिहास का एक ऐसा पन्ना है, जिसे बार-बार पढ़ने की इच्छा हर पर्यटक के मन में होती है. 800 साल पुराने इस किले के खंडहरों को देख कर स्थापत्य कला के प्रति कुतुबशाही वंश के राजाओं का रुझान स्पष्ट हो जाता है. इसमें आठ विशाल द्वार हैं. सात किमी की गोलाई में इस किले का निर्माण ग्रेनाइट से हुआ है. रानी महल के खंडहरों में शाही हमाम, मस्जिदों, मंदिरों व दीवाने आम के हॉलों का आज भी देखा जा सकता है. गोलकोंडा में अरब व अफ्रीका के देशों के साथ हीरे व मोतियों का व्यापार होता था. विश्व प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर हीरा यहीं मिला था.

फलकनुमा महल

हैदराबाद के निजामों की शानों-शौकत और कला के प्रति बेहद प्यार की एक झलक आपको आखिरी निजाम द्वारा बनवाए गए फलकनुमा महल में भी देखने को मिलेगी. 1884 में यह महल पूरी तरह तैयार हुआ और इसे बनने में 9 वर्ष लगे. यहां के कालीन, फर्नीचर, मूर्तियां तथा महल के अंदर की दीवारों पर की गई बेहद उम्दा नक्काशी और चित्रकारी देखने लायक हैं.

हैदराबादी कुज़ीन

हैदराबाद की सैर करते-करते आपको यहां के मशहूर व्यंजनों की मदहोश करने वाली खुशबू शहर के किसी न किसी कोने से आपको जरूर मिल जाएगी और आप अपना रुख उसी ओर करते दिखाई देंगे. जी हां, हैदराबाद की कच्चे गोश्त की बिरयानी का नाम सुनते ही और खुशबू पाते ही खाने के शौकीन लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. कुछ लोग तो इस खास बिरयानी का जायका लेने खासतौर पर हैदराबाद जाते हैं. कच्चे गोश्त व चावल को धीमी आंच पर मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है. कई तरह के खुशबूदार मसालों व केसर के केसरिया रंग से सजी बिरयानी आंध्र प्रदेश के व्यंजनों की सरताज है.

निजामों के इस शहर हैदराबाद में अन्य मुगलई व्यंजन भी हैं, जिनके जायके आपको यहीं मिलेंगे. हांडी का गोश्त, काली मिर्च का मुर्ग, जाली के कबाब, सीक व शामी कबाबों का जायका लेने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. गोश्त के साथ रुमाली या तंदूरी रोटी खाना आम है, पर खमीरी शीरमल के साथ गोश्त का मजा बिलकुल अलग होता है.

शाकाहारी लोगों के लिए भी कई तरह के स्वाद हैं जिनमें इडली, डोसा, सांबर व नारियल की चटनी के साथ-साथ चूरन के करेले व बघारे बैंगन विशेष हैं. तिल व पिसी मूंगफली की ग्रेवी में बने चटपटे बघारे बैंगन सिर्फ आंध्र प्रदेश की खासियत हैं जिनमें छोटे-छोटे गोलाकार बैंगनों का प्रयोग किया जाता है. भोजन में पापड़ भुने हों या तले व विभिन्न प्रकार की चटनियों के स्वाद से हैदराबादी खाने का मजा दुगना हो जाता है. यहां भी भोजन का अंत मीठा खाकर ही होता है. सेवई, खीर या खुबानी का मीठा इनमें खास है.

रामोजी फिल्म सिटी

रोजमर्रा की जिंदगी से जब मन उचटने लगता है, तो किसी ऐसी जगह जाने की इच्छा होती है, जहां कुछ नया, कुछ अलग हो और कुछ दिन परिवार समेत आराम से मौजमस्ती की जा सके. हैदराबाद के निकट रामोजी फिल्म सिटी ऐसा ही स्थान है. कहने को तो यह फिल्मों की शूटिंग का एक केंद्र है, लेकिन यह एक ऐसी जगह भी है जो अपने अंदर पर्यटन के कई आयाम समेटे हुए है. यहां कुदरत के नजारे भी हैं और ऐतिहासिक स्थल भी. मेले जैसा कोलाहल है तो अद्भुत शांति भी. देशी-विदेशी जगहों पर घूमने के आनंद के साथ ही यहां रहस्य और रोमांच के अनुभव भी हैं. रोमांटिक हॉलीडे मनाने के लिए यह स्वर्ग जैसा है तो बच्चों के लिए किसी परिलोक से कम नहीं.

कैसे पहुंचे

भारत के प्रमुख शहरों से हैदराबाद के लिए नियमित उड़ानें हैं. सड़क मार्ग से भी यह पूरे देश से जुड़ा है. देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से यह रेलमार्ग से भी जुड़ा है. दिल्ली से रेल से हैदराबाद पहुंचने में करीब 26 घंटे लगते हैं.

कहां ठहरें

आईटीसी होटल काकतीय शेरेटन एंड टॉवर्स, ताज कृष्णा व रेसिडेंसी, होटल कम्फर्ट इन यहां के स्टार होटल हैं. इसके अलावा होटल चारमिनार, होटल पर्ल ऑर्फ द ओरियंट में भी ठहरा जा सकता है.

कैसे और कब जाएँ हैदराबाद

वैसे तो आप वर्षभर में कभी भी हैदराबाद जा सकते हैं परंतु यदि आप यहाँ की झुलसाती गर्मी से बचना चाहते हैं तो अप्रैल-मई माह छोड़कर कभी भी हैदराबाद जा सकते हैं.

हवाईअड्डा- शमशाबाद हवाईअड्डा

रेलवे स्टेशन- सिंकदराबाद, नामपल्ली, काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन

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