मेरे पति मुझसे संतुष्ट नहीं रहते हैं, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल…

मैं 23 साल की महिला हूं. मेरा डेढ़ साल का एक बच्चा है. शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को ले कर संतुष्ट नहीं रहते हैं. वे नियमित सैक्स करना चाहते हैं जबकि घर और बच्चे की देखभाल से मैं बेहद थक जाती हूं और रात में जल्द ही मुझे नींद आ जाती है. पति मुझे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मैं उन्हें नाराज भी नहीं देख सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब…

बच्चे पैदा होने के बाद सैक्स संबंध को ले कर महिलाएं आमतौर पर उदासीन हो जाती हैं, जबकि बच्चों की परवरिश के साथ साथ पति के साथ सैक्स संबंध दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है.

इस में कोई दोराय नहीं कि एक गृहिणी घर और बच्चों की देखभाल में इतनी व्यस्त रहती है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप घर के कामों को पति के साथ बांट लें. घर की साफसफाई, कपड़े धोना आदि कार्य प्यार से पति से करा सकती हैं. इस से आप पर काम का बोझ ज्यादा नहीं पड़ेगा. इस से न केवल आप खुद के लिए वक्त निकाल पाएंगी, बल्कि पति के साथ भी ज्यादा समय बिताने को मिलेगा. फिर जैसाकि आप ने बताया कि आप का बच्चा अब डेढ़ साल का हो चुका है और अब आप शारीरिक रूप से फिट भी हो चुकी हैं, तो ऐसे में सैक्स संबंध का लुत्फ उठा सकती हैं.

खूबसूरत महिलाओं की पहली पसंद होते हैं ऐसे लड़के…

महिलाओं को आखिर कैसे मर्द पसंद आते हैं. पुरुषों में हमेशा ही इस बात को जानने की उत्सुकता होती है. इस विषय पर हुए एक शोध में सामने आया है कि खूबसूरत महिलाओं की पहली पसंद वाले मर्दों में कौन-कौन सी खूबियां होती है.

महिलाओं को पसंद आते हैं ऐसे पुरुष…

यूनिवर्सिटी औफ क्रैंबिज में हुए एक शोध में थामस वर्सलुय्ज का कहना है कि इस औनलाइन सर्वे में अमेरिका की 800 महिलाओं ने ऐसे मेल फिगर्स को तरजीह दी जिनके पैर औसत से थोड़े ज्यादा लंबे थे. हालांकि बहुत ज्यादा लंबे पैर वालों को महिलाओं ने नकार दिया.

19 से 76 साल की महिलाओं के बीच हुआ सर्वे…

19 से 76 साल के बीच की अलग-अलग उम्र वाली महिलाओं को कुछ पुरुषों की कंप्यूटर जेनरेटेड तस्वीरें दिखाईं गईं और उनसे पूछा गया कि इनमें से कौन सबसे ज्यादा अट्रैक्टिव दिख रहा है. इन सभी तस्वीरों में पुरुषों के हाथ और पैर की लंबाई में मामूली अंतर था. सर्वे में शामिल महिलाओं ने औसत से थोड़े ज्यादा लंबे पैर वाले पुरुषों को अट्रैक्टिव माना.

सेक्शुअल सिलेक्शन में अहम रोल निभाती है लंबाई…

इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि पुरुषों के पैर की लंबाई उनके सेक्शुअल सिलेक्शन में एक अहम रोल निभाती है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसा फैक्टर है जो तब से चला आ रहा है जब से मानव का विकास शुरू हुआ. इसमें स्वास्थ्य और पोषण जैसी चीजें भी शामिल हैं.

तो मतलब अगर आप भी किसी महिला का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते हैं तो आपको अपने कपड़ों और बिहेवियर के साथ-साथ अपनी लंबाई पर भी ध्यान देना होगा.

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फैस्टिवल के बाद भी चमक उठेगा आपका चेहरा, बस फौलो करें ये तरीके

फेस्टिवल से पहले और बाद में घर की सफाई, सजावट और शौपिंग के चक्कर में चेहरे पर थकान आ जाती है. ऐसे में घरेलू और्गेनिक नुस्खे अपनाकर आप चेहरे की रंगत निखार सकती हैं. चलिए आज हम आपको आसान से घरेलू तरीके बताएंगे जिनकी मदद से आप चेहरे पर नैचुरल ग्लो ला सकती हैं और दीवाली के बाद भी अपने चेहरे की चमक का जादू चला सकती है.

दही और नींबू मास्क

आपका ग्लोइंग स्किन पाने की चाहत दही और नींबू के रस से बने फेस मास्क से होगा. आधा कप दही में 1 चम्मच नींबू का रस मिलाएं. अब इस मास्क को चेहरे और गर्दन पर लगाएं. 10 मिनट बाद मास्क को पानी से धो लें. नींबू में मौजूद विटामिन सी स्किन को स्मूद बनाएंगा और दही खुले हुए पोर्स को खोलने का काम करता है. यह दोनों सामग्री नैचुरल ब्लीच का काम करती है.

शहद और दालचीनी मास्क

चेहरे के पिंपल्स से छुटकारा दिलाने का काम करता है शहद और दालचीनी मास्क. कच्चा शहद नैचुरल मौइस्चराइजिंग एजेंट है. शहद और दालचीनी के मास्क एंटी-एक्ने और ग्लोइंग स्किन फेस मास्क है. 2 बड़े चम्मच कच्चे शहद में 1 बड़ा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं और उंगुलियों की मदद से चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट लगे रहने के बाद धो दें.

आलू का रस

आंखों के नीचे पड़े काले घेरे काफी भद्दे लगते हैं. इस से छुटकारा पाने के लिए आलू की एक स्लाइस को डार्क सर्कल पर रखें. इसके अलावा आप आलू के रस को डार्क सर्कल पर भी लगाएं और रात भर ऐसे ही लगा रहने दें. सुबह उठकर धो दें. इससे आंखों की फ्रेश लुक मिलेगी. आलू में नैचुरल ब्लीचिंग एजेंट होते है जो पफी आई की प्रौबल्म को भी दूर कर देता है.

टमाटर और दूध का फेस मास्क

2 बड़े चम्मच टमाटर के जूस में आधा कप फ्रेश कच्चा दूध मिलाएं. कौटन बौल की मदद से इस मास्क को अपने चेहरे पर लगाएं. 20 मिन बाद ठंडे पानी से धो दें. इससे स्किन फ्रेश और बिल्कुल साफ नजर आएगी.

दही और ओटमील मास्क

दही और ओटमील को मिलाकर लगाने से सन टैन दूर होगी और चेहरे पर गजब की चमक आएगी. 2 बड़े चम्मच दही में 1 बड़ा चम्मच ओट्स मिलाकर मास्क बनाएं. चेहरे और गर्दन पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें. फिर 20 मिनट बाद पेक को गुनगुने पानी की मदद से साफ करें.

घर के लिए बनाना चाहती हैं बैस्ट पर्दे, तो इन चीजों का करें इस्तेमाल

घर की सजावट में पर्दों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इनकी मौजूदगी से घर की दीवारों, दरवाजे-खिड़कियों और फर्नीचर सभी की शोभा बढ़ जाती है. इतना ही नहीं पर्दे कमरो के पार्टिशन और प्राइवेसी को बनाये रखने में भी मदद करते हैं. घर में पर्दे लगाना बहुत आसान है, चाहे आप किसी फर्निशिंग की दुकान से ले सकते हैं या फिर औनलाइन भी और्डर कर सकते हैं. लेकिन यह दोनों ही आपको बहुत महंगे पड़ेंगे. लेकिन अगर आप खुद पर्दें बना लेंगी तो यह सस्ता पड़ेगा.

घर में भी पर्दे बनाना आसान नहीं है पहले आप कपड़ा खरीदेंगे फिर उसकी नाप लेंगे तब आप अपने पर्दे बना पाएंगे. यह सब कितना थका देने वाला है. तो चलिए इसे थोड़ा आसान बनाते हैं और आपको सस्ते कपड़े के पर्दे कैसे बनेंगे वह बताते हैं.

हम आपको कुछ ऐसे ही कपड़ों के बारे में बताने जा रहें हैं. जिन से आप सस्ते और आसानी से घर बैठे पर्दे बना सकती हैं. इसके लिए आपको बहार से महंगा कपड़ा खरीदने की कोई जरुरत नहीं है. चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही कपड़ों के बारे में.

1. साड़ी

अगर आपके घर में पुरानी साड़ियां हैं और आप उनका इस्तेमाल नहीं करती हैं तो आप इनके पर्दे बनाने में इस्तेमाल कर सकती हैं. सिल्क की साड़ियों से बने पर्दे घर को बहुत ही आकर्षक लुक देंगे. लेकिन सिंगल टोंड शिफौन की साड़ी पर्दों के लिए सबसे अच्छी हैं क्योंकि यह घर के फर्नीचर से मिक्स एंड मैच हो जाएंगी.

2. दुपट्टा

सलवार कमीज के साथ मिलने वाले दुपट्टे अक्सर सलवार कमीज के ख़राब हो जाने के बाद भी अच्छे रहते हैं. इन्हे आप घर में पर्दे बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं. क्योंकि यह कई सारे रंगो और शेड्स में आते हैं.

3. स्टौौल्स

स्टौल्स ज्यादातर एक ही रंग के होते हैं जिन्हे हम गाउन और साड़ी के साथ पहनते हैं. इन्हे आप दूसरे पर्दों के साथ मिला कर पुराने पर्दों को और खूबसूरत बना सकती हैं. इसके लिए आपके पास बहुत सारे स्टौल्स होने चाहिए

4. चादरें

पुरानी चादरों से आप घर के लिए सबसे सस्ते पर्दे बना सकती हैं. आप दो से तीन चादरों को मिक्स करके नए पर्दे बना सकती हैं

5. कपड़े के अस्तर

अगर आप अपने घर को कंट्री साइड सम्मेरी लुक देना चाहते हैं जिससे घर में धूप और रोशनी अच्छे से आये. तो आप अपनी ड्रेस के अस्तर का इस्तेमाल पर्दे बनाने में कर सकती हैं.

गिरह: कौनसा हादसा हुआ था शेखर और रत्ना के साथ

लेखिका- प्रेमलता यदु

धीमी आवाज ‌में बज रहा‌ इंस्ट्रुमैंटल सौंग और मद्धिममद्धिम जलती हाल की रोशनी में रत्ना‌ अपने घर के सोफे पर लगभग लेटी हुई, धुआं उड़ाती बीचबीच में व्हिस्की के घूंट लिए जा रही है. हर घूंट के साथ उसे अपने और शेखर के रिश्ते के बीच आई शोभना का खिलखिलाता, दमकता चेहरा जोरजोर से उस पर हंसता हुआ दिखाई दे रहा है. वह उस चेहरे को नोच लेना‌ चाहती‌ है, क्योंकि उसी चेहरे की वजह से ही उस का सबकुछ बरबाद हो गया. शेखर उस से‌ सदा के लिए दूर चला गया.

रत्ना ने घबरा कर अपनी आंखें मूंद लीं और दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिए ताकि वो शोभना को‌ देख, सुन न सकें. लेकिन ऐसा मुमकिन न था क्योंकि यह मायाजाल ‌रत्ना‌ ने खुद ही बुना था. रत्ना गुस्से और घबराहट में गिलास में रखी व्हिस्की एक ही घूंट में पी गई और लड़खड़ाते कदमों व कंपकंपाते हाथों से दूसरा पैक बनाने लगी. ‌दोबारा पैक‌ बना कर म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम थोड़ा बढ़ा वह‌ फिर सोफे ‌पर‌ पसर गई.

रत्ना ने सोचा भी न था कि हालात‌ इतने बिगड़ जाएंगे और उसे कभी ऐसा कदम भी उठाना पड़ेगा, पर न जाने कैसे हालात बनते चले गए और वह गिरह में फंसती चली गई.

आज भी उसे याद है वह दिन जब उसे पहली बार शोभना और शेखर के रिश्ते के बारे में पता चला था. वह बहुत रोई‌ थी. वही ‌दिन था जिस दिन से शेखर और उस के झगड़े की शुरुआत हुई. उस के बाद से तो जैसे शेखर और उस के बीच कभी कुछ सामान्य रहा ही नहीं. ‌एक ही छत में दोनों अजनबियों की तरह दिन गुजारने लगे. उन्हीं हालात के बीच रत्ना की मुलाकात रोहित से हुई जो फिटनैस सैंटर का नया ट्रेनर था.‌ रोहित से रत्ना की पहली मुलाकात फिटनैस सैंटर के चेंजिंगरूम के बाहर हुई थी.

“हाय ब्यूटीफूल,” रोहित का इस प्रकार रत्ना‌ से कहना उसे अजीब पर अच्छा भी लगा. रत्ना रोहित को झिड़क देना चाहती थी लेकिन अरसे बाद किसी पुरुष की आंखों में स्वयं के लिए आकर्षण देख वह चुप रही और वहां से मुसकरा कर चली गई.

धीरेधीरे रत्ना और रोहित के बीच दोस्ती हो गई. और फिर वे फिटनैस सैंटर से बाहर ‌भी मिलने लगे, साथ समय बिताने लगे. रत्ना की उम्र करीब 45 वर्ष है जबकि रोहित रत्ना से लगभग 10-15 साल छोटा. रोहित में वो सारी बातें हैं जो रत्ना शेखर में तलाशती आई है. हर बात पर रत्ना की तारीफ करना, उसे खूबसूरत होने का एहसास दिलाना, जो हर स्त्री‌ को पसंद ‌है, और सब से बड़ी बात जो रोहित में है वह रत्ना की हर छोटीबड़ी खुशी का ख़याल रखना. ये सारी बातें रत्ना को दिनप्रतिदिन रोहित के करीब ले जा रही थीं.

रोहित भी रत्ना को पाने के लिए मचल रहा था. वह रत्ना के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है. वह उस की सुंदरता के मोहपाश में कुछ इस तरह से बंध गया था कि उसे सहीग़लत की कोई सुध ही नहीं रह गई थी. रत्ना का गोरा बदन, नागिन की तरह बलखाते उस के काले घने बाल, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खिले हुए गुलाबी होंठों को देख रोहित पूरी तरह से रत्ना की आकर्षक देह में गिरफ्तार हो गया था.

लेकिन रत्ना आज भी शेखर से ही प्यार करती है. वह रोहित के संग केवल अपने स्त्री अहं के दर्द को शांत करना चाहती थी, जो उसे शेखर ने दिया है. वह यह जानती थी कि रोहित शेखर का विकल्प कभी‌ नहीं हो सकता, इसलिए जब रत्ना को इस बात का एहसास हुआ तो उस ने‌ एक दिन रोहित से कहा, ‘रोहित, मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’

रोहित रत्ना के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोला, ‘कहिए न रत्नाजी, आप के लिए तो जान हाजिर है.’

रत्ना हंसती हुई बोली, ‘नहींनहीं, मुझे तुम्हारी जान नहीं चाहिए. मैं तो, बस, इतना चाहती हूं कि मेरी जान मेरे पास वापस आ जाए.’

रोहित आश्चर्य से रत्ना की ओर देखते हुए बोला, ‘मैं समझा‌ नहीं, आप क्या कह रही हैं?’.

‘रोहित, तुम तो जानते ही ‌हो, मैं शादीशुदा हूं ‌पर यह नहीं जानते कि मैं अपने पति ‌से बहुत ‌प्यार करती‌ हूं लेकिन वह किसी और के ‌लिए पागल है. मैं उन्हें अपनी जिंदगी में वापस‌ पाना‌ चाहती ‌हूं,’ रत्ना अपना‌ हाथ रोहित‌ के हाथों से ‌हटाती हुई‌ बोली.

रोहित दोबारा रत्ना के हाथों को कस कर पकड़ते हुए बोला, ‘रत्नाजी, शेखर आप से प्यार नहीं करता, तो क्या हुआ, मैं तो आप से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. आप मेरे साथ एक नई शुरुआत तो कीजिए.’

रोहित का इतना कहना था कि रत्ना रोहित से लिपटती हु‌ई बोली, ‘हम एक नई शुरुआत जरूर करेंगे लेकिन शेखर को उस की गलती का एहसास करवाने और उसे सबक सिखाने के बाद.’

‘ऐसी बात है तो‌ कहिए‌ मेरे लिए क्या हुक्म है,’ रोहित रत्ना के माथे को चूमते हुए बोला.

‘फिलहाल तो कुछ नहीं.’

‘फिर ठीक है, ‌जब भी ‌जरूरत पड़े तो याद कीजिएगा, बंदा हाजिर हो जाएगा.’

उस दिन के बाद से रोहित और रत्ना पहले से भी ज्यादा करीब आ गए और रोहित उस वक्त का इंतजार करने लगा जब रत्ना शेखर को छोड़ उस की बांहों में समा जाएगी.

22 मार्च‌, 2020, दिन रविवार. कोविड की वजह से पूरे देश में एक दिन का जनता कर्फ्यू लगा हुआ है. माननीय प्रधानमंत्रीजी ने आज शाम सभी देशवासियों को 5 बजे से 5 मिनट तक ताली, थाली, घंटी बजा कर ‌उन सभी लोगों को धन्यवाद देने को‌ कहा है जो दिनरात कोविड को हराने के लिए काम कर रहे हैं.

शेखर भी आज घर पर ही है और खुश भी लग रहा है. रत्ना पूरा‌‌ खाना‌ शेखर की ‌पंसद का‌ बना, नेट की साड़ी ‌पहन न्यूज देख रहे शेखर के एकदम‌ करीब सट कर जा बैठी. रत्ना को अपने ‌इतने पास आया देख शेखर वहां से जाने लगा. तभी रत्ना ने शेखर को अपनी ओर खींच लिया. रत्ना की खूबसूरती और ‌नेट की साड़ी से झांकते‌ उस के गोरे बदन के आगे शेखर ज्यादा देर टिक न सका. एक उन्माद सा ‌उठा और दोनों की गरम सांसें चर्मसीमा पर जा कर ही शीतल हुईं.

शाम के 5 बजने ही ‌वाले थे. शेखर के स्पर्श ने रत्ना को न‌ई तरंगों से भर दिया था. रत्ना अपने कपड़े ‌बदल हाल में पहुंची तो उस ने देखा शेखर ‌कहीं जाने की तैयारी में है. रत्ना‌ तमतमाती हुई बोली, ‘कहां जा‌ रहे‌ हो?’

‘तुम जानती हो…’

‘मतलब, तुम उस चुड़ैल के पास जा ‌रहे हो. मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगी. तुम्हें आज ‌यह बताना ही होगा ‌कि उस‌ में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं?’

रत्ना‌ को धक्का दे कर शेखर जाने लगा, तभी रत्ना ने तैश में आ कर ड्रौअर में रखा पिस्टल निकाल लिया. रत्ना के हाथों में पिस्टल देख शेखर रत्ना से पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा और इसी छीनाझपटी में गोली चल गई व शेखर की मौत हो गई. रत्ना‌ घबरा गई. उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा कि वह क्या‌ करे. कभी‌ वह 108‌ पर फोन लगाने के ‌लिए मोबाइल उठा लेती तो कभी पुलिस को ‌फोन करने का मन बनाती है.

तकरीबन एक घंटे शेखर की ‌लाश के करीब बैठी रत्ना धुंआ फूंकती इस ऊहापोह में रही कि वह क्या करे? यदि किसी ने गोली चलने की आवाज़ सुन ली होगी तो…क्या होगा? उस की बेचैनी और घबराहट बढ़ने लगी. अचानक रत्ना को खयाल आया कि गोली चलने ‌की आवाज तो किसी ने भी न सुनी होगी क्योंकि उस‌ वक्त सभी 5 बजे थाली, ताली और शंखनाद करने में व्यस्त थे तो क्यों न लाश को ठिकाने लगा दिया जाए.

रत्ना कुछ सोच अपने सर्वेंट क्वाटर की ओर दौड़ी क्योंकि माली गार्डन में उपयोग होने वाले सारे सामान वहीं रखता है जिन में गड्ढे खोदने के लिए फावड़ा ‌भी है जो उस के काम आ‌ सकता है ‌और वह अपने गार्डन में ही शेखर को दफ़ना सकती है. नौकर बीजू छुट्टी ले कर अपने परिवार के ‌संग गांव गया हुआ है. रत्ना बीजू के कमरे में ‌पहुंच उस का सामान उलटपुलट करती हुई फावड़ा ढूंढने लगी. सारा कमरा बिखर गया, ‌तब जा कर फावड़ा मिला.

फावड़ा मिलते‌ ही रत्ना गार्डन में गड्ढा खोदने लगी. वह पसीने से लथपथ हो गई और उस की सांस फूलने लगी. ‌इतना‌ बड़ा गड्ढा खोदना उस के लिए मुमकिन न था. तभी उस के ज़ेहन में रोहित का ख़याल आया और उस ने फौरन रोहित को फोन पर सारे घटनाक्रम की सूचना ‌देते हुए मदद के लिए आने ‌को कहा. रोहित सारी‌ परिस्थिति को जाननेसमझने के ‌बाद‌ रत्ना को धैर्य रखने और 9 बजे के बाद कर्फ़्यू हटने के पश्चात आने को कह कर फोन रख दिया.

रत्ना‌ सारी रात धुआं उड़ाती, हाल में ‌चलहकदमी करती हुई ‌रोहित का इंतजार करती रही पर वह नहीं आया. क़रीब‌ 4:30 बजे डोरबैल बजी. रत्ना ने घबरा कर पी होल से झांका, तो सामने रोहित खड़ा था. ‌रत्ना ने फौरन दरवाजा खोल दिया. रोहित के अंदर आते ही रत्ना उस से लिपट गई. रत्ना को अपनी आगोश में पा रोहित उस के बदन की खुशबू से मदहोश होने लगा और देखते ही देखते दोनों एकदूजे में खो गए. जब होश आया तब तक ‌सुबह के 5:30 बज‌ चुके थे.

रोहित जल्दी से ‌तैयार हो रत्ना को जगाते हुए बोला, “रत्नाजी, आई एम सौरी, मैं अपनेआप को रोक नहीं पाया, जल्दी तैयार हो‌ जाइए, हमें ‌निकलना होगा.”

रत्ना अपने कपड़े पहनती हुई बोली, “मैं अभी रेडी होती हूं पर हमें जाना कहां है?”

“सुबह ‌हो चुकी है, अब लाश को यहां गार्डन में दफ़नाना संभव नहीं. लाश का हमें कुछ और ही करना होगा. मैं ने सब सोच लिया. बस, आप जल्दी से ‌तैयार हो जाइए. मैं आप को रास्ते में ‌सब समझा‌ दूंगा. आप अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ दो और शेखर का मोबाइल रखना मत भूलना.”

रत्ना ने आश्चर्य से कहा, “ऐसा क्यों, तो…”

“ताकि कभी भी इंक्वायरी हो तो आप की लोकेशन घर पर ही मिले.”

सारी तैयारियों के बाद जब रत्ना कार में बैठने लगी, पड़ोस की चंद्रा जो अपने लौन में मौर्निंग वाक कर रही ‌थी, रोहित की‌ ओर मुसकरा कर देखती हुई बोली, “क्यों रत्ना, कहीं बाहर जा रही हो क्या? भाईसाहब नहीं हैं घर पर?”

रत्ना कार में बैठती हुई ‌बोली, “शेखर बाहर ग‌ए हुए हैं, कल जनता कर्फ्यू की वजह से वे घर नहीं ‌आ पाए.”

रत्ना के कार में बैठते ही रोहित कार दौड़ाने लगा. लेकिन यह क्या… शहर के चप्पेचप्पे पर पुलिस का पहरा. हर आने‌जाने वाले को रोक पुलिस पूछताछ कर रही है. किसी तरह यदि दोनों एक चौक चौराहे से बच भी निकले‌ तो शहर से बाहर निकलना सभंव नहीं. तभी सहसा पुलिस के एक जत्थे ने उन्हें चौराहे पर रोक लिया और घर से बाहर निकलने का कारण पूछने लगे. पुलिसकर्मियों को देख रत्ना के पसीने छूटने लगे और उस का गला सूख गया. रोहित लड़खड़ाती ज़बान से बोला, “सर, इन के पति की तबीयत खराब हो गई है, हम अस्पताल जा रहे है.” अस्पताल के नाम से पुलिस ने उन्हें आगे जाने की अनुमति दे दी.

कुछ दूर निकलते ही रत्ना तुनक कर बोली, “क्या जरूरत थी तुम्हें यह कहने की कि इन के पति की तबीयत खराब हो गई है?”

“तो क्या कहता, इन्होंने‌ अपने पति का खून कर दिया है और हम लाश ठिकाने लगाने निकले हैं या यह कहता कि हम घर से बाहर धारा 144 का मज़ा लेने निकले हैं?”

“बकवास बंद करो, मैं ने कहा न, मैं ने शेखर को नहीं मारा.”

“हां, हां, मुझे मालूम है तुम ने शेखर को नहीं‌ मारा. फिलहाल तुम्हारे पास कुछ रुपए हैं? जल्दीजल्दी में मैं अपना वालेट रखना भूल गया. हमें आगे हाईवे पर पैट्रोल भरवाना होगा और तुम अपना‌ मुंह बंद रखना.”

“तुम पैट्रोल भरवा कर नहीं ‌आ सकते थे और यह जल्दीजल्दी में क्या कह रहे हो. मेरे फ़ोन करने के पूरे 7 घंटे बाद तुम आए थे.”

“तो क्या करता, तुम्हारा फोन आते ही सिर के बल दौड़ा चला आता. क्या जरूरत थी तुम्हें पिस्टल निकालने की.”

“हां, मैं ने पिस्टल निकाला जरूर था, लेकिन मैं ने शेखर को जानबूझ कर नहीं मारा है रोहित. मेरा यकीन मानो और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. तुम यह तो बताओगे की हम जा कहां रहे हैं?”

“अमरकंटक.”

“अमरकंटक,” रत्ना ने आश्चर्य से कहा.

“हां, क्योंकि अमरकंटक बिलासपुर से 110 किलोमीटर दूर है और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा‌ से बाहर मध्य प्रदेश राज्य की सीमा में आता है. और दूसरी बात, अमरकंटक में इतनी ऊंचीऊंची घाटियां हैं, उन घाटियों से एक‌ बार किसी को‌ नीचे फेंक दिया जाए तो उस का‌ मिलना मुश्किल है. यदि लाश मिल भी गई तो मध्य प्रदेश राज्य की पुलिस उसे अपनी सीमा का केस समझ उस पर कार्यवाही करती रहेगी और उसे कोई सुराग‌ नहीं मिल पाएगा.”

शहर से बाहर निकलते ही रोहित ने रत्ना से कहा, “तुम शेखर के नंबर से अपने नंबर पर कौल करो.”

रत्ना ने फिर सवाल किया, “लेकिन क्यों?”

“इसलिए क्योंकि इस से यह सिद्ध हो जाएगा कि शेखर ने घर पहुंचने से पहले तुम्हें फोन किया था लेकिन काम में व्यस्त होने की वजह से तुम फोन नहीं उठा पाईं.”

यहां अमरकंटक में भी वही हाल था. हर चौक चौराहे पर पुलिस का पहरा. हर व्यक्ति पर पुलिस ‌की नज़र. यहां भी काम को अंजाम देना आसान न था. इधर शाम होने को थी, उधर रत्ना और रोहित शेखर की लाश लिए अमरकंटक की घाटियों में ‌भटक रहे थे. जिधर देखो, उधर पुलिस का जत्था गश्त लगाता घूम ‌रहा था.

अंधेरा होते और मौका पाते ही रत्ना और रोहित ने शेखर की लाश को घाटियों के नीचे फेंक दिया और शेखर के मोबाइल का सिम कार्ड तोड़ कर अमरकंटक के जलप्रपात दूधधारा में प्रवाहित कर दिया ताकि कभी भी वह सिम कार्ड ट्रेस न हो सके. उस के बाद दोनों शहर लौट आए. उस दिन के बाद से रोहित और रत्ना ने फिर कभी एकदूसरे से बात नहीं की, वही उन दोनों की आखिरी मुलाकात थी.

शेखर की मौत की वजह से रत्ना सदमे में चली गई थी. उस ने स्वयं को नशे में डुबो लिया था और वह लोगों से मिलना जुलना भी बंद कर चुकी थी.

अचानक रत्ना का मोबाइल बजा. नशे में धुत, डगमगाती हुई रत्ना ने फोन रिसीव किया. उधर रोहित था.

रोहित की आवाज सुनते ही रत्ना अधीर होते हुए बोली, “रोहित, अच्छा हुआ जो तुम ने मुझे फोन किया. देखो न, शेखर अब तक शोभना के पास से लौटा नहीं है और यह शोभना मुझ पर हंस रही है. तुम तो जानते हो न, रोहित, मैं शेखर से कितना प्यार करती हूं. शेखर मेरा फोन भी नहीं उठा‌ रहा.”

“पागल हो गई हो क्या, होश में तो हो, शेखर मर चुका है और उस की लाश तुम ने अपने हाथों से घाटियों से नीचे फेंका है,” कहते हुए रोहित ने फोन रख दिया.

नशे की हालत में यह रत्ना की कोरी कल्पना थी, न रोहित ने उसे फोन किया था, न शोभना उस पर हंस रही थी. हां, रत्ना शेखर के नंबर पर बारबार कौल अवश्य कर रही थी जिस फोन के सिम कार्ड को वह स्वयं अमरकंटक के जलप्रपात दूधधारा में फेंक आई थी.

रत्ना ने फिर सिगरेट सुलगाई, पैक बनाया और दोबारा म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम बढ़ा सोफे पर लेट गई.

‌ अमरकंटक से लौटने के बाद से रत्ना ने अपनेआप को घर में कैद कर लिया था. लौकडाउन का आज 10वां दिन था और घर पर अकेले रहते हुए रत्ना अपना मानसिक संतुलन खो चुकी थी.

पिछले 3 दिनों से मिसेज चंद्रा ने रत्ना को नहीं देखा, अकसर सुबह के वक्त जब मिसेज चंद्रा अपने लौन में मौर्निंग वाक कर रही होतीं, रत्ना उस वक्त अपने पौधों को पानी दिया करती. कहीं रत्ना की तबीयत खराब तो नहीं, यह जानने के लिए जब मिसेज चंद्रा, रत्ना के घर पहुंचीं तो दरवाजा अंदर से बंद था और घर से बहुत अजीब सी बदबू आ रही थी. मिसेज चंद्रा ने अनहोनी के भय से स्थानीय पुलिस को इस की सूचना दी.

पुलिस के आते ही जब दरवाजा खोला गया तो पूरा कमरा फैला हुआ था. जले हुए सिगरेट के पैकेट, शराब की बौटल्स, फलों के छिलके, चिप्स के पैकेट, बिस्कुट्स के रेपर और रत्ना सोफे पर मृत पड़ी थी. शायद इन 10 दिनों में रत्ना ने खाना ही नहीं बनाया और न ही खाया. रत्ना शायद यही सब खाती रही, अत्यधिक शराब पीने और नींद की अधिक गोलियां लेने की वजह से रत्ना की मौत हो चुकी थी और लास्ट कौल रत्ना ने शेखर को की थी जिस की वजह से पुलिस शेखर को तलाश कर रही थी.

एक महीने तक खोजबीन और तलाश करने के बाद भी शेखर का कोई सुराग न मिला और न ही उस का मोबाइल ट्रेस हो पाया. रत्ना मर चुकी थी, इसलिए पुलिस ने शेखर और रत्ना की फाइल बंद कर दी.

लालच: रंजीता के साथ आखिर क्या हुआ

रंजीता बहुत खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन बननेसंवरने में उसे बहुत दिलचस्पी थी. जब वह सजसंवर कर खुद को आईने में देखती, तो मुसकराने लगती. रंजीता अपनी असली उम्र से कम लगती थी. उसे घर के कामों में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी और वह बाजार में खरीदारी करने की शौकीन थी.

रंजीता को शेरोशायरी से लगाव था और वह अपनी शोखियों से महफिल लूट लेने का दम रखती थी. रंजीता का अपने पति रमेश से झगड़ा चल रहा था. इसी बीच उन के महल्ले का साबिर मुंबई से लौट आया था. वह चलता पुरजा था.

एक दिन मुशायरे में उन दोनों का आमनासामना हो गया. साबिर ने आदाब करते हुए कहा, ‘‘आप तो पहुंची हुई शायरा लगती हैं. आप मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में क्यों नहीं कोशिश करती हैं?’’ रंजीता पति रमेश की जलीकटी बातों से उकताई हुई थी. साबिर की बातों से जैसे जले पर रूई के फाहे सी ठंडक मिली. उस ने अपना भाव जाहिर करते हुए कहा, ‘‘साबिर, आप क्या मुझे बेवकूफ समझते हैं?’’

साबिर ने तुरंत अपना जाल बिछाया, ‘‘नहीं मैडम, मैं सच कह रहा हूं कि आप वाकई पहुंची हुई शायरा हैं.’’ रंजीता ने साबिर को अपने घर दिन के खाने पर बुला लिया. रात के खाने पर रमेश से झगड़ा हो सकता था.

खाने पर रंजीता व साबिर ने खूब खयालीपुलाव पकाए और योजना बनाई कि रंजीता अपनी जमापूंजी ले कर हफ्ते के आखिर में जा रही ट्रेन से मुंबई चलेगी. साबिर ने तो उस की जवान होती लड़की को भी साथ चलने के लिए कहा, पर रंजीता ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं. बेटी को घर पर ही रख कर वह अपनी पक्की सहेली से बेटी से मिलते रहने की कह कर 50 हजार रुपए ले कर चल दी.

रंजीता जब गाड़ी में बैठी, तो उस का दिल धकधक कर रहा था. पर वह मन में नए मनसूबे बनाती जा रही थी. इन्हीं सब बातों को याद करती हुई वह मुंबई पहुंच गई. साबिर ने उसे वेटिंग रूम में ही तैयार होने को कहा और फोन पर किसी से मिलने की मुहलत मांगी.

रंजीता का चेहरा बुझ सा गया था. वह नए शहर में गुमसुम हो गई थी. साबिर ने उस से कहा, ‘‘चलो, कहीं होटल में कुछ खा लेते हैं.’’

कुछ देर में वे दोनों एक महंगे रैस्टोरैंट में थे. साबिर ने उस से पूछे बिना ही काफी महंगी डिश का और्डर किया. जब दोनों ने खाना खा लिया, तो साबिर ने यों जाहिर किया कि मानो उस का पर्स मिल नहीं रहा था. झक मार कर रंजीता ने ही वह भारी बिल अदा किया. रंजीता को घर की भी बेहद याद आ रही थी. घर से दूर आ कर वह महसूस कर रही थी कि पति के साए में वह कितनी बेफिक्र रहती थी.

अब साबिर व रंजीता एक टैक्सी से किसी सरजू के दफ्तर जा रहे थे. इस बार रंजीता ने खुद ही टैक्सी का भाड़ा दे दिया. उस ने साबिर को नौटंकी करने का चांस नहीं दिया. सरजू एक ऐक्टिंग इंस्टीट्यूट चलाता था. हालांकि वह खुद एक पिटा हुआ ऐक्टर था, पर मुंबई में ऐक्टिंग सिखाने का उस का धंधा सुपरहिट था.

सरजू के दफ्तर तक रंजीता को पहुंचा कर साबिर को जैसे कुछ याद आया. वह उठ खड़ा हुआ और ‘बस, अभी आता हूं’ कह कर बगैर रंजीता के जवाब का इंतजार किए चला गया. अब रंजीता और सरजू आमनेसामने बैठे थे. वह इधरउधर देखने की कोशिश करने लगी, जबकि सरजू उसे देख रहा था.

कुछ देर की खामोशी के बाद सरजू बोला, ‘‘लगता है कि आप थकी हुई हैं. आप ऐसा कीजिए कि रात तक नींद ले लीजिए.’’ सरजू की एक नौकरानी ने सोने का कमरा दिखा दिया. रंजीता सोई तो नहीं, पर वह उस कमरे में अपनी शायरी की किताब निकाल कर पढ़ने लगी. कब आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह जब संगीता को होश आया, तो उस ने खुद को पुलिस से घिरा पाया. एक खूबसूरत लड़की भी उस के पास खड़ी थी. पुलिस इंस्पैक्टर विनोद ने कहा, ‘‘लगता है कि आप होश में आ गई हैं.’’

रंजीता उठ बैठी. कपड़े टटोले. वह लड़की मुसकरा रही थी. इंस्पैक्टर विनोद ने उस लड़की को देख कर कहा, ‘‘थैंक्स समीरा मैडम, अब आप जा सकती हैं.’’

रंजीता भी उठ खड़ी हुई. इंस्पैक्टर विनोद ने कहा, ‘‘आप भी समीरा मैडम का शुक्रिया अदा कीजिए.’’ रंजीता कुछ नहीं समझी. तब इंस्पैक्टर विनोद ने बताया, ‘‘आप को साबिर ने सरजू को बेच दिया था. यह शख्स ऐटिंक्ग इंस्टीट्यूट की आड़ में जिस्मफरोशी का धंधा चलाता है.

समीरा मैडम को इन्होंने इसी तरह से धोखा दे कर बेचा था, पर वे बार डांसर बन कर आज आप जैसी धोखे की शिकार औरतों को बचाने की मुहिम चलाती हैं.’’ समीरा बोली, ‘‘और विनोदजी जैसे पुलिस इंस्पैक्टर मदद करें, तभी हम बच सकती हैं, वरना…’’

यह कहते हुए समीरा के आंसुओं ने सबकुछ कह दिया. तभी वह नौकरानी आ गई. समीरा ने उसे कुछ रुपए दिए और बताया कि इसी काम वाली ने उसे फोन कर के बताया था. शाम को रंजीता अपने शहर जा रही ट्रेन पर सवार हो गई. उस ने मन ही मन समीरा का शुक्रिया अदा किया और इस मायानगरी को अलविदा कह दिया.

Diwali special: फेस्टिवल्स पर मेहमानों के लिए बनाएं चाइनीज पनीर रोल

Writer- Pratibha Agnihotri

त्योहारों का सीजन प्रारम्भ हो चुका है. त्योहारों पर मेहमानों का घर में आना भी स्वाभाविक सी बात है. मेहमानों के आने पर कुछ नया सा बनाने का मन करता है ताकि मेहमानों को कुछ स्पेशल सा फील हो. आज हम आपको नूडल्स और पनीर से एक बहुत अच्छा सा नाश्ता बनाना बता रहे हैं जिसे घर में उपलब्ध सामान से ही बहुत आसानी से बनाया जा सकता है.आप इसे सुबह या शाम किसी भी समय पर नाश्ते में बना सकतीं हैं.  तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोगों के लिए     4

बनने में लगने वाला समय    30 मिनट

मील टाइप    वेज

सामग्री

पनीर   250 ग्राम

नूडल्स 250 ग्राम

कटा प्याज  1

कटी शिमला मिर्च   1/2 कप

कटी बींस  1/4 कप

कटी लहसुन   6 कली

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट  1 टीस्पून

कॉर्नफ्लोर 1 टीस्पून

सोया सॉस 1/2 टीस्पून

चिली सॉस  1/2 टीस्पून

वेनेगर  1/4 टीस्पून

टोमेटो सॉस 1 टीस्पून

चिली फ्लैक्स   1/4 टीस्पून

ऑरिगेनो  1/2 टीस्पून

नमक 1/2 टीस्पून

बारीक कटी हरी प्याज  1 टेबलस्पून

तेल  तलने के लिए

विधि

पनीर के 2 इंच लंबे और आधा इंच चौड़े टुकड़े काट लें. एक भगौने में नमक और 1 टीस्पून तेल डालकर लगभग 1 लीटर पानी गर्म करें. जब पानी उबलने लगे तो नूडल्स डाल दें. जैसे ही नूडल्स सॉफ्ट हो जाएं तो इन्हें छलनी में छानकर ठंडा पानी डाल दें. अब इन नूडल्स को प्रत्येक पनीर के टुकड़े पर इस तरह लपेटें की पनीर पूरा कवर हो जाये. तैयार पनीर के टुकड़ों को गर्म तेल में सुनहरा तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. अब एक दूसरे पैन में 1 टीस्पून तेल डालकर कटी लहसुन, प्याज और अदरक, हरी मिर्च के पेस्ट को भूनें. जब प्याज भूरा सा हो जाये तो सभी सब्जियां डाल दें.

1/4 टीस्पून नमक डालकर मध्यम आंच पर सब्जियों के गलने तक पकाएं. जब सब्जियां हल्की सी नरम हो जाएं तो इनमें सभी सॉसेज डालकर 1 टीस्पून पानी डाल दें ताकि सब्जियां जले नहीं. कॉर्नफ्लोर को 1/4 कप पानी में घोल लें और सब्जियों में लगातार चलाते हुए मिलाएं. यदि पानी कम लगे तो आवश्यकतानुसार बढ़ा लें. तैयार ग्रेवी में तले पनीर नूडल्स के रोल डालकर चलाएं. ऊपर से ऑरिगेनो, चिली फ्लैक्स और कटा हरा प्याज डालकर सर्व करें.

रश्मि : बलविंदर के लालच ने ली रश्मि की जान

लेखक- मुन्ना कुमार सिंह

सुबह के 7 बजे थे. गाडि़यां सड़क पर सरपट दौड़ रही थीं. ट्रैफिक इंस्पैक्टर बलविंदर सिंह सड़क के किनारे एक फुटओवर ब्रिज के नीचे अपने साथी हवलदार मनीष के साथ कुरसी पर बैठा हुआ था. उस की नाइट ड्यूटी खत्म होने वाली थी और वह अपनी जगह नए इंस्पैक्टर के आने का इंतजार कर रहा था.

बलविंदर सिंह ने हाथमुंह धोया और मनीष से बोला, ‘‘भाई, चाय पिलवा दो.’’

मनीष उठा और सड़क किनारे एक रेहड़ी वाले को चाय की बोल कर वापस आ गया. तुरंत ही चाय भी आ गई. दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.

बलविंदर सिंह ने कहा, ‘‘अरे भाई, रातभर गाडि़यों के जितने चालान हुए हैं, जरा उस का हिसाब मिला लेते.’’

मनीष बोला, ‘‘जनाब, मैं ने पूरा हिसाब पहले ही मिला लिया है.’’

इसी बीच बलविंदर सिंह के मोबाइल फोन की घंटी बजी. वह बड़े मजाकिया अंदाज में फोन उठा कर बोला, ‘‘बस, निकल रहा हूं. मैडम, सुबहसुबह बड़ी फिक्र हो रही है…’’

अचानक बलविंदर सिंह के चेहरे का रंग उड़ गया. वह हकलाते हुए बोला, ‘‘मनीष… जल्दी चल. रश्मि का ऐक्सिडैंट हो गया है.’’

दोनों अपनाअपना हैलमैट पहन तेजी से मोटरसाइकिल से चल दिए.

दरअसल, रश्मि बलविंदर सिंह की 6 साल की एकलौती बेटी थी. उस के ऐक्सिडैंट की बात सुन कर वह परेशान हो गया था. उस के दिमाग में बुरे खयाल आ रहे थे और सामने रश्मि की तसवीर घूम रही थी.

बीच रास्ते में एक ट्रक खराब हो गया था, जिस के पीछे काफी लंबा ट्रैफिक जाम लगा हुआ था. बलविंदर सिंह में इतना सब्र कहां… मोटरसाइकिल का सायरन चालू किया, फुटपाथ पर मोटरसाइकिल चढ़ाई और तेजी से जाम से आगे निकल गया.

अगले 5 मिनट में वे दोनों उस जगह पर पहुंच गए, जहां ऐक्सिडैंट हुआ था.

बलविंदर सिंह ने जब वहां का सीन देखा, तो वह किसी अनजान डर से कांप उठा. एक सफेद रंग की गाड़ी आधी फुटपाथ पर चढ़ी हुई थी. गाड़ी के आगे के शीशे टूटे हुए थे. एक पैर का छोटा सा जूता और पानी की लाल रंग की बोतल नीचे पड़ी थी. बोतल पिचक गई थी. ऐसा लग रहा था कि कुछ लोगों के पैरों से कुचल गई हो. वहां जमीन पर खून की कुछ बूंदें गिरी हुई थीं. कुछ राहगीरों ने उसे घेरा हुआ था.

बलविंदर सिंह भीड़ को चीरता हुआ अंदर पहुंचा और वहां के हालात देख सन्न रह गया. रश्मि जमीन पर खून से लथपथ बेसुध पड़ी हुई थी. उस की पत्नी नम्रता चुपचाप रश्मि को देख रही थी. नम्रता की आंखों में आंसू की एक बूंद नहीं थी.

बलविंदर सिंह के पैर नहीं संभले और वह वहीं रश्मि के पास लड़खड़ा कर घुटने के बल गिर गया. उस ने रश्मि को गोद में उठाने की कोशिश की, लेकिन रश्मि का शरीर तो बिलकुल ढीला पड़ चुका था.

बलविंदर सिंह को यह बात समझ में आ गई कि उस की लाड़ली इस दुनिया को छोड़ कर जा चुकी है. उसे ऐसा लगा, जैसे किसी ने उस का कलेजा निकाल लिया हो.

बलविंदर सिंह की आंखों के सामने रश्मि की पुरानी यादें घूमने लगीं. अगर वह रात के 2 बजे भी घर आता, तो रश्मि उठ बैठती, पापा के साथ उसे रोटी के दो निवाले जो खाने होते थे. वह तोतली जबान में कविताएं सुनाती, दिनभर की धमाचौकड़ी और मम्मी के साथ झगड़ों की बातें बताती, लेकिन अब वह शायद कभी नहीं बोलेगी. वह किस के साथ खेलेगा? किस को छेड़ेगा?

बलविंदर सिंह बच्चों की तरह फूटफूट कर रोने लगा. कोई है भी तो नहीं, जो उसे चुप करा सके. नम्रता वैसे ही पत्थर की तरह बुत बनी बैठी हुई थी.

हलवदार मनीष ने डरते हुए बलविंदर सिंह को आवाज लगाई, ‘‘सरजी, गाड़ी के ड्राइवर को लोगों ने पकड़ रखा है… वह उधर सामने है.’’

बलविंदर सिंह पागलों की तरह उस की तरफ झपटा, ‘‘कहां है?’’

बलविंदर सिंह की आंखों में खून उतर आया था. ऐसा लगा, जैसे वह ड्राइवर का खून कर देगा. ड्राइवर एक कोने में दुबका बैठा हुआ था. लोगों ने शायद उसे बुरी तरह से पीटा था. उस के चेहरे पर कई जगह चोट के निशान थे.

बलविंदर सिंह तकरीबन भागते हुए ड्राइवर की तरफ बढ़ा, लेकिन जैसेजैसे वह ड्राइवर के पास आया, उस की चाल और त्योरियां धीमी होती गईं. हवलदार मनीष वहीं पास खड़ा था, लेकिन वह ड्राइवर को कुछ नहीं बोला.

बलविंदर सिंह ने बेदम हाथों से ड्राइवर का कौलर पकड़ा, ऐसा लग रहा था, जैसे वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा हो.

दरअसल, कुछ समय पहले ही बलविंदर सिंह का सामना इस शराबी ड्राइवर से हुआ था.

सुबह के 6 बजे थे. बलविंदर सिंह सड़क के किनारे उसी फुटओवर ब्रिज के नीचे कुरसी पर बैठा हुआ था. थोड़ी देर में मनीष एक ड्राइवर का हाथ पकड़ कर ले आया. ड्राइवर ने शराब पी रखी थी और अभी एक मोटरसाइकिल वाले को टक्कर मार दी थी.

मोटरसाइकिल वाले की पैंट घुटने के पास फटी हुई थी और वहां से थोड़ा खून भी निकल रहा था.

बलविंदर सिंह ने ड्राइवर को एक जोरदार थप्पड़ मारा था और चिल्लाया, ‘सुबहसुबह चढ़ा ली तू ने… दूर से ही बदबू मार रहा है.’

ड्राइवर गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘साहब, गलती हो गई. कल इतवार था. रात को दोस्तों के साथ थोड़ी पार्टी कर ली. ड्यूटी पर जाना है, घर जा रहा हूं. मेरी गलती नहीं है. यह एकाएक सामने आ गया.’

बलविंदर सिंह ने फिर थप्पड़ उठाया था, लेकिन मारा नहीं और जोर से चिल्लाया, ‘क्यों अभी इस की जान चली जाती और तू कहता है कि यह खुद से सामने आ गया. दारू तू ने पी रखी है, लेकिन गलती इस की है… सही है…मनीष, इस की गाड़ी जब्त करो और थाने ले चलो.’

ड्राइवर हाथ जोड़ते हुए बोला था, ‘साहब, मैं मानता हूं कि मेरी गलती है. मैं इस के इलाज का खर्चा देता हूं.’

ड्राइवर ने 5 सौ रुपए निकाल कर उस आदमी को दे दिए. बलविंदर सिंह ने फिर से उसे घमकाया भी, ‘बेटा, चालान तो तेरा होगा ही और लाइसैंस कैंसिल होगा… चल, लाइसैंस और गाड़ी के कागज दे.’

ड्राइवर फिर गिड़गिड़ाया था, ‘साहब, गरीब आदमी हूं. जाने दो,’ कहते हुए ड्राइवर ने 5 सौ के 2 नोट मोड़ कर धीरे से बलविंदर सिंह के हाथ पर रख दिए.

बलविंदर सिंह ने उस के हाथ में ही नोट गिन लिए और उस की त्योरियां थोड़ी कम हो गईं.

वह झूठमूठ का गुस्सा करते हुए बोला था, ‘इस बार तो छोड़ रहा हूं, लेकिन अगली बार ऐसे मिला, तो तेरा पक्का चालान होगा.’

ड्राइवर और मोटरसाइकिल सवार दोनों चले गए. बलविंदर सिंह और मनीष एकदूसरे को देख कर हंसने लगे. बलविंदर बोला, ‘सुबहसुबह चढ़ा कर आ गया.’

मनीष ने कहा, ‘जनाब, कोई बात नहीं. वह कुछ दे कर ही गया है.’

वे दोनों जोरजोर से हंसे थे.

अब बलविंदर सिंह को अपनी ही हंसी अपने कानों में गूंजती हुई सुनाई दे रही थी और उस ने ड्राइवर का कौलर छोड़ दिया. उस का सिर शर्म से झुका हुआ था.

बलविंदर और मनीष एकदूसरे की तरफ नहीं देख पा रहे थे. वहां खड़े लोगों को कुछ समझ नहीं आया कि क्या हुआ है, क्यों इन्होंने ड्राइवर को छोड़ दिया.

मनीष ने पुलिस कंट्रोल रूम में एंबुलैंस को फोन कर दिया. थोड़ी देर में पीसीआर वैन और एंबुलैंस आ कर वहां खड़ी हो गई.

पुलिस वालों ने ड्राइवर को पकड़ कर पीसीआर वैन में बिठाया. ड्राइवर एकटक बलविंदर सिंह की तरफ देख रहा था, पर बलविंदर सिंह चुपचाप गरदन नीचे किए रश्मि की लाश के पास आ कर बैठ गया. उस के चेहरे से गुस्से का भाव गायब था और आत्मग्लानि से भरे हुए मन में तरहतरह के विचारों का बवंडर उठा, ‘काश, मैं ने ड्राइवर को रिश्वत ले कर छोड़ने के बजाय तत्काल जेल भेजा होता, तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता.’

Diwali Special: दिवाली के मौके पर बनाने जा रही हैं रंगोली, तो फौलो करें ये हैक्स

WriterPratibha Agnihotri

दीवाली पर रंगोली का अपना अलग ही महत्व है…सजे धजे लोग और सजे घर के मुख्य द्वार में रंगोली अपने भांति भांति के रंगों से चार चांद लगा देती है.रंगोली में प्रयोग किये गए विविध रंग सकारात्मकता और खुशियों के प्रतीक होते हैं. देश के विभिन्न प्रान्तों में इसे मांडना, ऐपन, रंगावली आदि नामों से भी जाना जाता है. रंगोली को रंगों के अतिरिक्त चावल, फूलों, रेत, गेरू और चूना आदि से भी बनाया जाता है. रंगोली को यदि आप पहली बार रंगोली बनाने जा रही हैं तो यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिन्हें ध्यान में रखकर आप बहुत आसानी से अपने घर के मुख्य द्वार को रंगोली से सजा सकेंगीं-

  • सर्वप्रथम अपने मुख्य द्वार के आकार के अनुसार इंटरनेट अथवा रंगोली की पुस्तक से  कोई डिजाइन तय कर लें.
  • रंगोली बनाने के लिए प्लेन सर्फेस को चुनें यदि आपका फर्श उभार या दानेदार है तो आप रंगोली बनाने के लिए लकड़ी के प्लेन बोर्ड का प्रयोग करें.
  • रंगोली सदैव दरवाजे के बीचोबीच में न बनाकर दरवाजे के साइड में बनाएं ताकि आपकी रंगोली कई दिनों तक बनी रहे.
  • यदि आप पहली बार बना रही हैं तो बहुत बड़ी और कठिन डिजाइन बनाने की अपेक्षा सरल और छोटी डिजाइन बनाएं.
  • आजकल बाजार में रंगोली बनाने के लिए छलनी, कलर स्प्रेडर ट्यूब जैसे विविध टूल्स उपलब्ध हैं आप चाहें तो इनका प्रयोग कर सकतीं हैं.
  • यदि आपकी ड्राइंग कमजोर है तो फ्री हैंड रंगोली बनाने के स्थान पर चार्ट के द्वारा डॉट्स वाली रंगोली बनाने का प्रयास करें.
  • रंगोली की डिजाइन को पहले चाक से फर्श पर बना लें और फिर उस पर मनचाहे रंग डालें.
  • यदि आप फूल पत्ती, या डॉट्स वाली रंगोली बनाने में हिचकिचा रहीं हैं तो दीवार के सहारे सहारे सीधी तीन रेखाएं सफेद रंग से बनाएं फिर 1-1 इंच की दूरी पर बिंदु रखें और बिंदु के बीच से टूथपिक को लम्बाई में धीरे से खींचे इसी तरह अन्य रंगों से भी आप डिजाइन्स बना सकतीं हैं.
  • रंगोली बन जाने के बाद आसपास बिखरे रंगों को फर्श से साफ करने के लिए झाड़ू के स्थान पर सूती कपड़े या ब्रश का प्रयोग करें.
  • आप किसी भी एक रंग को छलनी से मनचाहे आकार में फैला दें फिर इसमें आप कोई भी डिजाइन को उकेर कर भी रंगोली बना सकतीं हैं.
  • रंगोली के मध्य और किनारों पर दीपक रखकर आप इसे और अधिक खूबसूरत बना सकतीं हैं. किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए तेल के दिये के स्थान पर इलेक्ट्रिक दियों का प्रयोग करें.

Diwali Special : इस दीवाली अपनों को दें ये गिफ्ट्स, कम खर्च में बैस्ट हैं ये आइटम्स

उपहारों का आदानप्रदान चाहे वह परिवारजनों के बीच हो या रिश्तेदारों या पड़ोसियों के बीच, आपसी संबंधों को एक मजबूती प्रदान करता है. लेकिन अपने प्यार या स्नेह को दर्शाने के लिए यह जरूरी नहीं कि बहुत महंगे गिफ्ट ही दिए जाएं. बहुत महंगे गिफ्ट दे कर आप एक तरह से दूसरे को अपना कृतज्ञ बना लेते हैं और अगर उस व्यक्ति की हैसियत उतना ही महंगा उपहार आप को देने की नहीं होती तो वह बहुत शर्म महसूस करता है. महंगे उपहार दे कर अपना हक मत जताइए.

उपहार सौहार्द बनाने के लिए दिए जाने चाहिए, मन में खटास पैदा करने के लिए नहीं. साथ ही लेने वाले को भी उस के महंगे या सस्ते होने की बात पर ध्यान न देते हुए आप के प्यार को समझना चाहिए, क्योंकि आप उपहार के माध्यम से सम्मान दे रहे हैं, प्यार बांट रहे हैं. सस्ती ही सही, पर ऐसी उपयोगी चीजें दें जिन के साथ आप की याद हमेशा जुड़ी रहे.

क्या दें उपहार में

क्यों न इस बार महंगे नहीं, 100 से ले कर 500 रुपए की कीमत के ऐसे गिफ्ट खरीदें, जिन्हें देख कर उपहार लेने वाला भी आप की सूझबूझ की तारीफ किए बिना न रह सके. यदि आप औनलाइन शौपिंग करना पसंद करते हैं, तो कुछ ऐसे भी प्रोडक्ट्स हैं, जिन्हें घर बैठे और्डर कर सकती हैं. आजकल बाजार में इतनी ज्यादा वैराइटी में कैंडल्स उपलब्ध हैं कि आप तरहतरह की कैंडल या दीयों का एक हैंपर बनवा कर उपहार में दे सकती हैं.

इस के अलावा घरेलू उपयोग की चीजें जैसे लैंप शेड, लैंप, छोटी इमल्शन रौड, बुक स्टैंड, चाइनीज केतली व मग भी अच्छे विकल्प हैं और जेब पर भारी भी नहीं. टाइमपीस, फोटो फ्रेम, कांच के सजाने व किचन में उपयोग होने वाले कटोरे तथा ट्रे भी ली जा सकती हैं. बहुत सी कंपनियां इन दिनों बिस्कुट व जूस के पैक भी निकालती हैं, जो बहुत महंगे नहीं होते और सब को पसंद भी आते हैं.

दिलचस्प उपहार

बच्चों को गिफ्ट देना है, तो पटाखे तो दिए ही जा सकते हैं. साथ ही ऐजुकेशनल डीवीडी या फिर बच्चों की फिल्म के वीडियो दें. थोड़े बड़े बच्चों के लिए स्टोरी बुक या किसी दिलचस्प विषय पर बुक गिफ्ट कर सकती हैं या फिर किड्स मैगजीन दे दें. कलर्स, कलर बुक आदि भी बच्चों को बहुत लुभाती हैं. बुजुर्गों को ऐसी चीजें दें जो उन के काम आ सकें जैसे उन्हें किताबें, मैग्जीन या फिर पुरानी फिल्मों की सीडी गिफ्ट कर सकती हैं.

रिश्तेदारों व मित्रों को छोटी गिफ्ट बास्केट दे सकती हैं और सब से अच्छा तो होगा कि उन्हें पौधा उपहार में दें. सिर्फ टैराकोटा व सिरेमिक के प्लांटर्स भी दिए जा सकते हैं. महिलाओं को कौस्मैटिक का सामान दिया जा सकता है. लकड़ी के डैकोरेशन पीस भी आप को सस्ते में मिल जाएंगे. वौल हैंगिंग्स व रंगोली के स्टिकर्स का पैक तैयार कर दे सकती हैं.

ढेरों विकल्प

घर में पेपर लैंप दिखने में भी अच्छे लगते हैं और इन का रखरखाव भी आसान होता है. मार्केट में आप को ये 100 से 300 रुपए तक के कम बजट में मिल जाएंगे. मैजिक फोल्डिंग फूलदान एक क्यूट और काम में आने वाली चीज है, क्योंकि यह प्लास्टिक पेपर बैग का बना है, इसलिए  इस के टूटने का भी खतरा नहीं है. जिसे आप फूल के साथ यह गिफ्ट करेंगे वह इसे जरूर पसंद करेगा. 400 से 500 रुपए के बीच कई डिजाइनदार फूलदान मिल जाएंगे.

दीवाली पर यदि अपनी फ्रैंड या बहन को गिफ्ट देने का सोच रही हैं, तो ब्रैसलैट दे सकती हैं. यह औनलाइन मात्र 300 से ले कर 500 तक में मिल जाएंगे. आजकल हर कोई हैडफोन इस्तेमाल करता है. इसलिए गिफ्ट में मोबाइल हैडफोन दिया जा सकता है. मार्केट में कलरफुल हैडफोन मिल जाएंगे. 500 रुपए में सस्ते और टिकाऊ हैडफोन गिफ्ट करने के लिए अच्छा औप्शन है.

खुद भी तैयार कर सकती हैं

सिल्वर कोटेड दीए, घड़ी आदि आइटम मार्केट में सजे हुए हैं. इन गिफ्ट आइटम्स की सब से प्रमुख विशेषता यह है कि ये काले नहीं होते और इन के रेट भी रीजनेबल हैं. ये गिफ्ट 300 रुपए से ले कर 600 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध हैं.

गिफ्ट कार्ड भी अच्छा औप्शन हो सकता है. आप गिफ्ट कार्ड बैंक की ब्रांच या नैटबैंकिंग के जरीए पा सकती हैं. विभिन्न बैंक इस तरह के कार्ड इस मौके पर जारी करते हैं. इस कार्ड को मूवी टिकट, रैस्तरां बिल, औफलाइन और औनलाइन शौपिंग में यूज कर सकते हैं. ये गिफ्ट कार्ड डेबिट कार्ड की तरह काम करते हैं.  अगर आप के दोस्तों को बागबानी का शौक है तो उन्हें उपहार में कुछ खूबसूरत से इनडोर और आउटडोर प्लांट सुंदर से पौट में लगवा कर भी गिफ्ट कर सकती हैं. यदि आप के दोस्त ऐसे घर में रहते हैं, जहां बहुत बड़ी छत या बगीचा है, तो जैविक खेती के लिए उसे एक किट भी उपहार में दे सकती हैं.

अपने परिजनों के लिए अपने हाथों से बनी चौकलेट, जैम, जैली आदि भी गिफ्ट कर सकती हैं. अगर आप बेकिंग करना जानती हैं, तो स्वादिष्ठ केक भी तैयार कर उपहार में दे सकती हैं.

खास उपहार

अपने दोस्त, परिवार या किसी खास के साथ बिताए खास पलों की एक सीडी बनवा लें और फिर उस सीडी को दीवाली के मौके पर उपहार में दें. आप चाहें तो फोटो कोलाज बना कर भी दीवाली में उपहार दे सकती हैं. किसी को गाना सुनने का शौक हो तो उस के मनपसंद गानों की एक सीडी बना कर भी आप उसे उपहार में दे सकती हैं. इस दीवाली आप अपने दोस्त व करीबियों को अपना समय उपहार के तौर पर दें, क्योंकि आजकल सब से कीमती समय ही हो गया है. दीवाली की तमाम जिम्मेदारियों और व्यस्तताओं के बीच अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व पड़ोसियों के साथ 2-4 घंटे बिताएं. साथ खाना खाएं और वह काम करें जो आप को पसंद हो.

मेरे सासससुर पुराने ख्यालात वाले हैं, जिस वजह से मैं पति से ढंग से बात भी नहीं कर पाती हूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हांहूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभीकभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

सैक्स संबंध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. स्वस्थ व जोशीली सैक्स लाइफ हमारे संबंधों को मजबूत बनाती है एवं जीवन को खुशियों से भरती है. संयुक्त परिवारों में जानबूझ कर औरतों को दबाने के लिए उन्हें पति से दूर रखा जाता है और वे पति के साथ खुल कर सैक्स ऐंजौय नहीं कर पातीं. इस के लिए आप को पति से खुल कर बात करनी होगी. सिर्फ आप ही नहीं आप के पति भी आप की चाह रखते होंगे.

बेहतर होगा कि इस के लिए कभी किसी रिश्तेदार के या कभी मायके जाने के बहाने पति के साथ बाहर घूमने जाएं. इस तरह के संबंधों को तो झेलना ही होता है. कोई उपाय नहीं मिलता.

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 सवाल

मैं 23 वर्षीय अविवाहित युवक हूं. 2-3 महिलाओं से बगैर कंडोम लगाए शारीरिक संबंध बना चुका हूं. अब कुछ दिनों से एक समस्या से जूझ रहा हूं. सैक्स संबंध के बाद मेरे प्राइवेट पार्ट में जलन होने लगती है. अंदर की त्वचा लाल हो जाती है और कभीकभी खुजली भी होती है. बताएं मैं क्या करूं?

 जवाब

आज के लाइफस्टाइल में सुरक्षित सैक्स संबंध बनाना बेहद जरूरी है और इस का सरल और सस्ता विकल्प है कंडोम. कंडोम लगा कर सैक्स संबंध बनाने से संक्रमण की संभावना न के बराबर रहती है. जैसाकि आप ने बताया कि आप की 2-3 महिलाओं से रिलेशनशिप रही है तो जाहिर है कि इस से आप को प्रौस्टेटिक संक्रमण या किसी तरह का फंगल इन्फैक्शन हो गया हो.

आप को जल्द ही किसी यूरोलौजिस्ट से मिल कर सलाह लेने की जरूरत है. और हां, आगे से सैक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. कंडोम न सिर्फ संक्रमण से बचाने का, बल्कि गर्भनिरोध का भी बेहतर विकल्प है.

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