दिवाली के जश्न में दो बड़ी फिल्मों का टकराव, क्या बौक्स औफिस पर होगी हिट?

भारत में पूरे साल में दिवाली एक ऐसा त्योहार होता है जिसमें हिंदुस्तान का हर नागरिक कुछ ना कुछ नया करने की योजना बनाता है. फिर चाहे वह नया घर लेने की बात हो, या नई कार लेने की बात हो. लेकिन दिवाली के दौरान बौलीवुड वालों का कुछ अलग ही फंडा होता है. अब इससे अंधविश्वास पहले या गुड लक, दिवाली के शुभ मौके पर हर मेकर की कोशिश होती है कि उनकी फिल्म दिवाली पर रिलीज हो जाए. इसके पीछे खास वजह यह भी है की अधिकांश लोगों का मानना है कि अगर उनकी फिल्म दिवाली पर रिलीज होगी तो वह फिल्म जरूर बौक्स औफिस पर सफलता के झंडे फहराएगी.

इस बार 1 नवंबर 2024 में दिवाली के मौके पर दो बड़ी फिल्में रिलीज होने जा रही है. जिसमें से एक रोहित शेट्टी निर्देशित और अजय देवगन अभिनीत सिंघम अगेन 3 है और दूसरी फिल्म अनीज़ बज़्मी निर्देशित और कार्तिक आर्यन अभिनीत भूल भुलैया 3 है यह दोनों फिल्में दिवाली पर रिलीज होने जा रही है. इन दोनों फिल्मों में ऐसा क्या खास है जिसे देखने दर्शक सिनेमाघर तक पहुंचेंगे? क्या यह दोनों फिल्में बौक्स औफिस पर धमाका कर पाएगी ? दिवाली पर रिलीज सभी फिल्में क्या हिट साबित होती हैं? पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर….

एक्शन से लेकर हौरर कौमेडी तक दिवाली पर होगा बड़ी फिल्मों का धमाका

देशभर में 1 नवंबर 2024 इस साल की दिवाली सभी के लिए खास है , लेकिन उन लोगों के लिए यह दिवाली और भी महत्वपूर्ण है जिनकी फ़िल्में दिवाली के मौके पर ही रिलीज हो रही है. जैसे कार्तिक आर्यन की भूल भुलैया 3 और अजय देवगन की सिंघम अगेन 3 दिवाली के मौके पर रिलीज होने जा रही है. इन दोनों ही फिल्मों का टकराव इस बार बौक्स ऑफिस पर देखने को मिलेगा. सिंघम अगेन 3 और भूल भुलैया 3 का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है . हालांकि सिंघम २ और भूल भुलैया २ भूल भुलैया और सिंघम के मुकाबले उतनी बेहतर नहीं थी. दोनों ही फिल्मों ने एवरेज बिज़नेस किया था . लेकिन फिर भी क्योंकि इस बार दोनों ही फिल्मों का बोलबाला ज्यादा है आकर्षित करने के लिए आने वाली फिल्मों में नई चीजें है और फिर दोनों फिल्मे दिवाली पर रिलीज हो रही है इस लिए भूल भुलैया 3 और सिंघम अगेन 3 का अगला भाग भी दर्शकों के डिमांड पर बनाया गया.

दिवाली पर होगा दो बड़ी फिल्मों का टकराव

दिवाली पर दो बिग बजट फिल्मों का टकराव होने जा रहा है जिसमें एक फिल्म अनीज़ बज्मी निर्देशित फ़िल्म भूल भुलैया 3 है जिसकी खासियत यह है की भूल भुलैया 3 से पहले भूल भुलैया 1 और भूल भुलैया 2 इन दोनों ही फिल्मों को सफलता हासिल हुई . इस बार भूल भुलैया 3 में जहां कहानी सस्पेंस बहुत तगड़ा होने वाला है. वही फिल्म में विद्या बालन जो भूल भुलैया वन में मंजुलिका के किरदार पर नजर आई थी , उनकी फिल्म में एंट्री होने जा रही है, इसके अलावा विद्या बालन के साथसाथ माधुरी दीक्षित नेने भी भूल भुलैया 3 में खास किरदार में नजर आने वाली है. फिल्म की रिलीज से पहले ही दर्शकों द्वारा इस फिल्म की रिलीज़ को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है. विद्या बालन और माधुरी के अलावा फ़िल्म के मुख्य कलाकार कार्तिक आर्यन और तृप्ति डिमरी का भी दर्शको में जबरदस्त क्रेज है.

इसके अलावा फ़िल्म में राजपाल यादव, विजय राज , संजय मिश्रा आदि बेहतरीन एक्टर भी है. वही दूसरी ओर रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम अगेन 3 में बौलीवुड के टौप स्टार्स की भरमार है , जैसे अजय देवगन, अक्षय कुमार, करीना कपूर, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, और टाइगर श्राफ आदि सिंघम अगेन में नजर आने वाले हैं. रोहित शेट्टी के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म एक्शन से भरपूर है. जिसमें अक्षय कुंमार टाइगर श्राफ अजय देवगन रणवीर सिंह के साथ साथ दीपिका पादुकोण और करीना कपूर का भी जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा . गौरतलब है कि इससे पहले की सिंघम और सिंघम अगेन को बौक्स औफिस पर जबरदस्त सफलता मिली है. जिसके बाद सिंघम अगेन 3 से की अपेक्षाएं ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में इन दोनों ही फिल्मों की सफलता को लेकर बौक्स औफिस कलेश होना स्वाभाविक है क्योंकि यह दर्शकों की पसंद पर भी निर्भर करेगा कि वह कौन सी फिल्म पहले देखना पसंद करेंगे. ऐसे में आने वाला समय ही बताएगा की सिंघम अगेन 3 और भूल भुलैया 3 में से कौन सी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर दिवाली धमाका साबित होती है.

दिवाली पर रिलीज हुई हिट ओर फ्लौप फिल्में

दिवाली पर रिलीज हुई फिल्में अगर बहुत हिट होती है तो बहुत सारी फिल्में फ्लौप भी होती है. जैसे कि रणबीर कपूर और सोनम कपूर की पहली फिल्म सांवरिया दिवाली पर रिलीज हुई थी और फ्लौप हो गई. सलमान खान सोनम कपूर अभिनित प्रेम रतन धन पायो बौक्स औफिस पर फिल्म धमाकेदार फिल्म साबित हुई. अक्षय कुमार अभिनीत सूर्यवंशी , अक्षय कुमार अभिनेता हाउसफुल 4, वही अजय देवगन अभिनीत गोलमाल अगेन, रितिक रोशन अभिनित कृष ३ सलमान खान अभिनित. टाइगर 3 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं . वही दूसरी ओर जान अब्राहम अभिनित ब्लू, आमिर खान अभिनित ठग्स ऑफ हिंदुस्तान, और अभिनित एक्शन रिप्ले, सलमान खान अभिनित जानेमन आदि फिल्में सुपर फ्लौप रही. कहने का तात्पर्य यह है कि होली हो या दिवाली ईद हो या क्रिसमस फिल्मे वही चलेंगी जिन में दम होगा. अंधविश्वास में पढ़ने के बजाय फिल्म में मेहनत करें ताकि फिल्म अपनी काबिलियत पर सफलता के झंडे गाडे .

क्या है सिरोसिस, जानें इस बीमारी के कारण और बचाव

लिवर सिरोसिस एक पुरानी और बढ़ने वाली बीमारी है जिसमें स्वस्थ लिवर टिशू की जगह स्कार टिशू (फाइब्रोसिस) ले लेते हैं. इससे लिवर का फंक्शन खराब हो सकता है और स्थिति लिवर फेल्योर तक पहुंच जाती है. शरीर में लिवर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ये रक्तप्रवाह से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करता है, आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन करता है, और ब्लड क्लौट को रेगुलेट करता है. सिरोसिस का अगर इलाज न कराया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है और जान को खतरा भी हो सकता है.

फरीदाबाद सेक्टर 81 स्थित डौक्टर81 क्लिनिक में सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलौजिस्ट डौक्टर विशाल खुराना ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी साझा की. उन्होंने लिवर सिरोसिस होने के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में बताया.

सिरोसिस क्या है?

जब किसी लंबी चोट के कारण लिवर पर स्थायी रूप से असर आ जाता है तो ये कंडीशन सिरोसिस कहलाती है.

डौक्टर विशाल खुराना ने हमें बताया कि लिवर एक री-जनरेटिव अंग होता है जिसमें खुद को ठीक करने की एक अद्भुत क्षमता होती है, लेकिन जब बार-बार लिवर को क्षति पहुंचती है, तो खराब टिशू स्वस्थ लिवर कोशिकाओं की जगह ले लेते हैं. समय के साथ, जैसे-जैसे लीवर का ज्यादा हिस्सा खराब होता जाता है, उसे महत्वपूर्ण काम करने में परेशानी होती है. इस हालत में लिवर से ब्लड फ्लो भी बाधित हो सकता है जिससे लिवर की डिस्फंक्शनिंग बढ़ जाती है. जब डैमेज ज्यादा हो जाता है तो सिरोसिस के कारण लिवर फेल होने का भी खतरा रहता है.

सिरोसिस के कारण

डौक्टर विशाल खुराना ने ऐसे कई स्थितियों के बारे में बताया जो सिरोसिस का कारण बन सकती हैं. सबसे आम कारणों में से है-

1. शराब का सेवन. जो लोग लंबे समय से शराब का सेवन करते आ रहे हों, उन्हें सिरोसिस होने का रिस्क रहता है. दरअसल, शराब सीधे लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, और समय के साथ-साथ ज्यादा पीने से सूजन हो जाती है और स्कार टिशू पनप जाते हैं.

2. हेपेटाइटिस बी और सी: हेपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरल संक्रमण भी सिरोसिस होने के महत्वपूर्ण कारण हैं. दोनों वायरस लिवर को टारगेट करते हैं, जिससे सूजन हो जाती है. अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो यही सूजन सिरोसिस में बदल सकती है.

3. नौनएल्कोहौलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी): एनएएफएलडी तेजी से सिरोसिस का एक आम कारण बनता जा रहा है, खासकर जिन देशों में मोटापे और डायबिटीज मामलों की संख्या बढ़ रही है, वहां स्थिति ज्यादा सोचनी है. इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने से इन्फ्लेशन और स्कार टिशू बढ़ने का रिस्क रहता है.

4. आटोइम्यून डिजीज: जहां शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से लिवर कोशिकाओं पर हमला करता है, वहां क्रोनिक इन्फ्लेशन हो सकता है और बाद में ये स्थिति सिरोसिस का कारण बन सकती है.

5. विल्सन डिजीज: ये एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऔर्डर है जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में कॉपर जमा होता है. ज्यादा कौपर होने से लिवर टिशू को डैमेज हो सकता है और ये समस्या सिरोसिस में बदल सकती है.

6. दवाएं और विषाक्त पदार्थ: कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी लिवर की क्षति और सिरोसिस हो सकता है. ये पदार्थ लिवर की डिटौक्सीफाई करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे लिवर पर निशान आ सकते हैं.

सिरोसिस के लक्षण

सिरोसिस के शुरुआती चरणों पर किसी का ध्यान नहीं जा सकता है क्योंकि क्षति के बावजूद लिवर अपना काम करता रहता है. हालांकि, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षण स्पष्ट होते जाते हैं. डौक्टर विशाल खुराना ने लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया.

1. कमजोरी और थकान: मरीजों को अक्सर थका हुआ और कमजोर महसूस होता है, खाने या नियमित गतिविधियों में मन नहीं लगता है.

2. वेट लौस: भूख की कमी, उल्टी या मतली के कारण बिना किसी वजह के वजन कम होना भी इसका एक लक्षण है.

3. फ्लूड रिटेंशन: जब लिवर फ्लूड और ब्लड प्रोटीन को रेगुलेट कर पाने में सक्षम नहीं रहते हैं, तब एडिमा (पैरों में सूजन) और एसाइट्स (पेट में पानी जमा होना) जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं.

4. पीलिया: त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना. ऐसा तब होता है जब लिवर रक्तप्रवाह से बिलीरुबिन को सही तरीके से साफ नहीं कर पाता है.

5. ब्लीडिंग और चोट लगना: ब्लड क्लॉटिंग के लिए लिवर आवश्यक प्रोटीन प्रोड्यूस करता है, ऐसे में लिवर पर डैमेज होने से ब्लीडिंग बढ़ सकती है, यहां तक कि मल में ब्लड आ सकता है या खून की उल्टियां हो सकती हैं.

6. मानसिक भ्रम और कंपकंपी: जब लिवर खून से विषाक्त पदार्थों को फ़िल्टर करने में कामयाब नहीं रहता है, तो इसके कारण लिवर एन्सेफैलोपैथी हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप कंफ्यूजन, झटके (एस्टेरिक्सिस) और गंभीर मामलों में कोमा की स्थिति भी पनप जाती है.

7. मल का रंग बदलना और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग: अगर किसी को गहरा, टेरी मल आता है तो वराइसेस के कारण होने वाली गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग का संकेत हो सकता है. दरअसल, सिरोसिस होने पर एसोफेगस या पेट में बड़ी नसें टूटने का खतरा होता है.

सिरोसिस से जुड़ी जटिलताएं

डौक्टर विशाल खुराना ने बताया कि जैसे-जैसे सिरोसिस बढ़ता है कई जानलेवा कौम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं.

पोर्टल हाइपरटेंशन: लिवर पर निशान आने से ब्लड फ्लो सुचारू नहीं रहता, जिससे पोर्टल वेन पर दबाव आ जाता है. इससे वराइसेस और एसाइट्स हो सकते हैं.

हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी): सिरोसिस वाले लोगों में लिवर कैंसर आम है.

लिवर फेल्योर: जब लिवर अपने महत्वपूर्ण काम करने बंद कर देता है तो आखिरकार लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प चुनना पड़ता है.

सिरोसिस का इलाज

डौक्टर विशाल खुराना के अनुसार, सिरोसिस का इलाज काफी हद तक इसके अंतर्निहित कारणों और डायग्नोज की स्टेज पर निर्भर करता है. हालांकि, सिरोसिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई तरह की रणनीतियां अपनाकर इसे मैनेज किया जा सकता है, जटिलताओं को कम किया जा सकता है और इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है.

1. शराब का सेवन न करें: शराब की लत को पूरी तरह से छोड़ देने पर सिरोसिस की प्रगति को धीमा किया जा सकता है या रोका सकता है.

2. एंटी वायरल दवाएं: हेपेटाइटिस बी या सी के कारण होने वाले सिरोसिस के लिए जो एंटीवायरल दवाएं ली जाती हैं उनकी मदद से लिवर की सूजन और डैमेज को कम किया जा सकता है.

3. फैटी लिवर डिजीज: नौन एल्कोहौलिक वाले फैटी लिवर के मरीजों में डायबिटीज को मैनेज करके, वेट लौस करके, कोलेस्टेरौल को कंट्रोल करने से लिवर की क्षति को रोकने में मदद मिल सकती है.

4. स्टेरायड और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स: आटोइम्यून हेपेटाइटिस के मामले में, इम्यून सिस्टम को दबाने के लिए कौर्टिकोस्टेरौइड्स जैसी दवाएं सूजन को कम कर सकती हैं.

5. विल्सन डिजीज: इसके इलाज में दवाएं शामिल होती हैं जो शरीर में कॉपर को नियंत्रित करती हैं.

6. लिवर ट्रांसप्लांट: सिरोसिस या लिवर फेल्योर के एडवांस स्टेज में मरीज की जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.

रोकथाम बेहद महत्वपूर्ण

डौक्टर विशाल खुराना कहते हैं कि सिरोसिस को रोकने में इसके रिस्क फैक्टर्स से बचना जरूरी है जो लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं. शराब का सेवन सीमित करना, हेपेटाइटिस के खिलाफ टीकाकरण, स्वस्थ वजन बनाए रखना और लिवर की रेगुलर जांच कराना महत्वपूर्ण है. सिरोसिस को मैनेज करने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए समय पर डायग्नोज और हस्तक्षेप आवश्यक है. लिवर सिरोसिस के कारणों, लक्षणों और उपलब्ध इलाज के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, हम लोगों को स्वस्थ लिवर के साथ जीवन गुजारने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

नमक हलाल : मनोहरा ने आखिर कैसे चुकाया नमक का कर्ज

लेखक- चंद्रभूषण ध्रुव

बैठक की मेज पर रखा मोबाइल फोन बारबार बज रहा था. मनोहरा ने इधरउधर झांका. शायद उस के मालिक बाबू बंका सिंह गलती से मोबाइल फोन छोड़ कर गांव में ही कहीं जा चुके थे.

मनोहरा ने दौड़ कर मोबाइल फोन उठाया और कान से लगा लिया. उधर से रोबदार जनाना आवाज आई, ‘हैलो, मैं निक्की की मां बोल रही हूं.’

अपनी मालकिन की मां का फोन पा कर मनोहरा घबराते हुए बोला, ‘‘जी, मालिक घर से बाहर गए हुए हैं.’’

‘अरे, तू उन का नौकर मनोहरा बोल रहा है क्या?’

‘‘जी…जी, मालकिन.’’

‘‘ठीक है, मुझे तुम से ही बात करनी है. कल निक्की बता रही थी कि तू जितना खयाल भैंस का रखता है, उतना खयाल निक्की का नहीं रखता. क्या यह बात सच है?’’

मनोहरा और घबरा उठा. वह अपनी सफाई में बोला, ‘‘नहीं… नहीं मालकिन, यह झूठ है. मैं निक्की मालकिन का हर हुक्म मानता हूं.’’

‘ठीक है, आइंदा उन की सेवा में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए,’ इतना कह कर मोबाइल फोन कट गया.

मनोहरा ने ठंडी सांस ली. उस का दिमाग दौड़ने लगा. फोन की आवाज जानीपहचानी सी लग रही थी. निक्की मालकिन जब से इस घर में आई हैं, तब से वे कई बार उसे बेवकूफ बना चुकी हैं. उस ने ओट ले कर आंगन में झांका. निक्की मालकिन हाथ में मोबाइल फोन लिए हंसी के मारे लोटपोट हो रही थीं. मनोहरा सारा माजरा समझ गया. वह मुसकराता हुआ भैंस दुहने निकल पड़ा.

निक्की बाबू बंका सिंह की दूसरी पत्नी थीं. पहली पत्नी के बारे में गांव के लोगों का कहना था कि बच्चा नहीं जनने के चलते बाबू बंका सिंह ने उन्हें मारपीट कर घर से निकाल दिया था. बाद में वे मर गई थीं.

निक्की पढ़ीलिखी खूबसूरत थीं. वे इस बेमेल शादी के लिए बिलकुल तैयार नहीं थीं, लेकिन मांबाप की गरीबी और उन के आंसुओं ने उन्हें समझौता करने को मजबूर कर दिया था.

शादी के कई महीनों तक निक्की बिलकुल गुमसुम बनी रहीं. उन की जिंदगी सोने के पिंजरे में कैद तोते की तरह हो गई थी.

हालांकि बाबू बंका सिंह निक्की की सुखसुविधा का काफी ध्यान रखते थे, इस के बावजूद उम्र का फासला निक्की को खुलने नहीं दे रहा था.

मनोहरा घर का नौकर था. हमउम्र मनोहरा से बतियाने में निक्की को अच्छा लगता था. समय गुजरने के साथसाथ निक्की का जख्म भरता गया और वे खुल कर मनोहरा से हंसीठिठोली करने लगीं.

उस दिन बाबू बंका सिंह गांव की पंचायत में गए हुए थे. निक्की गपशप के मूड में थीं. सो, उन्होंने मनोहरा को अंदर बुला लिया.

निक्की मनोहरा की आंखों में आंखें डाल कर बोलीं, ‘‘अच्छा, बता उस दिन मोबाइल फोन पर मेरी मां से क्या बातें हुई थीं?’’

मनोहरा मन ही मन मुसकराया, फिर अनजान बनते हुए कहने लगा, ‘‘कह रही थीं कि मैं आप का जरा भी खयाल नहीं रखता.’’

‘‘हांहां, मेरी मां ठीक ही कह रही थीं. मेरे सामने तुम शरमाए से खड़े रहते हो. तुम्हीं बताओ, मैं किस से बातें करूं? बाबू बंका सिंह की मूंछें और लाललाल आंखें देख कर ही मैं डर जाती हूं. उन की कदकाठी देख कर मुझे अपने काका की याद आने लगती है. एक तुम्हीं हो, जो मुझे हमदर्द लगते हो…’’

इस बेमेल शादी पर गांव वाले तो थूथू कर ही रहे थे. खुद मनोहरा को भी नहीं सुहाया था, पर उस की हैसियत हमदर्दी जताने की नहीं थी. सो, वह चुपचाप निक्की की बात सुनता रहा.

मनोहरा को चुप देख कर निक्की बोल पड़ीं, ‘‘मनोहरा, तुम्हारी शादी के लिए मैं ने अपने मायके में 60 साल की खूबसूरत औरत पसंद की है…’’

‘‘60 साल,’’ कहते हुए मनोहरा की आंखें चौड़ी हो गईं.

‘‘इस में क्या हर्ज है? जब मेरी शादी 60 साल के मर्द के साथ हो सकती है, तो तुम्हारी क्यों नहीं?’’

‘‘नहीं मालकिन, शादी बराबर की उम्र वालों के बीच ही अच्छी लगती है.’’

‘‘तो तुम ने अपने मालिक को समझाया क्यों नहीं? उन्होंने एक लड़की की खुशहाल जिंदगी क्यों बरबाद कर दी?’’ कहते हुए निक्की की आंखें आंसुओं से भर आईं.

समय बीतता गया. निक्की कीशादी के 5 साल गुजर गए, फिर भी आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंज पाई. निक्की को ओझा, गुनी, संतमहात्मा सब को दिखाया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा. गांवसमाज में निक्की को ‘बांझ’ कहा जाने लगा.

निक्की मालकिन दिलेर थीं. उन्हें ओझागुनी के यहां चक्कर लगाना अच्छा नहीं लग रहा था. उन्होंने शहर के बड़े डाक्टर से अपने पति और खुद का चैकअप कराने की ठानी.

शहर के माहिर डाक्टर ने दोनों के नमूने जांच लिए और बोला, ‘‘देखिए बंका सिंह, 10 दिन बाद निक्की की एक और जांच होगी. फिर सारी रिपोर्टें सौंप दी जाएंगी.’’

देखतेदेखते 10 दिन गुजर गए. उन दिनों गेहूं की कटाई जोरों पर थी. आकाश में बादल उमड़घुमड़ रहे थे. सो, किसानों में गेहूं समेटने की होड़ सी लगी थी.

बाबू बंका सिंह को भी दम मारने की फुरसत नहीं थी. वे दोबारा निक्की को चैकअप कराने में आनाकानी करने लगे. लेकिन निक्की की जिद के आगे उन की एक न चली. आखिर में मनोहरा को साथ ले कर जाने की बात तय हो गई.

दूसरे दिन निक्की मनोहरा को साथ ले कर सुबह वाली बस से डाक्टर के यहां चल पड़ीं. उस दिन डाक्टर के यहां ज्यादा भीड़ थी.

निक्की का नंबर आने पर डाक्टर ने चैकअप किया, फिर रिपोर्ट देते हुए बोला, ‘‘मैडम, आप बिलकुल ठीक हैं. फिर भी आप मां नहीं बन सकतीं, क्योंकि आप के पति की सारी रिपोर्टें ठीक नहीं हैं. आप के पति की उम्र काफी हो चुकी है, इसलिए उन्हें दवा से नहीं ठीक किया जा सकता है.’’

निक्की का चेहरा सफेद पड़ गया. डाक्टर उन की हालत को समझते हुए बोला, ‘‘घबराएं मत. विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है. आप चाहें तो और भी रास्ते हैं.’’

निक्की डाक्टर के चैंबर से थके पैर निकली. बाहर मनोहरा उन का इंतजार कर रहा था. वह निक्की को सहारा देते हुए बोला, ‘‘मालकिन, सब ठीकठाक तो है?’’

‘‘मनोहरा, मुझे कुछ चक्कर सा आ रहा है. शाम हो चुकी है. चलो, किसी रैस्टहाउस में रुक जाते हैं. कल सुबह वाली बस से गांव चलेंगे.’’

आटोरिकशा में बैठते हुए मनोहरा बोला, ‘‘मालकिन, गांव से हो कर निकलने वाली एक बस का समय होने वाला है. उस से हम लोग निकल चलते हैं. हम लोगों के आज नहीं पहुंचने पर कहीं मालिक नाराज नहीं हो जाएं.’’

‘‘भाड़ में जाए तुम्हारा मालिक. उन्होंने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा,’’ निक्की बिफर उठीं.

आटोरिकशा एक रैस्टहाउस में रुका. निक्की ने 2 बैड वाला कमरा बुक कराया और कमरे में जा कर निढाल पड़ गईं. उन के दिमाग में विचारों का पहिया घूमने लगा, ‘मेरे पति ने अपनी पहली पत्नी को बच्चा नहीं जनने के कारण ही घर से निकाला था, लेकिन खोट मेरे पति में है, यह कोई नहीं जान पाया. अगर इस बात को मैं ने उजागर किया, तो यह समाज मुझे बेहया कहने लगेगा. हो सकता है कि मेरा भी वही हाल हो, जो पहली पत्नी का हुआ था.’

निक्की के दिमाग के एक कोने से आवाज आई, ‘डाक्टर ने बताया है कि बच्चा पाने के और भी वैज्ञानिक रास्ते हैं…’

लेकिन दिमाग के दूसरे कोने ने इस सलाह को काट दिया, ‘क्या बाबू बंका सिंह अपनी झूठी शान के चलते ऐसा करने देंगे?’

सवालजवाब की चल रही इस आंधी में अपने को बेबस पा कर निक्की सुबकने लगीं.

मनोहरा को भी नींद नहीं आ रही थी. मालकिन के सुबकने से उस के होश उड़ गए. वह पास आ कर बोला, ‘‘मालकिन, आप रो क्यों रही हैं? क्या आप को कुछ हो रहा है?’’

निक्की का सुबकना बंद हो गया. उन्होंने जैसे फैसला कर लिया था. वे मनोहरा का हाथ पकड़ कर बोलीं, ‘‘मनोहरा, जो काम बाबू बंका सिंह 5 साल में नहीं कर पाए, वह काम तुझे करना है. बोलो, मेरा साथ दोगे?’’

मनोहरा निक्की की बातों का मतलब समझे बिना ही फटाक से बोल पड़ा,

‘‘मालकिन, मैं तो आप के लिए जान भी दे सकता हूं.’’

निक्की मालकिन मनोहरा के गले लग गईं. उन का बदन तवे की तरह जल रहा था. मनोहरा हैरान रह गया. वह निक्की से अलग होता हुआ बोला, ‘‘नहीं मालकिन, यह मुझ से नहीं होगा.’’

‘‘मनोहरा, डाक्टर का कहना है कि तुम्हारे मालिक में वह ताकत नहीं है, जिस से मैं मां बन सकूं. मैं तुम से बच्चा पाना चाहती हूं…’’

‘‘नहीं, यह नमक हरामी होगी.’’

‘‘मनोहरा, यह वक्त नमक हरामी या नमक हलाली का नहीं है. मेरे पास सिर्फ एक रास्ता बचा है और वह तुम हो. सोच लो, अगर मैं ने देहरी से बाहर पैर रखा, तो तुम्हारे मालिक की मूंछें नीची हो जाएंगी…’’ कहते हुए निक्की ने मनोहरा को अपनी बांहों में समेट लिया.

कोमल बदन की छुअन ने मनोहरा को मदहोश बना डाला. उस ने निक्की को अपनी बांहों में ऐसा जकड़ा कि उन के मुंह से आह निकल पड़ी.

घर आने के बाद भी लुकछिप कर यह सिलसिला चलता रहा. आखिरकार निक्की ने वह मंजिल पा ली, जिस की उन्हें दरकार थी.

गोदभराई रस्म के दिन बाबू बंका सिंह चहकते फिर रहे थे. निक्की दिल से मनोहरा की आभारी थीं, जिस ने एक उजड़ते घर को बचा लिया था.

इस तरह मनाएं यादगार दीवाली

त्योहार है दीपों का, उत्साह और मौजमस्ती का, धूमधड़ाके और मिलनेमिलाने का. इस के साथ ही दीवाली त्योहार दिखावे का भी है. इस दिन कुछ तो दिखावा कीजिए, कुछ तो शो औफ कर लीजिए. आजकल मौका ही कहां मिलता है दिखावा करने का? अपनी महंगी ज्वैलरी और स्टाइलिश ड्रैसेज इठला कर पहनने और दूसरों को जलाने का? अपने घर को सजानेसंवारने का क्योंकि आजकल घरों में शादियां या ऐसे बड़े मौके आते ही बहुत कम हैं.

पहले संयुक्त परिवार होते थे. घर में कोई न कोई शादी होती रहती थी जिस में लोग अपने सारे अरमान पूरे कर लेते थे. मगर आज पूरे परिवार में 2-3 या मुश्किल से 4 सदस्य होते हैं और वे भी अपनेअपने कमरे में बंद मोबाइल में लगे रहते हैं. घर में किसी अपने की शादी 10-15 साल में कभी होती है. अपने घर की जो शादी होती है उस की बात ही अलग होती है. तब इंसान बेहतर से बेहतर कपड़े खरीदता है ताकि सैकड़ों लोग देखें. स्टाइलिश और महंगे कपड़े तथा हैवी ज्वैलरी पहन कर राजारानी बन कर घूमता है, घर को सजाता है. महंगीमहंगी चीजें लाता है. मगर अब शादियों का मौका ही 10-12 साल बाद आता है.

ऐसे में दीवाली एक ऐसा बड़ा त्योहार है जो सब के घर में मनाया जाता है. यह किसी एक व्यक्ति या एक जाति के लोगों का त्योहार नहीं है. यह ऐसा पर्सनल मौका भी नहीं कि हम ने ऐनिवर्सरी मना ली या बर्थडे मना लिया. यह तो ऐसा त्योहार है जिसे सारे लोग मना रहे हैं, मिल कर खुशियां मना रहे हैं तो क्यों न इस मौके पर कुछ खास करें अपने लिए, अपने घर के लिए और अपनों के लिए भी.

शौपिंग करें जीभर कर

जीभर कर शौपिंग करने का मतलब यह नहीं कि सारी दुकान ही उठा कर ले आएं. इस का मतलब यह है कि ऐसी शौपिंग करें जिसे कर के आप को मजा आ जाए, आप का दिल खुश हो जाए. ऐसे कपड़े खरीदें और ऐसी ही ज्वैलरी और ऐक्सैसरीज लें जिन्हें पहन कर आप को अच्छा महसूस हो और आप खुशी महसूस करें. आप को लगे कि आप खास हैं. आप के कपड़ों और ज्वैलरी को 10 लोग देखें तो उन की नजरें हटें नहीं.

आप भले एक ही साड़ी लीजिए या एक ही गाउन या फिर कोई भी ऐसी ड्रैस लीजिए जिसे पहनें तो लोग तारीफ करते न थकें. ज्यादा पैसे लगाने में भी संकोच न करें क्योंकि यह मौका रोजरोज नहीं आता है. एकदम साधारण, सादा या डल कलर की ड्रैस जिस में कोई खास डिजाइन भी न हो मत लीजिए बल्कि ऐसे कपड़े लें जिन में कुछ जरी का काम हो या कुछ खास हाथ की कारीगरी दिख रही हो, कुछ अलग स्टाइल हो. ड्रैस ऐसी हो कि आप को गौर्जियस लुक दे. लोग आप से पूछते रह जाएं कि यह ड्रैसेज कहां से खरीदी, कितने में ली और कौन सा प्रिंट है वगैरहवगैरह.

कुछ अलग दिखने के लिए

दीवाली पर शो औफ करना है और कुछ अलग दिखना है तो इस तरह की ड्रैसेज चूज कर सकती हैं:

आप दीवाली के लिए फ्लोर लैंथ गाउन ले सकती हैं. कोई भी अवसर हो गाउन हमेशा खूबसूरत दिखता है. इस दीवाली के लिए हलके ब्राइट कलर के गाउन का चुनाव करें जिस पर थोड़ा जरी या स्टोन का काम हो. इसे दीवाली पार्टी या गैटटुगैदर के लिए पहन सकती हैं.

कुछ अलग दिखने के लिए क्रौप टौप और स्कर्ट पहन सकती हैं. यह लुक आप के ऐथनिक पहनावे में एक मौडर्न टच जोड़ देगा. लुक को और ड्रामैटिक बनाने के लिए एक अच्छा झिलमिलाता दुपट्टा ड्रैप करें. इस के आलावा फैस्टिव सीजन में लहंगे हमेशा ट्रैंड में रहते हैं. हैवी मिररवर्क ऐसे आउटफिट्स को और भी खूबसूरत बनाती है.

वैसे आप धोती स्टाइल ड्रैस भी ले सकती हैं. यह लुक ट्रैडिशनल है लेकिन कंटैंपरेरी ट्विस्ट के साथ.

साड़ी में महिलाएं इतनी सुंदर लगती हैं कि हर किसी का ध्यान उन की ओर जाता है. आप इस बार दीवाली पर साड़ी पहन सकती हैं. बाजार में आप को साड़ी की कई वैरायटीज मिल जाएंगी जैसे गुजराती, राजस्थानी साडि़यां, सिल्क, मैसूर, बनारसी आदि साडि़यां शानदार दिखती हैं.

अगर आप सूट पहनने की शौकीन हैं तो दीवाली के लिए प्लाजो का सूट एकदम परफैक्ट आउटफिट है. वैसे तो आप इसे कई तरह से कैरी कर सकती हैं. बाजार में आप को प्लाजो के साथ सैंटर कट वाली खूबसूरत कौटन या सिल्क की कुरती की कई वैरायटीज मिल जाएंगी. इस के अलावा आप इस तरह की कुरतियों को लौगिंग, प्लाजो पैंट, जींस या सलवार आदि के साथ भी स्टाइल कर सकती हैं और अलग दिख सकती हैं.

ज्वैलरी हो खास

ज्वैलरी भी ऐसी लीजिए कि आप फिर सालभर उसे किसी भी बड़े फंक्शन में पहन कर जा सकें. दीवाली के दिन जब आप वह ज्वैलरी पहन कर बाहर निकलें या किसी के घर जाएं या कोई आप से मिलने आए तो उस पर से नजरें न हटा सकें. लोग पूछते फिरें कि यह ज्वैलरी कहां से ली? आप व्हाट्सऐप पर स्टेटस में अपना फोटो डालें तो लोग भरभर कर आप के लुक और आप की पसंद की तारीफ करें. पड़ोसी, दोस्त या रिश्तेदार जो भी आप को देखे देखता रह जाए.

आप इस दिन के लिए ड्रैस से मैचिंग चोकर नैकलैस, स्टेटमैंट इयररिंग्स, स्टोन स्टड ज्वैलरी सैट आदि देख सकती हैं. कोई महंगी गोल्ड या डायमंड की ज्वैलरी ले सकती हैं. इस में सोने का हार, चूडि़यां, ?ामके और अंगूठियां आदि शामिल हो सकती हैं. कुंदन, पोल्की, मीनाकारी के आभूषण चुन सकती हैं जो तरहतरह की डिजाइनों से सजाए जाते हैं और रंगीन रत्नों से सुसज्जित होते हैं. माणिक, पन्ना, नीलम या अन्य कीमती पत्थरों वाले आभूषण पहन सकती हैं.

नवरत्न आभूषण यानी नौ विभिन्न रत्नों का उपयोग कर के तैयार किया गया शानदार आभूषण लें और सब के आगे खास दिखें. पोल्की से जड़ी भारी सोने की अंगूठियां लें. सफेद या पीले सोने में तैयार किए गए रूबी और हीरे का हार पहनें. चाहे पारंपरिक परिधान हो या रात में रेशमी साड़ी दोनों पर यह अद्भुत लगेगा क्योंकि यह आभूषण चांदनी में एकदम सही चमक के साथ चमकता है.

सोने की चांदबाली इस दीवाली में एक और आकर्षक आभूषण के रूप में देखी जा सकती है. चांदबाली बालियां अर्धचंद्राकार बालियां होती हैं जो आमतौर पर पोल्की और अन्य कीमती पत्थरों से जड़ी होती हैं. सिर्फ एक स्टेटमैंट चांदबाली आप को एक दीवा की तरह दिखने में मदद कर सकती है.

दीवाली के दिन आप अपने महंगे कपड़ों की ऐक्सैसरीज या घर के सामान का दिखावा जरूर करें. मगर यह दिखावा स्टेटस से जुड़ा हुआ दिखावा नहीं है. यह सालभर के त्योहार की खुशी का दिखावा है, जिस में आप अपने लिए दिखावा कर रही हैं, शो औफ कर रही हैं ताकि आप को अच्छा लगे. आप अपने जीवन में कुछ नया उत्साह, कुछ नई उमंग महसूस कर सकें.

घर को सजाएं शो औफ के लिए आप घर को सजाने में कोई कमी न रखें. यह न सोचें कि पैसे ज्यादा लग रहे हैं. कोई सजावटी सामान खूबसूरत होने के साथ महंगा है तो उसे छोड़ कर साधारण खरीद कर लाने की जरूरत नहीं. सालभर का त्योहार है. आराम से कुछ अच्छा ऐसा खरीदें कि जब दीवाली पर कोई घर आए तो पूछे बिना न रह सके कि यह कहां से लिया? क्या गजब का है.

ऐसे सजाएं घर को

आजकल दीवाली और दूसरे फैस्टिवल के मौकों पर घर को सजाने की तरहतरह की चीजें मिलती हैं जैसे वंदनवार, इलैक्ट्रिक लाइटिंग, 3डी रंगोली जिसे स्टिकर की तरह लगाया जा सकता है, वालपेपर, क्रिस्टल और बीड्स की रंगोली, फ्लोटिंग और सैंटेड मोमबत्तियां, कांच के कंदील, झालर आदि. बाजार में कई पैटर्न वाली इलैक्ट्रिक लाइट्स उपलब्ध हैं जिन से आप दीवाली के मौके पर घर को स्टाइल में रोशन कर सकती हैं.

ऐंट्रैंस पर लगातार जलने वाली नीली, हरी, सफेद या लाल लडि़यां लगा सकती हैं तो वहीं ब्राइट लुक के लिए मल्टी कलर्ड लाइट्स भी खूबसूरत लगती हैं. इन के अलावा गोल्डन स्ट्रिंग लाइट्स से आप अपने घर के अलगअलग हिस्सों को सजा सकती हैं. आजकल बाजार में कई तरह की मोमबत्तियां उपलब्ध हैं. आप सैंटेड कलर चेंजिंग कैंडल्स लगा सकती हैं. ये लाइट्स रिमोट बेस्ड या बिजली वाली होती हैं. इन में कलर बदलने का विकल्प भी होता है जिस से घर की खूबसूरती को चार चांद लग जाते हैं. सजावटी लालटेन से भी आप घर के डैकोर को मनचाहा लुक दे सकती हैं.

यहां भी ध्यान रखें कि बहुत सारी सजावट की चीज लेने के बजाय कुछ खास प्रोडक्ट्स लें. भले ही आप का घर बड़ा न हो पर सब से खूबसूरत जरूर दिखे ताकि 10 लोग आप के घर की तरफ टकटकी लगा कर देखें और सोचें कि ऐसा सजावटी सामान कहां से लाए होंगे.

स्वागत भी शानदार हो

यही नहीं घर के लिए कुछ कीमती सामान होगा जिसे आप कई महीनों से टाल रहे थे यह सोच कर कि पैसा होगा तो खरीदेंगे. यही वह समय है जब आप ऐसी खरीदारी भी कर डालें. दीवाली पर आप को बोनस मिला होगा और नहीं भी मिला तो भी सालभर में इतना तो खर्च कर ही सकते हैं ताकि आप को अच्छा महसूस हो और आप दूसरों को दिखा सकें कि आज दीवाली के दिन हम ने यह शानदार चीज खरीदी.

इस दिन लोगों का स्वागत भी शानदार तरीके से कीजिए. नया महंगा सोफा सैट लेना है या औटोमैटिक वाशिंग मशीन या नई बाइक जो भी लेना है दीवाली के मौके पर लीजिए. फिर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों आदि को बुला कर पार्टी कीजिए और उस में अपने नए सामान और चीजों का जम कर शो औफ भी कीजिए.

पार्टी कीजिए धमाल मचा कर

दीवाली पर पार्टी तो ज्यादातर लोग घरों में रखते हैं या दूसरे के घर में जाते हैं. आप भी अपने घर में पार्टी रखें ताकि शो औफ कर सकें अपनी चीजों का, अपनी ज्वैलरी और अपने कपड़ों का, अपने घर की सजावट और महंगे सामान का. फिर आप पार्टी ऐसीवैसी साधारण न रखें कि लोग आएं, खाना खा कर हंसीमजाक करें और चले जाएं. पार्टी कुछ मजेदार थीम वाली हो.

डैक पर गाने बजाएं. उन गानों पर डांस करें. कुछ डांस के गेम्स खेलें. कुछ मनोरंजक गतिविधियां करें. ट्रुथ और डेयर जैसे खेल खेलें और ऐसा हंगाम और मस्ती करें कि महल्ले में सब को पता चल जाए कि आप के यहां पार्टी है. फिर जीभर कर खिलाएंपिलाएं ताकि उस दिन की रौनक बढ़ जाए. जरूरी नहीं है कि दीवाली के दिन ही आप पार्टी करें. उस से 1-2 दिन पहले भी पार्टी कर सकती हैं.

जिस दिन आप के पास समय है या आप छुट्टी ले सकती हैं या फिर आप की छुट्टियां शुरू हो गई हैं उस दिन अपने दोस्तों को बुला लें. रिश्तेदार जो आप के आसपास मौजूद हैं उन्हें भी बुलाएं. अपने करीबी, पड़ोसियों को भी बुला लें और मिल कर धूम मचाएं ताकि इस दिन की तसवीरें यादें बन कर सालभर आप के जेहन में रहें. इन तसवीरों को अपने स्टेटस या फेसबुक पर डाल कर लोगों को जलाएं भी जरूर.

पटाखे भी हों हट कर

दीवाली में पटाखों के बिना मजा नहीं आता खासकर बच्चों को. उन के लिए कुछ अच्छी क्वालिटी के पटाखे लें. ऐसे पटाखे जो भले ही थोड़े महंगे हों मगर उन की रोशनी और आवाज दूर तक जाती हो ताकि जब आप छत पर या दरवाजे के बाहर उन्हें जलाएं तो दूरदूर से लोग उन्हें देख सकें. 1 घंटा भी अगर मन भर कर रोशनी वाले पटाखे जैसे अनार रैकेट, चकरी आदि जला लिए तो दीवाली की खुशी दोगुनी हो जाती है. हर बार कुछ नए तरह के पटाखे जरूर आते हैं. उन्हें जरूर ट्राई करें और बच्चों का उत्साह बढ़ाएं

औफिस में है पहला दिन, तो जानें कुछ जरूरी बातें

22 साल की रीमा को कालेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद एक एमएनसी में अच्छी नौकरी मिली. नौकरी मिलने की खुशी तो उसे बहुत रही, लेकिन हमेशा इस बात की चिंता उसे सताती रही कि पहला दिन औफिस में कैसा होगा. वह अपने वर्किंग फ्रैंड्स से पूछती रही कि उन्होंने कैसे पहले दिन को फेस किया है?

सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया उसे सुनने को मिली. सही जानकारी के लिए रीमा ने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया, लेकिन नर्वसनैस उस के मन में लगातार आती रही कि वह किस तरह औफिस में पहला दिन फेस करे.

यह सही है कि औफिस का पहला दिन हर व्यक्ति के लिए खास होता है. कुछ लोग पहले दिन नर्वस होते हैं, तो कुछ ऐक्साइटेड भी हो जाते हैं. ऐसे व्यक्ति पढ़ाई खत्म करने के बाद औफिस के प्रोफैशनल लाइफ से पूरी तरह से अनजान रहते हैं और मन में कई प्रकार के प्रश्न उठते रहते हैं, जिस से निकल पाना उन के लिए मुश्किल होता है. कुछ सुझाव निम्न हैं :

आउटफिट पर दें ध्यान

आउटफिट के साथ औफिस में पहले दिन प्रवेश करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि आउटफिट से ही पहला इंप्रैशन बनता है। सही आउटफिट के द्वारा औफिस में इसे बनाना संभव भी होता है. अगर औफिस में किसी प्रकार का ड्रैस कोड है, तो उसे अपने पर्सनैलिटी के हिसाब से सही और फिट हो, इस का ध्यान रखना चाहिए.

अगर किसी प्रकार के हलके मेकअप की जरूरत हो, तो उसे भी करने से पीछे न हटें. अगर आप परफ्यूम की शौकीन हैं, तो माइल्ड खुशबू की परफ्यूम का व्यवहार करें. अधिक मेकअप और अधिक खुशबू वाले परफ्यूम कभी भी औफिस में जाते समय व्यवहार न करें.

जौब प्रोफाइल को जानें

औफिस में जाने के बाद सब से पहले अपने सीनियर से बातचीत कर अपनी जौब को जान लें, ताकि आप को आगे बढ़ने में आसानी हो.

कंपनी के लक्ष्यों के अनुरूप कार्य करने की योजना बनाएं। वर्क कल्चर को समझें। पहली बार औफिस जौइन करते वक्त वहां के वर्क कल्चर को जानना आवश्यक होता है। हर औफिस का एक डेकोरम होता है, उसे जान लेना जरूरी है. इस के अलावा वहां की पौलिसी, टर्म्स ऐंड कंडिशंस के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए, ताकि आप खुद को उन के अनुसार ढाल सकें. आप मेहनती हो सकती हैं, लेकिन औफिस में काम करने के तरीकों को जान लें और उस के अनुसार ही काम की शुरुआत करें. इस के अलावा अपने कौन्फिडेंस को हमेशा बनाए रखें.

गौसिप से रहें दूर

औफिस गौसिप और पौलिटिक्स से हमेशा दूर रहें, क्योंकि इस से कई बार आप के व्यक्तित्व की पहचान बिगड़ती है. हां, इतना अवश्य है कि जहां आप को अपनी बात रखनी है वहां अपनी बात रखने से हिचकिचाएं नहीं. औफिस के गौसिप से दूर रहना ही हमेशा बेहतर होता है, इसलिए सब की सुनें, लेकिन
किसी के बहकावे में न आएं.

मदद मांगने से पीछे न हटें

अगर आप को औफिस के पहले दिन कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो किसी से मदद मांगने से पीछे न हटें और जिस व्यक्ति ने आप की मदद की है, उसे क्रैडिट देना भी न भूलें.

सही औबजर्वर बनें

शुरू के कुछ दिनों में हर किसी को औबजर्व करें और सब की सुनें. किसी के द्वारा पूछे या मांगे जाने पर ही अपना सुझाव दें. अपनी राय व्यक्त करते समय विनम्र रहें. यह बात ध्यान में रखें कि कंपनी को पता है कि आप फ्रेशर हैं व आप चीजों को जानने, समझने और सीखने में समय ले सकते हैं, लेकिन आप से यह हमेशा अपेक्षा की जाती है कि आप चीजों को सही तरीके से समझते हुए बदलावों के अनुकूल कार्य करें और हमेशा अपने काम को ले कर एलर्ट रहें.

समय पर करें काम

हर कंपनी चाहती है कि उस के कर्मचारी समय पर काम को पूरा करें, ऐसे मैं आप को टाइम मैनेजमेंट करने आना चाहिए। इस में वर्क कल्चर को भी ध्यान में रखना होगा. अगर समय पर आप काम को अच्छी तरह से पूरा कर देंगे, तो आपका इंप्रैशन औफिस में बना रहेगा. काम में बैस्ट परफौर्मेंस देने के साथसाथ आप का स्वभाव भी विनम्र हो, ताकि आपका पौजिटिव ऐटीट्यूड भी शो होगा.

इस तरह इन छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर आप औफिस के पहले दिन को बेहतर बना सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं. इस में हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आप की पर्सनैलिटी और धीरज ही आप को किसी बड़े ओहदे पर पहुंचाने में मदद करती है, जिस कामयाबी का सपना आप ने देखा है.

मैं पत्नी के गुस्से से परेशान हो गया हूं, क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 33 साल का विवाहित पुरूष हूं. बीवी पढ़ीलिखी और केयरिंग है. समस्या उस के गुस्सैल स्वभाव को ले कर है. वह छोटीछोटी बात पर गुस्सा हो जाती है और झगङा करने लग जाती है. इस से घर का माहौल बेहद बोझिल हो जाता है. हां, गुस्सा उतरने के बाद वह सौरी भी बोलती है पर फिर कब किस बात पर झगङने लगे यह कहा नहीं जा सकता. मैं उस के इस व्यवहार से बहुत दुखी रहने लगा हूं. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब-

पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार के साथ तकरार होना लाजिम है. शायद तभी तो कहते हैं कि जहां प्यार होता है वहां झगड़ा होना कोई बड़ी बात नहीं है, अलबत्ता पतिपत्नी के बीच होने वाली नोकझोंक से प्यार कम होने के बजाय और बढ़ता ही है. इसलिए अधिक परेशान न हों.

यह सही है कि जिन महिलाओं का स्वभाव गुस्सैल और झगड़ालू किस्म का होता है वे अकसर छोटीछोटी बातों पर तूफान खड़ा कर देती हैं, मगर इस का मतलब यह भी नहीं होता कि वे घरपरिवार को ले कर संजीदा नहीं होतीं. पति को ऐसे समय समझदारी और सूझबूझ से काम लेना चाहिए.

यदि आप की बीवी को किसी बात पर गुस्सा आ जाए तो यह आप की जिम्मेदारी बनती है कि घर का माहौल न बिगड़ने दें. इस स्थिति में बीवी के लिए समय निकाल कर उन्हें कहीं घुमाने ले जाएं ताकि उन का मन परिवर्तित हो जाए.

यह भी सही है कि घर की अधिक जिम्मेदारियों के चलते वे परेशान हो जाती हों. इस स्थिति में बीवी के साथ खास पलों को ऐंजौय करें ताकि रिश्ते में मधुरता बनी रहे.

बीवी के गुस्से को शांत करने के लिए समयसमय पर उन की तारीफ करना न भूलें साथ ही कोशिश करें कि जितना संभव हो घर के कामों में उन का हाथ बटाएं.

इस से बीवी को थोङा आराम मिलेगा और वे भी समझने लगेंगी कि आप न सिर्फ उन्हें प्यार करते हैं, बल्कि उन का केयर भी करते हैं.

कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि बीवी के साथ आप की बौंडिंग पहले से अधिक अच्छी हो जाएगी और घर में आएदिन किचकिच भी नहीं होगा.

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नचनिया : क्यों बेटे की हालत देख हैरान था एक पिता

‘‘कितना ही कीमती हो… कितना भी खूबसूरत हो… बाजार के सामान से घर सजाया जाता है, घर नहीं बसाया जाता. मौजमस्ती करो… बड़े बाप की औलाद हो… पैसा खर्च करो, मनोरंजन करो और घर आ जाओ.

‘‘मैं ने भी जवानी देखी है, इसलिए नहीं पूछता कि इतनी रात गए घर क्यों आते हो? लेकिन बाजार को घर में लाने की भूल मत करना. धर्म, समाज, जाति, अपने खानदान की इज्जत का ध्यान रखना,’’ ये शब्द एक अरबपति पिता के थे… अपने जवान बेटे के लिए. नसीहत थी. चेतावनी थी.

लेकिन पिछले एक हफ्ते से वह लगातार बाजार की उस नचनिया का नाच देखतेदेखते उस का दीवाना हो चुका था.

वह जानता था कि उस के नाच पर लोग सीटियां बजाते थे, गंदे इशारे करते थे. वह अपनी अदाओं से महफिल की रौनक बढ़ा देती थी. लोग दिल खोल कर पैसे लुटाते थे उस के नाच पर. उस के हावभाव में वह कसक थी, वह लचक थी कि लोग ‘हायहाय’ करते उस के आसपास मंडराते, नाचतेगाते और पैसे फेंकते थे.

वह अच्छी तरह से जानता था कि जवानी से भरपूर उस नचनिया का नाचनागाना पेशा था. लोग मौजमस्ती करते और लौट जाते. लौटा वह भी, लेकिन उस के दिलोदिमाग पर उस नचनिया का जादू चढ़ चुका था. वह लौटा, लेकिन अपने मन में उसे साथ ले कर. उफ, बला की खूबसूरती उस की गजब की अदाएं. लहराती जुल्फें, मस्ती भरी आंखें. गुलाब जैसे होंठ.वह बलखाती कमर, वह बाली उमर. वह दूधिया गोरापन, वह मचलती कमर. हंसती तो लगता चांद निकल आया हो.

वह नशीला, कातिलाना संगमरमर सा तराशा जिस्म. वह चाल, वह ढाल, वह बनावट. खरा सोना भी लगे फीका. मोतियों से दांत, हीरे सी नाक, कमल से कान, वे उभार और गहराइयां. जैसे अंगूठी में नगीने जड़े हों.

अगले दिन उस ने पूछा, ‘‘कीमत क्या है तुम्हारी?’’

नचनिया ने कहा, ‘‘कीमत मेरे नाच की है. जिस्म की है. तुम महंगे खरीदार लगते हो. खरीद सकते हो मेरी रातें, मेरी जवानी. लेकिन प्यार करने लायक तुम्हारे पास दिल नहीं. और मेरे प्यार के लायक तुम नहीं. जिस्म की कीमत है, मेरे मन की नहीं. कहो, कितने समय के लिए? कितनी रातों के लिए? जब तक मन न भर जाए, रुपए फेंकते रहो और खरीदते रहो.’’

उस ने कहा, ‘‘अकेले तन का मैं क्या करूंगा? मन बेच सकती हो? चंद रातों के लिए नहीं, हमेशा के लिए?’’

नचनिया जोर से हंसते हुए बोली, ‘‘दीवाने लगते हो. घर जाओ. नशा उतर जाए, तो कल फिर आ जाना महफिल सजने पर. ज्यादा पागलपन ठीक नहीं. समाज को, धर्म के ठेकेदारों को मत उकसाओ कि हमारी रोजीरोटी बंद हो जाए. यह महफिल उजाड़ दी जाए. जाओ यहां से मजनू, मैं लैला नहीं नचनिया हूं.’’

पिता को बेटे के पागलपन का पता लगा, तो उन्होंने फिर कहा, ‘‘बेटे, मेले में सैकड़ों दुकानें हैं. वहां एक से बढ़ कर एक खूबसूरत परियां हैं. तुम तो एक ही दुकान में उलझ गए. आगे बढ़ो. और भी रंगीनियां हैं. बहारें ही बहारें हैं. बाजार जाओ. जो पसंद आए खरीदो. लेकिन बाजार में लुटना बेवकूफों का काम है.

‘‘अभी तो तुम ने दुनिया देखनी शुरू की है मेरे बेटे. एक दिल होता है हर आदमी के पास. इसे संभाल कर रखो किसी ऊंचे घराने की लड़की के लिए.’’

लेकिन बेटा क्या करे. नाम ही प्रेम था. प्रेम कर बैठा. वह नचनिया की कातिल निगाहों का शिकार हो चुका था. उस की आंखों की गहराई में प्रेम का दिल डूब चुका था. अगर दिल एक है, तो जान भी तो एक ही है और उसकी जान नचनिया के दिल में कैद हो चुकी थी.

पिता ने अपने दीवान से कहा, ‘‘जाओ, उस नचनिया की कुछ रातें खरीद कर उसे मेरे बेटे को सौंप दो. जिस्म की गरमी उतरते ही खिंचाव खत्म हो जाएगा. दीवानगी का काला साया उतर जाएगा.’’

नचनिया सेठ के फार्महाउस पर थी और प्रेम के सामने थी. तन पर एक भी कपड़ा नहीं था. प्रेम ने उसे सिर से पैर तक देखा.

नचनिया उस के सीने से लग कर बोली, ‘‘रईसजादे, बुझा लो अपनी प्यास. जब तक मन न भर जाए इस खिलौने से, खेलते रहो.’’

प्रेम के जिस्म की गरमी उफान न मार सकी. नचनिया को देख कर उस की रगों का खून ठंडा पड़ चुका था.

उस ने कहा, ‘‘हे नाचने वाली, तुम ने तन को बेपरदा कर दिया है, अब रूह का भी परदा हटा दो. यह जिस्म तो रूह ने ओढ़ा हुआ है… इस जिस्म को हटा दो, ताकि उस रूह को देख सकूं.’’

नचनिया बोली, ‘‘यह पागलपन… यह दीवानगी है. तन का सौदा था, लेकिन तुम्हारा प्यार देख कर मन ही मन, मन से मन को सौसौ सलाम.

‘‘पर खता माफ सरकार, दासी अपनी औकात जानती है. आप भी हद में रहें, तो अच्छा है.’’

प्रेम ने कहा, ‘‘एक रात के लिए जिस्म पाने का नहीं है जुनून. तुम सदासदा के लिए हो सको मेरी ऐसा कोई मोल हो तो कहो?’’

नचनिया ने कहा, ‘‘मेरे शहजादे, यह इश्क मौत है. आग का दरिया पार भी कर जाते, जल कर मर जाते या बच भी जाते. पर मेरे मातापिता, जाति के लोग, सब का खाना खराब होगा. तुम्हारी दीवानगी से जीना हराम होगा.’’

प्रेम ने कहा, ‘‘क्या बाधा है प्रेम में, तुम को पाने में? तुम में खो जाने में? मैं सबकुछ छोड़ने को राजी हूं. अपनी जाति, अपना धर्म, अपना खानदान और दौलत. तुम हां तो कहो. दुनिया बहुत बड़ी है. कहीं भी बसर कर लेंगे.’’

नचनिया ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा, ‘‘ये दौलत वाले कहीं भी तलाश कर लेंगे. मैं तन से, मन से तुम्हारी हूं, लेकिन कोई रिश्ता, कोई संबंध हम पर भारी है. मैं लैला तुम मजनू, लेकिन शादी ही क्यों? क्या लाचारी है? यह बगावत होगी. इस की शिकायत होगी. और सजा बेरहम हमारी होगी. क्यों चैनसुकून खोते हो अपना. हकीकत नहीं होता हर सपना. यह कैसी तुम्हारी खुमारी है. भूल जाओ तुम्हें कसम हमारी है.’’

अरबपति पिता को पता चला, तो उन्होंने एकांत में नचनिया को बुलवा कर कहा, ‘‘वह नादान है. नासमझ है. पर तुम तो बाजारू हो. उसे धिक्कारो. समझाओ. न माने तो बेवफाईबेहयाई दिखाओ. कीमत बोलो और अपना बाजार किसी अनजान शहर में लगाओ. अभी दाम दे रहा हूं. मान जाओ.

‘‘दौलत और ताकत से उलझने की कोशिश करोगी, तो न तुम्हारा बाजार सजेगा, न तुम्हारा घर बचेगा… क्या तुम्हें अपने मातापिता, भाईबहन और अपने समुदाय के लोगों की जिंदगी प्यारी नहीं? क्या तुम्हें उस की जान प्यारी नहीं? कोई कानून की जंजीरों में जकड़ा होगा. कैद में रहेगा जिंदगीभर. कोई पुलिस की मुठभेड़ में मारा जाएगा. कोई गुंडेबदमाशों के कहर का शिकार होगा. क्यों बरबादी की ओर कदम बढ़ा रही हो? तुम्हारा प्रेम सत्ता और दौलत की ताकत से बड़ा तो नहीं है.

‘‘मेरा एक ही बेटा है. उस की एक खता उस की जिंदगी पर कलंक लगा देगी. अगर तुम्हें सच में उस से प्रेम

है, तो उस की जिंदगी की कसम… तुम ही कोई उपाय करो. उसे अपनेआप से दूर हटाओ. मैं जिंदगीभर तुम्हारा कर्जदार रहूंगा.’’

नचनिया ने उदास लहजे में कहा, ‘‘एकांत में यौवन से भरे जिस्म को जिस के कदमों में डाला, उस ने न पीया शबाब का प्याला. उसे तन नहीं मन चाहिए. उसे बाजार नहीं घर चाहिए.

उसे हसीन जिस्म के अंदर छिपा मन का मंदिर चाहिए. उपाय आप करें. मैं खुद रोगी हूं. मैं आप के साथ हूं प्रेम को संवारने के लिए,’’ यह कह कर नचनिया वहां से चली गई.

दौलतमंद पिता ने अपने दीवान से कहा, ‘‘बताओ कुछ ऐसा उपाय, जिस का कोई तोड़ न हो. उफनती नदी पर बांध बनाना है. एक ही झटके में दिल की डोर टूट जाए. कोई और रास्ता न बचे उस नचनिया तक पहुंचने का. उसे बेवफा, दौलत की दीवानी समझ कर वह भूल जाए प्रेमराग और नफरत के बीज उग आए प्रेम की जमीन पर.’’

दीवान ने कहा, ‘‘नौकर हूं आप का. बाकी सारे उपाय नाकाम हो सकते हैं, प्रेम की धार बहुत कंटीली होती है. सब से बड़ा पाप कर रहा हूं बता कर. नमक का हक अदा कर रहा हूं. आप उसे अपनी दासी बना लें. आप की दौलत से आप की रखैल बन कर ही प्रेम उस से मुंह मोड़ सकता है.

‘‘फिर अमीरों का रखैल रखना तो शौक रहा है. कहां किस को पता चलना है. जो चल भी जाए पता, तो आप की अमीरी में चार चांद ही लगेंगे.’’

नचनिया को बुला कर बताया गया. प्रस्ताव सुन कर उसे दौलत भरे दिमाग की नीचता पर गुस्सा भी आया. लेकिन यदि प्रेम को बचाने की यही एक शर्त है, तो उसे सब के हित के लिए स्वीकारना था. उस ने रोरो कर खुद को बारबार चुप कराया. तो वह बन गई अपने दीवाने की नाजायज मां.

प्रेम तक यह खबर पहुंची कि बाजारू थी बिक गई दौलत के लालच में. जिसे तुम्हारी प्रेमिका से पत्नी बनना था, वह रुपए की हवस में तुम्हारे पिता की रखैल बन गई.

प्रेम ने सुना, तो पहली चोट से रो पड़ा वह. पिंजरे में बंद पंछी की तरह फड़फड़ाया, लड़खड़ाया, लड़खड़ा कर गिरा और ऐसा गिरा कि संभल न सका.

वह किस से क्या कहता? क्या पिता से कहता कि मेरी प्रेमिका तुम्हारी हो गई? क्या जमाने से कहता कि पिता ने मेरे प्रेम को अपना प्रेम बना लिया? क्या समझाता खुद को कि अब वह मेरी प्रेमिका नहीं मेरी नाजायज सौतेली मां है.

वह बोल न सका, तो बोलना बंद कर दिया उस ने. हमेशाहमेशा के लिए खुद को गूंगा बना लिया उस ने.

पिता यह सोच कर हैरान था कि जिंदगीभर पैसा कमाया औलाद की खुशी के लिए. उसी औलाद की जान छीन ली दौलत की धमक से. क्या पता दीवानगी. क्या जाने दिल की दुनिया. प्यार की अहमियत. वह दौलत को ही सबकुछ समझता रहा.

अब दौलत की कैद में वह अरबपति पिता भटक रहा है अपने पापों का प्रायश्चित्त करते हुए हर रोज.

Festive Special: इस तरह बनाएं टेस्टी कराची हलवा, बढ़ जाएगा थाली का स्वाद

कराची हलवा का नाम आपने बौम्बे कराची हलवे के रूप में कईं बार सुना होगा. कराची हलवा मार्केट में बड़ी आसानी से मिल जाता है, लेकिन क्या आपने कभी कराची हलवा घर पर बनाने की कोशिश किया है. आज हम आपको कराची हलवा की आसान रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे बनाकर आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के अपनी तारीफें बटोर सकती हैं.

हमें चाहिए

कार्न फ्लोर – 1 कप (100 ग्राम)

चीनी – 2 कप ( 450 ग्राम)

घी – 1/2 घी (125 ग्राम)

काजू – आधा कप (छोटे छोटे कटे हुये)

पिस्ते – 1 टेबल स्पून (बारीक पतले कटे हुये)

टाटरी (टार्टरिक एसिड)- 1 /4 छोटी चम्मच पाउडर (2 मटर के दाने के बराबर)

छोटी इलाइची – 4-5 (छील कर पाउडर कर लीजिये)

बनाने  का तरीका

हलवा बनाने में 2 कप पानी यानी कि 400 ग्राम पानी प्रयोग करना है. सबसे पहले कार्न फ्लोर को थोड़ा पानी डालकर गुठलियां खतम होने तक घोल लीजिये, घोल में पानी की कुल मात्रा 1 1/4 कप डाल कर मिला दीजिये. चीनी को पैन में डालिये और 3/4 कप पानी, चीनी में डाल दीजिये. चीनी अच्छी तरह घुलने तक चाशनी पका लीजिये.

चाशनी में कार्न फ्लोर का घोल मिलाइये, और धीमी गैस पर हलवे को कलछी से लगातार चलाते हुये पकाइये, 10-12 मिनिट में हलवा गाढ़ा होने लगता है, अभी भी हलवा को लगातार धीमी आग पर चलाते हुये पकाना है, हलवा पारदर्शक होने लगता है, अब हलवा को आधा घी डालकर, घी अच्छी तरह मिक्स होने तक पकाइये. टाटरी भी डाल कर मिला दीजिये. बचा हुआ घी भी चम्मच से थोड़ा थोड़ा करके डालिये और सारा घी हलवा में डालकर, घी के एब्जोर्ब होने तक हलवा को चलाते हुये पकाइये.

हलवा में काफी चमक आ गई है, हलवे में कलर डालिये और अच्छी तरह मिक्स होने तक पका लीजिये, काजू और इलाइची पाउडर डालकर हलवे को अच्छी तरह पका लीजिये. हलवा को और 5-7 मिनिट या जब तक हलवा जमने वाली कनिसिसटेन्सी तक न आ जाय तब तक पका लीजिये.

कराची हलवा तैयार है, हलवे को किसी ट्रे या प्लेट में निकाल कर जमने रखिये, हलवा के ऊपर बारीक कटे हुये पिस्ते डालकर चम्मच से चिपका दीजिये. हलवा के जमने पर अपने मन पसन्द आकार के टुकड़ों में हलवा को काट कर तैयार कर लीजिये.

हलवा को आप अभी खाइये और बचा हुआ कराची हलवा एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लीजिये इस हलवे की शैल्फ लाइफ बहुत अधिक है.  इसे फ्रिज में न रखकर फ्रिज से बाहर ही रखिये. और अपनी फैमिली को डिनर या कभी भी खिलाइये.

तीसरी गलती : क्यों परेशान थी सुधा?

टूर पर जाने के लिए प्रिया ने सारी तैयारी कर ली थी. 2 बैग में सारा सामान भर लिया था. बेटी को पैकिंग करते देख सुधा ने पूछा, ‘‘इस बार कुछ ज्यादा सामान नहीं ले जा रही हो?’’

‘‘हां मां, ज्यादा तो है,’’ गंभीर स्वर में प्रिया ने कहा. अपने जुड़वां भाई अनिल, भाभी रेखा को बाय कह कर, उदास आंखों से मां को देखती हुई प्रिया निकल गई. 10 मिनट के बाद ही प्रिया ने सुधा को फोन किया, ‘‘मां, एक पत्र लिख कर आप की अलमारी में रख आई हूं. जब समय मिले, पढ़ लेना.’’ इतना कह कर प्रिया ने फोन काट दिया.

सुधा मन ही मन बहुत हैरान हुईं, उन्होंने चुपचाप कमरे में आ कर अलमारी में रखा पत्र उठाया और बैड पर बैठ कर पत्र खोल कर पढ़ने लगीं. जैसेजैसे पढ़ती जा रही थीं, चेहरे का रंग बदलता जा रहा था. पत्र में लिखा था, ‘मां, मैं मुंबई जा रही हूं लेकिन किसी टूर पर नहीं. मैं ने अपना ट्रांसफर आप के पास से, दिल्ली से, मुंबई करवा लिया है क्योंकि मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका है. अभी तक तो मेरा कोई ठिकाना नहीं था, अब मैं आत्मनिर्भर हो चुकी हूं तो क्यों आप को अपना चेहरा दिखादिखा कर, आप की तीसरी गलती, हर समय महसूस करवाती रहूं. तीसरी गलती, आप के दिल में मेरा यही नाम हमेशा रहा है न. ‘इस दुनिया में आने का फैसला तो मेरे हाथ में नहीं था न. फिर आप क्यों मुझे हमेशा तीसरी गलती कहती रहीं. सुमन और मंजू दीदी को तो शायद उन के हिस्से का प्यार दे दिया आप ने. मेरी बड़ी बहनों के बाद भी आप को और पिताजी को बेटा चाहिए था तो इस में मेरा क्या कुसूर है? मेरी क्या गलती है? अनिल के साथ मैं जुड़वां हो कर इस दुनिया में आ गई. अपने इस अपराध की सजा मैं आज तक भुगत रही हूं. कितना दुखद होता है अनचाही संतान बन कर जीना.

‘आप सोच भी नहीं सकतीं कि तीसरी गलती के इन दो शब्दों ने मुझे हमेशा कितनी पीड़ा पहुंचाई है. जब से होश संभाला है, इधर से उधर भटकती रही हूं. सब के मुंह से यही सुनसुन कर बड़ी हुई हूं कि जरूरत अनिल की थी, यह तीसरी गलती कहां से आ गई. अनिल तो बेटा है. उसे तो हाथोंहाथ ही लिया जाता था. आप लोग हमेशा मुझे दुत्कारते ही रहे. मुझ से 10-12 साल बड़ी मेरी बहनों ने मेरी देखभाल न की होती तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता. मेरी पढ़ाईलिखाई की जिम्मेदारी भी उन्होंने ही उठाई.

‘मेरी परेशानी तब और बढ़ गई जब दोनों का विवाह हो गया था. अब आप थीं, पिताजी थे और अनिल. वह तो गनीमत थी कि मेरा मन शुरू से पढ़ाईलिखाई में लगता था. शायद मेरे मन में बढ़ते अकेलेपन ने किताबों में पनाह पाई होगी. आज तक किताबें ही मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं. दुख तब और बढ़ा जब पिताजी भी नहीं रहे. मुझे याद है मेरे स्कूल की हर छुट्टी में आप कभी मुझे मामा के यहां अकेली भेज देती थीं, कभी मौसी के यहां, कभी सुमन या मंजू दीदी के घर. हर जगह अकेली. हर छुट्टी में कभी इस के घर, कभी उस के घर. जबकि मुझे तो हमेशा आप के साथ ही रहने का दिल करता था. ‘कहींकहीं तो मैं बिलकुल ऐसी स्पष्ट, अनचाही मेहमान होती थी जिस से घर के कामों में खूब मदद ली जाती थी, कहींकहीं तो 14 साल की उम्र में भी मैं ने भरेपूरे घर का खाना बनाया है. कहीं ममेरे भाईबहन मुझे किचन के काम सौंप खेलने चले जाते, कहीं मौसी किचन में अपने साथ खड़ा रखतीं. मेरे पास ऐसे कितने ही अनुभव हैं जिन में मैं ने साफसाफ महसूस किया था कि आप को मेरी कोई परवा नहीं थी. न ही आप को कुछ फर्क पड़ता था कि मैं आप के पास रहूं या कहीं और. मैं आप की ऐसी जिम्मेदारी थी, आप की ऐसी गलती थी जिसे आप ने कभी दिल से नहीं स्वीकारा.

‘मैं आप की ऐसी संतान थी जो आप के प्यार और साथ को हमेशा तरसती रही. मेरे स्कूल से लेट आने पर कभी आप ने यह नहीं पूछा कि मुझे देर क्यों हुई. वह तो मेरे पढ़नेलिखने के शौक ने पढ़ाई खत्म होते ही मुझे यह नौकरी दिलवा दी जिस से मैं अब सचमुच आप से दूर रहने की कोशिश करूंगी. अपने प्रति आप की उपेक्षा ने कई बार मुझे जो मानसिक और शारीरिक कष्ट दिए हैं. उन्हें भूल तो नहीं पाऊंगी पर हां, जीवन के महत्त्वपूर्ण सबक मैं ने उन पलों से ही सीखे हैं. ‘आप की उपेक्षा ने मुझे एक ऐसी लड़की बना दिया है जिसे अब किसी भी रिश्ते पर भरोसा नहीं रहा. जीने के लिए थोड़े से रंग, थोड़ी सी खुशबू, थोड़ा सा उजाला भी तो चाहिए, खुशियोें के रंग, प्यार की खुशबू और चाहत का उजाला. पर इन में से कुछ भी तो नहीं आया मेरे हिस्से. अनिल के साथ जुड़वां बन दुनिया में आने की सजा के रूप में जैसे मुझे किसी मरुस्थल के ठीक बीचोंबीच ला बिठाया गया था जहां न कोई छावं थी, न कोई राह.

‘मां, आप को पता है अकेलापन किसी भयानक जंगल से कम नहीं होता. हर रास्ते पर खतरा लगता है. जब आप अनिल के आगेपीछे घूमतीं, मैं आप के आगेपीछे घूम रही होती थी. आप के एक तरफ जब अनिल लेटा होता था तब मेरा मन भी करता था कि आप की दूसरी तरफ लेट जाऊं पर मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कभी. आज आप का दिल दुखाना मेरा मकसद नहीं था पर मेरे अंदर लोगों से, आप से मिली उपेक्षा का इतना जहर भर गया है कि मैं चाह कर भी उसे निगल नहीं सकती. आखिर, मैं भी इंसान हूं. आज सबकुछ उगलना ही पड़ा मुझे. बस, आज मैं आप सब से दूर चली गई. आप अब अपने बेटे के साथ खुश रहिए.

‘आप की तीसरी गलती.

‘प्रिया.’

सुधा को अब एहसास हुआ. आंसू तो कब से उन के गाल भिगोते जा रहे थे. यह क्या हो गया उन से. फूल सी बेटी का दिल अनजाने में ही दुखाती चली गई. वे पत्र सीने से लगा कर फफक पड़ीं. अब क्या करें. जीवन तो बहती नदी की तरह है, जिस राह से वह एक बार गुजर गया, वहां लौट कर फिर नहीं आता, आ ही नहीं सकता.

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