टाइगर ने लिया शेरनी को गोद

टाइगर श्रौफ ने इंटरनैशनल टाइगर डे पर नागपुर के महाराज बाग चिडि़याघर से 4 माह की शेरनी के पालनपोषण की जिम्मेदारी उठाने के लिए कानूनन उसे गोद लिया है. टाइगर ने उस का नाम ली रखा है और वे समयसमय पर यह देखते रहते हैं कि ली स्वस्थ और खुश है कि नहीं. टाइगर बचपन से ही इस खूंख्वार और हैरतअंगेज क्षमता वाले जानवर की चुस्तीफुरती और हिम्मत के दीवाने रहे हैं. उन का मानना है कि यह पशु खूबसूरती, निडरता और ताकत का बेजोड़ नमूना है.

किस चलेगा पर बिकनी नहीं

हिंदी फिल्म ‘राजा नटवरलाल’ से बौलीवुड में डेब्यू करने वाली पाकिस्तानी अभिनेत्री हुमाइमा खान को किस से कोई एतराज नहीं. लेकिन फिल्म की स्क्रिप्ट में बिकनी पहनने जैसी कोई बात होगी तो जरूर एतराज होगा. हुमाइमा ने 29 अगस्त को रिलीज होने वाली फिल्म ‘राजा नटवरलाल’ में जम कर किसिंग सींस किए हैं. हुमाइमा ने कहा कि जब मैं अच्छी अभिनेत्री हूं, तो मुझे बिकनी पहनने की क्या जरूरत है? मेरी फिल्म में जबरदस्ती अश्लीलता नहीं डाली गई है. हर रूमानी सीन का औचित्य है और उन्हें संवेदनशील तरीके से फिल्माया गया है.

हुमा का स्लिमट्रिम अंदाज

‘गैंग्स औफ वासेपुर’ गर्ल हुमा कुरैशी अब अपनी मांसल काया को बदल कर छरहरे रूप में आ गई हैं. अपनी इस कायाकल्प का राज वे खाना कम करने को नहीं बतातीं. पर यह जरूर कहती हैं कि हर 10 दिनों पर मेरे प्रशिक्षक मुझे वे तमाम चीजें खानेपीने की छूट देते हैं, जो मुझे बेहद पसंद है. मुझे भूखे रहने में विश्वास नहीं है, लेकिन मैं स्वस्थ खानपान का चुनाव करती हूं. मेरे प्रशिक्षक बेहद अच्छे हैं. उन्होंने स्वस्थ खानपान के प्रति मेरी रुचि जगाई. जंक फूड खाना मैं ने छोड़ दिया और मैं हर रोज कसरत करती हूं.

हुमा अब फिल्मों को छोड़ कर नाटक में अपनी रुचि दिखा रही हैं. पिछले दिनों पृथ्वी थिएटर में ऐनुअल यूथ थिएटर फैस्टिवल के मौके पर उन्होंने ‘थेस्पो ओरिऐंटेशन’ प्ले में अपना अभिनय दिखाया.

बौलीवुड का फुटबौल फीवर

ब्राजील में फुटबौल का महाकुंभ कभी का समाप्त हो गया है पर लगता है, बौलीवुड पर उस का खुमार अभी भी छाया हुआ है. पिछले दिनों आमिर खान की बेटी द्वारा आयोजित चैरिटी फुटबौल मैच के दौरान सारा बौलीवुड खेल के मैदान पर दिखा. स्वीडिश ऐक्ट्रैस ऐली एवराम के अलावा आमिर खान अपनी पत्नी किरन राव और बेटे आजाद के साथ मैदान में दौड़ते नजर आए, तो अभिषेक बच्चन, रितिक रोशन, डीनो मारियो के अलावा और भी कई सिने स्टार इस चैरिटी फुटबौल मैच का हिस्सा बने.

ट्विटर, फेसबुक रिश्तों को तोड़ रहे हैं : विद्या बालन

‘सब्सटैंस औफ वूमन’ के किरदार निभाते हुए बौलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने वाली विद्या बालन फिल्म ‘परिणीता’ से ले कर ‘बौबी जासूस’ तक अपनी अभिनय क्षमता से दर्शकों को चौंकाती आई हैं.

हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाली अदाकारा विद्या ने इन दिनों यह कह कर दर्शकों को चौंकाया है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जासूसी करने वाली हैं.

पेश हैं, विद्या से हुई गुफ्तगू के कुछ अहम अंश:

चर्चा है कि फिल्म ‘बौबी जासूस’ का पात्र आप की अपनी जिंदगी से मिलताजुलता रहा?

फिल्म ‘बौबी जासूस’ में बिलिक्स उर्फ बौबी की अपनी जिंदगी की यात्रा है. जब मैं ने स्क्रिप्ट पढ़ी थी, तब मुझे उस में अपनी जिंदगी की झलक नजर आने लगी थी. मैं निजी जिंदगी में भी छोटेछोटे कदम उठा कर आगे बढ़ रही हूं. पर बौबी और मुझ में एक फर्क है. इस फिल्म में बौबी के पिता उस के खिलाफ हैं, जबकि मेरे पिता व मेरी बड़ी बहन हमेशा मेरे साथ रहे और आज भी साथ हैं. लेकिन मेरी मम्मी मेरे इस निर्णय से नाखुश थीं. मम्मी नहीं चाहती थीं कि मैं अभिनेत्री बनूं.

फिल्म ‘बौबी जासूस’ में बौबी की जो यात्रा है, उस में वूमन ऐंपावरमैंट कहां है, जिस की आप बड़ी हिमायती हैं?

वूमन ऐंपावरमैंट या स्ट्रौंग वूमन मेरे लिए वही है, जो इस बात में विश्वास करती है कि उस की अपनी जिंदगी की डोर उस के अपने हाथों में है. बौबी इसी तरह की लड़की है. बौबी जानती है कि वह अपनी जिंदगी की हर परेशानी से जूझ सकती है. उस की जिंदगी में तमाम अड़चनें आती हैं. पर वह हार नहीं मानती.

टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में वूमन ऐंपावरमैंट के नाम पर कुछ होता ही नहीं है. क्या गिनीचुनी नारीप्रधान फिल्में बनाना ही वूमन ऐंपावरमैंट है?

मैं टीवी इंडस्ट्री को ले कर कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि मैं टीवी पर काम नहीं कर रही हूं. मैं फिल्मों के प्रमोशन के लिए ही टीवी पर जाती हूं. फिर भी मुझे लगता है कि आज लोगों में अवेयरनैस इस कदर बढ़ी है कि अब वे डरते नहीं हैं. लड़की समझ जाती है कि सामने वाला अपनी हरकतों से किस बात की तरफ इशारा कर रहा है.

आप खुद वूमन ऐंपावरमैंट के लिए अपनी तरफ से या किसी संस्था के साथ जुड़ कर क्या कर रही हैं?

मैं किसी संस्था के साथ जुड़ी नहीं हूं. मैं निजी स्तर पर ही औरतों के लिए काम करती हूं. मैं हमेशा ऐसे किरदार निभाती हूं. मैं ऐसी लड़कियों या ऐसी औरतों के किरदारों को निभाती हूं, जो अपनी शक्ति से वाकिफ हैं या फिल्म के दौरान वे अपनी शक्तियों से वाकिफ हो जाती हैं. मैं जो भी काम करती हूं, अपनी निजी जिंदगी में करती हूं. किसी संस्था से जुड़ कर नहीं करती. मैं धरना दे कर ऐलान नहीं करती कि मैं वूमन ऐंपावरमैंट के लिए काम कर रही हूं.

आप दावा करती हैं कि आप का दांपत्य जीवन खुशहाल है. तो फिर सिद्धार्थ राय कपूर के साथ आप की अनबन की खबरें क्यों हैं?

मेरी बीमारी ने इस तरह की अफवाहों को जन्म दिया. बीमारी के कारण मैं ने सुजौय घोष की फिल्म ‘दुर्गारानी सिंह’ में अभिनय करने से मना कर दिया. जबकि पहले मैं ने इस फिल्म में काम करने के लिए हामी भरी थी. लोगों ने इस की वजह पूछी तो मैं ने कहा कि मैं ने बीमारी की वजह से फिल्म छोड़ी है. इस से लोगों को लगा कि मैं झूठ बोल रही हूं और मीडिया ने पति के साथ मेरे झगड़े की खबर फैला दी.

आजकल लोग बाथरूम जाते हैं, तो भी ट्विटर पर बता कर जाते हैं. लोग फेसबुक पर, वाट्सएप पर चाय पीने से ले कर हर छोटी से छोटी बात लिखते रहते हैं. ऐसे में मेरे जैसा कोई कलाकार यदि अपनी निजी जिंदगी के बारे में कुछ नहीं बताना चाहता है, तो लोगों को यह बात हजम नहीं होती है.

क्या आप मानती हैं कि फेसबुक या ट्विटर की वजह से रिश्ते टूट रहे हैं?

जी, हां. फेसबुक या ट्विटर किसी रिश्ते को बनाने में शुरुआती मदद भले करते हों, पर अंतत: ये नुकसान ही पहुंचाते हैं. मेरा मानना है कि एक रिश्ता 2 लोगों के बीच होता है, उसे आप फेसबुक या ट्विटर पर जाहिर कर या उस रिश्ते के बारे में कुछ भी लिख कर पूरे विश्व को बता कर गलत करते हैं. फिर यह रिश्ता पतिपत्नी, प्रेमीप्रेमिका, 2 बहनों, 2 भाइयों, बहनभाई अथवा मातापिता के साथ हो.

आप ने फिल्मों में कई तरह के चरित्र निभाए. किस फिल्म के किस चरित्र ने आप पर पौजिटिव या नैगेटिव प्रभाव डाला?

‘द डर्टी पिक्चर्स’ फिल्म में अभिनय करने का मुझ पर पौजिटिव असर यह हुआ कि मेरे अंदर जो झिझक थी, वह खत्म हो गई. इस फिल्म की वजह से मुझे लोगों का बेशुमार प्यार मिला. पर नैगेटिव असर यह रहा कि इस फिल्म ने मेरी पूरी ऐनर्जी निचोड़ ली. मगर मैं खुश हूं कि दर्शक इस फिल्म की वजह से मुझे हमेशा याद रखेंगे.

आप को देश की नई सरकार से क्या उम्मीदें हैं?

मुझे नई सरकार से बहुत उम्मीदें हैं और यकीन भी है कि मोदीजी कुछ कर दिखाएंगे.

कुछ दिन पहले आप ने कहा कि आप नरेंद्र मोदीजी की जासूसी करना चाहती हैं. इस के पीछे आप की क्या सोच थी?

मैं ने जो कहा सही कहा. आज नरेंद्र मोदी के नाम की हवा चल रही है. हम सभी चाहते हैं कि नरेंद्र मोदीजी भारत के सपने साकार करें और हम सभी इस काम में उन के साथ चलने को तैयार हैं. बस, वे ईमानदारी से काम करें.

देश की किन समस्याओं पर मोदी सरकार को सब से पहले काम करना चाहिए?

हमारे देश के सामने तमाम समस्याएं हैं. पिछली सरकार सिर्फ समस्याएं ही समस्याएं छोड़ कर गई है, जिस का उसे सबक भी मिल गया. पर सब से पहले गरीबी को मिटाने पर ध्यान देना चाहिए. आम इंसान को राहत मिलनी चाहिए. देश से भ्रष्टाचार खत्म होना बहुत जरूरी है. इस के साथ ही लड़कियों व औरतों की सुरक्षा भी बहुत बड़ा मुद्दा है.

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बदायूं में जिस तरह से रेप की घटना हुई है, उस से तो भारतीय लड़कियों के साथ रेप की घटना अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बन गई है. इस पर भी कड़ा कदम उठाने की जरूरत है.

मैंगो स्मूदी

सामग्री

1 कप कुल्फी पाउडर, 11/2 कप फुलक्रीम मिल्क, 2 बड़े चम्मच हैंग कर्ड, 1/2 कप मैंगो पल्प, सजावट के लिए थोड़ी सी चैरी.

विधि

कुल्फी पाउडर में दूध डाल कर गाढ़ा होने तक पकाएं और फिर ठंडा करें. मैंगो पल्प में दही व कुल्फी पाउडर डाल कर हैंड मिक्सर से चर्न करें. सर्विंग बाउल में डालें और चैरी से सजा कर सर्व करें.

कोको चौकलेट बौल्स

सामग्री

1/2 कप डोसा पाउडर, 1/4 बारीक सूजी, 1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर, 6 डेरी चौकलेट क्यूब्स, 1 कप चीनी की चाशनी, 1/2 कप कोकोनट पाउडर, बौल्स डीप फ्राई करने के लिए पर्याप्त रिफाइंड औयल.

विधि

डोसा पाउडर में सूजी और कौर्नफ्लोर डालें. फिर पानी डाल कर गाढ़ा मिश्रण तैयार करें. कड़ाही में तेल गरम करें. चौकलेट के क्यूब्स को डोसा पाउडर के घोल में लपेट कर डीपफ्राई करें. बौल्स को चाशनी में 10 मिनट रखें. फिर निकाल कर कोकोनट पाउडर में रोल करें. कोको चौकलेट बौल्स तैयार हैं.

अजूबा त्योहार

सब धर्म चमत्कार के नाम पर अजूबे त्योहार मनवाते हैं. बेलारूस में इवान कुपाला नाइट को लोग आग के ऊपर से कूदते हैं, इस अंधविश्वास से कि इस से बीमारियां और दुर्भाग्य जल जाएगा. इस में कुछ और हो या न हो, मजा जरूर आता है.

मंडप के नीचे

मैं एक साधारण परिवार से हूं. मेरा अफेयर शहर के नामीगिरामी वकील के बेटे से था. मैं ने उस से कई बार शादी करने की बात की, मगर वह हमेशा कम उम्र का होने का बहाना बना कर टाल जाता और कहता कि शादी से पहले शारीरिक सुख जरूरी होता है. बिना शारीरिक मिलन के प्यार परिपक्व नहीं होता. वह मुझे हमेशा रात में किसी होटल में मिलने को कहता, लेकिन मैं ने ऐसा नहीं किया.

मेरी शादी कहीं और पक्की हो गई तो मेरी सगाई के बाद उस के एक दिन मुझे मिलने के लिए पार्क में बुलाया. जब मैं उस से मिलने पहुंची तो उस ने मेरे आते ही मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया. इत्तफाक से उसी समय अचानक मेरे होने वाले पति अपने दोस्तों के साथ पार्क में आए और मुझे इस अवस्था में देख लिया, तो मेरा डर के मारे बुरा हाल हो गया. मैं धड़कते दिल से उलटे पांव लौट गई.

4-5 दिन तक मैं संभल न सकी. आखिरकार छठे दिन मैं ने उन को फोन किया. वे आशा के विपरीत बहुत अच्छे ढंग से बात करते रहे और मेरी पसंदनापसंद के बारे में पूछते रहे. उन का सकारात्मक रुख देख कर मुझे काफी तसल्ली हुई.

शादी के दिन फेरे होने के बाद जब मैं पति के पास पहुंची तो उन्होंने मुसकरा कर मेरा स्वागत किया. मैं ने अपनी पैरवी करते हुए कहा, ‘‘उस दिन पार्क में जो लड़का था मेरा दोस्त था..’’ उस से आगे मैं कुछ नहीं कह सकी.

पति बोले, ‘‘चलो अच्छा है कि मेरी खूबसूरत बीवी के अच्छे दोस्त भी हैं. पर याद रखना दोस्ती ऐसे व्यक्ति से करो, जो निस्स्वार्थ हो और दोस्ती के बदले कोई मांग न रखे. त्याग और अर्पण दोस्ती के 2 महत्त्वपूर्ण पहलू हैं.’’

-उपासना सेमवाल

सर्वश्रेष्ठ संस्मरण

बात मेरी मौसी की शादी की है. मेरे होने वाले मौसाजी के मम्मीपापा का देहांत हो चुका था, इसलिए उन के चाचाचाची ही शादी का सब काम संभाल रहे थे. मौसाजी के छोटे भाई व उन के दोस्त शादी की मस्ती में ज्यादा ही डूब गए, तो हमारी तरफ के बड़ेबुजुर्ग नाराज होने लगे. तब मौसाजी के भाई व कई रिश्तेदार फेरों से पहले ही गुस्सा हो कर चले गए. जब वे जाने लगे तो नानी और सभी बड़ों के मुंह उतर गए.

इतने में मौसाजी के चाचाजी आगे आए और बोले, ‘‘जिसे जाना है जाए, हम बेटी लेने आए हैं और उसे ले कर ही जाएंगे.’’

थोड़ी देर बाद फेरे हुए. सभी बड़ों ने चैन की सांस ली. मौसाजी के चाचाचाची ने सभी रस्में खुशीखुशी संपन्न कराईं और सुबह मौसी विदा हो गईं. चाचाजी के बड़प्पन के सभी कायल हो गए.

-नेहा प्रधान

मेरी सहेली रूपा की शादी एक छोटे से कसबे में हुई थी. उस के पति डाक्टर हैं. शादी के अगले ही दिन रात में उस के पति को अचानक किसी मरीज को देखने के लिए जाना पड़ा. वह अपने कमरे में बैठी पति का इंतजार कर रही थी, तो उस ने देखा कमरे में काफी मच्छर हैं.

वह अपनी सासूमां के कमरे में जा कर बोली, ‘‘मम्मीजी गुडनाइट…’’ उस की सासूमां बोलीं,

‘‘गुडनाइट बेटा.’’

वह फिर से बोली, ‘‘मम्मीजी, गुडनाइट…’’

इस के आगे वह कुछ कहती कि उसी कमरे में लेटे हुए उसके ससुरजी बोल उठे, ‘‘गुडनाइट बेटा, गुडनाइट.’’

जब उस ने देखा कि उस के सासससुर अभी भी उस की बात नहीं समझ पाए तो वह झट से बोली, ‘‘मुझे गुडनाइट की मशीन चाहिए, कमरे में काफी मच्छर हैं.’’

अब उस की सासूमां को उस की बात समझ में आई तो उन्होंने उसे गुडनाइट मशीन दी. तब तक उस के पति भी आ गए.

यह गुडनाइट वाली घटना हमारे लिए यादगार रही.

-कुसुम गुप्ता

मेरी शादी वाले दिन मेरे छोटे जीजाजी, तो स्वभाव से बेहद गुस्सैल हैं, किसी छोटी सी बात को ले कर नाराज हो गए. बरात को दूसरे शहर जाना था. रास्ते की दूरी तो मात्र

2 घंटे की थी, मगर उन के रूठ कर बैठ जाने के कारण बरात चलने में देर होती जा रही थी. इतना ही नहीं, उन्होंने घर के एक कमरे में सभी जमाइयों को इकट्ठा कर लिया और जमाई यूनियन के नारे लगाने लगे.

मेरे मातापिता व बहनें सभी बहुत दुखी व परेशान होने लगे. मेरे सभी मामाओं ने मिल कर उन्हें बहुत समझाया और आखिर में मेरे पिताजी ने अपनी पगड़ी सिर से उतार कर दामाद के पैरों में रख दी. उन्होंने हाथ जोड़ कर बेटे की शादी सहीसलामत होने की प्रार्थना की तब कहीं जा कर बरात चली. सभी मेहमान बेचैन हो रहे थे. लड़की वालों के भी लगातार फोन आ रहे थे. बरात बहुत देर से पहुंची तो विवाह के सभी कार्य बड़ी मुश्किल से पूरे हुए.

बरसों बीत गए पर आज भी वह वाकेआ याद कर मन खटास से भर जाता है.

-नरेश

ब्रैंडेड ज्वैलरी ही क्यों

अर्थव्यवस्था में कितनी भी गिरावट हो पर ब्रैंडेड ज्वैलरी की मांग हमेशा रहती है. इस की वजह इस का लुक और इस का मूल्य है. आज भी लोग अपनी भविष्य निधि के रूप में ब्रैंडेड ज्वैलरी को ही खरीदना पसंद करते हैं.

इस के बारे में ज्वैलरी डिजाइनर वरुणा डी. जानी बताती हैं कि ब्रैंडेड ज्वैलरी का महत्त्व सालोंसाल चलता है. इसे पहन कर महिला हमेशा अलग दिखती है.

इस के फायदे निम्न हैं:

– ब्रैंडेड ज्वैलरी में आजकल डायमंड को अधिक महत्त्व दिया जाता है, जो खूबसूरती बढ़ाने के साथसाथ निवेश के लिए भी अच्छा होता है.

– ब्रैंडेड ज्वैलरी की डिजाइनिंग केवल भारत में नहीं ग्लोबली होती है, इसलिए आप इसे खरीद कर कहीं भी पहन सकती हैं.

– इस के डिजाइन समय के साथ बदलते हैं. इसे कौपी करने के बावजूद लोग इस की ओरिजिनैलिटी को नहीं बना पाते, क्योंकि एक डिजाइन को बनाने में एक टीम काम करती है.

– ब्रैंडेड ज्वैलरी की गारंटी क्वालिटी के साथ दी जाती है.

– इस की गुणवत्ता में पारदर्शिता होती है, जिस से आप को ठगे जाने का डर नहीं होता.

– ब्रैंडेड ज्वैलरी लाइफटाइम रिश्ता ग्राहक से रखती है. इस के अंतर्गत अगर गहने में कुछ खराबी हो तो आप उसे ठीक करा सकती हैं.

– इस की ‘वियर ऐंड टीयर’ की गारंटी होती है.

– इस की गारंटी भी ग्लोबली होती है, जिस से आप इसे कभी भी कहीं भी इस में आई समस्या का समाधान पा सकती हैं.

– आजकल लोग लौकर में ज्वैलरी रखना पसंद नहीं करते, इसलिए केवल ब्रैंडेड ज्वैलरी ही नए फैशन और ट्रैंड को लगातार अपडेट करती है, जो करीब 10 या 20 की संख्या में डिजाइन होती है.

– इस के डिजाइन में वैराइटी इस तरह से तैयार की जाती है कि आप अपने हिसाब से खरीद कर उसे किसी भी तरह के परिधान के साथ मैच कर पहन सकती हैं.

– ब्रैंडेड ज्वैलरी खरीदते समय सर्टिफिकेट अवश्य लें जिस में कैरेट, गोल्ड की गारंटी आदि सभी लिखे होते हैं. इस के अलावा ‘बाईबैक पौलिसी’ को हमेशा क्लियर करें, ताकि आप को बाद में समस्या न हो.

– ब्रैंडेड ज्वैलरी के लाभ के बारे में आगे वरुणा बताती हैं कि आजकल गोल्ड का भाव कम हो रहा है पर डायमंड और सोने के साथ बने हुए गहने कभी भी पुराने और आउटडेटेड नहीं दिखते. डायमंड का भाव हमेशा बढ़ता है. ऐसे में आजकल ग्राहक 18 कैरेट और 14 कैरेट सोने से बने हुए हीरे के गहने अधिक खरीदते हैं. इस का मार्केट वैल्यू हमेशा बना रहता है. इस की चमक भी कम नहीं होती.

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