जिज्ञा शाह : फैशन डिजाइनर

फैशन वर्ल्ड का जानामाना नाम है जिज्ञा शाह. हाई क्लोथिंग ब्रैंड की सीईओ जिज्ञा शाह हार्ड वर्क में विश्वास रखती हैं. गांधी नगर स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट औफ फैशन टैक्नोलौजी से जिज्ञा ने स्नातक और मास्टर औफ कौमर्स की पढ़ाई की है.

वे बताती हैं, ‘‘मेरे सी.ए. सी.एस. गोल्ड मैडलिस्ट पिता सुबोधचंद्र शाह का कहना है कि आज लड़कियों का भी पढ़नालिखना उतना ही जरूरी है, जितना कि लड़कों का ताकि जरूरत पड़ने पर वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें.’’ जिज्ञा शाह अपने पिता से प्रभावित रहीं. लगन, मेहनत और आत्मविश्वास से आगे बढ़ते रहना जिज्ञा के स्वभाव में है.

फैशन जगत में कदम

फैशन जगत में कदम रखने की चाह जिज्ञा को शुरू से ही थी. तभी उन्होंने बहुत पहले इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया था. जिज्ञा बताती हैं, ‘‘मैं फैशन डिजाइनिंग बैकग्राउंड से नहीं हूं. मैं अहमदाबाद की गुजराती फैमिली से हूं. मेरी फैमिली चाहती थी कि मैं डाक्टर या प्रोफैसर बनूं. अत: कौमर्स में मास्टर होने के बाद इंग्लिश मीडियम में इकोनौमिक्स विषय पढ़ाना शुरू किया.  ‘‘3 साल के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं ऐसे ही अपने पूरे जीवन को नहीं बिता सकती. कौमर्स पढ़ाने में मुझे संतोष नहीं हो रहा था. मुझे लगता था कि मैं अपनी लाइफ को ऐंजौय नहीं कर पा रही हूं. तब मैं अपने कालेज के प्रोफैसर से मिली, जो मुझे बखूबी जज कर सकते थे. उन से मैं ने पूछा कि मुझे किस क्षेत्र को चुनना चाहिए. तब उन्होंने मुझे फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में जाने की सलाह दी, जिस के पीछे कारण मेरी अच्छी ड्रैसिंग सैंस व कालेज में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मेरी क्रिएटिव सहभागिता रही. फिर मैं ने गारमैंट्स प्रोडक्शन की शुरुआत की. मैं ने निफ्ट में ऐडमिशन लिया.’’

लाइफ की विशेष उपलब्धियां

भारत की फैशन संस्थाओं ईडीआई और निफ्ट द्वारा जिज्ञा शाह की सफलता पर डौक्यूमैंटरी फिल्म भी बनाई गई है. वे निफ्ट में वीजिटिंग फैकल्टि व ज्यूरी भी रही हैं. जिज्ञा व्यावसायिक जगहों पर महिलाओं के लिए कार्यरत 1091 सैक्सुअल हैरेसमैंट औफ वूमन एट वर्क प्लेस की पैनलिस्ट में भी शामिल हैं. गुजरात के टौप डिजाइनरों में जिज्ञा शाह का नाम आता है. उन्होंने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट काम किया वरन गुजरात को राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय फलक पर भी पहचान दिलाई. ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हों इस के लिए उन्होंने उद्ग्रीव एनजीओ को गोद लिया है. वे 2004 में बिजनैस स्टैंडर्ड द्वारा बैस्ट ऐंटरप्रन्योर का खिताब भी जीत चुकी हैं. 1995 में जिज्ञा शाह ने मेनका गांधी के अहिंसा फैब्रिक के साथ करीब 10 साल काम किया. जिज्ञा कहती हैं कि हर काम को दिल से करो, किसी भी काम से दूर भागना या डरना नहीं चाहिए. बारबार प्रयास करने से सफलता मिलनी ही है. एक डिजाइनर होने के नाते दुबले, पतले, मोटे सभी को ध्यान में रख कर कपड़े डिजाइन करना मेरे लिए हमेशा चैलेंजिंग और मनपसंद काम रहा है. हमेशा अपनी असफलता से सीखतेसीखते आगे बढ़ते रहना और लर्निंग प्रोसैस को कायम रखना ही एक क्वालिटी डिजाइनर की खासीयत है.

लाइफ के यादगार लमहे

जिज्ञा बताती हैं, ‘‘दिल्ली हाट में हर स्टेट के टैक्सटाइल का प्रदर्शन होता था. एक बार गुजरात के खादी व बांधनी को रिप्रैजेंट करना था, जहां मैं ने खादी को डिफरैंट तरीके से कई टैक्नीक का प्रयोग कर प्रदर्शनी में रखा. मेरी क्रिएटिविटी को फर्स्ट प्राइज मिला. फिर बड़ेबड़े लोगों से मिलना हुआ. उस के बाद मैं ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. यह कह लो कि खुद को किया बुलंद इतना कि हर राह ने सफलता से रूबरू करवाया.’’

पर्सनल लाइफ की खुशी का राज

अपनी लाइफ में अपने बल पर आगे बढ़ने वाली जिज्ञा अपनी लाइफ को पौजिटिव ऐनर्जी के साथ जीना चाहती हैं. वे कहती हैं कि अगर हम पौजिटिव हैं तो हमें पौजिटिव लोग अपनेआप मिल जाते हैं. मेरी सफलता में मेरे पति समीर टिंबरवाल का पूरापूरा सहयोग रहा. महिलाओं को संदेश देते हुए जिज्ञा कहती हैं कि हमेशा अपने दिल की सुनो दुनिया की नहीं. आप अपने लिए जो अच्छा सोचो उसे पूरा करने के लिए जीजान से लगे रहो. सफलता अपनेआप खिंची चली आएगी. लाइफ में किसी भी मुसीबत से भागने के बजाय उस का हिम्मत से मुकाबला करें.

टीनएजर शौपिंग : क्या दिलाएं क्या नहीं

टीनएजर्स शौपिंग को ले कर के्रजी होते हैं. इस उम्र में उन्हें नएनए स्टाइलिश कपड़े पहनने का बहुत शौक होता है. लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी बिलकुल नहीं होती कि उन पर क्या फबेगा, उन्हें क्या पहनना चाहिए क्या नहीं. अकसर वे फिल्मों में हीरोहीरोइन के कपड़े देख कर या फिर अपने फ्रैंड्स को देख कर वैसे ही कपड़े खरीदने के लिए उत्सुक हो जाते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि आप उन के साथ शौपिंग पर जाएं और उन्हें उन की पर्सनैलिटी के अनुरूप शौपिंग कराएं ताकि वे फैशनेबल और स्मार्ट तो दिखें पर भद्दे नहीं.

आइए, जानें कि कैसी होनी चाहिए टीनएजर शौपिंग:

फिल्मों की होड़ में न दिलाएं कपड़े: कई बार देखने में आता है कि मांएं खुद तो किसी हीरोइन की पहनी हुई ड्रैस जैसी ड्रैस पहनना पसंद करती हैं, साथ ही अपने बच्चों को भी फिल्मों से प्रभावित हो कर ऐसे ही बेतुके और ग्लैमरस कपड़े पहनाने लगती हैं. इस का असर धीरेधीरे बच्चों पर पड़ने लगता है और वे फिल्में देख कपड़े बनवाने लगते हैं. तब उन की मांओं को यह अच्छा नहीं लगता. इसलिए ऐसा काम करना ही क्यों, जिस के लिए कल आप को पछताना पड़े. बहुत टाइट कपड़े न दिलाएं: बढ़ती उम्र में बच्चों के कपड़े बहुत जल्दी छोटे हो जाते हैं. फिर भी कई बार मांएं थोड़ा कसा हुआ कपड़ा यह सोच कर दिला देती हैं कि आजकल टाइट फिटिंग का फैशन है. लेकिन ऐसा करते वक्त वे यह भूल जाती हैं कि इस से बढ़ते बच्चों के विकास पर प्रभाव पड़ेगा. टाइट कपड़े शरीर पर रैशेज, सांस में रुकावट, जी मिचलाना जैसी अनेक समस्याएं पैदा कर सकते हैं.

जब खरीदें स्लोगन टीशर्ट: बाजार में मिलने वाली बहुत सी टीशर्ट्स पर कई तरह के भद्दे मैसेज लिखे हुए होते हैं. लोग उन्हें बिना सोचेसमझे खरीद लेते हैं. यह बात सही नहीं है. अपने बच्चों की टीशर्ट हमेशा सोचसमझ कर ही खरीदिए. वरना बच्चे उस गलत बात को सही मानने लगेंगे जो टीशर्ट पर लिखी है और बिना मैसेज को समझे टीशर्ट खरीदने के आदी हो जाएंगे. उसे देख उन का फ्रैंड सर्कल में उन का मजाक बनेगा, तो इस की जिम्मेदार आप के बच्चे नहीं, बल्कि आप खुद होंगी. फिगर के अनुसार दिलाएं कपडे़: अगर आप की बेटी या बेटा थोड़ा ज्यादा हैल्दी है और उस का पेट आदि निकला हुआ है तो उसे थोड़े लूज कपड़े पहनने चाहिए ताकि शरीर का वह अंग साफतौर पर न दिखे, क्योंकि वह देखने में अच्छा नहीं लगता. ऐसे में थोड़े लूज कपड़े पहनना ही सही रहता है. लेकिन अगर बेटी की फिगर अच्छी है तो आप उस के अनुसार थोड़े फिटिंग वाले या फिर कट स्लीव्स आदि कपड़े भी दिला सकती हैं.

हाई हील से बचाएं: टीनएजर लड़कियां बड़ों की देखादेखी हाई हील पहनने की जिद करने लगती हैं. अगर आप की बेटी भी ऐसा कर रही हो, तो उस की जिद पूरी करने के लिए आप उसे हाईहील न पहनने दें, क्योंकि इस से एड़ी और कमर से संबंधित कई तरह की परेशानियां अभी से घेर लेंगी. आप का फर्ज बनता है कि उसे इतना भी फैशनेबल न बनाएं कि कल आप को ही तकलीफ उठानी पड़े. हाई हील से बौडी का दबाव लगातार पंजों पर बना रहने से नाखून संबंधी परेशानी भी हो जाती है. नाखून सख्त और मोटे हो जाते हैं. उन में बदबूदार फंगस होने का भी खतरा हो जाता है. लेकिन पार्टी आदि में पहनने के लिए उसे प्लेटफार्म हील और डेली वियर के लिए फ्लैट स्लीपर या फिर शूज आदि दिलाएं, जिस से उस के पैर सही रहें. आजकल फ्लैट चप्पलों में भी ढेरों वैराइटी मौजूद हैं जिन्हें पहन कर वह स्टाइलिश भी दिख सकती है.

कपड़ा पर्सनैलिटी को सूट करे: कपड़ा चुनते वक्त उस के रंग पर भी खास ध्यान दें. रंग पर्सनैलिटी को सूट करने वाला हो. यदि बच्चा सांवला है तो गहरे रंगों से दूर ही रहें. उसी तरह लंबे बच्चे के लिए गोल धारियों वाले और छोटे कद के बच्चे के लिए लंबी धारियों वाले कपड़े ही खरीदें. न दिलाएं भड़काऊ कपड़े: बच्चे में बहुत ज्यादा कटेफटे और बदन दिखाऊ कपड़े पहनने की आदत न डालें, क्योंकि आज वह छोटा है तो आप को अच्छा लग रहा है, लेकिन कल जब वह बड़ा होगा तो भी इसी तरह के कपड़े पहनेगा, तब वह न आप को अच्छा लगेगा और न ही किसी और को. टाइट पैंट: जब आप अपनी बेटी को पैंट्स की शौपिंग कराने ले जाएं तो एक बात का खास खयाल रखें कि उसे टाइट पैंट न दिलाएं, क्योंकि इसे रैग्युलर पहनने से थाइस में सुन्नता आ जाएगी, जिसे मैडिकल भाषा में टाइट पैंट सिंड्रोम कहते हैं. यह समस्या कई बार इतनी बढ़ जाती है कि न्यूरोलौजिस्ट के पास जाना पड़ता है.

ट्रैंड में हो वह चीज: ड्रैस सिलैक्शन के दौरान फैशन ट्रैंड को खासतौर से ध्यान में रखें. लेकिन आप बहुत मौडर्न या बहुत ओल्ड फैशन ड्रैस का चयन न करें, बल्कि इन में संतुलन बना कर कपड़े खरीदें.

इयररिंग्स: हैवी व बड़े इयररिंग्स का शौक अकसर टीनएजर्स को होता है. लेकिन ज्यादा देर तक पहनने से उन से कान लटकने लगते हैं और दर्द भी होता है. अगर इस तरह के इयररिंग्स ज्यादा पहने जाएं तो कान का छेद भी बड़ा होने का डर होता है. बेहतर होगा कि ऐसे लाइट वेट इयररिंग्स सिलैक्ट करें जो देखने में हैवी लगें. इस के अलावा नौर्मल डेज के लिए पर्ल व प्लास्टिक के इयरिंग्स पसंद करें. हैवी इयररिंग्स को पार्टीज या फिर खास मौकों के लिए रखें, ताकि थोड़े समय के लिए ही इन्हें पहनना पड़े.

हैंडबैग हो कैसा: बहुत ज्यादा हैवी हैंडबैग कंधों, कमर और स्पाइन पर दबाव डालता है, जिस का बुरा प्रभाव सेहत पर पड़ता है. इसलिए टीनएजर लड़कियों का हैंडबैग वेट में ज्यादा होने के बजाय स्टाइलिश होना चाहिए. हैंडबैग उन की ड्रैस का मैचिंग दिलाएं और हो सके तो हैंडपर्स लेने की आदत उन्हें डालें. इस से कंधों पर दबाव कम बनेगा.

औफिस में दिखें स्टाइलिश

परफैक्ट औफिसवियर वह है, जो दिखने में आकर्षक, पहनने में आरामदायक और थोड़ा स्टाइलिश होने के साथसाथ लेटैस्ट फैशन का भी हो. साथ ही आप में आत्मविश्वास भी जगाए. ध्यान रखें, आप की ड्रैसिंगसैंस आप के व्यक्तित्व को भी दर्शाती है. आप औफिस में जरूरत और फैशन के अनुरूप कई तरह के औप्शन ट्राई कर सकती हैं:

जींस/पैंट/लैगिंग्स के साथ कुरतियां: आजकल ज्यादातर कामकाजी महिलाएं कुरतियां पहनना पसंद करती हैं, क्योंकि इस में न तो दुपट्टा संभालने की समस्या रहती है और न ही भारीभरकम साडि़यों का बोझ सहना पड़ता है. जींस/पैंट/लैगिंग्स के साथ कौटन या सिल्क की शौर्ट या लौंग कुरती पहनी और हो गईं स्मार्टली तैयार. यह ड्रैस औफिस के माहौल में फौर्मल तो लगती ही है, ऐलिगैंट लुक भी देती है. लो बजट होने के साथसाथ भागदौड़ वाली जौब के लिए भी बैस्ट औप्शन है.

फौर्मल शर्ट विद जींस: यह ड्रैस काफी प्रोफैशनल लुक देती है. स्लिम महिलाएं/लड़कियां शर्ट इन कर स्मार्ट लुक पा सकती हैं और यदि वजन अधिक हो तो शर्ट को आउट रखना कूल लुक देता है. औफिसवियर के लिए पेस्टल व न्यूट्रल शेड्स की प्लेन या स्ट्राइप्ड शर्ट अच्छी लगती है. लाइट पिंक, स्काई ब्लू, यलो व व्हाइट कलर लड़कियां ज्यादा पसंद करती हैं. थोड़ा डिफरैंट दिखने के लिए ब्राइट कलर भी ट्राई किए जा सकते हैं. इन पर हलके कलर की ब्लैजर पहनी जा सकती है. जींस के अलावा ट्राउजर भी औफिस के लिए सही रहता है.

स्कर्ट: स्टाइलिश लुक के लिए, नीट स्लिम फिटिड स्कर्ट भी सही रहती है. लौंग, एक ही कलर की स्कर्ट या ट्यूनिक के साथ कंट्रास्ट प्लेन शर्ट्स भी अच्छी लगती हैं. आप औफिस के लिए कई तरह की स्कर्ट ट्राई कर सकती हैं. पैंसिल स्कर्ट सीधी और सिंपल फिटिड होती है. वेस्ट बैंड से साइड फ्लेयर्ड स्कर्ट में फ्रंट साइड या बैक में 2 स्लिटें और भी स्टाइलिश लुक देती हैं. इन के अलावा रैप ऐंड राउंड स्कर्ट या राजस्थानी प्रिंट वाली घेरदार लौंग स्कर्ट भी कुरती के साथ फ्रैश लुक देती है.

फ्रौक सूट: आजकल बाजार में फ्रौक सूट काफी बिक रहे हैं. लंबा घेरदार व आकर्षक वर्क से सजा नैट का पूरी बाजू वाला फ्रौक सूट हो या छोटी बाजुओं वाला हलके घेर का पैच वर्क से सजा कौटन फ्रौक सूट, आप कोई भी पहन कर गौर्जियस भी लगेंगी और डीसैंट भी.

साड़ी: कभीकभी मौके के अनुरूप डिजाइनर ब्लाउज के साथ करीने से पहनी गई साड़ी भी बेहद आकर्षक लगती है. वैसे औफिस के लिए सिंपल और सोबर लुक वाली साड़ी ही पहनें, भारी जरी वाली नहीं.

औफिस के लिए कौटन, शिफौन या फिर जौर्जेट की साड़ी सही रहती है. कोटा, तांत या फिर अहमदाबाद की प्योर कौटन बंधेज, लहरिया प्रिंटेड शिफौन साड़ी भी पहनी जा सकती है. पेस्टल, बेज, आईवरी आदि रंग औफिस के लिए सही रहते हैं.

जब दिखना हो डिफरैंट: घुटनों तक की लंबाई वाली नेहरू जैकेट के साथ प्लाजो पहनें. लैंथ व कट और ड्रैप्स व प्लीट्स के साथ ऐक्सपैरिमैंट करें. कभीकभार ट्यूनिक भी ट्राई कर सकती हैं. उस पर जैकेट डाल कर स्मार्ट लुक पाएं. कोई बहुत ही खास मौका हो तो औफशोल्डर्ड या सिंगलशोल्डर्ड ड्रैस पहनी जा सकती है. ऐक्सैसरीज द्वारा भी ड्रैस को नया लुक दिया जा सकता है. बीड्स स्टोन से सजी ड्रैस के साथ बे्रसलेट, इयररिंग्स पहनने पर डिफरैंट लुक पा सकती हैं.

डिफरैंट लुक्स औन डिफरैंट ड्रैसेज इन औफिस

जैसे रोजरोज एक तरह के कपड़े पहनना अच्छा नहीं लगता वैसे ही बारबार एक जैसा मेकअप भी बोरिंग लगने लगता है. परमानैंट मेकअप ऐक्सपर्ट व एल्प्स कौस्मैटिक क्लीनिक की ऐग्जीक्यूटिव डायरैक्टर गुंजन गौड़ ने ड्रैसिंग स्टाइल को ध्यान में रखते हुए कुछ खास मेकअप लुक्स बताए: बी सिंपल इन फौर्मल कुरती: इन दिनों ज्यादातर लड़कियां लौंग कुरतियां विद प्लाजो, लैगिंग्स या जींस के साथ पहनना ज्यादा पसंद करती हैं. इस ड्रैस के साथ आप

खुद को अर्दन शेड्स से संवार सकती हैं. इस के लिए आईज पर ब्राउन आईशैडो लगाएं और आईलिड को ब्लैक शेड के ऐक्सैंटिड लाइनर से डिफाइन करें. इन दिनों ये लाइनर ट्रैंड में हैं. मैसी स्टाइल को फौलो करते हुए बालों को टाइट पोनी में बांध लें और लुक को कौंप्लिमैंट करने के लिए जंक ज्वैलरी का सहारा लें. अंत में आंखों में स्मज बोल्ड काजल व माथे पर छोटी ब्लैक बिंदी से अपने इस ऐथनिक लुक को कंप्लीट करें.

पिंक लुक विद शर्ट ऐंड ट्राउजर: औफिस के माहौल में जंचने वाले ट्राउजर व शर्ट आप के गर्लिश लुक को हाइड न करें, इस के लिए आप पिंक लुक को अपना सकती हैं. फ्लालैस लुक के लिए फेस पर सूफले का इस्तेमाल करें. पिंक आईशैडो लगाएं और आंखों के नीचे काजल लगा कर स्मज कर लें. पिंक लुक में थोड़ा सा कंट्रास्ट ऐड करने के लिए आईलिड पर ब्लैक लाइनर लगाएं. गालों पर पिंक ब्लशऔन लगाएं और लिप्स पर पिंक शेड की लिपस्टिक लगा कर लुक को आकर्षक बनाएं. बालों को हाई पोनीटेल के साथ ट्राई कर सकती हैं. बाल बिखरें नहीं इस के लिए उन पर जैल का इस्तेमाल करें. चाहें तो फ्रंट से टिकटैक पिंस का इस्तेमाल कर के पीछे के बालों को ओपन भी छोड़ सकती हैं.

सौफ्ट स्मोकी विद पैंसिल स्कर्ट: पैंसिल स्कर्ट और सौफ्ट स्मोकी दोनों ही कौरपोरेट कल्चर के हिट लुक हैं. इन लुक्स के लिए आंखों के ऊपर लाइट ब्राउन शेड को अच्छी तरह ब्लैंड करें और फिर लैशेज के पास डार्क ब्राउन कलर को स्मज कर के लगाएं. अपनी आईज की शेप को डिफाइन करने के लिए आईलैश जौइनर का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस से आंखें बड़ी व नैचुरली घनी नजर आएंगी. आईब्रोज के नीचे वैनिला शेड से हाईलाइट करें. बालों में फं्रट मैसी ब्रेड, चीक्स पर पीच ब्लशऔन और पीच लिप्स के साथ अपने लुक को सील करें.

प्रोफैशनल साड़ी विद ब्रौंज टच: हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में जौब करने वाली महिलाओं को प्रोफैशनल साड़ी के साथ खुद को संवारना पड़ता है. ऐसे में इस लुक के साथ आप कलर्ड लाइनर लगाएं. चाहें तो विंग्ड आईलाइनर भी लगा सकती हैं. इस के लिए आप विंग की जितनी लैंथ चाहती हैं, उतनी लंबी लाइन शीशे में देख कर आउटर साइड और ऊपर की ओर खींच लें.

इस के बाद इनर कौर्नर से पतली लाइन लाते हुए सैंटर पर रुक जाएं. पीछे खींची गई विंग यानी लाइन को सैंटर पर बनी लाइन से ला कर जोड़ दें और खाली स्पेस को भर दें. विंग्ड लाइनर की सब से बड़ी खासीयत यह है कि आप अपने लुक को अपनी मरजी के मुताबिक लाइट या लाउड दिखा सकती हैं. लोअर लैशेज पर ब्लैक आईपैंसिल के बजाय व्हाइट पैंसिल का इस्तेमाल करें. आप रैड, कोरल या पिंक आदि फैशनेबल शेड अपनी लिपस्टिक के तौर पर चुन सकती हैं.

ट्रैडिशनल वियर व सैंशुअस मेकअप का यह कौंबिनेशन आप पर बेहद जंचेगा. बालों में साइड मैसी या स्लीक बन आप के इस ओवरऔल लुक पर काफी सूट करेगा.

ट्रैंडी हो गया ब्लाउज

बदलते समय और फैशन की मांग के अनुसार ब्लाउज में चेंज वर्तमान समय में ही नहीं हो रहा, बल्कि पुराने समय के डिजाइनरों ने भी इस में कई ऐक्सपैरिमैंट किए. बौलीवुड तारिकाओं को ग्लैमरस लुक देने में फैशन डिजाइनरों का बहुत बड़ा योगदान है. कौस्ट्यूम डिजाइनर भानू अथैया ने 1955 में राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ में खलनायिका नादिरा के लिए सैक्सी चोली तैयार कर के परंपरावादी समाज में खलबली मचा दी थी, लेकिन इस के बाद तो डिजाइनरों के पास ऐसी चोली बनवाने वाली लड़कियों की लाइन लग गई थी.

फिल्म ‘हम आप के हैं कौन’ में माधुरी दीक्षित द्वारा पहने गए बैकलैस सैक्सी ब्लाउज को भला कौन भूल सकता है, जिस के स्टाइल को हर महिला ने अपनाया था. वैसे भी अभिनेत्रियों द्वारा पहनी गईं ड्रैसेज हमेशा खुर्खियों में रहती हैं खासकर डिजाइनर साड़ी और ब्लाउज. ब्लाउज का बोल्ड ट्रैंडी लुक: फैशन को देखते हुए ब्लाउज को ट्रैंडी बनाने के लिए आज लौंग स्लीव्स और लोबैक के ब्लाउज काफी ट्रैंड में हैं. ब्राइट कलर और ट्रांसपैरेंट फैब्रिक का टच इन्हें डिफरैंट स्टाइल देता है. न्यूड कलर नैट (स्किन कलर) की फुलस्लीव्स के ऊपर जरकन वर्क, स्वरोस्की के साथ बहुत ही स्टाइलिश लगता है. इसलिए इसे ट्रैंडी बनाने के लिए ब्लाउज का कलर कंट्रास्ट ही रखें, क्योंकि आजकल मैचिंग साड़ीब्लाउज का फैशन गया. यंग गर्ल्स में आजकल कौलर स्टाइल ब्लाउज ट्रैंड में है. प्लेन साड़ी के साथ ब्रोकेड, रौसिल्क के ब्लाउज काफी ट्रैंड में हैं.

बैकलैस में ग्लैमरस टच: जब भी शादीब्याह की बात आती है, तो सब से पहले साड़ी को ही प्राथमिकता दी जाती है. इस ट्रैडिशनल ड्रैस का कोई सानी नहीं है, क्योंकि बौलीवुड हस्तियों ने ब्लाउज में ग्लैमरस टच देते हुए इस ट्रैडिशनल ड्रैस को पौपुलर बना दिया है. प्लेन साड़ी के साथ मैडरिन कौलर वाला ब्लाउज बैस्ट औप्शन है. अगर लग्जरी लुक चाहती हैं, तो जरी वर्क हौल्टर नैक या स्लीवलैस ब्लाउज अथवा वैलवेट ब्लाउज हलकी साड़ी के साथ टै्रंडी लगता है. अगर आप ट्रैडिशनल लुक के साथ सैक्सी लुक भी चाहती हैं, तो नैट स्लीव्स वाला वैलवेट ऐल्बो ब्लाउज पहनें, जिस में हलका सिमरी बौर्डर हो.

कोर्सेट ब्लाउज: यह ब्लाउज नयानया पौपुलर हुआ है, प्लेटेड कोर्सेट ब्लाउज हर बौडी पर सूट करता है. इस की बड़ी खासीयत यह है कि यह बौडी के ऐक्स्ट्रा फैट को भी छिपा लेता है.

लौंग स्लीव्स ब्लाउज: इस समय नैट का लौंग स्लीव्स ब्लाउज चलन में है. नैट जैसे ट्रांसपैरेंट फैब्रिक का टच इसे अलग लुक देता है. इस की ट्रांसपैरेंट स्लीव्स पर जरदोजी व स्वरोस्की का काम इसे और भी ट्रैंडी व स्टाइलिश बनाता है.

लोबैक ब्लाउज: लोबैक स्टाइल ब्लाउज का चलन 1960 के दशक में जोरों पर था. अब एक बार फिर यह डिजाइनर पैटर्न ट्रैंड में है. इस के विंटेज लुक को महिलाएं बहुत पसंद कर रही हैं. इस की वजह इस का बोल्ड और ट्रैडिशनल लुक है.

स्टेटमैंट ब्लाउज: इस में पीछे वाले हिस्से में आकर्षक डिजाइन होता है और नैक लोकट होती है. यह बहुत स्टाइलिश दिखता है. यदि ब्लाउज की स्लीव्स के साथ प्रयोग किया जाए तो पूरा लुक बदल जाता है. इस समय फुलस्लीव्स का ट्रैंड है. खास मौकों पर पहनी जाने वाली साडि़यों के ब्लाउज अब साधारण नहीं रह गए हैं. कुछ ब्लाउज की स्लीव्स क्वार्टर होती हैं तो कुछ की फुलस्लीव्स.

जैकेट स्टिच ब्लाउज: साड़ी को ट्रैंडी बनाने के लिए जैकेट स्टाइल स्टिच ब्लाउज या फिर वन टोन जैकेट के साथ सिंपल ब्लाउज पहन सकती हैं पर ध्यान रहे ब्लाउज का कलर कंट्रास्ट हो. इस के लिए जैकेट वैलवेट या ब्रोकेड वाली हो, जो साड़ी पर बहुत अच्छी लगेगी. यह विंटर में ज्यादा सूट करेगी.

रैट्रो स्टाइल ब्लाउज: ब्लाउज की बैक में दिए जाने वाले स्ट्रिंग या नौट इस की खूबसूरती को और बढ़ा देंगे. आप इसे कंट्रास्ट में प्रयोग कर सकती हैं. यह बैक से लो होता है. स्ट्रिंग और टैसल बैक की डोरियां इस के लुक को बहुत ही अट्रैक्टिव बनाती हैं. बैक की डोरियों के साथ की लटकनों की काफी वैराइटी मिल जाएगी. इस में पर्ल के अलावा स्टोन जड़े पैटर्न भी हैं. इस के अलावा औफशोल्डर चोली, थिन स्ट्रैप ब्लाउज, कोर्सेट स्टाइल चोली, मैटेलिक हाईनैक स्लीवलैस ब्लाउज, वन शोल्डर ब्लाउज, शौर्ट ब्लाउज, गोटा पट्टी वर्क वाला ब्लाउज आदि भी खासे चलन में हैं.

ड्रैस जो बनाए डांसिंग दीवा

नाचगाना या मस्ती अपने मनोभावों, अपनी खुशियों को दर्शाने का सब से बेहतर माध्यम होता है. या कहें कि किसी भी पार्टी में धमाल तभी होता है जब उस में डांस हो, मस्ती हो. आज हर कोई बौलीवुड सितारों की तरह डांस पार्टी में रंग जमाना चाहता है, फिर चाहे वह बर्थडे या मैरिज पार्टी हो या बैचलर या संगीत पार्टी. कुल मिला कर किसी भी पार्टी में डांस से ही रौनक आती है और हर कोई डांस पर चांस मार कर अपने जलवे दिखाना चाहता है. ऐसा तभी होता है जब आप की ड्रैस डांस पार्टी के अनुकूल व कंफर्टेबल हो. अगर आप भी बनना चाहती हैं डांसिंग दीवा और जमाना चाहती हैं डांस पार्टी में अपना रंग तो अपनाइए फैशन व स्टाइल के निम्न फंडों को और बन जाइए डांसिंग क्वीन:

बैचलर डांस पार्टी: शादी के खूबसूरत बंधन में बंधने से पहले दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने के लिए होने वाली डांस पार्टी में पहनें कुछ ऐसा जो न केवल आप को स्टाइलिश दिखाए, बल्कि कंफर्टेबल भी हो. चूंकि यह बैचलर पार्टी है, तो आप यहां वैस्टर्न स्टाइल ट्राई कर सकती हैं. वैस्टर्न वियर में आप किसी भी ब्राइट कलर का फिशकट गाउन आसानी से कैरी कर सकती हैं. लेकिन इस के साथ आप ज्वैलरी कम से कम पहनें. केवल स्टेटमैंट इयररिंग्स और एक हाथ में हैंड कफ पहनें. अगर आप ग्लैमरस लुक चाहती हैं, तो साइड स्लिट वाला गाउन या म्यूलेट ड्रैस भी चुन सकती हैं. हेयरस्टाइल में फिशटेल या मैसी बन बनाएं. यकीन मानें, इस लुक के साथ आप डांस के हर नंबर पर थिरक सकेंगी और पार्टी को पूरी तरह ऐंजौय कर पाएंगी.

इंगेजमैंट पार्टी: बिगफैट यानी रिच इंडियन वैडिंग्स में सगाई या इंगेजमैंट पार्टी एक मुख्य आकर्षण होती है, जिस में वर और वधू व दोनों साइड के संबंधी एकदूसरे से मिलते हैं. उस में नाचगाना, खानापीना और डांस के साथ मौजमस्ती खूब होती है. ऐसे में अगर आप इंडियन ड्रैस पहनने की सोच रही हैं, तो आप के पास ढेरों औप्शन हैं. जैसे अगर आप ट्रैडिशनल लुक चाहती हैं तो ऐंब्रौयडरी वाले लहंगे को ग्लैमरस लुक देने के लिए उस के साथ सीक्वैंस्ड ब्लाउज और नियौन कलर का दुपट्टा यूज कर सकती हैं. इस ड्रैस के साथ बोल्ड ज्वैलरी में बीडेड नैकलैस, ड्रौप इयररिंग्स व हाईहील सैंडल्स पहनें और अगर आप इंडोवैस्टर्न या फ्यूजन लुक चाहती हैं, तो शिमरी साड़ी के साथ हौल्टरनैक स्लीवलैस ब्लाउज और भारी ज्वैलरी के बजाय फैशन ज्वैलरी पहन सकती हैं. नैकपीस न पहन कर कानों में डैंगलर्स पहनें. जहां तक ब्राइड की सहेलियों की डांसिंग दीवा बनने की बात है, तो आप इस अवसर पर ऐंब्रौयडरी वाली नैट की फ्लोरलैंथ अनारकली ट्राई कर सकती हैं. इस ड्रैस को कौंप्लिमैंट करने के लिए आप मैचिंग स्टेटमैंट ज्वैलरी पहनें.

लेडीज संगीत पार्टी: लेडीज संगीत में डांस न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. संगीत पार्टी के दौरान कुछ लोग कोरियोग्राफर और फैशन डिजाइनर को हायर करते हैं, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो आप खुद अपनी डिजाइनर और कोरियाग्राफर बनें और वह पहनें जिस में आप को डांस करने की पूरी आजादी मिले और जिसे आप कंफर्टेबली कैरी कर सकें. अगर आप किसी परंपरागत बौलीवुड नंबर पर डांस कर रही हैं, तो वौल्यूम वाला ब्राइट कलर का लहंगा पहनें. साथ में ऐंटीक ज्वैलरी कैरी करें. ज्वैलरी में मांगटीका व इयररिंग्स जरूर पहनें. आई मेकअप वाइब्रेट करें. नेल्स पर लहंगे की मैचिंग नेल आर्ट बनवाएं. हेयरडू में कर्ल्स, फ्रैंच चोटी, साइड चोटी में से कुछ भी करवा सकती हैं और उन्हें स्वरोस्की जडि़त हेयर ऐक्सैसरीज से सजा सकती हैं. लहंगे का कलर वह लें जो मूड को अपलिफ्ट करे ताकि आप इस अवसर को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

कौंटी और कौकटेल पार्टी: कौंटी या कौंटिन्यूएशन पार्टी वह होती है, जो स्कूल के फेयरवैल के बाद होती है. इस में सभी दोस्त मिल कर धमाल करते हैं. इस पार्टी में अगर आप वैस्टर्न लुक चाहती हैं और शौर्ट ड्रैसेज पहनना चाहती हैं, तो पेपलम ड्रैस आपको सैक्सी व ग्लैमरस लुक देगी. इस के साथ आप ब्लैक पीप टो हील्स पहनें. अगर आप रैड कारपेट लुक चाहती हैं, लेकिन कुछ लौंग व ऐलिगैंट पहनना चाहती हैं तो वन शोल्डर फ्लोर लैंथ सैक्सी ड्रैस पहन सकती हैं, जिस में नी लैंथ स्लिट हो. स्लिट के कारण डांस के दौरान डांस नंबर्स पर मूव करना आसान होता है. फुटवियर में वेज पहनें. अगर आप की ड्रैस बैकलैस या स्लीवलैस है तो आप नैक पर और बांहों पर ग्लिटरी टैटू बनवा सकती हैं. मेकअप में आंखों या लिप्स दोनों में से एक को ही हाईलाइट करें. कौकटेल पार्टी में भी नाचगाना और मस्ती होती है. इस में आप शाइनी शौर्ट स्कर्ट के साथ स्टाइलिश क्रौप टौप पहन सकती हैं या एलबीडी या लिटिल ब्लैक ड्रैस भी पहन सकती हैं. इस के अलावा अगर आप सैलिब्रिटी लुक चाहती हैं, तो रैड लो नैक ड्रैस पहनें. इसे ट्रैंडी बे्रसलेट व फैशन ज्वैलरी के साथ शेयर करें व रैड लिपस्टिक लगाएं. रैड लिपस्टिक आप को कंप्लीट लुक देगी. हेयरस्टाइल में हाई बन या वेवी लुक दे सकती हैं.

यंग गर्ल्स हौट व फेमिनिन पार्टी ड्रैसेज भी पहन सकती हैं. अगर पार्टी क्लब में है, तो शौर्ट ड्रैसेज आप को फैशनेबल व सैक्सी दिखती हैं. अगर आप स्लिम हैं और डांसफ्लोर पर जलवा बिखेरना चाहती हैं तो औफशोल्डर ड्रैस इयररिंग्स व बे्रसलेट के साथ पेयर कर सकती हैं. अगर हैल्दी हैं, वी लेयर्ड ड्रैस पहनें. लेयर्ड ड्रैस जहां मोटे लोगों का फैट छिपाती है, वहीं स्लिम लोगों का वौल्यूम देती है यानी यह ड्रैस दुबले व हैल्दी दोनों तरह की महिलाओं व गर्ल्स के लिए परफैक्ट होती है. 

दिखें अट्रैक्टिव हैंडबैग और फुटवियर से

पार्टी में जाने से पहले हम अपनी ड्रैस और मेकअप से संबंधित छोटी से छोटी चीज का भी ध्यान रखती हैं, लेकिन ऐक्सैसरीज को नजरअंदाज कर देती हैं. हर जगह एक ही फुटवियर और हैंडबैग कैरी करती हैं. सोचती हैं इन्हें क्या चेंज करना, भला इन्हें कौन देखने लगा है. पार्टी में हर किसी की नजर तो ड्रैस और मेकअप पर ही होगी. पर क्या आप को पता है कि हमारी पर्सनैलिटी में फुटवियर और हैंडबैग बहुत महत्त्वपूर्ण हैं? इन से हमारी पर्सनैलिटी आकर्षक लगती है. अकसर हम इन के चुनाव में छोटीछोटी गलतियां कर बैठती हैं जैसे किट्टी पार्टी में फौर्मल हैंडबैग ले कर चल देती हैं. वहां कोई न कोई कमैंट कर ही देता है कि तुम्हें देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम औफिस की पार्टी में आई हो. ठीक इसी तरह अगर किसी पूल पार्टी में हाई हील की लैदर फुटवियर पहन कर चली जाएं तो वहां हर कोई यही कहता मिलेगा कि तुम ने पूल पार्टी में हील क्यों पहन रखी हैं? तब हमें लगता है कि काश हम थोड़ा अपने फुटवियर पर भी ध्यान देते. ऐसा आप के साथ न हो, इसलिए ड्रैस व मेकअप के साथसाथ हैंडबैग और फुटवियर के चुनाव पर भी पूरापूरा ध्यान दें.

कैसा हो आप का हैंडबैग

महिलाएं औफिस बैग को ही पार्टी और शौपिंग में ले कर चल देती हैं. यह भी देखा गया है कि महिलाएं हैंडबैग में इतना सामान भर लेती हैं कि बैग फटने को हो जाता है. यह एक फैशन ऐक्सैसरीज है, इसे स्टाइल स्टैटमैंट की तरह इस्तेमाल करें. इस का चुनाव करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आप किस अवसर पर जा रही हैं और आप ने कैसी ड्रैस पहनी है. आज मार्केट में कई तरह के हैंडबैग व पर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें अलगअलग अवसरों पर कैरी कर के डिफरैंट व स्टाइलिश लुक पाया जा सकता है.

पोटली बैग: पार्टी में जाने के लिए साड़ी या अनारकली सूट पहन रही हैं, तो अपनी पर्सनैलिटी को परफैक्ट लुक देने के लिए पोटलीनुमा पर्स लें. यह पर्स शादी व सगाई जैसे अवसरों पर बहुत अच्छा लगता है. इस बैग में एक स्ट्रिंग लगी होती है, जिसे आप अपने लहंगे के अंदर टक कर सकती हैं. यह काफी अच्छा लुक देता है. अगर आप ने अनारकली सूट पहन रखा है, तो कलाई पर भी लटका सकती हैं. इस में इतनी स्पेस होती है कि आप लिपस्टिक, कौंपैक्ट, कंघी, काजल जैसा मेकअप का कुछ जरूरी सामान रख सकती हैं. मार्केट में ये पोटली बैग क्व200 से क्व500 के बीच कई अलगअलग डिजाइनों में उपलब्ध हैं.

क्लच: यह बैग काफी स्टाइलिश होता है. इसे साड़ी, लहंगा, गाउन या फिर वनपीस के साथ कैरी किया जा सकता है. यह साइज में छोटा और वजन में कम होता है. फिर भी इस में मेकअप का जरूरी सामान आसानी से रखा जा सकता है. गोल्डन, साटन, वैल्वेट, जूट का यह बैग अलगअलग वैराइटी में क्व300 से क्व500 के बीच मिल जाएगा.

होबो बैग: यह बैग क्लासिक कलैक्शन में आता है. यह आउटिंग के लिए ठीक रहता है. इस में आप जरूरत की चीजें आसानी से रख सकती हैं. यह बैग फ्रैंड्स व फैमिली के साथ सप्ताहांत पर कैरी करने के लिए भी बैस्ट है. यह आप को क्व600 में अच्छी क्वालिटी का मिल जाएगा.

ईवनिंग बैग: यह फौर्मल इवेंट के लिए अच्छा रहता है. आप चाहे ऐनिवर्सरी पार्टी में जा रही हैं या फिर डिनर पार्टी में, इसे कैरी कर सकती हैं. मार्केट में यह क्व400 में उपलब्ध है.

टोट बैग: अगर आप पार्टी में साड़ी पहन कर थोड़ा सा ग्लैमरस और थोड़ा सा ट्रैडिशनल लुक पाना चाहती हैं और साथ ही कंफर्टेबल भी रहना चाहती हैं, तो बीड्स वाला यह टोट बैग कैरी करें. यह आप को अलग लुक देगा और इस की रेंज क्व600 से शुरू होती है.

स्लिंग बैग: यह बैग काफी कंफर्टेबल होता है. इसे आप साइड में या क्रिसक्रौस भी कैरी कर सकती हैं. अगर आप पार्टी में फंकी ड्रैस पहन रही हैं, तो स्लिंग बैग कैरी करें. स्लिंग बैग को रेन पार्टी और पूल पार्टी में भी कैरी किया जा सकता है.

इंडोवैस्टर्न पर्स: कौकटेल पार्टी में जा रही हैं, तो ग्लैमरस दिखने के लिए इंडोवैस्टर्न पर्स कैरी करें. इसे आप गाउन, साड़ी आदि ड्रैस के साथ कैरी कर सकती हैं. इन दिनों वैल शेप्ड पर्स भी ट्रैंड में हैं और ये आसानी से सभी रंगों में उपलब्ध हैं.

अलगअलग मौकों पर कैसा हो फुटवियर

ईवनिंग पार्टी: ईवनिंग पार्टी और आम अवसरों के लिए कोशिश करें कि फ्लैट या हलकी हील वाले सैंडल पहनें. चौड़ी हील वाले सैंडल भी काफी आरामदायक होते हैं. ये पैरों को आराम देते हैं और इन्हें पहन कर पैदल चलना आसान रहता है. अगर आप को पार्टी में बहुत चलना है तो चौड़ी हील वाला फुटवियर ही पहनें. ईवनिंग पार्टी में स्टैलिटो हील्स न पहनें. ये पतली और लंबी होती हैं. ये देखने में भले बहुत अच्छी लगती हों, लेकिन इन्हें पहन कर बहुत देर तक पैदल नहीं चला जा सकता. अगर आप कंफर्टेबल फुटवियर चाहती हैं तो कौबल्स के फुटवियर में काफी वैराइटी उपलब्ध है. आप ईवनिंग पार्टी के लिए इन्हें ही चुनें.

नाइट पार्टी: नाइट पार्टी यानी उस में आप जम कर डीजे पर डांस करेंगी. अत: इस तरह की पार्टियों में फुटवियर का सही चुनाव बहुत जरूरी है, क्योंकि जब तक आप कंफर्टेबल नहीं महसूस करेंगी, तब तक जम कर डांस का मजा नहीं ले पाएंगी. इसलिए नाइट पार्टी में वेज हील्स सब से ज्यादा आरामदायक रहती हैं. इन में आप बड़ी आसानी से चलफिर सकती हैं, डांस कर सकती हैं. इस तरह की हील्स पैरों को पूरा सपोर्ट देती हैं. आप को जरा भी असहजता महसूस नहीं होने देतीं. नाइट पार्टी में एक बात का विशेष ध्यान रखें कि फुटवियर में बहुत ज्यादा सितारेमोती न जड़े हों.आउटिंग: दोस्तों के साथ आउटिंग पर जा रही हैं, तो फ्लैट बैली पहनना ठीक रहेगा. यदि आप की ड्रैस के साथ बैली मैच नहीं कर रही है, तो इस मौके पर शूज भी पहन सकती हैं.

किट्टी पार्टी: किट्टी पार्टी एक ऐसी जगह है जहां आप अपना फैशन दिखा सकती हैं. अपनी ड्रैस के अनुसार फुटवियर का चुनाव कर सकती हैं. अगर आप ने सिंपल और सोबर ड्रैस पहनी है तो कोशिश करें फुटवियर भी फौर्मल ही हो. किट्टी पार्टी के लिए आप किटेन हील्स वाला फुटवियर चुन सकती हैं. यह फुटवियर आरामदायक होने के साथसाथ कैरी करने में भी आसान होता है. फिर हर तरह के आउटफिट के साथ अच्छा लगता है. एक खास बात यह है कि किटेन हील्स कभी आउट औफ फैशन नहीं होतीं.

मैरिज पार्टी: शादी व सगाई जैसे अवसरों पर हमेशा हाई हील ही पहनें, जो आप की फिगर को अच्छा लुक देती हैं. बस ड्रैस से मैचिंग हों. यहां पर स्टैलिटो भी पहन सकती हैं. ऐसे अवसरों पर स्टोन व मोती जड़ा फुटवियर पहनें, जो सैक्सी लुक देता है.

ट्रैंडी फुटवियर: आजकल ट्रैंडी फुटवियर में कोल्हापुरी चप्पलें और मोजरी का फैशन इन है. इन्हें आप अपनी ड्रैस व मौके के अनुसार किसी भी ड्रैस के साथ कैरी कर सकती हैं. ये अलगअलग डिजाइनों व रंगों में उपलब्ध हैं. ये आप को ट्रैडिशनल लुक देंगी.

मोक्ष का मायाजाल ‘संन्यास’

संन्यास की बात हर किसी के मन में कभी भी आ सकती है, जिस की एक वजह तो भगवान या भगवान के बराबर बनने की आदिम ख्वाहिश है तो दूसरी उस से ज्यादा अहम और चारों तरफ बिखरी पड़ी है वह है धार्मिक माहौल का दबाव, जिस में जीने वाले लोग नशे की हद तक आदी हो गए हैं. सुबह से ले कर देर रात तक धर्म और उस के दुकानदार इस तरह लोगों के इर्दगिर्द मंडराते रहते हैं कि उन के न होने की कल्पना भी लोग नहीं कर पाते. धर्म की बेडि़यां सदियों से लोगों के पैरों में पड़ी रही हैं, जिन से अब धर्मभीरु खुद छुटकारा नहीं पाना चाहते. यह मानसिक गुलामी चूंकि ऐच्छिक है, इसलिए इस के बारे में बात करने से भी लोग घबराते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि ईश्वर और धर्म के प्रति मन में जो संशय है उसे कोई तर्क से सही साबित न कर दे. दरअसल में इस संशय जो डर भी है और असुरक्षा की भावना भी का फायदा संन्यासी सदियों से उठा रहे हैं. उन का एक ही काम होता है कि धर्मग्रंथों में लिखी बातों को दोहराते रहो, उन के किस्सों को कहानियां, कविताएं और चुटकुले बना कर भक्तों को सुना कर उन्हें बरगलाते रहो ताकि वे तर्क की बात सोचें ही नहीं और जो थोड़ेबहुत लोग सोचें उन्हें नास्तिक और पापी करार देते हुए समाज से ही बहिष्कृत करवाने के टोटके करते रहो ताकि अपनी दुकान सही चलती रहे.

इस दुकान के मुख्य प्रचलित उत्पाद पाप, पुण्य, कष्ट, आनंद, स्वर्ग, नर्क, मोक्ष, मुक्ति वगैरह है, जो रोज बिकते हैं और इन के बारे में सुनने डरेसहमे लोग मुंह मांगी कीमत अदा करते हैं. हर धर्म में यह व्यवस्था है कि अपनी कमाई का इतना फीसदी हिस्सा धर्म व दान में लगाने का ईश्वरीय निर्देश है. mइन तथाकथित दिशानिर्देशों का पालन हर धर्म के अनुयायी करते हैं, उन्हीं में से एक दिल्ली के कारोबारी भंवरलाल दोशी भी थे, जो अब संन्यास लेने के बाद भव्य रत्न महाराज के नाम से जाने जाते हैं. राजस्थान के सिरोही जिले के रहने वाले भंवरलाल दोशी मामूली खातेपीते जैन परिवार में पैदा हुए थे पर कुछ करने की कशिश उन्हें दिल्ली खींच लाई. भंवरलाल मेहनती थे और दिमाग वाले भी, लिहाजा देखते ही देखते प्लास्टिक के अपने कारोबार को इतनी ऊंचाइयों तक ले गए कि लोग उन्हें दिल्ली का प्लास्टिक किंग तक कहने लगे थे. 1978 में उन्होंने महज क्व30 हजार से कारोबार शुरू किया था, जो 2015 तक में क्व1,200 करोड़ का हो गया था. mगत पहली जून को भंवरलाल ने संन्यास ले लिया तो इस की चर्चा देश भर में रही जिस की वजह यह थी कि उन्होंने अपने संन्यास पर क्व100 करोड़ खर्च किए थे. संन्यास लेने के लिए भंवरलाल खासतौर पर अहमदाबाद गए थे, क्योंकि उन के गुरु दिल्ली नहीं आ सकते थे. 3 दिन उन्होंने अहमदाबाद में भव्य धार्मिक आयोजन किए, जिन में आकर्षण का बड़ा केंद्र वह जहाज रहा, जिस में वे 3 दिन तक सवार हो कर जुलूस निकाल कर अपने संन्यास का प्रचार करते रहे. करोड़ों रुपए से बने उस जहाज का नाम संयम जहाज रखा गया था. भंवरलाल के संन्यास समारोह में जैन बाहुल्य शहर अहमदाबाद के लाखों लोग शामिल हुए थे जो भंवरलाल दोशी के भवसागर से पार पाने के इस कृत्य के साक्षी बने.

सम्मोहन धर्म का

व्यापार में शिखर तक पहुंचने के लिए भंवरलाल ने संघर्ष किया था, क्योंकि उन में कुछ कर गुजरने का जज्बा था. अरबों रुपयों का अपना कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने के पीछे उन की बुद्धि, मेहनत और काबिलीयत थी. संघर्ष के दिन अकसर बेहद आनंददायक भी होते हैं, क्योंकि इन दिनों में आदमी कुछ हासिल कर रहा होता है. अपनी युवावस्था में भंवरलाल दोशी बेहद शौकीन और जिंदादिल शख्सीयत थे. मगर साथ ही नियमित मंदिर जाने की बीमारी भी उन्हें थी, जो धीरेधीरे बढ़ कर संन्यास की वजह बनी. मंदिरों में क्या होता है, यह हर कोई जानता है कि उन में दाखिल होते ही भक्त एक अजीब से सम्मोहन में जकड़ जाता है. चारों तरफ धूपबत्तियां, पूजापाठ, ध्यान और प्रार्थना का माहौल रहता है. संत और मुनि यहां अपने आसन या कालीन पर बैठे भक्तों को सांसारिक कष्टों, मोहमाया से मुक्ति का पाठ पढ़ाते हैं. यहां आ कर आदमी को लगता है कि वह जो कुछ कर रहा है वह व्यर्थ, मिथ्या और नश्वर है. सच्चा सुख तो दानदक्षिणा करने में है, जिस से परलोक सुधरता है. अत: मेहनत की गाढ़ी कमाई को उदारतापूर्वक लुटाने में कोई हरज नहीं. यही भंवरलाल करते रहे पर शुरू के दिनों में व्यवसाय उन का जनून था जो, उम्र के ढलतेढलते धर्म में तबदील होने लगा. धीरेधीरे संन्यास का भाव उन के मन में आया तो दिनोंदिन और पुख्ता होता गया. वे मेहनत से जो पैसा कमा रहे थे उसे ऊपर वाले की मेहरबानी मानने की चूक भी उन से हुई.

जैनमुनियों और संतों के प्रति उन की श्रद्धा बढ़ती गई. वे भी आम भक्तों की तरह सोचने लगे कि ये लोग कितने महान और त्यागी हैं, जो धर्म के काम में जीवन की आहुति दे रहे हैं और कष्ट भोग रहे हैं. ऐसा मैं भी करूं तो जीवन सार्थक हो जाए. क्यों दुनियादारी के चक्कर में पड़े रह कर कीड़ेमकोड़ों जैसी जिंदगी जी जाए जिस का अंत मृत्यु ही है? उस वक्त भंवरलाल दोशी जैसे लोगों को यह बताने वाला कोई नहीं होता कि वे जो सोच रहे हैं वह दीर्घकालिक धार्मिक प्रभाव का दबाव है, मुद्दत से एक झूठ बारबार अलगअलग तरीके से बोला जा रहा है जिसे वे सच मान बैठे हैं. इस बाबत कोई मौलिक चिंतनमनन या तर्क उन्होंने नहीं किया है. जो संन्यासी कह रहे हैं उसे वे आंख मूंद कर सच मानते जा रहे हैं. स्वर्गनर्क का चित्रण सांसारिक कष्ट और भगवान वगैरह मनगढ़ंत बाते हैं. जैसे भंवरलाल अपने प्लास्टिक के कारोबार को बढ़ाने में लगे थे ठीक वैसे ही ये संत धर्म के अपने कारोबार को आगे बढ़ाने में लगे हैं.

परिवार की नहीं चिंता

जिंदगी भर अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाने वाले भंवरलाल अगर ढलती उम्र में धर्म के झांसे में आ गए, तो बात कतई हैरत की नहीं. मुमकिन है उन के मन में भी संन्यासियों की तरह पुजने का भाव आ गया हो. जिन संतोंसंन्यासियों ने सब कुछ त्याग दिया है, उन के सामने अच्छेअच्छे पैसे वालों के सिर झुकते हैं. बहुतों को रोजगार देने वाले हजारों भंवरलाल भिक्षुओं की तरह उन के आशीर्वाद और कृपा को तरसते रहते हैं, तो हम से बेहतर तो वे हुए. बहरहाल, जब संन्यास की ठान ली तो परिवारजनों को भी इस इच्छा से अवगत कराया. शुरू में तो पत्नी और बेटों ने इसे धर्म का तात्कालिक प्रभाव समझा, लेकिन जब वे हर समय संन्यास का राग अलापने लगे तो परिवार परेशान हो उठा. वे धर्मकर्म करें, दान दें यहां तक किसी को एतराज नहीं था, लेकिन संन्यास ही ले लें, यह वाकई चिंता और तनाव की बात थी. भंवरलाल की पत्नी मधुबेन की मानें तो वे संन्यास की बात 1982 से ही कह रहे थे पर पिछले 3-4 सालों से कुछ ज्यादा ही करने लगे थे, जिस से वे भी चिंतित थीं और बेटे भी परेशान थे. वे उन का मन संन्यास से हटाने के लिए उन्हें तरहतरह से बहलायाफुसलाया करते थे, लेकिन सारी कोशिशें बेअसर साबित हुईं. नवंबर, 2014 में भंवरलाल दोशी ने अंतिम तौर पर परिवारजनों को संन्यास का अपना फैसला सुना दिया. मधुबेन बताती हैं कि कभी वे जिंदादिल इंसान हुआ करते थे. फिल्में देखने का तो बड़ा चाव था और बढि़या खाने और पहनने के भी खासे शौकीन थे. इस से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह वक्त भंवरलाल दोशी की पत्नी और बेटों के लिए कितना कठिन और तनाव भरा रहा होगा कि घर का वही मुखिया जिस ने ताजिंदगी मेहनत कर इतना बड़ा कारोबार खड़ा किया वह कितनी आसानी से उसे छोड़ संन्यास लेने की बात कह रहा है.

मिला क्या

पति की जिद के आगे असहाय साबित हुईं मधुबेन की जिंदगी में अब जो खालीपन आ गया है वह तो भरने से रहा. वे शायद ही कभी तय कर पाएं कि क्यों उन के पति ने अच्छीखासी धनदौलत, कारोबार और हंसताखेलता परिवार छोड़ संन्यास ले लिया और इस से उन्हें क्या हासिल होगा. यही हाल उन के बेटों का भी है. संभव है वे पिता के संन्यास में अपनी कोई गलती ढूंढ़ने में लगे हों. ,मिला भंवरलाल दोशी को भी कुछ नहीं है, उलटे जो उन्हें जिंदगी में मिला था वह भी खो दिया. अब वे भिक्षुओं की तरह रह रहे हैं. तमाम वैभव और सुखसुविधाएं छोड़ शारीरिक कष्ट उठा रहे हैं. मिली सिर्फ धर्म प्रचारकों की तारीफ और भक्तों की जयजयकार, जो अनुपयोगी है, व्यावहारिक दृष्टिकोण से बेमानी है. दरअसल, संन्यास एक फुतूर और अवसाद है. दोटूक शब्दों में कहें तो सलीके से जिंदगी न जीने की सजा है, जिसे वक्त रहते न रोका जाए तो आदमी कहीं का नहीं रहता यानी न इस लोक का न परलोक का और इस बनावटी परलोक को किसी ने भी नहीं देखा है. इस संन्यास से एक गलत पलायनवादी परंपरा को प्रोत्साहन जरूर मिला है. वजह, भव्य रत्न महाराज अब एक आइटम की तरह पेश किए जाएंगे कि देखा धर्म का प्रताप. कल तक ये भंवरलाल दोशी दिल्ली के प्लास्टिक किंग थे जिन पर दैवीय कृपा हुई तो संन्यास बन गए. तुम्हारे मन में भी संन्यास का भाव आए तो संत समुदाय में शामिल होने से हिचकिचाना नहीं और न ही इस दैवीय कृपा की अवहेलना करना. सच में यह कृपा नहीं आपदा थी जिस की जड़ में धार्मिक बातों की पुनरावृत्ति है जो सीधे तार्किक बुद्धि को मंद और कुंद करती है. संन्यासियों की जैन या दूसरे किसी धर्म में कमी नहीं, जिन्हें खानेकमाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती, बल्कि तरहतरह से धर्म प्रचार करना पड़ता है. यही अब भंवरलाल करेंगे जो शायद ही कभी समझ पाएं कि उन्होंने संन्यास नहीं लिया है, बल्कि धार्मिक दबाव ने दिलाया है.

गर्भपात क्यों, नसबंदियां क्यों नहीं

‘हम 2 हमारे 2’ का नारा देश में बहुत चला था और आज यह इस कदर जनमानस में अंदर तक पसर गया है कि तीसरा बच्चा अब अवांछित अनचाहा लगने लगा है. और तीसरा बच्चा जीवन भर इसलिए कुंठित रहता है कि वह मातापिता की भूल का परिणाम है. हां, अगर तीसरा बच्चा बेटा हो या जुड़वां संतान का हिस्सा, तो कम से कम अपराधभाव नहीं होता. 2 बच्चों का होना मांओं के लिए वरदान साबित हुआ है पर इस का परिणाम लाखों कन्याओं की भू्रण हत्या में हुआ है, क्योंकि अगर बच्चे 2 ही होने हैं तो उन में से 1 को तो लड़का होना ही चाहिए चाहे उस के लिए दूसरे गर्भ की जांच क्यों न करानी पड़े और फिर गर्भपात क्यों न कराना पड़े, अगर दूसरी संतान भी गर्भ में लड़की हो. यह स्वाभाविक है और व्यावहारिक भी. अगर बच्चे 2 ही होने हैं तो एक का लड़का होना मातापिता की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है, क्योंकि बेटी विवाह के बाद कठिनाई से ही मातापिता को सुरक्षा दे पाती है. ऐसा नहीं कि बेटे कोई गारंटी हैं पर थोड़ी आशा बनी रहती है. चीन में हालत इस से भी ज्यादा बुरी है, क्योंकि माओत्से तुंग के जमाने से चीन में 1 बच्चा का नियम लागू कर दिया गया था और दूसरे बच्चे की इजाजत न मिलने पर जबरन गर्भपात करा दिया जाता था. कई बार सरकारी मशीनरी हमारे आपातकाल में हुई नसबंदी की तरह गर्भपात कराती थी.

एक अनुमान के अनुसार चीन में 30 से 40 करोड़ गर्भपात एक बच्चा नीति के अंतर्गत हुए हैं. भारत में कितने हुए हैं इस का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि यहां चिकित्सा का क्षेत्र काफी हद तक निजी हाथों में है. लड़कों की चाहत के कारण गर्भ परीक्षण के बाद गर्भपात औरत के लिए कोई फिल्म देखने जैसी मनोरंजन की चीज नहीं है. इस में शारीरिक कष्ट तो है ही वर्षों मन में अपराधभाव रहता है कि एक बच्चे की जान ले ली गई. यह दुख तब भी होता है जब तीसरे का गर्भपात बिना भू्रण के लिंग परीक्षण के किया जाए पर बहुत कम. समाज ऐसा हो जो लड़कों और लड़कियों दोनों को बराबर सा स्वीकार करे और गर्भ रोकने के लिए गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल हो, गर्भपातों का नहीं. गर्भपात तो बहुत हो रहे हैं पर नसबंदियां नहीं, यह भी एक और अत्याचार और भेदभाव है औरतों पर.

दीवारों की सुरक्षा चाहिए सफाई नहीं

दिल्ली को हाई राइज सिटी बनाने की कवायद शुरू होने जा रही है. दिल्लीवासी कैसे रहें, यह ठेका वैसे दिल्ली सरकार, डीडीए (दिल्ली डैवलपमैंट अथौरिटी), केंद्र सरकार और नगर निगमों के पास है. आम नागरिक तो बेचारा है. वह इन के कार्यालयों के आगे भीख मांगता रहता है और जब कुछ मिल जाता है तो अपनी जमीन पर, अपने पैसे से अपनी आधीअधूरी पसंद वाला मकान बना पाता है. सरकारी विभागों का कहना है कि अगर दिल्लीवासियों को छूट दे दी जाए तो वे दिल्ली को तहसनहस कर देंगे. मानो आजकल दिल्ली बड़ा सुंदर, संगठित, करीने से बसा साफसुथरा शहर है. दिल्ली में रहने वाला हर जना जानता है कि दिल्ली शहर कूड़े के बेतरतीब बिखरे कई नगरों, उपनगरों, बस्तियों, महल्लों, स्लमों का शहर है, जिसे एकदूसरे से सड़कें जोड़ती हैं, जो ट्रैफिक जाम में फंसी रहती हैं. दिल्ली वाले खुश हैं तो सिर्फ इसलिए कि दूसरे शहर और भी ज्यादा बेतरतीब, गंदे, बिखरे हैं.

अब दिल्ली शहर में ऊंची इमारतों को बनाने की इजाजत दी जाने वाली है. फिलहाल यह छूट बड़े प्लाटों पर होगी जो मैट्रो के निकट हैं. भेदभाव क्यों किया जा रहा है यह अस्पष्ट है, क्योंकि अगर कुछ जगह ज्यादा बनाने की इजाजत दी जा रही है तो सभी जगह दी जानी चाहिए. यह इजाजत बरसों पहले मिल जानी चाहिए थी. दिल्ली में रहने वाले अब सिर पर छत चाहते हैं चाहे माहौल गंदा हो, सीवर भरा हो और कूड़े के ढेर से गुजर कर जाना पड़ता हो. हर घर वाली को दीवारों की सुरक्षा चाहिए, सफाई नहीं. सफाई की तो तब सोचेंगे जब जेब में 4 पैसे होंगे और मकान ढंग के होंगे. दिल्ली में दाम इस कदर बढ़ गए हैं कि अच्छेखासे कमाने वाले भी आज सड़कों पर रहने को मजबूर हैं. अगर बरसों पहले ऊंचे मकान बनाने की इजाजत दे दी जाती तो चाहे गंदे मुंबईनुमा टौवर दिखते पर दाम तो ठीक होते. अब जो छूट दी जा रही है, वह दिल्ली का पेट भरने के लिए काफी नहीं है. जरूरत तो इस बात की है कि ‘अपनी जमीन पर चाहे जैसे रहो’ की नीति अपनाई जाए. सरकार का काम यह हो कि वह सार्वजनिक जमीन पर एक ईंट न रखने दे, एक झुग्गी न बनने दे, एक दुकान न चलने दे, एक पटरी को घेरने न दे. आम आदमी के लिए घर के बाहर पूरी तरह बंधन हो, घर में वह पूरी तरह आजाद हो. वह वहां कितने कमरे बनवाए, क्या व्यापार करे, किसे किराए पर दे यह उस की अपनी मरजी पर हो. लेकिन बाहर वह न गाड़ी खड़ी करे, न पटरी घेरे, न दुकान एक इंच बढ़ाए. सरकार की तमाम रोकटोक के बावजूद अपनी जगह पर तो दिलेर लोग मनमरजी तो करते ही हैं पर साथ ही सरकार के निकम्मेपन के कारण पब्लिक स्पेस और पब्लिक लैंड पर कब्जा भी कर लेते हैं. क्या सरकारों के पास जीवन सुखी बनाने का फौर्मूला है?

आतंकवाद से ज्यादा खौफनाक है छेड़खानी

छेड़खानी की शिकायत करने पर दिल्ली में एक लड़की की दिन की रोशनी में सरेआम एक लड़के द्वारा हत्या कर दी गई. इस तरह का मामला कोई पहली बार नहीं हुआ है जब लड़की की शिकायत पर उसे या उस के घर वालों को धमकाया या मारापीटा गया हो. देश भर में इस तरह के मामले रोज होते हैं पर हत्या की हद कभीकभार ही पार होती है. इस मामले में दिल्ली के निम्नवर्गीय इलाके में एक 19 वर्ष की लड़की की 22 वर्ष के लड़के ने इसलिए छुरे से हत्या कर दी, क्योंकि 2 साल पहले लड़की ने लड़के द्वारा छेड़खानी करने की शिकायत की थी और लड़के को जेल में रहना पड़ा था. जेल में सुधरने के बजाय वह और ज्यादा अपराधीमन का बन गया और उस ने मौका देख कर बिना अंजाम की परवाह किए लड़की पर हमला कर दिया.

और ज्यादा दुख की बात तो यह है कि जब लड़का छुरे से वार कर रहा था तब लड़के की मां और भाई ने लड़की को पकड़ रखा था. इस मामले में अब क्या होगा? शायद जेल की सीखचों के पीछे रह कर अपराधी ने यह जान लिया. अब उस की धमकियों के कारण गवाह अदालत में मुकर जाएंगे. मुकदमा चलेगा. लड़का 2-3 साल जेल में रहेगा पर फिर जमानत पर छूट जाएगा. 4-5 साल बाद जब पहली अदालत का फैसला आएगा तब तक लड़की के घर वालों का गुस्सा शांत हो चुका होगा और वे बजाय कानून के जरीए न्याय मांगने के अपने बचाव में लगे होंगे.

सरकारी वकील, जो अपराधी के खिलाफ पैरवी करते हैं आमतौर पर केवल खानापूरी करते हैं. उन्हें न मरने वाले के प्रति सहानुभूति होती है और न ही अपराधी के प्रति गुस्सा. वे रोज दसियों ऐसे मामले देखते हैं. उन की रुचि तारीखें लेने में ज्यादा होती है. छेड़खानी के खिलाफ कानून है पर यदि अपराधी दिलेर है और घर वाले चिंता न करने वाले तो उस का बहुत कम बिगड़ेगा. पुलिस को अपना मेहनताना मिला तो वह उस हत्या को दुर्घटना बना सकती है. मुकदमे के दौरान लड़की के चरित्र पर भी छींटे उछाले जा सकते हैं. इस मामले में नेताओं से तो कुछ होगा ही नहीं. पीडि़ता से हमदर्दी का तो सवाल ही नहीं उठता है. 

छेड़खानी से निबटना किसी भी समाज के लिए अभी तक संभव नहीं हुआ है. पश्चिमी देशों में भी यह आतंक जेहादियों के आतंक से ज्यादा घिनौना व डरावना है, क्योंकि यह पास में होता है और आसपास के कितने ही घर इस के आंखों देखे गवाह होते हैं. दुनिया के अमीर देश भी ऐसी पुलिस नहीं बना पाए हैं, जो लड़कियों को आजादी से जीने का हक दिला सके. हर जगह पीडि़ता खुद को अपराधी समझने लगती है कि वह घर से बाहर निकली ही क्यों. मातापिता अपने को कोसने लगते हैं कि उन्होंने लड़की को पैदा ही क्यों किया. कन्या भू्रण हत्या के पीछे छिपा एक कारण यह भी है कि अभिभावक अपनी बेटियों को सुरक्षित नहीं मानते और अगर तकनीक उपलब्ध है, तो वे क्यों न उसे इस्तेमाल करें. अपराध हर समय होते रहते हैं, हर जगह होते हैं पर जब जेल काट आए अपराधी हत्या करने लगें तो जेलों, न्याय और पुलिस पर औरतों की रक्षा के बारे में सवाल उठेंगे ही.

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