बीन बार्ले सलाद

सामग्री

100 ग्राम फ्रैंचबींस ब्लांच की व 3 इंच लंबे टुकड़ों में कटी

3 बड़े चम्मच जौ का दलिया

1/2 कप लाल, हरी व पीली शिमलामिर्च जूलियन कटी

2 बड़े चम्मच गाजर जूलियन कटी

3 बड़े चम्मच बीजरहित टमाटर जूलियन कटे

1 छोटा चम्मच चाटमसाला

1/4 छोटा चम्मच कालानमक

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

2 छोटे चम्मच औलिव औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

जौ के दलिए को गरम पानी में आधा घंटा भिगोएं, फिर पानी से निकाल कर उबलते पानी में 15 मिनट रखें. छलनी से पानी निथार दें. चाहें तो उबलते पानी में गलने तक पका लें. पानी निथारें और उस पानी से रोटी का आटा मांड़ सकती हैं. दलिए को ठंडा करें और उस में बींस, गाजर व शिमलामिर्च मिलाएं. औलिव औयल में नमक, चाटमसाला, नीबू का रस मिला कर फेंटें व सलाद में डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. स्वादिष्ठ व हैल्दी सलाद तैयार है.

सहजन फली करी

सामग्री

2 सहजन की फलियां

1/4 कप नारियल ताजा कद्दूकस किया

1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

1/2 छोटा चम्मच किचन किंग मसाला

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

सहजन की फलियों को छील कर 2-2 इंच के टुकड़े करें और भाप में गलने तक पका लें. एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के सभी मसाले डाल कर भूनें. इस में नारियल और सहजन की फलियों के टुकड़े, नमक और 2 कप पानी डाल कर धीमी आंच पर 3-4 मिनट पकाएं. धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम सब्जी को रोटियों या परांठों के साथ सर्व करें.

कालेज गोइंग गर्ल्स की मेकअप किट

खूबसूरत दिखना हर लड़की की ख्वाहिश होती है. कालेज गोइंग गर्ल्स में तो खासकर इस बात की प्रतिस्पर्धा रहती है कि कौन कितनी खूबसूरत दिख रही है. पर खूबसूरत दिखने के लिए थोड़ाबहुत मेकअप तो हर लड़की को करना ही पड़ता है. लेकिन अकसर खूबसूरत दिखने की होड़ में लड़कियां बाजार में आए हर नए प्रोडक्ट को इस्तेमाल कर अपनी त्वचा को खराब कर लेती हैं. इसलिए हर लड़की को यह जानकारी होनी चाहिए कि उस की मेकअप किट में कौनकौन से ब्यूटी प्रोडक्ट्स होने चाहिए, क्योंकि यह जरूरी नहीं की हर ब्यूटी प्रोडक्ट उस की त्वचा के अनुरूप हो या फिर उस का हर दिन इस्तेमाल कर सकती हो.

इस बाबत ब्यूटीशियन शीतल नागपाल कहती हैं कि हर लड़की को सजनेसंवरने का शौक होता है और इस में कोई बुराई भी नहीं है, लेकिन मेकअप प्रोडक्ट्स का चयन न केवल त्वचा बल्कि उम्र के हिसाब से भी होना चाहिए. बात अगर कालेज जाने वाली लड़कियों की की जाए तो बहुत भड़कीला मेकअप इस उम्र में अच्छा नहीं लगता. हलका मेकअप ही अच्छा लगता है, जो ब्यूटी को निखारे और नैचुरल लुक को बनाए रखे. बाजार में कई ऐसे मेकअप प्रोडक्ट्स मुहैया हैं, जो सिर्फ ब्यूटी को निखारते हैं. ब्यूटीशियन शीतल आगे बताती हैं कि  काजल, मसकारा, लिपस्टिक, फाउंडेशन इन सभी प्रोडक्ट्स को कम उम्र की लड़कियां अपनी मेकअप किट में रख सकती हैं. लेकिन इन्हें चुनने और इन का इस्तेमाल करने की समझ भी उन्हें होनी चाहिए, क्योंकि यदि आप को प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना ही नहीं आएगा इस से खूबसूरती बढ़ने की जगह घटेगी ही.

ब्यूटीशियन शीतल इस मुश्किल से पार पाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स के सही चुनाव और इस्तेमाल की जानकारी दे रही हैं:

काजल

काजल आंखों को हाईलाइट और चेहरे की डलनैस को खत्म करता है. बाजार में बहुत से ब्रैंड और मोड में काजल उपलब्ध है. लेकिन जैल काजल सब से अच्छा होता है, क्योंकि इस के साथ हर मौसम में प्ले कर सकते हैं. इस से ज्यादा अच्छा मूवमैंट भी आता है. खासतौर पर आंखों को स्मोकी इफैक्ट देना हो तो जैल काजल सब से अच्छा विकल्प है. इस में भी 2 प्रकार के काजल मार्केट में उपलब्ध हैं. पहला नौर्मल जैल काजल जो आईब्रश की मदद से लगाया जाता है और दूसरा पैंसिल जैल काजल. हमेशा पैंसिल जैल काजल ही लें. यह जल्दी नहीं सूखता और इस से आखों को आसानी से शेप भी दी जा सकती है. इस की एक खासीयत यह भी होती कि यह वाटरप्रूफ होता है. बाजार में जैल काजल क्व60 से क्व2,100 तक में उपलब्ध है.

फाउंडेशन

फाउंडेशन मेकअप का बेस होता है. इस से स्किन में ग्लो आता है और मेकअप देर तक टिकता है. इसलिए मेकअप किट में इस की मौजूदगी बेहद जरूरी है. यह मेकअप के लिए जितना जरूरी है उस से कहीं ज्यादा इस के चुनाव पर ध्यान देने की जरूरत होती है. फाउंडेशन खरीदते वक्त लड़कियां यह नहीं देखतीं कि उन की स्किनटोन के साथ फाउंडेशन मैच हो रहा है या नहीं. बस, जो फाउंडेशन ज्यादा ब्राइट लगता है उसे खरीद लेती हैं. उन्हें भ्रम होता है कि फाउंडेशन से त्वचा गोरी होती है, जबकि फाउंडेशन हमेशा सिंगल टोन और त्वचा की टोन से मिलता हुआ ही इस्तेमाल करना चाहिए वरना त्वचा गोरी लगने की जगह ग्रे दिखने लगती है. बाजार में फाउंडेशन क्व400 से क्व2,200 तक में उपलब्ध है.

लूज पाउडर या कौंपैक्ट पाउडर

बेस तब तक अधूरा है जब तक फाउंडेशन के बाद लूज पाउडर न लगाया जाए. यह बेस को लौक करता है. लूज पाउडर मेकअप की वह लेयर होती है, जिस के बाद चेहरे को शेप दी जा सकती है. इस का चुनाव भी ध्यान से करना चाहिए. जैसी स्किनटोन हो उसी से मैच करता लूज पाउडर खरीदें. वैसे व्हाइट टोन या यलो टोन का लूज पाउडर भी ले सकती हैं, लेकिन लूज पाउडर का प्रयोग चेहरे पर ज्यादा नहीं करना चाहिए, हलका सा लूज पाउडर ही चेहरे को ग्लो देने के लिए काफी होता है. चेहरे के साथ ही लूज पाउडर को कानों, गले और हाथों पर भी लगा लेना चाहिए ताकि चेहरे और शरीर के बाकी खुले हिस्सों का रंग एकजैसा नजर आए. बाजार में लूज पाउडर क्व200 से क्व1,200 तक में उपलब्ध है.

लिपस्टिक

लिपस्टिक चेहरे के ग्लो को और बढ़ा देती है. अच्छे ब्रैंड की लिपस्टिक होंठों की रंगत और मुलायमियत को बरकरार रखती है. लेकिन जरूरी नहीं कि हर कलर की लिपस्टिक आप के कलरटोन से मैच हो या उस पर अच्छी लगे. इसलिए लिपस्टिक का चुनाव अपनी कलरटोन के हिसाब से करें. लिपस्टिक में ग्लौसी, मैट और स्पार्कल लिपस्टिक आती हैं. आप मौसम और अपनी ड्रैस को ध्यान में रख कर ही लिपस्टिक चुनें. आजकल मार्केट में लौंगलास्टिंग और वाटरप्रूफ लिपस्टिक भी आने लगी है. ऐसी लिपस्टिक आप सुबह लगा लें तो शाम तक टिकी रहती है. बाजार में इस की कीमत क्व400 से क्व1,000 तक है.

लिपबाम

यदि लिपस्टिक से परहेज है तो आप लिपबाम इस्तेमाल कर सकती हैं. बाजार में कलर्ड और कलरलेस दोनों तरह के लिपबाम उपलब्ध हैं. यदि होंठों पर सिर्फ शाइनिंग चाहिए तो आप कलरलेस लिपबाम और यदि लिपबाम का इस्तेमाल लिपस्टिक की जगह करना चाहती हैं तो कलर्ड लिपबाम अपनी मेकअप किट में रखें. लिपबाम होंठों के लिए सुरक्षाकवच का काम करता है. गरमी के मौसम में तो यह खासतौर पर होंठों को हाइड्रेट रखता है.

आईब्रो पैंसिल

आईब्रो पैंसिल का मेकअप किट में होना बेहद जरूरी है. कुछ लड़कियों की आईब्रोज टेढ़ीमेढ़ी होती हैं. अत: उन्हें शेप में लाने के लिए आईब्रो पैंसिल बहुत मददगार होती है. यदि आप आईब्रो पैंसिल का इस्तेमाल करती हैं तो हमेशा डार्क ब्राउन कलर की ही प्रयोग करें. इस से आईब्रोज नैचुरल लगती हैं.

टोनर

त्वचा पर सिर्फ मेकअप की परत चढ़ा लेने से कुछ नहीं होता. त्वचा की अच्छी तरह सफाई भी बहुत जरूरी है. अत: अपनी मेकअप किट में एक अच्छा टोनर भी जरूर रखें और घर से निकलने से पहले और शाम को घर आने के बाद एक बार टोनिंग जरूर करें.

मौइश्चराइजर

टोनिंग से चेहरे के पोर्स खुल जाते है, इसलिए उन्हें बंद करने के लिए अच्छे ब्रैंड का मौइश्चराइजर लगाएं.

नाइट क्रीम एवं अंडर आई क्रीम

रात में सोने से पहले अच्छे ब्रैंड की नाइट क्रीम जरूर लगाएं. इस से त्वचा में कसाव बना रहता है. यदि आप की आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हैं तो अंडर आई क्रीम भी लगा सकती हैं.

अच्छा करने की इच्छा होनी चाहिए : सुचि मुखर्जी

कहावत है कि इंसान की सोच ही उसे दूसरों से अलग पहचान दिलाती है. लाइमरोड डौट कौम की सीईओ और फाउंडर सुचि मुखर्जी पर यह कहावत पूरी तरह से लागू होती है. सुचि को सफल और खास बनाया उन की अलग सोच ने. अपने बारे में बताते हुए सुचि कहती हैं, ‘‘मैं दिल्ली से हूं और 15 सालों के बाद लाइमरोडडौटकौम के निर्माण के लिए वापस आई हूं. मैं ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से इकोनौमिक्स में बीए करने के बाद कैंब्रिज कौमनवैल्थ स्कौलर के रूप में लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स से मास्टर्स इन फाइनैंस ऐंड इकानौमिक्स की डिग्री हासिल की.’’

सुचि ऐसे लोगों को पसंद करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना रास्ता बना लेते हैं. वे कहती हैं, ‘‘मैं उन लोगों को बहुत पसंद करती हूं, जो मौजूदा स्थिति को चुनौती देते हैं और अपने खुद के परिदृश्य में बदलाव ले कर आते हैं. मेरे लिए स्थायी बदलाव लाना हमेशा से प्रमुख थीम रहा है और मैं हमेशा ऐसे कंज्यूमर तकनीकी उत्पाद बनाने की उत्सुक रही, जो लाखों यूजर्स के जीवन को छुएं. आज लाइमरोडडौटकौम पर मैं महिलाओं के लाइफस्टाइल उत्पादों के लिए भारत के सब से विस्तृत प्लेटफौर्म के निर्माण की यात्रा से जुड़ी हूं.’’

मेरी प्रेरणा

एक कहावत यह भी है कि जहां चाह वहां राह. व्यवसायी के तौर पर अपनी पहचान बनाने का आइडिया कब और कैसे आया. इस बारे में सुचि बताती हैं, ‘‘लाइमरोडडौटकौम का विचार मेरे दूसरे बच्चे के जन्म के बाद आया, जब मैं एक मैगजीन पढ़ रही थी. पेज पलटते हुए मैं ने एक ज्वैलरी देखी, जिसे मैं छूना और खरीदना चाहती थी. उस समय मुझे जो 2 चीजें पता चलीं उन में एक तो यह थी कि ऐसी कोई कंज्यूमर तकनीक नहीं थी, जो उत्पादों को तलाशना मैगजीन के पन्ने पलटना जितना आसान और मनोरंजक बना दे. और दूसरी यह कि ऐसा कोई स्थान नहीं था, जहां व्यक्ति उन बेहतरीन उत्पादों का संग्रह देख सके, जिन्हें भारत से बाहर निर्मित किया जा रह हो और भेजा जा रहा हो. इसी विचार के बाद लाइमरोड का जन्म हुआ, जो महिलाओं के लिए सब से विस्तृत और शानदार औनलाइन लाइफस्टाइल प्लेटफौर्म है.’’

मेरी उपलब्धि

यों तो सुचि ने अपने बलबूते अपनी पहचान बना कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है पर फिर भी इसे वह उपलब्धि नहीं मानतीं. अपनी असली उपलब्धि के बारे में वे कहती हैं, ‘‘एक दिन मैं ने देखा कि मेरी 9 वर्ष की बेटी बीच पर बैठ कर एक गड्ढा खोद रही थी. दरअसल, वह अफ्रीका के सूखाग्रस्त इलाकों तक एक सुरंग बनाना चाहती थी, जहां बच्चों को पानी पीने के लिए मीलों चलना पड़ता है. ‘‘मेरा 4 वर्ष का बेटा स्कूल जाने के लिए खुद तैयार होना चाहता है. मैं सोचती हूं कि कुछ बड़ा कर के जिंदगियों को लाभान्वित करने की यह चाहत और स्वतंत्रता की भावना उन में उन के पैरेंट्स से आई है, यही मेरे जीवन की सब से बड़ी उपलब्धि है.’’

सेहत मंत्रा

एक उद्यमी के लिए काम और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बैठाना काफी कठिन होता है. फिर भी सुचि अपनी सेहत के प्रति सजग हैं. वे बताती हैं, ‘‘मैं स्वस्थ आहार, सलाद, फल और हरीभरी सब्जियां खा कर वर्कआउट की जरूरत नहीं होने देती हूं. लेकिन वर्कआउट से अच्छा कुछ भी नहीं है, इसलिए मैं ज्यादा से ज्यादा जिम जाने की कोशिश करती हूं. प्लानिंग और टाइम का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना और इस योजना का पालन करते रहना सब से महत्त्वपूर्ण है.’’ भारत की विकासशील महिलाओं को सुचि यह संदेश देना चाहती हैं कि उन के लिए सब से महत्त्वपूर्ण है शिक्षा, क्योंकि शिक्षा से आत्मविश्वास आता है. ऐसा होने से वे महिला होने पर भी पुरुषों की भांति कोई भी काम कर सकती हैं.

भाई की सलाह डेजी को

सलमान की फिल्म में छोटा सा रोल करने के बाद डेजी एक लीड रोल की तलाश में घूम रही हैं, क्योंकि अभी तक डेजी ने सिर्फ आइटम सौंग या कैमियो रोल ही किए हैं. उन की इस परेशानी का हल सल्लू भाई ने खोज लिया है. पिछले दिनों निर्माता भूषण कुमार अपनी आने वाली फिल्म ‘आई हेट लव स्टोरी 3’ के लिए हीरोइन की तलाश में थे. सलमान ने भूषण को तुरंत डेजी का नाम सुझाया. अब जब सलमान जैसे दोस्त का साथ हो तो डेजी को काम मिलने की क्या चिंता?

Music Notes Nail Art

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Just want a creative nail design to do, then these nails are perfect for you all. Music Notes Nail Art is The Best this season

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Restaurant Style Dal tadka

Hie,
An exciting cookery video for you

Love eating Dal tadka at restaurants? Now u can make your favourite dal tadka at home with the same essence of a restaurant. HOW? to know more watch this video.

Ingredients :
1. 200 grams tur dal
2. 1 tomato
3. 2 cloves garlic
4. 2 table spoon ghee
5. 1 tea spoon turmeric
6. salt
7. 2 green chilies
8. curry leaves
9. coriander leaves
10.water

To Know More Watch This Video and Subscribe Now:https://www.youtube.com/user/gsfoodgasm?sub_confirmation=1

नवाजुद्दीन बने हरामखोर

चौंकिए मत. दरअसल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म ‘हरामखोर’ में श्वेता त्रिपाठी के साथ काम किया है. श्लोक शर्मा के निर्देशन में बनने वाली इस फिल्म की स्पैशल स्क्रीनिंग इंडियन फैस्टिवल औफ लास एंजिल्स में होने वाली है. श्वेता इस फिल्म से अपना फिल्मी डेब्यू कर रही हैं. श्वेता दिल्ली की रहने वाली हैं और उन के पिता दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव रहे हैं. इस फिल्म में  नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसे स्कूल शिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं, जो अपनी छात्रा के साथ ऐसा रिश्ता रखता है, जिस की समाज इजाजत नहीं देता. छात्रा की भूमिका 29 वर्षीया श्वेता त्रिपाठी निभा रही हैं.

महिलाएं स्ट्रौंग और केयरिंग दोनों होती हैं : अनीशा सिंह

दिल्ली की रहने वाली अनीशा सिंह एक ऐसी महिला उद्यमी हैं, जिन्होंने 21 साल की उम्र से अपने कैरियर की शुरुआत की और आज अपनी मेहनत और लगन के कारण वे ‘माईडाला’ की संस्थापक व कार्यकारी अधिकारी हैं. 2014 में इन्हें वर्ल्ड लीडरशिप अवार्ड और 2012 में रीटेल में लीडिंग वूमन अवार्ड से सम्मानित भी किया गया.

फैमिली बैकग्राउंड और पढ़ाईलिखाई

अपने बारे में बताते हुए अनीशा कहती हैं, ‘‘मैं दिल्ली की हूं और एक जौइंट फैमिली में जन्मी हूं. मैं एक पंजाबी कंजरवेटिव फैमिली से बिलौंग करती हूं. मेरे फादर फौज में थे और मेरी मां डैंटिस्ट हैं. मेरे ग्रैंडफादर बहुत स्ट्रौंग पर्सनैलिटी के थे.’’ वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं ने शुरू से ही हर चीज उलटी की. मैं ने कभी यह नहीं सोचा कि मैं लड़की हूं, तो मुझे यह नहीं करना चाहिए. पर मेरी फैमिली कंजरवेटिव थी तो मेरा शौर्ट्स वगैरह पहनना मेरे ग्रैंडफादर को पसंद नहीं था. इस बात पर मेरी उन से खूब लड़ाई होती थी. मैं कहती थी कि जब लड़के पहन सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं पहन सकती? पर मैं अपने ग्रैंडफादर से प्यार भी बहुत करती थी. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन की ग्रैंडडौटर ऐसी बनेगी.’’ अनीशा की पढ़ाई का दौर बेहद दिलचस्प रहा. इस बारे में वे बताती हैं, ‘‘मैं ने दिल्ली के एअरफोर्स स्कूल से पढ़ाई की और कालेज के लिए दिल्ली के प्रोफैशनल कालेज कालेज औफ आर्ट में गई, क्योंकि मुझे आर्ट बहुत पसंद था. मैं जाना अमेरिका चाहती थी पर घर में किसी ने इजाजत नहीं दी.

कालेज औफ आर्ट में पढ़ाई के साथ मैं ने डिसकवरी चैनल में इंटर्नशिप की और दूसरी जगह भी इंटर्नशिप की. जब डिसकवरी पर इंटर्नशिप कर रही थी, तो किसी ने बताया कि अमेरिका में एक बहु अच्छा कम्युनिकेशन स्कूल है और वह पौलिटिकल कम्युनिकेशन के लिए तो नंबर वन है. मुझे पौलिटिक्स में बहुत इंटरैस्ट था, तो मैं ने सोचा कि अमेरिका जाने की कोशिश करती हूं. फिर पेरैंट्स को बहलाफुसला आखिर मैं अमेरिका चली ही गई. मेरी कोई भी बहन बाहर पढ़ने नहीं गई थी फिर भी मुझे इसलिए इजाजत मिल गई कि मैं वहां से मास्टर डिगरी हासिल कर लूंगी. अमेरिका पहुंच कर मैं ने मास्टर्स कोर्स करना शुरू कर दिया और उस के साथ एक हाउस में भी काम करना शुरू किया. उस का नाम था स्प्रिंग बोर्ड और वह वूमन ऐंटरप्रेन्योर को फंडिंग दिलाने का काम करता था.’’ बीते दिनों को याद करते हुए वे आगे कहती हैं, ‘‘जब मैं ने स्प्रिंग बोर्ड से काम करने की शुरुआत की थी, उसे अब याद करती हूं तो लगता है कि यह मेरा बैस्ट टाइम था. जिंदगी में कई मूवमैंट्स होते हैं चेंज होने के. मैं भी चेंज हुई. वहां कुछ सफल महिलाओं को देख कर व उन की स्टोरीज पढ़ कर मैं चकित होती थी. मुझे लगता था कि ये कैसी महिलाएं हैं, जो इतना सब कुछ कर सकती हैं. पति छोड़ कर जा चुका है कोई फंडिंग नहीं है फिर भी अपने स्टोर चला रही हैं. उन को देख कर लगा कि मैं भी कुछ कर सकती हूं.

‘‘फिर उसी वक्त मैं ने एक बिजनैस स्कूल में एक कोर्स में ऐडमिशन ले लिया, जो इनफौरमेशन सिस्टम का था पहले क्लास में मैं ज्यादा बोलती नहीं थी, चुप सी रहती थी. मेरा जो प्रोफैसर था वह हमेशा मुझ से ही पूछता कि अनीशा, तुम बताओ, यह तुम कर सकती हो कि नहीं? पहले तो यह बात मुझे बहुत इरिटेटिंग लगती थी. उस के बाद मुझे समझ में आ गया कि अगर जिंदगी में कुछ बोलोगे नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा. जिंदगी में बोलने की कला आना बहुत जरूरी है. प्रोफैसर मुझ से जो पूछता था, वह सही था, क्योंकि औरतें जल्दी बोलती नहीं उन के पास अच्छे आइडियाज तो बहुत होते हैं पर उन में हिचक बहुत होती है. उस ने मेरी हिचक दूर कर दी. फिर क्लास में सब से पहले मैं ही उस से प्रश्न पूछती.’’

मेरी कंपनी का स्वरूप

अपनी कंपनी के बारे में बताते हुए अनीशा कहती हैं, ‘‘मेरी कंपनी माईडाला डौट कौम को अगर आप यूजर की तरह देखें तो यह एक कूपनिंग साइट है, इसलिए इस में आप की बचत होती है. इस के जरीए हैल्थ चैकअप ब्यूटी डील सैलोन और रैस्टोरैंट वगैरह के खर्चे में सेविंग होती है, जो 15% से शुरू हो कर 90% तक होती है. जब मैं ने माईडाला शुरू किया था, तब इंडिया में सिर्फ एक ही औनलाइन इंडस्ट्री बहुत चली थी और वह थी हैगन.’’ पति और घरपरिवार के सपोर्ट को अनीशा बहुत अहम मानती हैं. वे कहती हैं, ‘‘मेरे काम में मेरे हसबैंड का सपोर्ट बहुत रहा. अगर आप सिंगल हैं तो परिवार का सपोर्ट और अगर शादी हो गई है, तो पति का सपोर्ट मिलना बहुत जरूरी है.

‘‘मैं अपनी दोनों बच्चियों के साथ एक क्वालिटी टाइम बिताती हूं. अमारा को सुबह स्कूल के लिए तैयार करती हूं तो शाम को 2 घंटे उस के साथ बिताती हूं. जब मेरी छोटी बेटी आलिया हुई उस समय मैं पूरी रात सो नहीं पाती थी. फिर भी अमारा को सुबह उठ कर स्कूल के लिए तैयार करती थी.’’

जिंदगी का अच्छा और बुरा पल

मुश्किल दौर को याद करते हुए अनीशा बताती हैं, ‘‘मेरी लाइफ का सब से अच्छा और सब से बुरा समय कौन सा रहा. यह सवाल बहुत से लोग मुझ से पूछते हैं. मेरा इस के बारे में यही कहना है कि मेरा तो हर दिन बैस्ट डे औफ लाइफ रहता है. हां, जब हम ने कंपनी शुरू की थी तभी अमारा हुई थी. हम ने उस में अपनी पूरी सेविंग लगा दी थी. उस वक्त हमारे पास जो इनवैस्टर्स आ रहे थे उन्होंने कंपनी में काफी चेंज कराने की बात की थी. इन को हायर कर लो, इन को हटा दो वगैरह. ऐसा होने पर हम ने बहुत से इनवैस्टरों को मना कर दिया था. फिर ऐसा लगा कि जैसे पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई. पर मेरी टीम सपोर्टिव थी. मैं ने टीम के लोगों को अपनी बात बताई तो उन्होंने कहा कि हम चलते रहेंगे, रुकेंगे नहीं. फैमिली ने भी साथ दिया.’’

महिलाएं स्ट्रौंग और केयरिंग दोनों

अनीशा मानती हैं कि आज की महिलाओं को भी अपने अंदर बदलाव लाने की जरूरत है. वे कहती हैं, ‘‘महिलाओं की कमजोरी यह है कि वे गिल्ट क्वीन हैं यानी वे कोई भी गलती अपने ऊपर रख कर बैठ जाती हैं और अपनेआप से सवाल करती रहती हैं कि हम कर पाएंगे या नहीं? जबकि अगर हम अपनी क्षमता को सही ऐंगल से देखें तो सब कुछ ठीक हो सकता है, क्योंकि महिलाएं स्ट्रौंग और केयरिंग दोनों होती हैं.’’

काम को टाइमपास न समझें: रिचा कर

अत्यंत नम्र व हंसमुख स्वभाव की रिचा कर हमेशा अपने काम पर फोकस्ड रहीं. यही वजह है कि वे सफल रहीं. अपनी सफलता का श्रेय वे अपने पति सासससुर मातापिता और टीम के लोगों को देती हैं. वे कहती हैं कि उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

पढ़ाईलिखाई का दौर

रिचा जो भी काम करती हैं पूरी लगन से करती हैं. फिर चाहे वह शिक्षा हो या व्यवसाय. अपनी शिक्षा और स्वभाव के बारे में बात करते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मेरे पिताजी टिस्को में काम करते थे, इसलिए मैं जमशेदपुर में बड़ी हुई. इस के बाद बिट्स पिलानी से मैं ने आईटी इंजीनियरिंग की. थोड़े दिनों तक इस क्षेत्र में काम करने के बाद मैं ने मुंबई के नरसी मोंजी कालेज औफ कौमर्स ऐंड इकोनौमिक्स से एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी की. इस के बाद 3 साल मैं ने रिटेल में क?ाम किया फिर मैं जिवामे से जुड़ी.’’ खुद के बारे में बयां करते हुए रिचा बताती हैं, ‘‘मैं जो भी काम करती हूं उस में मेरा विश्वास होता है, इसलिए मैं काम के प्रति फोकस्ड रहती हूं. इस के बाद जो भी समस्या आती है उस का हल निकाल लेती हूं. लेकिन मैं महिला उद्यमी से अधिक एक साधारण महिला हूं, जिसे दूसरी महिलाओं की हमेशा फिक्र रहती है.’’

कैरियर की शुरुआत

रिचा ने अपने कैरियर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा था. पर वे ऐसा कुछ जरूर करना चाहती थीं जिस से किसी का लाभ हो सके. उन की यही सोच उन्हें लौंजरी के व्यवसाय में लाई. वे बताती हैं, ‘‘जब मैं ने लौंजरी मार्केट के बारे में पढ़ा तो पता चला कि महिलाएं अकसर अपने अंतर्वस्त्र के बारे में खुल कर बात नहीं करतीं. उन्हें अपनी ब्रा का सही साइज तक पता नहीं होता. वे हमेशा गलत साइज की ब्रा पहनती हैं. दुकान में अगर पुरुष सेल्समैन हो तो झट से खरीद कर निकल जाती हैं. जबकि यह हमारे पहनावे का अहम अंग है. इस के अलावा उम्र होने पर वे ब्रा पहनना छोड़ देती हैं, जिस से उन्हें पीठ व कमर दर्द की प्रौब्लम हो जाती है. यह सब जान कर मुझे उस क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मिली.’’

क्या है जिवामे

जिवामे क्या है और किस तरह से महिलाओं को अंतर्वस्त्र के प्रति जागरूक करने की मुहिम चला रहा है. इस के बारे में रिचा बताती हैं, ‘‘जिवामे हिबू्र का शब्द है, जिस का अर्थ है ‘मुझे कांतिमान बनाएं.’ यह आज के दौर की खास मांग है. आज हर कोई सुंदर दिखना चाहता है. ऐसे में सही इनरवियर का चयन आवश्यक है. एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 5 में से 4 महिलाएं अपनी ब्रा का सही साइज नहीं जानतीं, तो 53% महिलाएं बहुत पुरानी ब्रा का इस्तेमाल करती हैं. जबकि 82% महिलाओं ने सही साइज की ब्रा ढूंढ़ने में किसी ऐक्सपर्ट की राय कभी नहीं ली. इसलिए ‘फिट इज माई राइट’ के तहत देश की महिलाएं सही साइज की ब्रा पहनने के बारे में जान सकेंगी और करीब 5 लाख महिलाएं1 साल में इस अभियान से जुड़ेंगी.’’

इस बारे में और बताते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘इस का पहला लाउंज बैंगलुरु में खोला गया जहां लाखों महिलाएं अपनी ब्रा ठीक साइज देख कर खरीदती हैं. मुंबई में अनूठा मोबाइल फिटिंग लाउंज खोला गया. इस में 3 ट्रायलरूम व 3 फिटिंग विशेषज्ञ हैं. यह टीम कालेज में पढ़ने वाली हजारों लड़कियों को उन की सही ब्रा साइज बताएगी. यह सुझाव नि:शुल्क होगा. इस के बाद वे औनलाइन शौपिंग के जरीए या रिटेलर के पास जा कर अपनी सही साइज की ब्रा खरीद सकेंगी. ऐसा अनुमान है कि 2015 के अंत तक करीब 5 लाख महिलाएं इस में शामिल हो जाएंगी. मुंबई के बाद यह मोबाइल फिटिंग लाउंज दिल्ली, कोलकाता, चंडीगढ़ और कई और शहरों में होगा. महिलाओं में जागरूकता लाने का यह बड़ा प्रयास है.’’

टर्निंग पौइंट

किस तरह जिवामे का आइडिया उन की लाइफ का टर्निंग पौइंट साबित हुआ. इस के बारे में बताते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मैं वैसे तो सालों से काम कर रही थी, लेकिन जिवामे मेरे लिए टर्निंग पौइंट था, जहां से मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला और जिस की वजह से मैं यहां तक पहुंची.’’ रिचा इसे ही अपना अचीवमैंट भी मानती हैं. पर इस के अलावा उन की एक और उपलब्धि है जिस के बारे में वे कहती हैं, ‘‘मेरा एक अचीवमैंट और भी है. वह है मेरे बौयफ्रैंड का मेरा पति बनना. हर किसी की जिंदगी में एक अच्छी पार्टनरशिप बहुत जरूरी है, जो मुझे मिली. मैं बहुत खुश हूं.’’ यों तो रिचा काफी व्यस्त रहती हैं. पर यदि उन्हें खाली समय मिलता है तो परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हैं. कुकिंग के बारे में उन का कहना है, ‘‘मुझे खाना बनाने का समय नहीं मिलता. लेकिन दालचावल, मैगी बना लेती हूं.’’ रिचा को घूमना पसंद है. पर ऐसी जगह जहां पहुंचने में कम समय लगे. वे कहती हैं, ‘‘कई बार मैं अपनी सहेलियोें के साथ घूमने चली जाती हूं ताकि फिर से तरोताजा महसूस करूं. वैसे मुझे प्रकृति के करीब जाना पसंद है.’’

जीवन के अच्छेबुरे पल

रिचा का मानना है कि हर दिन कुछ बुरा अवश्य होता है. इसे टाला नहीं जा सकता. आज समय खराब है तो कल अच्छा भी होगा. रिचा यही सोच ले कर आगे बढ़ती हैं. महिलाओं को सफलता का सूत्र देते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मैं कामयाबी पाने के लिए महिलाओें से यह कहना चाहती हूं कि उन्हें अपने काम पर फोकस्ड होना चाहिए. मन में यह विश्वास होना चाहिए कि हम जो काम कर रहे हैं. वह सिर्फ टाइमपास नहीं. जब हम काम करते हैं तो हमारा घर, परिवार, दोस्त छूट जाता है, इसलिए समय मिलते ही उन पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि उन का अस्तित्व आप के जीवन में बना रहे.

‘‘अपनेआप को कभी कम महसूस न करें, अपने पर विश्वास बनाए रखें. साथ ही मेहनत, लगन और धैर्य बनाए रखें, किसी बात से डरे नहीं, उस का समाधान पाने की कोशिश करें.’’

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