महिलाएं स्ट्रौंग और केयरिंग दोनों होती हैं : अनीशा सिंह

दिल्ली की रहने वाली अनीशा सिंह एक ऐसी महिला उद्यमी हैं, जिन्होंने 21 साल की उम्र से अपने कैरियर की शुरुआत की और आज अपनी मेहनत और लगन के कारण वे ‘माईडाला’ की संस्थापक व कार्यकारी अधिकारी हैं. 2014 में इन्हें वर्ल्ड लीडरशिप अवार्ड और 2012 में रीटेल में लीडिंग वूमन अवार्ड से सम्मानित भी किया गया.

फैमिली बैकग्राउंड और पढ़ाईलिखाई

अपने बारे में बताते हुए अनीशा कहती हैं, ‘‘मैं दिल्ली की हूं और एक जौइंट फैमिली में जन्मी हूं. मैं एक पंजाबी कंजरवेटिव फैमिली से बिलौंग करती हूं. मेरे फादर फौज में थे और मेरी मां डैंटिस्ट हैं. मेरे ग्रैंडफादर बहुत स्ट्रौंग पर्सनैलिटी के थे.’’ वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं ने शुरू से ही हर चीज उलटी की. मैं ने कभी यह नहीं सोचा कि मैं लड़की हूं, तो मुझे यह नहीं करना चाहिए. पर मेरी फैमिली कंजरवेटिव थी तो मेरा शौर्ट्स वगैरह पहनना मेरे ग्रैंडफादर को पसंद नहीं था. इस बात पर मेरी उन से खूब लड़ाई होती थी. मैं कहती थी कि जब लड़के पहन सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं पहन सकती? पर मैं अपने ग्रैंडफादर से प्यार भी बहुत करती थी. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन की ग्रैंडडौटर ऐसी बनेगी.’’ अनीशा की पढ़ाई का दौर बेहद दिलचस्प रहा. इस बारे में वे बताती हैं, ‘‘मैं ने दिल्ली के एअरफोर्स स्कूल से पढ़ाई की और कालेज के लिए दिल्ली के प्रोफैशनल कालेज कालेज औफ आर्ट में गई, क्योंकि मुझे आर्ट बहुत पसंद था. मैं जाना अमेरिका चाहती थी पर घर में किसी ने इजाजत नहीं दी.

कालेज औफ आर्ट में पढ़ाई के साथ मैं ने डिसकवरी चैनल में इंटर्नशिप की और दूसरी जगह भी इंटर्नशिप की. जब डिसकवरी पर इंटर्नशिप कर रही थी, तो किसी ने बताया कि अमेरिका में एक बहु अच्छा कम्युनिकेशन स्कूल है और वह पौलिटिकल कम्युनिकेशन के लिए तो नंबर वन है. मुझे पौलिटिक्स में बहुत इंटरैस्ट था, तो मैं ने सोचा कि अमेरिका जाने की कोशिश करती हूं. फिर पेरैंट्स को बहलाफुसला आखिर मैं अमेरिका चली ही गई. मेरी कोई भी बहन बाहर पढ़ने नहीं गई थी फिर भी मुझे इसलिए इजाजत मिल गई कि मैं वहां से मास्टर डिगरी हासिल कर लूंगी. अमेरिका पहुंच कर मैं ने मास्टर्स कोर्स करना शुरू कर दिया और उस के साथ एक हाउस में भी काम करना शुरू किया. उस का नाम था स्प्रिंग बोर्ड और वह वूमन ऐंटरप्रेन्योर को फंडिंग दिलाने का काम करता था.’’ बीते दिनों को याद करते हुए वे आगे कहती हैं, ‘‘जब मैं ने स्प्रिंग बोर्ड से काम करने की शुरुआत की थी, उसे अब याद करती हूं तो लगता है कि यह मेरा बैस्ट टाइम था. जिंदगी में कई मूवमैंट्स होते हैं चेंज होने के. मैं भी चेंज हुई. वहां कुछ सफल महिलाओं को देख कर व उन की स्टोरीज पढ़ कर मैं चकित होती थी. मुझे लगता था कि ये कैसी महिलाएं हैं, जो इतना सब कुछ कर सकती हैं. पति छोड़ कर जा चुका है कोई फंडिंग नहीं है फिर भी अपने स्टोर चला रही हैं. उन को देख कर लगा कि मैं भी कुछ कर सकती हूं.

‘‘फिर उसी वक्त मैं ने एक बिजनैस स्कूल में एक कोर्स में ऐडमिशन ले लिया, जो इनफौरमेशन सिस्टम का था पहले क्लास में मैं ज्यादा बोलती नहीं थी, चुप सी रहती थी. मेरा जो प्रोफैसर था वह हमेशा मुझ से ही पूछता कि अनीशा, तुम बताओ, यह तुम कर सकती हो कि नहीं? पहले तो यह बात मुझे बहुत इरिटेटिंग लगती थी. उस के बाद मुझे समझ में आ गया कि अगर जिंदगी में कुछ बोलोगे नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा. जिंदगी में बोलने की कला आना बहुत जरूरी है. प्रोफैसर मुझ से जो पूछता था, वह सही था, क्योंकि औरतें जल्दी बोलती नहीं उन के पास अच्छे आइडियाज तो बहुत होते हैं पर उन में हिचक बहुत होती है. उस ने मेरी हिचक दूर कर दी. फिर क्लास में सब से पहले मैं ही उस से प्रश्न पूछती.’’

मेरी कंपनी का स्वरूप

अपनी कंपनी के बारे में बताते हुए अनीशा कहती हैं, ‘‘मेरी कंपनी माईडाला डौट कौम को अगर आप यूजर की तरह देखें तो यह एक कूपनिंग साइट है, इसलिए इस में आप की बचत होती है. इस के जरीए हैल्थ चैकअप ब्यूटी डील सैलोन और रैस्टोरैंट वगैरह के खर्चे में सेविंग होती है, जो 15% से शुरू हो कर 90% तक होती है. जब मैं ने माईडाला शुरू किया था, तब इंडिया में सिर्फ एक ही औनलाइन इंडस्ट्री बहुत चली थी और वह थी हैगन.’’ पति और घरपरिवार के सपोर्ट को अनीशा बहुत अहम मानती हैं. वे कहती हैं, ‘‘मेरे काम में मेरे हसबैंड का सपोर्ट बहुत रहा. अगर आप सिंगल हैं तो परिवार का सपोर्ट और अगर शादी हो गई है, तो पति का सपोर्ट मिलना बहुत जरूरी है.

‘‘मैं अपनी दोनों बच्चियों के साथ एक क्वालिटी टाइम बिताती हूं. अमारा को सुबह स्कूल के लिए तैयार करती हूं तो शाम को 2 घंटे उस के साथ बिताती हूं. जब मेरी छोटी बेटी आलिया हुई उस समय मैं पूरी रात सो नहीं पाती थी. फिर भी अमारा को सुबह उठ कर स्कूल के लिए तैयार करती थी.’’

जिंदगी का अच्छा और बुरा पल

मुश्किल दौर को याद करते हुए अनीशा बताती हैं, ‘‘मेरी लाइफ का सब से अच्छा और सब से बुरा समय कौन सा रहा. यह सवाल बहुत से लोग मुझ से पूछते हैं. मेरा इस के बारे में यही कहना है कि मेरा तो हर दिन बैस्ट डे औफ लाइफ रहता है. हां, जब हम ने कंपनी शुरू की थी तभी अमारा हुई थी. हम ने उस में अपनी पूरी सेविंग लगा दी थी. उस वक्त हमारे पास जो इनवैस्टर्स आ रहे थे उन्होंने कंपनी में काफी चेंज कराने की बात की थी. इन को हायर कर लो, इन को हटा दो वगैरह. ऐसा होने पर हम ने बहुत से इनवैस्टरों को मना कर दिया था. फिर ऐसा लगा कि जैसे पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई. पर मेरी टीम सपोर्टिव थी. मैं ने टीम के लोगों को अपनी बात बताई तो उन्होंने कहा कि हम चलते रहेंगे, रुकेंगे नहीं. फैमिली ने भी साथ दिया.’’

महिलाएं स्ट्रौंग और केयरिंग दोनों

अनीशा मानती हैं कि आज की महिलाओं को भी अपने अंदर बदलाव लाने की जरूरत है. वे कहती हैं, ‘‘महिलाओं की कमजोरी यह है कि वे गिल्ट क्वीन हैं यानी वे कोई भी गलती अपने ऊपर रख कर बैठ जाती हैं और अपनेआप से सवाल करती रहती हैं कि हम कर पाएंगे या नहीं? जबकि अगर हम अपनी क्षमता को सही ऐंगल से देखें तो सब कुछ ठीक हो सकता है, क्योंकि महिलाएं स्ट्रौंग और केयरिंग दोनों होती हैं.’’

काम को टाइमपास न समझें: रिचा कर

अत्यंत नम्र व हंसमुख स्वभाव की रिचा कर हमेशा अपने काम पर फोकस्ड रहीं. यही वजह है कि वे सफल रहीं. अपनी सफलता का श्रेय वे अपने पति सासससुर मातापिता और टीम के लोगों को देती हैं. वे कहती हैं कि उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

पढ़ाईलिखाई का दौर

रिचा जो भी काम करती हैं पूरी लगन से करती हैं. फिर चाहे वह शिक्षा हो या व्यवसाय. अपनी शिक्षा और स्वभाव के बारे में बात करते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मेरे पिताजी टिस्को में काम करते थे, इसलिए मैं जमशेदपुर में बड़ी हुई. इस के बाद बिट्स पिलानी से मैं ने आईटी इंजीनियरिंग की. थोड़े दिनों तक इस क्षेत्र में काम करने के बाद मैं ने मुंबई के नरसी मोंजी कालेज औफ कौमर्स ऐंड इकोनौमिक्स से एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी की. इस के बाद 3 साल मैं ने रिटेल में क?ाम किया फिर मैं जिवामे से जुड़ी.’’ खुद के बारे में बयां करते हुए रिचा बताती हैं, ‘‘मैं जो भी काम करती हूं उस में मेरा विश्वास होता है, इसलिए मैं काम के प्रति फोकस्ड रहती हूं. इस के बाद जो भी समस्या आती है उस का हल निकाल लेती हूं. लेकिन मैं महिला उद्यमी से अधिक एक साधारण महिला हूं, जिसे दूसरी महिलाओं की हमेशा फिक्र रहती है.’’

कैरियर की शुरुआत

रिचा ने अपने कैरियर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा था. पर वे ऐसा कुछ जरूर करना चाहती थीं जिस से किसी का लाभ हो सके. उन की यही सोच उन्हें लौंजरी के व्यवसाय में लाई. वे बताती हैं, ‘‘जब मैं ने लौंजरी मार्केट के बारे में पढ़ा तो पता चला कि महिलाएं अकसर अपने अंतर्वस्त्र के बारे में खुल कर बात नहीं करतीं. उन्हें अपनी ब्रा का सही साइज तक पता नहीं होता. वे हमेशा गलत साइज की ब्रा पहनती हैं. दुकान में अगर पुरुष सेल्समैन हो तो झट से खरीद कर निकल जाती हैं. जबकि यह हमारे पहनावे का अहम अंग है. इस के अलावा उम्र होने पर वे ब्रा पहनना छोड़ देती हैं, जिस से उन्हें पीठ व कमर दर्द की प्रौब्लम हो जाती है. यह सब जान कर मुझे उस क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मिली.’’

क्या है जिवामे

जिवामे क्या है और किस तरह से महिलाओं को अंतर्वस्त्र के प्रति जागरूक करने की मुहिम चला रहा है. इस के बारे में रिचा बताती हैं, ‘‘जिवामे हिबू्र का शब्द है, जिस का अर्थ है ‘मुझे कांतिमान बनाएं.’ यह आज के दौर की खास मांग है. आज हर कोई सुंदर दिखना चाहता है. ऐसे में सही इनरवियर का चयन आवश्यक है. एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 5 में से 4 महिलाएं अपनी ब्रा का सही साइज नहीं जानतीं, तो 53% महिलाएं बहुत पुरानी ब्रा का इस्तेमाल करती हैं. जबकि 82% महिलाओं ने सही साइज की ब्रा ढूंढ़ने में किसी ऐक्सपर्ट की राय कभी नहीं ली. इसलिए ‘फिट इज माई राइट’ के तहत देश की महिलाएं सही साइज की ब्रा पहनने के बारे में जान सकेंगी और करीब 5 लाख महिलाएं1 साल में इस अभियान से जुड़ेंगी.’’

इस बारे में और बताते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘इस का पहला लाउंज बैंगलुरु में खोला गया जहां लाखों महिलाएं अपनी ब्रा ठीक साइज देख कर खरीदती हैं. मुंबई में अनूठा मोबाइल फिटिंग लाउंज खोला गया. इस में 3 ट्रायलरूम व 3 फिटिंग विशेषज्ञ हैं. यह टीम कालेज में पढ़ने वाली हजारों लड़कियों को उन की सही ब्रा साइज बताएगी. यह सुझाव नि:शुल्क होगा. इस के बाद वे औनलाइन शौपिंग के जरीए या रिटेलर के पास जा कर अपनी सही साइज की ब्रा खरीद सकेंगी. ऐसा अनुमान है कि 2015 के अंत तक करीब 5 लाख महिलाएं इस में शामिल हो जाएंगी. मुंबई के बाद यह मोबाइल फिटिंग लाउंज दिल्ली, कोलकाता, चंडीगढ़ और कई और शहरों में होगा. महिलाओं में जागरूकता लाने का यह बड़ा प्रयास है.’’

टर्निंग पौइंट

किस तरह जिवामे का आइडिया उन की लाइफ का टर्निंग पौइंट साबित हुआ. इस के बारे में बताते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मैं वैसे तो सालों से काम कर रही थी, लेकिन जिवामे मेरे लिए टर्निंग पौइंट था, जहां से मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला और जिस की वजह से मैं यहां तक पहुंची.’’ रिचा इसे ही अपना अचीवमैंट भी मानती हैं. पर इस के अलावा उन की एक और उपलब्धि है जिस के बारे में वे कहती हैं, ‘‘मेरा एक अचीवमैंट और भी है. वह है मेरे बौयफ्रैंड का मेरा पति बनना. हर किसी की जिंदगी में एक अच्छी पार्टनरशिप बहुत जरूरी है, जो मुझे मिली. मैं बहुत खुश हूं.’’ यों तो रिचा काफी व्यस्त रहती हैं. पर यदि उन्हें खाली समय मिलता है तो परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हैं. कुकिंग के बारे में उन का कहना है, ‘‘मुझे खाना बनाने का समय नहीं मिलता. लेकिन दालचावल, मैगी बना लेती हूं.’’ रिचा को घूमना पसंद है. पर ऐसी जगह जहां पहुंचने में कम समय लगे. वे कहती हैं, ‘‘कई बार मैं अपनी सहेलियोें के साथ घूमने चली जाती हूं ताकि फिर से तरोताजा महसूस करूं. वैसे मुझे प्रकृति के करीब जाना पसंद है.’’

जीवन के अच्छेबुरे पल

रिचा का मानना है कि हर दिन कुछ बुरा अवश्य होता है. इसे टाला नहीं जा सकता. आज समय खराब है तो कल अच्छा भी होगा. रिचा यही सोच ले कर आगे बढ़ती हैं. महिलाओं को सफलता का सूत्र देते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मैं कामयाबी पाने के लिए महिलाओें से यह कहना चाहती हूं कि उन्हें अपने काम पर फोकस्ड होना चाहिए. मन में यह विश्वास होना चाहिए कि हम जो काम कर रहे हैं. वह सिर्फ टाइमपास नहीं. जब हम काम करते हैं तो हमारा घर, परिवार, दोस्त छूट जाता है, इसलिए समय मिलते ही उन पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि उन का अस्तित्व आप के जीवन में बना रहे.

‘‘अपनेआप को कभी कम महसूस न करें, अपने पर विश्वास बनाए रखें. साथ ही मेहनत, लगन और धैर्य बनाए रखें, किसी बात से डरे नहीं, उस का समाधान पाने की कोशिश करें.’’

बिपाशा की आंखें ठीक नहीं

अपनी बड़ीबड़ी आंखों के लिए मशहूर बंगाली बाला बिपाशा बसु की आंखें कुछ समय से दुरुस्त नहीं चल रही हैं. हमेशा कलर्ड कौंटैक्ट लैंस का उपयोग करने वाली बिपाशा के डाक्टर ने उन्हें सर्जरी की सलाह दी थी, जिस के लिए बिपाशा ने इनकार कर दिया है. वे कहती हैं कि मैं हमेशा सिर्फ फैशन के लिए लैंस पहना करती हूं. उन में आई पावर होती नहीं. लेकिन बिपाशा, डाक्टर की बात को नजरअंदाज मत कीजिए क्योंकि यह मामला दिल का नहीं आंखों का है, क्योंकि दिल के मामले में तो जौन से ले कर हरमन, करण तक मामला ठीक नहीं रहा पर ऐसा आंखों के मामले में मत कीजिए.

व्यक्तिगत समस्याएं

मैं 17 वर्षीय युवती हूं. एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है. उस के घर वाले भी हमारी रिलेशनशिप के बारे में जानते हैं और उन्हें इस पर कोई एतराज नहीं है. हम दोनों के परिवार भी एकदूसरे से परिचित हैं और दोनों के संबंध भी काफी अच्छे हैं. मैं ने अभी तक इस बाबत अपने घर वालों से कोई बात नहीं की है. डरती हूं कि हमारे रिश्ते की बात सुन कर उन की प्रतिक्रिया कहीं प्रतिकूल न हो. वैसे घर वालों को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि लड़का आर्किटैक्ट है और उस में कोई ऐब भी नहीं है. मैं इस रिश्ते की बात अपने परिवार वाले से कब करूं?

अभी आप काफी छोटी हैं. फिलहाल अपनी पढ़ाई और कैरियर पर ध्यान दें. सही समय आने पर घर वालों से बात कर सकती हैं. आप दोनों के परिवार एकदूसरे से भलीभांति परिचित हैं फिर लड़का भी योग्य है तो आप के घर वालों को आप के इस निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं होगी. आप के लिए अभी शादी से पहले अपने कैरियर पर ध्यान देना ज्यादा सही रहेगा.

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मैं तलाकशुदा युवती हूं. जब मेरे पति ने मुझे तलाक दिया तो मैं काफी टूट गई थी. मैं ने कई बार आत्महत्या करने का प्रयास किया. तब एक लड़के ने मुझे सहारा दिया. फिर वह जल्दीजल्दी मिलने लगा. अब मुझे उस की नीयत ठीक नहीं लगती. इसलिए मैं ने उस से किनारा कर लिया. अब डरती हूं कि इस बात से वह कहीं बुरा न मान जाए और मुझे बदनाम न कर दे. कृपया बताएं क्या करूं?

वैवाहिक संबंध दरकने के बाद आप का मानसिकरूप से टूटना स्वाभाविक था. पर खराब से खराब हालात में भी किसी अनजान व्यक्ति से मदद लेना ठीक नहीं होता. आप ने बिना जानेपहचाने उस युवक का सहयोग लिया और अब वह आप को कमजोर और असहाय समझ कर अपने एहसास का नाजायज फायदा उठाना चाहता है. आप ने अच्छा किया जो उस के झांसे में नहीं आईं और उस से किनारा कर लिया. भविष्य में भी आप को थोड़ा सतर्क रहना होगा. अच्छा होगा आप अपने परिवार के साथ रहें. जहां तक उस युवक की आप को बदनाम करने की बात है तो वह ऐसा कुछ नहीं करेगा.

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मैं ने अपने बौयफ्रैंड के साथ एक बार शारीरिक संबंध बना लिया था. अब वह दोबारा संबंध बनाने की जिद करता है पर मैं डरती हूं कि दोबारा संबंध बनाने से कहीं मैं गर्भवती न हो जाऊं. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बनाना अनैतिक है. इस से आप को भविष्य में परेशानी हो सकती है. आप ने एक बार ऐसी गलती कर दी मगर अब भूल कर भी यह गलती दोबारा न करें.

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मैं बी.एससी. प्रथम वर्ष की छात्रा हूं. मेरी 3 विषयों में कंपार्टमैंट आई है, जिस कारण बहुत तनावग्रस्त हूं. मैं कितनी भी पढ़ाई कर लूं, सफलता नहीं मिलती. समझ में नहीं आता क्या करूं. मैं कौमर्स या आर्ट्स नहीं लेना चाहती. 20 वर्ष की हो चुकी हूं, पर अभी पहले साल में ही अटकी हूं. बताएं, क्या करूं?

आप साइंस में अच्छा नहीं कर पा रही हैं, इसलिए कौमर्स या आर्ट्स लें. आप को बेहतर परिणाम मिलेंगे. अपने मन से यह पूर्वाग्रह निकाल दें कि साइंस के अलावा दूसरे क्षेत्र निम्न हैं, क्योंकि उन में भी कैरियर बनाने के बहुत विकल्प हैं.

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मैं 15 वर्षीय स्कूल जाने वाली छात्रा हूं. मेरे नितंब बाकी शरीर की अपेक्षा काफी भारी हैं जिस कारण मुझे बहुत शर्म आती है. कृपया कोई उपाय बताएं जिस से मैं इन्हें कुछ कम कर पाऊं?

आप नियमित व्यायाम करें. जौगिंग और रस्सी कूदने से आप को काफी लाभ होगा.

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मैं 21 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 2 महीने हुए हैं. मेरी समस्या यह है कि सुहागरात से ले कर अब तक हम पूर्ण संतुष्ट नहीं हो पाए हैं. इस की क्या वजह हो सकती है?

यौन आनंद का कोई तय पैमाना नहीं होता. आप की अभी नईनई शादी हुई है. एकदूसरे के साथ खूब समय बिताएं. सहवास करने से पहले आलिंगन, चुंबन और प्रेमालाप करें. यकीनन आप को अधिक आनंद मिलेगा. इस के अलावा रोमांटिक फिल्में देखें. विवाहितों के लिए सहवास पर किसी अच्छे प्रकाशक की पुस्तक पढ़ कर आप सैक्स के बारे में अपनी जानकारी बढ़ा सकती हैं.

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मैं 26 वर्षीय युवती हूं. मेरे स्तनों का आकार काफी कम है. इस कारण हीनभावना का शिकार रहती हूं. कोई भी पोशाक मुझ पर अच्छी नहीं लगती. कोई उपाय बताएं जिस से मेरे स्तनों का आकार बढ़ जाए?

लड़कियों की देहयष्टि अमूमन अपनी मां के अनुरूप होती है. यानी यह आनुवंशिक होती है. इसलिए यदि आप के स्तनों का आकार कम है तो उसे बढ़ाने का कोई उपाय नहीं है. कौस्मैटिक सर्जरी के द्वारा जरूर संभव है. पर यह बहुत महंगा प्रोसेस है. ऐसे में आप पैडेड ब्रा का प्रयोग कर सकती हैं. कपड़ों की फिटिंग भी सही रखें यानी कपड़े न ज्यादा ढीले हों और न ही ज्यादा तंग. तब आप जरूर आकर्षक दिखेंगी.

जब सौत महिला नहीं पुरुष हो

विवाह यदि कोई संस्कार नहीं है तो समझौता तो अवश्य है ही कि पतिपत्नी किसी और से संबंध नहीं रखेंगे. दिल्ली में एक डाक्टर पत्नी की आत्महत्या ने यह राज जगजाहिर कर दिया है कि वह कोई विपरीत लिंगी हो, जरूरी नहीं. समलिंगी भी हो सकता है. औल इंडिया मैडिकल इंस्टिट्यूट (एम्स) में कार्यरत एक पत्नी ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उस के डाक्टर पति का संबंध दूसरे आदमियों से था और वह पत्नी की ओर ध्यान नहीं देता था. जब से समाज में समलैंगिकता की बात थोड़ी खुल कर होने लगी है, औरतों के लिए तो यह और भी ज्यादा चुनौती का मामला होने लगा है. कोई पत्नी अपने पति के पुरुष दोस्तों के साथ खुल कर हंसनेबोलने या इधरउधर जाने पर आपत्ति नहीं कर सकती. पति की महिला दोस्त पर तो वह हंगामा आसानी से खड़ा कर सकती है पर पार्टनर बने पुरुष दोस्त को चाहे कितना नापसंद करे, उस का हल्ला नहीं मचा सकती.

समलैंगिक संबंध बनाने में स्थान की भी दिक्कत नहीं है. अगर पति की महिला दोस्त हो और बात शारीरिक संबंधों तक पहुंच जाए तो हमेशा 2-4 घंटे के लिए सुकून की ऐसी जगह ढूंढ़ना कठिन होता है, जहां पैनी नजरों से बचा जा सके. समलैंगिक संबंधों में कोई चिंता की बात नहीं होती और खुलेआम होटलों में, एकदूसरे के घर पर या किसी मित्र के कमरे में आसानी से संबंध बन सकते हैं. समलैंगिक संबंधों में पुरुष को ब्लैकमेलिंग का डर भी नहीं रहता कि उस पर बलात्कार का आरोप लगेगा. पत्नियों के लिए यह भी एक कठिनाई है कि पति के दोस्त का चरित्र हनन नहीं कराया जा सकता. ऐसे में पत्नी के पास घुटने के अलावा कोई और रास्ता नहीं रह जाता.

पुरुष सौत असल में महिला सौत से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि वह पति का ज्यादा समय व पैसा ले सकता है और पत्नी को बेहद कुंठित कर सकता है. पत्नी का आत्मविश्वास डगमगा सकता है कि आखिर उस का यौनाकर्षण कहां गया कि पति कहीं और यौन तृप्ति के लिए जा रहा है और वह भी किसी दूसरे पुरुष के पास. उसे अपने औरत होने के गुणों पर शक होने लगता है. बात सिर्फ शेयरिंग और ईर्ष्या की नहीं रह जाती, पूरे अस्तित्व पर सवाल खड़े हो जाते हैं. उस डाक्टर के मन में ऐसे ही सवाल उठ रहे होंगे जब उस ने यह लिख कर आत्महत्या की कि 5 साल की शादी के बाद भी उन में पतिपत्नी जैसे शारीरिक संबंध नहीं बने थे. आश्चर्य तो यह है कि पत्नी ने 5 साल कैसे गुजारे. शायद वह यह बात किसी को बताने के काबिल भी न थी.

समलैंगिक संबंध नए नहीं हैं और सदियों से चल रहे हैं. पर अब ये सड़कों पर आ गए हैं और बहुत देशों में तो विधिवत समलैंगिकों में विवाह भी होने लगे हैं. और तो और दोनों को पतिपत्नी के कानूनी अधिकार भी मिलने लगे हैं. इन से नुकसान औरतों को ज्यादा होगा क्योंकि पुरुषपुरुष संबंध होने का अर्थ है औरतों के महत्त्व को चुनौती मिलना.

विवाह के लिए साथ रहना ही काफी

सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि अगर कोई अविवाहित युगल साथ रह रहा हो तो उन्हें विवाहित ही माना जाएगा और जो उन के विवाह को चुनौती दे उसे यह साबित करना होगा कि उन का विवाह नहीं हुआ. सर्वोच्च न्यायालय एक ऐसे मामले में यह फैसला दे रहा था, जिस में पोतों ने दादा के साथ 20 साल रही औरत के अविवाहित होने का दावा कर दादा की संपत्ति पर उस के हक को इनकार करने की कोशिश की थी. हालांकि वह औरत यह सुबूत नहीं जमा कर पाई थी कि उस का विवाह कब और कैसे हुआ था पर पोते भी यह सुबूत न जुटा पाए कि दादा ने उसे रखैल की तरह रखा था, पत्नी की तरह नहीं. पिछले कई सालों से सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णयों में यह स्पष्ट कहा है कि विवाह के लिए साथ रहना ही काफी है, रस्मों से विवाह करना अति आवश्यक नहीं है. ऐसे में यदि एक की मृत्यु हो जाए तो दूसरे को संपत्ति में हिस्सा मिलेगा ही.

यह फैसला जहां तर्कसंगत है, वहीं परेशान करने वाला भी. अगर पतिपत्नी की तरह रहते जोड़े को पतिपत्नी मान लिया जाएगा, तो औरत का कानूनी पति यदि कहीं और हुआ तो उस का क्या होगा? अगर औरत के किसी और से बच्चे हुए तो उन का क्या होगा? क्या साथ रहता पुरुष इन बच्चों का सौतेला पिता माना जाएगा? विवाह असल में समाज का दिया गया कानूनीजामा है, जो आदमी और औरत को एकदूसरे पर और उन से पैदा होने वाले बच्चों को दोनों पर कुछ हक दिलाता है. ये हक ज्यादातर संपत्ति के होते हैं पर अब इन में गुजाराभत्ता का हक भी शामिल हो गया है. ये हक क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 125 से निकलते हैं. इस कानून के अनुसार साथ रहती अवैध पत्नी को भी गुजाराभत्ता मिल सकता है और बच्चों को भी.

यह सामाजिक कानून चाहे कितनी खामियों वाला हो, समाज के लिए जरूरी है. इस की वजह से अनेक औरतों को गुलामी सहनी पड़ती है तो उन को एक सुरक्षा भी मिलती है. दुनिया में ऐसा कोई सभ्य समाज नहीं बचा जहां किसी न किसी रूप में विवाह न हो. इस दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय की यह सोच, जो वर्तमान कानूनों से कुछ ज्यादा दूर तक जाती है, ठीक है. कानून यह कहता है कि पतिपत्नी कहलाने के लिए आदमीऔरत को किसी तरह की प्रक्रिया से गुजरना होगा. पर सर्वोच्च न्यायालय कहता है कि बिना प्रक्रिया से गुजरे और बिना उस का सुबूत रखे केवल साथ रहने का सुबूत रख कर आदमीऔरत अपनेआप को पतिपत्नी कह सकते हैं. वैसे भी जब एक स्त्रीपुरुष ने साथ रहने का मन बना लिया और वे लंबे समय तक एक ही छत के नीचे रह रहे हैं तो विवाहित ही माने जाने चाहिए. इस में किसी धर्मगुरु या कानूनी अफसर की मुहर की जरूरत आखिर है क्या

मेरी खूबसूरती का राज

बड़ी उम्र में भी जवां दिखने वाली धकधक गर्ल माधुरी दीक्षित आज भी हरदिल अजीज बनी हुई हैं. उम्र के इस पड़ाव में अपनी इस जवां त्वचा के राज माधुरी ने सब को बताए. विश्व स्वास्थ्य दिवस पर उन्होंने अपने प्रशंसकों से स्वस्थ रहने का आग्रह किया. उन्होंने अपनी खूबसूरती के कुछ नुसखे भी साझा किए. माधुरी ने ट्विटर पर लिखा कि अभिनय और नृत्य मुझे व्यस्त रखता है और इस से शरीर और मन स्वस्थ रहता है. अगर आप अपने शरीर को सुडौल रखना चाहते हैं, तो इस के लिए जरूरी है कि नियमित मौर्निंग वाक और ऐक्सरसाइज पर ध्यान दें. डाइट हमेशा हैल्दी ही लेने की कोशिश करें.

मीना को जीवंत करेंगी कंगना

मीना कुमारी जैसी संजीदा अदाकारा के जीवन को परदे पर जीवंत करना आजकल की अभिनेत्रियों के बस की बात नहीं है. इसलिए मीना कुमारी की बायोपिक फिल्म बनाने वाले तिग्मांशू धूलिया ने ट्रैजडी की भूमिका के लिए कंगना राणावत को चुना है. यह फिल्म पत्रकार विनोद मेहता की किताब ‘मीना कुमारी: द क्लासिक बायोग्राफी’ पर बनेगी. फिल्म के निर्माता सुनील बोहरा के पास इस किताब के अधिकार हैं और उन्होंने कंगना को इस किताब की एक प्रति भी दी है. कंगना के नजदीकी सूत्रों ने बताया है कि कंगना इस फिल्म के लिए अपनी डेट्स ऐडजस्ट कर रही हैं और उम्मीद है कि अगस्त में इस फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी.

काम वही करें जिस में खुशी मिले : शिल्पा शेट्टी कुंद्रा

17 साल की छोटी उम्र से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली शिल्पा शेट्टी कुंद्रा मौडल, अभिनेत्री, पत्नी, मां और अब महिला उद्यमी हैं. उन्होंने करीब 60 फिल्मों में बतौर अभिनेत्री अभिनय किया. इन में तमिल, तेलुगू और कन्नड़ फिल्में भी शामिल हैं. शिल्पा हमेशा कुछ नया और अलग काम करने का शौक रखती हैं. यही वजह है कि अभिनय के साथसाथ व्यवसाय भी जारी रखा. इस की प्रेरणा मिली थी पहले मातापिता से और फिर शादी के बाद पति राज कुंद्रा से. शिल्पा ‘सतयुग गोल्ड’, ‘आइओसिस स्पा ऐंड सैलून’, ‘योगा ऐंड थेरैपी सैंटर्स’ और अब ‘बेस्ट डील टीवी चैनल’ की चेयरपर्सन हैं.

अभिनेत्री नहीं बनना था

शिल्पा मुंबई में ही पलीबढ़ी हुई हैं. सैंट ऐंथोनी कौन्वैंट से स्कूल की पढ़ाई की. फिर जूनियर कालेज के बाद कौमर्स पढ़ने के लिए माटूंगा के पोद्दार कालेज गईं. पढ़ाई में उन की एकदम रुचि नहीं थी. पोद्दार कालेज में भी उन्हें दाखिला स्पोर्ट कोटे से मिला, क्योंकि वे वौलीबौल की राज्य स्तरीय चैंपियन थीं. उन का सपना बिजनैस वूमन बनने का था. अभिनेत्री बनने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था. शिल्पा तब 10वीं कक्षा में पढ़ती थीं जब उन की एक फ्रैंड ने उन के कुछ फोटो खींच कर मौडलिंग ऐजैंसी को भेज दिए. इस तरह उन्हें ऐड मिलने लगे. फिर 2 साल बाद ‘बाजीगर’ फिल्म का औफर मिला. लेकिन लाइफ में इतना बदलाव आएगा, शिल्पा ने ऐसा कभी नहीं सोचा था.

मातापिता और पति का सहयोग

अभिनय और बिजनैस कैरियर में सब से अधिक सहयोग किस ने दिया, इस बारे में शिल्पा कहती हैं, ‘‘अभिनय के वक्त मैं केवल 17 वर्ष की थी. उस समय फिल्म इंडस्ट्री को आदर से नहीं देखा जाता था. मैं पहली शेट्टी लड़की थी जो हीरोइन बनी. 22 साल पहले वह बड़ी बात थी. पिता ने यह शर्त रखी थी कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूं पर वह मैं नहीं कर पाई. इस की वजह मेरा आउटडोर शैड्यूल था. दूसरी शर्त यह थी कि मैं मम्मी के साथ यात्रा करूं. यह बात मुझे मंजूर थी, क्योंकि मैं उन के बहुत करीब थी. ऐक्टिंग, फैशन, स्टाइल मैं कुछ नहीं जानती थी. उस वक्त मेरे मातापिता ने बहुत सहयोग दिया. ‘‘व्यवसाय करने के लिए समझ और पैसों की जरूरत होती है. पिता व्यवसाय में थे तो उन्होंने नहीं चाहा कि मैं ऐसा रिस्क लूं. पर जब राज मेरी जिंदगी में आए जो खुद भी व्यवसायी हैं, तो उन्होंने बहुत प्रोत्साहन दिया. योगा डीवीडी बनाने की सलाह दी. यहीं से मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली.’’

निजी जिंदगी में शिल्पा बताती हैं कि उन्होंने ऐक्टिंग छोड़ी नहीं है पर वे उसे प्राथमिकता नहीं दे सकतीं. व्यवसाय देखने के साथसाथ उन्हें अपने बेटे वियान राज कुंद्रा की देखभाल भी करनी होती है. बेटा जब स्कूल चला जाता है तब शिल्पा अपना अधिकतर काम निबटाती हैं. शिल्पा खुद को साधारण महिला मानती हैं, जिसे क्वालिटी काम करना पसंद है. वे कहती हैं कि जब तक आप साधारण नहीं होंगे आगे काम करने में सफल नहीं हो सकते. वे बहुत धैर्यवान भी हैं.

ऐसे बनीं उद्यमी

कब और कैसे उद्यमी बनीं, पूछने पर शिल्पा कहती हैं, ‘‘शादी के बाद मैं ने पहली योगा की डीवीडी बनाई. उस के बाद ‘आइओसिस’ शुरू किया, जिसे मेरी बिजनैस पार्टनर किरन बावा और मैं चलाती हूं. अब तक करीब 17 आइओसिस स्पा ऐंड सैलून पूरे देश में हैं. 4 मेरे खुद के हैं और बाकी फ्रैंचाइज हैं. रायपुर, लखनऊ, गोहाटी, मुंबई आदि स्थानों पर हैं. ‘‘फिर राज के साथ मिल कर मैं ने ‘ग्रुप होम बायर्स’ की स्थापना की जो जरूरतमंद लोगों को एकसाथ मिल कर घर खरीदने का प्रावधान देता है. जिस में ब्रोकरेज नहीं होता. फिर ‘सतयुग गोल्ड’ की शुरुआत की ताकि आम आदमी भी सोना खरीद सके. लोग हर दिन 50 रुपए जमा कर साल में कुछ सोना खरीद सकते हैं.

‘‘इस के बाद होम शौपिंग पर ‘एसएसके’ की साडि़यां लौंच कीं. फिर मुझे लगा कि होम शौपिंग में ऐक्टर होने से अच्छा रिस्पौंस मिल सकता है. यहीं से बैस्ट डील टीवी की कल्पना मन में आई. प्रेरणा मेरे पति हैं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया कि मैं अपना कुछ कर सकती हूं.’’

चैनल की शुरुआत

शिल्पा आगे बताती हैं कि उन का बैस्ट डील टीवी चैनल सैलिब्रिटी ड्रिवेन बिजनैस वैंचर है. यह 24 घंटे, पूरे सप्ताह चलने वाला होम शौपिंग चैनल है. यहां लाइफस्टाइल, घर, फैशन, हैल्थ और ब्यूटी से संबंधित उत्पाद खरीदे जा सकते हैं. यहां आने वाले सभी सैलिब्रिटी पहले उस उत्पाद की जांच कर फिर उस की गारंटी लेते हैं. यहां कोई भी उत्पाद यों ही चैनल पर नहीं डाला जाता. सामान ले कर एक क्वालिटी लैब में डाला जाता है. सही और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद ही यहां बेचे जाते हैं. उत्पाद को किसी सैलिब्रिटी की पसंद के साथ जोड़ा जाता है. जैसे नेहा धूपिया हेयर केयर प्रोडक्ट के बारे में बात करती हैं, तो फराह खान एअर लौक डब्बे को ऐंडोर्स कर रही हैं.

टर्निंग पौइंट

जीवन के टर्निंग पौइंट पर शिल्पा कहती हैं, ‘‘मेरे जीवन के कई टर्निंग पौइंट्स हैं जैसेकि ‘बाजीगर’ फिल्म का हिट होना, मेरा बिग ब्रदर टीवी रिऐलिटी शो का

विनर बनना, मां बनना. ये सब मुझ में बदलाव लाए.’’

शिल्पा के अनुसार किसी भी महिला का किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी है. वह व्यक्तिगत जीवन से खुश रहे, अहंकार न करे. अपनी योग्यता को समझे.

गृहशोभा के जरीए ग्रोइंग वूमन को वे संदेश देना चाहती हैं, ‘‘आप वह करें, जिस में खुशी मिले. ईगो न करें. विवाहित हैं तो विवाह को बनाए रखें. हिंसा कभी सहन न करें. आत्मनिर्भर बनें.’’

कौमार्य का उपहार

कामिनी की शादी को 10 साल हो गए हैं. वह 2 बच्चों की मां है. पति बहुत अमीर हैं. कारोबार के सिलसिले में उन्हें अकसर विदेश जाना पड़ता है. कामिनी बेहद शौकीन तबीयत की है. उस पर जो धुन सवार हो जाए उसे पूरा कर के ही मानती है. कुछ अरसा पहले कामिनी को हाइमनोप्लास्टी (कौमार्य पुनर्प्राप्ति) के बारे में पता चला. पति 1 माह के लिए यूरोप दौरे पर थे. इसी दौरान उचित अवसर जान उस ने हाइमनोप्लास्टी करवा ली. इस संबंध में उस ने पूरी गोपनीयता बरती. सब कुछ सामान्य होने पर एक दिन उस ने पति से फोन पर कहा, ‘‘आप जैसे ही भारत लौटेंगे हम हनीमून ट्रिप पर स्विट्जरलैंड जाएंगे.’’

‘‘यह क्या मजाक है,’’ पति ने हंसते हुए कहा, ‘‘हमारी शादी को 10 साल हो गए हैं. इस उम्र में अब तुम मुझे किस के साथ हनीमून पर भेजना चाह रही हो?’’

कामिनी को ऐसे उत्तर की उम्मीद न थी, इसलिए तुनक कर बोली, ‘‘कैसी बातें करते हैं, आप? किसी और के साथ क्यों? हनीमून ट्रिप मेरे साथ होगा.’’

पति ठहाका लगाते हुए बोले, ‘‘क्यों बचकानी बातें कर रही हो?’’

‘‘मैं बचकानी बातें नहीं कर रही हूं. और हनीमून पर तो चलिए. एकदम प्योर वर्जिनिटी का आनंद उठाएंगे.’’

अंजलि कालेज के साथियों के साथ पिकनिक पर गोवा गई. दोस्त एकदूसरे से बेहद खुले हुए थे, अत: खूब मस्ती कर रहे थे. मगर इसी बीच अंजलि के साथ एक हादसा घट गया. पार्टी के दौरान उस के दोस्तों ने उस के ड्रिंक में नशीली दवा मिला दी. फिर क्या था, उसे नशे में कुछ पता नहीं चल रहा था कि उस के दोस्त उस के साथ क्या कर रहे हैं. उलटे नशे में होने पर वह उन का साथ दे रही थी. मगर जब नशा उतरा तो अपनी हालत देख कर उस के होश उड़ गए. पिकनिक से लौटने पर अंजलि ने सारी बात अपनी डाक्टर मम्मी को बताई. सुन कर वे बहुत दुखी हुईं. फिर उन्होंने बेटी को धैर्य बंधाया. पर अंजलि अंदर ही अंदर टूट चुकी थी. शीघ्र ही उस का विवाह होने वाला था. उसे वर्जिन न होने की टीस साल रही थी. मां उस की भावनाओं को समझती थीं. आखिर उन्होंने एक दिन बेटी की हाइमनोप्लास्टी करवा दी. इस से वह दोबारा वर्जिन हो गई और फिर उस का खोया आत्मविश्वास भी लौट आया.

करीब 30% से अधिक लड़कियों को प्रथम मिलन पर रक्तस्राव नहीं होता, जिस का अर्थ आमतौर पर यह लगाया जाता है कि लड़की का विवाहपूर्व कौमार्य भंग हो चुका है अथवा यों कहिए कि उस के विवाहपूर्व यौन संबंध रहे हैं. परिणामस्वरूप रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है. जहां तक पारंपरिक भारतीय समाज की सोच का सवाल है, तो यहां सब कुछ एकपक्षीय यानी पुरुष के पक्ष में है. पति चाहे खुद कितना भी दुराचारी क्यों न हो, वह अपेक्षा रखता है कि उस की होने वाली पत्नी शतप्रतिशत वर्जिन हो.

अपराधबोध से ग्रस्त

इस पुरुषप्रधान समाज की यह दकियानूसी सोच स्त्री पर इस कद्र हावी हो गई है कि वह भी अपनी कौमार्य को अपनी आबरू कह कर संबोधित करती है. जिस का मतलब औरत की इज्जत से है. यदि विवाह के समय उस के पास कौमार्य की पूंजी नहीं है तो वह अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती है, भले ऐसा किसी हादसे के कारण हुआ हो. कौमार्य भंग होने का मतलब यह नहीं कि लड़की चरित्रहीन है. अब वह जमाना नहीं रहा जब लड़कियां घर की चारदीवारी में बंद रहती थीं और शादी हो कर गुडि़या की भांति ससुराल विदा हो जाती थीं. आज की लड़कियां स्कूलकालेज जाती हैं और लड़कों की तरह हर गतिविधि में हिस्सा लेती हैं. जिमनास्टिक, तैराकी, घुड़सवारी, स्कूटर, बाइक चलाते या फिर अन्य कोई शारीरिक श्रम के दौरान कब कौमार्य की झिल्ली अपना वजूद खो देती है, इस का लड़कियों को एहसास तक नहीं होता.

कई बार विवाह का वादा कर यौन संबंध बन जाते हैं, मगर बाद में दहेज या अन्य किसी कारण के चलते रिश्ता टूट जाता है. कई बार लड़कियां अंजलि जैसी स्थिति का भी शिकार बन जाती हैं और कौमार्य खो बैठती हैं. ऐसे में लड़की व उस के मांबाप के लिए यह हादसा गहरी चिंता का विषय बन जाता है. और जगह रिश्ता तय करने में वे कौमार्य भंग को मुख्य बाधा मानते हैं. लेकिन अब ऐसे मामलों में हाइमनोप्लास्टी के माध्यम से आशा की नई किरण नजर आने लगी है.

क्या है हाइमनोप्लास्टी

कामिनी जैसे शौकिया वर्जिनिटी हासिल करने के मामले बहुत कम होते हैं, क्योंकि इस प्रकार की महिलाएं ऐसी शल्य चिकित्सा महज इसलिए करवाती हैं ताकि एक बार फिर कौमार्य होने का लुत्फ उठाया जा सके. मगर हाइमनोप्लास्टी क्या है, यह जानना भी जरूरी है. यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिस में चिकित्सक कौमार्य झिल्ली जिसे हाइमन कहते हैं, का वैजाइना से टिशू ले कर पुनर्निर्माण कर देते हैं. इस में करीब क्व 60-70 हजार का खर्च आता है और उसी दिन मरीज को छुट्टी दे दी जाती है. कुछ दिनों तक मरीज को ऐंटीबायोटिक्स व अन्य दवाएं खानी पड़ती हैं.

बढ़ रहा है प्रचलन

शौकिया किस्म की शादीशुदा महिलाएं वैलेंटाइन डे और शादी की वर्षगांठ से कुछ समय पूर्व हाइमनोप्लास्टी करवाती हैं. लेकिन बारबार यह सर्जरी करवाने को डाक्टर बेहद नुकसानदेह बताते हैं. कौस्मैटिक सर्जन विक्रमजीत सिंह के अनुसार करीब 60 फीसदी मामलों में लड़कियां मांबाप के साथ सर्जरी के लिए आती हैं. उन में से ज्यादातर तो शादी की तारीख के हिसाब से समय तय कर सर्जरी करवाती हैं ताकि विवाह के समय वे बिलकुल फिट ऐंड फाइन हों. जिस तरह शादियों के सीजन में लोग शौपिंग से ले कर बैंडबाजे जैसी तैयारी की प्लानिंग करते हैं, उसी तरह शादी के लिए वर्जिनी फिट होने के उद्देश्य से डाक्टर से हाइमनोप्लास्टी का समय तय करते हैं. अकेले चंडीगढ़ में हर महीने करीब आधा दर्जन शल्य चिकित्सा होती है, जिस से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे देश में कितने पैमाने पर इस का प्रचलन हो गया है. चूंकि यह प्रक्रिया प्राय: गुपचुप होती है, इस के सही आंकड़े तो कुछ और ही होंगे.

क्या प्रतिबंध लगाना चाहिए

महिला कल्याण समिति की डाक्टर सरस्वती मनोहर हाइमनोप्लास्टी करवाए जाने को बहुत बुरा मानती हैं. उन का कहना है कि बेशक चिकित्सकों के अनुसार इस शल्य चिकित्सा का शरीर पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़ता हो, मगर वे महिलाओं द्वारा अपनाए जाने वाले इस विकल्प को केवल पुरुष के अहम का तुष्टीकरण ही मानती हैं. वे रोषपूर्वक पूछती हैं कि क्या पुरुष ऐसा कोई प्रमाण दे सकता है जिस से यह साबित हो कि वह विवाहपूर्व उस के किसी स्त्री से संबंध नहीं रहे हैं? डाक्टर सरस्वती की सलाह है कि सरकार को इसे रैग्युलेट करना चाहिए और ऐसी शल्य चिकित्सा से पहले संबंधित महिला व अभिभावकों की काउंसलिंग की जानी चाहिए. हालांकि वे यह भी मानती हैं कि सामाजिक बदनामी के दबाव में पीडि़त महिला व उस के मांबाप काउंसलिंग सहज ही स्वीकार नहीं करेंगे. मगर परिवार न्यायालय की भांति निजता व अपनत्व का भरोसा दिलवाए जाने पर ऐसा संभव हो सकता है. साथ ही, शौकिया तौर पर करवाई जाने वाली हाइमनोप्लास्टी को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाना चािहए.

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