शादी का कैरियर से कोई संबंध नहीं : जेनेलिया

अपने चुलबुले अभिनय से दर्शकों का मन मोहने वाली जेनेलिया डिसूजा देशमुख एक बार फिर फिल्मों में वापसी की तैयारी में हैं. 3 साल पहले अभिनेता रितेश देशमुख से शादी के बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था और पिछले साल नवंबर में उन्होंने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम रियान है. मां बन कर वे बहुत खुश हैं. पैंपर बेबी ड्राई पैंट्स के इवेंट पर उन से मिलना बहुत रोचक था. पेश हैं उन से हुई बातचीत के खास अंश:

मां बनना आप के लिए कैसा अनुभव था?

मै उस समय डर गई थी जब मुझे पहली बार मां बनने की बात पता चली. मैं सोच रही थी कि क्या मैं अभी एक अच्छी मां बन सकूंगी? क्या मैं मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार हूं? मेरे लिए एक तरह से पूरी दुनिया बदल गई थी. फिर 9 महीने इसी सोच में बीत गए कि मैं एक अच्छी मां बनूं और बच्चे की सही परवरिश कर सकूं.

इतनी जल्दी शादी फिर मां बनना, क्या कभी ऐसा लगा कि कैरियर छूट रहा है?

बहुत लोगों ने कहा कि अभी आप यंग हैं और आप का कैरियर ब्राइट है. आप उसे छोड़ कर क्यों जा रही हो? पर मैं ने कभी नहीं सोचा कि मैं ने कैरियर छोड़ा है. मैं यह भी नहीं सोचती कि शादी करने व बच्चे पैदा करने का कैरियर से कोई संबंध है. आप दोनों काम साथसाथ कर सकते हैं और करना भी चाहिए.

फिल्मों में कब से वापस आ रही हैं? क्या कोई योजना है?

मैं ने सिर्फ बे्रक लिया है, लेकिन लोग सोच रहे हैं कि मैं फिल्में छोड़ चुकी हूं. जबकि ऐसा नहीं है. मैं फिल्मों में फिर से काम करूंगी. मैं शादी ऐंजौय करना चाहती थी और बच्चा चाहती थी. मुझे सब कुछ मिला, अब मैं ऐक्टिंग के लिए तैयार हूं.

बच्चे की परवरिश में रितेश का कितना सहयोग रहता है?

रितेश उसे नहलाते हैं, उस का डायपर चेंज करते हैं और उसे गोद में ले कर घुमाते हैं. वे एक अच्छे पिता हैं. उन्हें भी बच्चे के हर बदलाव को ऐंजौय करने की चाहत रहती है.

टाइम मैनेजमैंट कैसे करती हैं?

बच्चे के हर काम का अपना समय होता है. हम ही लेट होते हैं. अगर आप बच्चे के नियम के साथ चलते हैं तो समय की कमी नहीं होती. आप अपना काम भी कर सकते हैं. मैं सुबह से शाम तक बेटे के साथ होती हूं, लेकिन 12 से 4 बजे तक वह सोता है. उस समय मैं जो कुछ करना चाहती हूं, करती हूं. इस के अलावा रितेश मेरे साथ हमेशा रहते हैं. पूरी प्रैगनैंसी के दौरान भी वे साथ रहे. जब मेरा बच्चा हुआ, तो 20 दिनों तक उन्होंने काम नहीं किया. उन का बहुत सहयोग मिला.

बच्चे के पालनपोषण में किस बात का खास ध्यान रखती हैं?

बच्चे को ले कर मैं अधिक चिंता नहीं करती. उसे नौर्मल तरीके से ग्रो करना चाहती हूं. पहला 1 महीना काफी नाजुक था. तब मैं ने साफसफाई पर अधिक ध्यान दिया. बच्चे में इम्यूनिटी तभी बढ़ती है जब बच्चा नौर्मल कंडीशन में रहे.

बच्चे के पालनपोषण के लिए मां या सास, किस से राय ली?

मैं ने तो दोनों से राय ली. मेरी मां तो सुपर मौम हैं. उन्होंने मेरी बहुत देखभाल की. मैं उन की तरह पूरी नहीं, आधी जिम्मेदारी भी उठा लूं, तो बड़ी बात होगी. वैसे मुझे लगता है कि हर मां में बच्चे की परवरिश करने की क्षमता होती है. उसे गोद में लेते ही आप समझ जाते हैं कि क्या करना है. अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है. इतने दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला. मैं खुश हूं कि सही समय पर मैं ने सही निर्णय लिया.

ऐसे समझें सेल का खेल

सेल, डिस्काउंट, एक खरीदें एक मुफ्त में पाएं, ऐसा अब हर जगह पढ़ने, देखने को मिल जाता है. पहले ऐसा केवल त्योहारों के दिनों में ही दिखता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब आप को सेल का स्वाद पाने के लिए किसी त्योहार का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि सेल का यह सिलसिला साल भर किसी न किसी नाम से चलता रहता है. त्योहार तो लोगों का ध्यान खींचने का बहाना हैं. असल में त्योहारों के नाम पर मोटे प्रौफिट का खेल होता है जोकि सेल न हो कर कंपनी की नई रणनीति के तहत सामान की सेलिंग का एक हिस्सा होता है. छूट का यह फंडा पहले जहां कपड़ों तक ही सीमित था, वहीं अब इस का कद दिनप्रतिदिन ऊंचा होने लगा है यानी खानेपीने की चीजों से ले कर मोबाइल तक, कार से ले कर छाते, जूतों तक व अन्य लग्जरी सामान सेल में मिलने लगा है.

औफर तरहतरह के

बेशक बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी हो, बावजूद इस के कंपनियों के पास ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए न तो आइडियाज की कमी है और न ही स्कीमों की. कई साल तक सिर्फ सेल और डिस्काउंट के नाम पर चलने वाली कंपनियां इन्हें और भी अपीलिंग बनाने के लिए इस में कई सारे बदलाव लाई हैं. मसलन अब सेल के बजाय क्लीयरैंस सेल, मौनसून सेल, विंटर सेल, प्रीरैनोवेशन सेल, इंडिपैंडैंट डे सेल और फैस्टिव सीजन के नाम पर लगने वाली सेल की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इसी तरह छूट की भी बहुत वैराइटी देखने को मिलती है. 20% 30% 50% का फलसफा अब बढ़तेबढ़ते 70% जा पहुंचा है और साथ ही बाई वन गेट वन, टू…, सिक्स तक फ्री का तड़का भी खूब लगाया जा रहा है. फैशन का नया इतिहास रचने का दावा करने वाली रेडीमेड गारमैंट की एक कंपनी ने नारा दिया कि सुबहसवेरे और देर रात शौपिंग करो और हर तरह के आइटम पर फ्लैट 50% औफ. कंपनी का यह फौर्मूला हिट भी हुआ.

कंपनी वालों का कहना है कि दिन के महज 8 घंटों में जितनी बिक्री हो जाती है उतनी पूरे सीजन में नहीं होती. फ्यूचर ग्रुप की हाइपर मार्केट चेन बिग बाजार हर बार जश्न ए आजादी यानी स्वतंत्रता दिवस पर महाबचत पेश करती है, जिस में मुफ्त उपहार से ले कर कई लुभावने औफर तक देती है.

बढ़ता डिस्काउंट घटती क्वालिटी

आमतौर पर 90% डिस्काउंट देने के बाद भी इन बड़े ब्रैंड का प्रौफिट मार्जिन 200% से ज्यादा ही रहता है. मुद्रास्फीति की लगातार बढ़ती दर और कपास की कीमत में 20-25% की बढ़ोतरी ने कंपनियों को कुछ अलग सोचने पर मजबूर कर दिया है. नतीजा, डिस्काउंट औफर में दिए जाने वाले कपड़ों के लिए ग्राहक जिस हिसाब से दाम चुकाते हैं, क्वालिटी उस के मुताबिक नहीं होती. नाम न छापने की शर्त पर एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि अगर किसी कपड़े पर लागत क्व200 आती है, तो उसे क्व1,000 का टैग लगा कर बेचा जाता है. ऐसे में बाजार में यदि उस पर 50+40% की छूट भी दी जाती है, तब भी प्रौफिट मिलना तय है.

ई कौमर्स साइट है सब से आगे

ताजा सर्वे के अनुसार इन दिनों तमाम शौपिंग साइटें ग्राहकों को थोकभाव में डिस्काउंट का लौलीपौप देने में सब से आगे हैं. फिर चाहे वह स्नैपडील, मंत्रा, फ्लिपकार्ट हो या फिर अमेजन. फ्लिपकार्ट की महासेल ने तो पिछली दीवाली में इंडियन औनलाइन शौपिंग के इतिहास में बहुत बड़ी कामयाबी दर्ज की है. फ्लिपकार्ट की महासेल में महज 10 घंटों में 600 करोड़ रुपए का सामान बिक गया. वैबसाइट को करीब 1 अरब से भी ज्यादा के हिट्स मिले. कुछ लोगों को इस से फायदा तो कइयों को मायूसी भी मिली. बहरहाल जहां एक तरफ तूफानी गति से सामान के और्डर दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस से संबंधित लोगों को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है. लोगों की मानें तो कंपनी जानबूझ कर सेल से पहले कीमत में बढ़ोतरी करती है ताकि डिस्काउंट ज्यादा दिखे. कहीं प्रोडक्ट्स की कीमतें बदलती रहीं तो कहीं विज्ञापन में दिखाई गई डील वैबसाइट पर गायब रही. यहां तक कि होम डिलिवरी के समय कई कंपनियों के द्वारा जबरन वसूली की बातें भी सामने आई हैं. कई जगह वैबसाइट क्रैश हुईं तो कहीं पेमैंट के बाद भी और्डर कन्फर्म नहीं हो पा रहे थे.

छोटी दुकानें भी पीछे नहीं

तमाम बड़ीबड़ी कंपनियां जब छूट की लूट में हाथ सेंक रही हैं, तब भला छोटी कंपनियां या दुकानें क्यों पीछे रहें? वे भी उन के नक्शेकदम पर चल रही हैं. कंज्यूमर बिहेवियर का अध्ययन करने वाली एजेंसी इंडिकसन एनालिटिक्स का कहना है कि ग्राहक बड़े ब्रैंड की जगह अब लोकल ब्रैंड की ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं. जानकारों का भी यही मानना है कि मध्यवर्ग के ग्राहक बड़े ब्रैंडों के बजाय अब लोकल ब्रैंडों की खरीदारी में रुचि दिखा रहे हैं.

छिपे हैं कई दांवपेच

बाई वन गैट वन, टू… फ्री का विज्ञापन देखने में जितना आकर्षक और लुभावना नजर आता है, वास्तव में उस की हकीकत कुछ और होती है. आमतौर पर इस तरह के विज्ञापन देने वाली कंपनी की किसी भी आइटम की कीमत क्व1 हजार से कम की नहीं होती. ऐसे में यदि आप 4 आइटम्स चूज करते हैं यानी बाय टू गैट टू की तर्ज पर, तो आप को चारों आइटम्स में सब से अधिक कीमत वाले कपड़े की पेमैंट करनी होगी और क्व1 हजार के हिसाब से 2 कपड़ों की कीमत क्व2 हजार हुई यानी एक कपड़ा भी आप को क्व5 सौ का पड़ा. जबकि उस से अच्छी क्वालिटी का कपड़ा आप क्व5 सौ में कभी भी ले सकते हैं.

ब्रैंडेड कपड़े बनाने वाली ज्यादातर कंपनियों की 40-50% तक की छूट वाली आइटम में मनपसंद चीजें कम ही मिलती हैं, असल में छूट का मकसद ही आउट औफ फैशन जैसे स्टौक को सेल के नाम पर क्लियर करना होता है. अब जरा रिटेल चेन में छूट का गणित देखिए. एक रिटेल चेन ने योजना निकाली, क्व15 किलोग्राम रद्दी बेचिए और खरीदारी के लिए कूपन लीजिए. योजना लोगों को आकर्षक लगी और वे घर से रद्दी ले भी गए. लेकिन वहां पहुंचने पर लोगों को वास्तविकता का एहसास हुआ.

असल में रद्दी जितने की बिकेगी उतने का ही कूपन मिलेगा. कूपन की राशि का उपयोग भी तब होगा जब आप 4 गुना खरीदारी करेंगे और वह भी खास काउंटरों पर. वैसे देखा जाए तो मौल में रखरखाव का बहुत खर्च है. एक आंकड़े के मुताबिक बड़े मौल में प्रतिदिन लाखों रुपए रखरखाव पर ही खर्च हो जाते हैं. ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से बने मौल के प्रबंधकों के सामने सब से पहला काम ‘नो प्रौफिट, नो लौस’ की तर्ज पर चलाना होता है. इस के लिए वे मौल के अंदर दुकान लगाने वाले से ले कर ग्राहकों तक पर निशाना साधते हैं. 

इस संबंध में एक मौल के दुकानदार ने बताया, ‘‘मौल में दुकान लेने पर कौरपोरेट एरिया से दोगुनी जगह के लिए किराया देना होता है और इस में मौल के गलियारे, बरामदे, सीढि़यां और ऐस्कलेटर तक के रखरखाव का खर्च मौल प्रशासन दुकानदारों से लेते हैं और दुकानदार इस खर्च की भरपाई के लिए ग्राहकों को तरहतरह की छूट का घूंट पिलाते रहते हैं.’’

बीन बार्ले सलाद

सामग्री

100 ग्राम फ्रैंचबींस ब्लांच की व 3 इंच लंबे टुकड़ों में कटी

3 बड़े चम्मच जौ का दलिया

1/2 कप लाल, हरी व पीली शिमलामिर्च जूलियन कटी

2 बड़े चम्मच गाजर जूलियन कटी

3 बड़े चम्मच बीजरहित टमाटर जूलियन कटे

1 छोटा चम्मच चाटमसाला

1/4 छोटा चम्मच कालानमक

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

2 छोटे चम्मच औलिव औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

जौ के दलिए को गरम पानी में आधा घंटा भिगोएं, फिर पानी से निकाल कर उबलते पानी में 15 मिनट रखें. छलनी से पानी निथार दें. चाहें तो उबलते पानी में गलने तक पका लें. पानी निथारें और उस पानी से रोटी का आटा मांड़ सकती हैं. दलिए को ठंडा करें और उस में बींस, गाजर व शिमलामिर्च मिलाएं. औलिव औयल में नमक, चाटमसाला, नीबू का रस मिला कर फेंटें व सलाद में डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. स्वादिष्ठ व हैल्दी सलाद तैयार है.

सहजन फली करी

सामग्री

2 सहजन की फलियां

1/4 कप नारियल ताजा कद्दूकस किया

1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

1/2 छोटा चम्मच किचन किंग मसाला

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

सहजन की फलियों को छील कर 2-2 इंच के टुकड़े करें और भाप में गलने तक पका लें. एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के सभी मसाले डाल कर भूनें. इस में नारियल और सहजन की फलियों के टुकड़े, नमक और 2 कप पानी डाल कर धीमी आंच पर 3-4 मिनट पकाएं. धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम सब्जी को रोटियों या परांठों के साथ सर्व करें.

कालेज गोइंग गर्ल्स की मेकअप किट

खूबसूरत दिखना हर लड़की की ख्वाहिश होती है. कालेज गोइंग गर्ल्स में तो खासकर इस बात की प्रतिस्पर्धा रहती है कि कौन कितनी खूबसूरत दिख रही है. पर खूबसूरत दिखने के लिए थोड़ाबहुत मेकअप तो हर लड़की को करना ही पड़ता है. लेकिन अकसर खूबसूरत दिखने की होड़ में लड़कियां बाजार में आए हर नए प्रोडक्ट को इस्तेमाल कर अपनी त्वचा को खराब कर लेती हैं. इसलिए हर लड़की को यह जानकारी होनी चाहिए कि उस की मेकअप किट में कौनकौन से ब्यूटी प्रोडक्ट्स होने चाहिए, क्योंकि यह जरूरी नहीं की हर ब्यूटी प्रोडक्ट उस की त्वचा के अनुरूप हो या फिर उस का हर दिन इस्तेमाल कर सकती हो.

इस बाबत ब्यूटीशियन शीतल नागपाल कहती हैं कि हर लड़की को सजनेसंवरने का शौक होता है और इस में कोई बुराई भी नहीं है, लेकिन मेकअप प्रोडक्ट्स का चयन न केवल त्वचा बल्कि उम्र के हिसाब से भी होना चाहिए. बात अगर कालेज जाने वाली लड़कियों की की जाए तो बहुत भड़कीला मेकअप इस उम्र में अच्छा नहीं लगता. हलका मेकअप ही अच्छा लगता है, जो ब्यूटी को निखारे और नैचुरल लुक को बनाए रखे. बाजार में कई ऐसे मेकअप प्रोडक्ट्स मुहैया हैं, जो सिर्फ ब्यूटी को निखारते हैं. ब्यूटीशियन शीतल आगे बताती हैं कि  काजल, मसकारा, लिपस्टिक, फाउंडेशन इन सभी प्रोडक्ट्स को कम उम्र की लड़कियां अपनी मेकअप किट में रख सकती हैं. लेकिन इन्हें चुनने और इन का इस्तेमाल करने की समझ भी उन्हें होनी चाहिए, क्योंकि यदि आप को प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना ही नहीं आएगा इस से खूबसूरती बढ़ने की जगह घटेगी ही.

ब्यूटीशियन शीतल इस मुश्किल से पार पाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स के सही चुनाव और इस्तेमाल की जानकारी दे रही हैं:

काजल

काजल आंखों को हाईलाइट और चेहरे की डलनैस को खत्म करता है. बाजार में बहुत से ब्रैंड और मोड में काजल उपलब्ध है. लेकिन जैल काजल सब से अच्छा होता है, क्योंकि इस के साथ हर मौसम में प्ले कर सकते हैं. इस से ज्यादा अच्छा मूवमैंट भी आता है. खासतौर पर आंखों को स्मोकी इफैक्ट देना हो तो जैल काजल सब से अच्छा विकल्प है. इस में भी 2 प्रकार के काजल मार्केट में उपलब्ध हैं. पहला नौर्मल जैल काजल जो आईब्रश की मदद से लगाया जाता है और दूसरा पैंसिल जैल काजल. हमेशा पैंसिल जैल काजल ही लें. यह जल्दी नहीं सूखता और इस से आखों को आसानी से शेप भी दी जा सकती है. इस की एक खासीयत यह भी होती कि यह वाटरप्रूफ होता है. बाजार में जैल काजल क्व60 से क्व2,100 तक में उपलब्ध है.

फाउंडेशन

फाउंडेशन मेकअप का बेस होता है. इस से स्किन में ग्लो आता है और मेकअप देर तक टिकता है. इसलिए मेकअप किट में इस की मौजूदगी बेहद जरूरी है. यह मेकअप के लिए जितना जरूरी है उस से कहीं ज्यादा इस के चुनाव पर ध्यान देने की जरूरत होती है. फाउंडेशन खरीदते वक्त लड़कियां यह नहीं देखतीं कि उन की स्किनटोन के साथ फाउंडेशन मैच हो रहा है या नहीं. बस, जो फाउंडेशन ज्यादा ब्राइट लगता है उसे खरीद लेती हैं. उन्हें भ्रम होता है कि फाउंडेशन से त्वचा गोरी होती है, जबकि फाउंडेशन हमेशा सिंगल टोन और त्वचा की टोन से मिलता हुआ ही इस्तेमाल करना चाहिए वरना त्वचा गोरी लगने की जगह ग्रे दिखने लगती है. बाजार में फाउंडेशन क्व400 से क्व2,200 तक में उपलब्ध है.

लूज पाउडर या कौंपैक्ट पाउडर

बेस तब तक अधूरा है जब तक फाउंडेशन के बाद लूज पाउडर न लगाया जाए. यह बेस को लौक करता है. लूज पाउडर मेकअप की वह लेयर होती है, जिस के बाद चेहरे को शेप दी जा सकती है. इस का चुनाव भी ध्यान से करना चाहिए. जैसी स्किनटोन हो उसी से मैच करता लूज पाउडर खरीदें. वैसे व्हाइट टोन या यलो टोन का लूज पाउडर भी ले सकती हैं, लेकिन लूज पाउडर का प्रयोग चेहरे पर ज्यादा नहीं करना चाहिए, हलका सा लूज पाउडर ही चेहरे को ग्लो देने के लिए काफी होता है. चेहरे के साथ ही लूज पाउडर को कानों, गले और हाथों पर भी लगा लेना चाहिए ताकि चेहरे और शरीर के बाकी खुले हिस्सों का रंग एकजैसा नजर आए. बाजार में लूज पाउडर क्व200 से क्व1,200 तक में उपलब्ध है.

लिपस्टिक

लिपस्टिक चेहरे के ग्लो को और बढ़ा देती है. अच्छे ब्रैंड की लिपस्टिक होंठों की रंगत और मुलायमियत को बरकरार रखती है. लेकिन जरूरी नहीं कि हर कलर की लिपस्टिक आप के कलरटोन से मैच हो या उस पर अच्छी लगे. इसलिए लिपस्टिक का चुनाव अपनी कलरटोन के हिसाब से करें. लिपस्टिक में ग्लौसी, मैट और स्पार्कल लिपस्टिक आती हैं. आप मौसम और अपनी ड्रैस को ध्यान में रख कर ही लिपस्टिक चुनें. आजकल मार्केट में लौंगलास्टिंग और वाटरप्रूफ लिपस्टिक भी आने लगी है. ऐसी लिपस्टिक आप सुबह लगा लें तो शाम तक टिकी रहती है. बाजार में इस की कीमत क्व400 से क्व1,000 तक है.

लिपबाम

यदि लिपस्टिक से परहेज है तो आप लिपबाम इस्तेमाल कर सकती हैं. बाजार में कलर्ड और कलरलेस दोनों तरह के लिपबाम उपलब्ध हैं. यदि होंठों पर सिर्फ शाइनिंग चाहिए तो आप कलरलेस लिपबाम और यदि लिपबाम का इस्तेमाल लिपस्टिक की जगह करना चाहती हैं तो कलर्ड लिपबाम अपनी मेकअप किट में रखें. लिपबाम होंठों के लिए सुरक्षाकवच का काम करता है. गरमी के मौसम में तो यह खासतौर पर होंठों को हाइड्रेट रखता है.

आईब्रो पैंसिल

आईब्रो पैंसिल का मेकअप किट में होना बेहद जरूरी है. कुछ लड़कियों की आईब्रोज टेढ़ीमेढ़ी होती हैं. अत: उन्हें शेप में लाने के लिए आईब्रो पैंसिल बहुत मददगार होती है. यदि आप आईब्रो पैंसिल का इस्तेमाल करती हैं तो हमेशा डार्क ब्राउन कलर की ही प्रयोग करें. इस से आईब्रोज नैचुरल लगती हैं.

टोनर

त्वचा पर सिर्फ मेकअप की परत चढ़ा लेने से कुछ नहीं होता. त्वचा की अच्छी तरह सफाई भी बहुत जरूरी है. अत: अपनी मेकअप किट में एक अच्छा टोनर भी जरूर रखें और घर से निकलने से पहले और शाम को घर आने के बाद एक बार टोनिंग जरूर करें.

मौइश्चराइजर

टोनिंग से चेहरे के पोर्स खुल जाते है, इसलिए उन्हें बंद करने के लिए अच्छे ब्रैंड का मौइश्चराइजर लगाएं.

नाइट क्रीम एवं अंडर आई क्रीम

रात में सोने से पहले अच्छे ब्रैंड की नाइट क्रीम जरूर लगाएं. इस से त्वचा में कसाव बना रहता है. यदि आप की आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हैं तो अंडर आई क्रीम भी लगा सकती हैं.

अच्छा करने की इच्छा होनी चाहिए : सुचि मुखर्जी

कहावत है कि इंसान की सोच ही उसे दूसरों से अलग पहचान दिलाती है. लाइमरोड डौट कौम की सीईओ और फाउंडर सुचि मुखर्जी पर यह कहावत पूरी तरह से लागू होती है. सुचि को सफल और खास बनाया उन की अलग सोच ने. अपने बारे में बताते हुए सुचि कहती हैं, ‘‘मैं दिल्ली से हूं और 15 सालों के बाद लाइमरोडडौटकौम के निर्माण के लिए वापस आई हूं. मैं ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से इकोनौमिक्स में बीए करने के बाद कैंब्रिज कौमनवैल्थ स्कौलर के रूप में लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स से मास्टर्स इन फाइनैंस ऐंड इकानौमिक्स की डिग्री हासिल की.’’

सुचि ऐसे लोगों को पसंद करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना रास्ता बना लेते हैं. वे कहती हैं, ‘‘मैं उन लोगों को बहुत पसंद करती हूं, जो मौजूदा स्थिति को चुनौती देते हैं और अपने खुद के परिदृश्य में बदलाव ले कर आते हैं. मेरे लिए स्थायी बदलाव लाना हमेशा से प्रमुख थीम रहा है और मैं हमेशा ऐसे कंज्यूमर तकनीकी उत्पाद बनाने की उत्सुक रही, जो लाखों यूजर्स के जीवन को छुएं. आज लाइमरोडडौटकौम पर मैं महिलाओं के लाइफस्टाइल उत्पादों के लिए भारत के सब से विस्तृत प्लेटफौर्म के निर्माण की यात्रा से जुड़ी हूं.’’

मेरी प्रेरणा

एक कहावत यह भी है कि जहां चाह वहां राह. व्यवसायी के तौर पर अपनी पहचान बनाने का आइडिया कब और कैसे आया. इस बारे में सुचि बताती हैं, ‘‘लाइमरोडडौटकौम का विचार मेरे दूसरे बच्चे के जन्म के बाद आया, जब मैं एक मैगजीन पढ़ रही थी. पेज पलटते हुए मैं ने एक ज्वैलरी देखी, जिसे मैं छूना और खरीदना चाहती थी. उस समय मुझे जो 2 चीजें पता चलीं उन में एक तो यह थी कि ऐसी कोई कंज्यूमर तकनीक नहीं थी, जो उत्पादों को तलाशना मैगजीन के पन्ने पलटना जितना आसान और मनोरंजक बना दे. और दूसरी यह कि ऐसा कोई स्थान नहीं था, जहां व्यक्ति उन बेहतरीन उत्पादों का संग्रह देख सके, जिन्हें भारत से बाहर निर्मित किया जा रह हो और भेजा जा रहा हो. इसी विचार के बाद लाइमरोड का जन्म हुआ, जो महिलाओं के लिए सब से विस्तृत और शानदार औनलाइन लाइफस्टाइल प्लेटफौर्म है.’’

मेरी उपलब्धि

यों तो सुचि ने अपने बलबूते अपनी पहचान बना कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है पर फिर भी इसे वह उपलब्धि नहीं मानतीं. अपनी असली उपलब्धि के बारे में वे कहती हैं, ‘‘एक दिन मैं ने देखा कि मेरी 9 वर्ष की बेटी बीच पर बैठ कर एक गड्ढा खोद रही थी. दरअसल, वह अफ्रीका के सूखाग्रस्त इलाकों तक एक सुरंग बनाना चाहती थी, जहां बच्चों को पानी पीने के लिए मीलों चलना पड़ता है. ‘‘मेरा 4 वर्ष का बेटा स्कूल जाने के लिए खुद तैयार होना चाहता है. मैं सोचती हूं कि कुछ बड़ा कर के जिंदगियों को लाभान्वित करने की यह चाहत और स्वतंत्रता की भावना उन में उन के पैरेंट्स से आई है, यही मेरे जीवन की सब से बड़ी उपलब्धि है.’’

सेहत मंत्रा

एक उद्यमी के लिए काम और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बैठाना काफी कठिन होता है. फिर भी सुचि अपनी सेहत के प्रति सजग हैं. वे बताती हैं, ‘‘मैं स्वस्थ आहार, सलाद, फल और हरीभरी सब्जियां खा कर वर्कआउट की जरूरत नहीं होने देती हूं. लेकिन वर्कआउट से अच्छा कुछ भी नहीं है, इसलिए मैं ज्यादा से ज्यादा जिम जाने की कोशिश करती हूं. प्लानिंग और टाइम का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना और इस योजना का पालन करते रहना सब से महत्त्वपूर्ण है.’’ भारत की विकासशील महिलाओं को सुचि यह संदेश देना चाहती हैं कि उन के लिए सब से महत्त्वपूर्ण है शिक्षा, क्योंकि शिक्षा से आत्मविश्वास आता है. ऐसा होने से वे महिला होने पर भी पुरुषों की भांति कोई भी काम कर सकती हैं.

भाई की सलाह डेजी को

सलमान की फिल्म में छोटा सा रोल करने के बाद डेजी एक लीड रोल की तलाश में घूम रही हैं, क्योंकि अभी तक डेजी ने सिर्फ आइटम सौंग या कैमियो रोल ही किए हैं. उन की इस परेशानी का हल सल्लू भाई ने खोज लिया है. पिछले दिनों निर्माता भूषण कुमार अपनी आने वाली फिल्म ‘आई हेट लव स्टोरी 3’ के लिए हीरोइन की तलाश में थे. सलमान ने भूषण को तुरंत डेजी का नाम सुझाया. अब जब सलमान जैसे दोस्त का साथ हो तो डेजी को काम मिलने की क्या चिंता?

Music Notes Nail Art

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Restaurant Style Dal tadka

Hie,
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Love eating Dal tadka at restaurants? Now u can make your favourite dal tadka at home with the same essence of a restaurant. HOW? to know more watch this video.

Ingredients :
1. 200 grams tur dal
2. 1 tomato
3. 2 cloves garlic
4. 2 table spoon ghee
5. 1 tea spoon turmeric
6. salt
7. 2 green chilies
8. curry leaves
9. coriander leaves
10.water

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नवाजुद्दीन बने हरामखोर

चौंकिए मत. दरअसल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म ‘हरामखोर’ में श्वेता त्रिपाठी के साथ काम किया है. श्लोक शर्मा के निर्देशन में बनने वाली इस फिल्म की स्पैशल स्क्रीनिंग इंडियन फैस्टिवल औफ लास एंजिल्स में होने वाली है. श्वेता इस फिल्म से अपना फिल्मी डेब्यू कर रही हैं. श्वेता दिल्ली की रहने वाली हैं और उन के पिता दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव रहे हैं. इस फिल्म में  नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसे स्कूल शिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं, जो अपनी छात्रा के साथ ऐसा रिश्ता रखता है, जिस की समाज इजाजत नहीं देता. छात्रा की भूमिका 29 वर्षीया श्वेता त्रिपाठी निभा रही हैं.

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