जैली टंबलर

सामग्री

1 पैकेट स्ट्राबैरी जैली

1 पैकेट लैमन जैली

1 पैकेट औरेंज जैली

1/2 कप गाजर कसी

4-5 स्ट्राबैरी

1 संतरा

1 बड़ा चम्मच बंदगोभी के लच्छे

2 बड़े चम्मच खीरा कटा

9-10 अंगूर.

विधि

3 जैली को अलगअलग पैकेट पर लिखी विधि के अनुसार बना लें. स्ट्राबैरी जैली में गाजर और स्ट्राबैरी के टुकड़े काट कर मिला लें. लैमन जैली में कटे अंगूर, बंदगोभी तथा खीरा डाल कर मिला लें. औरेंज जैली में संतरे की फांके मिला लें. अब इन तीनों जैलियों को अलगअलग जमने के लिए फ्रीजर में रख दें. जब ये आधी जम जाएं तो इन्हें चम्मच से हिला दें. अब एक सुंदर गिलास में पहले एक रंग की आधी जमी जैली, फिर दूसरे रंग की और फिर तीसरे रंग की जैली भर दें. ऐसे ही अन्य गिलास तैयार कर लें. इन गिलासों को पूरी तरह जैली के जमने तक फ्रिज में रख दें. परोसने के लिए चाहें तो जैली को डीमोल्ड कर के सर्विंश डिश में परोसें या फिर गिलासों को यों ही सर्व करें.

टोमैटो फिश

सामग्री

200 ग्राम सोल फिश, 25 ग्राम आटा, 25 ग्राम कार्नफ्लोर, 1/2 छोटा चम्मच मस्टर्ड पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच चाइनीज साल्ट, तलने के लिए तेल, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पेस्ट, 3 छोटे चम्मच टोमैटो सौस, 1 टुकड़ा हरा प्याज (सिर्फ हरे पत्ते), 10 ग्राम अदरक कटा, 10 ग्राम लहसुन कटा.

विधि

मछली को धो कर छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें और सूखने दें. एक बाउल में मछली, आटा, कार्नफ्लोर और मस्टर्ड पाउडर मिलाएं. सारी सामग्री इस प्रकार मिला लें कि आटा मछली पर अच्छी तरह लिपट जाए. इसे डीप फ्राई कर के अलग रख लें. अब एक फ्राईपैन में 3 चम्मच तेल डालें. जब तेल गरम हो जाए तो इस में लहसुनअदरक डाल दें. जब लहसुन सुनहरा हो जाए तो लालमिर्च पेस्ट, टोमैटो सौस और नमक डालें. इसे अच्छी तरह मिलाएं और फिर फ्राई फिश डाल कर हरे प्याज से सजा कर सर्व करें.

योगर्ट ऐंड कीवी सलाद

सामग्री

1 कप गाढ़ा दही

1 कप गाढ़ी क्रीम

1 बड़ा चम्मच कंडैंस्ड मिल्क

2 बड़े चम्मच स्ट्राबैरी जैम

2 बड़े चम्मच स्ट्राबैरी क्रश

2 पीस कीवी

1 चुटकी जायफल पाउडर

1 स्टार अनीस.

विधि

दही, क्रीम और कंडैंस्ड मिल्क को अच्छी तरह मिला कर खूब ठंडा कर लें. स्ट्राबैरी क्रश और जैम को अच्छी तरह मिला लें. यदि जैम गाढ़ा लगे तो थोड़ा सा स्ट्राबैरी रस मिला लें. इसे भी एक अलग बाउल में निकाल कर खूब ठंडा कर लें. कीवी को छील कर टुकड़े कर लें. अब एक सर्विंग बाउल में पहले दही डालें, फिर स्ट्राबैरी क्रश सजाएं. सब से ऊपर कीवी सजाएं. जायफल पाउडर बुरक कर ठंडाठंडा सर्व करें.

ब्लू ओसियन

सामग्री

3 बड़े चम्मच नीबू का रस, 2 बड़े चम्मच ब्लू लाइम क्रश्ड, आवश्यकतानुसार स्प्राइट व आइस क्यूब्स.

विधि.

स्प्राइट के अलावा सभी सामग्री को मिक्सर में मिलाएं व मिश्रण को एक गिलास में डालें. फिर इस में स्प्राइट व आइस क्यूब्स डालें और फलों से सजा कर सर्व करें

शादी अभी कहां

पिछले दिनों रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ की सगाई की खबरें खूब उड़ी थीं. अब इन में कितनी सचाई है यह तो सिर्फ वे दोनों ही जानते हैं. पर रणबीर कपूर इन खबरों पर अपनी सफाई देते नजर आए. एक किताब के अनावरण के दौरान जब रणबीर से उन की शादी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘शादी एक ऐसी चीज है, जो अच्छी तरह से होनी चाहिए. मैं ऐसा इंसान नहीं हूं कि यह बोलूं कि मैं  32 साल का हो गया हूं, टाइम निकल रहा है, चलो शादी कर लेते हैं. मैं अपनी जिंदगी में अभी काफी खुश हूं और जब भी मुझे या मेरे पार्टनर को लगेगा कि अब शादी कर लेनी चाहिए, अब बच्चे होने चाहिए तब हम शादी कर लेंगे.’’  वैसे खबर यह भी है कि कैटरीना ने कपूर फैमली के नाम पर एक सोशल मीडिया ग्रुप बनाया था जिसे ऋषि कपूर ने छोड़ दिया है. लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि कैट को बहू स्वीकारने में रणबीर के पेरैंट्स अभी भी तैयार नहीं हैं.

सरकारी तानाशाही से हरेक को मुक्ति मिले

भारत के उद्योगपति विकास के नाम पर देश के नियमों और कानूनों में परिवर्तन चाहते हैं पर केवल उन नियमों और कानूनों में जो महाअरबपतियों पर लागू होते हैं, आम आदमी पर नहीं. नरेंद्र मोदी की सरकार को जिताने में इन उद्योगपतियों ने जीजान लगा दी थी क्योंकि कांगे्रस राज में तो रिश्वत की बोलियां लग रही थीं, साथ ही फैसले बरसों के लिए टाले जाते थे ताकि रिश्वत की रकम बढ़ सके. पर ये उद्योगपति अभी भी खुश नहीं हैं.अनिल अंबानी ने कहा है कि उसी का डर इतना है कि फैसले फिर नहीं हो रहे. उसी का मतलब सीबीआई, सैंट्रल विजिलैंस कमीशन और कंट्रोलर औफ औडिटर जनरल. अनिल अंबानी का कहना है कि अगर सरकार कोई फैसला तुरतफुरत लेती है तो प्रधानमंत्री से ले कर बाबू तक सब शक के दायरे में आ जाते हैं. इसलिए बड़े बाबुओं, सचिवों ने फैसले टालने शुरू कर दिए हैं.

मजेदार बात यह है कि अनिल अंबानी और उन के साथी कानूनों की भरमार के बारे में ज्यादा नहीं कहते. आज आम आदमी भी डरा रहता है. भारत सरकार का प्रतीक चिह्न लगा लिफाफा अगर घर के दरवाजे पर पहुंच जाए तो आम आदमी का दिल पहले ही धड़कने लगता है. कोई वरदीधारी दरवाजे पर आ जाए तो जेल का डर होता है, सुरक्षा का नहीं. हमारे उद्योगपति अपने आराम की मांग करते हैं पर आम आदमी के मुंह से कौर का निवाला छीन कर. यदि उन्हें अपना भला चाहिए तो उन की मांग तो होनी चहिए कि सरकारी तानाशाही से हरेक को मुक्ति मिले चाहे अमीर हो या आम. मंत्रालयों में काम जल्दी हो तो नगर निकायों, आयकर कार्यालयों, थानों, अदालतों, पटवारियों के दफ्तरों, तहसीलदारों, सरकारी मंडियों वगैरह में भी, नहीं तो उन्हें कभी जनसमर्थन नहीं मिलेगा.

बड़े उद्योगपति चाहते हैं कि वे आसानी से अपने करोड़ों को अरबों बना सकें. उन्हें उन की फिक्र नहीं जो अपने सैकड़ों व हजारों बचाने में लगे हैं. देश की उन्नति तब ही होगी जब आम आदमी चाहे किसान हो, मजदूर हो या होम कारखानेदार या फिर 50 गज जमीन पर बने मकान का मालिक, सरकारी देर के भय से मुक्त हो सके. अनिल अंबानी को उसी के साथ 3 डी भी जोड़ने चाहिए देर, दूर और दरकार.

दोषी पीडि़ता नहीं होनी चाहिए

16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए गैंग रेप के अपराधियों के इंटरव्यू सरकार और देश के लिए कड़वी गोली बन गए हैं. एक ब्रिटिश डौक्यूमैंट्री फिल्म निर्माता लेसली उडविन ने इस रेप के अपराधी मुकेश का जेल में इंटरव्यू लिया और उस में उस ने बड़ी बेवाकी से कहा कि दोषी तो लड़की है, जो रात को देर तक घूमफिर रही थी. उस ने कहा कि अगर वह विरोध न करती तो रेप करने के बाद  उसे बस से फेंक दिया जाता और वह बच जाती. उस का दावा है कि यदि उसे मौत की सजा मिली तो आगे रेप करने वाले हर मामले में लड़की की हत्या ही कर डालेंगे, क्योंकि रेप और हत्या दोनों में सजा एक सी है.

इस डौक्यूमैंट्री में अन्य कई बलात्कारियों के इंटरव्यू हैं और ज्यादातर लड़कियों को दोष देते हैं कि वे हैं तो उन का रेप किया जाएगा. वे घर में बंद रहें, हंसेंबोलें नहीं, ऊपर से नीचे तक ढकी रहें तभी सुरक्षित हैं, यानी उन्होंने पोलखोल की कि इन हिंदूइसलामी धर्मों से ओतप्रोत समाज अपने मर्दों को यह पाठ भी नहीं पढ़ा सकता कि औरतों से कैसे पेश आए. हमारा समाज औरतों को ही गुनहगार मानता है और मर्दों को छेड़ने, छूने, गालियां देने, अश्लील इशारे करने की ही नहीं बलात्कार करने की भी इजाजत देता है. इजाजत शब्द तो गलत है. जितना इस डौक्यूमैंट्री के बारे में जानने को मिला है उस से तो लगता है कि अपराधी इसे फंडामैंटल राइट मानते हैं.

यह शर्मनाक है पर इस से ज्यादा शर्मनाक गृहमंत्री राजनाथ सिंह से ले कर जेलर व अदालत तक का व्यवहार है, जो अपराधियों की मनोवृत्ति को छिपाए रखना चाहते हैं ताकि देश और समाज के खोखलेपन की पोल न खुले. यह जगजाहिर न हो कि इस देश में औरतों का वजूद गायों और बकरियों सा है, जिन्हें पूजा जाता है पर फिर दुत्कारा जाता है, भूखा रखा जाता है, काट दिया जाता है. हमारे समाज के लिए औरतें जानवरों की तरह मर्दों की सेवा के लिए बनी हैं और सेवा न कर पाएं तो उन्हें मार तक डालने में कोई हरज नहीं. गृह मंत्रालय अब अपराधियों की घृणित मानसिकता का वैसे मुकाबला करने पर रातदिन एक नहीं कर रहा, उस की चिंता है कि लेसली उडविन ने डौक्यूमैंट्री जेल में कैसे बना ली, किस ने, किन शर्तों पर अनुमति दी. गृह मंत्रालय इस डौक्यूमैंट्री को दबाने की कोशिश कर रहा है. यह वैसा ही है जैसे नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत योजना के जवाब में कहा जाए कि साहब गंदे इलाकों में बाहरी लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी जाए और कम्यूनिस्ट देशों की तरह उन्हें केवल अच्छेअच्छे के दर्शन कराए जाएं.

बलात्कार हर देश, हर समाज में होते हैं और औरतों को जो त्रासदी झेलनी पड़ती है वह असहनीय व अवर्णनीय है. पर इस का मतलब यह नहीं कि इस की चर्चा ही न की जाए. चर्चा ज्यादा जरूरी है ताकि समाज को झकझोरा जा सके. औरतें के अधिकार हैं यह कि उन्हें मर्दों के बराबर बनाया जाए. समाज, सरकार, अदालतें व पुलिस यह वादा करें कि चाहे कुछ भी हो, अपराधी को सजा मिलेगी. जैसे हर मारपीट, चोरी, डकैती, बेईमानी की घटना पर पुलिस हरकत में आती है और पीडि़त को दोषी नहीं माना जाता वैसे ही बलात्कार में भी दोषी पीडि़ता नहीं होनी चाहिए. उसे समाज का प्यार व सुरक्षा मिलनी चाहिए. बलात्कार की शिकार युवती को मां शहीद जैसा सम्मान दे, पड़ोसी उसे ताकतवर का शिकार मान कर उस के बचाव में आ खड़े हों, उस के या उस के परिवार में किसी को भी नीची आंखों से खुद को न देखना पड़े. विवाहों में इस घटना को फ्लू की बीमारी मान कर भुला दिया जाए.

बलात्कार का दर्द बलात्कार के समय से ज्यादा बाद में महीनों, सालों तक रहता है, तो इसलिए कि समाज, सरकार शिकार को झूठा, गंदा, त्याज्य मानते हैं. वह खुद को दोषी मानने को मजबूर कर दी जाती है. रानी और जौहर की परंपराएं इसीलिए बनाई गई हैं कि किसी औरत का शारीरिक संबंध पति के अलावा किसी से न हो पाए. ऐसी कोई प्रथा पुरुषों के लिए क्यों नहीं? हमारे समाज की आदत है कि जगतगुरु बनने की चाह में हम हमेशा अपने हित के लिए सच को नकारने की कोशिश करते हैं. सच सामने आते ही हमारी भावनाएं आहत होने लगती हैं फिर चाहे इस सत्य के कारण लाखों, करोड़ों लोगों का जीवन आहत हो, हमें चिंता नहीं होती. इस समाज को बलात्कारी तो तोहफे में मिलेंगे ही जो अपने ऊपर ‘मैं बलात्कारी हूं’ का मुकुट लगा कर घूमेंगे और लोग उन के पैरों को पूजा करेंगे कि ये ही असली मर्द हैं.

मैंगो पंच

सामग्री

2 आम

1 कप पानी

2 बड़े चम्मच शहद

आइस क्यूब्स

विधि

आमों के छिलके निकाल कर उन्हें टुकड़ों में काटें. फिर ब्लैंडर में आम के टुकड़ों के साथ सारी सामग्री मिला कर ब्लैंड करें. छान कर गिलास में डालें और ठंडाठंडा सर्व करें.

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