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गर्भ में पल रहे शिशु के लिए गर्भनाल जीवन की डोर होती है. अब यही गर्भनाल स्टेम कोशिका प्रतिरोपण के महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आई है, जिस से मस्तिकाघात, कैंसर, रक्त, आनुवंशिक एवं हृदय से जुड़े रोगों के उपचार को नई दिशा मिली है. इस प्रणाली को गर्भनाल स्टेम कोशिका बैंकिंग कहा जाता है. इन बैंकों में गर्भनाल में मौजूद स्टेम कोशिकाओं को वर्षों तक संरक्षित रखा जाता है.
गर्भनाल की लंबाई
गर्भनाल की लंबाई 300 सैं.मी. और चौड़ाई 3 सैं.मी. होती है. गर्भनाल में 380 हेलिसेक होते हैं. उन महिलाओं को, जिन की गर्भनाल सामान्य से बड़ी होती है, परेशानी महसूस होती है. ऐसे में बच्चे की स्थिति खराब हो सकती है और गर्भाशय उलटा हो सकता है, जिस से गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती है.
कब काटें गर्भनाल
जन्म के समय नवजात की गर्भनाल को देर से काटने से उसे काफी फायदा होता है. एक शोध के अनुसार, करीब 4 हजार महिलाओं और उन के नवजातों के अध्ययन में पाया गया कि जिन नवजातों की गर्भनाल देर से काटी गई उन के रक्त में आयरन का स्तर अधिक पाया गया. कई देशों में मां और बच्चे को जोड़ने वाली गर्भनाल को जन्म के 1 मिनट से भी कम समय के भीतर काट दिया जाता है. लेकिन गर्भनाल को जल्दी काटने से मां के शरीर से बच्चे के शरीर में जाने वाले रक्त की मात्रा कम हो जाती है. इस से बच्चे के रक्त में आयरन की मात्रा प्रभावित होती है. कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि जन्म के 1 मिनट के बाद गर्भनाल काटने से नवजात में पीलिया का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है. इसलिए जन्म के समय गर्भनाल काटे जाने के समय का निर्धारण काफी सोचसमझ कर करें.
कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया कि यदि किसी नवजात की गर्भनाल पतली हो तो उस के बड़े होने पर उस में दिल के दौरे का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में दोगुना हो जाता है.
गर्भनाल गांठ
गर्भनाल में गांठ बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है. यह गांठ रक्त और पोषक तत्त्वों के मां से बच्चे में पास होने में बाधा पैदा कर सकती है. ऐसा होने पर विशेषज्ञ की सलाह जरूरी हो जाती है. तब शल्यक्रिया द्वारा सुरक्षित प्रसव करवाया जा सकता है.
वरदान है गर्भनाल
बच्चे की गर्भनाल को काटे जाने के बाद प्लैसेंटा गर्भनाल के संरक्षण के लिए बैंकों के द्वारा अत्यधिक उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. गर्भनाल से रक्त को निकालने के बाद उसे बैंक में भेजा जाता है, जहां उसे शून्य से 196 डिग्री सैल्सियस नीचे के तापमान पर तरल नाइट्रोजन में फ्रीज कर के संरक्षित किया जाता है. इस प्रक्रिया से रक्त को कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है.
गर्भनाल की स्टेम कोशिकाओं को नवप्रसव स्टेम कोशिकाओं के नाम से भी जाना जाता है. स्टेम कोशिकाएं मानव शरीर की मास्टर कोशिकाएं होती हैं, जिन में शरीर की 200 से भी अधिक प्रकार की कोशिकाओं में से हर कोशिका में विकसित होने की क्षमता होती है. स्टेम कोशिकाओं में जीवन भर विभाजन करने की खास क्षमता होती है और मृत या क्षतिग्रस्त हो चुकी कोशिकाओं की जगह लेने की क्षमता होती है, इसलिए अब डाक्टर अस्थिमज्जा जैसे परंपरागत स्रोत की तुलना में गर्भनाल रक्त से स्टेम कोशिकाओं को प्राप्त करने को तरजीह दे रहे हैं. विश्व भर में स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जा रहा है.
कौस्मैटिक स्किन ऐंड होम्योक्लीनिक की होम्योफिजीशियन डा. करुणा मल्होत्रा से बातचीत पर आधारित.
जब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हों और घरपरिवार भी न्यूकिलीयर साइज की हो तब घर के नन्हेमुन्नों की देखभाल की समस्या होती ही है. इसीलिए जरूरत होती है एक अदद आया की, जो बच्चे की देखभाल भी कर सके और घर को भी अपनत्व का एहसास दे सके. यहां प्रश्न यह उठता है कि ऐसी आया लाई कहां से जाए? इस के लिए कई प्लेसमेंट एजेंसियां हैं, जो फीस ले कर आप की जरूरत को पूरा करती हैं. आइए, जानते हैं कि ये एजेंसियां कैसे आयाएं मुहैया कराती हैं और इन एजेंसियों से कैसे सावधान रहें.
प्लेसमेंट एजेंसियां कैसीकैसी
किसी प्लेसमेंट एजेंसी से संपर्क करने से पूर्व उस के बारे में अच्छी तरह जानना जरूरी है. ये एजेंसियां आमतौर पर एक अच्छी फीस ले कर आया दिलवाती हैं. अगर एक आया पसंद न हो तो दूसरी और फिर तीसरी आया का इंतजाम भी ये करती हैं. 1 साल बाद फिर से कांटेक्ट को रिन्यू कर के ये एजेंसियां दोबारा से फीस लेती हैं. आया को रखने से पहले प्लेसमेंट एजेंसी की गुडविल को जरूर ध्यान में रखें.
कई एजेंसियां बेईमानी भी कर जाती हैं. रमोला के साथ ऐसा ही हुआ. उस ने एजेंसी से एक आया रखवाई. 2 दिन रहने के बाद वह चलती बनी और एजेंसी वाले आजकल करतेकरते कोई आया नहीं भेज पाए और फिर बाद में उन्होंने बताया कि हम पैसे वापस नहीं करते. बहुत कुछ कहनेसुनने के बाद उन्होंने एक चैक दिया, जो बाउंस हो गया. पुलिस से कहनेसुनने के बाद भी वे थोड़े से पैसे दे कर चलते बने. अगर आप कोर्ट के आंकड़े देखें तो प्लेसमेंट एजेंसियों की ठगी के ढेरों केस विचाराधीन मिलेंगे. फिर भी जरूरत होने पर इन्हीं के द्वारा आया का इंतजाम करना पड़ता है. धोखा खा कर पछताने से बेहतर होगा कि इन से डील करते समय इन के बारे में जानकारी हासिल अवश्य कर लें और सब कुछ देख कर ही आया का इंतजाम करें.
कैसीकैसी आयाएं
आया को घर में रखने से पहले इन के कुछ नेगेटिव पहलू भी समझ लें. वैशाली की बेटी करीब 1 साल की थी. उस ने बेटी के लिए आया का इंतजाम किया. आया युवा थी. वह घर में बच्ची को देखती. शाम को जब वैशाली और रवि लौटते तो उन्हें लगता कि आया बहुत अच्छी तरह बच्ची को रख रही है. एक दिन वैशाली की तबीयत ठीक नहीं थी. वह छुट्टी ले कर अचानक घर लौटी तो देख कर हतप्रभ रह गई. आया अपने बौयफेंड के साथ आपत्तिजनक अवस्था में थी और बच्ची गहरी नींद में सो रही थी. वैशाली के तो पैरों तले जमीन ही निकल गई. बाद में पता चला कि वह रोज बच्ची को नींद की दवा दे देती थी. वह जानती थी कि कुछ दवा से नींद भी आ जाती है और बाद का समय अपने प्रेमी के साथ गुजारती थी. बच्ची दवा के असर से उनींदी सी रहती थी. बमुश्किल उस आया को घर से निकाला.
इसी प्रकार एक और आया बड़े बच्चे को तंबाकू खिला देती थी पर उस का भांडा जल्दी फूट गया और बाद में पुलिस ने उस की अच्छी खबर ली. आयाओं के बुरे व्यवहार की कहानियां अकसर सुनने में आती हैं. एक आया बच्चे को बहुत पीटती थी और डरा कर रखती थी कि किसी को न बताएं. कुछ साल पहले यह खबर अखबारों की सुर्खियां भी बनी थीं. इन सब चर्चाओं का मकसद यही है कि आया रखते समय आप सावधानी बरतें और कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें :
आया से जुड़ी आप की जिम्मेदारियां
सब से पहले आया का पुलिस वैरिफिकेशन कराएं. इलाके के थाने में उस का फोटो, पता और जानकारी रजिस्टर कराएं. इस से एक तो आया को भी डर रहेगा, दूसरे, आप की सुरक्षा भी रहेगी. आजकल सब जानते ही हैं कि किसी नौकर या आया को रखने से पूर्व उस का आईडैंटिटीफिकेशन जरूरी होता है. आप बेहिचक यह कराएं.
आया का मेडिकल चैकअप भी अवश्य करा लें. यह ध्यान जरूर रखें कि उसे कोई छूत की बीमारी तो नहीं है. छोटे बच्चे बड़े कोमल होते हैं, उन के साथ रहने वाली आया रोगमुक्त होनी चाहिए.
आया की हाईजीन का पूरा ध्यान रखना भी जरूरी है. वह रोज नहा कर साफ कपड़े पहने और अपने हाथ धो कर साफ रखे. तभी वह बच्चे को गोद में ले या उसे खिलाए.
उस को यह भी समझा कर रखें कि जब बच्चा सो रहा हो तभी वह कुछ समय के लिए आराम कर ले पर बच्चे का ध्यान भी रखे. कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चा सो रहा है तो आया भी सो जाती है और बच्चा बेड से गिर जाता है. इन सब बातों का विशेष ध्यान रखें. बच्चा बहुत छोटा है तो सोने के बाद उस के चारों ओर कुशन या तकिए लगा कर वह अपने अन्य काम निबटा सकती है.
आया को हिदायत दें कि वह 1-2 बार फोन कर के स्वयं बच्चे के बारे में बताए कि वह क्या कर रहा है. बीचबीच में आप भी फोन करती रहें. इस से आया को ध्यान रहेगा कि आप कभी भी उस के बारे में पूछ सकती हैं.
अकसर आया की निगाहें बच्चे के दूध आदि पर होती है. उस का सब से अच्छा तरीका यही है कि स्वयं ही आया से कह दीजिए कि बच्चे को दूध उबाल कर दे. जो बचेगा उस से वह अपनी चाय बना ले. थोड़ा ज्यादा दूध दें, जिस से उस की नीयत भी नहीं बिगड़ेगी और वह बच्चे को आराम से दूध भी पिला देगी. बचे हुए दूध को तो उसे ही लेना है, वह चाय बनाए या खुद ले, उसे एक स्वतंत्रता तो मिलेगी ही. थोड़ा विश्वास तो आप को उस पर करना ही होगा.
आया थोड़ी ज्यादा उम्र की ही रखें. छोटी उम्र की आयाओं से डर रहता है कि उन के प्रेमी बन जाएंगे या घर में भी उन का रहना ठीक नहीं है. बड़ी परिपक्व आयु की आया ज्यादा मैच्योरिटी से काम करेगी.
समयसमय पर आया का मेडिकल चेकअप कराती रहें.
आया को बिना बात सब के बीच डांटें भी नहीं, यह उसे बुरा लग सकता है. आखिर उस का भी स्वाभिमान होता है. अलग से जा कर उसे जो कहना है, आराम से कह दें. मान लीजिए उस की कोई बात आप पसंद नहीं कर रहीं तो गंभीर शब्दों में उसे समझा जिए कि यह आप को पसंद नहीं है.
बातों का ध्यान रखें तो आया एक अच्छी मददगार साबित हो सकती हैं.
हाल ही में ‘लौट आओ तृषा’ से भाग्यश्री ने पूरे 27 साल बाद स्क्रीन पर वापसी की थी, लेकिन वे इस महीने इस शो को बायबाय कहने वाली हैं. जब किसी की फिल्म या शो अच्छा चलता है, तो वह उसे प्रमोट करने की कोशिश करता है, लेकिन लगता है कि भाग्यश्री कुछ अलग ही हैं. जब उन की चीजें पीक पर होती हैं, तो वे उन्हें बाय करने में समय नहीं लगातीं. वे बताती हैं कि इस शो में उन के कैरेक्टर अमृता को सभी दर्शकों ने काफी सराहा और मैं यही मैंटेन करना चाहती थी. लेकिन मैं इसे फुजूल में घसीटना नहीं चाहती. अगर इस में कुछ खास और इंटरैस्टिंग होता तो सही था, लेकिन बेवजह का खींचना मुझे सही नहीं लगता. वैसे देखा जाए तो मुझे अपनी चीजों को पीक पर छोड़ने के लिए जाना जाता है.
मैं 32 वर्षीय महिला हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे चेहरे की त्वचा बहुत खुश्क है और चेहरे पर पिंपल्स के दाग भी हैं, जिन की वजह से चेहरा बहुत भद्दा लगता है. कृपया चेहरे से पिंपल्स के दागों को हटाने का कोई घरेलू उपाय बताएं?
चेहरे से पिंपल्स के दागों को हटाने से पहले पिंपल्स के होने के कारणों को जानना जरूरी है. कई बार तैलीय ग्रंथियों के अधिक सक्रिय होने के कारण या हारमोनल बदलाव के कारण पिंपल्स अधिक होते हैं. जहां तक घरेलू उपाय की बात है तो पिंपल्स के दागों को हटाने के लिए संतरे के छिलकों को पाउडर बना कर उस में हलदी व नीबू का रस मिला कर पिंपल्स के दागों पर लगाएं और फिर सूखने तक लगा रहने दें. अगर पिंपल्स कील वाले हैं, तो मीठे सोडे में पानी मिला कर पेस्ट बनाएं और पिंपल्स पर लगाएं. पिंपल्स हटने के बाद ओपनपोर्स पर मुलतानी मिट्टी का पैक, खीरे का रस या टोनर लगाएं.
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मैं 35 वर्षीय महिला हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे चेहरे पर काफी झांइयां हैं, जिन की वजह से चेहरा निस्तेज सा लगता है और कोई भी मेकअप अच्छा नहीं दिखता. झांइयां हटाने का कोई घरेलू उपाय बताएं?
कई बार चेहरे पर झांइयां खून की कमी के कारण होती हैं. इस के अलावा प्रैगनैंसी में कमजोरी होने और सनबर्न के कारण भी चेहरे पर झांइयां हो जाती हैं. अगर इन में से कोई कारण हो तो उस का इलाज कराएं. इस के अलावा घरेलू उपाय के तौर पर झांइयों से छुटकारा पाने के लिए झांइयों पर दही व खीरे का रस लगाएं. सनबर्न से होने वाली झांइयां को हटाने के लिए पपीते के पल्प को मैश कर के झांइयों पर लगाएं. धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाएं. अगर ऐनीमिया से पीडि़त हैं तो आयरन टैबलेट लें. भोजन में पालक व टमाटर अधिक मात्रा में लें.
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मैं एक मध्य आयुवर्ग की महिला हूं. आंखों के नीचे के काले घेरों से परेशान हूं. उन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं?
आंखों के नीचे काले घेरे ज्यादा देर तक टीवी देखने, कंप्यूटर पर काम करने या फिर नींद पूरी न होने के कारण होते हैं. इन्हें हटाने के लिए टी बैग्स को उबाल कर फ्रीजर में ठंडा कर के उन पर लगाएं. इस के अलावा आलू या खीरे के रस में कौटन को डुबो कर आंखों पर लगाएं. आंखों के नीचे की त्वचा चेहरे की त्वचा की अपेक्षा अधिक सैंसिटिव होती है. अत: उसे ज्यादा मौइश्चराइज करने की जरूरत होती है. इस के लिए हर 4 घंटे बाद आंखों के नीचे मौइश्चराइजर लगाएं. इस के अलावा आंखों को खोलनेबंद करने की ऐक्सरसाइज करें. जरूर लाभ होगा.
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मेरी उम्र 15 साल है. मैं अपने डार्क लिप्स को ले कर परेशान हूं. क्या होंठों को प्राकृतिक रूप से गुलाबी बनाया जा सकता है? कृपया घरेलू उपाय बताएं?
कुछ लोगों के होंठों का रंग जैनेटिक कारणों से डार्क होता है. फिर भी डार्कनैस को थोड़ा हलका किया जा सकता है. इस के लिए रोजवाटर में वैसलीन मिला कर होंठों पर लगाएं. इस के अलावा पपीते के बीजों को पीस कर उस में नीबू के रस की बूंदें मिलाएं और फिर इस पेस्ट को होंठों पर लगाएं. नीबू में ब्लीचिंग एजेंट होता है, जो होंठों के गहरे रंग को हलका करने में मदद करता है.
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मैं अपने झड़ते बालों की वजह से बहुत परेशान हूं. बहुत उपाय कर लिए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कृपया बालों को झड़ने से रोकने के लिए कोई उपाय बताएं?
बालों के झड़ने का कारण हारमोनल बदलाव भी हो सकता है. इस के अलावा कई बार कैमिकल प्रोडक्ट्स जैसे, हार्श शैंपू, हेयरकलर या कैमिकल हेयर ट्रीटमैंट की वजह से भी बाल झड़ने लगते हैं. बालों को झड़ने से बचाने के लिए आप रात को दूध के साथ 1 चम्मच फ्लैक्स सीड्स खाएं. इस के अलावा बालों पर मेथीदाना पाउडर में आंवला व शिकाकाई पाउडर मिला कर लगाएं. अगर बाल औयली हों तो पेस्ट में दही भी मिलाएं और अगर बाल औयली न हों तो दूध मिलाएं. इस के अलावा आप बाजार में उपलब्ध जेसवैंड जैल में ऐलोवेरा जूस या पल्प मिला कर स्कैल्प पर 1/2 घंटे के लिए लगाएं. फिर इसे केवल पानी से धोएं. शैंपू न करें.
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मेरी बेटी की उम्र 10 वर्ष है. वह अंडरआर्म्स में हो रहे दानों से परेशान है. स्लीवलेस पहनने पर दाने बहुत खराब लगते हैं. कृपया कोई उपाय बताएं?
अंडरआर्म्स में दाने होने का कारण अधिक पसीना आना या फिर बैक्टीरियल इन्फैक्शन हो सकता है. उन से बचने के लिए वहां की त्वचा को हमेशा ड्राई रखें. उसे कौटन के कपड़े पहनाएं और दानों पर ऐंटीसैप्टिक लोशन व ऐस्ट्रिंजैंट और एैब्जौर्ब पाउडर लगाएं. इस से जरूर आराम मिलेगा.
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मेरी स्किन सांवली है जिस वजह से मैं हलका मेकअप ही करती हूं. लेकिन मेरा मेकअप ज्यादा देर तक टिका नहीं रहता, जल्दी खराब हो जाता है. मेकअप देर तक टिके इस के लिए क्या करूं?
पहले आप चेहरा ऐस्ट्रिंजैंट से अच्छी तरह से साफ करें. फिर चेहरे पर आइस क्यूब रगड़ें. मेकअप से पहले बेस लगाएं. फाउंडेशन अपनी स्किन टोन से एक टोन डार्क लें और इसे डौटडौट कर स्किन में अच्छी तरह मर्ज करें. फिर इस पर डस्क पाउडर का प्रयोग करें. मेकअप देर तक टिका रहेगा.
समस्याओं का समाधान कौस्मेटोलौजिस्ट संगीत सभरवाल द्वारा बताए गए.
सामग्री
2 कप पास्ता , 1/4 कप गाजर पतली लंबाई में कटी , 1/4 कप हरी शिमलामिर्च लंबाई में कटी , 1/4 कप ब्रोकली के छोटे टुकड़े, 6 टमाटर मीडियम आकार के , 50 ग्राम अदरक कद्दूकस किया , 1/4 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर , 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर , 10-12 तुलसी की पत्तियां द्य नमक स्वादानुसार.
विधि
पास्ता को 8 कप पानी में गलने तक उबालें और फिर पानी से निथार लें. टैंगी सौस बनाने के लिए टमाटरों को छोटे टुकड़ों में काटें फिर अदरक के साथ आंच पर 6-7 मिनट पकाएं. मिक्सी में पीस कर छान लें. पुन: मिश्रण को आंच पर रखें. इस में नमक, दालचीनी पाउडर, कालीमिर्च पाउडर और तुलसी की पत्तियां डाल कर धीमी आंच पर 2 मिनट पकाएं. ब्रोकली, गाजर और शिमलामिर्च को गरम सौस में डाल कर 1 मिनट पकाएं. 10 मिनट ढक कर रखें. पुन: गरम करें और पास्ता के साथ मिक्स कर के गरमगरम सर्व करें.
सामग्री
थोड़ी सी इमली, 2 बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट, 1 बड़ा चम्मच माल्ट विनेगर, 500 ग्राम मछली, 1/2 कप नारियल, 6 लालमिर्चें, 2 हरीमिर्चें, 2 बड़े चम्मच साबुत धनिया, 1 छोटा टमाटर, 2 छोटे चम्मच लहसुन का पेस्ट, 2 छोटे चम्मच जीरा, 1 छोटा प्याज, 2 बड़े चम्मच तेल, नमक स्वादानुसार.
विधि
मछली को साफ कर के 5-6 टुकड़ों में काट लें. प्याज व टमाटर भी काट लें. हरीमिर्च को भी बीच में से चीरा लगा कर 2 टुकड़ों में काट लें. जीरा, धनिया व लालमिर्चों को भून लें. भुने मसाले, नारियल, अदरकलहसुन का पेस्ट, माल्ट विनेगर मिला कर पेस्ट बना लें. पैन में तेल गरम करें और इस में सुनहरा होने तक प्याज भूनें. फिर हरीमिर्च और टमाटर मिला दें. इसे मध्यम आंच पर लगातार हिलाते हुए लगभग 3 मिनट तक फ्राई करें. अब इस में मसालों का पेस्ट और 11/2 कप पानी मिला दें. फिर एक उबाल आने पर नमक व मछली के टुकड़े मिला दें. धीमी आंच पर लगातार हिलाते हुए मछली गलने तक पकाएं. फिर उबले चावलों के साथ सर्व करें.
सामग्री
500 ग्राम प्रौन्स (हैडलैस व साफ किए हुए), 4 टमाटर (बारीक कटे हुए), थोड़े से करीपत्ते, 4 प्याज (बारीक कटे), स्वादानुसार चीनी, नमक व विनेगर, 4 बडे़ चम्मच तेल.
पेस्ट हेतु
1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट, 2 सूखी लालमिर्चें, 1 बड़ा चम्मच विनेगर, 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, 2 छोटे चम्मच जीरा, 1 बड़ा चम्मच सरसों दाना, 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च (ये सारी सामग्री मिला कर पेस्ट बना लें.)
विधि
एक चुटकी हलदी व नमक मिलाएं व इसे साफ किए हुए प्रौन्स पर लगा कर 5 मिनट छोड़ दें. अब प्रौन्स को साफ पानी से धो लें. अब इन पर पेस्ट लगा कर अलग रख दें. एक बड़ी कड़ाही में तेल गरम करें और करीपत्ता डालें. अब इस में बारीक कटा प्याज डाल कर सुनहरा होने तक फ्राई करें. फिर इस में कटे टमाटर डाल कर तब तक फ्राई करें जब तक तेल न छूट जाए. अब इस में प्रौन्स डालें और लगातार हिलाते हुए कुछ देर फ्राई करें. अब इस में हरीमिर्चें, चीनी, नमक व सिरका डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर इसे ढक कर धीमी आंच पर 10 मिनट तक पकाएं. प्रौन्स पक जाएं तो गैस पर से उतार कर ब्रेड या चिल्ड कोकम इन योगर्ट के साथ परोसें.
सामग्री
1 पूरा चिकन, 7-8 हरीमिर्चें, 8 गुच्छे धनियापत्ती, 2 इंच का अदरक का टुकड़ा, 13-14 लहसुन की कलियां, 1 बड़ा चम्मच खसखस, 7 पैपरकौर्न, 1 बड़ा टुकड़ा दालचीनी, 1 बड़ा चम्मच जीरा, 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, थोड़ी सी इमली, 4-6 लौंग, नमक स्वादानुसार.
विधि
चिकन को काट कर धो लें. फिर उस पर नमक और अदरकलहसुन का पेस्ट लगा कर एक तरफ रख दें. फिर बाकी सामग्री को मिला कर पेस्ट बना लें. इसे चिकन पर लगा दें. अब इस चिकन को पूरी रात मैरीनेट होने दें. यह जितनी देर तक मैरीनेट होगा उतना ही अच्छा होगा. अब पैन में थोड़ा सा तेल गरम करें. जब यह गरम हो जाए तो इस में चिकन डालें. फिर इस में थोड़ा सा मक्खन डालें और चिकन गलने तक मध्यम आंच पर पकाएं. प्याज व सलाद के साथ परोसें.